ये 5 ड्रिंक्स दिलाएंगे आपको गरमी से राहत

गरमी में बढ़ती धूप में टैम्परेचर बढ़ने से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसके साथ बिजी लाइफस्टाइल की वजह से लोग अपनी बौडी का ख्याल भी नही रख पाते. और वह थका हुआ महसूस करने लगते है जिसका एक कारण बौडी में पानी की कमी भी होता है. इसलिए जरूरी है कि अपनी हेल्थ को अच्छा रखने के लिए बौडी को हाइड्रेटेड रखा जाए. जिसके लिए आज हम आपको 5 ऐसी ड्रिंक्स बताएंगे जो बौडी को हाइड्रेटेड रखने में मदद करेगी.

  1. सबसे टेस्टी और हेल्दी है आम पन्ना…

लिप-स्मोकी ड्रिंक आम पन्ना महाराष्ट्र की फेमस ड्रिंक है, जो गरमियों में आम के गूदे से बनाई जाती है. यह न केवल आपको तरोताजा रखेगा, बल्कि धूप में भी एर्नजेटिक रखेगा.

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2. चटपटे टेस्ट के साथ उपयोगी है जलजीरा…

जलजीरा को जीरा और पानी के साथ बनाया जाता है. जीरे को भूनकर मोटे पाउडर में मिलाकर पानी में मिलाकर बनाया जाता है. ये पेट से जुड़ी हर प्रौब्लम से बचने के लिए सबसे अच्छा ड्रिंक है, खासकर गर्मियों में.

3. गरमी में ठंडक पहुचाए छाछ 

फेमस चास के रूप में जाना जाने वाला छाछ दही से बनने वाला ड्रिंक है, जो लोगों को काफी पसंद आता है. छाछ पेट के लिए अच्छा ड्रिंक है जो जीरा जैसे मसालों के साथ पी सकते हैं.

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4. एक ठंडा गिलास नारियल पानी…

नारियल पानी का एक ठंडा गिलास आपको तुरंत खुश कर देता है. हल्की मिठास और ताजा स्वाद के साथ यह गरमी में हाइड्रेट करने में मदद करता है.

5. नेचुरल ड्रिंक है गन्ने का रस

कई समस्याओं को नेचुरल ड्रिंक गन्ने के रस से ठीक किया जाता है. यह प्लाज्मा और बौडी में पानी की कमी को खत्म करने में मदद करता है. साथ ही यह पानी की कमी की प्रौब्लम और सुस्ती को दूर करने में भी मदद करता है. जूस में पुदीने की पत्तियां मिलाने से आपके समर ड्रिंक का स्वाद भी बढ़ जाता है.

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घरेलू रद्दी से बनाएं सुंदर क्राफ्ट

क्या आप यह सोच रहे हैं कि घर में ना इस्तेमाल होने वाले सामान को कैसे छांटा जाए? आपको इन उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए और उस सामान को इस्तेमाल में लाना चाहिए.

कुछ आसान तरीकों से घर के अटाले से भी काम की और सुन्दर वस्तु बनायी जा सकती हैं. कुछ आसान और सुन्दर क्राफ्ट आईडिया आप खुद भी बना सकते हैं और बच्चों से भी बनवा सकते हैं.

इन आईडिया से ना सिर्फ आपके घर का अटाला सही इस्तेमाल में आएगा, आपके घर आने वाले मेहमान भी इससे काफी प्रभावित होंगे.

पुराने बोतल

क्या आप अपने स्टोर रूम में रखी पुरानी बोतलों को फेंकने वाली हैं? तो आप इनका अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं. पुराने बियर, शराब या स्पिरिट के बोतल को इकठ्ठा कर आप इन्हें पेंट कर सकते हैं और इनमें रस्सी बांध कर आप इन्हें कैंडल होल्डर या इनकी घर में सजावट कर सकते हैं.

पुराने सीडी

क्या आपके ड्रावर में कई समय से पुराने सीडी पड़े हैं? इन्हें इकठ्ठा करें और आप इनसे कोस्टर, शीशे का फ्रेम (सीडी को तोड़कर शीशे के बॉर्डर पर चिपकाकर) आदि बना सकते हैं.

पुराने बेकिंग शीट
आपने नयी बेकिंग शीट खरीदी है? पुरानी वाली फेंके नहीं इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है. बेकिंग शीट का इस्तेमाल कर आप मैग्नेटिक स्टिक नोट तक बना सकते हैं. इनसे आप सजीले सर्विंग ट्रे, ज्वेलरी और मेकअप आइटम होल्डर भी बना सकते हैं.

पुराने वाइन कॉर्क

पुराने वाइन कॉर्क को इकठ्ठा कर इनसे सुन्दर पिक्चर फ्रेम बनाएं आपको चाहिए रंग, ब्रश, अधूरा लकड़ी का फ्रेम, वाइन कॉर्क और चिपकाने के लिए ग्लू. फ्रेम को अपने हिसाब से कलर कर लें और इसे सूखने दें. हर कॉर्क को एक चौथाई भाग में काट लें और इन्हें हर रंग में रंग लें. इन्हें भी सूखने दें. फ्रेम के किनारों पर कॉर्क को ग्लू की मदद से चिपकाएं. आप कॉर्क को अपनी पसंद के पैटर्न में भी चिपका सकती हैं.

पुराने अखबार

पुराने अखबार की मदद से आप कई आकार के गिफ्ट व्रैपर बना सकते हैं. अगर आपको बच्चों के लिए गिफ्ट व्रैपर बनाना है तो आप अखबार का कॉमिक सेक्शन चुन सकते हैं या अगर किसी फैशन पसंद दोस्त के लिए गिफ्ट व्रैपर बन रहा हो तो आप फैशन सेक्शन को काट सकते हैं.

पुराने टायर

कार के पुराने टायर को लें और अपने घर के गेराज या बालकनी में सुन्दर फ्लावर पॉट बना कर लटकाएं. पुराने इस्तेमाल हुए टायर को पेंट करें. इसके बाद पेटूनिया या बेगोनियास को लें और इसे मिटटी की मदद से टायर की सतह पर लगाएं. इन टायर पर सबकी नजर अपने आप ही खिंच जायेगी.

आखिर क्या है आलिया भट्ट की जिंदगी का सबसे बड़ा ‘कलंक’, जानें यहां

बौलीवुड में लंबे समय से आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की इस साल होने वाली शादी के अलावा इस बात की भी काफी चर्चाएं होती रहती हैं कि वह मई माह में अपने प्रेमी रणबीर कपूर के साथ स्विट्जरलैंड छुट्टी मनाने जा रही हैं. बौलीवुड के ही सूत्र दावा करते रहे हैं कि आलिया भट्ट, रणबीर कपूर के साथ शादी करने के बाद स्विटजरलैंड जाने वाली हैं. मगर फिल्म ‘‘कलंक’’ के सिलसिले में जब हम आलिया भट्ट से मिले, तो हमसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए आए दिन अखबारों में छप रही अपनी शादी की खबरों को अपनी जिंदगी के लिए कलंक बताते हुए आलिया भट्ट ने कहा कि वह शादी नहीं कर रही हैं.

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शादी की खबर है झूठ…

फिल्म ‘‘कलंक’’ के प्रमोशन के सिलसिले में बातचीत के दौरान जब हमने आलिया भट्ट से पूछा कि वह अपनी जिंदगी में किस बात को ‘कलंक’ मानेंगी, तो आलिया भट्ट ने बिना किसी लाग लपेट के कहा- ‘‘यूं तो मैं अपनी जिंदगी में किसी भी बात को ‘कलंक’ नहीं मानती. लेकिन मेरी शादी की जो खबरें छप रही हैं, लोग बोलते रहते हैं कि आलिया शादी कर रही है. तो यह शादी की खबर मेरी जिंदगी में ‘कलंक’ है. यह झूठ के अलावा कुछ नहीं है. सच कह रही हूं मैं शादी नहीं कर रही हूं. अफसोस की बात यह है कि मेरी शादी को लेकर हर पत्रकार सिर्फ मुझसे ही नहीं, मेरी मम्मी और मेरे पापा से भी आए दिन मेरी शादी को लेकर सवाल करते रहते हैं.जबकि मैं साफ साफ कई माह से कह रही हूं कि मैं शादी नही कर रही हूं.’’

