2017 में यहां जरूर जायें

साल के आखिरी महीने, दिसंबर ने दस्तक दे दी है और मन में यह बार-बार कौंध रहा होगा कि जिन्दगी का एक साल बीत गया. बस यूं ही. कुछ खुशियां और कुछ गम के साथ. पर जो बीत गया सो बीत गया. अब आने वाले कल के बारे में सोचने में ही भलाई है. प्रकृति की गोद में हम अपने दूख, परेशानियों को कुछ दिनों के लिए भूल जाते हैं. अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं तो 2017 में इन जगहों पर जरूर जायें.

1. कैनडा

पश्चिमी कैनडा के एलबर्टा की खूबसूरती आपके होश उड़ा देगा. यहां के ग्लेशियर से लेकर हरियाली की भी भरमार है. पन्ने सरीखे पानी में आप मजे भी कर सकती हैं. पाइन के वृक्ष खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं. यहां आकर लेक लुई जाना न भूलें.

2. कोलंबिया

कोलंबिया को विश्व स्तर पर मजबूत पहचान मिल गई जब यहां के राष्ट्रपति को शांति का नोबेल पुरस्कार मिला. अगर आप इस देश को एक्सप्लोर करना चाहती हैं तो आपको लॉस्ट सिटी का रूख करना चाहिए. यहां के जंगलों पर एक समय टायरोना सभ्यता का राज था.

3. फिनलैंड

उत्तरी फिनलैंड के लैपलैंड के इगलू और होटल ऐसे बनाए गए हैं कि आप Aurora Borealis के नजारों का लुत्फ उठा सकें. अगर आप थोड़ा से रिस्क ले सकते हैं तो हस्की स्लेज पर घूम सकती हैं या फिर स्कींग भी कर सकती हैं.

4. डोमीनिका

इस कैरिबीयन आइलैंड पर जाने की बहुत सारी वजह हैं. जब भी यहां आए तो यहां के हॉट स्प्रींग का मजा लेना कभी न भूलें. यहां दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हॉट वॉटर लेक (बॉयलींग लेक) है.

5. नेपाल                            

पिछले साल इस पड़ोसी देश को भूकंप ने बहुत नुकसान पहुंचाया था. जिसकी क्षतिपूर्ती नेपाल आज भी कर रहा है. पर इतनी बड़ी विपदा के बावजूद यह देश ट्रेकर्स के लिए जन्नत से कम नहीं है. 2017 में यहां जरूर जायें.

रिलीज डेट अलग फिर भी काबिल-रईस की भिड़त कायम

बॉलीवुड किंग शाहरुख खान और रितिक रोशन की फिल्म ‘रईस’ और ‘काबिल’ 26 जनवरी 2017 को रिलीज के साथ भिड़ने वाली थीं. ऐसे में एक दूसरे पर भारी पड़ने की कवायद में राकेश रोशन ने एक और दांव खेला है. अब रितिक और यामी गौतम स्टारर ‘काबिल’ 26 जनवरी की बजाए एक दिन पहले 25 जनवरी को रिलीज होगी.

काबिल के निर्माताओं ने एक बयान में कहा, राकेश रोशन की काबिल भारत में 25 जनवरी, 2017 (शाम को) रिलीज होगी और शाम छह बजे के शो से सिनेमाघरों में दिखाई जाएगी. राकेश रोशन ने ट्विटर पर लिखा, 25 जनवरी को ‘काबिल’ नाम की एक खूबसूरत प्रेम कहानी का आनंद उठाएं. बताया जा रहा है कि ये भी रोशन्स की मार्केटिंग रणनीति का एक हिस्सा है जिसके तहत शो को पहले किया गया है.

दूसरी तरफ शाहरुख की रईस के ट्रेलर रिलीज की जबरदस्त तैयारियां चल रही हैं. शाहरुख की तरफ से वीडियो शेयर करके 3500 स्क्रीन्स और 9 शहरों में एक साथ ‘रईस’ का ट्रेलर करने का ऐलान कर दिया गया है. खास बात ये है कि 9 शहरो में ट्रेलर लॉन्च के दौरान शाहरुख अपने फैन्स से बातचीत भी करेंगे. शाहरुख वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू, हैदराबाद, कोलकाता, जयपुर, मोगा पंजाब, इंदौर और अहमदाबाद जैसे 9 शहरों दर्शको के साथ मुलाकात करेंगे.

