काले और रूखे होंठों से हैं परेशान तो पिंक लिप्स के लिए करें ये काम

गरमी के मौसम में रूखे और काले होंठों की समस्या करीब करीब हर महिला को होती है. कुछ के लिए तो लिपबाम साथ रखना उतना ही जरूरी होता है जितना कि बटुआ. क्योंकि होंठों पर तेल की ग्रंथियां नहीं होतीं और न ही इन पर पर्यावरण से सुरक्षा देने के लिए बाल होते हैं. यही वजह है कि होंठ जल्दी रूखे हो जाते हैं और धूप की वजह से काले पड़ जाते हैं.

ऐसे में गरमी के मौसम में अपने होंठों को देखभाल के लिए अपनाएं ये 10 टिप्स:

  1. होंठों की नमी

त्वचा के लिए सब से ज्यादा जरूरी होता है उसे पर्याप्त नमी प्रदान करना. त्वचा और होंठों में पर्याप्त नमी बरकरार रखने के लिए हर मौसम में शरीर को पानी की जरूरत होती है. खासकर गरमियों में इसलिए इस मौसम में पानी पीएं.

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2. जीभ पर रखें काबू

होंठों पर बार बार जीभ फिराने से होंठ रूखे हो जाते हैं या इन की त्वचा खिंचने लगती है. तब होंठों को मुलायम और नम बनाए रखने के लिए मौइश्चर की जरूरत होती है. इसलिए होंठों पर जीभ फिराने की आदत छोड़ दें.

3. आहार में विटामिन बी शामिल करें

विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में न लेने से न सिर्फ आप का पाचनतंत्र प्रभावित होता है, बल्कि इस से आप के होंठों की सेहत भी प्रभावित होती है. होंठों के किनारे और मुंह के कोने सूख कर फट जाते हैं. विटामिन बी की कमी से मुंह में अल्सर भी हो जाता है. ऐसे में सर्दी में होंठों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी लें.

4. धूम्रपान न करें

धूम्रपान से होंठ काले और रूखे हो जाते हैं, इसलिए होंठों की पिंक रंगत के लिए तुरंत धूम्रपान छोड़ दें. सिगरेट पीने वालों के होंठ काले रहते हैं.

पिंक लिप्स के लिए घरेलू नुस्खे…
1. लिप मास्क
शहद और नीबू की कुछ बूंदें मिला कर नियमित रूप से होंठों पर लगाएं. इस से होंठों की रंगत ठीक होगी और वे मुलायम भी रहेंगे. तेल भी होंठों के लिए अच्छा होता है. आप औलिव औयल, सरसों का तेल या लौंग का तेल होंठों पर लगा सकती हैं. इस से होंठ मुलायम और चमकदार रहेंगे. कैस्टर औयल भी होंठों के लिए बेहतरीन है. यह होंठों को फटने अथवा रंगत खराब होने से बचाता है.
2. होंठों के लिए कौस्मैटिक प्रौसिजर

जिन के होंठ पतले हैं और वे उन में उभार चाहती हैं, उन के लिए डर्मल फिलर जुवेडर्म बेहतरीन और प्रभावी विकल्प है. जब यह होंठों पर लगाया जाता है, तब ह्यालुरोनिक ऐसिड बेस्ड फिलर होंठों को उभार देता है. हाइडोफिलिक जैल भी होंठों में नमी का ठहराव बढ़ाता है और रूखे व फटे होंठों को नमी प्रदान करता है. इस का असर 6 से 9 महीने तक बरकरार रहता है.

3. यूवी किरणों से सुरक्षा

सूर्य की यूवी किरणों के संपर्क में आने से होंठों की रंगत फीकी हो जाती है. ऐसे में त्वचा की तरह होंठों को भी यूवी किरणों से सुरक्षित रखने की जरूरत होती है. होंठों को रूखा और काला होने से बचाने के लिए ऐसे बाम या जैल का इस्तेमाल करें, जो सूर्य की यूवी किरणों से सुरक्षा देता हो.

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4. गरमियों के लिए उपयुक्त लिपस्टिक

अगर आप लिपस्टिक लगाती हैं तो ऐसी लिपस्टिक खरीदें जिस में अच्छी मात्रा में मौइश्चराइजर भी हो. लिपस्टिक लगा कर कभी सोए नहीं. सोने से पहले इसे जरूर हटा लें और कोई अच्छा मौइश्चराइजिंग लिपबाम लगाएं. ऐसा बाम न लगाएं जिस में ग्लिसरीन, अल्कोहल, कैमिकल वाले तत्त्व अथवा रैटिनोल हो.

5. होंठों को भी चाहिए स्क्रबिंग

 

होंठों की रंगत सुधारें….

होंठों को काला होने से बचाना चाहती हैं, तो नीबू का इस्तेमाल करें. नीबू में प्राकृतिक ब्लीच होती है, जिस से होंठों के धब्बे आसानी से हलके हो जाते हैं.

होंठों को गुलाबी रंगत देने, उन्हें ठंडा रखने, मौइश्चराइज करने और ऐक्सफोलिएट करने के लिए चुकंदर और गुलाबजल का इस्तेमाल करें.

आप गुलाबजल की कुछ बूंदें शहद में मिला कर भी होंठों पर लगा सकती हैं. अपने होंठों को पोषण और नमी देने के लिए आप इन की औलिव औयल से मसाज भी कर सकती हैं.

होंठों को प्राकृतिक रूप से गुलाबी बनाने के लिए अनार के रस की कुछ बूंदों को होंठों पर मसलें. अनार के रस में पानी और क्रीम मिला कर होंठों पर लगाएं.

-डा. इंदु बलानी

डर्मेटोलौजिस्ट, दिल्ली 

#coronavirus: क्या कोरोना के लिए दस सेकंड का ‘सेल्फ चेक’ सही है ?

क्या कोरोना के लिए दस सेकंड का ‘सेल्फ चेक’ सही है ? गलत है. हाल ही में वायरल कोरोना वायरस में “सरल स्व-जांच परीक्षण,” के लिए विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरी तरह से गलत है. आईफोन नोट्स ऐप से पता चल सकता है कि क्या लोगों के पास केवल 10 सेकंड से अधिक समय तक सांस लेने से कोरोना वायरस हो सकता है या नहीं ?

यदि कोई खाँसी के बिना अपनी सांस रोक सकता हैं, तो परीक्षण(टेस्ट) का दावा है कि उनको वायरस नहीं है.

पिछले हफ्ते ट्विटर, फेसबुक और ईमेल पर प्रसारण शुरू करने वाले पोस्ट पर “स्टैनफोर्ड हॉस्पिटल बोर्ड” के एक सदस्य को गलत तरीके से श्रेय दिया गया था. “स्टैनफोर्ड हेल्थ केयर की प्रवक्ता ‘लिसा किम’ ने सी.एन.एन को बताया कि “डर या अफवाह फैलाने वाली पोस्ट” स्टैनफोर्ड मेडिसिन से संबद्ध नहीं है और इसमें गलत जानकारी है. ”

क्या अस्पतालों में सभी सतहों को कीटाणुशोधन की आवश्यकता होती है ?

