भारतीय महिलाओं में तेजी से बढ़ रहा है सर्वाइकल कैंसर का खतरा

दुनियाभर में कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कैंसर आज लोगों के मौत के सबसे बड़े कारणों में से एक है. कैंसर 100 से भी अधिक प्रकार के होते हैं. इनमें सबसे आम फेफड़े, ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, मुंह और सर्वाइकल कैंसर है. कुछ रिपोर्टों की माने तो मध्य वर्ग की 50 फीसदी महिलाओं में ह्यूमन पेपिलोमावायरस (HPV) होने का खतरा सबसे अधिक होता है. सर्वाइकल कैंसर से पीड़ित अधिकतर महिलाओं में इस वायरस का इन्फेक्शन पाया गया है.

आपको बता दें कि HPV कई तरह के वायरसों का समूह होता है, जो गर्भाशय ग्रीवा को संक्रिमित करता है. ये वायरस सेक्शुअल रिलेशन बनाने से एक से अगले व्यक्ति में फैलता है.

दो प्रकार के ह्यूमन पेपिलोमावायरस से सर्वाइकल कैंसर होने का खतरा 70 फीसदी अधिक हो जाता है. इस वायरस के टेस्ट रिपोर्ट में ये सामने आया है कि साल 2014 और 2018 में 31 से 45 वर्ष की लगभग 4,500 महिलाओं में 47 फीसदी महिलाओं में ह्यूमन पेपिलोमावायरस से पीड़ित थीं. जबकि16 से 30 वर्ष की आयु वाली 30 फीसदी  महिलाओं में इस कैंसर का प्रभाव देखा गया है.

लोगों की जान के लिए खतरनाक कैंसरों के प्रकार में सर्वाइकल कैंसर प्रमुख है. भारत में महिलाओं की मौत का दूसरा बड़ा कारण है सर्वाइकल कैंसर. जानकारों की माने तो अगर शुरुआती चरणों में इसका इलाज किया जाए तो इसके बहुत से लोगों की जान बचाई जा सकती है.

बालों की हिफाजत सिर्फ आप पर

सर्दियों में चलने वाली ठंडी हवाओं से बालों को नुकसान पहुंचाता है. इस मौसम में बाल, रूखे-सूखे और बेजान से हो जाते हैं. ठंड के कारण हम हर दूसरे दिन बालों को धुलने आदि से भी कतराते हैं, ऐसे में बाल खराब होने लगते है. अगर आप अपने बालों को चमकदार और स्‍वस्‍थ बनाएं रखना चाहती हैं तो यहां कुछ टिप्‍स बताएं जा रहे है उन्‍हें एकबार आजमाकर देखें.

समय-समय पर तेल लगाएं : अगर आपकी आदत बालों में तेल लगाने की नहीं है तो उन्‍हें रूखा झेलने के लिए तैयार रहें. तेल न लगाने पर बालों को पूरा पोषण नहीं मिलता है. सप्‍ताह में कम से कम एक बार औयल से मसाज करें. इससे बालों का रूखापन दूर होगा.

बालों को हल्‍का सा ट्रिम करवा लें : सर्दियों की शुरूआत में बालों को ट्रिम करवा लें. ट्रिम करवाने से दो मुहें बाल निकल जाते हैं और बालों की ग्रोथ अच्‍छी होती है.

स्‍कार्फ बांधें : बालों को सबसे ज्‍यादा नुकसान धूप, धूल, मिट्टी से होता है. इसलिए जब बाहर निकलें उन्हें किसी मफलर या स्‍कार्फ से जरूर लपेट लें. बालों में ज्‍यादा समय तक टोपी न लगाएं रखें.

रूसी भगाएं : सर्दियों के कारण बालों में रूसी का होना स्‍वाभाविक है. बालों से रूसी दूर करने के लिए नींबू का रस लगाएं. हौट औयल से मसाज करें.

हर दिन शैम्‍पू न करें : बालों को शैम्‍पू करना ही उन्‍हें अच्‍छा बनाने के लिए पर्याप्‍त नहीं है. कुछ लोगों को हर दिन बालों को धुलना पसंद होता है. अगर आपकी आदत भी ऐसी है तो सर्दियों में इस आदत को बाय बाय कर दें. हर तीसरे दिन बालों को शैम्‍पू से धुलें. शैम्‍पू करने के बाद उन्‍हे कंडीशनर करना न भूलें. ऐसा करने से बाल अच्‍छे और साफ रहेगें.

