प्रैग्नेंट वाइफ के साथ बेबी शावर में पहुंचे कपिल, गिन्नी का दिखा बेबी बंप

टीवी के कौमेडियन कपिल शर्मा जल्द ही पापा बनने वाले हैं और इन दिनों वो अपनी प्रेग्नेंट वाइफ गिन्नी चतरथ के साथ स्पेशल टाइम स्पेंड कर रहे हैं. अब हाल ही में कपिल, गिन्नी के साथ अपने दोस्त के बेबी शावर पार्टी में पहुंचे. कपिल और गिन्नी ने दोस्तों के साथ खूब मस्ती की. इसके साथ ही इस दौरान गिन्नी का बेबी बंप भी साफ़ नजर आ रहा था. देखें तस्वीरें-

बेबी शावर में मस्ती करते दिखी कपिल के शो की टीम

बेबी शावर कपिल के शो के राइटर वंकुश अरोड़ा की पत्नी रिद्धि भट्ट के लिए रखा गया था. वंकुश अरोड़ा की पत्नी रिद्धि भट्ट की बेबी शावर पार्टी में कपिल के साथ-साथ उनके शो की पूरा टीम वहां पर मस्ती करती नजर आई.

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कपिल ने की गिन्नी की प्रेग्नेंसी कंफर्म

कपिल ने गिन्नी की प्रेग्नेंसी कंफर्म करते हुए उन्होंने कहा, ‘मैं सिर्फ अपनी पत्नी की देखभाल करना चाहता हूं. पहले बच्चे को लेकर पूरा परिवार काफी एक्साइटेड है. मेरी मां सबसे ज्यादा खुश है. वो इस पल का सालों से इंतजार कर रही हैं. हम सिर्फ गिन्नी और बच्चे की हैल्थ के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.’

 

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❤️ you n I in this beautiful #world ?#love #whistler #beautifulbritishcolumbia ? @ginnichatrath

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गिन्नी की प्रेग्नेंसी को लेकर कहा ये

कपिल ने ये भी कहा था, हम नहीं जानते कि लड़का होगा या लड़की. लेकिन जो भी हो परिवार नए सदस्य के स्वागत के लिए काफी एक्साइटेड है’.

 

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कपिल की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो वो जल्द ही हौलीवुड फिल्म एंग्री बर्ड्स 2 में अपनी आवाज का जादू बिखेरने वाले हैं. 23 अगस्त को रिलीज हो रही इस फिल्म का प्रमोशन कपिल जोर-शोर से कर रहे हैं. कपिल के साथ अर्चना पूरण सिंह और कीकू शारदा भी फिल्म का प्रमोशन कर रहे हैं क्योंकि इन दोनों स्टार्स ने भी फिल्म में अरनी आवाज दी है.

लैक्मे फैशन वीक 2019: Katrina Kaif ने रैंप पर मारी रौयल एंट्री 

Lakme Fashion Winter Festive का इंतजार हर किसी को रहता है, जिसमें बौलीवुड के फेमस एक्ट्रेसेस के साथ फेमस डिजाइनर रैंप वौक पर नजर आते हैं. हाल ही में Lakme Fashion Winter Festive 2019 का आगाज मुंबई में हुआ. जहां विंटर कलेक्शन को शो केस करने कटरीना कैफ शोज टौपर बनकर जलवे बिखेरती नजर आईं. आइए आपको दिखाते हैं कटरीना के लुक की खूबसूरत फोटोज…

रैंप पर दिखा कटरीना के हुस्न का जलवा

Lakme Fashion Winter Festive 2019 की शानदार शुरुआत हो चुकी है जहां पर कैटरीना कैफ रैंप पर शानदार वौक करती नजर आईं. रैंप पर कटरीना इतनी खूबसूरत लग रही थीं.

 

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अबाउट लास्ट नाईट ?@manishmalhotra05

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विंटर कलेक्शन को शो केस करती दिखीं कटरीना

सरदी के वेडिंग सीजन फैशन को शो केस करने के लिए कटरीना बौलीवुड के जाने-माने फैशन डिजाइनर मनीष मल्होत्रा के लिए रैंप पर उतरी थीं. वहीं कटरीना का ये लुक स्टाइलिश लग रहा था.

रैंप पर कुछ ऐसा था कटरीना का अंदाज

रैंप पर कटरीना ब्लैक और गोल्डन कलर के लहंगे में नजर आई. इस लहंगे के साथ कटरीना ने डीप नेक का टौप कैरी किया था. इस लहंगे का दुपट्टा कटरीना ने अपने हाथ में बांधा हुआ था. कटरीना का यह अंदाज विंटर वेडिंग सीजन के लिए परफेक्ट औप्शन है.

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रैंप पर मस्ती के अंदाज में दिखीं कटरीना

जहां एकतरफ अपने हुस्न के जलवे बिखेरती हुए कटरीना एलिंगेट लुक में नजर आईं तो वहीं रैंप पर मस्ती भरे अंदाज में रिलेक्स करते हुए रैंप वौक करते हुए नजर आईं.

अपने ब्लैक लहंगे के साथ कटरीना ने बड़ा ही शानदार नेकपीस भी पहना हुआ था। इस गोल्डन नेकपीस की वजह से उनका लहंगा और भी ज्यादा खूबसूरत लग रहा था। एकदम अलग डिजाइन होने की वजह से हर किसी की निगाहें इस नेकपीस पर ही जा टिकी थीं.

600 की साड़ी के साथ लाखों का बैग लेकर निकली कंगना, जमकर हुईं ट्रोल

बौलीवुड की क्वीन यानी एक्ट्रेस कंगना रनौत इन दिनों सुर्खियों में छाई हुई हैं. अब चाहें उनकी फिल्म को लेकर विवाद हो या पर्सनल लाइफ को लेकर खबरें, लोग हमेशा उन पर नजर रखते हैं. वहीं इस बार सुर्खियों में आने की वजह बहन रंगोली की शेयर की हुई फोटो के साथ उनका कैप्शन है, जिसके कारण कंगना ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. आइए आपको बताते हैं कंगना का ट्रोलिंग केस का पूरा मामला…

बहन की वजह से हुईं ट्रोल

बीते दिनों रंगोली ने कंगना की एक फोटो शेयर की जिसमें वो कौटन की साड़ी पहने नजर आ रही थीं. इस फोटो को शेयर करते हुए रंगोली ने बताया कि उस साड़ी की कीमत 600 रुपए है.