अमेरिकन हॉस्पिटल एसोसिएशन ने कहा कि जब लगातार सफाई प्रमुखता से होती है, तो अस्पतालों की “हाई-टच सतहों जैसे कि इन-रूम फोन, टीवी/नर्स कॉल, लाइट स्विच, डोरियों, हैंडल, दराज, बेड, और ट्रे-टेबल पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

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क्या कोरोना संक्रमण में क्लोरोक्वीन बहुत जरूरी है ?

पुरानी जेनेरिक मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन (प्लाक्वेनिल, सनोफी-एवेंटिस, अन्य के बीच), जिसका उपयोग गठिया की बीमारी के इलाज के लिए भी किया जाता है, COVID-19 के लिए एक आवश्यक उपचार हो सकता है.

मार्सिले में आईएचयू मैडिटैरनी(IHU Mediterranee)  संक्रमण के प्रोफेसर डिडिएर राउल्ट सहित कुछ लोगों द्वारा सामने रखी गई इस बात को अन्य जाने-माने संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने गलत घोषित कर दिया और हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा फर्जी समाचार के रूप में खारिज कर दिया.

फिर भी इसे बिना क्रम वाले और गैर-जांचे हुए 24 रोगियों में उपयोग किया गया और प्रोफेसर राउल द्वारा यूट्यूब  पर प्रस्तुति के साथ जारी किया गया.

पेइचिंग यूनिवर्सिटी थर्ड हॉस्पिटल, बीजिंग, चीन से ‘जूईटिंग याओ’ के नेतृत्व में एक चीनी टीम के द्वारा संक्रमण रोग को एक नैदानिक यानि (क्लीनिकल) ​जर्नल द्वारा ऑनलाइन प्रकाशित किया गया था.

इसके अलावा, क्लोरोक्वीन को चार उपचारों में नहीं बांटा गया है. इसे हाल ही में शुरू किए गए यूरोपीय क्लीनिक टेस्ट के रूप में चलाया जा रहा हैं, जिसमें चीन के 3200 गंभीर मरीज़ और 800 फ्रांसीसी मरीज़ शामिल हैं.

संक्रमित रोगियों में सामान्य स्तर पर अन्य दवाओं के साथ क्लोरोक्वीन को खारिज कर दिया गया था क्योंकि यह रिकवर करने वाले रोगियों में प्रभाव नहीं दिखा पा रही थी.

जीवाणु नाशक साबुन का एक फायदा क्या है ?

उसका कोई दूसरा इस्तेमाल नहीं हो सकता है.

क्या शरीर में विटामिन- सी का होना ज़रुरी है ?

नहीं, सर्दी और फ्लू में विटामिन – सी ने लगातार लाभ नहीं दिखाया है. इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कोरोना वायरस को रोकने के लिए जिंक, ग्रीन-टी और इचिनेशिया जैसे विटामिन- सी सप्लीमेंट्स फायदेमंद हैं.

क्या सभी को मास्क पहनना चाहिए ?

नहीं,  वह लोग जो स्वस्थ हैं और जिन लोगों में कोरोना लक्षण नहीं हैं, उन लोगों को हम मास्क पहनने की सलाह नहीं देते और उन लोगों के लिए मास्क पहनना अनिवार्य नहीं है लेकिन अस्पताल के कर्मचारियों और संक्रमित रोगियों की देखभाल करने वालों के लिए यह अनिवार्य है.

सर्जिकल मास्क का उद्देश्य वायरल संक्रमण होने से रोकना नहीं है क्योंकि उनमें से ज्यादातर मास्क बहुत ढीले होते हैं. ये मास्क मरीजों के लिए महत्वपूर्ण हैं, जनता के लिए नहीं.

क्या लिफ्ट बटन और सब-वे पोल जैसी सामान्य सतहों को छूने पर दस्ताने पहनें ?

शायद, पहन सकते हैं. दस्ताने पहनना वायरस के फैलाव को रोकने में प्रभावी नहीं हो सकता क्योंकि दस्ताने स्वयं दूषित हो जाते हैं. बस, साधारण तौर पर साबुन से हाथ धोना सबसे प्रभावी कदम है.

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क्या फ्लू का टीका लगाएं ?

हां, लगा सकते हैं, लेकिन कोरोना वायरस के लिए नहीं. सामान्य रूप से अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए फ़्लू का टीका मददगार है.

क्या टोसीलिज़ुमाब, एक नई कोरोना दवा है ?

चीन गंभीर स्थितियों में कुछ कोरोना वायरस रोगियों का इलाज करने के लिए एक रोच होल्डिंग एजी गठिया दवा का उपयोग कर रहा है.

टोसीलिज़ुमाब, एक दिग्गज स्विस फार्मा द्वारा बेची जाने वाली दवाई है. कोरोना वायरस रोगियों के फेफड़ों के गंभीर नुकसान पहुंचाता है और इंटरलेयुकिन 6 का ऊंचा स्तर दिखाता हैं, जो सूजन या रोग प्रतिरोधक क्षमता संबंधी बीमारियों का संकेत दे सकता है. राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने कहा कि इसके उपचार के लिए दिशानिर्देश ऑनलाइन प्रकाशित किए गए हैं. रोचे के अनुसार  एक्टेम्रा, इंटरलेकिन 6 से संबंधित सूजन को रोकने में मदद कर सकता है.

क्या घर पर रहने से मैं किसी प्रकार नज़रबंद हूं ?

नहीं, लेकिन होम क्वारंटाइन(घर पर रहने) या घर पर खुद को नज़रबंद करने वाले लोगों के लिए निर्देश हैं जिनका उन्हे पालन करना चाहिए :

एक ऐसे कमरे में रहें जहां अलग और एकल शौचालय के साथ-साथ हवा आने-जाने का रास्ता हो. यदि परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी एक ही कमरे में रहना है, तो दोनों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखना उचित है.

बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, बच्चों और घर के भीतर किसी प्रकार के रोग वाले व्यक्तियों से दूर रहने की आवश्यकता है.

घर के भीतर लोगों का आना-जाना प्रतिबंधित(बंद) करें.

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किसी भी परिस्थिति में किसी भी सामाजिक/धार्मिक सभा, शादी, शोक सभा में भाग न लें.

डॉ. के.के.अग्रवाल,प्रमुख संपादक, मैडटॉक्स और अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया से बातचीत पर आधारित

घर पर बनाएं टेस्टी मसाला पास्ता

अगर आपको पास्ता और चाउमीन जैसी डिश शाम के नाश्ते में खाना पसंद है तो आज हम आपको शाम के नाश्ते में टेस्टी और चटपटा पास्ता बनाने की रेसिपी बताएंगे. पास्ता बड़ों से लेकर बच्चों तक सभी को पसंद आता है. साथ ही अगर सब्जियों को मिलाकर पास्ता बनाया जाए तो बच्चे शौक से खाते हैं. तो आइए आपको बताते हैं पास्ता बनाने की आसान सी रेसिपी…

हमें चाहिए…

300 ग्राम पास्‍ता

1 (बारीक कटा हुआ) श‍िमला मिर्च

2 (महीन कटे हुए) टमाटर

1 (महीन कटा हुआ) प्‍याज

7 कलियां (बारीक-बारीक काट लें) लहसुन

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1 (महीन कतरी हुई) हरी मिर्च

1 छोटा चम्‍मच अजवाइन की पत्‍ती

1/2 कप टमैटो प्‍यूरी

1/3 छोटा चम्मच (कुटी हुई) काली मिर्च

1/2 छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर

4 बड़े चम्‍मच (घि‍सा हुआ) चीज़

1 बड़ा चम्‍मच शक्कर

2 बडे चम्मच तेल

नमक स्वादानुसार

बनाने का तरीका

– सबसे पहले पास्‍ता को धो लें. धोने के बाद एक बड़ें बर्तन में पास्ता रख कर उसमें 1/2 बड़ा चम्मच तेल और थोड़ा सा पानी लेकर इसे उबाल लें. जब पास्ता उबल जायें, उन्हें पानी से निकाल लें और अलग रख दें.

