जानलेवा बनता अंधविश्वास

इला पेशे से इंजीनियर है. सुबह पेपर की हैडलाइन पर सरसरी निगरह डालने के बाद राशिफल देखना नहीं भूलती और फिर राशिफल के अनुसार ही उस का मूड बनता-बिगड़ता रहता है. राशिफल में प्रियजन से तनाव लिखा होने पर कभी पति तो कभी मातहतों पर बरस पड़ती है. आप के सितारे शुभ फल देने वाले हैं, लिखा होने पर वह दिनभर बेसब्री से अच्छी खबर सुनने का इंतजार करती हुई, हर बात को उस के साथ जोड़ती रहती है.

जीवन पर आफत

21वीं सदी में अंधविश्वास वैज्ञानिक सोच वाले लोगों के लिए चुनौती है. अंधविश्वास के चलते बुराड़ी कांड में 11 लोगों का हंसताखेलता परिवार काल के गाल में समा गया था. इस के पहले महाराष्ट्र के हसनैन वरेकर कांड में एक ही परिवार के 14 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. अंधविश्वास का मूल कारण पंडे-पुजारियों का प्रचार है जो अब अंगरेजी में साइंस को मिला कर भविष्य का डर दिखा कर वर्तमान को ठीक करने का दावा नेताओं की तरह करते हैं. कल क्या होगा, यह कोई नहीं जानता है. अपने मनमुताबिक नतीजे पाने के लिए लोग सुनीसुनाई बातों पर विश्वास कर के उन पर गौर करने को तैयार हो जाते हैं.

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अंधविश्वास हमारी अज्ञानता, भय, निराशा और अफसोस की बात है कि पढ़े-लिखे लोग भी तर्क को ताक पर रख कर अंधविश्वास में जकड़े होते हैं. अंधविश्वास का प्रचार पंडों से ज्यादा उन के भक्त करते हैं. टीवी चैनल और सोशल मीडिया दोनों अंधविश्वास की जड़ें मजबूत करने में लगे हुए हैं. ये अंधविश्वास फैलाने के सशक्त माध्यम बन गए हैं. यह संदेश 10 लोगों को फौरवर्ड करें… मनचाही मुराद पूरी होगी, फेसबुक और व्हाट्सऐप जैसी साइटों पर ऐसे संदेशों की बाढ़ आई हुई है. कभी गणेश के दूध पीने की खबर तो कभी चोटी कटवा की खबर विश्व में हमारे देश की छवि को घूमिल करती हैं. तो कभी दिन के अनुसार कपड़ों के रंग पहनने का आदेश दिया जाता है. हम चांद पर पहुंच चुके हैं, लेकिन महिलाएं करवा चौथ पर चांद का दीदार करने के लिए सज-संवर कर दिनभर उपवास करती हैं.

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कुछ दिनों पहले 13 साल की लड़की से 68 दिन तक इसलिए उपवास रखवाया गया कि उस के पिता का बिजनैस अच्छा चले. बिजनैस का तो पता नहीं, लेकिन लड़की जरूर मौत पा गई. कानूनी अपराध हमारे देश में सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण को ले कर भी अंधविश्वास प्रचलित है. खाना बनाना, खाना खाना, पूजा करना आदि आज भी वर्जित माना जाता है. सूर्यग्रहण पर वाराणसी, हरिद्वार आदि स्थानों पर स्नान के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ती है. एलडस हक्सले ने ऐसी ही भीड़ देख कर कहा था, ‘‘भारतवासी इतनी बड़ी संख्या में भारत को शत्रु के चंगुल से छुड़ाने के लिए इकट्ठे नहीं हो सकते, जितने कि वे सूर्य को राहु से मुक्त कराने के लिए इकट्ठे हो जाते हैं.’’ यद्यपि यह टिप्पणी हमें आहत करती हैं परंतु सचाई यही है और इस की वजह पंडों के प्रचार की हदें पार करना है.

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बच्चा पैदा हो, शादी हो, गृहप्रवेश या भूमि पूजन हो लोग शुभमुहर्त के लिए पंडित के पास दौड़ते हैं. पंडित सब से पहले अपनी सुविधा देख कर ही आप को शुभमुहूर्त बताएगा. विशेष धातु या रंगबिरंगे पत्थरों की अंगूठी पहनना, विशेष मंत्र वाला ताबीज पहनना, जादू, टोना, मकान बनाते समय काली हंडि़या टांगना जैसे अनेक अंधविश्वास हमारे बीच पहले की तरह जड़ें जमाएं हुए हैं. टीवी चैनलों पर आने वाले विज्ञापन जनता में अंधविश्वास फैलाने का काम कर रहे हैं. जैसे गोरा बनाने की क्रीम.

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी अपने फैसले में कहा है कि तंत्रमंत्र, झाड़फूंक, ताबीज, प्रार्थना एवं धार्मिक विश्वास के द्वारा इलाज करवाना कानूनी अपराध है, पर न्यायालय की सुन कौन रहा है. पंडितों का बनाया प्रपंच अंधविश्वास राष्ट्र के विकास में बाधक है. इस के चक्कर में पड़ कर लोग आर्थिक और सामाजिक शोषण का शिकार हो रहे हैं. यह विज्ञान का युग है. ऐसे समय में टीवी चैनलों पर ‘नजर सुरक्षा कवच’, ‘सिद्धमाला’, ‘सिद्ध अंगूठी’, ‘धनप्राप्ति यंत्रों’ आदि का व्यापार अंधविश्वास के नाम पर धड़ल्ले से चलाया जा रहा है.

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ये टोटके, जादूटोना, भूतप्रेत, डायन, तंत्रमंत्र केवल कमजोर दिमाग की उपज है. हर घटना के पीछे कोई कारण होता है. कुछ अंधविश्वासों के पीछे वैज्ञानिक तर्क भी दिए जाने लगे हैं, जो पढ़ेलिखों को मूर्खतापूर्ण काम करने में बल देते हैं. वैसे वह पूर्वनियोजित व्यापार का हिस्सा है. दरवाजे पर नीबूमिर्च टांगना, नीबू में सिट्रिक ऐसिड कीटनाशक का काम करता है, जो कीड़ेमकौड़ों को अंदर आने से रोकता है. कुंडली मिलाना मात्र पंडितों का बनाया प्रपंच है. मांगलिक दोष के निवारण का उपाय भी अंधविश्वास ही है. फिल्म जगत के नायक अमिताभ बच्चन ने ऐश्वर्या राय जैसी विश्व सुंदरी के साथ अपने बेटे अभिषेक बच्चन से शादी कराने से पहले बरगद के पेड़ से फेरे कराना अंधविश्वास का ही ज्वलंत उदाहरण था. ये अंधविश्वास व्यापार का हिस्सा हैं जैसे. पुराणों में होता था अब नैट और टीवी में होने लगा है. माध्यम बदल गया हर दृश्य ऋषियोंमुनियों को दान देना, उन की रक्षा करना रह गया है.

