लिवर के कैंसर में फायदेमंद होता है टमाटर

अनहेल्दी फूड्स, जंक फूड्स, फास्ट फूड्स जैसी चीजों का अधिक सेवन करने से लिवर का बहुत नुकसान होता है. जिससे लिवर कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है. हाल ही में एक स्टडी में ये बात सामने आई कि अधिक टमाटर का सेवन करने से लिवर कैंसर का खतरा कम होता है.

आपको बता दें कि इस स्टडी को चूहों पर किया गया. स्टडी की रिपोर्ट्स के मुताबिक टमाटर लाइकोपीन नाम का एंटीऔक्सिडेंट, एंटी इंफ्लामेट्री और कैंसर को नष्ट करने वाले गुण पाए जाते हैं. टमाटर में मौजूद ये सारे जरूरी तत्व लिवर की सूजन, कैंसर जैसी गंभीर समस्याओं को कम करते हैं.

अमेरिका में हुए इस शोध में ये बात सामने आई कि कच्चे टमाटर के अलावा केचअप, जूस या टमाटर से बने प्रोटक्ट्स में लाइकोपीन की मात्रा अधिक होती है. जानकारों की माने तो लिवर कैंसर में टमाटर का पाउडर भी काफी अहम भूमिका निभाता है. इसके अलावा कच्चा टमाटर भी काफी फायदेमंद होता है. कच्चे टमाटर में  विटामिन-ई, विटामिन-सी, फोलेट, मिनरल्स, फिनोलिक कंपाउंड और डायट्री फाइबर पाए जाते हैं.

चूहो पर हुए इस स्टडी में ये बात सामने आई कि उन्हें टमाटर खिलाने से उनके शरीर में सूजन पैदा करने वाले बैक्टीरिया की ग्रोथ काबू में रही. आपको बता दें कि टमाटर के अलावा अमरूद, तरबूज और पपीते में भी लाइकोपीन की मात्रा अधिक होती है.

सर्वाइकल कैंसर से कैसे बचें

महत्त्वपूर्ण तथ्य

सरल शब्दों में समझें तो अगर दुनिया के विकसित देशों में 100 में से एक महिला को जिंदगी में सर्वाइकल कैंसर होता है तो भारत में 53 महिलाओं में से एक को यह बीमारी होती है यानी भारतीय दृष्टिकोण में करीब आधे का फर्क है.

अन्य कारण

  • छोटी उम्र में संभोग करना.
  • एक से ज्यादा पार्टनर के साथ यौन संबंध बनाना.
  • ऐक्टिव और पैसिव स्मोकिंग.
  • लगातार गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल.
  • इम्यूनिटी कम होना.
  • बंद यूरेटर.

किडनी

  • भारतीय महिलाएं माहवारी से जुड़ी बातों पर आज भी खुल कर बात करने से बचती हैं. शायद इसलिए भारतीय महिलाओं में ब्रैस्ट कैंसर के बाद सर्वाइकल कैंसर दूसरा सब से आम कैंसर बन कर उभर रहा है.
  • कैसे होता है सर्विक्स गर्भाशय का भाग है, जिस में सर्वाइकल कैंसर ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण की वजह से होता है.
  • यह संक्रमण आमतौर पर यौन संबंधों के बाद होता है और इस बीमारी में असामान्य ढंग से कोशिकाएं बढ़ने लगती हैं.
  • इस वजह से योनि में खून आना, बंद होना और संबंधों के बाद खून आने जैसी समस्याएं हो जाती हैं.