– अब एक पैन में 1 1/2 बड़े चम्मच तेल डाल कर गरम करें। तेल गर्म होने पर उसमें प्‍याज, शिमला मिर्च, लहसुन डालें और हल्‍का ब्राउन होने तक भून लें.

– मसाला भुनने के बाद इसमें टमाटर, हरी मिर्च, शक्कर, काली मिर्च, लाल मिर्च और नमक डालें और इसे 5 मिनट तक चलाते हुए पकाएं. पास्ता रेसिपी की कामयाबी के लिए जरूरी है कि मसालों को अच्छी तरह से भूना जाए.

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– जब टमाटर अच्छी तरह से गल जाएं, तब इसमें टोमैटो प्‍यूरी डाल दें और चलाते हुए एक मिनट तक भूनें. इसके बाद हल्‍का सा पानी और अजवाइन की पत्‍ती डालें और मीडियम आंच पर ग्रेवी गाढी होने तक पकाएं.

– जब ग्रेवी गाढी हो जाए, तब उसमें उबले हुए पास्‍ता डाल दें और पकने दें. जब मिश्रण का पानी पूरी तरह से सूख जाए, तो गैस को बंद कर दें. उसके बाद कद्दूकस की हुई चीज डाल कर मिक्स कर लें.

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#coronavirus: इन 5 चीजों से घर पर ऐसे बनाएं सैनिटाइजर

ये तो हम सभी जानते है की कोरोना वायरस की दहशत पूरी दुनिया में छाई हुई है.  यह ऐसा संक्रमण है जो पीड़ित व्यक्ति को छूने या उसके संपर्क मे आने से फैलता है. ऐसे में इससे डरने या घबराने की जगह कुछ सावधानियों को ध्यान में रखने की जरूरत है.

कोरोना के germs  हवा में नहीं, बल्कि वस्तुओं पर लगे होते हैं. किसी भी वस्तु पर पूरे 12 घंटे तक कोरोना के germs  लगे रहते हैं. जिस वजह से आपको बहुत सावधान रहने की जरुरत है.

कोरोना germs  का असर आपके हाथों पर पूरे 10 मिनट तक रहता है. ऐसे में हर 1 घंटे बाद हाथ धोएं और हर 15 मिनट बाद हाथों को सैनिटाइज जरुर करें.

अभी कुछ दिनों पहले की बात है मैं सैनिटाइजर लेने के लिए मार्केट गई. मैं बहुत सारे मेडिकल स्टोर में गई और मुझे कहीं भी जिस ब्रांड का मुझे चाहिए था वह मिल नहीं रहा था और जो सैनिटाइजर मिल रहा था वो भी 500 से  600 रूपए की कीमत का था.

वैसे भी लोगों के डर  का फायदा उठाकर बहुत सी कंपनियां डुप्लीकेट सैनिटाइजर मार्केट में सप्लाई कर रही हैं . डुप्लीकेट सैनिटाइजर का उपयोग करने से कोई भी फायदा नहीं होता.ऐसे में जरूरी है की हम घर पर ही सैनिटाइजर बना ले .ये काफी किफायती होने के साथ साथ ब्रांडेड सैनिटाइजर से कम नहीं होगा. आज हम जानेंगे की घर पर मार्केट  जैसा ओरिजिनल सैनिटाइजर कैसे बनाये-

हमें चाहिए-

1-rubbing alchohol -100 ml

रबिंग एल्कोहल- यह आपको किसी भी मेडिकल शॉप पर आसानी से मिल जाएगा. ये कोई  बहुत ज्यादा महंगा नहीं आता है. रबिंग अल्कोहल को  सैनिटाइजर बनाने में इसलिए उसे किया जाता है क्योंकि इसके उपयोग से हमें अलग से साबुन और पानी की जरूरत नहीं पड़ती है. रबिंग अल्कोहल हवा के संपर्क में आने से उड़ जाता है और  हमारे हाथ अच्छे से  सूखे हो जाते हैं और हमें अलग से नैपकिन से पोछने  की जरूरत नहीं पड़ती.

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2 -एलोवेरा gel -50 ml

एलोवेरा gel – दोस्तों एलोवेरा का पौधा हर किसी को  अपने घरों में जरूर लगाना चाहिए. एलोवेरा गुणों का भंडार है .एलोवेरा का उपयोग  बहुत सी चीजों में किया जाता है. एलोवेरा में जम और बैक्टीरिया मारने की प्रॉपर्टीज पाई जाती हैं

3- एसेंशियल आयल(बादाम का तेल या पेपरमिंट आयल,या sand वुड आयल)- 5 से 6 बूँद

4-dettol liquid -1/2 चम्मच

5 – ग्लिसरीन -1/2 चम्मच (ऑप्शनल)

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले  एलोवेरा के पत्ते को चाकू से बीच से काट ले और धीरे-धीरे चम्मच से रब करके एक कटोरी में निकाल लें. याद रखें  खरोचना नहीं है वरना एलोवेरा का पूरा का पूरा गूदा  निकल जाएगा . आधा कप एलोवेरा जेल निकालने के बाद उसे चम्मच से अच्छे से फेट ले .एक भी गुल्थियाँ नहीं रहनी चाहिए.

2- अगर आपके घर में एलोवेरा के पत्ते आसानी से उपलब्ध नहीं है तो आप जिस ब्रांड पर ट्रस्ट करते हो उस ब्रांड का एलोवेरा जेल खरीद करके यूज कर सकते हैं. यह प्रिजर्व रहता है जिससे आपका सैनिटाइजर बिल्कुल भी खराब नहीं होगा .

3-आप अगर कोई भी ingredient  इस्तेमाल करें तो उनको मेजर करके ही इस्तेमाल करें .अगर आप rubbing अल्कोहल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो जिसमें 70% तक अल्कोहल की मात्रा हो वही लें. अल्कोहल बहुत हार्ड होता है अगर आप इसे बिना एलोवेरा के उसे करेंगे तो यह आपके हाथ को खुदरा कर देगा और आपको rashes  भी आ सकते  है. इसलिए हाथों को नरम और स्मूथ बनाने के लिए हम एलोवेरा जेल डालेंगे.

4-एक चीज़ का और ध्यान रखें  अगर आप 100% अल्कोहल का इस्तेमाल करने वाले हैं तो उसमें 50% मिनरल वाटर जरूर डालें.

