गरमियों में ट्राई करें लैमन मिंट आइस टी

अक्सर लोग गरमियों में भी चाय पीना पसंद करते हैं, लेकिन किसी ने यह नही कहा है कि चाय गर्म ही पीयें. आज हम आपको ठंडी चाय यानी लैमन मिंट आइस्ड टी की रेसिपी के बारे में बताएंगें, जिससे आप गरमी में भी टेस्टी चाय का मजा ले सकेंगें..

हमें चाहिए…

1 नीबू

थोड़ी सी पुदीनापत्ती

5-6 छोटे चम्मच चीनी

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1/4 छोटा चम्मच चायपत्ती

11/2 गिलास पानी.

बनाने का तरीका

-एक सौसपेन में पानी व चीनी डाल कर आंच पर पकने दें. जब पानी में उबाल आ जाए तो चायपत्ती व पुदीनापत्ती डाल कर 2-3 मिनट और पकने दें.

-फिर आंच बंद कर थोड़ी देर के लिए ढक कर रख दें. अब इस पानी को छान कर इस में नीबू रस मिलाएं.

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थोड़ा पानी अलग निकाल कर ठंडा करें और बाकी पानी को आइस ट्रे में भर कर आइस बना लें.

कांच के गिलास में पहले तैयार आइस, फिर नीबू स्लाइस और ठंडा लैमन मिंट टी पानी डाल कर सर्व करें.

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आप हम ब्रैंड: क्योंकि हीरा है सदा के लिए…

‘‘एक हीरा चाहे आप की अंगूठी में ही क्यों न लगा हो, आप के संबंधों और उसके गहरेपन की हमेशा  याद दिलाता रहता है…’’

सचिन जैन, (मैनेजिंग डायरैक्टर, फौरऐवरमार्क)

र‘हीरा है सदा के लिए’ टैग लाइन के साथ पिछले कुछ सालों से ‘फौरऐवरमार्क’के मैनेजिंग डायरैक्टर सचिन जैन सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी टीम के साथ मिल कर कंपनी को नई दिशा दी है, जहां वे रिस्पौंसिबिलिटी, सिलैक्टिविटी और ब्यूटी इन 3 वादों के साथ काम करते हैं. उन के हिसाब से हीरा सब से पुराना लग्जरी आइटम है,जिस की अहमियत आज भी वैसी ही है,क्योंकि यह 2 लोगों के बीच प्यार को बनाए रखने का जरिया है. कैसे वे आगे बढ़ रहे हैं, आइए जानते हैं उन्हीं से:

कंपनी का मैनेजिंग डायरैक्टर बनने के बाद क्याक्या बदलाव आप ने किए हैं?

मैं ने ज्यादा बदलाव नहीं किया,क्योंकि यहां काम करने वाले कर्मचारी कंपनी को अपना समझ कर काम करते हैं. मुझे खुशी इस बात की है कि मुझे एक अच्छी टीम काम करने के लिए मिली है. सब की एप्रोच एक तरह की है. इस से कंपनी को आगे ले जाने में आसानी हो रही है. यह स्टार्टअप कंपनी 130 साल पुरानी है. इस में ‘फौरऐवरमार्क’ एक नया ब्रैंड है.

डायमंड व्यवसाय के क्षेत्र में क्याक्या चुनौतियां हैं?

यहां बहुत सारी चुनौतियां होती हैं. इस में फायदा बस यह है कि हर परिवार का एक ज्वैलर हमारे देश में होता है. हर त्योहार या अवसर पर गहने अवश्य खरीदे जाते हैं, क्योंकि यह हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है जबकि चीन में ज्वैलरी लग्जरी के लिए खरीदी जाती है. नुकसान यह है कि डायमंड को हम सोने की तरह नहीं खरीदते,क्योंकि यह महंगा होता है. असल में हर हीरा यूनिक होता है, लेकिन इस में पारदर्शिता की कमी ही इस क्षेत्र की असल चुनौती है, क्योंकि जब लोग हीरा खरीदने जाते हैं तो कई बार धोखे के शिकार हो जाते हैं. पैसे की सही वैल्यू नहीं मिलती. इसलिए इस को फौरऐवरमार्क गुणवत्ता देने की कोशिश कर रही है.

हमारे यहां किसी भी हीरे की गुणवत्ता को सही पैमाने पर आंका जाता है. हर डायमंड पर एक नंबर होता है, जिस में उस की गुणवत्ता की पहचान होती है,जिसे आप नंगी आंखों से देख नहीं सकते. इसे खास यंत्र के द्वारा देखा जाता है. यह ग्राहक को पूरी गारंटी देता है कि जो कहा जा रहा है उतनी गुणवत्ता उस उत्पाद में है.

किस तरह के हीरे को खरीदना सब से अधिक फायदेमंद होता है?

‘फौरऐवरमार्क’ ने हीरे की विश्वसनीयता को लोगों तक पहुंचाया है. डायमंड बिजनैस हमारे देश में सब से तेजी से ग्रो करने वाली इंडस्ट्री है. मेरी कंपनी ने इस साल 50% ग्रो किया है. इसे और भी आगे ले जाने की कोशिशें की जा रही हैं. आज करीब 250 दुकानों में रिटेल करते हैं. देश के छोटे और बड़े शहरों के 52 बाजारों में सेल करते हैं. मेरा मानना है कि आज के ग्राहक छोटे शहर में होने पर भी उन का ऐक्सपोजर बड़े शहरों के जैसा ही होता है, क्योंकि सोशल मीडिया, पत्रिकाओं आदि ने इस काम में काफी मदद की है. इन माध्यमों से लोगों को जानकारी मिलती हैं.

‘हीरा है सदा के लिए’ जो बात कही जाती है इस के अनुसार सब से तरुण हीरा 100 करोड़ साल पहले माइन किया गया था. हीरे को अगर प्रकृति के अनुसार प्रयोग किया जाए तो वह अगले कई सालों तक भी वैसा ही रहेगा. लेकिन कैमिकल ट्रीटमैंट की वजह से आजकल हीरा अपना प्राकृतिक रूप खो देता है. इसलिए बेहतर होगा कि ग्राहक को नैचुरल हीरा उस के सर्टिफिकेशन के साथ  लेना चाहिए. सस्ता है सुन कर कभी भी हीरा न खरीदें. कट, क्लियर, क्लैरिटी, कलर इन 4 सिद्धांतों पर हीरे की पहचान की जाती है और इस के अनुसार इस की वैल्यू आंकी जाती है. इन सभी के अलावा ‘फौरऐवरमार्क’ करीब 30 टैस्ट और करती है. इस से हीरे की ग्रेडिंग परफैक्ट हो जाती है. पूरे संसार में केवल 1% डायमंड ऐसे हैं, जो‘फौरऐवरमार्क’ के लिए क्वालीफाई करते हैं.

हर घर तक हीरे को पहुंचाने की प्लानिंग कैसे होती है? इस में आई किसी कमी का समाधान कैसे करते हैं?

