लॉकडाउन में बकाया पैसे न मिलने पर भड़की Humari Bahu Silk की टीम, मेकर्स को दी सुसाइड की धमकी

बौलीवुड हो या टीवी इंडस्ट्री हर कोई कोरोनावायरस लॉकडाउन में आर्थिक तंगी की मार झेल रहा है. जहां टीवी सितारे आर्थिक तंगी से परेशान हो गए हैं तो वहीं शो के प्रौड्यूसर अपनी टीम को उनके बकाया पैसे नही दे पा रहे हैं, जिससे तंग आकर हर कोई गलत रास्ता उठाने को तैयार है. दरअसल, हाल ही में सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ (Humari Bahu Silk) की टीम और क्रू मेंबर्स ने अपनी बकाया राशि न मिलने के कारण सुसाइड करने की धमकी दी है. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

सुसाइड की धमकी

सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ के लीड स्टार जान खान, चाहत पांडे और रीवा चौधरी ने इस बात का खुलासा करते हुए कहा है कि शो के मेकर्स ने उनके पैसे देने से साफ इनकार कर दिया है. तो वहीं शो में नजर आ रहे लीड स्टार जान खान ने तो सोशल मीडिया के जरिए ‘हमारी बहू सिल्क’ के मेकर्स के खिलाफ मोर्चा तक खोल दिया है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में इस TV एक्टर ने किया सुसाइड, कोरोनावायरस के डर से लोगों ने नहीं की मदद

जान खान ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

सोशल मीडिया पर सीरियल ‘हमारी बहू सिल्क’ के मेकर्स की पोल खोलते हुए जान खान ने लिखा, ‘मैं यह पोस्ट मेरी टीम के टैक्नीशियन, कैमरामैन, शो की यूनिट, मेकअप मैन, मेरे को-स्टार और अपने लिए लिख रहा हूं. मैंने अपने करियर में कई बड़े प्रोडक्शन हाउस के साथ काम किया है, लेकिन आज तक किसी ने शो की टीम के साथ ऐसा नहीं किया. मुझे हमेशा समय पर भुगतान किया गया है लेकिन ‘हमारी बहू सिल्क’ के प्रोड्यूर्स टीम के साथ गलत कर रहे हैं. वैसे तो ये हमारी टीवी इंडस्ट्री की कड़वी सच्चाई है लेकिन फिर भी मैं इस अन्याय के खिलाफ बात करना चाहता हूं. शो के निर्माता दिव्या निराले, ज्योति गुप्ता और सुधांशू त्रिपाठी को इस समय सब लोगों का वेतन देना चाहिए. बहुत हो गया… ये अमानवीय व्यवहार आपको बंद करना होगा.’

ये भी पढ़ें- Anushka Sharma की धमाकेदार ‘पाताललोक’, पढ़ें रिव्यू

बता दें, ‘हमारी बहू सिल्क’ की कास्ट और बाकी टीम के लोगों को लंबे समय से उनके बकाया पैसे न नहीं मिले हैं, जिसके कारण शो की टीम को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है.

Hyundai #WhyWeLoveTheVenue: Multi-Function Steering Wheel

सड़क पर ज्यादातर दुर्घटनाएं ड्राइवर के ध्यान भटक जाने पर होती हैं. गाना बदलना या टेम्परेचर को एडजस्ट करने में ध्यान ड्राइविंग से भटक जाता है. लेकिन शुक्र है, हुंडई वेन्यू एक मल्टी-फंक्शन स्टीयरिंग व्हील के साथ आता है.

हुंडई वेन्यू के स्टीयरिंग पर मौजूद बटन का इस्तेमाल कर के आप बिना स्टीयरिंग से हाथ हटाए इसके म्यूजिक सिस्टम को कंट्रोल कर सकते हैं. इस में एक वॉइस रिकॉग्नाइजेशन स्विच भी है, जिसकी मदद से आप गाड़ी के अलग-अलग फंक्शन्स को सिर्फ आपकी आवाज से ही काबू कर सकते हैं. इन सारी सुविधाओं की वजह से हुंडई वेन्यू को ड्राइव करते वक्त इसके हैंडल पर अपने हाथ जमाए रखना बहुत आसान है.

ये भी पढ़ें- Hyundai #WhyWeLoveTheVenue: Click To Buy

इसके स्टीयरिंग व्हील पर क्रूज कंट्रोल सिस्टम के भी बटन मौजूद हैं, जो लंबी हाइवे वाली ड्राइव से होने वाली थकान को आप  से दूर रखते हैं.हुंडई वेन्यू हमें देता है आसान कंट्रोल का अनुभव. #WhyWeLoveTheVenue 

ये भी पढ़ें- Hyundai #WhyWeLoveTheVenue: Luggage Space

Flex Breast Shields: जानें मां और बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है Flex

ब्रेस्टफीड (स्तनपान) कराने वाली मांओं के सामने अक्सर ये सवाल आता है कि ब्रेस्ट पंप और ब्रेस्ट शील्ड के जरिए बच्चे को फीड कराना कितना सुरक्षित है. क्योंकि इस बैक्टीरिया पनपने का खतना होता है. इसीलिए मेडेला पर्सनलफिट फ्लेक्स ब्रेस्ट शील्ड्स इस बात का पूरा ख्याल रखता है और बेहद सुरक्षित तरीके से ब्रेस्ट शील्ड का निर्माण करता है ताकि बच्चे की सेहत पर इसका कोई बुरा असर नहीं पड़े.

flex-2

आइए जानते हैं ऐसे ही कुछ सवालों का जवाब जो एक नई मां को जानना बेहद जरूरी हैं…

सवाल: क्या Flex ब्रेस्ट शील्ड में यूज की जाने वाली सामग्री मां और बच्चे के लिए सुरक्षित है?

जी हां, Flex ब्रेस्ट शील्ड बनाने से पहले इसमें इस्तेमाल होने वाली सामग्री का बड़े पैमाने पर परीक्षण किया जाता है और इसे बिना बीपीए, प्राकृतिक रबर लेटेक्स और फोथलेट्स के बनाया जाता है. ताकी बच्चे और मां की सेहत पर इसका बुरा असर न हो.

सवाल: एक पर्सनल फिट फ्लेक्स ब्रैस्ट शील्ड्स को कब तक इस्तेमाल करना चाहिए?

ब्रेस्ट शील्ड की लाइफटाइम इसके इस्तेमाल होने और साफ सफाई के तरीकों (मैनुअल वॉश, डिशवॉशर, उबलते पानी या माइक्रोवेव में) पर निर्भर करता है. इसलिए अगल ज्यादा इस्तेमाल होने के बाद आपको इसमें कोई खराबी लगे तो ऐसे में हम समय-समय पर ब्रेस्ट शील्ड बदलने की सलाह देते हैं.

ज्यादा जानकारी के लिए यहां क्लिक करें…

इसी कड़ी में आगे पढ़िए कैसे पता करें कि ब्रेस्ट शील्ड बदलने का उचित समय क्या है?

ये भी पढ़ें- Flex Breast Shields: नई मांओं के लिए अब ब्रेस्ट फीडिंग होगी और सुरक्षित

लॉकडाउन में इस TV एक्टर ने किया सुसाइड, कोरोनावायरस के डर से लोगों ने नहीं की मदद

बौलीवुड में जहां बीमारी के कारण कई सितारों का लॉकडाउन में निधन से फैंस दुखी हैं तो वहीं टीवी स्टार्स की आत्महत्या की खबर से सदमे में हैं. दरअसल हाल ही में सीरियल ‘आदत से मजबूर’ (Aadat Se Majboor) में नजर आ चुके एक्टर मनमीत ग्रेवाल (Manmeet Grewal) ने आत्महत्या कर ली है. वहीं हैरानी की बात यह है कि पति के शव को लटका देख जब उनकी पत्नी ने लोगों से मदद मांगी तो उनकी मदद के लिए कोई आगे नही आया. आइए आपको बताते हैं क्या है एक्टर की आत्महत्या की वजह….

आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे मनमीत

जहां पूरा देश और मजदूर आर्थिंक तंगी से जूझ रहे हैं तो वहीं टीवी सितारे भी इसका सामना कर रहे हैं. वहीं मनमीत ग्रेवाल की मौत का खुलासा करते हुए उनके बेस्टफ्रेंड मनजीत सिंह ने बताया कि, ‘बीते कुछ समय से मनमीत ग्रेवाल आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे. ऐसे में उन्होंने टीवी शोज के जरिए अपने हालात सुधारने की कोशिश की लेकिन कोरोना वायरस लॉकडाउन ने सबकुछ बर्बाद कर दिया. वह अंदर से बुरी तरह टूट चुके थे शायद इसलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली.’

