सफर के दौरान ऐसे बरकरार रखें अपनी खूबसूरती

यात्रा के दौरान मेकअप करने पर प्रदूषण से मेकअप खराब होने का डर होता है. और आप समझ नहीं पातीं कि मेकअप करें भी या नहीं. सफर के दौरान ऐसे करें जिससे खूबसूरत लुक के साथ कम्फर्टेबल भी आप रहें. तो आइए बताते हैं, यात्रा के दौरान कैसे आप मेकअप करें.

बेस मेकअप

मेकअप की शुरुआत बेस से करें लेकिन हेवी फाउंडेशन न लगाएं वरना रास्ते में धूल-मिट्टी चेहरे पर चिपक सकती है. ऐसे में फाउंडेशन और पाउडर दोनों को मिलाकर बेस तैयार करें. सबसे पहले चेहरे पर टोनर लगाएं, फिर स्किन टोन से मैच करता फाउंडेशन लगाएं. इसके कुछ मिनट बाद फेस पाउडर लगाएं. ऐसा करने से मेकअप को प्रोटेक्टिव बेस मिलेगा, साथ ही फाउंडेशन चेहरे पर लंबे समय तक टिका भी रहेगा.

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आई मेकअप

ट्रैवलिंग के समय हैवी आई मेकअप से बचें. नौर्मल आई मेकअप के लिए जेल आई लाइनर बेस्ट है जो देर तक टिका रहता है साथ ही ट्रैवलिंग के दौरान आई मेकअप के खराब होने की भी टेंशन नहीं होती. ब्लैक या ब्राउन की जगह कलरफुल शेड्स जैसे ब्लू या ग्रीन जेल आई लाइनर का इस्तेमाल कर सकती हैं. आई लाइनर के बाद मसकारा लगाएं. इससे आंखें बड़ी नज़र आती हैं.

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ब्लशर

चीक मेकअप के लिए सही ब्लशर चुनें तभी सही मायने में लुक कम्प्लीट होगा. न्यूट्रल शेड के ब्लशर सफर में अच्छे रहेंगे. पीच, मोव, बेबी पिंक शेड्स का चुनाव करें. पाउडर ब्लशर के बजाय क्रीम बेस्ड ब्लशर देर तक टिकेगा.

साथ कैरी करें एक वैनिटी बौक्स

– वैनिटी बौक्स में थोड़ा कौटन, टिश्यू पेपर और इयर बड जरूर रखें, इनकी अक्सर जरूरत पड़ती है.

– आई, लिप और चीक बोन पर अप्लाई किए गए प्रोडक्ट्स साथ रखें जिससे टचअप की जरूरत हो तो     मुश्किल न हो.

– अच्छा होगा कि मल्टीपल मेकअप किट साथ रखें जिससे सारे प्रोडक्ट्स कम जगह में सेट हो जाएं.

– सफर के दौरान पानी पीना न भूलें, इससे स्किन हाइड्रेटेड रहती है.

भरवां शिमला मिर्च बनाने की रेसिपी

सामग्री :

– शिमला मिर्च  (06 नग मीडियम साइज)

– आलू (04 नग मीडियम साइज)

– प्याज (02 नग मीडियम साइज)

– धनिया पाउडर (01 छोटा चम्मच)

– जीरा (1/2 छोटा चम्मच)

– हल्दी पाउडर ( 1/2 छोटा चम्मच)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– गरम मसाला (1/4 छोटा चम्मच)

– अमचूर पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– हींग (2 चुटकी)

– तेल (04 बड़े चम्मच)

– नमक (स्वादानुसार)

भरवां शिमला मिर्च बनाने की विधि :

– सबसे पहले आलुओं को उबाल लें, जब तक आलू उबल रहे हैं, तब तक शिमला मिर्च को अच्छी तरह से   धो लें.

– इसके बाद चाकू से शिमला मिर्च के डंठल निकाल लें और उन्हें बिना काटे हुए उसके अंदर के बीज भी निकाल लें.

– आलुओं को उबलने के बाद उन्हें ठंडा कर लें और छील लें.

– छिले हुए आलुओं को बारीक तोड़ लें.

– अब कढ़ाई में एक बड़ा चम्मच तेल डाल कर गरम करें.

– तेल गरम होने पर कढ़ाई में हींग और जीरा डालें और उन्हें हल्का सा भून लें.

– इसके बाद कढ़ाई में प्याज डालें और चलाते हुए भूनें.

– जब प्याज सुनहरे रंग का हो जाए, कढ़ाई में हल्दी, मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, गरम मसाला और   अमचूर पाउडर डालें और चलाते हुए भूनें.

– दो मिनट बाद कढ़ाई में में आलू और नमक डाल दें और चलाते हुये 2-3 मिनट तक भूनें.

– इसके बाद गैस बंद कर दें और मिश्रण को ठंडा होने दें.

– अब एक शिमला मिर्च लें और उसमें तैयार मिश्रण को भर दें.

