Father’s Day 2019: सबसे प्यारे ‘मेरे पापा’

तथागत कुमार, (नई दिल्ली)

मेरे पापा बहुत ही मेहनती, दयालु, प्यारे और सही का साथ देने वाले इंसान हैं, उनका नाम श्री मान राकेश कुमार योगी है. वे दिन में 14 घंटे काम करते हैं फिर भी थकान उनके चेहरे पर नहीं दिखती. वे अपनी जरूरतों को छोड़ पहले हमारा ध्यान रखते हैं.

मम्मा ने कैंसर के दौरान नहीं खोई हिम्मत…

जब मेरी मम्मा को मल्टीपलमायलोमा (ब्लड कैंसर) जैसी खतरनाक बीमारी हो गई थी और डाक्टरों ने भी जवाब दे दिया था तब पापा ही थे जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी, मेरी मम्मा को भरपूर सपोर्ट किया… अपने प्यार से, अपने साथ से. मेरी मम्मा की विल पावर को बढ़ाने में पापा ने हमेशा मदद की. आज मेरी मम्मा बिल्कुल ठीक हो गई हैं. मां की बीमारी के वक्त पापा ने मुझे कभी भी मम्मा का मेरे पास न होने का अहसास तक नहीं होने दिया.

fathers-day

हर जन्म में आपका बेटा होना चाहूंगा…

मैं उस वक्त मात्र पांच साल का था. 2016 में मम्मा जब ठीक हो गयी तब हम सबको बहुत खुशी हुई, घर में जश्न भी हुआ. पापा ने हमेशा हमारा ख्याल रखा, पर  वे हमें थोड़ा कम ही समय दे पाते हैं क्योंकि पापा अपनी मेहनत और काम करके हमारी जिन्दगी को कुशल और बेहतर रखना चाहतें हैं. आप दुनिया के सबसे अच्छे पापा हैं और मेैं हर जन्म में आपका ही बेटा होना चाहूंगा. लव यू पापा…

मैं अपनी इस कहानी के माध्यम से संदेश देना चाहता हूं कि अपने मां-पापा का हमेशा ध्यान रखें, आप कभी भी साथ मत छोड़ना क्योंकि उन्होंने भी कभी आपका साथ नहीं छोड़ा और ना छोड़ेंगे…

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‘गृहशोभा’ दे रहा है आपको मौका अपनी बात उन तक पहुंचाने का. अपनी कहानी आप हमे इस ईमेल पर भेजें- grihshobhamagazine@delhipress.in

‘‘हमारा पंजाबी संगीत ग्रो हो रहा है, पर …’’- दिलजीत दोसांझ

पंजाबी सिनेमा में दिलजीत की पहचान कौमेडी एक्टर की है, जबकि उन्होंने पंजाबी में ‘पंजाब 1984’ और ‘सज्जन सिंह रंगरूट’जैसी सीरियस फिल्में की हैं, लेकिन बौलीवुड में उन्होनें अब तक गंभीर रोल ही निभाए हैं. पर 2019 में बौलीवुड में वह ‘अर्जुन पटियाला’ और ‘गुड न्यूज’ में वह कौमेडी करते नजर आएंगे. इन दिनों वह 21 जून को प्रदर्शित हो रही पंजाबी कौमेडी फिल्म ‘‘छड़ा’’ को लेकर चर्चा में हैं. बौलीवुड में उनकी सफलता के चलते पंजाबी फिल्म ‘‘छड़ा’’को हिंदी के सब टाइटल्स के साथ प्रदर्शित किया जाएगा. हाल ही में दिलजीत दोसांझ से हमारी एक्सक्लूसिंब बातचीत हुई, जो कि इस प्रकार रही..

सवाल- आप सिंगर और अभिनेता हैं.पंजाबी के अलावा हिंदी में भी काम कर रहे हैं. तो वहीं आप हर साल विदेशों में अपने संगीत के कार्यक्रम भी करते रहते हैं. इतना सब कुछ कैसे कर लेते हैं?

बड़ी मेहनत करनी पड़ती है.वैसे मैं हर साल दो पंजाबी फिल्में और दो हिंदी फिल्में करता हूं, बाकी समय मैं संगीत को देता हूं. मगर मैं अपनी निजी जिंदगी और परदे की जिंदगी को एक दूसरे से अलग रखता हूं. मुझे लगता है कि मैं जो भी काम कर रहा हूं, उसे करते हुए इंज्वौय कर रहा हूं, इसलिए कर पा रहा हूं. जहां तक किरदारों को आत्मसात करने का सवाल है तो मैं हमेशा लोगों को आब्जर्व करता रहता हूं,यह बात मेरे अभिनय में मददगार साबित होती है.

सवाल- बौलीवुड में आपने गंभीर किरदार निभाते हुए कदम रखा और एक पहचान बन गयी.पर अब आप बौलीवुड में भी कौमेडी फिल्में‘‘अर्जुन पटियाला’’और ‘‘गुड न्यूज’’ कर रहे हैं?

मैं फिल्म की पटकथा और किरदार को महत्व देता हूं.पंजाबी सिनेमा में तो अस्सी प्रतिशत कौमेडी फिल्में ही की हैं. मुझे कौमेडी के अलावा सीरियस व हर तरह के किरदार निभाने में मजा आता है. ‘अर्जुन पटियाला’ और ‘गुड न्यूज’कौमेडी फिल्में हैं,पर मेरे किरदार काफी अर्थपूर्ण हैं. दूसरी बात ‘अर्जुन पटियाला’’में मैने जिस तरह का किरदार निभाया है और जिस तरह की कौमेडी की है,उस तरह की कौमेडी अब तक मैने किसी फिल्म में नही की.मुझे हमेशा अच्छे किरदार की दरकार रहती है.

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आप जानकर हैरान होंगे कि मेरी पंजाबी कौमेडी फिल्म ‘‘जट एंड जूलिएट’’ने पंजाबी सीरियस फिल्म‘‘पंजाब 1984’’के मुकाबले कई गुणा ज्यादा पैसा कमाया.इसके बावजूद जब भी लोग मुझसे मिलते हैं,तो ‘‘पंजाब 1984’’की बात करते हैं.‘‘पंजाब 1984’’की वजह से मुझे बॉलीवुड में आने का मौका मिला.

सवाल- आपने पंजाबी में 15 फिल्में की हैं और हिंदी में 6 फिल्में की हैं.इनमें कोई ऐसा किरदार था,जिसने आपकी निजी जिंदगी पर असर किया हो?

आज मैं आपसे निवेदन करना चाहूंगा कि यदि आपने हमारी पंजाबी फिल्म ‘‘पंजाब 1984’’नही देखी है,तो जरूर देखिए.यह फिल्म इस वक्त नेटफिलिक्स पर मौजूद है.इसे  नेशनल अवार्ड मिला था. यह फिल्म 4 जून 194 की ‘आपरेशन ब्लू स्टार’की घटना पर है. मेरे अब तक के करियर की बेहतरीन फिल्म है और इसमें मैंने बेहतरीन किरदार निभाया.इस फिल्म के साथ मेरे लगाव की वजह बहुत बड़ी है. मेरा जन्म 1984 का है,जब 1984 में दरबार साहब में घटना घटी थी, जिसे लोग दंगा कहते हैं,जबकि दंगा शब्द गलत है.वह सरकार द्वारा दरबार साहब पर किया गया अटैक था. दंगे तब होते हैं, जब लोग आपस में भिड़ जाएं, एक दूसरे के खून के प्यासे हो जाएं. पर उस वक्त की सरकार के द्वारा किया गया अटैक था. उस वक्त की सरकार ने ऐसा किया था. 1984 में दरबार साहब में तमाम बेकसूर लोग मारे गए थे.उस घटनाक्रम और उस दिन की दर्दनाक कहानीयों को सुन सुनकर मैं बड़ा हुआ हूं. जब मैं दरबार साहब जाता था, तो देखता था कि इस इमारत को ढहा दिया गया था,जो परिक्रमा क्षेत्र है, वहां लोगों ही लाशें थीं. तो यह सारी कहानीयां मेरे जेहन में बैठी हुई थी. जब मैं कौमेडी फिल्म ‘जट एंड ज्यूलिएट’ की शूटिंग कर रहा था, तब चर्चा हुई थी कि इस विषय पर फिल्म बननी चाहिए.यह बहुत ही संजीदा विषय है, लेकिन हम लोगों ने इस पर फिल्म बनायी.नेशनल अवार्ड मिला. इस फिल्म में किरण खेर व पवन मल्होत्रा सहित कई बौलीवुड कलाकार हैं. जब मैं इस फिल्म की शूटिंग कर रहा था, तो मेरे अंदर से आग निकली, जो मैंने सुन रखी थी .