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धर्म के नाम पर अवैज्ञानिकता

50 साल की एमबीए ग्रैजुएट धाराप्रवाह अंगरेजी बोलने वाली फरजाना हैदराबाद की एक दरगाह में रह रही है ताकि उस पर आने वाला हार्टअटैक रुक जाए. उस का विश्वास है कि उस के परिवार वाले उस पर काला जादू कर रहे हैं, इसलिए वह दरगाह में जादू से बची रहेगी. मल्टी नैशनल कंपनी में काम करने वाली 28 साल की अंजलि एक लड़के को प्यार करती थी, लेकिन उन की मां को यह रिश्ता पसंद नहीं था. इसलिए उन्होंने एक तांत्रिक की शरण ली. तांत्रिक हर बार कलाई में धागा बांधने के एवज में उस की मां से 5 हजार लेता था. उस का कहना था कि यदि वह अपने पसंद के लड़के के साथ शादी करेगी तो भविष्य में उस के साथ बहुत बड़ा अनिष्ट होगा. इस धागे के प्रभाव से वह मनपसंद लड़के से शादी नहीं कर पाएगी. कुछ दिन बाद अंजलि ने धागा खोल कर फेंक दिया और अपने पसंद के लड़के के साथ शादी कर ली और आज वह बहुत खुश भी है.

‘वशीकरण’ वैबसाइट चलाने वाले किसी भी समस्या का समाधान करने का दावा करते हैं. वहां के तथाकथित ज्योतिषी से फोन पर मेरे संपर्क करने पर वह बोला, ‘‘पहले आप हमारे अकाउंट में पैसे जमा करिए, फिर उस के बाद ई मेल के द्वारा अपनी समस्या बता कर अपौइटमैंट ले सकते हैं.’’ जैसे ही मैं ने कहा कि मैं प्रैस में काम करती हूं. उन्होंने झट से फोन काट दिया. प्रशासन में मौजूद लोग ही धर्म के नाम पर अवैज्ञानिक नीतियोंरीतियों में शामिल हैं, तो समाज में बदलाव की प्रक्रिया धीमी होना तय ही है. उत्पीड़न और हत्या बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में आज भी ‘डायन’ आदि के नाम पर महिलाओं के उत्पीड़न और हत्या की खबरें आती रहती हैं.

रायपुर के डा. दिनेश मिश्र पेशे से नेत्र विशेषज्ञ हैं. ग्रामीणों के संपर्क से उन्हें मालूम हुआ कि छत्तीसगढ़ में कुछ लोग जिन्हें ओझा कहते हैं, भोलेभाले ग्रामीणों को अपने शब्दजाल में फंसा कर उन से पैसा ऐंठते हैं, उन्हें ठगते हैं. उन्होंने बताया कि लगातार उन्हें शिकायत मिलती कि गांव में किसी महिला को डायन कह कर न सिर्फ प्रताडि़त किया जाता है वरन उस का हुक्कापानी बंद कर के उसे समाज और गांव से बाहर कर दिया जाता था. इस कारण गांव में कई बार तनाव का माहौल भी बन जाता था. डा. मिश्र के प्रयासों और सिफारिश पर झाड़फूंक, जंतरमंतर, टोनाटोटका और अंधविश्वास फैला कर किसी को प्रताडि़त करने को अपराध माना गया.

डा. दिनेश मिश्र अंधविश्वास के खिलाफ ‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के द्वारा गांवगांव जा कर लोगों जागरूकता फैलाने का महत्त्वपूर्ण प्रयास कर रहे हैं. वे अब तक करीब 1350 सभाएं कर चुके हैं. उन्हीं के अथक प्रयास से 2005 में ‘छत्तीसगढ़ टोनही प्रताड़ना निवारण अधिनियम’ बनाया गया, जिस के अंतर्गत ऐसे मामलों में 3 साल की सजा और जुरमाने का प्रावधान है. 2007 में उन के सामाजिक योगदान के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया था. अंध विश्वासों के व्यापार की भूमि पर राजनैतिक उर्वरक पा कर वह फलताफूलता है. इन दोनों के गठजोड़ से उत्पन्न फसल को राजनीतिज्ञ और मीडिया अपनेअपने लाभ के लिए अपनीअपनी तरह से इस्तेमाल करते हैं.

‘अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति’ के संस्थापक नरेंद्र दामोलकर, गोविंद पानसारे, गौरी लंकेश की हत्या के बाद यह सवाल गंभीर हो गया है कि आखिर सरकारें अंधविश्वास के खिलाफ सख्त कानून क्यों नहीं बनातीं. विज्ञान को ईश्वर की तरह पेश करने वाले यूरोपीय देश, अमेरिका, ब्रिटेन आदि हों या जादू, तंत्रमंत्र को कुफ्र की संज्ञा देने वाले अरब देश अथवा अपना ही मुल्क हर जगह टोटकों, चमत्कारों और मनचाही मुराद पूरी करने वालों की लंबी जमात नजर आती है. ये कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने से ले कर शादी, प्रेम, व्यापार में तरक्की, किसी को वश में करना, दुश्मन का नाश आदि करने के लिए अपना नैटवर्क न सिर्फ देश के हर राज्य, शहर और गांव में चला रहे हैं. अब तो ये अपना यह धंधा औनलाइन भी चला रहे हैं.

‘राजी’ से मां के सीन काटने पर आलिया भट्ट ने दिया ये बयान

कुछ दिन पहले ही आलिया भट्ट की मां सोनी राजदान ने अपने एक इंटरव्यू में ये बात कही थी कि फिल्म राजी से उनके कुछ अहम सीन्स काट दिए गए जिससे वो काफी आहत हुई थीं. आपको याद दिला दें कि फिल्म राजी में आलिया की मां सोनी राजदान ने ही उनकी मां का किरदार निभाया था. हाल ही में आलिया ने अपनी मां के इस बयान पर अपना रिएक्शन दिया है. फिल्म कलंक के प्रमोशन के दौरान आलिया ने अपना पक्ष सामने रखा है-

मां से अलग हैं आलिया की राय…

इस पूरे मामले में आलिया भट्ट की राय अपनी मां से बिल्कुल अलग है. आलिया ने निर्देशक के निर्णय को सर आंखों पर बिठाने की बात करते हुए फिल्म ‘राजी’ से मां सोनी राजदान के सीन काटने को सही ठहराया.

आखिर क्या है आलिया भट्ट की जिंदगी का सबसे बड़ा ‘कलंक’, जानें यहां

आलिया भट्ट ने कहा-‘‘जी हां!एक सीन है, जहां वह मां के रूप में अपनी बेटी को समझाती हैं कि उसे सीमा पार नही जाना चाहिए.मैं मानती हूं कि यह एक बेहतरीन सीन था. मगर कलाकार के तौर पर मैं मानती हूं कि फिल्म में क्या रहे और क्या न रहे, इसका निर्णय करने का हक सिर्फ निर्देशक का होता है. हम कलाकार पर यह निर्भर नहीं करता. हर सीन को लेकर कलाकार के तौर पर हमेशा हमारा एक अलग प्रस्पेक्टिब होगा. लेकिन आखिरकार फिल्म में जो रहता है,वह फिल्म की बेहतरी के लिए ही होता है.