– शिमला मिर्च का जो ठंठल आपने काट कर हटाया था, उसे ऊपर से रख कर हल्का सा दबा दें.

– इसी तरह से सारे शिमला मिर्च भर कर तैयार कर लें.

– अब एक पैन में बचा हुआ तेल डाल कर फैला दें और भरी हुई शिमला मिर्च उसमें रख कर पैन को गरम     करें.

– साथ ही पैन को ढक दें और स्लो आंच में शिमला मिर्च को 3-4 मिनट बाद पकने दें.

– 3-4 मिनट बाद पैन का ढक्कन हटायें और उन्हें पलट दें.

– अब पैन को पुन: ढक दें और 1-2 मिनट तक पकने दें.

– 1-2 मिनट बाद पैन को खोलकर देखें और जिस ओर के शिमला मिर्च न पके हों, उस ओर पलट कर उन्हें 1-2 मिनट और पका लें.

अब आपकी शिमला मिर्च भरवां तैयार है.

जब बदलनी पड़े बार बार नौकरी

‘‘कहां गई थीं? काफी देर लगा दी आने में?’’अशोक ने पूछा तो दिन भर की थकीहारी मिनी गुस्से से फट पड़ी, ‘‘और कहां जाऊंगी इस जिंदगी में नई नौकरी ढूंढ़ने और बारबार इंटरव्यू देने के अलावा?’’ ‘‘अरे, इस में नाराज होने वाली कौन सी बात है? मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था. चलो, गरमगरम चाय पीते हैं साथसाथ,’’ अशोक ने प्यार से कहा.

‘‘मिनी फ्रैश होने चली गई. चाय बनाते समय भी वह बड़बड़ा रही थी, न जाने कैसेकैसे उलटेसीधे प्रश्नों के उत्तर देने पड़ते हैं हर बार?’’

थोड़ी देर में 2 कप चाय ले कर मिनी आ तो गई, पर उस का मूड अभी भी उखड़ा हुआ था.

‘‘अच्छा बताओ कैसा रहा इंटरव्यू?’’ अशोक ने पूछा.

‘‘ठीकठाक ही रहा. हर जगह लोग अविश्वास कि दृष्टि से देखते हैं मुझ जैसे लोगों को. यह प्रश्न पूछना भी नहीं भूलते कि इतनी जल्दीजल्दी नौकरी क्यों बदली आप ने या क्यों बदलनी पड़ी? उन का अगला प्रश्न होता है कि अगर आप को नौकरी दी जाती है तो कहीं बीच में ही तो छोड़ कर नहीं चली जाएंगी?’’

‘‘क्या जवाब दिया तुम ने?’’

अशोक के पूछने पर मिनी ने धीरे से कहा, ‘‘सच पूछो तो उस का सही जवाब तो मेरे पास भी नहीं होता. मेरा तो अपना सब कुछ अस्थाई और अनियोजित है.’’

असल में मिनी के पति अशोक की नौकरी तबादले वाली है. अत: जब भी अशोक का तबादला होता है उसे परिवार और बच्चों की खातिर अपनी नौकरी छोड़नी पड़ती है. नई जगह पर घरगृहस्थी और बच्चे सब व्यवस्थित हो जाते हैं तो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर रहने में विश्वास करने वाली मिनी को खुद का जीवन अव्यवस्थित लगने लगता है.

यह समस्या सिर्फ मिनी की नहीं है. अकसर महिलाओं को परिवार और काम के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए कई बार अपनी नौकरी छोड़नी, बदलनी या नई नौकरी से समझौता करना पड़ता है. बारबार नौकरी छोड़ने के कई कारण हो सकते हैं जैसे पति का तबादला, बच्चों की परवरिश, पढ़ाई एवं सुरक्षा या घर में बीमार बुजुर्ग की देखभाल की समस्या आदि. कारण चाहे जो भी हो पर बारबार नौकरी बदलने की मजबूरी से इनसान खासकर महिलाओं को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है.

सही नौकरी की तलाश

‘‘आज के जमाने में जहां नौकरी मिलना बहुत कठिन है, वहीं मिली हुई नौकरी को छोड़, अपनी रुचि और सुविधानुसार नई नौकरी तलाश करना अपनेआप में बहुत बड़ी समस्या है,’’ यह कहना है 30 साल की जरीना का जो अब तक पारिवारिक कारणों से एक ही शहर में 3 बार नौकरी छोड़ चुकी हैं और चौथी की तलाश जारी है. नई नौकरी पाने के चक्कर में कई तरह के  समझौते करने पड़ते हैं. कभी पैसों से समझौता करना पड़ता है तो भी वर्किंग आवर्स को ले कर.

