आप हम और ब्रैंड

‘‘हमारे उत्पाद महंगे नहीं हैं. जो भी उत्पाद बाजार में पेश किया जाता है, उसे बेहतर गुणों व किफायती मूल्य के साथ ही लाया जाता है…’’

दिब्येंदु राय (सीओओ, डेज मैडिकल)

युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत दिब्येंदु राय किसी भी मुकाम को हासिल करने के लिए निरंतर प्रयास करते हैं. इन का मानना है कि कोशिश करने से ही आत्मविश्वास बढ़ता है. इन के हार न मानने वाले इसी जज्बे ने डेज मैडिकल को बुलंदियों पर पहुंचा दिया है. एफएमसीजी और रिटेल इंडस्ट्री में 22 वर्षों का अनुभव रखने वाले एवं हार्ड कोर मार्केटिंग प्रोफैशनल के रूप में प्रसिद्ध दिब्येंदु आज डेज मैडिकल में सीओओ के पद पर कार्यरत हैं.

आइए, जानते हैं दिब्येंदु की सफलता की कहानी उन्हीं की जुबानी:

कंपनी के सीओओ की जिम्मेदारी लेने के बाद आप ने क्या बदलाव किए?

डेज मैडिकल एक मशहूर कंपनी है, लेकिन इस में आने के बाद मैंने यह देखा कि इतना मजबूत और प्रसिद्ध ब्रैंड होने के बाद भी कोई इस की प्रसिद्धि का उपयोग सही ढंग से नहीं कर रहा. इसीलिए मैंने कंपनी की छवि निर्माण की पहल की. मैंने एक अलग मीडिया प्लान बनाने की कोशिश की. मैंने गौर किया कि यहां केवल टैलीविजन पर प्रमोशन होते थे और प्रिंट की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता था. फिर मैंने हमारी ब्रैंड ऐंबैसेडर, हेयर ऐक्सपर्ट प्रिसिला कौर्नर के नाम से मैगजीन में इनोवेशन बनाने पर जोर दिया जोकि अपने ही तरीके से काफी प्रसिद्ध भी हुआ. मैं 2 साल तक केकेआर के साथ भी जुड़ा. हम ने फ्लाइट मैगजीन के पिछले कवर पर विज्ञापनों की शुरुआत की. हम युवाओं का ध्यान आकर्षिंत करने के लिए एमटीवी, वीटीवी के साथ भी जुड़े. हमने केयोकार्पिन को 10 रुपए के पैक में और जारों (शीशियों) में बाजार में पेश किया, जिस में हम आगे रहे. प्रमुख स्थान में अपनी जगह बनाना अपने आप में एक चुनौती थी. हम ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने विक्रेताओं और स्टौकिस्टों को बढ़ा दिया था. हम ऐसी श्रेणी में पहले थे, जिस ने हेयर औयल ब्रैंड के लिए किसी हेयर औयल ऐक्सपर्ट को रखा था. इस के अलावा हम ने लोगों को बालों की देखरेख के प्रति जागरूक बनाने के लिए अपनी कैच लाइन को ही बदल दिया था.

केयोकार्पिन की यूएसपी क्या है?

केयोकार्पिन की सब से मजबूत यूएसपी इस की गुणवत्ता और प्रदर्शन है. दूसरी इस की मनमोहक खुशबू. इस में एक अलग सा आकर्षण है, जिस ने आज हमें नंबर वन बना दिया. इतना ही नहीं पिछले 65-70 वर्षों से इस की खुशबू वैसी ही है जैसी पहले थी. हम ने औलिव औयल, विटामिन ई की शुरुआत की, जबकि केयोकार्पिन पहले जैसा ही है.

वह कौन सा रहस्य है, जो आप के ब्रैंड को भारतीय जीवनशैली से जोड़े रखता है?

पूर्वी भारत में बालों के तेल के बहुत सारे ब्रैंड मौजूद थे, लेकिन वे अब अप्रचलित हैं, लेकिन हमारा ब्रैंड आज भी लोकप्रिय है, जिस का कारण है कि हम ने अपने ब्रैंड को आधुनिक तरीके से बनाया है. यह तो आप को पता ही होगा कि आज के समय में औलिव औयल के बारे में लोग काफी जागरूक हैं. हम ने अपने प्रयोगकर्ताओं से बात की तो उन का कहना है कि यह केवल त्वचा को ही नहीं, बल्कि बालों को भी संपूर्ण पोषण प्रदान करता है. बालों को प्रदूषण से बचाने में हमारे उत्पाद यकीनन अच्छे हैं, जिस की वजह से हमारे ग्राहक हमारे प्रति वफादार हो गए हैं.

स्वास्थ्य देखभाल और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों के संदर्भ में उपभोक्ताओं को किस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है? आप के उत्पाद ऐसी समस्याओं का समाधान कैसे करते हैं?

महिलाओं के लिए आज जो मुख्य समस्या है, वह यह है कि बाहर काम पर जाने के कारण उन के पास व्यक्तिगत सौंदर्य के लिए समय का अभाव है. इस कारण उन्हें महंगे पार्लरों और सैलूनों का रास्ता चुनना पड़ रहा है. प्रदूषण और नौकरी का तनाव बालों की खूबसूरती छीन लेते हैं, जिस की वजह से बाल बेजान हो जाते हैं. फिर महिलाएं इन बेजान बालों से छुटकारा पाने के लिए विभिन्न कैमिकल युक्त उत्पादों और स्पा का प्रयोग करती हैं, जिस से उन के बालों पर दुष्प्रभाव पड़ता है और फिर बालों को इन दुष्प्रभावों से बचाने के लिए तेल की आवश्यकता पड़ती है. पहले समय में मांएं अपनी बेटियों के बालों को संवारा करती थीं. लेकिन आज के समय में कालेज और औफिस जाने वाली लड़कियों के पास समय का अभाव होता है. इन दिनों महिलाएं अधिक मात्रा में हेयर कलर, सीरम आदि का प्रयोग अपने बालों पर कर रही हैं, जिस से बाल नाजुक और सख्त हो जाते हैं. इसीलिए बालों को नुकसान से बचाने के लिए आप को बालों में तेल लगाने की आदत को अपनाना होगा. यही कारण है कि हमारी कैच लाइन ‘‘हेयर का इंश्योरैंस करो, रोज केयोकार्पिन करो’’ है.

किस तरह से केयोकार्पिन उपभोक्ताओं की उम्मीदों पर खरा उतरता है?

हमारे उत्पादों पर विश्वास उन के प्रदर्शन में निहित है. अगर ग्राहक हमारी कंपनी के द्वारा बनाए गए उत्पाद पर विश्वास नहीं करता, तो उसे खरीदता भी नहीं. हम ने इस की सामग्री, इस की महक में कोई बदलाव नहीं किया है. हम ने कभी केयोकार्पिन पर भी कोई प्रयोग नहीं किया है. जो उत्पाद 50 वर्ष पहले शुरू हुआ था, वह आज भी मौजूद है. लेकिन आज के आधुनिक ट्रैंड को ध्यान में रखते हुए हम ने औलिव औयल को शामिल किया है, जिस ने हमारे उत्पाद को काफी बेहतर बना दिया है.

आप महिलाओं से जुड़े उत्पादों का निर्माण करते हैं. क्या आप महिलाओं के रोजगार या सशक्तीकरण में पहल करते हैं?

जी हां, हमारे रिसर्च डिपार्टमैंट में महिलाएं शामिल हैं. लेकिन यदि हम हार्ड कोर लेबर श्रेणी की बात करें, तो हम ने यहां महिलाओं को नियुक्त नहीं किया है. मार्केटिंग विभाग के संदर्भ में हमारा मानना है कि इस काम के लिए ज्यादा समय लगने और दूरदराज के इलाकों में जाने के कारण किसी महिला को शामिल करना उचित नहीं होगा.