हीरे की ग्रोथ हमारे देश में काफी है, क्योंकि आज की महिलाओं की लाइफस्टाइल 20 साल पहले की महिलाओं से अलग है. वे घर चलाने के अलावा बाहर भी काम कर रही हैं. ऐसे में हैवी ज्वैलरी को दैनिक जीवन में प्रयोग नहीं कर सकतीं. इसलिए सिंपल व सोबर ज्वैलरी जो सभी प्रकार की पोशाकों से मेल खाती हो, उसे पहनना या खरीदना पसंद करती हैं. इस में हीरा सब से अच्छी भूमिका निभा रहा है, क्योंकि एक हीरा जोकि चाहे आप की अंगूठी में ही क्यों न लगा हो, आप के संबंधों और उस के गहरेपन की हमेशा याद दिलाता रहता है. कमी को पूरा करने के लिए काफी शोध किए जाते हैं. डायमंड ऐक्विजिशन स्टडीज हर 5 से 6 साल में की जाती है. इस में करीब 50 हजार कंज्यूमर्स की स्टडी, 5 हजार दुकानें और 50 शहर शामिल होते हैं. सभी शहरों की स्टडी के साथसाथ ग्राहकों के बीच प्रचलित ट्रैंड्स का भी पता लग जाता है.

इतना ही नहीं, हम हर प्रकार के रिटेलर के साथ काम करते हैं और उस की लोकप्रियता भी पता करते हैं. पूरा व्यवसाय 3 खंभों पर टिका हुआ है- ‘फौरएवरमार्क ब्रैंड’, मैन्युफैक्चरर और रिटेलर. ये सारे मिल कर एक विश्वसनीय और उम्दा डायमंड ग्राहकों तक पहुंचाते हैं. हमारे साथ काम करने वाले वही लोग हैं जो हमारी विश्वसनीयता पर खरे उतरते हैं और ग्राहकों को धोखा नहीं देते. इस के लिए हम खुद औडिट कर मैन्युफैक्चरर और रिटेलर के साथ जुड़ते हैं. नए प्रोडक्ट के लिए हमारा वितरण सिस्टम बहुत अच्छा है. इसे 250 दुकानों में भेजा जाता है. टीवी, प्रिंट और डिजिटल पर विज्ञापन देते हैं, इवेंट्स करते हैं. इस से सभी जानकारी ग्राहकों को मिलती रहती है. इस के अलावा रिटेलर्स और मैन्युफैक्चरर की कई काउंसिल हैं, जिन के बहुत सारे सदस्य दूरदराज क्षेत्रों में हैं.

हीरा एक महंगा उत्पाद है. छोटे शहरों और कस्बों में इस के प्रति जागरूकता कितनी है?

बड़े और छोटे शहरों के बीच में कोई अंतर अब नहीं है. छोटे शहर के लोगों के पास समय बड़े शहर के लोगों की तुलना में अधिक है. इसलिए वे औनलाइन सर्च करते हैं और पूरी जानकारी प्राप्त कर ही उस में पैसा लगाते हैं. आज हर ग्राहक जानकार है और आप उसे बेवकूफ नहीं बना सकते.

आप के उत्पाद की यूएसपी क्या है?

हमारे उत्पाद के 3 प्रौमिसेस है, रिस्पौंसिबिलिटी, सिलेक्टिविटी जो दुर्लभ और सुंदर है और ब्यूटी. इन 3 बातों की सौ प्रतिशत गारंटी ‘फौरएवरमार्क’ देता है.

क्या फौरएवरमार्कहीरे की औनलाइन शौपिंग की जा सकती है?

ओमनी चैनल्स एक कौसैंप्ट है, जिस में हीरे के बारे में खरीदफरोख्त की सारी जानकारी होती है. आज का युवा ग्राहक जब कुछ खरीदता है, तो वह 7 से 8 बार औनलाइन जा कर खोजबीन करता है. हीरे की औनलाइन खरीदारी बहुत कम होती है. भारत में लोग ज्वैलरी पहन कर उस के लुक को देख कर खरीदते हैं, क्योंकि यह एक पर्सनल प्रोडक्ट है.

आगे की योजना क्या है?

इसे और अधिक लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, जिस से कहीं भी और कभी भी आप को सही प्रोडक्ट मिले. अभी 5 लाख लोग इसे बेच रहे हैं. आने वाले समय में व्यवसाय बढ़ने वाला है, लेकिन रिटेलर्स कम होने वाले हैं. इस की वजह यह है कि कई लोग समय के हिसाब से बदल नहीं रहे हैं. आज का यूथ हीरे को लाइफस्टाइल के साथ जोड़ कर देख रहा है. इस में पारदर्शिता बहुत जरूरी है. हर ब्रैंडेड चीज यूथ को आकर्षित करती है.

समर वैडिंग सीजन के लिए इस बार कुछ खास है. आज की दुल्हन को सिंपल व सोबर गहने चाहिए,जिन्हें वह बाद में भी पहन सके. इसलिए इस बार समर कलैक्शन में मल्टीफंक्शन का एक कौंसैप्ट है,जिस में एक नैकलैस को उतार कर इयररिंग्स,ब्रैसलेट के रूप में पहना जा सकता है.

क्या यें तो नहीं आपके मां न बन पाने के कारण

खानपान, शिफ्ट वाली नौकरी और रहन-सहन में आए बदलाव के कारण जहां एक तरफ लाइफस्टाइल पहले से अधिक बढ़ गया है, वहीं दूसरी तरफ टैकनोलौजी से भी कई हेल्थ प्रौब्लम बढ़ गई हैं. अब बढ़ती उम्र के साथ होने वाले रोग युवावस्था में ही होने लगे हैं. इनमें एक कौमन प्रौब्लम है युवाओं में बढ़ती इन्फर्टिलिटी. दरअसल, युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या आधुनिक जीवनशैली में की जाने वाली कुछ आम गलतियों की वजह से बढ़ रही है.

1. खानपान की गलत आदतें

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इन्फर्टिलिटी के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार होती है खानपान की गलत आदतें. समय पर खाना नही, जंक व फास्ट फूड खाने के क्रेज का परिणाम है युवावस्था में इन्फर्टिलिटी की प्रौब्लम. फास्ट फूड और जंक फूड खाने में मौजूद पेस्टीसाइड से शरीर में हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिसके कारण इन्फर्टिलिटी हो सकती है. इसलिए अपने खानपान में बदलाव का पौष्टिक आहार का सेवन करें. हरी सब्जियां, ड्राई फ्रूट्स, बींस, दालें आदि ज्यादा से ज्यादा खाएं.

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2. टेंशन

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आधुनिक जीवनशैली में लगभग हर व्यक्ति टेंशन से ग्रस्त है. काम का दबाव, कंपीटिशन की भावना, ईएमआई का बोझ, लाइफस्टाइल मैंटेन करने के लिए फाइनैंशल बोझ आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं जो हम ने स्वयं अपने लिए तैयार की हैं. इन सभी के कारण ज्यादातर युवा टेंशन में रहते हैं और इन्फर्टिलिटी का शिकार हो रहे हैं. इससे बचने के लिए ऐसे काम करें कि आप टेंशन न हों. टेंशन के समय घर वालों और दोस्तों की मदद लें.

3. अधिक उम्र में विवाह

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आज तरक्की और सफलता की चाह में पुरुष और महिलाएं कम उम्र में विवाह नहीं करना चाहते. विवाह के बाद भी फाइनैंशियल सिक्युरिटी बनाते-बनाते बच्चे के बारे में सोचने में भी उन्हें समय लग जाता है. महिलाएं भी आजकल ज्यादा आत्मनिर्भर होने लगी हैं और वे कम उम्र में बच्चा नहीं चाहतीं. डाक्टर के अनुसार अधिक उम्र में विवाह होने से महिलाओं में ओवम की क्वालिटी प्रभावित होती है और इन्हीं कारणों से उन में इन्फर्टिलिटी की संभावना भी बढ़ जाती है.

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इसके अलावा गलत लाइफस्टाइल के कारण आजकल ज्यादातर महिलाओं में फाइब्रौयड्स बनना, ऐंडोमिट्रिओसिस से संबंधित समस्याएं भी होने लगी हैं. इस के अलावा हाइपरटैंशन जैसी बीमारी भी युवाओं में इन्फर्टिलिटी का कारण बन रही है.

