आ गया जिलेटिन का शाकाहारी पर्याय

खाने की दुनिया में बहुत कुछ नया हो रहा है जो थोड़ा एक्साइटिंग है तो थोड़ा पृथ्वी को बचाने वाला भी. पशुओं को मारे बिना मीट बनाने की प्रक्रिया चालू हो रही है. लैबों में पैदा सैल्स को कई गुना कर के असली स्वाद वाला मीट बन सकता है. इससे लाखों पशुओं को सिर्फ मार कर मीट के लिए पैदा नहीं किया जाएगा और वे पृथ्वी पर बोझ नहीं बनेंगे. इसी तरह बिना पशुओं का दूध बनने जा रहा है, जिसका गुण और स्वाद असली दूध की तरह होगा. चिकन भी ऐसा ही होगा.

यही जिलेटिन के साथ होगा. जिलेटिन पशुओं की हड्डियों से बनता है और दवाओं के कैप्सूलों में इस्तेमाल होता है. पेट में जाने पर जिलेटिन पानी में घुल जाता है और दवा अपना काम शुरू कर देती है. जो वैजीटेरियन हैं वे कैप्सूल नहीं लेना चाहते और वैजिटेरियन कैप्सूलों की मांग बन रही है.

यह भी पढ़ें- अपने ऊपर विश्वास करो सारे सपने सच होंगे: अलीशा अब्दुल्ला

दवा कंपनियों का कहना है कि वैजिटेरियन कैप्सूल महंगे होंगे. फिलहाल चुनावों के कारण यह काम टल गया है. जिलेटिन खाने में डलता है और मीठी गोलियों, केकों, मार्शमैलो आदि में भराव का भी काम करता है और वसा यानी फैट की कमी को भी पूरा करता है. रबड़ की तरह का जो स्वाद बहुत सी खाने की चीजों में आता है वह जिलेटिन के कारण ही है.

जिलेटिन का फूड में इस्तेमाल असल में जिलेटिन का इस्तेमाल फूड इंडस्ट्री में फार्मा इंडस्ट्री से ज्यादा होता है.

इसे वैजिटेरियन खाने में भी डाल दिया जाता है जबकि यह सूअर, गाय, मछली की खाल व हड्डियों को गला कर ही बनाया जाता है.

होने को तो जिलेटिन के वैजिटेरियन अपोजिट हैं पर इस्तेमाल करने वाले उत्पादकों के लिए महंगे और प्रोसैस करने में मुश्किल हैं. अब जैलजेन नाम की कंपनी पशु मुक्त जिलेटिन टाइप का कैमिकल बना रही है जो खाने, दवाओं, कौस्मैटिक्स में इस्तेमाल हो सकता है. डा. निक ओजुनोव और डा. एलैक्स लोरेस्टानी मौलिक्यूलर बायोलौजिस्ट हैं और सिंथैटिक बायोलौजी पर काम करते हुए उन्होंने सोचा कि जैसा इंसुलिन के लिए हुआ कि सुअर के भगनाशय से निकली इंसुलिन की जगह कृत्रिम इंसुलिन बना लिया गया, वही काम जिलेटिन के लिए क्यों नहीं हो सकता.

यह भी पढ़ें- महिलाएं वर्जनाओं को तोड़ रही हैं: स्मृति मंधाना

पशु मुक्त जिलेटिन जैलजेन जिस का नाम लैलटोर है अब जिलेटिन के उत्पादन को पशु मुक्त बनाने में लग गई है. ये लोग बिना पशु मारे सैल्स से बैक्टीरिया को मल्टीप्लाई कर के जिलेटिन बना रहे हैं. वैजिटेरियन उत्पादों की दुनियाभर में मांग बढ़ रही है और उस के पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही, पर्यावरण संतुलन भी है.

पशुओं से बनने वाला मीट, स्किन, दूसरे कैमिकल प्रकृति पर भारी पड़ते हैं. पशु बेहद पानी, जगह, कैमिकल, दवाएं इस्तेमाल करते हैं और अब ये मार दिए जाते हैं. मारने के बाद बचे कूड़े के निबटान में भी बड़ी समस्याएं हैं और गरीब देशों में इस कूड़े को ऐसे ही ढेरों में फेंक दिया जाता है जहां से बदबू और बीमारियां फैलती हैं. अमेरिका के कैलिफोर्निया में स्थित यह कंपनी पर्यावरण संरक्षण में बड़ा सहयोग दे रही है.

अग्निपरीक्षा

भाग-1

स्मिता आज बहुत उदास थी. उस की पड़ोसिन कम्मो ने आज फिर उसे टोका था, ‘‘स्मिता, यह जो राज बाबू तुम्हारे घर रोजरोज आते हैं और तुम्हारे पास बैठ कर रात के 12-1 बजे घर जाते हैं, पड़ोस में इस बात की बहुत चर्चा हो रही है. कल रात सामने वाले वालियाजी इन से पूछ रहे थे, ‘यह स्मिता के घर रोज रात को जो आदमी आता है, उस का स्मिता से क्या रिश्ता है? अकेली औरत के पास वह 2-3 घंटे क्यों आ कर बैठता है? स्मिता उसे अपने घर रात में क्यों आने देती है? क्या उसे इतनी भी समझ नहीं कि पति की गैरहाजिरी में अकेले मर्द के साथ रात के 12 बजे तक बैठना गलत है.’ ’’

कम्मो के मुंह से यह सब सुन कर स्मिता का चेहरा उतर गया था. उफ, यह पासपड़ोस वाले, किसी के घर में कौन आताजाता है, सारी खोजखबर रखते हैं. उन्हें क्या मतलब अगर कोई उस के घर में आता भी है तो. क्या ये पासपड़ोस वाले उस का अकेलापन बांट सकते हैं? वे क्या जानें कि बिना एक मर्द के एक अकेली औरत कैसे अपने दिन और रात काटती है? फिर राज क्या उस के लिए पराया है? एक वक्त था जब राज के बिना जिंदगी काटना उस के लिए कल्पना हुआ करती थी और यह सब सोचतेसोचते स्मिता कब बीते दिनों की भूलभुलैया में उतर आई, उसे एहसास तक नहीं हुआ था.

यह भी पढ़ें- मां, पराई हुई देहरी तेरी

स्मिता की मां बचपन में ही चल बसी थी. उस के बड़े भाई उसे पिता के पास से अपने घर ले आए थे. तब वह 7 साल की थी और तभी से वह भाईभाभी के घर रह कर पली थी. भैयाभाभी के 2 बच्चे थे और वे अपने दोनों बच्चों को बहुत लाड़दुलार करते थे. उन के मुंह से निकली हर बात पूरी करते लेकिन स्मिता की हमेशा उपेक्षा करते. भाभी स्मिता के साथ दुर्व्यवहार तो नहीं करतीं, लेकिन कोई बहुत अच्छा व्यवहार भी नहीं करतीं. उन को यह एहसास न था कि स्मिता एक बिन मां की बच्ची है. इसलिए उसे भी लाड़प्यार की जरूरत है.

भाई भी स्मिता का कोई खास खयाल न रखते. भाई के बेटाबेटी स्मिता की ही उम्र के थे. अकसर कोई विवाद उठने पर भाईभाभी स्मिता की अवमानना कर अपने बच्चों का पक्ष ले बैठते. इस तरह निरंतर उपेक्षा और अवमानना भरा व्यवहार पा कर स्मिता बहुत अंतर्मुखी बन गई थी तथा उस में भावनात्मक असुरक्षा घर कर गई थी.

राज भाभी का भाई था जो अकसर बहन के घर आया करता. उसे शुरू से सांवलीसलोनी, अपनेआप में सिमटी, सकुचाई स्मिता बहुत अच्छी लगती थी और वह जितने दिन बहन के घर रहता, स्मिता के इर्दगिर्द बना रहता. उस की स्मिता से खूब पटती तथा अकसर वे दुनिया जहान की बातें किया करते.

स्मिता को जब भी कोई परेशानी होती वह राज के पास भागीभागी जाती और राज उसे उस की परेशानी का हल बताता. वक्त बीतने के साथ स्मिता व राज की मासूम दोस्ती प्यार में बदल गई थी तथा वे कब एकदूसरे को शिद्दत से चाहने लगे थे, वे खुद जान न पाए थे.

लगभग 3 साल तक तो उन के प्यार की खबर स्मिता के भैयाभाभी को नहीं लग पाई और वे गुपचुप प्यार की पेंग बढ़ाते रहे थे. अकसर वे अपने हसीन वैवाहिक जीवन की रूपरेखा बनाया करते. लेकिन न जाने कब और कैसे उन की गुपचुप मोहब्बत का खुलासा हो गया और भैयाभाभी ने राज के स्मिता से मिलने पर कड़ी पाबंदी लगा दी थी और स्मिता के लिए लड़का ढूंढ़ना शुरू कर दिया.