आप का उत्पाद मौजूद ब्रैंड से कैसे भिन्न है?

केयोकार्पिन एक सफल उत्पाद है. पिछले 50 वर्षों से इस ने मौजूदा ब्रैंड के रहते हुए भी अपनी एक अलग पहचान बनाई है. यह हमारी कंपनी की दूरदर्शिता थी कि आने वाले समय में कामकाजी महिलाओं की संख्या बढ़ेगी, जिस के कारण उन के पास अपने बालों की देखभाल करने के लिए समय का अभाव होगा. इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम ने उसी दौरान नौनस्टीकी, सुगंधित तेल पेश किया, जिस से आप के बाल उलझन फ्री रहेंगे. महिलाओं को बालों में अधिक चिपचिपापन अच्छा नहीं लगता जो कि नारियल तेल में अधिक पाया जाता है. हम ने महिलाओं की इस समस्या को पहचाना और उन के लिए भारत में पहली बार लाइट हेयर ?ले कर आए. बाद में हम ने विटामिन ई और औलिव औयल इस में शामिल कर इस के गुणों को और भी बढ़ा दिया.

क्या आप केवल बड़े शहरों के उपभोक्ताओं को ही लक्षित करते हैं या ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ता भी इस में शामिल हैं?

ऐसा नहीं है कि हम केवल शहरों पर ही ध्यान दे रहे हैं. अगर आप हमारे उत्पाद का आकार देखेंगे, तो हमारे स्टौक में 50 एमएल ही नहीं है बल्कि 25 एमएल  भी शामिल है. मात्रा के संदर्भ में शहरों से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में हमारा योगदान अधिक है, क्योंकि हम वहां 100 एमएल, 50 एमएल और 25 एमएल अधिक संख्या में बेचते हैं. लेकिन शहरी योगदान की बात करें, तो यहां भी हम पीछे नहीं हैं. यहां हम 500 एमएल और 300 एमएल अपने उपभोक्ताओं को बेचते हैं. इतना ही नहीं, हमारी उपभोक्ता केवल महिलाएं ही नहीं हैं, बल्कि एक शोध से पता चला है कि 42% पुरुष भी हमारे तेल का उपयोग करते हैं. इसीलिए हम दोनों को अपना लक्ष्य मानते हैं.

केयोकार्पिन बौडी औयल और औलिव औयल जैसे उत्पादों का निर्माण करते वक्त आप अपने उपभोक्ताओं की किन मूल जरूरतों को ध्यान में रखते हैं?

हम सब से पहली चीज जिसे ध्यान में रखते हैं वह है पैसे का मूल्य. हमारे उत्पाद महंगे नहीं हैं. जो भी उत्पाद बाजार में पेश किया जाता है, उसे बेहतर गुणों व किफायती मूल्य के साथ बाजार में लाया जाता है. इसीलिए तो हम इस की गुणवत्ता के साथ समझौता किए बिना इस की वृद्धि पर जोर देते हैं. अगर हम बौडी औयल की बात करें, तो त्वचा की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हम ने इस में औलिव औयल शामिल किया है ताकि हमारे उपभोक्ताओं की त्वचा कोमल व सुरक्षित रहे.

उपभोक्ता इन दिनों औनलाइन उत्पादों की तलाश करते हैं. इस पर आप का क्या विचार है?

हम ई कौमर्स कंपनी जैसे अमेजन के साथ सूचीबद्ध हैं, जिस के जरीए हम अपने उत्पाद प्रस्तुत करते हैं, लेकिन क्योंकि इस का उत्पाद पोर्टफोलियो कम है और यह एक कोमोडिटी (लाभ) उत्पाद है, जिसे प्रतिदिन इस्तेमाल करने के लिए लक्षित किया जाता है, हम औनलाइन प्लेटफौर्म को बढ़ावा नहीं देते हैं.

आप ने पहले ही अपने तेल को काफी लोकप्रिय बना दिया है? अब पाइपलाइन में क्या है? क्या आप का अगला उत्पाद शैंपू है?

हमारे जेहन में काफी उत्पाद हैं, जिन्हें मैं अभी उजागर नहीं करना चाहता. हालांकि हम फायदे के लिए कोई नया उत्पाद पेश करने की जल्दबाजी में नहीं हैं. हम पहले शोध करेंगे और फिर अपने उपभोक्ताओं की जरूरतों को जानेंगे. लेकिन हम जो कुछ भी लाएंगे, यकीनन वह वैल्यू औफ मनी को ध्यान में रख कर बनाया जाएगा.

-अवंति सिन्हा

सेफ्टी टिप्स: गरमी में जानलेवा न बन जाए एसी

कुछ समय पहले तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के एक ही परिवार के 3 लोगों की एसी की गैस रिसाव की वजह से मौत हो गई थी. जानकारी के अनुसार परिवार के लोग रात में ऐसी चला कर सोए थे. देर रात ऐसी से गैस लीक हुई और सोते तीनों लोगों की दम घुटने से मौत हो गई. एसी की वजह से जान के खतरे का यह पहला केस नहीं है. इस से पहले भी एसी का कंप्रैशर फटने से लोगों की जान पर आफत बन आई है. एसी की वजह से लोगों में सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ होने जैसी कई शिकायतें आई हैं. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर क्या वजह है जो ठंडक पहुंचाने वाला एसी जानलेवा बनता जा रहा है?

आप के बैडरूम में लगे एसी से भी जहरीली गैस का रिसाव हो सकता है. इसलिए एसी से होने वाली दुर्घटनाओं से बचने के लिए इन बातों का ध्यान रखें :

1 एसी को कभी ऐक्सटैंशन कौर्ड के जरीए कनैक्ट न करें. इस के लिए कम से 900 से 1200 वोट की पावर चाहिए होती है जोकि मोबाइल और लैपटौप में इस्तेमाल होने वाली पावर या ऐक्सटैंशन कौर्ड से काफी ज्यादा होती है. ज्यादा लोड होने की वजह से शौर्ट सर्किट होने का खतरा बरकरार रहता है.

2 एसी में इस्तेमाल किया गया स्विच हमेशा आप की पहुंच में होना चाहिए ताकि किसी भी तरह की आपात स्थिति में उसे बंद किया जा सके. एसी की वायर को गरम सतह से दूर रखें, क्योंकि इस से आग लगने का खतरा बन सकता है.

3 एसी के इलैक्ट्रिकल सौकेट को हमेशा चैक करते रहें कि किसी भी तरह के इलैक्ट्रिकल शौक का खतरा तो नहीं.

4 घर में एसी लगाने के लिए किसी प्रोफैशनल या फिर कंपनी के आधिकारिक इंजीनियर को ही बुलाएं. द्य एसी की हर साल सर्विस करवाएं.

5 दिन में एक बार कमरे की खिड़कियां और दरवाजे खोल दें ताकि प्रदूषित हवा बाहर निकल सके. द्य गैस की क्वालिटी पर ध्यान रखें. द्य इस बात का भी ध्यान रखें कि एसी के स्विच के पास किसी भी तरह का वाटर सोर्स नहीं होना चाहिए. इस के अलावा सजावट का सामान भी उस के पास नहीं रखा होना चाहिए.

6 अगर एसी को इनवर्टर या जनरेटर पर चला रहे हैं तो इस बात का खयाल रखें कि बिजली आने के बाद उसे इनवर्टर से स्विचऔफ कर दें.

7 एसी की बाहरी सतह के खराब होने या फिर उस में से किसी भी तरह की आवाज आने पर तुरंत इंजीनियर को बुलाएं.

8 एसी के एयर फिल्टर को समयसमय पर बदलवाते रहें.

9 गरमी के मौसम की शुरुआत में ही एसी को अच्छी तरह चैक करा लें. जरूरत हो तो सर्विस करवा लें ताकि एसी सही काम कर सके.