सवाल- फिल्म ‘‘पंजाब 1984’’की शूटिंग के दौरान की कुछ यादें बयां करना चाहेंगे?

-मैं जिस पीड़ा से गुजर रहा था, उसे शब्दों में बयां नहीं कर सकता. पर हम इस फिल्म के लिए पाकिस्तानी सीमा से जुडे़ पंजाब के एक गांव में शूटिंग कर रहे थे.उस गांव के बुजुर्गों ने हमें बताया कि किस तरह से अटैक हुआ था. उस वक्त उन्होंने कुछ नयी जानकारी दी. क्योंकि उनके सामने सब कुछ हुआ था, जिसे हमने अपनी फिल्म का हिस्सा बनाया. उन बुजुर्गों के घरों में तमाम तस्वीरें थी. गांव के लोगों ने हमें अपने बेटों की तस्वीरें दिखायीं, जिनकी निर्मम हत्या की गयी थी. यह बहुत बड़े स्तर की बात है. पर जो हुआ है, गलत हुआ है. हम शूटिंग करते हुए सोचते थे कि आखिर ऐसा हो कैसे सकता है? उस वक्त हमारे दिमाग में बात आयी थी कि यदि दूसरी बार ऐसा हो गया, तो? सोच की बात है. हम तो भगवान से चाहेंगे कि ऐसा दुबारा ना हो.

सवाल- आपकी पंजाबी फिल्में अब तक पंजाब में ही प्रदर्शित होती रही हैं. पर पहली बार आपकी पंजाबी फिल्म ‘‘छड़ा’’ मुंबई में भी प्रर्दशित हो रही है?

-जी हां! दर्शक हमारी फिल्म देखना चाहते हैं. इसलिए इसे मुंबई, दिल्ली सहित कई दूसरे शहरों में भी प्रदर्शित करने की योजना है. हमने इसमें हिंदी में सब टाइटल्स दिए हैं.

सवाल- पंजाबी फिल्म‘‘छड़ा’’क्या है?

देखिए,छड़ा का मतलब होता है,ऐसा पुरूष जिसकी शादी की उम्र बीत गयी हो,(यह ध्यान रखे कि कुंवारा लड़का वह होता है, जिसकी उम्र शादी करने योग्य हुई हो, मगर तीस साल से अधिक उम्र के लड़के की शादी न हुई हो, तो उसे छड़ा कहते हैं.) मगर उसकी शादी न हो रही हो.तो यह फिल्म ऐसे ही इंसान की कहानी है. इसकी उम्र बीत चुकी है, मगर शादी नहीं हो रही है. यह फिल्म रोमांटिक कौमेडी है. इसमें मैंने एक छड़ा का ही किरदार निभाया है जो कि शादी का फोटोग्राफर है.

सवाल- संगीत के क्षेत्र में आपकी सक्रियता बरकार है?

-जी हां! मेरे सिंगल गाने आ रहे हैं. मैं अभी अगले सप्ताह कनाडा और अमेरिका में अपने शो करने जा रहा हूं.

सवाल- एक वक्त वह था जब संगीत के अलबम और कैसेट बिका करते थे. अब सिंगल गीतों का जमाना आ गया. इससे एक सिंगर व कलाकार के तौर पर आप क्या फर्क महसूस करते हैं?

-देखिए, समय और तकनिक में बदलाव के साथ साथ हर चीज की डिमांड बदलती रहती है. अब डिजिटल मीडियम है, तो लोग सिंगल गाने पसंद कर रहे हैं. मुझे सिंगल गानों के चलन में कोई बुराई नजर नहीं आती.हर सिंगल गाने का वीडियो बनता है. जबकि पहले एक संगीत अलबम में पांच से आठ गाने हुआ करते थे. उनमें से दो तीन गानों का ही वीडियो बनता था. बाकी गाने ऐसे ही रह जाते थे. अब अच्छी बात यह है कि हर गाने का वीडियो बन जाता है.

सवाल- मगर पहले कैसट या अलबम की बिक्री को लेकर नए नए रिकौर्ड बना करते थे, उस वक्त जो खुशी होती थी,वह तो आज…?

रिकौर्ड अब भी बन रहे हैं.अब आप सुनते होंगे कि इस गाने को इतने मिलियन लोगों ने देख लिया.जब हमारा कोई गाना ‘आई टूयन’पर नंबर वन होता है,तो रिकॉर्ड बनता ही है.पहले कैसेट या अलबम की विक्री के आंकड़े हमारी अपनी फिल्म इंडस्ट्री तक सीमित रहते थे. लेकिन ‘आई ट्यून’के आंकड़े पूरे विश्व में जाते हैं. इससे हम पूरे विश्व में पहुंच रहे हैं. दूसरी बात अलबम या कैसट की बिक्री का आंकड़ा तो संगीत कंपनियां दिया करती थी. जबकि सिंगल गानों की लोकप्रियता इंटरनेट पर है, जो कि खुली किताब है. पहले विदेशों में हमारे एलबम नही बिकते थे. हमारे अपने देश वरासी यहां से अलबम या कैसट खरीद कर विदेश ले जाते थे. लेकिन अब डिजिटल और इंटरनेट के जमाने में हमारा सिंगल गाना पूरे विश्व में मौजूद है. अमरीका में बैठा इंसान एक क्लिक पर देख सकता है. कनाडा में बैठा इंसान पता लगा सकता है कि भारत में कौन सा गाना ‘नंबर वन’ है? इतना ही नहीं अब तो डिजिटल से बहुत अच्छे पैसे मिल रहें हैं. तो डिजिटल के आने से नुकसान नहीं फायदा ही है.

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सवाल- आप मानते हैं कि डिजिटल से संगीत को फायदा हुआ?

-सौ प्रतिशत हुआ है. तमाम गायकों व संगीतकारों ने यूट्यूब पर अपने अपने खुद के चैनल शुरू कर दिए. कई कंपनियों ने अपने चैनल शुरू कर दिए.मेरा अपना खुद का यूट्यूब पर संगीत का चैनल है. डिजिटल मीडियम के आने के बाद भी पंजाबी संगीत नहीं मरा, पंजाबी संगीत आज भी ग्रो कर रहा है. मगर बौलीवुड संगीत की हालत खराब हुई है.

सवाल- पंजाबी संगीत लोकप्रियता बढ़ती जा रही है.पर बौलीवुड संगीत खत्म हो गया. इसकी क्या वजह आपकी समझ में आ रही है?

इसके बारे में मुझे कुछ नहीं पता. मैं इतना जानता हूं कि जिस पंजाबी संगीत में मैं काम कर रहा हूं,वह लगातार ग्रो कर रहा है.मजेदार बात यह है कि पंजाबी में जो गाना हिट हो जाता है, पांच छह साल बाद वह यहां हिंदी में आ जाता है. जब हिंदी में यह गाना हिट होता है,तो हमें लगता हे कि हमने तो इसे पांच छह साल पहले सुन लिया था. यह गाना पहले ही हिट था,अभी तो हिट नही हुआ. जबकि बालीवुड वाले कहते हैं कि हमारा गाना हिट हो गया. मैं कई बार कहता हूं कि यही गाना छह साल पहले हमारे पंजाब में हिट हो चुका है.

सवाल- क्या यह माना जाए कि हिंदी वाले पंजाबी गानों की नकल कर रहे हैं?

-नहीं..नहीं..‘नकल’बहुत बुरा शब्द है. अब हिंदी वालों को पंजाबी गाना अच्छा लग रहा है और वह उसे हिंदी में ले रहे हैं, तो यह अच्छी बात है.

सवाल- आप विदेशो में जब म्यूजिकल कंसर्ट करने जाते हैं, तो क्या रिस्पांस मिलता है?