हमारा काम सिर्फ ईमानदारी से अभिनय करना है…

वह सीन क्यों कटा, इसकी असली वजह मुझे नहीं पता. शायद लंबाई ज्यादा हो गयी थी, इसलिए कटा. लेकिन ये निर्देशक का अपना फैसला था. कलाकार के तौर हमें निर्देशक के निर्णय का सम्मान करना चाहिए. उस वक्त मैने अपनी मम्मी को समझाया था कि, ‘यह हमारे हाथ में नहीं होता. हमारा काम सिर्फ ईमानदारी से अच्छा काम करना होता है.

दीपिका से शादी के बाद मेरा टाइम और अच्छा चल रहा है-रणवीर सिंह

आपको पता है कि आपने एक बेहतरीन सीन अच्छे ढंग से किया था. लेकिन आपकी मां सोनी राजदान का मानना था कि यह सीन मां और बेटी के रिश्ते को प्रगाढ़ता दे रहा था, पर सीन कटने से यह बात नही उभरी?

आलिया- शायद मैं इससे सहमत नही हूं. मेरी राय में फिल्म ‘राजी’ की शुरूआत तब होती है, जब सहमत नए घर यानी कि पाकिस्तान में अपनी ससुराल जाती है. उससे पहले कहानी को ज्यादा खींचना भी ठीक नही था.’’

सिंगल मदर बनकर खुश हूं-साक्षी तंवर

आलिया भट्ट जल्द ही करण जौहर की फिल्म ‘‘कलंक’’ में रूप के किरदार में नजर आएगी. ये फिल्म 17 अप्रैल को रिलीज होने जा रही है.

दीपिका से शादी के बाद मेरा टाइम और अच्छा चल रहा है-रणवीर सिंह

फिल्म ‘बैंड बाजा बरात’ में मुख्य भूमिका निभा कर चर्चित हुए अभिनेता रणवीर सिंह ने बहुत कम समय में यह साबित कर दिया कि वे किसी भी किरदार को निभाने में सक्षम हैं. उन्होंने रोमांटिक, एक्शन, कौमेडी, ऐतिहासिक आदि हर तरह की फिल्मों में काम किया है. रणवीर ने जितनी भी फिल्में कीं, लगभग सभी सफल रहीं, लेकिन कई बार उन की अधिक एनर्जी से उन की मुश्किलें भी बढ़ी हैं.

एक फैशन शो में शो स्टापर बने रणवीर ने मंच पर रैप करते हुए छलांग लगा दी, जिस से पास बैठे कई दर्शकों को चोट लगी. बाद में उन्होंने अपनी मैच्योरिटी लैवल को कम कह कर आगे से ध्यान रखने की बात कही. पेश हैं, उन से हुए कुछ सवाल-जवाब:

आखिर क्या है आलिया भट्ट की जिंदगी का सबसे बड़ा ‘कलंक’, जानें यहां

अब आप का समय कैसा चल रहा है?

शादी के बाद से समय और अधिक अच्छा चल रहा है. जो मेहनत की थी, वह रंग ला रही है. 2018 मेरे लिए बहुत अच्छा साल रहा है. मेरे जीवन की दार्शनिकता यह है कि कर्म करो, फल की इच्छा मत रखो. मेरे लिए सब से अच्छी बात यह है कि मेरे पास काम है और मैं रोज सुबह एक अभिनेता के तौर पर काम पर जाता हूं. मुझे अच्छे और मंझे हुए कलाकारों के साथ कलाकारी दिखाने का मौका मिल रहा है. फिल्म हिट हो या फ्लौप, मुझे अधिक फर्क नहीं पड़ता. मैं इस की प्रक्रिया को अधिक ऐंजौय करता हूं.

आप अपने स्टारडम को कैसे लेते हैं?

यह सही है कि मैं स्टार बन चुका हूं, पर मैं ने इस के बारे में अधिक सोचा नहीं था. मुझे शोहरत का अधिक लालच नहीं है. मुझे तो हमेशा लगता है कि मेरी जर्नी अभी शुरू हुई है. अभी बहुत काम करना बाकी है.

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खुद को किस बात में धनी मानते हैं?

मैं ने कभी खुद को धनी नहीं माना, पर मेरे जीवन में मेरा परिवार, पत्नी और फैंस का बहुत सारा प्यारा है. इस में मैं धनी हूं. अभिनेता बनना इत्तफाक है या बचपन से इच्छा थी? मैं बचपन में बहुत कुछ बनना चाहता था. कभी रैपर, कभी क्रिकेटर बनने की बात सोची थी पर अभिनेता बनूंगा, यह नहीं सोचा था, जबकि अभिनय मुझे बहुत पसंद था. अभी अभिनेता बनने के बाद सारी इच्छाएं पूरी हो रही हैं. मसलन अगर मैं ने रैपर की भूमिका निभाई, तो उसे लाइव किया. क्रिकेट अभिनय के लिए उस की प्रैक्टिस कई घंटे कर रहा हूं. मैं अपने किरदार को पूरी तरह से जी लेता हूं.

अपनी बायोपिक में टाइगर को देखना चाहता हूं- जैकी श्रौफ

फिल्मों से प्रभावित हो कर कई बच्चे अपना शहर छोड़ कर मुंबई अभिनय के लिए आ जाते हैं और बाद में वे कुछ नहीं बन पाते. आप के हिसाब से रिएलिटी क्या है?

बहुत मुश्किल है इंडस्ट्री में खुद को स्टैब्लिश करना. मुंबई एक ऐसी महानगरी है, जहां बाहर से लोग सपने ले कर आते हैं और कुछ करना चाहते हैं. बहुत संघर्ष होता है. मैं मुंबई में ही पला-बढ़ा हूं, फिर भी मुझे 3-4 साल संघर्ष करना पड़ा. जब कोई ब्रेक नजर नहीं आ रहा था, तो वह दौर मुश्किल था. अमेरिका से पढ़ कर आने पर भी कोई नौकरी नहीं थी. वित्तीय रूप से भी मैं बहुत स्ट्रौंग नहीं था, क्योंकि मंदी का दौर था. उस समय फिल्में भी कम बन रही थीं. नए चेहरे के साथ तो कोई भी फिल्म बनाना ही नहीं चाह रहा था. कभी-कभी मैं बहुत उदास भी रहता था, लेकिन मैं ने धीरज धरा और अंत में काम मिला.

आप कई बार फैंस के बीच जाते हैं और फिर कई बार समस्या आती है. क्या आगे से इस बारे में सावधानी बरतेंगे?

अवश्य, मैं ने हमेशा अपने फैंस को खुशी देनी चाही. इस में मुझे संभलने की भी जरूरत है. मेरी परिपक्वता ही इसे ठीक कर देगी, पर मैं हर फैन से हाथ मिलाना, गले मिलना, सैल्फी लेना चाहता हूं. मैं हमेशा दर्शकों तक अपना प्यार पहुंचाने की कोशिश करता रहता हूं.

गरमियों मेंं लू से बचाएगा ये टेस्टी आम पन्ना

गरमी के मौसम में लू लगना आम बात है पर आप इससे बचने के लिए तैयारी कर सकती हैं. तो देर किस बात कि झट से बताते हैं. आप लू से बचने के लिए आम का पना पी सकती हैं. आइए जानते हैं इसकी रेसिपी.