एसी से गैस लीक हो रही है यह पता कैसे चले…

आप के एसी से गैस लीक हो रही है यह पता करना मुश्किल होता है. सीएसई के मुताबिक, एसी गैस की कोई गंध नहीं होती. गैस लीक इन कुछ वजहों से होती है, जिन पर ध्यान रखा जाए:

1 अगर आप का एसी सही से फिट नहीं है.

2 जिस पाइप से गैस प्रवाह होती है वह सही से काम न करे.

3 पुराने एसी ट्यूब में लगा जंग.

4 अगर एसी अच्छी तरह ठंडा नहीं कर रहा हो.

एसी का तापमान कितना रखें

1 पलंग या सोफे पर बैठ कर टीवी देखते हुए एसी का तापमान 16 या 18 तक ले जाते हैं, जबकि सीएसई की मानें तो ऐसा करना आप की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है.

2 घर या दफ्तर में एसी का तापमान 25-26 डिग्री सैल्सियस ही रखें.

3 दिन के मुकाबले रात में तापमान कम रखा जा सकता है. ऐसा करने से सेहत भी ठीक रहेगी और बिजली का बिल भी कम आएगा.

4 ऊर्जा मंत्रालय ने सलाह दी है कि एसी की डिफाल्ट सैटिंग 24 डिग्री सैल्सियस रखी जाए ताकि बिजली बचाई जा सके. ऊर्जा मंत्रालय का कहना है कि ऐसा करने से 1 साल में 20 अरब यूनिट बिजली बचेगी.

5 पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार भारत में एसी का तापमान 26 डिग्री सैल्सियस रखा जाना चाहिए.

-मिनी सिंह 

दुनिया के कुछ देशों में एसी का तापमान तय करने की कोशिशें हुई हैं:

चीन: 26 डिग्री सैल्सियस.

जापान: 28 डिग्री सैल्सियस.

हौंगकौंग: 25.5 डिग्री सैल्सियस.

ब्रिटेन: 24 डिग्री सैल्सियस.

हेयर रिमूवल टिप्स: गरमी में इन 4 घरेलू तरीकों से हटाए अनचाहे बाल

मौसम का मिजाज बदल गया है और गरमियों का आगमन हो गया है. गरमियों में खुद को कूल रखने के लिए युवतियों की पहली पसंद शौर्ट्स, स्कर्ट, कैप हैं. आजकल कामकाजी महिलाएं भी वैस्टर्न लुक को अहमियत दे रही हैं और औफिस में शौर्ट ड्रैसेज में आना पसंद करती हैं. लेकिन जब आप ये सब ड्रैसेज कैरी करती हैं तो आप के हाथों के बाल आप के स्टाइल और फैशन को फीका कर देते हैं. ऐसी स्थिति से बचने के लिए फेम फेयरनेस नेचुरल फेयर ऐंड सौफ्ट हेयर रिमूवल क्रीम बेहतर औप्शन है.

लंबे समय तक कोमलता का एहसास…

जब आप सूरज की रोशनी में बाहर निकलती हैं, तो आप ट्रैनिंग का शिकार हो जाती हैं और आप की त्वचा एकदम ड्राई हो जाती है. लेकिन यह फेम फेयरनेस नेचुरल फेयर ऐंड सौफ्ट हेयर रिमूवल क्रीम न केवल आप को अनचाहे बालों से छुटकारा दिलाती है, बल्कि आप की त्वचा को भी कोमल बनाती है.

हेयर रिमूवल क्रीम

3 मिनटों में काम करने वाली हेयर रिमूवल क्रीम हर उम्र की महिलाओं के लिए बेहतरीन ब्यूटी टूल है, क्योंकि इस भागदौड़ भरी जिंदगी में समय का अभाव हर किसी के पास है और पार्लर जाने के लिए भी समय नहीं निकल पाता. आप को पार्टी में जाना हो या औफिस में कोई स्पैशल डे हो या फिर डेट पर जाना हो, हेयर रिमूवल क्रीम आप की समस्या का तुरंत समाधान है. इसी के साथ यदि आप को वैक्स या शेव करना पसंद नहीं है, तो आप के लिए यह एक अच्छा विकल्प है.

हेयर रिमूवल के हर्बल उपाय

खूबसूरत दिखना भला कौन महिला नहीं चाहती. लेकिन अनचाहे बाल इस खूबसूरती पर दाग का काम करते हैं. जानिए, अनचाहे बालों को कैसे हटाएं ताकि खूबसूरती बरकरार रहे:

1 कच्चा पपीता: अनचाहे बालों से छुटकारा दिलाने में कच्चा पपीता बेहद मददगार है. कच्चे पपीते में पपाइन नाम का ऐंजाइम होता है और इस पपाइन में बालों को नष्ट करने की क्षमता होती है. यह बालों को बढ़ने से रोकता है. हेयर रिमूवल के लिए कच्चा पपीता सब से कारगर है.

2 अंडा: हैल्थ की दृष्टि से अंडा जितना खाने में फायदेमंद है, उतना ही यह खूबसूरती बढ़ाने में भी कारगर है. अंडे की सफेदी का प्रयोग करने से अनचाहे बालों से मुक्ति मिलती है.

3 चीनी और सिरका: चीनी और सिरका घरेलू वैक्स की तरह काम करते हैं. चीनी, नीबू और शहद के घोल की तरह यह भी वैक्सिंग का काम करती है.

4 बेसन: बेसन के प्रयोग से त्वचा मुलायम होती है और इस से अनचाहे बालों से छुटकारा भी मिलता है. बस आप को बेसन, हलदी और सरसों के तेल को मिला कर पेस्ट बनाना है. पेस्ट बनाने के बाद इसे चेहरे पर लगा कर सूखने दीजिए, फिर हलके हाथों से रगड़ कर उतार दीजिए.

घरेलू उपायों के अलावा एक और विकल्प है फेम फेयरनेस नेचुरल फेयर ऐंड सौफ्ट हेयर रिमूवल क्रीम अपनाएं क्योंकि यह क्रीम केवल आप के अनचाहे बालों को ही नहीं हटाती बल्कि त्वचा में निखार भी लाती है और एवोकाडो औयल लाइकोराइस ऐक्सट्रैक्ट युक्त इस का फार्मूला अनचाहे बालों को हटाने के बाद स्किनटोन को भी निखरा बनाए रखने में मदद करता है.

9 टिप्स: गरमी के मौसम में चिपचिपे बालों को ऐसे कहें बाय-बाय

गरमी का मौसम शुरू होते ही बालों की समस्याएं ज्यादा परेशान करने लगती हैं. ऐसे में इस मौसम में बालों की अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है. इस बारे में मुंबई के ‘क्यूटिस स्किन सौल्यूशन’ की त्वचारोग विशेषज्ञा डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि गरमी के मौसम में बालों की नमी खो जाती है. वे बेजान हो कर झड़ने लगते हैं. मगर कुछ बातों का ध्यान रख कर बालों को इस मौसम की परेशानियों से बचाया जा सकता है. जी हां, गरमी में भी आप के बाल सिल्की और शाइनी दिख सकते हैं. कैसे, यह हम आप को बताते हैं…

स्टिकी हेयर प्रौब्लम का निदान

सिर की त्वचा में चिपचिपेपन की वजह से बाल चिपके और बेजान से नजर आते हैं. इस से सिर की स्किन पर रूसी अधिक होने की आशंका रहती है, जिस से बालों का झड़ना शुरू हो जाता है. ऐसे में रखें इन बातों का ध्यान:

1 सब से पहले ऐसे शैंपू का चुनाव करें, जिस में मौइश्चराइजर न हो.

2 हर दूसरे दिन शैंपू करें ताकि बालों में तेल जमा न हो सके, क्योंकि इस से प्राकृतिक रूप से मलासेजिया नामक फफूंद उत्पन्न होती है, जो डैंड्रफ का कारण बनती है.

3 चिपचिपे बालों के लिए हमेशा ठंडे पानी का प्रयोग करें.

