#lockdown: एक अप्रैल से बदल जायेंगे आपके बैंक !

कोरोना के कहर के बीच लॉक डाउन के समय ही बैंकों के ग्राहक का बैंक बदलने वाला है . रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने बीत शनिवार के देर रात को पहली अप्रैल 2020  से 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय को मंजूरी दे दिया है.

अर्थव्यवस्था की गति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बीते साल  में केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के 10 बैंकों का विलय करने की घोषणा की थी . अब 1 अप्रैल 2020 से प्रभाव में आ जायेगा .  इस कदम के परिणामस्वरूप देश में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों  की कुल संख्या 18 से घटकर 12 हो जाएगी.

आरबीआई ने जारी बैंकों के विलय की विज्ञप्ति जारी कर दिया है :- 

रिजर्व बैंक के मुख्य महाप्रबंधक योगेश दयाल द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार एक अप्रैल 2020  से ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स (ओबीसी) तथा यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की शाखाएं पंजाब नेशनल बैंक (पीे.एन. बी.) की शाखाओं के रूप में काम करने लगेगी .

वही इलाहाबाद बैंक की सभी शाखाएं एक अप्रैल 2020 से इंडियन बैंक की शाखाओं के रूप में काम करेंगी. साथ ही इलाहाबाद बैंक के खाताधारक और जमाकर्ता सभी एक अप्रैल 2020 से इंडियन बैंक के ग्राहक के तौर पर माने जाएंगे.

रिजर्व बैंक ने आगे कहा कि सिंडिकेट बैंक , केनरा बैंक के रूप में काम करेगा. एक अप्रैल 2020 से सिंडिकेट बैंक की सभी शाखाएं ,केनरा बैंक के शाखा के तौर पर काम करेंगी. इसी प्रकार सिंडिकेट बैंक के ग्राहक, खाताधारक और जमाकर्ता सभी केनरा बैंक  के ग्राहक के तौर पर माने जाएंगे.

साथ ही एक अप्रैल 2020 से आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक की सभी शाखाएं ,यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के शाखा के तौर पर काम करेंगी. इसी प्रकार आंध्र बैंक और कार्पोरेशन बैंक के ग्राहक, खाताधारक और जमाकर्ता सभी यूनियन बैंक आफ इंडिया के ग्राहक के तौर पर माने जाएंगे.

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 वह बैंक जिसमें विलय होगा –               जिसका विलय होगा

* पंजाब नैशनल बैंक                       :-   ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया

* केनरा बैंक                                  :-   सिंडिकेट बैंक

* यूनियन बैंक ऑफ इंडिया            :- आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक

* इंडियन बैंक                                 :- इलाहाबाद बैंक

इस विलय के बाद :-

* पंजाब नेशनल बैंक भारत का दूसरा सबसे बड़ा सार्वजनिक क्षेत्रक बैंक बन जाएगा.  इसके अतिरिक्त बैंक शाखाओं के मामले में भी यह बैंक देश का सबसे बड़ा बैंक होगा, जिसकी 11,437 शाखाएँ होंगी. तीनों बैंकों के विलय के पश्चात् पंजाब नेशनल बैंक का कुल कारोबार करीब 17.95 लाख करोड़ रुपए का हो जाएगा.

*   केनरा बैंक  में सिंडिकेट बैंक  का विलय केनरा बैंक को देश का चौथा सबसे बड़ा बैंक बना देगा . इसकी कुल शाखाओं की संख्या 10,342 हो जाएगी. केनरा बैंक का कुल कारोबार करीब 15.20 लाख करोड़ रुपए का होगा.

* यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में आंध्रा बैंक तथा कॉर्पोरेशन बैंक का विलय होने के बाद  यूनियन बैंक ऑफ इंडिया देश का पाँचवां सबसे बड़ा बैंक होगा.  इसकी कुल शाखाओं की संख्या 9,609 होगी. जबकि इसका इसका कुल कारोबार करीब 14.59 लाख करोड़ रुपए का होगा .

* इंडियन बैंक में इलाहाबाद बैंक  का विलय होने के बाद यह देश का सातवाँ सबसे बड़ा बैंक बन जाएगा. इसकी शाखाओं की कुल संख्या 6,104 होगी . इसका कुल कारोबार करीब  8.08 लाख करोड़ रुपए का होगा .

इससे पहले भी हो चूका है विलय

* सरकार ने वर्ष 2017 में भारतीय स्टेट बैंक के सहयोगी बैंकों– स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ त्रावणकोर, स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर और भारतीय महिला बैंक का स्टेट बैंक के साथ एकीकरण किया गया था.

* सरकार ने जनवरी 2019 में देना बैंक और विजया बैंक का विलय बैंक ऑफ बड़ौदा में करने को स्वीकृति दी गई थी . यह 1 अप्रैल, 2019 से प्रभाव में आया था .  यह वर्तमान में सार्वजनिक क्षेत्र का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है.

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 विलय से  अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति

* सरकार के अनुसार, देश के 10 बैंकों का विलय करने से बैंकों के कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी .

*  बैंकों का तुलन-पत्र (बैलेंस शीट) भी मज़बूत होगी.

* देश के बड़े सार्वजनिक बैंक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतियोगिता करने में सक्षम हो जाएंगे.

#lockdown: मलाइका अरोड़ा से जानें सेल्फ आइसोलेशन में 6 ब्यूटी फंडे

नए फैशन ट्रेंड की बात हो तो सबसे पहले हॉट मलाइका अरोड़ा का नाम आता है बढ़ती उम्र में भी उनका जलवा बरकार है आज भी मलाइका कम उम्र की एक्ट्रेस को फैशन, स्टाइल और फिटनेस में टक्कर देती नज़र आती हैं ऐसे में कोरोना वायरस से बचने के लिए लॉकडाउन के दौरान घर बैठे अपनी खूबसूरती को बढ़ाना है तो बॉलीवुड की फैशनेबल, स्टाइलिश और  फिटनेस फ्रीक मलाइका अरोड़ा से सीखिए. सेल्फ आइसोलेशन के समय मलाइका अपनी खूबसूरती का ख्याल खास तरीके से कर रही है

मलाइका अरोड़ा  सोशल मीडिया पर तो अक्सर  छाई रहती है लेकिन अब लॉक डाउन के दौरान  भी  सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रहीं हैं  अब मलाइका सोशल मीडिया पर अपने फैन्स को बता रही हैं कि आइसोलेशन में वह क्या कर रही हैं.

मलाइका अपनी फिटनेस और खाना बनाने के वीडियोज शेयर कर रहीं हैं साथ ही अपनी स्किन का भी खूब अच्छी तरह से ख्याल रख रही हैं. आइए जाने उनकी खूबसूरती का राज.

सबसे पहले मलाइका अरोड़ा अपने दिन की शुरुआत अपनी इम्यूनिटी बढ़ाने से करती हैं. इसके लिए वह गुनगुने पानी में नींबू का रस डाल कर पीती हैं.

हाल ही में मलाइका ने  ब्यूटी टिप्स देते हुए एक फोटो शेयर की इस फोटो में उन्होंने अपने चेहरे पर एलोवेरा जेल लगाया हुआ था.

एलोवरेा स्किन के लिए बहुत फायदेमंद होता है. स्किन की कई समस्याओं के लिए यह एक बहुत अच्छा और नेचुरल उपाय है. यह स्किन को पोषित करने का भी काम करता है.

1. बेस्ट नेचुरल प्रोडक्ट

एलोवेरा में एंटी-ऑक्सीडेंट्स की भरपूर मात्रा होती है. यह स्किन पर मौजूद महीन रेखाओं को साफ करने का काम करता है. यह एक बेस्ट और नेचुरल एंटी-एजिंग प्रोडक्ट है.

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2. बढ़ती उम्र को रोके

एलोवेरा आपकी स्किन की  बढ़ती उम्र को तो रोकता ही है साथ ही दाग-धब्बे, पिंपल्स हो जाने, कट जाने, सन बर्न हो जाने पर और रिंकल्स हो जाने पर भी इसका इस्तेमाल बहुत फायदेमंद होता है.