विदेशों में लोग हमें बहुत सुनना चाहते हैं. हम अगले हफ्ते ही कनाडा और अमरीका म्यूजिक कंसर्ट करने जा रहे हैं. वहां बहुत बड़े स्तर पर हमारे म्यूजिक कंसर्ट होते हैं. लोग बहुत इंज्वौय करते हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि कनाडा और अमरीका जैसे देशों में बॉलीवुड के जो शो होते हैं, उनके मुकाबले हमारा शो कई गुणा बेहतर होता है. वह हमसे पंजाबी गाने ही ज्यादा सुनना चाहते हैं. हमारे म्यूजिकल कसंर्ट में भारत व पाकिस्तान से ही ज्यादा लोग आते हैं. मजेदार बात यह हे कि पंजाबी ही नहीं गुजराती लोग भी हमारे गाने को सुनना चाहते हैं.

सवाल- आपके गाने को लेकर कोई ऐसी प्रतिक्रिया मिली हो, जो याद रहे?

जब हमारा गाना रिलीज होता है, तो ढेर सारी प्रतिक्रियाएं आती हैं. विदेशों में जो हमे सुनने आते हैं,वह भी अपनी बात कहते हैं. सच यह है कि मैं इन्हें बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लेता, फिर चाहे वह प्रतिक्रिया अच्छी हो या बुरी. मेरी राय में यदि कलाकार के दिमाग में प्रशंसकों की राय बैठ जाए, तो उसकी जिंदगी गड़बड़ हो जाती है. मैं प्रशंसकों की राय सुनकर मुस्कुराता हूं और आगे बढ़ जाता हूं.

सवाल- आप अपने म्यूजिक चैनल पर किस तरह के गाने देते हैं?

हम यूट्यूब चैनल पर अपनी पसंद के ही गाने देते हैं. कई बार अपने चैनल पर रिलीज करने के बाद किसी संगीत कंपनी से उस गाने की मांग आती है, तो हम उसे बेच भी देते हैं.

सवाल- क्या संगीत की रियाज आज भी जारी है?

सर जी, आपने तो मेरी दुखती रग पर हाथ रख दिया. मैं हर दिन संगीत की रियाज करना चाहता हूं. मगर अभिनय में व्यस्तता के चलते हो नही पा रहा है. पहले मैं हर दिन नियमित रियाज किया करता था. रियाज ना कर पाने का असर यह हुआ कि अब मैं पहले जैसा अच्छा सिंगर नहीं रहा. देखिए, संगीत जैसे क्षेत्र में यदि आपने रियाज नही किया, तो उसका असर आपके संगीत में आता ही है.यदि पहलवान रोज रियाज नहीं करेगा, रोज पहलवानी नही करेगा, तो उसका असर उसकी पहलवानी में आएगा. मैं खुद महसूस करता हूं कि रियाज ना कर पाने की वजह से मेरी गायकी कमजोर हो गयी है. मैं इस सच को जानकर भी कुछ नही कर पा रहा हूं. मैं अपनी तरफ से बहुत कोशिश करता हूं कि रियाज कर लूं,पर कई बार हमें सुबह 6 बजे निकलना होता है, फिर देर रात तक शूटिंग होती है. कई बार तो मुझे चार घंटे से ज्यादा सोने को नही मिलता.हम जिम तक नही जा पाते हैं.ऐसे में संगीत का रियाज नही हो पाता. अभिनय में हम सिर्फ सेट पर जाकर हम अभिनय नहीं करते हैं, उससे पहले भी हमें किरदार पर ध्यान केंद्रित करना होता है. कई बार तो कुछ किरदारों के लिए खास तरह की तैयारी करती पड़ती है. मसलन, मैंने अपनी जिंदगी में कभी हौकी नहीं खेला था, लेकिन फिल्म ‘‘सूरमा’’ में अभिनय करने के लिए मुझे तीन माह तक हौकी खेलना सीखाना पड़ा.

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सवाल- डिजिटल मीडियम के चलते वेब सीरीज बहुत बन रही हैं?

-जी हां मुझे भी पिछले साल एक वेब सीरीज करने का आफर मिला था, अब नाम तो नहीं लूंगा. इसमें बहुत अच्छा किरदार था.सब्जेक्ट अच्छा था.लेकिन डेट क्लैश हुई और नही कर पाया.

सवाल- डिजिटल मीडियल और वेब सीरीज के चलते कही सिनेमा पर संकट तो नही आ जाएगा?

ऐसा कभी नही होगा. जब वीसीआर आया था और लोगों ने अपने घरों में वीडियो कैसेट लेकर फिल्में देखना शुरू किया था, तब भी लोगों ने ऐसा ही कहा था पर सिनेमा कभी खत्म नही हो सकता. लोग थिएटर जाना कभी बंद नही कर सकते. अब तो आए दिन नए सिनेमा घर खुल रहे हैं. देखिए,भारत में सिनेमा देखने जाना बाहर घूमने जैसा होता है. अमेरिका या कनाडा में हमसे पहले वेब सीरीज बनने लगी थी, पर वहां भी लोग अभी भी सिनेमाघर जा रहे हैं.

मैं तो कनाडा व अमरीका बहुत ज्यादा जाता रहता हूं. वहां पर हमारे परिवार के लोग भी हैं. वहां मैंने महसूस किया कि दक्षिण भारत से गए हमारे लोग वहां पर बडे़ पदों पर हैं. अच्छा पैसा कमा रहे हैं. वह वहां पर अपनी भाषा यानी तमिल, तेलगू व मलयालम की फिल्में पूरे परिवार के साथ देखने जाते हैं. मैंने पाया कि वहां के सिनेमाघर भरे होते हैं. आप यकीन करें या ना करें मगर बौलीवुड की बनिस्बत दक्षिण भारत की फिल्में विदेशों में बहुत चलती हैं. यह सुनी सुनायी बात नही है. मुझे याद है एक दक्षिण भारत की फिल्म वहां पूरे डेढ माह तक सिनेमा से उतरी ही नही.

Edited by Rosy

सोसायटी में समलैंगिक व्यक्ति को एक्सेप्ट करने की है जरुरत– कोंकना सेन

बांग्ला फिल्म ‘इंदिरा’ में बाल कलाकार के रूप में काम करने वाली अभिनेत्री कोंकना सेन शर्मा, निर्माता,निर्देशक और लेखक अपर्णा सेन की बेटी है. कलात्मक माहौल में पैदा हुई कोंकना ने लीग से हटकर फिल्मों को एक अलग दिशा देकर अपनी पहचान बनाई है. इस बार स्वभाव से स्ट्रेट फौर्वड कोंकना की शोर्ट फिल्म ‘ए मानसून डेट’ रिलीज हो चुकी है. जिसमें उन्होंने एक यंग वुमन की भूमिका निभाई है, जो अपने प्यार को पाने के लिए निकल पड़ती है. उनसे मिलकर बात हुई पेश है अंश.

सवाल- इस फिल्म को करने की खास वजह क्या है?

यह एक ऐसा चरित्र है जो प्यार को खोजती है. असल में कोई भी व्यक्ति चाहे वह समलैंगिक क्यों न हो, प्यार चाहता है और वह अपनी कमी को समझता है, पर एक सच्चे प्यार की उसे भी तलाश रहती है. मैंने देखा है कि अधिकतर सही रंग रूप के दिखने वाले को ही पर्दे पर दिखाया जाता है. अलग दिखने वाले किसी को भी कोई पर्दे पर नहीं देखना चाहता और इसी बात ने मुझे इस फिल्म को करने के लिए प्रेरित किया.

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सवाल- इस फिल्म की कौन सी बात आपको अच्छी लगी?

मैं उस चरित्र को करना पसंद करती हूं, जिसमें मुझे कुछ ग्रोथ दिखाई पड़े, जो हमारे दिल को बदल दे. इस फिल्म में मुझे यही सब मिला है. इसके अलावा लेखक गजल और निर्देशक तनुजा चंद्रा जो बहुत ही टैलेंटेड है. गजल धालीवाल खुद एक ट्रांसजेंडर है. उन्होंने कहानी को बहुत ही अच्छी तरीके से कही है.