ये भी पढ़ें- Malaika-Arjun से लेकर Varun-Natasha तक, Lockdown की वजह से टली इन 5 कपल की शादी

मनमीत की पत्नी ने मांगी थी मदद

इसी बीच, मनजीत सिंह ने बताया कि, ‘बीती रात मनमीत ग्रेवाल की पत्नी का मुझे फोन आया था. मनमीत ग्रेवाल की पत्नी ने मुझे बताया कि उनके पति ने फांसी लगी ली है. वह रो रोकर मुझसे मदद मांग रही थी. मैंने भी कई लोगों को फोन किया लेकिन समय पर वहां कोई भी नहीं पहुंच पाया. ऐसे में आधी रात को मैं बाइक लेकर मनमीत ग्रेवाल के घर गया लेकिन तब तक पुलिस और मेडिकल टीम वहां आ गई थी और मनमीत ग्रेवाल मुझे छोड़कर जा चुका था.’

बता दें, लॉकडाउन के बीच आम आदमी ही नहीं टीवी सितारे भी आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं. जहां हाल ही में नागिन फेम एक्ट्रेस सायंतनी घोष ने भी खुलासा किया था कि वह फाइनेंशली परेशान है तो वहीं मनमीत ग्रेवाल की मौत के बाद इसका अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस लॉकडाउन का असर सिर्फ आम आदमी ही नहीं सेलेब्स पर भी पड़ा है.

ये भी पढ़ें- Lockdown: गांव में फंसी TV एक्ट्रेस रतन राजपूत, बिना सुविधाओं के ऐसे कर रही है काम

Anushka Sharma की धमाकेदार ‘पाताललोक’, पढ़ें रिव्यू

वेब सीरीज  पाताललोक

रेटिंग 4

कलाकार जयदीप अहलावत, नीरज काबी, अभिषेक बनर्जी, इश्वाक सिंह, गुल पनाग व अन्य.

निर्देशक अविनाश अरुण, प्रोसित रॉय

प्लेटफार्म अमजोन प्राइम

कोई एक जगह जहां आपको मीडिया, समाज, राजनीति और प्रशासन नंगा दिखने को मिले तो समझ जाइए जनाब आप ‘पाताललोक’ आ चुके हैं. जी हां, यही खासियत है इस नए वेब सीरीज ‘पाताललोक’ की. शानदार कंटेंट और समाज के डार्क साइड को लेकर बुनी गई इस सीरीज में आपको वह सब चीज देखने को मिल जाएगी जो शायद धरतीलोक में हम देख नहीं पाते या देखना नहीं चाहते.

इस वेब सीरीज की शुरुआत ही जयदीप अहलावत के इस संवाद होता है “यह एक नहीं 3 दुनिया है. सबसे ऊपर स्वर्ग लोक जिसमें देवता रहते हैं. बीच में धरती लोक जिसमें आदमी रहते हैं. और सबसे नीचे पाताल लोक जिसमें कीड़े रहते हैं.” यह संवाद ही काफी हद तक यह बताने के लिए काफी है कि इस क्राइम थ्रिल सीरीज में सुंदर सी दिखने वाली प्यारी प्यारी दुनिया सबके लिए एक जैसी नहीं, बल्कि यह 3 हिस्सों में बंटी हुई है.

इस सीरीज को प्रोड्यूस किया है अनुष्का शर्मा ने और निर्देशक है अविनाश अरुण और प्रोसित रॉय. यह सीरीज इस 15 मई से अमेज़न प्राइम पर 9 एपिसोड के साथ अपलोड कर दी गई है. इस सीरीज के राइटर है सुदीप शर्मा. देखा जाए तो यह सीरीज किसी हीरोनुमा कहानी का हिस्सा नहीं बल्कि सभी पात्र खुद में एक बड़ी कहानी को खोलते हुए दिखाई देते है किन्तु मुख्य कलाकार के तौर पर जयदीप अहलावत तथा नीरज काबी देखने को मिल जाते हैं. इसके अलावा संजीदा अदाकारा गुल पनाग, अभिषेक बनर्जी, स्वस्तिका मुखर्जी तथा अन्य का भी अहम् किरदार है.

ये भी पढ़ें- Malaika-Arjun से लेकर Varun-Natasha तक, Lockdown की वजह से टली इन 5 कपल की शादी

क्या है सीरीज में?

यह कहानी दिल्ली के आउटर यमुना पार थाने से शुरू होती है जहां पर यमुना पुल के पास पकड़े गए 4 आरोपियों को लाया जाता है. अब मामला ओपन एंड शट केस है आरोपियों को रंगे हाथ पकड़ लिया गया है. इस मामले में बिगड़ने लायक कुछ नहीं होता इसलिए इस केस को इंस्पेक्टर हाथी राम चौधरी (जयदीप अहलावत) को दे दिया जाता है. हाथी राम चौधरी एक साधारण सा पुलिस वाला है जिसके हाथ इतने सालों की सर्विस में एक भी हाई प्रोफाइल केस हाथ नहीं लगा है. लेकिन यह क्या थोड़ी देर में पता चलता है कि यह अपराधी दिल्ली में टॉप के पत्रकार और मशहूर टीवी एंकर संजीव मेंहरा (नीरज काबी) के मर्डर के चलते आए थे. फिर शुरू होती है कांस्पीरेसी का असली मिस्ट्री खेल. जिसमें आपको कई हिचकोले खाने को मिलेंगे. कई पात्र खुलते दिखाई देंगे. और गुत्थी उलझती खुलती दिखेगी. अब आगे की मिस्ट्री क्या है इसे देखने के लिए आपको सीरीज देखनी पड़ेगी वरना मजा ख़राब हो जाएगा.

ख़ास क्या है?

नीरज काबी चूंकि बड़ा पत्रकार रहा है लेकिन अब नौकरी खतरे में पड़ गई है तो वह भी इसी बीच वापस खुद को ट्रेक में लाने के मोके ढूढ़ रहा है. इस सीरीज में जो 4 आरोपी पकड़े गए हैं उनके पीछे का इतिहास काफी सस्पेंस और रोचाक्ताओं से भरा है. जो इस वेब सीरीज की जान भी है. हाथी राम की इन्वेस्टीगेशन में कई पात्रों के शेड खुलते दिखेंगे. जो सीरीज को रोचक बनाते हैं. इस सीरीज की खासियत है वर्तमान और भूतकाल का कॉकटेल. जो सेक्रेड गेम 1 और असुर जैसी सीरीज की याद ताजा कर देते हैं. हर पात्र की बेकग्राउंड स्टोरी. जो काफी दिलचस्प है. इसी बेकग्राउंड स्टोरी में समाज की कुरूपता देखने को मिलती है. साथ ही वर्तमान में राजनीतिक चालबाजियां और प्रशासनिक समस्याएं दिख जाएंगी.

किसने कैसा काम किया?

इस सीरीज में बड़ा नाम देखने को नहीं मिलेगा. लेकिन ऐसे नामों की भरमार है जिन्हें कहीं न कहीं देखकर आपने पहले जरूर कहा होगा की क्या शानदार कलाकार है. सबसे पहले जयदीप अहलावत. इन्होने पुलिस का किरदार निभाया है. किरदार की बात की जाए तो शायद इस रोल के लिए इनसे बेहतर कलाकार मिलना मुश्किल था. अहलावत खुद हरियाणा से ताल्लुक रखते है साथ जिस तरह का पुलिसिया टोन और लहजा इस्तेमाल किया गया वह जयदीप पर जम गया.

