#coronavirus: जिस्म पर भी हमलावर रोग प्रतिरोधक क्षमता

जिस्म के भीतर रोग प्रतिरोधक क्षमता एक रक्षात्मक लड़ाकू सेना की तरह होती है. जब कोई दुश्मन बैक्टीरिया या वायरस जिस्म में घुसता है तो कोशिकाओं (सैल्स) की यह क्षमता यानी लड़ाकू सेना उससे लड़ती है और उसे कमजोर करके खत्म कर देती है.

दुश्मन बैक्टीरिया या वायरस या बीमारी से लड़ने वाली यह सेना कभीकभी जरूरत से ज्यादा सक्रिय होकर असंतुलित, या कह लें कंफ्यूज्ड, हो जाती है. और तब दुश्मन को खत्म करने की कोशिश में लगी होने के साथसाथ जिस्म को भी नुकसान पहुंचाने लगती है. यानी, कोशिकाओं की इस सेना को जिन कोशिकाओं की रक्षा करनी होती है, यह उन पर भी हमला बोल देती है. ऐसी अवस्था को ‘साइटोकाइन स्टौर्म’ कहते हैं और ऐसे मामलों को ‘साइटोकाइन स्टौर्म सिंड्रोम’ कहते हैं.

साइटोकाइन आमतौर पर जिस्म में मौजूद एक इम्यून प्रोटीन होता है जो बाहरी बीमारियों, वायरसों से उसकी रक्षा करता है. लेकिन कोरोना के मामले में इसमें गड़बड़ी भी देखी जा रही है.

बर्मिंघम स्थित अलाबामा यूनिवर्सिटी के डा. रैंडी क्रौन का कहना है कि साइटोकाइन एक तरह का प्रतिरोधक प्रोटीन होता है जो शरीर से संक्रमण और कैंसर जैसी बीमारियों को भगाने में मदद करता है, लेकिन अनियंत्रित होने पर यह व्यक्ति को काफी गंभीरूप से बीमार कर सकता है, जान भी ले सकता है.

अमेरिका के सैंटर फौर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) के अनुसार, अमेरिका में कोरोना के चलते मारे गए लोगों में से सबसे ज्यादा बुजुर्ग हैं जिनमें से 85 साल के ऊपर वायरस से मारे गए लोगों में से 27 फीसदी तक लोगों की मौत की वजह साइटोकाइन स्टौर्म सिंड्रोम ही था.

फेफड़ों की कोशिकाओं पर हमला करते हैं वायरस:

डा. रैंडी क्रौन ने एक इंग्लिश डेली को बताया कि कोरोना वायरस हमारे शरीर की कोशिकाओं को अपने रहने, उन्हें बीमार करने और आखिर में उन्हें खाकर नए वायरस पैदा करने के लिए इस्तेमाल करता है. कोरोना वायरस हमारे फेफड़ों की कोशिकाओं को इसलिए उपयोगी समझता है क्योंकि ये कोशिकाएं शरीर में मौजूद रोग प्रतिरोधक क्षमता को थोड़ा देर में  रिस्पौंस करती हैं. जब कोरोना वायरस शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता से छिपते हुए फेफड़ों की कोशिकाओं में जाता है तो वहीं से शरीर के अंदर शुरू होता है जीवन और मौत का असली युद्ध.

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वायरस से लड़ने के लिए सक्रिय होते हैं टी सैल्स:

डा. क्रौन के अनुसार, कोरोना वायरस से लड़ने के लिए अब सामने आते हैं टी सैल्स. कोविड-19  से लड़ने के लिए टी सैल्स सक्रिय होने के साथ साइटोकाइन यानी इम्यून प्रोटीन रिलीज करते हैं. परिणामस्वरूप, और टी सैल्स बनते हैं और वे और अधिक साइटोकाइन रिलीज करने लगते हैं. यानी, कोरोना से लड़ने के लिए टी सैल्स काफी ज्यादा मात्रा में बनने लगते हैं. और फिर ये वायरस पर हमला कर देते हैं.

बता दें कि टी सेल्स का एक और प्रकार साइटोटौक्सिक टी सैल्स भी है. ये टी सैल्स कोरोना वायरस और उससे संक्रमित कोशिकाओं को खोजखोज कर मार डालते हैं. इससे कोरोना वायरस कोशिकाओं को खाकर और ज्यादा वायरस नहीं पैदा कर पाता है.

टी सैल्स को ही कंफ्यूज्ड करता है कोरोना वायरस:

मजबूर होकर कोरोना वायरस साइटोटौक्सिक टी सैल्स को भ्रमित करने की कोशिश शुरू करता है. दरअसल, जब हमारे शरीर में साइटोटौक्सिक टी सैल्स वायरस से लड़ाई कर रहे होते हैं तो उसी समय एक अलग प्रकार का रसायन निकलता रहता है, जो टी सैल्स को यह इंडिकेट करता है कि अब दुश्मन निष्क्रिय हो चुके हैं, अब बस करो.

लेकिन, दूसरे वायरसों से अलग यह कोरोना वायरस जिस्म से निकलने वाले इस रसायन की मात्रा को कमज्यादा करने लगता है. इसके चलते टी सैल्स भ्रमित हो जाते हैं. ऐसी परिस्थिति में ये टी सैल्स और विकराल रूप ले लेते हैं. नतीजतन, ये टी सैल्स दुश्मन वायरस और उससे संक्रमित कोशिकाएं को मारने के साथसाथ स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगते हैं, यानी, रोग प्रतिरोधक क्षमता वायरस के साथ जिस्म पर भी हमला कर देती है.

दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों में ज़्यादातर वे लोग हैं जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमज़ोर है. लेकिन ऐसा नहीं है कि दूसरों को इससे ख़तरा नहीं. कोरोना से मरने वालों में बहुत से नौजवान और सेहतमंद लोग भी शामिल हैं.

कोमा में भी जा सकते हैं मरीज़:

जिस्म में जब भी साइटोकाइन स्टौर्म होता है तो यह सेहतमंद कोशिकाओं को भी प्रभावित करता है. डाक्टरों का कहना है कि साइटोकाइन स्टौर्म के दौरान मरीज़ को तेज़ बुखार और सिरदर्द होता है. कई मरीज़ कोमा में भी जा सकते हैं. हालांकि, अभी तक डाक्टर इस परिस्थिति को सिर्फ समझ पाए हैं. जांच का कोई तरीक़ा उपलब्ध नहीं है.

कोविड-19 के मरीज़ों में साइटोकाइन स्टौर्म पैदा होने की जानकारी दुनिया को वुहान के डाक्टरों से मिली है. उन्होंने 29 मरीज़ों पर एक रिसर्च की और पाया कि उनमें आईएल-2 और आईएल-6 साइटोकाइन स्टौर्म के लक्षण थे.