3. डेड स्किन हटाए

एलोवेरा  बहुत अच्छा क्लींजर है. ये स्किन की ऊपरी सतह पर मौजूद गंदगी और डेड सेल्स को साफ करने का काम करता है, जिससे चेहरे पर निखार आ जाता है.

4. फंगल इंफेक्शन से बचाए

एलोवेरा में एंटी-माइक्रोबियल गुण पाया जाता है. इसकी ये खूबी कील-मंहासों से राहत दिलाने में बहुत कारगर होती है. जब बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन होगा नहीं तो कील-मुंहासों की समस्या भी नियंत्रण में रहेगी.

5. स्किन को नमी देने के लिए

एलोवेरा स्किन को पोषण देने का काम करता है. ये एक बहुत अच्छा मॉइश्चराइजर है. किसी भी स्क‍िन टाइप के लोग इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, बशर्ते आपको इससे एलर्जी न हो.

6. दाग-धब्बों के लिए बेस्ट

अगर आपके चेहरे पर दाग हैं तो एलोवेरो का नियमित इस्तेमाल आपके लिए फायदेमंद रहेगा. इससे रेग्युलर इस्तेमाल से स्किन के अनचाहे दाग-धब्बे दूर हो जाते हैं. आप इसे दिन में कम से कम 2-3 बार लगाएं, तो दाग़ हल्के हो सकते हैं.

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Holi Special: घर पर बनाएं चावल के गुलाबजामुन

अगर आपका मन भी गुलाबजामुन खाने का है और आप होली पर घर में इस रेसिपी को बनाना चाहते हैं तो आज हम चावल के गुलाबजामुन की आसान रेसिपी बताएंगे, जिसे आप बिना किसी जरूरी सामान के घर पर ट्राय कर सकती हैं.

हमें चाहिए-

– चावल  (100 ग्राम)

– दूध (250 मिली)

– शक्कर ( 250 ग्राम)

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– हरी इलायची (02 पिसी हुई)

– घी (तलने के लिये)

चावल के गुलाब जामुन की विधि :

– सबसे पहले चावल को साफ करके धो लें.

– फिर उन्हें दूध के साथ डाल कर अच्छी तरह से पका लें.

– जब चावल पक जायें और दूध तरह से उसमें सोख लें, गैस बंद कर दें और उन्हें ठंडा होने दें.

– जब तक चावल ठंडे हो रहे हैं, तब तक चाशनी बना लें.

– इसके लिये शक्कर में आवश्यकतानुसार पानी लेकर उसे पकायें.

– शक्कर के घोल को बराबर चलाते रहें.

– जब चाशनी तैयार हो जाये, उसमें पिसी हुई इलायची डाल दें और गैस बंद कर दें.

– चावल ठंडे होने पर उन्हें सिल-बट्टे पर खूब बारीक पीस लें.

– चावल पीसने के बाद उसे एक बार अच्छी तरह से फेंट लें.

– चावल पीसते समय उसमें अलग से पानी न मिलायें, नहीं तो गुलाब जामुन बेडौल हो जायेंगे.

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– अब एक कढ़ाई में घी डाल कर गर्म करें, जब घी गर्म हो जाये, हाथ में थोड़ा सा घी लगा कर चिकना कर   लें और फिर थोड़ा सा चावल का पेस्ट उसे गुलाब जामुन के आकार का बनायें और घी में डाल कर उलट-   पलट कर धीमी आंच पर सेंकें.

– चावल के गोला को सुनहरा होने तक सेंकें और फिर उन्हें निकाल कर चाशनी में डाल दें और इन्हें थोड़ी      देर तक चाशनी में पड़े रहने दें.

लीजिये, आपकी चावल के गुलाब जामुन की विधि कम्‍प्लीट हुई.

#coronavirus: कोरोना के खौफ ने दुनिया को नैतिक रूप से झकझोर दिया

आज की तारीख की दुनिया में और ठीक एक महीने पहले की दुनिया में जमीन आसमान का फर्क देखा जा सकता है. आज दुनिया में करीब दो अरब लोग घरों में कैद हैं. एक महीने पहले ऐसे दृश्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी. यह सोचा भी नहीं जा सकता था कि आसमान में हर पल चमकती हवाई जहाजों की बत्तियां कभी पूरी तरह से बुझ भी सकती हैं. आज धरती का दो तिहाई आसमान हवाई जहाजों से मुक्त है. इटली से लेकर अमरीका तक और सिंगापुर से लेकर रूस तक करोड़ों करोड़ लोग घरों के अंदर हैं. किसी को कहीं जाने की जल्दी नहीं है. पक्षी बेफिक्र हैं, जंगल में तमाम जानवर, समुद्र में मछलियां और झीलों व तालाबों में बत्तखें आजाद हैं. चैन की सांसें ले रही हैं. क्योंकि इंसान घरों में कैद है.

कोरोना वायरस के खौफ ने दुनिया की सारी व्यवस्था को, उसके सारे नियम कानून को उलट-पलट कर दिया है. इस सबका लोगों की सोच पर भी आज एक साफ असर देखा जा सकता है. कोरोना के डर ने इंसान को झकझोर कर रख दिया है और मजबूर कर दिया है कि वो अपने किये पर फिर से सोचे. अपनी लाइफस्टाइल पर पुनर्विचार करे. जीवन की जरूरतों की लिस्ट नये सिरे से बनाए. जीवन की अपनी समझ को दुरुस्त करे. एक रिपोर्टर ने तस्वीर खींची है कि तेलअवीव एयरपोर्ट में चिड़ियों का एक झुंड अपने चूजों के साथ घूम रहा है. सिंगापुर में उदबिलाव पानी से निकलकर गलियों तक विचरण कर रहे हैं. जबकि इंसान घरों में कैद है. अपार्टमेंट की बालकनियों से एक दूसरे को हाथ हिलाकर इशारे कर रहा है. समय और फुर्सत होने के बावजूद लोग एक दूसरे के पास नहीं आ रहे हैं. घरों में होकर भी लोग आपस में एक जगह बैठ नहीं रहे, एक दूसरे को छू नहीं रहे.

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सचमुच कोरोना वायरस ने इंसान को उसकी हैसियत समझा दी है. अल्पकाल के लिए ही सही कुदरत इंसान के बर्बर दमन से मुक्त हो गई है. आज दुनिया के जितने भी देशों में (और ये कुल देशों के 90 फीसदी हैं) कोरोना वायरस का कहर बरपा हुआ है, उन सभी देशों ने खानपान में मांस पर अधिकतम पाबंदी लगा दी है. मांस तो छोड़िये सी फूड और इसमें मछलियां तक लोग नहीं खा रहे. आज दुनिया के ज्यादा से ज्यादा लोग सब्जियां खा रहे हैं, फल खा रहे हैं, अनाज खा रहे हैं और वो तमाम चीजें खा रहे हंै, जो कुदरत ने उसे खाने के लिए दी है. आज कहीं पर यह तर्क नहीं दिया जा रहा कि अगर जानवर नहीं खाएगें तो दुनिया जानवरों से भर जायेगी.

सचमुच में कोरोना वायरस ने कुछ ही दिनों के भीतर इंसान की समूची सोच और समझ में आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है. हालांकि हम सब इस बात को भी जानते हैं कि जैसे ही दुनिया कोरोना संकट से मुक्त होगी, वह ये तमाम तात्कालिक सबक इतनी जल्दी भूल जायेगी, जैसे रात का देखा कोई सपना. मगर यदि इंसान यह सबक भूल जायेगा तो कुदरत भी कोई कोरोना के बाद कसम नहीं खायेगी कि अगली कोई महामारी, अगला कोई संकट नहीं आयेगा. अगर दुनिया सोचे और स्वीकार करे तो कोरोना संकट ने जितना कुछ हमसे लिया है, उससे कहीं ज्यादा दे रही है. इस संकट के पहले दुनिया यह मानकर चल रही थी कि वातावरण में मौजूद जहरीली हवा कभी भी साफ नहीं होगी. आज की तारीख में दुनिया के बिगड़े हुए पर्यावरण में खासकर वायु प्रदूषण के मामले में 50 फीसदी तक का सुधार हो गया है.