राज और स्मिता ने भैयाभाभी से लाख मिन्नतें कीं, उन की खुशामद की कि उन का साथ बहुत पुराना है, उन को एकदूसरे के साथ की आदत पड़ गई है और वे एकदूसरे के बिना जिंदगी काटने की कल्पना तक नहीं कर सकते, लेकिन इस का कोई अनुकूल असर भाई व भाभी पर नहीं पड़ा.

स्मिता की भाभी का परिवार शहर का जानामाना खानदानी रुतबे वाला अमीर परिवार था तथा भाभी सुरभि के मातापिता को राज के विवाह में अच्छे दानदहेज की उम्मीद थी. इसलिए उन्होंने सुरभि से साफ कह दिया था कि वे राज की शादी स्मिता से किसी हालत में नहीं करेंगे. इसलिए उन्हें स्मिता का विवाह जल्दी से जल्दी कोई सही लड़का ढूंढ़ कर कर देना चाहिए.

राज के मातापिता ने राज से साफ कह दिया था कि यदि उस ने स्मिता से अपनेआप शादी की तो वे उस को घर के कपड़े के पुराने व्यापार से बेदखल कर देंगे और उस से कोई संबंध भी नहीं रखेंगे. राज के परिवार की शहर के मुख्य बाजार में कपड़ों की 2 मशहूर दुकानें थीं. राज महज 12वीं पास युवक था और अगर वह मातापिता की इच्छा के विरुद्ध स्मिता से शादी करता तो कपड़ों की दुकान में हिस्सेदारी से बाहर हो जाता.

यह भी पढ़ें- सुगंध

इधर स्मिता के भैयाभाभी ने उस से साफ कह दिया था कि अगर उस ने अपनेआप शादी की तो वह न तो उस की शादी में एक फूटी कौड़ी लगाएंगे, न ही शादी में शामिल होंगे. इस तरह राज और स्मिता ने देखा था कि यदि वे घर वालों की इच्छा के विरुद्ध शादी कर लेते हैं तो उन का भविष्य अंधकारमय होगा.

स्मिता के पास भी कोई ऐसी शैक्षणिक योग्यता नहीं थी जिस के सहारे वह अपने परिवार का खर्च उठा पाती. अत: बहुत सोचसमझ कर वह दोनों अंत में इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि उन्हें अपने प्यार का गला घोंटना पड़ेगा तथा अपने रास्ते जुदा करने पड़ेंगे. उन के सामने बस, यही एक रास्ता था.

सुरभि स्मिता के लिए जोरशोर से लड़का ढूंढ़ने में लगी हुई थी. आखिरकार सुरभि की मेहनत रंग लाई. उसे स्मिता के लिए एक योग्य लड़का मिल गया था. लड़के का अपना स्वतंत्र जूट का व्यवसाय था तथा वह अच्छा कमा खा रहा था. लड़के का नाम भुवन था तथा उस ने पहली ही बार में स्मिता को देख कर पसंद कर लिया था. उन की शादी की तारीख 1 माह बाद ही निश्चित हुई थी.

शादी तय होने के बाद जब स्मिता राज से मिली तो उस के कंधों पर सिर रख कर फूटफूट कर रोई थी. उस ने राज से कहा था, ‘राज, 15 तारीख को तुम्हारी स्मिता पराई हो जाएगी. किसी गैर को मैं अपनेआप को कैसे सौंपूंगी? नहीं राज नहीं, मैं यह शादी हर्गिज नहीं करूंगी.’

राज ने स्मिता को समझाया था, ‘व्यावहारिक बनो स्मिता, यही जिंदगी की वास्तविकता है. क्या करें, हर किसी को अपनी मंजिल नहीं मिलती, यही सोच कर तसल्ली दो अपने मन को. मैं तुम्हें ताउम्र प्यार करता रहूंगा, कभी शादी नहीं करूंगा. तुम शांत मन से शादी करो, भुवन बहुत अच्छा लड़का है, अच्छा कमाता है, तुम्हें बहुत खुश रखेगा,’ यह कहते हुए डबडबाई आंखों से राज ने स्मिता का माथा चूमा था और चला गया था.

स्मिता की शादी की तैयारियां जोरशोर से चल रही थीं. सुरभि ने भाई से साफसाफ कह दिया था, ‘राज, मुझ से एक वादा करो, स्मिता की शादी तक तुम घर नहीं आओगे. स्मिता को अपने सामने देख तुम सामान्य नहीं रह पाओगे तथा बेकार में लोगों को बातें करने का मौका मिल जाएगा.’

‘दीदी, मेरे साथ इतना अन्याय मत करो,’ राज गिड़गिड़ाता हुआ बोला, ‘मैं कसम खाता हूं, शादी होने तक मैं किसी के सामने स्मिता से एक शब्द नहीं बोलूंगा. उस की शादी का काम कर के मुझे बहुत आत्मिक संतोष मिलेगा. प्लीज दीदी, तुम ने मुझ से सबकुछ तो छीन लिया, अब यह छोटा सा सुख तो मत छीनो.’

भाई की यह हालत देख सुरभि का मन पसीज उठा था. लेकिन वह भी परिस्थितियों के हाथों मजबूर थी. मुंह मोड़ कर भर आई आंखों को भाई से छिपाते हुए उस ने राज से कहा था, ‘ठीक है, तू शादी का काम संभाल ले, पर इस बात का ध्यान रखना कि स्मिता से कभी बोलेगा नहीं?’ और राज सिर हिलाते हुए वहां से चला गया था.

यह भी पढ़ें-मैं तो कुछ नहीं खाती

आखिरकार स्मिता और भुवन की शादी हो गई थी. विदाई के समय रोते हुए राज को सामने देख कर स्मिता अपनेआप पर काबू नहीं रख पाई और बेहोश हो गई. होश आने पर उसे ऐसा महसूस हुआ था जैसे उस की दुनिया उजड़ गई हो.

खैर, टूटा हुआ दिल ले कर स्मिता भुवन के साथ अपनी ससुराल आ गई थी. सुहागरात को उस ने टूटे मन से रोते हुए भुवन के सामने समर्पण किया था. उन क्षणों में उस के अंतर्मन का सारा संताप उस के चेहरे पर आ गया था, जिसे भुवन ने संकोच और घबराहट समझा था.

भुवन एक बहुत ही अच्छे स्वभाव का, सज्जन युवक था. उस ने स्मिता को अपना पूरा प्यार दिया था, उसे टूट कर चाहा था.

शुरू में राज के बिना स्मिता बहुत बेचैन और उदास रही थी. जबजब भुवन उसे छूता, वह छटपटा उठती. लेकिन धीरेधीरे भुवन के सरल सहज बेशुमार प्यार की छांव में स्मिता सहज होने लगी, तथा उस के मन में भुवन के लिए चाहत पैदा होने लगी. वक्त गुजरने के साथ वह धीरेधीरे राज को भूलने भी लगी थी. हां, जब भी वह भैयाभाभी के घर आती, तो पुराने घाव हरे हो जाते.

भुवन के साथ रोतेहंसते कब 2 साल बीत गए, पता तक न चला था. स्मिता राज को एक हद तक भूल चुकी थी तथा भुवन के साथ अपनी नई जिंदगी में कुछकुछ रमने लगी थी.

राज की शादी भी उस की जाति की एक धनाढ्य परिवार की सुशिक्षित सुंदर लड़की से हो गई थी. राज अपनी शादी का कार्ड देने स्मिता के घर आया था. राज की शादी में जाने के लिए भुवन ने उस से कहा तो वह सिरदर्द का बहाना बना कर शादी में नहीं गई. उस दिन राज सारे दिन उसे बहुत याद आता रहा था तथा वह राज के साथ बिताए पलों को दोबारा जेहन में जीती रही थी. बाद में उस ने भाभी से सुना था कि राज ने यह शादी बहुत मुश्किल से की थी. उस की मां ने बहुत मिन्नतों- खुशामदों के बाद उसे शादी के लिए राजी किया था.

इधर कुछ दिनों से स्मिता कुछ परेशान चल रही थी. उस की शादी हुए 2 वर्ष हो चुके थे लेकिन उस की गोद भरने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे थे. उस की परेशानी देख कर भुवन उसे डाक्टर के पास ले गया था. पूरी जांच करने के बाद डाक्टर ने उसे बताया कि आप की पत्नी में गर्भधारण की क्षमता सामान्य से कुछ कम है, लेकिन सही उपचार के बाद वह गर्भधारण कर सकती है.

