वह नीला परदा: भाग-3

पूर्व कथा

एक रोज जौन सुबहसुबह अपने कुत्ते डोरा के साथ जंगल में सैर के लिए गया, तो वहां नीले परदे में लिपटी सड़ीगली लाश देख कर वह बुरी तरह घबरा गया. उस ने तुरंत पुलिस को सूचना दी. बिना सिर और हाथ की लाश की पहचान करना पुलिस के लिए नामुमकिन हो रहा था. ऐसे में हत्यारे तक पहुंचने का जरिया सिर्फ वह नीला परदा था, जिस में उस लड़की की लाश थी. इंस्पैक्टर क्रिस्टी ने टीवी पर वह नीला परदा बारबार दिखाया, मगर कोई सुराग हाथ नहीं लगा. एक रोज क्रिस्टी के पास किसी जैनेट नाम की लड़की का फोन आया, जो पेशे से नर्स थी. वह क्रिस्टी से मिल कर नीले परदे के बारे में कुछ बताना चाहती थी.

जैनेट ने क्रिस्टी को जिस लड़की का फोटो दिखाया उस का नाम फैमी था. फोटो में वह अपने 3 साल के बेटे को गालों से सटाए बैठी थी. जैनेट ने बताया वह छुट्टियों में अपने वतन मोरक्को गई थी. क्रिस्टी ने मोरक्को से यहां आ कर बसी लड़कियों की खोजबीन शुरू की. आखिरकार क्रिस्टी को फहमीदा सादी नाम की एक महिला की जानकारी मिली. क्रिस्टी फहमीदा के परिवार से मिलने मोरक्को गया. वहां फहमीदा की मां ने लंदन में बसे अपने 2-3 जानकारों के पते दिए. क्रिस्टी को लारेन नाम की औरत ने बताया कि फहमीदा किसी मुहम्मद नाम के व्यक्ति से प्यार करती थी. वह उस के बच्चे की मां बनने वाली थी. एक रोज लारेन ने क्रिस्टी को बताया कि उस ने मुहम्मद को देखा है. क्रिस्टी और लारेन जब उस जगह पहुंचे तो पता चला कि यह दुकान मुहम्मद की नहीं, बल्कि साफिया नासेर नाम की औरत की थी. जिस के दूसरे पति का नाम नासेर था. अब सवाल यह उठ रहा था, आखिर साफिया दुकान बेच कर कहां चली गई?

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अगले दिन मौयरा ने अपनी एक तुर्की सहेली को तैयार किया और वह साफिया के बारे में उस दुकान के पासपड़ोस में पूछताछ कर आई. किसी ने बताया कि उस ने दूर कहीं नया रेस्टोरेंट खोल लिया है.

क्रिस्टी पिछले 6 सालों में जितने नए रेस्टोरेंट खोले गए, सब का कच्चाचिट्ठा निकाला. लेकिन कहीं कोई मुहम्मद या साफिया नासेर नहीं मिली. वह फिर हताश हो गया. तभी उसे याद आया कि जौन को देखने जाना है.

शनिवार को सजधज कर क्रिस्टी ने अपनी बीवी से कहा, ‘‘चलो, हम लोग जौन को देख आएं. पहले वोकिंग जाएंगे, वहां का बाजार अच्छा है. तुम चाहो तो किसी बुटीक में घूमती रहना. मैं जौन से मिल कर तुम से मिल लूंगा. फिर हम एस्कौट में रुक कर कुछ खापी लेंगे. अच्छी जगह है. थोड़ा ड्राइव पर जाने का मन कर रहा है.’’

क्रिस्टी की बीवी रोजी उस के साथ तैयार हो कर निकली. रोजी ने क्रिस्टी को जौन वाले अस्पताल के पोर्च में उतार दिया और खुद खरीदारी करने निकल गई. क्रिस्टी जौन से मिला तो वह बेहद खुश हुआ. उसे देखते ही वह बोला, ‘‘मुझे पता है कि तुम ने आधा रास्ता तय कर लिया है और जल्द ही कातिल तुम्हारे सामने होगा.’’

 

क्रिस्टी किस मुंह से बताता कि सभी रास्ते बंद हो चुके हैं. उस ने प्रकट में जरा भी संशय नहीं दिखाया. यही बताया कि खोज चल रही है.

‘‘तुम क्यों इतना परेशान हो, जौन? लंदन में तो आए दिन कत्ल होते रहते हैं. पिछले 20 सालों में विभिन्न जगहों से आ कर यहां बसने वाले लोग अपनी विभीषकाएं संग लाए हैं. ग्रीक साइप्रस के लोगों से तंग है, इटैलियन स्पैनिश लोगों को पसंद नहीं करते, रूमानिया वाले क्रोएशिया से घृणा करते हैं, पोलिश जर्मन से, तो फ्रेंच अंगरेजों से. कहां तक गिनाएं. सब के आने से क्राइम रेट बढ़ गया है.

‘‘सरकारें उन के अपने देशों की बनतीगिरती हैं, धरने सब यहां देते हैं. जुलूस निकालते हैं, तोड़फोड़, आपसी लड़ाइयां, मर्डर… क्या नहीं करते? अपने घरों में बैठे थे तो किसी को जानते भी नहीं थे. यहां आ कर अनजानों से बेपनाह दुश्मनी सिर्फ पूर्वाग्रह के कारण… सरकार, पुलिस और हमारी न्याय व्यवस्था सब पर भार डालते हैं ये सिरफिरे.

‘‘हमारा इंगलैंड ऐसा तो नहीं था. जब मैं बच्चा था सब के दरवाजे खुले पड़े रहते थे गली में. हम सड़क पर फुटबाल खेलते थे, न ट्रैफिक था न कोई खतरा, न बच्चे गायब होते थे, न लड़कियां. अब तो जाने कितने खतरे पैदा हो गए हैं.’’

‘‘हां, पहले केवल किलों, रजवाड़ों में अंगरेजों के भूतप्रेत दिखने की अफवाहें उड़ाई जाती थी. कब्रिस्तान तो बेपनाह आवाजाही के छोटे रास्ते हुआ करते थे. हम कब्रिस्तान में निडर हो कर लुकाछिपी का खेल खेलते थे. यह सब सिफ एक अंधविश्वास ही थी,’’ जौन ने कहा.

‘‘तुम क्यों डरे?’’

‘‘उस औरत की वजह से.’’

‘‘कैसी थी दिखने में, क्या पहने थी?’’

‘‘कह नहीं सकता.’’

‘‘जौन, तुम अपनी इच्छाशक्ति को काबू में रखो. मर्द हो, अपनी बीवी का खयाल करो. जो कुछ तुम महसूस कर रहे हो वह सिर्फ तुम्हारा अपना डर है. तुम ने तो उसे देखा तक नहीं, सिर्फ कपड़ा छुआ, वह भी एक कोना, मुश्किल से 2 इंच का.’’

‘‘डेविड, तुम ने देखा क्या?’’

‘‘जौन, अब मैं जाऊंगा. रोजी आती होगी. मैं आराम करना चाहता हूं. जरा तबीयत ताजा हो जाए तो ध्यान ज्यादा दे पाऊंगा. यह सब काम बेहद भारी पड़ता है दिलोदिमाग पर.’’

‘‘भई, मुझे माफ कर देना, तुम्हें बारबार मेरे पास आना पड़ता है. लेकिन चाहता यही हूं कि जल्दी कातिल पकड़ा जाए.’’

‘‘बायबाय…’’

‘‘बाय.’’

डेविड ने झूठ बोला कि उस ने लाश को नहीं देखा था. वह जौन को जरा भी उत्तेजित नहीं करना चाहता था. उत्तेजित होने के कारण ही वह सोचसोच कर और कल्पना कर के परेशान था.

‘‘क्या खाओगी रोजी?’’

‘‘कुछ भी जो बिना वक्त खराब किए खाया जा सके.’’

‘‘फिर तो हम रेस्टोरेंट में नहीं बैठ सकते.’’

‘‘चलो गरमगरम कुछ खाते हैं. रास्ते में कोई अच्छा टेक अवे दिखा तो वहीं रुकेंगे.’’

कुछ देर गाड़ी चलाने के बाद एक डोनर कबाब की दुकान दिखाई दी. नई व साफसुथरी दुकान थी. डेविड क्रिस्टी वहीं रुक गए.

