#coronavirus: इन 9 टिप्स से घर पर बच्चों को करें Engage

कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के कारण पूरे देश  में सभी स्कूल ऑफिस मॉल आदि असमय ही बंद कर दिए गए हैं. जिस कारण आप और  बच्चे घर पर ही हैं. अब बच्चों का घर पर होना कहीं ना कहीं  मुसीबत बन रहा होगा.ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि बच्चों का मान किस काम की ओर लगाएं ताकि वह सारे दिन  उधमबाजी न करते रहें.

अभी हाल में ही शिल्पा शेट्टी ने अपने इंस्टाग्राम पोस्ट पर एक पोस्ट शेयर किया है जिसमें उन्होंने बताया है कि ऐसे समय में बच्चों के साथ कैसे वक्त बिताया जा सकता है. इस वीडियो में उन्होंने बच्चों के साथ की जा सकने वाली एक्टिविटीज DIY शेयर की है और उन्होंने उसमें एक कैप्शन भी लिखा है

– मैं अपने बच्चे को कैसे बिजी रखूं? ये हर पैरेंट के दिमाग में इस समय यही सवाल है. हमें ही इसके लिए कुछ करना होगा. जब आप ये सुनेंगे कि, “मम्मी, मैं ऊब गया हूँ !!” और आप उन्हें आईपैड नहीं देना चाहते हैं तो आप क्या करेंगे!….

इस वीडियो में वह अपने बच्चे के साथ  टाई एंड डाई करती दिख रही हैं.

तो क्यों ना आप भी इन टिप्स की मदद से अपने बच्चों के साथ एक अच्छा वक्त बिताएं.  आइए जानते हैं

1. टोकन इकोनॉमी

हम उनके लिए टोकन इकोनॉमी की योजना बना सकते हैं.आप सोचेंगी कि टोकन इकोनॉमी क्या है? इसमें बच्चों के हर अच्छे काम के लिए अच्छे अंक देंगे और बुरे काम के लिए नकारात्मक अंक (अच्छे काम और बुरे काम माता-पिता और बच्चे दोनों द्वारा तय करेंगे. महीने के अंत तक यदि अंक सकारात्मक होंगे तो उन्हें उपहार मिलेगा.

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2. एक स्टॉप वॉच लें और उन्हें सिखाएं कि इसका उपयोग कैसे करें

उदाहरण- बच्चा कितने समय तक  एक पैर पर खड़ा रह सकता है या कितने समय तक किसी ऑब्जेक्ट को बिना पलके झपके निहार सकते हैं इस तरह के गेम्स बच्चे के साथ खेले और उसे इंवॉल्व करें.

3. रसोई को ट्रेनिंग स्कूल में बदल दें

यदि आपका बच्चा बहुत छोटा है तो समय सेक्स करन और बच्चे से कहें उस समयस किचन में आकर सभी सब्जियों और फलों के कलर और नेम पहचाने और यदि बच्चा थोड़ा बड़ा है तो उसे सभी सब्जी फल धोने का काम सिखायें.

या फिर आप बच्चे को किचन या बाथरूम में मेजरमेंट भी सिखा सकती हैं. इसके लिए गिलास या मग का प्रयोग करें.

4. डिनर टाइम इंजॉय करें

यह वह समय है जब घर पर हर मेंबर डिनर टेबल पर साथ बैठकर और बोल सकता है. आप अपने बच्चों को इस समय अपने साथ बिठायें. उनसे बातें करें उनसे चुटकुले सुने और उन्हें चुटकुले सुनाए. उन्होंने सारे दिन क्या किया यह जानने की कोशिश करें.अपने बच्चों के साथ हंसी के साथ बात करें.उनके साथ बचपन का खेल साझा करें. उनको नए विचारों का आइडिया दें

5. उनके साथ कुछ गेम खेलें

बच्चों के साथ इनडोर गेम्स खेलने का यह सबसे अच्छा मौका है. जैसे की शतरंज लूडो कार्डस, जंबल ,वर्ड्स मेकिंग ,सूडोको आदि.

6. गैजेट्स का टाइमर सेट करें

कहीं ऐसा ना हो घर में बच्चे सारे दिन ही यूट्यूब वीडियोस या मोबाइल से ही चिपके रहें इसके लिए टाइमर सेट कर दे ताकि बच्चे फिक्स टाइम पर यूट्यूब आईपैड और मोबाइल का उपयोग करें बाकी टाइम और किसी दूसरी क्रिएटिविटी में लगायें.

7. बुक रीडिंग हैबिट डिवेलप करें

यह बेस्ट टाइम है बच्चों में रीडिंग हैबिट डिवेलप करवाने का बच्चों को पढ़ने के लिए कुछ अच्छी किताबें दें या ऑनलाइन उपलब्ध ई बुक्स पढ़वायें. साथ ही खाली समय में बच्चों को स्टोरीज लाने मैथ्स साइंस जैसे विषयों पर कोई न कोई टिप्स बतायें. हां बस इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे असमय स्कूल बंद होने की वजह से पढ़ाई से पीछे ना हो इसलिए दिन के 2 घंटे स्कूल स्टडीज के लिए भी सेट करें.

8. खाने की आदत में सुधार करें

यह बेस्ट टाइम है जब आप बच्चों की ईटिंग हैबिट्स में कुछ बदलाव कर सकती हैं. अधिकतर बच्चे जंक फूड खाना ही पसंद करते हैं. इस समय आप घर में रहकर बच्चों के साथ डिफरेंट डिफरेंट चीजें ट्राई कीजिए. इसमें बच्चों का भी इंवॉल्वमेंट कर सकती हैं. जैसे कि स्मूदी, सलाद, जूस आदि और बच्चों को भी दे और खुद भी पीयें.

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9. बच्चे की पसंद की एक्टिविटी

यदि आपके बच्चे को ड्राइंग पेंटिंग डांस सिंगिंग या इंस्ट्रूमेंट पसंद है तो अप्रिशिएट करें और उसके साथ आप भी इंटरेस्ट लें. असमय में स्कूल,आफिस बंद होने का सदुपयोग करें .यह बेस्ट टाइम होगा आप लोगों की बॉन्डिंग स्ट्रांग बनाने के लिए.

डॉक्टर स्वाति मित्तल, मनोवैज्ञानिक फोर्टिस हॉस्पिटल दिल्ली.

डॉक्टर प्रकृति पोद्दार, एक्सपर्ट इन मेंटल हेल्थ डायरेक्टर ऑफ पोद्दार वैलनेस लिमिटेड से बातचीत पर आधारित.

#coronavirus: लाइफ इन Lockdown

जुवेंटस (फुटबौल क्लब) के मिडफील्डर समी खेदिरा पियानो बजाना सीख रहे हैं, ला लीगा के क्लब प्लेस्टेशन पर एक दूसरे का मुकाबला कर रहे हैं और एटलांटा के रोबिन गोसेंस अपनी परीक्षा (मनोविज्ञान) की तैयारी कर रहे हैं. उच्च स्तर से लेकर लोअर लीगों के हजारों फुटबॉल खिलाड़ियों का लॉकडाउन में यही हाल है. जबकि कोरोना वायरस पूरे यूरोप में फैलता जा रहा है. यह खिलाड़ी न सिर्फ अपनी बोरियत दूर करने में लगे हुए हैं बल्कि इनकी जिम्मेदारी अपने को फिट रखने की भी है ताकि जैसे ही स्वास्थ्य सलाहकार हरी झंडी दिखाएं वैसे ही यह खेलना चालू कर दें.

जहां अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) पर टोक्यो 2020 खेल स्थगित करने का दबाव बढ़ता जा रहा है, वहीं ओलंपिक पदक की प्रबल भारतीय उम्मीद बजरंग पुनिया गांव खुदान (जिला झज्झर, हरियाणा) में अपने घर में कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण ‘कैद’ हैं, वह विदेश जाकर प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं. इसलिए घर पर बैठकर ही (जीत की) योजना बना रहे हैं. पुनिया कहते हैं, “इस कठिन समय में हर किसी के लिए आवश्यक है कि अपना हाइजीन स्टैंडर्ड बनाये रखे. मैं भी यही कर रहा हूं. साथ ही मैं यह सुनिश्चित कर रहा हूं कि जो कुछ मैं खाऊं वह सब घर का बना हो और बाहर से न आया हो. मेरा टॉप गोल इंजरी मुक्त रहना भी है.”