वुहान में ही 150 कोरोना केस पर की गई एक अन्य रिसर्च से यह भी पता चला कि कोविड से मरने वालों में आईएल-6 सीआरपी साइटोकाइन स्टौर्म के मौलिक्यूलर इंडिकेटर ज़्यादा थे, जबकि जो लोग बच गए थे उनमें इन इंडिकेटरों की उपस्थिति कम थी.

ऐसा पहली मर्तबा नहीं है कि साइटोकाइन स्टौर्म का रिश्ता किसी महामारी से जोड़ कर देखा जा रहा है. वैज्ञानिकों के मुताबिक़, 1918 में फैले फ्लू और वर्ष 2003 में सार्स महामारी (सार्स महामारी का कारण भी कोरोना वायरस परिवार का ही एक सदस्य था) के दौरान भी शायद इसी वजह से बड़े पैमाने पर मौत हुईं थीं. और शायद एच1एन1 स्वाइन फ़्लू में भी कई मरीज़ों की मौत, अपनी रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं के बाग़ी हो जाने की वजह से ही हुई थी.

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वैज्ञानिकों का मानना है कि महामारियों वाले फ़्लू में मौत शायद वायरस की वजह से नहीं, बल्कि मरीज़ के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता अत्यधिक सक्रिय होने की वजह से होती है. जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता ही असंतुलित हो जाएगी तो मौत होना तय है.

Alia Bhatt से लेकर Sonam Kapoor तक ये हेयरस्टाइल है समर के लिए परफेक्ट, देखें फोटोज

गरमी हो या सरदी बौलीवुड स्टार्स अपने लुक का ख्याल हर वक्त रखते हैं. वहीं एक्ट्रेसेस की बात करें तो वह अपने आउटफिट से लोगों को अट्रेक्ट करती हैं. वहीं बात करें उनके लुक से लेकर स्टाइल की तो वह समर में अक्सर अपने आपको कूल रखने के लिए ट्रैंडी हेयरस्टाइल्स ट्राय करती हुई नजर आती हैं. अगर आप भी समर में बौलीवुड स्टार्स के लुक के साथ हेयरस्टाइल का कौम्बिनेशन ट्राय करना चाहते हैं तो आज हम आपको बौलीवुड एक्ट्रेसेस के कुछ समर हेयर स्टाइल्स के बारे में बताएंगे, जो आपको गरमी से तो राहत दिलाएगा ही साथ आपके लुक को खूबसूरत भी बनाएगा.

दीपिका का ये हेयर स्टाइल है समर परफेक्ट

 

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Hello!💕#jiomamimumbaifilmfestival

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अगर आपको चोटी लुक पसंद नहीं है तो दीपिका पादुकोण का सिंपल पोनी वाला लुक एकदम परफेक्ट है. इस हेयरस्टाइल को आप अपने बालों की लम्बाई के अनुसार अलग-अलग तरह से ट्राय कर सकती हैं.

Aila Bhatt  की फिश टेल पोनी लुक करें ट्राय

 

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What it took.. to get the IIFA look 👻 Link in bio..💄💇‍♀️

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कौलेज गर्ल्स के बीच सुर्खियों में रहने वाली एक्ट्रेस आलिया भट्ट बीते साल अदाकारा जब आईआईएफए अवार्ड्स के लिए इस लुक में गई थी तो सभी की निगाहें आलिया भट्ट की शॉर्ट फिश टेल पोनी पर अटक गई थीं, जिसे आप समर सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

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नई नवेली दुल्हन के लिए परफेक्ट है Sonam Kapoor जैसा जूड़ा

सोनम कपूर ने फ्रेंच ब्रेड स्टाइल का जूड़ा बनाकर काफी सुर्खियां बटोरी थी. सोनम का ये हेयरस्टाइल देखने में कूल है और बनाने में भी ज्यादा मुश्किल नहीं है. गर्मियों के मौसम में ये आपके लुक में चार चांद लगाएगा और समर सीजन में कूलिंग का एहसास कराएगा.

इन एक्ट्रेसेस का हेयरस्टाइल भी है परफेक्ट

 

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#Day2 Breezing through interviews for #TheSkyIsPink in @jonathansimkhai. In theatres Oct 11!

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अगर आपको अलग-अलग तरह की चोटियां बनाने का क्रेज है तो आप कृति सेनॉन की इस टॉप्सी पोनीटेल भी भी ट्राय कर सकते हैं. वहीं हाल ही में फिल्म स्काई इज पिंक के प्रमोशन के दौरान अदाकारा प्रियंका चोपड़ा ने इस सिंपल से जूड़े के दौरान फैंस का दिल जीत लिया था.

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Kareena Kapoor का साड़ी के साथ हेयरस्टाइल है परफेक्ट

अगर आप सोचते हैं कि फ्रेंच ब्रेड सिर्फ लंबे बालों में ही अच्छी लगती है तो आप करीना कपूर खान का ये लुक देख सकते है. द कपिल शर्मा शो में अपनी फिल्म के प्रमोशन के दौरान करीना की साड़ी के साथ-साथ उनके इस शॉर्ट टेल हेयरस्टाइल ने फैंस का दिल जीत लिया था.

मेरे हाथ बहुत ज्यादा ड्राई होने लगे हैं, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 28 वर्ष की हूं. मेरे हाथ बहुत ज्यादा ड्राई होने लगे हैं. मैं क्या करूं?

जवाब-

कई बार मौसम बदलने, धूलमिट्टी, प्रदूषण के कारण स्किन ड्राई होने लगती है. इस का सब से ज्यादा असर हाथों पर देखा जा सकता है. पूरा दिन काम करने की वजह से हाथ रूखे और खुरदरे होने लगते हैं. लेकिन नैचुरल तरीके से आप अपने हाथों को कोमल बना सकती हैं. इस के लिए निम्न तरीके आजमाएं: शहद: शहद में ऐंटी औक्सिडैंट और ऐंटीबायोटिक गुण पाए जाते हैं, जो बढ़ती उम्र को छिपाने में मदद करते हैं और त्वचा को मुलायम बनाते हैं. शहद को हाथों पर लगाएं और 5 मिनट तक मालिश करें. फिर 15 मिनट बाद हाथों को कुनकुने पानी से धो लें.