डाक्टर की इस बात ने भुवन और स्मिता को हिला कर रख दिया था. उस दिन स्मिता फूटफूट कर रोई थी. रोतेरोते उस ने भुवन से कहा था, ‘भुवन, मैं बहुत बदनसीब हूं. विधाता ने बचपन में ही मेरी मां छीन ली. जिंदगी भर मैं मांबाप के प्यार से वंचित रही और अब मुझे बच्चे का सुख नहीं दिया?’

स्मिता की गर्भधारण क्षमता में कमी की बात सुन कर भुवन भी बहुत मायूस हो गया था. खैर, स्मिता का उपचार शुरू हो गया. स्मिता की शादी को 4 वर्ष पूरे होने को आए लेकिन उस को मातृत्व का सुख मिलने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे थे.

बच्चों की कमी से उबरने के लिए भुवन ने अपनेआप को पूरी तरह अपने व्यापार में डुबो दिया था. बढ़ते व्यापार की वजह से वह स्मिता को बहुत कम वक्त देने लगा था. उन दोनों के बीच धीरेधीरे शून्य पसरता जा रहा था. इधर व्यापार के सिलसिले में वह अकसर नेपाल जाया करता और 2-2 महीने में वहां से वापस घर आया करता.

यह भी पढ़ें- प्रकाश स्तंभ

उस दिन सुबह ही भुवन नेपाल चला गया तो स्मिता को समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे वह अपना वक्त काटे? शाम को यों ही वह भैयाभाभी से मिलने उन के घर चली गई थी. अचानक वहां राज भी आ गया. एक लंबे अर्से बाद राज और स्मिता में बातचीत हुई थी. लौटते वक्त राज ने स्मिता से कहा था, ‘चलो, गाड़ी से तुम्हें घर छोड़ देता हूं.’

सुरभि भाभी ने भी राज से कहा था, ‘हांहां, तू इसे गाड़ी से इस के घर छोड़ दे. अकेली कहां जाएगी.’

स्मिता राज के साथ उस की गाड़ी में बैठ गई थी. अपने घर उतरते वक्त उस ने औपचारिकतावश राज को घर पर कौफी पीने का आमंत्रण दिया था, जिसे राज ने स्वीकार कर लिया था और वह स्मिता के घर आ गया था.

एक मुद्दत बाद राज और स्मिता एकांत में मिले थे. स्मिता की समझ में नहीं आ रहा था कि राज के साथ बात कहां से शुरू की जाए. तभी मौन तोड़ते हुए राज ने स्मिता से कहा था, ‘स्मिता, सुना है आजकल भुवन लंबे वक्त के लिए नेपाल जाया करते हैं. इस बार कितने दिनों के लिए नेपाल गए हैं?’

‘इस बार भी 2 महीने के लिए वह नेपाल गए हैं,’ स्मिता ने जवाब दिया था.

‘तो तुम 2 महीने यहां अकेली रहोगी?’

‘रहना ही पड़ेगा और कोई चारा भी तो नहीं है.’

‘स्मिता, तुम खुश तो हो?’

जवाब में स्मिता की आंखों से आंसू टपक पड़े थे, जिन्हें देख कर राज छटपटा उठा था और स्मिता के आंसू पोंछते हुए उस ने उस से कहा था, ‘बताओ स्मिता, क्या बात है? मेरा दिल बैठा जा रहा है. मैं सबकुछ देख सकता हूं लेकिन तुम्हारी आंखों में आंसू नहीं देख सकता. बताओ स्मिता, बताओ…’

जवाब में स्मिता ने उसे अपने गर्भधारण में अक्षमता, इस की वजह से भुवन का अपने व्यापार में ज्यादा से ज्यादा समय देने तथा उसे अकेला छोड़ कर नेपाल में महीनों रहने की बात सुनाई, जिसे सुन कर राज का जी कसक उठा और उस ने अचानक उठ कर स्मिता को अपनी बांहों में समेट लिया और बोला, ‘स्मिता, तो तुम भुवन के साथ सुखी नहीं हो. मैं भी शोभा के साथ बिलकुल सुकून नहीं महसूस करता. मैं उसे अपने जीवन में वह जगह नहीं दे पा रहा हूं जो कभी तुम्हारे लिए सुरक्षित थी. स्मिता, मैं अभी तक तुम्हें पूरी तरह भूल नहीं पाया हूं. क्या तुम मुझे भूल पाई हो? बोलो स्मिता, जवाब दो?’

यह कह कर राज ने स्मिता को जोर से अपने आलिंगन में भींच लिया था. राज की बांहों में स्मिता कसमसा उठी थी और उस ने राज की बांहों के बंधन से अपने को मुक्त करने का प्रयास करते हुए कहा था, ‘राज, यह तुम क्या कर रहे हो? यह गलत है राज, मैं शादीशुदा हूं. तुम भी शादीशुदा हो. राज, प्लीज, तुम चले जाओ यहां से.’ लेकिन राज ने स्मिता को अपनी बांहों के घेरे से मुक्त नहीं किया, उसे चूमता ही चला गया. भावुकता के उन क्षणों में स्मिता भी कमजोर पड़ गई थी. उस रात वे सारे बंधन तोड़ बैठे थे तथा कमजोरी के उन क्षणों में उस रात वह हो गया था जो नहीं होना चाहिए था. उस रात राज करीब 1 बजे अपने घर लौटा था.

राज के जाने के बाद स्मिता आत्मग्लानि से भर उठी थी. वह सोच रही थी, छि:छि:, वह यह क्या कर बैठी? उस ने भुवन जैसे सीधेसच्चे पति से विश्वासघात किया, नहींनहीं, अब वह दोबारा राज का मुंह तक नहीं देखेगी. उस प्रण ने उस के दिमाग को थोड़ा सुकून दिया था.

लेकिन अगले ही दिन रात को राज फिर उस के घर आया था. राज के आते ही स्मिता ने उस से कहा था, ‘राज, तुम अभी इसी वक्त अपने घर वापस चले जाओ. कल रात जो कुछ हुआ वह बहुत गलत था. हमें वापस अपनी गलती नहीं दोहरानी चाहिए.’

यह भी पढ़ें- वो जलता है मुझ से

Met Gala 2019: प्रिंसेस लुक में नजर आईं दीपिका पादुकोण, फोटोज हुईं वायरल…

बौलीवुड दीवा दीपिका पादुकोण आए दिन सुर्खियों में बनी रहती हैं. कभी अपनी शादी तो कभी अपनी फिल्मों को लेकर. लेकिन हाल ही में वो ‘मेट गाला 2019’ के फंक्शन में अपने बार्बी डौल के लुक को लेकर सोशल मीडिया पर छा गईं. आइए आपको दिखाते हैं दीपिका के बार्बी डौल लुक की कुछ खास तस्वीरें…

बार्बी डौल जैसी पिंक ड्रैस में दीपिका का कहर

 

View this post on Instagram

 

Deepika padukone tonight for the met gala ? ديبيكا الليلة لحفل الميت غالا ? #metgala #deepikapadukone

A post shared by chaimaa® (@deepikapadukone1986) on


बार्बी डौल बनीं दीपिका ने इस ड्रेस के साथ बोल्ड मेकअप किया हुआ था. इस लुक में दीपिका किसी परी से कम नहीं लग रही थीं.

रेड कार्पेट पर दीपिका ने दिखाया कमाल

 

View this post on Instagram

 

Uffffff ? #deepikapadukone #metgala

A post shared by chaimaa® (@deepikapadukone1986) on

दीपिका को रेड कारपेट पर जिसने भी देखा बस देखता ही रह गया. सोशल मीडिया पर छाई फोटोज में दीपिका का यह एक्सपेरीमेंट उन पर काफी जंच रहा है.

रेड कारपेट पर जम कर पोज देती नजर आईं दीपिका

‘मेट गाला 2019’ फंक्शन के रेड कारपेट पर इंटरनेशनल मीडिया के सामने दीपिका जम कर पोज देती नजर आईं. दीपिका ने अपने खूबसूरत आउटफिट की फोटोज इंस्टाग्राम पर शेयर की. जिसके बाद सोशल मीडिया पर दीपिका की फोटोज वायरल हो गई. इस दौरान दीपिका का कातिलाना अंदाज लोगों को खूब पसंद आया.

 

View this post on Instagram

 

Amazing #deepikapadukone for #metgala

A post shared by Viral Bhayani (@viralbhayani) on

दीपिका नें सोशल मीडिया पर शेयर की फोटोज, फैंस बनें दीवाने

 

View this post on Instagram

 

اميرااات ديزني ✨?❤? #deepikapadukone #metgala

A post shared by chaimaa® (@deepikapadukone1986) on

बता दें, फिलहाल दीपिका, मेघना गुलजार की फिल्म ‘छपाक’ में बिजी चल रही हैं. फिल्म छपाक में दीपिका लक्ष्मी अग्रवाल की कहानी को बड़े पर्दे पर उतारेंगी जो कि एक एसिड अटैक सर्वाइवर हैं.