सवाल- समलैंगिक व्यक्ति को लोग अच्छी नजर से नहीं देखते, समाज और परिवार उन्हें स्वीकार नहीं कर पाते, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

वर्ल्ड हेल्थ और्गनाइजेशन ने अभी उन्हें मानसिक रोगी कहने से नकारा है और ये सही भी है. हमारे समाज और परिवार के सोच को भी बदलने की जरुरत है. हमारे कई पुराने संस्कार को भी आज बदलने की जरुरत है. आज भी कई लोग ऐसे है जो शारीरिक रूप से अपंग बच्चे को मरने के लिए छोड़ देते है,जो गलत है. इसमें उन्हें शिक्षा की सबसे अधिक जरुरत है. जिससे लोग अपने आप को कंट्रोल कर सकें और गलत काम करने से परहेज करें. अलग व्यवहार करने वाले व्यक्ति यानि एलजीबीटी समुदाय को भी समाज के सामने लाने से घबराएं नहीं और इसके लिए फिल्म्स,विज्ञापनों, नाटकों, मीडिया, व्यावसायिक क्षेत्रों आदि सभी में उनकी भागीदारी को बढ़ाने की जरुरत है, इससे उन्हें लोग मुख्यधारा में स्वीकार करेंगें. इसका उदहारण पर्यावरण को लेकर समझा जा सकता है. आज के बच्चे पर्यावरण को लेकर काफी जागरूक है. इसकी वजह उन्हें स्कूल के कर्रिकुलम में इसे शामिल करना है. ऐसे किसी भी चीज की जागरूकता को बढाने के लिए बचपन से बच्चों को इसकी शिक्षा देना बेहद जरुरी है.

सवाल- आप किसी भी फिल्म को चुनते समय किस बात का ध्यान रखती है?

यह अलग-अलग होता है अगर कोई बड़ा निर्देशक है तो मैं अधिक नहीं सोचती. इसके अलावा जिस निर्देशक के साथ आपकी ट्यूनिंग अच्छी है, उसके विजन को समझना आसान होता है और काम भी अच्छा होता है. साथ ही पर्दे पर वह कैसे कहानी को कहने जा रहा है, उसे देखती हूं.

सवाल- आप अपनी जर्नी से कितना संतुष्ट है?

मैंने कभी पीछे मुडकर नहीं देखा, जो जैसे आता गया, मैं करती गयी. मुझे कभी लगा नहीं कि मैंने इतना समय इंडस्ट्री में बिताया है. मैं खुश हूं कि मैंने इतना काम किया और आज यहां हूं.

सवाल- आपने अभिनय के अलावा लेखन और निर्देशन का भी काम किया है, किसमें अधिक अच्छा महसूस करती है?

मुझे निर्देशन में इसलिए अधिक अच्छा लगा, क्योंकि मैंने जो लिखा उसका निर्देशन किया, इसमें मैं अपनी भावनाओं को पर्दे पर उतरने में सक्षम रही. आगे और भी क्रिएटिवली स्ट्रोंग कहानी कहने की इच्छा रखती हूं.

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सवाल- आपने कई बड़े-बड़े निर्देशकों के साथ काम करने के अलावा अपनी मां अपर्णा सेन के साथ भी काम किया है, इससे आप कितनी ग्रो हुई?

मैं लकी हूं कि मुझे अच्छे और बड़े निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर मिला. जिसमें वे लोग अधिक थे जो मेरे साथ पहली फिल्म बना रहे थे. जिसमें सोनाली बासु, आयान मुखर्जी, जोया अख्तर आदि कई है. इसके अलावा मैंने अपनी मां के साथ भी काम किया है. बचपन से ही मैंने औब्जरवेशन के द्वारा काफी चीजें उनसे सीखी है. इसमें मैंने देखा है कि मां बहुत ही यंग ऐज में घर को संभालना, बच्चों की देखभाल करना, घर का इंटीरियर करना, औफिस में काम करना, फिल्में बनाना आदि कई काम साथ-साथ किया है. इससे मुझे उनसे कई चीजें सीखने का मौका मिला. कुछ चीजे मेरे ना पसंद होते हुए भी मैंने देखा है, मसलन निर्देशक का सेट पर चिल्लाना, गुस्सा होना आदि जिसे मैं कभी भी करना नहीं चाहती.

सवाल- मां की कौन सी सीख को जिंदगी में उतरना चाहती है?

मेरी मां हर काम को कर सकती है. उनके लिए असंभव कोई चीज नहीं थी. इसलिए आज अगर मैं ऐसे किसी परिस्थिति से गुजरती हूं, तो उन्हें याद करती हूं और काम हो जाता है. उन्होंने मुझे पूरा वर्ल्ड दिखा दिया है. निर्देशक के रूप में भी वह बहुत अच्छी और एनर्जेटिक है. मेरे दोस्त भी उनसे मिलना पसंद करते है.

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 Edited by Rosy                           

ये घर बहुत हसीन है: भाग-3

सहसा आर्यन का फ़ोन बज उठा. आर्यन सब भूल जूस का गिलास टेबल पर रख बच्चे से बातें करने लगा.
रात को अकेले बिस्तर पर लेटी हुई वान्या विचित्र मनोस्थिति से गुज़र रही थी. ‘कभी लगता है आर्यन जैसा प्यार करने वाला न जाने कैसे मिल गया? लेकिन अगले ही पल स्वयं को छला हुआ महसूस करती हूं. सिर से पांव तक प्रेम में डूबा आर्यन एक फ़ोन के आते ही सब कुछ बिसरा देता है? क्या है यह सब?’ आर्यन की पदचाप सुन वान्या आंखें मूंदकर सोने का अभिनय करते हुए चुपचाप लेटी रही. आर्यन ने लाइट औफ़ की और वान्या से लिपटकर सो गया.

अगले दिन भी वान्या अन्यमनस्क थी. स्वास्थ्य भी ठीक नही लग रहा था उसे अपना. सारा दिन बिस्तर पर लेटी रही. आर्यन बिज़नस का काम निपटाते हुए बीच-बीच में हाल पूछता रहा. वान्या के घर से फ़ोन आया. अपने मम्मी-पापा को उसने अपने विषय में कुछ नहीं बताया, लेकिन उनकी स्नेह भरी आवाज़ सुन वह और भी बेचैन हो उठी.

रात को आर्यन खाने की दो प्लेटें लगाकर उसके पास बैठ गया. टीवी औन किया तो पता लगा कि अगले दिन ‘जनता कर्फ़्यू’ की घोषणा हो गयी है.

“अब क्या होगा? लगता है पापा का कहा सच होने वाला है. वे आज ही फ़ोन पर कह रहे थे कि लौकडाउन कभी भी हो सकता है.” वान्या उसांस लेते हुए बोली.

आर्यन ने उसके दोनों हाथ अपने हाथों में ले लिए, “घबराओ मत तुम्हें कोई काम नहीं करना पड़ेगा. प्रेमा कहीं दूर थोड़े ही रहती है कि लौकडाउन में आएगी नहीं. तुम क्यों उदास हो रही हो? लौकडाउन हो भी गया तो हम दोनों साथ-साथ रहेंगे सारा दिन….मस्ती होगी हमारी तो!”

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वान्या को अब कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था. पानी पीकर सोने चली गयी. मन की उलझन बढ़ती ही जा रही थी. ‘पहले क्या मैं कम परेशान थी कि यह जनता कर्फ़्यू ! लौकडाउन हुआ तो अपने घर भी नहीं जा सकूंगी मैं. आर्यन से फ़ोन के बारे में कुछ पूछूंगी और उसने कह दिया कि हां, मेरी पहले भी शादी हो चुकी है. तुम्हें रहना है तो रहो, नहीं तो जाओ. जो जी में आये करो तो क्या करूंगी? यहां इतने बड़े घर में कैसी पराई सी हो गयी हूं. आर्यन का प्रेम सच है या ढोंग?’ अजीब से सवाल बिजली से कौंध रहे थे वान्या के मन-मस्तिष्क में.
अपने आप में डूबी वान्या सोच रही थी कि इस विषय में कहीं से कुछ पता लगे तो उसे चैन मिल जाये. ‘कल प्रेमा से सफ़ाई करवाने के बहाने पूरे घर की छान-बीन करूंगी, शायद कोई सुराग हाथ लग जाये.’ सोच उसे थोड़ा चैन मिला तो नींद आ गयी.

अगले दिन सुबह से ही प्रेमा को हिदायतें देते हुए वह सारे बंगले में घूम रही थी. आर्यन मोबाइल में लगा हुआ था. दोस्तों के बधाई संदेशों का जवाब देते हुए कुछ की मांग पर विवाह के फ़ोटो भी भेज रहा था. वान्या को प्रेमा के साथ घुलता-मिलता देख उसे एक सुखद अहसास हो रहा था.
इतना विशाल बंगला वान्या ने पहले कभी नहीं देखा था. जब दो दिन पहले उसने बंगले में इधर-उधर खड़े होकर खींची अपनी कुछ तस्वीरें सहेलियों को भेजी थीं तो वे आश्चर्यचकित रह गयीं थीं. उसे ‘किले की महारानी’ संबोधित करते हुए मैसेजेस कर वे रश्क कर रहीं थी. इतने बड़े बंगले का मालिक आर्यन आखिर उस जैसी मध्यमवर्गीया से सम्बन्ध जोड़ने को क्यों राज़ी हो गया? और तो और कोरोना के बहाने शादी की जल्दबाजी भी की उसने.