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कोरोना वायरस की वजह से लगातार हाथ धोने की सलाह आज सभी को दी जा रही है, क्योंकि रिसर्चर्स ने पाया है कि साबुन या हैंड सेनेटाइजर से इस वायरस को खत्म किया जा सकता है, इसलिए हाथों को बार-बार 20 सेकेण्ड साबुन से धोने पर इस महामारी के संक्रमित होने से बहुत हद तक बचा जा सकता है, लेकिन जब आप साबुन से बार बार हाथ धोते है, तो हाथों की स्किन रुखी और बेजान हो जाती है. खासकर ड्राई स्किन वालों को इस बात का अधिक ध्यान देना पड़ता है, ऐसे में हाथ की स्किन की नमी को बनाये रखने के लिए क्यूटिस स्किन क्लिनिक की डर्मेटोजिस्ट डॉ. अप्रतिम गोयल कहती है कि बार-बार साबुन से हाथ धोने से स्किन रुखी हो जाती है, जिससे इचिंग और कट्स हो जाया करती है, ऐसे में मोयस्चराइजर अधिक लगाने की जरुरत होती है, ताकि किसी भी प्रकार की एलर्जी और इन्फेक्शन से बचा जा सकें.

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#coronavirus: रोगाणुनाशक  छिड़काव, रोग का फैलाव

दुनिया के तकरीबन हर देश में पसर चुके कोरोना से सरकारें मुश्किल में हैं. दुनियावासी सहमे हुए हैं. बचाव के उपायों में कुछ सरकारें अपने देशों में रोगाणुनाशक का छिड़काव भी करा रही हैं.

रोगाणुनाशक छिड़काव का फैसला सरकारों ने खुद लिया है, स्वास्थ्य पर नजर रखने वाली वैश्विक संस्था वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन यानी डब्लूएचओ ने नहीं.

वैज्ञानिकों का कहना है कि व्यक्तियों की मौजूदगी में रोगाणुनाशक छिड़कना शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है और किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने पर या रोगाणुनाशक की निकलने वाली बूंदों के जरिए यह छिड़काव वायरस फैलाने की क्षमता को कम नहीं करेगा.

यही नहीं, क्लोरीन या अन्य जहरीले रसायनों का छिड़काव करने से लोगों की आंखों और त्वचा में जलन, ब्रोन्कोस्पास्म और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल प्रभाव हो सकते हैं. यानी, कोरोना वायरस को तो यह खत्म करेगा नहीं, उलटे, इंसानों को दूसरे रोगों का शिकार बना देगा.

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भारत समेत दुनिया के कई देशों में यह देखा गया है कि सड़कों और रास्तों को संक्रमणमुक्त करने के नाम पर रोगाणुनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है.

स्वास्थ्य मामले की दुनिया की सबसे बड़ी संस्था डब्लूएचओ ने चेतावनी देते हुए कहा है कि रोगाणुनाशकों के इस्तेमाल से कोरोना वायरस ख़त्म होने वाला नहीं है बल्कि इस का स्वास्थ्य पर उलटा असर पड़ सकता है.

कोविड-19 की महामारी को देखते हुए डब्ल्यूएचओ ने स्वच्छता और सतह को रोगाणुमुक्त करने के लिए एक गाइडलाइन जारी की है जिसमें बताया गया है कि रोगाणुनाशकों का छिड़काव बेअसर हो सकता है.

डब्ल्यूएचओ का कहना है, “बाहर की जगहें, जैसे सड़क, रास्ते या बाज़ारों में कोरोना वायरस या किसी अन्य रोगाणु को ख़त्म करने के लिए रोगाणुनाशकों, चाहे वह गैस के रूप में ही क्यों न हो,  के छिड़काव करने की सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि धूल और गर्द से ये रोगाणुनाशक बेअसर हो जाते हैं. भले ही कोई जीवित चीज़ मौजूद न हो लेकिन रासायनिक छिड़काव सतह के हर छोर तक पर्याप्त रूप से पहुंच जाए और उसे रोगाणुओं को निष्क्रिय करने के लिए ज़रूरी समय मिले, इसकी संभावना कम ही है.”

कोरोना वायरस को सतह पर निष्प्रभावी बनाने के लिए सफाई पर आधारित एक दस्तावेज में डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि  कार्बनिक पदार्थों की अनुपस्थिति में वायरस को निष्क्रिय करने के लिए रासायनिक छिड़काव के जरिये पर्याप्त रूप से सभी सतहों को कवर करने की संभावना नहीं है.

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दस्तावेज़ में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि व्यक्तियों की मौजूदगी में कीटाणुनाशक छिड़कना किसी भी परिस्थिति में अनुशंसित नहीं है. यह शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है.

इसी बीच, चिकित्सकों और लाइसोल एवं डेटौल बनाने वाली कंपनियों ने आगाह किया है कि रोगाणुनाशक का शरीर में प्रवेश खतरनाक है.

रोगाणु या रोगजनक, दरअसल, सूक्ष्‍म जीव होते हैं जो शरीर में दाखिल हो जाएं तो बीमारी और संक्रमण पैदा कर सकते हैं. रोगाणु लोगों के हाथों, आमतौर पर संक्रमित लोगों या सतह, को छूने से घर में चारों ओर फैल सकता है. रोगाणु हवा में छोटे धूलकणों या हमारे मुंह और नाक से खांसी, छींक या बातचीत के दौरान निकली पानी की बूंदों पर यात्रा कर सकते हैं.

वहीं, रोगाणुनाशक संक्रमण रोगों को नियंत्रित या ठीक करने का जीवनदायी इलाज है तथा सूक्ष्म जीवाणुओं से लड़ने का एक महत्तवपूर्ण हथियार लेकिन, हमें इन औषधियों को बहुत सोचसमझ कर, तर्कसंगत और असरदार तरीके से इस्तेमाल करना चाहिए वरना नुकसान हो सकता है.

उधर, आईआईटी कानपुर के शोधकर्ताओं और आईआईटी कानपुर में शुरू किए गए स्टार्टअप ने मिलकर हालिया एक ‘रोगाणुनाशक चैंबर’ तैयार किया है. यह स्वचालित रोगाणुनाशक चैंबर पूरी तरह से बंद है.  इसमें जब कोई व्यक्ति प्रवेश करेगा तो उसके शरीर पर रोगाणुनाशक का छिड़काव होगा और वह रोगाणुओं से मुक्त हो जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में कुछ ही सैकंड का वक्त लगता है.

आईआईटी कानपुर का कहना है कि चैंबर का आकार ऐसा है कि इसे किसी भी औफिस या सार्वजनिक स्थल पर मेटल डिटैक्टर के साथ रख कर परिसर को कोविड-19 से मुक्त रखा जा सकता है.

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उधर, रोगाणुनाशक के बारे में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ दिनों पहले कहा था कि लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए रोगाणुनाशक इंजैक्शन लागाएं, इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. उन्होंने डाक्टरों से भी ऐसा करने को कहा था.

ट्रंप की इस विचित्र व अस्वस्थ सलाह के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने तीखी आलोचनाएं कीं और कहा कि लोग खब्ती राष्ट्रपति की ‘खतरनाक’ सलाह को नजरअंदाज कर दें.