4 कंडीशनर का प्रयोग न करें.

5 अधिक कंघी न करें. इस से तेलग्रंथियां उत्तेजित होती हैं.

6 बालों को धोने के बाद उन के सूखने से पहले उन्हें कस कर न बांधें. गीले बालों में पसीना आने से वे चिपचिपे हो जाते हैं.

7 प्रोटीन से भरपूर भोजन लें, क्योंकि प्रोटीन की कमी से बाल बेजान हो जाते हैं.

8 बाहर निकलने से पहले बालों को ढक लें.

9 बारबार बालों को न छुएं, क्योंकि इस से हाथों में मौजूद तेल उन में लग जाता है और वे स्टिकी हो जाते हैं.

तैलीय स्कैल्प का उपचार

1 स्कैल्प में कई सिबेशन ग्लैंड्स बनी होती हैं, जिन से सीबम निकलता है, जो बालों के लिए बहुत लाभदायक होता है. यह बालों को रूखा और बेजान होने से बचाता है. मगर इस के अधिक मात्रा में रिसाव से बाल औयली हो जाते हैं. ये टिप्स अपना कर इस परेशानी को दूर किया जा सकता है:

2 तैलीय स्कैल्प के लिए भी गरमी के मौसम में शैंपू का प्रयोग हर दूसरे दिन करें.

3 अगर आप डेली वर्कआउट या व्यायाम करती हैं, तो शैंपू का प्रयोग रोज करें, क्योंकि इस मौसम में पसीने से स्कैल्प की रक्षा करना जरूरी है.

4 अगर स्कैल्प औयली है तो कभी-कभी ड्राई शैंपू का भी स्प्रे बालों में कर सकती हैं. यह स्कैल्प के औयल को सोख कर बालों को चिपचिपा होने से रोकता है. बाहर जाने से पहले ड्राई शैंपू सब से अच्छा विकल्प है.

5 गरमी के मौसम में स्कैल्प पर तेल लगाना बंद कर दें, क्योंकि अगर स्कैल्प औयली है, तो तेल उसे और अधिक तैलीय बना सकता है. इस मौसम में ऐंटी डैंड्रफ शैंपू जिस में ऐंटी फंगल हो ज्यादा प्रयोग करें, जिस में कीटोकोनाजोल और सैलिसिलिक ऐसिड हो.

झड़ते बाल और प्रदूषण से बचाव…

डा. अप्रतिम के अनुसार एक स्टडी में पाया गया है कि यूथ, जो अधिकतर शहरों में काम करते हैं, उन्हें स्कैल्प में खुजली, औयली स्कैल्प, डैंड्रफ और बालों के झड़ने की समस्या अधिक होती है. इसकी मेन वजह लगातार प्रदूषण का बढ़ना है. अगर स्कैल्प में धूलमिट्टी, निकल, लीड, आर्सेनिक आदि जमा हो जाएं, तो बालों के झड़ने की समस्या शुरू हो जाती है. इस परेशानी से बचने के ये उपाय हैं:

1 क्लींजिंग सब से अच्छा उपाय है. इस के लिए बालों को बीचबीच में शैंपू कर साफ रखें. औयली स्कैल्प के लिए अल्टरनेट डे और ड्राई या रंगे बालों के लिए शैंपू की फ्रीक्वैंसी कम रखें. याद रखें, इस मौसम में स्कैल्प और बालों को हमेशा साफ और हैल्दी रखें, ताकि हेयरफौल कम हो.

2 इस मौसम में बालों की डीप कंडीशनिंग करना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस से प्रदूषण से डैमेज हुए बालों का ड्राई होना, टूटना, झड़ना आदि कम हो जाता है. सप्ताह में 1 बार डीप कंडीशनिंग अवश्य करें.

3 ऐंटीऔक्सीडैंट सप्लिमैंट्स लेने बहुत जरूरी हैं. ताकि हेयर डैमेज को रोका जा सके. ओरल विटामिंस, मिनरल्स, ऐंटीऔक्सीडैंट बालों को सुरक्षा देने के अलावा उन की ग्रोथ भी बढ़ाते हैं.

4 बालों को प्रदूषण से बचाने के लिए कंडीशनर का प्रयोग करें ताकि यह स्कैल्प और बालों पर बैरियर का काम करे.

आजमाएं ये 3 घरेलू हेयर मास्क…

ऐलोवेरा मास्क बहुत अच्छा हेयर केयर मास्क है. इस के जैल से ड्राई हेयर और प्रभावित स्कैल्प की मसाज करें. 20 मिनट बाद हलके गरम पानी से धो कर माइल्ड शैंपू करें.

2-3 स्ट्राबेरी को कुचल कर उस में 2 बड़े चम्मच मेयोनेज मिला कर मास्क तैयार कर स्कैल्प पर लगाएं. स्ट्रोबेरी तेल के रिसाव को नियमित करती है, जबकि मेयोनेज नमी प्रदान करता है. इसे भी 20 मिनट तक लगा कर स्कैल्प को धो लें.

केला, शहद और औलिव औयल को मिला कर कंडीशनर तैयार कर 20 मिनट तक लगा रहने के बाद में धो लें. यह बहुत ही फायदेमंद कंडीशनर है.

रिव्यू : फिल्म देखने से पहले जाने कैसी है ‘रोमियो अकबर वाल्टर’

फिल्म: रोमियो अकबर वाल्टर

कलाकार: जौन अब्राहम, मौनी रौय, सिकंदर खेर, सुचित्रा कृष्णमूर्ति और जैकी श्रौफ

निर्देशक: रौबी ग्रवाल

रेटिंग: दो स्टार

भारत-पाक के बैकग्राउंड पर 2013 में प्रदर्शित निखिल अडवाणी की जासूसी फिल्म ‘‘डी डे’’, 2018 में रिलीज फिल्म ‘‘राजी’’ सहित कई बेहतरीन फिल्में आ चुकी हैं. इन फिल्मों के मुकाबले ‘‘रोमियो अकबर वाल्टर’’ एक अति सतही और बोर करने वाली लंबी फिल्म है. आर्मी बैकग्राउंड के फिल्मकार रौबी ग्रेवाल का दावा है कि उन्होने इस फिल्म का लेखन व निर्देशन करने से पहले काफी शोध कार्य करते हुए कई जासूस/स्पाई से बात की. मगर फिल्म देखकर उनका दावा कहीं से भी सच के करीब नहीं नजर आता.

हाथियों के अवैध शिकार पर बनी फिल्म ‘जंगली’