वान्या का मन बेहद अशांत था. प्रेमा के साथ-साथ घर में घूमते हुए लगभग दो घंटे हो चुके थे. रहस्यमयी निगाहों से वह घर को टटोल रही थी. बैडरूम के पास वाले एक कमरे में चम्बा की सुप्रसिद्ध कशीदाकारी ‘नीडल पेंटिंग’ से कढ़ी हुई हीर-रांझा की खूबसूरत वौल हैंगिंग में उसे आर्यन और अपनी सौतन दिख रही थी. पहली बार लौबी में घुसते ही दीवार पर टंगी मौडर्न आर्ट की जिस पेंटिंग के लाल, नारंगी रंग उसे उसे रोमांटिक लग रहे थे, वही अब शंका के फनों में बदल उसे डंक मार रहे थे. बैडरूम में सजी कामलिप्त युगल की प्रतिमा, जिसे देख परसों वह आर्यन से लिपट गयी थी आज आंखों में खटक रही थी. ‘क्या कोई अविवाहित ऐसा सामान सजाने की बात सोच सकता है? शादी तो यूं हुई कि चट मंगनी पट ब्याह, ऐसे में भी आर्यन को ऐसी स्टेचू खरीदकर सजाने के लिए समय मिल गया….हैरत है!’ घर की एक-एक वस्तु आज उसे काटने को दौड़ रही थी. ‘कैसा बेकार सा है यह मनहूस घर’ वह बुदबुदा उठी.

लगभग सारे घर की सफ़ाई हो चुकी थी. केवल एक ही कमरा बचा था, जो अन्य कमरों से थोड़ा अलग, ऊंचाई पर बना था. पहाड़ के उस भाग को मकान बनाते समय शायद जान-बूझकर समतल नहीं किया गया होगा. बाहर से ही छत से थोड़ा नीचे और बाकी मकान से ऊपर उस कमरे को देख वान्या बहुत प्रभावित हुई थी. प्रेमा का कहना था कि उस बंद कमरे में कोई आता-जाता नहीं इसलिए साफ़-सफ़ाई की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन वान्या तो आज पूरा घर छान मारना चाहती थी. उसके ज़ोर देने पर प्रेमा झाड़ू, डस्टर और चाबी लेकर कमरे की ओर चल दी. लकड़ी की कलात्मक चौड़ी लेकिन कम ऊंचाई वाली सीढ़ी पर चढ़ते हुए वे कमरे तक पहुंच गए. प्रेमा ने दरवाज़े पर लटके पीतल के ताले को खोला और दोनों अन्दर आ गए.

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कमरे में अखरोट की लकड़ी से बनी एक टेबल और लैदर की कुर्सी रखी थी. काले रंग की वह कुर्सी किसी भी दिशा में घूम सकती थी. पास ही ऊंचे पुराने ढंग के लकड़ी के पलंग पर बादामी रंग की याक के फ़र से बनी बहुत मुलायम चादर बिछी थी. कुछ फ़ासले पर रखी एक आराम कुर्सी और कपड़े से ढके प्यानो को देख वान्या को वह कमरा रहस्य से भरा हुआ लगने लगा. दीवार पर घने जंगल की ख़ूबसूरत पेंटिंग लगी थी. वान्या पेंटिंग को देख ही रही थी कि दीवार के रंग का एक दरवाज़ा दिखाई दिया. ‘कमरे के अन्दर एक और कमरा’ उसका दिमाग चकरा गया. तेज़ी से आगे बढ़कर उसने दरवाज़े को धक्का दे दिया. चरर्र की आवाज़ करता हुआ दरवाज़ा खुल गया.

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ये घर बहुत हसीन है: भाग-2

अचानक तिपाही पर रखा आर्यन का मोबाइल बज उठा. ‘वंशिका कौलिंग’ देखा तो याद आया यह सुरभि दीदी की बेटी का नाम है. वान्या ने फ़ोन उठा लिया. उसके हैलो कहते ही किसी बच्चे की आवाज़ सुनाई दी, “पापा कहां है?”

दीदी के बच्चे तो बड़े हैं. यह तो किसी छोटे बच्चे की आवाज़ है, सोचते हुए वान्या बोली, “किस से बात करनी है आपको? यह नंबर तो आपके पापा का नहीं है. दुबारा मिलाकर देखो, बच्चे!”
“आर्यन पापा का नाम देखकर मिलाया था मैंने….आप कौन हो?” बच्चा रुआंसा हो रहा था.
वान्या का मुंह खुला का खुला रह गया. इससे पहले कि वह कुछ और बोलती आर्यन बाथरूम से आ बाहर आ गया. “किसका फ़ोन है?” पूछते हुए उसने वान्या के हाथ से मोबाइल ले लिया और तोतली आवाज़ में बातें करने लगा.
निराश वान्या कपड़े हाथ में लेकर बाथरूम की ओर चल दी. ‘किसने किया होगा फ़ोन? आर्यन भी जुटा हुआ है उससे बातें करने में. क्या आर्यन की पहले शादी हो चुकी है? हां, लगता तो यही है. तलाक़ हो चुका है शायद. मुझे बताया भी नहीं….यह तो धोखा है!’ वान्या अपने आप में उलझती जा रही थी.
आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैस कमरे के आकार का बाथरूम जिसके वह सपने देखती थी, उसकी निराशा को कम नहीं कर रहा था. एअर फ्रैशनर की भीनी-भीनी ख़ुशबू, हल्की ठंड और गरम पानी से भरा बाथटब! जी चाह रहा था कि अभी आर्यन आ जाये और अठखेलियां करते हुए उसे कहे कि ‘फ़ोन उसके लिए नहीं था, किसी और आर्यन का नंबर मिलाना चाहता था वह बच्चा. मुझे पापा कब बनना है, यह तो तुम बताओगी….!’ वान्या फूट-फूट कर रोने लगी.

बाहर आई तो डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आर्यन उसकी प्रतीक्षा कर रहा था. ऊंची बैक वाली गद्देदार काले रंग की कुर्सियां वान्या को कोरी शान लग रहीं थी. वान्या के बैठते ही आर्यन उसके बालों से नाक सटाकर लम्बी सांस लेता हुआ बोला, “कौन सा शैम्पू लगाया है? कहीं यह ख़ुशबू तुम्हारे बालों की तो नहीं? महक रहा हूं अन्दर तक मैं!”

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वान्या को आर्यन की शरारती मुस्कान फिर से मोहने लगी. सब कुछ भूल वह इस पल में खो जाना चाहती थी. “जल्दी से खा लो. अभी प्रेमा सफ़ाई कर रही है. उसे जल्दी से वापिस भेज देंगे….अपना बैड-रूम तो तुमने देखा ही नहीं अब तक. कब से इंतज़ार कर रहा है मेरा बिस्तर तुम्हारा ! ” आर्यन का नटखट अंदाज़ वान्या को मदहोश कर रहा था.

नाश्ता कर वान्या बैडरूम में पहुंच गयी. शानदार कमरे में कदम रखते ही रोमांस की ख़ुमारी बढ़ने लगी. “मुझे ज़रूर ग़लतफहमी हुई है, आर्यन के साथ कोई हादसा हुआ होता तो वह प्यार के लम्हों को जीने के लिए इतना बेताब न दिखता. उसका इज़हार तो उस आशिक़ जैसा लग रहा है, जिसे नयी-नयी मोहब्बत हुई हो.” सोचते हुए वान्या बैड पर लेट गयी. फ़ोम के गद्दे में धंसे-धंसे ही मखमली चादर पर अपना गाल रख सहलाने लगी. प्रेमा और नरेंद्र के जाते ही आर्यन भी कमरे में आ गया. खड़े-खड़े ही झुककर वान्या की आंखों को चूम मुस्कुराते हुए उसे अपने बाहुपाश में ले लिया.
“कैसा है यह मिरर? कुछ दिन पहले ही लगवाया है मैंने?” बैड के पास लगे विंटेज कलर फ़्रेम के सात फुटिया मिरर की ओर इशारा करते हुए आर्यन बोला.
दर्पण में स्वयं को आर्यन की बाहों में देख वान्या के चेहरे का रंग भी आईने के फ़्रेम सा सुर्ख़ हो गया.
प्रेमासिक्त युगल एकाकार हो एक-दूसरे की आगोश में खोए-खोए कब नींद की आगोश में चले गए, पता ही नहीं लगा.