Mother’s Day 2019: मां तूने मुझे अच्छा इंसान बनाया……

मां के कोख से लेकर मां के आंचल में आने तक

मैंने बस इस दुनिया के बारे सुना था मां से

वह बोलती थी- कि ये दुनिया बहुत सुंदर है

यहां हर कोई एक दूसरे के लिये खड़ा रहता है

खुशी हो या या हो गम सब एक दूसरे का सहारा बनते हैं

यहां सब एक दूसरे की बहुत इज्जत करते हैं

बड़ों का आदर छोटों को प्यार, इस सुंदर दुनिया के ये हैं संस्कार

चौरासी लाख योनि के बाद इंसान का जीवन मिलता है

इस लिये “बेटा” तुझे इस जीवन में सर्वश्रेष्ठ बनकर दिखाना है

यही सोच, मुझे आगे बढ़ते चले जाना है मां तेरे दूध का कर्ज मुझे चुकाना है.

आगे बढ़ते चला तो देखा इस सुंदर दुनिया में तो बस पैसों का बोल बाला है.

यह देख मेरा मन दुखी और सोच का मारा है.

जहां पैसो के लिये औरतों का खेल, एक ठिकाना है.

जहां ना गरीबों के लिये एक वक्त का खाना, ना तन को ढ़कने के लिये एक कतरा है.

जहां नन्हे मासूमो से भींक मंगवाना है एक पेशा. क्या यही इस सुंदर दुनिया का प्यार निराला है.

यहां तो भगवान भी पैसों के तराजू में बंटे है, जो जितने पैसे देता हे भगवान उतनी मनोकामना पूरी करते हैं.

जहां बेटों के लिये बेटी की हत्या समाज सुधार का नारा है

मां अब मैं तुझसे पूछता हूं ये कैसी दुनिया हे जहां पैसों का बोल बाला है.

जहां खुद का बेटा मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़, सुकून से सोता है.

क्या उस बेटे का दिल नहीं कचोटता की जिनकी वजह से वो ये जिंदगी जी रहा है

उनको ही खुद की जिंदगी से बाहार निकाल रहा है.

मां यहां ना रिश्तो में है कोई इज्जत, ना ही कोई वजूद.

बस है तो एक “मतलब”, जो हर रिश्तो को कर रहा है चूर-चूर.

मां क्या इंसान इतना खो सा गया है कि “आईना” देखना भूल गया है

क्योंकि तू ही तो कहती थी “बेटा आईना ही इंसान की सच्चाई बताता है”.

तूने तो कहां था सच्चाई की हमेशा जीत होती है,

पर मां यहां तो सच खामोशी में बंद और बुराई शोर मचाती है.

क्या यही है वो दुनिया जिसे तू सुंदर बताती थी?

आज जब मैं खुद एक पिता बनने जा रहा हूं, तब ये अच्छाई का मुखौटा खुद पर भी लगा रहा हूं.

क्योंकि हिम्मत नहीं है मुझमें की ये सब मैं अब अपने “अंश” को बताऊं.

कि बेटा आ मैं तुझे इस दुनिया से रूबरू कराऊं और इसकी हकीकत बताऊं.

“मां” आज तेरी इज्जत मेरे दिल में और बढ़ गई है.

मां जिस सच्चाई को तूने मुझ से छुपाया है,  उसी के कारण मुझे तूने एक अच्छा इंसान बनाया है.

यदि तू भी मुझे नन्ही सी उम्र में यह सब बताती तो शायद मैं भी एक अच्छा इंसान ना बन पाता.

क्योंकि कच्ची उम्र में में अच्छाई और बुराई के अंतर को मैं समझ न पाता.

और दुनिया के आडंबरों में, मैं कही गुम हो जाता.

अच्छाई का पाठ जो तूने मुझे पढ़ाया उसी के कारण में बुराई को दूर रख पाया.

इसलिए मैं एक अच्छा इंसान बन पाया…

इसलिए मैं एक अच्छा इंसान बन पाया…

ये भी पढ़ें-

मदर्स डे स्पेशल: मां के नाम अपने जज्बात

7 टिप्स: ऐसे हटाएं मेकअप

गालों पर लाली, होंठ गुलाबी, आंखों में काजल और चेहरे की रंगत दोगुना बढ़ा कर कितना अच्छा लगता है न. यह मेकअप है ही कमाल की चीज़,  दरअसल मेकअप किसी आर्ट से कम नहीं. किसी के चेहरे को एक नया आकार देना. उसको खूबसूरत बनाना मेकअप से ही तो संभव है. आज के समय में स्कूल गर्ल्स हों या कौलेज गर्ल्स, हाउस वाइफ़ हों या वर्किंग वुमेन सभी मेकअप की शौकीन हैं.

मेकअप करते वक़्त हम अच्छे से अच्छा ब्यूटी प्रौडक्ट का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं ताकि हमारी त्वचा पर उसका कोई नकारात्मक असर न हो पाएं. घंटों जिस मेकअप को हम अपने चेहरे पर लगाएं घूमते हैं. हम अक्सर उसको हटाना भूल जाते हैं. मेकअप चाहे कितने भी अच्छे ब्रांड का क्यों न हो लेकिन सोने से पहले उसे हटाना हमारे चेहरे के लिए बहुत जरूरी होता है. मेकअप न हटाने पर ये आपकी त्वचा के छिद्रों को बंद कर देता हैं, जिससे आपके चेहरे पर मुहांसे, झुर्रियां जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

5 स्किन टिप्स: गरमी में संतरे का छिलका आएगा बहुत काम

जिस तरह हम मेकअप करते वक्त खास ध्यान रखते हैं, उसी तरह मेकअप रिमूव करते वक़्त भी सही प्रौडक्ट का ध्यान रखना बहुत जरूरी है. कई महिलाएं जो मेकअप के लिए तो महंगे- महंगे ब्यूटी प्रौडक्ट का इस्तेमाल करती हैं. लेकिन बात जब मेकअप रिमूव करने की  बात आती है तो नौर्मल फेस वाश का ही इस्तेमाल कर लेती हैं. मेकअप हटाने के लिए सीधे  फेस वाश का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए,इससे मेकअप सही ढंग से रिमूव नहीं हो पाता है और स्किन भी खींची खींची नजर आती हैं.

मेकअप को हमेशा मेकअप रिमूवर से ही रिमूव करना चाहिए. अगर आपके पास मेकअप रिमूवर नहीं है या खत्म हो गया है तो आप घर पर ही मेकअप रिमूवर बना सकती हैं. इसके लिए आपको अतिरिक्त पैसे खर्च करने की भी जरूरत नहीं है. तो आइए बताते हैं.

8 टिप्स: गरमी के मौसम में बालों का यूं रखें ख्याल

नारियल का तेल

खाने से लेकर बालों को चमकदार बनाने वाला नारियल का तेल हमारे त्वचा के लिए भी  बहुत लाभदायक है. नारियल तेल में बहुत से पोषक तत्व और विटामिन पाए जाते हैं जो हमारे त्वचा के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होता है. नारियल का तेल मेकअप रिमूवर का भी काम करता है. दरअसल, मेकअप में ऐसे पदार्थ होते हैं जो त्वचा से चिपक जाते हैं और आसानी से नहीं छूटते हैं. ऐसे में आप नारियल के तेल से आसानी से मेकअप को रिमूव कर सकती हैं. मेकअप को रिमूव करने के लिए नारियल के तेल को पूरे चेहरे पर लगाएं और 5 मिनट बाद कौटन से क्लीन कर लें. इससे आपका मेकअप भी रिमूव हो जाएगा और स्किन भी हेल्दी रहेगी.

दूध

दूध पीना जितना हमारे सेहत के लिए फायदेमंद है उतना ही यह हमारे चेहरे के लिए भी फायदेमंद है. मेकअप हटाने के लिए आप दूध का भी इस्तेमाल कर सकती हैं. मेकअप हटाने के लिए मलाई वाले दूध का इस्तेमाल करें. पहले पूरे चेहरे पर दूध लगा लें और थोड़ी देर बाद कौटन से क्लीन कर लें. इससे आपका चेहरा क्लीन भी हो जाएगा और फ्रेश भी नजर आएगा.

शहद और बेकिंग सोडा

शहद और बेकिंग सोडा का मिश्रण किसी भी तरह के मेकअप को आसानी से रिमूव कर देता हैं.मेकअप को हटाने के लिए रुई लेंफिर उस पर शहद और एक चुटकी बेकिंग सोडा डाले. अब इससे पूरे चेहरे को क्लीन करे.