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आईपीएल अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है. मुंबई इंडियंस के स्तंभ व वेस्टइंडीज के सीमित ओवर के कप्तान कीरन पोलार्ड का मानना है कि कोविड-19 महामारी के कारण जो ब्रेक मिला है, वह करियर के बारे में ‘मंथन’ करने के लिए अच्छा समय है और खिलाड़ियों को इसका उपयोग ‘मानसिक व शारीरिक रूप से फिट’ रहने के लिए करना चाहिए. वह कहते हैं, “खुद को गुड शेप में रखो ताकि जब घंटी बजे और वह कहें ‘ओके, हर चीज सामान्य हो गई है’ तो हम टूर पर निकल जायें.”

ये तो सेलिब्रिटीज की बातें हैं, लेकिन इस लॉकडाउन में आम आदमी क्या कर रहा है? एक कैब ड्राइवर मोहन कुमार ने एक वीडियो पोस्ट किया है, जो वायरल (मालूम नहीं कि कोरोना वायरस के दौर में ‘वायरल’ शब्द प्रयोग करना ठीक है या नहीं) हो रहा है, जिसमें वह कहते हैं कि लॉकडाउन में उनके लिए घर पर रुकना विकल्प नहीं है. अगर वह एक सप्ताह तक सड़क से दूर रहेंगे तो अपने परिवार की रोटी का इंतजाम कैसे करेंगे और अपनी कार की मासिक किस्त कैसे चुकायेंगे? वर्किंग प्रोफेशनल्स ऑफिस न जाकर अपने घर से ही लॉग-इन कर सकते हैं, अगर वह कोरोना वायरस के लिए पॉजिटिव टेस्ट होते हैं या क्वारंटाइन में रहते हैं तो उन्हें अपनी कंपनी से पेड-लीव व अन्य उपचार सुविधाएं मिल जायेंगी, लेकिन दुनियाभर में अधिकतर गिग वर्कर्स (जो जितना काम उतना मेहनताना पर अनुबंधित होते हैं) को कम्पनियां फुल-टाइम कर्मचारी नहीं मानती हैं, इसलिए उन्हें एम्प्लोयी बेनिफिट जैसे गारंटीशुदा वेतन व सिक लीव नहीं मिलते हैं.

साथ ही ऐसे कामगार घर पर भी नहीं रुक सकते क्योंकि उनका काम लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना, फूड, ग्रोसरी, दवा आदि डिलीवर करना होता है. ध्यान रहे कि कोरोना वायरस के कारण फूड ऑर्डर्स बहुत कम हो गये हैं, जिससे डिलीवरी एजेंट्स का इंसेंटिव व कुल आय प्रभावित होते हैं. मराठी कामगार सेना के अध्यक्ष महेश जाधव का कहना है, “कैब ड्राइवर्स अपनी बचत को खर्च कर रहे हैं. दैनिक ट्रिप कम हो गई हैं. हमें नहीं मालूम कि ऐसा कब तक चल पायेगा.” लॉकडाउन को लेकर अलग-अलग वर्गों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं. घर में खाली बैठना आसान काम नहीं होता है, घबराहट भी होती है और डर भी लगता है, खासकर सोशल मीडिया पर अफवाहों व फेक न्यूज के कारण.
गलत सूचनाएं कितनी घातक हो सकती हैं, खासकर खाली बैठे व्यक्ति को जब वह थोक में मिल रही हों, इसका अंदाजा स्वास्थ्य विभाग को मिल रही पैनिक कॉल्स से लगाया जा सकता है. डर का आलम यह है कि पिलखुवा (जिला हापुड़, उत्तर प्रदेश) में 22 मार्च को 32 वर्षीय सुशील कुमार ने जब अपने अंदर कोरोना वायरस-जैसे लक्षण (खांसी व बुखार) देखे तो शेविंग ब्लेड (उस्तरे) से अपना गला काटकर आत्महत्या कर ली ताकि ‘वायरस उसके दो बच्चों में न पहुंच सकें’. गौरतलब है कि सुशील कुमार सैलून चलाता था. लॉकडाउन के कारण कुछ लोगों ने अपने परिवार में होने जा रहे विवाह को स्थगित भी किया है. मसलन, अमरोहा (उत्तर प्रदेश) के इस्लामनगर मोहल्ला के नसीम अहमद की बेटी की शादी 22 मार्च को होना तय थी, जिसे उन्होंने स्थगित कर दिया.

नसीम अहमद ने बताया, “मैं लोगों की जानें खतरे में नहीं डाल सकता, इसलिए अपनी बेटी का निकाह स्थगित कर दिया है.” लेकिन ऐसे दुस्साहसियों की भी कमी नहीं है जो लॉकडाउन का विरोध करते हुए कोरोना पार्टियों का आयोजन कर रहे हैं. युवा जर्मन वयस्क ‘कोरोना पार्टियों’ का आयोजन कर रहे हैं और बुजुर्ग व्यक्तियों की तरफ मुहं करके खांस रहे हैं. स्पेन में एक व्यक्ति अपनी बकरी की रस्सी पकड़कर, लॉकडाउन को ठेंगा दिखाते हुए, वाक पर निकल जाता है. फ्रांस से लेकर फ्लोरिडा तक काईटसर्फर, कॉलेज छात्र व अन्य समुद्र तटों पर एकत्र हो रहे हैं. मोरक्को से मेरठ तक युवा लॉकडाउन का उल्लंघन करने में अपनी शान समझ रहे हैं. कोरोना वायरस को नियंत्रित करने के लिए सरकारी आदेशों व वैज्ञानिक सलाहों का यह विरोध प्रशासनों को पसंद नहीं आया है और अनेक जगहों पर बल प्रयोग की जरूरत भी पड़ी है.

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वायरस विद्रोही यह समझते हैं कि नियम तोड़कर वह हीरो बन जायेंगे. लेकिन नहीं, वह पागल हैं और अपने लिए विशेषरूप से खतरा हैं. इस दौर में अक्लमंदी यह है कि कनेक्टिकट (अमेरिका) में जब एक व्यक्ति कोरोना वायरस से मर रहा था, तो उसके लिए पास्टर बिल पाइक ने फोन से ही अंतिम प्रार्थना की, नर्स ने रोगी के कान पर फोन लगा दिया था. टाइमपास हमेशा से ही महान भारतीय परम्परा रहा है, लॉकडाउन में तो इसका अधिक अवसर मिल गया है कि ताश खेलो, लूडो खेलो… गाने गाओ व फिल्म देखो. हां, अब जब लॉकडाउन का सोशल डिस्टेंसिंग भी जब अहम हिस्सा है, तो ‘जुम्मा चुम्मा दे दे’ जैसे गाने गाना ‘अपराध’ है, लेकिन क्या किया जाये कि ‘बस यही अपराध मैं बार बार करता हूं /आदमी हूं आदमी से प्यार करता हूं’. खैर, मजाक छोड़ो, अब जब घर पर हो और करने के लिए कुछ नहीं है तो अपने हाथों से ताली बजाओ और उन्हें नियमित धोते भी रहो.

ज़िंदगी एक पहेली: भाग-4

पिछला भाग- ज़िंदगी-एक पहेली: भाग-3

अविरल सुमि से काफी जुड़ाव महसूस करता था.  पर जैसा की हम जानते हैं की समाज की निगाह में एक लड़का और एक लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते. तो बहन का रिश्ता  तो बहुत दूर की बात है. स्कूल change  होने के बाद अविरल और सुमि एक दूसरे से मिलना  तो दूर बात भी नहीं कर पाते  थे.  अविरल और सुमि कभी- कभी अमित  के घर पर मिलते थे. अब आगे-

सुमि आसू से नफरत करती थी. इसका शायद एक  कारण यह भी था कि अविरल ही सुमि को आसू  के बारे में सब कुछ बता चुका था जैसे कि आसू की गुंडागर्दी, उसके कई अफेयर और ब्रेकअप. सुमि अविरल को आसू की propose करने वाली बात बताकर  उसे दुखी नहीं करना चाहती थी. इसलिए  उसने यह बात अविरल से  नहीं बताई.

सारी बातों से अनभिज्ञ अविरल को अब आसू का साथ अच्छा लगने लगा था. अब वह अपना कॉलेज बंक करके आसू के साथ ही घूमता रहता. वह अनु से भी बातें छुपाने लगा. अनु से अविरल थोड़ा दूर होने लगा. अनु को दुःख तो होता था लेकिन वह यह देखकर खुश होती कि अविरल अब घर से बाहर भी खुश रहने लगा. अब अविरल थोड़ा सा खुलने लगा था, उसका हकलापन भी अब पहले से थोड़ा कम हो गया था. लेकिन अगर अविरल नर्वस होता तो उसका हकलापन कई गुना बढ़ जाता.