कहानी…

फिल्म ‘‘रोमियो अकबर वाल्टर’’ की कहानी 1971 के भारत पाक युद्ध की है. जब पाकिस्तान दो हिस्सों में बंटा हुआ था. पश्चिमी पाकिस्तान और पूर्वी पाकिस्तान. पूर्वी पाकिस्तान में मुक्तिवाहिनी सेना आजादी की लड़ाई लड़ रही थी. भारत भी इसकी आजादी का पक्षधर था. 1971 के युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद होकर बांग्लादेश बन गया. ऐसी ही परिस्थिति में भारतीय जासूसी संस्था ‘रौ’ के मुखिया श्रीकांत राय (जैकी श्राफ) को अपने साथ जोड़ने के लिए ऐसे इंसान की तलाश थी, जो कि आसानी से भीड़ का हिस्सा बन सके या अपने आस पास के इंसान को आसानी से भटका सके. श्रीकांत राय की यह खोज उन्हें आर्मी के शहीद मेजर के बेटे रोमियो अली (जौन अब्राहम) तक ले जाती है. रोमियो एक बैंक कर्मी है. बुजुर्ग बनकर कविताएं पढ़ता है. बैंक में उसकी सहकर्मी हैं पारूल(मौनी रौय), जिससे वो प्यार करता है. एक दिन बैंक में नकली डकैती होती है, जिसके बाद रोमियो अली को श्रीकांत राय के सामने पहुंचा दिया जाता है. रोमियो अली को जासूस बनने की ट्रेनिंग दी जाती है और फिर वह अकबर मलिक (जौन अब्राहम) के नाम से पीओके पहुंचता है. एक होटल में नौकरी करते हुए वह शरीक अफरीदी के करीब पहुंचता है और वह भारत में श्रीकांत तक सारी जानकारी मुहैया करता रहता है कि किस तरह 22 नवंबर को पूर्वी पाकिस्तान से सटे भारतीय गांव को तबाह करने की योजना है. अफरीदी का अपना बेटा नवाब अफरीदी अपने पिता का दुश्मन है, जो कि पाकिस्तान के उप सेनाध्यक्ष के साथ मिला हुआ है. कुछ समय बाद अकबर मलिक की मदद के लिए भारतीय डिप्लोमेट के रूप में श्रद्धा शर्मा (मौनी रौय) पहुंचती है. श्रद्धा शर्मा का फोन पाकिस्तानी आईएसआई टेप कर रही है. इसी के चलते श्रद्धा और अकबर मलिक की मुलाकात की जानकारी आईएसआई आफिसर खुदा बख्श सिंह (सिकंदर खेर) को पता चलती है. फिर खुदाबख्श सिंह, अकबर मलिक के पीछे पड़ जाता है और एक दिन उसे गिरफ्तार कर यातना देकर सच जानने का असफल प्रयास करता है. अफरीदी की मदद से वह छूट जाता है, मगर सेनाध्यक्ष की हत्या हो जाती है और उप सेनाध्यक्ष गाजी खान सेनाध्यक्ष बन जाता है. उसके बाद कहानी में कई मोड़ आते हैं. जिनके लिए आपको फिल्म देखनी होगी.

फिल्म समीक्षा : नोटबुक

पटकथा लेखक…

पटकथा लेखक की अपनी कमजोरियों के चलते ये जासूसी फिल्म की बजाय एक एक्शन और रोमांस से भरपूर वेब सीरीज नजर आती है. लेखक व फिल्मकार रौबी ग्रेवाल ने बेवजह भावनात्मक, रोमांटिक और सेक्शुअल सीन्स को भरकर एक बौलीवुड मसाला फिल्म बनायी है. फिल्म में जौन अब्राहम और मौनी रौय के बीच रोमांटिक और सेक्शुअल सीन फिल्म में पैबंद नजर आते हैं. इन्ही सीन्स के चलते फिल्म बेवजह लंबी हो गयी है. इतना ही नहीं एडीटिंग में फिल्म को कसने की जरुरत थी. इंटरवल से पहले तो कहानी खिसकती ही नही है. दर्शक कहने पर मजबूर हो जाता है कि कहां फंसा गया.

तो क्या अप्रैल में होगी मलाइका और अर्जुन की शादी! सामने आई वेडिंग डेट

एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो यह फिल्म जौन अब्राहम के करियर की सबसे कमजोर फिल्म है. मौनी रौय तो महज खूबसूरत गुड़िया के अलावा कुछ नहीं है. फिल्म में अगर कोई किरदार याद रह जाता है, तो वह है श्रीकांत राय का, जिसे जैकी श्राफ ने निभाया है. जैकी श्राफ के अभिनय की जरुर तारीफ की जानी चाहिए. इसके अलावा एक भी कलाकार प्रभावित नहीं कर पाता. रघुबीर यादव सहित कई दिग्गज कलाकारों के कमजोर अभिनय के लिए लेखक व निर्देशक ही पूरी तरह से जिम्मेदार हैं. किसी भी किरदार को सही ढंग से चित्रित ही नहीं किया गया.

कितना भी दर्द हो, किचन की ये 8 चीजें दूर करेंगी दर्द

शरीर में चाहे कैसा भी दर्द हो, निजात पाने के लिए हम तुरंत किसी पेन किलर की ओर भागते हैं. ये पेन किलर हमारे दिल के लिए, लिवर और गुर्दे के लिए काफी हानिकारक होते हैं. हमारी सेहत पर इनका नकारात्मक असर होता है.

किसी अंग्रेजी दवाई से बेहतर आप प्राकृतिक उपाय, या कहें कि घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करें. इस खबर में हम आपको कुछ ऐसे ही घरेलू नुस्खों के बारे में बताएंगे जिनका इस्तेमाल आप पेन किलर के तौर पर कर सकेंगे. सबसे अच्छी बात कि इनका सेहत पर किसी भी तरह का नकारात्मक असर नहीं होता.

1 सेंधा नमक

सेंधा नमक भी दर्द कम करने में बेहद कारगर होता है. इसमें थेरेपी वाले गुण होते हैं. किसी भी तरह के दर्द में सेंधा नमक को पानी में मिला कर नहाएं. ये आपके त्वचा से हो कर मांसपेशियों तक पहुंच कर आराम देता है.

2 पुदीना

पुदीने में भी थेरेपी के गुण होते हैं. ये मांसपेशियों की परेशानी में राहत दिलाते हैं. सिरदर्द, दांतों के दर्द और नसों में दर्द में ये काफी असरदार है. मांसपेशियों को और नसों को क्रैंप में भी ये काफी फायदेमंद होता है. अपच और मानसिक शांति के लिए पुदीने की कुछ पत्तियों को चबाएं.

3 लहसुन

लहसुन ऐंटीबैक्‍टीरियल, ऐंटीफंगल और ऐंटीवायरल गुणों से युक्‍त होता है. कान के संक्रमण, आंत परजीवी और अर्थराइटिस के दर्द से राहत दिलाता है. लहसुन को कच्चा चबाने में बेहद फायदेमंद है. मांसपेशियों या जोड़ों के दर्द में गर्म लहसुन का तेल से मालिश करने से बहुत आराम मिलता है.

4 कौफी

कौफी में कैफीन होता है जो सिरदर्द, मासंपेशियों में दर्द और दर्द की सनसनाहट से राहत दिलाता है. कैफीन दर्द निवारक दवाओं से भी तेजी से काम करता है. जानकारों का मानना है कि कौफी किसी भी तरह के दर्द में तेजी से असर करता है और आपको आराम देता है.

5 औलिव औयल

औलिव औयल में ऐंटी इंफ्लामेट्री गुण होते हैं. एक्‍स्‍ट्रा वर्जिन औलिव औयलमें इबुप्रोफेन होता है जोकि दर्द दूर करता है. सलाद या किसी अन्‍य डिश पर औलिव औयल की ड्रेसिंग कर सकते हैं.

6 हल्‍दी

किसी भी तरह के चोट या बीमारी में हल्दी प्रमुखता से उपयोग किया जाता है. मांसपेशियों के दर्द से लिए सभी प्रकार के दर्द में ये काफी असरदार होता है. हल्दी में ऐंटी इंफ्लामेट्री यौगिक होते हैं, जो मांसपेशियों या जोड़ों के दर्द में काफी असरदार होते हैं.

7 अदरक

अदरक भी ऐंटी इंफ्लामेट्री यौगिक के कारण दर्द में काफी कारगर होता है. किसी भी तरह के सूजन में, पेट दर्द, छाती, अर्थराइटिस और माहवारी के दौरान होने वाली परेशानियों में ये काफी कारगर होता है.

अदरक उपरी संक्रमण, खांसी, जुकाम, गले की खराश जैसी समस्याओं का मारक उपाय है. जानकारों की मानें तो अदरक की चाय से माइग्रेन से तुरंत आराम मिलता है और अदरक को चबाने से गैस की समस्‍या भी ठीक हो जाती है. मांसपेशियों के दर्द और सूजन में अदरक की सिकाई करें.