क्या आप भी मलाई जैसी मुलायम त्वचा चाहती हैं?

खीरा

सलाद में खाने वाला खीरा सौंदर्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. खीरे में विटामिन सी, के और बिटा-कैरोटीन जैसे पोषक तत्व मौजूद होते हैं जो हमारे बालों और त्वचा को स्वस्थ रखने में बहुत लाभकारी माने जाते हैं. खीरे को नैचुरल क्लिंजर और टोनर की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है,जो त्वचा को डीपक्लिन्ज़िंग और त्वचा को ताजगी का अहसास कराता है. मेकअप रिमूव करने के लिए भी खीरा बहुत फायदेमंद है. खीरे को मेकअप रिमूवर के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए खीरे का पेस्ट बनालें अब उसमे बादाम का तेल मिलाएं. अब इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर लगाएं और थोड़ी देर मसाज करके पानी से धो लें.

ऐलोवेरा और वैसलीन

एलोवेरा औषधीया गुणो से भरपूर पौधा है. एलोवेरा शरीर को स्वस्थ और चेहरे का सौंदर्य बरकारार रखने के लिए बहुत लाभदायक हैं.

वैसलीन त्वचा को रूखेपन से बचाता है और साथ ही त्वचा को माश्चराइज भी करता हैं.इस पेट्रोलियम जैली में किसी भी प्रकार का  हानिकारक कैमिकल नहीं होता. एलोवेरा और वैसलीन के मिश्रण से आप आसानी से मेकअप रिमूव कर सकती हैं. मेकअप रिमूव करने के लिए एलोवेरा और वैसलीन का मिश्रण बना लें. इस मिश्रण में वैसलीन की मात्रा ज्यादा रखें. अब इस मिश्रण को पूरे चेहरे पर लगालें और कॉटन के मदद से मेकअप क्लीन कर लें.

4 होममेड टिप्स: आसानी से ऐसे छुड़ाएं नेल पौलिश

मेकअप टिप्स (बौक्स के लिए)

  1. अगर आप मार्केट में बिकने वाला मेकअप रिमूवर का इस्तेमाल करती है तो हमेशा बिना अल्कोहल वाले मेकअप रिमूवर का ही इस्तेमाल करें. इससे त्वचा को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता औरचेहरे का ग्लो भी बरकरार रहता है.
  2. मेकअप लगा कर कभी नहीं सोना चाहिए. मेकअप लगाकर सोने से त्वचा के रोमछिद्र बंद रहते हैं और त्वचा को औक्सीजन नहीं मिल पाता. इस वजह से त्वचा पर छोटे-छोटे गड्ढे या स्पॉट्स बन जाते हैं,जिससे चेहरा भद्दा नजर आने लगता है.
  3. कभी भी मेकअप को रगड़कर न छुटाएं क्योंकि इससे त्वचा खुरदुरी हो जाती है और चेहरा खराब दिखने लगता है.
  4. मेकअप हटाने के बाद मौइस्चराइजर लगाना न भूलें.

मेल अंडरगारमेंट का बढ़ता बाजार

हाल के कुछ साल में भारत में पुरूषों के अंडरगारमेंट मार्केट में तेजी के साथ बदलाव हुआ है. अब ट्रेडिशनल अंडरवियर की जगह ब्रांडेड अंडरवियर तेजी से लोगों की पसंद बनती जा रही हैं. इसके चलते दुनिया भर के मेल अंडरगारमेंट ब्रांड अब भारत में अपनी मार्केटिंग करने के साथ-साथ शोरूम भी खोल रहे हैं. वहीं कुछ भारतीय ब्रांड भी इस सेगमेंट में बड़े उत्पादक बनकर उभरे हैं. इसके चलते इनरवियर का मार्केट अब 30 हजार करोड़ रुपए के आंकड़े को पार कर गया है.

शर्ट पैंट अभी भी कुछ लोग दर्जी से सिलवा कर पहन रहे हो पर अंडरगारमेंट में होजरी के तैयार अंडरगारमेंट ही प्रयोग हो रहे है. इनमें भी साधारण अंडरगारमेंट की जगह पर ब्रांडेड अंडरगारमेंट का प्रयोग ज्यादा हो रहा है. इस कारण अब ज्यादा से ज्यादा बिजनेस मैन ब्रांडेड अंडरगारमेंट की तरफ आना चाहते है. पुरूषों की ड्रेस मैटेरियल के मुकाबले अंडरगारमेंट बिजनेस में ज्यादा मुनाफा होता है.

इन फैशन टिप्स को फौलो कर पाएं बौलीवुड एक्ट्रेस जैसा लुक

मेल अंडरगारमेंट बनाने वाली कंपनियां अब इसको ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए प्रचार-प्रसार पर खूब जोर दे रही हैं. बड़े से बड़े कलाकार खिलाड़ी और दूसरे सेलेब्रेटी से इसका प्रचार कराया जा रहा है. इसके क्रिएटिव प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया दोनो के लिए ही तैयार हो रहे है. यह काफी लोकप्रिय भी हो रहे है. पुरूषों द्वारा पहने जा रहे पैंट-शर्ट या जींस-टीशर्ट की तुलना करें तो पुरूषों के अंडरगारमेंट का प्रचार ज्यादा हो रहा है. इसकी वजह यह है कि पुरूषों के द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों में अंडरगारमेंट का बाजार ज्यादा बड़ा है. पुरूष ब्रांडेड पैंट-शर्ट या जींस-टीशर्ट भले ही नहीं पहने पर वह अंडरगारमेंट ब्रांडेड पहनने लगे है. पुरूषों में खुद से अंडरगारमेंट खरीदने का सलीका नहीं होता. इस कमी को देखते हुये कंपनियां ज्यादा से ज्यादा प्रचार के जरियए अपने अंडरगारमेंट को लोगों तक पहुंचाना चाहती है. जिससे अंडरगारमेंट खरीदते समय केवल उनके ही प्रोडक्ट्स का नाम याद रहे.

भारत मे फेमस ब्रांड:

भारत में देश और विदेश के तमाम ऐसे ब्रांड है जो पसंद किये जाते है. पुरूष अपने अंडरगारमेंट केवल ब्रांड के प्रचार को देखकर ही खरीदते है. इस वजह से अंडरगारमेंट के प्रचार में पुरूषो के खास पौरूष को भी इंगित किया जाता है. जो केवल पुरूष ही नहीं महिलाओं पर भी असर डालता है. पुरूषों के अंडरगारमेंट इस कदर लोकप्रिय हो रहे है कि कुछ ब्रांड तो शहर-शहर अपने स्टोर खोल रहे है जहां उनके ही ब्रांड मिलते है. ‘रूपा’ भारत के सबसे पुराने मेन्स अंडरवियर ब्रांड में से एक है. बहुत से बौलीवुड स्टार भी इसके प्रचार कर चुके हैं. इसके बाद ‘अमूल’ भी बड़ा ब्रांड है. ‘क्रोमोजोम’भारतीय पुरुषों और खासकर यंग लोगों के बीच बेहद फेमस ब्रांड है. इसके प्रोडक्ट कई स्टाइल, रेंज और कलर में मौजूद हैं. ‘जौकी’इंडियन मिडिल क्लास के बीच सबसे पौपुलर ब्रांड है. ‘मार्क्स एंड स्पेंसर’भारत में मशहूर एक और इंटरनेशनल ब्रांड है. देश के ज्यादातर बड़े शहरों में इस कंपनी के अपने स्टोर खुले है. ‘यूनाइटेड कलर्स औफ बेनटेन’बेहद खास प्रिंट होने के चलते दुनिया भर में फेमस ब्रांड है. कंपनी हर साल प्रोडक्ट नई रेंज के साथ लौन्च करती है.

4 टिप्स: लड़कियां ऐसे चुने परफेक्ट इनरवियर

‘नौटिका’ मूल तौर पर बीच वियर ब्रांड बनाती है. लेकिन अंडरवियर मार्केट में भी मौजूद है. भारत के बड़े शहरों में इनके स्टोर मौजूद हैं. ‘टौमी हिलफिगर’इंटरनेशनल ब्रांड के लगभग हर

शहर में अपने स्टोर हैं. यह मूल तौर पर गारमेंट बिजनेस में सक्रिय है.‘एंपोरिया अर्मानी’ गारमेंट इंडस्ट्री का मशहूर इंटरनेशनल ब्रांड है. उच्च वर्ग के प्रीमियम सेगमेंट में इस ब्रांड को बेहद पसंद किया जाता है. ‘कैल्विन क्लेन’भारत में मौजूद एक और इंटरनेशनल ब्रांड है. ज्यादातर प्रीमियम सेगमेंट में ही इसकी मार्केटिंग होती है. ‘हैंस’ दुनिया भर में बेहद फेसम अंडरगारमेंट ब्रांड है. भारत में भी अब इसे काफी पंसद किया जाता है.