आसू का बर्ताव अब धीमे धीमे बदलने लगा था. वह लड़कियों से दूर रहने लगा था. कुछ अनमना सा रहता था आशू. अविरल ने कई बार आसू से कारण पूंछा लेकिन हर बार वह बहाना बनाकर चला गया.  लेकिन एक  दिन अविरल ने बहुत जिद की तो आसू ने बुरा न मानने का promise लेकर बता दिया कि वह सुमि से मोहब्बत करने लगा है. अविरल के पैरों के नीचे  से जमीन खिसक गयी. उसे आसू की मोहब्बत पर विश्वास नहीं हुआ. उसे लगा कि आसू दूसरी लड़कियों की तरह ही सुमि  के  साथ भी फ्रॉड करेगा. अविरल वहां से उठा और बिना कुछ बोले वहां से चला गया. आसू को भी कहीं न कहीं ये शक था कि कहीं अविरल भी तो सुमि को प्यार नहीं करता.

अविरल अपने घर चला गया और रात दिन इसी बारे में सोचता रहा. अविरल को आसू के बदलते रवैये को लेकर उसके प्यार में कुछ सच्चाई तो नजर आई लेकिन वह कंफ्यूज था. उसने अमित के घर में सुमि से इस बारे में बात की तो सुमि ने सारी बात बताई. यह जानकर अविरल को बड़ा आश्चर्य हुआ कि ये बात 1 महिना पुरानी है और आसू जैसा बिगड़ा हुआ लड़का दोबारा सुमि के पास नहीं गया. अब अविरल को आसू की बातों पर विश्वास हो चला था.

कुछ दिनों तक अविरल आसू के घर नहीं गया. एक  दिन आसू के पापा अविरल  के घर आए.  उन्होंने बताया कि काफी दिनों से आसू की हालत ठीक नहीं है उसका किसी चीज में मन नहीं लगता है.  उसका खाना-पीना भी बहुत कम हो गया था.  अभी कुछ दिनों पहले ही उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई थी तो उसे हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ा था और एक दिन पहले ही आसू डिस्चार्ज होकर घर आया है.  अविरल आसू से मिलने आसू के घर पहुंचा तो उसे आसू के कमरे से रोने की आवाज़ सुनाई दी.  वह खिड़की के बाहर से  छुपकर देखने लगा. आसू अन्दर सुमि की फोटो लेकर बुरी तरह रो रहा था . तभी जाकर अविरल ने उसका हाथ पकड़ लिया.  आसू अविरल के गले लग बुरी तरह रोते हुए बोला ,“मैं सारी बुरी आदतें छोड़ दूंगा, प्लीज मेरी मदद करो”.

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आसू ने अविरल को बताया कि वह हर समय सुमि को देखने के लिए सुमि के घर के रास्ते  में बैठा रहता और छुपकर उसे देखता रहता.  जिस भी दिन सुमि नहीं दिखती, कहीं भी उसका मन नहीं लगता.  अविरल को आसू पर बहुत दुख हुआ और अविरल ने उसका साथ देने का निश्चय किया.

अविरल ने सुमि से आसू के बारे में बात की लेकिन सुमि तो आसू से नफरत करती थी तो सुमि ने साफ-साफ अविरल से बोल दिया कि मेरे सामने आसू की बात मत करना.  अविरल अब अपने आप को बीच में फंसा हुआ महसूस कर रहा था.  उसका मन बिल्कुल भी पढ़ाई में नहीं लगता था.  अनु जब भी उसे कोई question  पूछती, उसके बारे में अविरल को कुछ भी पता नहीं होता. अनु थोड़ा गुस्सा भी होती और उसे समझाती भी, लेकिन अब अनु की बातें अविरल को अच्छी नहीं लगती थी. अब अविरल अनु की बाते अनसुनी करने लगा था. वह अपनी कोचिंग में एक्सट्रा क्लास का बहाना बना कर अपनी कोचिंग 1 घंटे पहले ही  चला जाता और 1 घंटे बाद आता था.  बाकी का सारा समय वह आसू और उसके दोस्तों के बीच बिताने लगा.

अविरल ने आसू के बारे में पल्लवी से बात की और पल्लवी से सुमि को  समझाने के लिए बोला.  अब अविरल और पल्लवी अक्सर सुमि से  आसू की बातें बताते  रहते . ऐसा होते होते 6 माह और बीत गए.  और कहते हैं ना कि पत्थर पर बार-बार रस्सी घिसने से पत्थर पर भी निशान बन जाता है तो सुमि तो इंसान थी.

अब सुमि को भी लगने लगा था कि शायद आसू बदल गया है.  आसू हर दिन उसके कोचिंग आने और जाने का इंतजार करता और जैसे ही सुमि दिखती वह छुप जाता था.  सुमि को उसकी यह हरकत देखकर मन ही मन बहुत हंसी आती .

शायद अब सुमि के मन में कहीं ना कहीं आसू के लिए जगह बनने लगी थी.  अब वो भी जब आते जाते आसू को देख लेती तो आंखें झुका कर निकल जाती थी.  पल्लवी और सोनी का घर आसपास ही था तो वे दोनों रोज मिलती थी और उन दोनों के बीच में रोज ही आसू की बातें होती थी.  अब  सुमि को आसू की बातें अच्छी लगने लगी थी.  इसका एहसास पल्लवी और अविरल को भी हुआ.  अविरल  ने खुशी होकर आसू को सारी बात बताई. आसू भी बहुत खुश हुआ.

आसू अब एनसीसी में सीनियर हो चुका था था तो उसने अविरल का एडमिशन भी एनसीसी में करा लिया.  अविरल अब केवल खाने और सोने के लिए ही घर पर रहता था.  अनु को अविरल की इन हरकतों से बहुत दुख होता था.  अनु ने अविरल को बैठा कर उससे बात की तो अविरल  को भी एहसास हुआ कि वह क्या कर रहा है? लेकिन अब अविरल के लिए काफी देर हो चुकी थी. अविरल का फाइनल एक्जाम आने वाला था.  और कुछ समय बाद अविरल का फाइनल रिजल्ट आया जो कि बहुत ही खराब था.  अविरल ने आसू की मदद से एक फर्जी रिजल्ट बनवाया और घर में दिखाया.  लेकिन अनु को इस बात पर शक था क्योंकि वह जानती थी कि अविरल ने बिल्कुल भी पढ़ाई नहीं की है.

अनु भी मेडिकल की तैयारी कर रही थी और उसका सेलेक्शन MBBS  में हो गया.  घर में सभी लोग बहुत खुश थे.  अनु के पापा और अनु काउंसलिंग के लिए दिल्ली गए और अनु का एडमिशन करा दिया गया.  एडमिशन के बाद अनु और उसके पापा वापस देहरादून आ गए.  अनु को 15 दिन बाद हॉस्टल जाना था.  अविरल को जब यह बात पता चली उसे बहुत दुख हुआ.  वह अनु से बोला कि, “दीदी यही पढ़ाई कर लो ना”.

अनु का भी दिल्ली जाने का मन नहीं था तो उसने अपने पापा से बात की.  अनु के पापा अपने बच्चों की भावना समझते थे तो उन्होंने बड़े प्यार से बच्चों को समझाया कि अनु  को देश का सबसे अच्छा कॉलेज मिला है.  बहुत समझाने के बाद अविरल और अनु  मान तो गए लेकिन उनका मन बेचैन था.

अगले भाग में हम जानेंगे की अविरल के जीवन में अब कौन सा बड़ा तूफान उसका इंतज़ार कर रहा था ?

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लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-6)

पिछला भाग- लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-5)

‘‘हैपी बर्थ डे मौसी’’

गिफ्ट ले पुलकित मुख से गुस्सा दिखाया दुर्गा ने, ‘‘कहा था न गिफ्ट मत लाना.’’

वो हंसी. आज बहुत ही सुंदर लग रही है वो एकदम ओस धूली अभीअभी खिली फूल जैसी. कल ही घमासान हुई है बंटी के साथ पर बंटी के चेहरे पर उस की कोई झलक तक नहीं. हंस कर बोला,

‘‘हाई बेबी.’’

‘‘हाई आंटी, नमस्ते. कैसी हैं आप?’’