4. एक्सरसाइज न करना

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काम के दबाव के कारण व्यायाम का समय निकालना युवाओं के लिए बहुत मुश्किल होता है. कौल सैंटर और मीडिया की नौकरी में तो समय की बाध्यता न होने के कारण काम का दबाव और प्रतियोगिता और भी बढ़ जाती है. युवाओं के लिए रीप्रोडक्शन से ज्यादा जरूरी हो गई है तरक्की और भौतिक ऐशोआराम के लिए पैसा. इसी कारण से जीवन का ज्यादा समय औफिस के कामों में बीतता है. अधिक समय तक काम करने के बाद औफिस से थक कर घर आने के बाद अधिकतर कपल्स में सैक्स की इच्छा में भी कमी हो जाती है. यदि काम के साथ ऐक्सरसाइज जारी रखते हैं तो इन्फर्टिलिटी से बचा जा सकता है.

5. नींद पूरी न होना

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नींद पूरी न कर पाने के कारण भी युवाओं में इन्फर्टिलिटी की समस्या बढ़ रही है. काम का बोझ और देर रात तक पार्टी करने के कारण युवकयुवतियां भरपूर नींद नहीं ले पाते हैं, जिस के कारण हारमोन में असंतुलन होता है और बांझपन की समस्या बढ़ती है. कई शोधों में भी यह बात सामने आ चुकी है कि नींद न पूरी होने के कारण हारमोन संतुलन बिगड़ जाता है और बांझपन की परेशानी हो सकती है. इसलिए नियमित रूप से कम से कम 7 से 9 घंटों की नींद लेनी चाहिए.

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6. वजन

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खानपान की गलत आदत और व्यस्त दिनचर्या में ऐक्सरसाइज के लिए समय न मिलने का परिणाम है मोटापा. डाक्टरों के अनुसार मोटापा इन्फर्टिलिटी समस्या की एक बड़ी वजह है. अधिक वजन महिला व पुरुष दोनों की फर्टिलिटी को प्रभावित करता रहता है. इस के अलावा जिन महिलाओं का वजन सामान्य से कम होता है उन में भी यह शिकायत हो सकती है. इसलिए यदि आप का वजन अधिक है तो इसे कम करने की कोशिश करें और अगर कम है तो उसे बढ़ाएं.

7. सिगरेट और शराब

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आजकल युवाओं में शराब, सिगरेट, कोकीन आदि का इस्तेमाल बेहद आम बात है. इन सभी नशीले पदार्थों की वजह से लड़के और लड़कियां दोनों की फर्टिलिटी प्रभावित होती है. इन के अधिक इस्तेमाल करने से सीमन की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है. एक तरफ जहां धूम्रपान करने से स्पर्म काउंट कम होता है, वहीं दूसरी तरफ शराब के सेवन से टेस्टोस्टेरौन हारमोन उत्पादन भी कम होता है. इस के अलावा दवाओं खासकर ऐंटीबायोटिक का इस्तेमाल अधिक करने के कारण भी बांझपन की समस्या बढ़ रही है.

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8. हेल्थ प्रौब्लम

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हाइपरटैंशन और हाई ब्लडप्रैशर जैसी समस्याएं जिन्हें बुजुर्गों की बीमारी माना जाता था, आज युवाओं में भी बहुत आम हो गई हैं और इन का प्रभाव उन की सैक्सुअल लाइफ पर भी पड़ रहा है. बचपन से ही कंप्यूटर और लैपटौप पर बैठना आम बात हो गई है. यह आदत भी इन्फर्टिलिटी की वजह बन रही है.

इन्फर्टिलिटी का उपचार असिस्टेड रीप्रोडक्टिव तकनीक यानी आईवीएफ के माध्यम से आप का मां बनने का सपना पूरा हो सकता है. मगर ऐसी स्थिति में डोनर की मदद लेनी पड़ती है. इसलिए हिदायत यह दी जाती है कि आप स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और इन्फर्टिलिटी की समस्या से बचें.

-डा. ज्योति बाली

इन्फर्टिलिटी स्पैशलिस्ट, मैडिकल डाइरैक्टर, बेबीसून, आईवीएफ सैंटर

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फिल्म रिव्यू: शोषित समुदाय के विरोध की कहानी ‘तर्पण’

फिल्म: तर्पण

निर्देशक: नीलम आर सिंह

कलाकार: नंद किशोर पंत, नीलम कुमारी, संजय कुमार, अरूण शेखर और अन्य

अवधि: दो घंटे, छह मिनट

रेटिंग: ढाई स्टार

डिजिटल युग में पहुंचने के बावजूद हमारे देश में लड़कियों और औरतों को वह सम्मान नहीं मिल पाया है, जिसकी वह हकदार हैं. इस मुद्दे को उठाने के लिए लेखक व निर्देशक नीलम आर सिंह ने शिवमूर्ति के उपन्यास ‘‘तर्पण’’ पर इसी नाम की फिल्म बना डाली, जिसमें जात-पात के भेदभाव और उसके लिए होते संघर्ष के बीच फंसी एक नारी की पीड़ा की मार्मिक दास्तान है.

कहानी

शिवमूर्ति के उपन्यास ‘तर्पण’ पर आधारित फिल्म ‘‘तर्पण’’ की कहानी युगों से भारत में चले आ रहे जातिगत संघर्ष और सामाजिक विसंगतियों की गाथा है. ग्रामीण परिवेश की यह कहानी उत्तर प्रदेश के एक गांव की है, जो कि दो टोलों में बंटा हुआ है. एक टोला ब्राम्हणों का यानी कि ऊंची जाति का है तो दूसरा टोला हरिजनों यानी नीच जाति का है.

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हरिजन टोला में रहने वाली रजपतिया (नीलम कुमारी) एक दिन घूमते-घूमते गन्ना चूसने के लिए गांव के रसूखदार ब्राम्हण धर्मदत्त उपाध्याय( राहुल चैहाण) के खेतों के अंदर चली जाती है, जहां धर्मदत्त के बेटे चंदर उपाध्याय (अभिषेक मदरेचा)उसका शारीरिक शोषण करने का प्रयास करता है. पर गांव की दो औरतों के आ जाने से वह रजपतिया को छोड़ देता है.

जब इस घटना की खबर भीम पार्टी के भाई जी (संजय कुमार) तक पहुंचती है, तो वह अपने स्वार्थ के चलते गांव पहुंचकर रजपतिया के पिता प्यारे (नंद किशोर पंत) को समझाकर पुलिस में रपट लिखाने के लिए कहते हैं. भीम पार्टी के नेता खुद साथ में पुलिस स्टेशन जाते हैं. फिर शुरू होता है जातिगत संघर्ष को उजागर करने वाला बदसूरत शीतयुद्ध.

निर्देशन…

फिल्म की निर्देशक नीलम आर सिंह ने इस फिल्म को डाक्यू ड्रामा और यथार्थवादी दृष्टिकोण के साथ बनाया है. कहीं कोई बेवजह का मेलो ड्रामा या छाती पीट-पीटकर रूदन नहीं है. पूर्वाग्रह से बचते हुए दो समुदायों के बीच संतुलन बनाए रखना एक फिल्मकार के लिए टेढ़ी खीर होती है, इसमें नीलम आर सिंह पूरी तरह से सफल रही हैं. फिल्म इस बात को उकेरने में सफल रहती है कि समाज में किस तरह राजनेता अपनी नेतागीरी को चमकाने के लिए दो जातियों व समुदायों के बीच संघर्ष कराते रहते हैं.