दुकान का मालिक एक खुशमिजाज गोराचिट्टा आदमी था, जो खूब हंसहंस कर बातें बनाना जानता था. दुकान में 2-4 टेबल लगे थे. एक कसीनो मशीन भी थी. डेविड कबाब और सैंडविच बनाने का और्डर दे कर 10 मिनट तक इंतजार करता रहा. अचानक उस के दिमाग में लारेन का बताया हुलिया कुलबुलाया. इस दुकानदार के गालों पर पतली सी दाढ़ी की लकीरें कलमों से ठुड्डी पर जाती थीं. रंग गोरा, बदन मोटा.

‘‘बड़े जिंदादिल इंसान हो. क्या नाम है तुम्हारा?’’

‘‘नासेर.’’

‘‘कहां से आए हो? तुम्हारी भाषा में विदेशीपन है.’’

‘‘टर्की का हूं, पढ़ने आया था मगर शादी कर के यहीं जम गया.’’

‘‘रहते भी इसी शहर में हो?’’

‘‘हांहां, और कहां जाना है. बिजनेस हो तो घर पास ही होना चाहिए. तुम कहां से आए हो? यहीं रहते हो क्या?’’

‘‘हांहां, बिलकुल पास में.’’

‘‘लो, तुम्हारा सामान तैयार है.’’

डेविड ने अपना कबाब लिया और नासेर से विदा ले कर वापस अपनी कार में आ बैठा. कबाब खाने का उस का सारा शौक जाता रहा. मन में जाने कैसी अजीब सी घृणा उतर आई. कैसे कीमे के थक्के को तेज लंबे चाकू से परतदरपरत काटकाट कर वह उतार रहा था. कितनी सफाई से स्लाइस निकाल कर ब्रैड में भरे उस ने. क्या इसी तेज चाकू से उस ने फहमीदा का कत्ल किया होगा?

‘‘कहां खो गए डेविड, खाओ न.’’

रोजी की आवाज सुन कर उस की तंद्रा भंग हुई. बोला, ‘‘तुम खाओ, रोजी. मुझे पेट में कुछ गड़बड़ लग रही है. कहीं सोडा वाटर पिअूंगा.’’

रोजी भुनभुना कर चुपचाप कबाब खाने लगी. डेविड के मन में एक खयाल आता एक जाता. क्या करना है उसे इस के बाद.

‘बेकार उलझता जा रहा हूं’ उस ने सोचा. ‘अभी भी क्या पता कि वह औरत फहमीदा ही थी? क्या पता नासेर बेकुसूर हो. सफिया उस की बीवी है क्या? यह तो 40-42 का नहीं लगता, मुश्किल से 30-32 बरस का लगता है. कुछ बात तो जरूर है तभी यह अचानक मुझे मिल गया.’

डेविड ने समय नहीं गंवाया. मौयरा बड़ी घाघ औरत थी. डेविड ने उस को नासेर के राज जानने के लिए ठीक समझा. उस ने मौयरा से कहा, ‘‘मौयरा, तुम आजकल की छोकरियों वाले 2-4 कपड़े खरीद लो. तुम्हें किसी से इश्क लड़ाना है और उस की असलियत उगलवानी है. कर सकोगी?’’

मौयरा हंस पड़ी, ‘‘कर लूंगी, नौकरी और प्यार में सब जायज है. यह भी अच्छा है कि मैं कुंआरी हूं और मेरा बौयफ्रैंड एक पायलट है. कहीं वह घर बैठा आदर्श पति होता, तब तुम्हारे आधे से ज्यादा केस फाइलों में ही बंद रह जाते, कभी सुलझते नहीं.’’

‘‘चलचल, कौन सी दूध की धुली हो तुम. भूल गई जब टैक्स कमिश्नर को फांसा था?’’

‘‘बड़ा काइयां था वह, पर उस ने मुझे बहुत मजे कराए.’’

 

मौयरा अगले दिन किनारों पर से फटी काली हाटपैंट, कसा हुआ ब्लाउज और 10 इंच लंबा आगे बांधने वाला कार्डिगन पहन कर और छोटेछोटे बौबकट केशों में बिलकुल स्कूल गर्ल बन कर नासेर की दुकान में अकेली चली गई.

नासेर को चिडि़या अच्छी लगी. उस ने दाना फेंकने में देर नहीं लगाई. बताया कि वह दुकान के ऊपर अकेला रहता है. मौयरा ने कहा, ‘‘हो सकता है तुम अकेले हो पर अकसर तुम्हारी जात के लड़के 30 से पहले ही ब्याह जाते हैं.’’

‘‘ब्याह तो हुआ था. मगर मेरी बीवी मुझ से बहुत बड़ी है. मेरे भाई की बेवा थी वह.

3 बच्चे थे पर लड़का नहीं था. लड़के के बिना उस के आदमी की सारी जायदाद उस के भतीजे ले जाते, इसलिए उस ने मुझ से शादी कर ली.’’

‘‘लड़का हो गया तुम से उसे?’’

‘‘हां हुआ, मगर मैं कमाई करने इधर आ गया. 7-8 साल से मुल्क नहीं गया. तुम क्या इधर ही रहती हो?’’

‘‘हां, यहीं पास में. 4-5 मील दूर. तरहतरह की चीजें खानेपीने का शौक है, इसलिए इधर चली आई. तुम क्या पाकिस्तान से हो?’’

‘‘अरे नहीं, हम तो तुम्हारे पड़ोसी हैं. टर्की से आया हूं. वह तो यूरोप का ही हिस्सा है. देखो न, मेरा रंग भी कितना गोरा है.’’

मौयरा ने कबाब बनवाया.

फिर मौयरा से बोला, ‘‘यहीं बैठ कर खाओ न. मैं ने भी सुबह से दाना पेट में नहीं डाला. तुम्हारी कंपनी में मुझे भी भूख लग गई है.’’

नासेर बड़ा स्मार्ट और हंसमुख आदमी लगा मौयरा को, मगर एकएक कर के जो तथ्य सामने आ रहे थे, उसे कटघरे में धकेलते जा रहे थे.

‘‘नहीं, अभी पैक करा दो. फिर किसी दिन फुरसत में आ जाऊंगी. आज तो मेरा टैनिस कोर्ट में सेशन बुक किया हुआ है. बेकार में नुकसान हो जाएगा किराए का.’’

‘‘टैनिस तो मैं भी खेलता हूं. चलो अगली बार संगसंग बुक करवाएंगे. कल आओगी?’’

‘‘कह नहीं सकती पर मिलूंगी, तुम मुझे अच्छे लगे.’’

 

डेविड क्रिस्टी ने दुकान के बाहर एक सिपाही एंडी को ट्रैफिक वार्डन बना कर तैनात कर दिया. लोगों की गाडि़यों की अवैध पार्किंग पर नजर रखता. वह वहीं घूमता और नासेर की दुकान पर भी नजर रखता.

उस दिन तो नहीं मगर 2-4 दिन बाद नासेर बाहर निकला. वार्डन ने अपनी कार से उस का पीछा किया. नासेर एक मसजिद में गया, जहां लंबी स्कर्ट और पूरी बांह का ब्लाउज पहने एक प्रौढ़ सी खूबसूरत औरत 3 बच्चों को ले कर खड़ी थी. 2 बड़ी बेटियां और 1 बेटा, जो करीब 5 साल का था. बेटा नासेर को देख कर डैडडैड कहता हुआ आया और उंगली पकड़ कर मसजिद में दाखिल हो गया. स्कर्ट वाली औरत ने सिर पर रेशमी रूमाल बांधा हुआ था. वह बेटियों के साथ दूसरे दरवाजे से अंदर गई. नासेर उस बच्चे को देख कर एकदम खिल उठा.

यानी नासेर ने मौयरा को जो कहानी सुनाई थी वह झूठी थी. नासेर की बीवी वहीं पर थी.

क्रिस्टी ने इस औरत पर भी जाल बिछा दिया. टै्रफिक वार्डन बने हुए अपने सहायक से कहा कि वह नासेर को छोड़ कर इस स्त्री का पीछा करे.

2 घंटे बाद नासेर अपनी दुकान में चला गया. मसजिद के बाहर कई औरतें उस की बीवी से बातें करती रहीं. जब वह वहां से चली, सिपाही ने लगातार उस पर निगरानी रखी. अंत में उस ने उसे घर की चाबी निकाल कर ताला खोलते हुए और अंदर जाते हुए देखा. उस ने पता अपनी डायरी में लिख लिया और घर का एक फोटो भी कैमरे में कैद कर लिया.