 

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Sari + trench = ????? (tap for credits) . . Trench: Givenchy Bag: Prada Sari: Kolkatta Cotton Sari Photos: @varindertchawla

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बहन रंगोली ने किया ये ट्वीट

कंगना की बहन रंगोली ने ट्वीट करते हुए लिखा, ”जयपुर जाते समय कंगना ने 600 रुपए की साड़ी पहनी जो उन्होंने कोलकाता से खरीदी थी. उस समय वो हैरान रह गईं थी कि इतनी कम कीमत में भी इतना अच्छा कौटन मिल सकता है. लोग कितनी ज्यादा मेहनत करते हैं और इसके बदले में कितना कम हासिल करते हैं.”

लोगों ने इस तरह किया कंगना को ट्रोल

रंगोली के इसी पोस्ट को लेकर कंगना ट्रोल हो गई. ट्रोलिंग का खास कारण उनकी एक सिंपल सी कौटन की साड़ी नहीं बल्कि हाथों में प्राडा का ब्रांडेड हैंडबैग लिए नजर आ रही हैं. इसी को लेकर यूजर्स के मजेदार रिएक्शन सामने आए हैं.

यूजर्स ने ये किया ये कमेंट

यूजर ने लिखा, इस प्राडा बैग की कीमत 1 लाख 20 हजार रुपए है. एक ही फोटो में कितना दोहरापन है. प्राडा का बैग जिसकी कीमत 2-3 लाख है, सनग्लास और हील्स की कीमत भी लाखों में है.आपको प्रौपगेंडा भी प्राइस लेस है. फेक होने की भी कोई लिमिट होती है. एक अन्य यूजर ने लिखा कि साड़ी के साथ-साथ सेंडल, मेकअप, कोट और बैग की कीमत भी लिखिए.

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बता दें, हाल ही में कंगना की बहन ने फिल्म ‘जजमेंटल है क्या’ के पोस्टर पर भी एक्टर वरुण धवन को ट्रोल करने की कोशिश की थी. साथ ही एक्ट्रेस तापसी पन्नू को कंगना की ‘सस्ती कौपी’ कहा था, जिसके कारण वह लोगों के निशाने पर आ गई हैं.

‘me too’ पर अनु मलिक ने दिया ये बयान, पढ़ें पूरी खबर

बौलीवुड में पिछले 42 वर्षों से लगातार काम करते आ रहे गीतकार, गायक व संगीतकार अनु मलिक ने कभी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाया. वह हमेशा अपनी मर्र्जी का काम करते रहे हैं.जब बौलीवुड फिल्मों में एक ही फिल्म में चार से छह संगीतकारों की परंपरा शुरू हुई, तब भी अनु मलिक ने उन्ही फिल्मों में संगीत दिया, जिनमें उन्हें अकेले काम करने का अवसर मिला.इसके बावजूद जब बौलीवुड में ‘‘मी टू’’का मसला उठा, तो उन पर उंगली उठी. पर वह शांत रहे.कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. मगर पूरे दस माह तक उन्हें कोई काम नहीं मिला. उन्हें टीवी के रियलिटी शो से भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. मगर अब एक बार फिर वक्त ने करवट ली है. उन्हे टीवी के रियालिटी शो से बुलावा आ गया है, तो वहीं उनके द्वारा लिखा, स्वरबद्ध और संगीत से संवारे गए गीत ‘‘मंडे’’ का वीडियो ‘यूट्यूब’पर धूम मचा रहा है. मजेदार बात यह है कि अनु मलिक ने इस म्यूजिक वीडियो में खुद एक्टिंग किया है. प्रस्तुत है अनु मलिक के संग हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश..

सवाल- दस महीने आपके पास काम क्यों नही था?

-जो भी वजहें रही हों, मैं उन पर जाना नहीं चाहता.वह सब समय था.समय कभी आपके साथ होता है.कभी आपके साथ नही होता है. आप समय को गलत नहीं कह सकते. समय को प्रणाम करके आगे बढ़ने के बारे में सोचना पडे़गा. मैंने अपने पिता सरदार मलिक साहब से सीखा है कि कोई भी इंसान आपसे प्यार करे या नफरत करे, पर आपके दिल में उसके प्रति नफरत नही पैदा होनी चाहिए. कभी सामने वाले के प्रति जहर मत रखो. यदि मेरे अंदर जहर होता, तो मैं ‘मंडे’ गीत न बना पाता.शायद मैं शराब पीकर लोगों को गालियां दे रहा होता. आप मेरा पिछले 10 माह का रिकौर्ड देख लें. सोशल मीडिया पर लोगों ने मेरे खिलाफ अनगिनत गालियां बकी.पर मैं चुप रहा.अब सामने वाले ने मुझे गालियां क्यों दी, यह तो वह जाने.मैं तो सत्यमेव जयते में यकीन रखता हूं.मेरे लिए तो सत्यमेव जयते यह है कि मैंने ‘मंडे’ गाना बना दिया, जिसकी लोग तारीफ कर रहे हैं.अब मुझे टीवी रियालिटी शो से जुड़ने का भी निमंत्रण मिल गया है. एकता कपूर ने अपनी फिल्म के लिए मुझे बुलाया है.

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सवाल- मी टू ….?

-कृपया इसको यहीं छोड़ दें. मैं इसको लेकर कोई चर्चा नही करना चाहता. मैं कभी किसी को गाली नही दूंगा.  मैं सबकी इज्जत करता हूं.

सवाल- अपने सिंगल गीत ‘‘मंडे’’को लेकर क्या कहेंगे?