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फिल्म की कमियां…

जाति गत संघर्ष और स्वार्थी नेता द्वारा बदले की आग में विवश करने पर होने वाले जातिगत संघर्ष में फंसी हरिजन लड़की रजपतिया की पीड़ा बेहतर ढंग से उभरने की बजाय बहुत सतही रह जाती है. फिल्म भावनात्मक स्तर पर बहुत शुष्क है. यदि निर्देशक ने जातिगत विभाजन व राजनीति को समझकर आधुनिकता के साथ पेश किया होता तो यह एक बेहतरीन फिल्म बन सकती थी.एक पीड़ित लड़की का दर्द दर्शको के दिलों तक न पहुंचने के लिए लेखक व निर्देशक ही दोषी कहे जाएंगे.

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एक्टिंग…

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो अपराध बोध और भाग्य के बीच फंसे रजपतिया के पिता प्यारे के किरदार में नंद किशोर पंत ने अपने अभिनय से फिल्म में जान डाल दी है. लालच व सम्मान के बीच फंसकर पीड़ित होने वाली मासूम लड़की राजपतिया का दर्द दर्शकों तक ठीक से नही पहुंच पाता, इसमें नीलम कुमारी के अभिनय की कमी की बनिस्बत लेखक व निर्देशक की कमी उभर कर आती है. रजपतिया के चरित्र को ठीक से लिखा ही नहीं गया. उसकी पीड़ा/दर्द को उभारने वाले सीन्स की कमी है. नेता के किरदार में संजय कुमार भी प्रभावित करते हैं. पुरूषत्व और उंचीजाति के पोषक चंदर के किरदार में अभिषेक मंदरेचा जमे हैं. लेकिन धर्मदत्त के घर में नौकरानी के रूप में कार्यरत हरिजन टोला की महिला लवंगिया के किरदार में पद्मजा रौय हर किसी पर भारी पड़ जाती हैं.

Edited by- Nisha Rai

‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए उदयपुर पहुंचें इरफान खान, फैंस ने ऐसे किया स्वागत

विदेश से अपना इलाज कराकर वापस लौटे बौलीवुड एक्टर इरफान खान ने अपनी नई फिल्म ‘‘अंग्रेजी मीडियम’’ की शूटिंग राजस्थान के उदयपुर शहर में शुरू कर दी है. ये फिल्म साल 2017 में रिलीज हुई इरफान की सक्सेसफुल फिल्म हिंदी मीडियम का सीक्वल है. इस फिल्म में राधिका मदान और करीना कपूर खान के साथ इरफान खान एकदम नए अवतार में नजर आने वाले हैं.

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उदयपुर में हुआ स्वागत…

जब इरफान उदयपुर पहुंचें, तो उदयपुर शहर के स्थानीय लोगों और फिल्म की यूनिट के सदस्यों ने जिस गर्मजोशी से इरफान का स्वागत किया,उससे इरफान अभिभूत हो गए. हालांकि, एक बडे़ शहर की हलचल व कभी-कभी भारी भीड़ के साथ शूटिंग करना चुनौतीपूर्ण होता हैं. पर राजस्थान के इस राजसी शहर में शूटिंग करना कलाकारों और पूरी युनिट के लिए कमाल का अनुभव रहा है. शहर के लोग शूटिंग की समस्याओं को समझते हुए एक निश्चित दूरी बनाए रखते हैं.

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इरफान के प्रवक्ता कहते हैं-‘‘राजस्थान इरफान की मातृभूमि है.वह टोंक में पले-बढ़े हैं. अपने शुरूआती दिनों में काम के लिए राजस्थान के सभी शहरों की यात्रा कर चुके हैं. ऐसे में फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग के लिए राजस्थान वापस जाना इरफान के लिए हमेशा नौस्टेल्जिक रहा.

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उदयपुर के लोग इरफान के कैरियर की शुरूआत से ही हमेशा विनम्र रहे हैं. जब खबर आई कि इरफान उदयपुर में ‘अंग्रेजी मीडियम’ की शूटिंग कर रहें हैं, तो शूटिंग लोकेशन पर भारी संख्या में स्थानीय लोग इकट्ठा हो गए. जब फोटो खिंचवाने और कुछ वक्त साथ में बिताने की बात आती है, तो इरफान अपने किसी भी प्रशंसक को ना नहीं कह पाते हैं.

आखिर पूरे एक साल के अंतराल के बाद फिर से शूटिंग शुरू करना, वह भी ऐसी जगह पर जहां से उनकी बहुत सारी अच्छी यादें जुड़ी हो, यह तो इरफान के लिए भाग्य की ही बात है.’’

edited by- nisha rai

करीना का खुलासा: ‘सैफ को लगता है मैं तैमूर को बिगाड़ रही हूं’

करीना कपूर और सैफ अली खान के बेटे तैमूर आए दिन सुर्खियों में बने रहते हैं. चाहे वह उनके नाम को लेकर हो या उनकी क्यूट फोटोज…सोशल मीडिया पर भी तैमूर यानी टिम मियां की फोटोज और वीडियो छाई रहती हैं. लेकिन अब तैमूर का लाइम लाइट में रहना सैफीना कपल में परेशानी की वजह बन गया है.

 

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#currentmood ?❤❤❤ #taimurdiaries?

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सैफ और करीना भी इस बात को अच्छी तरह से समझते हैं, इसलिए वो भी मीडिया को तैमूर की तस्वीरें लेने से नहीं रोकते. वहीं, इसकी वजह से सैफ और करीना में काफी गंभीर चर्चा होती है. हाल ही में करीना कपूर खान ने जाने-माने फिल्म पत्रकार राजीव मसंद के शो पर तैमूर के बारे में बात करते हुए बताया कि उनके पति को लगता है कि वो बेटे को बिगाड़ रही हैं.

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करीना ने बताया है कि ‘सैफ को लगता है कि मैं तैमूर को बिगाड़ रही हूं. वो मुझे हमेशा कहते हैं कि मैं नहीं जानती हूं कि बच्चे को कैसे बड़ा करना है. वो मुझे हमेशा कहते रहते हैं कि ये मत करो… वो मत करो… लेकिन मुझे लगता है कि सैफ के पास मुझसे ज्यादा एक्सपीरियंस है और वो जानते हैं कि बच्चों को कैसे बड़ा करना है.’

बता दें तैमूर अली खान जब पैदा हुए थे और सैफ ने तैमूर के नाम का ऐलान किया था जिसकी वजह से सोशल मीडिया पर काफी हंगामा मचा था और सभी के चेहरे गंभीर नजर आ रहे थे, लेकिन तैमूर की मुस्कान का जादू है कि आज लोग सबकुछ भूल गए हैं और हर दिन उनकी नई-नई तस्वीरों का इंतजार करते हैं.

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‘पद्मश्री महेंद्र कपूर चौक’ बौलीवुड हस्तियों ने किया उद्घाटन

पौपुलर पार्श्वगायक पद्मश्री महेंद्र कपूर के सम्मान में हाल ही में टर्नर रोड, सेंट मार्टिन्स रोड, बांद्रा वेस्ट के जंक्शन पर बने ‘चौक’ का अनावरण बौलीवुड अभिनेता जितेन्द्र, सुरेश वाडकर, जौनी लीवर, उदित नारायण, दीपा नारायण, और मधुश्री के हाथों हुआ.