सायंकाल प्रेमा ने घंटी बजाई तो उनकी नींद खुली. ग्रीन-टी बनवाकर अपने-अपने हाथों में मग थामे दोनों घर के पीछे की ओर बने गार्डन में रखी बेंत की कुर्सियों पर जाकर बैठ गए. वहां रंग-बिरंगे फूल खिले थे. कतार में लगे ऊंचे-ऊंचे पेड़ों की शाखाएं हवा चलने से एक-दूसरे के साथ बार-बार लिपट रहीं थीं. सभी पेड़ों पर भिन्न आकार के फल लटक रहे थे, रंग हरा ही था सबका. वान्या की उत्सुक निगाहों को देख आर्यन बताने लगा, “मेरे राइट हैंड साइड वाले चार पेड़ आलूबुखारे के और आगे वाले तीन खुबानी के हैं. अभी कच्चे हैं, इसलिए रंग हरा दिख रहा है. दीदी की बेटी को बहुत पसंद है कच्ची खुबानी. हमारी शादी में नहीं आ सकी, वरना खूब एंजौय करतीं.”

“अपने बच्चों को साथ क्यों नहीं लाईं दीदी? वे दोनों आ गए तो बच्चे भी आ सकते थे. दीदी की बेटी नाम वंशिका है न? सुबह इसी नाम से कौल आई तो मैंने अटैंड कर ली, पर वह तो किसी और का था. किस बच्चे के साथ बात कर रहे थे तुम?” वान्या का मस्तिष्क फिर सुबह वाली घटना में जाकर अटक गया.
“तुम्हें देखते ही शादी करने को मन मचलने लगा था मेरा. दीदी से कह दिया था कि कोई आ सकता है तो आ जाये, वरना मैं अकेले ही चला जाऊंगा बारात लेकर! सबको लाना पौसिबल नहीं हुआ होगा तो जीजू को लेकर आ गयीं देखने कि वह कौन सी परी है जिस पर मेरा भाई लट्टू हो गया!”
आर्यन का मज़ाक सुन वान्या मुस्कुराकर रह गयी.

“एक मिनट…..शायद प्रेमा ने आवाज़ दी है, वापिस जा रही होगी, मैं दरवाज़ा बंद कर अभी आया.” वान्या की पूरी बात का जवाब दिए बिना ही आर्यन दौड़ता हुआ अन्दर चला गया.

कुछ देर तक जब वह लौटकर नहीं आया तो वान्या उस बच्चे के विषय में सोचकर फिर संदेह से घिर गयी. व्याकुलता बढ़ने लगी तो बगीचे से ऊपर की ओर जाती हुई सफ़ेद रंग की घुमावदार लोहे की सीढ़ियों पर चढ़ गयी. ऊपर खुली छत थी, जहां से दूर तक का दृश्य साफ़ दिखाई दे रहा था. ऊंची-ऊंची फैली हुई पहाड़ियों पर पर पेड़ों के झुरमुट, सर्प से बलखाते रास्ते और छोटे-बड़े मकान. मकानों की छतों का रंग अधिकतर लाल या सलेटी था. सभी मकान एक-दूसरे से कुछ दूरी पर थे. ‘क्या ऐसी ही दूरी मेरे और आर्यन के बीच तो नहीं? साथ हैं, लेकिन एक फ़ासला भी है. क्या राज़ है उस फ़ोन का आखिर?’ वान्या सोच में डूबी थी. सहसा दबे पांव आकर आर्यन ने अपने हाथों से उसकी आंखें बंद कर दीं.

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“तुम ही तो आर्यन….! कब आये छत पर?”

“हो सकता है यहां मेरे अलावा कोई और भी रहता हो और तुम्हें कानों कान ख़बर भी न हो.” आर्यन शरारत से बोला.
“और कौन होगा?” वान्या घबरा उठी.

“अरे कितनी डरपोक हो यार….यहां कौन हो सकता है?” वान्या की आंखों से हाथों को हटा उसकी कमर पर एक हाथ से घेरा बनाकर आर्यन ने अपने पास खींच लिया. “चलो, छत पर और आगे. तुम्हें यहां से ही कुछ सुन्दर नज़ारे दिखाता हूं.”

आर्यन से सटकर चलते हुए वान्या को बेहद सुकून मिल रहा था. उसकी छुअन और ख़ुशबू में डूब वान्या के मन में चल रही हलचल शांत हो गयी. दोनों साथ-साथ चलते हुए छत की मुंडेर तक जा पहुंचे. देवदार के बड़े-बड़े शहतीरों को जोड़कर बनाई गयी मुंडेर की कारीगरी देखते ही बनती थी. ‘काश! इन शहतीरों की तरह मैं और आर्यन भी हमेशा जुड़े रहें.’ वान्या सोच रही थी.

“देखो वह सामने सीढ़ीदार खेत, पहाड़ों पर जगह कम होने के कारण बनाये जाते हैं ऐसे खेत…..और दूर वहां रंगीन सा गलीचा दिख रहा है? फूलों की खेती होती है उधर.”

कुछ देर बाद हल्का कोहरा छाने लगा. आर्यन ने बताया कि ये सांवली घटायें हैं जो अक्सर शाम को आकाश के एक छोर से दूसरे तक कपड़े के थान सी तन जाती हैं. कभी बरसती हैं तो कभी सुबह सूरज के आते ही अपने को लपेट अगले दिन आने के लिए वापिस चली जाती हैं.”
सूरज ढलने के साथ अंधेरा होने लगा तो दोनों नीचे नीचे आ गए. घर सुन्दर बल्बों और शैंडलेयर्स से जगमग कर रहा था. वान्या का अंग-अंग भी आर्यन के प्रेम की रोशनी से झिलमिला रहा था. सुबह वाली बात मन के अंधेरे में कहीं गुम सी हो गयी थी.

प्रेमा के खाना बनाकर जाने के बाद आर्यन वान्या को डायनिंग रूम के पास बने एक कमरे में ले गया. कमरे की अलमारी में महंगी क्रौकरी, चांदी के चम्मच, नाइफ़ और फ़ोर्क आदि वान्या को बेहद आकर्षित कर रहे थे, लेकिन थकान से शरीर अधमरा हो रहा था. कमरे में बिछे गद्देदार सिल्वर ग्रे काउच पर वह गोलाकार मुलायम कुशन के सहारे कमर टिकाकर बैठ गयी. आर्यन ने कांच के दो गिलास लिए और पास रखे रेफ़्रीजरेटर से एप्पल जूस निकालकर गिलासों में उड़ेल दिया. वान्या ने गिलास थामा तो पैंदे पर बाहर की ओर क्रिस्टल से बने गुलाबी कमल के फूल की सुन्दरता में खो गयी.
“फूल तो ये हैं….कितने खूबसूरत !” कहते हुए आर्यन ने अपने ठंडे जूस में डूबे अधरों से वान्या के होठों को छू लिया. वान्या मदहोश हो खिलखिला उठी.
“जूस में भी नशा होता है क्या? मैं अपने बस में कैसे रहूं?” आर्यन वान्या के कान में फुसफुसाया.
“नशा तो तुम्हारी आंखों में है.” कांपते लबों से इतना ही कह पायी वान्या और आंखें मूंद लीं.

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ये घर बहुत हसीन है: भाग-4

छोटा सा वह कमरा खिलौनों से भरा हुआ था, उनमें अधिकतर सौफ़्ट टौयज़ थे. पास ही आबनूस का बना एक वार्डरोब था, वान्या ने अचंभित होकर वार्डरोब खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह खुल नहीं रहा था. पीतल के हैंडल को कसकर पकड़ जब उसने अपना पूरा दम लगाया तो वार्डरोब झटके से खुल गया और तेज़ धक्का लगने के कारण अन्दर से कुछ तस्वीरें निकलकर गिर गयीं. वान्या ने झुककर एक फ़ोटो उठाया तो सन्न रह गयी. आर्यन एक विदेशी लड़की के साथ बर्फ़ पर स्कीइंग कर रहा था. गर्म लम्बी जैकेट, कैप, आंखों पर गौगल्स और हाथों में दस्ताने पहने दोनों बेहद खुश दिख रहे थे. बदहवास सी वह अन्य तस्वीरें उठा ही रही थी कि प्रेमा की आवाज़ सुनाई दी, “मेम साब, इस कमरे में क्या कर रहीं हैं आप?”