बहरहाल, इसमें शक नहीं है कि रोगाणुनाशक रोगाणुओं को खत्म कर सकते हैं लेकिन नोवल कोरोना वायरस के मामले में स्थिति दूसरी है. ऐसे में डब्लूएचओ के दिशानिर्देश पर अमल करना आवश्यक हो जाता है.

भटकते सांपों का एक सहृदय मसीहा

सुरेश,जिन्हें वावा सुरेश (1974 में जन्म) के अलावा और भी कई नामों से जाना जाता है-जैसे वसुर और स्नेक मास्टर. लेकिन अगर उनका सबसे अच्छा कोई नाम हो सकता है, जो उनके साथ न्याय करे,तो वह ‘भटकते साँपों का मसीहा’ ही हो सकता है. सुरेश एक ऐसे अद्भुत व्यक्ति हैं,जैसा शायद ही दुनिया में कोई दूसरा हो.वह सांपों से बहुत प्यार करते हैं.सांपों के प्रति उनके इस प्यार में माँ की ममता तथा पिता का संरक्षक भाव एक साथ शामिल है.पूरी दुनिया में अपनी सबसे कीमती पारिस्थितिकीय धरोहर जहरीले साँपों के लिए जाने जाने वाले वेस्टर्न घाट की यह धरोहर शायद लुप्त हो गयी होती या लुप्त हो जाती अगर दुनिया को बावा सुरेश जैसा सांपों का पैदाइशी मसीहा न मिला होता.

बावा सुरेश को भटके हुए सांपों को बचाने का जूनून है.माना जाता है कि अब तक वह कोई 50,000 भटकते साँपों को पकड़कर उन्हें सुरक्षित जगहों तक पंहुचा चुके हैं.  उनके इस जूनून के पीछे साँपों की सुरक्षा और संरक्षण के अलावा कोई और लालच नहीं है.यहाँ तक कि उनसे काम से प्रभावित होकर साल 2012 में जब केरल के मंत्री केबी गणेश कुमार द्वारा उन्हें सांप पार्क में एक अस्थायी सरकारी नौकरी की पेशकश की तो सुरेश ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह नौकरी करते हुए समाज की उस तरह से मदद नहीं कर सकता,जिस तरह से वह करना चाहता है.गौरतलब है कि सुरेश को चिंता है कि अगर सजगता से वेस्टर्न घाट के तमाम लुप्त हो रही सर्प प्रजातियों को न बचाया गया तो वे हमेशा हमेशा के लिए धरती से गायब हो जायेंगी.

सुरेश आमतौर पर उन चमत्कारिक सांप पकड़ने वालों में से नहीं हैं जो यह दावा करें कि सांप उनको काट ही नहीं सकता या कि किसी सांप के काटने का उन पर किसी जादुई ताकत के चलते कोई असर ही नहीं होता.सुरेश ने जनवरी 2020 तक 176 सबसे ज्यादा जहरीले किंग कोबरों को पकड़ा था जबकि उनके द्वारा अब तक पकड़े गए सभी साँपों की बात करें तो उन्होंने कोई  50,000 से ज्यादा भटकते सांपों को बचाया है.इस दौरान उन्हें  300 बार जहरीले सांपों  और करीब 3000 से अधिक बार आम दूसरे सांप भी काट चुके हैं.यही नहीं जहरीले साँपों द्वारा डसे जाने के चलते सुरेश अब तक 6 बार आईसीयू और वेंटीलेटर तक पहुंच चुके हैं.हाल में फरवरी 2020 में भी वह मरते मरते बचे हैं.उनके लिए केरल में कई जगह वन्यजीव प्रेमियों ने बचने की दुआएं भी थीं.

सुरेश न केवल लुप्तप्राय साँपों की प्रजातियों को बचाने का काम करते हैं बल्कि वह लोगों को साँपों के बारे में शिक्षित भी करते हैं.सांपों और उनके व्यवहार के बारे में सुरेश आम लोगों में जागरूकता भी पैदा करते हैं.वह मानव आबादी वाले क्षेत्रों से विषैले सांपों को पकड़कर उनके लिए सुरक्षित जगह पहुंचाते हैं. सुरेश के इंस्टाग्राम अकाउंट में उनकी साँपों के साथ एक से एक फोटो देखी जा सकती हैं. इस साल फरवरी में जब वह पठानमथिट्टा में एक घातक सांप को पकड़ने की कोशिश कर रहे थे और वहां मौजूद सैकड़ों लोग उन्हें यह करते हुए देख रहे थे, तभी उस  खतरनाक किस्म के सांप पिट वाइपर बिट ने सुरेश को काट लिया.सांप ने सुरेश की उंगली पर काटा, उसके बाद वो बेहोश होकर गिर गए.आसपास मौजूद लोग उनको लेकर तुरंत अस्पताल गए,बेहतर चिकित्सा सहायता के लिए सुरेश को उनके गृहनगर तिरुवनंतपुरम स्थित एक मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. वहां उसे 72 घंटे तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया .

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डॉक्टरों के मुताबिक़ सुरेश का शरीर एंटी वेनम उपचारों के लिए प्रतिरोधी बन चुका है, इस वजह से उसे अधिक समस्या नहीं होती है.फिर भी जहर तो जहर है.46 साल के सुरेश दक्षिण भारत में सबसे प्रसिद्ध स्नैक कैचर्स में से एक हैं ,उन्होंने अब तक के केरल पाए जाने वाले 110 किस्म के साँपों को पकड चुके हैं.भारत में हर साल कोई 28 लाख लोगों को सांप काटते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक़ करीब 46,000 मौतें हर साल इस सर्पदंश से होती हैं और करीब 40,000 लोग विकलांग हो जाते हैं.

#corornavirus: आबादी के बढ़ते बोझ से जल अकाल की तरफ बढ़ता देश

भले इन दिनों देश में छाये कोरोना संकट के चलते,जल संकट मीडिया की सुर्ख़ियों में जगह न बना पा रहा हो,मगर सच्चाई यही है कि देश का पश्चिमी और दक्षिणी हिस्सा विशेषकर महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, उडीसा और मध्यप्रदेश के बड़े हिस्से में जल संकट कोरोना की तरह ही दैनिक जीवन के लिए बड़ा संकट बना हुआ है. लेकिन यह कोई इस साल या पिछले किसी साल का अचानक आया संकट नहीं है बल्कि अब जल संकट,पिछले एक दशक से भारत का स्थायी संकट बन चुका है. यह कम और मझोले स्तर पर तो देश के करीब दो तिहाई भू-भाग में पूरे साल बना रहता है,लेकिन फरवरी खत्म होकर मार्च माह के मध्य तक पहुँचते पहुँचते यह देश के काफी बड़े हिस्से में भयावह संकट बन जाता है.