चीन के हर शहर में आज सांस लेने लायक हवा है. हिंदुस्तान में गाजियाबाद, कानपुर और लुधियाना जैसे सबसे प्रदूषित शहर भी सांस लेने के लायक हो गये हैं. आज हम हिंदुस्तान के किसी भी कोने में स्वस्थ सांस ले सकते हैं. क्योंकि हवा में आॅक्सीजन बढ़ गई है. सिर्फ कोरोना के भय ने हवा ही नहीं साफ किया, जब से यह संकट दुनिया में तारी हुआ है, खासकर यूरोप और अमरीका में तब से हर दिन करीब 10 बिलियन गैलेन पानी की खपत कम हो गई है. सवाल है पहले ये पानी कहां जाता था? निश्चित रूप से सैर सपाटे की जीवनशैली में अंधाधुंध रूप से खर्च हो रहा था. जीवनशैली की जरूरत के रूप में पिछले कुछ दशकों में हमने जो एक उपभोग की विकराल दुनिया खड़ी कर ली है, उसके चलते सिर्फ पानी ही नहीं दूसरे संसाधनों की भी दुनिया में भयावह लूट हो रही है. आज लोग होटलों में, रिजोर्ट में और लाइफस्टाइल क्लबों में

अय्याशी की जिंदगी जीते हुए, सैकड़ों गुना ज्यादा संसाधन खर्च कर रहे हैं.
कोरोना ने लोगों को भय से ही सही एक संयम सिखाया है. आज हर दिन एक खरब डाॅलर से ज्यादा का सट्टा बाजार पूरी तरह से बंद है. हैरानी की बात यह है कि दुनिया भी फिर चल रही है. शराब और सिगरेट की खपत पीड़ित देशों में 70 से 80 फीसदी तक कम हो गई है. फिर भी दुनिया मौजूद है और कोरोना की दहशत में इन तमाम चीजों की मांग भी नहीं कर रही. ऐसा नहीं है कि सट्टा बाजार जब चलते हैं, तो उसमें जो लोग रकम हारते या जीतते हैं, वो रकम धरती के बाहर किसी और ग्रह में चली जाती हो. लेकिन सट्टा बाजार की तमाम गतिविधियों में जो लोग हारते हैं, वे तो बरबाद होते ही हैं, जो लोग जीतते हैं वो भी जीती हुई रकम को अनाप-शनाप ढंग से खर्च करके अनैतिक उपभोग को बढ़ावा देते हैं और इस तरह धरती में लूट खसौट की प्रक्रिया को बढ़ावा देते हैं.

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कोरोना के भय ने काफी हद तक लोगों को संयमित, अनुशासित और नैतिक जीवन जीने के लिए विवश किया है, जिसका असर हम पूरी दुनिया को और बेहतर हो जाने के रूप में देख रहे हैं. जो कि संकट के रास्ते से आने के बावजूद भी दुनिया के लिए बहुत ही सबक सिखाने वाला संकट है. इंसान ने जानवर मारे, पेड़ काटे, प्रदूषण फैलाया, नदियों, पहाड़ों और धरती का पेट चीरकर उसमें मौजूद संसाधनों का बेशर्मी की हद तक दोहन किया. जंगल खत्म कर दिये, कारखानों की लाइन लगा दी, बैंकों में नोट भर दिये, सड़कों में गाड़ियां, घरों में उपभोग के अंतहीन सामान. लेकिन कोरोना संक्रमण के संकट ने बता दिया कि ये तमाम चीजें इंसान की जिंदगी की कीमत के सामने कोई कीमत नहीं रखतीं.

आज दुनिया के बैंकों में इफरात में पैसे भरे हैं, लेकिन कोरोना वायरस से जूझ रहे लोगों के लिए वे पैसे न तो वैक्सीन खरीद सकते हैं और न ही जरूरी दवाएं. क्योंकि वैक्सीन अभी तक बन ही नहीं पायी, भले इंसान इसके लिए कितना ही पैसा खर्च करने को तैयार क्यों न हो. इसलिए गहराई से देखें तो लगता है कोरोना हमें खत्म करने नहीं आगाह करने आया है, अगर हम अब भी इस संदेश को सुन लें, समझ लें तो समझना होगा कि हममें इसकी उतनी कीमत नहीं चुकायी, जितनी कीमत हो सकती थी.

#coronavirus: कोरोना के लक्षणों पर रखें नजर

कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों की संख्या भारत में 800 से पार हो चुकी है और 20 लोगों की मौत हो चुकी है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि आप अपना ख्याल रखें. घर में रहे. समयसमय पर साबुन से हाथ धोते रहें . साथ ही करोना के लक्षणों के प्रति सचेत भी रहे.

सामान्यतया कोरोना वायरस के संपर्क में आने के 2 से ले कर 14 दिनों के अंदर इस बीमारी के लक्षण उभर सकते हैं . यदि आप कोरोना पीड़ित के संपर्क में आए हैं या आप की विदेशी ट्रेवल हिस्ट्री है और आप का टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आया है तो इस का मतलब यह नहीं कि आप इस से बच गए हैं. कई दफा 13 से 14 दिन या उस के बाद भी आप के शरीर में लक्षण उभरने शुरू हो सकते हैं .

खासकर बड़े बुजुर्गों जिन्हें पहले से अस्थमा, डायबिटीज या दिल की बीमारी है उन्हें खास सावधानी रखनी चाहिए. कोरोना से जुड़े हल्केफुल्के लक्षण उभरने पर भी तुरंत डॉक्टरी सलाह लेनी चाहिए. अगर आप समय पर मेडिकल हेल्प ले लेते हैं तो आप के बचने की संभावना बढ़ जाती है.

कोरोना वायरस के चपेट में आने वाले करीब 80% लोग सामान्य इलाज से सही हो जाते हैं. 15% लोगों को विशेष ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है और वे गंभीर रूप से बीमार हो जाते हैं . जब कि लगभग 5% लोगों की मौत होती है.  सारे कोरोना वायरस जानलेवा नहीं होते.

कोरोना के लक्षणों पर दें ध्यान

इंसान के शरीर में पहुंचने के बाद कोरोना वायरस का पहला वार व्यक्ति के गले और आसपास की कोशिकाओं पर होता है. इस के बाद वायरस व्यक्ति के फेफड़ों और सांस की नली तक पहुंचता है और उन्हें संक्रमित करता है. इस से व्यक्ति को बुखार, सूखी खांसी और सांस लेने में दिक्कत पैदा होने लगती है. स्थिति गंभीर होने पर फेफड़े और दूसरे अंग फेल भी हो सकते हैं . ऐसे में व्यक्ति को बचाना मुश्किल होता है. इसलिए जरूरी है कि आप कोरोना के लक्षणों को शुरूआत में ही समझे…

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  1. तेज बुखार

कोरोना का सब से प्रमुख और शुरुआती लक्षण बुखार का आना है . यदि बुखार 99 से 99.5 डिग्री फॉरेनहाइट है तो कोई खतरे की बात नहीं क्यों कि कोरोना का बुखार काफी तेज यानी 100 डिग्री फॉरेनहाइट से अधिक होता है . ऐसी परिस्थिति में आप को सावधानी बरतने की जरूरत पड़ेगी.

  1. गले में खराश

कोरोना का एक खास लक्षण गले में खराश और दर्द का बने रहना है. यदि यदि चारपांच दिनों तक लगातार ऐसा रहे तो स्थिति की गंभीरता को भांपे.

  1. सूखी खांसी

कोरोना का एक लक्षण सूखी खांसी है जो समय के साथ बढ़ती जाती है.

  1. सांस लेने में परेशानी

कोरोना वायरस से संक्रमित होने के करीब 5 से 6 दिनों के अंदर व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत पैदा हो सकती है. इस की वजह फेफड़ों में फैलता हुआ कफ होता है.

  1. डायरिया और उल्टी

कुछ कोरोना पीड़ितों में डायरिया और उल्टी के लक्षण भी देखे जाते हैं.