 

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अभी रणबीर के साथ कोई वेकेशन नहीं…

बौलीवुड में चर्चाएं हैं कि आलिया भट्ट मई माह में रणबीर कपूर के संग लंबी छुट्टी मनाने के लिए जाने वाली हैं. क्योंकि वह लगातार कई माह से ‘कलंक’और ‘ब्रम्हास्त्र’ फिल्मों की शूटिंग करते हुए थक चुकी हैं. इस पर आलिया भट्ट ने कहा-‘‘गलत, गलत.. मैं कहीं नहीं जा रही हूं. मैं छुट्टी मनाने में यकीन ही नहीं करती.मैं तो सिर्फ काम करने में यकीन करती हूं. मैं तो हर दिन फिल्म के सेट पर कैमरे के सामने काम करते हुए इंजौय करती हूं. मैं अपने आपको हर पल काम करते हुए देखना पसंद करती हूं.’’

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अलग-अलग त्वचा के लिए अपनाए ये बेस्ट स्किन केयर रूटीन

त्वचा की देखभाल करना हर महिला के लिए एक मुश्किल टास्क है. हम अपने स्किन पर होने वाले नुकसान के बारे में जानते हैं लेकिन फिर भी कुछ नहीं करते हैं. फ्लौलेस स्किन का सपना तो हर किसी का होता है लेकिन इस स्किन को पाने के पीछे का सीक्रेट, स्किन केयर टिप्स होते हैं, जो अलग-अलग स्किन  टाइप के लिए अलग-अलग होते हैं.

बेस्ट स्किन टिप्स वे होते हैं, जहां आप इस बात पर ध्यान देती हैं कि आपकी स्किन की जरूरत क्या है और आप उसी के अनुसार प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं.

डेली स्किन केयर की तरफ बढ़ने से पहले. अपनी स्किन टाइप के बारे में जानना बेहद जरूरी है. इसलिए हम आप को यहां बता रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिससे आप अपनी स्किन टाइप को आसानी से पहचान सकती हैं.

पहला तरीका…

कई महिलाओं को ये बात मालूम नहीं होती कि रोमछिद्र (पोर्स) हमारी स्किन के सब से बड़े सूचक होते हैं. इन के बंद होने का आकार और पोर्स का साइज आप को बताता हैं कि आपका स्किन रूटीन काम कर रहा है या नहीं.

ड्राई स्किन : आमतौर पर छोटे रोमछिद्र.

औयली स्किन : बड़े रोमछिद्र जो बड़ी आसानी से बंद हो जाते हैं.

कौम्बिनेशन स्किन : नाक के पास बड़े रोमछिद्र लेकिन चीक्स के पास छोटे ना दिखने वाले रोमछिद्र होते हैं.

सैंसेटिव स्किन : बड़े छिद्र लेकिन एक उत्तेजक प्रक्रिया के रूप में.

नौरमल स्किन : छोटे छिद्र जोकि बंद नहीं होते.

दूसरा तरीका…

अपनी स्किन टाइप का पता लगाने का एक बेहतरीन तरीका ये है कि क्लिंजिंग के फौरन बाद ध्यान दीजिए कि आप की स्किन कैसा महसूस करती है

ड्राई स्किन : धोने के तुरंत बाद आप को स्किन में कसाव और डिहाइड्रैट महसूस होता है.

औयली स्किन : आप को चेहरा साफ और औयल फ्री लगता है लेकिन लंबे समय तक रहता नहीं है.

कौंबिनेशन स्किन : स्किन का टी जोन फ्रेश लगता है लेकिन गाल ड्राय होते हैं

सैंसेटिव स्किन : क्लींजर के बाद आप को खुजली और इरिटेशन हो सकती है.

नौरमल स्किन : धोने के बाद त्वचा फ्रेश और साफ लगती है इसमें कोई ड्रायनेस नहीं होती. 

तीसरा तरीका…

डेली स्किन केयर रूटीन में मौइश्चराइज की इंपोरटेंस आप को आप की स्किन टाइप के बारे में काफी कुछ कहती है.

ड्राई स्किन : आपको अपनी स्किन को मौइश्चराइज करने की जरूरत है ताकि उस पर मौसम का असर न पड़े.

औयली स्किन : आप को स्किन बारबार मौइश्चराइज करने की जरूरत नहीं है ऐसा करने पर आप की स्किन बेहद औयली हो जाएगी.

कौंबिनेशन स्किन : अपने चेहरे को मौइश्चराइज करें. लेकिन टी जोन एरिया को मौइश्चराइज करने की जरूरत नहीं है.

सैंसेटिव स्किन : आप को लगातार नमी शामिल करने की जरूरत है लेकिन तभी जब आप को सही प्रौडक्ट मिले.

नौर्मल स्किन : अपने चेहरे को दिन में एक बार मौइश्चराइज करना काफी है.

चौथा तरीका…

ब्लौटिंग पेपर के जरीए अपनी स्किन टाइप को पहचानना सब से स्मार्ट तरीकों में से एक है. सुबह उठने के तुरंत बाद ही इस टेस्ट को करें. सोने से पहले अपने चेहरे को धोएं और चेहरे पर कुछ ना लगाएं. अगली सुबह ब्लौटिंग पेपर को अपने चेहरे पर रखकर देखें कि किस हिस्से पर औयल हैं और कौन सा हिस्सा औयली नहीं है.

ड्राई स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर थोड़ा औयल होगा या नहीं होगा.

औयली स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर अधिक मात्रा में औयल होगा.

कौंबिनेशन स्किन : पेपर के कुछ भाग पर औयल होगा जबकि कुछ पर नहीं होगा.

सैंसेटिव स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर थोड़ा सा औयल होगा या बिल्कुल नहीं  होगा.

नौर्मल स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर नौर्मल मात्रा में औयल है.

आइए जानें कुछ खास स्किन केयर रूटीन और टिप्स…

  1. ड्राई स्किन :

इस प्रकार की स्किन के कुछ खास लक्षण हैं, जिस में खिंचाव, रूखापन, फ्लेकिंग और स्केलिंग शामिल हैं. कोरनियोस लेयर में लगातार मौइश्चराइजर की कमी के कारण आप की स्किन खासतौर से चीक्स और आंखों के आसपास से बेहद ही बेजान लगती है. मौसम, कौस्मेटिक और दवाइयों के अधिक यूज से त्वचा में लचीलापन आ जाता है, जिस के कारण आप के चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं. आइए जानते हैं ड्राई स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और डेली प्रोडक्ट.

यहां से खरीदें…

क्लिंजर : O3 + हाइड्रैटिंग एंड सूदिंग फेश वाश

टोनर : फेस शॉप चिया सीड सूदिंग मिस्ट टोनर

मौइश्चराइजर : सीटाफिल डेलीएडवांस अल्ट्रा हाइड्रेटिंग लोशन

सनस्क्रीन : न्यूट्रोजेना अल्ट्राशीअर ड्राई टच सनब्लोक एसपीएफ 50+

नाइट क्रीम : कामा आयुर्वेद रिजूवनैटिंग एंड ब्राइटनिंग आयुर्वेदिक नाइट क्रीम

आई क्रीम : सैंट बोटानिका अंडर आई जैल

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हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब: O3 + मिल्क स्क्रब ड्राई स्किन डरमल जोन

मास्क : डियर पैकर लैब कलेक्शन मास्क : एंटी ड्राई एंड हाइड्रेटिंग 

  1. औयली स्किन :

इस स्किन की खासियत है कि अति सक्रिय सिबेशस ग्लैंड के कारण इस की लेयर पर लिपिड की मात्रा बढ़ जाती है. हालांकि औयली स्किन बेहद चमकदार होती है, इस प्रकार की स्किन पर बड़े छिद्र होने के कारण ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स और दागधब्बे जैसी समस्या होती है. इसलिए औयली स्किन की देखभाल के लिए आप को औयल फ्री प्रौडक्ट की जरूरत होती है. आइए जानते हैं औयली स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और प्रोडक्ट…

क्लिंजर :  किल्स अल्ट्रा फेशियल औयल फ्री क्लिंजर

स्क्रब : न्यूट्रोजैना डीप क्लीन ब्लैक हेड एलिमिनेटिंग डेली स्क्रब

टोनर : फैब इंडिया टी ट्री स्किन टोनर

मौइश्चराइजर : प्लम ग्रीन टी मैटीफाइंग मौइश्चराइजर

सनस्क्रीन : ROC सोलेइल-प्रोटेक्ट एंटी शाइन मैटीफाइंग फ्लूयिड एसपीएफ 30 

नाइट क्रीम :  प्लम ग्रीन टी रीन्यूड क्लरेटी नाइट जैल

3-32

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

मास्क : फेस शौप द सौल्यूशन पोर केयर फेश मास्क  

3. कौंबिनेशन स्किन :

जब आप के चेहरे का कुछ हिस्सा औयली और कुछ हिस्सा ड्राई लगे तो समझ जाइए कि आप की कौंबिनेशन स्किन है. आप के गाल और आंखों के नीचे की स्किन ड्राई होंगीं, लेकिन आप का टी जोन, जिस में आप का माथा, नाक, और चिन आती है वह औयली होंगी, इसलिए इस प्रकार की स्किन के लिए आप को अलग तरह की देखभाल की जरूरत पड़ती है. आइए जानते हैं कौंबिनेशन स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और सही प्रोडक्ट.