इसकी एक बड़ी वजह जल संसाधन पर आबादी का बढ़ता बोझ भी है. भारत के पास धरती की समस्त भूमि का सिर्फ 2.4 प्रतिशत ही है जबकि हमारे खाते में विश्व की 16.7 फीसदी जनसंख्या है. इससे साफ है कि हमारे सभी तरह के संसाधनों पर जिस तरह आबादी का दबाव है,वही दबाव जल संसाधन पर भी है. जल संसाधन पर भारी दबाव के कारण ही हम भूमि जल का दोहन तय अनुपात से कई सौ प्रतिशत ज्यादा करते हैं. हम तय सीमा से भूमि जल का कितना ज्यादा दोहन करते हैं इसका अनुमान इसी तथ्य से लगाया जा सकता है कि भयंकर भू-जल दोहन के कारण 2007-2017 के बीच भू-जल स्तर में 61% तक की कमी आ चुकी है. अब देश के 40% तक भू-भाग में  सूखे का संकट हर साल रहता है. एक अध्यययन के  मुताबिक़ साल 2030 तक बढ़ती आबादी के कारण देश में पानी की मांग अभी हो रही आपूर्ति के मुकाबले दोगुनी हो जाएगी.

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पेय जल को लेकर पूरी दुनिया में जो संकट मंडरा रहा है, भारत में वह दलगातार बढ़ती आबादी के कारण ज्यादा गहरा हो रहा है. भारत में परिवारों की सुरक्षित पेयजल तक पहुंच,पानी की मांग एवं आपूर्ति में जो अंतर पैदा हो रहा है उसके कारण 2025 तक भारत विश्व के सर्वाधिक जल संकट वाला देश बन सकता है. साथ ही यह भी अनुमान है कि अगले कुछ सालों में विदेशी कंपनियां भारत में 13 अरब डॉलर  से ज्यादा का निवेश कर सकती हैं. जल क्षेत्र में एक प्रमुख परामर्श कंपनी ईए वाटर के एक अध्ययन के अनुसार, ‘भारत में पानी की मांग सभी मौजूदा स्रोतों से होने वाली आपूर्ति के मुकाबले ऊपर चले जाने की आशंका है और देश 2025 तक जल संकट वाला देश बन सकता है.’

कम्पनी के अध्ययन के मुताबिक ‘परिवार की आय बढ़ने तथा सेवा तथा उद्योग क्षेत्र से योगदान बढ़ने के कारण घरेलू और औद्योगिक क्षेत्रों में पानी की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि हो रही है.’ देश की सिंचाई का करीब 70 प्रतिशत तथा घरेलू जल खपत का 80 प्रतिशत हिस्सा भूमिगत जल से पूरा होता है, जिसका स्तर तेजी से घट रहा है. हालांकि एक तरफ जहां यह आसन्न संकट है वहीं कारपोरेट क्षेत्र इसे बड़े अवसर के रूप में भी देख रहा है यही कारण है कि इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि इस संकट की आशंका के चलते कनाडा, इस्राइल, जर्मनी, इटली, अमेरिका, चीन और बेल्जियम की कई कंपनियां भारत के घरेलू जल क्षेत्र में 13 अरब डॉलर मूल्य के निवेश का अवसर देख रही हैं.

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देश में जल आपूर्ति और दूषित जल प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास समेत विभिन्न संबंधित क्षेत्रों में काफी अवसर हैं. पारंपरिक रूप से भारत एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था है और इसकी जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई भाग कृषि पर निर्भर है. इसीलिए, पंचवर्षीय योजनाओं में, कृषि उत्पादन को बढ़ाने के लिए सिंचाई के विकास को एक अति उच्च प्राथमिकता प्रदान की गई है और बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं जैसे- भाखड़ा नांगल, हीराकुड, दामोदर घाटी, नागार्जुन सागर, इंदिरा गांधी नहर परियोजना आदि शुरू की गई हैं. वास्तव में, भारत की वर्तमान में जल की मांग, सिंचाई की आवश्यकताओं के लिए सबसे अधिक है. भारत में वह जल चाहे धरातलीय हो यानी धरती के ऊपर का या फिर भूमि जल यानी धरती के नीचे भूमि में मौजूद. इन दोनों ही किस्म के जलों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल कृषि के लिए ही होता है.

धरातलीय जल का लगभग 89 प्रतिशत और भूमि जल का 92 प्रतिशत तक कृषि में इस्तेमाल होता है. औद्योगिक सेक्टर में, भूमि जल का केवल 2 प्रतिशत और धरातलीय जल का 5 प्रतिशत भाग ही उपयोग में लाया जाता है. घरेलू सेक्टर में धरातलीय जल का उपयोग भूमि जल की तुलना में अधिक है. भविष्य में विकास के साथ-साथ देश में औद्योगिक और घरेलू सेक्टरों में जल का उपयोग कई गुना ज्यादा बढ़ जाने की आशंका है. पानी की कीमत का अभी हम अंदाजा नहीं लगा पा रहे. अगर सब कुछ ऐसा ही रहा और भारत के लोगों ने पानी का मोल न समझा तो वर्ष 2025 तक देश में जल की समस्या बहुत विकराल रूप ले सकती है.

देश में पानी की उपलब्धता की खराब होती स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस साल यानी 2020 के अंत तक पानी की उपलब्धता प्रति व्यक्ति एक हजार क्यूबिक मीटर से भी कम रह जाएगी. तीसरा विश्वयुद्ध पानी के लिए लड़े जाने की आशंकाओं के बीच वाकई आज भारत में जलस्रोतों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है नतीजतन कई राज्य पानी की गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. पानी के इस्तेमाल के प्रति लोगों की लापरवाही अगर बरकरार रही तो भविष्य में इसके गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं. विश्व बैंक के एक ताजा अध्ययन में कहा गया है कि 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले 27 एशियाई शहरों में चेन्नई और दिल्ली पानी की उपलब्धता के मामले में सबसे खराब स्थिति वाले महानगर हैं. इस फेहरिस्त में मुम्बई दूसरे स्थान पर जबकि कोलकाता चैथी पायदान पर है.

साफ पानी न मिलने के कारण हर साल भारत में दो लाख लोग जान गवां रहे हैं. देश के करीब 60 करोड़ लोग पीने के पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं. वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा है कि बढ़ती आबादी के कारण 2030 तक भारत में पानी की मांग उपलब्धता से दोगुनी हो जाएगी. तब इसका असर भारत के जीडीपी पर पडेगा. माना जा रहा है कि पानी की किल्लत के कारण तब भारत की जीडीपी में 6 प्रतिशत तक की कमी आने की आशंका है.