साल 2017 को रिलीज होने वाली ‘रईस’ में शाहरुख के अलावा माहिरा खान और नवाजुद्दीन सिद्दिकी लीड रोल में हैं. जिसका निर्देशन नेशनल अवार्ड विनिंग निर्देशक राहुल ढोलकिया ने किया है. फिल्म का निर्माण रितेश सिद्धवानी और फरहान अख्तर की एक्सेल इंटरटेंमेंट और शाहरुख-गौरी खान की रेड चिलीस इंटरटेंमेंट कर रही है.

घर सजायें ऐंटीक से

पुरानी चीजों की बात ही अलग है. चाहे दुनिया में कितनी भी चकाचौंध क्यों न हो, पर पुरानी चीजों की बात ही अलग है. अगर आपको भी पुरानी चीजें पसंद है तो अपनी पसंद को अपने घर में भी ले आयें. इस बार अपना घर ऐंटीक से रिडेकोरेट करें. आप चाहे किसी भी शहर में क्यों न रहती हो आपको पुरानी चीजों की दुकानें मिल ही जायेगी.

पुरानी चीजों से ऐसे सजाये घर

1. रोयाल सोफा सेट

वही पुराने मेटल, बैंम्बू, प्लास्टिक, कॉटन आदि के सोफा सेट से लीविंग रूम को दिलाइए निजात. घर ले आइए टीक या ओक का सोफा सेट, इससे आपके लीविंग रूम को मिलेगा एक अलग लुक. पर लीविंग रूम में सिर्फ एक ही ऐंटीक सोफा सेट रखें.

2. हॉलवे में हो एक मिरर

अगर आपके घर में स्पेस है तो हॉलवे में एक मिरर लगायें. ये आपके लीविंग रूम को अलग ही लुक देगा.

3. पुरानी लकड़ी का डायनिंग टेबल

एक बड़ा सा ओक का डायनिंग टेबल आपके घर को एक शाही टच देगा. आप टेबल के ऊपर ग्लास भी लगवा ले या फिर उसे लकड़ी का ही रहने दें. आपके घर से मेहमान बिना खाना खायें जा नहीं पायेंगे.

4. पुरानी घड़ी

ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर बड़ी घड़ियां तो आपने देखी ही होंगी. सारे प्लेटफॉर्म पर पुरानी घड़ियां टंगी रहती हैं. आप ऐसी घड़ियों को अपने घर पर भी ला सकती हैं. 

ऐंटीक से घर सजाते वक्त इन बातों का रखें ख्याल

– ऐंटीक से घर सजाते वक्त ध्यान रखें कि आपका बाकि घर भी विंटेज लुक में हो. जैसे रस्टेड सोफा सेट के साथ सफेद पर्दे, सफेद कुशन लगा सकती हैं.

– अपना शौक पूरा करने के लिए घर ऐंटीक से घर भर मत दीजिएगा.

– ध्यान से खरीदें विंटेज सामान.

– विंटेज सामान भारी होते हैं तो इन्हें शिफ्ट करते वक्त सावधान रहें.

राजू हिरानी के साथ काम करना चाहती हैं सोनम

भले ही नियमों के कारण सोनम कपूर ने साफ कर दिया कि वह फिल्म निर्माता या निर्देशक से पूछे बिना अपनी आने वाली किसी फिल्‍म या प्रोजेक्‍ट के बारे में बता नहीं सकती, लेकिन सोनम ने इन बंदिशों के बाद भी अपनी मन की इच्‍छा जाहिर कर दी है.

सोनम का कहना है कि वह फिल्मकार राजकुमार हिरानी के साथ काम करना चाहेंगी. यह चर्चाएं गर्म थी कि राजू हिरानी 1980 और 1990 के दशक के संजय दत्त की बायोपिक में अभिनेता रणबीर कपूर के साथ सोनम को लिया है. हालांकि सोनम ने इस बात पर अपनी तरफ से कोई खुलासा नहीं किया है.

इस बारे में पूछे जाने पर सोनम ने बताया कि यह राजू सर से पूछें. जब तक निर्माता या निर्देशक कुछ नहीं कहते तब तक इस बारे में मैं कुछ नहीं बोल सकती. उन्होंने कहा, ‘हालांकि, मैं राजू सर (हिरानी) के साथ काम करना चाहूंगी.’