क्लिंजर: एलिजाबेथ आर्डेन विजिबल डिफरेंस स्किन बैलेंसिंग एक्सफोलिएटिंग क्लिंजर

टोनर : लैक्मी ऐब्सल्यूट पोर फिक्स टोनर

मौइश्चराइजर : न्यूट्रोजैना औयल फ्री मौइश्चराइजर एसपीएफ 15

नाइट क्रीम : हिमालय हर्बल  रिवाइटलायजिंग नाईट क्रीम

आई क्रीम :  इनिसफ्री द ग्रीन टी सीड आई क्रीम

4-3

 

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब : टीजोरी अरोमटिक फैनेल फेस स्क्रब

मास्क : इनिसफ्री स्किन रीसैट पीलिंग मास्क :कौंबिनेशन

4. सैंसिटिव स्किन :

इस प्रकार की स्किन के लिए ध्यान से सोच समझ कर ही कोई प्रौडक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ऐसी स्किन पर एलर्जी, त्वचा के विकार आदि का असर जल्दी ही होता है. लालपन, खुजली, जलन आदि इस के लक्षण हैं. इसलिए सैंसिटिव स्किन के लिए अच्छे प्रौडक्ट का इस्तेमाल करें. आइए जानते हैं सैंसिटिव स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और प्रोडक्ट.

क्लिंजर: कामा आयुवेद सैंसिटिव स्किन क्लिंजिंग फौम

टोनर: एवेने थर्मल स्प्रिंग वाटर 

मौइश्चराइजर: डर्मालोजिका सुपर सैंसिटिव शील्ड एसपीएफ 30

सनस्क्रीन: काया सन डिफेंस सनस्क्रीन फौर सैंसिटिव स्किन-सन केयर एसपीएफ 15

नाइट जैल: O3 + एलो डर्मा हाइड्रेटिंग जैल फौर सैंसिटिव स्किन

6-1

 

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब: नेटियो अरोमाथेरेपी जेंटल फेशियल स्क्रब

मास्क : सीसौल डेड सी मौरोक्कन अर्गन हाइड्रेटिंग मास्क फौर ड्राई एंड सैंसिटिव स्किन

5. नौर्मल स्किन :

इसे सब से हेल्दी स्किन माना गया है. स्मूथ टैक्सचर और फाइन पोर्स इस के लक्षण हैं. इस स्किन पर आप को कोई ग्रीसी पैचेस नजर नहीं आएंगे. यह सीबम प्रौडक्शन और मौइश्चर कंटैंट के साथ बहुत अच्छे से बैलेंस होती है. कम उम्र की लड़कियों की स्किन ऐसी ही होती है. इस तरह की स्किन को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. आइए जानते हैं नौर्मल स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन.

नौर्मल स्किन के लिए इन प्रौडक्ट को जरूर आजमाएं…

क्लिंजर: O3+ डीप कंसर्न 1 ब्राइटन अप क्लिंजर नौर्मल स्किन

टोनर : प्लम ग्रीन टी एल्कोहल फ्री टोनर

मौइश्चराइजर : लैक्टो कैलेमाइन औयल बैलेंस लोशन (कौंबिनेशन टू नौर्मल स्किन)

सनस्क्रीन : अवेन वैरी हाई प्रोटेक्शन सनस्क्रीन एमल्शन एसपीएफ 50+

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब :  हैप्पली अनमैरिड फेश स्क्रब: ड्राई टू नौर्मल

मास्क : फौरस्ट एशैंसियलस फेशियल उबटन मुल्तानी मिट्टी

स्किन से जुड़े कुछ अहम सवाल…

क्या समय के साथ त्वचा का प्रकार बदलता है? 

हार्मोंनल चैंजेंस, बाहरी प्रदूषण, लाइफ स्टाइल और मौसम आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं.  इसलिए जरूरी है कि आप समय समय पर अपनी स्किन की देखभाल करने का तरीका बदले. आप जिन प्रोक्ट्स को इस्तेमाल कर रही हैं उनका आकलन करें और अगर आपको लगे कि वो असरदार  नहीं है तो आप उन्हें बदल भी सकती हैं. मौसम के हिसाब से ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए जो आपकी त्वचा के अनुकूल हो.

मेरी स्किन केयर रूटीन के लिए कोई बेहद खास स्टेप जो दूसरे से ज्यादा अहम हो?

बेस्ट स्किन केयर वह होता है जब आप हर दिन अच्छे से फौलो करते हैं. कुछ खास तरह की स्किन के लिए कई स्टेप्स ज्यादा महत्तवपूर्ण होते हैं जैसे कि ड्राई स्किन के लिए मौइश्चराइजेशन जरूरी है, वैसे ही जब औयली स्किन की बात आती है, तो उस के लिए टोनिंग को नकारा नहीं जा सकता है.

क्या मैं ऐसे प्रोडक्ट्स यूज कर सकती हूं जो डिफरेंट स्किन टाइप के लिए बने हो ?

कभी-कभी मौसम के अनुसार आपकी स्किन का टाइप बदल जाता है, जैसे की आपकी स्किन औयली है लेकिन सरदियों में ड्राई और पैची हो जाती हैं. ऐसे में आप अपनी स्किन की जरूरतों को समझे और उसे पूरा करते हुए एक पोषण से भरपूर फौर्मूला इस्तेमाल करें. जो आप की स्किन को सूट करे.

 

बेरोजगारी जिंदाबाद

जनवरी में जारी सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकौनोमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 से बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और 2018 में इस बढ़ोतरी में और तेजी आई है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1 करोड़ 90 लाख लोगों को नौकरियों से हाथ धोने पड़े. पिछले आम चुनावों में रोजगार को मुख्य मुद्दा बनाने वाली भाजपा सरकार इन 5 सालों में देश के बेरोजगारों को कितना रोजगार दे पाई, जान कर हैरान रह जाएंगे आप…

2014में हुए आम चुनावों में प्रचार के वक्त नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने रोजगार को मुद्दा बनाया था. हर साल 2 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसरों के निर्माण के वादे के तहत प्रधानमंत्री ने पिछले 4 वर्षों में कई योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की. पिछले साल अगस्त में मोदी ने दावा किया था कि बीते वित्त वर्ष में औपचारिक क्षेत्र में 70 लाख रोजगार का निर्माण हुआ. मगर जनवरी में जारी सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकौनोमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 से बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और 2018 में इस बढ़ोतरी में और तेजी आई है.

राजनीति में महिलाएं आज भी हाशिए पर

इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1 करोड़ 90 लाख लोगों को नौकरियों से हाथ धोने पड़े. मोदी ने 2016 में प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत 15,000 रुपए से कम वेतन पर रखे जाने वाले नए कर्मचारियों का 12% भविष्य निधि अनुदान (ईपीएफ) केंद्र सरकार वहन करेगी. औल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव तपन सेन ने बताया कि देशभर में कम से कम 40% योग्य कर्मचारी इस योजना के दायरे से बाहर हैं. टिकाऊ रोजगार नहीं अप्रैल, 2015 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की घोषणा की. इस के तहत लक्षित 10 लाख उद्यमों को कर्ज दिया जाना था. लेकिन सार्वजनिक क्षेत्रों के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत दिया गया अधिकांश कर्ज डूब गया है.

बोल्ड अवतार कहां तक सही

इस योजना के तहत हाल तक 3 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज दिया गया है. इस का आधा कर्ज तो केवल 2018 में दिया गया. लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि मुद्रा योजना के तहत डूबा कर्ज 2018 में बढ़ कर 7,200 करोड़ रुपए हो गया है. महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से मिली रिपोर्ट के अनुसार मुद्रा योजना के तहत दिया जाने वाला औसत कर्ज 30,000 रुपए है, जो इन व्यवसायों को टिकाने के लिए काफी नहीं है.

इसी प्रकार प्रधानमंत्री रोजगार निर्माण के तहत दिए गए कर्ज ने भी रोजगार के टिकाऊ अवसर बनाने में मदद नहीं की है. इस योजना के तहत यूनिटों को 25 लाख रुपए और व्यवसाय या सेवा उद्यमों को 10 लाख रुपए का कर्ज दिया जाता है. बैंगलुरु स्थिति अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के टिकाऊ रोजगार केंद्र के निदेशक अमित बसोले का कहना है, ‘‘इन योजनाओं का ज्यादातर ध्यान एकदम छोटे कारखानों पर रहा. ये छोटे कर्ज हैं और इन पैसों से लगाए जाने वाले रोजाना का खर्च निकाल सकते हैं लेकिन टिकाऊ रोजगार का निर्माण नहीं कर सकते.