चुकंदर के ये टिप्स देंगे स्किन प्रौब्लम से छुटकारा

हर किसी का सपना होता है ब्यूटीफुल स्किन पाना, जिसके लिए आप हर तरह के ट्रीटमेंट करवाती हैं. जो स्किन को ब्यूटीफुल तो बनाता है, लेकिन वह ज्यादा समय के लिए नही होता. आप बिजी लाइफस्टाइल में अपनी स्किन की केयर करना भी भूल जाती हैं. इसीलिए आज हम आपको स्किन के लिए चुकंदर के सबसे बेहतर होममेड टिप्स बताएंगे, जिससे आप लंबे समय तक हेल्दी और ब्यूटीफुल स्किन पा सकेंगे.

1.होठों और गालों को चुकंदर से मिलता है नैचुरल पिंक लुक

केमिकल वाले ग्लौस और बाम की जगह चुकंदर का इस्तेमाल कर नैचुरल तरीके से अपने होठों और गालों को पिंक लुक दें.

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ऐसे लगाएं

-नैचुरल पींक लिप्स के लिए चुकंदर को कद्दूकस करके धूप में सुखा लें.

-दो दिन तक धूप लगने पर जब चुकंदर बिल्कुल सुख जाए तो इसे पीसकर बारीक पाउडर बना लें.

-अब इस पाउडर में बादाम का तेल मिलाएं. तैयार हुए पेस्ट को एक कांच की बोतल में भर कर रख दें.

-रोजाना अपनो होठों और गालों पर इसकी एक बूंद लगाएं और उंगली की मदद से अच्छे से फैलाएं. इससे आपके लिप्स नैचुरल पिंक नजर आएंगे.

  1. चुकंदर से बनाएं स्किन मास्क

स्किन के लिए आप जो क्रीम इस्तेमाल करती हैं वह आपको नैचुरल इफेक्ट नही देतीं. इसके लिए चुकंदर का इस्तेमाल करना आपके लिए फायदेमंद रहेगा.

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ऐसे लगाएं

-चुकंदर को पीसकर स्किन मास्क तैयार कर लें. इसे चेहरे पर लगाएं और जब यह सूख जाए तो चेहरे को पानी से धो लें.

  1. डार्क सर्कल से छुटकारा पाने के लिए

नींद की कमी या हेल्थ प्रौब्लम के कारण आपके आंखों के नीचे डार्क सर्कल होने लगते हैं, जिसके लिए चुकंदर एक नेचुरल और बेहतर उपाय है.

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ऐसे लगाएं

-डार्क सर्कल से परेशान है तो एक चम्मच चुकंदर के रस में बादाम तेल की 4-5 बूंदें मिलाकर आंखों के आस-पास लगाएं. आधे घंटे बाद फेसवौश कर लें

  1. एंटी-एजिंग से पाएं छुटकारा

बिजी लाइफस्टाइल के कारण आपकी स्किन में झुर्रियां आने लगती हैं, जिसके लिए चुकंदर बेस्ट औप्शन है. यह फेस पर बढ़ती उम्र की निशानियों को छुपाने में भी कारगर है. साथ ही इसमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट झुर्रियों को गायब करने में मदद करते है.

ऐसे लगाएं

-दाग धब्बों के लिए दो चम्मच मुल्तानी मिट्टी में 5 चम्मच चुकंदर का रस मिलाकर चेहरे व गर्दन पर लगाएं. आधे घंटे बाद हल्के हाथों से मसाज कर चेहरे को साफ कर लें.

-इसके लिए हर रोज चुकंदर के रस को स्किन पर जरूर लगाएं.

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12 टिप्स: लव मैरिज में न हो ‘लव’ का एंड

नीलम और मानव ने लव मैरिज की है. लेकिन अब नीलम का कहना है कि उन का जीवन बहुत सामान्य हो गया है. एक-दूसरे के प्रति पहले जैसा उत्साह नहीं रह गया है. पहले वे एकदूसरे की बातों को जितना समझते थे अब उतना नहीं समझ पाते. नीलम कहती हैं कि शादी से पहले की जिंदगी और बाद की जिंदगी में काफी बदलाव आ जाता है, जिसे अच्छी तरह मैनेज करना हर किसी के बस की बात नहीं. नीलम का अनुभव ऐसे लोगों से मेल खाता होगा, जिन्होंने लव मैरिज की है. आखिर क्यों लव मैरिज करने के बावजूद लव गुम होता दिखाई देता है?

1. आकर्षण और प्यार के फर्क को समझें

बहुत से लोग आकर्षण को प्यार समझ लेते हैं और शादी का फैसला कर लेते हैं. यही कारण है कि शादी के बाद वे एकदूसरे को दोषी ठहराते रहते हैं. आकर्षण किसी के बोलने के तरीके, उस के लुक्स, किसी के अंदाज, किसी की कंपनी को ऐंजौय करने में होता है, लेकिन प्यार इस से अलग होता है. प्यार का मतलब है हर परिस्थिति में एकदूसरे का साथ निभाना, उसे समझना, उसे सही गाइड करना और उस के लिए खुशी से त्याग करना. इसे निभाना काफी मुश्किल होता है. मात्र पसंद को प्यार न समझें.

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2. पहले और बाद का अंतर

अकसर लोगों को यही शिकायत रहती है कि उन के साथी के शादी से पहले और बाद के व्यवहार में काफी फर्क आ गया है. प्राइवेट बैंक में कार्यरत गरिमा की लव मैरिज हुए 1 साल हो गया है. उस ने अपना अनुभव बताते हुए कहा कि उन्हें शादी के बाद अपने पति में बहुत से बदलाव देखने को मिले हैं. मसलन, उन को गुस्सा अधिक आने लगा है, जिस के चलते उन की लड़ाई कई बार बढ़ जाती है. थोड़ाबहुत गुस्सा पहले भी आता था, लेकिन वे जल्द ही शांत हो कर हमेशा उन्हें मना लेते थे. लेकिन अब वे उन्हें मनाते नहीं. ऐसी बहुत सी बातें होती हैं, जो पहले स्वभाव में कम नजर आती हैं और तब अकसर लोग इन्हें हलके से लेते हैं. लेकिन यही बातें बाद में रिश्ते में मुश्किल पैदा करती हैं जैसे अधिक गुस्सा आना, घुलमिल कर न रहना, एक्सप्रैसिव न होना, गैरजिम्मेदाराना व्यवहार आदि.