अंसारी के किरदार में इश्वाक सिंह सोम्य दिखे. अंसारी का किरदार पटकथा में काफी अहम् हिस्सा है. जो वर्तमान में काफी सवाल इस समाज से करते हैं. इसके अलावा गुल पनाग पत्नी के रोल में अच्छी दिखी. नीरज काबी की बात क्या की जाए. शानदार. न्यज एंकर के तौर पर दर्शकों को जो चाहिए था वह उन्हें मिल गया संजीव मेहरा के तौर पर. इसके अलावा एक कलाकार जिसे अब स्पेस मिलता दिख रहा है वह है ‘हथोडा त्यागी’ यानी अभिजीत बनर्जी. साइलेंट रोल में उम्दा एक्टिंग. कम शब्द लेकिन जोरदार. सारे संवाद अपने चेहरे के हावभाव से कह दिए. इसके इतर बाकी कलाकारों ने भी अच्छी एक्टिंग की और अपनी जगह पकड़ के रखी.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में हुआ एक और TV कपल का ब्रेकअप, 1 साल भी नहीं चला रिश्ता

लेखन के तौर पर स्क्रिप्ट अच्छी है. समाज के कड़वे सच से रूबरू होने का मोका मिला है. इससे पहले भी संदीप शर्मा उड़ता पुजाब और एनएच 10 की स्क्रिप्ट लिख चुके हैं. तो समझा जा सकता है उन्हें किस तरह के कंटेंट में मजा आता है. डायरेक्शन अच्छा है. हां, शुरू में कहानी थोड़ी धीरे चलती है लेकिन बाद में शानदार तरह से पटरी पर दौड़ने लगती है. कुछ कुछ जगह वाकई कई शानदार डायलॉग और सीन दर्शाए गए है. जिसमें वर्तमान पॉलिटिक्स पर तीखे कटाक्ष हैं इसके अलावा मोबलिंचिंग का मामला, मीडिया और राजनीति का गठजोड़ और भ्रष्ट चेहरा काफी कुछ सवाल बनाते हैं. आज इस तरह के कंटेंट उतारना एक बड़ा चैलेंज है जो इस सीरीज ने एक्सेप्ट किया.

खुद को स्वीकार करना जरूरी है- अनमोल रोड्रिगेज

भारत में एसिड अटैक का शिकार होने वाली लड़कियों और महिलाओं की कमी नहीं. लड़कियों के साथ इस तरह का व्यवहार करने वाले सामान्यतया सिरफिरे आशिक या गहरे दुश्मन होते हैं. मगर मुंबई में रहने वाली अनमोल रोड्रिगेज के साथ कुछ और ही हुआ.

उस समय वह केवल 2 महीने की थी. मां ने उसे अपनी गोद में लिटा रखा था. तभी उस के पिता ने एसिड फेंका. पिता का निशाना भले ही मां थी मगर अनमोल भी इस से बच नहीं सकी. उस की एक आंख चली गई और चेहरे के साथ शरीर के कुछ हिस्से भी झुलस गए. मां ने उसी वक्त दम तोड़ दिया मगर अनमोल का काफी समय तक अस्पताल में इलाज चला. ननिहाल वालों ने कुछ समय तो उस की जिम्मेदारी उठाई मगर फिर उसे लावारिस छोड़ दिया ऐसे में उसे एक अनाथालय में शरण मिली. अनाथालय में रहते हुए इलाज के साथ उस की पढ़ाई भी होने लगी.

18 साल के बाद अनाथालय में रहने की अनुमति नहीं थी तब अनमोल को अपनी जिम्मेदारी खुद उठानी पड़ी.

फिलहाल 22 साल की अनमोल रोड्रिगेज मुंबई में रहती है. वह बीगो लाइव के जरिए सोशल इंन्फ्लुएंसर, मोटिवेटर और फैशन एजुकेटर का काम करती है. उसे शौर्टफिल्म ‘आंटी जी’ में शबाना जी के साथ काम करने का मौका भी मिला.

मुंबई में रेंट के मकान में एक रूममेट के साथ रहने वाली अनमोल के जीवन का सफर इतना आसान नहीं है. जिंदगी के रास्ते में उसे अपनों के दिए जख्म, लोगों की नफरत और भेदभाव के दर्द का भी सामना करना पड़ा.

ये भी पढ़ें- #lockdown: नए नियम के साथ पटरी पर दौड़ेगी मेट्रो

पेश है उस से की गई बातचीत के मुख्य हिस्से

1. बचपन से अब तक आप को किस तरह के संघर्षों का सामना करना पड़ा?

बचपन में 5 साल तक मैं हॉस्पिटल में रही जहां मेरा इलाज चलता रहा. उस के बाद में एक अनाथालय में आ गई जहां मैं ने पढ़ाई पूरी की साथ में इलाज भी होता था. मुझे यहां अलग ट्रीट नहीं किया गया. अन्य बच्चों की तरह ही नॉर्मल रूप से रखा गया. मगर बड़ी होने और कालेज जाने पर मैं ने महसूस किया कि समाज की नजरों में मैं अलग हूं. लोगों का रवैया मेरे प्रति सही नहीं है. मुझे ले कर एक्सेप्टेंस नहीं है. ओवरऑल सोसाइटी में मेरी तरफ संवेदनशीलता नहीं है. कोई मेरा दोस्त बनना या हग करना नहीं चाहता. मैं जैसी हूं उस रूप में स्वीकार करने को कोई तैयार नहीं.

जब मुझे पहली दफा जॉब लगी तो मेरे खराब चेहरे की वजह से मुझे निकाल दिया गया. मेरे लिए इन बातों को समझना और बाहर आना आसान नहीं था. मानसिक स्तर पर मैं बहुत समय तक काफी परेशान भी रही.

2. जिंदगी में आगे क्या करना चाहती हैं?

मैं ने बहुत सी चीजें प्लान कर के रखी हैं. वैसे बचपन से ही मुझे थिएटर और एक्टिंग का शौक रहा है. जब मुझे शौर्टफिल्म ‘आंटी जी’ में काम करने का मौका मिला तो मेरी एक्टिंग में रुचि और बढ़ गई. पहले मैं खुद को अंडरस्टीमेट करती थी मगर अब मुझे लगता है कि मैं इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकती हूं. यही नहीं मैं सोशल मीडिया में भी एक्टिव रही हूं और इस क्षेत्र में भी आगे बढ़ना चाहती हूं.

3. आप को आंटी जी फिल्म में मौका कैसे मिला?

दरअसल मुझे एक ईमेल आया. डायरेक्टर ने मेल के साथ मुझे स्क्रिप्ट भी भेजा था. मुझे शबाना जी के साथ काम करने का मौका दिया जा रहा था. पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि वाकई यह सच है. मैं ने तुरंत हामी भर दी. इस तरह शबाना के जी के साथ मुझे फिल्म करने का मौका मिला. मेरा रोल इस फिल्म में एक एसिड सर्वाइवर का ही था.

4. फैशन में रुचि कैसे हुई ?

बचपन से ही मुझे फैशन में रुचि थी. रिसोर्सेज अधिक नहीं थे मगर फैशन करना पसंद था. लोगों से मेरे फैशन सेंस के लिए कंपलीमेंट्स मिलते थे. फिर जब सोशल मीडिया पर एक्टिव हुई तो पता चला कि इस के जरिए भी आगे बढ़ा जा सकता है.

5. आप अपना आत्मविश्वास कैसे कायम रखती हैं?

शुरू में लोगों का व्यवहार मेरी तरफ अलग था. वैसे कुछ लोग सपोर्टिव भी होते थे. पर मैं यह मानती हूं कि अपनी परिस्थितियों को आप कैसे स्वीकार करते हैं, इस बात पर बहुत चीजें निर्भर होती हैं. कई लोग खुद को स्वीकार करते हैं तो कुछ नहीं करते.

मैं जानती थी कि मेरा चेहरा तो अब ऐसे ही रहना है. ऐसे में लोग क्या सोचेंगे या क्या कमेंट कर रहे हैं इस डर से मैं घर से नहीं निकलती तो कहीं नहीं पहुंच सकती.

मैं ने खुद को मानसिक तौर पर मजबूत बनाया. खुद को स्वीकार किया और सोसाइटी को भी समय दिया कि लोग मुझे स्वीकार करें. अब तो सब मेरी तारीफ करते नहीं थकते. खुद ही आत्मविश्वास आ जाता है. अब तो इतना विश्वास है कि कोई भी चुनौती आ जाए मैं उस का सामना कर लूंगी. कोई भी ऐसी चुनौती नहीं है जो मेरे आत्मविश्वास को हिला सके.

6. सफलता के लिए क्या जरूरी है?

सफलता के लिए डेडीकेशन, कठिन परिश्रम, 100% सही दिशा में प्रयास, निश्चित मकसद, सकारात्मक उर्जा और कभी भी गिवअप न करने का रवैया होना जरूरी है.

6. फैशन से जुड़े कुछ टिप्स?

हर किसी का अपना टेस्ट होता है. सब के पास महंगे कपड़े होने जरूरी नहीं. साधारण कपड़ों में भी वाउ फैक्टर लाया जा सकता है. अपनी स्टाइलिंग पर ध्यान दें. जो भी पहनें उसे कैरी करने का तरीका आकर्षक होना चाहिए. किसी को कॉपी करने की जरूरत नहीं. अपना अलग स्टाइल रखें .