स्मार्ट वाइफ : सफल बनाए लाइफ

‘‘भारत के बेरोजगारी संकट के लिए इस योजना के तहत स्वरोजगार को प्रोत्साहन देना पर्याप्त नहीं है. हमें कुछ बड़ा करने की आवश्यकता है. बड़े कर्ज और बड़े उद्योगों में पैसा लगाने की जरूरत है जो विस्तार और अधिक संख्या में कर्मचारियों को रखने में सक्षम हैं. शहरी और राज्य स्तर पर स्थानीय सरकारें जब तक आधारभूत संरचना और सुविधाओं का निर्माण नहीं करतीं तब तक केंद्रीय योजनाएं प्रभावकारी नहीं हो पाएंगी.’’

बढ़ती बेरोजगारी देश में अपना धंधा चलाने वाले दूसरों के लिए रोजगार का इंतजार नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे 80 फीसदी लोग खुद मासिक तौर पर 10,000 रुपए से कम कमाई कर रहे हैं. ये लोग दूसरों को रोजगार कैसे दे सकते हैं? 2015-16 के श्रम विभाग के रोजगार बेरोजगारी सर्वे के अनुसार देश के लगभग आधे मजदूर अपना रोजगार अकेले ही कर रहे हैं. भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध शोध परिषद की फैलो राधिका कपूर के अनुसार भारतीय संदर्भ में स्वरोजगार चिंताजनक बात है. स्वेच्छा से स्वरोजगार करना और मजबूरन करने में बहुत अंतर है और भारत में अधिकांश लोग मजबूरन ऐसा कर रहे हैं.

बेटों से आगे निकलती बेटियां

भारत में बहुत सा स्वरोजगार संकटकालीन रोजगार है. मोदी के उस दावे के संदर्भ में जिस में उन्होंने कहा था कि पकौड़े तलने वाला एक आदमी दिन में 200 रुपए से अधिक की कमाई करता है और इसलिए वह बेरोजगार नहीं है, ऐसे में कपूर की बात बहुत स्पष्ट हो जाती है. मोदी के इस दावे के जवाब में पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने पूछा था कि इस लिहाज से तो भीख मांगना भी एक काम है. मोदी ने 200 रुपए तो गिन लिए पर जिस दिन ग्राहक न आएं या बारिश, आंधी आ जाए या फिर वह खुद बीमार हो जाए तो क्या होगा नहीं गिना.

जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि 2022 तक ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ यानी स्किल इंडिया के तहत 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. लेकिन संसद की श्रम मामलों की स्थाई समिति की मार्च, 2018 की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी, 2016 में इस योजना के आरंभ से ले कर नवंबर 2018 तक योजना के तहत 33 लाख 93 हजार लोगों को प्रमाणपत्र दिए गए, जिन में से सिर्फ 10 लाख 9 हजार लोगों को काम मिला. विकास दर कम हुई कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक मार्च, 2018 से कुशल उम्मीदवारों की प्लेसमैंट दर 15% है, जो बेहद कम है.

ऐसी खबरें भी हैं कि सरकारी सब्सीडी प्राप्त करने के लिए इस योजना के लोग बोगस प्लेसमैंट कर रहे हैं. स्किल इंडिया के डेटा पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन को जांचने की कोई प्रामाणिक प्रक्रिया नहीं है और ये कौशल विकास केंद्रों द्वारा उपलब्ध आंकड़े हैं. नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ऐसी भी व्यवस्था नहीं है जिस से जाना जा सके कि प्रशिक्षण दिया भी जा रहा है या नहीं.’’ मोदी की कर्णधार योजना के तहत लक्षित क्षेत्रों में हाल के दिनों में बेरोजगारी में बढ़ोतरी देखी गई है.

मोदी ने 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ का आरंभ भारत को वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण का केंद्र बनाने के उद्देश्य से किया था. मगर पिछले 4 सालों में इस क्षेत्र ने कोई विकास नहीं किया है. श्रम ब्यूरो सर्वे के अनुसार अप्रैल और जून 2017 की तिमाही में इस क्षेत्र में 87,000 नौकरियां खत्म हो गईं. एमएसएमई मंत्रालय के अनुसार कर्ज योजना के अंतर्गत रोजगार और लाभ में 2014 से कमी आई है. उत्पादन और निर्यात में 24 से 35% की गिरावट पिछले 4 सालों में रिकौर्ड की गई है.

हाशिए पर रोजगार गारंटी कानून उत्पादन क्षेत्र में कागजी खानापूर्ति, इंस्पैक्टर राज, नियमों, कानूनों के पचड़ों का समाधान न कर सकने के चलते मेक इन इंडिया फेल हो गया. दुनिया का बाजार अभी मंदी से बाहर नहीं निकला है, इसलिए भारतीय निर्यात भी हद से आगे नहीं जा सकता. हमें घरेलू बाजार पर ध्यान देना चाहिए. सीएमआईई की रिपोर्ट में महिला मजदूरों की घटती तादाद पर चिंता जताई गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में ज्यादातर महिलाओं ने खासकर 40 से कम या 60 से अधिक आयु की दिहाड़ी और खेतों में मजदूरी करने वाली ग्रामीण महिलाओं ने काम खोया.

उद्यमशीलता और स्वरोजगार पर जोर देने के चलते महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून हाशिए पर चला गया जो एक ऐसा सरकारी कार्यक्रम था, जिस में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी थी. स्वरोजगार मनरेगा योजना की कीमत पर कतई नहीं होना चाहिए. -निलीना एम एस द्य

गरमी में नींबू पानी पीने के हैं ये 6 फायदे

नींबू कई रोग और शारीरिक परेशानियों में काफी लाभकारी होता है. अगर आप प्रतिदिन एक गिलास नींबू पानी का सेवन करते हैं तो छोटी-मोटी बीमारियों से हमेशा दूर रहेंगे. लोग अक्‍सर नींबू पानी को मोटापा घटाने के लिए रामबाण मानते हैं. चूंकि नींबू में विटामिन सी होता है जो शरीर को रोगमुक्‍त रखने में सहायक होता है. आइए जानते हैं किन किन रोगों से बचने के लिए आपको नींबू का सेवन करना चाहिए:

1 किडनी में पथरी

किडनी में पथरी का होना काफी परेशान करता है. अगर किसी को स्टोन की परेशानी हो तो नींबू पानी उसके लिए काफी फायदेमंद होगी. दरअसल, नींबू पानी में प्राकृतिक साइट्रेट होता है जो स्‍टोन को तोड़ देता है या उसे बनने से रोकता है.

2 मांसपेशियों में दर्द

जिन लोगों को हमेशा मांसपेशियों में दर्द की शिकायत रहती है उनके लिए नींबू पानी काफी लाभकारी होता है. नींबू पानी शरीर में लैक्टिक के गठन को कम कर देता है और शरीर की क्रियाविधि अच्‍छी हो जाती है.

3 पेट सम्‍बंधी विकार

अगर किसी व्‍यक्ति को पेट सम्‍बंधी कोई भी विकार है तो उसे नींबू पानी का सेवन करना चाहिए. गैस, कब्‍ज, कुपाचन आदि समस्‍याएं चुटकी में हल हो जाएगी.

4 भूख बढ़ाने के लिए

नींबू पानी के सेवन से भूख अच्छी लगती है. जिन लोगों को भूख ना लगने की समस्या है उन्हें नींबू पानी का सेवन करना चाहिए, उनकी समस्‍या दूर हो जाएगी.

5 मुंहासे

जिन लोगों को मुंहासे की परेशानी है, उन्‍हें नींबू पानी का सेवन करना चाहिए. इससे उनके शरीर में मुंहासे के लिए जिम्मेदार बैक्‍टीरिया मर जाएंगे और त्‍वचा भी चमकदार हो जाएगी. साथ ही चेहरे से तेल भी निकल जाता है.

6 इम्‍यून सिस्‍टम मजबूत बनाना

जिन लोगों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होता है उन्‍हें प्रतिदिन नींबू पानी का सेवन करना चाहिए. इससे उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली मजबूत होगी.