3. महत्त्वपूर्ण फैसलों पर विचारविमर्श

प्यार का मतलब अपनेआप को भूलना नहीं होता. अगर ऐसा करेंगे तो अपनी जिंदगी से संतुष्ट नहीं रहेंगे और जिस प्यार के लिए कर रहे होंगे उसे भी खुश नहीं रख पाएंगे, इसलिए अपने भावी लक्ष्य, अपनी इच्छाएं, अपने साथी से शेयर करें और उन्हें भी शेयर करने के लिए कहें. उन्हें ध्यान से सुनें और उन पर विचार करें, क्योंकि अकसर लोग लव मैरिज में प्यार को सब से ऊपर तो रखते हैं, लेकिन जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है, तो निभाना काफी मुश्किल हो जाता है, खासतौर पर लड़कियों के लिए. अत: अगर शादी के बाद भी आप कामकाजी बनी रहना चाहती हैं या पढ़ाई जारी रखना चाहती हैं, तो शादी से पहले इस संबंध में बात कर लें. इसी तरह अगर लड़का विदेश में सैटल होने की सोच रहा हो या उस का संयुक्त परिवार हो तो कुछ बातों के लिए पहले से तैयार रहना चाहिए.

4. आर्थिक आत्मनिर्भरता

प्यार में हमेशा यह परख लेना चाहिए कि आप का साथी कितना काबिल है. जहां प्यार करने से पहले प्यार के काबिल बनना जरूरी है, वहीं शादी से पहले आर्थिक तौर पर आत्मनिर्भर होना भी बहुत जरूरी है. खासतौर से लव मैरिज में, जहां फैसला आप ने लिया है. इसलिए परिवार की उतनी मदद नहीं मिल पाती. फिर आर्थिक तौर पर निर्भर होना न सिर्फ आप की शादी के लिए परिवार को मनाना आसान बनाएगा, आप के भविष्य के लिए भी यह बहुत जरूरी है ताकि आर्थिक कमी आप के रिश्तों में दरार न लाए.

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5. एकदूसरे की तारीफ करें

बहुत से लोगों की यह धारणा होती है कि अगर आप का पार्टनर आप के लिए कुछ अच्छा कर भी रहा है तो वह उस का कर्तव्य है, यह समझ कर आप उस की तारीफ नहीं करते. लेकिन इस से आप अपना रिश्ता फीका बना देंगे. आप को यदि अपने साथी का कोई काम अच्छा लगे तो उस की तारीफ करें. इस से आप का रिश्ता मजबूत बनेगा.

6. उपहार और चौंकाती खुशियां

शादी से पहले तो आप ने एकदूसरे को कई गिफ्ट दिए होंगे, पर शादी के बाद भी यह सिलसिला बरकरार रखना चाहिए. मगर यह जरूरी नहीं है कि गिफ्ट्स पर काफी पैसा खर्च किया जाए. बस, अपने साथी की पसंद के अनुसार छोटेछोटे गिफ्ट भी दिए जा सकते हैं. सरप्राइजेज हमें जवां बनाते हैं और जिंदगी में जोश भी लाते हैं, लेकिन शादी के बाद भी अगर आप सरप्राइजेज से अपने पार्टनर को खुश रखेंगे तो यकीन मानिए, आप की जिंदगी कभी बोरिंग नहीं होगी.

7. एकदूसरे को स्पेस दें

शादी से पहले आप की जिंदगी में हर जगह आप का पार्टनर छाया हुआ था और उस की पोजैसिवनैस अच्छी भी लगती थी, लेकिन जरूरी नहीं कि शादी के बाद भी यह ऐक्स्ट्रा केयरिंग नेचर अच्छा लगे. इसलिए रिश्ते में स्पेस बनाए रखना चाहिए. हर बात पर प्रश्न नहीं पूछना चाहिए न ही हर मामले में दखल देना चाहिए. एकदूसरे के निर्णयों पर भरोसा करना जरूरी है. हर किसी की अपनी निजी जिंदगी भी होती है. उसे बनाए रखने में सहयोग देना चाहिए वरना शादी का बंधन कैद लगने लगेगा.

8. खुद की पहचान

अकसर लोग शादी के बाद यही सोचते हैं कि उन की खुशियां तो सिर्फ उन के साथी से, उन के गम हैं तो उन के साथी से. खासतौर से लव मैरिज में जहां पहले से ही वे एकदूसरे में इतना खोए रहते थे तो शादी के बाद तो उम्मीदें और बढ़ जाती हैं. लेकिन यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि हर किसी का अपना व्यक्तित्व, अपनी सोशल लाइफ, अपनी पसंद होती है, इसलिए अपनी चीजों को एकदम अनदेखा नहीं करना चाहिए. मसलन, शादी के बाद दोस्तों से मेलजोल एकदम से खत्म नहीं करना चाहिए. यह सही है कि समय की कमी के कारण दोस्त छूट जाते हैं, लेकिन कुछ दोस्तों का जिंदगी में बने रहना जरूरी होता है. इस से आप का सोशल सर्कल होगा तो आप अपनी लाइफ को भी ऐंजौय कर पाएंगे.

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9. सजनासवंरना

अकसर शादी के बाद पति हो या पत्नी अपनी तरफ ध्यान देना छोड़ देते हैं, जबकि शादी से पहले वे एकदूसरे के लुक्स से काफी प्रभावित हुए थे. हर कोई चाहता है कि उस का साथी देखने में अच्छा लगे, उसे डौमिनेट करने के बजाय अच्छा सुझाव देना चाहिए कि उस पर क्या अच्छा लगेगा. साथ ही अपनेआप को भी संवार कर रखना चाहिए ताकि सारी जिंदगी आप अपने साथी को अपनी अदाओं का कायल बना कर रख सकें.

10. अपनी अपेक्षाएं शेयर करें

अकसर दंपती यही सोचते हैं कि जैसे शादी से पहले उन का पार्टनर बिना कहे उस की बातों को समझ जाया करता था, शादी के बाद भी समझ जाएगा. लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि पहले उन की जिंदगी बहुत ही सीमित थी. अब उन की जिंदगी में बहुत से लोग जुड़ गए हैं. जिन्हें साथ ले कर उन्हें चलना है. इसलिए हर चीज समझने के लिए इतना समय नहीं मिल पाता. बेहतर यही होगा कि अपनी इच्छाएं या जो आप चाहते हैं, उसे अपने पार्टनर को बताएं. वह उन पर गौर जरूर करेगा. अंदर ही अंदर न घुटें. इस से आप अपने मन में सिर्फ गुस्सा ही पालेंगे. अपनी बात शेयर करने से आप अपनी मुश्किल का हल शुरू में ही निकाल लेंगे.

11. सुझाव दें मगर थोपें नहीं

अकसर लोगों में यह आदत होती है कि जब उन्हें अपनी कोई बात मनवानी होती है तो वे कसम दे देते हैं. मसलन, पत्नी नहीं चाहती उस का पति धूम्रपान करे तो वह कसम दे कर छुड़वाने की कोशिश करती है, जो सरासर बेवकूफी है. बेहतर है कि अगर आप अपने साथी की कोई आदत छुड़ाना चाहते हैं, तो उसे सिर्फ उस आदत के परिणामों से अवगत करवाएं. यकीनन वह उसे छोड़ने की कोशिश करेगा. अपने निर्णयों को दूसरे पर थोपना गलत है, क्योंकि ऐसे निर्णय ज्यादा दिन टिक नहीं पाते हैं.