गीले बाल न बांधें : बालों को धुलने के बाद उन्‍हे कतई न बांधें. गीले बाल बांधने से सिर में दर्द होने लगता है, बाल अच्‍छी तरह सूख नहीं पाते है और उनमें रूखापन भी आ जाता है.

चमकदार और बाउंसी बनाएं : मौसम कोई भी हो, बाल चमकदार और बाउंसी ही अच्‍छे लगते हैं. अगर आपके बालों से चमक, सर्दियों के दौरान गायब हो जाती है तो परेशान न हों. अपने बालों की जड़ों पर शहद लगा लें और हल्‍के हाथों से मसाज करें. 10 मिनट के लिए ऐसे ही छोड़ दें और बाद में धुल लें.

इन बातों का रखें ध्यान, कभी नहीं होंगी औनलाइन फ्रौड का शिकार

तेजी से बढ़ते औनलाइन बाजार के हम सब ग्राहक हैं. फ्लिपकार्ट, अमेजन जैसी वेबसाइटों ने शौपिंग का पूरा स्वरूप बदल दिया है. अब आपको किसी भी तरह की खरीदारी के लिए कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं है. घर बैठे बस फोन पर उंगलियां चला कर आप मन मुताबिक सामान खरीद सकती हैं. पर जब नई चीजें हमसे जुड़ती हैं तो अपने साथ नई चुनौतियां भी लाती हैं.

तेजी से बढ़ रहे औनलाइन शौपिंग कारोबार के ट्रेंड से नई चुनौतियां सामने आई हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप शौपिंग को लेकर अधिक सजग और सावधान रहें. औनलाइन शौपिंग करने से पहले ध्यान रखें कि आपके कंप्यूटर में एंटी वायरस हो.

इसके अलावा हम आपको कुछ जरूरी बातों के बारे में बताने वाले हैं जिनको ध्यान में रख कर आप इन प्लैटफार्मों पर होने वाली धोखाधड़ी से खुद को बचा सकेंगी.

तुरंत करें सामान चेक

जैसे ही आपके पास और्डर की डिलिवरी हो जाए आप तुरंत सामान चेक करें. कई बार हमें गलत प्रौडक्ट्स दे दिए जाते हैं. कोशिश करें कि अनबौक्सिंग करते वक्त आप वीडियो रिकौर्ड कर लें. ये आपका प्रूफ होता है कि आपके पास गलत प्रौडक्ट आया है.

जानिए http और https  में अंतर

http  और https  का खासा ध्यान देने की जरूरत है. ये दोनों शब्द आपके url टैब में होते हैं. अगर आपके टैब में http है तो उससे खरीदारी ना करें. https वाली वेबसाइटें सुरक्षित होती हैं. इसमें s का अर्थ ही सिक्यूरिटी होता है. टैब में s लेटर पेमेंट के वक्त जुड़ता है.

रखें वेबसाइट की पूरी जानकारी

किसी भी वेबसाइट से शौपिंग करत वक्त ध्यान रखें कि उसकी सारी जानकारी आपके पास हो. जिन वेबसाइटों पर धोखाधड़ी की गुंजाइश होती है वो अपनी जानकारी छिपाए रखती हैं.

अनजान साइटों से ना करें शौपिंग

औनलाइल शौपिंग में अपनी सुरक्षा को लेकर सबसे अधिक सजग रहने की जरूरत है. किसी भी अनजान वेबसाइटों से कभी भी शौपिंग ना करें. ऐसा करने से आप अपनी जानकारी और धन से हाथ धो सकती हैं. इसके बाद आप अपने रकम के लिए क्लेम भी नहीं कर सकती हैं.

कंपनी की शर्तों को समझें

अकसर कंपनी की शर्तों को समझे या जाने बिना हम शौपिंग करते हैं और इस चक्कर में हमारा नुकसान हो जाता है. आमतौर पर कस्टमर इन बातों का ध्यान नहीं देते और उनका नुकसान हो जाता है.

पेमेंट सिस्टम का रखें ध्यान

पेमेंट सिस्टम का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. आपको इस बात की जानकारी रखनी होगी कि वेबसाइट का पेमेंट सिस्टम वेरिफाइड बाय वीजा या मास्टरकार्ड है. अगर ऐसा है तो आपका पेमेंट सेफ है. नहीं तो आप ठगी जा सकती हैं.