सामग्री :

– काली मिर्च (एक चौथाई छोटी चम्मच)

– चीनी (आवश्कतानुसार)

– पुदीना की पत्तियां (20-30)

– कैरी (300 ग्राम)

– भुना जीरा पावडर (2 छोटे चम्मच)

– काला नमक (स्वादानुसार)

घर पर आसानी से ऐसे बनाए पालक के टेस्टी कोफ्ते…

बनाने की विधि :

– सबसे पहले कच्चे आमों को धोकर उन्हें छील लीजिए और फिर उनकी गुठलियों से गूदे को अलग करके एक-दो कप पानी में डालकर उबाल लें.

–  अब मिक्सी में यह उबला हुआ गूदा, चीनी, काला नमक और पुदीने की पत्तियां डालकर अच्छी तरह से  पीस लीजिए और फिर इसमें एक लीटर ठंडा पानी मिला कर इसे छलनी में छान लें.

– अब इसमें काली मिर्च व भूना हुआ जीरा पावडर डालकर अच्छे से मिलाइए और फिर बर्फ के टुकड़े     डालकर ठंडा-ठंडा परोसें.

ऐसे बनाए मीठी लस्सी  

गरमी के मौसम के लिए बेहद फायदेमंद है वेजिटेबल फ्रूट सलाद

गर्मियों के मौसम में हमें ज्यादा भूख नहीं लगती है. और इस मौसम में हमें पेय पदार्थ की ज्यादा जरूरत होती है, जिससे इस मौसम में हम तरोताजा महसूस कर सकें. गर्मी के मौसम में हमारे शरीर से काफी सारा पानी पसीने के रूप में बाहर निकलता है. तो चलिए आपको बताते हैं गर्मी से राहत पाने के लिए वेजिटेबल फ्रूट चाट की रेसिपी.

सामग्री :

– खीरा (1 से 2)

– सेव (1 से 2)

– बारीक कटा हरा धनिया (दो बड़े चम्मच)

– आधा नींबू का रस

– एक उबला आलू

– आधा कप मूंग (अंकुरित)

– भुने हुए मूंगफली के दाने (दो बड़े चम्मच)

– नमक (स्वादानुसार)

– पिसी कालीमिर्च

कश्मीरी पुलाव : आप बस खाते ही जाएंगे

बनाने की विधि :

– खीरा को मध्यम आकार के टुकड़ों में काट लें.

– अंकुरित मूंग को थोड़े से पानी में पका लें.

– फिर उबले आलू और सेब के भी टुकड़े काट लें.

– एक बड़ी सी प्लेट में पके मूंग, आलू, सेब और ककड़ी के टुकड़े,  सींगदाने मिक्स करें.

– अब सभी मसाले और हरा धनिया भी डालें

बची हुई दाल से ऐसे बनाएं टेस्टी चीला

ये 5 ड्रिंक्स दिलाएंगे आपको गरमी से राहत

गरमी में बढ़ती धूप में टैम्परेचर बढ़ने से लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसके साथ बिजी लाइफस्टाइल की वजह से लोग अपनी बौडी का ख्याल भी नही रख पाते. और वह थका हुआ महसूस करने लगते है जिसका एक कारण बौडी में पानी की कमी भी होता है. इसलिए जरूरी है कि अपनी हेल्थ को अच्छा रखने के लिए बौडी को हाइड्रेटेड रखा जाए. जिसके लिए आज हम आपको 5 ऐसी ड्रिंक्स बताएंगे जो बौडी को हाइड्रेटेड रखने में मदद करेगी.

  1. सबसे टेस्टी और हेल्दी है आम पन्ना…

लिप-स्मोकी ड्रिंक आम पन्ना महाराष्ट्र की फेमस ड्रिंक है, जो गरमियों में आम के गूदे से बनाई जाती है. यह न केवल आपको तरोताजा रखेगा, बल्कि धूप में भी एर्नजेटिक रखेगा.

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2. चटपटे टेस्ट के साथ उपयोगी है जलजीरा…

जलजीरा को जीरा और पानी के साथ बनाया जाता है. जीरे को भूनकर मोटे पाउडर में मिलाकर पानी में मिलाकर बनाया जाता है. ये पेट से जुड़ी हर प्रौब्लम से बचने के लिए सबसे अच्छा ड्रिंक है, खासकर गर्मियों में.

3. गरमी में ठंडक पहुचाए छाछ 

फेमस चास के रूप में जाना जाने वाला छाछ दही से बनने वाला ड्रिंक है, जो लोगों को काफी पसंद आता है. छाछ पेट के लिए अच्छा ड्रिंक है जो जीरा जैसे मसालों के साथ पी सकते हैं.

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4. एक ठंडा गिलास नारियल पानी…

नारियल पानी का एक ठंडा गिलास आपको तुरंत खुश कर देता है. हल्की मिठास और ताजा स्वाद के साथ यह गरमी में हाइड्रेट करने में मदद करता है.

5. नेचुरल ड्रिंक है गन्ने का रस

कई समस्याओं को नेचुरल ड्रिंक गन्ने के रस से ठीक किया जाता है. यह प्लाज्मा और बौडी में पानी की कमी को खत्म करने में मदद करता है. साथ ही यह पानी की कमी की प्रौब्लम और सुस्ती को दूर करने में भी मदद करता है. जूस में पुदीने की पत्तियां मिलाने से आपके समर ड्रिंक का स्वाद भी बढ़ जाता है.

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घरेलू रद्दी से बनाएं सुंदर क्राफ्ट

क्या आप यह सोच रहे हैं कि घर में ना इस्तेमाल होने वाले सामान को कैसे छांटा जाए? आपको इन उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए और उस सामान को इस्तेमाल में लाना चाहिए.

कुछ आसान तरीकों से घर के अटाले से भी काम की और सुन्दर वस्तु बनायी जा सकती हैं. कुछ आसान और सुन्दर क्राफ्ट आईडिया आप खुद भी बना सकते हैं और बच्चों से भी बनवा सकते हैं.

इन आईडिया से ना सिर्फ आपके घर का अटाला सही इस्तेमाल में आएगा, आपके घर आने वाले मेहमान भी इससे काफी प्रभावित होंगे.

पुराने बोतल

क्या आप अपने स्टोर रूम में रखी पुरानी बोतलों को फेंकने वाली हैं? तो आप इनका अच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं. पुराने बियर, शराब या स्पिरिट के बोतल को इकठ्ठा कर आप इन्हें पेंट कर सकते हैं और इनमें रस्सी बांध कर आप इन्हें कैंडल होल्डर या इनकी घर में सजावट कर सकते हैं.

पुराने सीडी

क्या आपके ड्रावर में कई समय से पुराने सीडी पड़े हैं? इन्हें इकठ्ठा करें और आप इनसे कोस्टर, शीशे का फ्रेम (सीडी को तोड़कर शीशे के बॉर्डर पर चिपकाकर) आदि बना सकते हैं.

पुराने बेकिंग शीट
आपने नयी बेकिंग शीट खरीदी है? पुरानी वाली फेंके नहीं इसे इस्तेमाल में लाया जा सकता है. बेकिंग शीट का इस्तेमाल कर आप मैग्नेटिक स्टिक नोट तक बना सकते हैं. इनसे आप सजीले सर्विंग ट्रे, ज्वेलरी और मेकअप आइटम होल्डर भी बना सकते हैं.

