ऐसे बनाएं दही वाले आलू

 सामग्री

– आलू (मीडियम साइज़, उबले हुए)

– दही  1/2 कप (फेंटा हुआ)

– तेल (02 बड़े चम्मच)

– हरी धनिया (02 बड़े चम्मच बारीक कटी हुई)

– हरी मिर्च (2-3 बारीक कटी हुई)

– धनिया पाउडर (1/2 छोटा चम्मच)

– जीरा (1/2 छोटा चम्मच)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– हल्दी पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– हींग (01 चुटकी)

– नमक ( स्वादानुसार)

दही वाले आलू बनाने की विधि :

– सबसे पहले उबले हुए आलुओं को छील कर हाथों से उनके छोटे-छोटे टुकड़े कर लें.

– इसके बाद एक पैन गरम करें और उसमें 2 बड़े चम्मच तेल डाल दें। तेल गरम होने पर उसमें हींग और     जीरे का तड़का लगायें।

– जीरा भुनने के बाद, पैन में हरी मिर्च, धनिया पाउडर और हल्दी पाउडर डाल दें और चलाते हुए भूनें.

– मसाला भून जाने पर उसमें आलुओं को डालें और चलाते हुए 2 मिनट तक भूनें.

– आलू भुन जाने पर पैन में 1 1/2 कप पानी डालें और सब्जी को ढक कर पकायें। जब सब्जी में उबाल   आने लगे, उसका ढ़क्कर हटा दें।

– अब पैन में लाल मिर्च पाउडर और नमक डालें और चला दें.

– इसके बाद दही (फ्रिज से 20-25 मिनट पहले निकला हुआ) को धीरे-धीरे पैन में डालें और चम्मच से लगातार चलाते रहें.

– दही डालने के बाद सब्जी को चलाते हुए 4 मिनट तक आंच पर पकायें और हरी धनिया से गार्निश करके गैस बंद कर दें.

– आपकी स्वादिष्ट आलू दही की सब्जी तैयार है.

अब इसे गर्मा-गरम प्लेट में निकालें और रोटी, परांठा या फिर पूरी के साथ इसका आनंद लें.

अच्छी बचत करने के लिए जरूरी हैं ये तीन बातें, आज ही गांठ बांध लें

जो लोग नौकरी कर रहे हैं उनका मुख्य उद्देश्य होता है बचत. किसी तरह से लोग अधिक से अधिक बचत के तरीकों की खोजबीन में लगे रहते हैं. पर जिस तरह से लोगों की जरूरतें और महंगाई में तेजी आई है, बचत किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं है. यही कारण है कि तरह तरह की टिप्स के लिए लोग फाइनेंशियल प्लैनर्स की मदद लेते हैं. पर इस खबर में हम आपके लिए लाएं है कुछ खास टिप्स जिसको अपना कर आप अच्छे रकम की बचत कर सकेंगी. तो आइए जाने बचत से जुड़ी तीन बातें.

टारगेट बनाएं

किसी भी चीज की सफलता के लिए जरूरी है कि आप उसके लिए फोकस हों. बचत आसान नहीं होता. इसके लिए जरूरी है कि आप अपनी बचत के बारे में बेहतर जाने, समझें. आप अपने गोल के बारे में अच्छे से समझे, जाने. इससे आपके सेविंग्स में खासा मदद मिलेगी.

समय का महत्व समझें

सेविंग्स के लिए समय के महत्व को समझना जरूरी होता है. अगर आप इसके महत्व को समझें तो अपने गोल को हासिल करने में परेशानी नहीं होगी.

बेहतर कमाई के लिए जरूरी है बेहतर निवेश

अधिक कमाई के विकल्पों को तलाशें. बस ध्यान रखें कि इसमें आप किसी गलत रास्ते पर ना चले जाएं. कमाई के जो भी सही रास्ते हैं उनका चुनाव करें. कमाई के साथ साथ निवेश बहुत जरूरी है. निवेश ना सिर्फ बचत का एक सुरक्षित माध्यम माना जाता है बल्कि इससे हमारे रकम में बढ़ोत्तरी भी होती है. इस लिए बेहतर कमाई के लिए जरूरी है कि आप निवेश पर खासा जोर दें.

‘तीन तलाक’ पर फिल्म बनाना आसान नहीं था : अलीना शेख

तीन तलाक एक ऐसा संजीदा विषय है, जिस पर सालों से बातचीत चल रही है, पर उसका कोई परिणाम आजतक देखने को नहीं मिला. सालों से मुस्लिम महिलायें इससे पीड़ित हैं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए डा अलीना खान जो एक डाक्टर हैं और इंटेसिव केयर स्पेशलिस्ट हैं. काम के दौरान उन्होंने ऐसी कई महिलाओं की आपबीती कहानियां सुनी और इस दिशा में कुछ काम करने की इच्छा से उन्होंने फिल्म ‘कोड ब्लू’ का निर्देशन राहत काजमी फिल्म्स के बैनर तले किया. जिसे बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में दिखाया गया.

इस फिल्म को बनाने की वजह के बारें में पूछे जाने पर अलीना कहती हैं कि मैं एक डाक्टर हूं और जिस लड़की की कहानी फिल्म में है, वह मेरे बहुत करीब है और मैंने उसकी मुश्किलों को नजदीक से देखा है. इसी से मेरे अंदर प्रेरणा जगी और मैंने फिल्म बनायी. इसमें दिखाई गयी सारी कहानियां रियल है और मैं इसे दर्शकों के सामने लाना चाहती हूं.