सुकून के पल बिताना चाहती हैं तो यहां आएं

नेतरहाट झारखंड का इलाका है, यहां आदिवासी बहुत हैं और अधिकतर हिस्सों में जंगलों का फैलाव है. यहां साल, सागवान, सखुआ और बांस के घने जंगल हैं. यहां की स्थानीय भाषा में नेतरहाट का मतलब है, बांस का बाजार. खासतौर से यहां हिंदी और संथाली बोली जाती है.

भारत की ज्यादातर पहाड़ी जगहें इन अफसरों ने अपनी सहूलियत के लिए तलाशी और संवारीं अन्यथा जंगलों के बीच यह खूबसूरत मोती डिब्बे में बंद ही रह जाता. घूमने के लिए यहां कई वाटर फौल्स के अलावा सनराइज़ और सनसेट प्वाइंट भी हैं.

सूर्योदय और सूर्यास्त

इस जगह का सबसे बड़ा आकर्षण यहां का सूर्योदय और सूर्यास्त है. वैसे तो ठहरने की कई जगहों से इसे देखा जा सकता है लेकिन कुछ जगहें इसके लिए खासी मशहूर हैं, जैसे कि टूरिस्ट बंगला, होटल प्रभात विहार के सामने की जगह. नेतरहाट बसस्टाप से एक किमी की दूरी पर यह स्थित है. घने पेड़ों के बीच से लालिमा पूरे उन्माद में जब आकाश में सिंदूरी आभा बिखेरती है तो आंखें विस्मित हो जाती हैं.

यहां से 4 किमी की दूरी पर अपर घाघरी फौल है. चट्टानों के सीने को चीरता पानी पूरे उन्माद में गर्जन करता है. हालांकि यह झरना छोटा है लेकिन बहुत खूबसूरत है. पर्यटक लोअर और अपर घाघरी फौल देखने जरूर जाते हैं.

घने जंगलों के बीच से गुजरते हुए जगह-जगह अंधेरा गहराने लगता है. चिड़ियों की चहचहाहट, झींगुरों का सुरीला आलाप रास्ते भर साथी बना रहता है. तभी पानी के गिरने की आवाज सुनाई देने लगती है. ऐसा लगता है कि कहीं कोई पानी का झरना है. पानी की ठंडक को महसूस करने का एहसास खुशी से भर देता है.

बदन दर्द का कारण हो सकता है अवसाद

अवसाद एक ऐसा डिस्आर्डर है जिसे दिमाग से जोड़ कर देखा जाता है. लेकिन इस के लक्षण शारीरिक रूप से भी दिखाई देते हैं. जिन्हें अवसाद की समस्या होती है उन में से लगभग 50 प्रतिशत लोगों को शरीर में दर्द महसूस होता हैं. दरअसल शरीर और मस्तिष्क आपस में जटिल रूप से जुड़े होते हैं. जब एक ठीक नहीं है तो इस बात की आशंका बहुत बढ़ जाती है कि दूसरे पर भी इस का प्रभाव दिखाई देने लगे. कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अवसाद व्यक्ति के दिमाग में दर्द पैदा करने वाले हिस्सों को एक्टिव कर देता है. जिस से हमें मसल्स पेन ,जौइंट पेन ,चेस्ट पेन और हेडएक आदि का एहसास हो सकता है.

कई दफा हम दर्द खत्म करने की दवाईयां खाते रहते हैं पर इस दर्द की मूल वजह यानी अवसाद पर ध्यान नहीं देते और लंबे समय तक तकलीफ सहते रहते हैं.

यूनिवर्सिटी औफ कोलोरेडो, हेल्थ साइंस सेंटर के डौक्टर रोबर्ट डी कीले ने 200 से ज्यादा मरीजों का अध्ययन कर पाया कि शुरुआत में डौक्टर्स उन की

शारीरिक तकलीफों खासकर गले और बदन में दर्द की वास्तविक वजह यानी अवसाद का अंदाजा भी नहीं लगा सके. इस वजह से लंबे समय तक उन्हें अपनी तकलीफों से छुटकारा नहीं मिला. केवल डौक्टर ही नहीं बल्कि मरीज भी एंटीडिप्रेशन मेडिसिन लेने को तैयार नहीं थे क्यों कि उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि वे डिप्रेशन के मरीज है.