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  1. सर्दी में के सामान्य लक्षण कोरोनाग्रस्त व्यक्ति को कई बार साधारण सर्दी जुकाम के लक्षण जैसे नाक बहना, छींक आना जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं . उन्हें सिर दर्द और पूरे बदन में दर्द की शिकायत भी रह सकती है.
  2. सुनने की क्षमता में कमी

आजकल कुछ मरीजों में यह लक्षण भी देखा जा रहा है कि उन के सुनने और स्वाद लेने की क्षमता घट गई है .

इमरजेंसी वार्निंग साइन

कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन के उभरने पर समझे कि मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति आ गई है और आप को तुरंत डॉक्टरी सहायता लेनी अनिवार्य है.

  1. सांस लेने में कठिनाई
  2. लगातार सीने में दर्द या दबाव
  3. होठों या चेहरे पर नीलापन
  4. किसी भी तरह की शारीरिक असमर्थता

ऐसी किसी भी स्थिति में देर न करें और तुरंत डॉक्टर से मिलें .

#lockdown: शादी के बाद पहला गनगौर मनातीं दिखीं Charu Asopa, PHOTOS VIRAL

एक तरफ जहां देश में कोरोनावायरस के चलते लौकडाउन जारी है. वहीं देश में गनगौर भी मनाया जा रहा है. वह अलग बात है कि लोग अपने घरों से बाहर निकले बिना गनगौर मना रहे हैं. दरअसल बौलीवुड एक्ट्रेस सुस्मिता सेन (Sushmita Sen) की भाभी चारु असोपा (Charu Asopa) इस बार शादी के बाद पहला गनगौर मना रही हैं, जिसके फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.  आइए आपको दिखाते हैं चारु असोपा की गनगौर की वायरल फोटोज…

Charu Asopa ने की गनगौर की फोटोज शेयर

चारु असोपा (Charu Asopa) गनगौर की फोटोज शेयर करती हुई नजर आईं, जिसमें वह अकेले ही तैयारी करती हुई दिखीं. चारु शादी के बाद अपना पहला गनगौर मना रही हैं.

 

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My first gangaur celebration after marriage .. ❤️ #quarantined #day19 #21dayslockdown #21dayschallenge

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राजस्थानी लुक में दिखीं Charu Asopa

 

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गनगौर के मौके पर चारु असोपा राजस्थानी अंदाज में तैयार होती नजर आई. वहीं इन फोटोज में चारु राजस्थान की ट्रैडिशनल ज्वैलरी में दिखीं. चारु ने लाल जोड़े के साथ भारी भरकम गहने पहने हुए हैं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रहीं थीं.

सोशल मीडिया पर वायरल हुईं चारु

चारु अकेले कैमरे के सामने जमकर पोज देती नजर आई. चारु असोपा की ये फोटोज सोशल मीडिया पर खूब तारीफें बटोर रही हैं. वहीं चारु असोपा के फैंस उनसे बार बार पूछ रहे हैं गनगौर के मौके पर उनके पति राजीव असोपा कहां हैं क्योंकि इन फोटोज में चारु अकेले ही नजर आ रही हैं.

स्वीमिंग पूल का मजा लेते नजर आए न्यू मैरिड कपल

 

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समर में अपने हनीमून का मजा ले रहे चारू और राजीव स्वीमिंग पूल में मजे लेते नजर आए. वहीं दोनों रोमेंटिक अंदाज में फोटो क्लिक करवाते भी नजर आए.

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रोमांटिक पल बिताते नजर आए चारू- राजीव

बीते महीने में ही चारु और राजीव ने सभी रीति रिवाज के साथ एक दूसरे का हाथ थामा है और अब दोनों ही अपने इस मिनी हनीमून का लुत्फ उठाते हुए रोमेंटिक मूड में नजर आए.

ज़िंदगी-एक पहेली: भाग-8

पिछला भाग- ज़िन्दगी –एक पहेली: भाग-7

अविरल अब अंदर तक टूट चुका था, पहले तो उसकी जान से भी ज्यादा प्यारी बहन उसे छोड़ गयी थी और दूसरी अनु की डायरी में लिखी बातें उसे अंदर से खोखला कर रहीं थी. उसका मन उदास सा रहने लगा. अविरल की जिंदगी में तो दोहरा आघात हुआ था. वह हर समय सोचता रहता कि काश मसूरी  जाने की जगह मैं अपनी बहन के पास आ जाता तो शायद आज वह मेरे साथ होती. अविरल का दिल भर आता और वह बाहर निकल जाता. कहीं न कहीं वह अपने आप को भी इसका दोषी मानने लगा.

अविरल की मम्मी और मौसी में बहुत प्यार था. सभी जानते थे कि अविरल की मौसी मुँह  की तो बहुत तेज हैं लेकिन दिल की बहुत अच्छी हैं. अविरल की मौसी हर समय सभी का ख्याल रखती. वह अनु के कॉलेज की बात सभी को बताना चाहती थी लेकिन उचित समय का सोचकर रुक गयी.

दिल्ली में ही अविरल की मौसी के घर के पास एक और परिवार रहता था जिनका उसकी  मौसी के घर बहुत आना जाना था. दोनों एक ही परिवार की तरह रहते थे. उस घर में एक लड़की थी जिसका नाम निशि था. अमन और निशि एक-दूसरे को पसंद भी करते थे और यह बात दोनों के घर वालों को पता भी थी. अविरल और अनु बचपन से ही उनके घर जाते और घंटों निशि के साथ खेलते रहते. निशि भी बच्चों की तरह उनके साथ खेलती. उसका सभी लोगों से बहुत लगाव था.

अनु के चले जाने के बाद निशि भी बहुत ज्यादा दुखी रहती थी . उसे तो इस बात का विश्वास ही नहीं हो रहा था. 3-4 दिन बाद अविरल अकेले ही निशि के घर पहुंचा, यह पहली बार था जब अवि अकेले वहाँ गया हो क्योंकि  हर बार अनु उसके साथ होती थी. निशि ने जैसे ही अवि को देखा, उसे रोना आ गया. दोनों ही एक दूसरे को ढाढ़स देने लगे.

अविरल को मौसी के घर से अच्छा निशि के साथ लगता था. वह उसे हमेशा निशि दीदी कहकर बात करता. अविरल रोज निशि के घर जाने लगा. निशि भी अविरल को सगे भाई जैसा प्यार करती. अविरल ने निशि से पूंछा कि “दीदी आप अमन भैया को पसंद करती हैं”. निशि थोड़ी देर शांत रही फिर बोली “हाँ”. अविरल ने निशी से बोला कि “दीदी जब आप भाभी बनकर घर आओगी तो मैं तो सारा दिन आपके साथ ही बैठा रहूँगा”. इसपर निशी बोली कि “मुझे तो सबसे ज्यादा खुशी इसी बात कि है कि मैं उस परिवार का हिस्सा बनूँगी”.

कुछ दिनों तक तो सब ठीक रहा लेकिन फिर अमन को अविरल का निशि के घर जाना अच्छा नहीं लगता.वह अब अविरल को निशि के घर जाने से मना कर देता. अविरल दुखी होकर रुक जाता.

एक माह बाद अविरल और उसका परिवार देहारादून वापस लौट गए. दिल्ली में तो निशि उसका बहुत बड़ा सहारा बन गयी थी लेकिन देहारादून में वह बहुत अकेला फील करने लगा. लेकिन कहते हैं न कुछ भी हो जाए, समय किसी के लिए नहीं रुकता लेकिन अविरल और उसके परिवार के लिए के लिए उनकी जिंदगी रुक गयी थी. बहुत कोशिश के बाद भी जिंदगी आगे बढ़ने का नाम नहीं ले रही थी.

अविरल कुछ दिनों बाद सुमि और आसू से मिला. कुछ समय और बीता. दिसम्बर का महिना आ चुका था और अविरल के 12th के एक्जाम भी करीब आ रहे थे. अविरल को अपने एक्जाम कि चिंता सताने लगी.

अविरल के दिमाग में हमेशा दो बातें घूमती रहती थी. पहली कि अनु ने कहा था “भैया तुम्हें मुझसे ज्यादा नंबर लाने हैं” और दूसरी अपने पापा कि बात जो उन्होने अविरल कि मम्मी से बोली थी कि “अब हमें सिर्फ इनके लिए जीना है”.