सोनम राम माधवानी द्वारा निर्देशित फिल्म ‘नीरजा’ में प्रभावशाली भूमिका में देखी जा चुकी हैं. उन्होंने नीरजा पर बात करते हुए कहा कि इस फिल्म में काम करना उनके लिए जरूरी था. सोनम ने ब्रांड विजन समिट सम्मेलन 2016 में कहा, “मैं खुश हूं कि लोग ‘नीरजा’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों की घोषणा कर रहे हैं. लेकिन ईमानदारी से कहूं तो अगर पुरस्कार नहीं मिला तो मुझे निराशा नहीं होगी, क्योंकि मेरे लिए फिल्म में काम करना जरूरी था.”

सोनम शशांक घोष द्वारा निर्देशित ‘वीरे दि वेडिंग’ में प्रमुख भूमिका निभाने वाली हैं.

तो इसलिए शुरू करें SIP

लान्ग टर्म फाइनेंशियल गोल के लिए सबसे अच्छा ऑपशन है एसआईपी (सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लैन) बेस्ड निवेश. आप जितनी जल्दी इसे शुरू करेंगी अपको उतना ही फायदा होगा. एसआईपी से फायदा होने के साथ ही निवेशकों के जीवन में फाइनेंशियल डिसीप्लीन भी आता है.

कुछ निवेशक ऐसे होते हैं जो निवेश शुरू तो कर लेते हैं पर कन्टीन्यु नहीं कर पाते. ऐसे लोग अपने पास के लोगों को हो रहे फायदे को देखकर निवेश शुरू करते हैं. पर जैसे ही बाजार में गिरावट आती है ऐसे लोग निवेश करना छोड़ देते हैं. ऐसी आदतों पर एसआईपी लगाम लगाता है. एसआईपी निवेशकों को एक फिक्सड अमाउंट निवेश करने पर मजबूर करता है भले ही मार्केट में कितना ही उतार-चढ़ाव क्यों न हो. ऐसा इसलिए है क्योंकि निवेश के पैसे आपके अकाउंट से ही कट जाते हैं.

आप एसआईपी डेट सैलेरी डेट के बाद भी रख सकती हैं. इससे आप अपने निवेश के पैसे खर्च करने से बच सकती हैं. जब तक आप लंबे समय तक थोड़ा-थोड़ा निवेश नहीं करती आप एक बड़ा कोष नहीं बना सकती. जैसे अगर आप रिटायरमेंट के बाद 1 करोड़ रुपए जमा करना चाहती हैं तो ऐसा एसआईपी से ही संभव है. एसआईपी रिटायरमेंट प्लैनिंग में भी सहायक है.

ऐसे काम करता है एसआईपी

जब भी आप किसी म्युचुअल फंड स्कीम के लिए ऑप्ट करती हैं तो हमेंशा ‘1 टाइम इनवेस्टमेंट’ के बजाए एसआईपी ऑप्ट करें. अकाउंट से विड्राल की डेट सोच समझकर ही ऑप्ट करें. क्योंकि ज्यादातर कंपनियां डेट चैंज करने में आनाकानी करती है.

आप ऑनलाइन पोर्टल के द्वारा भी इनवेस्ट कर सकते हैं. पर बहुत सी कंपनीयां ये फैसिलीटी प्रोवाइड नहीं करती.

फिटनेस ट्रेनर ने खोली आमिर खान की पोल

बॉलीवुड के ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ यानी कि अभिनेता आमिर खान ने अपनी फिल्म ‘दंगल’ का ‘मेकिंग ऑफ दंगल’ वीडियो को बाजार में लाते हुए दावा किया था कि उन्होंने बिना किसी तरह के गलत पदार्थ का सेवन किए अपना वजन 97 किलो तक ले गए और फिर उसे चार पांच माह के ही अंदर 29 किलो घटा भी लिया. अपने शरीर के फिटनेस को लेकर आमिर खान ने कई तरह के दावे किए थे.

लेकिन मुंबई के ही एक फिटनेस ट्रेनर रणवीर अलहाबादिया ने फेसबुक, यूट्यूब, ब्लॉग सहित हर संभव सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर ‘मिस्टर परफेक्शनिस्ट’ की पोल खोलते हुए नवयुवकों को सावधान किया है. अपने इस वीडियो में रणवीर अलहाबादिया ने दावा किया है कि वह आमिर खान के बहुत बड़े प्रशंसक हैं, मगर उन्होंने ‘दंगल’ के लिए अपनी तैयारी व फिटनेस ट्रेनिंग को लेकर जो वीडियो जारी किया है,वह गलत है.