‘‘ठीक हूं बेटी. पर मंजरी के बिना मेरी शौपिंग, पार्टी, मूवी सब सूनी हो गई. लोग कितनी उमर तक बैठे रहते हैं और उसे ही जल्दी पड़ी थी मुझे छोड़ जाने की. उन्होंने सुगंधित रूमाल सूखे आंखों पर रगड़ा, दुर्गा ने परिवेश भारी होते देख प्रसंग बदला, ‘‘तुझे लंच पर बुलाया था और तू मेहमान की तरह अब आ रही है.’’

बैठ गई शिखा, एक माजा उठाया.

‘‘क्या करूं काम इतना बढ़ गया है कि…’’

कहते ही मन ही मन उस ने सिर पीटा, यह क्या कह गई दुश्मनों के सामने.

‘‘हां सुना है तू ने बड़ी कुशलता से बिजनैस को बढ़ाया है मंजरी जो छोड़ गई थी उस से दो गुना हो गया है…’’

‘‘मुझे भला क्या आता है मांजी? सब दादू की मेहनत है.’’

‘‘हां सुना है अब विदेश में भी खूब काम चल पड़ा है.’’

‘‘खूब तो नहीं बस पैर रखा ही है. बेचारे दादू ही दोतीन बार विदेश दौड़े इस उम्र में अकेले तब जा कर…’’

‘‘तू भी तो सब छोड़ लगी पड़ी है.’’

‘‘लगना पड़ता है. ईमानदारी और सिनसियर ना हो तो बिजनैस मजधार में डूबता है.’’

एकपल के लिए उस ने मांबेटे पर नजर डाली. देखा दोनों का मुंह फूल गया है. नंदा ने बड़ी चालाकी से बात संभालने का प्रयास किया, ‘‘बेबी, हमें सब से ज्यादा खुशी है, तुम्हारी कामयाबी से, पर तुम्हारी मां की जगह मैं हूं इसलिए तुम्हारे लिए चिंता और डर मन में लगा ही रहता है.’’

‘‘क्यों आंटी?’’

‘‘समय अच्छा नहीं है लोग जलते हैं दूसरों को फलताफूलता देख. इसलिए जो है उसे छिपा उल्टी बात प्रचार करना चाहिए.’’

‘‘मतलब बिजनैस डूब रहा है, दीवाला निकल रहा है यही सच…’’

‘‘एकदम ठीक.’’

शिखा खुल कर हंसी,

‘‘अब समझी आंटी बंटी यही बात क्यों कहता है, लोग भी मान चुके हैं कि मेहता संस के बुरे दिन आ गए.’’ नंदा का मुख तमतमा उठा, बंटी के जबड़े कस गए. नथूने फूल उठे. दुर्गा ने बात संभाली,

‘‘बेबी, नमकीन ले चाय पीएगी? बनवा दूं?’’

शाम को ही लौटने का मन बना कर गई थी शिखा पर नहीं लौट पाई. मौसी ने रात के खाने तक रोक ही लिया. इस बीच दुर्गा मौसी ने टूटे तार को जोड़ने की बहुत कोशिश की, धीरेधीरे माहौल सामान्य भी हो गया. खाना खातेखाते 9 बज गए. मौसी ने चिंता जताई,

‘‘बेबी, इतनी रात हो गई तू अकेली जाएगी.’’

‘‘9 ही तो बजे हैं मौसी. मैं चली जाऊंगी. शंकर दादा हैं तो साथ में.’’

शंकर ‘‘कुंजवन’’ के पुराने ड्राईवर हैं. मंजरी नौकरों को नौकर ही समझती थी पर पापा ने ही सिखाया था कि बड़ों का सम्मान करो भले ही वो नौकर ही क्यों ना हो.

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‘‘बंटी तुझे पहुंचा आता.’’

‘‘अरे नहीं रात कहां है?’’

‘‘दिल्ली का माहौल क्या है देख तो रही है. बेबी मुझे तेरी बड़ी चिंता रहती है. अकेली लड़की?’’

‘‘अकेली कैसे? पूरा घर साथ में है.’’

‘‘फिर भी…समय का काम समय पर ही होना चाहिए.’’

अब तेरी एक नहीं सुनूंगी. कल ही पंडितजी को बुला महुरत निकलवाती हूं.

‘‘महुरत?’’

‘‘हां… बंटी भी कब तक बैठा रहेगा?’’ नंदा बोल पड़ी,

‘‘हमारी तो आफत हो गई है. रोज दोचार लड़की वाले आ बैठते हैं.’’

नरम स्वर में शिखा ने कहा

‘‘वो तो होगा ही आंटी, आप का बंटी हीरा जो है.’’

‘‘तू ही बता कब तक मना करूं?’’

‘‘मना कर ही क्यों रही हैं. कर दीजिए न शादी.’’

‘‘कैसे कर दूं. मंजरी को वचन दिया था उस का पालन ना करने का पाप कैसे सिर पर लूं?’’

दुर्गा ने समर्थन किया

‘‘बात सच है. मंजरी तेरी शादी बंटी से ही तय कर गई है.’’

‘‘शादी तो मुझे करनी है, और मैं बालिग भी कब की हो चुकी तो मैं ही तय करूंगी कि किस से शादी करूंगी.’’

‘‘पर बेटा बंटी तेरा बचपन का दोस्त है. वो तुझे चाहता है.’’

‘‘मौसी मुझे छोड़ उस के दर्जनभर दोस्त और भी हैं जिन को वो चाहता है तो क्या उन सब से शादी करेगा?’’

बंटी चीखा.

‘‘शिखा, जबान संभाल के बात करो,’’

‘‘मैं भी चाहती हूं तुम से बात ना करूं. मजबूर किया गया बोलने को. मौसी मैं चली. याद रखना इन के साथ मुझे अपने घर कभी मत बुलाना.’’

उस के निकलते ही नंदा बेटे पर झिड़की.

‘‘बापबेटे कटोरा ले चौराहे पर खड़े होना.’’

बचने की आखरी उम्मीद है शिखा. उसे नाराज कर दिया नालायक अब डूबो मझधार में. तेवर दिखाने चला तो शिखा को.

‘‘बात सही है. बचना चाहो तो बेबी को मनाओ.’’

घर लौटते हुए शिखा ने मन ही मन निर्णय लिया कि आज की घटना के विषय में दादू को कुछ नहीं बताएगी. उस की गाड़ी की आवाज सुनते ही जानकीदास ड्राईंगरूम में आ गए. शिखा हंसी.

‘‘मुझे पता था मेरे लौटने तक तुम बैठे रहोगे. रात की दवाई ली?’’

‘‘बस अब ले कर सीधे सोने जाता हूं.’’

‘‘साड़े दस बज गए.’’

‘‘हां तू भी जा कर सो जा टीवी या किताब ले मत बैठना. अपने कमरे में आ कर फ्रैश हो ली शिखा. नरम फूल सा नाईट सूट पहन बिस्तर पर बैठ क्रीम लगाते हुए आज उस ने हलका महसूस किया. मेहता परिवार में आज मातम छा गया होगा. एक बड़ा सा सपनों का महल था उन के सामने उस के दम पर उछलते फिर रहे थे. जल्दी से शादी कर उस के दम पर अपने को सड़क पर आने से बचाना चाहते थे. उधेड़बुन में ना रख कर शिखा उन की सारी आशाओं की जड़ ही काट आई. उस का अपना सिर दर्द समाप्त हुआ. बत्ती बंद कर वो लेट गई. मां उस की शुभचिंतक कभी नहीं रही. सदा ही उस की इच्छा, पसंद, शौक का गला दबा अपनी दिशा में हांकती रही. उस की छोटीछोटी खुशियों की हत्या कर मन ही मन अपनी जीत पर गर्व करती रही. उस के प्यार को भी उस से छीन पता नहीं कहां कितनी दूर फेंक दिया जिसे वो इस जीवन में नहीं खोज पाएगी. सुकुमार वचन का पक्का है वचन दे कर गया है कि अब कभी उस को अपना मुख नहीं दिखाएगा.’’