अविरल सुमि को अपनी बहन की तरह मानता था. अविरल जब भी सुमि से मिलता तो उन दोनों के बीच अब सिर्फ आसू की ही बात होती थी जिससे कुछ समय बाद अविरल ने अपने लिए बहुत ही कठिन फैसला लिया. उसने फैसला लिया कि सुमि और आसू से अलग हो जाएगा.

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एक दिन अविरल ने सुमि से बोला कि “सुमि अब मैं ही हूँ अपने घर में, मुझे ही अपने घर को संभालना है और पापा के सपने पूरे करने हैं तो आज के बाद से  मैं तुम लोगों से नहीं मिलूंगा ” तो सुमि ने बोला कि “मेरे भाई मैं तुमसे जान बूझकर दूसरी बातें करती हूँ जिससे तुम्हारा मन बहल जाए. तुम्हारी उदासी मुझसे सहन नहीं होती. मैं यह नहीं कर सकती”. अविरल शांत हो गया और वहाँ से चला गया.

अविरल अब फिर से डिप्रेशन में जाने लगा था. उसका हकलापन भी कई गुना बढ़ चुका था जिसे अनु ने इतनी मुश्किल से कम किया था. अब अविरल कि तबीयत खराब रहने लगी. उसके पेट में दर्द बना रहता. अविरल के मम्मी पापा अब पेट में किसी भी दिक्कत से इतना डर गए थे कि कुछ भी होने पर अब वह सीधा दिल्ली में ही इलाज़ कराते थे तो वह अविरल को लेकर दिल्ली आ गए और उसका इलाज़ दिल्ली के सबसे अच्छे डॉक्टर से कराने लगे. अविरल के सारे टेस्ट हो गए लेकिन कुछ नहीं निकला.

अविरल सारा दिन तो ठीक रहता और शाम होते ही उसे इतना दर्द होता कि वह तड़प जाता. अविरल के मम्मी पापा से यह देखा न जाता. एक तरफ वह अच्छे से अच्छे डॉक्टर से इलाज़ करा रहे थे और दूसरी तरफ अविरल की मम्मी रात दिन भगवान से प्रार्थना करती. अविरल  का जब भी पेट दर्द होता, वह बेहोश सा होने लगता तब कार्तिक उसे गोद में लिए-लिए घूमता. करीब 1 महीने बाद अविरल की तबीयत में सुधार हुआ और वो लोग देहारादून वापस आ गए.

अब अविरल के एक्जाम शुरू होने वाले थे.

अविरल ने अपने पापा से कहा कि “पापा मैं इस साल एक्जाम ड्रॉप करना चाहता हूँ क्योंकि  अगर मै पास हो भी गया तो 2nd या 3rd डिविजन  पास हो पाऊँगा. जिससे कहीं भी एड्मिशन नहीं मिलेगा”.

अविरल के पापा का मन तो नहीं था कि अविरल एक्जाम ड्रॉप करे लेकिन उन्होने अभी कुछ नहीं कहा. अविरल के दिमाग में कहीं न कहीं अनु की बात चल रही थी “अनु से ज्यादा मार्क्स लाने वाली” तो वह 12th ड्रॉप करने में अड़ा हुआ था. अविरल कि मौसी लोगों ने भी बहुत कहा कि एक्जाम ड्रॉप मत करो लेकिन अविरल किसी की नहीं माना और एक्जाम ड्रॉप कर दिया.

अविरल ने अपनी तनहाई से बचने के लिए अनु कि डायरी को ही अपनी दोस्त बना लिया. वह डायरी को ही अनु समझने लगा था. वह अपनी हर बात डायरी  में लिख देता और उसे लगता कि उसने अनु को बता दिया है. उसे अब विश्वास होने लगा था कि अनु उसके साथ है. अविरल रात दिन पढ़ाई करता रहता लेकिन उसके दिमाग में कुछ नहीं घुसता. वह और परेशान रहने लगा.

एक दिन आसू ने अविरल से बोला कि सुमि को मसूरी जाना है तो हम लोग भी चलते हैं. तेरा मन थोड़ा बहल जाएगा. पहले तो अविरल नहीं माना लेकिन फिर बहुत ज़ोर देने पर वह मान गया.

कुछ दिनों बाद अविरल अपने घर में घूमने का बोलकर आसू के साथ चला गया. आसू और सुमि फिर से मंदिर में मिले. वहीं पर आसू ने पहली बार सुमि को गले लगाया. अविरल को यह बिलकुल अच्छा नहीं लगा. वह वहाँ से चला गया. आसू और सुमि समझ गए थे कि अविरल को बुरा लगा है लेकिन अविरल के दिमाग में कुछ और ही था. अविरल को लगता था कि वही प्यार पवित्र है जो बिना छूये हो तो अविरल को आसू कि मंशा पे शक हुआ. उसे लगा कि आसू सुमि को धोखा देगा.

उसने इस बारे में सुमि से बात भी की लेकिन सुमि ने कहा कि आसू उसे बहुत प्यार करता है, वह उसे नहीं छोड़ेगा. अविरल भी मान गया , लेकिन आसू को अब अविरल का सुमि से बात करना अच्छा नहीं लगता.उसे लगने लगा था की अविरल उसके और सुमि के बीच आना चाहता है.

अविरल को इस बात का एहसास हो गया था की आसू को अविरल का सुमि से बात करना अच्छा नहीं लगता है. अविरल ने सुमि से कहा ,”सुमि तुम  मुझसे बात करना बंद कर दो आसू को बुरा लगता है तो सुमि बोली कि “अवि तुम्हारे भरोसे ही तो मैंने आसू से प्यार किया है. अगर मैं तुमसे बात करना छोड़ूँगी तो आसू से भी छोड़ दूँगी”.

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अविरल अपना ध्यान सिर्फ पढ़ाई में लगाना चाहता था तो उसने एक कठिन फैसला लिया अपने आपको सुमि और आसू के सामने बुरा बनाने का जिससे कि वह उनसे अलग हो सके.

अगले पार्ट में हम जानेंगे कि अविरल  कैसे अपने आप को ही बुरा बनाएगा और क्या उसके बाद सुमि उसे छोड़ पाएगी? क्या अनु के बाद अवि सुमि से भी दूर हो पाएगा……

सुकून की जिंदगी बिता रहा हूं – चन्दन रॉय सान्याल

फिल्म ‘रंगदे बसंती’ और ‘कमीने’ सेहिंदीफिल्मों में अभिनय करने वाले अभिनेता चन्दन रॉय सान्याल (Chandan Roy Sanyal) ने हिंदी फिल्मों के अलावा बांग्ला फिल्मों में भी बहुत काम किया है. अभी उनकी वेब सीरीज ढीठ पतंगे रिलीज हो चुकी है, जिसे सभी पसंद कर रहे है. मुंबई में अपने घर में इन दिनों लॉकडाउन को वे अकेले एन्जॉय कर रहे है. वे इन दिनों घर पर साफसफाई से लेकर सारा काम और अपने पसंदीदा खाना बना रहे है. यूं तो उन्होंने कभी खाना नहीं बनाया, पर लॉकडाउन ने उन्हें इस ओर रूचि बढ़ाई है. यूट्यूब के ज़रिये उन्होंने डोसा बनाया और बात की. पेश है खास अंश.

सवाल- अभिनय में आने की प्रेरणा कहा से मिली ?

मैं करोलबाग केमध्यम वर्गीयबंगालीपरिवार से हूँ. जहाँ सिनेमा केवल देखा जाता था. कभी-कभी मेरे एकमामा मुझे फिल्म देखने ले जाया करते थे.फिल्में देखना पसंद था.वही से शौक पैदा हुआ. कभी अभिनय के बारें में सोचा नहीं था.कॉलेज जाने के बाद ड्रामा सोसाइटी में ज्वाइन किया और नाटकों में काम करने का अवसर जब-जब मिला, करता गया. कब ये शौक पैशन में बदल गया पता नहीं चला. एक जूनून हो गया, उसी में रच बस गया. 17 साल की उम्र में मैंनेथिएटर में अभिनय करना शुरू कर दिया था.