अलीना का आगे कहना है कि हमारा मुस्लिम समाज पुरुष प्रधान है ऐसे में महिलाओं की बातें कोई नहीं सुनना चाहता, पर मैं एक शिक्षित परिवार में पली बड़ी हुई हूं, जहां मुझे अपनी बात कहने का हक है और वे पूरी तरह से इसे सपोर्ट करते हैं, लेकिन मेरी सुरक्षा को लेकर थोड़ी चिंता थी. इसके अलावा इस फिल्म को करने के लिए मैंने अपने कैरियर को एक साल के लिए स्थगित रखा. मेरी फिल्म तीन ऐसे शब्दों पर आधारित है, जो तीन सेकेंड में लाखों महिलाओं की जिंदगी बर्बाद कर देती है. तीन तलाक एक ऐसी विवादित प्रथा है जिसके जरिये एक मुस्लिम पुरुष को ये हक है कि वह तीन बार ‘तलाक’ बोलकर अपनी पत्नी को हमेशा के लिए छोड़ सकता है. वो तलाक न सिर्फ मौखिक रूप से दे सकता है, बल्कि ऐसा वह लिखित और इलेक्ट्रोनिक फौर्म में भी कर सकता है. इस फिल्म के द्वारा इसके दुष्परिणाम को दिखाने की कोशिश की है. इसमें मैंने कई सौ महिलाओं से बातचीत की है. ये डाक्युमेंट्री नहीं, बल्कि एक आम फिल्म है, जिसे सबको देखना चाहिए.

असल में तीन तलाक मुस्लिम पुरुष के लिए अपनी पत्नी से छुटकारा पाने का एक आसान तरीका है, इसके लिए उसे किसी ठोस वजह की जरुरत नहीं होती. इसके लिए निकाह हलाला की प्रथा को भी निभाना पड़ता है, जिसमें अगर तलाकशुदा मुस्लिम महिला को अपने पहले पति के साथ दुबारा रहना हो तो ऐसे में उस महिला को पहले दूसरी शादी करनी पड़ती है. भारतीय मुस्लिम महिला आन्दोलन (बीएमएमए) ने इस प्रथा के विरोध में पुरजोर आवाज उठाई थी, लेकिन उसका कोई सही निष्कर्ष अभी तक नहीं निकल पाया है. अलीना आगे कहती हैं कि मैं ऐसी महिलाओं की आपबीती सुनकर कई बार ट्रौमा में चली जाती थी. मुझे याद है एक बार मैं एक गर्भवती महिला से मिली थी, जिसका पति बिना किसी कारण के उसे तलाक दे दिया था, जबकि एक मुस्लिम पति अपनी गर्भवती पत्नी को तलाक देने का अधिकार नहीं रखता, लेकिन ऐसा करके भी वह आजाद घूमता रहा. इसमें उसे धार्मिक गुरुओं की मदद भी हासिल थी. हमारे पितृसत्तात्मक समाज में ऐसी तलाकशुदा महिला के लिए आत्मसम्मान के साथ जीना आसान नहीं है, जो इंस्टेंट डिवोर्स की शिकार होने के साथ-साथ अगर पढ़ी-लिखी न हो और उसके पास कमाई का कोई जरिया न हो, तो उसकी हालत और भी बदतर हो जाती है. मेरी कोशिश ऐसी महिलाओं को सशक्त बनाने की है.

अलीना के लिए इस फिल्म को बनाना आसान नहीं था. कई बार लोगों ने उसे धमकाया, ताकि वह ये फिल्म न बनाये. किसी ने तो उन्हें जान से मारने की भी धमकी दी थी. अलीना कहती हैं कि मैं एक डाक्टर हूं और मौत को मैंने नजदीक से देखा है. इसलिए मुझे कोई डर नहीं. इसके अलावा मैं एक मुस्लिम हूं और मुस्लिम समुदाय में कोई नहीं चाहता है कि एक महिला इस विषय पर बात करें. मैं जहां रहती हूं सारे लोग मुस्लिम है. काफी लोगों ने कहा कि अपने हास्पिटल में कुछ बेड घायलों के लिए रख लो, ताकि फिल्म का विरोध होने पर उनका इलाज हो सकें. किसी ने डायरेक्टली तो किसी ने इनडायरेक्टली मना किया, पर मेरी जिम्मेदारी है, क्योंकि मैं शिक्षित हूं और तीन सेकेंड में किसी की जिंदगी को खत्म करने वाले के बारें में बात करूं. अधिकतर ऐसी प्रताड़ित महिलाएं अशिक्षित हैं और दो वक्त की रोटी के लिए पति पर निर्भर रहती हैं, जिसका फायदा पुरुष उन्हें अपमानित करके करता है. गलत पुरुष कितना भी करें, पर दोष हमेशा महिला को ही दिया जाता है. सजा लड़की और उनके परिवार को ही दी जाती है.