उस दिन तो शिखा ने मां को ही समर्थन किया था उसे अपने से बहुत नीचे स्तर का कह धिक्कारा था. व्यंग किया था, पैसों का लालची कहा था और गेट से बाहर निकाल दिया था. उस दिन के बाद वो कभी नहीं दिखाई दिया ‘कुंजवन’ के बाहर आते ही तो शिखा की प्यासी व्यथित दोनों आंखें उसी को खोजती हैं पर कहां है वो, कहां चले गए तुम? मेरे मुंह के बोल सुन मुझे छोड़ गए एक बार मेरी आंखों में भी तो झांकते मन को पढ़ते कि मैं ने ऐसा क्यों किया? मुझे समझने की कोशिश करते. तुम मेरे बचपन के प्यार हो, तुम मुझे कैसे छोड़ गए बस मेरे दो मुंह के बोल सुन कर. लौट आओ प्लीज, मेरे पास लौट आओ. मैं बहुत अकेली हूं. उस ने आंसू पोंछे. मां जातेजाते उस के साथ एक और शत्रुता कर गई. बंटी से उस के विवाह की बात कह कर उसे सिर चढ़ा गई. मेहता परिवार तो आसमान पर छलांगे लगाने लगा खास कर बंटी. सब के सामने ऐसा दिखाने लगा मानो उस का विवाह ही हो चुका है शिखा के साथ, जबकि शिखा ने एक दिन भी घास नहीं डाली उसे. राजकन्या के साथ पूरा साम्राज्य मुट्ठी में आ रहा है. बंटी ने अय्याशी बढ़ा दी, चमचे भी जुट गए. व्यापार डूबने लगा तो क्या, शिखा तो अपने व्यापार को चौगुना बढ़ा रही है ब्याह होते ही सब कुछ मुट्ठी में, तब तक जरा हिचकोले खा ही लेंगे. आज शिखा रोजरोज की फजिहत की जड़ ही काट आई है. इतनी देर में उसे नींद आई.

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#coronavirus से जंग: जानें क्या है Quarantine, isolation और Social Distancing, ऐसे बरतें सावधानी

लेखक- रीता शर्मा

कोरोना संक्रमण के चलते पहले प्रधानमन्त्री जी की अपील के साथ “जनता कर्फ्यू” और उसके बाद यूपी के 15 जिलों में 25 मार्च तक लौक डाउन, दिल्ली/राजस्थान में 31 जिलों में पूरी तरह बंद कर दिया गया है जबकि सभी इमर्जेंसी सर्विस और दूध/किराने की दुकान खुले रखने के आदेश हैं ताकि लोगों की जरूरतें पूरी होती रहे. अभी विशेषज्ञ आइसोलेशन, क्वॉरेंटाइन और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दे रहे हैं.. साथ ही कुछ और भी शब्द इस्तेमाल हो रहे हैं तो इस सलाह पर अमल करने से पहले जानना जरूरी है कि क्वॉरेंटाइन आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग, पैंडेमिक (महामारी) का मतलब क्या है और इसे कैसे मेनटेन करना है?

पैंडेमिक

कोरोना वायरस को SARS Covid नाम के जाना जाता है.. इसे Covid – 19 इसलिए लिखा जा रहा है क्यू कि इसका पहला केस 2019 में दर्ज किया गया था. WHO ने इसे पैंडेमिक यानी की महामारी घोषित कर दिया है.. कोई भी बीमारी जब  किसी एक देश या क्षेत्र से निकल कर वैश्विक स्तर पर फैल जाए और उसे काबू में लाना बहुत मुश्किल हो रहा हो तभी पैंडेमिक या महामारी शब्द का इस्तेमाल करते हैं.

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क्वॉरेंटाइन

कैंब्रिज डिक्शनरी के अनुसार “क्वॉरेंटाइन का मतलब वो नियत समय है जहां किसी भी बीमारी या उसके फैलने से रोकने के लिए सभी व्यक्ति/पशु को एक दूसरे से अलग अलग रखा जाता है.”

क्वॉरेंटाइन का मतलब 14 दिन अकेले रहना भी होता है स्वास्थ्य लाभ के लिए, अभी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सभी को 14 दिन के होम क्वॉरेंटाइन की सलाह दे रहा है ताकि वायरस से होने वाले संक्रमण के कैरियर को तोड़ा जा सकें.. 14 दिन में खत्म/कम हो जाएगा ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्यू कि Covid – 19 की संक्रमण अवधि 14 दिन की ही होती है.. इस बीच लोग एक दूसरे से नहीं मिले तो संक्रमित लोगों के ठीक होने के साथ ही खत्म हो जाएगा और नए फैल न पाने से खत्म हो जाएगा.. चीन ने इसी तरह इस महामारी को लगभग मात दे दी है और अब वो इटली की मदद में लग गया है तो यहां जरूरी है कि हम सभी इस बात की गंभीरता समझते हुए खुद और देश के हित में इसका कड़ाई से पालन करें.

आइसोलेशन

आइसोलेशन भी क्वॉरेंटाइन से मिलता जुलता ही है.. लेकिन यहां संक्रमित व्यक्तियों को स्वस्थ व्यक्तियों से अलग रखने को कहा जा रहा है.. जैसा कि TB होने पर रोगी को आइसोलेट करने की बात की जाती है, जहां रोगी के उपयोग की सभी वस्तुएं अलग कर दी जाती है और उसे समय समय निर्देशानुसार संक्रमित रहित यानी की केमिकल से साफ किया जाता है और रोगी के पास से निकलने वाला कचरा भी निर्देशानुसार ही नष्ट किया जाता है.. इसकी जानकारी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की वेबसाइट पर भी दी गई है l

अभी सुनने में भी आया था कि सेलिब्रिटी कनिका कपूर के पॉजिटिव आने के बाद उनसे मिलने गए नेता दुष्यंत सिंह ने खुद को आइसोलेट कर लिया था..

सोशल डिस्टेंसिंग

हम सभी के मोबाइल फोन पर भी कौलर ट्यून तक बता रही है कि सभी को 1 मीटर की दूरी रखकर रहना चाहिए और दूसरों से मिलने से परहेज करें.. कोई इमर्जेंसी होने पर एक मीटर की दूरी बनाकर बाहर जाए और बात करें. हर सर्दी, खांसी, जुकाम कोरोना नहीं हो सकता है लेकिन फिर भी मास्क का इस्तेमाल करें.. अगर हाथ का इस्तेमाल किया है तो तुरंत इसे अच्छे से साबुन से 20 मिनट तक रगड़ कर साफ पानी से धो ले और अगर धो नहीं सकते तो सेनेटाइजर का इस्तेमाल करें. सर्दी जुकाम होने पर अपने डॉक्टर से जरूर बात करें या दिए गए हेल्प लाइन नंबर पर भी सलाह ली जा सकती है.. नंबर प्रदेश के अनुसार अलग अलग है जो स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार की वेबसाइट पर सभी को मिल जाएंगे. कोई भी सर्दी, खांसी, जुकाम पीड़ित कोरोना से ग्रसित नहीं हो सकता है लेकिन फिर भी एतिहात रखते हुए प्राइवेट, सरकारी अस्पताल या हेल्प लाइन नंबर पर सलाह जरूर ले.. सावधानी ही इसका बचाव भी है.

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US CDC ( Center for Disease Control and Prevention) के अनुसार स्पैनिश फ्लू जैसी महामारी के चलते 1918-19 में आइसोलेशन और क्वॉरेंटाइन का इस्तेमाल किया गया था. अमेरिकी संविधान के अनुसार “सरकार किसी भी महामारी को रोकने के लिए आइसोलेशन और क्वॉरेंटाइन का इस्तेमाल कर सकती है और इसको न मानने वाले पर जुर्माने का भी प्रावधान है.”

भारत में भी स्थिति की विकटता को देखते हुए राज्य सरकारों द्वारा कुछ समय के लिए लाॅक डाउन किया जा रहा है और सेल्फ क्वॉरेंटाइन आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग की सलाह दी जा रही है.. इससे डरने या घबराने की जरूरत नहीं है. हम सबको मिलकर इसका पालन करना चाहिए ताकि वायरस का कैरियर टूट जाए और स्थिति जल्दी सामान्य हो जाए.

बेटी संग वक्त बिताना पसंद करते हैं ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ फेम एक्टर, पढ़ें पूरी खबर

साल 2007 में टीवी शो ‘श्रद्धा’ से अभिनय कैरियर की शुरुआत करने वाले एक्टर बरुन सोबती दिल्ली के है. सीरियल ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ उनकी चर्चित शो रहा, जिसमें उन्होंने एक गुस्सैल बिजनेसमैन की भूमिका निभाई थी. इस शो ने उनकी जिंदगी बदल दी और वे घर-घर में पहचाने जाने लगे. काम के दौरान ही उन्होंने अपनी प्रेमिका पश्मीन मनचंदा से शादी की. आज वे अपने कैरियर से खुश है और कलाकारों के इस दौर को सबसे अधिक बेहतर मानते है. वहीं वेब सीरीज ‘असुर –वेलकम टू योर डार्क साइड’ वूटसेलेक्ट पर रिलीज हो चुकी है. उनसे बातचीत हुई, पेश है खास अंश.