12. लाइफस्टाइल के साथ दिल से ऐडजस्ट

शादी से पहले आप अलग परिवारों के हिस्से थे. दोनों के तौरतरीकों में फर्क था. पहले यह बुरा इसलिए नहीं लगता था, क्योंकि एक सीमित समय में साथ रहते थे, उस का खास फर्क दूसरे की जिंदगी पर नहीं पड़ता था. पर अब जब शादी हो चुकी है, तो उन के लाइफस्टाइल को स्वीकार करना चाहिए. मसलन, पति नानवेज खाता है. पहले वह आप के साथ नहीं खाता था, पर अब आप उस के परिवार का हिस्सा हैं तो हर वक्त इस स्थिति से बचना संभव नहीं. इसलिए इसे स्वीकार कर लेना चाहिए. हर किसी को उस का प्यार लाइफ पार्टनर के रूप में नहीं मिलता. अगर आप को यह हसीन तोहफा मिला है तो मनमुटाव में समय न बिताएं. अगर एकदूसरे की भावनाओं का ध्यान रखते हुए अपने रिश्ते को निभाने की उत्साहपूर्ण कोशिश करेंगे तो आप के ‘लव’ का मैरिज के बाद कतई एंड नहीं होगा.

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Summer special: हेल्दी और टेस्टी फ्रूट कस्टर्ड से बनाएं दिन मजेदार

आजकल लोग हेल्दी रहने के लिए फ्रूटस खाते हैं. फ्रूट हर किसी को पसंद भी आते हैं. पर अगर फ्रूट को फ्रूट कस्टर्ड में बदलकर खाया जाए तो वह डिनर में डेजर्ट के काम भी आता है. और आज हम आपको एक आम और एकदम आसानी से बनाया जाने वाला स्वादिष्ट और पौष्टिक डिजर्ट फ्रूट कस्टर्ड की रेसिपी बताएंगे. और अगर आप चाहें तो इसे किसी खास अवसर पर या घर में जब भी कुछ फल बच जायें, तब भी बना सकती.

हमें चाहिए

200 ग्राम अंगूर

1 अनार

1 आम

1 सेब

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1 कप (200 ग्राम) क्रीम

3/4 कप (150 ग्राम) चीनी

1/4 कप से थोड़ा सा अधिक वनीला कस्टर्ड

1 लीटर (फुल क्रीम) दूध

बनाने के लिए

  • किसी बर्तन में दूध को उबलने के लिये रख दीजिये, 3/4 कप ठंडा दूध बचा लीजिये.
  • बचे हुये ठंडे दूध में कस्टर्ड पाउडर डालकर अच्छी तरह तब तक घोलिये कि कस्टर्ड की गुठलियां खतम हो जाये.

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  • दूध में उबाल आने के 4-5 मिनट के बाद, कस्टर्ड घोल डालते जाइये, और दूध को चमचे से चलाते जाइये, सारा कस्टर्ड घोल डालकर अच्छी तरह मिक्स कर दीजिये और चीनी भी डाल दीजिये.
  • कस्टर्ड को दूध के साथ लगातार चलाते हुये, 7-8 मिनिट तक गाढ़ा होने तक पका लीजिये. साथ ही क्रीम को मिलाकर व्हिप कर लीजिये.

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इसके बाद, आम और सेब को छील कर छोटे-छोटे टुकड़े में काट कर तैयार कर लीजिये, अनार को छील कर दाने निकाल लीजिये. अंगूर को डंठल से तोड़कर अलग कर लीजिये.

  • पके हुये कस्टर्ड को ठंडा होने के बाद उसमें, तैयार फ्रूट और क्रीम डालकर मिलाइए. तैयार फ्रूट कस्टर्ड को 2-3 घंटे के लिये फ्रिज में रख दीजिये. ठंडा होने के बाद फ्रूट कस्टर्ड का स्वाद बहुत अच्छा हो जाता है.
  • ठंडा-ठंडा टेस्टी कस्टर्ड लंच या डिनर किसी भी खाने के बाद, या आपका कुछ ठंडा मीठा खाने का मन हो परोसिये और खाइये.

लॉकडाउन में बकाया पैसे न मिलने पर भड़की Humari Bahu Silk की टीम, मेकर्स को दी सुसाइड की धमकी

बौलीवुड हो या टीवी इंडस्ट्री हर कोई कोरोनावायरस लॉकडाउन में आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. जहां टीवी सितारे आर्थिक तंगी से परेशान हो गए हैं तो वहीं शो के प्रौड्यूसर अपनी टीम को उनके बकाया पैसे नही दे पा रहे हैं, जिससे तंग आकर हर कोई गलत रास्ता उठाने को तैयार है. दरअसल, हाल ही में सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ (Humari Bahu Silk) की टीम और क्रू मेंबर्स ने अपनी बकाया राशि न मिलने के कारण सुसाइड करने की धमकी दी है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

सुसाइड की धमकी

सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ के लीड स्टार जान खान, चाहत पांडे और रीवा चौधरी ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा है कि शो के मेकर्स ने उनके पैसे देने से साफ इनकार कर दिया है. तो वहीं शो में नजर आ रहे लीड स्टार जान खान ने तो सोशल मीडिया के जरिए ‘हमारी बहू सिल्क’ के मेकर्स के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया है.

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जान खान ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

सोशल मीडिया पर सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ के मेकर्स की पोल खोलते हुए जान खान ने लिखा, ‘मैं यह पोस्ट मेरी टीम के टैक्नीशियन, कैमरामैन, शो की यूनिट, मेकअप मैन, मेरे को-स्टार और अपने लिए लिख रहा हूं. मैंने अपने करियर में कई बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ काम किया है, लेकिन आज तक किसी ने शो की टीम के साथ ऐसा नहीं किया. मुझे हमेशा समय पर भुगतान किया गया है लेकिन ‘हमारी बहू सिल्क’ के प्रोड्यूर्स टीम के साथ गलत कर रहे हैं. वैसे तो ये हमारी टीवी इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाई है लेकिन फिर भी मैं इस अन्याय के खिलाफ बात करना चाहता हूं. शो के निर्माता दिव्या निराले, ज्योति गुप्ता और सुधांशू त्रिपाठी को इस समय सब लोगों का वेतन देना चाहिए. बहुत हो गया… ये अमानवीय व्यवहार आपको बंद करना होगा.’

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बता दें, ‘हमारी बहू सिल्क’ की कास्ट और बाकी टीम के लोगों को लंबे समय से उनके बकाया पैसे न नहीं मिले हैं, जिसके कारण शो की टीम को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

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