पुराने वाइन कॉर्क

पुराने वाइन कॉर्क को इकठ्ठा कर इनसे सुन्दर पिक्चर फ्रेम बनाएं आपको चाहिए रंग, ब्रश, अधूरा लकड़ी का फ्रेम, वाइन कॉर्क और चिपकाने के लिए ग्लू. फ्रेम को अपने हिसाब से कलर कर लें और इसे सूखने दें. हर कॉर्क को एक चौथाई भाग में काट लें और इन्हें हर रंग में रंग लें. इन्हें भी सूखने दें. फ्रेम के किनारों पर कॉर्क को ग्लू की मदद से चिपकाएं. आप कॉर्क को अपनी पसंद के पैटर्न में भी चिपका सकती हैं.

पुराने अखबार

पुराने अखबार की मदद से आप कई आकार के गिफ्ट व्रैपर बना सकते हैं. अगर आपको बच्चों के लिए गिफ्ट व्रैपर बनाना है तो आप अखबार का कॉमिक सेक्शन चुन सकते हैं या अगर किसी फैशन पसंद दोस्त के लिए गिफ्ट व्रैपर बन रहा हो तो आप फैशन सेक्शन को काट सकते हैं.

पुराने टायर

कार के पुराने टायर को लें और अपने घर के गेराज या बालकनी में सुन्दर फ्लावर पॉट बना कर लटकाएं. पुराने इस्तेमाल हुए टायर को पेंट करें. इसके बाद पेटूनिया या बेगोनियास को लें और इसे मिटटी की मदद से टायर की सतह पर लगाएं. इन टायर पर सबकी नजर अपने आप ही खिंच जायेगी.

आखिर क्या है आलिया भट्ट की जिंदगी का सबसे बड़ा ‘कलंक’, जानें यहां

बौलीवुड में लंबे समय से आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की इस साल होने वाली शादी के अलावा इस बात की भी काफी चर्चाएं होती रहती हैं कि वह मई माह में अपने प्रेमी रणबीर कपूर के साथ स्विट्जरलैंड छुट्टी मनाने जा रही हैं. बौलीवुड के ही सूत्र दावा करते रहे हैं कि आलिया भट्ट, रणबीर कपूर के साथ शादी करने के बाद स्विटजरलैंड जाने वाली हैं. मगर फिल्म ‘‘कलंक’’ के सिलसिले में जब हम आलिया भट्ट से मिले, तो हमसे एक्सक्लूसिव बात करते हुए आए दिन अखबारों में छप रही अपनी शादी की खबरों को अपनी जिंदगी के लिए कलंक बताते हुए आलिया भट्ट ने कहा कि वह शादी नहीं कर रही हैं.

तो क्या अप्रैल में होगी मलाइका और अर्जुन की शादी! सामने आई वेडिंग डेट

अपनी बायोपिक में टाइगर को देखना चाहता हूं- जैकी श्रौफ

शादी की खबर है झूठ…

फिल्म ‘‘कलंक’’ के प्रमोशन के सिलसिले में बातचीत के दौरान जब हमने आलिया भट्ट से पूछा कि वह अपनी जिंदगी में किस बात को ‘कलंक’ मानेंगी, तो आलिया भट्ट ने बिना किसी लाग लपेट के कहा- ‘‘यूं तो मैं अपनी जिंदगी में किसी भी बात को ‘कलंक’ नहीं मानती. लेकिन मेरी शादी की जो खबरें छप रही हैं, लोग बोलते रहते हैं कि आलिया शादी कर रही है. तो यह शादी की खबर मेरी जिंदगी में ‘कलंक’ है. यह झूठ के अलावा कुछ नहीं है. सच कह रही हूं मैं शादी नहीं कर रही हूं. अफसोस की बात यह है कि मेरी शादी को लेकर हर पत्रकार सिर्फ मुझसे ही नहीं, मेरी मम्मी और मेरे पापा से भी आए दिन मेरी शादी को लेकर सवाल करते रहते हैं.जबकि मैं साफ साफ कई माह से कह रही हूं कि मैं शादी नही कर रही हूं.’’

 

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पतला होने का मतलब फिट होना नहीं- यास्मीन कराचीवाला

अभी रणबीर के साथ कोई वेकेशन नहीं…

बौलीवुड में चर्चाएं हैं कि आलिया भट्ट मई माह में रणबीर कपूर के संग लंबी छुट्टी मनाने के लिए जाने वाली हैं. क्योंकि वह लगातार कई माह से ‘कलंक’और ‘ब्रम्हास्त्र’ फिल्मों की शूटिंग करते हुए थक चुकी हैं. इस पर आलिया भट्ट ने कहा-‘‘गलत, गलत.. मैं कहीं नहीं जा रही हूं. मैं छुट्टी मनाने में यकीन ही नहीं करती.मैं तो सिर्फ काम करने में यकीन करती हूं. मैं तो हर दिन फिल्म के सेट पर कैमरे के सामने काम करते हुए इंजौय करती हूं. मैं अपने आपको हर पल काम करते हुए देखना पसंद करती हूं.’’

‘तैमूर डौल’ के बाद मार्केट में आई तैमूर नाम की बिस्किट

अलग-अलग त्वचा के लिए अपनाए ये बेस्ट स्किन केयर रूटीन

त्वचा की देखभाल करना हर महिला के लिए एक मुश्किल टास्क है. हम अपने स्किन पर होने वाले नुकसान के बारे में जानते हैं लेकिन फिर भी कुछ नहीं करते हैं. फ्लौलेस स्किन का सपना तो हर किसी का होता है लेकिन इस स्किन को पाने के पीछे का सीक्रेट, स्किन केयर टिप्स होते हैं, जो अलग-अलग स्किन  टाइप के लिए अलग-अलग होते हैं.

बेस्ट स्किन टिप्स वे होते हैं, जहां आप इस बात पर ध्यान देती हैं कि आपकी स्किन की जरूरत क्या है और आप उसी के अनुसार प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं.

डेली स्किन केयर की तरफ बढ़ने से पहले. अपनी स्किन टाइप के बारे में जानना बेहद जरूरी है. इसलिए हम आप को यहां बता रहे हैं कुछ ऐसे तरीके जिससे आप अपनी स्किन टाइप को आसानी से पहचान सकती हैं.

पहला तरीका…

कई महिलाओं को ये बात मालूम नहीं होती कि रोमछिद्र (पोर्स) हमारी स्किन के सब से बड़े सूचक होते हैं. इन के बंद होने का आकार और पोर्स का साइज आप को बताता हैं कि आपका स्किन रूटीन काम कर रहा है या नहीं.

ड्राई स्किन : आमतौर पर छोटे रोमछिद्र.

औयली स्किन : बड़े रोमछिद्र जो बड़ी आसानी से बंद हो जाते हैं.

कौम्बिनेशन स्किन : नाक के पास बड़े रोमछिद्र लेकिन चीक्स के पास छोटे ना दिखने वाले रोमछिद्र होते हैं.

सैंसेटिव स्किन : बड़े छिद्र लेकिन एक उत्तेजक प्रक्रिया के रूप में.

नौरमल स्किन : छोटे छिद्र जोकि बंद नहीं होते.