ये भी पढ़ें- #lockdown: जानलेवा बेरोजगारी

7. क्या एसिड अटैक का कोई असर अभी तक है?

तकलीफ तो अभी भी है. मैं एक ही आंख से देख पाती हूं. ज्यादा देर कंप्यूटर पर काम करती हूं तो आंखों पर दबाव पड़ता है और सर दर्द होने लगता है. धूप में ज्यादा रहने से आंखों में से पानी आने लगता है. त्वचा पर भी जलन होती है.

8. सरकार द्वारा एसिड सर्वाइवर्स के लिए जो कदम उठाए गए हैं क्या उस से संतुष्ट हैं?

एसिड अटैक को ले कर लोगों में जागरूकता बढ़ी है और सरकार भी कई मेजर ला रही है मगर ये काफी नहीं हैं. सरकार एसिड सर्वाइवर्स को ₹3 लाख वनटाइम कंपनसेशन के तौर पर देती है. जबकि बहुत से सर्वाइवर्स हैं जिन्हें अपना कंपनसेशन नहीं मिल पाता. जिन में से एक मैं भी हूं. क्योंकि यह एक लंबी प्रक्रिया है. बहुत सारे डाक्यूमेंट्स, रिपोर्ट्स और एफआईआर की कॉपी आदि जमा करनी पड़ती है. जिस के पास पैरंट्स हैं वे तो एफआईआर वगैरह ले आते हैं मगर मेरे जैसे केस में यह सब कठिन है.

यही नहीं ₹ 3 लाख वैसे भी काफी नहीं हैं. एक छोटी सर्जरी का कॉस्ट ₹ 3 लाख से ज्यादा ही आता है.

एक नए कानून के मुताबिक इस की सर्जरी हॉस्पिटल में फ्री होगी. मगर जब आप अप्रोच करो तो कई बार यह संभव नहीं हो पाता. हॉस्पिटल वाले कहते हैं कि इस कानून के आने के बाद वालों की सर्जरी फ्री करेंगे लेकिन कानून से पहले जिन पर एसिड हमला हुआ उन को रुपए देने पड़ेंगे. यही नहीं कुछ हॉस्पिटल वाले बहुत से डॉक्यूमेंट मांगते हैं जो सब के पास नहीं होते. सरकार को इन बातों पर गौर करना चाहिए और कंपनसेशन की रकम भी बढ़ानी चाहिए.

थ्रिलर फिल्मों में निर्देशक के विजन को समझने की जरुरत होती है- मनोज बाजपेयी

बचपन से अभिनय की इच्छा रखने वाले अभिनेता मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) ने ‘बेंडिट क्वीनफिल्म से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा. उन्हें पॉपुलैरिटी फिल्म ‘सत्या’ से मिली. इस फिल्म ने उन्हें उस समय की सभी बड़े अभिनेताओं की श्रेणी में रख दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया. हिंदी के अलावा उन्होंने तमिल और तेलगू भाषाओं में फिल्में की है.

बिहार के पश्चिमी चंपारण के एक छोटे से गाँव से निकलकर यहाँ तक पहुंचना और कामयाबी हासिल करना मनोज बाजपेयी के लिए आसान नहीं था. साधारण और शांत व्यक्तित्व के मनोज फिल्मों के लिए ‘चूजी’ नहीं, उन्हें जो भी कहानी प्रेरित करती है, वे उसे कर लेते है.यही वजह है कि उन्होंने हर तरह की फिल्में की है. उनके इस सफ़र में उनकी पत्नी नेहा और बेटी का साथ है, जिनके साथ वे क्वालिटी टाइम बिताना पसंद करते है. लॉक डाउन के इस समय में वे उत्तराखंड के किसी होटल में अपने परिवार के साथ समय बिता रहे है.

मनोज बाजपेयी को बचपन से कवितायें  पढ़ने का शौक है. उन्हें हिंदी और अंग्रेजी  में हर तरह की कवितायें पढ़ी है. उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर पुरस्कार भी जीता है,पर वे कविता खुद लिखते नहीं. साल 2019 में साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री अवार्ड से भी नवाजा गया है. अभी उनकी फिल्म ‘मिसेज सीरियल किलर’ डिजिटल पर रिलीज हो चुकी है. बातचीत हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-लॉक डाउन में कहाँ है और क्या कर रहे है?

मैं अपने परिवार के साथ उत्तराखंड के एक होटल में हूं. पहाड़ों और वादियों का लुत्फ़ उठा रहा हूं. मैं इधर एक शूटिंग के लिए आया था और परिवार वाले भी यहाँ मुझसे मिलने आ गए थे. इतने में लॉक डाउन हो गया और यही रहने लगा हूं. मुझे अच्छा लग रहा है कि मुंबई की भीड़ भाड़ से दूर यहाँ प्राकृतिक वातावरण के बीच में दो महीने से रह रहा हूं.

ये भी पढ़ें- #Lockdown: Neha Dhupia ने पति और बेटी के साथ ऐसे मनाई 2nd Wedding Anniversary

सवाल-इस फिल्म को करने की ख़ास वजह क्या है?

इसकी स्क्रिप्ट बहुत अच्छी थी. निर्देशक शिरीष कुंदर के साथ मैंने कई शोर्ट फिल्में की थी. इस वजह से हम दोनों की केमिस्ट्री बहुत अच्छी हो गयी थी. साथ ही हम दोनों पडोसी भी है. भूमिका बड़ी नहीं है, पर बहुत पावरफुल है. इसके अलावा शिरीष एक अच्छे निर्देशक भी है, इसलिए उनके साथ काम करने की इच्छा हुई और मैंने फिल्म की.

सवाल-आप किसी भी फिल्म में एक अलग छाप छोड़ते है, ये कैसे होता है? इसके लिए आपको क्या अलग से मेहनत अपनी भूमिका के लिए करनी पड़ती है?

मैं अपना काम करता हूं. दर्शकों को पसंद आता है इसकी ख़ुशी मुझे है. मैं कई सालों से काम कर रहा हूं. हर फिल्म के साथ वर्कशॉप करना, अभिनय की तकनीक को सीखना आदि करता आ रहा हूं. मेहनत, लगन और तकनिकी ज्ञान सब होने पर ही ये शायद हो पाता है. दर्शकों का प्यार ही मुझे यहाँ तक ले आया है और मैं अच्छा काम कर पा रहा हूं.

सवाल-आपके यहां तक पहुंचने में परिवार किस तरह से सहयोग देता है?

परिवार के सहयोग के बिना कुछ भी नहीं हो सकता. परिवार मेरी व्यस्तता को जानता और समझता है. साथ ही उसका आदर भी करता है. परिवार के साथ मेरा तालमेल हमेशा सही रहा है. समय मिलते ही मैं अधिक से अधिक समय उनके साथ बिताता हूं. काम के समय परिवार पूरा सहयोग देता है, ताकि मैं स्वछंद तरीके से काम को अंजाम दूँ. ये सामंजस्य है, जो बना हुआ है और मैं अपने आपको इस बारें में भाग्यशाली समझता हूं.

सवाल-कोरोना वायरस की वजह से कुछ एहतियात हर रोज बरतने को कही जा रही है, क्या लॉक डाउन के बाद इंडस्ट्री में भी कुछ बदलाव आयेगा?

लॉक डाउन एक न एक दिन अवश्य खुलेगा. वायरस भी एक दिन पूरे समाज से जायेगा. तब तक मास्क पहनना और अपना ख्याल रखना बहुत जरुरी है. उसके लिए क्या रास्ता अपनाया जायेगा, उसपर एसोसिएशन काम कर रही है. कैसे शूटिंग की जायेगी, कैसे सावधानी बरतते हुए इसे अंजाम दिया जायेगा आदि विषयों पर भी विचार किया जा रहा है. थिएटर को खोलने पर भी चर्चा हो रही है, लेकिन जब भी ये खुलेगी दर्शक आयेगे, क्योंकि समूह में बैठकर जो मजा फिल्म और नाटक देखने में है, उसे अकेले बैठकर नहीं लिया जा सकता. ये सही है कि ओटीटी प्लेटफार्म से जो मजा अभी दर्शक ले रहे है. आगे फिल्मों से उनकी अपेक्षा अधिक हो जाएगी. फिल्मों को भी उस स्तर पर प्रभावशाली कहानी कहने की जरुरत होगी.