5-अब एक साफ़ बाउल में 100 ml rubbing alchohol ले.उसमे 50 ml एलोवेरा gel डालें .और फिर चम्मच से अच्छे से मिलाये. अब आप इसमें खुशबू के लिए 5 से 6 बूँद कोई भी एसेंशियल आयल डाल सकते हैं. जैसे कि आलमंड आयल या पेपरमिंट आयल या sandwood आयल.अगर आपके पास ये oil नहीं है तो आप कोई भी खुशबू वाला oil use  कर सकते है.आप चाहें तो विटामिन ई की कैप्सूल भी डाल सकते हैं. यह मार्केट में बहुत ही आसानी से मिल जाती है .oil हम खुशबू के लिए और हाथों मे नमी बनाये रखने के लिए करते है.

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6- अगर आप रेडीमेड एलोवेरा जेल का इस्तेमाल कर रहे हैं तो इसमें ऑलरेडी बहुत से एसेंशियल ऑयल होते हैं. फिर आपको अलग से essential oil डालने की जरूरत नहीं है.दोस्तों एक चीज़ याद रखें की  हमें इसमें बिल्कुल भी पानी का इस्तेमाल नहीं करना है और जो हमने इसमें तेल की बूंदे डाली है वह इसे बिल्कुल भी खराब नहीं होने देंगी.अगर आप चाहे तो इसमें ½ छोटी चम्मच  ग्लिसरीन भी दाल सकती है.ये ऑप्शनल है.

7-अब इसमें छोटी चम्मच dettol डाल दें.और अच्छे से मिला ले.

8-तैयार है मार्किट जैसा hand सैनिटाइजर. दोस्तों अब फनल की मदद से इस हैंड सैनिटाइजर को एक स्प्रे बोतल में भर लें .

आप दिन में 4 से 5 बार इस हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें. आप चाहें तो इसे अपने बच्चों के स्कूल बैग में भी रखें ताकि बच्चे खाना खाने से पहले हमेशा हैंड सैनिटाइजर का यूज़ करें.

एक चीज़ और  इसे खाली अपनी हथेलियों पर ना लगाएं. इसे अपनी हथेली के आगे पीछे ,उँगलियों के बीच और नाखूनों पर जरूर लगाएं क्योंकि सबसे ज्यादा germs नाखूनों में ही होते हैं.

दोस्तों यह एक अच्छी आदत है. इसको अपनाये और कोरोना को दूर भगाए .

समर फैशन का जलवा सितारों के साथ  

फैशन की अगर बात की जाये तो फैशन ट्रेंड बॉलीवुड से ही हमेशा प्रेरित रहा है और ऐसे में फैशन वीक में रैंप पर चलना उनके लिए बड़ी बात होती है. इस साल लेक्मे फैशन वीक समर रिसोर्ट 2020 के 20 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर सभी हिंदी सिनेमा की अभिनेत्रियों ने अपने अलग-अलग अंदाज़ में रैंप पर चली, जिसको अपने फैशन सेंस को गृहशोभा के साथ शेयर किया. आइये जानते है क्या है उनके लिए फैशन, कैसे वे इसे बनाये रखती है, कितना मेहनत करती है.

मलाइका अरोड़ा

फैशन मेरे लिए आरामदायक होनी चाहिए मैं हमेशा किसी अवसर के अनुसार ड्रेस पहनना पसंद करती हूं और लोग कई बार मेरे ड्रेस को लेकर ट्रोल भी करते है पर मुझे अपने हिसाब से कपडे पहनना पसंद है. अगर मैं जिम में जाती हूं तो वैसे कपडे पहनती हूं. यहां मैंने डिज़ाइनर वरुण की खास वेडिंग कलेक्शन लाल रंग की लहंगा चोली पहनी थी, जिसमें हाथ की कढ़ाई से बने डिजाईन, थ्री डी मोटिफ्स, रेड दुपट्टा आदि सब इसकी शोभा बढ़ाते है.

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बिपाशा बासु

फैशन मेरे लिए हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है. पहले मेरा फैशन सेन्स इतना अच्छा नहीं था पर अब मुझे इसे फोलो करना पसंद है. फैशन अपनी सोच और ख़ुशी के अनुसार की जानी चाहिए. डिज़ाइनर संयुक्ता की काले और गोल्डन कलर की मेखला मुझे पहनना अच्छा लगा. ऐसी पोशाक कोई भी कभी भी किसी अवसर पर पहन सकता है.

करण सिंह ग्रोवर

 

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Walking the ramp for with my partner in all crimes @iamksgofficial , today for lakme fashion week for @sanjukta_dutta_ ❤️

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मुझे फैशन का अधिक सेन्स नहीं, बिपाशा जिसे देखकर अच्छा कहती है मैं पहन लेता हूं. मुझे अधिकतर सफ़ेद और काले रंग के कपडे पसंद है.

सई मांजरेकर

 

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such a great experience @jiviva_ @6degreeplatform

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मुझे फैशन अवसर के अनुसार करना अच्छा लगता है. मुझे फैशन बहुत पसंद है और ये मुझे बचपन से ही रहा है. जिविवा ब्रांड की ‘प्राइड ऑफ़ पश्मीना’ की लहंगा चोली पहनकर पहली बार रैंप पर चलना मेरे लिए सबसे ख़ुशी की बात थी. मुझे पहले डर लगा था, क्योंकि मेरी मां ने सावधान किया था कि मैं इतनी भारी लहंगे के साथ रैंप पर चलते हुए कही गिर न जाऊं.

दिया मिर्ज़ा      

ग्लैमर वर्ल्ड में फैशन करना जरुरी होता है और इसके लिए मैं हमेशा तैयार रहती हूं मुझे जब भी रैम्प पर चलने का मौका मिलता है मैं उसे करती हूं. फैशन का ट्रेंड व्यक्ति की सोच के अनुसार ही होता है. अगर आपने अच्छी तरह से इसे कैरी किया है तो वह अच्छा ही लगता है. इसके लिए रंग रूप या शारीरिक बनावट कोई माइने नहीं रखती. यहां मैंने कोटवारा की महिलाओं द्वारा बनी ‘बहारा’ थीम पर आधारित चिकनकरी को पहनी है, जो मुझे गर्मियों में पहनना पसंद है.

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तब्बू

मुझे फैशन समय के अनुसार पसंद है. इसके अलावा मैं टी शर्ट और जींस में रहना पसंद करती हूं. फैशन मेरे लिए आरामदायक होने से है. मुझे गर्मियों में कूल कलर पहनना बहुत पसंद है. डिज़ाइनर गौरांग किसी भी ड्रेस को महिला की व्यक्तित्व के अनुसार तैयार करता है. कांजीवरम सिल्क से बनी उनकी ये पोशाक मुझे सम्पूर्ण करती है.

करीना कपूर खान

लेक्मे की ब्रांड एम्बेसेडर और बॉलीवुड बेगम करीना कपूर खान को फैशन किसी भी रूप में पसंद है. वह अपने शारीरिक बनावट के अनुसार कपडे खरीदती और पहनती है. वह डाइट नहीं करती. उसके अनुसार कपडे चाहे किसी ब्रांड के हो या नहीं. उसे अच्छी तरह से कैरी करने की जरुरत होती है. फैशन समय के अनुसार बदलता रहता है.

#coronavirus: भारत सरकार की इस वेबसाइट से ले जानकारी और अफवाहों से रहें दूर

लेखक- रीता शर्मा

कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए सभी जरूरी उपायों को अपनाए और डरने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है.