-मंडे गाना मेरे दिल से निकला हुआ गाना है. इसे हमेशा याद रखा जाएगा.यह हर उस युवक की आवाज है,जिसके पास काम नहीं है. यह गाना मेरी आप बीती भी है.यह उन युवकों की भी आप बीती है,जिनके पास काम होता है,पर एक दिन काम चला जाता है.दस माह की बेकारी के दिनों में सोचते सोचते  मेरे दिमाग में एक मुखड़ा आया -‘‘ना कोई काम ना कोई पैसा ना मेरी लाइफ में कैटरीना जैसा कोई चेहरा ना बंगला ना गाडी….बार बार कुंडलियां दिखायी कि दिन कैसा कैसा..ना कोई प्यार या कोई मीटर ….या फोन कब बजेगा आई एम वेटिंग …काम से ना बढ़कर कोई महबूबा …महबूबा आ जा माई हार्ट इज बीटिंग …लाइफ इज संडे बोरिंग होली डे ..गिव मी माई मंडे.’’फिर इसे ंसंगीत से संवारा.ख्ुाद ही गाया और वीडियो मंे एक्टिंग किया.

सवाल- संगीत में जो बदलाव आया है,उसे आप किस तरह से देखते हैं?

-देखिए,संगीत में इतना बड़ा बदलाव नही आया है कि आप उस पर सवाल करने लगे.बदलाव तकनीक का आया है. पर संगीत के सुर तो वही हैं. हिंदुस्तानी जज्बा सुर मांगता है,वह संगीत के सुरों की कद्र करता है. अगर मेरा मंडे गाना लोगों के दिलों को छुएगा तभी वह लोग गुनगुनाएंगे.पर आवाज बदली है. लोग रीमिक्स करने लगे हैं.

सवाल- पर मौलिक गाने बनाने की बजाय लोग रीमिक्स के पीछे क्यों भाग रहें हैं?

-आपने बहुत अच्छा सवाल किया. आपका सवाल सही है.रीमिक्स गीत नहीं बनने चाहिए.मैं बार बार सभी युवा संगीतकारों से कह रहा हूं कि वह कुछ मौलिक धुनें बनाएं.मैंने कहा कि तकनीक के बदलाव के चलते सब कुछ गड़बड़ हो गया है.पहले हम दिमाग से सोचकर संगीत की धुनें बनाया करते थे.अब तो गूगल सर्च पर गए और कई गीतों की धुने मिलाकर एक धुन बना दी. बड़ा आसान काम हो गया है.पर यदि  आप संगीत की संगत करेंगे,तो अच्छा मौलिक काम कर सकते हैं.हम लोग तो एक एक गाने पर छह छह माह लगा देते थे.

सवाल- आप रीमिक्स गानों के पक्ष में हैं या..?

-मुझे बुरा नही लगता.मुझे लगता हैं कि आज की पीढ़ी ने यदि मेरा गीत ‘काली काली आखें..’ या ‘छम्मा छम्मा..’नहीं सुना हैं,तो वह रीमिक्स सुन लें.लेकिन रीमिक्स करने वालों को चाहिए कि जिसने मौलिक मुखड़ा बनाया था,उसका नाम सही ढंग से दें.आप कल्याणजी आनंदजी का गाना उठाकर रीमिक्स करते हैं और कोने में छोटे में उनका नाम लिख देते हैं या देते ही नही हैं,यह गलत है.

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सवाल- क्या वजहें हैं कि हिंदी में ही मौलिक गाने नहीं बन रहे हैं?

-चिंता ना करें यह एक दौर है,जो बहुत जल्दी गुजर जाएगा.

सवाल- आपके संगीत के 42 साल के टर्निग प्वाइंट क्या रहे?

-मेरे करियर का पहला टर्निंग प्वाइंट वह था,जब हरमेश मल्होत्रा ने मुझे फिल्म ‘पूरब पश्चिम’दी थी. जब मेहरा साहब के परिवार ने मुझे ‘एक जान’ और ‘सोनी माहिवाल’ फिल्में दी.मेरे करियर में तीसरा बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट तब आया,जब मनमोहन देसाई ने मुझे फिल्म ‘मर्द’में संगीत देने के लिए चुना. चौथा टर्निंग प्वाइंट वह था,जब महेश भट्ट और मुकेश भट्ट ने मुझे फिल्म‘फिर तेरी कहानी याद आयी’दी. उसके बाद मेजर टर्निंग प्वाइंट रहा-फिल्म ‘‘बाजीगर’’का मिलना.फिर ‘टिप्स’कंपनी के कुमार तोरानी ने मुझे ‘मेजर साहब’दी. उसके बाद 2015 में बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट तब आया,जब आदित्य चोपड़ा ने मुझे बुलाकर ‘‘दम लगाकर हईसा’’ दी.

अगर आप छोटे परदे की बात करें,तो रियालिटी शो ‘इंडियन आइडल’से जुड़ना मेरा बहुत बड़ा टर्निंग प्वाइंट था.इससे मेरे संगीत को मेरा चेहरा मिल गया.

सवाल- कहा जा रहा है कि टीवी के रियालिटी शो में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं?

-यह तो हर इंसान की अपनी अपनी सोच का मसला है.मेरी राय में हिंदुस्तान में टैलेंट की कमी नहीं है. टीवी के इन रियालिटी शो में देश के कोने कोने से बच्चे आते हैं,जिन्हें आगे बढ़ने के लिए रियालिटी शो के रूप में एक प्लेटफार्म मिल गया है.आप नही जानते हैं कि इन रियालिटी शो में बच्चे कितनी गरीबी से उठकर आते हैं.वह इस प्लेटफार्म पर आकर अपने गला,अपनी आवाज का प्रदर्शन करते हैं.फिर जब वह टीवी के रियालिटी शो से बाहर जाते हैं,तो हम सबसे कहीं ज्यादा दुनिया देख चुके होते हैं.यदि मैंने लंदन पांच बार देखा,तो वह 100 बार देख चुके होते हैं.जो बच्चा छोटे से गांव से आकर इतना सब कुछ पाता है, उसके भविष्य से खिलवाड़ कहां हुआ? मैं बता रहा हूं कि यदि बच्चे में टैलेंट नहीं होता है,तो अनु मलिक उनसे कह देता है कि वापस चले जाओ,पढ़ाई करो.डॉक्टर या इंजीनियर बनो.यहां अपनी जिंदगी बर्बाद मत करो.कुछ बच्चे मुझसे नाराज हो जाते हैं.पर मैं अच्छे कलाकार को प्रोत्साहित भी करता हूं.