महेंद्र कपूर के बेटे रुहान महेंद्र कपूर, बहु नीरजा रूहान कपूर, और पोते सिद्धांत कपूर इस मौके पर मौजूद थे. महेंद्र कपूर के परिवार के सदस्य, शुभचिंतक और अन्य लोगों ने भी इस शुभ अवसर पे इक्ट्ठा होकर इस लम्हें को और भी यादगार बना दिया.

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स्वर्गीय महेंद्र कपूरजी की उन गिने-चुने गायकों में गीनती होती है जो हिंदी फिल्म संगीत स्वर्ण युग में हावी थे. जैसे मुकेश जो राज कपूर की आत्मा कहलाते थे, वैसे ही महेंद्र कपूर जो मनोज ‘भारत’ कुमार की आवाज़ थे, उन्होंने मनोज कुमार की फिल्मो के लिए देशभक्ती पे बने गाने गाये थे. जिसमे उपकार फिल्म से “मेरे देश की धरती” रोटी कपडा और मकान फिल्म से “और नहीं बस और नही शुमार है”.

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और अब कपूर परिवार की ये विरासत महेंद्र कपूर के बेटे रुहान महेंद्र कपूर और पोते सिद्धांत कपूर आगे बढा रहे है. दिवंगत महान पार्श्व गायक महेंद्र् कपूर के नाम को संगीत जगत और बिरादरी मे अपने योगदान से गौरवान्वित कर रहे है.

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घर पर बनाएं हेल्दी चुकंदर की चटनी

चुकंदर को सलाद में शौक से खाते हैं. लेकिन जब बात कुछ नया ट्राई करने की आती है तो हम घबराते हैं कहीं कुछ बेकार न हो जाए. आज हम आपको चुकंदर को एक नया रूप देने के बारे में बताएंगें. चटनी कई तरह की होती है, पर क्या आपने कभी चुकंदर की चटनी ट्राई की है. आइए जानते हैं इसे बनाने की रेसिपी…

इसे बनाने के लिए हमें चाहिए…

1 कसा हुआ चकुंदर   ,

1 टहनी कढ़ी पत्ता

2 हरी मिर्च

चुटकी भर हींग

1/2 टेबलस्पून तिल का तेल

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1 टेबलस्पून चना दाल

1 टेबलस्पून काली उरद दाल

1/3 कप कसा हुआ नारियल

1/2 कप पानी

स्वादानुसार नमक     ,

तड़के के लिए

1 टेबलस्पून तिल का तेल

1/2 टेबलस्पून राई

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1 स्प्रिंग कढ़ी पत्ता

1 पिंच हींग

बनाने का तरीका

-चकुंदर की चटनी बनाने के लिए सबसे पहले एक कढ़ाई में तेल गरम कर ले. अब इसमें चना दाल और काली उरद दाल डाले.

-20 सेकण्ड्स बाद इसमें हींग, कढ़ी पत्ता डालें और 10 सेकण्ड्स तक पकने दे. अब इसमें कसी हुई चकुंदर और हरी मिर्च डाले. 5 से 6 मिनट के लिए पकने दे. गैस बंद करें और इसमें नारियल डालें. अच्छी तरह से मिला ले.

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-ठंडा होने के बाद इसे मिक्सर ग्राइंडर में नमक और थोड़े पानी के साथ डालें. स्मूद पेस्ट में पीस लें और एक बाउल में निकाल ले.

-अब तड़के के लिए एक तड़का पैन में तेल गरम करें. इसमें राई डालें और 10 सेकण्ड्स तक पकने दे.

-अब इसमें कढ़ी पत्ता, हींग डालें और गैस बंद कर लें. इस तड़के को चटनी में डाले और मिला ले. चकुंदर की चटनी को किरई सांबर, चाउ-चाउ थोरन और चावल के साथ परोसें.

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जानें… क्यों है ग्रीन कौफी हेल्थ के लिए फायदेमंद

आजकल हर चीज में काफी वैराइटी आ गई हैं. रिफ्रेशिंग माने जाने वाली चाय-कौफी की बात करें तो पहले के मुकाबले इनमें भी अब कई वैराइटी आप को मिल जाएंगी, कभी स्वाद को ले कर तो कभी हेल्थ बेनिफिट्स के बेस पर. ग्रीन टी के हैल्दी बेनिफिट्स देखते हुए आज काफी लोग इसे पीने लगे हैं, लेकिन ग्रीन कौफी भी हेल्थ के लिए कम लाभकारी नहीं है. असल में ग्रीन कौफी सामान्य कौफी का एक नैचुरल रूप है.

यह ग्रीन कौफी के फायदे…

इसे बनाने में कौफी के नार्मल बीजों का ही प्रयोग किया जाता है. कौफी के बीजों को अगर भूना नहीं जाए तो वे बीज हरे रंग के ही बने रहते हैं. इन्हीं बीजों से ग्रीन कौफी तैयार की जाती है. कौफी सीड्स में एक खास तत्त्व क्लोरोजेनिक एसिड होता है, जो कौफी के बीज भूने जाने से खत्म हो जाता है. वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्रीन कौफी में यह तत्त्व बना रहता है और यह हेल्थ के लिए बहुत अच्छा होता है.

1. वजन कम करने में है मददगार

ग्रीन कौफी में मौजूद घटक के बौडी में होने से वेट लौस में मदद मिलती है. एंटीऔक्सिडेंट गुणों से भरपूर ग्रीन कौफी मेटोबोलिजम की प्रक्रिया को तेज करती है. इसलिए इसे पीने से वजन नहीं बढ़ता और साथ ही जमा हुआ फैट भी घटना शुरू होता है. उपापचय तेज रहने से एनर्जी का स्तर भी लगातार बना रहता है.

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2. ब्लड शुगर करें कंट्रोल

डायबिटीज के मरीजों के लिए ग्रीन कौफी को फायदेमंद माना जाता है. इसके नियमित सेवन से ब्लड शुगर लेवल नार्मल रहता है.

3. हार्ट के लिए फायदेमंद

ग्रीन कौफी में मौजूद क्लोरोजेनिक एसिड हार्ट के लिए बेनिफिशियल है. इसमें मौजूद एंटीऔक्सीडेंट्स रक्त नलिकाओं को फैलने में मदद करते हैं और इससे नेचुरल तरीके से ब्लडप्रेशर कम होता है. ब्लडप्रेशर कम होने पर हृदय की सेहत पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिसके कारण हृदय लंबे समय तक सेहतमंद बना रहता है.

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4. सिरदर्द में दे राहत

ग्रीन कौफी में मौजूद कैफीन सिर के दर्द को तेजी से कम करने के लिए बेहतर उपाय है.

5. कैंसर में कारगर

cancer

ग्रीन कौफी में उपस्थित तत्त्व शरीर में होने वाले चार तरह के कैंसर को रोकने में शरीर की मदद करता है. अत: अपनी दिनचर्या में इसके नियमित सेवन से कैंसर जैसी जान लेने वाली बीमारी से बच सकते हैं.

6. डिमेन्शिया से मिलेगी राहत

ग्रीन कौफी में मौजूद क्लोरोजनिक एसिड दिमागी सेहत के लिए बहुत प्रभावी है. यह संज्ञानात्मक क्रियाओं को बेहर करने के साथ-साथ मानसिक समस्याओं को भी ठीक करने में सहायक होता है. बढ़ती उम्र के साथ-साथ डिमेन्शिया या मतिभ्रम की स्थिति में इसका इस्तेमाल करना बहुत लाभदायक माना जाता है.