इसके आगे अलीना कहती हैं कि कुरान में एक बार में तलाक देने या इंस्टेंट डिवोर्स की प्रथा का उल्लेख कहीं पर भी नहीं है, जो भी बातें इस बारें में कही जाती है वह गलत है. आज की मुस्लिम महिलाएं अपने लिए कानूनी सुरक्षा चाहती है. गैर कानूनी होने के बावजूद फौरी तौर पर तलाक देने की प्रथा अभी भी जारी है. इसे अपराध की श्रेणी में लाने की जरुरत है. एक सर्वे में यह भी पाया गया है कि 90 प्रतिशत भारतीय मुस्लिम महिलाएं एकतरफा तलाक देने के मनमाने फैसले के खिलाफ हैं. जबकि बाकी इस्लामिक देशों में तीन तलाक को मान्यता नहीं है. इसके अलावा जो लोग ट्रिपल तलाक को बैन करने के खिलाफ हैं. वे तब तक ऐसा कहेंगे, जबतक उनकी बेटी या बहन के साथ ऐसा न हुआ हो, क्योंकि इसकी तकलीफ उन्हें मालूम नहीं है. आगे अलीना ऐसे कई विषयों पर फिल्म बनाने की इच्छा रखती हैं, जो उन्होंने अपने प्रोफेशन के दौरान अनुभव किया है. उनका कहना है कि बदलाव की बातें करने का कोई मतलब नहीं है. खुद हमें ही वो बदलाव बनना है, जो हम चाहते हैं.

गृहशोभा मैगजीन के जरिये अलीना महिलाओं को कहना चाहती हैं कि हर महिला को अपने अधिकार जानने चाहिए, ताकि कोई हमें यातनाएं न दे सकें. इसलिए सक्षम होना जरुरी है और उसके लिए शिक्षा जरुरी है. इससे वह आत्मसम्मान के साथ जी सकती है, उसका हेरेश्मेंट कोई नहीं कर सकता.

घटते फासले बढ़ती नाराजगी

देश में अब परिवार नई चुनौतियों से जूझ रहे हैं. पहले सासबहू और देवरानीजेठानी विवादों के कारण घरों में कलह रहती थी, अब पतिपत्नी और उस से ज्यादा पिताबेटे और मांबेटी की कलह के किस्से बढ़ रहे हैं. आमतौर पर खुद को सक्षम और समझदार समझने वाली पत्नियां अब पतियों के आदेशों को मानने से इनकार कर रही हैं और घर के बाहर एक अलग जिंदगी की तलाश करने लगी हैं, फिर चाहे वह दफ्तरों में नौकरी हो या किट्टी पार्टियां.

घरों में विवादों के बढ़ने का कारण न सिर्फ सतही जानकारी का भंडार होना है, बल्कि गहराई वाली सोच का अभाव होना भी है. सतही जानकारी ने यह तो सब को समझा दिया है कि हरेक का अपना अधिकार है, अपना जमीनी व व्यक्तिगत दायरा है, जीवन जीने के फैसले खुद करने का अधिकार है पर यह जानकारी यह नहीं बताती कि कोई भी गलत फैसला कैसे खुद को परेशान कर सकता है.

लोगों ने अपने अधिकारों को जानना तो शुरू कर दिया है पर जब इन अधिकारों के कारण दूसरों के दायरे में दखल हो तो क्या करना चाहिए, यह ज्ञान आज का मीडिया या मोबाइल देने को तैयार नहीं है. आज का मीडिया तब तक ही पसंद और सफल है जब तक वह दर्शकों को आत्ममंथन करने को न कहे.

अपने फैसलों का प्रभाव दूसरों पर खराब पड़ सकता है यह आज का मीडिया नहीं बताता, क्योंकि वह फास्ट फूड की तरह स्वादिष्ठ और शानदार दिखने वाली बात करता है. आज का मीडिया आप को अपनी गलतियों की ओर झांकने को नहीं कहता, क्योंकि इस से आप ऊब कर किसी दूसरी स्क्रीन पर चले जाएंगे.

आज तो दवा के रूप में भी आप को कैप्सूल दिए जा रहे हैं. सेहत बनाने के लिए भी एअरकंडीशंड माहौल वाला जिम चाहिए. फूड सप्लिमैंट चाहिए जो बिना खराबियां बताए आप को मिनटों, घंटों में ठोकपीट कर ठीक कर दे.

ये कैप्सूल, ये टिप्स, ये फास्ट ट्रीटमैंट जीवन को चलाने के लिए नहीं मिलते. पतिपत्नी एकदूसरे से रूठे रहते हैं, बच्चे मातापिता पर भुनभुनाते रहते हैं. हरकोई पकापकाया चाहता है, बिना समस्या की गहराई में जाए उस का हल चाहता है.

सासबहू या जेठानीदेवरानी के झगड़े जब भी होते थे या होते हैं तो इसीलिए कि दोनों को नहीं मालूम कि कैसे एकदूसरे के पूरक बनें. यह शिक्षा कहीं दी ही नहीं जा रही कि लेना है तो किसी को देना भी पड़ेगा. लोगों ने सोच लिया है कि दफ्तरों में काम दे कर जो ले लिया वह घर के लिए देना हो गया. अब घर वाले उस के बदले में मांगी गई चीज दें.

पत्नी सोचती है कि उस ने बनठन कर, साथ चल कर या रात को साथ सो कर जो दे दिया वही काफी है. अब उसे सिर्फ लेना है. बच्चे सोचते हैं कि उन्होंने जन्म ले कर मातापिता को संपूर्णता दे दी. अब मातापिता उन्हें वापस देते रहें. जीवन को एटीएम समझ लिया गया है जहां मशीनी तौर पर लेनदेन होता है.

लोग भूल रहे हैं कि आधुनिक सुविधाएं या तकनीकें कितनी महंगी हैं और कितनी तनाव पैदा करने वाली हैं. वे जानते ही नहीं कि लाखों सालों में विकसित हुए मानव स्वभाव को 1 पीढ़ी में नहीं बदला जा सकता. मानव स्वभाव सदियों से बहुतों के सुझावों, ज्ञान, उदाहरणों पर टिका हुआ है. आज यह आप को केवल पढ़ने से मिल सकता है, काउंसलर या प्रवचन से नहीं मिल सकता.