सवाल- मगर रियालिटी शो में सभी स्टार बन जाते हैं.जबकि विजेता एक होता हैं.विजेता को भी फिल्मों में पाश्र्वगायन का काम नहीं मिलता?

-यह आपकी सोच है.मेरी राय में रियालिटी शो से निकले बच्चे दुनिया देखते हैं,वह कई तरह के संगीत के शो करते हैं.गाना गाते हैं.अच्छे पैसा कमाते हैं.अच्छी जिंदगी जीते हैं.यह हर माह इतना कमाते हैं कि कोई दूसरा आम आदमी नहीं कमा सकता. यदि आपके पास कला है,तो उसका उपयोग किया जाना चाहिए.इसमें कुछ भी गलत नही है.

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सवाल- आपकी बिटिया अनमोल क्या कर रही हैं?

-वह अंग्रेजी गाने बहुत गाती हैं और काफी नाम कमा रही हैं. उसका एक गाना जस्टिन वीवर के साथ एशिया चार्ट में 4 नंबर पर आया था. हैरानी की बात यह है कि भारत में किसी भी पत्रकार ने इस बारे में एक लाइन नहीं लिखी. मेरी बेटी तो हमेशा कहती है कि आप किसी से मेरे बारे में बात मत कीजिएगा. मेरी कला को वक्त ही बताएगा.बहुत मेहनती है. पर प्रचार से दूर रहती है. छोटी बेटी अदा फैशन की दुनिया में अच्छा नाम कमा रही है.

बरसों की साध-आखिर क्या था रूपमती का फैसला?

पहले भाग में आपने पढ़ा…

प्रशांत भाभी का मुंह उत्सुकता से ताकता रहा. वह मन ही मन खुश था कि उस की भाभी गांव में सब से सुंदर है. मजे की बात वह दसवीं तक पढ़ी थी. बैलगाड़ी गांव की ओर चल पड़ी. गांव में प्रशांत की भाभी पहली ऐसी औरत थीं. जो विदा हो कर ससुराल आ गई थीं. लेकिन उस का वर तेलफुलेल लगाए उस की राह नहीं देख रहा था.

इस से प्रशांत को एक बात याद आ गई. कुछ दिनों पहले मानिकलाल अपनी बहू को विदा करा कर लाया था. जिस दिन बहू को आना था, उसी दिन उस का बेटा एक चिट्ठी छोड़ कर न जाने कहां चला गया था.

उस ने चिट्ठी में लिखा था, ‘मैं घर छोड़ कर जा रहा हूं. यह पता लगाने या तलाश करने की कोशिश मत करना कि मैं कहां हूं. मैं ईश्वर की खोज में संन्यासियों के साथ जा रहा हूं. अगर मुझ से मिलने की कोशिश की तो मैं डूब मरूंगा, लेकिन वापस नहीं आऊंगा.’

इस के बाद सवाल उठा कि अब बहू का क्या किया जाए. अगर विदा कराने से पहले ही उस ने मन की बात बता दी होती तो यह दिन देखना न पड़ता. ससुराल आने पर उस के माथे पर जो कलंक लग गया है. वह तो न लगता. सब सोच रहे थे कि अब क्या किया जाए. तभी मानिकलाल के बडे़ भाई के बेटे ज्ञानू यानी ज्ञानेश ने आ कर कहा, ‘‘दुलहन से पूछो, अगर उसे ऐतराज नहीं हो तो मैं उसे अपनाने को तैयार हूं.’’

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आगे पढ़िए…

दुर्भाग्य के भंवरजाल में फंसी नवोदा के लिए ज्ञानू का यह कथन डूबते को तिनके का सहारा की तरह था. उस ने ज्ञानू से शादी कर ली थी. प्रशांत का भी मन ज्ञानू बनने का हो रहा था. लेकिन अभी वह छोटा था. उस की उम्र महज 13 साल थी. दुलहन को घर में बैठा कर पिया का इंतजार करने के लिए छोड़ दिया गया.

अगले दिन इंतजार की घडि़यां खत्म हुईं. ईश्वर भैया शाम की गाड़ी से आ गए. लेकिन आते ही उन्होंने फरमान सुना दिया कि वह इस दुलहन को नहीं रखेंगे. लोगों ने समझायाबुझाया पर वह किसी की नहीं माने.

पति का फरमान सुन कर भाभी रोने लगीं. सुबह भाभी का चेहरा उतरा हुआ था. आंखें इस तरह लाल और सूजी थीं, जैसे वह रात भर रोई थीं. प्रशांत ने इस बारे में पूछा तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया. रूपमती की चुप्पी पर प्रशांत ने अगला सवाल किया, ‘‘भाभी, दिल्ली से भैया आप के लिए क्या लाए हैं?’’

‘‘मौत.’’ रूपमती ने प्रशांत को संक्षिप्त सा जवाब दिया.

भाभी के इस जवाब पर प्रशांत को गहरा आघात लगा. उस ने कहा, ‘‘लगता है भाभी आप रात में बहुत रोई हैं. क्या हुआ है, कुछ बताओ तो सही.’’

‘‘भैया, अभी यह सब तुम्हारी समझ में नहीं आएगा. दूसरे के दुख में आप क्यों दुखी हो रहे हैं. मेरे भाग्य में जो है वही होगा.’’ कह कर भाभी फफक कर रो पड़ी. दिल का बोझ थोड़ा हलका हुआ तो आंचल से मुंह पोंछ कर बोली, ‘‘आप के भैया बहुत बड़े अधिकारी हैं. मैं उन के काबिल नहीं हूं. उन्हें खूब पढ़ीलिखी पत्नी चाहिए. इसीलिए वह मुझे साथ रखने को तैयार नहीं हैं.’’