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट https://mohfw.gov.in पर सभी जरूरी advisory जारी कर रही है और लगातार इसे अपडेट भी किया जा रहा है.

Whatsapp पर भ्रामक जानकारी के आदान प्रदान से बेहतर है कि आप इस साइट पर जाकर जानकारी हासिल करें और सही जानकारी का आदान प्रदान करें. ताकि कोरोना जैसी महामारी को रोकने में आपका भी योगदान शामिल हो. खासकर जो छोटे शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग हैं उनके बीच बिल्कुल भी जागरुकता नहीं है और न ही वो कोई बचाव कर रहे हैं.. ऐसे लोगों से अगर फोन पर संपर्क हो सकता है या आप आसान भाषा में साइट पर दी गई जानकारी को साझा कर सकते हैं तो जरूर करें. मगर ध्यान रहे कि कोई अफवाह न फैले.

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सभी प्रदेशों के हेल्प लाइन नंबर Mention किए गए हैं.. ताकि अपनी जरूरत मुताबिक हम contact कर सकें, वही एक सेंट्रल हेल्प लाइन नंबर +91-11-23978046 भी है.

हेल्प लाइन नंबर, सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर संक्रमित डेड बॉडी को कैसे मैनेज करना है, तक सभी कुछ PDF फाइल में हैं जिसे डाउनलोड करके जब चाहे दोबारा जानकारी ले सकते हैं या किसी को बता सकते हैं. Covid 19 के पेशेंट्स और उसमें ठीक होने वालों की संख्या को भी अपडेट किया जा रहा है ताकि भ्रम की स्थिति न बने.

वेबसाइट पर FAQ की भी एक लिंक है, क्लिक करने पर PDF फाइल में ही सामान्य तौर पर पूछे जाने वाले सवाल और उनके जवाब दिए गए हैं.

“बताया गया है कि Covid 19 की शुरुआत खांसी, जुकाम और साँस लेने में तकलीफ से ही शुरू होती है. अगर आपको इसमें से कुछ भी दिक्कत हो तो नजदीकी अस्पताल जाए.. डाक्टर ही आपसे बातचीत करके तय करेगा कि आपकी Covid 19 टेस्ट होना है या नहीं. अगर आप कहीं विदेश से आए हैं या किसी आने वाले व्यक्ति के संपर्क में आए तो आपकी जांच करानी जरूरी होगी. मंत्रालय और WHO बस बचने के तरीकों पर जोर दे रहा है. इसके लिए साफ सफाई और सोशल डिस्टेंसिंग ही बेहतर तरीका नज़र आ रहा है.

वही WHO ने भी एक whatsapp नम्बर +41 79 893 18 92 जारी किया है जिसे आप अपने मोबाइल में सेव कर सकते हैं. Save करने के बाद हैलो टाइप करके सेंड कर दे, सेंड करते ही एक लिस्ट आ जाएगी, आप जिस बारें में जानकारी चाहते हैं उस नंबर को टाइप करके सेंड कर दे.. आपको जानकारी मिल जाएगी. लिस्ट कुछ इस तरह की होगी .

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#coronavirus: मैट्रो में सफर करने वाले जान लें ये guidelines

लेखक- रीता शर्मा

देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण से मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. अब तक लगभग 195 केस आ चुके हैं और इसे महामारी भी घोषित किया जा चुका है. संक्रमण और न फैले इसके लिए सभी प्रयास शुरू कर दिए गए हैं.

19 मार्च के अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी लोगों से हर जरूरी उपाय करने, संक्रमण से बचने और “जनता कर्फ्यू” की अपील की है.

देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना संक्रमण को लेकर काफी सावधानी रखी जा रही है. दिल्ली की लाइफ लाइन कहीं जाने वाली दिल्ली मेट्रो में भी इस महामारी से निपटने के सुरक्षा उपाय शुरू कर दिए हैं. दिल्ली मेट्रो (DMRC) ने इसको लेकर एक एडवाइजरी जारी की है जिसे आज से लागू कर दिया गया है.. आइए घर से निकलने से पहले इसकी जानकारी कर लेते हैं –

1- एडवाइजरी में साफ साफ कहा गया है कि बहुत जरूरी होने पर ही मेट्रो में सफर के लिए निकले. इस दौरान सोशल डिसटेंस मेनटेन करें, लोगों से हाथ मिलाने, गले लगने और किसी भी वस्तु को छूने से बचे.

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2- मेट्रो यात्रियों को एक सीट छोड़ छोड़ कर बैठना होगा.

3- मेट्रो में, स्टेशन पर या यात्रियों को आपस में भी एक मीटर की दूरी बनाई रखनी होगी.

4- मेट्रो में सफर कर रहे यात्रियों की सभी स्टेशन पर रेंडम थर्मल स्क्रीनिंग होगी. कोई भी बुखार से पीड़ित मिला तो उसे चिकित्सीय परीक्षण के लिए भेजा जाएगा. और यदि कोरोना पाजिटिव निकला तो क्वारनटाईन (Quarantine) के लिए भेजा जाएगा, मतलब जब तक वो ठीक नहीं हो जाता है उसे अलग अकेले कमरे में रखा जाएगा और इस दौरान दवाईयां, खाने पीने की सभी जरूरी चीजे दी जाएगी.

5- इसके अलावा एडवाइजरी में ये भी कहा गया कि जिस स्टेशन पर ज्यादा भीड़ होगी और एक मीटर की दूरी रखना संभव नहीं होगा, वहाँ मेट्रो नहीं रुकेगी.

6- साथ ही जन अपील में ये भी कहा गया कि जो भी सर्दी, खांसी, जुकाम या कोरोना से सम्भावित पीड़ित हो सकते हैं वो यात्रा से बचे. इस वैश्विक महामारी के संकट के समय में सबको सहयोग करने और इसके प्रसार को रोकने के लिए सभी एतिहात बरतने की जन अपील की गई.

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय समय समय कोरोना वायरस से बचने के लिए समय समय पर एडवाइजरी जारी कर रहा है.. मेट्रो परिसर में रहने के दौरान सभी को उनका पालन करना होगा. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं लेकिन इससे पैनिक होने की जरूरत नहीं है बस इसका पालन करते रहने से जल्दी ही संक्रमण खत्म हो सकता है और इसके लिए हम सबको सहयोग करने की जरूरत है बस.

छाया डैनिम का जादू

डैनिम मेहनत वाले काम करने के लिए बनाया गया था लेकिन आज के दौर में डैनिम युवाओं की पसंदीदा पोशाक बन चुकी है. इस के फ्रैब्रिक में तमाम तरह के एक्सपेरिमैंट हो रहे हैं और बाजार में आज इस की तमाम वेराइटी मौजूद है.

डैनिम एक सदाबहार फैब्रिक है. यह हरेक ऐज गु्रप के बीच पौपुलर है. इस का क्रेज युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है. हर सीजन में डैनिम की ड्रैस पसंद की जाती है. यही कारण है कि फैशन शो में भी डैनिम का अलग से राउंड होता है. फैशन डिजाइनर नेहा दीप्ति सिंह कहती हैं, ‘‘डैनिम लड़के और लड़कियों में बराबर लोकप्रिय है. डैनिम में दोनों के लिए ड्रैसेज मिलती हैं. उत्तर प्रदेश आर्टिस्ट अकादमी पिछले 25 वर्षों से युवाओं को ले कर फैशन शो का आयोजन कर रही है. ‘मिस्टर और मिस यूपी 2019’ के शो में डैनिम की ड्रैस का जलवा बना रहा. कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के छोटेबड़े शहरों के युवाओं ने हिस्सा लिया. फाइनल में 30 प्रतिभागियों ने अपनी प्रतिभा दिखाई.’’