आज भी लेखक आप को भ्रमित या गुदगुदाने के लिए नहीं लिखता. वह अपने और दूसरों के उदाहरणों का विश्लेषण करता है. व्हाट्सऐप मैसेजों में बंटता ज्ञान केवल अच्छे शब्द होते हैं. आमतौर पर वे दूसरों की सलाह लेते हैं, जो खुद को ठीक करने की दवा नहीं देते.

पारिवारिक विवाद, प्रेम विवाहों का तलाकों में बदलना, बारबार के ब्रेकअप, उद्दंड बच्चे, खफा बेटेबेटी उस अंधकार की देन हैं जिस में हम अपनेआप को धकेल रहे हैं. हर रोज, हर घंटे, हर उस समय जब आप फालतू की चैटिंग कर रहे हैं और मोबाइल या टीवी को अपना अकेला मार्गदर्शक मान रहे हैं.

अगर आप भी फोटोग्राफी की शौकीन हैं तो यहां जरूर आएं

फोटोग्राफी के लिए सबसे ज्यादा लोकेशन मायनें रखता हैं. क्योकि लोकेशऩ फोटोग्रफी पर काफी प्रभाव डालते हैं अगर तस्वीर में लोकेशन अच्छा होता हैं तो वो आपका मन मोह लेता है. अगर आपको भी तस्वीरों में दिखाए गए सनसेट सीन इतने पसंद हैं, तो अब आप भी हकीकत में खूबसूरत सनसेट प्वाइंट के लिए मशहूर जगहों पर घूम लीजिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं कुछ ऐसी जगहों के बारें में जो आपका मन मोह लेगी.

सनसेट पौइंट, कन्याकुमारी

इस जगह से सनराइज और सनसेट दोनों ही बेहद खूबसूरत लगता है, कन्याकुमारी के आसपास कई टूरिस्ट प्लेस हैं, यहां आपके चारों तरफ पानी होता है, जिस वजह से सूर्योदय और सूर्यास्त का अलग ही नजारा देखने को मिलता है. फोटोग्राफर्स के लिए भी यह जगह काफी मुफीद मानी जाती है.

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सनसेट पौइंट, अगुम्बे

अगुम्बे सनसेट शिमोगा जिले में वेस्टर्न घाट के सबसे ऊपरी चोटी पर स्थित है. यहां से अरब सागर और वेस्टर्न घाट का खूबसूरत नजारा देख सकते हैं. इसे साउथ का चेरापूंजी भी कहा जाता है.

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पलोलेम तट

ये जगह गोवा के कंकोना इलाके में है. यह अर्धचंद्राकार रूप में बना हुआ है. ताड़ के पेड़ों की वजह से इसकी खूबसूरती और भी बढ़ जाती है. यहां गांव में छोटी-छोटी झोपड़ियां भी बनी हुई हैं, जो सनसेट के वक्त बेहद सुंदर लगती हैं.

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माथेरन सनसेट पौइंट

माथेरन की घाटी से सुंदर नजारे दिखाई देते हैं. यहां करीब 30 खूबसूरत सनसेट और सनराइज पौइंट हैं, जिसे देखने के लिए सालभर पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है.

स्ट्राइप पैटर्न से इस तरह आप भी सजा सकती हैं अपना घर

स्ट्राइप पैटर्न इंटीरियर में हॉट बना हुआ है. कुशन कवर से लेकर वॉल्स और फर्निचर पर स्ट्राइप पैटर्न देखा जा सकता है. घर को डिफरेंट लुक देने के लिए लोग इन्हें खूब पसंद कर रहे हैं. खासकर कंटेम्परेरी बेस्ड होम डेकोर में स्ट्राइप पैटर्न सबसे ज्यादा फॉलो किया जा रहा है.

डिफरेंट लगेंगे कुशन कवर

स्ट्राइप पैटर्न कुशन कवर पर काफी अच्छे लगते हैं. इनमें ढेरों कलर्स देखे जा सकते हैं, जो घर की ब्यूटी बढ़ा देते हैं. खासकर मॉडल लुक के लिए इन्हें काफी पसंद किया जा रहा है. इनमें डिफरेंट तरह की स्ट्राइप्स भी देखी जा सकती हैं. कई ऑप्शंस के साथ शहर के मार्केट के अलावा ऑनलाइन भी इनकी अच्छी खासी रेंज अवेलेबल हैं.

बेडशीट का न्यू कलेक्शन

डिफरेंट कलर कॉम्बिनेशन के साथ स्ट्राइप पैटर्न बेडशीट्स में निखार लेकर आया है. बेड के अलावा आप दीवान सैट को रंग-बिरंगी धारियों से सजा सकते हैं. इस समय पेस्टल कलर्स काफी पसंद किए जा रहे हैं. साथ ही ट्रेडिशनल कलर्स के स्ट्राइप पैटर्न बेडशीट की भी डिमांड है.

कर्टन्स और टेबल कवर्स

घर को सजाने में कर्टन्स का अहम रोल होता है. ऐसे में इनके पैटर्न भी ट्रेंड के साथ बदलते रहते हैं. स्ट्राइप पैटर्न कर्टन्स में भी हिट है. इतना ही नहीं, कमरे में एकरूपता रखने के लिए टेबल कवर्स में भी स्ट्राइप क्रिएशन पसंद किया जा रहा है. यह यूनीक लुक देता है.