वान्या ने झटपट सारी तस्वीरें वार्डरोब में वापिस रख दीं. “यहां की सफ़ाई करनी होगी. मोबाइल के ज़माने में यहां कौन सी फ़ोटो रखी हैं? सामान को निकालकर इस रैक को साफ़ कर लेते हैं.” अपने को संयत कर वान्या ने वार्डरोब की ओर इशारा कर दिया.

“नहीं, ऐसा मत कीजिये. आप जल्दी-जल्दी मेरे साथ अब नीचे चलिए. साहब आ गए तो….!”

“साहब आ गए तो क्या हो जायेगा? घर साफ़ करना है या नहीं?” वान्या बेचैनी और गुस्से से कांपने लगी.

“साहब कितने खुश हैं आपके साथ. यहां आ गए तो….दुखी हो जायेंगे. मेम साब आप चलिए न नीचे….मैं

नहीं करूंगी आज यहां की सफ़ाई.” वान्या का हाथ पकड़ खींचते हुए प्रेमा कातर स्वर में बोली.

“नहीं जाऊंगी मैं यहां से…..बताओ मुझे कि यहां आकर क्यों दुखी हो जायेंगे साहब.”

“सुरभि मेम साब ने मुझे आपको बताने से मना किया था, लेकिन अब आप ही मेरी मालकिन हो. जैसा आप कहोगी मैं करुंगी. ऐसा करते हैं इस छोटे कमरे से निकलकर बाहर वाले बड़े कमरे में चलते हैं.”

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बड़े कमरे में आकर वान्या पलंग पर बैठ गयी. प्रेमा ने दरवाज़े को चिटकनी लगाकर बंद कर दिया और वान्या के पास आकर धीमी आवाज़ में कहना शुरू किया, “मेम साब, यह कमरा आर्यन साहब के बड़े भाई का है. उन दोनों की उम्र में तीन साल का फ़र्क था, लेकिन प्यार वे पिता की तरह करते थे आर्यन साहब को. आपको पता होगा कि साहब के मां-पिताजी को गुजरे कई साल हो चुके हैं. बड़े भाई ने अपने पिता का धंधा अच्छी तरह संभाल लिया था. एक बार जब बड़े साहब काम के सिलसिले में देश से बाहर गए तो वहां अंग्रेज लड़की से प्यार कर बैठे. शादी भी कर ली थी दोनों ने. अंग्रेज मैडम डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहीं थी,

इसलिए साहब के साथ यहां नहीं आयीं थीं. साहब वहां आते-जाते रहते थे. एक साल बाद उनका बेटा भी हो गया. बड़े साहब बच्चे को यहां ले आये थे. यह बात आज से कोई ढाई-तीन साल पहले की है. उस टाइम आर्यन साहब पढ़ाई कर रहे थे और मुम्बई में रह रहे थे. जब पिछले साल अंग्रेज मैडम की पढ़ाई पूरी हुई तो बड़े साहब उनको हमेशा के लिए लाने विदेश गए थे. वहां….बहुत बुरा हुआ मेम साब.” प्रेमा अपने सूट के दुपट्टे से आंसू पोंछ रही थी. वान्या की प्रश्नभरी आंखें प्रेमा की ओर देख रही थी.
“मेम साब, बर्फ़ पर मौज-मस्ती करते हुए अचानक साहब तेज़ी से फिसल गए और वे लड़खड़ा कर गिरे तो अंग्रेज मैडम भी गिरीं, क्योंकि दोनों एक-दूसरे का हाथ पकड़े थे. लुढ़कते-लुढ़कते दोनों नीचे तक आ गए और जब तक लोग अस्पताल ले जाते, बहुत देर हो चुकी थी. साथ-साथ हाथ पकड़े हुए चले गए दोनों इस दुनिया से. उनका बेटा कृष अब सुरभि दीदी के पास रहता है.”

वान्या दिल थामकर सब सुन रही थी. रुंधे गले से प्रेमा का बोलना जारी था. “मेम साब, इस दुर्घटना के बाद जब सुरभि दीदी यहां आईं थीं तो कृष आर्यन साहब को देखकर लिपट गया और पापा, पापा कहकर बुलाने लगा, क्योंकि बड़े साहब और छोटे साहब की शक्ल बहुत मिलती थी. ये देखो….!” प्रेमा ने प्यानों पर ढका कपड़ा उठा दिया. प्यानों की सतह पर एक पोस्टर के आकार वाली फ़ोटो चिपकी थी जिसमें आर्यन और बड़ा भाई एक-दूसरे के गले में हाथ डाले हंसते हुए दिख रहे थे. दोनों का चेहरा एक-दूसरे से इतना मिल रहा था कि किसी को भी जुड़वां होने का भ्रम हो जाये.

“मेम साब, अभी आप कह रही थीं न कि मोबाइल के टाइम में भी ऐसे फ़ोटो? ये बड़े साहब ने पोस्टर बनवाने के लिए रखे हुए थे. बहुत शौक था बड़े-बड़े फ़ोटो से उन्हें घर सजाने का.” प्रेमा आज जैसे एक-एक बात बता देना चाहती थी वान्या को.
“ओह! अच्छा एक बात बताओ, कृष ने आर्यन से अपनी मम्मी के बारे में कुछ नहीं पूछा ?” वान्या व्यथित होकर बोली.
“नहीं, अपनी मां के साथ तो वह तब तक ही रहा जब दो महीने का था. बताया था न मैंने कि बड़े साहब ले आये थे उसको यहां. कभी-कभी साहब के साथ जाता था तभी मिलता था उनसे. वैसे भी वे छह महीने की ट्रेनिंग पर थीं और कहती थीं कि अभी बच्चा मुझे मम्मी न कहे सबके सामने. कृष कोई दीदी-वीदी समझता होगा शायद उनको.”

वान्या सब सुनकर गहरी सोच में डूब गयी. कुछ देर तक शांत रहने के बाद प्रेमा फिर बोली, “मेम साब, जब आपका रिश्ता पक्का नहीं हुआ था और साहब आपसे मिलकर आये थे तो आपकी फ़ोटो साहब ने मुझे और मेरे पति को दिखाई थी. हमें उन्होंने आपके बारे में बताते हुए कहा था कि इनका चेहरा जितना भोला-भाला लग रहा है, बातों से भी उतनी मासूम हैं. वैसे स्कूल में टीचर हैं, समझदार हैं, मेरे पास रुपये-पैसे की तो कोई कमी नहीं है. मुझे ज़रुरत है तो उसकी जो मेरा साथ दे, मेरे अकेलेपन को दूर कर दे, जिसके सामने अपना दर्द बयां कर सकूं. मैंने इनको तुम्हारी मेम साब बनाने का फ़ैसला कर लिया है….!”
वान्या प्रेमा के शब्दों में अभी भी खोयी हुई थी. प्रेमा के “मेम साब अब नीचे चलते हैं” कहते ही वह गुमसुम सी सीढियां उतरने लगी.

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प्रेमा के वापिस चले जाने के बाद वह आर्यन के साथ लंच कर आराम करने बैडरूम में आ गयी. वान्या को प्यार से अपनी ओर खींचते हुए आर्यन बोला, “रात में बहुत नींद आ रही थी, अब नहीं सोने दूंगा.”
“लेकिन एक शर्त है मेरी.” वान्या आर्यन के सीने पर सिर रखकर बोली.
“कहो न ! कोई भी शर्त मानूंगा तुम्हारी.” वान्या के चेहरे से अपना चेहरा सटा आर्यन बोला.”
“कोरोना के हालात ठीक होने के बाद हम दीदी के पास चलेंगे और अपने बेटे कृष को हमेशा के लिए अपने साथ ले आयेंगे.”
आर्यन की सांस जैसे वहीं थम गयी. “प्रेमा ने बताया न !” भर्राये गले से वह इतना ही बोल सका.
वान्या ने मुस्कुराकर ‘हां’ में सिर हिला दिया.
आर्यन वान्या को अपने सीने से लगाये ख़ामोश होकर भी बहुत कुछ कह रहा था. वान्या को प्रेम में डूबे युगल की मूर्ति आज बेहद ख़ूबसूरत लग रही थी. मन ही मन वह कह उठी, ‘बेकार नहीं, मनहूस नहीं….ये घर बहुत हसीन है!’