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डैनिम कभी न खत्म होने वाला फैशन है. समय के साथ इस की डिजाइनिंग में बदलाव आता रहता है. फैशन जगत में इस ने खास जगह बनाई हुई है. डैनिम आउटफिट अब युवाओं के वार्डरोब का स्पैशल हिस्सा है. डैनिम जैकेट, जींस, स्कर्ट, जैकेट के अलावा डैनिम जंपसूट खूब ट्रैंड कर रहा है.

डैनिम फैब्रिक जितना रिफ्रैशिंग लुक देता है, उतना ही ठंडा भी रहता है. यह युवाओं की दौड़भागभरी जिंदगी का साथी है.

शौर्ट पैंट का जलवा

डैनिम की ड्रैसेज में लड़कियों ने शौर्ट पैंट्स पहन रखी थीं तो लड़कों ने डैनिम की फैशनेबल ड्रैसेज पहनी थीं. मिस यूपी में लखनऊ की उमा सिंह विनर तो वाराणसी की सुरभि टंडन और प्रयागराज की शबनम खान रनरअप रहीं. लड़कों में यह खिताब सीतापुर के तनिष्क गुप्ता के नाम रहा. आगरा के कुनाल अस्थाना और लखनऊ के चिन्मय अस्थाना रनरअप रहे. युवाओं का जोश और जलवा परखने के लिए फिल्मी सितारों और समाज के प्रमुख लोगों की सहभागिता रही.

कार्यक्रम में फिल्मी सितारे रंजीत, दिलीप सेन, शहबाज खान, इमरान खान, नंदिश संधू, अमन त्रिखा, रवि दुबे, अनिरुद्व दुबे, श्रेया पिलगांवकर और निधि खन्ना ने हिस्सा ले कर युवाओं का उत्साह बढ़ाया. उत्तर प्रदेश आर्टिस्ट अकादमी के अध्यक्ष वामिक खान ने बताया, ‘‘नए कलाकारों का उत्साह बढ़ाने के लिए यह कार्यक्रम हो रहा है.’’

विजेताओं ने डैनिम ड्रैसेज की तमाम खूबियां बताईं. डैनिम की खासीयत है कि यह दिखने में जितना स्टाइलिश लुक देता है उतना ही पहनने में सुकूनभरा होता है. पिछले दिनों बैलबौटम चलन में थे, अब हाई वैस्ट जींस लौट आई हैं. इन दिनों डैनिम शर्ट्स, क्रौपटौप, औफशोल्डर टौप, जैकेट, शूज, बैग्स, हैंडबैग्स फैशन में हैं.

डैनिम ड्रैसेस का क्रेज इस कारण भी है क्योंकि जींस पर वाइट शर्ट और जैकेट पहन कर लंच पर जा सकते हैं. कुरती डाल कर किसी ऐक्जीबिशन विजिट पर और क्रौस डैनिम बैग के साथ टीशर्ट और जींस में दोस्तों के साथ राइड पर भी जा सकते हैं. डैनिम में लौंग और शौर्ट ड्रैसें दोनों ही फैशन में हैं. पार्टीज में अलग दिखने के लिए इन्हें पहना जा सकता है. इसे वनपीस की तरह भी पहन सकते हैं और लैगिंग के साथ भी इसे पहना जा सकता है.

धार्मिक सनक को  मिटाना ही होगा

रात के 2 बजे डोरबैल बजी तो मैं ने घबरा कर पति को जगाया. देखा तो दरवाजे पर सामने वाले फ्लैट में रहने वाले शर्माजी का किशोरवय बेटा नितिन खड़ा था. उस की सूजी और आंसू टपकाती आंखें देख कर हम दोनों डर गए. पूछने पर उस ने बताया कि आज दिन में कालेज की वैल्डिंग वर्कशौप में जौब बनाते समय उस ने शील्ड का इस्तेमाल नहीं किया था. फलस्वरूप उस की आंखों में बहुत रड़कन हो रही है.‘‘मम्मीपापा कहां हैं?’’ मैं ने पूछा.‘‘पापा टूर पर गए हैं. 2 दिन बाद आएंगे और मम्मी सत्संग की सेवा करने बाबाजी के डेरे गई हुई हैं,’’ नितिन किसी तरह से बता पाया.वैल्डिंग से मुझे अपने बचपन का किस्सा याद आया जब एक बार मेरे साथ भी ऐसी ही घटना घटी थी. तब मां ने चायपत्ती उबाल कर मेरी आंखों पर पट्टी बांधी थी. मैं ने भी नितिन के साथ वही किया और थोड़ी देर बाद उसे आराम मिला और वह सो गया.मैं उस के सिरहाने बैठी उस की मम्मी के धार्मिक पागलपन को कोस रही थी. यहां बच्चा परेशान है और वहां वे सत्संग की सेवा कर के पुण्य कमाने का झूठा वहम पाल रही हैं.

यह सिर्फ आज की घटना नहीं है. मैं ने इस से पहले भी कई बार नितिन और उस के पापा को अकेले रसोई में जूझते देखा है, लेकिन उस की मम्मी को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता. बाबाजी के डेरे में उन की सेवा निरंतर जारी रहती है.धार्मिक अंधभक्ति का यह अकेला उदाहरण नहीं है. कुछ अरसा पहले की ही बात है. मेरे पास महल्ले की कुछ महिलाएं आईं.‘‘हम ने एक सत्संग मंडली बनाई है, जो लोगों के बुलावे पर उन के घर जा कर भजनकीर्तन का काम करेगी. कम से कम चढ़ावा क्व2 सौ होगा और शेष यजमान की इच्छाशक्ति पर निर्भर रहेगा. कीर्तन में जो भी दान या चढ़ावा आएगा वह कालोनी के मंदिर में दिया जाएगा. तो क्यों न शुरुआत आप के घर से करें?’’ मंडली की अध्यक्षा ने पूरा विवरण देते हुए कहा.कहना न होगा कि मेरे इनकार करने पर मुझे नास्तिक और अधर्मी जैसे विशेषणों से नवाजा गया.कुछ इसी तरह आजकल धार्मिक किट्टी पार्टियों का आयोजन भी आम बात हो गई है. इस में किट्टी की सदस्याएं मिल कर हर महीने किसी एक महिला के घर भजनकीर्तन या फिर किसी कथा का पाठ करती हैं और अंत में प्रसाद बांटने के साथ अपनी पार्टी का समापन करती हैं.