स्किन के लिए फायदेमंद हैं ये फेशियल औयल

अकसर हम यह सुनते हैं कि चेहरे और हमारी फिगर के लिए औयल बिलकुल भी सही नहीं है, जिस के लिए न सिर्फ हम ज्यादा औयली खाने को अवौइड करते हैं बल्कि अपने चेहरे को खूबसूरत बनाए रखने के लिए औयल फ्री ऐस्ट्रिनजर्स, फेसवौश व मेकअप भी ट्राई करते हैं. जबकि आपको बता दें कि औयल हमारा दुश्मन नहीं है.

डर्मिटोलौजिस्ट डा. अभिजीत देसाई बताते हैं, ‘‘हमारे पूरे स्किन केयर रूटीन में फेस औयल बहुत ही अहम रोल अदा करता है. यह त्वचा पर जमा नहीं होता बल्कि आधुनिक बदलावों के कारण अब यह बहुत आसानी से जल्दी से स्किन में मिक्स हो जाता है.’’ वहीं खाने में डाला गया औयल भी नुकसानदायक नहीं होता, अगर वो सैचुरेटिड औयल न हो. इसलिए अपने मन के इस भ्रम को निकाल कर खुल कर जिएं.

जानिए फेस औयल के बारे में कुछ मिथ

मिथ-1

फेस औयल हमारे रोमछिद्रों को बंद कर देगा

यह सच नहीं है कि फेस औयल चेहरे के रोमछिद्रों को बंद करता है. बल्कि प्राकृतिक रूप से प्राप्त औयल जैसे नारियल, ग्रेप्स सीड और एवोकैडो ब्रेकआउट्स का कारण नहीं बनते. जबकि मिनरल औयल व सिनथेटिक औयल की बड़ी आणविक संरचना होने के कारण ये रोमछिद्रों को बंद कर देते हैं.

आप को बता दें कि ऐंटीबैक्टीरियल और ऐंटी इनफ्लेमैटरी औयल्स जैसे ग्रीन टी व चंदन, मुंहासों को कम करने का काम करता है. इसलिए प्रोडक्ट खरीदने से पहले इंग्रीडीऐंड्स लेबल पर जरूर ध्यान दें.

डा. देसाई के अनुसार, ‘‘ऐसा फेस औयल जो हमें पौधों से मिला हो साथ ही वह स्किन के प्राकृतिक सीबम की आणविक संरचना से मेल खाता हो, कभी भी रोमछिद्रों के बंद होने का कारण नहीं बनता. आप के लिए औलिव, रोजहिप, आर्गन व पोमेग्रेंट औयल भी बैस्ट रहेंगे.”

इस के लिए नायका रीकमैंड करता है

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नायका नैचुरल आर्गन फेशियल औयल – प्यौर कोल्ड प्रैस्ड (30 ml)

इंसफ्री ग्रीन टी क्लिनसिंग औयल

अरोमा मैजिक सैनडल वुड ऐसेंशियल औयल

और

सौलफ्लावर कोल्डप्रैस्ड औलिव कैरियर औयल

मिथ –2

तैलीय त्वचा वालों को फेशियल औयल की जरूरत नहीं

क्या आप को पता है कि फेशियल औयल से न सिर्फ स्किन की कई परेशानियां कम होती हैं, बल्कि यह फेस औयल को भी कम करने का काम करता है. जैसे जोजोबा औयल जो सीबम प्रोडक्शन को कम करता है. इस से स्किन औयली नहीं होती.

डा. देसाई बताते हैं, ‘‘अगर आप औयल फ्री प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती हैं, तो ड्राईनैस को कम करने के लिए स्किन ज्यादा मात्रा में सीबम का प्रोडक्शन करने लगती है.’’ साथ ही फेशियल औयल से चेहरे पर ड्राईनैस के कारण जो जलन होती है वह भी कम होती है.

इस के लिए नायका का कहना है

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नायका नैचुरल्स एप्रिकोट फेशियल औयल – प्योर कोल्ड प्रैस्ड (30 ml)

ज्यूसी कैमिस्ट्री कोल्ड प्रैस्ड और्गेनिक जोजोबा औयल

और

इंडल्ग ऐसेंशियल्स रोज गोल्ड डेली औयल

मिथ-3

फेस औयल सिर्फ सर्दियों में इस्तेमाल करें

यह सच नहीं है. अगर आप की कौंबिनेशन व औयली स्किन है तो आप माइल्ड फेस औयल का इस्तेमाल करें. डा. देसाई के अनुसार, ‘‘आजकल के कुछ प्रोडक्ट्स की खासियत यह है कि वह त्वचा पर एकत्रित नहीं होते बल्कि तुरंत ही स्किन में मिल कर चेहरे को ग्लोइंग बनाने का काम करते हैं.’’ बस आप को जरूरत है अपने स्किन के टाइप के अनुसार सही औयल यूज करने की, जिसे आप पूरे साल यूज कर सकें.

अगर आप 20 साल के करीब हैं और आप की औयली स्किन है तो आप शाम को चेहरे पर फेस औयल अप्लाई करें जो पूरी रात आप की स्किन को मौइश्चर प्रदान करेगा, वहीं अगर आप 30 के पार हैं तो आप सुबह व रात को फेस औयल अप्लाई करें जो आप की स्किन को पूरे दिन नमी प्रदान करने का काम करेगा. ड्राई स्किन वाले फेस औयल को मेकअप प्राइमर की तरह इस्तेमाल करें. यह आप की स्किन को हैल्दी लुक देने का काम करेगा.