क्या है अवसाद

अवसाद एक गंभीर स्‍थिति है. हालांकि यह कोई रोग नहीं बल्कि एक संकेत है कि आप के शरीर और जीवन में असंतुलन पैदा हो गया है. अवसाद से निपटने में दवाइयां (एंटीडिप्रेसेंट) उतनी कारगर नहीं होती जितनी आप की सकारात्मक सोच और जीवनशैली में बदलाव का प्रयास. साधारणतः अवसाद के प्रारंभिक शारीरिक लक्षणों के तौर पर नींद की कमी, कमजोरी, थकावट, आदि की पहचान की जाती है. पर कई दफा इस की वजह से शारीरिक पीड़ा और दर्द जैसे बैक, नेक और ज्वाइंट पेन आदि भी पैदा होने लगते हैं. अवसादग्रस्त व्यक्ति न तो ठीक तरह से खाते हैं और न ही पूरी नींद ले पाते हैं. इस से भी मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं जिस से शरीर और गर्दन में दर्द हो सकता है.

अवसाद और शरीर में दर्द होना

इस सन्दर्भ में सरोज सुपरस्पेशेलिटी हौस्पिटल, नई दिल्ली के न्यूरोलौजिस्ट डा. जयदीप बंसल कहते हैं कि शारीरिक दर्द और अवसाद में गहरा बायलौजिकल संबंध है. न्युरोट्रांसमीटर्स, सेरोटोनिन और नोरेपिनेफ्रीन दर्द और मूड दोनों को प्रभावित करते हैं. अवसाद की स्थिति में ये अनियंत्रित हो जाते हैं. इन का अनियंत्रित हो जाना अवसाद और दर्द दोनों से जुड़ा है. सामान्य तौर पर दर्द इस बात का सूचक होता है कि अंदर कोई परेशानी है. यह परेशानी शारीरिक या मानसिक या दोनों हो सकती है. कईं बार हमें कोई शारीरिक समस्‍या नहीं होती तब भी हमारे शरीर के किसी हिस्‍से में दर्द होने लगता है इसे साइकोसोमैटिक पेन कहते हैं. जिस का तात्पर्य है कि मस्तिष्क और मन की परेशानी शारीरिक रूप से प्रदर्शित हो रही है.

समय के साथ बढ़ जाता है दर्द

अधिकतर अवसादग्रस्त लोग खुद को लोगों से अलगथलग कर घऱ की चहारदीवारी में कैद कर लेते हैं. इस से उन की शारीरिक सक्रियता काफी कम हो जाती है. कुछ लोग घंटो सोए रहते हैं या लगातार लंबे समय तक कंप्यूटर या मोबाइल पर लगे रहते हैं. इस दौरान वो अपना पौस्चर भी ठीक नहीं रखते। गलत पौस्चर और लगातार एक ही स्‍थिति में बैठे रहने से कमर दर्द और गर्दन में दर्द की समस्या हो जाती है. कईं लोग कम्‍प्‍युटर पर झुक कर काम करते हैं जिस से गर्दन में खिंचाव होता है. दिनरात बिस्तर में दुबके रहना, मांसपेशियों को कमजोर बना देता है. इस से भी शरीर और जोड़ों में दर्द होने लगता है। शारीरिक रूप से सक्रिय न रहने से हड्डियां भी कमजोर पड़ने लगती हैं.

उपाय

  1. जीवनशैली में बदलाव लाएं.
  2. सकारात्मक सोच पैदा करें क्यों कि इस से शरीर में एक नई उर्जा का संचार होता है.
  3. जोड़ों को क्रियाशील बनाए रखने के लिए नियमित रूप से कसरत करें. इस से हड्डियां मजबूत होती हैं .
  4. गैजेट्स के साथ कम से कम समय बिताएं। लोगों के साथ मिलेजुले. अच्छे रिश्ते बनाएं.
  5. समय का प्रबंधन बेहतर तरीके से करें.
  6. पढ़ाई या काम के दौरान थोड़ीथोड़ी देर का ब्रेक लें.
  7. शरीर का पौश्‍चर ठीक रखें. गलत पौश्‍चर शारीरिक दर्द का प्रमुख कारण है.
  8. कभीकभी कामकाज से छुट्टी ले कर घर वालों या दोस्तों के साथ घूमने जाने का प्रोग्राम बनाएं.
  9. पूरी नींद लें.
  10. चाय, कौफी का सेवन कम से कम करें.
  11. चहारदीवारी से बाहर निकलें और कुछ समय धूप में बिताएं. इस से आप को विटामिन डी मिलेगा जो आप की हड्डियां मजबूत बनाएगा और आप का मूड भी बेहतर करेगा.
  12. डिप्रेशन संबंधी किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर उन्हें नजरअंदाज न करें. तुरंत किसी मनोचिकित्सक से मिलें.