काबिलीयत को प्रूव करना

45 साल की गोपा चक्रवर्ती के पति सेना में कार्यरत हैं, जिन का तबादला लगभग हर 2 साल पर होता रहता है. बारबार जौबे ढूंढ़ने की बात चली तो वे कहने लगीं, ‘‘मैं तो हर 2 साल पर बेरोजगार हो जाती हूं. फिर से नई जगह नौकरी ढूंढ़नी पड़ती है. अब इतना अनुभव हो गया है कि नौकरी तो मिल जाती है पर काबिलीयत होते हुए भी हर जगह अपना काम जीरो से शुरू करना पड़ता है और जब तक मेहनत कर के खुद को प्रूव करती हूं, नौकरी छोड़ देनी पड़ती है. लगता है नौकरी करने का एक ही मकसद रह गया है. बस खुद को लोगों के सामने प्रूव करते रहो जिंदगी भर.’’

अस्थिर भविष्य की चिंता

एमए पास 37 वर्षीय भावना शर्मा जो शुरू में एक प्राइवेट कालेज में प्रवक्ता थीं, वर्तमान में दुबई में स्कूल शिक्षिका हैं, ने बताया, ‘‘क्या करूं एक तरफ पति का कैरियर है तो दूसरी तरफ बेटी की सुरक्षा का सवाल है. शुरू में जब नईनई गृहस्थी थी उस समय आर्थिक कारणों से दोनों पतिपत्नी का कमाना जरूरी था. जब बेटी का जन्म हुआ तब मैं ने एनटीटी कोर्स कर के ऐसा स्कूल जौइन किया था जिस में क्रैश की सुविधा थी, क्योंकि मेरी मां नहीं हैं और सास की तबीयत भी ऐसी नहीं थी कि वे बच्ची की देखभाल कर सकें. फिर जब बेटी थोड़ी बड़ी हुई और उस का स्कूल बदला तो मैं ने भी उसी स्कूल में काम करना शुरू किया जहां मेरी बेटी पढ़ती है. इस के लिए मुझे पेमैंट को ले कर समझौता भी करना पड़ा. पर अब लगता है कि टीनएजर बेटी को समय देने और उसे अकेले छोड़ने के बजाय मुझे ही नौकरी छोड़नी पड़ेगी. अब मुझे पैसों की उतनी जरूरत नहीं है पर जब एक बार वर्किंग वूमन हो जाओ तो घर बैठना बुरा लगता है. कल्पना करती हूं तो लगता है कि कहीं मैं घर पर बैठ कर चिड़चिड़े स्वभाव की न हो जाऊं और मेरे स्वास्थ्य पर इस का कोई बुरा असर न पड़े?’’

फील्ड बदलना चुनौती भरा काम

कई बार महिलाओं को एक फील्ड में लंबे समय तक काम करने के बाद मजबूरीवश अपनी फील्ड बदलनी पड़ती है या जौब छोड़नी पड़ती है. दोनों ही स्थितियां उन्हें मानसिक तौर पर प्रभावित करती हैं.

40 वर्षीय प्रिया कासेकर के पति अकसर दौरे पर रहते हैं. घर में बूढे सासससुर तथा 2 बच्चे हैं, जिन की देखभाल की जिम्मेदारी उसे ही निभानी पड़ती हैं. ऐसे में इंजीनियर प्रिया ने अपनी फील्ड बदल ली. 3 साल पहले बीएड कर के अब एक स्कूल में पढ़ाती है.

प्रिया का कहना है कि शुरू में तो उसे अपनी रुचि से अलग काम करना काफी चुनौती भरा लगा, साथ ही साथ नई नौकरी खोजते समय इस बात की बारबार सफाई भी देनी पड़ी कि पेशे से इंजीनियर शिक्षिका क्यों बन रही.

मानसिक प्रताड़ना की अनुभूति

नई नौकरी चाहिए तो इंटरव्यू देना ही पड़ता है. गोपा चक्रवर्ती का मानना है, ‘‘जब आप अपनी मरजी से जौब छोड़ कर नई जौब पकड़ना चाहते हो तो इंटरव्यू देना बुरा नहीं लगता पर अपनी जमीजमाई नौकरी छोड़ हर बार कई इंटरव्यू फेस करना और लोगों के प्रश्नों के संतोषप्रद उत्तर देना, फिर जब तक यह नहीं पता चले कि जौब मिली या नहीं, उस के लिए इंतजार करना एक प्रकार से मानसिक प्रताड़ना झेलने का अनुभव कराता है.’’

सही तालमेल बैठाना आसान काम नहीं

बारबार नौकरी बदलने में एक बात होती है कि काफी कुछ सीखने को मिलता है पर हर बार नए लोगों, नए माहौल और नए प्रोजैक्ट्स तथा अपने परिवार में उचित तालमेल बैठाना भी कोई आसान काम नहीं होता. प्राइवेट फर्म में काम करने वाली मार्गरेट का मानना है कि तालमेल बैठाने में शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की मेहनत करनी पड़ती है. इस क्रम में कभीकभी तो लगता है कि वह एक मशीन बन कर रह गई है.