गर्मियों के लिए मीठा बादाम, आर्गन, फ्रेंकइनसैंस, रोजहिप और मायरा औयल बैस्ट हैं.

इस के लिए नायका का सुझाव है

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नायका नैचुरल्स फ्रेंकइनसैंस ऐसेंशियल औयल

कामा आयुर्वेदा और्गेनिक स्वीट अल्मोंड औयल

और

सैंट बौटानिका प्योर रोजहिप कोल्ड प्रैस्ड कैरियर औयल   

मिथ-4

फेस औयल और मौइश्चराइजर का एक साथ इस्तेमाल नहीं कर सकते

यह सिर्फ भ्रम है. जबकि फेस औयल और मौइश्चराइजर स्किन में नमी बनाए रखते हैं. ये दोनों अलग अलग प्रोडक्ट होने के कारण इन के कार्य भी अलग अलग होते हैं. और जब हम एक साथ इस का इस्तेमाल करते हैं तो ज्यादा फायदेमंद होता है.

आप को बता दें कि फेस औयल केंद्रित उत्पाद पूरी तरह से पौधे से बने लिपिड से बने होते हैं, वहीं मौइश्चराइजर में पौधों का औयल पानी और अन्य ऐक्टिव इंग्रेडीऐंड्स के साथ होता है. कोशिश करें आप पहले चेहरे पर मौइश्चराइजर अप्लाई करें फिर फेशियल औयल ताकि स्किन ग्लोइंग दिखे.

मिथ-5

अगर आप मौइश्चराइजर यूज कर रही हैं तो आप को फेशियल औयल की जरूरत नहीं

अगर आप की ड्राई स्किन है तो दिन तक जरूर आप को स्किन खिंची खिंची सी नजर आती होगी. यही कारण है कि आप को मौइश्चराइजर और फेशियल औयल की जरूरत होती है. आप को बता दें कि फेशियल औयल के कारण मौइश्चराइजर सही तरीके से काम कर पाता है.

डा. देसाई के अनुसार, ‘‘आप फेशियल औयल को अपनी डे और नाइट क्रीम लगाने से पहले और बाद में अप्लाई करें.’’ सभी स्किन पर पोमेग्रेंट, स्कालेना, जोजोबा और मरूला जैसे लाइट औयल सूट करते हैं.

इस के लिए नायका रीकमैंड करता है

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नायका नैचुरल्स मरूला फेशियल औयल – प्योर कोल्ड प्रैस्ड (30 ml)

ज्यूसी कैमिस्ट्री कोल्ड प्रैस्ड और्गेनिक पौमेग्रेंट औयल

और

इंडल्ग ऐसेंशियल स्क्वालेन स्किन हाइड्रेटर

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ऐंटी एजिंग में फेशियल औयल फायदेमंद नहीं

रूखी त्वचा पर झुर्रियां सब से ज्यादा दिखाई देती हैं. जबकि प्लंप, हाइड्रेटिड स्किन लंबे समय तक जवां दिखती है. ऐसे में फेशियल औयल आप की स्किन को हमेशा जवां बनाए रखने का काम करता है. साथ ही उच्च क्षमता वाले ऐंटी औक्सीडैंट त्वचा की मरम्मत, फेस औयल एजिंग व फ्री रैडिकल्स से त्वचा की रक्षा करते हैं.

डा. देसाई के अनुसार ‘‘बहुत सारे फेस औयल में ऐंटी औक्सीडैंट होने के कारण ये फ्री रैडिकल्स को नष्ट कर स्किन की इलास्टिकसिटी को बरकरार रखने का काम करते हैं. ऐजिंग में ग्रेप्स सीड, रोज, मरूला, ऐकेआई, गोजी बेरी फेशियल औयल काफी मददगार हैं.

इस के लिए नायका बताता है

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इंडल्ग ऐसेंशियल रोज गोल्ड डेली औयल

और

अरोमा ट्रैजर्स ग्रेप सीड वैजिटेबल औयल

सौंदर्य से संबंधित अधिक जानकारी पाने के लिए यहां क्लिक करें और नायका ब्यूटीबुक पर जाएं.

स्प्रिंग वैडिंग सीजन : दुलहन का लहंगा हो खास

हर दुलहन अपनी शादी पर सब से बेहतरीन लहंगा पहनना चाहती है ताकि वह ख्वाबों की दुलहन लगे. मगर यह तभी मुमकिन है जब भावी दुलहन को लहंगों से जुड़े लेटैस्ट ट्रैंड की जानकारी हो. तभी वह अपनी पसंद से अपने लिए मुफीद और लेटैस्ट स्टाइल का लहंगा खरीद सकती है. तो आइए फैशन डिजाइनर आशिमा शर्मा से जानें की आजकल किस तरह के लहंगे चलन में हैं:

प्रीड्रैप्ड दुपट्टा

यह फैशन स्टाइल आजकल काफी ट्रैंड में है. आप को बारबार दुपट्टा संभालने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि यह पहले से लहंगे के साथ सिला होता है. इस में 2 तरह के दुपट्टों का चलन है. पहला हैडेड चोली जिस में आप सिर्फ सिर पर ओढ़ने के लिए दुपट्टे का इस्तेमाल कर सकती हैं और दूसरा चुन्नी साइड, जिसे पल्ले के लिए इस्तेमाल कर सकती हैं.

स्टेटमैंट स्लीव्स

इस तरह की डिजाइन भी फैशन लिस्ट में सब से ऊपर आती है. इस में चोली या तो एक साइड छोटी और एक साइड बड़ी होती है या फिर सिर्फ एक साइड ही बाजू होती है. अगर आप कुछ अलग ट्राई करना चाहती हैं तो इस से बढि़या कुछ नहीं है. यह 18वीं शताब्दी के फैशन स्टेटमैंट की तरह लुक देती है.