8 लौंग

लौंग में ऐंटी इंफ्लामेट्री के साथ ऐंटीऔक्‍सीडेंट और ऐंटीबैक्‍टीरियल यौगिक होते हैं. दांत या मुंह में होने वाली समस्याओं में लौंग बेहद असरदार होता है. ये एक प्राकृतिक पेन किलर है. मितली में, सर्दी, सिर दर्द और अर्थराइटिक में ये काफी फायदेमंद होता है. अगर आपके दांत में दर्द है तो 1 लौंग पीसकर उसमें औलिव औयल डालकर दांतों पर लगाएं. मुंह की बदबू से बचने और दांतों के दर्द से राहत पाने के लिए लौंग को चबा भी सकते हैं.

सिंगल मदर बनकर खुश हूं-साक्षी तंवर

धारावाहिक ‘कहानी घर-घर की’ में पार्वती की भूमिका निभाकर चर्चित हुई अभिनेत्री साक्षी तंवर इन दिनों एकता कपूर की वेब सीरीज ‘कर ले तू भी मोहब्बत’ की वजह से चर्चा में हैं. हाल ही में हमने उनसे बातचीत की, पेश है इस इंटरव्यू के कुछ अंश.

सवाल: बहुत दिनों बाद आप और राम कपूर एक बार फिर से काम कर रहे है, इसमें क्या खास है?

ये सही है कि हम दोनों फिर से एक बार काम कर रहे है. ये अच्छी बात है, इस सीरीज के पहले सीजन में दोस्ती, दूसरे सीजन में प्यार और तीसरे में पति-पत्नी में लड़ाई, नोंक-झोंक और नफरत ये सब दिखाई पड़ेगी. अब तक की सारी भूमिकाओं से ये अलग है, जिसे करने में अच्छा लगा.

सवाल: शादी के कुछ सालों बाद रियल लाइफ में भी कुछ पति-पत्नी के संबंधों में खटास आ जाया करती है, आपकी कहानी उन्हें क्या सीख देती है? हालांकि आप शादीशुदा नहीं है, फिर भी विवाह को सालों तक अच्छा बनाये रखने किन चीजो की जरुरत होती है?

ये सही है कि जहां प्यार अधिक होता है वहां तकरार भी होती है. बाहर के लोग अगर आपको कुछ कहे, तो आप ध्यान नहीं देते, लेकिन जिस व्यक्ति से आप प्यार करते है, वही व्यक्ति अगर आपको दुःख दे, तो बहुत तिलमिलाहट होती है और ये कहानी इसके प्रभाव को भी बताती है. इसके अलावा मैंने अपने माता-पिता को देखा है कि उनमें कितना अच्छा सामंजस्य है. मैंने महसूस किया है कि गलत सोच, ईगो आदि से हर चीज गलत होती जाती है, ऐसे में इसे समेटना मुश्किल हो जाता है. जब हम दूसरे का नुकसान करने जाते है, तो सबसे पहले खुद का नुकसान करते है. खुद की अच्छाई और बुराई नहीं देख पाते. दूसरे का नुकसान तो बाद में होता है, अपना नुकसान पहले होता है.

सवाल: आप इस चरित्र से अपने आपको कैसे रिलेट करती है?

मुझसे बहुत अलग है. इस कहानी में मेरा चरित्र किसी बात को अंदर रख लेती है, या उस परिस्थिति से भागने की कोशिश करती है. मैं वैसी नहीं हूं, मुझे अगर किसी से समस्या है तो मैं उससे बात कर लेना उचित समझती हूं. अगर मुझे गुस्सा भी आता है तो थोड़े दिनों तक शांत रहकर फिर उससे बात कर लेती हूं. मुझे कभी भी किसी बात में पहल करने में मुश्किल नहीं होती. बाकी अभिनय है, जिसे मैंने करने की कोशिश की है.

सवाल: आपने एक बच्चे को अडौप्ट किया है, सिंगल मदर बन चुकी हैं, मां बनकर आप कैसा महसूस कर रही है?

हर मां जिस दौर से गुजरती है, मैं भी उसी दौर से गुजर रही हूं. बच्चा हर घर में खुशियां और हलचल लेकर आता है. मेरे घर में भी वैसा ही माहौल बन गया है, जिसे मैं एन्जौय कर रही हूँ. हर पल एक सेलिब्रेशन होता है. हर चीज में अद्भुत अनुभूति हो रही है. मेरे माता-पिता भी इसे एन्जौय कर रहे है.

सवाल: आप अपनी जर्नी को कैसे देखती है और आपमें कितना परिवर्तन हुआ?

कैमरे के सामने मैंने 25 साल से अधिक समय बिताया है, लेकिन जितने भी कामों में मैंने सफलता पायी है, उनमें अधिकतर को मैंने ‘ना’ कही है. मैंने कुछ चुना नहीं है. ये सभी काम मुझ तक आये है. काम ने मुझे चुना. मेरा क्रेडिट ये है कि मैंने अपनी भूमिका को सही तरह से निभाया है. दर्शकों ने मेरे काम को पसंद किया और मुझे काम मिलता गया.

सवाल: आज सभी कलाकारों को काम मिलता है, क्योंकि वेब, टीवी फिल्म आदि सब आ चुके है, इस दौर को आप कैसे लेती हैं?

ये बहुत ही अच्छा दौर है. हर व्यक्ति को अपना काम दर्शक या पाठक तक पहुंचाने का मौका मिल रहा है, फिर चाहे वह लेखक, निर्देशक, कलाकार आदि कुछ भी हो, उसकी चाहत को रंग देने वाला माध्यम यही है. फिल्मों में एक कहानी को बहुत कम समय में कहना पड़ता है, जबकि टीवी में इसका उल्टा होता है. एक चरित्र को इतना खींचा जाता है कि मुख्य कहानी से धारावाहिक भटक जाती है. वेब सीरीज एक बैलेंस्ड माध्यम है, जिसमें आप एक निश्चित दायरे में हर किरदार की बातों को रखते हुए पूरी कहानी कह सकते है.

सवाल: ऐसा माना जा रहा है कि वेब सीरीज में सर्टिफिकेशन नहीं होता, ऐसे में इसमें गाली- गलौज से लेकर सेक्स को पूरी तरह से पेश किया जा रहा है, क्या ये परिवार और अपरिपक्व बच्चों के लिए सही है? इस बारें में आपकी सोच क्या है?

मैंने जो वेब सीरीज की हैं, वे परिवार को ध्यान में रखकर ही बनाये गए है. सेंसरशिप अंदर से ही आनी चाहिए और ये हर कोई कर सकता है,क्योंकि आपके पास ‘ना’ बोलने या न देखने पौवर होता है उसका प्रयोग करें. बच्चों के लिए उनके माता-पिता को ध्यान रखने की जरुरत है कि वे ऐसी चीजे न देखें, क्योंकि औनलाइन पर सेंसर लगाना मुश्किल है.

सवाल: क्या आपके ना कहने का असर आपके कैरियर पर पड़ा?

धारावाहिक ‘कहानी घर घर की’ के बाद मैंने ब्रेक लिया. उस समय कई शो के औफर आये, लेकिन मैंने 8 साल काम किया है इसलिए मैं थोड़ा आराम करना चाहती थी. मैंने कभी नहीं सोचा है कि मैं कम काम कर रही हूँ.  मैंने जितना भी काम किया मेरी जगह दर्शकों के दिल में बन गयी है. इसलिए मुझे कोई असुरक्षा की भावना नहीं है. टीवी पर जो काम किया है, उसके श्रेय को आगे ले जा रही हूं.

सवाल: क्या कोई सामाजिक कार्य आप करती है और किस क्षेत्र में अधिक काम करने की जरुरत है?

मैं सोशल वर्क करती हूं, लेकिन मैं शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक काम करने की सलाह देती हूँ. कई ऐसे शहर या गांव है, जहां शिक्षा की बहुत कमी है. शिक्षा से ही सभी क्षेत्र में उन्नति हो सकती है.