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सवाल- परिवार की प्रतिक्रिया कैसी रही?

परिवार वाले गुस्सा हो गये. रिश्तेदारों ने माता-पिता से कहा कि पूरी जिंदगी फटी जींस, कोल्हापुरी चप्पल और झोला लटकाकर मैं घूमूँगा.उन्हें भी ख़राब लग रहा था. मेरे साथ उनकी कहासुनी हुई और मैं घर छोड़कर आ गया. कॉलेज के दौरान ट्यूशन कर मैंने कुछ पैसे इकट्ठा किये थे. उस सात हज़ार रुपये लेकर मैं मुंबई साल 2003-04 में आ गया.

सवाल-  मुंबई में कितना संघर्ष रहा?

यहाँ बहुत संघर्ष था, 5 लड़के मीरा रोड के एक कमरे में रहते थे. वहां से मुझे अँधेरी आकर सब काम करना पड़ता था. अपनी तस्वीर लेकर हर प्रोडक्शन ऑफिस में डालता था. इस दौरान अलीक पद्मसी के साथ कुछ नाटकों में काम किया. इसके साथ-साथ मैंने कॉलेज में कुछ दिनों तक बच्चों को पढ़ाया भी करता था, जिससे मुझे कुछ पैसे मिल जाते थे. इसके अलावा अलीक के बेटे क्वासर ठाकोर पदमसी ‘थेस्पो’ नामक थिएटर फेस्टिवल करते है, उसमें मैंने उन्हें एसिस्ट किया, जिसमें प्रोडक्शन की सारी बारीकियों को नजदीक से जान पाया. इससे थोड़े पैसे भी मुझे मिल जाया करता था, जिससेमेरे घर का  खर्चा चल जाता था.

सवाल-  हिंदी फिल्मों में पहला ऑफर कैसे मिला?

मैंने नाटकों में अभिनय के द्वारा लोगों के बीच में काफी नाम कमा लिया था. विदेश में भी कई थिएटर में कामकिया, करीब तीन साल के बाद भारत आया और फिल्म‘कमीने’ के लिए ऑडिशन दिया और चुन लिया गया.

सवाल-  फिल्मों में कम दिखाई पड़ने की वजह क्या है?

जैसे काम आता है मैं करता जाता हूँ. लगातार दिखना मुश्किल होता है. ये आर्ट है जिसे अगर आपका दिल न चाहे तो नहीं कर सकते. आज के दर्शक भी बहुत जागरूक है, सही फिल्म करने पर सिर पर जितनी जल्दी उठाती है, गलतफिल्म करने पर उतनी ही जल्दी उतार भी देती है. इसलिए मैं धीरे-धीरे सही काम करता हूँ.

सवाल-  आपने बांग्ला फिल्में की है और बांग्ला फिल्म इंडस्ट्री में एक सफल हीरो की कमी है, इसे कैसे देखते है?

बांग्लाफिल्में बाहर की फिल्मोंसे अधिक प्रेरित हो चुकी है. वे अपने कला और साहित्यको भूलकर रास्ते भटक चुकी है, क्योंकिवे हिंदी और दक्षिण की फिल्मों से प्रभावित हो रही है. कहानी से लेकर संगीत सब वे दूसरों की कॉपी कर रही है. प्रेरित होना गलत नहीं है, पर उसमें अपनी संस्कृति को भूल जाना सही नहीं. दक्षिण की कई फिल्में ऐसी है, जो आज भी बहुत अच्छी बनती है और पूरे विश्व में उसे देखी जाती है. मैं भी बांग्ला फिल्में करता हूँ और अच्छी स्तर की कहानियों को हमेशा तलाशता रहता हूँ.

सवाल-  अभिनय के इस दौर को कैसे देखते है?

ये छोटे बड़े सभी कलाकारों के लिए अच्छा दौर है. नए और पुराने सभी कलाकारों को काम करने का मौका मिला है. केवल नामचीन ही नहीं सभी काम कर पा रहे है. मुझे एक सप्ताह में 9 शो के ऑफर मिले है, जो बड़ी बात है. अभी कोई आपके साथ दांव नहीं लगा रहा है. मुझे‘मन्मर्जियाँ’ फिल्म में अभिषेक बच्चन की भूमिका बहुत पसंद आई थी, वैसी भूमिका मुझे करने की इच्छा है.

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सवाल-  इनदिनों अभी आप क्या कर रहे है?

मैं घर की साफसफाई, बिल्लियों की देखभाल, पौधों को पानी देना और खाना पका रहा हूँ. मुझे लगता है कि मैं बिपासना के दौर से जा रहा हूँ. सुकून की जिंदगी बिता रहा हूँ.

सवाल-  आगे की योजनायें क्या है?

आगे एक वेब सीरीज ‘आश्रम’ तैयार है. इसके अलावा बांग्ला फिल्म और वेब सीरीज की है, जो रिलीज होने वाली है.

सवाल- यूथ को क्या मेसेज देना चाहते है?

ये मुश्किल घड़ी है, धैर्यऔर संयम बनायें रखे जब भी जरुरत हो, किसी की सेवा करें.

लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-11)

पिछला भाग- लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-10)

शुक्रवार आफिस से जल्दी उठ गई. सीधे पी सी ज्वैलर्स के शोरूम में आई. एक सुंदर सी चेन के साथ कुछ साफ्ट टायस खरीद घर आई. नहाधो तैयार हो जब चंदन के घर पहुंची तब लगा कि उस का बचपन लौट आया है. दोचार जनों को छोड़ सारे पुराने साथी वहां मौजूद थे. उसे देखते ही सब ने हाथोंहाथ लिया. सब की एक ही राय थी कि सारी सहेलियों में बस वो ही सब से सफल है इतने बड़े बिजनैस को चलाने वाली इतनी सी लड़की. पोलैंड से विकास, आस्ट्रेलिया से मृदुला भी आई हैं. मृदुला शिखा की सब से अच्छी सहेली है. अब एक तीन वर्ष के बेटे की मां है. सुकुमार को ले कर वो कई दिनों तक उस से नाराज रही. असल में अपने मृदुल स्वभाव के कारण सुकुमार सब को प्यारा था और अपने स्वभाव के कारण ही बंटी को कोई पसंद नहीं करता था. दोचार उस के चमचों को छोड़.

सब ने हाथोंहाथ लिया उसे. मन भर आया शिखा का. एकसाथ सब ने ग्रैजुएशन किया था फिर तो सब अपनेअपने जीवन के चुने हुए पथ पर चल पड़े, बिखर गए देशविदेशों में, पर आज समझ आया कि मन के सारे तार अभी भी एकदूसरे से जुड़े हुए हैं कहीं भी कोई तार नहीं टूटा.

हर्ष उल्लास, हंसीमजाक, छेड़छाड़ में खानापीना निबटा सब ने मिल कर निर्णय लिया कि रविवार के दिन चंदन के गुड़गांव वाले फार्म हाऊस में सब 10 बजे तक पहुंच जाएंगे. पूरा दिन एकसाथ बिता रात डिनर ले घर लौटेंगे. अभिनव के केटरिंग का व्यवसाय है और एक थ्री स्टार होटल भी है उस ने नाश्ते से ले कर डिनर तक की पूरी जिम्मेदारी ली. शिखा बहुत दिनों बाद बहुत खुश हुई. मन भी हलका हो गया. पर जानकीदास यह सुनते ही गंभीर हो गए.

‘‘रविवार शंकर के पिता की बरसी है उस ने पहले से ही छुट्टी ले रखी है और कारण भी ऐसा कि मना नहीं किया जा सकता. इतनी दूर तू अकेली?’’

‘‘अरे दादू दिल्ली अनजाना शहर है क्या मेरे लिए या मैं ड्राइव नहीं जानती.’’

‘‘फिर भी डर लगता है. मेहता परिवार बेघर हो बस्ती के एक कोठरी में सिर छिपाए हैं. बौखलाए घूम रहे हैं पर ऐंठ नहीं गई. तू ने हाथ ना उठाया होता तो उन का घर बच जाता अब तो सड़क पर हैं. गुस्सा तो आएगा ही.’’