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7. बढ़ती उम्र छिपाए

बढ़ती उम्र के निशान हमारी त्वचा पर साफ नजर आने लगते हैं. ग्रीन कौफी में मौजूद एंटीऔक्सिडेंट इन सभी निशानों को कम करने में मदद करते हैं और स्किन को नया जीवन देते हैं. इसके नियमित सेवन से झाइयां, पतली लाइन्स, डार्क सर्कल्स आदि जल्दी ही दूर होने लगते हैं.

8. मूड बनाए बेहतर

ग्रीन कौफी का सीधा असर आपकी मनोदशा पर पड़ता है. यह हमारे दिमाग पर असर डालती है और हमारे मूड को बेहतर बनाती है. यह नींद या आलस को दूर कर हमें एक्टिव बनाए रखती है.

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वक्त बदल रहा है

पूर्व कथा

सुबह अखबार पढ़ कर लीना चौंक जाती है कि हरिनाक्षी ने जिला कलक्टर का पद ग्रहण कर लिया है. यह खबर पढ़ते हुए वह अतीत में खोने लगती है. दलित परिवार की हरिनाक्षी और उस के बीच कभी गहरी दोस्ती नहीं रही.

एक दिन हरिनाक्षी की सहेली अनुष्का का बलात्कार हो जाता है. प्रतिष्ठित व्यापारी का बिगड़ैल बेटा होने के कारण बलात्कारी सुबूतों के अभाव में जमानत पर छूट जाता  है. कालिज की राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ी होने के कारण अनुष्का लीना के पास मदद के लिए जाती है, लेकिन वह मना कर देती है. उधर, अनुष्का आत्महत्या कर लेती है.

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अपने उत्तराधिकारी के रूप में लीना के पिता उसे राजनीति में उतारते हैं और उस की शादी ऊंचे व्यापारिक घराने में कर देते हैं. उस का देवर ही अनुष्का का बलात्कारी था इसी वजह से लीना इस रिश्ते को स्वीकार करने में हिचकिचाती है. अंतत: शादी कर लेती है.

आज लीना एक लोकप्रिय राजनीतिक पार्टी की सचिव है. वह अपने राजनीतिक रुतबे का इस्तेमाल पति कमलनाथ के एक बहुत बड़े प्रोजेक्ट के लिए करती है. इस प्रोजेक्ट के लिए उसे हरिनाक्षी की मदद की जरूरत पड़ती है.

शहर के व्यस्ततम इलाके के एक पुराने मकान को कमलनाथ खाली करवाना चाहते हैं लेकिन मकान मालिक शिवचरण खाली नहीं करता क्योंकि इस मकान से उस की बेटी अनुष्का की यादें जुड़ी हैं. कमलनाथ पुलिस विभाग में अपने रौबदाब की वजह से मकान खाली करवाना चाहते हैं लेकिन शिवचरण अपनी फरियाद ले कर जिला कलक्टर हरिनाक्षी के पास जाते हैं तो वह शिवचरण को पहचान लेती है. अनुष्का के पिता होने के नाते वह उन की मदद करने का आश्वासन देती है. वह एस.पी. को बुला कर पुलिस अधिकारियों की बैठक बुलाती है और बैठक को संबोधित करने लगती है. अब आगे…

अंतिम भाग

गतांक से आगे…

हरिनाक्षी मीटिंग पूरी कर के चली गई. वह जानती थी कि उस की बात अब लीना, कमलनाथ और निर्मलनाथ के कानों तक जरूर पहुंचेगी और वे लोग भागेभागे उस के पास आएंगे और ऐसा हुआ भी.

शिवचरण के इलाके का थानेदार लीना के घर हाजिरी लगाने पहुंच गया.

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‘‘क्या उस बुड्ढे का मकान खाली हो गया?’’ लीना ने पूछा.

‘‘मैडम, मकान खाली कराना तो दूर की बात है अब तो आप पर मुकदमा दर्ज करना होगा,’’ थानेदार ने घिघियाते हुए कहा.

‘‘क्या बकते हो?’’ लीना बुरी तरह भड़क गई.

‘‘हां, मैडम. मैं मजबूर हूं. आज कलक्टर साहिबा ने सारे पुलिस वालों की मीटिंग बुलाई और साफ शब्दों में आदेश दिया कि किसी भी फरियादी को थाने से खाली हाथ लौटने न दिया जाए. लिहाजा, हमें भी शिवचरण की शिकायत पर काररवाई करनी होगी,’’ थानेदार की आवाज थोड़ी डरी हुई थी.

कमलनाथ का चेहरा उतर गया.

लीना भी परेशान हो गई.

‘‘डी.एस.पी. साहब ने कुछ नहीं कहा,’’ कमलनाथ की आवाज में बेचैनी झलक रही थी.

‘‘कहां साहब, मैडम के सामने सब की बोलती बंद थी,’’ थानेदार ने कहा.

‘‘अब क्या होगा?’’ कमलनाथ ने लीना की तरफ देखते हुए कहा.

‘‘होगा क्या. चलो, मिलने चलते हैं. अपनी सहेली से और आप की साली साहिबा से,’’ लीना ने माहौल को हलका करने की कोशिश करते हुए कहा.

‘‘भाभी, मैं भी चलूंगा,’’ निर्मलनाथ ने कहा.

‘‘हां, हां, क्यों नहीं,’’ लीना बोली.

दूसरे ही दिन लीना, कमलनाथ और निर्मलनाथ कलक्टर साहिबा के बंगले पर पहुंच गए. मुलाकाती कक्ष में कई महिलापुरुष बैठे हुए थे. कई लोग लीना को पहचानते भी थे और सब की आंखों में एक सवाल भी था कि लीना जैसी हस्ती भी मिलने के लिए मुलाकाती कक्ष में बैठने पर मजबूर है.

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लीना ने अपना कार्ड चपरासी को देते हुए कहा, ‘‘मैडम को दे दो.’’

चपरासी कार्ड ले कर अंदर चला गया और फिर तुरंत बाहर आ कर अपनी जगह खड़ा हो गया.

‘‘मैडम ने क्या कहा?’’ वह पूछे बगैर न रह सकी.

‘‘कुछ नहीं,’’ चपरासी ने टका सा जवाब दिया.

लीना ठंडी पड़ गई. लीना के साथसाथ कमलनाथ और निर्मलनाथ भी परेशान दिखाई दे रहे थे. उन्हें अपनी बारी का इंतजार करते हुए 2 घंटे हो गए.

‘‘चलिए, मैडम ने आप लोगों को अंदर बुलाया है,’’ चपरासी ने कहा तो तीनों के चेहरे पर थोड़ी राहत नजर आने लगी.

तीनों ने अंदर कमरे में प्रवेश किया.

लीना देख रही थी कि हरिनाक्षी आज भी सुंदर दिखाई दे रही है जैसा कालिज के जमाने में दिखाई देती थी. ऊंचे पद की गरिमा ने उस की आंखों की चमक और बढ़ा दी है.

‘‘आइए, बैठिए,’’ कुरसियों की तरफ इशारा करते हुए हरिनाक्षी ने कहा.

‘‘हरिनाक्षीजी, पहचाना आप ने? मैं लीना सिंह. हम सब सेंट जेवियर्स कालिज में साथ पढ़ते थे,’’ लीना ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘अरे, आप को कैसे नहीं पहचान सकती…आप मुझ से सीनियर थीं और मुझ जैसी नई छात्राओं की बहुत मदद करती थीं,’’ हरिनाक्षी ने हंसते हुए उत्तर दिया.

लीना समेत सब की जान में जान आई.

‘‘आप के ही सहयोग के चलते मैं आज यहां पर बैठी हूं. खैर, बताइए क्या काम है?’’ हरिनाक्षी ने चुभते हुए स्वर में कहा.