रणवीर अलहाबादिया अपने इस वीडियों में कहते हैं, ‘‘आमिर खान पूरे देश को प्रेरणा देते हैं. पर इस बार वह गलत कर रहे हैं. वह भूल गए हैं कि फिटनेस ट्रेनिंग को लेकर भारत में काफी जागरूकता आ गयी है. एक आम इंसान खानपान पर नियंत्रण रखते हुए फिटनेस ट्रेनिंग लेकर खुद को महज पांच माह के अंदर फिट नहीं कर सकता. उन्हें सही वैज्ञानिक तकनीक की बात करनी चाहिए. आमिर खान ने अपना वजन बढ़ाने के लिए हर हाल में स्टीरॉयड्स का सेवन किया है, जो कि शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. आमिर खान का दावा है कि उन्होंने महज पांच छह माह में अपना वजन बढ़ाया और फिर पांच-छह माह के ही अंदर अपना वजन घटाकर खुद को फिट रखा. यह गलत है. ऐसा करने के लिए कम से कम पांच छह वर्ष का समय चाहिए. फिटनेस के लिए कई वर्ष तक एक लाइफ स्टाइल अपनानी पड़ती है. फिटनेस ट्रेनिंग भी लेनी पड़ती है. मैं यह सब इसलिए बता रहा हूं, जिससे कोई भी युवक स्टीरॉयड का सेवन कर अपने शरीर को हानि न पहुंचाए.’’

रणवीर ने अपनी बात को साबित करने के लिए अक्षय कुमार का उदाहरण दिया है. वह कहते हैं, ‘‘एक 15 वर्ष के युवक के लिए भी महज खानपान पर नियंत्रण और फिटनेस ट्रेनिंग के बल पर पांच माह में अपना वजन बढ़ाना और पुनः पांच माह में घटाकर फिट होना असंभव है. फिर आमिर खान तो 51 वर्ष के हैं.’’

जब से रणवीर अलहाबादिया का यह वीडियो हर जगह वायरल हुआ है, तब से आमिर खान चुप हैं. देखना है कि वह इस मुद्दे पर कब बात करते हैं.

‘चाइल्ड एब्यूज’ पर बनी फिल्म कहानी 2

फिल्म ‘कहानी’ के चार साल बाद आई सुजॉय घोष की फिल्म कहानी 2 सिक्वल नहीं बल्कि एक फ्रेंचाइज है. इस फिल्म में भी थ्रिल, रोमांच और विद्या है, लेकिन कहानी दुर्गारानी सिंह की है. पहली फिल्म से सुजॉय को जितनी वाहवाही मिली थी, ये फिल्म उससे दूर लगती है. फिल्म ‘चाइल्ड सेक्सुअल एब्यूज’ के बारें में है, जो एक बड़ा मुद्दा है और हर जगह व्याप्त है.

फिल्म में विद्या बालन और अर्जुन रामपाल के दो चेहरे को दिखाया गया है. हालांकि इस तरह की कहानी पर बनी फिल्म पहले भी आ चुकी है, अंतर सिर्फ इतना है कि इसमें विद्या बालन है और इसकी पूरी शूटिंग कोलकाता और कलिम्पोंग में हुई है.

फिल्म को अलग और ‘एलीट’ बनाने के चक्कर में निर्देशक ने फिल्म की सिनेमेटोग्राफी को 70 के दशक की बनायी है, जहां सीन्स में डार्कनेस अधिक है. किसी का चेहरा ठीक से देख पाना संभव नहीं था और पूरे समय तक हॉल में बैठे रहना भारी पड़ रहा था. विद्या बालन की एक्टिंग विद्या सिन्हा और वांटेड दुर्गारानी सिंह के रूप में निखर कर आई है. उन्होंने यह सिद्ध कर दिया कि किसी भी रोल में वह फिट है. अर्जुन रामपाल पुलिस की भूमिका में कुछ खास नहीं दिखे.

कहानी इस प्रकार है

पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर चंदन नगर में कामकाजी महिला विद्या सिन्हा (विद्या बालन) अपने टीनएजर बेटी मिनी को सम्हाल रही है. एक दिन उसकी ‘मेड सर्वेंट’ के न आने पर वह उसे अकेला छोड़कर ऑफिस जाने को बाध्य होती है. ऑफिस में पता चलता है कि उसकी ‘मेड’ देर से ही सही, पर आ चुकी है. लेकिन विद्या के घर आने पर पता चलता है कि उसकी बेटी किडनैप हो चुकी है, इतने में उसके पास फोन आता है कि अगर वह बेटी से मिलना चाहती है तो जल्दी कोलकाता आ जाए. वह बेटी से मिलने के लिए भागती है, ऐसे में उसकी दुर्घटना, कार की टक्कर लगने से हो जाती है, उसे अस्पताल पहुंचाया जाता है, वह कोमा में चली जाती है.