दूसरा तरीका…

अपनी स्किन टाइप का पता लगाने का एक बेहतरीन तरीका ये है कि क्लिंजिंग के फौरन बाद ध्यान दीजिए कि आप की स्किन कैसा महसूस करती है

ड्राई स्किन : धोने के तुरंत बाद आप को स्किन में कसाव और डिहाइड्रैट महसूस होता है.

औयली स्किन : आप को चेहरा साफ और औयल फ्री लगता है लेकिन लंबे समय तक रहता नहीं है.

कौंबिनेशन स्किन : स्किन का टी जोन फ्रेश लगता है लेकिन गाल ड्राय होते हैं

सैंसेटिव स्किन : क्लींजर के बाद आप को खुजली और इरिटेशन हो सकती है.

नौरमल स्किन : धोने के बाद त्वचा फ्रेश और साफ लगती है इसमें कोई ड्रायनेस नहीं होती. 

तीसरा तरीका…

डेली स्किन केयर रूटीन में मौइश्चराइज की इंपोरटेंस आप को आप की स्किन टाइप के बारे में काफी कुछ कहती है.

ड्राई स्किन : आपको अपनी स्किन को मौइश्चराइज करने की जरूरत है ताकि उस पर मौसम का असर न पड़े.

औयली स्किन : आप को स्किन बारबार मौइश्चराइज करने की जरूरत नहीं है ऐसा करने पर आप की स्किन बेहद औयली हो जाएगी.

कौंबिनेशन स्किन : अपने चेहरे को मौइश्चराइज करें. लेकिन टी जोन एरिया को मौइश्चराइज करने की जरूरत नहीं है.

सैंसेटिव स्किन : आप को लगातार नमी शामिल करने की जरूरत है लेकिन तभी जब आप को सही प्रौडक्ट मिले.

नौर्मल स्किन : अपने चेहरे को दिन में एक बार मौइश्चराइज करना काफी है.

चौथा तरीका…

ब्लौटिंग पेपर के जरीए अपनी स्किन टाइप को पहचानना सब से स्मार्ट तरीकों में से एक है. सुबह उठने के तुरंत बाद ही इस टेस्ट को करें. सोने से पहले अपने चेहरे को धोएं और चेहरे पर कुछ ना लगाएं. अगली सुबह ब्लौटिंग पेपर को अपने चेहरे पर रखकर देखें कि किस हिस्से पर औयल हैं और कौन सा हिस्सा औयली नहीं है.

ड्राई स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर थोड़ा औयल होगा या नहीं होगा.

औयली स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर अधिक मात्रा में औयल होगा.

कौंबिनेशन स्किन : पेपर के कुछ भाग पर औयल होगा जबकि कुछ पर नहीं होगा.

सैंसेटिव स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर थोड़ा सा औयल होगा या बिल्कुल नहीं  होगा.

नौर्मल स्किन : ब्लोटिंग पेपर पर नौर्मल मात्रा में औयल है.

आइए जानें कुछ खास स्किन केयर रूटीन और टिप्स…

  1. ड्राई स्किन :

इस प्रकार की स्किन के कुछ खास लक्षण हैं, जिस में खिंचाव, रूखापन, फ्लेकिंग और स्केलिंग शामिल हैं. कोरनियोस लेयर में लगातार मौइश्चराइजर की कमी के कारण आप की स्किन खासतौर से चीक्स और आंखों के आसपास से बेहद ही बेजान लगती है. मौसम, कौस्मेटिक और दवाइयों के अधिक यूज से त्वचा में लचीलापन आ जाता है, जिस के कारण आप के चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं. आइए जानते हैं ड्राई स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और डेली प्रोडक्ट.

यहां से खरीदें…

क्लिंजर : O3 + हाइड्रैटिंग एंड सूदिंग फेश वाश

टोनर : फेस शॉप चिया सीड सूदिंग मिस्ट टोनर

मौइश्चराइजर : सीटाफिल डेलीएडवांस अल्ट्रा हाइड्रेटिंग लोशन

सनस्क्रीन : न्यूट्रोजेना अल्ट्राशीअर ड्राई टच सनब्लोक एसपीएफ 50+

नाइट क्रीम : कामा आयुर्वेद रिजूवनैटिंग एंड ब्राइटनिंग आयुर्वेदिक नाइट क्रीम

आई क्रीम : सैंट बोटानिका अंडर आई जैल

naykaa

 

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब: O3 + मिल्क स्क्रब ड्राई स्किन डरमल जोन

मास्क : डियर पैकर लैब कलेक्शन मास्क : एंटी ड्राई एंड हाइड्रेटिंग 

  1. औयली स्किन :

इस स्किन की खासियत है कि अति सक्रिय सिबेशस ग्लैंड के कारण इस की लेयर पर लिपिड की मात्रा बढ़ जाती है. हालांकि औयली स्किन बेहद चमकदार होती है, इस प्रकार की स्किन पर बड़े छिद्र होने के कारण ब्लैकहेड्स, वाइटहेड्स और दागधब्बे जैसी समस्या होती है. इसलिए औयली स्किन की देखभाल के लिए आप को औयल फ्री प्रौडक्ट की जरूरत होती है. आइए जानते हैं औयली स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और प्रोडक्ट…

क्लिंजर :  किल्स अल्ट्रा फेशियल औयल फ्री क्लिंजर

स्क्रब : न्यूट्रोजैना डीप क्लीन ब्लैक हेड एलिमिनेटिंग डेली स्क्रब

टोनर : फैब इंडिया टी ट्री स्किन टोनर

मौइश्चराइजर : प्लम ग्रीन टी मैटीफाइंग मौइश्चराइजर

सनस्क्रीन : ROC सोलेइल-प्रोटेक्ट एंटी शाइन मैटीफाइंग फ्लूयिड एसपीएफ 30 

नाइट क्रीम :  प्लम ग्रीन टी रीन्यूड क्लरेटी नाइट जैल

3-32

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

मास्क : फेस शौप द सौल्यूशन पोर केयर फेश मास्क  

3. कौंबिनेशन स्किन :

जब आप के चेहरे का कुछ हिस्सा औयली और कुछ हिस्सा ड्राई लगे तो समझ जाइए कि आप की कौंबिनेशन स्किन है. आप के गाल और आंखों के नीचे की स्किन ड्राई होंगीं, लेकिन आप का टी जोन, जिस में आप का माथा, नाक, और चिन आती है वह औयली होंगी, इसलिए इस प्रकार की स्किन के लिए आप को अलग तरह की देखभाल की जरूरत पड़ती है. आइए जानते हैं कौंबिनेशन स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और सही प्रोडक्ट.