सवाल-थ्रिलर फिल्म को बनाना कितनी चुनौती होती है, किस बात का बहुत ख्याल रखना पड़ता है?

इसमें चुनौती निर्देशक की होती है, निर्देशक पूरी फिल्म को देख रहा होता है और वह उसकी सुर और लय को पहचानता है, ऐसे में निर्देशक के विजन को समझने की बहुत जरुरत होती है. निर्देशक के साथ चलने और उसकी सुर को समझने पर काम आसान हो जाता है.

सवाल-आगे और क्या करने की सोच रहे है?

कोरोना वायरस के आने के बाद मैंने भविष्य की प्लानिंग करना छोड़ दिया है. आज जो है उसी के बारें में बात करें और जितना हो सके उसे जीने की कोशिश करें. ये एक बहुत बड़ी सीख है. मेरी दो फिल्में पूरी हो चुकी है. फॅमिली मैन 2 आने वाली है, लेकिन आगे समय में क्या परिवर्तन आएगा. इसके बारें में कुछ नहीं कह सकते.

ये भी पढ़ें- बौयफ्रेंड संग Virtually शादी का प्लान  बना रही है Naagin 4 की ये एक्ट्रेस, ऐसे कर रही हैं तैयारी

सवाल-क्या आप मानते है कि हमारी इंफ्रास्ट्रक्चर में भी बदलाव होने की जरुरत है?

हमने अपने जीवन और समाज में मेडिकल फैसिलिटी को लेकर उतना काम नहीं किया, जितनी जरुरत है. ये सेवा जन-जन तक गरीब लोगों में उपलब्ध हो. उन्हें हर तरह की सुविधा मिले, इसपर काम नहीं किया गया. इस पर अब सोचने की जरुरत है, क्योंकि आज पता चला है कि डॉक्टर नर्सेज और पैरामेडिकल स्टाफ हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण पहलू है.

सवाल-मां के साथ बिताया पल जिसे आप याद करते है?

मां शब्द पैदा होने के बाद से ही आप से जुड़ जाता है और जितना समय इस दुनिया में हम जीते है आप के साथ वह जुड़ा रहता है. इसलिए धरती को भी मां का दर्जा दिया गया है, जो सबसे अधिक विकराल और सबसे अधिक नम्र है. मेरा अस्तित्व और जो मैं आज हूं वह मां की वजह से है. हर दिन उनका है और हर दिन उनको चरणस्पर्श है.

#coronavirus: चीन से आगे भारत

झूठे जुमलों/वादों के सहारे सत्ता पर सवार हुई नरेंद्र मोदी सरकार दावे भी झूठे करती है. सरकार संसद के भीतर कुछ कहती है, बाहर कुछ और. गृहमंत्री अमित शाह लोकसभा में जो दावा करते हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलीला ग्राउंड में गृहमंत्री के उलट दावा ठोंक डालते हैं.

जो झूठे वादे/दावे करे, उसके आकलन भी सही नहीं हो सकते. आकलन तो खैर अनुमान होता है. आकलन के तहत तो कुछ भी पेश किया जा सकता है, वह भी जब सत्ता में झूठी सरकार हो तो कहने ही क्या.

अप्रैल में केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने 1 मई से कोरोना के मामलों में कमी आने के संकेत दिए थे. नीति आयोग के सदस्य और कोरोना के खिलाफ गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डाक्टर वी के पौल ने कोरोना मामलों में बढ़ोतरी के ट्रैंड के आधार पर भविष्य के प्रोजैक्शन का ग्राफ पेश किया था, जिसके मुताबिक, 30 अप्रैल के बाद कोरोना के नए मामलों में गिरावट शुरू हो जाएगी और 16 मई तक यह संख्या शून्य (0) तक जा सकती है. इस ग्राफ को सरकार के प्रेस इंफौर्मेशन ब्यूरो यानी पीआईबी ने भी अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया था.

मोदी सरकार का यह दावा, या आकलन जो कह लें, गलत सिद्ध हो गया है. देशभर में कोरोना वायरस के मामले अभी भी तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. भारत ने पिछले 24 घंटों में कोरोना संक्रमण मामले में इसके जन्मस्थल चीन को पछाड़ दिया है. देश में पिछले 24 घंटों में 3,970 मामले सामने आए हैं.

ये  भी पढ़ें- ‘‘समाज स्वीकारे न स्वीकारे कोई फर्क नहीं पड़ता- मानोबी बंधोपाध्याय

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, देश में 16 मई को सुबह 8 बजे तक कुल 85,940 मामले सामने आ चुके हैं. इसमें से 53,035 मरीजों का फिलहाल अस्पतालों में इलाज चल रहा है, वहीं 30,153 मरीज ठीक हो चुके हैं, जबकि देश में 2752 मरीजों की कोरोना से अब तक मौत हो चुकी है. बता दें कि चीन में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 84,031 है.

देश में 24 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब तानाशाहीपूर्ण (इसलिए कि किसी को कहीं जाने का समय ही नहीं दिया) तरीक़े से देशव्यापी तालाबंदी लागू कर दी तब तक कोविड-19 के सिर्फ 618 सक्रिय मामले ही सामने आए थे. 11 मई तक यह आंकड़ा 67,000 हो गया जो 10,841 फीसदी की वृद्धि है. 7 मई को दिल्ली, मुंबई, चेन्नई और अहमदाबाद सहित 15 प्रमुख शहरों में कुल सक्रिय मामले देशभर के कुल मामलों के 60 फीसदी थे. इन सभी शहरों में अभी लौकडाउन है लेकिन फिर भी, मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

मुंबई में 67 मामलों के साथ लौकडाउन शुरू हुआ था जिसने 11 मई तक 19,402 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 13,000 का आंकड़ा छू लिया. दिल्ली में शुरुआत में सिर्फ 35 सक्रिय मामले थे जो 11 मई को 7,233 हो गए, यानी 20,565 फीसदी की वृद्धि. अहमदाबाद में 25 मार्च को 14 मामलों के बारे में पता था जो 41,557 फीसदी की वृद्धि के साथ 11 मई को 5,818 पर पहुंच गए.

इस बीच, महाराष्ट्र के अधिकारियों ने आखिरकार यह स्वीकार कर लिया कि राज्य के कुछ हिस्सों में सामुदायिक संक्रमण (कम्यूनिटी ट्रांसमिशन) हो रहा है. भारत में हर रोज़ 3,000 से 4,000 के बीच में मामले बढ़ रहे हैं जबकि चीन में गिनती के सिर्फ़ 1-10 के बीच.

यह वही चीन है जिसके वुहान शहर में पिछले साल दिसंबर के आख़िर में पहला मामला आया था. वहां एक समय इसने महामारी का रूप ले लिया था, लेकिन अब नियंत्रण में है. जब इस वायरस का पहला केस आया था तब यह बिलकुल ही नया वायरस था. न तो इस वायरस के बारे में जानकारी थी और न ही इसके फैलने के बारे में और न ही यह जानकारी थी कि इसे फ़ैलने से रोका कैसे जाए. इलाज और दवा की तो बात ही दूर थी. सबकुछ पहली बार हो रहा था. फिर भी चीन ने इस वायरस को नियंत्रित कर लिया.

लेकिन, जब इस वायरस के बारे में काफ़ीकुछ जान लिया गया, कैसे यह फैलता है, इसे कैसे रोका जा सकता है, तैयारी करने का समय भी मिल गया, तो भी कई देश स्थिति को काबू करने में नाकाम रहे. भारत अब उसी चीन से आगे निकल गया. वजह, भारत ने तैयारी नहीं की, लौकडाउन लागू करने में देर कर दी और स्वास्थ्य सुविधाएं लचर रहीं. मालूम हो कि भारत में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को सामने आ चुका था.

मौजूदा स्थिति में दुनिया में सबसे ज़्यादा कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या के मामले में भारत 11वें स्थान पर पहुंच गया है. अमेरिका जैसे पश्चिमी देशों में तो स्थिति बेकाबू हो गई थी, लेकिन अब उन अधिकतर देशों में स्थिति काबू में है. हालांकि, उन देशों में कोरोना संक्रमण के मामले काफ़ी ज़्यादा हो चुके हैं.

वैसे, भारत में कोरोना संक्रमण उस तेज़ी से नहीं फैला जैसे पश्चिमी देशों में फैला है. भारत ने कुछ हद तक इस पर नियंत्रण भी पाया है. हालांकि केरल और उत्तरपूर्वी राज्यों ने इसको काफ़ी हद तक नियंत्रित किया है, लेकिन कई राज्यों में स्थिति काबू में नहीं है. प्रवासी मज़दूरों के लौटने के बाद बिहार और ओडिशा में अब स्थिति बिगड़ने की आशंका है.