मछली बनाने की रेसिपी

 सामग्री :

– मछली (300 ग्राम, लगभग डेढ़ इंच के पीस)

– नींबू का रस (01 बड़ा चम्मच)

– नमक (1/2 छोटा चम्मच)

– हल्दी  (1/2 छोटा चम्मच)

– तेल ( 04 बड़े चम्मच)

– लाल मिर्च पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

– हरी धनिया (01 बड़ा चम्मच, कटी हुई)

सरसों का पेस्ट बनाने के लिए-

– पीली सरसों  (04 छोटे चम्मच)

– सूखी लाल मिर्च 2  (बीज निकाल लें)

– प्याज 1 (बारीक कटी हुई)

– नमक (1/4 छोटा चम्मच)

बनाने की विधि :

– सबसे पहले मछली पर नमक और नींबू का रस अच्छे से लगाएं और दस मिनट के लिए रख दें.

– इसके बाद उसे धो लें और कपड़े पर रख कर सुखा लें.

– अब सरसों का पेस्ट बनाने के लिए बताई गयी सामग्री को एक साथ पीस लें और अलग रख दें.

– इसके बाद एक नौन स्टिक पैन में बड़े चम्मच तेल डाल कर उसे गर्म करें.

– तेल गर्म होने पर उसमें मछली डालें और मध्यम आंच पर पकाएं.

– उसे सुनहरी होने तक तलें और फिर किसी बर्तन में निकाल कर रख लें.

– अब एक कड़ाही में 2 बड़े चम्मच तेल डाल कर उसे गर्म करें.

– गर्म होने पर उसमें सरसों का पेस्ट डाल दें.

– लगभग 3 मिनट तक पकाएं.

– इसके बाद पेस्ट में आधा कप पानी डालें और उबाल आने तक पकाएं.

आमलेट बनाने की रेसिपी

सामग्री :

– अंडे (02)

– प्याज़ 02 (बारीक कटा हुआ)

– मक्खन (01 बड़ा चम्मच)

– हरी मिर्च (बारीक कटी हुई)

– लाल मिर्च (1/2 छोटा चम्मच)

– हल्दी (01 चुटकी)

– हरी धनिया (01 बड़ा चम्मच कटी हुई)

– नमक (स्वादानुसार)

आमलेट बनाने की विधि :

– सबसे पहले अंडों का छिलका तोड़ कर उसे एक बाउल में निकाल लें और छिलका अलग कर दें.

– अब बारीक कटा प्याज़, बारीक कटी हरी मिर्च और बारीक कटी हरी धनिया बाउल में डालें.

– साथ ही लाल मिर्च पाउडर, हल्दी पाउडर और नमक भी डालें और अच्छी तरह से फेंट लें.

– अब एक फ्राई पैन को गरम करें.

– पैन गरम होने पर उसमें मक्खन डालें.

– जब मक्खन पूरी तरह से पिघल जाये, गैस की आंच कम कर दें.

– इसके बाद अंडों के मिक्स्चर को चला कर पैन में डालें और गोलाई में फैला दें.

– जब आमलेट की नीचे की लेयर पक जाए, उसे कलछी की सहायता से आराम से पलट दें और दूसरी   सतह को भी अच्छी तरह से सेंक लें.

– लीजिये आपकी आमलेट बनाने की विधि कम्‍प्‍लीट हुई. अब आपका स्‍वादिष्‍ट अंडे का आमलेट तैयार है.  इसे गर्मा-गरम प्लेट में निकालें और ब्रेड या रोटी के साथ इसका सेवन करें.