रूपमती के साथ जो हुआ था. वह ठीक नहीं हुआ था. लेकिन प्रशांत कुछ नहीं कर सकता था. उसी दिन ईश्वर चला गया. जाने से पहले उस ने प्रशांत के पिता से कहा, ‘‘काका, मुझे यह औरत नहीं चाहिए. इस देहाती गंवार औरत को मैं अपने साथ हरगिज नहीं रख सकता.’’

ईश्वर के जाने के बाद रूपमती ननद के गले लग कर रोते हुए कहने लगी, ‘‘अगर इस आदमी को ऐसा ही करना था तो मुझे विदा ही क्यों कराया गया. विदा करा कर मेरी जिंदगी क्यों बरबाद की गई. अब कौन मुझे कुंवारी मानेगा. मैं न इधर की रही न उधर की.’’

अब सवाल था रूपमती को मायके पहुंचाने का. मामला तलाक का था. इसलिए घर का कोई बड़ा रूपमती को मायके ले जाने के लिए राजी नहीं था. जब कोई बड़ाबुजुर्ग रूपमती को ले जाने के लिए राजी नहीं हुआ तो उसे मायके ले जाने की जिम्मेदारी प्रशांत की आ गई.

रेलवे स्टेशन से रूपमती का घर ज्यादा दूर नहीं था. कोई संदेश मिला होता तो शायद स्टेशन पर कोई लेने आ जाता. प्रशांत और रूपमती पैदल ही घर की ओर चल पडे़. सामान स्टेशन पर ही एक परिचित की दुकान पर रख दिया गया था.

राह चलते हुए अपनी व्यथा व्यक्त करने की खातिर गांव के ज्ञानेश उर्फ ज्ञानू के बारे में बता कर प्रशांत ने कहा, ‘‘आज मुझे अपने देर से पैदा होने पर अफसोस हो रहा है भाभी. अगर मैं 8-10 साल पहले पैदा हुआ होता तो…’’

दुख की उस घड़ी में भी रूपमती के चेहरे पर मुसकान आ गई. मासूम देवर के कंधे पर हाथ रख कर उस ने कहा, ‘‘तो फिर मैं तुम्हारे बड़े होने की राह देखूं?’’

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प्रशांत झेंप गया. गांव आया, फिर घर. गौने गई लड़की के चौथे दिन मायके आने पर उसे देखने के लिए आसपड़ोस की औरतें इकट्ठा हो गईं. उस समय दिल पर पत्थर रख कर रूपमती मुसकराती रही. उस के इस भोलेभाले देवर को ताना न सुनना पड़े, इस के लिए उस ने किसी से कुछ नहीं बताया.

प्रशांत उसी दिन शाम की गाड़ी से लौट आया. रूपमती गांव के बाहर तक उसे छोड़ने आई. विदा करते समय उस ने कहा, ‘‘इस जन्म में फिर कभी मुलाकात हो, तो देवरजी पहचान जरूर लेना. इन चार दिनों में तुम ने जो दिया,’’ प्रशांत का हाथ पकड़ कर सीने पर रख कर कहा, ‘‘इस में समाया रहेगा.’’

इतना कहते हुए रूपमती की आंखों में जो आंसू आए थे, देवनाथ उन्हें आज तक नहीं भूल सका था. इस के बाद से देवनाथ को हमेशा लगता रहा कि जिंदगी में कहीं कुछ छूटा हुआ है, जो तमाम तलाशने पर भी नहीं मिल रहा है.

धीरेधीरे यह प्रसंग मन के किसी कोने में दबता गया और इस के मुख्य पात्रों की स्मृति धुंधली होती गई. इस की मुख्य वजह यह थी कि दोनों ओर से संबंध लगभग खत्म हो गए थे. बदल रही जीवन की घटनाओं के बीच यह दु:सह याद उस ने अंतरात्मा के किसी कोने में डाल दी थी.

प्रशांत को सोच में डूबा देख कर रूपमती ने कहा, ‘‘आप बड़े तो हो गए, पर किया गया वादा भूल गए, निभा नहीं पाए.’’

‘‘भाभी, आप ने भी तो मेरी राह कहां देखी.’’

‘‘देखी देवरजी, बिलकुल देखी. बहुत दिनों तक देखी. आप का इंतजार आज तक करती रही. राह आंख से नहीं, दिल से देखी जाती है देवरजी.’’

प्रशांत आगे कुछ कहता, उस के पहले ही रूपमती ने उठते हुए बहुओं से कहा, ‘‘सुधा बेटा, तुम्हारे यह चाचाजी, मेरे सगे देवर हैं, तुम इन के पास बैठो. इन के लिए आज मैं खुद खाना बनाऊंगी और सामने बैठ कर खिलाऊंगी. बरसों की अधूरी साध आज पूरी करूंगी.’’

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बिजली मुफ्त औरतें मुक्त

दिल्ली में अरविंद केजरीवाल का 2 बत्ती, 1 टीवी, 1 पंखा, 1 फ्रिज, 1 कूलर, 1 कंप्यूटर के लायक 200 यूनिट तक की बिजली मुफ्त करने का फैसला चतुराईभरा है. 200 यूनिट तक का बिल अब माफ कर दिया गया है. शहर के 45 लाख उपभोक्ताओं को इस से लाभ होगा और बिजली का बिल भुगतान न होने के कारण बिजली इंस्पैक्टरों की धौंस का सामना नहीं करना पड़ेगा.

सरकारी आंकड़ों के हिसाब से वैसे भी 33% घरों में 200 यूनिट से कम बिजली खर्च होती है. अब तक लोग 200 यूनिट के 600-700 ₹ देते थे. इस से पहले खर्च ₹1,200 था जिस की खपत ज्यादा है, वे पक्की बात है कि अब कम बत्ती का इस्तेमाल कर के 200 यूनिट के नीचे रहना चाहेंगे. सब से बड़ी बात यह है जब बत्ती मुफ्त मिल रही है तो घर के सामने खुले तारों पर कांटा डाल कर बत्ती जलाने की आदत भी खत्म हो जाएगी.