टिप्स: अगर आप भी हैं सिंगल मदर तो ऐसे मैनेज करें नाइट शिफ्ट

टीवी अभिनेत्री डौली सोही सिंगल मदर हैं. वे 7 सालों से पति से अलग अपने माता-पिता के साथ रह रही हैं. शुरू-शुरू में तो उन्हें लगा था कि अब वे कैसे नाइट शिफ्ट में काम कर पाएंगी, लेकिन परिवार के सहयोग से नाइट शिफ्ट में काम करना मुश्किल नहीं रहा. उन की बेटी अमिलिया धनोवा अभी 8 साल की है. जब बेटी छोटी थी तो कई बार नाइट शिफ्ट करना मुश्किल हो जाता था. इस के लिए डौली को पहले से सारी तैयारी करनी पड़ती थी ताकि सुबह बेटी की देखभाल करने वाले को मुश्किल न हो.

डौली ही नहीं, कई ऐसी मांएं हैं जो या तो डिवोर्सी हैं या फिर सैपरेटेड और उन्हें नाइट शिफ्ट में काम के लिए जाना पड़ता है. ऐसे में बच्चे को अकेले रात भर छोड़ने की कई गुना जिम्मेदारी मां पर आ जाती है. काम के साथ-साथ उसे बच्चे की भी देखभाल करनी पड़ती है. ऐसे में अगर सपोर्ट सिस्टम सही है, तो नाइट शिफ्ट में काम करना मुश्किल नहीं. अगर ऐसा नहीं है तो मां को अच्छी प्लैनिंग करनी पड़ती है ताकि वह आराम से काम कर सके.

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अधिकतर देखा गया है कि नाइट शिफ्ट करने वाली मां के बच्चे मनमानी अधिक करते हैं, क्योंकि मां अपना क्वालिटी टाइम उन के साथ बिता नहीं पाती. ऐसे में सही प्लैनिंग ही बच्चे की सही परवरिश के लिए जरूरी है.

इस बारे में मुंबई की काउंसलर राशिदा कपाडि़या बताती हैं कि सिंगल मदर के लिए नाइट शिफ्ट में काम करना मुश्किल नहीं है. अगर बच्चा छोटा है, तो उसे अलग प्लैनिंग करनी पड़ती है और अगर बड़ा है, तो उसे अलग तरीके से संभालना पड़ता है. 4 साल की उम्र के बाद से मां बच्चे को कुछ-कुछ बातें समझा सकती है जैसेकि उसे नाइट शिफ्ट क्यों करनी पड़ रही है, बच्चे की क्या जिम्मेदारियां हैं बगैरा.

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पेश हैं, इस संबंध में कुछ टिप्स जिन पर गौर कर मां अपने पीछे बच्चे की देख-रेख के प्रति बेफिक्र रह सकती हैं:

1 अगर बच्चा छोटा हो तो सब से पहले मां को अपना मोबाइल हमेशा फुल चार्ज रखना चाहिए ताकि जब भी जरूरत हो कौल कर बच्चे के बारे में जानकारी ले सकें .

2 औफिस पहुंचते ही पहुंचने का संदेश करे ताकि बच्चे को संभालने वाले को मां के बारे में जानकारी हो. संदेश फैमिली मैंबर या पास रहने वाले किसी दोस्त को भी भेज सकती है, ताकि किसी भी जरूरत के समय वे कौल कर सकें.

3 छोटा बच्चा होने पर उस के खानपान की पूरी प्लैनिंग पहले से करे और उसे संभालने वाले को उस के बारे में पूरी जानकारी दे.

4 अगर घर में संभालने के लिए परिवार का कोई सदस्य न हो और बाई रखनी है तो उसे किसी जानकार और पुलिस की जांच करा कर ही रखें, क्योंकि कई बार मेड सर्वेंट अपना बौयफ्रैंड ले कर आती है. ये चोरी-डकैती या फिर किडनैपिंग को अंजाम देते हैं.

5 किसी भी घातक या ज्वलनशील वस्तु को बच्चे की पहुंच से दूर रखें.

6 घर में कोई भी महंगी वस्तु न रखें.

7 कहां और कब जा रही है, कब तक घर आने वाली है किसी भी बात को सोशल मीडिया पर कभी शेयर न करे, क्योंकि सोशल मीडिया पर सबकुछ कैद हो जाता है और ऐेसे बहुत लोग हैं, जो सोशल मीडिया को देख कर चोरी या डकैती करते हैं.

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8 बच्चे की तस्वीर को भी सोशल मीडिया पर कभी शेयर न करें.

9 अगर बच्चा बड़ा हो तो उसे अपने काम के बारे में जानकारी दे, उसे समझाए कि नाइट शिफ्ट क्यों करनी पड़ती है.

10 बच्चे को सिखाए कि बिना जानकारी के किसी के लिए भी दरवाजा न खोलें.

11 बड़े बच्चे को खाने-पीने से संबंधित जानकारी भी दे, ताकि भूख लगने पर वह कुछ ले या बना कर खा लें. उस के स्कूल जाने से संबंधित सारी तैयारी पहले से कर के रखे.

12 बच्चे को क्या डैंजर है, उस की सही जानकारी दे.

13 मोबाइल में औटो डायल की व्यवस्था डाउनलोड कर ले ताकि किसी भी समस्या को बच्चा या देखभाल करने वाला मां तक जल्दी पहुंचा सके.

14 ‘फर्स्ट ऐड बौक्स’ के बारे में सही जानकारी दे ताकि जरूरत के अनुसार वह दवा का प्रयोग कर सके. काम के दौरान मां को जब भी समय मिले बच्चे के बारे में जानकारी लेती रहे.

15 बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास का भी ध्यान रखे. हमेशा कोशिश करे कि उस के साथ कुछ समय बिताए ताकि उस की किसी भी जिज्ञासा की सही जानकारी उसे मिलती रहे और वह अपने रास्ते से भटके नहीं.

घर खर्च में पेरैंट्स का दखल कितना सही

एक मध्यवर्गीय घर में पति-पत्नी के बीच सब से ज्यादा चर्चा का विषय होता है घर खर्च. हर घर में घर खर्च पर होने वाले विवादों की स्क्रिप्ट लगभग एक सी होती है, जिसे ‘तोहमतों की स्क्रिप्ट’ भी कह सकते हैं. उस में पति कहता है, ‘‘आजकल घर के खर्चे कुछ ज्यादा ही बढ़ रहे हैं, जरा संभल कर घर चलाओ. पैसे पेड़ पर नहीं उगते.’’ अब बीवी भी कहां पीछे रहने वाली है. वह भी सुनाती है, ‘‘खर्च तो तुम लोगों के ऊपर ही होता है. मैं तो नमक से भी रोटी खा कर खुश हूं.’’

इस पर पति कहता है, ‘‘नमक से रोटी खा कर खुश हो, मगर जो सारा दिन एसी चला कर टीवी देखती हो, बिजली का बिल बढ़ाती हो उस का क्या?’’ ‘‘मेरा टीवी दिखता है और तुम जो गरमियों में भी गरम पानी से नहाने में बिजली फूंकते हो, 10 बार चाय-कौफी में चीनी-पत्ती और गैस खर्च करवाते हो उस का क्या?’’

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घर के साथ यह जो ‘खर्च’ शब्द जुड़ा है, हर इंसान के लिए उस की अलग-अलग परिभाषा होती है. उदाहरण के लिए एक परिवार जिस में सास-ससुर, पति-पत्नी और उन के 2 बच्चे हैं, बाहर रैस्टोरैंट में खाना खाने गए जिस का का 1,500 बिल आया. सास के लिए बाहर खाना खाने का मतलब कामचोरी और अय्याशी था. उन के लिए वह 1,500 का खर्च बिल्कुल फुजूल था. वे बार-बार खाते हुए यही बड़बड़ा रही थीं, ‘‘इस से अच्छा तो मैं घर पर ही बना लेती… आजकल तो बाहर खाने के लिए लोग अपना घर और सेहत बरबाद कर रहे हैं.’’

ससुर की नजरों में यह खर्च रिश्तों में इनवैस्टमैंट थी. वे यह देख कर बहुत खुश थे कि इतने दिनों बाद पूरा परिवार एकसाथ बाहर आया है और खुश है. उन के अनुसार ऐसी आउटिंग परिवार के लिए बेहद जरूरी है.

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बहू के लिए वह लंच जरूरत थी, क्योंकि उस की कमर में दर्द था और वह खाना बनाने में असमर्थ थी. बाहर आ कर खाने से उसे भी रसोई के 10 कामों से छुट्टी मिली. पति को यह सोच कर राहत थी कि अब बच्चे उसे अगले कुछ दिनों तक यह नहीं सुनाएंगे कि पापा हमें कितने दिनों से बाहर नहीं ले गए.

देखा आपने? अलग-अलग दृष्टिकोण के कारण एक ही खर्च के कितने मतलब निकल गए. किसी के लिए फुजूल, तो किसी के लिए इनवैस्टमैंट, किसी के लिए जरूरत, तो किसी के लिए राहत.