क्लिंजर: एलिजाबेथ आर्डेन विजिबल डिफरेंस स्किन बैलेंसिंग एक्सफोलिएटिंग क्लिंजर

टोनर : लैक्मी ऐब्सल्यूट पोर फिक्स टोनर

मौइश्चराइजर : न्यूट्रोजैना औयल फ्री मौइश्चराइजर एसपीएफ 15

नाइट क्रीम : हिमालय हर्बल  रिवाइटलायजिंग नाईट क्रीम

आई क्रीम :  इनिसफ्री द ग्रीन टी सीड आई क्रीम

4-3

 

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब : टीजोरी अरोमटिक फैनेल फेस स्क्रब

मास्क : इनिसफ्री स्किन रीसैट पीलिंग मास्क :कौंबिनेशन

4. सैंसिटिव स्किन :

इस प्रकार की स्किन के लिए ध्यान से सोच समझ कर ही कोई प्रौडक्ट का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि ऐसी स्किन पर एलर्जी, त्वचा के विकार आदि का असर जल्दी ही होता है. लालपन, खुजली, जलन आदि इस के लक्षण हैं. इसलिए सैंसिटिव स्किन के लिए अच्छे प्रौडक्ट का इस्तेमाल करें. आइए जानते हैं सैंसिटिव स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन और प्रोडक्ट.

क्लिंजर: कामा आयुवेद सैंसिटिव स्किन क्लिंजिंग फौम

टोनर: एवेने थर्मल स्प्रिंग वाटर 

मौइश्चराइजर: डर्मालोजिका सुपर सैंसिटिव शील्ड एसपीएफ 30

सनस्क्रीन: काया सन डिफेंस सनस्क्रीन फौर सैंसिटिव स्किन-सन केयर एसपीएफ 15

नाइट जैल: O3 + एलो डर्मा हाइड्रेटिंग जैल फौर सैंसिटिव स्किन

6-1

 

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब: नेटियो अरोमाथेरेपी जेंटल फेशियल स्क्रब

मास्क : सीसौल डेड सी मौरोक्कन अर्गन हाइड्रेटिंग मास्क फौर ड्राई एंड सैंसिटिव स्किन

5. नौर्मल स्किन :

इसे सब से हेल्दी स्किन माना गया है. स्मूथ टैक्सचर और फाइन पोर्स इस के लक्षण हैं. इस स्किन पर आप को कोई ग्रीसी पैचेस नजर नहीं आएंगे. यह सीबम प्रौडक्शन और मौइश्चर कंटैंट के साथ बहुत अच्छे से बैलेंस होती है. कम उम्र की लड़कियों की स्किन ऐसी ही होती है. इस तरह की स्किन को बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत नहीं होती है. आइए जानते हैं नौर्मल स्किन के लिए डेली स्किन केयर रूटीन.

नौर्मल स्किन के लिए इन प्रौडक्ट को जरूर आजमाएं…

क्लिंजर: O3+ डीप कंसर्न 1 ब्राइटन अप क्लिंजर नौर्मल स्किन

टोनर : प्लम ग्रीन टी एल्कोहल फ्री टोनर

मौइश्चराइजर : लैक्टो कैलेमाइन औयल बैलेंस लोशन (कौंबिनेशन टू नौर्मल स्किन)

सनस्क्रीन : अवेन वैरी हाई प्रोटेक्शन सनस्क्रीन एमल्शन एसपीएफ 50+

हर हफ्ते यूज करें ये प्रोडक्ट…

स्क्रब :  हैप्पली अनमैरिड फेश स्क्रब: ड्राई टू नौर्मल

मास्क : फौरस्ट एशैंसियलस फेशियल उबटन मुल्तानी मिट्टी

स्किन से जुड़े कुछ अहम सवाल…

क्या समय के साथ त्वचा का प्रकार बदलता है? 

हार्मोंनल चैंजेंस, बाहरी प्रदूषण, लाइफ स्टाइल और मौसम आपकी स्किन को नुकसान पहुंचा सकते हैं.  इसलिए जरूरी है कि आप समय समय पर अपनी स्किन की देखभाल करने का तरीका बदले. आप जिन प्रोक्ट्स को इस्तेमाल कर रही हैं उनका आकलन करें और अगर आपको लगे कि वो असरदार  नहीं है तो आप उन्हें बदल भी सकती हैं. मौसम के हिसाब से ऐसे प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करना चाहिए जो आपकी त्वचा के अनुकूल हो.

मेरी स्किन केयर रूटीन के लिए कोई बेहद खास स्टेप जो दूसरे से ज्यादा अहम हो?

बेस्ट स्किन केयर वह होता है जब आप हर दिन अच्छे से फौलो करते हैं. कुछ खास तरह की स्किन के लिए कई स्टेप्स ज्यादा महत्तवपूर्ण होते हैं जैसे कि ड्राई स्किन के लिए मौइश्चराइजेशन जरूरी है, वैसे ही जब औयली स्किन की बात आती है, तो उस के लिए टोनिंग को नकारा नहीं जा सकता है.

क्या मैं ऐसे प्रोडक्ट्स यूज कर सकती हूं जो डिफरेंट स्किन टाइप के लिए बने हो ?

कभी-कभी मौसम के अनुसार आपकी स्किन का टाइप बदल जाता है, जैसे की आपकी स्किन औयली है लेकिन सरदियों में ड्राई और पैची हो जाती हैं. ऐसे में आप अपनी स्किन की जरूरतों को समझे और उसे पूरा करते हुए एक पोषण से भरपूर फौर्मूला इस्तेमाल करें. जो आप की स्किन को सूट करे.

 

बेरोजगारी जिंदाबाद

जनवरी में जारी सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकौनोमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 से बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और 2018 में इस बढ़ोतरी में और तेजी आई है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1 करोड़ 90 लाख लोगों को नौकरियों से हाथ धोने पड़े. पिछले आम चुनावों में रोजगार को मुख्य मुद्दा बनाने वाली भाजपा सरकार इन 5 सालों में देश के बेरोजगारों को कितना रोजगार दे पाई, जान कर हैरान रह जाएंगे आप…

2014में हुए आम चुनावों में प्रचार के वक्त नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने रोजगार को मुद्दा बनाया था. हर साल 2 करोड़ से अधिक रोजगार के अवसरों के निर्माण के वादे के तहत प्रधानमंत्री ने पिछले 4 वर्षों में कई योजनाओं और कार्यक्रमों की शुरुआत की. पिछले साल अगस्त में मोदी ने दावा किया था कि बीते वित्त वर्ष में औपचारिक क्षेत्र में 70 लाख रोजगार का निर्माण हुआ. मगर जनवरी में जारी सैंटर फौर मौनिटरिंग इंडियन इकौनोमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के अनुसार 2013-14 से बेरोजगारी लगातार बढ़ रही है और 2018 में इस बढ़ोतरी में और तेजी आई है.

राजनीति में महिलाएं आज भी हाशिए पर

इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 1 करोड़ 90 लाख लोगों को नौकरियों से हाथ धोने पड़े. मोदी ने 2016 में प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना की शुरुआत की थी. इस योजना के तहत 15,000 रुपए से कम वेतन पर रखे जाने वाले नए कर्मचारियों का 12% भविष्य निधि अनुदान (ईपीएफ) केंद्र सरकार वहन करेगी. औल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के सचिव तपन सेन ने बताया कि देशभर में कम से कम 40% योग्य कर्मचारी इस योजना के दायरे से बाहर हैं. टिकाऊ रोजगार नहीं अप्रैल, 2015 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्रालय ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना की घोषणा की. इस के तहत लक्षित 10 लाख उद्यमों को कर्ज दिया जाना था. लेकिन सार्वजनिक क्षेत्रों के आंकड़ों के अनुसार इस योजना के तहत दिया गया अधिकांश कर्ज डूब गया है.