‘‘दुर्गा मौसी तो उन की हितैषी थी. बारबार उन की वकालत करती थी तो अब अपने घर में जगह क्यों नहीं दी?’’

‘‘बुरे समय में साथ कोई नहीं देता?’’

‘‘बुरे समय को तो उन्होंने ही बुलाया है.’’

‘‘जाने दे मुझे तो बस तेरी चिंता है.’’

अचानक ही याद आया शिखा को.

‘‘दादू. पिछले कुछ दिनों से कुछ अजीब सी बात हो रही थी. कई बार सोचा बताऊंगी पर भूल भी जाती हूं.’’

चौंके वो.

‘‘क्या बात?’’

‘‘कुछ दिनों से मेरी गाड़ी के आसपास एक बाइक सवार को देख रही थी. उस का नंबर भी नोट कर लिया था. सोच रही थी बंटी ने ही उसे लगाया होगा मेरे पीछे कोई किराए का गुंडा होगा. उस का चेहरा नहीं देखा क्योंकि हमेशा हेलमेट में रहता है. सुगम लंबा शरीर है देख कर लगता है कि शरीर को तैयार किया है जिम जा कर. हमेशा ब्लू जींस और दो फोल्ड आस्तीन चढ़ी सफेद फुलशर्ट ही पहनता है. मैं  उस के बाइक का नंबर ले पुलिस में रिपोर्ट करने ही वाली थी कि पिछले हफ्ते की एक घटना ने मेरी धारणा ही बदल दी. मैं जिस को दुश्मन समझ रही थी वो तो मेरा दोस्त निकला. मेरी जान बचाई.’’

‘‘ऐसा क्या हुआ?’’

‘‘उस दिन बारह बजे के आसपास मैं अकेली ही गाड़ी ले कर स्टेट बैंक गई थी. काम था अंदर जगह नहीं थी तो कई गाडि़यां गेट के बाहर खड़ी थीं मैं ने भी किनारे पर खड़ी कर दी. काम निबटा बाहर आई तो देखा कि मेरी गाड़ी के पास हंगामा हो रहा है. दौड़ कर आई तो देखा वही बाईक वाला लड़का अकेले दो सड़कछाप वालों की धुनाई कर रहा है हेलमेट तक नहीं उतारा पता चला दोनों गाड़ी के साथ छेड़छाड़ कर रहे थे तो उस बाईक सवार ने दोनों को दबोच पिटाई शुरू की तो उन्होंने कबूला कि किसी ने पैसे दे कर गाड़ी में बम फिट करवाने को कहा था. समय पर उस ने ना पकड़ा होता तो…’’

बात मामूली नहीं भयानक थी पर शिखा ने अवाक हो कर देखा कि दादू विचलित नहीं हुए सामान्य भाव से बोले,

‘‘मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है.’’

‘‘तभी तो कह रही हूं कि मैं आराम से गुड़गांव चली जाऊंगी.’’

‘‘ठीक है. इधर से मोहिता और संदीप जाएंगे.’’

‘‘हां दादू. उन के साथ ही लौटूंगी. उन के घर से तो अपना इलाका शुरू होता है. बस

10 मिनट में अपना घर.’’

पर उसी 10 मिनट में जो होना था हो गया. शिखा का अपहरण हो गया. उस समय 10 बज रहे थे जब शिखा ने संदीप का साथ छोड़ अपने घर के रास्ते मुड़ी पर घर नहीं पहुंची. ‘कुंजवन’ में हाहाकार मच गया. लच्छो सिर पीटपीट रो रही थी बाकी नौकरचाकर भी परेशान, जाग कर बैठे थे. जानकीदास संभवअसंभव जगह फोन कर परेशान हो रहे थे. पुलिस में अपहरण की रिपोर्ट लिखवाई गई पर अभी तक कुछ पता नहीं. जानकीदास टूटने लगे. तभी फिरौती का फोन आया 1 करोड़ दो तो पोती मिलेगी, उन्होंने कांपते स्वर में कहा, ‘‘बच्ची को लौटा दो. पैसे मिल जाएंगे.’’

‘‘लौटने के बाद पैसा कोईर् नहीं देता. पहले पैसा.’’

‘‘पर बिना उस के पैसा कहां से आएगा? मैं तो कर्मचारी हूं. सारा एकाउंट उसी के नाम है उस के बिना पैसा आएगा कहां से?’’

‘‘सोनी कंपनी’’ का नाम कौन नहीं जानता. एक करोड़ आटे में नमक बराबर है. जिस से मांगोगे वही दे देगा.

‘‘तुम कौन हो?’’

‘‘बेवकूफ समझ रखा है जो पताठिकाना दे दूं.’’

‘‘देखो तुम समझदार हो. बिना शिखा के कहीं से पैसा नहीं मिलेगा. मैं कंपनी का नौकर भर हूं. मेरे कहने पर कोई सौ रुपए भी उधार नहीं देगा.’’

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‘‘समस्या तुम्हारी है. जुगाड़ करो पोती को सही सलामत ले जाओ नहीं तो…’’

‘‘ना…ना… उसे कुछ मत करना.’’

फोन काट दिया… जानकीदास सिर पकड़ बैठ गए. पूरा विश्वास है कि काम बंटी का है पर फोन पर आवाज उस की नहीं थी कोई सड़कछाप की आवाज थी.

धीरेधीरे चेतना लौटी शिखा की. एक गंदी कोठरी में नंगी चारपाई पर अपने को पड़े पाया. वो उठ बैठी. सिर को झटका धीरेधीरे दिमाग पर छाई धुंध साफ होने लगी. क्या हुआ था उस के साथ. उस के सिर में एक झनझनाहट थी. धीरेधीरे याद आया अपने दोस्त के घर के सामने विदा लेने वो कुछ मिनटों के लिए गाड़ी से उतरी थी मोहिता से बात कर रही थी जब गाड़ी में आ कर बैठी तब एक हलकी मीठी सी सुगंध उस के नाकों में आई थी. वो सुगंध उस की चेतना पर छा रही थी. गाड़ी स्टार्ट करने से पहले ही उसे नींद आने लगी थी फिर कुछ याद नहीं. उस ने सिर झटका तो धुंधलापन साफ हुआ. चारों ओर देखा उस ने. नंगी चारपाई पर लेटने से उस के शरीर में जलन हो रही थी और शरीर के खुले भागों में दाग पड़ गए थे. सिरहाने ऊंचाई पर खुली खिड़की से नरम धूप का कतरा नीचे उतर कर आ रहा था पता नहीं यह धूप डूबते सूरज की है या चढ़ते सूरज की. पर उस से अंदर सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था. छोटा सा कमरा कबाड़ से भरा बस एक यही चारपाई जरा साफ है. सामने दरवाजा बंद है पर बाहर लोगों के बातचीत से लग रहा था कि किसी बस्ती के बीच में है यह कमरा. पल में शिखा समझ गई कि उस का अपहरण हुआ है. वो सुगंध जो गाड़ी में मिली थी वो कोई बेहोशी की दवा थी. जब मोहिता से बात कर रही थी तभी ड्राइविंग सीट की खुली खिड़की से किसी ने स्प्रे किया होगा. वो समझ गई यह बंटी का काम है. उसे डर नहीं लगा गुस्सा आया. कितना गिरा हुआ इंसान है. पर अब प्रश्न है कि वो कुछ पैसे ले कर उसे छोड़ेगा या पूरा का पूरा ग्रौस वीडियो कैमरा चला इसी कोठरी में जबरदस्ती उस से ब्याह करने का नाटक करेगा. अगर ऐसा किया तो बड़ी भयानक बात होगी. पता नहीं कितना समय बीत गया, दादू को हार्ट अटैक न हो जाए. यहां से मुक्ति पाने का कोई उपाय तो इस समय दिखाई नहीं दे रहा.

थोड़ी देर वो बैठ कर सोचती रही. बाहर की चहलपहल कम हो गई. अवश्य ही मेहनती मजदूरों की बस्ती है. लोग काम पर जाने लगे होंगे. अचानक दरवाजा खुला और खुलते ही शिखा समझ गई यह डूबते सूरज की किरण नहीं सुबह की कच्ची धूप है. वो रात भर यहां कैद थी पर एक रात या दो रात? कौन जाने? बंटी के हाथ में एक गंदा शीशे का गिलास, उस में दो घूंट काली काढ़ा जैसी चाय. उस ने गिलास बढ़ाया, ‘‘चाय पी लो.’’