‘‘यह मेरे पति हैं, कमलनाथ और साथ में इन के छोेटे भाई निर्मलनाथ हैं.’’

‘‘मैं इन्हें खूब पहचानती हूं. मेरी स्मरण शक्ति इतनी खराब नहीं है. बात क्या है? इस गरीब को कैसे याद किया?’’ हरिनाक्षी मुसकराई.

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‘‘कुछ दिन हुए, एक मकान का सौदा किया था और मकान मालिक को इन्होंने मकान की आधी कीमत चुकाई थी. मगर आज इस बात को मकान मालिक मानने को तैयार ही नहीं हो रहा है. उलटे इन्हें गुंडों से धमकी दिलवा रहा है,’’ लीना और भी कुछ कहने जा रही थी मगर हरिनाक्षी ने बीच में ही कहना शुरू किया, ‘‘वह आदमी आप लोगों से कहीं ज्यादा पहुंच और पैसे वाला होगा. है न? गुंडे भी वरदी वाले होंगे. खादी हो या खाकी वरदी, क्या फर्क पड़ता है,’’ हरिनाक्षी ने कटाक्ष करते हुए कहा.

तीनों के चहेरों का रंग उड़ गया. उन्हें धरती घूमती नजर आने लगी.

‘‘बात यह है कि …’’ कमलनाथ ने कुछ कहने की कोशिश की.

‘‘सारे शहर को मालूम है कि शिवचरण की हैसियत में और आप लोगों की औकात में जमीनआसमान का अंतर है. फिर भी अगर आप को शिकायत दर्ज करानी है तो अपने निकट के थाने में उस के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज करवाइए. प्रशासन से मदद चाहिए तो एक आवेदन- पत्र दीजिए. ध्यान रहे कि दस्तावेज पूरे होने चाहिए,’’ हरिनाक्षी ने ठंडे स्वर में कहा.

‘‘मैं तो यह सोच कर आई थी कि हमारी पुरानी दोस्ती का लिहाज करते हुए तुम हमारी मदद करोगी,’’ लीना ने अपने नेतागीरी वाले अंदाज में कहा.

‘‘हम कितने गहरे दोस्त थे यह बताने की शायद मुझे जरूरत नहीं. और मैं यह बता देना जरूरी समझती हूं कि मैं इस शहर में दोस्ती निभाने नहीं आई हूं. मेरा फर्ज यहां के आम नागरिकों के जानमाल की रक्षा करना है,’’ हरिनाक्षी ने बिना किसी लागलपेट के कहा.

लीना के अंदर छिपा हुआ राजनीतिज्ञ जोर मारने लगा. हरिनाक्षी से पहले आए जिला अधिकारियोें की नाक में दम कर देने वाली लीना अपनी खादी वरदी का असर देख चुकी थी.

‘यह हरिनाक्षी की बच्ची किस खेत की मूली है?’ लीना ने सोचा.

‘‘देखिए, हरिनाक्षीजी, अब तक हम सिर्फ एक आम नागरिक की तरह आप से प्रार्थना कर रहे थे, लेकिन ऐसा लगता है कि अफसरी की वरदी ने आप के खून में कुछ ज्यादा ही उबाल ला दिया है,’’ लीना के तेवर अचानक ही बदल गए.

हरिनाक्षी उत्तर देने को तत्पर हुई कि इस बीच कमलनाथ बोल पड़ा, ‘‘आप को शायद दौलत और ‘पहुंच’ की ताकत का अंदाज लगाने का अवसर नहीं प्राप्त हुआ है,’’ कमलनाथ के बोलने का अंदाज शतप्रतिशत धमकी भरा था.

‘‘अब मालूम हुआ कि आप सब यहां केवल धमकी देने और अपनी ताकत का बखान करने आए हैं. खैर, मैं ने सुन लिया. अब मेरी भी एक बात ध्यान से सुन लीजिए कि राजनेता और पूंजीपति कभी मेरे प्रिय पात्रों में से नहीं रहे. इसलिए मुझे उन से न तो कभी दोस्ती निभाने की जरूरत पड़ी और न कभी डरने की जरूरत समझी. आप लोग जो भी कदम उठाना चाहें बडे़ शौक से उठा सकते हैं. अब आप लोग जा सकते हैं,’’ हरिनाक्षी ने गंभीरतापूर्वक कहा.

लीना के चेहरे का रंग उड़ गया. उसे अंदाजा नहीं था कि हरिनाक्षी उस के राजनीतिक रसूख की धज्जियां उड़ा कर रख देगी. वह पिटी हुई सूरत ले कर बाहर निकली. उधर कमलनाथ का चेहरा भी उतर गया था. बाहर निकलते ही लीना  पति व देवर को दिलासा देते हुए बोली, ‘‘तुम घबराओ मत. मैं इसे जब तक अपनी हैसियत और इस की औकात न बता दूंगी तब तक चैन से नहीं बैठूंगी.’’

इस के बाद लीना अपनी पार्टी के कई आला नेताओं से ले कर गृहमंत्री तक से मिली. आश्चर्यजनक था कि हर जगह उसे निराशा ही मिली.

चुनाव सामने आ रहे थे और कोई भी नेता इस समय किसी दलित अधिकारी को केवल किसी के कहने पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था. सब को अपने दलित वोट बैंक का खाता खाली होने का डर सता रहा था.

लीना बुरी तरह निराश हो उठी. उसे अपने बुरे दिन नजदीक दिखाई देने लगे थे. वह अपने बंगले में बैठी आने वाले दिनों के बारे में सोच रही थी.

इधर हरिनाक्षी एक पत्रकार सम्मेलन को संबोधित कर रही थी.

‘‘मैडम, पुलिस और प्रशासन पर से जनता का विश्वास क्यों उठता जा रहा है?’’ एक बुजुर्ग पत्रकार ने पहला सवाल दागा.

‘‘दरअसल, लोगों को केवल अपनी पहुंच और पैसे पर भरोसा रह गया है और भरोसे का यह माध्यम हर वर्ग के लोगों पर अपनी पैठ कायम कर चुका है. कई बार यह महसूस कर काफी दुख होता है कि लोग पुलिस और कानून से बचना चाहते हैं. लोग सामने नहीं आते. इस में कोई दोराय नहीं कि ऐसी स्थिति के लिए हम भी कहीं न कहीं दोषी हैं. मैं पूरी कोशिश करूंगी कि लोगों का पुलिस और प्रशासन पर फिर से भरोसा कायम हो जाए,’’ हरिनाक्षी के स्वर में दृढ़ता थी.

‘‘इस शहर में महिलाएं भी खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं. छेड़खानी, बलात्कार जैसी घटनाएं आएदिन होती ही रहती हैं. अभी भी कई सारे अपराधी आरोपी होने के बावजूद खुलेआम घूम रहे हैं क्योंकि उन के पास खादी और खाकी दोनों की ताकत है. ऐसे अपराधियों के लिए प्रशासन क्या कदम उठाने जा रहा है?’’ यह एक महिला पत्रकार का सवाल था.

‘‘ऐसे सारे मामलों की फाइल दोबारा खोली जाएगी. मैं मीडिया को विश्वास दिलाती हूं कि अपराधी चाहे कितना भी रसूख वाला हो. उसे बख्शा नहीं जाएगा,’’ हरिनाक्षी ने जवाब दिया.

‘‘क्या आप खादी की ताकत से नहीं घबरातीं?’’ एक पत्रकार ने व्यंग्यात्मक स्वर में पूछा.

‘‘बिलकुल नहीं,’’ हरिनाक्षी ने दो शब्दों में जवाब दिया.