सवाल-असुरवेब सीरीज क्या कहने की कोशिश कर रही है?

असुर वेब सीरीज एक तरह की मायथोलॉजिकल कहानी पर आधारितहै, जिसेआज के परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर लिखी गयी है. इसमें ये बताने की कोशिश की गयी है कि सीरियल किलर के अपराध को फोरेंसिक एक्सपर्ट किस तरह से अंजामकी कहानी तक पहुंचाते है.

 

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Welcome to your dark side? #Asur

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सवाल- इस तरह को करते वक़्त आप किस तरह की तैयारियांखुद करते है?

मैं ऐसी कहानियां पढने और देखने में रूचि रखता हूं. मुझे जब पहली बार इस कहानी को कही गयी,तो मैंने देखा है कि भारत में इस तरह की कहानियां उपर-उपर से दिखाया जाता है. ये रीयलिस्टिक शो है, जिसमें मुझे उस किलर की तरह दिखनाऔर सोचना था, जो मुशिकल था. मैंने एक दिन बाथरूम में बैठकर सोचा भी था कि क्या ये कहानी मैं सही तरह से कर पाऊंगा? लेकिन मेरी इस और की रूचि ने मुझे इस किरदार को करने में अहम् भूमिका निभाई.

सवाल- ऐसी कहानी को दिखाना और देखना दोनों ही हमारे समाज और परिवार के लिए घातकहोते है, क्योंकि कई बार ऐसी फिल्मों को देखकर अपराधी दिमाग अपराध करता है, आप इस बारें में क्या सोच रखते है?

ऐसी कहानी खतरनाक होती है, लेकिन ये अलग तरह की है, जहाँ एक काम किसी एक के लिए अपराध या आसुरी प्रवृत्ति वाली है, वही वह दूसरे के लिए अच्छा है. एक व्यक्ति के दिमाग में किसी भी घटना को लेकर क्या चलता रहता है उसके सही और गलत फैसले को दिखाया गया है, जो मेरे हिसाब से गलत नहीं. सीरियल किलर को समाज ने ही बनाया होता है. इसलिए लोगों को सही बातों को आज समझकर उसके अच्छी पहलू को अपनाना जरुरी है.

 

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#Asur

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सवाल- ये सही है कि सीरियल किलर का जन्म समाज और परिवार में ही होता है, लेकिन ऐसा क्या होता होगा कि लोग अपने सही रास्ते से भटक कर गलत रास्ता अपना लेते है? किस प्रकार का प्रेशर उन्हें रहता है? इस बारें में आप क्या कहना कहते है?

ये बहुत सही बात है, क्योंकि हर इंसान इतना समझ सकता है कि क्या सही क्या गलत है और इसमें भगवान् की मर्ज़ी कुछ नहीं होती. अगर कोई भी गलत काम करने वाला व्यक्ति एक बार भी इस बारें में सोचे तो उसे पता लगेगा कि वह क्या कर रहा है, क्योंकि मारकाट से दुनिया ही ख़त्म हो जाएगी, जिसमें उसके लव्ड वन भी नहीं बच सकेंगे. अच्छाई और बुराई वाली फाइट हर दिन व्यक्ति को अपने अंदर करनी पड़ती है. इसके अलावा पेरेंट्स की परवरिश भी बहुत माइने रखती है, जो जन्म के साथ उन्हें मिलती रहती है.

सवाल-अभिनय में आने की प्रेरणा आपको कैसे मिली? परिवार का सहयोग कितना रहा?

मेरे परिवार वालों ने कभी मुझे किसी काम से रोका नहीं, अगर वे ऐसा करते तो शायद मैं यहां तक नहीं पहुंच पाता. मैंने 17 साल की उम्र सेकाम करना शुरू कर दियाथा, इसलिए मैंने बहुत कम उम्र से ही सारे निर्णय खुद लेता रहा. दिल्ली से मुंबई भी तब आ गया था. बचपन से ही मध्यम वर्गीय परिवार की तरह ही हीरो टाइप इमेज मेरे अंदर रहता था और जब इसको पंख मिले तो उड़ना आसान हो गया. मुझे आमिर खान की फिल्में बहुत पसंद थी. अगरमैं एक्टर न बनता, तो फुटबॉल का कोच बनता, क्योंकि मुझे स्पोर्ट्स बहुत पसंद है.

 

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Sifat❤️??‍?

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सवाल- कोई शो जिसने आपकी जिंदगी को बदल दी हो?

एक शो ‘बात हमारी पक्की’ के बाद से लोगों को लगने लगा था कि मैं एक्टिंग कर लेता हूं.मेरी जिंदगी को उसी ने बदला है. मैं किसी भी नकारात्मक बात को अपनी जिंदगी में आने नहीं देता. मुझे लगता है कि जब व्यक्ति अपनी बात को किसी को सही तरह से समझा नहीं पाता तभी झगडे होते है.

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सवाल- एक्टिंग के अलावा क्या करना पसंद करते है?

मैं घूमना-पसंद करता हूं, पर अभी मेरी एक महीने की बेटी है, इसलिए उसके साथ समय बिताता हूं, अधिक घूम नहीं सकता. इसके अलावा एक फिल्म की कहानी लिख रहा हूं उसे प्रोड्यूस करने की इच्छा है.

‘जनता कर्फ्यू’ के दौरान इस वजह से ट्रोलिंग का शिकार हुईं सोनम, ट्रोलर्स ने कही ये बात

भारत में कोरोनावायरस का असर आम जनता ही नहीं सेलेब्स पर भी देखने को मिल रहा है. विदेश काम से जाने वाले सेलेब्स को भी हाउस अरेस्ट का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में 4 महीने बाद न्यूयॉर्क से मुंबई लौटे अनुपम खेर, कोरोना वायरस के डर से सेल्फ आइसोलेशन में हैं. वहीं उनके खास दोस्त अनिल कपूर ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया था, लेकिन अब उनकी बेटी सोनम कपूर इस वीडियो को लेकर ट्रोलिंग की शिकार हो रही हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला….

वीडियो में अनुपम खेर के लिए गाना गाते नजर आए अनिल कपूर

सोशल मीडिया पर अनिल कपूर का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें कोरोना की वजह से एक्टर अनुपम खेर बालकनी में और अनिल कपूर सड़क पर खेड़ होकर बातें कर रहे हैं. इसी बातचीत का वीडियो सोनम कपूर ने अपने ट्विटर हैंडल पर शेयर किया, जिसके कारण वह ट्रोलिंग का शिकार हो गईं.

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ट्रोलर्स ने कही ये बात

वीडियो के चलते सोनम कपूर को ट्रोल करते हुए एक यूजर ने लिखा, ‘तुम्हारे पिता इतने मस्त एक्टर हैं लेकिन तुम गद्दार निकली.’ तो दूसरे ने लिखा, ‘ये कर्फ्यू है कोई राष्ट्रीय छुट्टी नहीं है. प्लीज समझाओ अपने पापा को.’ जबकि एक यूजर ने सोनम कपूर को धरती का बोझ बता दिया है.

बता दें, एक्टर अनुपम खेर और अनिल कपूर बहुत अच्छे दोस्त हैं और जब भी वह विदेश यात्रा से लौटते हैं तो अपने घर जाने से पहले वो अनिल कपूर के घर जाते हैं. लेकिन कोरोना के डर के कारण वह इस बार अनिल कपूर के घर ना जकर सीधे घर पहुंच और अपने आपको आइसोलेट करने का फैसला लिया. पर जब यह बात अनिल कपूर को पता चली तो वह अनुपम खेर के घर के बाहर पहुंच कर गाना ‘तेरे घर के सामने एक घर बनाऊंगा’ गाने लगे.

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#coronavirus: दिल्ली में Lockdown जारी, जानें क्या बंद और कौनसी सेवाएं चालू

भारत में कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है. जहां मरीजों की संख्या 359 हो गई है तो वहीं मरने वालों की संख्या सात हो गई है, जिसके बाद अब उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सरकार ने बड़ा कदम उठा लिया है. दरअसल रविवार शाम दिल्ली के मुख्यमंत्री ने लौकडाउन करने का फैसला किया, जिसका असर आम जनता पर पड़ा है.

31 मार्च तक रहेगा Lockdown

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप-राज्यपाल अनिल बैजल ने रविवार को कोरोना वायरस के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए दिल्ली के सात जिले भी 23 मार्च सुबह 6 बजे से 31 मार्च तक लॉकडाउन करने का फैसला किया हैं.