सिर तक जल उठा शिखा का.

‘‘हां मैं ने सही सोचा ऐसा घिनौना काम और कौन करेगा.’’

‘‘चुप हरामजादी. तू इसी लायक है. यही भाषा समझती है. शराफत से ही पैसे मांगे थे वो बात समझ में नहीं आई अब सड़ इस कोठरी में.’’

अब शिखा का मनोबल लौट आया था.

‘‘यहां सड़ाने तो लाया नहीं है तू मुझे, लाया तो है पैसों के लिए.’’

‘‘जल्दी समझ गई. ज्यादा नहीं 2 करोड़ चाहिए.’’

‘‘उस में कितने दिन की अय्याशी चलेगी?’’

‘‘ए चुप. बोल कैसे देगी?’’

‘‘मैं यहां रही तो एक पैसा भी नहीं मिलेगा.’’

‘‘मैं बेवकूफ नहीं. तेरे दोस्त बड़ेबड़े लोग हैं तू उन से मांग कर 2 करोड़ देगी.’’

‘‘मानो दे दिया. उस के बाद भी मुझे नहीं छोड़ा तो.’’

‘‘कुछ भी हो सकता है. मेरी मुट्ठी में बंद है तू. तेरा मरनाजीना मेरे हाथ में है. मेरा जो अपमान हुआ है उस का हिसाब भी बाकी है.’’

‘‘देख बेवकूफ मैं भी नहीं. तू मुझे मार नहीं सकता. पैसों की खान को कोई मारता है क्या?’’

‘‘पहले तू दो करोड़ का इंतजाम कर.’’

‘‘एक पैसा भी नहीं मिलेगा.’’

‘‘तो फिर देख, पिटाई से क्या नहीं होता.’’

हाथ उठा वो शिखा की ओर बढ़ता कि जबड़े पर एक भरापूरा झापड़ खा दीवार से जा टकराया. वहां से कालर पकड़ खींच कर उस की पिटाई शुरू हो गई. शिखा ने अवाक हो देखा  वही नीली जींस आस्तीन चढ़ी सफेद शर्ट और हेलमैट से ढका चेहरा पुलिस की पूरी टीम अंदर आ गई. आफिसर ने बंटी को बालों से पकड़ा.

‘‘आप छोड़ दीजिए सर. इस की खबर अब हम लेंगे. इसे हवालात ले चलो.’’

‘‘आफिसर आप इसे ले जाओ. मैं इन को घर पहुंचा देता हूं.’’

‘‘जी सर. एक बार थाने जरूर आइए. क्रिमिनल को रंगे हाथ पकड़ने का श्रेय आप को जाता है. शिखा लड़खड़ा कर गिरने को थी उस ने दोनों हाथों से संभाला. गाड़ी में बैठा ड्राइविंग सीट पर हेलमेट उतारा. शिखा लिपट कर रो पड़ी.’’

‘‘कहां चले गए थे तुम मुझे छोड़.’’

‘‘कहीं नहीं पासपास ही था. दादू ही तो हैं मेरे फरिश्ता.’’

‘‘दादू.’’

शिखा ने अवाक हो देखा.

‘‘हां उन के लिए ही मैं प्रतिष्ठित हूं आज.’’

‘‘सुकुमार तुम को पता नहीं उस दिन मैं ने तुम को…’’

उस ने रोका.

‘‘मुझे पता है. उस दिन पता नहीं था पीछे दादू ने ही बताया था.’’

‘‘दादू ने कब?’’

‘‘तभी दोतीन दिन बाद.’’

‘‘हे भगवान. दादू को सब पता था फिर भी अनजान बन कर उस से पूछते रहे.’’

घर आते ही दादू से लिपट गई वो. चैन की सांस ली जानकीदास ने.

‘‘अब देखता हूं वो दुष्ट बाहर कैसे आता है. कई केस एक साथ लगाता हूं. सुकुमार बोला,’’

‘‘दादू. आप की पोती की रक्षा का भार आप ने मुझे सौंपा था आज सही सलामत आप की अमानत आप को सौंप कर जा रहा हूं. अब मैं चलूं?’’

शिखा व्याकुलता से बोली.

‘‘दादू. रोको इसे.’’

वो बढ़ आए.

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‘‘कहां चले.’’

‘‘उस को बाहों में ले लिया.’’

‘‘यह ‘कुंजवन’ है राधाकृष्ण की लीला भूमि यहां कब से अकेली राधा बैठी तड़प रही है. उस के साथ ‘कुंजवन’ भी उदास था. सूना था कृष्ण के पैर पड़ते ही दोनों खिल उठे. चहक उठे. अब यहां से कहीं नहीं जा सकते. अंदर चलो.’’

लच्छो मौसी आरती की थाल ले आई.

#coronavirus: इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ट्राय करें ये रेसिपी

आज का माहौल और वक़्त देखते हुए अपनेआप को कीटाणु रहित रहना, अपने आसपास की पूरी साफसफाई रखना जरुरी है और अपनी सेहत का ख्याल रखना, जो सबसे अहम है. इस के लिए बॉडी की इम्युनिटी को बनाए रखना जरुरी है.

मै आपको बॉडी इम्युनिटी बढ़ाने के ऐसी रेमेडी देना चाहती हूं जो आप ने सुनी तो होंगी लेकिन उस के फायदे कितने हैं मालूम नहीं, या फिर उन रेमेडी को कब और कैसे इस्तेमाल करना है नहीं जानते हैं. तो आइए नेचुरल तरीके से अपनी बॉडी इम्युनिटी को बूस्ट  करते हैं.

1. ग्रीन टी विद सिनेमन (दालचीनी )

एक कप पानी में चुटकी भर दालचीनी पॉउडर, एक बड़ा चम्मच ग्रीन टी लीव्स उबालें. छान लें और उस में एक छोटा चम्मच शहद मिला कर रोजाना सुबह खली पेट पिएं.

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2. लहसुन वाला दूध

एक छोटे कप दूध में ३-४ लहसुन की कली बारीक़ काट कर 5 मिनट उबाल कर दूध छान लें. थोड़ा ठंडा होने पर रात में सोने से पहले पिएं. इस से शरीर का रक्त साफ़ होता है और बॉडी इम्युनिटी बढ़ती है. हफ्ते में 2 बार पिएं, फर्क खुद महसूस करोगे. यही नहीं, पकने की समस्या, कफ एंड कोल्ड, कमर दर्द की समस्या, बदहजमी को दूर करता है. पाचनतंत्र को दुरुस्त रखता है.

3. टर्मेरिक टी

एक कप पानी जब उबाल जाए उसमे एक इंच कच्ची हल्दी (कद्दूकस की हुई) अदरक के बारीक टुकड़े, नीबू के पतले कटे छिलके चुटकी भर दालचीनी पाउडर, 2-3 कुटी हुई काली मिर्च दाल कर 10  मिनट और उबालें. छान कर थोड़ी शहद और आधा कप नीबू का रस डाल कर पिएं. बॉडी इम्युनिटी में जबरदस्त इजाफा होगा.

4. नीबू पानी

शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का सबसे आसान उपाय है नीबू पानी का सेवन. नीबू विटामिन सी से भरपूर होने से स्वेत रक्त कोशिकाओं को बढ़ता है. इसके आलावा रोज सुबह खाली पेट नीबू पानी सेवन से वजन कम करने में भी सहायता मिलती है.

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5. शहद और लहसुन

लहसुन की छिली कलियाँ शहद में डाल कर 5 दिन तक फ्रिज में रख दें. फिर रोज एक लहसुन 1 चम्मच शहद के साथ खाएं. लहसुन हमारे शरीर के इम्युन सिस्टम  को बेहतर बनाने के साथ साथ किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव करने सूजन, दर्द और बदलते मौसम में होने वाली एलर्जी को भी काम करने में सुरक्षा गॉर्ड का काम करता है.

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