इस केस को पुलिस ऑफिसर इन्द्रजीत (अर्जुन रामपाल) अपने हाथ में लेता है, जो विद्या को इस हालत में देखकर चौंक जाता है, क्योंकि उसका भूतकाल इससे कही न कही जुड़ा हुआ है. इसके बाद वह विद्या की ऐसी हालत होने की वजह तक पहुँचता है. काफी मुश्किलों और तहकीकात के बाद कहानी रिविल होती है.

फिल्म में विद्या की लुक एकदम सादा और ‘डीग्लैमर’ वाली है. फिल्म की कुछ बातें अनसुलझी रह गई हैं, जैसे कि विद्या अगर बचपन में ‘चाइल्ड एब्यूज’ की शिकार हुई तो कब और कैसे? लेकिन इस तरह की घटना से किसी महिला के व्यक्तित्व पर क्या प्रभाव पड़ता है, उन बारीकियों को निर्देशक ने अच्छी तरह दिखाया है.

जुगल हंसराज विलेन के रूप में बहुत थोड़े समय के लिए दिखे. फिल्म का थ्रीलर अंत तक कायम रहा. कोलकाता के स्थानीय कलाकारों ने अच्छा काम किया है. बहरहाल फिल्म एक बार देखने लायक है इसे थ्री स्टार दिया जा सकता है.

फिल्म रिव्यू: कहानी 2

सुजॉय घोष निर्देशित फिल्म ‘कहानी 2: दुर्गारानी सिंह’ से यह बात साफ हो जाती है कि बेहतरीन पटकथा, बेहतरीन निर्देशन और कलाकार की बेहतरीन परफॉर्मेंस के बल पर सामाजिक मुद्दों पर बेहतरीन फिल्म बन सकती है.

फिल्म की कहानी शुरू होती है, कोलकाता के पास चंदन नगर में रह रही विद्या सिन्हा के घर से जो अपनी 14 वर्षीय अपाहिज बेटी मिनी के साथ रह रही है. मिनी का ईलाज भी चल रहा है. डॉक्टर की सलाह पर विद्या अपनी बेटी मिनी को इलाज के लिए अमरीका ले जाने की तैयारी में है. पासपोर्ट बन चुके हैं. विद्या सिन्हा सुबह नर्स का इंतजार करते करते ऑफिस चली जाती है. ऑफिस में ही विद्या सिन्हा को पता चलता है कि अमरीका के डॉक्टर से मिलने का दिन व तारीख तय हो चुकी है.

जब वह ऑफिस से घर लौटती है, तो मिनी घर पर नहीं मिलती है. विद्या सिन्हा के मोबाइल पर एक महिला का फोन आता है कि कोलकाता में आकर अपनी बेटी को ले जाओ. विद्या अपनी बेटी मिनी को लेने के लिए घर से निकलती है, मगर रास्ते में एक कार उसे टक्कर मार देती है. विद्या सिन्हा अस्पताल पहुंच जाती है, जहां वह कोमा में जा चुकी है. डॉक्टर का मानना है कि छह सात दिन में वह कोमा से बाहर आ जाएगी. इस दुर्घटना के केस की जांच करने के लिए पुलिस सब इंस्पेक्टर इंद्रजीत सिंह (अर्जुन रामपाल) पहुंचता है, जिसके मुंह से विद्या सिन्हा को देखते ही दुर्गा रानी सिंह (विद्या बालन) का नाम निकलता है. पर डॉक्टर कहता है कि यह विद्या सिन्हा है.

इंद्रजीत सिंह जांच शुरू करता है. वह विद्या सिन्हा के घर पहुंचता है, जहां उसे विद्या सिन्हा उर्फ दुर्गारानी सिंह की डायरी मिलती है. इस डायरी से ही पता चलता है कि कभी दुर्गारानी सिंह और इंद्रजीत सिंह पति पत्नी थे. दो वर्ष के बाद दोनों अलग हो गए थे. दुर्गारानी सिंह के अनुसार इंद्रजीत सिंह उससे नफरत करता है. जबकि अब इंद्रजीत सिंह अपनी पत्नी रश्मि (मानिनी चड्ढा) व बेटी सिमरन के साथ खुश है.