बैंक जाए बिना ऐसे करें नकदी जमा, बेहद आसान है तरीका

कैश निकालने के लिए लोग अब बैंकों पर कम निर्भर हो रहे हैं. अब ज्यादातर ट्रांजैक्शन एटीएम से होने लगा है. पर अभी भी कैश जमा करने के लिए लोग बैंकों का रुख ही करते हैं. कई शाखाओं में तो अधिकतर भीड़ ही कैश जमा कराने के लिए होती है. पर क्या आपको पता है कि अब आप एटीएम की मदद से भी कैश जमा कर सकती हैं?

जी हां, हम बात कर रहे हैं कैश डिपौडिट मशीन की. जिसे सीडीएम भी कहते हैं. सीडीएम के जरिए हम अपने खाते में कैश जमा कर सकते हैं. आपको बता दें कि ये तरीका बेहद सरल और सुरक्षित होता है.

– इस खबर में हम आपको बताएंगे कि आप सीडीएम का इस्तेमाल कैसे कर सकती हैं. तो आइए शुरू करते हैं.

– सबसे पहले अपने कार्ड को मशीन में डालें. ये बिल्कुल वैसा ही है जैसा आप एटीएम के साथ करती हैं.

– फिर मशीन का डिपैजिट स्लौट खुल जाएगा. इसमें आपको अपनी नकदी को रखना होगा ताकि ये जमा   हो सके.

– इसके बाद स्क्रीन पर पिन एंटर करने का निर्देश आएगा. यहां आप अपना पिन डालें.

– नकद रख कर एंटर बटन दबाएं. जिसके बाद जमा की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.

– इसके बाद स्क्रीन पर जमा राशि उभर कर आएगी. कई बार कुछ नोटों को मशीन एक्सेप्ट नहीं करती है.   कारण होता है नोटों में गड़बड़ी. ये गड़बड़ी फटे या पुराने नोटों के साथ अक्सर होती है. इसके अलावा   नकली नोटों को भी मशीन एक्सेप्ट नहीं करती.

– जिन नोटों को मशीन एक्सेप्ट नहीं करेगी वो उसी स्लौट में रह जाता है. बाकी राशि जमा हो जाती है.     इसके बाद मशीन  आपसे और नोटों को जमा करने के बारे में पूछेगी. अगर आप और राशि जमा करना  चाहती हैं तो उसी स्लौट में रकम रख दें नहीं तो नहीं का विकल्प चुन कर लेनटेन प्रक्रिया को समाप्त कर दें.

– इसके बाद मशीन एक स्लिप जेनरेट करेगी जिसमें ट्रांजेक्शन की सारी जानकारी अंकित होगी. और   आपके मोबाइल पर ट्रांजेक्शन की जानकारी आ जाएगी.

आज की मांग है, सस्टेनेबल फैशन

ऐसा माना जाता है कि फैशन इंडस्ट्री विश्व की सबसे बड़ी प्रदूषण फैलाने वाली इंडस्ट्री है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए इस बार ‘लैक्मे फैशन वीक समर/रिसोर्ट 2019 ने सस्टेनेबल फैशन के क्षेत्र में काम करने वाले डिजाईनरों की हौसलाअफजाई करने के लिए ‘सर्कुलर डिजाईन चैलेन्ज 2019’ का आयोजन किया और अच्छे काम करने वालों को पुरस्कार से सम्मानित भी किया.

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उनके हिसाब से ये नए जमाने की मांग है कि फैशन में नयी खोज, रिसायकल होने वाले पदार्थ, कृषियोग्य सामग्री, इको फ्रेंडली पदार्थों आदि पर अधिक से अधिक जोर दिया जाना चाहिए और इस दिशा में सभी बड़े-बड़े डिजाइनर्स ने मिलकर काम किया, जिसमें अनीता डोंगरे की ग्रासरूट कलेक्शन, उज्वला दूबे की अंतर अग्नि कलेक्शन, अनीता अरोड़ा की पेरो कलेक्शन आदि सभी ने दर्शकों का मन मोह लिया. इसमें सभी ने देसी और खादी कपड़ों को मौडर्न स्टाइल में पेश किया.