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इस पर खर्च 1,400 करोड़ ₹ तक आ सकता है पर 60,000 करोड़ के बजट में यह कोई खास नहीं. खासतौर पर तब जब सरकार को कम बिल भेजने पड़ेंगे. एक बिल छापने, भेजने, पैसा वसूल करने में ही 50 से 100 रुपए लग जाना मामूली बात है. बिजली दफ्तर जा कर बिल जमा कराने में शहरी गरीब जनता को न जाने कितना खर्च करना पड़ता है.

जब सरकार जगहजगह वाईफाई फ्री कर ही रही है कि लोग मोबाइलों का इस्तेमाल कर के हर समय सरकार के फंदे में रहें तो गरीबों को यह छूट देना गलत नहीं है. गरीब औरतों के लिए यह वरदान है कि अब उन की बिजली कटेगी नहीं और वे न रातभर खुले में सोने को मजबूर होंगी और न उन के बच्चे रातभर पढ़ने से रह जाएंगे.

सरकारें बहुत पैसा वैसे भी जनहित के कामों के लिए खर्च करती हैं. हर शहर में पार्क बनते हैं पर पार्क में जाने के लिए पैसे नहीं लिए जाते. सड़कें, गलियां बनती हैं जिन पर चलने की फीस नहीं ली जाती. सस्ते सरकारी स्कूल, कालेज, विश्वविद्यालय हैं जहां बहुत कम पैसों में पढ़ाई होती है. बहुत अस्पतालों में तामझाम का पैसा न ले कर इलाज होता है.

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जो लोग इसे टैक्सपेयर की जेब पर डाका मान रहे हैं यह भूल रहे हैं कि उन के अपने कर्मचारी अब ज्यादा सुरक्षित, सुखी और प्रोडक्टिव हो जाएंगे, क्योंकि वे अंधेरे के खौफ में न रहेंगे.

जनहित काम केवल कांवड़ यात्रा का नहीं होता, पटेल की मूर्ति का नहीं होता, मन की बात का जबरन प्रसारण नहीं होता, बिजलीपानी भी जरूरी है. साफ हवा की तरह गरीब औरतों के लिए थोड़ी सी बिजली मुफ्त हो तो एतराज नहीं. यह उन्हें कटने के खौफ से मुक्त रखेगा.

चौकलेट पेडीक्योर से कहें क्रैक हील्स को बाय-बाय

“आपके पैर बड़े खूबसूरत हैं इन्हें जमीन पर मत उतारिएगा”!! ये मशहूर डायलोग फिल्म पाकिजा से है जिसमें मीना कुमारी के पैरों की खूबसूरती की तारीफ करने के लिए राजकुमार कहते है. आज वह दोनों किरदार नहीं लेकिन आज भी लड़कियां इस डायलौग के लिए तरसती हैं.कौन सी ऐसी महिला या लड़की होगी जो नहीं चाहेगी कि उसके पैर खूबसूरत दिखें?

अकसर फटी एड़ियां ना सिर्फ आपके पैरों में दर्द देती हैं बल्कि उनकी खूबसूरती को भी कम कर देती हैं. अब आपको किसी फंक्शन या पार्टी में जाना हो तो एड़ियों को छुपाने की जरूरत नहीं. बल्कि आप अपने सुंदर-सुंदर पैरों को बेहिचक दिखाएं. बस आपको इसके लिए चौकलेट पेडिक्योर करना है.

जी हां चौकलेट पेडीक्योर पैरों में ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में मदद करता है. साथ ही स्किन को मौइश्चर मिलता है. चौकलेट पेडीक्योर आप आसानी से घर पर भी कर सकती हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि कैसे हो चौकलेट पेडीक्योर घर पर.

हमें चाहिए

4 ½ कप पिघली हुई चौकलेट

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2 कप दूध

थोड़ा शहद

एक टब  गर्म पानी

चाकलेट स्क्रब

मौइश्चराइजर

नेल फाइलर किट

लगाने का ये है तरीका

इस के लिए सबसे पहले नाखूनों को साफ करें और काटकर  शेप दें. अब एक बाल्टी गुनगुने पानी में थोड़ा सा सेंधा नमक डालें व 10-15 मिनट तक पैर भिगोकर रखें.

इसके बाद चौकलेट और दूध का  पेस्ट बनायें. अब इस पेस्ट में पैर डालें. कम से कम 20 मिनट तक. इसके बाद पैर धो लें और  स्क्रब करें. चाहे तो  घर पर ही चौकलेट स्क्रब  तैयार कर सकती हैं. 5-10 मिनट तक पैरों की स्क्रबिंग के बाद  ठंडे पानी से पैरों को साफ करें. फिर मौइश्चराइजर लगाकर 2 मिनट तक मसाज करें. बाद में अपनी पसंद का नेल पेंट लगाएं.

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 जानें क्या है फायदे:

स्किन को हाइड्रेट और मौइश्चराइज कर सुंदरता निखारने में सहायक है. चौकलेट सिर्फ टेस्ट के लिए ही नहीं पैरों के लिए भी बेस्ट है.

4 टिप्स: ऐसे रखें दिल का खास ख्याल

अपनी पूरी जिंदगी हम यह मानते हैं कि कोलेस्ट्रौल दिल से जुड़ी बीमारी का एकमात्र कारण है. वास्तव में यह आम धारणा है कि शरीर में बहुत अधिक कोलेस्ट्रौल हमारे दिल से जुड़ी की धमनियों को अवरुद्ध करने के लिए जिम्मेदार है, जिस के चलते अकसर सीने में दर्द होता है और चरम पर होने पर दिल का दौरा पड़ता है. बहरहाल, सच्चाई इस से कहीं ज्यादा जटिल है. आइए, सब से पहले एक नजर डालें कि कोलेस्ट्रौल वास्तव में है क्या. यह यकृत (लिवर) द्वारा निर्मित एक वसीय पदार्थ है, जिस का उपयोग शरीर के हजारों कार्यों को करने में मदद के लिए होता है. करीब 75% कोलेस्ट्रौल का उत्पादन लिवर करता है, बाकी हमारे द्वारा खाए गए भोजन से मिलता है. हमारा शरीर कोशिका झिल्लियों (सेल मेम्ब्रेन)के निर्माण में सहायता के लिए इस का इस्तेमाल करता है. इस के बिना हम पर्याप्त हार्मोनल संतुलन बनाए नहीं रख पाएंगे. कोलेस्ट्रौल एक व्यापक पारिभाषिक शब्द है, जो अच्छे कोलेस्ट्रौल और खराब कोलेस्ट्रौल दोनों को दर्शाता है. लोग आमतौर पर कोलेस्ट्रौल शब्द का इस्तेमाल बैड कोलेस्ट्रौल के लिए ही करते हैं, जिसे अकसर दिल के रोगों के लिए जिम्मेदार एकमात्र कारक माना जाता है. वैसे यह सच नहीं है.