इलूजन नैकलाइन

इस बार इलूजन नैकलाइन जैसी डिजाइनें ट्रैंड में आ गई हैं. इस तरह की ड्रैस में गले के पास जो खाली जगह होती है उस पर शानदार कारीगरी कर के उस ड्रैस की खूबसूरती में चार चांद लगा दिए जाते हैं. नैकलाइन डिजाइन के लिए नैट या फिर लेस जैसे फैब्रिक का इस्तेमाल किया जाता है.

हाई लौ कुरता विद लहंगा

पिछले साल यह बहुत फैशन में था. इस साल यह ऐडवांस फौर्म में उपलब्ध है. इस बार हाई लौ कुरता वाली डिजाइनें विद लहंगा कौंबिनेशन सब की पसंदीदा बन चुकी हैं. इस तरह की डिजाइनों में कुरता आगे से सिर्फ घुटनों तक होता है. और फिर पीछे से फ्लोर टच लैंथ होती है. आगे और पीछे दोनों जगह से सिर्फ कमर तक डिजाइन की होती है, जिसे पेपलम डिजाइन भी कहते हैं.

आप इस तरह के कुरते को मैचिंग कलर के लहंगे के साथ पहन सकती हैं या फिर कंट्रास्टिंग पैटर्न के साथ भी डाल सकती हैं. इस तरह की डिजाइन में आप दुपट्टा न डालें तो ज्यादा अच्छा लुक देगी. इस में आप 1 तरह की नैक डिजाइन पसंद कर सकती हैं. एक हाई नैक और दूसरी क्लीवेज कट.

जैकेट्स

अगर आप की शादी सर्दियों में हो रही है, तो यह डिजाइन आप को जरूर ट्राई करना चाहिए. इस तरह के कपड़ों में वैलवेट का इस्तेमाल किया जाता है और वैलवेट कोट विद लौंग रूफल जैकेट डिजाइन भी पहन सकती हैं. इस तरह की डिजाइन सर्दियों की शादी में एक परफैक्ट औप्शन है. यह औप्शन आप को गरम और कंफर्ट दोनों रखेगा. आप अपने इस कोट में जरी का काम करा सकती हैं जो आप के बाकी के आउटफिट के साथ भी मैच हो सके.

पेस्टल कलर

पेस्टल इस साल के सब से हौटेस्ट ट्रैंड में से एक है. कुछ मशहूर डिजाइनर अपने कलैक्शन में पेस्टल का प्रयोग करते हैं तो कुछ टौप डिजाइनरों ने अपने खुद के नए कलर पैलेट्स भी पेश किए हैं जैसे पैटल पिंक, पाउडर ब्लू, पेल पीच, लाइट मिंट ग्रीन आदि.

पेपलम और ऐंपायर वाइस्ट

यह फैशन ट्रैंड वैस्टर्न इंस्पायर्ड है, जिसे आजकल फैशन शो में भी देख सकते हैं. डिजाइनर लेहेनगारेयर ने छोटे पेपलम चोली और ऐंपायर वाइस्ट गाउन वाले टौप का प्रदर्शन किया और लोगों को बताया कि इस डिजाइन को किस तरह से कैरी कर सकते हैं. आप अपनी बस्ट लाइन को फ्लौंट करने के लिए लो वैस्ट लहंगा विद पेपलम टौप भी पहन सकती हैं.

कुछ खास टिप्स

फैशन डिजाइनर कमल भाई शादी के लहंगे को खास बनाने के टिप्स देते हुए कहते हैं:

अपने लहंगे को बैल्ट से ऐक्सैसराइज कीजिए: कपड़े की बैल्ट से ले कर फूलों की जेवर जैसी बैल्ट जैसा कुछ लहंगे के साथ कमर पर बांधना इन दिनों खूब पसंद किया जा रहा है और दुपट्टे को बैल्ट में दबा दिया जाए तो लुक में चार चांद लग जाते हैं. शादी के इस मौसम में लहंगा बैल्ट खूब पसंद की जाने वाली है. यह अपने दुपट्टे को जगह पर रखने का बहुत अच्छा तरीका है. इस तरह बैल्ट को परफैक्ट ब्राइडल ऐक्सैसरी की तरह भी उपयोग किया जा सकता है. इस से आप की कमर का सौंदर्य भी निखर कर आएगा. आप लहंगे के रंग की बैल्ट ले सकती हैं या फिर इसे ब्लाउज अथवा दुपट्टे से कंट्रास्ट कर सकती हैं.

लहंगे को बनाएं कैनवस: हर दंपती के पास सुनाने के लिए एक प्रेम कहानी होती है और इस को बयां करने के लिए शादी के लहंगे से बेहतर कैनवस क्या हो सकता है? जी हां, आप अपनी प्रेम कहानियों को अपने परिधानों के अनुकूल बनवा सकती हैं और यह इस पर कढ़ाई के रूप में भी हो सकता है.

हाई नैक: हाई नैक एक तरह से नैकलैस का काम करती है. हाईर् नैक ड्रैस पहनने के बाद कोईर् भी नैक पीस पहनने की जरूरत नहीं पड़ती. क्लासी चोकर बैंड डिजाइन हाई नैक चोली बहुत फैशन में है. यह डिजाइन आप को लंबी होने का लुक देती है.