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‘सर्कुलर डिजाईन चैलेन्ज 2019’ में आने वाले सभी डिजाईनरों ने इसमें इस बात की कोशिश की कि कोई भी कपड़ा वेस्ट प्रोडक्ट में न जाए. इस प्रतियोगिता में पूरे देश से डिजाईनरों को आमंत्रित किया गया था, जिसमें कई हजार डिजाईनर्स ने भाग लिया, जिसमें से केवल 8 को शो केस करने के लिए आमंत्रित किया गया. जिसमें से केवल 3 को पुरस्कृत किया गया, जिन्हें एडिटर डिरेक्टर मिकी बोर्ड मैन, लाइफस्टाइल जर्नलिस्ट वंदना तिवारी, डिजाइनर राहुल मिश्रा, ग्लोबल एनवायरनमेंट लीड हर्षा वर्धन, यू एन एनवायरनमेंट इंडिया हेड अतुल बगाई और अभिनेत्री नेहा धूपिया की पैनल ने उनके काम की बारीकी से जांच कर पुरस्कृत किया.

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इस अवसर पर विजेता ब्रांड ‘आई एम साड़ी’ डिजाइनर जोड़ी पूर्णिमा पांडे और स्टीफानो फुनारी ने बताया कि उन्होंने हजारों फेकें गए या पुरानी साड़ियों को लेकर नए डिजाईन क्रिएट किये हैं, जो बहुत मुश्किल था. इस काम में साड़ी ही उनका रिसोर्स है. जिसमें 85 कारीगर 66 हजार से अधिक प्रोडक्ट बना सकते हैं. इसमें साड़ियों को लेकर उसकी पट्टी काटकर मिलान के साथ डिजाईन बनाये जाते है. हर परिधान एक दूसरे से अलग और अदभुत होता है. पोशाक के अलावा वे इससे जूते, बेल्ट, जैकेट, ज्वेलरी आदि बहुत सारी चीजे बनाते हैं, जिसकी मांग देश और विदेश में काफी है. ये सभी ड्रेस एफोर्डेबल हैं और इसे किसी भी अवसर पर पहना जा सकता है. आज तक इन दोनों की जोड़ी ने 18 हजार साड़ियों को रिसायकल किया है.

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सस्टेनेबल फैशन की दिशा में अनीता डोंगरे की पोशाक काबिले तारीफ थी, उन्होंने नार्थ ईस्ट का खासकर असाम, नागालैंड और ओड़िसा के कारीगरों को इसमें शामिल किया है. उनके हाथ से बनाये सफेद फेब्रिक को अनीता ने गोल्डन जारदोजी, कढ़ाई और मोती के वर्क से काफी आकर्षक बनाया है. अनीता का इस बारें में कहना है कि ऐसे कारीगरों की संख्या दिन ब दिन कम होती जा रही है, क्योंकि उन्हें काम के अनुसार पैसे नहीं मिलते. ऐसे में सभी डिजाइनर्स, सरकार और कंपनियों को अपना हाथ आगे बढ़ाने की जरुरत है. काम के दौरान मैंने देखा कि असाम की कलाकृति अदभुत है, लेकिन ऐसे काम करने वाले कारीगरों में अधिकतर महिलाएं है, जिनकी उम्र हो चुकी है. कम पैसे मिलने की वजह से उनके बच्चे इसे करना नहीं चाहते, जिससे ये कला समाप्त होती जा रही है. मेरी कोशिश रहेगी कि मैं इनकी कला को विश्व स्तर पर चर्चित करूं और इन्हें इनके अनुसार पर्याप्त मजदूरी दूं. महिला सशक्तिकरण की दिशा में ये सबसे अच्छा काम होगा.

इसके अलावा डिजाइनर ज्योति रेड्डी की ब्रांड एरिना का ‘भूमि भूमि कलेक्शन’ जिसमें साड़ी,ब्लाउज, पैन्ट्स ट्यूनिक्स, स्कर्ट्स,शर्ट्स, जैकेट्स आदि सभी को प्रकृति के साथ जोड़कर पेश किया गया. इसमें प्रयोग किये गए रंग हैण्ड मेड थे, जिसे मंजिस्था, इंडिगो, अनान्तो, पोमग्रेनेट आदि से बनाया गया था, जो गर्मी के मौसम में भी ठण्ड का एहसास कराएं

ग्लीटर आई शैडो : बनाएं आंखों को खास

क्या आपने कभी ग्‍लीटर आई शैडो को इस्तेमाल किया है. अगर नहीं तो एक बार जरूर करें ये आपके आंखों की शोभा को बढ़ा देती है. ग्‍लीटर को बिल्‍कुल सही तरीके से लगाना भी एक कला है. अगर आप इसे सही तरह से स्‍टेप बाई स्टेप लगाएंगी तो आंखों की सुंदरता और बढ़ जाएगी. इसके लिए बस आपको सही रंग, सही ब्रांड और अच्‍छी क्‍वालिटी को चुनना है ताकि आंखों को कोई नुकसान न हों और आपकी ड्रेस के साथ आपका मेकअप सूट करें. आप चाहें तो ट्रेडीशनल तरीके से हटकर भी शेडों को लगा सकती हैं, ये आपके अंदाज और लुक पर निर्भर करता है.