समझदारी से करे अंडरगारमेंट की खरीददारी:

ज्यादातर पुरुषों को नहीं मालूम कि जो अंडरवियर उन्होंने पहनी है. वो उनके माफिक है भी या नहीं. आमतौर पर पुरूष दुकानों पर जाते हैं और जिस अंडरगारमेंट को देखा होता है खरीद लेते हैं. अंडरगारमेंट खरीदने में जल्दबाजी ना करे समझदारी से काम ले. रिसर्च कहता है कि पुरुष अंडरगारमेंट्स खरीदते हुए ज्यादा वक्त नहीं लगाते. न ही फिटिंग्स पर खास ध्यान देते हैं. पुरुष

आमतौर पर ब्रांड, मौडल,साइज वगैरह के अलावा शायद ही सोचते हों कि इन्हें कब अंडरगारमेंट बदल देना चाहिए. अगर ऐसा नहीं करेंगे तो सीधा असर हेल्थ पर भी पड़ सकता है. सही साइज की अंडरवियर पहनने का सीधा असर पुरुषों की सेक्सुअल हेल्थ पर पड़ता है. ये इनफर्टिलिटी को घटाने की वजहों में मददगार साबित होता है. लिहाजा इस पर ध्यान देने की जरुरत है.

4 समर फैशन टिप्स: वाइट के साथ बदलें 

300 भारतीय पुरुषों पर एक सर्वे किया गया. जिसमें पाया गया कि 75 फीसदी पुरुष अंडरवियर को सिर्फ जरूरत के लिए खरीदते हैं. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि मार्केट में नया या ट्रेंडी क्या है. फ्रांस में हुए एक रिसर्च में बताया गया है कि 90 के दशक के बाद पूरी दुनिया में स्पर्म काउंट मतलब प्रति मिलीलीटर वीर्य में शुक्राणुओं की संख्या व इनकी गुणवत्ता में बड़ी गिरावट आई है. इसका एक कारण अंडरवियर को भी माना गया है. रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि रात के समय में अंडरवियर ना पहनने से इस समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है.

हेल्थ पर असर डालते हैं खराब अंडरगारमेंट…

शोध में यह भी पाया गया कि 1985 से 2005 के बीच के समय में पुरुषों के स्पर्म काउंट में 30 प्रतिशत तक की कमी आई है. शोध के मुताबिक आज के समय में स्वस्थ्य शुक्राणु भी आसानी से नहीं मिल पा रहे हैं. कसावट वाली अंडरवियर पहनने वालों पर इसका अधिक दुष्प्रभाव हुआ है. फ्रांस के पुरुषों के स्पर्म काउंट में एक तिहाई तक गिरावट देखी गयी. इसके पीछे खराब खान-पान,डाइटिंग और टाइट फिटिंग के कपड़े पहनने आदि कारणों को मुख्य वजह बताया है. उनके मुताबिक खासतौर पर टाइट अंडरवियर पहनने से वीर्य पर असर पड़ता है. अधिक तापमान शुक्राणुओं की संख्या व गुणवत्ता के लिए नुकसादायक साबित हो सकते हैं. संभवतः इसी वजह से हाल ही में पुरुषों को शुक्राणुओं की संख्या या एकाग्रता में कमी के डर से

अंडरवियर पहनने से बचने की सलाह दी जाती है. अधिक तापमान शुक्राणुओं की संख्या व गुणवत्ता के लिए नुकसादायक साबित हो सकते हैं. इसी वजह से हाल ही में पुरुषों को शुक्राणुओं की संख्या या एकाग्रता में कमी के डर से टाइट अंडरवियर पहनने से बचने की सलाह दी गई. अगर अच्छे किस्म के अंडरवियर न पहने जाये तो खुजली,एलर्जी और इन्फेक्शन की संभावना बढ जाती है. घर से निकलने पर आपको अंडरवियर पहनना चाहिये. इससे पसीना सूखता रहता है और एक अतिरिक्त सुरक्षा परत भी बनी रहती है.

सोते समय ना पहने अंडरगारमेंट…

अंडरवियर ना पहनने का सही समय रात का समय होता है. रात को सोने से पहले शावर लेना और फिर बिना अंडरवियर के अपने स्लीपिंग सूट में सोना सुखद अहसास देता है. इससे काफी आरामदायक महसूस होता है और विशेष अंगों का वेंटिलेशन बना रहता है. रात को अंडरवियर ना पहन कर सोने से एक और फायदा ये है कि आपकी सेक्स लाइफ को फायदा होता है. जननांगो की स्वच्छता बेहतर स्वास्थ्य के लिए सबसे जरूरी चीज होती है. जो लोग सिंथेटिक अंडरवियर पहनते हैं. उनके लिये ये नुकसानदायक हो सकता है. क्योंकि सिन्थेटिक अंडरवियर जल्दी सूखती नहीं है. जिससे पसीने की वजह से वहां यीस्ट इंफेक्शन, गीलेपन की वजह से खुजली होना तथा बदबू आने को जोखिम हमेशा बना रहता है. सिन्थेटिक अंडरवियर से तापमान भी अधिक रहता है जो स्पर्म काउंट और उसकी गुणवत्ता के लिये अच्छी बात नहीं है. सोते समय अंडरगारमेंट का प्रयोग ना करे. खुजली,त्वचा इंफेक्शन और कभी कभी नमी से इंफेक्शन का खतरा बढ जाता है. पसीने से बैक्टीरिया पनपने का खतरा रहता है. अक्सर ही मौसम गर्म रहने पर आपके शरीर से हर जगह पसीना निकलता है. शरीर के अन्य हिस्सों को जहां प्राकृतिक तौर पर सूखने का मौका खुले रहने के कारण मिलता है. आपके अंडरगारमेंट वाला शरीर का यह खास हिस्सा बैक्टेरिया का घर बना रहता है. ऐसे में बैक्टीरिया से होने वाले इंफेक्शन का भी खतरा बना ही रहता है. रात में अंडरगारमेंट्स न पहनने पर इस समस्या से बचा जा सकता हैं.

समर ब्राइडल ड्रैस का नया ट्रैंड

महिलाएं वर्जनाओं को तोड़ रही हैं: स्मृति मंधाना

स्मृति मंधाना भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ओर से खेलने वाली क्रिकेटर हैं. वह आईटीसी के प्रमुख पर्सनल केयर ब्रांड विवेल की ब्रांड अंबेस्टर है. भारत की सब से युवा क्रिकेटरों में से एक होने के नाते 22 वर्षीया मंधाना ने इस खेल में अब तक कई सारे रिकौर्ड और उपलब्धियां अपने नाम किए हैं.

मंधाना को पहली सफलता तब मिली जब वह अक्टूबर 2013 में एकदिवसीय मैच में डबल शतक हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं. गुजरात के खिलाफ महाराष्ट्र के लिए खेलते हुए उन्होंने वडोदरा में अल्मबिक क्रिकेट ग्राउंड पर वेस्ट जोन अंडर 19 टूर्नामेंट में 150 गेंदों पर नाबाद 224 रन बनाए.

अपने कैरियर की कुछ महत्वपूर्ण उपलब्धियों में से एक उपलब्धि उन्होंने जून 2018 में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड  (बीसीसीआई ) की ओर से सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर होने के तौर पर हासिल किया . इस के अलावा दिसंबर 2018 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद( आईसीसी ) ने उन्हें सर्वश्रेष्ठ महिला क्रिकेटर के लिए रेचेल हेयोइ-फ्लिंट अवार्ड से सम्मानित किया है. इस के साथ मंधाना ने आईसीसी की सर्वश्रेष्ठ महिला वनडे खिलाड़ी का खिताब भी जीता है.

प्रकृति के नियमों पर कैसे चढ़ा धार्मिक रंग

अपनी रैंकिंग में सुधार जारी रखते हुए स्मृति भारत की तीसरी ऐसी क्रिकेटर है जिन्होंने विश्व टी-20 मैचों में 1000 रन बना लिए हैं. स्मृति ने जब गुवाहाटी में इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी -20 मैच का नेतृत्व किया था तो वह भारत की सब से युवा टी -20 कप्तान बन गई.

इस मुकाम तक पहुंचने के लिए आप को किनकिन संघर्षों से जूझना पड़ाआप की सफलता का राज क्या है ?