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क्या है यह धार्मिक पागलपन

दरअसल, धार्मिक सनक व्यक्ति के भीतर का भय ही है और इस भय से मुक्त होने के लिए वह किसी सहारे या शक्ति की तलाश में रहता है. एक ऐसी ताकत जो सारी दुनियावी ताकतों से अधिक शक्तिशाली हो. शायद इसी को सुपर नैचुरल पावर कहा जाता है.स्थानीय लोक देवीदेवताओं के ‘थानों’ पर प्रति वर्ष भरने वाले मेलेमगरियों में भी ऐसे ही जनूनी भक्तों का सैलाब उमड़ा दिखाई पड़ता है. कोई भूखे पेट तो कोई नंगे पांव. यहां तक कि कुछ लोग तो दंडवत करते हुए आते भी दिखाई देते हैं.जयकारा लगाते हुए साथ चलने वाले हुजूम को देख कर लगता है कि क्या लोगों ने दिमाग का इस्तेमाल करना बंद कर दिया है? और तो और इन की इस अंधभक्ति को बढ़ावा देने में सरकारें भी पीछे नहीं रहतीं. व्यवस्था बनाने के नाम पर सारा सरकारी महकमा एक जगह जुट जाता है. शेष इलाके में चोरीडकैती या अन्य अपराध हों तो हों इन की बला से.साधनसंपन्न लोग इन भक्तों की सेवा करने के नाम पर भंडारे कर मुफ्त खानेपीने की चीजें दे कर के अपनी स्वर्ग जाने की राह प्रशस्त करते जान पड़ते हैं और सुविधा भोगने वाले इन की प्रशंसा के पुल बांधबांध कर इन्हें चने के झाड़ पर चढ़ाएं रहते हैं.अब सोचने की बात यह है कि आखिर क्यों बढ़ता जा रहा है यह धार्मिक पागलपन? क्यों समाज इतना भयभीत हो रहा है? अपने डर से नजात पाने के लिए वह इधरउधर सहारे तलाश रहा है?

बचपन से दी जाती छुट्टी

दरअसल, पूजापाठ करने और एक परमशक्ति को प्रसन्न करने के लिए व्रतउपवास करने की परंपरा के बीज बचपन में ही दिमाग में बो दिए जाते हैं जो उम्र के पकने के साथसाथ एक बड़े वृक्ष का रूप धारण कर लेते हैं. अब इस वृक्ष को जड़ों से उखाड़ पाना एकाएक संभव नहीं होता. व्यक्ति लाख पढ़लिख ले या उसे कितने भी तर्क दिए जाएं, इन संस्कारों की गिरफ्त से आजाद होना नामुमकिन ही होता है. कहीं न कहीं अवचेतन मन में जमी जड़ें आड़े आ ही जाती हैं. तो फिर क्या किया जाए?यह सही है कि आज की युवा पीढ़ी बहुत तार्किक है और इन सब ढकोसलों से दूर ही रहना चाहती है, लेकिन कभी तो बड़ेबुजुर्ग इन्हें भावनात्मक दबाव में ले कर तो कभी खुद इन के अंतर्मन में गहरे तक पैठी हुई धारणाएं न चाहते हुए भी इन की राह रोक लेती हैं. लेकिन यदि वर्तमान युवा पीढ़ी चाहे तो अपनी आने वाली नस्ल को इस प्रपंच से दूर रख सकती है.यदि बच्चों में शुरू से ही वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा दिया जाए तो यकीनन वे तो कम से कम इस धार्मिक सनक से दूर रहेंगे और इसी प्रयास की अगली कड़ी में उन की अगली पीढ़ी भी और फिर एक दिन सभी लोग इस तरह के धार्मिक पागलपन से मुक्त हो कर अपना कीमती समय किसी अन्य सार्थक काम में लगाएंगे.हम सब जानते हैं कि ये सब इतना आसान नहीं है, लेकिन जिस प्रकार रूढि़यां एक दिन में जड़ें नहीं जमातीं उसी तरह ये एक दिन में तोड़ी भी नहीं जा सकतीं. सब होगा, लेकिन वक्त लगेगा और तब तक हम सिर्फ प्रयास कर सकते हैं. हमें करने भी होंगे. तभी हम धार्मिक सनक से मुक्त एक वैज्ञानिक सोच वाले समाज की आशा कर सकते हैं.

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लंबी कहानी: कुंजवन (भाग-4)

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तैयार हो वो औफिस आई. बैठते ही रामदयाल पानी ले आया. पुराना स्टाफ, सीधासादा, वयोवृद्ध. पहले बिटिया कहता था अब मालकिन का सम्मान देता है. पानी ले उस ने कहा.

‘‘रामदयाल.’’

‘‘जी साब.’’

‘‘ब्रिजेश बाबू आ गए?’’

‘‘जी साब जी.’’

‘‘उन को बुला दो.’’

थोड़ी देर में ब्रिजेश बाबू आए. दादू से थोड़े ही छोटे हैं, सरल स्वभाव के हैं.

‘‘आइए बाबूजी बैठिए.’’

‘‘कोई समस्या है क्या मैडम.’’

‘‘जी, देखने में तो छोटी बात है पर समस्या छोटी नहीं बहुत बड़ी हो सकती है.’’

वो घबराए.

‘‘क्या हो गया?’’

‘‘आप तो जानते हैं हर कंपनी का नियम है कि उस की डील छोटी हो या बड़ी उसे सिक्रेट रखा जाता है.’’

‘‘हां यह तो व्यापार का पहला नियम है.’’

‘‘हमारी कंपनी में इस नियम का पालन नहीं हो रहा.’’

चौंके वो, ‘‘क्या?’’

‘‘हाल में जो डील हुई है उस की खबर बाहर फैली है…कैसे?’’

वो घबराए, मुख पर चिंता की रेखाएं उभर आईं, ‘‘पर…उस की खबर तो आप, सरजी और मुझे ही है बाकी किसी को पता नहीं.’’

‘‘तभी तो यह प्रश्न उठ रहा है सूचना बाहर कैसे गई?’’

उन्होंने सोचा, शिखा ने सोचने के लिए उन को समय दिया.

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे छोड़ दो और लोगों को पता हो सकता है.’’

‘‘वो कौन हैं?’’

‘‘एक तो मेरा सहकारी जो सारे कागजपत्तर संभालता है दूसरा टाईपिस्ट जिस ने डील के पेपर मतलब टर्म्स औफ कंडीशंस टाईप किया था.’’

‘‘आप के पास कितने दिनों से काम कर रहे हैं?’’

‘‘हो गए चारपांच वर्ष.’’

‘‘स्वभाव के कैसे हैं दोनों?’’

‘‘सहकारी राजीव तो प्रश्न के बाहर है. रामदयाल का पोता गरीब पर ईमानदार सज्जन परिवार वैसे ही सहमा रहता है दादा के डर से.’’

‘‘दूसरा?’’

‘‘टाईपिस्ट विकास हां वो थोड़ा शौकीन और चंचल स्वभाव का है. पर इस प्रकार का अपराध कभी कुछ किया नहीं…’’

‘‘वो बिक सकता है?’’

‘‘शायद.’’

‘‘उस पर नजर रखिए. जरूरत हो तो निकाल सकते हैं.’’

‘‘अगर लीक हुआ हो तो कंपनी को नुकसान?’’

‘‘बहुत ज्यादा नहीं पक्की डील है हमारी. काम भी शुरू हो जाएगा बस, इस की थोड़ी चिंता रहेगी.’’

‘‘मैं उस पर नजर रखता हूं.’’

अगले दिन छुट्टी थी. ड्राइंगरूम में बैठ दादू पोती बात कर रहे थे, ‘‘दादू, टाईपिस्ट विकास ही चोर निकला आखिर.’’