गरमियों में खुजली से बचने के लिए अपनाएं ये 5 टिप्स

गरमी आते ही लोगों के सामने कई परेशानियां आती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा खुजली की परेशानी आम होती है. कई लोगों में ये समस्या इतनी बढ़ जाती है, जो घमौरियों का रूप ले लेती है. अगर आप भी गरमी में इसी वजह से परेशान रहती हैं तो इन नुस्खों की मदद से आप खुजली की परेशानियों से छुटकारा पा सकती हैं.

1 बर्फ का करें इस्तेमाल…

अगर आप बहुत ज्यादा खुजली से परेशान रहती हैं तो बर्फ के टुकड़े को प्रभावित हिस्सों पर लगाएं. जिससे आपको आराम मिलेगा. इसे कपड़े में डालकर पांच से दस मिनट तक के लिए लगाएं. इसे आप चार से छह घंटे के गैप में भी लगा सकती हैं.

2 नमक, हल्दी मेथी का बनाएं पेस्ट…

खुजली से बचने के लिए नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में पीस लें. नहाने से पांच मिनट पहले इसे पानी में मिलाकर उबटन बनाएं. इसे अच्छी तरह से पूरे शरीर पर लगा लें और पांच मिनट बाद नहा लें. हफ्ते में एक बार इसका इस्तेमाल करने से आपको घमौरियों से छुटकारा मिल जाएगा.

3 मुल्तानी मिट्टी लगाएं…

गरमी में त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी ज्यादा फायदेमंद रहती है. अगर घमौरियां हों तो मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाने से भी आपको राहत मिलेगी.

4 एलोवेरा का करें इस्तेमाल…

खुजली का एक रामबाण उपाय  एलोवेरा है. प्रभावित हिस्सों पर एलोवेरा का रस लगाने से आपको खुजली की परेशानी से छुटकारा मिलेगा.

5 रोज नहाना है जरूरी…

सर्दियां बीत जाने के बाद ज्यादातर गरमी में कम नहाना शुरू करते हैं, जो खुजली के परेशानी का कारण बन जाती है. खुजली से छुटकारा पाने के लिए रोज साफ और ताजे पानी से नहाना चाहिए.

फैशन मंत्रा: गरमी में स्टाइलिश दिखने के लिए अपनाएं ये टिप्स

गरमी शुरू होते ही तेज धूप में घर से बाहर निकलने का दिल ही नहीं करता. धूप से बचते बचाते हम बाहर निकल तो जाते हैं, लेकिन ऐसी बढ़ती हुई गरमी में फैशन की सोचने की फुर्सत नहीं होती. पर इस मौसम में फैशन में रहना इतना भी मुश्किल नहीं.

आज हम आपको बताएंगे चिलचिलाती गरमी में भी कैसे फैशनेबल दिख सकती हैं, साथ ही फैशन में क्या नया है, जो आपको गरमी से भी बचाएगा और ट्रेंडी भी दिखाएगा.

गरमी आते ही बाजारों में कई समर क्लेक्शन भी आ चुके है, साथ ही इस बार समर वियर में जौर्जट मैक्सी, कौटन कुर्ता और शर्ट्स काफी डिमांड पर हैं. बात करें कलर्स और डिजाइन की तो इस बार गर्मियों में पीच, लेमन, स्काई ब्लू और ग्रे सबसे ज्यादा पौपुलर है.

  1. ऐथेनिक वियर…

इस बार ऐथेनिक वियर में खास चिकनकारी क्लेक्शन बाजार में उतारा गया है. जौर्जट पर चिकनकारी सूट सलवार और दुप्पटा आपको गरमी से राहत के साथ-साथ ट्रेंडी दिखाने में भी मदद करेगा.

  1. डिजिटल प्रिंट्स के हैं ढेरों औप्शन…

इस समय डिजिटल प्रिंट्स के ढेरों औप्शंस बाजार में मौजूद है. कुर्ते में हल्के रंगों के साथ इस बार एक्सपेरीमेंट किया गया है. फैशन एक्सपर्ट की मानें तो गर्मियों में आप भारी भरकम प्रिन्ट और डार्क कलर्स को अवौएड करें.

  1. बजट कम में भी रख सकते हैं फैशन का ख्याल…

अगर आपका बजट थोड़ा कम है तो घबराए नहीं. थोड़े पैसे खर्च कर भी आप इन गर्मियों में स्टाइलिश दिख सकती हैं. स्ट्रीट मार्केट में अफोर्डेबल रेंज में गर्मियों के कपड़ों की शौपिंग का बेस्ट औप्शन है. यहां पर आपको टौप्स, स्कर्ट्स, मैक्सी ड्रेसेज की ढेरों वेराएटी मिल जाएगी. वो भी आपके बजट में. वहीं गरमी से निपटने के लिए स्टोल्स की सबसे ज्यादा डिमांड होती है.

राजनीति में महिलाएं आज भी हाशिए पर

औरतों को राजनीति में हिस्सेदारी देने की बड़ी-बड़ी बातें हो रही हैं. ममता बनर्जी ने 2019 के चुनावों में 40% सीटें औरतों को दी हैं. राहुल गांधी ने वादा किया है कि अगर जीते तो लोकसभा में विधानसभाओं में एक तिहाई सीटों पर औरतों का आरक्षण होगा. 2014 के चुनावों में बड़ी पार्टियों के 1,591 उम्मीदवारों में सिर्फ 146 औरतें थीं. लोकसभा हो या विधानसभाएं औरतें इक्कादुक्का ही दिखती हैं. वैसे यह कोई चिंता की बात नहीं है.

राजनीति कोई ऐसा सोने का पिटारा नहीं कि औरतें उसे घर ले जा कर कुछ नया कर सकती हैं. राजनीति, राजनीति है और आदमी हो या औरत, फैसले तो उसी तरह के होते हैं. इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं और सोनिया गांधी प्रधानमंत्री सरीखी रहीं पर देश में कोई क्रांति उन की वजह से आई हो यह दावा करना गलत होगा.

मायावती से दलितों व औरतों का उद्धार नहीं हुआ और ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल को औरत की स्वर्णपुरी नहीं बना डाला. जैसे बच्चों या बूढ़ों की गिनती राजनीति में नहीं होती वैसे ही अगर औरतों की भी न हो तो कोई आसमान नहीं टूटेगा. जरूरत इस बात की है कि सरकारी फैसले औरतों के हित में हों जो पुरुष भी उसी तरह कर सकते हैं जैसे औरतें कर सकती हैं.

औरतों के राजनीति में प्रवेश पर कोई बंदिश नहीं होनी चाहिए और वह है भी नहीं. औरतों को वोट देने का हक भी है. वे अगर हल्ला मचाती हैं तो सरकारी निर्णयों में उस की छाप देखी जा सकती है. कमी तो इस बात की है कि औरतों को समाज में वह बराबर का स्थान नहीं मिल रहा है जिस की वे हकदार हैं और जिसे वे पा सकती हैं. इस में रोड़ा धर्म है. धर्म ने औरतों को चतुराई से पटा रखा है. उन्हें तरह-तरह के धार्मिक कार्यों में उलझाया रखा जाता है.

राजनीति तो क्या घरेलू नीति में भी उन का स्थान धर्म ने दीगर कर दिया है. धर्म उपदेशों में औरतों को नीचा दिखाया गया है. चाहे कोई भी धर्म हो धार्मिक व्याख्यान आदमी ही करते फिरते हैं. हर धर्म की किताबें औरतों की निंदाओं से भरी हैं और उस की पोल खोलने की हिम्मत राजनीति में कूदी औरतों तक में नहीं है.