जब आप अच्छा प्रदर्शन नहीं करते लेकिन सिर्फ महिला होने के नाते इस खेल में लगातार अपनी जगह बनाए हुए हैं तो आप को उस की कीमत चुकानी पड़ सकती है. एक ओर तो मेरे समकक्ष पुरुष खिलाड़ियों से उन के खेल या प्रदर्शन के बारे में सवाल किए जाते हैं. जब कि मुझ से सिर्फ महिला होने से जुड़े घिसे-पिटे सवाल ही किए जाते हैं. ऐसे में मुझे बड़ी निराशा होती है. मेरी सफलता का राज मुझे मिल रहा सहयोग है जिस कारण मैं सामाजिक दायरे की स्थिति से ऊपर उठ पाई हूं. इस से मुझे स्वतंत्र हो कर विकल्प चुनने में मदद मिली और बिना किसी समझौते के अपने सपनों को साकार करने में जुटी हूँ.

क्रिकेट को हमेशा लड़कों का खेल माना जाता है. इसमें आप की दिलचस्पी में कैसे जगी?

यह उस समय की बात है जब मैं सिर्फ 6 साल की थी. मेरे पिता और भाई क्रिकेट खेलते थे. मैं भाई की प्रैक्टिस में सहायता करती थी. उसी दौरान धीरे-धीरे मेरी दिलचस्पी भी इस खेल में बढ़ने लगी.

ताकि प्राकृतिक संतुलन बना रहे

महिला होने के नाते क्या आप को आगे बढ़ने में कभी असुरक्षा की भावना भी महसूस होती है?

नहीं. मेरे साथ ऐसा कभी नहीं हुआ. मेरा पक्का विश्वास है कि यदि कोई महिला अपने पूरे मनोयोग से जुट जाए तो उसे अपने सपनों को हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता. एक खिलाड़ी होने के नाते असुरक्षा की भावना तब होती है जब अपने कैरियर के दौरान हम बुरे दौर से गुजर रहे होते हैं. लेकिन असुरक्षा की इस भावना का महिला या पुरुष के लिंग से कोई लेनादेना नहीं होता.

आईटीसी विवेल के साथ अपने जुड़ाव के बारे में बताएं. क्रिकेट का एक उभरता सितारा होने के नाते आप ब्रांड के अब समझौता नहीं‘  के प्रस्ताव को कैसे साकार हो करती है?

मैं खुश हूं कि मैं ऐसे परिवार से आती हूं जहां लड़के और लड़की में भेदभाव नहीं किया जाता है. मुझे अपनी पूरी जिंदगी चुनने की आजादी थी और इस के लिए मेरे परिवार ने मुझे सहयोग किया. हालांकि जब आप बाहरी दुनिया में निकलते हैं तो आप के लिए यह बहुत मुश्किल लगता है. महिलाओं को व्यवहार के तौरतरीकों के दायरे में बांध दिया जाता है और मैं इनमें से किसी में भी फिट नहीं बैठी हूं क्यों कि मैं ने एक ऐसे खेल को चुना जिसे अब तक जेंटलमैन का खेल कहा जाता था.

मुसीबत का दूसरा नाम सुलभ शौचालय

मैं एक ऐसे ब्रांड का हिस्सा बनने को ले कर उत्साहित हूँ जो घिसीपिटी और रूढ़िवादी मान्यताओं में यकीन नहीं करता. मैं एक ऐसी विवेल वीमेन का प्रतिनिधित्व करती हूँ जो पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने नारीत्व को स्वीकार करती है, अपने सपनों को पूरा करती है और सशक्त समाज के समर्थन में खड़ी होती है. मैं यह नहीं मानती कि महिला होने के कारण जुनून या शारीरिक क्षमता के लिए विकल्प सीमित हो जाते हैं. मुझे लगता है कि यह एक मानसिकता है जो आप को कुछ हद तक जीत या हार स्वीकार करने की शक्ति देती है और आप को अधिक से अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करती है.

अपनी फिटनेस के लिए आप क्या करती हैं? आप का डाइट प्लान क्या है ?

मैं टीम के न्यूट्रीशनिस्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करती हूं. मैं मांसाहारी नहीं हूं, इसलिए अपनी डाइट में प्रोटीन की खुराक का काफी ध्यान रखती हूं. लिहाजा मैं अपने भोजन में प्रोटीन शेक, अंडे और सोयाबीन का भरपूर इस्तेमाल करती हूं. मैच से पहले मैं फिट रहने के लिए आसान जिम सेशन का पालन करती हूँ लेकिन ऑफ सीजन के दौरान कड़ी मेहनत करनी होती है. मैं रोजाना दौड़ लगाती हूँ और ताजगी के लिए भरपूर स्नान करती हूं.

आप अपना आदर्श और प्रेरणा स्रोत किसे मानती है?

मैं अपने पिता और भाई को अपना पहला आदर्श मानती हूँ क्यों कि उन्हीं की बदौलत मैं ने क्रिकेट खेलना शुरू किया. जब मैं ने क्रिकेट देखना शुरू किया तो मुझे मैथ्यू हेडन बहुत अच्छे लगे. इस के बाद संगकारा के कलात्मक शॉट की प्रशंसक बानी. अब विराट का खेल देखना मुझे अच्छा लगता है. जिस तरीके से वे अपना खेल फिनिश करते हैं वह वाकई प्रेरणादाई होता है.

सैक्स संबंधों में उदासीनता क्यों?

आप खुद के लिए कितना समय निकालती हैं?

एक प्रोफेशनल क्रिकेटर होने के नाते मेरा खुद का समय क्रिकेट का क्रीज है जहां हम ज्यादातर समय बिताते हैं. दिनभर की प्रैक्टिस के कठिन दौर के बाद तरोताजा बने रहने का मूल मंत्र है, लंबे समय तक स्नान करते रहना. इस से मुझे भरपूर ताजगी मिलती है. उस समय में बिल्कुल आराम की मुद्रा में रहती हूं और अपने खेल के बारे में विश्लेषण करती हूं.

आप को प्रेरित करने वाली अंदरूनी शक्ति क्या है ?

जीवन के प्रति मेरा नजरिया और एक सूत्रवाक्य , समझौता नहीं.

महिलाओं पर लागू वर्जनाओं और प्रतिबंधों के सन्दर्भ में आप क्या कहेंगी 

आज कल किसी भी प्रोफेशन से जुड़ी महिलाएं वर्जनाओं को तोड़ रही है. यह कठिन सफर रहा है लेकिन यह देखना रोचक है कि कई पुरुष भी उन के समर्थन में इस ग्लाससीलिंग को तोड़ने के लिए आगे आ रहे हैं.

आप की नजर में आत्मविश्वास क्या है?

आत्मविश्वास बड़े सपने देखने की इच्छा शक्ति और सपने को पूरा करने के प्रति समर्पण भाव है.

खतरे में है व्यक्तिगत स्वतंत्रता

edited by rosy

मदर्स डे स्पेशल: मां के नाम अपने जज्बात

मेरी प्यारी मां,

मैं ससुराल में खुश तो हूं, पर तुम्हारी कमी सी महसूस होती है. लेकिन ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरी भाभी, मेरी मां का इतना ख्याल रखे, इतना प्यार दे, कि उन्हें कभी भी मेरी कमी महसूस न हो.

तुम्हारी समझाइश के अनुसार मैं तुम्हारी याद में रोती तो नहीं, पर हां !आंखों में कुछ नमी सी है. तुम्हारा हर दर्द अब महसूस होता है जब खुद एक मां बन गई हूं. जब-जब सभी को गर्म खाना खिलाकर, खुद ठंडा खाने को बैठती हूं, तब पहला निवाला तुम्हें खिलाने को जी करता है.

याद आता है थक जाने पर वो तेरा,  मेरे पैरों को दबाना, और आज जब दूर हूं  तो मेरा, तुम्हारे पैरों को दबाने को जी करता है. जब स्कूल से आती थी, झट से कहती थी आ.. बदल ले आके कपड़े, फिर भी मैं फिरती थी तुमसे अकड़े-अकड़े.

आज मां तुम्हें, अपनी बाहों के गर्म शौल पहनाने को जी करता है. मां मुझे सब याद है, मेरे भीगे बालों को अपने पल्लू से सुखाना, रातों को थपथपाकर वो तेरा, मुझको सुलाना. आज खुद लोरी गाकर, तुम्हें सुलाने को जी करता है.

आंखें कमजोर हो गई थी तुम्हारी, चूल्हे  पर रोटी बनाते-बनाते, आज तुम्हारी कमजोर आंखों से गिरते हुए हर इक आंसू को पलकों पर उठाने को जी करता है. मेरे जन्म के लिए मन्नते मांगने वाली मां ! आज तुम्हारी खुशियों के लिए मेरा भी, एक मन्नत उठाने को जी करता है. मुझे अकेली पालकर, सभी कुछ तो हार दिया मुझ पर, आज अपना सब कुछ हारकर अपनी मां को जिताने को जी करता है. मुझ पर अपना सब कुछ लुटाने वाली मां ! तुझ पर अपना अस्तित्व लुटाने को जी करता है.