जौब सैटिस्फैक्शन की समस्या

मजबूरी में छोड़ी गई तथा परिवार की सुविधानुसार की गई नौकरी में कई बार जौब सैटिस्फैक्शन नहीं होती. बस लगता है आर्थिक आमदनी के कारण नौकरी ढोए जा रहे हैं. इस संबंध में 32 वर्षीय मीनाक्षी का कहना है कि जब जौब सैटिस्फैक्शन देने वाली नहीं होती तो ऐसा महसूस होने लगता है कि अपना कोई वजूद ही नहीं है. बस पागलों की तरह मेहनत करते जाओ.

दो नावों की सवारी

कहा गया है कि दो नावों पर एकसाथ सवारी करना खतरनाक साबित होता है, पर शिक्षित, जागरूक और खुद को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए महिलाओं को कई बार ऐसी सवारी करनी ही पड़ती है. मार्गरेट अपने अनुभव बताते हुए कहती हैं कि अगर आप परिवार के सदस्यों की सुविधानुसार नौकरी करती हैं और कई बार उन की खातिर छोड़ देती हैं तो परिवार के सदस्य भी पहले अपनी सुविधा देखते हैं आप की नहीं. घर आती आमदनी सब को अच्छी लगती है चाहे पति हों या बच्चे, लेकिन वे एडजस्ट करना नहीं चाहते, बल्कि आप को एडजस्ट करना पड़ता है. कभी वर्किंग हो कर तो कभी घर बैठ कर.

मनोवैज्ञानिक दबाव

मनोविश्लेषकों का मानना है कि अपने जीवन में इनसान को कई चाहे अनचाहे उतारचढ़ावों से गुजरना पड़ता है. यह एक हद तक तो ठीक है पर जब बारबार इस तरह की परिस्थितियों का सामना करना पड़े तो कई बार इस का प्रतिकूल प्रभाव इनसान के मानसिक, शारीरिक और पारिवारिक जीवन पर प्रत्यक्ष रूप से देखने को मिल जाता है. पुरुषों से अपेक्षाकृत अधिक संवेदनशील होने के कारण मनोवैज्ञानिक दबाव के दुष्प्रभाव की शिकार सब से ज्यादा ऐसी महिलाएं होती हैं जो घरबाहर की दोहरी जिम्मेदारी निभाने पर भी जिन की पहचान न तो घरेलू महिला की रहती है और न ही कामकाजी की. मानसिक तौर पर वह स्वयं निश्चित नहीं कर पाती कि खुद को किस श्रेणी में रखे हाउसवाइफ की या वर्किंग की श्रेणी में?

एक प्रसिद्ध मनोचिकित्सक के अनुसार, नौकरी छोड़ना और नई नौकरी पकड़ने के दौरान कई बार कुछ महिलाओं में असुरक्षा की भावना, पैसे की कमी, खालीपन, पारिवारिक उपेक्षा का एहसास, मनोबल का गिर जाना, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन के साथसाथ हलके और गहरे अवसाद जैसे लक्षण भी पाए जाते हैं. ऐसी विषम स्थिति में न तो ठीक से कोई काम किया जा सकता है और न ही जीवन का आनंद उठाया जा सकता है. कई महिलाएं तो इस अल्पकालीन विषम स्थिति में धैर्य एवं हिम्मत रख कर खुद को संभाल लेती हैं पर बहुतों को मनोचिकित्सक की सलाह लेने की जरूरत पड़ जाती है.

एक महिला होने के नाते मेरा मानना है कि महिलाएं जिस तरह पति,बच्चों या परिवार के अन्य सदस्यों की उपलब्धियों के लिए जिस हिम्मत और जोश के साथ प्रयासरत रहती हैं. अपनी उपलब्धि के लिए भी प्रयासरत रहते समय निराशा के अंधकार में डूबने के बजाय हिम्मत, जोश और धैर्य बरकरार रखें.

वैलेनटाइंस डे के मौके पर इस शख्स ने नेहा कक्कड़ को किया प्रपोज, देखें वीडियो

सिंगर नेहा कक्कड़ का वैलेनटाइंस डे कुछ खास रहा, इस खास दिन पर एक ऐसे शख्स ने उन्हें घुटने पर बैठकर प्रपोज किया. इसका खुलासा खुद नेहा ने इंस्टाग्राम पर वीडियो पोस्ट कर किया. इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि नेहा कक्कड़ के कलीग दीपांशु नारंग ने हाथ में बुके और गिफ्ट लेकर उन्हें किस तरह से वेलेन्टाइन डे विश किया.

 

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उन्होंने नेहा कक्कड़ के हाथ में बुके देते हुए कहा, ‘जिंदगी में मैंने आपसे प्यारा किसी को भी नहीं देखा. आपकी इस निष्ठा और प्यार के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया.’ नेहा कक्कड़ ने इस वीडियो को पोस्ट करत हुए लिखा, ‘आखिरी रात बैक स्टेज पर… वेलेन्टाइन डे सरप्राइज. मैं बहुत लकी हूं कि दीपांशु नारंग जैसे #नेहार्ट मिले. लव माय नेहार्ट्स.’ नेहार्ट मतलब नेहा को चाहने वाला. नेहा द्वारा पोस्ट किए गए इस वीडियो को एक घंटे में करीब 6 लाख से ज्यादा लोग देख चुके हैं.

बता दें कि नेहा कक्कड़ दिल्ली की रहने वाली हैं और बचपन से सिंगिंग कर रही हैं. 30 वर्षीया नेहा कक्कड़ ने सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल में 2006 में हिस्सा लिया था और वे इस शो की जज भी कर चुकी हैं.  नेहा कक्कड़ साल 2014 में ‘कौमेडी सर्कस के तानेसन’ में भी नजर आई थीं.

जानिए नमक की इन झीलों के बारे में ये तथ्य

अपने देश की खूबसूरती को हम शब्दों में बयान नहीं कर सकते हैं. तभी तो भारत को अतुल्य भारत’ कहा जाता है. हमारे देश में कुछ ऐसी चीजें हैं जिससे आप अंजान भी होंगी, जैसे भारत में नमक की झीलें. बेशक नमक की इन झीलों के बारे में आपने सुना होगा तो आइए आपको इसे विस्तार से बताते हैं.

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सांभर झील

राजस्थान की सांभर झील भी नमक की अद्भुत झीलों में से एक है. जयपुर से करीब 80 कीमी दूर ये झील एक टूरिस्ट स्पौट है. यहां हर रोज़ अलग-अलग जगहों से पर्यटक आते हैं. इस झील की खासियत सिर्फ ये नहीं कि ये महज़ एक नमक की झील है, बल्कि ये भारत की सबसे ज्यादा खारे पानी की झील है.

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चिल्का झील

ओडिशा की सुंदरता छुपाए नहीं छुप सकती, और इसी राज्य को और कीमती बनाती हुई चिल्का झील, जिसका पानी बाकी नमक की झीलों की तरह खारा है. इस झील के खारा होने का कारण है कि ये एक समुद्री झील है. चिल्का झील भारत की सबसे बड़ी, और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी समुद्री झील है.

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लोनार झील

लोनार झील, इसे लोनार क्रेटर भी कहते हैं. क्रेटर का अर्थ है, गड्ढा. अब आप सोच रहे होंगे कि एक झील, गड्ढा कैसे हो सकती है, तो आपको बता दें कि ऐसा कहा जाता है कि ये झील कोई प्राकृतिक तरीके से बनी झील नहीं, बल्कि सदियों पहले एक उल्का पिंड के गिरने से इसका निर्माण हुआ.

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 पुलिकट झील

पुलिकट झील, भारत की दूसरी सबसे बड़ी खारी झील है. ये झील तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश की बीच में स्थित है. दोनों राज्यों की सीमा पर स्थित होने के कारण ये झील, दक्षिण के आधे भाग को अपनी ओर आकर्षित करती है.

हेयरस्टाइल्स फौर संडे ब्रंच

संडे ब्रंच आजकल लंच और डिनर से ज्यादा लोकप्रिय हो रहे हैं. अब ब्रंच पर जाना हो और आप स्टाइलिश न दिखें ऐसा हो सकता है क्या? तो, जानिए हेयर लुक को ब्रंच परफैक्ट बनाने के तरीके:

ब्रैडेड बन

स्टैप 1: अपने बालों को अच्छी तरह धो कर व सुखा कर के पोनीटेल बना कर एक रबड़बैंड से सुरक्षित कर लें.

स्टैप 2: बालों को 3 भागों में बांट कर चोटी बना लें.

स्टैप 3: चोटी के अंत पर एक रबड़बैंड से बांध कर उन्हें सुरक्षित कर लें.

स्टैप 4: अपनी पोनीटेल के बेस के आसपास चोटी को अच्छी तरह लपेटें. जरूरत के अनुसार ब्रैडेड बन को जगहजगह पिन करें. आप का ब्रैडेड बन तैयार है.

हाफ अप हेयर रैप

स्टैप 1: वौल्यूम के लिए हेयरस्प्रे छिड़क कर बालों की जड़ों को तैयार करें.

स्टैप 2: अपने बालों की फ्रंटलाइन से पीछे तक हाफ पोनीटेल बनाएं और फिर उन बालों को छोटे हिस्सों में अच्छी तरह तैयार करें ताकि आप के बालों में वौल्यूम आ जाए.

स्टैप 3: बालों के शीर्ष को बालों के आधे भाग के साथ हाफअप पोनी बनाएं और फिर उसे रबड़बैंड से सुरक्षित कर लें.

स्टैप 4: हाफअप पोनी के रबड़बैंड के नीचे सीधे बालों के 1 इंच के हिस्से को पकड़ें और रबड़बैंड को छिपाने के लिए हाफपोनी के चारों ओर बालों के ढीले 1 इंच के हिस्से को लपेटें. आप का हाफ अप हेयर रैप तैयार है.

ब्रैडेड हाफ अप

स्टैप 1: अपने चेहरे के सामने बाईं ओर बालों के 2 इंच भाग बनाने के लिए उंगलियों का प्रयोग करें.

स्टैप 2: मिनी बाल लोचदार के साथ बाएं ब्रैड को सुरक्षित करें.

स्टैप 3: अपने सिर के दाईं ओर स्टैप 1 और स्टैप 2 को दोहराएं.

स्टैप 4: मोटी ब्रैड के रूप में धीरेधीरे उंगलियों का प्रयोग कर के प्रत्येक ब्रैड को अलग कर दें.

स्टैप 5: अपने बालों के ऊपर से अनुभाग बंद करें और बिखरने से रोकने के लिए हेयरक्लिप से सुरक्षित रखें.

स्टैप 6: दोनों ब्रैड्स अपने सिर के पीछे लाएं और फिर सिर के केंद्र में मिनी हेयर लोचदार के साथ उन्हें सुरक्षित रखें.

स्टैप 7: बालों के शीर्र्ष भाग को नीचे ले जाएं. इसे एक छोटे से बालों वाली पोनी के साथ एक मिनी बालों के रबडबैंड के साथ सुरक्षित रखें जैसे रबड़बैंड एकसाथ ब्रैड को पकड़े हो.

स्टैप 8: शीर्ष रबड़बैंड में एक बौबी पिन सुरक्षित करें और इसे ब्रैड पर नीचे रबड़बैंड के माध्यम से थ्रैड करें, फिर सिर पर दोनों इलास्टिक्स फ्लैट सुरक्षित करने के लिए इसे दबाएं. आप का ब्रैडेड हाफअप तैयार है.

– स्वेता कुंडलिया

ब्यूटी ऐक्सपर्ट, ओशिया हर्बल्स

पाएं बेदाग चमकती त्वचा

मौसम कोई भी हो साफ, बेदाग, चमकती त्वचा पाने की चाह हर लड़की या महिला को होती है. पर कई बार त्वचा पर अनचाहे बाल उग आते हैं. खास कर चेहरे, हाथों या गरदन पर बाल या रोएं हों तो खूबसूरत ड्रैस पहन कर भी आप का आकर्षण अधूरा ही रह जाता है. ऐसी स्थिति से बचने और हर फंक्शन की शान बनने के लिए डाबर फेम ऐंटी डार्कनिंग हेयर रिमूवल क्रीम बेहतर औप्शन है.

आइए, जानते हैं हेयर रिमूविंग के कुछ तरीके:

1. नींबू का रस और शहद का मिश्रण: शहद और नींबू के रस का प्रयोग अवांछित बालों की समस्या और उन के विकास को रोकने में मददगार होता है. शहद में हाइड्रेटिंग और मॉइस्चराइजिंग गुण होते हैं जो त्वचा को नरम बनाने में मदद करता है. नींबू के रस में एक्सफोलिएटिंग और क्लीनिंग गुण होते हैं. यह आप की त्वचा को सा़फ और बेदाग लुक देने में मदद करता है.

2. मसूर की दाल और आलू का पेस्ट: मसूर की दाल के साथ आलू के मिश्रण को चेहरे और शरीर के अन्य हिस्सों पर लगा कर आप प्राकृतिक तरीके से अनचाहे बालों से छुटकारा पा सकती है. आलू में प्राकृतिक ब्लीच के गुण होते हैं और इस का इस्तेमाल हमारे शरीर के बालों के रंग को हल्का करने में मदद करता है.

3. पुदीने की चाय: फीटोथेरपी रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिक पत्रिकाओं में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार जो महिलाएं पुदीने की चाय पीती हैं, उन के रक्त में टेस्टोस्टेरोन (पुरुष हार्मोन) की मात्रा कम हो जाती है. टेस्टोस्टेरोन की कमी से अनचाहे बालों की उपस्थिति भी घट जाती है और चेहरा साफ बेदाग नजर आता है.

4.ब्लीचिंग और वैक्सिंग: ब्लीचिंग से अनचाहे बाल हटते नहीं बल्कि छिप जाते है. यह महिला और पुरुष दोनों ही इस्तेमाल कर सकते हैं.

वैक्सिंग के द्वारा भी शरीर के किसी भी हिस्से के अनचाहे बालों को आसानी से हटाया जा सकता है. वैक्सिंग के बाद बाल लंबे समय तक बाल दोबारा नहीं आते क्यों कि त्वचा के अंदर जड़ों से बालों को निकाला जाता है.

5. हल्दी का पेस्ट: सदियों में त्वचा रोगों के इलाज के लिए हल्दी का उपयोग किया जा सकता है. एंटीबैक्टीरियल और एंटीसेप्टिक गुण होने के अलावा यह बालों के विकास को रोकने में भी मदद करता है. आप हल्दी पाउडर में थोड़ा सा गुलाब जल या दूध मिला कर पेस्ट बना सकती है.

6. थ्रेडिंग और ट्वीजिंग: ठोड़ी, होठों के ऊपर और माथे पर मौजूद अनचाहे बाल हटाने के लिए थ्रेडिंग और प्लकर का सहारा लिया जा सकता है. थ्रेडिंग के जरिए चेहरे के अनचाहे बालों से मुक्ति पाई जा सकती है. ठोड़ी, गालों और भौहों के बीच में आए अनचाहे बालों को आप प्लकिंग करके भी निकाल सकते हैं. प्लकिंग के लिए आइब्रो-ट्वीजर चिमटी का इस्तेमाल अच्छा रहता है.

हेयर रिमूविंग क्रीम

समय की कमी के चलते अनचाहे बालों को हटाने में परेशानी होती है तो अब इस का समाधान बाजार में उपलब्ध हेयर रिमूविंग क्रीम्स हैं जैसे कि फेम एंटी डार्कनिंग हेयर रिमूवल क्रीम. यह डर्मटोलॉजिकली और क्लीनिकली टेस्टेड है जो हर स्किन पर सूट करता है.

7. इलेक्ट्रोलिसिस: होठों के ऊपर आने वाले बालों के लिए प्लकिंग की जगह वैक्सिंग या इलेक्ट्रोलिसिस का सहारा लेना चाहिए. इलेक्ट्रोलिसिस द्वारा ठोड़ी, स्तन और पेट के बाल हटाने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता हैं. इलेक्ट्रोलिसिस के दौरान बिजली के अत्यंत हल्के करंट का प्रयोग किया जाता हैं.

8. लेजर तकनीक: लेजर से अनचाहे बालों को स्थायी रूप से हटाया जा सकता है. लेजर की किरणों को बालों की जड़ पर फोकस कर बाल नष्ट किये जाते हैं. इस में लगभग सात से आठ सिटिंग्स लगती हैं.

फिल्म रिव्यू : गली ब्वाय

रेटिंग :दो स्टार

मुंबई के धरावी इलाके के स्ट्रीट रैपर्स के संघर्ष की कहानी के साथ उनकी प्रेम कहानी को उकेरने वाली फिल्म ‘‘गली ब्वाय’’ में फिल्मकार जोया अख्तर ने मुस्लिम समाज व युवाओं को लेकर कुछ मुद्दे भी उठाए हैं, मगर फिल्म अपना असर छोड़ने में विफल रहती है. पश्चिमी सभ्यता में रचे बसे, क्लब संस्कृति का हिस्सा बन चुके अंग्रेजीदां दर्शकों को छोड़ इस फिल्म के साथ अन्य दर्शक खुद को जोड़ नहीं सकता. कहानी के स्तर पर भी फिल्म काफी कमतर है. फिल्म मुंबई के एक रैपर की सत्यकथा है, मगर फिल्मकार यह भूल गए कि रैपर्स संस्कृति से आम इंसान वाकिफ नही है.

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फिल्म‘‘गली ब्वाय’’की कहानी के केंद्र में मुंबई का धारावी इलाका और धरावी में रहने वाले एक मुस्लिम परिवार का युवक मुराद (रणवीर सिंह) है. गरीबी और सामाजिक बहिष्कार से जूझते मुराद का सपना एक मशहूर रैपर बनने का है. वह अपने विचारों को कागज पर उतारता रहता है. पर वह अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देता है. उसे धरावी के ही एक अन्य मुस्लिम परिवार की जिंदा दिल लड़की सफीना (आलिया भट्ट) से प्यार है. सफीना के पिता डाक्टर हैं और सफीना भी डाक्टरी की पढ़ाई कर रही है. सफीना का मानना है कि उसके लिए उसकी जिंदगी में सब कुछ सिर्फ मुराद है. इसी बीच मुराद के पिता आफताब (विजय राज) अपना दूसरा व्याह कर मुराद के लिए नई मां (अमृता सुभाष) भी ले आते हैं. फिर मुराद के पिता एक हादसे में चोटिल हो जाते हैं, तब मजबूरन मुराद को अपने पिता की जगह एक ड्रायवर के रूप में नौकरी करनी पड़ती है. मुराद और उसके पिता के बीच जमती ही नही है. मुराद की जिंदगी में बदलाव तब आता है, जब एक दिन वह एमसी शेर उर्फ श्रीकांत (सिद्धांत चतुर्वेदी) को कौलेज के लड़कों के साथ रैप करते देखता है. फिर मुराद, एमसी शेर से मिलता है. एमसी शेर, मुराद से कहता है-‘‘अगर दुनिया में सब कम्फर्टेबल होते तो रैप कौन करता.’’ उसके बाद मुराद व एमसी शेर एक साथ टीम बनाकर रैप करने लगते हैं. मुराद को रैपर के रूप में नया नाम ‘गली ब्वाय’मिलता है. फिर अमरीका से आई साई नामक म्यूजिक प्रोग्रामर मुराद से मिलती है और उसके साथ एक अलबम बनाने पर काम करती है, जिसके चलते मुराद व सफीना के बीच गलत फहमी भी पैदा होती है. अंततः मशहूर रैपर ‘नैस’भारत आने वाले होते हैं और तब एक प्रतिस्पर्धा होती है, जिसमें अंततः गली ब्वाय उर्फ मुराद विजेता बनते हैं.

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कमजोर कहानी के साथ साथ भारत में संगीत के ‘रैप’फार्म के प्रचलित न होने की वजह से फिल्म उम्मीद नही जगाती है. पटकथा के स्तर पर भी फिल्म काफी भटकी हुई है. फिल्म का ट्रेलर देखकर अहसास होता था कि फिल्म की कहानी रैपर मुराद यानी कि रणवीर सिंह के इर्दगिर्द होगी, मगर ऐसा नहीं है. फिल्म में बेवजह मुस्लिम समुदाय में दो दो शादियों का मुद्दा बहुत ही स्तर हीन ढंग से उठाया गया है. इसी तरह मोईन (विजय वर्मा) की कहानी को जोड़कर फिल्म बार बार दर्शकों को अलग मोड़ पर ले जाती है. फिल्म में मोईन को मुराद का दोस्त भी बताया गया है. मोईन ड्रग्स के धंधे में लिप्त है. मोईन कम उम्र के बच्चों से ड्रग्स की सप्लाई कराता है. मुराद भी कभी कभी ड्रग्स लेता है. मोईन कार चुराकर बेचने में माहिर है और जब भी मोईन कार चुराता है, तो उस वक्त मुराद उसका जोड़ीदार होता है, पर फिल्म में अंततः मोईन को कार चोर के रूप में सजा मिलती है, जबकि मुराद पर आंच नहीं आती. यानी कि फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी इसका कथानक व पटकथा है. इतना ही नही इंटरवल से पहले फिल्म काफी बोर करती है.

रैपर बनने के मुराद के जुनून, संघर्ष व उसके दर्द को बेहतर तरीके से नहीं उकेरा गया. जबकि गरीबी और सामाजिक उपेक्षाओं से जूझ रहे मुराद के दर्द और जुनून को कहानी में उचित स्थान नही दिया गया. यह लेखक व निर्देशक दोनों की कमजोरी है. फिल्म का क्लायमेक्स भी बहुत ग़डबड़ है. फिल्म को क्लासी बनाने के चक्कर में जोया अख्तर ने काफी गलतियां कर डाली.

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जहां तक अभिनय का सवाल है तो अल्हड़, जिंदादिल, हठेली सफीना के किरदार में एक बार फिर आलिया भट्ट ने अपने अभिनय का जादू चला दिया है. एम सी शेर के किरदार में सिद्धांत चतुर्वेदी ने भी बेहतरीन अभिनय किया है. डरे व सहमे से रहने वाले मुराद के किरदार में रणवीर सिंह ने भी अच्छा अभिनय किया है, मगर कई दृश्यों में रणवीर सिंह पर आलिया भट्ट व सिद्धांत चतुर्वेदी भारी पड़े हैं. अफताब के किरदार में विजय राज निराश करते हैं. साई के छोटे किरदार में कल्की ठीक ठाक अभिनय कर गयी हैं.

दो घंटे 35 मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘‘गली ब्वाय’’ का निर्माण फरहान अख्तर, जोया अख्तर और रितेश सिद्धवानी ने किया है. फिल्म की निर्देशक जोया अख्तर, पटकथा लेखक रीमा कागटी व जोया अख्तर, संवाद लेखक विजय मौर्या तथा फिल्म के कलाकार हैं- रणवीर सिंह, आलिया भट्ट, कलकी कोचलीन, सिद्धांत चतुर्वेदी, विजय राज, विजय वर्मा, अमृता सुभाष, शीबा चढ्ढा, नकुल सहदेव, श्रुति चौहाण व अन्य.

स्वीट शकरकंदी चाट

सामग्री

– 2 शकरकंदी

–  सनफ्लौवर सीड (1 बड़ा चम्मच)

–  तरबूज के बीज  (1 बड़ा चम्मच)

– पंपकिन सीड्स (1 बड़ा चम्मच)

–  नीबू रस (1 छोटा चम्मच)

– चाटमसाला

–  मूंगफली के दाने भुने (14-15)

बनाने की विधि

– सभी बीजों को कड़ाही में ड्राई रोस्ट करें.

– शकरकंदी को उबाल कर छोटेछोटे टुकड़ों में काटें.

– इस में सनफ्लौवर, तरबूज और पंपकिन के बीज, नीबू रस, मूंगफली के दाने व चाट मसाला मिलाएं.

– अब आपकी स्वीट शकरकंदी चाट तैयार है.

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