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Lockdown से जनता पर पड़ेगा असर

दिल्ली में 31 मार्च तक Lockdown से कई सेवाएं बंद हो जाएंगी, जिनमें पब्लिक ट्रांसपोर्ट भी शामिल रहेगा. हालांकि जरूरत के सामानों की दुकानें खुली रहेंगी, जैसे राशन मेडिकल जैसी दुकानें.

ये सेवाएं रहेंगी बंद

लॉकडाउन में पब्लिक ट्रांसपोर्ट जैसे प्राइवेट बसें, टैक्सी, रिक्शा, ई-रिक्शा बंद रहेंगे. जबकि डीटीसी की बसें 25 फीसदी चलेंगी. वहीं सभी दुकान, बाजार, ऑफिस, गोदाम, साप्ताहिक बाजार, प्रतिष्ठान बंद रहेंगे, लेकिन राशन आदि की दुकानें खुली रहेंगी. दिल्ली से सटे सभी बॉर्डर सील होंगे, ले किन जरूरी सामान आएंगे. साथ ही इंटरस्टेट बसें, ट्रेनें और मेट्रो और दिल्ली में आने वाली इंटरनेशनल फ्लाइट बंद रहेंगी.

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इन पर भी पड़ेगा असर

दिल्ली में चल रहे सभी निर्माण कार्य भी 31 मार्च तक बंद करने का फैसला लिया गया है. वहीं सभी धार्मिक केंद्र, चाहे वह किसी भी धर्म के हो, बंद किए गए हैं. साथ ही प्राइवेट जौब वाले लोगों को देखते हुए सरकार ने कहा है कि दिल्ली में प्राइवेट दफ्तर बंद रहेंगे, लेकिन कर्मचारी ऑन ड्यूटी रहेंगे. ऐसे में कर्मचारियों को पूरी सैलरी देनी दी जाएगी. चाहे वह परमानेंट हो या कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे हों.

#coronavirus: कोरोना वायरस पर एक हाउसवाइफ का लेटर

कोरोना,तुम मेरे देश को जानते नहीं? हम तुम्हें गोबर से भी भगा सकते हैं. तुम ने यहां आ कर एक हाउसवाइफ के साथ अन्याय किया है. जब तुम्हारे डर का शोर मेरे बेटे के स्कूल में मचा तब मैं फेशियल करवा रही थी.

पति अमित टूर पर थे. मेरा मोबाइल बजा. वैसे तो मैं न उठाती, पर स्कूल का नाम देख कर उठाना ही पड़ा. मैसेज था अपने बच्चे को ले जाओ. ऐसा धक्का लगा न उस समय तुम्हें बहुत कोसा मैं ने. उस के बाद हमारी किट्टी पार्टी भी थी. टिशू पेपर से मुंह पोंछ कर मैं बंटी को लेने उस के स्कूल पहुंची. ऊपर से बुरी खबर. स्कूल ही बंद हो गए. बंटी को जानते नहीं हो न? इस की छुट्टियां मतलब मैं तलवार की नोक पर चलती हूं, कठपुतली की तरह नाचती हूं.

अमित जब बाहर से गुनगुनाते हुए घर में घुसते हैं इस का मतलब होता है मैं अलर्ट हो जाऊं, कुछ ऐसा हुआ जो अमित को तो पसंद है, पर मुझ पर भारी पड़ेगा. वही हुआ. तुम्हें यह लिखते हुए फिर मेरी आंखें भर आई हैं कि अमित के पूरे औफिस को अगले 3 महीनों के लिए वर्क फ्रौम होम का और्डर मिल गया. वर्क फ्रौम होम का मतलब किसी हाउसवाइफ से पूछो.

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तो वर्क फ्रौम होम शुरू हो गया. मतलब अमित अब आराम से उठेंगे, उन के चायनाश्ते का टाइम अब तय नहीं होगा. मतलब मेरा मौर्निंग वाक अब गया तेल लेने… बंटी और अमित अब पूरा दिन रिलैक्स करेंगे कि पूछो मत. बंटी के स्कूल तो शायद कुद दिनों बाद खुल भी जाएंगे, पर अमित? 3 महीने? घर पर? वर्क फ्रौम होम? लैपटौप खुला रहेगा, रमाबाई की सफाई पर छींटाकशी होती रहेगी, मेरे अच्छेभले रूटीन पर कमैंट्स होते रहेंगे. बीचबीच में चाय बनाने के लिए कहा जाएगा, बाजार का कोई काम कहने पर ‘घर में तो काम करना मुश्किल हो जाता है,’ डायलौग है ही.

अमित कितने खुश हैं. अब मैं भीड़ से बचने के लिए वीकैंड पर मूवी देखने के लिए भी नहीं कहूंगी. ट्रेन, फ्लाइट की भीड़ से भी बचना है. यह भी तो नहीं कि अमित अगर घर पर हैं तो कुछ ऐक्स्ट्रा रोमांस, मुहब्बत जैसी कोई चीज हो रही है… अब तो साबुन, टिशू पेपर, सैनेटाइजर की ही बातें हैं न… कितनी बार हाथ धोती हूं, हाथों की स्किन ड्राई हो गई है…

और यह मेड भी तो कम नहीं. पता है कल रमाबाई क्या कह रही थी? कह रही

थी, ‘‘दीदी, मेरा पति कह रहा है, कोरोना कहीं तुम्हें मार न दे… रमा सब लोग वर्क फ्रौम होम ले रहे हैं… तुम भी 10 दिन की छुट्टी ले लो.’’

मैं ने घूरा तो भोली बन कर बोली, ‘‘दीदी क्या करें, आप लोगों की चिंता है… हम ही कहीं से न ले आएं यह कोरोना का इन्फैक्शन.’’

मैं अलर्ट हुई. जितना मीठा बोल सकती थी, उतना मीठा बोली, ‘‘नहीं रमा, तुम चिंता न करो… जो होगा देखा जाएगा… तुम आती रहना. बस आ कर हाथ अच्छी तरह धो लिया करो,’’ मन ही मन सोचा कि अमित और बंटी की छुट्टियां और कहीं यह भी गायब हो गई तो कोरोना के बच्चे, तुम्हें मेरे 7 पुश्ते भी माफ नहीं करेंगे.

बंटी और अमित की फरमाइशों पर नाचतेनाचते ही न मर जाऊं कहीं… हाय, ये दोनों कितने खुश हैं… उफ, अमित की आवाज आई है… बापबेटे का मन शाम की चाय के साथ पकौड़ों का हो आया है… वर्क फ्रौम होम है न, तो अब औफिस की कैंटीन की चटरपटर की आदत तो मुझे ही झेलनी है न… छोड़ो, मुझे कोरोना की बात ही नहीं करनी.

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लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-5)

पिछला भाग- लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-4)

पता नहीं उसी दिन से सुकुमार एकदम गायब हो गया, कहीं भी कभी भी किसी को दिखाई नहीं दिया. हवा में कपूर की तरह अदृश्य हो गया. फिर तो मम्मा ने उसे ‘लंदन’ ही भेज दिया एमबीए करने. इस घटना से बंटी का खून दुगना हो गया ऊपर से मम्मा की शह पा वो शिखा को अपनी व्यक्तिगत संपत्ति ही मानने लगा. मम्मा ने कई बार दोनों की मंगनी की बात कही अवश्य थी पर वो भी व्यस्त थीं तो बात बस बात ही बन कर रह गई है अभी तक. शिखा ने उसे कभी पसंद नहीं किया अब मम्मा के बाद तो उठतेबैठते उसे काटती है. पता नहीं सुकुमार अब कहां है. किस हाल में है. भावुक लड़का, शिखा को खो कर कहीं उस ने आत्महत्या तो… सिहर उठी. ना…ना भगवान, वो जहां भी हो उस की रक्षा करना, उसे स्वस्थ और सुखी रखना. एक प्रतिभा की अकालमृत्यु मत होने देना प्रभू.

आंसू पोंछे शिखा ने लैपटौप औन करते ही कल की घटना याद हो आई लंच के बाद से सिर थोड़ा भारी हो रहा था. घर आ कर सोने की सोच रही थी कि बंटी आया. ठीक उसी चाल से दनदनाता आ कर कुरसी खींच बैठ गया. कोई औपचारिकता की परवा किए बिना. पीछे से रामदयाल सहमा सा, डरा सा झांकने लगा शिखा ने इशारा किया तो वो चला गया. गुस्से से सिर जल रहा था पर संयम और धैर्य की शिक्षा उस ने पापा से ली है नहीं तो मम्मा जैसी महिला को झेलना आसान नहीं था. बंटी सीधे अपने मुद्दे पर आया, ‘डील तो तुम ने कर ली पर इतनी बड़ी सप्लाई तीन महीने में दे पाओगी?’