विद्या सिन्हा उर्फ दुगारानी सिंह की डायरी के अनुसार कोलकाता में रहने वाली दुर्गारानी सिंह (विद्या बालन) एक स्कूल में रिसेप्शनिस्ट हैं. जहां मशहूर व अति संपन्न दीवान परिवार की बेटी छह वर्षीय मिनी पढ़ती है. मिनी (नायशा खन्ना) को उसकी कक्षा की शिक्षक हर दिन मिनी की शिकायत के साथ प्रिंसिपल के ऑफिस ले जाती है. और डरी व सहमी मिनी को हमेशा दुर्गारानी सिंह ऑफिस के सामने ही बैठना पड़ता है. मिनी पर आरोप है कि मिनी पढ़ने में रूचि नहीं रखती और कक्षा में सोती रहती है. होमवर्क करके नहीं लाती.

दुर्गारानी सिंह के मन में उत्सुकता जागती है और वह एक दिन मिनी के नजदीक पहुंचकर उससे सच जानने का प्रयास करती है. मिनी कह देती है कि रात में उसे सोने को नहीं मिलता. पर तभी ड्राइवर उसे लेने आ जाता है. उसके बाद मिनी से सच जानने के लिए दुर्गारानी सिंह योजना बनाती है. वह झूठ बोलकर उसकी स्कूल शिक्षक बनकर मिनी को उसके घर पर ट्यूशन पढ़ाने जाने लगती है.

दुर्गारानी सिंह की जिंदगी में अरूण नामक युवक है. दुर्गारानी सिंह चाहती है कि इंदर तो कभी उसका हो नहीं सका, अब वह अरूण के साथ नई जिंदगी की शुरूआत कर सकती है. मिनी को ट्यूशन पढ़ाते पढ़ाते अंततः दुर्गारानी सिंह को पता चलता है कि मिनी के मोहित (जुगल हंसराज) चाचा उसका शारीरिक व यौन उत्पीड़न कर रहे हैं. दुर्गारानी सिंह, पुलिस में मोहित व मिनी की दादी (अम्बा सन्याल) के खिलाफ शिकायत दर्ज कराती है. पुलिस जांच करने आती है और मोहित से बात करने के बाद उन्हें छोड़ देती है. जबकि मोहित व मोहित की मां, दुर्गारानी सिंह पर चोरी का इल्जाम लगा देते हैं. दुर्गारानी सिंह की स्कूल की नौकरी चली जाती है. मोहित व मिनी की दादी, दुर्गारानी सिंह को मरवाने की सुपारी दे देते हैं.

उधर अरूण, दुर्गारानी सिंह का स्पष्ट जवाब न मिलने पर लंदन चला जाता है. मिनी की दादी और मोहित, मिनी को इतना प्रताड़ित करते हैं कि वह छत से कूद जाती है. और उसका पैर फ्रैक्चर हो जाता है. उपर से उसकी दादी अस्पताल में मिनी को एक इंजेक्शन लगाकर मौत की नींद सुलाना चाहती है, पर ऐन वक्त पर दुर्गारानी सिंह अस्पताल पहुंचकर दादी को मारकर मिनी के साथ कोलकाता से भागकर चंदन नगर पहुंच जाती है.

अस्पताल में कोमा से बाहर आते ही विद्या उर्फ दुर्गारानी सिंह बेटी मिनी को बचाने के लिए निकल पड़ती है. उधर पुलिस भी दुर्गारानी सिंह के पीछे पड़ी है. कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं. पता चलता है कि मिनी का अपहरण मिनी के मोहित चाचा ने ही करवाया है जो कि अंततः मारे जाते हैं. दुर्गारानी सिंह, मिनी को लेकर अमरीका के अस्पताल पहुंचती है.

यूं तो यह फिल्म एक रोमांचक फिल्म है. मगर यह फिल्म वर्तमान समय के अति ज्वलंत मुद्दे बाल यौन उत्पीड़न पर आधारित है. छह सात वर्ष की बालिकाओं के साथ उनके घर या रिश्तेदार या अतिकरीबी इंसान जब उनका शारीरिक व यौन शोषण करता है, उस वक्त वह बात बालिका की समझ में कुछ नहीं आता है. मगर जब वह बड़ी होती है, तो शादी के बाद भी उसकी जिंदगी तबाह होती है. इस बात को रेखांकित करने वाली इस फिल्म में एक बहुत प्यारा दृश्य है. जहां पर दुर्गारानी सिंह, मिनी को एक बालिका के प्रति प्यार व बाल यौन उत्पीड़न में अंतर समझाती है. फिल्म के कुछ संवाद काफी अच्छे बन पड़े हैं.