उस दिन शुक्रवार था. शनिवार और इतवार को दफ्तर की छुट्टी थी. सोमवार को सुबह 7 बजे से एंडी की ड्यूटी नासेर के तथाकथित घर के बाहर लगा दी गई. वह एक वीडियो कैमरा ले कर अपनी कार में बैठा सारी गतिविधियां रिकार्ड करता रहा. 8 बजे नासेर की पत्नी अपने तीनों बच्चों को ले कर स्कूल की ओर रवाना हुई. स्कूल ज्यादा दूर नहीं था. यही कोई 15 मिनट की चहलकदमी पर. एंडी अपना फासला रखते हुए धीमी रफ्तार से पीछेपीछे रेंगता हुआ स्कूल का नामपता भी दर्ज कर लाया.

बच्चों को भेज कर नासेर की बस से कहीं जाने लगी. एंडी ने पीछा किया. 2-3 मील दूर पर एक दुकान थी, जिस में मिठाइयां, स्वीट, अखबार आदि के साथसाथ ब्रैड, दूध, सब्जी, फल भी रखे थे. दुकान पहले से खुली हुई थी. मतलब उस का मालिक कोई और था. नासेर की पत्नी ने अंदर जा कर कार्यभार संभाल लिया और वहां से एक और औरत, जो काफी कम उम्र की और स्मार्ट थी बाहर आई और एक छोटी कार से कहीं चली गई.

शाम को 3 बजे वह लड़की दुकान में वापस आ गई और नासेर की पत्नी वापस अपने बच्चों को स्कूल से ले कर अपने घर चली गई.

एंडी ने यह सारी रिपोर्ट मौयरा और डेविड को दे दी. मौयरा की बातों से जाहिर था कि नासेर इस शादी की कतई इज्जत नहीं करता था. फिर भी वह उसी घर में रहता था और वहीं रात को सोता था. हो सकता है कि उस की बीवी को उस की तफरीहों का पता ही न हो. बेईमान पुरुष जरा ज्यादा ही शरीफ बने रहते हैं अपनी बीवियों के साथ. क्रिस्टी को संभलसंभल कर अगला कदम रखना होगा. मौयरा को वह इस खेल में झोंक नहीं सकता था. वह एक इज्जतदार स्त्री थी. कई सालों से एक ही बौयफैंरड से निभा रही थी. वह भी इसे पूरे मन से चाहता था, मगर उस की कमर्शियल पायलट की जिंदगी शादी, गृहस्थी के हिसाब से ठीक नहीं बैठती थी, इसलिए वे दोनों शादी नहीं कर रहे थे.

एक दिन मौयरा फिर उड़ती चिडि़या की तरह कबाब की दुकान में जा बैठी. नासेर खिल उठा. मौयरा ने जरा ज्यादा भाव दिया, तो नासेर सीधा मतलब पर आ गया.

‘‘तू आ न आज शाम को. हम इकट्ठे घूमेंगेफिरेंगे.’’

‘‘नहीं, शाम को बड़ा मुश्किल होता है. मेरी मां रहती है साथ में.’’

‘‘तो फिर अभी चल ऊपर मेरे फ्लैट में. वहां आराम से बैठते हैं. आई विल गिव यू ए गुड टाइम.’’

‘‘थैंक यू, मगर मैं तो तुम्हें ज्यादा जानती नहीं, फिर कभी मिलेंगे. हो सका तो वीकएंड में आऊंगी.’’

‘‘वीकएंड में ठीक नहीं रहेगा. काम बहुत बढ़ जाता है. मुझे फुरसत नहीं मिलती.’’

‘‘कोई बात नहीं अगले हफ्ते देखूंगी, बाय.’’

नासेर की दाल नहीं गल रही थी.

क्रिस्टी ने स्कूल के हेडमास्टर को अपने विश्वास में लपेटा. बिना उसे कुछ बताए उस ने नासेर के बच्चों का हवाला लिया. बड़ी लड़की 10 साल की होने जा रही थी. उस से छोटी 7 साल की थी और सब से छोटा लड़का 5 साल पूरे कर चुका था, अभी कुछ ही दिन पहले मां का नाम साफिया था मगर लड़के का नाम अब्दुल नहीं था. उसे सब शकूर अली नासेर बुलाते थे.

डेविड क्रिस्टी ने बच्चे का बर्थ सर्टिफिकेट निकलवाया. वह मोरक्को का पैदा हुआ बच्चा था और उस की जन्म की तारीख में भी फर्क था.

फिर से चक्का जाम हो गया यानी इस पहेली के कई दरवाजे अभी भी बंद थे. डेविड और मौयरा दोनों बौखला गए. अब किस आधार पर जा कर नासेर को पकड़ें? कहीं भी नासेर की तसवीर में फैमी फिट नहीं हो रही थी.

कहां थी जैनेट के घर में रहने वाली फैमी और उस का बच्चा? हो सकता है वे दोनों कहीं और रहते हों. बेकार ही वह इस परिवार को दोषी समझ बैठा है.

 

अगले दिन सुबह वह अपने औफिस में मौयरा के आने का इंतजार कर रहा था. नीचे से उस को खबर आई कि एक औरत मिलने आई है. डेविड ने उसे वहीं अपने औफिस में बुला लिया. आगंतुक एक ईरानी औरत थी. उस ने सिर में रूमाल बांधा हुआ था और टखनों तक लंबा कोट पहना था. डेविड देर तक उस से बातें करता रहा.

उस के जाने के बाद मौयरा आई तो डेविड खिड़की से बाहर खोयाखोया सा आसमान को ताक रहा था.

‘‘तुम्हारा चेहरा तो बेहद उतरा हुआ है डेविड, क्या हुआ?’’

‘‘कुछ भी नहीं हुआ मगर मौयरा जब भी मैं यह केस बंद करना चाहता हूं, कुछ ऐसा हो जाता है कि मुझे अपना फैसला रद्द कर देना पड़ता है.’’

मौयरा ने पूछा, ‘‘यह औरत कौन थी?’’

‘‘यह एक ईरानी औरत है बर्ग हीथ से आई थी.’’

‘‘क्या चाहती थी?’’

‘‘फिर बताऊंगा, वह इत्तफाक से यहां आ पहुंची. हां, यह पता लगा है कि नासेर का बेटा मोरक्को में पैदा हुआ.’’

‘‘तो फिर अब्दुल कहां गया?’’

‘‘यही तो गड़बड़ है. अब किस बिना पर नासेर को दोषी मान लें?’’

‘‘छोड़ो मत उसे, वह बेहद गंदा आदमी है. एकदम घटिया. मैं अब अकेली उस के यहां नहीं जाऊंगी. वह तो सीधा गुड टाइम की बात करने लगता है.’’

‘‘हां, वह खतरनाक हो सकता है पर अब क्या करें कि उसे पकड़ कर इलजाम लगाया जा सके?’’

‘‘मेरी मानो तो लारेन को ले आना चाहिए. देखें कैसा रिएक्शन रहता है उस का.’’

‘‘चलो यह भी कर के देख लें.’’

अगले दिन डेविड फिर नासेर की दुकान में गया. नासेर हंसहंस कर उस से बातें करने लगा.

‘‘क्या बताया तुम ने कि टर्की से आए हो?’’

‘‘नहीं टर्की से तो मेरी बीवी है. मैं तो सच पूछो तो मोरक्को का रहने वाला हूं, वहां मेरे खानदान का बड़ा बिजनेस है.’’

‘‘मोरक्को के तो कई लोगों को मैं जानता हूं. एक बीवी की फ्रैंड थी फैमी फहमीदा सादी. वह भी मोरक्को से आई थी. तुम जानते हो उसे?’’

 

यह सुन कर नासेर का रंग उड़ गया. वह अटक कर बोला, ‘‘नहीं, मैं इस नाम की किसी और को नहीं जानता.’’

इस के बाद उस का बातचीत का रुख बदल गया. वह धंधे की परेशानियों का रोना रोने लगा.

क्रिस्टी का शक और पक्का हो गया मगर ऊपर से उस ने कुछ जाहिर नहीं किया.

इस के बाद क्रिस्टी लारेन से मिला. लारेन को पुलिस के काम के लिए छुट्टी दिला दी और वह उसे ले कर नासेर की दुकान में गया. खुद कुछ देर के लिए बाहर ही खड़ा रहा और अकेली लारेन अंदर गई. लारेन को देख कर नासेर के चेहरे पर की हवाइयां उड़ने लगीं. उस ने झूठा स्वांग रचा कि उसे दमा का रोग है और अटैक आ गया है, इसलिए वह दुकान बंद कर के बाहर खुली हवा में जाना चाहता है.