बोल्ड अवतार कहां तक सही

इस योजना के तहत हाल तक 3 करोड़ रुपए से अधिक कर्ज दिया गया है. इस का आधा कर्ज तो केवल 2018 में दिया गया. लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला ने बताया कि मुद्रा योजना के तहत डूबा कर्ज 2018 में बढ़ कर 7,200 करोड़ रुपए हो गया है. महाराष्ट्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों से मिली रिपोर्ट के अनुसार मुद्रा योजना के तहत दिया जाने वाला औसत कर्ज 30,000 रुपए है, जो इन व्यवसायों को टिकाने के लिए काफी नहीं है.

इसी प्रकार प्रधानमंत्री रोजगार निर्माण के तहत दिए गए कर्ज ने भी रोजगार के टिकाऊ अवसर बनाने में मदद नहीं की है. इस योजना के तहत यूनिटों को 25 लाख रुपए और व्यवसाय या सेवा उद्यमों को 10 लाख रुपए का कर्ज दिया जाता है. बैंगलुरु स्थिति अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के टिकाऊ रोजगार केंद्र के निदेशक अमित बसोले का कहना है, ‘‘इन योजनाओं का ज्यादातर ध्यान एकदम छोटे कारखानों पर रहा. ये छोटे कर्ज हैं और इन पैसों से लगाए जाने वाले रोजाना का खर्च निकाल सकते हैं लेकिन टिकाऊ रोजगार का निर्माण नहीं कर सकते.

स्मार्ट वाइफ : सफल बनाए लाइफ

‘‘भारत के बेरोजगारी संकट के लिए इस योजना के तहत स्वरोजगार को प्रोत्साहन देना पर्याप्त नहीं है. हमें कुछ बड़ा करने की आवश्यकता है. बड़े कर्ज और बड़े उद्योगों में पैसा लगाने की जरूरत है जो विस्तार और अधिक संख्या में कर्मचारियों को रखने में सक्षम हैं. शहरी और राज्य स्तर पर स्थानीय सरकारें जब तक आधारभूत संरचना और सुविधाओं का निर्माण नहीं करतीं तब तक केंद्रीय योजनाएं प्रभावकारी नहीं हो पाएंगी.’’

बढ़ती बेरोजगारी देश में अपना धंधा चलाने वाले दूसरों के लिए रोजगार का इंतजार नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे 80 फीसदी लोग खुद मासिक तौर पर 10,000 रुपए से कम कमाई कर रहे हैं. ये लोग दूसरों को रोजगार कैसे दे सकते हैं? 2015-16 के श्रम विभाग के रोजगार बेरोजगारी सर्वे के अनुसार देश के लगभग आधे मजदूर अपना रोजगार अकेले ही कर रहे हैं. भारतीय अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंध शोध परिषद की फैलो राधिका कपूर के अनुसार भारतीय संदर्भ में स्वरोजगार चिंताजनक बात है. स्वेच्छा से स्वरोजगार करना और मजबूरन करने में बहुत अंतर है और भारत में अधिकांश लोग मजबूरन ऐसा कर रहे हैं.

बेटों से आगे निकलती बेटियां

भारत में बहुत सा स्वरोजगार संकटकालीन रोजगार है. मोदी के उस दावे के संदर्भ में जिस में उन्होंने कहा था कि पकौड़े तलने वाला एक आदमी दिन में 200 रुपए से अधिक की कमाई करता है और इसलिए वह बेरोजगार नहीं है, ऐसे में कपूर की बात बहुत स्पष्ट हो जाती है. मोदी के इस दावे के जवाब में पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने पूछा था कि इस लिहाज से तो भीख मांगना भी एक काम है. मोदी ने 200 रुपए तो गिन लिए पर जिस दिन ग्राहक न आएं या बारिश, आंधी आ जाए या फिर वह खुद बीमार हो जाए तो क्या होगा नहीं गिना.

जुलाई 2015 में प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि 2022 तक ‘प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना’ यानी स्किल इंडिया के तहत 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा. लेकिन संसद की श्रम मामलों की स्थाई समिति की मार्च, 2018 की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी, 2016 में इस योजना के आरंभ से ले कर नवंबर 2018 तक योजना के तहत 33 लाख 93 हजार लोगों को प्रमाणपत्र दिए गए, जिन में से सिर्फ 10 लाख 9 हजार लोगों को काम मिला. विकास दर कम हुई कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक मार्च, 2018 से कुशल उम्मीदवारों की प्लेसमैंट दर 15% है, जो बेहद कम है.

ऐसी खबरें भी हैं कि सरकारी सब्सीडी प्राप्त करने के लिए इस योजना के लोग बोगस प्लेसमैंट कर रहे हैं. स्किल इंडिया के डेटा पर भरोसा नहीं किया जा सकता, क्योंकि इन को जांचने की कोई प्रामाणिक प्रक्रिया नहीं है और ये कौशल विकास केंद्रों द्वारा उपलब्ध आंकड़े हैं. नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ऐसी भी व्यवस्था नहीं है जिस से जाना जा सके कि प्रशिक्षण दिया भी जा रहा है या नहीं.’’ मोदी की कर्णधार योजना के तहत लक्षित क्षेत्रों में हाल के दिनों में बेरोजगारी में बढ़ोतरी देखी गई है.

मोदी ने 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ का आरंभ भारत को वैश्विक डिजाइन और विनिर्माण का केंद्र बनाने के उद्देश्य से किया था. मगर पिछले 4 सालों में इस क्षेत्र ने कोई विकास नहीं किया है. श्रम ब्यूरो सर्वे के अनुसार अप्रैल और जून 2017 की तिमाही में इस क्षेत्र में 87,000 नौकरियां खत्म हो गईं. एमएसएमई मंत्रालय के अनुसार कर्ज योजना के अंतर्गत रोजगार और लाभ में 2014 से कमी आई है. उत्पादन और निर्यात में 24 से 35% की गिरावट पिछले 4 सालों में रिकौर्ड की गई है.

हाशिए पर रोजगार गारंटी कानून उत्पादन क्षेत्र में कागजी खानापूर्ति, इंस्पैक्टर राज, नियमों, कानूनों के पचड़ों का समाधान न कर सकने के चलते मेक इन इंडिया फेल हो गया. दुनिया का बाजार अभी मंदी से बाहर नहीं निकला है, इसलिए भारतीय निर्यात भी हद से आगे नहीं जा सकता. हमें घरेलू बाजार पर ध्यान देना चाहिए. सीएमआईई की रिपोर्ट में महिला मजदूरों की घटती तादाद पर चिंता जताई गई है. इस रिपोर्ट के अनुसार 2018 में ज्यादातर महिलाओं ने खासकर 40 से कम या 60 से अधिक आयु की दिहाड़ी और खेतों में मजदूरी करने वाली ग्रामीण महिलाओं ने काम खोया.

उद्यमशीलता और स्वरोजगार पर जोर देने के चलते महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून हाशिए पर चला गया जो एक ऐसा सरकारी कार्यक्रम था, जिस में बड़ी संख्या में महिलाओं की भागीदारी थी. स्वरोजगार मनरेगा योजना की कीमत पर कतई नहीं होना चाहिए. -निलीना एम एस द्य

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