निर्देशक सुजॉय घोष इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि जिन विषयों या मुद्दों को लोग अपने घर की दरी के नीचे दबा देना ही उचित समझते हैं, उस पर निर्देशक ने खुलकर बात की है. विद्या बालन की तारीफ करनी पड़ेगी कि उन्होंने ऐसे विषय वाली फिल्म में अभिनय करने के लिए हामी भरी. फिल्म में कुछ अनुत्तरित सवाल भी हैं, कुछ कमियां भी हैं, जिन्हें सिनेमाई स्वतंत्रता के नाम पर नजरंदाज किया जा सकता है. सुजॉय घोष बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने बाल यौन उत्पीड़न के मुद्दे को काफी परिपक्वता के साथ फिल्म में उठाया है. ऐसा इम्तियाज अली अपनी फिल्म ‘हाईवे’ में नहीं कर पाए थे.

जहां तक अभिनय का सवाल है तो विद्या बालन ने काफी बेहतरीन परफॉर्मेंस दी है. बेटी की सुरक्षा का डर, गुस्सा, बेटी के प्रति सुरक्षा कवच बनने के अहसास को अपने चेहरे के भावों से व्यक्त कर विद्या बालन ने अद्भुत अभिनय क्षमता का परिचय दिया है.

क्लायमेक्स से पहले के कुछ दृश्यों मे तो विद्या बालन अभिनय के बल पर दर्शकों को अपना बना लेती हैं. काफी लंबे समय बाद किसी फिल्म में अर्जुन रामपाल ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है. वह वास्तविक पुलिस सब इंस्पेक्टर के किरदार को परदे पर साकार करने में इतना सफल रहे हैं कि फिल्म खत्म होने के बाद भी वह दर्शकों के दिमाग में रह जाते हैं. विद्या बालन के साथ ही नायषा खन्ना ने भी कमाल का अभिनय किया है. जुगल हंसराज का अभिनय ठीक ठाक ही रहा. इंद्रजीत सिंह के बॉस के किरदार में खराज मुखर्जी ने भी अच्छा परफॉर्म किया है.

फिल्म में पश्चिम बंगाल के मध्यम वर्गीय परिवेश को उकेरने में निर्देशक सुजॉय घोष पूरी तरह से सफल रहे हैं. कैमरामैन भी बधाई के पात्र हैं. फिल्म का संगीत प्रभावित नहीं करता.

इंटरवल से पहले दर्दनाक अतीत के साथ जिंदगी जी रही औरत, एक छह वर्ष की लड़की के व्यवहार की वजह से एक जुड़ाव महसूस करती है. और फिर कहानी इस तरह आगे बढ़ती है कि दर्शक फिल्म का एक भी दृश्य आंखों से ओझल नहीं होने देना चाहता. काफी लंबे समय बाद कोई फिल्म आयी है, जिसका पहला भाग लोगों को अपनी तरफ खींचता है. इंटरवल के पहले जो रोमांच पैदा होता है, उसे इंटरवल के बाद बरकरार रखने में निर्देशक असफल हो जाते हैं. इंटरवल के बाद फिल्म पर से कुछ समय के लिए निर्देशक की पकड़ कमजोर हो जाती है. कुछ घटनाक्रम का अंदाजा पहले से लगाया जा सकता है, पर इससे फिल्म की गति या फिल्म की रोचकता ज्यादा बाधित नहीं होती है.

तर्कशीलता और दया के साथ एक संवेदनशील विषय से निपटने वाली दुर्लभ फिल्मों में से एक गिनी जाएगी. यह एक ऐसी फिल्म है, हर माता पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चेा को अपने साथ ले जाकर दिखाए. यह फिल्म कहीं न कहीं बच्चों में बाल यौन उत्पीड़न के प्रति जागरूकता लाएगी.

दो घंटे दस मिनट की अवधि वाली फिल्म ‘कहानी 2’ का निर्माण ‘बाउंड स्क्रिप्ट मोशन पिक्चर्स’ के बैनर तले किया गया है. इसके निर्माता सुजॉय घोष और जयंतीलाल गड़ा हैं. निर्देशक सुजॉय घोष, पटकथा लेखक सुजॉय घोष, संवाद लेखक रितेश शाह, कहानीकार सुजॉय घोष व सुरेश नायर, संगीतकार क्लिंटन

जब कर रहे हों अकेले ट्रेवल…

अगर आप अकेले ट्रेवल कर रही हैं तो हर छोटी-बड़ी जानकारी हासिल कर के ही चलें. पर कई बार पूरी प्लेनिंग के बावजूद कोई न कोई परेशानी आ ही जाती है. अब ऐसे में क्या करें? ज्यादा टेंशन न लें और इनमें से कोई भी ऐप डाउनलोड कर के आराम से घूमें.