दिल से जुड़ी दिक्कतों के कई कारण होते हैं. ब्लौकेज, सूजन और जलन, खराब जीवशैली, तनाव कुछ ऐसे ही कारण हैं, जबकि दिल से जुड़ी की समस्याओं में कोलेस्ट्रौल का योगदान केवल 30% होता है. इसलिए केवल कोलेस्ट्रौल पर काबू पाने पर फोकस करने के बजाय आदर्श रूप में आप दिल की संपूर्ण देखभाल के लिए समाधानों की तलाश कर सकते हैं और वह भी कम उम्र से ही .

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आप दिल के लिहाज से एक सेहतमंद जीवनशैली अपना कर दिल से जुड़े रोगों की रोकथाम कर सकते हैं. आप के दिल से जुड़ी के बचाव में मदद करने वाली रणनीतियां ये हैं:

1. खानपान हो अच्छा

सेहतमंद खानपान से आप को दिल से जुड़ी बीमारी होने का खतरा कम हो सकता है. फलों, सब्जियों और साबुत अनाज से भरपूर आहार दिल की रक्षा में मदद कर सकता है. खानपान में बहुत ज्यादा नमक अनाज से भरपूर आहार दिल की रक्षा में मदद कर सकता है. खानपान में बहुत ज्यादा नमक और चीनी से दूर ही रहें. संतृप्त वसा का सीमित सेवन महत्त्वपूर्ण है. इस दिशा में पहला कदम खाना पकाने के लिए ऐसा तेल चुनना है, जिस में दिल की सेहत की परवाह करने के लिए उचित तत्त्व सही अनुपात में हों. तेल ओमेगा-3 से समृद्ध होना चाहिए और उस में ओमेगा-6 व ओमेगा-3 के बीच का अनुपात भी आदर्श होना चाहिए. उस में विटामिन ए, डी, ई और औराइजेनौल जैसे पोषक तत्त्व भी होने चाहिए. सेहत से भरे खानपान का मतलब शराब और तंबाकू के सेवन पर सतर्क निगाह रखना भी है.

2. वजन सीमा में रखें

ज्यादा वजन होने का मतलब है कमर के आसपास अतिरिक्त वसा जमाए रखना. यह दिल से जुड़ी बीमारी के खतरे को बढ़ाता है. दिनचर्या में नियमित व्यायाम शामिल करने से दिल से जुड़ी रोगों का खतरा कम हो सकता है. जब आप सही मात्रा में भोजन लेने के साथसाथ जीवनशैली में शारीरिक गतिविधियां भी जोड़ लेते हैं, तो इस का असर और भी बढि़या होता है.

3. तनाव को काबू में रखें

तनाव को प्रबंधित करने के लिए रिलैक्स करने वाले अभ्यास या ध्यान जैसे वैकल्पिक तरीकों की तलाश आप के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है.

4. रात को पूरी नींद अवश्य लें

जिन्हें पर्याप्त नींद नहीं मिल पाती, उन में मोटापा, उच्च रक्तचाप, दिल का दौरा पड़ने, मधुमेह और अवसाद का खतरा अधिक होता है. हर वयस्क के लिए हर रात 7-8 घंटे की नींद बहुत जरूरी है.

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द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ के एक अध्ययन के अनुसार, भारत पर पड़ने वाले बीमारियों के कुल बोझ में दिल के रोगों का योगदान 1990 के बाद से लगभग दोगुना हो गया है. इस आंकड़े पर विचार करते हुए यह समझना बेहद महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि अकेले उच्च कालेस्ट्रौल में कमी लाना ही दिल से जुड़ी की सेहत की गारंटी नहीं दे सकता, क्योंकि इस में कई अन्य कारकों की भी भूमिका होती है. वक्त आ गया है कि आप अपने दिल से जुड़ी की जिम्मेदारी स्वयं लें और समग्र रूप से इस के लिए सेहतमंद जीवनशैली पर चलना शुरू करें.

शिल्पा शेट्टी ने किया भारत की पहली मीट-बेस्ड स्प्रेड रेंज का शुभारंभ

भारत के पहले और एकमात्र मीट फूड ब्रांड लिसियस ने पैकेज्ड फूड श्रेणी में भारत की पहली मीट-आधारित-स्प्रेड रेंज का आज मुंबई में आयोजित एक भव्य समारोह में बौलीवुड की मशहूर अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के हाथों लांच किया. कंपनी का मानना है कि इस नए उत्पाद के आने से भारत में मीट खाने वाले भारतीयों के उपभोग के स्टाइल में बदलाव आएगा. कंपनी गत पांच साल से इस कारोबार में हैं और अब कंपनी अपने ग्रोथ के मद्देनजर विभिन्न उत्पादों के साथ विविधीकरण करने जा रही है. कंपनी की जल्द ही और नए उत्पाद शुरु करने की योजना है.

लौन्च के अवसर पर कंपनी के फाउंडर्स अभय हंजुरा और विवेक गुप्ता ने कहा कि हमने औनलाइन बिक्री के जरिए ताजा और रौ मीट के उत्पादों की बिक्री के जरिए न केवल रौ और फ्रैश मीट की श्रेणी में मुख्य मुकाम हासिल किया है बल्कि प्री-मैरीनेटेड मीट और बौटल्ड स्प्रेड में रेडी-टू-कुक (आरटीसी) और रेडी-टू-ईट (आरटीई) कैटेगरी में भी काफी आगे निकल गए हैं. हमने अपने उत्पादों की श्रेणी में वृद्धि की है.