‘‘हां, मेहता ने खरीदा था उसे.’’

‘‘तब तो वो हमारे लिए खतरनाक है.’’

‘‘पर अब वो हमारे काम का है.’’

‘‘कैसे?’’

‘‘उस ने यह काम एक मुश्त मामूली पैसों के लिए किया था. मैं ने प्रतिमाह हजार रुपए बढ़ा दिए.’’

‘‘यह लो, सजा के बदले ईनाम.’’

‘‘बड़ी कंपनी चलाने के लिए दोचार कांटे भी पालने पड़ जाते हैं बेबी.’’

‘‘आप जो ठीक समझो.’’

‘‘बेबी, एक बात तुझ से कहने की सोच रहा था. मेहता संस की हालत अच्छी नहीं है. मतलब डूबने के कगार पर है.’’

‘‘पुरानी खबर है दादू.’’

‘‘तू जानती है? कैसे पता? इन लोगों ने खबर छिपा रखी है और बापबेटे लंबी चौड़ी हांकते घूम रहे हैं.’’

‘‘मैं तो आम स्कूल में नहीं पढ़ी वो स्कूल महंगा स्कूल था. मेरे नब्बे प्रतिशत दोस्त व्यापारी परिवारों के बच्चे थे जिन में बंटी भी था. इन का घर भी गिरवी पड़ा है.’’

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‘‘इतना नहीं पता था मुझे.’’

‘‘हां, व्यापार डूबा है बेईमानी और धोखाधड़ी के कारण और बापबेटे के खराब, दिखावा, अय्याशी के खर्चे में अभी भी कोई कमी नहीं.’’

‘‘बेबी, तेरा भविष्य तो तेरी मम्मा वहां ही बांध गई है. क्या होगा बेटा?’’

‘‘चिंता मत करो दादू. कोई बंधन नहीं, शराब के नशे में इंसान अनापशनाप बोलते ही रहते हैं.’’

‘‘पर उसी को इन लोगों ने पत्थर की लकीर मान लिया है.’’

‘‘इन के मानने से क्या होगा? मैं नाबालिक हूं क्या?’’

‘‘कितने दुख की बात है हाथ का हीरा फेंक कांच का टुकड़ा उठा लिया तेरी मां ने.’’

‘‘मां की बात मां जाने’’ जीवन तो मेरा है.

दोपहर सोने की आदत नहीं थी शिखा को. टीवी का नशा भी नहीं. तो कंप्यूटर खोल कुछ बकाया काम निबटाने बैठी. जो डील हुई है उस से अब निश्चिंत है. तीन बड़ी गारमेंट्स कंपनी को ठेका दे दिया है ढाई महीना समय सीमा दे कर. पंद्रह दिन हाथ में रखा है पैकिंग, कारगो की व्यवस्था इन सब के लिए. यह तीनों कंपनियों के साथ सोनी कंपनी पहले भी काम कर चुकी हैं. भरोसे की पार्टी है समय पर सप्लाई और माल की गुणवत्ता में कभी कोई शिकायत का मौका नहीं मिला और अच्छे व्यापार के लिए यही दोनों बातें अहम हैं फिर भी दादू ने बारबार उन को सावधान कर दिया है कि पहला विदेशी सप्लाई है बीस से साड़े उन्नीस भी नहीं होना चाहिए. सच दादू न होते तो वो कुछ भी नहीं कर पाती. दादू की छाया में रह कर ही वो इतनी कुशलता से सिर्फ व्यापार को चला ही नहीं रही वरन् ऊंचाई पर ले जाने में सफल हो रही है. और मम्मा ने दादू को सदा ही वेतन पाने वाला कर्मचारी ही समझा ससुर का आदर सम्मान कभी दिया ही नहीं उन को, दादू बेटा जाने के बाद भी यहां टिके रहे बस शिखा के लिए, नहीं तो उन के जैसे अनुभवी और ईमानदार व्यक्ति का आदर कम नहीं. कोई भी दुगने पैसों से उन का स्वागत कर लेता. कल दादू ने ठीक ही कहा था मम्मा ने हाथ से कच्चा हीरा फेंक कांच का टुकड़ा उठा लिया था यह भी नहीं सोचा कि कांच हथेली को काट लहूलुहान कर देगा.

कच्चा हीरा था सुकुमार, नाम जैसा ही कोमल भावुक और मृदुभाषी. रंग सांवला अवश्य था पर सौम्यता लिए आकर्षक व्यक्तित्त्व था उस का. कितना मीठा गला था उस का और क्लास क्या पूरे स्कूल का बैस्ट स्टूडैंट. मां के विराग का एक ही कारण था कि वह गरीब था. मातापिता नहीं थे एक आश्रम में बड़ा हुआ वो भी उम्र की एक सीमा तक फिर तो घर के दो बच्चों को मुफ्त पढ़ाने के बदले किसी बड़े आदमी के आउट हाऊस में रहता था कुछ और बच्चे पढ़ा अपना खर्चा चलाता था. शिखा, बंटी यह सब जिस स्कूल में पढ़ते थे वो महंगा स्कूल था बड़े बिजनैसमैन, नेता, मंत्री, अभिनेता जैसे लोगों के बच्चे ही वहां प्रवेश पाते. वहां ही सुकुमार पढ़ता था यह भी संयोग की बात थी. असल में इस स्कूल के प्रतिष्ठक जो थे वो धार्मिक और दयालू थे. उन्होंने एक नियम बनाया था कि प्रतिवर्ष छटी क्लास में कोई गरीब बेसहारा पर मेधावी को स्कूल ट्रस्ट गोद लेगा उस के ग्रैजुऐशन तक स्कूल कालेज का पूरा खर्चा उठाएगा. उन का चुनाव होगा एक प्रतियोगिता के द्वारा. सुकुमार उस में भी प्रथम आया था तो सहपाठी बन गया. अपने गुण के कारण वो सब का प्रिय बन गया था और शिखा का प्रियतम. उस का पहला प्यार, बचपन का प्यार. मेहता परिवार की नजर शुरू से शिखा पर थी, इतना बड़ा राजपाट अकेली मालकिन वो. बंटी भी बचपन से अति चालाक था वो शिखा से चिपकाचिपका रहता जिस से सुकुमार उस के पास ना आ पाए. शिखा उसे कभी पसंद नहीं करती, काटने की कोशिश भी करती पर मम्मा बंटी की स्कूल की सहेली होने के नाते इस परिवार और बंटी के लिए कोठी नं. 55 के द्वार सदा चौरस खुले रहते बंटी उस का लाभ उठाता. शिखा उस से बोले ना बोले, उस के साथ खेले ना खेले यहां ही पड़ा रहता. पर शिखा, सुकुमार एकदूसरे के प्रति समर्पितप्राण थे पहले ही दिन से. ग्रैजुएशन से पहले ही उस ने मम्मा से उस का हाथ मांगने का साहस कर डाला उसे कुत्ते की तरह दुत्कार ‘कुंजवन’ से निकाला मम्मा ने सब के सामने और शिखा को भी पता नहीं क्या हो गया मम्मा के सुर में सुर मिला उस ने भी उसे अपमानित तो किया ही साथ ही कड़े शब्दों में कह दिया कि आगे वे अपनी शक्ल उसे कभी ना दिखाए.

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