जहां दृष्टिकोण अलग हों और एक-दूसरे के दृष्टिकोण के लिए स्वीकारभाव न हो, वहीं विवाद पैदा होते हैं और जब 2 विवादग्रस्त लोगों के बीच हैल्दी कम्यूनिकेशन न हो तो उन के बीच बाहरी हस्तक्षेप शुरू हो जाता है. यदि विवाद का मुद्दा घर खर्च है तो यह हस्तक्षेप होता है पति-पत्नी दोनों की माओं का. वह इसलिए, क्योंकि एक लड़का जैसे अपनी मां को घर खर्च चलाते देखता है, वह सोचता है वही सही तरीका है और चाहता है उस की पत्नी भी वैसे ही घर चलाए. यही बात पत्नी पर भी लागू होती है. उस ने अपने मायके में जैसे देखा है उस के भीतर भी घर चलाने के वैसे ही गुण आते हैं.

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रजनी ने अपनी मां को कभी बचा खाना फेंकते नहीं देखा. ऐसा करना उन की मां की नजरों में खाने का अपमान भी है और फुजूलखर्ची भी. वहीं रजनी में एक अजीब संस्कार भी है. दिल ढलते ही वह पूरे घर की लाइट औन कर देती है. शाम को घर में अंधेरा रखना उस की नजरों में अपशकुन है. ये दोनों आदतें मायके से सीख रजनी जब ससुराल आई तो वहां इस से उल्टी ही रीत थी. वे लोग एक समय का बचा खाना अगले दिन तो क्या, उसी दिन दूसरे समय भी नहीं खाते. उन की नजरों में यह अपव्यय नहीं है. वही दूसरी ओर दिन हो या रात, बिना जरूरत के लाइट, पंखा खुला छोड़ देने पर उस की सास बहुत गुस्सा करतीं.

घर खर्च पर चल रहे विवाद में मांओं के हस्तक्षेप से बात बिगड़ने की संभावनाएं ज्यादा रहती हैं, क्योंकि अक्सर देखा गया है कि ऐसे विवादों में सास अपने बेटे का और मां अपनी बेटी का पक्ष ही सुनती है. अपनी-अपनी औलाद का व्यर्थ खर्च भी उन्हें जरूरत और दूसरे का जरूरी खर्च भी ‘फुजूल’ लगता है और वे इसी आधार पर अपनी राय देती हैं.

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मां और सास का दखल कितना सही

यदि बहू-बेटे इंडिपैंडेंट हैं, अलग घर में रह रहे हैं और अपने बड़ों पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं हैं तो बेहतर है कोई भी मां किसी भी तरह का दखल न दे. यदि सास दखल देगी तो पत्नी को ऐतराज होगा और अगर पत्नी की मां दखल देगी तो पति को ऐतराज होगा. बेहतर यही है कि वे स्वयं को मध्यस्थ की भूमिका से दूर रखें. यदि सास या मां ने बच्चों के साथ ऐसी हैल्दी रिलेशनशिप बनाई है कि वे मां का कहा अन्यथा न लें तो मां कुछ बातों पर अपनी सलाह दे सकती है और उन्हें घर खर्च चलाने के गुर सिखा सकती हैं.

हैल्दी कम्यूनिकेशन को प्रेरित करें

मधु अपने पति राजीव की इस आदत से बहुत परेशान थी कि वह हर छोटे-बड़े घर खर्च की पूरी जानकारी लिखित तौर पर रखना चाहता था. हालांकि, राजीव ऐसा इसलिए करना चाहता था ताकि उस के आधार पर वह आगे की बजट प्लानिंग कर सके. मगर मधु को इस पर ऐतराज था. उसे लगता था राजीव उस पर भरोसा नहीं करता. इसीलिए घरखर्च को ले कर इतनी पूछताछ करता है और उसे खर्च लिखने को कहता है. मधु को बुरा इसलिए भी लगता था, क्योंकि उस ने अपने पापा को कभी ऐसा करते नहीं देखा था. इसलिए मधु और राजीव में इस बात  को लेकर अकसर झड़प हो जाती थी. एक  दिन तो गुस्से में मधु ने घर खर्च के लिए दिए गए पैसे राजीव के सामने पटक दिए और बोली, ‘‘लो, अब खुद ही घर चलाओ और खुद ही हिसाब रखो.’’

जब मधु ने अपनी मां से इस घटना का जिक्र शिकायती लहजे में किया तो उस की मां ने उसे समझाया, ‘‘यह तो बहुत अच्छी बात है बेटी कि राजीव घर के मनी मैनेजनैंट में इतनी रुचि ले रहा है. यह दिखाता है कि उस की नजरों में घर की कितनी अहमियत है. तुम्हारे पापा ने तो घर की और बचत की कभी परवाह ही नहीं की. सारा बोझ हमेशा मेरे ऊपर ही रहा. राजीव से लड़ने के बजाय बेहतर है उस से बात करो, उस की भावनाओं को समझो और उसे अपनी भावनाओं से भी अवगत कराओ. मिलबैठ कर तय करो कि कहां खर्च करना है, कहां नहीं, कितनी सेविंग करनी है और कहां करनी है.’’

मां के कहे अनुसार जब मधु ने राजीव से बैठ कर बात की तो सारा विवाद सुलझ गया. यदि विवाद सुलझाने की नीयत हो तो ऐसा कोई विवाद नहीं है जिसे बातचीत से सुलझाया न जा सके. अत: दोनों मांओं का दायित्व बनता है कि वे हस्तक्षेप के बजाय पति-पत्नी को आपसी बातचीत के लिए प्रेरित करें.

तेरा-मेरा नहीं हमारा…

लौजिक तो कहता है कि जिन घरों में पत्नियां वर्किंग हैं, वहां घरवखर्च पर विवाद नहीं होने चाहिए, क्योंकि वहां डबल इनकम आती है, मगर होता इस के ठीक उलटा है. ऐसे पति-पत्नियों के बीच खर्च को ले कर ज्यादा विवाद होते हैं. कारण, वही दृष्टिकोण का है. अपना खर्च जरूरत और दूसरे का खर्च फुजूल दिखता है. अपने खर्च को हर कोई तर्कसंगत ठहरा देता है. यदि आप किसी ऐसे इंसान से बात करें जो मोबाइल भी कपड़ों की तरह बदलता है, तो वह भी इस के पक्ष में इतने सटीक तर्क दे देगा कि आप को ही चुप होना पड़ेगा.

घरेलू पत्नी घर खर्च पर चल रहे विवाद में फिर भी थोड़ा झुक जाती है, क्योंकि वह कमाती नहीं, मगर वर्किंग वुमन नहीं झुकती. इसलिए ऐसे विवाद अक्सर ‘तू तेरा देख, मैं मेरा देखूंगा/देखूंगी’ के भाव के साथ खत्म होते हैं. ऐसा न हो इस के लिए दोनों मांओं को बेटा-बेटी की शादी से पहले ही उन्हें यह समझाने की जिम्मेदारी बनती है कि शादी के बाद वे एक छत शेयर करने नहीं, बल्कि एक जिंदगी शेयर करने जा रहे हैं. उस में तेरा-मेरा नहीं चलता, बल्कि हमारा हो कर जीना होता है, उन्हें एक-दूसरे की इच्छाओं का सम्मान करना होता है. एक-दूसरे की सहमति से ही खर्च करना सीखना होगा वरना घर कुरुक्षेत्र का मैदान बन जाएगा.

यह मेरा मत है

मां या सास जब भी बेटेबहू को घर खर्च को ले कर कोई सलाह दें तो इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि उन की सलाह, सलाह ही लगे. थोपी हुई बात को आजकल की जैनरेशन नहीं मानती, उलटा उस का जोरदार प्रतिकार करती है.

रजनी और उस के पति जब अपने अलग घर में रहने लगे तो वह अपने हिसाब से घर चलाने लगी. यानी बचा खाना फ्रिज में रख लेती और अगले भोजन के समय गरम कर के परोस देती. एक बार जब सास उस के पास रहने आईं तो उस की इस आदत पर बार-बार टोकाटाकी करने लगीं कि मेरे घर में कभी ऐसा नहीं होता. बार-बार सुनने के बाद एक दिन रजनी ने भी जवाब दे दिया कि आप के घर में नहीं होता होगा, मगर यह मेरा घर है और यहां ऐसा होता है. रजनी का जवाब सुन कर सास का मुंह उतर गया.