लक्षण

आमतौर पर शुरुआत में इस के लक्षण उभर कर सामने नहीं आते, लेकिन अगर थोड़ी सी सावधानी बरती जाए तो इस के लक्षणों की पहचान की जा सकती है:

  • नियमित माहवारी के बीच रक्तस्राव होना, संभोग के बाद रक्तस्राव होना.
  • पानी जैसे बदबूदार पदार्थ का भारी डिस्चार्ज होना.
  • जब कैंसर के सैल्स फैलने लगते हैं तो पेट के निचले हिस्से में दर्द होने लगता है.
  • संभोग के दौरान पैल्विक में दर्द महसूस होना.
  • असामान्य, भारी रक्तस्राव होना.
  • वजन कम होना, थकान महसूस होना और एनीमिया की समस्या होना भी लक्षण हो सकते हैं.

कंट्रोल करने की वैक्सीन व टैस्ट

वैसे तो शुरुआत में सर्वाइकल कैंसर के लक्षण दिखाई नहीं देते लेकिन इसे रोकने के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, जिस से तकरीबन 70 फीसदी तक बचा जा सकता है.

नियमित रूप से स्क्रीनिंग की जाए तो सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों की पहचान की जा सकती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए आमतौर पर पैप स्मीयर टैस्ट किया जाता है. इस टैस्ट में प्री कैंसर सैल्स की जांच की जाती है.

बीमारी की पहचान करने के लिए नई तकनीकों में लगातार विकास किया जा रहा है. इस में लिक्विड बेस्ड साइटोलोजी (एलबीसी) जांच बेहद कारगर साबित हुई है.

एलबीसी तकनीकों के ऐडवांस इस्तेमाल से सर्वाइकल कैंसर की जांच करने में सुधार  आया है.

इलाज

अगर सर्वाइकल कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में चल जाता है तो बचने की संभावना 85% तक होती है.

वैसे सर्वाइकल कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज पर है. आमतौर पर सर्जरी के द्वारा गर्भाशय निकाल दिया जाता है और अगर बीमारी बिलकुल ऐडवांस स्टेज पर होती है तो कीमोथेरैपी या रेडियोथेरैपी भी दी जाती है.

बचाव है जरूरी

डाक्टर से सलाह ले कर ऐंटीसर्वाइकल कैंसर के टीके लगवाएं.

महिलाओं को खासतौर से व्यक्तिगत स्वच्छता का भी ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि जननांगों की साफसफाई बहुत महत्त्वपूर्ण है.

माहवारी में अच्छी क्वालिटी का सैनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करना चाहिए.

समय पर डाक्टर से संपर्क करना कैंसर के इलाज का सब से अहम कदम है, इसलिए शारीरिक बदलावों को नजरअंदाज न करें.

-डा. अंजलि मिश्रा, लाइफलाइन लैबोरेटरी

लोग कहते थे मैं बड़ा काम नहीं कर सकती : अनीता डोंगरे

फैशन की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली 50 वर्षीय अनीता डोंगरे की शख्सीयत अनूठी है. नम्र स्वभाव की अनीता ऐसे माहौल में पैदा हुई थीं जहां महिला उद्यमी बनने के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. ऐसे में अपने सपने को साकार करना आसान नहीं था. सफलता के इस मुकाम पर पहुंच कर भी वे खुद को लर्नर ही समझती हैं. उन से हुई बातचीत के अंश इस प्रकार हैं:

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अपने बारे में विस्तार से बताएं.

मैं पारंपरिक सिंधी परिवार से हूं. मेरे दादादादी जयपुर से थे. मैं मुंबई में पलीबढ़ी, क्योंकि मेरे पिता मेरे जन्म से कुछ ही महीने पहले मुंबई आ गए थे. मैं गरमी की छुट्टियों में जयपुर जाती थी. वहां मैं ने देखा कि मेरे परिवार के अन्य भाईबहनों के लिए बहुत सख्त माहौल था.

50 चचेरे भाईबहनों के बड़े परिवार में किसी ने भी महिला उद्यमी बनने के बारे में नहीं सोचा था. लेकिन मैं मुंबई में थी. यहां मुझे मेरे मातापिता ने पूरी आजादी दी. एसएनडीटी कालेज से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद मैं ने भारतीय परिधानों की डिजाइनिंग शुरू की. उस समय के सभी बड़े बुटीक्स में मेरा काम पसंद किया जाने लगा.

किस क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहती थीं?

जब मैं 15 वर्ष की थी तब से मुझे डिजाइनिंग और फैशन पसंद था. मेरे बहुत से दोस्त कौमर्स की पढ़ाई कर चार्टर्ड अकाउंटैंट बन गए, लेकिन मुझे यह बोरिंग लगता था. केवल फैशन ही ऐसा क्षेत्र था जो मुझे पसंद था.

प्रेरणा कहां से मिली?

मेरी मां घर पर मेरे और मेरे भाईबहनों के लिए कपड़े सिलती थीं. यह मुझे अच्छा लगता था. लेकिन तब मुझे यह पता नहीं था कि मैं यहां तक पहुंच जाऊंगी. लेकिन काम करने की उत्सुकता हमेशा बनी रही. आज भी जब कोई नया काम शुरू करती हूं तो उसे अच्छा करने की कोशिश करती हूं. मेरी प्रेरणास्रोत मेरी मां हैं.

अनीता डोंगरे

संघर्ष तो काफी रहा होगा?

मैं ने 300 वर्गफुट क्षेत्र में अपनी बहन के साथ कारोबार शुरू किया. कुछ वर्षों बाद मेरा छोटा भाई भी इस में शामिल हो गया. शुरूशुरू में कई मुश्किलें आईं. कई बार लगा कि व्यवसाय बंद करना पड़ेगा, पर वह थोड़े समय के लिए था. मैं सुबह उठ कर सोचती थी कि मैं क्या करूं? कई बार हमारे पास किराया देने के लिए भी रुपए नहीं होते थे. बाद में सब सही हो गया. मुझे लगता है कि एक उद्यमी के लिए हर रोज चुनौती होती है. उस से निबटने की कला सीखना भी जरूरी है.

जब मैं ने इंटर्नशिप, व्यवसाय या जौब जो भी किया परिवार वालों का सहयोग नहीं था. सब सलाह देते थे कि मैं इतना बड़ा काम कर के परिवार नहीं संभाल सकती पर धीरेधीरे वह भी आसान हो गया.

करीब 20 साल पहले मैं ने कामकाजी महिलाओं को ध्यान में रख कर वैस्टर्न कपड़ों को बदलाव के साथ पेश किया. लेकिन किसी ने मेरी डिजाइनों को पसंद नहीं किया. तब मैं ने तय किया कि अपनी कंपनी खोलूंगी. इस तरह अनीता डोंगरे की डिजाइनों का जन्म हुआ.

आप को जीवन में आगे बढ़ने में कोई कठिनाई आई?

पारंपरिक परिवार की होने की वजह से उद्यमी बनना आसान नहीं था. वहां महिलाएं स्टीरियोटाइप काम करती थीं. लेकिन मैं ने अपनी जिंदगी अलग तरीके से जी है और इस में मेरे मातापिता ने मेरी मदद की. पिता ने व्यवसाय शुरू करने के लिए पैसे दिए, जिन का उन्होंने ब्याज भी लिया. उन्होंने हमें पैसे का महत्त्व समझाया.

युवा महिलाओं के लिए कोई संदेश?

महिलाएं आज हर क्षेत्र में प्रोफैशनल पुरुषों की तरह ही कामयाब हैं. ऐसे में तुलनात्मक बातें नहीं आनी चाहिए. पहले महिलाओं को मौके कम मिलते थे पर अब ऐसा नहीं है. आज उन के लिए भी हर तरह की सुविधाएं हैं. वे आगे आ कर उन्हें अपनाएं और अपनेआप को सिद्ध करें कि वे किसी से कम नहीं हैं.

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मिनिमम बैलेंस से कम राशि पर कौन सा बैंक लेता है कितना जुर्माना

देश के सभी बैंकों ने ग्राहकों को अपने नियमित बचत खाते में मासिक औसत बैलेंस बनाए रखने के लिए नए नए प्रावधान लाते हैं. जो भी ग्राहक अपने खाते में मिनिमम राशि नहीं रखते उनसे जुर्माना के रूप में निश्चित रकम वसूला जाता है. इस खबर में हम आपको दो बैंकों के मिनिमम बैलेंस संबंधित जानकारी देंगे. और ये बैंक हैं भारतीय स्टेट बैंक और एचडीएफसी. तो आइए जाने कि इन दोनों बैंकों में निश्चित मिनिमम बैलेंस ना रखने पर कितने जुर्माने का प्रावधान है.

भारतीय स्टेट बैंक

भारतीय स्टेट बैंक या कहें तो एसबीआई ने अपने सभी ग्राहकों को उनके खाते में न्यूनतम राशि रखना अनिवार्य कर दिया है. आपको बता दें कि एसबीआई में मिनिमम बैलेंस की अनिवार्यता शाखाओं के आधार पर अलग-अलग होती है. एसबीआई की शाखाओं को मेट्रो, ग्रामीण, शहरी और अर्ध शहरी में बांटा गया है.

मेट्रो और शहरी इलाकों में एसबीआई शाखाओं में ग्राहकों को अपने खाते में कम से कम 3000 रुपये की औसत राशि अपने खाते में रखनी है. अर्ध शहरी इलाकों के लिए ये लिमिट 2000 रूपये की है. वहीं ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ये राशि 100 रुपये है. मेट्रो और शहरी क्षेत्र की बैंक शाखाओं में जो ग्राहक खातों में 1500 रुपये या उससे कम का बैलेंस रखते हैं उनपर 10 रुपये प्रति महीना और जीएसटी लगता है. अगर उनका बैलेंस निर्धारित सीमा से 50-75 फीसद से कम है तो उन्हें 12 रुपये और जीएसटी पेनाल्टी के रूप में देना होगा. वहीं अगर बैलेंस 3000 रुपये के 75 फीसद से कम है तो पेनाल्टी राशि 15 रुपये होगी और साथ में जीएसटी भी देना होगा.

एचडीएफसी बैंक

मेट्रो और शहरी क्षेत्र में स्थित एचडीएफसी बैंक में बचत खातों में ग्राहकों को औसत मासिक 10,000 रुपये रखने का प्रावधान है. वहीं अर्धशहरी क्षेत्रों के लिए ये न्यूनतम औसत राशि 5000 रुपये है. ग्रामीण क्षेत्र के शाखाओं में ये राशि 2,500 रुपये हैं. अब बात करते हैं औसत बैलेंस से कम राशि होने पर लगने वाले फाइन के बारे में. मेट्रो और शहरी क्षेत्रों के शाखाओं में न्यूनतम औसत बैलेंस ना रखने पर 150 रुपये प्रति महीने जुर्माना है.

वहीं 5,000 से 7,500 रुपये तक के बैलेंस पर 300 रुपये का जुर्माना है. 2,500 से 5000 रुपये तक के बैलेंस पर 450 रुपये का जुर्माना और 0 से 2500 रुपये तक के बैलेंस पर 600 रुपये प्रति माह जुर्माना का प्रावधान है. इसके अलावा अर्ध शहरी क्षेत्रों में 2,500 से 5000 रुपये तक के बैलेंस पर 150 रुपये और 0 से 2500 रुपये तक के बैलेंस पर 300 रुपये का जुर्माना प्रति महीना देना पड़ता है.

आलू गोभी की सब्जी

सामग्री:

– 2 चम्‍मच तेल

– अदरक का टुकड़ा

– 3 लहसुन (बारीक कटी)

– हल्‍दी (1/2 चम्‍मच)

– 1 चम्‍मच जीरा

– 1 चम्‍मच करी पावडर

– 227 ग्राम कटे टमाटर

– 1/2 चम्‍मच शक्‍कर

– 1 फूल गोभी (छोटे टुकड़ों में कटी)

– 2 आलू (चार टुकड़ों में कटे)

– हरी मिर्च (1 छोटी)

– नींबू का रस

– मुठ्ठीभर धनिया पत्‍ती (कटी हुई)

बनाने की विधि

– एक पैन में तेल गरम करें, उसमें प्‍याज डाल कर 10 मिनट तक पकाएं.

– फिर उसमें अदरक, लहसुन हल्‍दी, जीरा और करी पावडर डालें.

– इसे 1 मिनट तक पकाएं और फिर टमाटर और शक्‍कर डालें.

– जब यह सभी चीजें पक जाएं तब कटी हुई फूल गोभी, आलू और हरी मिर्च डालें.

– ऊपर से स्‍वादानुसार नमक मिलाएं.

– पैन को ढ़क दें और 30 मिनट तक बीच बीच में चलाते हुए पकाएं.

– अगर पानी की जरुरत हो तो पानी भी मिला लें.

– लेकिन सब्‍जी ड्राय ही बननी चाहिये.

– जब सब्‍जी पक जाए तब आंच बंद कर दें और ऊपर से नींबू निचोड़े और हरी धनिया छिड़के.

– अब आप इसे रोटी या पराठे के साथ सर्व कर सकती हैं.

गार्लिक फ्राइड राइस

सामग्री:

–  शिमला मिर्च  (1 मध्‍यम आकार का)

–  कुटी हुई काली मिर्च (1/2 चम्‍मच)

– सोया सौस (1 चम्‍मच)

– वेनिगर  (1/4 चम्‍मच)

– बासमती चावल (1/2 कप)

–  पानी (3 कप)

–  नमक (1/4 चम्‍मच)

– तिल का तेल (1/4 चम्‍मच)

– 9 से 10 ग्राम लहसुन

– बारीक कटे 1 बड़ा प्‍याज

– 1 छोटा गाजर

– 5-6 बींस

– 2 से 3 चम्‍मच कटी स्‍प्रिंग अनियन

बनाने की विधि

– सबसे पहले चावल को धो ले और 30 मिनट तक के लिये पानी में भिगो कर रख दें.

– एक पैन में 3 कप पानी गरम करें.

– जब वह उबलने लगे तब उसमें नमक और थोड़ा सा तेल मिलाएं.

– उसके बाद इसमें राइस डाल कर चलाएं.

– आंच को तेज कर दें और राइस को आधे से ज्‍यादा पका लें.

– उसके बाद चावल को छान लें और उसे हल्‍के से नल के पानी से धो लें.

– फिर राइस को ढंक कर एक किनारे रख दें और ठंडा होने दें.

– एक कढ़ाई में 2 चम्‍मच तेल गरम करें.

– इसमे कटी लहसुन .आंच धीमी करें और पकने दें.

– फिर कढाई में से 1-2 चम्‍मच लहसुन को अलग निकाल लें.

– इस लहसुन को हम आखिर में गार्निश करने के लिये यूज़ करेंगे.

– अब कढाई में बाकी के बचे लहसुन को भूनें और फिर उसमें स्‍प्रिंग अनियन का सफेद भाग मिलाएं और हरा वाला बाद में गार्निश करने के लिये रख दें.

– फिर  बारीक कटी फ्रेंच बींस डाल कर 2 मिनट तक फ्राई करें.

– फिर बाकी की सब्‍जियां मिलाएं, उसके बाद आधा चम्‍मच काली मिर्च पावडर मिलाएं.

– सब्‍जियों को 2 मिनट तक पकाएं, उसके बाद सोया सौस डालें.

– और फिर राइस डाल कर ऊपर से नमक मिलाएं.

– उसके बाद ऊपर से भुनी हुई लहसुन डालें और चम्‍मच से मिलाएं.

– राइस को 1 मिनट तक फ्राई करें, उसके बाद इसमें वेनिगर या फिर नींबू का रस मिलाएं.

– आंच बंद करें और ऊपर से ही पत्‍तेदार प्‍याज डाल कर मिक्‍स करें.

– आपका बर्न गार्लिक राइस तैयार है.

रूढ़िवादी सोच के कारण महिलाएं आधुनिक तौरतरीके नहीं अपना पा रहीं : अनामिका राय सिंह

उत्तर प्रदेश के गोंडा और गाजीपुर जैसे छोटे जिलों में पढ़ाई करने के बाद राजधानी लखनऊ आईं अनामिका राय ने कम समय में ही बिजनैस के क्षेत्र में काम कर के न केवल खुद को साबित किया, बल्कि आज बहुत सारे लोगों को रोजगार भी दे रही हैं. वे कहती हैं कि महिलाओं को अपना पढ़ने का शौक बढ़ाना चाहिए. इसी से तरक्की का रास्ता निकलता है.

पेश हैं, अनामिका से हुई गुफ्तगू के कुछ अंश:

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अपने बारे में विस्तार से बताएं?

मेरे पिता गोंडा जिले की आईटीआई कंपनी में काम करते थे. स्कूल के दिन मेरे वहां बीते. केंद्रीय विद्यालय आईटीआई गोंडा से 12वीं कक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ आ गई. लखनऊ मेरे लिए बड़ा शहर था. लखनऊ विश्वविद्यालय से फूड न्यूट्रिशन में बीएससी करने के बाद ‘एचआर और मार्केटिंग’ में एमबीए किया. इस के बाद शादी हो गई. कुछ समय के बाद मुझे लैक्मे के सैलून की फ्रैंचाइजी लेने का मौका मिला. मुझे लगा कि यह काम मैं कर सकती हूं. अत: मैं ने काम शुरू किया. कामयाबी मिली तो 2 सालों में ही लखनऊ में 3 लैक्मे के सैलून खोल लिए.

पहले लोगों को लगता था कि मैं इस काम को नहीं कर पाऊंगी, क्योंकि कालेज के बाद शादी और शादी के बाद यह बिजनैस. लोग समझते थे कि मुझे कोई अनुभव नहीं है. अपनी मेहनत से सफलता हासिल करने के बाद मुझे खुद पर भरोसा हुआ. फिर समाज के सामने खुद को साबित किया. तब लोगों की आलोचनाएं बंद हुईं. मुझे लगता है कि सफलता ही वह चीज है, जो आलोचनाएं बंद कर सकती है. मुझे ‘यंगैस्ट वूमन ऐंटरप्रन्योर 2017’ और ‘शख्सीयत ए लखनऊ’ जैसे सम्मान भी मिले.

बिजनैस से मिली सफलता के बारे में कुछ बताएं?

एक बार बिजनैस में कदम बढ़ाने के बाद मैं ने ब्यूटी के बाद फैशन के क्षेत्र में काम करना शुरू किया. ‘द इंडियन सिग्नोरा’ नाम से फैशन स्टोर खोला, जिस में हर तरह के लेडीज परिधान उपलब्ध हैं. इस के साथ ही ‘कौफी कोस्टा’ नाम से कैफे का बिजनैस भी शुरू किया. बिजनैस के अलगअलग क्षेत्रों में काम करना अच्छा रहता है ताकि कभी एक सैक्टर किसी कारण से प्रभावित हो तो दूसरे सैक्टर से मदद मिल सके. महिला होने के नाते बिजनैस को संभालना थोड़ा कठिन काम होता है. बिजनैस के लिए समयबेसमय आप को बाहर जाना पड़ता है, तरहतरह के लोगों से मिलना पड़ता है. ज्यादातर काम करने वाले पुरुष ही होते हैं. इस से काम करने में कुछ परेशानियां भी आती हैं. मगर उन का सामना कर के ही आगे बढ़ा जा सकता है.

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अनामिका राय सिंह

व्यवसाय के अलावा और क्या पसंद है?

मेरी रुचि बिजनैस करने में नहीं थी. मुझे किताबें पढ़ने और लिखने का शौक था. स्कूलकालेज के दिनों से मैं लेख, गीत, कविताएं, व्यंग्य, कहानियां लिखती थी. संगीत में भी रुचि रखती थी. इस दिशा में ही अपना कैरियर आगे बढ़ाना चाहती थी. 2015 में मेरा पहला काव्य संग्रह ‘अनामिका’ प्रकाशित हुआ, जिस में दिल को छूने वाली 42 कविताएं प्रस्तुत की गईं. काव्य संग्रह के बाद रियल स्टोरी बेस्ड एक नौवेल लिखने पर काम कर रही हूं. मगर बिजनैस के चलते अब समय नहीं मिल रहा, जिस की वजह से उसे पूरा करने में समय लग रहा है.

क्या अब महिलाओं की स्थिति में बदलाव आया है?

यह सच है कि महिलाओं की हालत में अब बहुत बदलाव आया है. अब छोटेछोटे शहरों की लड़कियां भी खुद को साबित कर रही हैं. परिवार का भरोसा पहले से अधिक बढ़ रहा है. मगर इस सब के बीच कुछ नई चुनौतियां भी सामने हैं, जिन में महिलाओं की सुरक्षा सब से बड़ा मुद्दा बन गया है. इस पर समाज और कानून को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है. महिलाओं में रूढि़वादी सोच भी है जिस के चलते वे आधुनिक सोच के साथ कदम से कदम मिला कर नहीं चल पा रहीं. यह बदलाव महिलाओं को खुद करना है. अब जब वे पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं, तो उन्हें अपनी हैल्थ, डाइट और फिटनैस पर भी ध्यान देने की जरूरत है.

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पहले से और ज्यादा खतरनाक हो गए हैं जंक फूड

जंकफूड से होने वाली समस्याओं पर लगातार स्टडीज होती रही हैं. इन स्टडीज से साफ हुआ है कि लोगों की सेहत के लिए जंक फूड बेहद हानिकारक है. पर हम जो खबर ले कर आएं हैं वो इससे भी अधिक गंभीर है. जानकारों की माने तो पिछले तीन दशक में रेस्टोरेंट्स में मिलने वाले जंक फूड्स की क्वालिटी में भारी गिरावट देखी गई है. रेस्ट्रोरेंट्स ने अपने मेन्यू में स्प्राउट् को ऐड किया है पर जंक फूड को बनाने में सोडियम की मात्रा को बढ़ा दिया है. इससे लोगों में मोटापे की शिकायत और बढ़ गई है.

हाल ही में प्रकाशिक एक जर्नल के मुताबिक, पिछले 30 सालों में जंक फूड की क्वालिटी में भारी गिरावट आई है और इससे लोगों की सेहत पर पहले से ज्यादा बुरा असर हो रहा है. शोध में शामिल लोगों की माने तो जंक फूड हमेशा से लोगों की सेहत के लिए हानिकारक रहा है पर बीते तीस सालों में इसकी हालत और खराब हुई है. आलम सये है कि बहुत से लोगों के मौत का कारण बन गया है जंक फूड.

आपको बता दें कि स्टडी में 1986 से ले कर 2016 के बीच में 10 रेस्टोरेंट्स के जंक फूड का अध्ययन किया गया. इसका मुख्य उद्देश्य ये पता करना था कि बदलते वक्त के साथ इसमें क्या बदलाव हो रहे हैं और इससे लोगों की सेहत पर क्या असर हो रहा है.

स्टडी में आए परिणामों के मुताबिक, इन सभी रेस्टोरेंट्स में स्टार्टर, डेजर्ट और अन्य व्यंजनों में 226 प्रतिशत की भारी भरकम बढ़ोतरी हुई है. शोधकर्ताओं को लगता है कि जंक फूड और मोटापे के बीच में गहरा रिश्ता है. उनके मुताबिक, लोगों का जंक फूड की तरफ बढ़ता रुझान उनकी सेहत पर नकारात्मक असर डाल रहा है.

स्टडी में ये बात सामने आई कि रेस्टोरेंट्स ग्राहकों को ज्यादा जंक फूड परोस रहे हैं. इसके चलते हमारी बौडी में सोडियम की मात्रा बढ़ रही है. इससे लोगों की सेहत का खासा नुकसान हो रहा है.

चिकन चाउमीन रेसिपी

सामग्री:

– चाउमीन (200 ग्राम)

– चिकन (200 ग्राम)

– पानी (1 कप)

– शिमला मिर्च (1)

– पत्ता गोभी (1)

– प्याज़ (1)

– काली मिर्च पाउडर (1/4 टी स्पून)

– तेल (2 टी स्पून)

– चिल्ली सास (2 टी स्पून)

– सोया सास (2 टी स्पून)

– सिरका (2 टी स्पून)

– नमक (स्वादानुसार)

– सबसे पहले चिकन को धो लें और अच्छे से साफ करके एक प्लेट में रख दें.

– अब एक बर्तन में पानी ले और गरम करने के लिए गैस पर रख दें.

– जब पानी में उबाल आजाए तो उसमे चाउमीन डालें और कलछी की मदद से चलाते रहे.

– कुछ देर बाद चाउमीन नरम होने लगेंगे गैस को बंद कर दें और छलनी की मदद से पानी और चाउमीन      को अलग कर दें.

– शिमला मिर्च, पत्ता गोभी और प्याज़ को बारीक़ काट कर रख लें.

– अब एक कढ़ाई में तेल डालकर गरम करें.

– गरम तेल में प्याज़ डालकर धीमी आंच पर उसे भूने कुछ देर में प्याज़ भुन जाएगा तो उसमे शिमला       मिर्च और पत्ता गोभी भी डालकर भून लें.

– इस मिश्रण के भुन जाने पर इसमें सिरका, सोया सौस और चिली सौस डालकर मिक्स करे साथ ही थोड़ा     सा नमक भी डाल दें.

अंडे के पकोड़े

सामग्री

– अंडे (4 उबले हुए)

– पानी (1/2 कप)

– हरी मिर्च (2)

– लहसुन पेस्‍ट (1 टी स्पून)

– लाल मिर्च (1 टी स्पून)

– काली मिर्च (1 टी स्पून)

– तेल (2 टी स्पून)

– बेसन (3 टी स्पून)

– नमक (स्वादानुसार)

– सबसे पहले सभी उबले हुए अंडो को ले और उन्हें छील लें.

– अब उन अंडो को बीच से दो भागो में काट लें.

– सभी अंडो के साथ ऐसा ही करे और हरी मिर्च को भी बारीक़ काट कर रख लें.

– अब एक बर्तन ले उसमे बेसन, नमक, लाल मिर्च, काली मिर्च, लहसुन का पेस्ट और थोड़ा सा पानी डालकर एक पेस्ट तैयार कर लें.

– इतना करने के बाद एक कढ़ाई लें उसमे तेल डालकर गैस पर गरम करने के लिए रख दें.

– उबले हुए अंडे के टुकड़े को ले बेसन वाले घोल में डुबोए और कढ़ाई में डालकर धीमी आंच पर उसे हल्का    ब्राउन होने तक तलें.

– जब वह तल जाए तो प्लेट में नैपकीन पेपर लगाए और बने हुए पकोड़े को प्लेट में निकाल लें.

– सभी अंडो को इसी तरह मिश्रण में डुबो कर तल लें.

– कुछ ही देर में आपके स्वादिष्ट और लजीज अंडे पकोड़े बनकर तैयार है इन्हे प्लेट में निकालें और सभी     को सौस या चटनी के साथ सर्वे करें.

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