शिखा ने सामने की खुली फाइल बंद की और कुरसी की पीठ पर ढीली पड़ गई.

‘‘लगता है मेरे बिजनैस को ले कर तुम को मुझ से भी ज्यादा चिंता है.’’

‘‘क्यों न हो. दो दिन बाद मुझे ही तो संभालना है.’’

‘‘ओ रिऐली, मुझे तो पता नहीं कि मैं सब कुछ छोड़ कर सन्यास ले रही हूं.’’

‘‘सन्यास की बात किस ने की? शादी के बाद दायित्व तो दायित्व मेरा ही होगा.’’

‘‘किस की शादी?’’

‘‘सारी दुनिया जानती है मैं तुम्हारा मंगेतर हूं.’’

‘‘कोई रस्म हुई है क्या?’’

‘‘वो भी कर लेते हैं. अब मुझे शादी की जल्दी है.’’

‘‘तुम को होगी ही अपनी डूबती नाव को किनारे पर लाने की, पर मेरे साथ ऐसी कोई समस्या नहीं.’’

‘‘अरे आंटी का दिया वचन…’’

‘‘नशे में धुत् हो कर कोई भी अपने को भारत का प्रधानमंत्री घोषित करे तो क्या वो हो जाएगा.’’

रंग उड़ गया बंटी का, ‘‘क्या कह रही हो?’’

‘‘जो तुम सुन रहे हो.’’

‘‘सारा समाज जानता है आंटी ने वचन दिया था.’’

‘‘मैं भी जानती हूं इस बात का प्रचार तुम लोगों ने ही जोरशोर से किया है. उस से कोई फर्क नहीं पड़ता. जाने दो यह काम का समय है तुम को कोई काम हो तो कहो.’’

नरम पड़ा बंटी,

‘‘देखो इतना बड़ा सप्लाई इतने कम समय में कोई एक कंपनी तो दे नहीं पाएगी तुम को कई कंपनियों से काम करवाना पड़ेगा. एक लाट हमें भी दे दो.’’

‘‘सौरी,’’ मैं ठेका दे चुकी.

‘‘मुझे बताया तक नहीं?’’

‘‘नहीं. पहला विदेशी आर्डर है. मैं ने उन को काम दिया है जिन पर मुझे भरोसा है, विश्वास है. तुम पर विश्वास का ही प्रश्न नहीं तो भरोसा क्या होगा?’’

बंटी का गोरा मुख लाल हो गया. शिखा ध्यान से उसे देख रही थी. वो वास्तव में हैंडसम है, लंबा, गोरा तीखे नैन नक्श उसी का हम उम्र पर अत्यधिक शराब और अय्याशी ने अभी से उस के शरीर को थुलथुल बनाना शुरू कर दिया है. मुख पर, आंखों के नीचे चर्बी की परतें जमनी शुरू हो गई हैं. उसे लगा थोड़ी थकान भी है.

बंटी उठ खड़ा हुआ.

‘‘तो तुम आंटी के वचन की परवा नहीं करोगी?’’

‘‘परवा तो तब करती अगर वचन होता.’’ शराब पिला कर बड़ीबड़ी संपत्ति लिखवा लेते हैं लोग. बिना कुछ बोले चला गया था बंटी, शिखा विचलित नहीं हुई पर घटना सुन कर चिंता में पड़ गए थे जानकीदास.

‘‘बेटा, यह अच्छा नहीं हुआ.’’ यह अच्छे लोग नहीं हैं चुप नहीं बैठेंगे.

‘‘आप इतने दुखी क्यों हैं दादू?’’ क्या करेंगे वो?

‘‘यह तो नहीं जानता पर चिंता तो हो रही है.’’

‘‘बिजनैस में दुशमनी तो चलती ही रहती है.’’

‘‘पता है जीवनभर इसी से जुड़ा हूं. शरीफों की दुशमनी से डर नहीं लगता वो जो भी करें अपने स्वर से नीचे नहीं गिरते पर यह लोग तो इतने गिरे हुए हैं और इस समय बौखलाए हुए हैं, क्योंकि सड़क पर आने ही वाले हैं बस…’’

‘‘जो होगा देखा जाएगा.’’

‘‘बेबी.’’

‘‘कुछ कहोगे दादू.’’

‘‘बेटा तू हमारी अकेली वारिस है. शादी नहीं करेगी क्या?’’

अनमनी हो गई थी शिखा,

‘‘पता नहीं दादू. हाथ में शादी की लकीर डालना ही भूल गए होंगे विधाता पुरुष.’’

उस ने हंस कर ही टाला पर मानो एक जलता तीर उस के हृदय के अंदर जा घुसा.

दूसरे दिन सुबह आफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी कि मोबाइल बजा. उस ने देखा दुर्गा मौसी. मां की ममेरी बहन पर सहेली थी मां की, एक स्कूल की क्लास में. रहीस खानदान की नाकचढ़ी मालकिन. मम्मा रहते बहुत आना जाना था अब बहुत कम हो गया. असल में शिखा को ही समय नहीं मिलता. ‘हैलो मौसी. गुड मौर्निंग. कैसी हो आप?’

‘‘बस रहने दे. मैं कैसी हूं उस से तुझे क्या?’’

‘‘सौरी मौसी. गुस्सा मत करो. विश्वास करो एकदम समय नहीं मिलता.’’

‘‘जाने दे. कहां है तू? रास्ते में तो नहीं?’’

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‘‘बस निकलने ही वाली हूं.’’

‘‘सुन, आज शाम मेरे घर आ जा साथ खाना खाएंगे.’’

‘‘अचानक डिनर का निमंत्रण ओहो ध्यान ही नहीं था. हैपी बर्थ डे मौसी. जरूर आऊंगी.’’

गला भारी हो गया मौसी का.

‘‘मंजरी क्या गई तू ने मौसी से रिश्ता ही तोड़ दिया.’’

शिखा का भी मन भर आया.

‘‘नहीं मौसी, जनम का रिश्ता कभी टूटता है भला. मुझे इतना काम रहता है…’’

‘‘सारा काम तू ने अपने सिर पर लिया क्यों है. उस बूढ्ढे को मोटी रकम दे कर क्यों रखा है. पड़ेपड़े छप्पन भोग उड़ाने.’’

दादू के प्रति अपमानजनक शब्दों से मन ही मन आहत हुई शिखा. मन में जो प्रसन्नता जागी थी वो विराग में बदल गया. रसहीन शब्दों में बोली,

‘‘उन्होंने ही सब कुछ संभाल रखा है. नहीं तो मुझे भला क्या आता था?’’

‘‘काम तेरा है संभालना तो तुझे ही पड़ेगा. वो तो कर्मचारी ही हैं.’’

‘‘और मेरे सब से बड़े सहारा जाने दो. अब चलूं.’’

‘‘सुन तू आफिस से सीधे यहां आना. रात को खाना खा कर घर जाएगी और हां यह गिफ्टविफ्ट के चक्कर में मत पड़ना.’’

‘‘एकदम नहीं पड़ूंगी.’’

आफिस से जल्दी निकल शिखा ने सीधे कनाट प्लेस आ कर मौसी के लिए पिओर लैदर का बैग खरीदा. फिर नहाधो कर तैयार हुई. आज उस ने सफेद सीधेसादे शर्ट के नीचे लंबे खादी का स्कर्ट पहना घेरदार जयपूरी प्रिंट का. इस समय वो मासूम किशोरी सी लग रही थी. जब मौसी के घर पहुंची तब पांच बज चुके थे. ड्राइंगरूम में पैर रखते ही उस का सुबह से हलके मिजाज पर काले पत्थर का बोझ पड़ गया. बंटी और उस की मां वहां पहले से महफिल जमाए बैठे हैं. कोल्ड ड्रिंक और नमकीन का दौर चल रहा है. यह कोई अनहोनी बात नहीं दुर्गा मौसी भी बंटी की मां नंदा की क्लासमेट थी और अकसर पार्टियों में साथ घूमती हैं. उसे इन बातों की जानकारी होते भी मन में विराग आना नहीं चाहिए था. उस ने गिफ्ट पकड़ाया.

आगे पढ़ें- गिफ्ट ले पुलकित मुख से गुस्सा दिखाया दुर्गा ने,

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