कहने का मतलब यह है कि यदि आप को बहू या बेटे का घर चलाने का तरीका अखर रहा है तो आप अपनी बात कहें, मगर उसे अपनी राय बता कर कहें जैसे कि मैं ऐसा सोचती हूं, मेरा ऐसा मत है, आगे तुम्हारी मरजी. और यह राय भी बारबार न दें. जिन की शादी हो चुकी है, जाहिर है वे इतने छोटे तो नहीं होंगे कि आप को उन्हें बारबार कुछ सिखाना पड़े. उन्हें अपने अनुभव  से सीखने दें. इसी में उन की और आप की  भलाई है.

अपने खर्च खुद मैनेज करने दें

कुछ पेरैंट्स संतानों के प्रति अति मोहग्रस्त होते हैं और उन की शादी के बाद भी उन्हें  छोटा बच्चा ही समझते हैं. वे चाहते हैं कि बच्चों के घरखर्च का हिसाबकिताब उन्हीं के हाथों में रहे. बैंक डिटेल्स, सेविंग डिटेल्स सब उन को पता हो. यह भी पतिपत्नी के बीच  विवाद का जोरदार मुद्दा बनता है. पेरैंट्स को ऐसा नहीं करना चाहिए. अगर बच्चे बोलें भी तो भी बेहतर है कि स्वयं पर निर्भर रखने के बजाय उन्हें मनी मैनेजमैंट सिखा कर आत्मनिर्भर बनाएं, क्योंकि आप हमेशा उन के साथ नहीं रहने वाली हैं.

कुछ मांओं की ऐसी भी आदत होती है कि जरा सा बेटी या बेटे ने बढ़ते घरखर्च का रोना रोया नहीं, वे उसे झट से अतिरिक्त पैसे दे कर मदद कर देती हैं. इसे वे प्यार या केयर का नाम देती हैं, किंतु वे यह नहीं जानती कि यह प्यार नहीं, बल्कि बच्चों को बिगाड़ने का काम है. इस तरह तो वे कभी सही तरीके से घर चलाना, बचत करना, इच्छाओं पर नियंत्रण रखना सीखेंगे ही नहीं.

यदि आप अपने बेटे या बेटी की वास्तव में भलाई चाहती हैं तो प्यार के नाम पर ऐसा हस्तक्षेप बिलकुल न करें. हर किसी को अपनी चादर देख कर पैर पसारना आना चाहिए. यदि आप उन्हें कमी का अनुभव ही नहीं होने देंगी तो वे कैसे हाथ संभाल कर खर्च करना सीखेंगे?

अपने बच्चों को उन की किशोरावस्था से ही मनी मैनेजमैंट यानी पैसों का हिसाबकिताब रखना, बचत का ख्याल रखना, जरूरत और इच्छा में फर्क समझ कर गैरजरूरी खर्चों पर नियंत्रण रखना सिखाएं ताकि भविष्य में वे अपना घर अच्छी तरह चला सकें.

-दीप्ति मित्तल

गरमी में इन 5 घरेलू तरीकों से दूर भगाएं तन की दुर्गंध

नेहा बहुत ही खूबसूरत थी और हमेशा यूनीक स्टाइल ही कैरी करना पसंद करती थी, लेकिन फिर भी उस के फ्रैंड्स उस के पास ज्यादा देर बैठने से हिचकिचाते थे. वह मन ही मन सोचती कि मैं तो सब को अपनी ओर अट्रैक्ट करने के लिए नएनए स्टाइल कैरी करती हूं, मगर फिर भी सब मुझ से दूर भागते हैं. एक दिन जब उस ने परेशान हो कर स्नेहा से इस का कारण पूछा तो उस ने कहा कि तुम्हारे शरीर से बहुत दुर्गंध आती है, जिसे किसी के लिए भी सहन करना बहुत मुश्किल होता है इसलिए सब तुम से दूरदूर भागते हैं. तब जा कर नेहा को पूरा माजरा समझ में आया और उस ने इस समस्या के हल के बारे में जानकारी हासिल की ताकि उस के तन की दुर्गंध पर्सनैलिटी को न बिगाड़े.

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क्या है शरीर की दुर्गंध…

शरीर के तापमान में संतुलन बनाए रखने के लिए शरीर से पसीना निकलता है. वैसे तो पसीने के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं, जिस में प्रमुख है बैक्टीरिया. जिस की वजह से ही अक्सर शरीर से दुर्गंध आती है. बैक्टीरिया एपोक्राइन ग्रंथी के उत्सर्जन से पनपते हैं. ये अमीनो एसिड का निर्माण करते हैं, जिस का परिणाम बदबूदार गंध होती है.

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दुर्गंध से निबटने के घरेलू नुस्खे…

1 बैकिंग सोडा: यह स्किन से मौइश्चर को अवशोषित करने के साथ दुर्गंध को दूर करता है. साथ ही यह बैक्टीरिया को नष्ट कर नैचुरल परफ्यूम की तरह काम करता है.

कैसे अप्लाई करें: एक चम्मच बेकिंग सोडा में एक चम्मच नीबू का रस मिला कर उसे अंडरआर्म्स व उन जगहों में लगाएं, जहां ज्यादा पसीना आता हो. फिर इसे थोड़ी देर बाद पानी से धो लें. इसे कुछ हफ्तों तक रोजाना दोहराएं.

2 एप्पल साइडर विनेगर: यह बैक्टीरिया से लड़ने के लिए बहुत ही कारगर इंग्रीडीऐंट है. साथ ही यह स्किन के पीएच बैलेंस को संतुलित रख कर, शरीर की दुर्गंध को कम करने का काम करता है.

कैसे अप्लाई करें: एप्पल साइडर विनेगर में कौटन बौल डाल कर उसे अंडरआर्म्स पर रब करें. फिर 2-3 मिनट बाद धो लें. इसे रोजाना 2 बार दोहराएं.

3 नीबू का रस: इस की एसिडिक प्रोपर्टी स्किन के पीएच लैवल को कम करती है, जिस के कारण बदबू पैदा करने वाला बैक्टीरिया पनप नहीं पाता.

कैसे अप्लाई करें: नीबू को काट कर उस के एक भाग को अंडरआर्म्स पर अच्छे से रगड़ें और फिर उसे धो लें. इस प्रक्रिया को रोजाना तब तक दोहराएं जब तक दुर्गंध चली न जाए.

4 रोजमैरी: इस में सुगंध के प्राकृतिक गुण होने के कारण यह बदबू पैदा करने वाले बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है.

कैसे अप्लाई करें: 4 कप गरम पानी में आधा कप सूखी रोजमैरी की पत्तियां डाल कर 10 मिनट के लिए छोड़ दें. फिर इसे पानी में डाल कर नहाएं. इस प्रक्रिया को रोजाना दोहराने से दुर्गंध से छुटकारा मिलेगा.

5 टी ट्री औयल: टी ट्री औयल में ऐंटीबैक्टीरियल गुण होने के कारण यह स्किन में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है.

कैसे अप्लाई करें: 2 चम्मच पानी में 2 बूंदें टी ट्री औयल की डाल कर अंडर आर्म्स पर अप्लाई करें. आप इस सौल्यूशन को स्प्रे बोतल में भर कर भी रख सकती हैं. इस से तन की दुर्गंध से नजात मिलता है.

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इन बातों का भी खास ख्याल रखें…

जब भी आप शावर लें तो ट्राई करें कि एक बार कुनकुने पानी से भी नहाएं, क्योंकि यह हमारी स्किन में छिपे बैक्टीरिया को नष्ट करने का काम करता है.

नैचुरल फाइबर के कपड़े पहनें, क्योंकि इन में हवा का आवागमन बना रहता है, जिस से पसीना जमा नहीं होता.

एक शोध के अनुसार, लहसुन, करी या अन्य स्पाइसी मसाले आप के पसीने की गंध को बढ़ा सकते हैं. इसलिए स्पाइसी खाने से परहेज करें.

अपने आर्मपिट के बालों को समयसमय पर क्लीन करती रहें, क्योंकि बाल होने से पसीना सोखने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है, जिस से शरीर से दुर्गंध आती है.

रोजाना अपनी आर्मपिट्स को ऐंटी बैक्टीरियल साबुन से साफ करना चाहिए, क्योंकि इस से बैक्टीरिया की संख्या में कमी आने से शरीर से दुर्गंध नहीं आती.

जब आप नहा लें तो अच्छे से अपने शरीर को पोंछें, खासकर उन जगहों को जहां सब से ज्यादा पसीना जमा होता है.

गरमियों में ज्यादा पसीना आने के कारण कपड़े जल्दी गीले हो जाते हैं, जिन्हें ज्यादा देर तक पहने रहने से बदबू आने लगती है. इसलिए उन्हें बदल लें.

मनपसंद फ्रैगरैंस वाले परफ्यूम को अपनी पर्सनैलिटी का हिस्सा जरूर बनाएं. इस से तन की दुर्गंध से छुटकारा तो मिलेगा ही, आप भी तरोताजा महसूस करेंगी.