वह जोरजोर से खांसने लगा. काउंटर के नीचे झुक कर उस ने कबाब के ग्रिल का बटन बंद कर दिया और रुकरुक कर घुटती सी आवाज में गालियां बकने लगा.

‘‘ये कम्बख्त चूल्हा और यह गोश्त का धुआं मेरी जान ले लेगा. जाओ, प्लीज बाहर निकलो, मुझे जाना है.’’

लारेन बाहर चली गई तो उस ने झटपट दुकान का शटर गिरा दिया और ऊपर फ्लैट में चला गया.

इधर मौयरा बाल मनोविज्ञान का परीक्षण करने वाली टीचर बन कर शकूर अली नासेर के हेडमास्टर से मिली और उसे इस बात के लिए राजी कर लिया कि शकूर से अकेले में बात करेगी. एक अन्य डिनर लेडी शकूर को लाने की जिम्मेदारी बनी. शायद इतना छोटा बच्चा अजनबी स्त्री से ठीक तरह बात न करता.

मौयरा ने ढेर सारे कंस्ट्रक्शन गेम टेबल पर रख दिए और शकूर से उन्हें बनाने को कहा. बच्चा ही तो था झट बहल गया.

फिर उस की बनाई चीजें की खूब तारीफ की और अनेक मिलेजुले छोटेमोटे सामान मेज पर बिखेर दिए.

‘‘शकूर, तुम्हें जोड़े मिलाने पड़ेंगे यानी क्या चीज किस के साथ जोड़ी जाती है. जैसे, ताले के साथ चाबी, जूते के साथ मोजा वगैरह.’’

शकूर जब खूब मगन हो गया तब उस ने धीमे से फैमी का फोटो मेज पर रख दिया.

जैसे ही उस ने उसे देखा वह सकपका गया और फिर रोआंसा हो गया. उस ने फोटो उठा लिया और उसे निहारता रहा.

‘‘तुम जानते हो यह कौन है?’’

‘‘आंटी.’’

‘‘तुम्हें प्यार करती है?’’

‘‘बहुत, हम घूमने जाते थे. वह मुझे बाहर ले जाती थी.’’

‘‘कहां?’’

‘‘कभी चिडि़याघर तो कभी पार्क में.’’

‘‘अब भी जाते हो?’’

‘‘अब नहीं आती.’’

यह बात कह कर शकूर रोने लगा.

अगले दिन हेडमास्टर ने साफिया को स्कूल के बाद आधा घंटा रुकने को कहा. बताया कि तुम्हारा बेटा बहुत मेधावी है.

‘संघर्ष से हर जंग जीती जा सकती है’

2011 में ऐवरेस्ट पर विजय पताका लहरा कर प्रेमलता अग्रवाल निश्चिंत हो कर न बैठ दक्षिण अफ्रीका के किलिमंजारो पर्वत और अंटार्कटिका पर फतह पाने के सपने को साकार करने की तैयारी में लगी हैं. ऐवरेस्ट फतह करने वाली सब से ज्यादा आयु की महिला का विश्व रिकौर्ड उन के नाम है.

वे कहती हैं, ‘‘मजबूत इरादों से हर उम्र में हर मुश्किल पर जीत हासिल की जा सकती है. उम्र चाहे जो भी हो संघर्ष से हर जंग जीती जा सकती है.’’

ऊंचे शिखरों को छूने की प्रेमलता की कोशिश ऐवरेस्ट पर चढ़ने के बाद खत्म नहीं हुई, बल्कि एक के बाद एक दुनिया के तमाम ऊंचे शिखरों पर कदम रखा. वह दक्षिण अफ्रीका के तंजानिया के किलिमंजारो (5,895 मीटर), अमेरिका के माउंट ऐस्कर कारगुआ (6,962 मीटर), यूरोप के माउंट एल्बुस (5,642 मीटर), आस्ट्रेलिया के कासेंस पिरामिड (4,884 मीटर) और अंर्टाटिका के माउंट विन्सन (4,897 मीटर) की चोटियों पर जीत का झंडा फहरा चुकी हैं. अब वे उत्तरी अमेरिका की 6,196 मीटर ऊंची चोटी माउंट मैकिनले पर चढ़ाई करने की तैयारी कर रही हैं.

मजबूत इरादा

1963 में सिलीगुड़ी में जन्मी प्रेमलता बताती हैं कि बेटी को स्पोर्ट्स के प्रति ट्रेनिंग दिलवातेदिलवाते उन में भी स्पोर्ट्स में दिलचस्पी पैदा हो गई. उन्हीं दिनों टाटा में वाकिंग कंपीटिशन में हिस्सा लिया और उसी दौरान मशहूर पर्वतारोही और टाटा स्टील ऐडवैंचर फाउंडेशन की प्रमुख बछेंद्री पाल से मिलने का मौका मिला. उन के औफिस में लगी माउंटेनियरिंग की तसवीरें देख कर उन में भी माउंटेनियरिंग का सपना जागा. उस के बाद अपने सपने को साकार करने के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा दिया और 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद 45 साल की आयु में माउंट ऐवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली उम्रदराज महिला बन गईं. उस के बाद एक के बाद एक कई चोटियों पर विजय पताका लहरा कर उन्होंने साबित कर दिया कि कामयाबी हासिल करने के लिए उम्र कोई रुकावट नहीं बनती है. मेहनत और लगन से हर मंजिल पाई जा सकती है. पिछले दिनों इस माउंटेन वूमन को भारत सरकार ने पद्मश्री के खिताब से नवाजा.

जज्बे से जीत

झारखंड के जमशेदपुर शहर की रहने वाली प्रेमलता कहती हैं, ‘‘जज्बे से ही जीत मिलती है. अकसर लोग कहते मिल जाते हैं कि उन की उम्र हो गई है. अब क्या काम करें? घरगृहस्थी में फंसने की दुहाई दी जाती है. यह सिर्फ बहानेबाजी होती है. जिस चीज के प्रति आदमी की रुचि होती है उस के लिए वह किसी न किसी तरह से समय निकाल ही लेता है.’’

बछेंद्री पाल की देखरेख और उन से ट्रेनिंग ले कर प्रेमलता ने 20 मई, 2011 को 8,848 मीटर ऊंची चोटी माउंट ऐवरेस्ट पर तिरंग लहरा दिया.

सिलीगुड़ी के व्यवसायी रामावतार अग्रवाल और शारदा अग्रवाल के घर पैदा हुई प्रेमलता बताती हैं कि उन का बचपन से ही पढ़ने से ज्यादा खेलकूद में मन लगता था. बड़ा परिवार होने और पिता की व्यस्तता की वजह से वे अपने खेलकूद के शौक को आगे नहीं बढ़ा सकीं.

सपनों को पंख

मांबाप की 9 संतानों में दूसरे नंबर की प्रेमलता कहती हैं कि बड़ा परिवार होने के कारण परिवार का खर्च काफी मुश्किल से चल पाता था. विमल अग्रवाल से विवाह होने के बाद वे जमशेदपुर आ गईं.

प्रेमलता का विवाह 18 साल की उम्र में ही हो गया था. विवाह के बाद वे पूरी तरह से घरगृहस्थी में रम गई थीं. मगर बछेंद्री पाल से मिलने के बाद तो प्रेमलता के सपनों को मानो पंख लग गए. पति विमल अग्रवाल से उन्होंने जब ऐवरेस्ट पर चढ़ने की बात कही तो पहले तो वे हैरान हुए, पर बाद में उन की लगन को देख कर प्रोत्साहन देने लगे. उस के बाद से प्रेमलता ने लगातार 12 सालों तक माउंटेनियरिंग की ट्रेनिंग ली, जिस में बछेंद्री पाल ने काफी मदद की. 25 मार्च, 2011 को आखिर वह दिन आया जिस दिन उन्होंने 8,848 मीटर ऊंची माउंट ऐवरेस्ट की चोटी पर चढ़ाई शुरू की थी.

हिम्मत नहीं हारी

प्रेमलता बताती हैं कि शरीर को बेधने वाली बर्फीली हवाएं, चारों ओर फैली बर्फ ही बर्फ, पीठ पर लादा भारी सामान, बर्फ और तेज तूफान, जीरो से 20 डिग्री कम तापमान के बीच भी ऐवरेस्ट को छूने का उन का हौसला कमजोर नहीं पड़ा.