ये भी पढ़ें- #coronavirus: दुश्मन से लड़ना ही नहीं, साथ जीना भी होगा

तालाबंदी के तकरीबन 2 महीने होने को आए, लेकिन संक्रमण बढ़ने की तेज़ी में कमी नहीं आ पाई है. लेकिन आर्थिक हालात और ज़्यादा न बिगड़ें, इसलिए लौकडाउन में ढील दी जा रही है. हालांकि, ढील से संक्रमण के मामले बढ़ेंगे. वर्ल्ड हेल्थ और्गेनाइजेशन यानी डब्लूएचओ ने कह दिया है कि नोवल कोरोना वायरस हालफिलहाल दुनियाभर से खत्म होने वाला नहीं है. सो, दुनियावासियों को इसके संग जीना सीखना होगा. भारत आज चीन से जो आगे निकल गया है वह सुखद नहीं है. यह आगे निकलना देश के लिए नकारात्मकता है.

Summer special: सेहत से भरपूर है ककड़ी का भरवां

गर्मी के दिनों में ककड़ी का सेवन लगभग हर घरों में होता है.ये हमारे सेहत के लिए बहुत लाभदायक होती है. इसमें पानी अधिक मात्रा में होता है और ये जल्दी पच भी जाती है.ककड़ी में कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम और मैग्नीशियम अधिक होता है. यह पोटैशियम का भी एक बेहतर स्रोत है. पोटैशियम दिल के लिए जरूरी तत्व है. इससे हाई ब्लड प्रेशर कम होता है .इसके सेवन से आप डिहाइड्रेशन से बचे रह सकते हैं. यह पेट के लिए काफी हेल्दी होता है. इसके नियमित सेवन से कब्ज, सीने में जलन, एसिडिटी जैसी समस्याएँ नहीं होती.

हर दिन इसे खाने से डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल का लेवल सामान्य रहता है. डायबिटीज के रोगियों के लिए यह एक हेल्दी फल है. इसे खाने से इंसुलिन का स्तर कंट्रोल में रहता है.
वैसे तो ककड़ी हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होती है पर क्या आप जानते है की यह हमारी त्वचा के लिए भी बहुत फायदेमंद है.

यदि आपकी त्वचा तैलीय है, तो ककड़ी का एक टुकड़ा लेकर चेहरे पर रगड़ें.इससे चेहरे की चिकनाई दूर होगी . इसका रस चेहरे पर लगाने से दाग-धब्बे भी दूर होते हैं.
वैसे तो हम ककड़ी कच्ची ही खाते हैं पर क्या कभी आपने ककड़ी के भरवें के बारे में सुना है?यदि नहीं तो चलिए आज हम बनाते है ककड़ी का भरवां .ये खाने में बहुत ही स्वादिष्ट होता है.

हमें चाहिए-

ककड़ी -2
जीरा-1/4 टी स्पून
रिफाइंड आयल या सरसों का तेल -1 टेबल स्पून

ये भी पढ़ें- Mother’s Day 2020: जायकेदार मखनी मटर मसाला

सौंफ पाउडर-1/2 छोटी चम्मच
हल्दी पाउडर -1/4 टी स्पून
लाल मिर्च पाउडर-1/2 टी स्पून
धनिया पाउडर-2 टी स्पून
अमचूर पाउडर-1/4 टी स्पून
गरम मसाला-1/4 टी स्पून
नमक स्वादानुसार

बनाने का तरीका

1-सबसे पहले ककड़ी को अच्छे से पानी से धो लीजिये.फिर हर ककड़ी को लगभग 4-4 इंच के बराबर बराबर पीस में काट लीजिये.
2-फिर हर ककड़ी के पीस में एक साइड पर कट लगा दीजिये जिससे उसके अन्दर फिलिंग भरी जा सके.
3-अब एक बाउल में ऊपर दिए गए मसाले जैसे धनिया पाउडर,अमचूर पाउडर,लाल मिर्च पाउडर,हल्दी पाउडर,सौंफ पाउडर ,गरम मसाला और नमक डाल कर उसे अच्छे से मिला लें.अब उसमे 1 छोटी चम्मच रिफाइंड या सरसों का तेल डाल ले ताकि मसाला हल्का सा गीला हो जाये और फिलिंग के बाद बाहर न निकले.अब इस फिलिंग को ककड़ी के कट लगे वाले साइड में फिल करदे.ध्यान रखें की ज्यादा नहीं फिल करना है.
4-एक कढाई में 1 tablespoon सरसों का तेल या रिफाइंड आयल डाल कर उसे थोड़ा गर्म करें .अब उसमे जीरा डाल दें .
5-जीरा भुन जाने के बाद उसे फिल की हुई ककड़ी डाल दे.अब उसे अच्छे से मिलकर चला दे.और एक ढक्कन से कढाई को ढक दे.

ये भी पढ़ें- Mother’s Day 2020: पनीर मखनी

6-हर 3 से 4 मिनट के बाद ढक्कन खोल कर उसे चलते रहे.ऐसा 2 से 3 बार करें फिर उसे कलछी से दबा कर चेक कर ले की ककड़ी पक गयी है की नहीं.
7-अगर अब ककड़ी पक गयी है तो ढक्कन को हटाकर उसे खुले में पकाए.इससे उसका सारा पानी भी सूख जायेगा.अब जब भरवां पूरी तरह सूख जाये तो उसमे ऊपर से भुना हुआ धनिया ,गरम मसाला और अमचूर पाउडर भी डाल कर मिला सकती हैं.इससे स्वाद और बढ़ जायेगा.
8-अब उसे अच्छे से तेज़ आंच पर 1 से 2 मिनट चलाकर गैस बन्द कर दे. और इससे एक अलग प्लेट में निकाल ले.

#lockdown: आखिर कब पटरी पर जाएगी एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री- केरैक्टर आर्टिस्ट्स

हैलो कोई काम है क्या आज? आज, दिख तो नहीं रहा है, पर आ जाओं अगर कोई प्रसंग बनता है, तो आपको उसमें डाल देंगे, पर कोई निश्चित नहीं है, समझा. (मायूसी के स्वर में) ठीक है आता हूं, वैसे भी कई दिनों से कुछ काम नहीं किया है अगर मिल जाए. तो अच्छा रहेगा घर का किराया या अपना कुछ खाने-पीने का खर्चा चला लूंगा, ऐसा संवाद हर दिन मुंबई की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री  में रोज चलती रहती थी, पर आज लॉक डाउन ने इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है. जो फिल्में बन चुकी है वह भी रिलीज नहीं हो सकती क्योंकि थिएटर बंद है. ऐसे में जिसे डिजिटल पर रिलीज किया जा सकता है, उसे किसी तरह निर्माता निर्देशक रिलीज कर रहे है.

करोड़ों का नुक्सान इंडस्ट्री को हो चुकी है. करैक्टर आर्टिस्ट राह देख रहे है कि कब इंडस्ट्री फिर से पटरी पर आये और काम शुरू हो. ये सही है कि हिंदी फिल्म हो या टीवी इंडस्ट्री में एक बड़ी संख्या में चरित्र कलाकार काम करते है. महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों से अभिनय के शौकीन ये कलाकार हर रोज किसी न किसी प्रोडक्शन हाउस से फ़ोन का इंतज़ार करते रहते है, लेकिन इस लॉक डाउन ने लगातार काम करने वाले चरित्र कलाकार की स्थिति को बदतर बना दिया है. कुछ कलाकार जो सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (CINTAA) के मेंबर है और उन्हें थोड़ी बहुत सहायता राशि मिली है, लेकिन आगे क्या होगा, इस बारें में किसी के लिए भी कुछ सोचना संभव नहीं है. कैसे वे सरवाईव करते है आइये जानते है उन्ही से.