‘‘क्या अनुष्का को न्याय मिलेगा, हरिनाक्षीजी?’’ एक गंभीर और उदास आवाज गूंजी. अपना नाम लिए जाने पर हरिनाक्षी चौंक उठी और उस पत्रकार की तरफ देखा. वह रवि था, जो अनुष्का से प्यार करता था.

अनुष्का ने रवि से उसे एकदो बार मिलाया था. रवि उन दिनों दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहा था जब अनुष्का के साथ वह दर्दनाक हादसा हुआ था.

‘‘रविजी, आप प्रशासन पर भरोसा रखें. आप के इस सवाल का जवाब बहुत जल्दी मिलेगा,’’ हरिनाक्षी ने गंभीरता से जवाब दिया.

‘‘मैं तो आप को देखते ही पहचान गया था. अब आप से उम्मीद लगा रहा हूं तो कुछ गलत तो नहीं कर रहा?’’ रवि ने पूछा.

‘‘नहीं. कतई नहीं,’’ हरिनाक्षी ने उत्तर दिया और पूछा, ‘‘अभी आप किस अखबार से जुडे़ हैं?’’

‘‘एक राष्ट्रीय अखबार ‘दैनिक प्रभात समाचार’ से जुड़ा हूं.’’

‘‘अनुष्का को आप अभी तक नहीं भूल पाए,’’ हरिनाक्षी ने जैसे रवि की दुखती रग पर हाथ रख दिया.

‘‘अनुष्का को मैं अपने मरने के बाद ही भूल पाऊंगा,’’ रवि का स्वर भीगा हुआ था.

‘‘क्षमा करें, मैं आप से व्यक्तिगत सवाल पूछ बैठी,’’ हरिनाक्षी अब धीरेधीरे औपचारिकता छोड़ रही थी.

‘‘आज आप को इस ओहदे पर देख कर मुझे कितनी खुशी हो रही है, आप अंदाजा नहीं लगा सकतीं,’’ रवि के स्वर में खुशी झलक रही थी. वह उठते हुए बोला, ‘‘आशा है, आप अनुष्का को इंसाफ जरूर दिलाएंगी.’’

‘‘हां, अनुष्का को भी और उस के पिता को भी. साथ ही शहर के उन सभी नागरिकों को जो चुप रहते हैं और शैतानों के डर से सामने नहीं आते.’’

उस के बाद हरिनाक्षी ने नंबर डायल करने शुरू किए.

दोचार दिनों के बाद शहर में जैसे एक हंगामा हुआ. नई जिलाधिकारी की चर्चा हर गलीचौराहों पर आम हो गई. स्थानीय अखबारों के साथसाथ राष्ट्रीय अखबारों में भी हरिनाक्षी सुर्खियों में छाने लगी. शहर के तमाम सफेदपोश परेशान हो उठे थे. उन के खाकी और खादी वरदी वाले दोस्त उन से दूरदूर रहने लगे थे.

पुरानी फाइलें खुल रही थीं. दोषियों को फौरन पकड़ा जा रहा था.

लीना भी बेहद परेशान थी. उसे ऐसा लग रहा था कि बस, पुलिस आज या कल उस के घर पर धावा बोलने ही वाली है. कमलनाथ और उन का बिगड़ा हुआ छोटा भाई निर्मलनाथ भी डरेडरे से रहते थे.

आज भी लीना अपने बंगले के लान में बैठी अखबार पलट रही थी. लगभग हर पन्ने में हरिनाक्षी का नाम पढ़ कर बुरी तरह चिढ़ रही थी.

उस ने सामने देखा तो घर का नौकर शंकर घबराया हुआ उन की तरफ दौड़ता आ रहा था.

‘‘मालकिन, पुलिस आई है. तिवारीजी आए हुए हैं,’’ शंकर की आवाज में अभी भी घबराहट थी.

इंस्पेक्टर तिवारी का नाम सुन कर लीना ने इत्मिनान की सांस ली, क्योंकि तिवारी तो उन का अपना आदमी था.

वह बरामदे में बैठे तिवारी के सामने पहुंची. उस के साथ 2-3 सिपाही भी बैठे थे.

‘‘क्या बात है, तिवारी?’’ लीला ने डरते हुए पूछा.

‘‘कमलबाबू और निर्मलबाबू के नाम से गिरफ्तारी वारंट है. शिवचरण ने इन दोनों के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कराई है. कलक्टर साहिबा ने फौरन काररवाई करने का आदेश दिया है,’’ इंस्पेक्टर तिवारी ने भरे हुए स्वर में कहा.

‘‘तो फिर?’’ लीना के माथे पर बल पड़ गए.

‘‘इन्हें गिरफ्तार करना ही होगा,’’ इंस्पेक्टर तिवारी का स्वर थोड़ा बदला.

‘‘ठीक है,’’ लीना ठंडी पड़ गई.

फरार होने के बजाय दोनों भाई कमलनाथ व निर्मलनाथ नीचे आ गए तो इंस्पेक्टर तिवारी ने उन्हें हथकडि़यां पहना दीं.

कुछ ही पलों के बाद दोनों भाइयों को पुलिस जीप में बैठा कर थाने ले जाया गया. लीना यह सब बेबसी से देखती रही.

अब तो अदालत के चक्कर काटने होंगे. गवाह भी खुल कर सामने आएंगे. दोनों भाइयों को सजा होनी  निश्चित थी.

लीना को कालिज का वह जमाना याद आ रहा था जब वह हरिनाक्षी जैसी लड़कियों का खुल कर मजाक उड़ाया करती थी. हरिनाक्षी पर तो फुर्सत निकाल कर फिकरे कसने का दौर वह शुरू करती थी.

दलितों को कमजोर समझना एक भयंकर भूल होगी. देश भर के दलित अगर ऊंचे पदों पर बैठ गए तो ऊंची जाति वालों का क्या होगा?

उधर हरिनाक्षी को भी कमलनाथ और निर्मलनाथ की गिरफ्तारी की खबर मिली. उस ने संतोष की सांस ली. अब जब तक वह शहर में है. ऐसे लोगों को उन की औकात याद दिलाती रहेगी जो कानून और पुलिस को अपनी जेब में ले कर चलने का दावा करते हैं. चाहे वह किसी भी समुदाय से संबंध रखते हों. ऐसे सफेदपोशों को वह उन की सही जगह पहुंचाती रहेगी.

लीना अगर समझती है कि उस ने प्रतिशोध लिया है तो वह गलत समझती है. हां, उसे यह एहसास जरूर होना चाहिए कि वक्त बदल रहा है. अनुष्का जैसी मासूम लड़कियों को इनसाफ मिलना ही चाहिए.

शिवचरण जैसे असहाय बुजुर्गों या किसी भी नागरिक को उस के घर से बेदखल करने का किसी भूमाफिया को अधिकार नहीं है.

कमलनाथ और निर्मलनाथ की गिरफ्तारी की खबर से रवि की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा.

उस ने तुरंत अपने मोबाइल पर संदेश लिखना शुरू किया.

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‘‘इस शहर का चेहरा बदल रहा है और वक्त भी. अनुष्का और शिवचरण जैसे लोग सारे देश में फैले हुए हैं और इंसाफ की तलाश में भटक रहे हैं. उन्हें आप जैसे रहनुमा की खोज है.’’

हरिनाक्षी को यह संदेश मिला. वह सोच रही थी, ‘ऐसे लोग सामने आ रहे हैं. हमें आशावान होना चाहिए क्योंकि वक्त बदल रहा है.’ और यही संदेश उस ने अपने मोबाइल पर लिखना शुरू किया.

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