ग्‍लीटर के रंग का चयन : आप किस थीम की पार्टी में जा रही हैं, आपकी ड्रेस का शेड क्‍या है आदि बातों को ध्‍यान में रखकर आईमेकअप के लिए ग्‍लीटर के रंग का चयन करें. ग्‍लीटर आईशेडो के कुछ कलर मल्‍टीपर्पज होते है जैसे – ब्‍लैक, व्‍हाइट, सिल्‍वर या गोल्‍डन. इन्‍हें आप किसी भी ड्रेस पर लगा सकती हैं.

क्‍वालिटी : यह सबसे जरूरी है कि अच्‍छी क्‍वालिटी का ग्‍लीटर आईशेडो इस्‍तेमाल किया जाए. यह सिर्फ आपके मेकअप के लिए ही नहीं बल्कि आपकी सुंदरता के लिए भी जरूरी होता है.

आईशेडो प्रीमियर का इस्‍तेमाल करें : ग्‍लीटर आईशेडो को लगाने से पहले आईशेडो प्रीमियर का इस्‍तेमाल कर सकते हैं. इससे आंखों में स्‍मार्टनेस आती है और ग्‍लीटर मेकअप भी अच्‍छा लगता है.

वैसलीन या जेल का इस्‍तेमाल करें : ग्‍लीटर आईशेडो को लगाने से पहले अपनी आईलेश लाइन पर जैल या वैसलीन को लगाएं. ऐसा करने से मेकअप ज्‍यादा आकर्षक लगता है और लम्‍बे समय तक टिका रहता है. इस तरीके से ग्‍लीटर आईशैडो के मेकअप में परफेक्‍शन आता है.

क्रीम आईशेडों को लगाएं : अपनी ग्‍लीटर मेकअप किट में क्रीम आईशैडों को रखने का तरीका खास है. ग्‍लीटर आईशैडो को आंखों में लगाने से पहले क्रीम बेस आईशैडों का इस्‍तेमाल करें. इससे आपके पूरे चेहरे पर ग्‍लीटर नहीं फैलेगा.

लगाने का तरीका : ग्‍लीटर आईशैडों को बेहद सावधानीपूर्वक लगाना होता है. इसे लगाने के लिए क्‍यू – टिप या ग्‍लीटर एप्‍लीकेटर का इस्‍तेमाल करना होता है. पलकों पर शेड लगाने से पहले हल्‍का शेड करें और उसके बाद प्रॉपर लगाएं. इसे लगाते समय हिलें नहीं और न ही पलकों को झपकाएं.

बेस कलर के साथ शुरूआत करें : अगर आप ग्‍लीटर आईशेडो को लगाने से पहले बेस कलर का इस्‍तेमाल करती हैं तो इससे ग्‍लीटर में एक्‍ट्रा चमक आती है. या फिर आंखों में स्‍मोकी लुक देने के लिए भी आप बेस कलर का इस्‍तेमाल कर सकते है. बहुत ज्‍यादा बेस कलर लगाने की जरूरत नहीं होती है.

फाइनल टच : ग्‍लीटर आईशेडों को लगाने के बाद, कई बार ग्‍लीटर आपके चेहरे पर भी लग जाता है जे बहुत भद्दा लगता है. मेकअप को फाइनल टच देते हुए आप अपने चेहरे पर मास्किंग टेप का इस्‍तेमाल करते हुए जगह – जगह लगने वाले ग्‍लीटर को छुटा सकती है.

कैसे हटाएं : आंखों पर लगाएं हुए ग्‍लीटर आईशेडों को बहुत आसानी से छुटाया जा सकता है. आप इसे बेबी ऑयल या क्‍लींजर से छुटाएं.

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