वे बताती हैं कि 25 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंची तो अचानक मौसम बहुत ज्यादा खराब हो गया. ज्यादातर लोग लौटने लगे, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. मौसम के ठीक होते ही फिर चढ़ाई शुरू की. 27 हजार फुट की ऊंचाई पर पहुंची तो औक्सीजन मशीन खराब हो गई. उसे ठीक करने के लिए दाएं हाथ का दस्ताना खोला तो वह तेज हवा में उड़ गया. हाथ ठंड से जमने लगा. तभी पास में पुराना दस्ताना मिल गया तो राहत मिली.

प्रेमलता बताती हैं कि मौसम जब ज्यादा खराब हो जाता था तो साथ चल रहे शेरपा उन का मजाक उड़ाते और फब्तियां कसते थे. वे कहते थे कि जिस उम्र में लोग घर में आराम करते हैं, नातीपोतों के साथ खेलते हैं उस उम्र में पता नहीं क्या सूझा कि ऐवरेस्ट पर चढ़ने चली आईं. कभी शेरपा कहते कि उन्हें अपने घरपरिवार, पति और बच्चों से प्यार नहीं है क्या? इस सब के बावजूद प्रेमलता का हौसला कमजोर नहीं पड़ा और वे सब से ज्यादा उम्र में ऐवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला बन गईं.

घातक है धार्मिक उन्माद

धार्मिक पाखंड न सिर्फ इनसान की सोच को संकीर्ण बनाता है, बल्कि इस वजह से इनसान अति क्रूर बन कर अपना तनमनधन सब कुछ तबाह कर बैठता है.

2 जून, 2016 को हुआ मथुरा कांड इस का ताजा उदाहरण है. रामवृक्ष यादव ने अपनी संकीर्ण सोच के चलते न केवल 24 निर्दोषों की जान ले ली, बल्कि स्वयं भी अपने अंधभक्तों के साथ विस्फोट की भेंट चढ़ गया.

पागलपन के नशे में यह व्यक्ति देश के संविधान, कानून और सरकार तीनों से विद्रोह कर खुद को भगवान मानने लगा था. अपने उन्मादी भाषणों के द्वारा अंधविश्वासी भक्तों की सेना बचाने में जुटा रहा. मथुरा के जवाहर बाग में विस्फोटक सामग्री जमा करता रहा. घटना के दिन उन्मादी भक्तों ने इस व्यक्ति के साथ मिल कर भयानक विस्फोट कर दिया. अगर अंधविश्वास को रोका न जाए तो यह कितना विध्वंसक हो जाता है, यह किसी से छिपा नहीं है.

कोई नहीं बचा इस से

क्या देश क्या विदेश, अंधविश्वास के विषवृक्ष ने हमेशा अतिवादी विचारों को ही फैलाया है.

अंतर्राष्ट्रीय परिदृश्य में कुकलक्स कलान दिसंबर, 1865 में बहुत ही भयानक नाम बन कर उभरा. दिसंबर, 1860 में जब दक्षिण यूरोप में गणराज्य की स्थापना हुई तो काले लोगों को दास प्रथा से मुक्ति मिली. तब ऐलीट लोगों के समूह से कुकलक्स कलान नाम का भयानक जातिवादी संगठन उभरा जो काले लोगों की दास प्रथा का समर्थक था और गोरे लोगों की सुपरमैसी यानी सर्वोच्चता का. इस संगठन के लोगों ने स्कूलों, चर्चों पर हमले करने शुरू कर दिए. रात के अंधेरे में ये डरावनी पोशाकें पहन कर काले लोगों पर आतंक मचाने लगे. ये काले लोगों को धमकाने से ले कर उन का खून तक करने लगे. बाद में सरकारी दबाव की वजह से इन का प्रभाव कम हो गया, लेकिन अब ये फिर उभर रहे हैं. ये अफ्रीकनअमेरिकन हेट गु्रप के सिद्धांत पर चलते हैं.

ये सारी घटनाएं चरमपंथ से जुड़ी हुई हैं, जहां मानववृद्धि जायज तर्क, सहनशीलता, उदारता की कट्टर विरोधी बन जाती है. उस के लिए अपना स्वार्थ ही सर्वोपरी हो जाता है.

आज आईएसआईएस कट्टरवादी आतंकवाद का क्रूरतम चेहरा है, जिस का हर किसी को खौफ है. खौफ इसलिए पैदा किया जाता है ताकि स्वयं या विशेष धर्म अथवा जाति के महान होने के अंधविश्वास को लोगों में स्वीकार्य बनाया जा सके.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आईएसआईएस पर काररवाई के दौरान कहा था कि इन का सिद्धांत नौनइसलामिक है.

यह सत्य है कि धर्म की आड़ ले कर किया जा रहा क्रूरतम कार्य कभी वास्तविक धर्म का उद्देश्य पूरा नहीं करता.

ढोंगी बाबाओं का जाल

हमारे देश में आसाराम बापू प्रकरण ज्यादा पुराना नहीं है. कथित परमपूज्य आसाराम बापू को 16 साल की बच्ची के साथ रेप करने के आरोप में पुलिस ने जोधपुर में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. यह वही बच्ची थी जिस के मातापिता आसाराम के आश्रम में वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे थे.

आसाराम पर मर्डर, रेप, तांत्रिक मंत्रसिद्धि द्वारा वशीकरण, कामोत्तेजना बढ़ाने वाली दवाइयों का सेवन करा कर स्त्रियों और लड़कियों का शारीरिक शोषण, जमीन हड़पना आदि कई इलजाम लगे हैं.

आसाराम हरपलानि, जन्म 1941, पहले तांगेवाला, फिर रोड साइड चाय बेचने वाला और उस के बाद जमीन हड़पते हुए स्वयंभू भगवान बन जाता है. इस ने करीब 30 लाख अंधभक्तों की फौज तैयार कर ली, जिस के लिए यह पूज्य संत श्री आसाराम बापू बन गया.

आसाराम के अंधभक्त आतंकवादी संगठनों के जेहादियों जैसे हैं, जो इस के एक इशारे पर मरनेमारने को उतारू हो जाते थे. इन के लिए गुरू की अंधशक्ति से बढ़ कर कुछ भी नहीं. अब जरा सोचिए कि देश की इतनी बड़ी जनसंख्या अगर अंधविश्वास की, पागलपन की मानिकसता में रहे, बुद्धि और तर्क का स्थान गौण रह जाए तो देश का विकास कैसे होगा?

महिलाएं भी इस का शिकार

धर्म के नाम पर लोगों को विश्वास में ले कर एक के बाद एक आतंकवाद के क्रूरतम संगठन मजबूत होते जा रहे हैं. जातिधर्म के पाखंड का जाल फैला कर ऐसे संगठनों के कर्ताधर्ता अपनी मनोवैज्ञानिक संकीर्णता को संतुष्ट करते हैं.

यहां तक कि घर के नूनतेल में लगीं साधारण महिलाएं भी धर्म और पाखंड का खाता खोल बाबाओं, मुल्लाओं, पंडितों, तांत्रिकों के पीछे भागती नजर आती हैं. चाहे बच्चा बीमार हो, पदोन्नति, शत्रु पराजय अथवा मनचाही वस्तु पाने की बात हो, लोग आश्रमोंमंदिरों, मसजिदों की गुलामी करने लगते हैं. पंडितों, मुल्लाओं, पादरियों का व्यवसाय है धर्म की आड़ में जनता को डरा कर स्वयं विलासिता का जीवन जीना.

धर्म की इस ठेकेदारी से पाखंडी सधी तकनीकों से लोगों को वश में करना खूब जानते हैं. भय को हथियार बना कर ये लोगों की मानसिकता को कुंद कर देते हैं.

अपनी इच्छानुसार सब कुछ पाने के लालच में इनसान भ्रष्ट होता जाता है. लोगों के इस लालच को ढाल बना कर ये पंडित, मुल्ला अपनी ताल ठोंकते हैं.

इनसान को किसी धर्म या अंधभक्ति की जरूरत न पड़े, अगर वह अपने दिमाग का सही इस्तेमाल करे. बाबाओं के फेर में पड़ कर लोगों की सोच कुंद पड़ जाती है, तब ऐसे बाबा साधना तंत्रमंत्र, दान, भक्ति की अनबूझ बातें बता कर खूब पैसा बटोरते हैं, फिर तरहतरह के व्यवसाय में पैसा लगाते हैं. अपने पीछे खुद के साम्राज्य की रक्षा के लिए सेना खड़ी करते हैं, रेप से ले कर मर्डर तक हर चीज में हाथ आजमाते हैं.