1. ट्रीप एडवाइजर

अगर आपको आपके डेस्टिनेशन में उपलब्ध सुविधाओं की जानकारी चाहिए, तो यह ऐप बेस्ट है. इसमें आपको किसी भी जगह पर खाने-पीने से लेकर शॉपिंग तक की जानकारी मिल जाएगी. इस ऐप पर मैप भी रहता है जिससे आप आराम से खुद के लिए होटल या रेस्त्रां ढूंढ सकती हैं.

2. कयाक

ये ऐप बाकि सारे ऐप्स में सबसे ज्यादा ट्रेवेलर फ्रेंडली ऐप है. इस ऐप से आप फ्लाइट, कैब भी बूक कर सकती हैं.

3. बुकिंग.कॉम

यह ऐप आपको अलग-अलग होटल के रेंट और कंफर्ट को कंपेयर करने में सहायता करता है. इसमें आपको अन्य ट्रेवेलर्स के रिव्यू भी मिल जायेंगे, जिससे आप आसानी से डिसाइड कर सकती हैं कि आपको कहां ठहरना है.

4. एक्कुवेडर

इस ऐप से आप मौसम की जानकारी प्राप्त कर सकती हैं. इससे आप अपने डेस्टिनेशन के लिए सही पैकिंग कर पायेंगी. इससे आप भविष्य के साथ साथ करेंट डेट के मौसम का हाल भी जान सकती हैं. इससे आपको घूमने-फिरने में दिक्कत नहीं होगी.

5. गूगल गौग्ल्स

ट्रेवलिंग के दौरान तस्वीरें लेना किसको पसंद नहीं होता? ये ऐप आपके लिए परफेक्ट है. इससे न सिर्फ आप पिक्चर ले सकती हैं पर उस पिक्चर के बारे में पूरी जानकारी भी हासिल कर सकती हैं.

6. लाइवट्रेकर

इस ऐप से एक डीजिटल जर्नल तैयार हो जाता है. आप जहां जहां जायेंगी उस सफर का रूट बन जाएगा. वैसे भी अपने सफर को फिर से जीने का भी अलग ही मजा है. यह एक तरह की डीजिटल ट्रेवल डायरी बन जाएगी.

रोंगटे खड़े कर देगी शार्ट फिल्म ‘चटनी’

आपने अभी तक कई शॉर्ट फिल्में देखी होंगी लेकिन जिस शॉर्ट फिल्म की बात हम कर रहे हैं उसे जब आप देखेंगे तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. हम बात कर रहे हैं हाल ही में आई टिस्का चोपड़ा की शॉर्ट फिल्म ‘चटनी’ की, जो सोशल मीडिया और यूट्यूब पर खूब धमाल मचा रही है.

फिल्म का एक ही मकसद है कि भोंदू और सीधी सी दिखने वाली औरतों को बाहरी व्यक्तित्व से मत आंकिए. गाजियाबाद की होने के बावजूद चतुर ग्रहस्थन पति पर डोरे डालने वाली तितलियों के पर कतर डालती है और तितली फड़फड़ाती रह जाती है.

फिल्म की कहानी एक ऐसी गृहिणी के इर्द-गिर्द घूमती है जिसकी एक परिचित चंचला उसके पति पर डोरे डालने की कोशिश में है. लेकिन अपने पति को उस ब्यूटी क्वीन के चंगुल से बचाने के लिए वो घरेलू औरत जो काम करती है उससे ना सिर्फ उस चंचला के होश उड़ जाते हैं बल्कि आप भी जब ये देखेंगे तो खौफजदा हो जाएंगे.

कुल मिलाकर इस शॉर्ट फिल्म में वो है जो आपने आज तक नहीं देखा होगा. क्लाईमेक्स तक आते आते ये फिल्म आपको बांधे रखती है और फिर अंत में जो होता है वो आप सोच भी नहीं सकते.

चंद घंटों में ही ये फिल्म खूब वायरल हो चुकी है. फिल्म को काफी सराहा जा रहा है और टिस्का चोपड़ा को भी अपने निभाए रोल के लिए खूब तारीफें मिल रही हैं. 48 घंटों में ही ये फिल्म 5 मिलियन से ज्यादा लोग देख चुके हैं. कह सकते हैं कि इस फिल्म के जरिए टिस्का ने एक ऐसा धमाका किया है जिसकी गूंज काफी वक्त तक रहेगी.

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