बीमारी की बिसात

‘जोर लगा के हैया, पत्नी बीमार है मन लगा कर काम करो सैंया.’

पिछले एक सप्ताह से इस लाइन का मनन बेहद सत्यनिष्ठा के साथ कर रहा हूं, ठीक उसी तरह जैसे भक्त भगवान का करते हैं. इस लाइन को भूलना भी चाहूं तो बेचारे बिस्तर को 24 घंटे कष्ट दे रही हमारी श्रीमतीजी की गुब्बारे सी काया हमें भूलने नहीं देती है. इस लाइन को अभी से भूल गया तो आने वाले 3 सप्ताह का सामना कैसे करूंगा, क्योंकि डाक्टर ने कम से कम 4 सप्ताह तक उन्हें पूर्ण आराम की सलाह दी है और उन की संपूर्ण देखरेख की हिदायत मुझे दी है.

आप यह मत सोचिए कि उन्हें कोई गंभीर, खानपान से परहेज वाली बीमारी है. ऐसा बिलकुल नहीं है. उन्हें तो बस, काम से मुक्त आराम करने वाला प्रसाद के रूप में एक अचूक झुनझुना मिल गया है जिस का नाम है ‘स्लिप डिस्क.’

इस की प्राप्ति भी उन्हें कोई गृह कार्यों के बोझ तले दब कर नहीं हुई बल्कि अपनी ढोल सी काया को कमसिन बनाने के लिए की जा रही जीतोड़ उलटीसीधी एक्सरसाइज के कारण हुई है. वैसे तो इस प्रसाद को उन के साथसाथ मैं भी चख रहा हूं. लेकिन दोनों के स्वाद में जमीनआसमान का अंतर है. जहां श्रीमतीजी के सुखों का कारवां फैल कर दोगुना हो गया है वहीं हमारे घरेलू अधिकारों की अर्थी उठने के साथसाथ कर्तव्यों की फसलें सावन में हरियाली की तरह लहलहा रही हैं.

श्रीमतीजी अपनी रेपुटेशन एवं खुशनुमा दिनचर्या के लिए जिन्हें आधार मानती हैं वे मेरे लिए कर्तव्यों की फसल में खरपतवार के समान हैं. यानी उन का हालचाल पूछने व इधरउधर की सनसनीखेज खबरें बताने के लिए दिन भर थोक में आने वाली और श्रीमतीजी पर हम से कई गुना ज्यादा प्रेम बरसा कर हमदर्दी जताने वाली कोई और नहीं उन की प्रिय सहेलियां हैं.

बेमौसम सहेलियों की बाढ़ से घर की अर्थव्यवस्था निरंतर क्षतिग्रस्त होती जा रही है. मेरी समस्या असार्वजनिक होने के कारण दूरदूर तक मुआवजे की भी कोई उम्मीद नहीं है. कपप्लेट, गिलास और ट्रे के साथ मैं भी फुटबाल की तरह दिन भर इधर से उधर टप्पे खाता फिर रहा हूं.

फुटबाल के खेल में दोनों पक्ष गुत्थमगुत्था मेहनत करते हैं तब कहीं जा कर एक पक्ष को जीत नसीब होती है लेकिन यहां तो अंधेर नगरी चौपट राजा है, कमरतोड़ मेहनत भी हम करें और हारें भी हम ही. उधर हमारी श्रीमतीजी की पौबारह है. पांचों उंगली घी में और सिर कड़ाही में है. काम से परहेज किंतु कांवकांव से कोई परहेज नहीं.

अकेले में हलके से हिलना भी हो तो हमारी हाजरी लिफाफे पर टिकट की तरह बेहद जरूरी है. वहीं 4-6 ने आ कर जैसे ही बाहरी दुनिया का बखान शुरू किया नहीं कि यहांवहां की स्वादिष्ठ बातों का श्रवण कर बातबात पर स्ंिप्रग की भांति उन का उछलना तथा आहें भरभर कर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कभी खिसियाना या कभी खीसें निपोरना देखने लायक होता है.

‘‘कल किटी पार्टी में किस ने किस की आरती उतारी, किस ने अध्यक्षा को अपने कोमल हाथों से चरण पादुकाएं पहनाईं, किस ने किस को मक्खन लगाया, पकवानों में कौनकौन से दुर्गुण थे, चाय के नाम पर गरम पानी पिलाया आदि.’’

यह देख हमारे आश्चर्य का ठिकाना न रहता कि एक से बढ़ कर एक जहर से लिपटे शब्दबाण हमारी श्रीमतीजी को घायल करने के बजाय इतना स्फूर्तिदायक बना देते जैसे वह अमृत का प्याला हों. वाह रे खुदा, तेरी खुदाई देख कर लगता है कि इन महिलाओं के लिए निंदा रस से बढ़ कर और कोई मिठाई नहीं है. इन की महफिल से जो परिचिता गायब है, समझ लो वही इन सब के हृदय में निंदा रस प्रज्वलित करने का माध्यम है और इस निंदा रस में डुबकी लगा कर उन सभी के चेहरे एकदम तरोताजा गुलाब की तरह खिल जाते हैं.

निंदा रस के टौनिक से फलती- फूलती इन महिलाओं को लगता है आज किसी की नजर लग गई क्योंकि कमरे के अंदर से आते हुए सभी का सुर अचानक एकदम बदल गया है. ऐसा लग रहा था मानो हमारे बेडरूम में विधानसभा या संसद सत्र चल रहा हो.

हम ने भीगी बिल्ली की तरह चुपके से अंदर झांका तो सभी की भवें अर्जुन के धनुष सी तनी हुई थीं. माथे पर पसीने की बूंदें रेंगती हुई, जबान कौवे की सी कर्कश, चेहरा तपते सूरज सा गरम और हाथ अपनी स्वामिनी के पक्ष में कला- बाजियां खाते इधरउधर डोल रहे थे.

सभी नारियों के तीनइंची होंठ एकसाथ हिलने के कारण अपने कानों व दिमाग की पूर्ण सक्रियता के बावजूद यह समझ नहीं पाए कि इस विस्फोटक नजारे के पीछे किस माचिस की तीली का हाथ है. वह तो भला हो गरमी की छुट्टियों का जिस की वजह से फिलहाल अड़ोसपड़ोस के मकान खालीपन का दुख झेल रहे हैं.

कोई घंटे भर की चांवचांव के बाद लालपीली, शृंगारिकाएं एकएक कर बाहर का रास्ता नापने लगीं. जब श्रीमतीजी इकलौती बचीं तब हम ने उन से व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा, ‘‘आज क्या सामूहिक रूप से तबीयत गरम होने का दिन था?’’

‘‘यह सब तुम्हारी वजह से हुआ है.’’

‘‘क्या?’’ हमारा मुंह खुला का खुला रह गया.

‘‘और नहीं तो क्या…तुम आ कर इतना भी नहीं बता सकते थे कि मधु मेरी तबीयत देखने के बहाने अंदर आ रही है. हम उसी की बात कर रहे थे और वह कमरे के बाहर कान लगा कर खड़ी हो गई. फिर क्या, ये सब तो होना ही था. अब कोईर् नहीं आएगा मेरा हालचाल पूछने, पड़ी रहूंगी अकेली दिन भर टूटे हुए पत्ते की तरह.’’

इतना कहतेकहते नयनों से झरना फूट पड़ा. ऊपरी मन से हम भी श्रीमतीजी के असह्य दुख में शामिल हो उन्हें सांत्वना देने लगे.

‘‘कोई नहीं आता है तो न आए, मैं तो हूं, सात जन्मों तक तुम्हारी सेवा करने के लिए. मेरे रहते क्यों इतनी दुखी होती हो, प्रिय.’’

लेकिन हमारी इस सांत्वना से बेअसर श्रीमतीजी का बोझिल मन उन के आंसुओं में लगातार इजाफा कर रहा था. हम ने श्रीमतीजी को वहीं, उसी हाल में छोड़ कर पुरानी पेटी से चवन्नी ढूंढ़ घर के देवता को सवा रुपया चढ़ा, उन की चरण वंदना करते हुए कहा, ‘‘हे कुल के देवता, तुझे लाखलाख प्रणाम, जो तुम ने मेरे घर को सहेलियों की बाढ़ से समय पर बचा लिया. अगर इस बाढ़ पर अब शीघ्र अंकुश नहीं लगता तो अनर्थ हो जाता. श्रीमतीजी तो थोड़ी देर में रोधो कर चुप हो जाएंगी लेकिन मैं जितने दिनों दुकान के कर्ज को भरता, रोता ही रहता.’’

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