मध्य युग से ही धार्मिक पाखंड ने पूरे विश्व में अपनी जड़े फैलाईं. 1572 में रोम का इतिहास पोप की विलासिता, स्वच्छंदता और धर्मांधता से शुरू हो कर मार्टिन लूथर के धार्मिक जागरण पर आ कर रूका. पोप के प्रति विरोध स्वर मुखर करते हुए मार्टिन लूथर ने कहा था कि कोई भी पोप के द्वारा बेचे जा रहे क्षमापत्र खरीद कर अपने दुष्कर्मों के अपराध से मुक्त नहीं हो सकता.

दरअसल, पोप ने ऐसी धारणा फैलाई थी कि पोप के द्वारा बेचे जा रहे क्षमापत्र लोगों को उन के पाप से मुक्ति दिलाएंगे. पोप का उद्देश्य पाप से मुक्ति का लालच दे कर धन कमाना ही था.

लूथर ने समझना शुरू किया कि प्रायश्चित के लिए जप, दान, उपासना सभी निरर्थक हैं. मनुष्य का सद्कर्म और ऊंचे विचार ही शांति और समृद्धि ला सकते हैं.

इस के बाद से यूरोप में मानवतावाद और पुनर्जागरण धार्मिक आंदोलन बन कर उभरा. लोगों का देवीदेवताओं के प्रति अंधविश्वास टूटने लगा. इस की जगह व्यक्तियों में खोज की प्रवृत्ति जगी. इस दौरान निकोलो मेकियावेली, दांते एलीगियरी और पेटार्क की किताबें मानवतावादी विचारों से आतेप्रोत रहीं.

भारत में पूर्व स्वाधीनताकाल अंधविश्वास और पाखंड से कुछ ज्यादा भरा रहा. इस

समय दयानंद सरस्वती, राजाराममोहन राय, विद्यासागर जैसे सुधारकों ने हिंदू धर्म की कुप्रथाओं और धार्मिक आंडबरों के विरुद्ध युगांतकारी आंदोलन किए.

पढ़े लिखे अंधभक्त

आश्चर्य यह है कि आज के इस वैज्ञानिक और तार्किक युग में भी लोग अंधविश्वास के जरीए अपने जीवन में सुधार का प्रयास करते हैं.

मनुष्य होने की सार्थकता इसी में है कि हम अंधविश्वासों की अधीनता न स्वीकारें. आस्था का महत्व है लेकिन यह आस्था सत्य के संधान पर हो, अंधपाखंड पर नहीं.

जिंदगी में कुछ भी जादू से नहीं होता, सब कुछ मेहनत और वैज्ञानिक सत्य पर आधारित होता है. अगर अंधविश्वास और स्वांग रचने वालों के भरोसे बैठे रहें, तो जिंदगी को ऐसी ठोकर लगेगी कि संभलने का मौका नहीं मिलेगा. इसलिए न्याय और सच की राह पर अपनी अंधबुद्धि की आंखें खोल कर चलें, मार्ग के रोड़े अपनेआप हट जाएंगे. 

बोल्ड दृश्यों के सहारे करियर संवारेंगी राधिका

लगभग दस फिल्मों में अभिनय करने के बाद 2011 में प्रदर्शित एकता कपूर की फिल्म ‘शोर इन द सिटी’ से पहली बार राधिका आप्टे चर्चा में आई थीं. पर इस फिल्म में उनके अभिनय से कहीं ज्यादा चर्चा तुषार कपूर के साथ उनके संबंधों को लेकर हुई थी. यहां तक कि इसी के चलते एकता कपूर व उनके भाई तुषार कपूर के बीच कुछ अनबन भी हुई थी.

इसके बाद वह संगीत की शिक्षा लेने ब्रिटेन चली गयीं. पर फिल्मों में अभिनय करना जारी रखा. इस बीच उन्होंने कुछ मराठी भाषा के अलावा दक्षिण भारत की कुछ फिल्में की. ‘बदलापुर’ और ‘हंटर’ व लघु फिल्म ‘आहिल्या’ में अति बोल्ड किरदार निभाकर उन्होंने हर किसी को चौंका दिया. उसके बाद उन्होंने ‘मांझीः द माउंटेनमैन’, ‘कौन कितने पानी में’ जैसी फिल्में की, मगर उनकी पहचान न बन पायी. तब उन्होंने सुजॉय घोष निर्देषित लघु फिल्म ‘आहिल्या’ में एक बोल्ड किरदार निभाकर हंगामा मचा दिया.

‘आहिल्या’ से रातों रात सूर्खियों में छा जाने वाली राधिका आप्टे फिल्मों में बोल्ड दृश्य निभाना शुरू किया. उसके बाद अनुराग कश्यप की फिल्म ‘मैडली’ के वह दृश्य इंटरनेट व सोशल मीडिया में लीक हुए जिनमें राधिका आप्टे अर्धनग्न नजर आ रही थीं. इसके बाद राधिका आप्टे ने लीना यादव निर्देशित फिल्म ‘पार्च्ड’ में भी अति बोल्ड व अति सेक्सी किरदार निभाया. मजेदार बात यह रही कि इस फिल्म के वही दृश्य इंटरनेट व सोशल मीडिया पर लीक हुए जिसमें राधिका आप्टे हैं.

इन दिनों राधिका आप्टे एक बार अपनी एक फिल्म ‘बाम्बेरिया’ की हॉट व सेक्सी वीडियो क्लिप लीक होने के कारण चर्चा में हैं. इस फिल्म में राधिका आप्टे ने एक प्रचारक मेघना का किरदार निभाया है, जो कि बॉलीवुड कलाकारों की प्रचारक है. वह खुद को बहुत हॉट मानती है. इसलिए मेघना ने खुद ही शॉवर स्नान करते हुए मोबाइल में अपना एमएमएस बनाया. अब यह फोन चोरी हो गया है. यानी कि शॉवर स्नान वाले दृश्य का ही वीडियो लीक हुआ है. पर इस बार भी राधिका आप्टे परेशान नहीं है.

वह ऐलान कर चुकी हैं कि उन्हें सेक्स एडिक्ट का किरदार निभाना है. एक अंग्रेजी फिल्म में ‘न्यूड’ सीन दिया है. उन्होंने ‘न्यूडिटी’ पर एक लंबा सा लेख भी लिखा है. इतना ही नहीं राधिका आप्टे तो ‘सेक्स को हौव्वा’ बनाकर रखने वालों पर जबरदस्त हमला भी बोल रही हैं. वह कहती हैं, ‘‘भारत में लोगों ने बेवजह सेक्स को हौव्वा बना रखा है. सेक्स को टैबू बनाकर रखा हुआ है. इस तरह की फिल्म में अभिनय करने में क्या बुराई है? जो इस तरह की बातें कर रहे हैं, क्या वह सेक्स नहीं करते हैं, हर इंसान सेक्स करता ही है. सेक्स आधारित फिल्म में अभिनय करना हमारी संस्कृति के खिलाफ कैसे हो सकता है? ‘कामसूत्र’ भी हमारे ही देश की संस्कृति का हिस्सा है. अपने घर के अंदर कौन सेक्स नहीं करता? इसमें छिपाने वाली कौन सी बात है? पता नहीं लोगों ने सेक्स को हौव्वा क्यों बना रखा है.’’

राधिका आप्टे ने आगे कहा, ‘‘सेक्स में जितना खुलापन आएगा, उतना ही इससे जुड़ी गंदगी खत्म होगी. हम जिस बात को जितना छिपाते हैं, उसको लेकर उतनी ही अधिक उत्सुकता बढ़ती है. जबकि सेक्स को लेकर उत्सुकता बढ़ाने में मुझे कोई लॉजिक समझ में नहीं आती.’’

बहरहाल, अब राधिका आप्टे के इस हॉट व अति सेक्स व अति बोल्ड ईमेज का पुनः फायदा उठाने के लिए ही सुज्वाय घोष ने ‘आहिल्या’ का भाग दो बनाने जा रहे हैं. सुज्वॉय घोष का दावा है कि उन्होंने राधिका आप्टे को दिमाग में रखते हुए इसकी पटकथा लिखी है. इस फिल्म में वह सौमित्र चटर्जी को हीरो के रूप में पेश करेंगे. यह फिल्म भी 15 मिनट की लघु फिल्म होगी, जो कि वेब फिल्म के रूप में ‘यूट्यूब’ पर रिलीज की जाएगी. सुजॉय घोष का दावा है कि यह फिल्म उनकी पहली फिल्म ‘आहिल्या’ के मुकाबले काफी ज्यादा बोल्ड होगी. राधिका आप्टे भी ‘आहिल्या’ के भाग दो में अभिनय करने के लिए हामी भर चुकी है. सुजॉय घोष की मानें, तो वह इस फिल्म को फरवरी 2017 में फिल्माएंगे और उसी माह वह इसे ‘यूट्यूब’पर रिलीज कर देंगे.