देख! आज तेरे आंचल का अमृत पीकर,
सीमा का अस्तित्व कहां खड़ा है.
सच! मां तेरा दर्ज़ा उस ईश्वर से भी बड़ा है।।

तुम्हारे प्यारभरे पत्र के इंतज़ार में

तुम्हारी लाडो
सिम्मी।

लेखिका (सीमा शिवहरे “सुमन“), भोपाल

पारसी एक्टर्स को लेकर करण की नई स्टूडेंट ने किया ये खुलासा…

आखिर पारसी मूल के कलाकार हिंदी सिनेमा से दूरी क्यो बनाकर रखते हैं? इस तरह के कई सवाल जब हमने ‘‘धर्मा प्रोडक्शन’’ की पहली फीमेल पारसी एक्ट्रेस तारा सुतारिया के सामने रखा, तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से इसके लिए पारसियों की परवरिश को ही जिम्मेदार ठहराया. तारा नृत्य व औपेरा संगीत जगत में अपनी एक अलग पहचान राने वाली पारसी मूल की कलाकार हैं.

हाल ही में मुंबई के पांच सितारा होटल में फिल्म ‘‘स्टूडेंट औफ द ईअर 2’’ के सिलसिले में बातचीत करने के लिए तारा सुतारिया से हमारी मुलाकात हुई, तो हमने उनके सामने पारसी मूल के कलाकारों को लेकर कई सवाल रखे, जिसका तारा सुतारिया ने एक्सलूसिव जवाब हमें दिए.

हमने तारा सुतारिया से पूछा-‘‘आप खुद पारसी हैं और पारसी थिएटर की एक बहुत पुरानी परंपरा रही है.पारसी थिएटर लोगों को बहुत पसंद भी आता रहा है. इसके बावजूद इन दिनों पारसी थिएटर लप्त होता जा रहा है. इसकी वजहें क्या हैं और क्या आपने पारसी थिएटर पर कुछ काम किया है? इस पर तारा सुतायिर ने कहा-‘‘मैंने पारसी नाटक देखे जरूर हैं. दक्षिण मुंबई में तो पारसी थिएटर का अपना गढ़ रहा है. लोग पारसी थिएटर को बहुत पसंद भी करते थे.दो साल पहले मैंने एनसीपीए में ही दो पारसी नाटक देखे थे.पर धीरे धीरे पारसी थिएटर की परंपरा लुप्त हो रही है. मैं और मेरी मां अक्सर यह सोचते हैं कि जब हम पारसी लोग थिएटर में इतना अग्रणी थे,तो फिर अब डूब क्यों रहे हैं? अभी तक तो मुझे इसका जवाब नहीं मिला कि पारसी थिएटर लुप्त क्यों हो रहा है.’’

जानें इंटीमेट सीन को लेकर क्या बोलीं टीवी की लाडली ‘बेटी’

खुलासा: इस मामले में टाइगर की बराबरी नही कर सकतीं अनन्या पांडे

जब हमने तारा सुतारिया से कहा ‘‘बौलीवुड से पारसी कलाकार बहुत कम जुड़ते हैं?’ तो तारा सुतारिया ने कहा- ‘‘आपने एकदम सही कहा. मैं और मेरी मम्मी अक्सर इस विषय पर बात करते हैं कि बॉलीवुड में पारसी कलाकार न के बराबर क्यों हैं? मैंने अपने परिवार को और अपने पारसी दोस्तों को नजदीक से देखा है, उससे मुझे जो बात समझ आयी वह यह है कि हम पारसी वेस्टर्न की तरफ ज्यादा आकर्षित हैं. हम वेस्टर्न नाइज तरीके से रहते हैं और अंगे्रजी में ही बात करना पसंद करते हैं, जबकि बौलीवुड के लिए हिंदी भाषा का ज्ञान होना जरूरी है. शायद यही वजह है कि बौलीवुड में पारसी कम हैं, पर मुझे उम्मीद है कि मैं इसे बदल कर रहूंगी. मैं बौलीवुड में सफलता के झंडे गाडूंगी, क्योंकि मुझे हिंदी बहुत पसंद है.’’

अपनी बात को जारी रखते हुए तारा सुतारिया ने आगे कहा-‘‘दूसरी वजह यह है कि पारसी बच्चे जिस माहौल में परवरिश पाते हैं,उसका भी उन पर असर होता है.इसलिए वह बौलीवुड की बजाय वेस्टर्न चीजों की तरफ ज्यादा आकर्षित होते हैं.पर मैं चाहती हूं कि दूसरे पारसी भी बौलीवुड से जुडे़ं.’’

 क्या बिग बौस की हौट कंटेस्टेंट ने की गुपचुप सगाई? फैंस ने पूछा सवाल 

बता दें, बौलीवुड में पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ का निमार्णकर पारसी फिल्मकार आरदेशीर ईरानी ने एक नए इतिहास का सूत्रपात किया था. उसके बाद पारसी मूल के जेबीएच और होमी वाडिया ने भी कई फिल्में बनायी. फिर पारसी मूल के ही सोहराब मोदी ने कई फिल्मों का निर्माण व उनमें अभिनय किया.

1931 से 2019 के बीच बौलीवुड फिल्मो में अभिनय करने वाले पारसी मूल के कलाकारों में डेजी ईरानी, हनी ईरानी, अरूणा इरानी, नरगिस राबाडी उर्फ शम्मी,परसिस खंबाटा, दिनयार काट्रेक्टर,शेरनाज पटेल, पेरीजाद जोराबियन, शेरनाज टायरवाला, कुरूश डेबू, बोमन ईरानी, फ्रेडी दारूवाला, जिम सर्भ, अमारा दस्तूर जैसे चंद कलाकारों ने ही अभिनय किया है. इनमें से अरूणा ईरानी,बोमन ईरानी,शम्मी जैसे कुछ पारसी मूल के कलाकारों के ही नाम आम लोगों की जुबान पर हैं.

edited by rosy

5 स्किन टिप्स: गरमी में संतरे का छिलका आएगा बहुत काम

अक्सर हम संतरा खाकर उसका छिलका डस्टबिन में फेंक देते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि संतरा जितना सेहत के लिए हेल्पफुल है संतरे का छिलका उतना ही स्किन के लिए फायदेमंद होता है. इसमें मौजूद एंटी-औक्सीडेंट गुण स्किन और बाल दोनों को निखारने का काम करता है. संतरे के छिलके को आप धूप में सूखाकर पाउडर बनाकर फेस के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. आज हम आपको संतरे के छिलके के उन फायदों के बारे में बताएंगे, जिससे आप संतरे के छिलके को अपनी स्किन पर लगाने के लिए मजबूर हो जाएंगें. तो जानते हैं इसके फायदे…

1. टैनिंग दूर करने के लिए करें इस्तेमाल

tanning

संतरे के छिलके के पाउडर को हनी के साथ मिलाकर लगाने से टैनिंग दूर हो जाती है और चेहरे पर निखार आता है.

2. स्किन के छोटे सेल्स को खोलने में मददगार

beauty

संतरे के छिलके के पाउडर में कुछ मात्रा दही की मिलाकर इसे फेस पर लगाने से छोटे सेल्स खुल जाते हैं और साथ ही ब्लैक हेड्स भी साफ हो जाते हैं.

3. कील मुंहासों की प्रौब्लम्स के लिए है इफैक्टिव

संतरे के छिलके का पाउडर स्किन पर मौजूद सारी गंदगी को साफ कर देता है. इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा गुलाब जल की मिलाकर लगाने से कील-मुंहासों की प्रौब्लम को दूर करने में फायदा होता है.

4. दाग-धब्बे दूर करने में है मददगार

dark-spots

संतरे के छिलके में रंगत साफ करने में मददगार होता है. जिसके चलते किसी भी प्रकार के दाग-धब्बे को दूर करने में ये बहुत ही कारगर होता है

5. बालों के लिए भी फायदेमंद

tips for hairfall

संतरे का छिलका न केवल स्किन के लिए फायदेमंद है बल्क‍ि बालों के लिए भी किसी मैडिसिन से कम नहीं है. ये रूसी दूर करने में बहुत ही कारगर है. साथ ही अगर आपके बाल बहुत ज्यादा गिर रहे हैं और अपनी चमक खो चुके हैं तो भी संतरे का छिलका इस्तेमाल किया जा सकता है.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें