आपके बालों और त्वचा के लिए फायदेमंद है नीलगिरी का तेल

अपने बालों को सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए लोग कई तरह के नुस्खे आजमाते हैं. लेकिन इन नुस्खों में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला नुस्खा तेल होता है. लोग सप्ताह में कम से कम एक बार बालों में तेल लगाते हैं ताकि उनमें रूखापन न आने पाए. ऐसे कई तेल हैं जो हमारी त्वचा एवं बालों की समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं. इनमें से एक है नीलगिरी का तेल जो त्वचा एवं बालों से संबंधित हर समस्या को दूर करता है.

त्वचा के लिए

प्रदूषण के साथ नमी त्वचा को नुकसान पहुंचाती है. हवा में मौजूद नमी के कारण हमारी त्वचा को सूक्ष्म जीवाणुओं द्वारा नुकसान पहुंचने की संभावना होती है. नीलगिरी के तेल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं जो त्वचा के हर संक्रमण को दूर करते हैं. यह आपको मुलायम एवं दागरहित त्वचा प्रदान करता है. यह तेल लगाने से जलन में आराम मिलता है. यह मांसपेशियों का दर्द दूर करने के साथ ही त्वचा को सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणों से सुरक्षा प्रदान करता है.

एरोमाथेरेपी के लिए

आजकल की व्यस्त दिनचर्या में कई लोगों के लिए आराम करना भी आसान नहीं होता जिसके परिणामस्वरूप अक्सर बेचैनी और तनाव महसूस होता है. मूड को बेहतर करने और दिलोदिमाग को सुकून का एहसास कराने के लिए नीलगिरी का तेल बहुत फायदेमंद हैं.

बालों के लिए

नीलगिरी के तेल में एंटीफंगल गुण होते हैं जो संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करते हैं. यह सिर के रोमछिद्रों को खोलता है और बालों को जड़ से पोषण प्रदान कर उन्हें स्वस्थ बनाता है. इस तेल से बाल घने होते हैं और साथ ही सिर की खुजली से भी राहत मिलती है.

कानून को सख्त और तेज होने की जरुरत है : संजय दत्त

80 और 90 के दशक में हिंदी सिनेमा जगत में बतौर अभिनेता  काम करने वाले संजय दत्त फिल्म निर्माता भी हैं. उनका जीवन काफी उतार चढ़ाव के बीच गुजरा है. लोग उन्हें प्यार से संजू बाबा, मुन्ना भाई आदि कई नामों से पुकारते हैं. फिल्म  ‘रेशमा और शेरा’ में बाल कलाकार के रूप में काम करने वाले संजय दत्त की पहली लीड स्टारर फिल्म ‘रौकी’ थी, जिसमें उनके काम को सराहना मिली और इसके बाद उनके पास फिल्मों की झड़ी लग गयी.

‘विधाता’, ‘खलनायक’, ‘बागी’, ‘वास्तव’, ‘हसीना मान जाएगी’, ‘साजन’ ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ आदि कई फिल्में बौक्स औफिस पर सुपर डुपर हिट रही. उन्होंने हर बड़ी हिरोइन और हीरो के साथ काम किया है. रोमांटिक,एक्शन और कामेडी हर तरह की फिल्मों में संजय दत्त ने अपने दमदार अभिनय की झलक दिखाई. एक बार राजनीति में भी उन्होंने अपना हाथ अजमाया, पर सफल नहीं रहे. अब वे उसे एक बीता हुआ कल कहते हैं, जिसे याद करना नहीं चाहते.

संजय करियर की शुरुआती दौर से ही विवादों में रहे हैं. साल 1982 में अवैध ड्रग्स रखने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर 5 महीने की जेल की सजा दी गयी. साल 1993 में मुंबई में सीरियल ‘बम ब्लास्ट’ के दौरान अवैध हथियार रखने और आतंकवादियों से बातचीत करने की वजह से टाडा की तरफ से गिरफ्तार होकर दो साल तक जेल में रहे, लेकिन अक्तूबर 1995 में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. फिर दिसम्बर 1995 में एक बार गिरफ्तार कर अप्रैल 1997 में जमानत पर रिहा हुए. इस तरह जेल में जाने आने का उनका लंबा सिलसिला सालों तक चलता रहा और अंत में 23 साल के बाद 25 फरवरी साल 2016 को वे पुणे की यरवदा जेल से मुक्त हुए और राहत की सांस ली. संजय दत्त जब जेल में थे तब उनकी पत्नी मान्यता अपने बच्चों को झूठा कहा करती थी कि उनके पिता शूटिंग पर गए हुए हैं.

वैसे तो संजय दत्त का नाम कई बार अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के साथ जुड़ा, उनकी कई फिल्में माधुरी के साथ सफल भी रही, लेकिन हथियार केस के चलते माधुरी ने उनसे किनारा कर लिया. मौडल्स लिजा रे और नादिया पिल्लई के साथ भी संजय दत्त की दोस्ती रही, लेकिन व्यक्तिगत जीवन में संजय दत्त ने तीन शादियां की है.

पहले अभिनेत्री ऋचा शर्मा, फिर मौडल रिया पिल्लई और अब मान्यता दत्त, उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. हालांकि जेल से आने के बाद संजय दत्त मुन्नाभाई एम बी बी एस की अगली सीरीज करना चाहते थे, पर उन्हें पहली फिल्म ‘भूमि’ मिली, जो पिता पुत्री के प्यारे रिश्ते को लेकर बनाई गयी फिल्म है. फिल्म को स्वीकार करने की वजह पूछे जाने पर संजय कहते हैं कि मैं ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान से बहुत सहमत हूं, क्योंकि देश की उन्नति तभी होगी, जब देश की लड़कियां पढेंगी और आगे वे देश के भविष्य का निर्माण करेंगी.

भूमि की कहानी से मैं बहुत प्रेरित हुआ था. मैं जब जेल में था, तो मैंने निर्भया रेप केस के बारें में सुना था और दुखी भी हुआ था, मैं कभी सोच नहीं सकता हूं कि कैसे कोई इतना नृशंस हो सकता है. मुझे जेल में एक कांस्टेबल ने भी कहा था कि वैसे तो लोग नारी की पूजा करते हैं, लेकिन ऐसी सोच कैसे रख सकते हैं? भूमि भी ऐसी ही घटना के पीछे की कहानी है, जहां अगर किसी बेटी के साथ ऐसा हुआ हो, तो उसके पिता पर क्या गुजरती है. इसकी कहानी मुझे अच्छी लगी थी.

संजय दत्त 4 साल बाद जेल से लौटे और अपनी दूसरी साफ-सुथरी पारी शुरू की, अब वे बहुत ही शांत और धैर्यवान दिखे. इतने सालों बाद भी कैमरे के आगे आने में उन्हें कोई मुश्किल नहीं हुई. वे कहते हैं कि मैं थोडा भावुक अवश्य हो गया था. ‘कमबैक’ शब्द मेरे लिए गलत है. वापसी 4 साल बाद हुई है, लेकिन लोग अगर ऐसा कहना पसंद करते हैं तो वह भी ठीक है.

बेटी त्रिशला के साथ आपकी बौन्डिंग कैसी रहती है पूछे जाने पर संजय दत्त कहते हैं कि पिता बेटी का रिश्ता जैसा होता है, वैसा ही नार्मल प्यारा रिश्ता है, ये हर परिवार में देखने को मिलता है. इस तरह की फिल्म अभी तक बनी नहीं है. केवल पिता और बेटी का ही नहीं, बल्कि गर्ल चाइल्ड की समस्या हमारे देश और कई जगहों पर आज भी है, जिसके ऊपर काम होनी चाहिए. लड़की हर घर में जरूरी है. मैं अपने बच्चों के साथ स्ट्रिक्ट फादर नहीं हूं, जबकि मैं सोचता था कि मैं स्ट्रिक्ट बनूंगा. बेटी के लिए मेरी यह राय होती है कि समय से घर पहुंचो और दोस्तों के साथ दिनभर रहो, रात को नहीं. बेटे और बेटी के लिए एक ही कानून है. ये नियम मेरे माता-पिता के समय से मैंने देखा है. मेरी बड़ी बेटी को फिल्म लाइन में अधिक रूचि नहीं है. उसने फोरेंसिक साइंस और फैशन डिजाइनिंग में पढाई की है.

संजय बचपन में अपने माता-पिता के बहुत लाडले हुआ करते थे, पर गलती करने पर उन्हें डांट भी अवश्य पड़ती थी. वह एक अच्छा बेटा नहीं बन सके, इसका उन्हें मलाल है. पुराने दिनों को याद करते हुए वे कहते हैं कि मुझे बचपन में कभी ऐसा नहीं हुआ कि उनकी कोई बात मुझे पसंद नहीं आई. उन्होंने जो कहा वह मेरे लिए अहम थी. पहली बार जब मैंने बाथरूम में सिगरेट पिया था, तो जबरदस्त डांट पड़ी थी. इसलिए मैं हर बच्चे से कहना चाहता हूं कि उन्हें अपने माता-पिता की बात सुननी चाहिए. ताकि आगे चलकर कोई मुश्किल जीवन में न हो.

कानून का सख्त होना संजय बहुत जरूरी मानते हैं ताकि लोग कुछ गलत करने से डरे. संजय कहते हैं कि क्राइम आजकल सभी जगह बहुत अधिक हो रहा है, खासकर महिलाओं के साथ में. कानून सख्त और तेज होने की जरुरत है. सालों साल कोर्ट में केस चलती रहती है और सही न्याय नहीं मिलता, इस बीच कई बार अपराधी बच निकलता है. निर्भया के केस को अगर हम देखें, तो नाबालिग लड़के को कोई सजा क्यों नहीं मिली, जबकि उसने सबसे अधिक जघन्य अपराध किया था. मैं उसे पढ़कर 10 दिन तक सोया नहीं था.

इसके अलावा नैना पुजारी हत्या काण्ड पर भी सही न्याय काफी देर से मिला, पर अभी तक अपराधी जीवित है. ये सब देखकर मुझे बहुत दुःख हुआ था. मेरे हिसाब से निर्भया को न्याय सही मायने में नहीं मिला. मैं महिलाओं के किसी भी समस्या में आगे बढ़कर काम करता हूं, क्योंकि मैं दो बेटियों का पिता और दो बहनों का भाई हूं.

इंडस्ट्री में बदलाव के बारे में संजय दत्त का कहना है कि बड़ी बदलाव इंडस्ट्री में है, अभी कार्पोरेट आ गया है. लोग प्रोफेशनल हो चुके हैं. समय पर फिल्में बनती है उसका अच्छा प्रमोशन किया जाता है, जो पहले मैंने कभी नहीं की. पहले से लेकर आजतक फिल्में भी सामाजिक पहलुओं को लेकर बनायीं जाने पर अधिक चलती है, जिसमें मदर इंडिया, दंगल, टायलेट एक प्रेम कथा आदि कई है. दरअसल जो फिल्म लोगों की भावनाओं से जुड़ती है, वही सुपर हिट फिल्म होती है.

इसके आगे संजय दत्त अपने बारे में कहते हैं कि मेरी स्ट्रोंग प्वाइंट है मेरा सब्र, जो मैंने कभी नहीं खोया वीक प्वाइंट है मेरा नरम दिल इंसान का होना, जो बहुत जल्दी इमोशनल हो जाता है. मुश्किल दिनों में सभी का साथ हमेशा रहा, कभी लगा नहीं कि बौलीवुड चढ़ते सूरज को ही सलाम करता है और अगर करता भी होगा, तो वह मेरे पिता की वजह से हुआ है. परिपक्वता आने पर व्यक्ति में बदलाव आ ही जाता है. पिता की एक अच्छा इंसान बनने की सीख को, मैं अपने जीवन में उतारना चाहता हूं.

संजय दत्त आगे कई और फिल्मों में व्यस्त है जिसमें ‘साहेब बीबी और गैंगस्टार 3’, ‘मुन्नाभाई एम बी बी एस 3’, ‘शिद्दत’, ‘मलंग’ आदि है. डिजिटल में आने की इच्छा वे रखते हैं. हालांकि उनकी जर्नी पर फिल्म बन रही है, जिसमें रणवीर कपूर मुख्य भूमिका निभाएंगे, लेकिन अपनी स्टोरी खुद लिखने की इच्छा संजय दत्त रखते हैं. पुरानी फिल्म ‘मुझे जीने दो’ की रिमेक वे बनाना चाहते हैं. इसके अलावा संजय कैंसर फाउंडेशन की देखभाल करते हैं, जिसे पिता सुनील दत्त ने शुरू की थी. ‘ड्रग फ्री इंडिया’ के लिए भी वे काम कर रहे हैं.

जब अमिताभ बच्चन ने रेखा को जड़ दिये थे कई थप्पड़

बौलीवुड में लव स्टोरी की बात जब भी होती है दिमाग में सबसे पहला नाम अमिताभ बच्चन और रेखा का ही आता है. अमिताभ बच्चन और रेखा ऐसे प्रेमी हैं जिन्हें मजबूरियों के कारण अपनी लव स्टोरी को बीच में ही छोड़ना पड़ा. उन दिनों रेखा अमिताभ के प्यार में पूरी तरह पागल थीं और बिग बी भी उन्हें टूटकर चाहने लगे थे. लेकिन अपनी परिवारिक बंदिशों की वजह से वह रेखा को चाहकर भी नहीं अपना पा रहे थे. जया बच्चन के साथ साथ पूरी बौलीवुड इंडस्ट्री को इन दोनों के अफेयर्स की खबर थी.

1981 में आई फिल्म ‘लावारिस’ तो आपको याद ही होगी. इस फिल्म में एक गाना ऐसा था जो लोगों की जुबां पर आज भी ताजा है. दरअसल, इस फिल्म में एक ईरानी मूल की डांसर नेली भी थी, जिनके साथ अमिताभ बच्चन को ‘अपनी तो जैसे तैसे कोई आगे ना पीछे’ गाना शूट करना था. उस दौरान मीडिया में ऐसी खबरें आने लगी कि नेली और अमिताभ बच्चन के बीच अफेयर चल रहा है. इस बात को सुनकर रेखा गुस्से में लाल हो गई और अमिताभ से झगड़ा करने सेट पर पहुंच गई.

उसी साल अमिताभ बच्चन रेखा और जया बच्चन के साथ फिल्म ‘सिलसिला’ भी कर रहे थे. इसलिए रेखा और अमिताभ का अक्सर मिलना हो जाया करता था. उस दिन जब रेखा ने अमिताभ पर उन्हें धोखा देने का आरोप लगाया तो बिग बी से ये बर्दाश्त नहीं हुआ. सेट पर अमिताभ बच्चन उन्हें अकेले में ले गए. पहले तो उन्होंने रेखा को प्यार से समझाया कि उनका और नेली के बीच कुछ नहीं है. जो खबरें चल रही है वो महज एक अफवाह है.

लेकिन अमिताभ की कोई भी बात रेखा सुनने को तैयार नहीं थी. रेखा बेहद गुस्से में अमिताभ को तरह तरह के ताने दे रही थी. रेखा की बातें सुनकर बिग बी ने अपना आपा खो दिया और उन्हें लगातार कई थप्पड़ जड़ दिए. जिसके बाद रेखा वहां से चली गई और यश चोपड़ा को ‘सिलसिला’ फिल्म में काम करने से इनकार कर दिया. लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी यश चोपड़ा रेखा को अपने फिल्म में काम करने के लिए मना लिया. इतना ही नहीं उन्होंने तो जया को भी इस फिल्म के लिए राजी कर लिया और इस तरह अमिताभ बच्चन ने पत्नी और प्रेमिका के साथ फिल्म कर एक नया इतिहास रच दिया.

 

सफर को बनाना चाहती हैं रोमांचक, तो फौरन चली आएं यहां

अगर आप कुछ रोमांचक ट्रिप प्लान कर रहीं हैं, जो आपके रोंगटे खड़े कर दे, तो इस साल कम से कम इन एडवेंचर ट्रिप्स को मिस न करें और हम जिन जगहों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं वहां जाकर आप इस प्रकार के रोमांच का मजा ले सकतीं हैं.

बिर बिलिंग, पैराग्लाइडिंग पैराडाइज

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा में स्थित बिर बिलिंग एडवेंचर के शौकीनों के लिए किसी पैराडाइज से कम नहीं है. पहाड़ियों और चाय के बगानों से घिरा बिर एक छोटा सा गांव है, लेकिन दुनियाभर के पैराग्लाइडर्स के बीच काफी प्रसिद्ध है. यह धौलाधार माउंटेन रेंज में स्थित बिर एयरो स्पोर्टस के लिए जाना जाता है. यहां पर पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप का आयोजन भी होता है. इंटरनेशनल पैराग्लाइडिंग सर्किट में इसकी खासी लोकप्रियता है. अगर आपको भी पैराग्लाइडिंग पसंद है और लाइफ में कुछ थ्रिल चाहती हैं, तो भारत में इससे बेहतरीन जगह दूसरी नहीं हो सकती. यह चंडीगढ़ से करीब 270 किलोमीटर और धर्मशाला से करीब 65 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां पैराग्लाइडिंग के साथ साथ हैंग ग्लाइडिंग का भी लुत्फ उठा सकते हैं.

अगर पैराग्लाइडिंग से डर लगता है तो आप ट्रैकिंग और कैंपिंग कर सकती हैं. लौन्चिंग डेस्टिनेशन बिलिंग करीब 8500 फीट की ऊंचाई पर है. यह जगह प्राकृतिक रूप से भी बेहद खूबसूरत जगह है. यहां से धौलाधार माउंटेन रेंज और कांगड़ा वैली की खूबसूरती देखते ही बनती है. राज्य सरकार द्वारा यहां पर इंटरनेशनल लेवल के कौम्पिटिशन और इवेंट्स आयोजित किए जाते हैं.

यहां जाने के लिए फरवरी से मई और अक्टूबर से दिसंबर उपयुक्त समय है.

हैवलौक, स्कूबा डाइविंग

रोमांच से रूबरू होना चाहती हैं, तो अंडमान निकोबार द्वीप समूह के हैवलौक आइलैंड हो आइए. यह स्कूबा डाइविंग के लिए बेहतरीन जगहों में से एक है. जो लोग एंडवेंचर पसंद करते हैं, उनके लिए डाइविंग से बेहतर और क्या हो सकता है. यहां शीशे की तरह साफ पानी, चांदी की तरह चमकती सफेद रेत और अद्भुत कोरल्स के कारण इस आइलैंड को दुनिया के खूबसूरत बीच में गिना जाता है. हैवलौक द्वीप पर स्कूबा डाइविंग किफायती भी है. यहां पर आपको अनुभवी स्कूबा डाइवर्स मिल जाएंगे और आप फैमिली के साथ भी स्कूबा डाइविंग को एंजौय कर सकती हैं. यहां पानी के नीचे की दुनिया आपको रोमांचित करेगी. पानी के अंदर रंग बिरंगी मछलियां और जलीय जीव जंतुओं को देखना एक अनोखा अनुभव होगा. आप यहां अनोखे कोरल रीफ्स का लुत्फ भी उठा सकते हैं. अंडरवाटर फोटोग्राफी का शौक है, तो यह बेहतरीन जगह है. वैसे, हैवलौक आइलैंड में घूमने वाली कई जगहें हैं, जिनमें राधानगर तट (बीच) और एलीफेंट बीच प्रमुख हैं. राधानगर बीच एक्वा स्पोर्टस के लिये प्रसिद्ध है. यहां से सूर्यास्त का बेहद खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है.

स्कूबा डाइविंग और स्नोर्कलिंग के लिए उपयुक्त समय मध्य जनवरी से मध्य मई है. इस दौरान आसमान साफ और समुद्र आमतौर पर शांत होता है.

मरखा वैली ट्रैक, ट्रैकिंग का रोमांच

ट्रैकिंग लवर्स के बीच लद्दाख स्थित मरखा वैली ट्रैक का रोमांच कुछ और है. यहां पहुंचने के लिए करीब 15000 फीट की चढ़ाई करनी पड़ती है. इस दौरान लेह लद्दाख की खूबसूरती और बुद्धिस्ट कल्चर की छाप जगह जगह दिखाई देती है. दरअसल, यह पूरा ट्रैक विविधताओं से भरा है. घाटी के सौंदर्य के साथ इस ट्रैक के दौरान छोटे छोट गांव, नदियां, धाराएं, मोनिस्ट्रीज, पुराने कैसल आदि दिखाई देते हैं. खास बात यह है कि ट्रैक हेमिस नेशनल पार्क से होकर गुजरता है. इसे पूरे ट्रैक को करीब 8-9 दिनों में पूरा किया जा सकता है. लेह पहुंचने के बाद ट्रैकिंग और हेल्थ से जुड़ी तैयारी पूरी करने के बाद जिंगचेन (3400मी.) से ट्रैकिंग की शुरुआत कर सकते हैं. यहां से पश्चिम की तरफ नुन कून और उत्तर में सासेर कांगरी के खूबसूरत दृश्य आपको मंत्रमुग्ध कर देंगे.

यहां जाने के लिये मध्य जून से मध्य अक्टूबर ट्रैकिंग के लिए उपयुक्त समय है.

मनाली टू लेह

दुर्गम रास्तों का सफर मनाली से लेह रूट देश के कुछ दुर्गम रास्तों में एक है. फिर भी एडवेंचर पसंद लोगों की संख्या इस रूट पर साल दर साल बढ़ती जा रही है. इस रास्ते की खूबसूरती को शब्दों में बयान करना मुश्किल है. बर्फ से ढके ऊंचे पहाड़ और सामने खुला नीला आसमान. यह रास्ता करीब 480 किलोमीटर है. यह सड़क केवल गर्मियों में पांच महीने यानी मई जून से अक्टूबर तक खुला रहता है. इस दुर्गम रास्ते से यात्रा पूरा करने में दो दिन लग जाते हैं.

मनाली की खूबसूरत घाटी से लेह की ऊंचाई आपके तन मन को सराबोर कर देने के लिए काफी है. रास्ते में तेज बर्फीली हवाएं और मोनेस्ट्री एक अलग अनुभव कराएगी. वैसे, इस रूट पर सरचू कैंपिंग के लिए आकर्षण का केंद्र है.

यहां जाने के लिये जून से अक्टूबर का समय उपयुक्त माना जाता है.

ऋषिकेश, रिवर राफ्टिंग

ऋषिकेश जाने वाले पर्यटकों में रिवर रिफ्टिंग को लेकर खास रोमांच होता है, क्योंकि यहां पहाड़ों से उछलती कूदती गंगा नदी की तूफानी लहरों के बीच रिवर राफ्टिंग का रोमांच ही कुछ और होता है. ऋषिकेश में शिवपुरी से रामझूला तक करीब 18 किलोमीटर की दूरी में रिफ्टिंग होता है. यहां कई कैंप हैं, जहां अनुभवी प्रोफेशनल रिवर रिफ्टिंग में आपकी मदद करते हैं. तकरीबन सभी कैंप नदी के किनारे ही स्थित हैं.

ऋषिकेश में रिवर रिफ्टिंग के लिए फरवरी जून या फिर सिंतबर-नवंबर तक का समय आदर्श माना जाता है.

फटी एड़ियों से हैं परेशान तो अपनाइये ये उपाय

जब आपके पैरों के तलुओं और एड़ी की सेंसिटिव स्किन रूखी हो जाती हैं तो यह फटकर खुल जाती है और उनमें छोड़ जाती है दर्द भरी दरारें, जिसके कारण चलते समय आपके पैरों में दर्द होता है और इनका इलाज कभी-कभी काफी मुश्किल भी हो जाता हैं. एड़ियों का फटना एक आम परेशानी है. कास्मेटिक के इस्तेमाल से एड़ियों का फटना एक दर्दनाक बीमारी बन गयी है.

इन परेशानियों का लक्षण है- लाली, खुजली, सूजन, स्किन का फटना और साथ में त्वचा का रूखा व पतला हो जाना है. इसके पहले कि दरारें गहरी हो जाए और उसमे से खून आने लगे या दर्द हो, आप इन उपचार को अपनाकर इस परेशानी से छुटकारा पा सकती हैं.

एड़ियां कैसे फटती हैं

फटी एड़ियों का ज्यादातर कारण उनमें मोइश्चर की कमी का होना है. ये अक्सर पीड़ादायक भी हो जाती हैं और कभी- कभी इनमें से खून भी निकलने लगता है. पैरों में सूखापन वैसे तो कई कारणों से हो सकता है लेकिन इनमे से कुछ मुख्य कारण है- ठण्डी का मौसम, शरीर में पाने की कमी, पैरों में मोइश्चर की कमी, अधिक गर्म पानी से नहाना, पैरों का अधिक गर्म पानी में देर तक रखना, सूखे पैरों की स्क्रबिंग करना या डायबीटीज का होना आदि.

फटी एड़ियों से होने वाला सबसे बड़ा रिस्क हैं डायबीटीज और मोटापा. जिनको डायबिटीज है उनकी एडियां फटने की सम्भावना अधिक होती है, क्योंकि इनका ब्लड शूगर कन्ट्रोल में नहीं रहता.

उपचार

यदि आपकी एड़ियां फटी  है और इनमे दर्द भी है, लेकिन क्रिम लगाने से कोई फायदा नहीं हो रहा तो आपको सावधान हो जाना चाहिये. ऐसी स्थिति में डाक्टर से जल्द सम्पर्क करें.

यदि आप इसके दर्द से छुटकारा चाहती हैं तो आप अधिक से अधिक पानी पीने (दिन में 8-10  गिलास) की आदत डाले और नहाने के लिए अधिक गर्म पानी का प्रयोग न करें. समस्या होने पर रोजाना कोई अच्छा लोशन लगायें, इससे आपको फायदा मिलेगा.

वेजीटेबल तेल

किसी भी तरह का वेजीटेबल तेल लगाकर आप अपनी फटी एड़ियों का इलाज कर सकती हैं. जैतून का तेल, तिल का तेल, नारियल का तेल आदि कारगर होता है. सोने से पहले फटी एड़ियों पर तेल लगाए. ऐसा करने से आपको अच्छे परिणाम मिलेगें.

पहले अपने पैरों को साबुन के पानी में डाल कर झामें से रगड़ें. अब पैरों को धो लें और पूरी तरह से सुखा लें. अब वेजीटेबल तेल अपने एड़ी और तलवे पर लगाएं. पैरों में मोजा पहन कर सोएं. सुबह आपकी एड़िया मुलायम लगेगी. कुछ दिनों तक ऐसा करें जब तक आप की एड़ियों की दरारें भर न जाए.

चावल के आटे का पेस्ट

स्क्रब बनाने के लिये, एक मुट्ठी आटा, थोड़ा सा शहद, एप्पल साइडर विनेगर मिलाकर पतला पेस्ट बना लें. अगर एड़ियां ज्यादा फटी हो तो एक चम्मच जैतून का तेल या बादाम का तेल मिला लें. 10 मिनट तक गर्म पानी में पैर को डुबो दें और फिर चावल के बने पेस्ट से स्क्रब करें.

नीम

फटी एड़ी, खुजली और इन्फेक्शन के लिए नीम एक अच्छी दवाई है. नीम के फंगीसिडल गुण रूखेपन, खुजली वाली स्किन और इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करते है. एक मुट्ठी नीम की पत्ती पीस कर पेस्ट बना लें उसमें तीन चम्मच हल्दी का पाउडर डालकर अच्छी तरह मिला लें. अब इस पेस्ट को फटी एड़ी पर लगाए और आधे घंटे तक छोड़ दें. गर्म पानी से पैरों को धो लें और साफ कपड़े से पोछ लें.

नीबू

जब स्किन रुखी हो जाती है तो फटने लगती है. नीबू में एसिडिक गुण पाए जाते है जो फायदेमंद होते हैं. गर्म पानी में नीबू का रस डाले, 10 से 15 मिनट तक इसमें पैरों को डुबो कर रखें. ध्यान दें कि पानी ज्यादा गर्म न हो वरना ये पैरों को ज्यादा रुखा कर देगी. फटी एड़ियों को झामें से अच्छी तरह रगड़े.

केले

फटी या रुखी एड़ी के लिए सस्ता व घरेलू उपचार पका केला है जिसमें मोइस्चर गुण होते है. एक पका हुआ केला मसल  कर पेस्ट बना लें. पैरों को अच्छी तरह धो लें और एड़ी पर केले का पेस्ट लगा लें. 10 से 15 मिनट के लिये छोड़ दें ताकि आपके स्किन अच्छी तरह से सोख लें. गर्म पानी से पैरों को धो लें और उसके बाद 5 से 10 मिनट तक ठन्डे पानी में पैरों को डुबों दें.

शहद

शहद में मोइस्चर और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो फटी और रुखी एड़ियों के लिए अच्छा इलाज है. टब में गर्म पानी लें और उसमे एक कप शहद मिला लें. 15 से 20 मिनट तक पानी में पैरों को डुबो दें. पैरों को धीरे धीरे स्क्रब करें. फटी एड़ियों से आराम मिलने तक ये हफ्ते में रोज़ करें या कई बार करें .

गुलाबजल और ग्लिसरीन

फटी एड़ियों के लिए गुलाबजल और ग्लिसरीन का मिश्रण काफी फायदेमंद होता है. ज्यादातर कास्मेटिक में ग्लिसरीन इसलिए इस्तेमाल होता है क्योंकि यह त्वचा को मुलायम बनाता है. गुलाबजल से विटामिन्स A, B3 , C, D, और E मिलती है साथ में एंटीआक्सीडेंट, एंटी–इंफ्लेमेटरी और एंटीसेप्टिक गुण भी मिलते हैं. गुलाबजल और ग्लिसरीन बराबर मात्रा में लेकर मिला लें और रोज रात को सोने से पहले अपने पैरो की एड़ी में लगा लें.

पैराफिन वैक्स

पैर की एड़ियां ज्यादा फट गयी हो और ज्यादा दर्द करती हो तो पैराफिन वैक्स आपको तुरंत आराम देता है और स्किन को मुलायम बनाता है.

डबल बायलर में पैराफिन वैक्स का एक ब्लाक पिघला लें और दो चम्मच सरसों का तेल या नारियल का तेल मिला लें. इसे तब तक ठंडा होने दें जब तक की इसके उपर एक पतली परत बन जाए. ठंडा होने के बाद मिश्रण में पैर डुबो कर 10 से 15 सेकंड तक छोड़ दें. इसी तरह कुछ देर तक करें जब तक की कई परत पैर पर बन नहीं जाती. पैर को प्लास्टिक से ढक कर 30 मिनट तक छोड़ दें. प्लास्टिक उतार दें और वैक्स को छिल दें. हफ्ते में दो बार करें.

पेट्रोलियम जेली

पेट्रोलियम जेली का इस्तेमाल करके रुखी, खुरदुरी स्किन और फटी एड़ियों से बचा जा सकता है. पेट्रोलियम जेली पैरों को मुलायम और मोइस्चर बनाए रखती है. गर्म पानी में डुबोने के बाद कड़ी डेड स्किन को स्क्रब कर लें और पूरी एड़ी पर पेट्रोलियम जेली लगा लें. एक चम्मच नीबू का रस भी पेट्रोलियम जेली में मिला कर लगा सकती हैं. पैरों में मोजा पहने ताकि पेट्रोलियम जेली स्किन में सुख जाए. सोने से पहले ऐसा रोज करें इससे अच्छा रिजल्ट मिलेगा.

इस फिल्म में दिखेगा कैसे भारत ने की थी सर्जिकल स्ट्राइक

पिछले साल देश में अगर सबसे ज्‍यादा किसी घटना की जिक्र रहा तो वह था, उड़ी में हुआ हमला और उसके जवाब में की गई सर्ज‍िकल स्‍ट्राइक. भारतीय सेना द्वारा पाकिस्‍तान में घुसकर आतंकियों के बेस को उड़ाने के इस कारनामे को पूरा देश जानता है. अब जल्द ही आप इस कारनामे को अपनी आंखों से सिनेमाघरों में देख सकेंगे.

एक रिपोर्ट के अनुसार, उड़ी में हुए हमले और उसके जवाब में की गई सर्ज‍िकल स्‍ट्राइक पर ‘उड़ी’ टाइटल से एक फिल्म बनाई जा रही है. इस फिल्म को प्रोड्यूसर रोनी स्‍क्रूवाला की कंपनी आरएसवीपी प्रोड्यूज करने जा रही है, जबकि इसमें प्रमुख भूमिका में एक्‍टर विक्‍की कौशल नजर आएंगे. इस फिल्‍म का निर्देशन आदित्‍य धर करने वाले हैं.

जानकारी के अनुसार विक्‍की इस फिल्‍म के लिए पैरा मिल्‍ट्री ट्रेनिंग लेने वाले हैं और साथ ही इस किरदार के लिए वह अपना वजन भी बढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं. वह इस फिल्‍म में हमलें के दौरान सर्ज‍िकल स्‍ट्राइक के पूरे आपरेशन में कमांडर इन चीफ बने नजर आएंगे.

विक्‍की कौशन ने इस बारे में बात करते हुए कहा, ‘जब यह फिल्‍म मेरे पास आई तो मैं इसे लेकर काफी रोमांचित हो गया था क्‍योंकि मुझे लगता है कि यह एक ऐसी कहानी है, जिसे हर व्‍यक्ति को जानना चाहिए. यह भारतीय सेना द्वारा किया गया एक शानदार आपरेशन था. मुझे लगता है कि यह जितना बड़ा मौका है, उतनी ही बड़ी जिम्‍मेदारी है मेरे लिए.’

फिल्‍म के प्रोड्यूसर रोनी सक्रूवाला का कहना है, ‘यह भारतीय सेना के एक जुट होने की एक शानदार कहानी है,’ जबकि निर्देशक आदित्‍य ने कहा, ‘उन 11 दिनों में क्‍या कुछ हुआ यह उसपर आधारित कहानी है और इस पर काम करना मेरे लिए सम्‍मान की बात है.’ बता दें कि पिछले साल जम्‍मू कश्‍मीर के उड़ी में जवानों के बेस कैंप पर हमला हुआ था, जिसमें 17 जवान शहीद हुए थे. 11 दिन बाद भारतीय सेना ने सर्जिकल स्‍ट्राइक को अंजाम दिया था.

जब इन सितारों ने सड़क से उठाकर बच्चों को अपना बनाया

बौलीवुड एक्ट्रैस सनी लियोन ने कुछ समय पहले ही एक बेटी को गोद लिया है. यह बच्ची महाराष्ट्र के लातूर की है. उन्होंने बच्ची का नाम नि‍शा कौर वेबर रखा है. हालांकि गोद लेने का यह कोई पहला किस्सा नहीं है. इसके पहले इंडस्ट्री में ऐसे कई स्टार्स हैं जिन्होंने बच्चों को गोद लिया है या फिर उन्हें कूड़े से उठाकर उनकी काफी अच्छी परवरिश की है.

चलिये हम आपको उन स्टार्स के बारे में बताते हैं

सुष्मिता सेन

मिस यूनिवर्स रह चुकी एक्ट्रैस सुष्मिता सेन ने साल 2000 में एक बेटी को गोद लिया था जिसका नाम उन्होंने रिनी रखा. उस समय सुष्मिता की उम्र केवल 25 साल थी. इसके बाद 13 जनवरी 2010 को उन्होंने 3 महीने की बच्ची को गोद लिया जिसका नाम अलीशा है. सुष्मिता अपनी दोनों बेटियों का बहुत ख्याल रखती हैं.

रवीना टंडन

एक्ट्रैस रवीना टंडन ने बहुत कम उम्र में दो बच्चियों को गोद लिया था. पूजा और छाया नाम की इन बच्चियों को साल 1995 में गोद लिया था उस समय रवीना की उम्र लगभग 23 साल थी. ये बच्चियां उनके किसी रिश्तेदार की थीं जिनकी मौत हो गई थी. उन्होंने इन बच्चियों की पूरी देखभाल की और दोनों की शादी भी हो चुकी है.

सलमान खान

बौलीवुड एक्टर सलमान खान के पिता और पौपुलर स्क्रिप्ट राइटर सलीम खान ने बरसों पहले अर्पिता नाम की बच्ची को गोद लिया था जो देखते ही देखते पूरे खान परिवार की जान बन गई. बताया जाता है कि अर्पिता की मां बेघर थीं और फुटपाथ पर उनकी मौत हो गई थी. अर्पिता सड़क पर सलीम और उनकी पत्नी को रोते हुए मिली थीं जिसके बाद दोनों ने उन्हें गोद ले लिया.

मिथुन चक्रवर्ती

एक्टर मिथुन चक्रवर्ती ने भी बच्ची को गोद लिया था. उनकी बेटी का नाम दिशानी है. बताया जाता है कि दिशानी को किसी ने कूड़ेदान में फेक दिया था. दिशानी के वहां मिलने के बाद मिथुन दा उन्हें घर ले आए और उन्हें अपने तीनों बेटों के साथ पाला.

ये 6 घरेलू नुस्खे बढ़ा देंगे आपकी खूबसूरती

अगर चेहरे पर निखार और चमक हो तो पर्सनालिटी और अच्छी दिखती है. चेहरे की खूबसूरती बढ़ाने और गोरा रंग पान के लिए हम कई तरह के कास्मेटिक्स का प्रयोग करते हैं, लेकिन मनचाहे परिणाम नहीं मिल पाता. कई बार ये क्रीम इम्तेमाल करने के बाद त्वचा और खराब दिखने लगती है. त्वचा बेजान हो तो झुर्रियां, कील, मुहांसे, छोटे छोटे दाने और चेहरे का रंग फीका पड़ना जैसी समस्याएं आम है. इसलिए चेहरे की खूबसूरती बनाए रखने और रूखी, तैलीय त्वचा जैसी परेशानियों के उपचार के लिए घरेलू नुस्खे अच्छा तरीका है.

हमारे घर में ही ऐसी कई चीजें होती हैं, जिसे हम नजरअंदाज कर देते हैं. इन्हीं घरेलू समानों का उपयोग कर ना जाने कितनी प्रकार की क्रीमें बनाई जाती हैं. अगर आप घर में ही इसका उपयोग करें, तो आपकी त्वचा में प्राकृतिक चमक आ सकती है.

टमाटर

टमाटर में एस्ट्रिंजेंट मौजूद होता है. यह रोमछिद्रों की गंदगी को दूर करके उनके आकार को छोटा करता है. सबसे पहले टमाटर के पेस्ट को अपने चेहरे पर लगाएं और फिर हल्के हाथों से मसाज करें. एक घंटे के लिए इसे चेहरे पर लगा रहने दें. इसके बाद गुनगुने पानी से चेहरा धो लें. लेकिन, गुनगुने पानी से धोने के बाद चेहरे को ठंडे पानी से धोना न भूलें. पंद्रह दिनों तक इसे चेहरे पर लगाएं, असर नजर आने लगेगा.

गुलाब जल और खीरे का जूस

गुलाब जल और खीरे का जूस एस्ट्रिंजेंट का काम करते हैं. गुलाब जल त्वचा का पीएच लेवल सामान्य रखता है. इसके अलावा इसमें एंटी बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं. खीरे के साथ गुलाब जल का मिश्रण रोमछिद्रों को प्रभावशाली तरीके से छोटा करता है. गुलाब जल और खीरे के जूस को मिलाकर चेहरे पर लगाएं और पंद्र्रह मिनट बाद ठंडे पानी से धो लें. त्वचा चमक उठेगी.

ब्राउन शुगर

ब्राउन शुगर के लेप से त्वचा के बढ़े हुए रोमछिद्र जादुई तरीके से कम होते हैं. ब्राउन शुगर का इस्तेमाल चेहरे पर स्क्रब की तरह करने से मृत त्वचा हटने लगती है, जिसके बाद बढ़े हुए रोमछिद्र कम होने लगते हैं. इसके लिए दो चम्मच ब्राउन शुगर और एक चम्मच औलिव औयल को मिलाएं. स्क्रब की तरह इस्तेमाल करते हुए चेहरे पर पांच मिनट तक मसाज करें. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो दें. पहले इस्तेमाल के बाद से ही फायदा नजर आने लगेगा.

छाछ

बढ़े हुए रोमछिद्रों को बंद करने या छोटा दिखाने का यह सबसे प्रभावशाली घरेलू उपचार है. इसके लिए एक कप में तीन चम्मच छाछ और एक चम्मच नमक लें. इस मिश्रण को अच्छी तरह से मिलाएं और मुलायम ब्रश की मदद से इसे चेहरे पर दस से पंद्रह मिनट के लिए लगाएं. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे को धो दें. यह उपचार प्राकृतिक होने के साथ प्रभावशाली भी है.

चंदन और हल्दी पाउडर

चेहरे को चमकदार, मुलायम और कोमल बनाने में चंदन उपयोगी है. इसकी तासीर ठंडी होती है. लिहाजा, रोमछिद्रों को छोटा करने में यह कारगार साबित होता है. इसमें हल्दी पाउडर मिलाने के  बाद यह एक अच्छा एंटी-बैक्टीरियल मिश्रण बन जाता है, जो त्वचा में जमी धूल-मिट्टी और गंदगी को दूर करता है. एक बड़े चम्मच चंदन पाउडर में एक छोटा चम्मच हल्दी पाउडर और एक बड़ा चम्मच गुलाब जल डालें और अच्छी तरह से मिलाएं. अब इस पेस्ट का इस्तेमाल फेसपैक के रूप में करें. जब फेसपैक अच्छी तरह से सूख जाए तो चेहरे को ठंडे पानी से धो लें. प्रभावी परिणाम के लिए सप्ताह में तीन दिन इस पेस्ट का इस्तेमाल करें.

बेकिंग सोडा

रोमछिद्र में फंसी गंदगी और मृत त्वचा को निकालने में बेकिंग सोडा काफी असरदार है. इसके लिए आपको एक बाउल में दो बड़े चम्मच बेकिंग सोडा और एक छोटा चम्मच पानी डालकर पेस्ट तैयार करना होगा. इस पेस्ट को चेहरे पर फेसपैक की तरह लगाएं और पंद्र्रह से बीस मिनट के लिए छोड़ दें. इसके बाद ठंडे पानी से चेहरे धो लें. थोड़े दिनों बाद आप खुद फर्क महसूस करने लगेंगी.

पौल बाबा की जय हो…

जब स्पेन ने फुटबाल का फीफा वर्ल्डकप जीता, उस समय रैंकिंग में जरमनी के पौल बाबा सब से ऊपर थे. हर गलीमहल्ले की तो छोडि़ए, हर चैनल और मोबाइल पर उन के चर्चे थे. हिंदुस्तान में तो रातोंरात उन के लाखों भक्त तैयार हो गए. इधर स्पेन जीता और उधर हमारे यहां श्रद्धालुओं का झुंड कटोरा ले कर जरमनी पहुंच गया चंदा मांगने.

आप सोच रहे होंगे कि फुटबाल को प्रोत्साहित करने के लिए कोई क्लब आदि खोलने के वास्ते. जी नहीं, वे चंदा एकत्रित कर रहे थे पौल बाबा का मंदिर बनाने के लिए. श्रद्धालु जनता के विश्वास को देख कर हमारा सिर सम्मान से झुक गया. चाहे गणेशजी को दूध पिलाना हो, चाहे एक रोटी से 2 रोटी बनाना हो, चाहे साईं बाबा के नाम पर 100 एस.एम.एस. करने हों, पूरा देश कितनी जल्दी एकजुट हो जाता है. धर्म, जाति, भाषा, प्रदेश का कोई भेदभाव नहीं रहता. पौल बाबा के मंदिर के लिए भी लोग इन तुच्छ भावनाओं से ऊपर उठ कर खुल कर सामने आए. डेविडजी, मलकानीजी कोई पीछे नहीं रहे. यदि चंदा नहीं दिया तो न जाने किस पर पौल बाबा कुपित हो जाएं.

खैर, जो भी हो, हम तो पौल बाबा की मूर्ति की कल्पना कर के ही रोमांचित हो रहे हैं. वाउ, कितनी यूनिक, सैंसेशनल और फेसिनेटिंग होगी पौल बाबा की मूर्ति.  पौल बाबा बच्चों के आकर्षण का केंद्र बन गए थे. स्कूल बस में एक छोटा बच्चा पूछ रहा था, ‘‘यह औक्टोपस होता क्या है? कैसा दिखता है?’’  दूसरा अपना ज्ञान बघारने लगा, ‘‘यह एक समुद्री जीव है. 8 भुजाओं वाला, बड़ा ही डरावना और घिनौना सा.’’

‘‘ए चुप, किसी बाबा के बारे में ऐसा नहीं कहते, पाप लगता है,’’ तीसरे ने टोका.

‘‘ओए, के.बी.सी. के वक्त यह बाबा मिल जाता न, तो फिफ्टीफिफ्टी राउंड जीत कर मैं करोड़पति बन जाता.’’

हम तो हैरान हैं कि बच्चों का दिमाग है या कंप्यूटर? क्या से क्या सोच लेते हैं और क्याक्या योजना बना लेते हैं? इतना तो सही विकल्प पर बैठते वक्त पौल बाबा भी नहीं सोचते होंगे. वे तो खापी कर टुन्न पड़े होते हैं कि कोई आ कर उंगली कर देता है, ‘‘बाबा, गलती से आप की पिछली भविष्यवाणी सही निकल गई थी. इसलिए आज फिर आप को किसी एक कार्ड पर बैठना होगा.’’  अब पौल बाबा कभी स्कूल तो गए नहीं जो पढ़ सकें कि किस कार्ड पर क्या लिखा है, न उन को फुटबाल का कखग पता है, पर बेचारे कहें किस से? माथा पकड़ कर सोचते रह गए, ‘इनसानों की इस दुनिया में यही तो मुसीबत है. एक बार हवा में कोई तीर लग जाए तो बस लोग खुद को अर्जुन समझ बैठते हैं. अब तो जब तक 1-2 तीर गलत नहीं लगेंगे, मुए पकड़ाते ही रहेंगे. हमें क्या, चलाए जाते हैं.’

उधर, फुटबाल के ज्ञाता सिर धुन रहे हैं कि क्यों उन्होंने फुटबाल सीखनेसिखाने में इतने साल बरबाद किए. जब वे घंटों जोड़नेघटाने के बाद भी निश्चित तौर पर नहीं बता पा रहे कि कौन जीतेगा…और यह जानवर देश के झंडे पर बैठ कर बता सकता है कि कौन जीतेगा तो ऐसी विद्वत्ता का क्या फायदा?  हम बस कयास पर कयास लगाए जा रहे हैं. यदि यह रणनीति रही तो वह जीत सकता है, ऐसा हुआ तो वह और वैसा हुआ तो वह…किसी में पौल बाबा जितना आत्मविश्वास नहीं है कि खट से अपने आसन से उतरे और झूमते हुए दूसरे आसन पर विराजमान हो जाए. क्या होगा यदि भविष्यवाणी गलत भी निकल गई तो? मार कर खा ही तो जाएंगे. हारने वाला मारने आएगा तो जीतने वाला अपनेआप बचाने आएगा. अपुन को किस बात की चिंता?

किटी पार्टी में महिलाएं सामयिक चर्चा में व्यस्त हैं, ‘‘मुझे पौल मिल जाएं न, तो खट से पता कर लूं कि कौन सा बौयफ्रैंड सच्चा है और कौन स्वार्थी.’’ दूसरी बोली, ‘‘मैं भी न डेट पर जाते वक्त कन्फ्यूज्ड हो जाती हूं कि कौन सी डे्रस पहनूं? आधा वक्त यह फैसला करने में ही निकल जाता है. पौल बाबा जिंदा होते तो झट बता देते कि फलां ड्रेस पहनो. सच, डेट पर टाइम पर पहुंच जाऊंगी तो कितना अच्छा लगेगा न?’’

‘‘मैं भी फिर उन्हीं से डिसाइड करा लेती इस बौयफ्रैंड को कंटीन्यू रखूं या ब्रेकअप कर लूं?’’

कुछ बड़ी उम्र की महिलाओं का अलग ग्रुप बन गया था, ‘‘मैं तो पति और बच्चों के खाने के नखरे झेलतेझेलते तंग आ गई हूं. इतने नकचढ़े हैं कि आलू बनाओ तो भिंडी मांगते हैं, पिज्जा बनाओ तो मंचूरियन चाहिए, टिफिन में परांठा डालो तो सैंडविच क्यों नहीं डाला?’’

‘‘अरे, हमारे यहां भी यही हाल है. हमारी कालोनी में पौल बाबा आए होते तो रोज उन से खाने की चिट निकलवा लेती. सारा लफड़ा ही खत्म.’’

‘‘श्श्श…धीरे बोल. पौल बाबा सुन लेंगे तो अनर्थ हो जाएगा. अरे, आज की तारीख में वे टौप रैंक पर चल रहे हैं. बस, उन्हीं का नाम जप. वे ही सही मार्ग सुझाएंगे.’’

मौसम विभाग वाले अलग रोजरोज की धमकियों से परेशान हो कर पौल बाबा की दुहाई दे रहे हैं. जब वे बारिश की भविष्य- वाणी करते हैं तो नहीं होती और जब नहीं करते तो हो जाती है. सब कर्मचारियों ने एक प्रार्थनापत्र लिख कर बड़े साहब को भेजा है कि कुछ भी कर के विभाग के लिए एक पौल बाबा लाया जाए. आखिर विभाग की इज्जत का सवाल है. जितने मुंह, उतनी बातें. हमें तो उस नन्हे से 8 भुजाओं वाले प्राणी पर दया आ रही है. बेचारा समुद्र की सारी उन्मुक्त अठखेलियां भुला कर कहां इनसानों के मायाजाल में आ फंसा. और यह लो, लोगों के मंसूबे पूरे भी नहीं हुए थे कि पौल बाबा के दुनिया छोड़ जाने की खबर आ गई. उड़ती चिडि़या के परों की आहट सुन लेने वाले बेचारे पौल बाबा अपनी मौत की आहट न सुन सके. चलो, जहां गए वहां तो वे लोगों से बचे रह पाएंगे.

प्रद्युम्न हत्याकांड की दास्तान सुन छलका प्रसून जोशी का दर्द

बचपन इतना खूबसूरत और प्यारा होता है कि उसे जिस सांचे में ढालो वो ढल जाता है. मां की कोख से निकलते वक्त बच्चे कली जैसे होते हैं और बाहर की दुनिया में आकर वो फूल जैसे खिल उठते हैं. लेकिन आज वक्त, समाज और दुनिया इतनी बेरहम होती जा रही है कि बच्चा मां की गोद से बाहर आने में घबराने लगा है. ये शब्द प्रद्युम्न हत्याकांड की दास्तान पर एकदम सटीक बैठता है.

दरअसल, पिछले दिनों दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम की स्कूल (रेयान इंटरनेशनल स्कूल) में हुई सात साल के बच्चे की मौत की घटना ने पूरे देश को सन्न कर दिया है. निर्भया गैंगरेप की घटना के सालों बाद राजधानी में किसी के दर्द की पुकार इस तरह से सुनाई दी है मानों चैन लूट सा गया है, सांसे थम सी गई है.

जहां इस खबर के आने के बाद प्रद्युम्न का परिवार सौ-सौ आंसू रो रहा है, वहीं बौलीवुड इंडस्ट्री भी सकते में है. इस खबर को सुनने के बाद सेंसर बोर्ड के प्रमुख और गीतकार पसून जोशी ने भी इस घटना पर मार्मिक कविता लिखी है. प्रसून जोशी ने फेसबुक पर ये दिल दहलाने वाली कविता शेयर की है.

इस कविता के जरिये उन्होंने मौत के उस मंजर को बयां किया है, जिससे 7 साल के प्रद्युम्न को गुजरना पड़ा. प्रसून जोशी की यह कविता आपके दिल को छू जाएगी और आपकी आंखें नम कर देगी.

पढ़ें प्रसून जोशी की कविता

जब बचपन तुम्हारी गोद में आने से कतराने लगे,
जब मां की कोख से झांकती जिन्दगी,
बाहर आने से घबराने लगे,
समझो कुछ गलत है.
जब तलवारें फूलों पर जोर आजमाने लगें,
जब मासूम आंखों में खौफ नजर आने लगे,
समझो कुछ गलत है. 
जब ओस की बूंदों को हथेलियों पर नहीं,
हथियारों की नोंक पर थमना हो,
जब नन्हें-नन्हें तलुओं को आग से गुजरना हो,
समझो कुछ गलत है.
जब किलकारियां सहम जायें
जब तोतली बोलियां खामोश हो जाएं
समझो कुछ गलत है.
कुछ नहीं बहुत कुछ गलत है
क्योंकि जोर से बारिश होनी चाहिये थी
पूरी दुनिया में
हर जगह टपकने चाहिये थे आंसू
रोना चाहिये था ऊपरवाले को
आसमान से फूट-फूट कर

शर्म से झुकनी चाहिये थीं इंसानी सभ्यता की गर्दनें
शोक नहीं सोच का वक्त है
मातम नहीं सवालों का वक्त है.
अगर इसके बाद भी सर उठा कर खड़ा हो सकता है इंसान
तो समझो कुछ गलत है.

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