इस तरह यदि राधिका आप्टे के करियर व उनकी सोच पर गौर किया जाए, तो यही बात स्पष्ट होती है कि राधिका आप्टे बोल्ड व अति सेक्सी दृश्यों के सहारे ही अपने अभिनय करियर को संवारना चाहती हैं? पर कुछ जानकार इसे राधिका आप्टे की अभिनय की कमजोरी मानते हैं. पर इससे राधिका आप्टे सहमत नहीं हैं.

चार दिन पांच सितारा होटल में बंद रहे रितिक रोशन

6 जनवरी को रितिक रोशन की फिल्म ‘काबिल’ प्रदर्शित होगी, जिसका निर्माण उनके पिता राकेश रोशन व निर्देशन संजय गुप्ता ने किया है. इस फिल्म में रितिक रोशन ने एक अंधे युवक का किरदार निभाया है, जो कि एक आम इंसान की ही तरह नृत्य करता है, गीत गाता है और मारा मारी भी करता है. इस फिल्म के प्रदर्शन की तारीख नजदीक आने के साथ साथ इस फिल्म व रितिक से जुड़ी कुछ बातें धीरे धीरे सामने आने लगी हैं.

सूत्रों का दावा है कि फिल्म ‘काबिल’ की शूटिंग शुरू होने से चार दिन पहले रितिक रोशन अचानक गायब हो गए थे और पूरे चार दिन तक वह हर किसी से दूर थे. सूत्रों का दावा है कि रितिक रोशन अपनी फिल्म के कठिन किरदारों की तैयारी के लिए हर फिल्म से पहले कुछ दिन गायब हो जाते हैं. इस बार ‘काबिल’ की शूटिंग शुरू करने से पहले अपने आपको अंधे युवक के किरदार में ढालने के लिए रितिक रोशन खुद को चार दिन तक मुंबई के एक पांच सितारा होटल के कमरे में बंद कर लिया था. इन चार दिनों में वह किसी से नहीं मिले. उन्होंने अपना मोबाइल फोन भी बंद करके रखा हुआ था.

सूत्र दावा कर रहे हैं कि इन चार दिनों में उस होटल के बंद कमरे में रितिक रोशन केवल अपने किरदार की तैयारी करते रहे. वह होटल के कमरे में एक अंधे युवक की तरह आंखे बंद करके चलने, नृत्य करने आदि की तैयारी कर अपने अंदर इस किरदार को घोलते रहे. जब उन्हें यकीन हो गया कि उन्होंने इस किरदार को पूरी तरह से आत्मसात कर लिया है, तभी वह होटल के कमरे से बाहर निकले थे.

पर अभी तक इस फिल्म को लेकर खुद रितिक रोशन कुछ भी कहने को तैयार नहीं हैं. उधर बॉलीवुड में चर्चा है कि रितिक रोशन के लिए यह फिल्म काफी कठिन साबित होने वाली है. इस फिल्म के प्रदर्शन के बाद लोग सिर्फ उनके अभिनय को ही नहीं परखेंगे, बल्कि उनके अभिनय की तुलना रानी मुखर्जी के अभिनय से करेंगें. सभी को पता है कि फिल्म ‘ब्लैक’ में रानी मुखर्जी ने अंधी लड़की का किरदार निभाकर काफी शोहरत व पुरस्कार बटोरे थे.

गौहर खान गायक रूपिन पाहवा से रचाएंगी शादी?

गौहर खान अपनी अदाकारी की बनिस्पत अपने रोमांस को लेकर ही हमेशा चर्चा में रहती हैं. अभिनेता कुशल टंडन संग गौहर खान के रिश्ते काफी चर्चा में रहे हैं. दोनों कुछ वर्ष लिव इन रिलेशनशिप में भी रहे. मगर अंततः दोनों के बीच कड़वाहट के साथ अलगाव हो गया.

कुछ समय पहले फिल्म व टीवी अभिनेता हर्षवर्धन राणे के साथ भी उनके रोमांस की काफी चर्चा रही, पर खुद गौहर खान ने ही सोशल मीडिया का सहारा लेकर हर्षवर्धन राणे के संग कोई भी रिश्ता न होने का ऐलान किया. तब से बॉलीवुड में कयास लगाए जा रहे थे कि आखिर गौहर खान किसे छिपा रही हैं?

आखिरकार अब गौहर खान की जिंदगी में अहमियत रखने वाले इंसान का चेहरा सामने आ चुका है. अंग्रेजी की एक वेबसाइट ने ऐलान किया है कि इन दिनों गौहर खान दिल्ली के मशहूर गायक रूपिन पाहवा के संग रोमांस फरमा रही हैं. गौहर खान के अति नजदीकी सूत्रों का दावा है कि गौहर खान व रूपिन का यह रिश्ता महज तीन माह पुराना है. सूत्रों का दावा है कि इन दोनों की मुलाकात लगभग चार माह पहले मुंबई में ही एक समारोह में हुई थी. यह मुलाकात दोस्ती व प्रेम संबंधों में इतनी जल्दी बदली कि लोग सोच भी नहीं पाए.

उसके बाद हाल ही में मुंबई में संपन्न कोल्डप्ले समारोह में यह दोनों एक साथ गलबहियां करते हुए ‘कोल्डप्ले’ का मजा लूटते हुए नजर आए. इसका एक वीडियो भी अब वायरल हो चुका है. इतना ही नहीं गौहर खान ने मुंबई में एक पेंटहाउस खरीदा है. गौहर ने अपने इस पेंटहाउस में गृहप्रवेश पूजन के बाद पार्टी आयोजित की, जिसमें रूपिन पाहवा मौजूद थे. इस पार्टी में जिस तरह दोनों एक दूसरे के साथ चिपके हुए थे, उससे लोग अंदाजा लगा रहे हैं कि अब गौहर खान को सच्चा प्यार नसीब हो गया है.

कम खर्च में करें ज्यादा ट्रेवल

परिवार के साथ छुट्टियां मनाना किसे अच्छा नहीं लगता, पर कई बार बजट बिगड़ने के डर से हम अपना मन मारकर रह जाते हैं. टिकट से लेकर होटल के दाम पीक सीजन में आसमान छूने लगते हैं. पर आप कुछ टिप्स अपनाकर कम पैसे में ज्यादा ट्रेवल कर सकती हैं.

पीक सीजन में न बनायें प्लान

फ्लाइट टिकट के दाम महीने और सीजन के हिसाब से बदलते रहते हैं. विकेंड में फ्लाइट के टिकट के दाम बहुत बढ़ जाते हैं. अगर आप विकेंड में ट्रेवल न करें और घूमने के लिए पैसे बचायें. अगर आपके पास समय है तो आप इनडायरेक्ट फ्लाइट ले सकती हैं. इससे पैसे बचेंगे और आप एक से अधिक डेस्टीनेशन ट्रेवल कर सकेंगी.

अगर आपके घर से हवाईअड्डा नजदीक है तो ये जरूरी तो नहीं कि आपकी फ्लाइट भी सस्ती होगी. अच्छे से रिसर्च करके ट्रेवल करें.

खाना साथ लेकर चलें

अगर आप अपने साथ ही फूड लेकर चलती हैं तो इसके दो फायदे होंगे. पहला तो घर के खाने से सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा और दूसरा आपके खाने के पैसे भी बचेंगे.

बुक करें प्राइवेट रूम

इंटरनेट पर रेंट पर सोफे, घर, गार्डन यहां तक की भैंस भी मिल जाते हैं. कई जगह होमस्टे भी मिलते हैं. मतलब घर से दूर पर बिल्कुल घर जैसा. ये होटल से कहीं ज्यादा सस्ते होते हैं और आप कुछ नया भी सिखते हैं.

लोकल फूड का लें मजा

रेस्त्रां और होटल में खाने से अच्छा है आप लोकल कूजीन का मजा लें. ऐसे में आपका जेब भी नहीं कटेगी और आपको कुछ नया ट्राई करने का मौका मिलेगा.