Father’s Day 2019: घर,परिवार और बच्चों की नींव हैं पिता

पूनम झा,  (कोटा, राजस्थान)

घर के मजबूत स्तम्भ होते हैं पिता,

बच्चों की ताकत हैं पिता, भविष्य की उम्मीद हैं पिता,

संघर्ष की धूप में छत्रछाया हैं पिता,

पथप्रदर्शक हैं पिता, कंटक भरी राहों में

मजबूत साया हैं पिता, मां की पदचाप हैं पिता,

मां की आवाज हैं पिता, हर नाउम्मीद पर

ढाढ़स हैं पिता, बच्चा यदि पिता की लाठी है,

तो उस लाठी की मजबूती हैं पिता,

घर,परिवार और बच्चों की नींव हैं पिता,

पिता के लिए जितना कहें वो कम है क्योंकि

उनसे ही तो अस्तित्व है हमारा ।

पिता को मेरा सादर नमन

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नेहा कक्कड़ ने बर्थडे पर मचाया धमाल, सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज…

बौलीवुड और पंजाबी गानों से धूम मचाने वाली सिंगर नेहा कक्कड़ ने हाल ही में अपना 31 वां जन्मदिन अपनी फैमिली और फ्रैंडस के बीच धूमधाम से मनाया, जिसकी फोटोज उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर की हैं. जहां एक तरफ सेलेब्स ने उनको बर्थडे की शुभकामनाएं दी वहीं उन्हें उनके फैंस ने भी उनकी फोटोज की तारीफें की हैं.  आइए दिखाते हैं उनके बर्थडे पार्टी से जुड़ी कुछ खास फोटोज…

फैमिली के साथ धूम मचाती नजर आईं नेहा

 

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My people!! ♥️? Swipe Right to see them all ? Though Papa’s Picture is Missing ☹️ #HappyBirthdayNehu

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सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज में साफ दिख रहा है कि नेहा ने अपने बर्थडे में कितना धूम मचाया होगा. वहीं पार्टी में उनके दोस्त भी साथ देते नजर आए.

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बहन के साथ पोज देती नजर आईं नेहा

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आप सभी जानते हैं कि नेहा कक्कड़ की बहन सोनू कक्कड़ भी सिंगर हैं. वहीं पार्टी में वह नेहा का साथ देते हुए फोटोज के लिए पोज देते हुए नजर आईं.

भाई और फैमिली के साथ भी फोटोज खिचवातीं नजर आईं नेहा

neha

नेहा ने अपने बर्थडे पार्टी में धमाल मचाते हुए अपनी फैमिली और फ्रैंड्स के साथ खूब फोटोज खिंचवाती हुई नजर आईं.

बर्थडे में ब्यूटीफुल ड्रेस में नजर आई नेहा

सिंगर नेहा अपने बर्थडे पार्टी में सैटिन की ड्रेस में ब्यूटीफुल दिखीं, तो वहीं उनकी फैमिली ने भी उन्हें उनके बर्थडे पर खूबसूरत गिफ्ट दिया.

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सेल्फी लेती नजर आईं नेहा…

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नेहा की जन्मदिन पार्टी में उनके दोस्तों और फैमिली के साथ जमकर सेल्फी खिंचती हुईं नजर आईं. नेहा अपने जन्मदिन पार्टी में काफी एक्साइटेड भी दिखीं.

समंदर में बिकनी अवतार में नजर आईं जैकलीन, देखें फोटोज

बौलीवुड सेलेब्स इन दिनों समर वेकेशन पर हैं, जिसमें एक्ट्रेस करीना कपूर और विद्या बालन के अलावा अब जैकलीन फर्नांडिस का नाम भी जुड़ गया है. बौलीवुड एक्ट्रेस जैकलीन इन दिनों मोनोकिनी में समर वेकेशन पर हैं, जहां वह वेकेशन का पूरा मजा लेती हुईं नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं उनकी वेकेशन से जुड़ी कोई फोटोज…

वेकेशन में बिकिनी में नजर आईं जैकलीन

Jacqueline

जैकलीन फिलहाल अपना वेकेशन के दौरान सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हुए अपने वेकेशन की फोटो शेयर कर रहीं हैं,जिसमें वह बिकनी में अपने लुक से बिजलियां गिराती नजर आ रही है.

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समंदर के बीच आराम करती नजर आईं जैक्लीन

सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज में जैकलीन समंदर के बीच मोनोकिनी में आराम फरमाती नजर आ रही हैं. वहीं उनकी फोटोज उनके फैंस को खूब पसंद किया जा रहा हैं.

दोस्त संग समर वेकेशन इंजौय कर रही हैं जैकलीन

Jacqueline

आजकल जैकलीन अपने समर वेकेशन पर दोस्तों के साथ हौलीडे इंजौय कर रही हैं. वहीं वह अपनी दोस्त गैरी का जन्मदिन भी सेलीब्रेट करने पहुंची हैं.

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बार्बी डौल के लुक में पोज देती नजर आईं जैकलीन

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सोशल मीडिया की फोटोज में जैकलीन को देख कर साफ पता चल रहा है कि वो वेकशन के मूड में हैं. जिसमें जैक्लीन हसीना मोनोकिनी में बार्बी डौल बन कर पोज देती नजर आ रही है.

सोशल मीडिया पर हौट फोटोज से मचा तहलका

जैकलीन की हौट फोटोज ने जहां उनके वेकेशन में चार चांद लगा दिया वहीं सोशल मीडिया पर भी  तहलका मचा दिया है. उनके फैंस को उनका ये लुक बेहद पसंद आ रहा है.

बता दें, खबरें हैं कि जैकलीन सलमान खान की फिल्म किक 2 में भी नजर आ सकती हैं, जबकि वह पहले भी किक में सलमान के साथ नजर आ चुकी हैं.

बच्चों को ना पिलाएं प्लास्टिक बोतल से दूध, हो सकता हैं प्रोस्टेट कैंसर

एक शोध में कहा गया है कि बच्चों के प्लास्टिक बोतलों में पाया जाने वाला रसायन उनके बाद के जीवन में प्रोस्टेट कैंसर की संभावना को बढ़ा देता है. वैज्ञानिकों ने इसका परीक्षण चूहों के जन्मे बच्चों पर किया. परीक्षण में चूहों को बिसफेनोल-ए खिलाया गया. बिसफेनोल-ए रसायन का इस्तेमाल ज्यादातर प्लास्टिक के निर्माण में किया जाता है. परीक्षण में चूहों की उम्र बढ़ने के साथ ही उनमें पूर्व कैंसर कोशिकाओं के विकास होने की संभावना देखी गई.

वैज्ञानिकों का कहना है कि उनका यह निष्कर्ष बच्चों के स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ा है. पत्रिका रिप्रोडक्टिव टॉक्सीकोलोजी के अनुसार वैज्ञानिकों की यह चेतावनी यूरोप के खाद्य पदार्थो की निगरानी करने वाली एजेंसी के उस बयान के बाद आया है,जिसमें कहा गया है कि इतनी रसायन की मात्रा मनुष्य रोजाना ग्रहण करता है.

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रसायन की इस मात्रा से नुकसान पहुंचने की संभावना काफी कम है. एक समाचार पत्र के मुताबिक फूट स्टैंडर्ड एजेंसी ने कहा है कि रसायन बिसफेनोल-ए में नुकसान करने की क्षमता नहीं है. लेकिन ताजा अध्ययन ने इस रसायन को लेकर चिंता जाहिर की है. इस रसायन का इस्तेमाल सीडी, धूप के चश्मे, प्लास्टिक चाकू, कांटे, मोबाइल फोन के निर्माण में किया जाता है.

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इलीनाएस विश्वविद्यालय के शोधकर्ता गेल प्रिंस ने बताया, “प्रोस्टेट स्वास्थ्य के बारे में जो नतीजे सामने आए हैं, वे बिसफेनोल-ए के संपर्क में आने वाले मनुष्य के लिए काफी महत्वपूर्ण हैं.” उल्लेखनीय है कि बिसफेनोल-ए को पहले भी स्तन, प्रोस्टेट कैंसर और हृदयघात से जोड़कर देखा गया है.

 

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