अगर औरतों को काम की जगह, घरों में, बाजारों में, अदालतों में सही स्थान मिलना शुरू हो जाए तो राजनीति में वे हों या न हों कोई फर्क नहीं पड़ता. उन की सांसदों में चाहे जितनी गिनती हो पर अगर उन्हें फैसले आदमियों के बीच रह कर उन के हितों को देखते हुए लेने हैं तो उन की 40 या 50% मौजूदगी भी कोई असर नहीं डालेगी. औरतों की राजनीति में भागीदारी असल में एक शिगूफा या जुमला है जिसे बोल कर वोटरों को भरमाने की कोशिश की जाती है.

अगर राजनीति में औरतों की भरमार हो भी गई तो भी भारत जैसे देश में तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा, जहां धर्म व सामाजिक रीतिरिवाजों के सहारे उन्हें आज भी पुराने तरीकों से घेर रखा है. बाल कटी, पैंट पहने, स्कूटी पर फर्राटे से जाती लड़की को भी आज चुन्नी से अपना चेहरा बांध कर चलना पड़ रहा है ताकि कोई छेड़े नहीं. आज भी लड़की अपनी पसंद के लड़के के साथ घूमफिर नहीं सकती, शादी तो बहुत दूर की बात है.

औरतों की राजनीति में मौजूदगी के बावजूद अरसे से इस सामाजिक, धार्मिक व्यवस्था को तोड़ने का कोई नियम नहीं बना है. औरतें तो केवल खिलवाड़ की चीज बन कर रह गई हैं. संसद व विधानसभाओं में पहुंच कर वे औरतों की तरह का नहीं सासों और पंडितानियों का सा व्यवहार नहीं करेंगी, इस की कोई गारंटी दे सकता है क्या? कानून से नहीं समझदारी से काम लें.

सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में तय किया है कि रिवाजों के अनुसार हुए तलाक के बाद भी कोई दूसरी शादी नहीं कर सकता. एक तरह से अदालत ने यह तो मान लिया कि जिन समुदायों के अपने रिवाजों में तलाक को मान्यता है, वह ठीक है पर फिर भी दूसरी शादी करने का हक किसी को नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर यह तय नहीं किया है कि जब मियां-बीवी में नाराजी तो क्या करेगा काजी?

विवाह एक आदमी और एक औरत का निजी मामला है और समाज या सरकार का इस से कोई लेनादेना नहीं होना चाहिए. दुनियाभर में विवाह तो आप अपनी मरजी से जब चाहो कर लो पर तलाक लेते समय आफत खड़ी हो जाती है. तलाक की वजह चाहे जो भी हो, अदालत का दखल असल में बेबुनियाद है. यह ठीक है कि हर शादी का असर कइयों पर पड़ता है पर ये कई पति और पत्नी के अपने निजी लोग होते हैं. बच्चों के अलावा विवाह से किसी का मतलब नहीं होता. जहां बच्चों के बावजूद पति और पत्नी में मनमुटाव हो जाए वहां अदालतों का दखल एकदम जबरन थोपा कानून है. यह दुनियाभर में चल रहा है और हर जगह गलत है.

कानून असल में बच्चों को भी न सुरक्षा देता है, न प्यार. यह संभव है कि पतिपत्नी में से कोई एक या दोनों बच्चों को बेसहारा छोड़ दें. अदालतों का काम उस समय केवल इतना होना चाहिए कि छोड़े गए बच्चों के बड़े होने तक उन्हें पति व पत्नी की कमाई में से पर्याप्त हिस्सा मिले. पति या पत्नी अलग हो कर दूसरा विवाह करे या न करे यह उस पर निर्भर है. वे अपनीअपनी संपत्ति का क्या करते हैं, यह भी उन की इच्छा है. पति अगर पत्नी को फटेहाल छोड़ जाए तो यह भी काम अदालतों का नहीं कि वे पति की संपत्ति में से हिस्सा दिलवाएं. यह हिस्सा पत्नी को पहले ही अपने नाम करा लेना चाहिए. पतिपत्नी का संबंध पूरी तरह स्वैच्छिक ही होना चाहिए.

हां, समाज का काम है कि वह पत्नी को समझाए कि विवाह का अर्थ है पति के साथ बराबर की साझेदारी. कानून से नहीं समझदारी से पत्नी को पति से पहले दिन से साझेदारी शुरू कर देनी चाहिए. अपना बचत खाता हो, मकान हो तो अपने, उस के नाम हो. 2 मकान हों तो दोनों अपना-अपना रखें. पति के वेतन में से पत्नी अपना हिस्सा पहले ही दिन से लेना शुरू कर दे. जैसे विवाह के समय दहेज की परंपरा है, उपहार देने की परंपरा है, मुंह-दिखाई जैसी परंपराएं हैं वैसी ही संपत्ति के बंटवारे की परंपराएं हों ताकि वकीलों और अदालतों के चक्कर ही न लगें.

जब तक दोनों में प्यार है, तेरा-मेरा नहीं हमारा है, जब तकरार हो गई तो तेरा तेरा है और मेरा मेरा. बस बच्चों के बारे में फैसला न हो तो उन के नाना, दादा, मामा को हक हो कि वे अदालत का दरवाजा खटखटा कर पतिपत्नी में से जिस के पास ज्यादा पैसा हो उसे पैसे देने और बच्चों को पालने को बाध्य किया जा सके.

आज विवाह करना भी धंधा बन गया है और विवाह तोड़ना भी. इसे समाप्त करें. उस का लालच उसे ले डूबा देशभर में मकानों की कीमतें बढ़ने और उन के मालिकों की उम्र बढ़ने के कारण मालिकों के बच्चों में एक फ्रस्ट्रेशन पैदा होने लगी है. पहले जब मातापिता की मृत्यु 45 से 60 के बीच हो जाती थी, 30-35 तक बच्चों को मिल्कियत मिल जाती थी पर अब यह ट्रांसफर अब मातापिता जब 70-80 के हो जाते हैं तब हो रहा है और तब तक बच्चे 50-55 के हो चुके होते हैं. इसीलिए शायद दिल्ली में एक 25 वर्षीय तलाकशुदा महिला ने अपने प्रेमियों की सहायता से माता-पिता दोनों को मार डाला ताकि 50 लाख का मकान हाथ में आ जाए.

अब चूंकि वह पकड़ ली गई है उसे पूरी जिंदगी जेल में बितानी होगी और 50 लाख का मकान खंडहर हो जाएगा जिस पर लाखों का म्यूनिसिपल टैक्स चढ़ जाएगा. जब तक वह महिला बाहर निकलेगी तब तक वह टूट चुकी होगी और मकान भी टूट चुका होगा. असल में जरा से निकम्मे बच्चे अब अपना धैर्य खो रहे हैं. अगर मातापिता अपने कमाए पैसे पर बैठते हैं तो सही करते हैं. उन्होंने जो भी कमाया होता है अपनी मेहनत से, अपना पेट काट कर या विरासत में माता-पिता के मरने के बाद पाया होता है.

अगर वे बच्चों को अपने मरने से पहले पैसा खत्म करने देंगे तो खुद तिल-तिल कर मरेंगे. बुढ़ापे में कई बीमारियां होती हैं, वकीलों के खर्च होते हैं, लोग छोटी-मोटी लूट मचाते रहते हैं. बच्चों की नाराजगी सहना ज्यादा अच्छा बजाय उन के आज के सुखों के लिए अपना भविष्य गिरवी रखने के. जो बच्चे कमाने लगते हैं वे तो माता-पिता की संपत्ति पर नजर नहीं रखते पर जिन्हें एक के बाद एक असफलता हाथ लगती है वे अगर नाराज भी हो जाएं तो भी चिंता नहीं करनी चाहिए.

पिछले दशकों में संपत्ति के जो अंधाधुंध दाम बढ़े हैं उन से बच्चों को लगने लगा है कि बूढ़ों के पास बहुत पैसा आ गया है पर वे यह भूल जाते हैं कि यही पैसा जीवन में सुरक्षा देता है, ठहराव पहुंचाता है. दिल्ली के पश्चिम विहार की देवेंद्र कौर की जल्दबाजी उसे ले डूबेगी.

 

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