टैटू बनवाने जा रही हैं तो जान लें ये बातें

टैटू बनवाने की परंपरा बहुत पुरानी है, पुराने जमाने की बात करें तो शादी के बाद अक्‍सर पति-प‍त्‍नी एक दूसरे का नाम गुदवाते थे. तो कुछ लोग अपने बच्‍चों के हाथों में अपने नाम का टैटू गुदवाते थे, जिससे यदि बच्‍चे गायब हो जाएं तो उन्‍हें पहचानने में आसानी रहे.

आजकल युवाओं के बीच फिर से ये ट्रेंड खासा लोकप्रिय हो रहा है. युवा नाम लिखवाने के साथ-साथ अलग-अलग तरह की डिजाइन्स भी अपने शरीर पर बनवाते हैं. यहां तक कि टैटू गुदवाना अब स्टाइल सिंबल बन गया है. लेकिन इसके कई खतरे भी हैं. टैटू कई तरह की संक्रामक बीमारियों का घर होते हैं. टैटू बनवाते समय सुरक्षा, सफाई और स्वास्थ्य को लेकर सावधानियां बरतनी जरूरी है.

इंक की क्‍वालिटी

टैटू आर्टिस्‍ट विकास और मिक्‍की मलानी के मुताबिक, आजकल छोटे और लो कॉस्ट आर्टिस्ट चाइनीज इंक का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो काफी खतरनाक है. इससे बचने के लिए हमेशा अच्छे आर्टिस्ट से टैटू बनवाना चाहिए.

टीका लगवाएं

आपको जानकारी के लिए बता दें कि टैटू बनवाने से पहले लोगों को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवा लेना चाहिए. इसके अलावा आपको किसी स्पेशलिस्ट से ही टैटू बनवाना चाहिए जो इस कला में माहिर हो. स्पेशलिस्ट उपकरण और साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं. जिस जगह पर टैटू बनवाएं वहां पर रोजाना एंटीबायोटिक क्रीम जरूर लगाते रहें.

टैटू बनाने के उपकरण

आपको यह भी देखना है कि टैटू आर्टिस्ट की दुकान साफ सुथरी हो, उसके पास टैटू से जुड़े जरूरी उपकरण हों, जैसे दस्ताने, मास्क, सुई और ये सभी स्टर्लाइज्ड भी हों. अगर आपको किसी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्या है, जैसे हृदय रोग, एलर्जी, डायबीटीज़ तब आप टैटू बनवाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर सलाह मश्विरा कर लें. अगर आपकी त्वचा में कल्यॉड जैसी एलर्जी होने की संभावना है तो आप परमानेंट टैटू नहीं बनवाएं.

स्‍थाई या अस्‍थाई टैटू

एक्‍पर्ट की मानें तो जो फैशन, स्टाइल के लिए टैटू बनवाने का शौक रखते हैं, उन्हें अस्थायी टैटू ही बनवाना चाहिए. ये आपकी त्वचा को नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं और इसे आप अपने मूड के मुताबिक बदल भी सकते हैं. इसी के साथ ये बात भी ध्‍यान रहे कि परमानेंट टैटू बनवाना जितना आसान लगता है उसे हटाना उतना ही मुश्किल हो जाता है.

बीमारियों से बचें

कॉस्‍मेटिक एक्‍सपर्ट की मानें तो टैटू से कई तरह के संक्रमण का खतरा होता है. इससे हेपेटाइटिस, एचआईवी, ग्रैनूलोमस और केल्यॉड जैसी बीमारियां फैल सकती हैं. एचआईवी और हेपेटाइटीस ए,बी,सी खून के संक्रमण से होने वाली बीमारियां हैं जो टैटू की एक ही सुई के कई लोगों पर बार बार इस्तेमाल होने से हो सकते हैं. ग्रैनूलोम्स टैटू के आस-पास शरीर में होने वाली प्रतिक्रिया से होती है. इसी तरह टैटू से त्वचा पर केल्यॉड होने का भी खतरा होता है. केल्यॉड एक तरह का घाव है जहां त्वचा लाल हो जाती है और उसमें एलर्जी हो जाती है.

विमुद्रीकरण के बाद अपनायें ये फाइनेंशियल टिप्स

विमुद्रीकरण के बाद से ही हम सभी को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आम आदमी के अलावा टीवी कलाकारों को भी नोट बंदी के कारण दिक्कतें हो रही हैं. एक टीवी कलाकर को तो अपनी शादी तक टालनी पड़ी. जब तक स्थिति पहले जैसी नहीं हो जाती हमें कैश की कमी से निपटने के लिए कुछ न कुछ तो करना ही पड़ेगा. समझदारी इसी में है कि आप अपना कैश बचाकर रखिए और खर्च के लिए ऑनलाइन सर्विस का ही प्रयोग करें.

कैश की कमी को समय ये टिप्स अपनायें-

ग्रोसरी

आप घर के लिए साग सब्जी मंडी या फिर लोकल विक्रेता से ही खरीदती होंगी. साग सब्जी की जरूरत तो हर दिन पड़ेगी, इससे समझौता नहीं हो सकता. पर अभी के दौर में आप ऑनलाइन ग्रोसरी स्टोर का रुख कर सकती हैं. बिग बास्केट, ग्रोफर जैसे ऑनलाइन स्टोर से आपको ताजी सब्जियां मिल जायेंगी और वो भी डिस्काउंट के साथ.

पब्लिक ट्रांसपोर्ट

पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग तो हम सभी करते हैं. नोट बंदी से यातायात बंदी तो नहीं हो जाएगी. इस समस्या का भी ऑनलाइन समाधान है. आप मेट्रो रिचार्ज पेटीएम द्वारा भी कर सकती हैं. अगर कैब बुक करनी है तो इसके लिए भी आप प्लास्टिक मनी का उपयोग कर सकती हैं.

दुकानों पर पेटीएम

आपके आसपास कई दुकानें होंगी जहां आप पेटीएम से भुगतान कर सकती हैं. तो अपने पेटीएम वॉलेट में पैसे डालें और ऑफलाइन शॉपिंग करें पर प्लास्टिक मनी से.

ऑनलाइन भुगतान की डालें आदत

आपने ताउम्र ऑफलाइन भुगतान से ही अपना घर चलाया है. पर वक्त के साथ आपको भी बदलना होगा. अगर आपको ऑनलाइन भुगतान की जानकारी नहीं है तो आप अपने परिवार की मदद ले सकती हैं. पर जब हर फैसीलिटी ऑनलाइन उपलब्ध है तो आप उसका यूज करना भी सीख लीजिए.

सर्दियों में घटायें बिजली बिल

सर्दियां आ गई हैं. प्यार के मौसम में भी बिजली का बिल सताता है. घर में इतने एप्लायंस जो चलते हैं. माना की गर्मी के मौसम में बिजली का बिल सातवें आसमान पर होता है. पर सर्दियों में भी इसमें कुछ खास कमी नहीं आती. ये टिप्स अपनाकर सर्दियों में मैनेज करें बिजली का बिल-

1. नहाने में ज्यादा समय न लगायें

यूं तो सर्दियों में नहाने से बहुत से लोग कतराते हैं. पर सभी ऐसे नहीं होते. गीजर कई घंटों तक चलाने से बिजली का बिल बहुत ज्यादा आता है. इसलिए नहाने में ज्यादा समय न लगाने में ही भलाई है. फिर आपको एक्सपोजर का भी खतरा है.

2. बल्ब को कहें बाय-बाय

सर्दियों में सूरज जल्दी डूब जाता है. इसलिए घर में लाइटें भी जल्दी ऑन कर दी जाती हैं. अगर आपके घर में अभी भी बल्ब और ट्यूब लाइट ही लगे हैं तो इन्हें चैंज करके एलईडी को घर में लाए. यह 80 प्रतिशत तक बिजली बचाता है.

4. एप्लायंस की जांच करें

अपने एप्लायंस को चैक करें. पुराने एप्लायंस ज्यादा बिजली का प्रयोग करते हैं. इसलिए समय समय पर इन्हें मैनटैन करवायें. जरूरत पड़ने पर सर्विसिंग करवाते रहें.

5. बिजली बचायें

जरूरत न पड़ने पर एप्लायंस का प्रयोग न करें. कई बार हम लाइट या एप्लायंस ऑन छोड़ देते हैं. अपने घर के मेमबर्स को भी बिजली सेव करने की आदत डलवायें.

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