प्लान बी के बिना गुजारा संभव नहीं 

चरित्र अभिनेता के रूप में काम करने वाले अमर मेहता लॉक डाउन की वजह से वे अपने घर दहानू में है. बचपन से उन्हें अभिनय की इच्छा थी,पर आर्थिक स्थिति अधिक अच्छी नहीं थी. पिता ऑटो ड्राईवर थे और कुछ खेती उनके पास है. अभिनय के बारें में उन्हें कुछ जानकारी नहीं थी. कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद वे मुंबई आये. वित्तीय अवस्था अच्छी नहीं होने की वजह से जहाँ जो काम मिला करते गए. उस पैसे से उन्होंने एडिटिंग, एनिमेशन, शूटिंग आदि सब सीखना शुरू कर दिया. वे एक्टिंग के अलावा फिल्म से जुड़े हुए सारी तकनीक को जानते है, जिसका फायदा उन्हें अब मिल रहा है. शुरू में कमाई के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया पर आगे बढ़ने की इच्छा प्रबल रही, इस दौरान किसी दोस्त के परिचय से मीडिया इंडस्ट्री में मनोरंजन से सम्बंधित काम मिला, जिसकी वजह से उनका परिचय कई निर्माता निर्देशक से हुआ, जहाँ उन्होंने अभिनय की इच्छा जाहिर की.

ये भी पढ़ें- Lockdown: गांव में फंसी TV एक्ट्रेस रतन राजपूत, बिना सुविधाओं के ऐसे कर रही है काम

अमर कहते है कि इंडस्ट्री में पहले अपनी पहचान बनाना मुश्किल होता है, पर एक बार निर्माता निर्देशक काम को देखने के बाद मुश्किल नहीं होती. मुझे पहला ब्रेक ‘सावधान इंडिया’ के शो  में पुलिस की भूमिका मिली. इसके बाद क्राइम पेट्रोल, सी आय डी, कमांडो आदि कई धारावाहिकों और फिल्मों में काम मिलता गया. दर्शकों ने पुलिस और मेरी निगेटिव भूमिका को पसंद किया. इससे मेरा रास्ता और भी आसान होता गया. इंडस्ट्री पहले भी बहुत अच्छी नहीं चल रही थी, अब तो लॉक डाउन से हालत और अधिक ख़राब हो चुकी है. नया आने वाला व्यक्ति यहाँ आकर अपना गुजारा नहीं कर सकता, उसके लिए प्लान बी रहना जरुरी है, क्योंकि काम करने के बाद 60 या 90 दिन के बाद पेमेंट मिलता है. अभी तो बहुत सारे पैसे मिले भी नहीं है, क्योंकि लॉक डाउन है और प्रोडक्शन हाउस अपनी लाचारी बता रहा है. ऐसे में कुछ किया नहीं जा सकता. केवल धैर्य बनाये रखना पड़ता है. मैं दूसरा जॉब करता हूं, जिससे मेरा घर चलता है. प्लान बी के बिना इंडस्ट्री में नहीं टिक सकते. यहाँ लोग बदलते रहते है, ऐसे में रोज नयी शुरुआत होती है. हर दिन लोगों से मिलना पड़ता है. इंडस्ट्री की तरफ से मुझे कोई आर्थिक सहयता अभी तक नहीं मिली है. मेरे परिवार में सभी लोग साथ मिलकर रहते है इसलिए घर चल जाता है. लॉक डाउन की आड़ में आगे काम मिले तो भी सही पारिश्रमिक प्रोडक्शन हाउस से मिलना मुश्किल हो जायेगा. अभिनय के अलावा मैं ब्लॉग भी लिखता हूं.

आसान नहीं है अभिनय का मिलना 

जयपुर के रहने वाले चरित्र अभिनेता प्रमोद सैनी , इरफ़ान खान की फिल्मों से बहुत प्रभावित रहे है, क्योंकि वे भी राजस्थान से है. बचपन से वे सनी देओल और अमरीश पूरी की आवाज निकालते थे. घरवालों को ये चीजे पसंद थी. अभिनय में आना उनकी दिली इच्छा रही है. इसके लिए उन्होंने जयपुर में एक समर कैम्प में गए. वहां उन्हें अभिनय अच्छा लगा. इसके बाद जयपुर में उन्होंने नाटको, टीवी शोज और फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिका निभाते रहे. अभिनय को दिशा देने के लिए वे मुंबई आये. प्रमोद कहते है कि 7 साल पहले मुंबई आया था. यहाँ जिन दोस्तों के साथ रहता था. वे कुछ बताते नहीं थे. शुरू में कैसे क्या करना है, पता नहीं चल पाता है. बहुत मुश्किल था. मैंने टीवी शोज बहुत सारे किये है, जिसमें भाभी जी घर पर है, तारक मेहता का उल्टा चश्मा, सी आई डी, क्राइम पेट्रोल आदि है. इसमें मैंने हास्य अभिनेता की भूमिका अधिक की है, क्योंकि उसमें दर्शक मेरी इस भूमिका को अधिक पसंद करने लगे. ये सही है कि जिस भूमिका में आप जंचने लगते है वही किरदार आपको बार-बार मिलता है. मेरे काम से घरवाले भी बहुत खुश है, क्योंकि उन्हें मैं पर्दे पर दिखता हूं. लॉक डाउन होने के तुरंत बाद मैं जयपुर आ गया. नहीं तो मैं भी मुंबई फंस जाता. यहाँ मैं अपने घरवालों के साथ समय बिता रहा हूं. आगे क्या होगा समझना मुश्किल है, क्योंकि इसमें एक टीम काम करती है, इसलिए कोरोना वायरस के ख़त्म होने के बाद ही इंडस्ट्री शुरू हो तो अच्छा होगा. अभी तो जमा हुए पैसे से ही घर चला रहा हूं. मुंबई में 3 महीने का किराया जमा हो चुका है, जो बाद में देना पड़ेगा.

इसके आगे प्रमोद कहते है कि एक्टिंग एक ऐसी फील्ड है जहाँ कोई भी बिना ट्रेनिंग के कभी भी दुसरे शहरों से आ जाते है, जबकि ये क्षेत्र आसान नहीं है. यहाँ काम आसानी से कभी नहीं मिलता, ऐसे में बहुत सारे लोग परिवार को संकट में डाल देते है या फिर हताश होकर आत्महत्या कर लेते है. प्रतिभा ,धीरज और ट्रेनिंग के साथ यहाँ आना पड़ता है.

अभिनय प्रशिक्षण ने बचाया कास्टिंग काउच से 

कास्टिंग काउच फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में एक बड़ा मुद्दा है, जिससे तक़रीबन बड़े-बड़े एक्ट्रेस को भी गुजरना पड़ता है, जिसकी वजह से ‘मी टू मूवमेंट’ आई और कई बड़े कलाकार निर्माता निर्देशक इसकी जाल में फंसे. जबलपुर की चरित्र अभिनेत्री मोनिका गुप्ता का कहना है कि मुझे कास्टिंग काउच का सामना नहीं करना पड़ा, क्योंकि मैं अभिनय मैंने अभिनय में ट्रेनिंग ली है और मैं इन सब चीजो से परिचित हूं. ट्रेनिंग के दौरान काम की सारी बारीकियां बताई जाती है. लखनऊ में मैं सुमित से मिली थी जो आज मेरे पति है और अभिनय से ही जुड़े होने की वजह से मैं सब पहले से जान गयी थी. सुमित से मैं लखनऊ में भारतेंदु नाट्य एकादमी में मिली थी. मैंने अभिनय की शुरुआत डेढ़ हज़ार रुपये से की थी. कई बार काम के बाद पता चलता है कि मुझे पैसे कम मिले है. ‘शैतान हवेली’ वैसी ही वेब सीरीज है, जिसमें मैं चुड़ैल बनी, प्रोस्थेटिक मेकअप 9 घंटे तक लगाना पड़ा था. काम करते-करते ही ये सब सीखना पड़ता है. काम मेरे लिए जरुरी है, क्योंकि इससे मुझे घर भी चलाना पड़ता है. अभी तक कोई चेक बाउंस नहीं हुआ ये भी एक बड़ी बात है.