फ्लोरल टच: फ्लोरल स्टाइल हर दुलहन को पसंद आता है. कई जानीमानी हस्तियां शादी के मौके पर इस स्टाइल का प्रदर्शन कर चुकी हैं.

इन 7 टिप्स को अपनाएं, नहीं होगी पीरियड्स में कोई परेशानी

ज्यादातर महिलाएं अपने पीरियड्स के बारे में बात नहीं करना चाहतीं. यही कारण है कि इस दौरान वे हाइजीन के महत्त्व पर ध्यान नहीं देतीं और नई परेशानियों की शिकार हो जाती हैं.

माहवारी को ले कर जागरूकता का न होना भी इन परेशानियों की बड़ी वजह है. पेश हैं, कुछ सुझाव जिन पर गौर कर वे पीरियड्स के दौरान होने वाली परेशानियों से बच सकती हैं:

नियमित रूप से बदलें: आमतौर पर हर 6 घंटे में सैनिटरी पैड बदलना चाहिए और अगर आप टैंपोन का इस्तेमाल कर रही हैं, तो हर 2 घंटे में इसे बदलें. इस के अलावा आप को अपनी जरूरत के अनुसार भी सैनिटरी प्रोडक्ट बदलना चाहिए. जैसे हैवी फ्लो के दौरान आप को बारबार प्रोडक्ट बदलना पड़ता है, लेकिन अगर फ्लो कम है तो बारबार बदलने की जरूरत नहीं होती. फिर भी हर 4 से 8 घंटे में सैनिटरी प्रोडक्ट बदलती रहें ताकि आप अपनेआप को इन्फैक्शन से बचा सकें.

अपने गुप्तांग को नियमित रूप से धो कर साफ करें: पीरियड्स के दौरान गुप्तांग के आसपास की त्वचा में खून समा जाता है, जो संक्रमण का कारण बन सकता है, इसलिए गुप्तांग को नियमित रूप से धो कर साफ करें. इस से वैजाइना से दुर्गंध भी नहीं आएगी. हर बार पैड बदलने से पहले गुप्तांग को अच्छी तरह साफ करें.

हाइजीन प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल न करें: वैजाइना में अपनेआप को साफ रखने का नैचुरल सिस्टम होता है, जो अच्छे और बुरे बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखता है. साबुन योनि में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया को नष्ट कर सकता है इसलिए इस का इस्तेमाल न करें. आप सिर्फ पानी का इस्तेमाल कर सकती हैं.

धोने का सही तरीका अपनाएं: गुप्तांग को साफ करने के लिए योनि से गुदा की ओर साफ करें यानी आगे से पीछे की ओर जाएं. उलटी दिशा में कभी न धोएं. उलटी दिशा में धोने से गुदा में मौजूद बैक्टीरिया योनि में जा सकते हैं और संक्रमण का कारण बन सकते हैं.

इस्तेमाल किए गए सैनिटरी प्रोडक्ट को सही जगह फेंकें: इस्तेमाल किए गए प्रोडक्ट को सही तरीके से और सही जगह फेंकें, क्योंकि यह संक्रमण का कारण बन सकता है. फेंकने से पहले लपेट लें ताकि दुर्गंध या संक्रमण न फैले. पैड या टैंपोन को फ्लश न करें, क्योंकि इस से टौयलेट ब्लौक हो सकता है. नैपकिन फेंकने के बाद हाथों को अच्छी तरह धो लें.

पैड के कारण होने वाले रैश से बचें: पीरियड्स में हैवी फ्लो के दौरान पैड से रैश होने की संभावना बहुत अधिक बढ़ जाती है. ऐसा आमतौर पर तब होता है जब पैड लंबे समय तक गीला रहे और त्वचा से रगड़ खाता रहे. इसलिए अपनेआप को सूखा रखें, नियमित रूप से पैड चेंज करें. अगर रैश हो जाए तो नहाने के बाद और सोने से पहले ऐंटीसैप्टिक औइंटमैंट लगाएं. इस से रैश ठीक हो जाएगा. अगर औइंटमैंट लगाने के बाद भी रैश ठीक न हो तो तुरंत डाक्टर से मिलें.

एक समय में एक ही तरह का सैनिटरी प्रोडक्ट इस्तेमाल करें: कुछ महिलाएं जिन्हें हैवी फ्लो होता है, वे एकसाथ 2 पैड्स या 1 पैड के साथ टैंपोन इस्तेमाल करती हैं या कभीकभी सैनिटरी पैड के साथ कपड़ा भी इस्तेमाल करती हैं यानी ऐसा करने से उन्हें लंबे समय तक पैड बदलने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन बेहतर होगा कि आप एक समय में एक ही प्रोडकट इस्तेमाल करें और इसे बारबार बदलती रहें. जब एकसाथ 2 प्रोडक्ट्स इस्तेमाल किए जाते हैं, तो आप बारबार इन्हें बदलती नहीं, जिस कारण रैश, इन्फैक्शन की संभावना बढ़ जाती है. अगर आप पैड के साथ कपड़ा भी इस्तेमाल करती हैं, तो संक्रमण की संभावना और अधिक बढ़ जाती है, क्योंकि पुराना कपड़ा अकसर हाइजीनिक नहीं होता. पैड्स के प्रयोग की बात करें तो ये असहज हो सकते हैं और रैश का कारण भी बन सकते हैं.

-डा. रंजना शर्मा, सीनियर कंसलटैंट, ओब्स्टेट्रिशियन एवं गाइनेकोलौजिस्ट, इंद्रप्रस्थ अपोलो

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