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लिसियस के नए उत्पाद के लांच अवसर पर मुख्य अतिथि शिल्पा शेट्टी कुंद्रा ने कहा कि एक माँ और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक इंसान होने के नाते मैं दैनिक खाद्यों और अपने लाइफ स्टाइल के व्यस्ततम क्षणों से अवगत हूं. यह हमारे रोजमर्रा के जीवन में एक चुनौती रहती हैं. अक्सर कहा जाता है कि हम वही खाते हैं जो हम चाहते हैं. इसलिए उसमें क्वालिटी रहनी ही चाहिए.

भारत में स्प्रेड मार्केट 800 मिलियन अमेरिकी डौलर का है और इसमें हर साल 16 प्रतिशत की वृद्धि हो रही है. बटर, जैम, चौकलेट स्प्रेड और मेयो-आधारित स्प्रेड प्रमुख उत्पाद रहे हैं जबकि मीट खाने वालों के लिए बहुत ही कम ऑफर रहे हैं. चूंकि भारत में 72 प्रतिशत भारतीय मीट का सेवन करते हैं, लिसियस को यहां बड़ा बाजार मिलने की संभावना है औऱ कंपनी इसके लिए भरसक प्रयास में लगी है. कंपनी शुरुआत में छह विशिष्ट स्वाद वाले मीट स्प्रेड- बटर चिकन, कॉन्टिनेंटल चिकन, हनी-मस्टर्ड चिकन, शावरमा चिकन, स्वीट टैमरिंड चिकन और हर्बी-टोमैटो चिकन पेश कर रही है.

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न्यू बौर्न बेबी के लिए बेस्ट है टच थेरैपी

बच्चे को नहलाने से पहले तेल मालिश उस की हड्डियों को मजबूत और स्किन को सुंदर बनाती है. यही वजह है कि अधिकांश घरों में  तेल, क्रीम और लोशन से बच्चे की मालिश की जाती है. मगर बच्चे की मालिश से पहले डाक्टर की सलाह लेना बहुत जरूरी है ताकि आप बच्चे को सही तेल की मसाज दे सकें. बच्चे की स्किन बेहद नाजुक और संवेदनशील होती है. अत: थोड़ी सी लापरवाही भी उस की स्किन के लिए खतरा बन सकती है.

इस बारे में नवी मुंबई के मदरहुड हौस्पिटल के डा. सुरेश बिराजदार बताते हैं कि मालिश बच्चे के लिए लाभदायक होती है. इस से बच्चे में चुस्ती और फुरती आती है, शरीर का ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है, जिस से उस का अच्छा विकास होता है.

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दरअसल, मालिश एक टच थेरैपी है, जिसे अधिकतर माएं करती हैं. मां के मालिश करने से उस का प्रभाव बच्चे पर अधिक रहता है, धीरेधीरे बच्चे का मां से संबंध प्रगाढ़ होता है. यही नहीं मालिश से कई बीमारियां भी दूर होती हैं. रोजाना मालिश से शिशु खुश रहता है.

आजकल कई घरों में मालिश मेड से करवाई जाती है, जिस का फायदा तो है पर मां को आसपास रह कर शिशु से इमोशनल बौंडिंग को मजबूत करने की जरूरत होती है. वैसे तो मां के साथ बच्चे का जुड़ाव जन्म से ही होता है, क्योंकि बच्चा उस की कोख से जन्म लेता है, लेकिन मसाज एक शारीरिक स्पर्श है, जो उसे और अधिक सिक्योर महसूस कराती है.

कब तक करें

डाक्टर सुरेश कहते हैं कि पहले साल बच्चे को मसाज देने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि इस के बाद वह खुद अधिक ऐक्टिव होने लगता है, इधरउधर की चीजें ऐक्स्प्लोर करने लगता है. वह सोना नहीं चाहता. ऐसे में अधिक मसाज की जरूरत नहीं होती. इन्फैंट को मसाज देने की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि वे अधिक देर तक बिस्तर पर लेटे रहते हैं. अगर बच्चा मसाज को ऐंजौय करता है, तो ढाई साल तक मसाज करना अच्छा रहता है. इस के निम्न फायदे हैं:

– मालिश से रक्तसंचार बढ़ता है.

– शिशु की हड्डियां और मसल्स मजबूत होती हैं.

– शारीरिक विकास सही होता है.

– मसाज के बाद बच्चे को भूख लगती है.

– उस की पहचानशक्ति बढ़ती है.

– अच्छी नींद आती है.

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– वजन सही रहता है.

– बच्चा चिड़चिड़ेपन से दूर रहता है.

– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.

– बच्चा अधिक ऐक्टिव रहता है.

– मां के साथ उस का भावनात्मक संबंध मजबूत होता है.

चुनें सही तेल

मसाज के लिए औयल का सही चुनाव बहुत आवश्यक है. सरसों का तेल, नारियल का तेल और औलिव औयल या बादाम का तेल ये तीनों बच्चों की मसाज के लिए अच्छे होते हैं.

अधिकतर मांएं तेल में आटा या बेसन मिला कर बच्चे की मालिश करती हैं, जिस से उस की स्किन के रोमछिद्र बंद हो जाते हैं और इन्फैक्शन का खतरा बढ़ जाता है. इस के अलावा कानों के पीछे, जांघों, आर्मपिट आदि जगहों में कई बार औयल रह जाता है, जिस से वहां नमी होने की वजह से इन्फैक्शन हो जाता है. इसलिए बच्चे के शरीर से औयल अच्छी तरह साफ कर लें. बच्चे की हलके हाथों से मालिश करें.

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मालिश के लिए सही समय चुनें. बच्चे को कुछ खिलाने या स्तनपान कराने के बाद मालिश कतई न करें. मालिश के बाद बच्चे के शरीर से तेल पोंछ दें और उसे कुछ देर यों ही खेलने दें. फिर नहलाएं.

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