अभिनय एक कला है, जो इन बोर्न होता है, जिसे ट्रेनिंग से इम्प्रूव किया जा सकता है. इसकी प्रेरणा आसपास के परिवेश से ही मिलती है.  मोनिका गुप्ता आगे कहती है कि बचपन में मैंने अमिताभ बच्चन की फिल्म ‘आज का अर्जुन’ देखी, उसमें जया प्रदा और अमिताभ बच्चन की भूमिका से बहुत प्रभावित हुई. बचपन से मैंने कथक सीखा है और डांस में मुद्राएं होती है, जिससे अभिनय को भी बल मिला. घरवालों को मेरी एक्टिंग के बारें में समझाने में समय लगा. मेरी दीदी और बड़े भाई ने मुझे आगे बढ़ने में बहुत सहयोग दिया. 12 वीं कक्षा की पढाई के बाद मैंने विवेचना ग्रुप के साथ थिएटर करना शुरू किया. फिर मैंने लखनऊ में ‘भारतेंदु नाट्य एकादमी’ मैंने ट्रेनिंग लेकर दिल्ली गयी. कुछ दिनों तक वहां काम करने के बाद मुंबई आ गयी. मुंबई में ऑडिशन का दौर शुरू हुआ. साथ ही आरम्भ ग्रुप के साथ नाटकों में काम करना शुरू कर दिया. धीरे-धीरे एड फिल्म्स, टीवी शोज, फिल्म्स, वेब सीरीज आदि में काम मिलने लगा. मुंबई में टिके रहना आसान नहीं होता. जो भी काम मिलता है उसे करती रहती हूं. इससे बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है. काम कमोवेश मिलता है, पर बहुत अच्छा काम अभी तक नहीं मिला है उसकी तलाश जारी है.

लॉक डाउन के बाद के बारें में मोनिका कहती है कि अभी मैंने एक जी थिएटर प्रोजेक्ट किया था, जिसमें मुझे अच्छी राशि मिली. इसके अलावा अदानी के प्लांट में थिएटर से जुड़े है. काम अभी नहीं है और कब शुरू होगा पता नहीं. सिंटा की मेम्बर होने की वजह से कुछ पैसे मिले है, इसके अलावा सलमान खान की बीइंग ह्युमन की तरफ से भी पैसे मिले है. चिंता का विषय है,क्योंकि इंडस्ट्री में काम के 3 महीने बाद एक्टर्स को पैसे मिलते है. इसके अलावा मैंने पिछले दो सालों से कोई काम नहीं किया, क्योंकि नहीं मिला, पर साथ-साथ में थिएटर करना, इंडिया बेस्ट ड्रामेबाज़ टू में एक्टिंग मेंटोर का काम आदि किया है. इससे परिवार सम्हल जाता है. संघर्ष हमेशा चलता रहता है. इसके अलावा मुंबई में थिएटर का कल्चर बहुत अच्छा है. यहाँ कलाकार को कोई बांध कर नहीं रखता और एक अच्छी ऑडियंस भी यहाँ है. वित्तीय और मानसिक रूप से कलाकार संतुष्ट रहता है.

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन में हुआ एक और TV कपल का ब्रेकअप, 1 साल भी नहीं चला रिश्ता

सही जानकारी का मिलना जरुरी 

ये सही है कि किसी भी फिल्म, टीवी और वेब की कास्टिंग आजकल हर बड़े शहरों में होती है, जिसमें दिल्ली, लखनऊ, भोपाल, इलाहाबाद आदि कई स्थानों पर कास्टिंग डायरेक्टर जाते है और फ्रेश टैलेंट ढूंढकर लाते है ऐसे में अभिनय की इच्छा रखने वाले कलाकारों को एक अच्छा मौका अभिनय करने के लिए मिलता है इसलिए अपने शहर में रहकर अभिनय की प्रैक्टिस करना सबसे बेहतर होता है. अभी मुंबई में लॉक डाउन में फंसे चरित्र कलाकार भूपेंद्र शाही कहते है कि ग्रेजुएशन के बाद दिल्ली गया और कई स्थानों पर अभिनय की ट्रेनिंग के बाद मुंबई आया. मैं यू पी के गांव देवरिया से हूं और टीवी देखते हुए अभिनय का कीड़ा दिमाग में आया. पिता अरविन्द शाही रेलवे में काम करते थे. मुझे अभिनय की इच्छा थी, पर कैसे बनेगे, पता नहीं था. थिएटर और ट्रेनिंग कुछ जानकारी नहीं थी, इसलिए जब मैं बनारस पढने गया, तो वहां मुझे नाटकों के बारें में पता चला और मैंने उस दिशा में प्रशिक्षण के बारें में सोचा और आगे बढ़ता गया. मेरी भाषा सही नहीं थी, भोजपुरी थी, जिसे ठीक करने के लिए दिल्ली गया और 2 साल तक थिएटर किया. फिर मुंबई आया और मेरी वित्तीय अवस्था को पिता ने सम्हाला. मुझे हमेशा निगेटिव चरित्र मिलता है, जिसे सभी पसंद करते है. पहला सीरियल ‘अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो’ मिला था. इसके बाद सी आई डी, दिया और बाती हम आदि कई धारावाहिकों में काम मिलता गया. इसके अलावा कई फिल्में और वेब सीरीज के लिए बात चल रही है. किसी में एक या दो दृश्य तो किसी में बड़ी भूमिका भी मिल जाती है. इससे घर आसानी से चला लेते है. करीब 7-8 साल संघर्ष बहुत रहा, लेकिन अब ये ठीक हो चुका है. लॉक डाउन ख़त्म होने के बाद कुछ अच्छा होने की उम्मीद है. अभी मुंबई में मकान मालिक ने किराया आधा कर दिया है, इससे थोड़ी राहत मिल रही है. काम के दौरान ये सीखा है कि जो भी आपको मिलता है, उसे करते रहे. किसी प्रकार की राजनीति में न पड़े.

फ़िल्मी दुनिया के रास्ते है कठिन  

फ़िल्मी दुनिया दूर से ग्लैमरस लगती है और करीब आने पर संघर्ष का सिलसिला चलता रहता है, लेकिन टिकते वही है जिसमें काम करने की लगन मेहनत, धीरज और प्रशिक्षण हो. बिना इसके इंडस्ट्री में काम मिलना संभव नहीं. बचपन से अभिनय की शौक रखने वाले इलाहाबाद के चरित्र अभिनेता सुमित गोस्वामी की भी कहानी कुछ ऐसी ही है. एक फिल्म अवार्ड फंक्शन को देखकर उनके मन में इस क्षेत्र में आने की प्रेरणा मिली. वे मनोज बाजपेयी और आशुतोष राणा से काफी प्रभावित थे और सोचते थे कि अगर बिना किसी फ़िल्मी बैकग्राउंड के अगर ये कलाकार सफल हो सकते है, तो उनके लिए भी करना मुश्किल नहीं और उस दिशा में चल पड़े. अपनी जर्नी के बारें में सुमित कहते है कि इलाहाबाद में अपनी पढाई ख़त्म करने के बाद मैंने 5 साल तक थिएटर में काम किया. इसके बाद मैंने लखनऊ में भारतेंदु नाट्य एकादमी में अभिनय प्रशिक्षण लिया. वहां साल 2005 में मुझे स्कॉलरशिप 2000 रुपये मिलते थे जो मेरे लिए बहुत था. उस दौरान पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट में भी आने का मौका मिला और अभिनय से जुड़ी सारी बारीकियां सीखने को मिली. इसके बाद 15 हजार रुपये लेकर मुंबई आया था और एक महीने ऑडिशन देने के बाद ‘लेफ्ट राईट लेफ्ट’ में काम मिला. इसके बाद महुआ चैनल पर बडकी मलकाइन सीरियल में काम किया और साथ ही पृथ्वी थिएटर से जुड़ गया. वहां कई जाने माने कलाकारों से परिचय हुआ और काम मिलने का सिलसिला शुरू हो गया. इसके अलावा अदानी के कॉर्पोरेट थिएटर से भी जुड़ गया हूं. मुझे कॉमेडी बहुत पसंद है, पर मैं इमोशनल भी करता हूं. इंडस्ट्री में आकर काम करना बहुत संघर्षपूर्ण है. कितना भी काम करने पर भी आप हमेशा नए ही रहते है. हर रोज संघर्ष रहता है. मुझे हर तरीके की भूमिका पसंद है और करना भी चाहता हूं, लेकिन इस लॉक डाउन से जिंदगी थोड़ी अनिश्चित हो गयी है. इस समय मैंने कुछ कविताओं को रिकॉर्ड कर यू ट्यूब पर डाला है. मेरी पत्नी मोनिका गुप्ता भी इसी क्षेत्र से है इससे काम की सहूलियत थोड़ी अधिक है, क्योंकि इस क्षेत्र में मानसिक सहयोग की जरुरत पड़ती है जो मुझे अपनी पत्नी से मिलता है. यहाँ आने वालों को मेहनत करने का जज्बा रखना पड़ता है अगर ये नहीं है तो फ्रस्ट्रेशन होता है.

ये  भी पढ़ें- लॉकडाउन वेडिंग: ‘भल्लालदेव’ से पहले इस साउथ सुपरस्टार ने की शादी, वायरल हुईं Photos

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें