गिरगिट की तरह रंग बदलते संजय गुप्ता

फिल्म ‘काबिल’ के निर्देशक संजय गुप्ता काफी खुश हैं. उनकी खुशी की वजह यह है कि फिल्म ‘काबिल’ की वजह से वह सुर्खियों में नहीं छा पा रहे थे, मगर बंद होते स्टूडियो पर खुशी जाहिर कर वह सुर्खियों में छा गए हैं. मगर उनके इसी बयान की वजह से बौलीवुड में उनकी गिनती गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले फिल्मकारों में हो रही है.

मजेदार बात यह है कि बंद होते स्टूडियो पर खुशी जाहिर करने वाले संजय गुप्ता फिल्म ‘‘काबिल’’ के निर्माता राकेश रोशन के बयानों पर चुप हैं. राकेश रोशन के अनुसार संजय गुप्ता हर सीन फिल्माने के बाद पहले राकेशरोशन को दिखाते थे. राकेश रोशन जब उसे ओके  करते थे, तभी वह आगे बढ़ते थे. अन्यथा राकेश रोशन के कहने पर वह उस सीन में बदलाव करते थे.

जबकि अपनी पिछली नाकामयाब फिल्म ‘‘जज्बा’’ तक हर फिल्म को स्टूडियो के साथ बनाते आ रहे संजय गुप्ता कल तक स्टूडियो सिस्टम व कारपोरेट कंपनियों की तारीफों के पुल बांधते हुए नहीं थकते थे. पर जब ‘काबिल’की वजह से सुर्खियां नहीं मिली, तो बंद होते स्टूडियों पर खुशी जाहिर कर सुर्खियां बटोर रहे हैं.

फिल्म ‘‘जज्बा’’ के प्रदर्शन से पहले स्टूडियो सिस्टम व कारपोरेट कंपनियों की तारीफ करते हुए संजय गुप्ता ने हमसे कहा था-‘‘हम हर फिल्म किसी न किसी स्टूडियो के साथ ही बनाते आए हैं. हमने अतीत में ‘बालाजी टेलीफिल्म्स’ और ‘इरोज इंटरनेशनल’ के साथ फिल्में बनायी हैं. अब ‘एस्सेल विजन’ हमारे लिए ‘वन स्टापशॉप’ है. इस कंपनी की शुरुआत ढाई सो करोड़ रूपए से हुई है. ‘बालाजी टेली फिल्मस’ या ‘इरोज इंटरनेशनल’के साथ मिलकर जो फिल्में बनायी थीं. वहां भी कंटेट को लेकर समस्या कभी नहीं हुई. पर हर इंसान काम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कम्फर्ट जोन तलाशता है. मुझे यह मानने में कोई संकोच नही कि तमाम कारपोरेट कंपनियों ने ‘एस्सेल वीजन’ के नितिन केणी के बनाए फार्मूले पर बाद में काम किया.’’

कारपोरेट सिस्टम की वजह से क्रिएटीविटी को नुकसान को गलत ठहराते हुए उस वक्त संजय गुप्ता ने कहा था-‘‘यह कहना गलत है कि कारपोरेट कंपनियों व स्टूडियो के चलते क्रिएटीविटी को नुकसान हो रहा है. क्रिएटिव नुकसान उन लोगों का होता हैं, जिन्हें हम उतनी छूट देते हैं. फिल्म की शूटिंग के दौरान सारे निर्णय मेरे अपने होते हैं.’’

पर अब संजय गुप्ता कहते हैं-‘‘स्टूडियो के बंद होने से हम खुश हैं. पहले निर्माता फिल्म बनाता और वितरक उसे प्रदर्शित करता था. अब बीच में 600 लोगों की टीम के साथ यह कारपोरेट कंपनियां आ गयी हैं. तब से मुनाफा कम हो गया है. मैं इन स्टूडियो के बंद होने से खुश हूं.’’

वाह क्या बात है..संजय गुप्ता, कल तक जब कारपोरेट कंपनियों के गुण गा रहे थे, तब मुनाफा कम नहीं हो रहा था.

क्या रितिक के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं राकेश रोशन

हम 21वीं सदी में पहुंच चुके हैं. नासा के वैज्ञानिक चंद्रमा और मंगल ग्रह की यात्रा कर चुके हैं. विज्ञान नित नए आविष्कार कर रहा है. वैज्ञानिक प्रगति के आगे हर इंसान बौना हो गया है. मगर राकेश रोशन जैसे चंद बौलीवुड के फिल्मकार आज भी 19 वीं सदी में जी रहे हैं. वह खुद अंधविश्वास के शिकार हैं और लोगों को भी अंधविश्वास की ओर ही ले जाना चाहते हैं. राकेश रोशन चिल्ला चिल्लाकर दावा कर रहे हैं कि जब भी उन्होंने अपनी फिल्म के प्रदर्शन की तारीख बदली, उनकी फिल्म असफल हुई. अपने इसी अंधविश्वास के चलते वह किसी भी सूरत में फिल्म ‘काबिल’ के प्रदर्शन की तारीख नहीं बदलना चाहते. इसी तर्क पर राकेश रोशन ने शाहरुख खान को बैरंग वापस भेज दिया कि वह फिल्म ‘काबिल’ के प्रदर्शन की तारीख नहीं बदलेंगे.

राकेश रोशन अपने अंधविश्वास पर कायम हैं. जबकि बौलीवुड में चर्चाएं हैं कि राकेश रोशन अपने इसी अंधविश्वास के चलते अपने बेटे रितिक रोशन के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. बौलीवुड में हो रही इन चर्चाओं में काफी दम नजर आ रहा है. यदि राकेश रोशन चाहते तो बाक्स आफिस पर बुरी तरह से मात खा चुकी फिल्म ‘मोहन जो दाड़ो’ के बुरी तरह से असफल होने के बाद रितिक रोशन के करियर पर लगे सवालिया निशान को खत्म करने व रितिक रोशन के करियर को संवारने के बारे में सोचते तो वह ‘काबिल’ को छह जनवरी या तेरह जनवरी को प्रदर्शित कर फायदा उठा सकते थे. 23 दिसंबर 2016 को प्रदर्शित फिल्म ‘दंगल’पहले दिन से जबरदस्त कमायी करती आ रही है, मगर 15 दिन बाद 6 जनवरी से बाक्स आफिस पर ‘दंगल’ का प्रभाव कम होने लगा है. यानी कि 6 जनवरी या उसके बाद कोई दूसरी फिल्म प्रदर्शित होती, तो उसे जबरदस्त फायदा मिलता. लेकिन 6 जनवरी को कोई फिल्म प्रदर्शित नहीं हुई. 13 व 20 जनवरी को भी कोई बड़ी फिल्म प्रदर्शित नहीं हो रही है. ऐसे में राकेश रोशन फिल्म ‘काबिल’ को 6 या 13 जनवरी को प्रदर्शित कर बाजी मार सकते थे. मगर राकेश रोशन ने ऐसा करने की बनिस्बत अपने अंधविश्वास की दुहाई देते रहे.

मजेदार बात यह है कि राकेश रोशन की कथनी व करनी के अंतर को देखते हुए बौलीवुड के बिचौलिए उनकी तुलना हाथी के दांतो से करने लगे हैं. क्योंकि राकेश रोशन अपनी बात पर कायम नही रहे हैं. उन्होंने फिल्म‘काबिल’ को 26 जनवरी को प्रदर्शित करने का ऐलान किया था. पर शाहरुख खान को टक्कर देने के लिए पहलेउन्होंने ‘काबिल’ को 25 जनवरी की शाम ही प्रदर्शित करने का ऐलान किया. जब शाहरुख खान की फिल्म‘रईस’ के 25 जनवरी को सुबह प्रदर्शित होने की घोषणा हुई, तो राकेश रोशन ने भी ‘काबिल’ को 25 जनवरी को सुबह प्रदर्शित करने की घोषणा कर दी. तो क्या इसे फिल्म ‘काबिल’ के प्रदर्शन की तारीख का बदला जाना नहीं माना जाना चाहिए? क्या अब राकेश रोशन का अंधविश्वास नहीं टूटा. बालीवुड के बिचौलिए तो राकेश रोशन को लेकर कई तरह की बातें कर रहे हैं. उनका दावा है कि राकेश रोशन पल पल बदलने वाले इंसानों में से हैं.

बालीवुड के कुछ विश्वस्त सूत्रों की बातों पर यकीन किया जाए, तो खुद राकेश रोशन ही अपने बेटे रितिक रोशन के करियर को बर्बाद करने में तुले हुए हैं. सूत्रों की माने तो रितिक रोशन की बाक्स आफिस पर बुरी तरह से असफल रही फिल्म ‘मोहन जोदाड़ों’ के के प्रदर्शन से पहले रितिक रोशन व कंगना रानौत का विवाद सामने आया था. इस विवाद ने रितिक के करियर को नुकसान पहुंचाया. इसे जानते हुए भी खुद राकेश रोशन ने बयानबाजी कर इस विवाद को फिल्म ‘‘काबिल’’ के प्रदर्शन से पहले पुनः सुलगाने का काम किया. उन्होंने इस तरह का बयान दिया कि अब फिल्म ‘‘काबिल’’ की बजाय रितिक रोशन और कंगना का विवाद ही चर्चा में है.

इस बीच राकेश रोशन ने फिल्म ‘‘रईस’’ के निर्माता व अभिनेता शाहरुख खान पर दबाव बनाने के लिए कई तरह के असफल हथकंडे अपनाते रहे हैं. राकेश रोशन चिल्ला चिल्लाकर कह रहे हैं कि शाहरुख खान को अपनी उम्र से दस साल छोटे रितिक रोशन के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए और उन्हें अपनी फिल्म ‘रईस’ के प्रदर्शन की तारीख बदल देनी चाहिए. पर वह भूल जाते हैं कि कला में उम्र कोई मायने नहीं रखती. 

तो वहीं शाहरुख खान पर मानसिक दबाव बनाने के लिए नया पैंतरा खेलते हुए दावा किया है कि उनकी फिल्म‘‘काबिल’’ प्रदर्शन से पहले ही कमायी कर चुकी हैं. राकेश रोशन का दावा है कि वह खुद फिल्म के निर्माता हैं. उनका बेटा रितिक रोशन हीरो है, जिसने फिल्म में मुफ्त में काम किया है. फिल्म की लागत 35 करोड़ व प्रमोशन पर 15 करोड़ यानी कि 50 करोड़ खर्च हुआ. जिसे 50 करोड़ में सेटलाइट अधिकार बेचकर वसूल कर लिया. इसके अलावा ‘काबिल’ का संगीत 8 करोड़ में और ओवरसीज अधिकार 16 करोड़ में बेचा है. मगर बौलीवुड से जुड़े सूत्र इसे महज राकेश रोशन का कागजी हिसाब किताब बता रहे हैं.

यूं तो राकेश रोशन ने फिल्म ‘‘काबिल’’ के प्रचार के लिए एक नहीं बल्कि दो बडे़ बड़े प्रचारकों को नियुक्त कर रखा है. इसके बावजूद सोशल मीडिया, टीवी व प्रिंट हर जगह ‘काबिल’ के मुकाबले ‘रईस’ हावी है. हां‘काबिल’ की बजाय हर जगह कंगना व रितिक का विवाद ही छाया हुआ है. शाहरुख खान सोशल मीडिया से लेकर प्रिंट मीडिया तक हर जगह हावी हैं. फिल्म ‘रईस’ में शाहरुख खान के पठानी सूट पहनने के बाद पठानी सूट की वापसी से लेकर उनके बंगले ‘मन्नत’ में मकर संक्रांती के दिन पतंग बाजी करने की बात कर वह खुद को सुर्खियों में बनाए हुए हैं.

जानकार मानते हैं कि मकर संक्रांती के दिन पतंगबाजी के शौकीन और शाहरुख खान के फैन का जमावड़ा‘मन्नत’ के सामने जरूर लगेगा, जिसे हर टीवी चैनल भी प्रसारित करेगा. इसका सारा फायदा फिल्म ‘‘रईस’’ को मिलना तय है. मगर राकेश रोशन और उनकी प्रचारकों की टीम के पास इसका कोई तोड़ नहीं है. खुदा न खास्ता यदि ‘काबिल’ बाक्स आफिस पर ‘रईस’ से मात खा गयी, तो 25 जनवरी के बाद राकेश रोशन इसका सारा दोष फिल्म ‘काबिल’ के प्रचारकों पर थोपने लगें, तो इसमें किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए.

राकेश रोशन की असली मंशा क्या है? किसी की समझ में नहीं आ रहा है? पर जो हालात नजर आ रहें हैं,उससे तो यही लगता है कि वह अपने अंधविश्वास व अड़ियल रवैऐ के चलते ‘काबिल’ के साथ ही रितिक रोशन के करियर के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं.

लोहड़ी स्पेशल: पिंडी चना

नए साल का पहला त्यौहार लोहड़ी. लोहड़ी फसल की बुआई और उसकी कटाई से जुड़ा एक विशेष त्यौहार है. पूर्वी भारत, खासकर पंजाब में यह त्यौहार बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है. अलाव जलाकर पूरे परिवार के साथ इकट्ठा होने और भांगड़ा करने का अलग ही मजा है. आप लोहड़ी घर पर भी मना सकती हैं. बस थोड़ा सा म्यूजिक और टेस्टी डिशेज के साथ. तो इस बार लोहड़ी पर जरूर बनायें पिंडी चना…

कितने लोगों के लिए : 4

तैयारी में समय : 8 से 10 घंटे

बनाने में समय : 30- 40 मिनट

सामग्री

– 2 कप रात भर भिगोया हुआ काबुली चना

– 2 बड़े प्याज(बारीक कटे हुए)

– 2 टमाटर(बारीक कटे हुए)

– 5-6 हरी मिर्च(बारीक कटे हुए)

– 1 टेबल स्पून अदरक का पेस्ट

– 1 टेबल स्पून लहसुन पेस्ट

– 2 टी बैग

– 1 बड़ा चम्मच सूखे अनारदाने

– 2 टी स्पून धनिया के दाने

– 1/2 टी स्पून हल्दी पाउडर

– 1½ टी स्पून लाल मिर्च पाउडर

– 1 टी स्पून छोले मसाला

– ½ टी स्पून गरम मसाला

– 1/2 टी स्पून अमचूर

– 4 टेबल स्पून घी

– 1½ टी स्पून जीरा

– 2 टेबल स्पून जीरा पाउडर

– गार्निशिंग के लिए धनिया पत्ती और नींबू

– नमक स्वादानुसार

विधि

– एक पैन लें. उसमें टी बैग और नमक रख कर चनें को सॉफ्ट होने तक पकायें.

– पक जाने के बाद टी बैग को हटा दें. एक बाउल में चनें निकाल लें.

– अब पैन में अनार के दाने, धनिया दाने, 1/2 टी स्पून हल्दी पाउडर, 1/2 टी स्पून लाल मिर्च पाउडर, अमचूर को भून लें.

– एक कढ़ाई में 3 टेबल स्पून घी को गर्म कर लें. इसमें 1 टी स्पून जीरा डालकर हल्का भूनें. कटे प्याज डालें और गोल्डन होने तक भूनें.

– अब इस मिश्रण में चना और हल्का सा नमक डालकर मिक्स करें.

– एक अलग से पैन में 1 टेबल स्पून घी को गर्म करें. इसमें बाकी बचा जीरा डालें, हल्का पकायें. अब इसमें कटे टमाटर को डाल कर भूनें. कटी हरी मिर्च और नमक को डाल कर पका लें. टमाटर पिघल जाने तक पकायें.

– 1 ग्लास पानी मिलाकर इसे 2 मिनट तक पकायें. अब इसमें छोले मसाला और गरम मसाला डाल कर अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

– करीब 15 मिनट तक धीमी आंच पर पकायें. धनिये की पत्ती और नींबू के साथ गार्निश करें और गरमागरम पूरियों के साथ परोसें.

परफेक्ट शेप पाना है आसान

पिछले 1 दशक में परफैक्ट बौडी का क्रेज बहुत बढ़ गया है. आज सुंदरता का संबंध सिर्फ चेहरे या सौंदर्य प्रसाधनों तक ही सीमित नहीं रहा. परफैक्ट बौडी शेप और लुक के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल महज फिल्मी सितारों, मौडलों व हाईप्रोफाइल लोगों तक ही सीमित नहीं रह गया है. बड़े शहरों में ही नहीं छोटे शहरों में भी बौडी कंटूरिंग क्लीनिक खुल गए हैं, जिन्होंने आम लोगों के लिए बौडी कंटूरिंग, फेस कंटूरिंग और ब्रैस्ट कंटूरिंग के द्वारा अपने चेहरे और बाकी शरीर को मनचाहा आकार और लुक देने के लिए नई तकनीकों तक पहुंच को आसान बनाया है.

सर्वाधिक प्रचलित तकनीकें

लाइपोसक्शन

आज लुक को डिजाइन करने के लिए लाइपोसक्शन, बोटोक्स, फिलर्स और लेजर का प्रचलन सब से अधिक है. लाइपोसक्शन बौडी कंटूरिंग सर्जरी है. यह कौस्मैटिक सर्जरी है. लाइपोसक्शन भार कम करने वाली सर्जरी नहीं, बल्कि शरीर को आकार देने वाली होती है.

लाइपोसक्शन एक प्रक्रिया है, जिस में शरीर के आकार को सुधारने के लिए वसा के जमाव को निकाला जाता है, जिसे डाइट और ऐक्सरसाइज से कम नहीं किया जा सकता. यह सर्जरी आमतौर पर नितंबों, पेट, जांघों और चेहरे पर की जाती है. इस के द्वारा वसा को तरल रूप में बदल कर शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है.

यह सर्जरी ऐनेस्थीसिया दे कर की जाती है. सर्जन छोटे कट लगाता है और फिर उन में से सक्शन पंप या एक बड़ी सीरिंज डाल कर अतिरिक्त वसा निकाल लेता है. इस में कितना समय लगेगा, यह इस पर निर्भर करता है कि कितनी वसा निकाली जानी है.

यह प्रक्रिया दर्दरहित है और सर्जरी के बाद भी बहुत कम लोगों को दर्द की शिकायत रहती है. लगभग 40% लोगों को तो किसी दर्दनिवारक दवा की आवश्यकता भी नहीं पड़ती.

लाइपोसक्शन के लिए कोई आयु सीमा निर्धारित नहीं है. 60 वर्ष की आयु के लोगों के साथ भी इस के अच्छे परिणाम मिले हैं, इस के लिए बस स्वास्थ्य अच्छा होना जरूरी है. लाइपोसक्शन के बाद अपने नए वजन और आकार को बनाए रखने के लिए उपयुक्त डाइट और ऐक्सरसाइज का पालन करना चाहिए.

इन के लिए है उपयोगी

गर्भावस्था के बाद शरीर को सही आकार देना.

उन क्षेत्रों जैसे चिन, गरदन और चेहरे से वसा को कम करना, जहां से वसा निकालना कठिन हो.

बगलों से अत्यधिक पसीना आने की समस्या से पीडि़त लोगों के उपचार के लिए.

शरीर के कुछ निश्चित अंगों का आकार कम करने के लिए.

सुडौल टमी के लिए.

जिन पुरुषों के स्तन काफी विकसित हो गए हों उन के उपचार के लिए.

बोटोक्स

बोटोक्स एक न्यूरोटौक्सिन है. इसे न केवल बीमारियों के उपचार में, बल्कि सुंदरता बढ़ाने के लिए भी उपयोग किया जाता है. जहां महंगी क्रीमें चेहरे में कसाव और नमी ला सकती हैं, लेकिन झुर्रियां दूर नहीं कर सकतीं, वहीं बोटोक्स का असर 4 दिनों में ही दिखने लगता है. चेहरे के जिस स्थान पर बोटोक्स इंजैक्ट किया जाता है, वहां की मांसपेशियां पैरालाइज हो जाती हैं, जिस से उम्र के साथ चेहरे पर नजर आने वाली महीन रेखाएं और झुर्रियां स्थाई रेखाओं में नहीं बदल पाती हैं. बोटोक्स का सब से अधिक इस्तेमाल चेहरे पर किया जाता है.

पहला बोटोक्स ट्रीटमैंट 4 से 6 महीने काम करता है. दूसरे बोटोक्स ट्रीटमैंट का असर 9 से 12 महीने तक रहता है. बोटोक्स ट्रीटमैंट का खर्च प्रति यूनिट के हिसाब से आता है.

आईब्रोज बोटोक्स ब्रो लिफ्टइस में आईब्रोज के ऊपर और आसपास के ऊतकों को ‘लिफ्ट’  किया जाता है ताकि आईब्रोज की चाप को कुछ मिलीमीटर ऊपर उठाया जा सके.

क्रौस फीट

आंखों के आसपास स्थित महीन रेखाओं को क्रौस फीट कहते हैं. उम्र बढ़ने के अलावा ये धूप और धूम्रपान के कारण भी समय से पहले हो सकती है. बोटोक्स इन मांसपेशियों को रिलैक्स कर देता है.

स्माइल करैक्शन

कुछ लोग जब हंसते हैं, तो उन के ऊपरी मसूड़े दिखाईर् देते हैं. कुछ विशेष स्थानों पर सामान्य बोटोक्स के इंजैक्शन लगाए जाते हैं, जो ऊपरी होंठ को अत्यधिक ऊंचा जाने से रोकते हैं. इस उपचार के बाद जब आप हंसते हैं, तो मसूड़े नहीं दिख पाते हैं.

बगल और हथेलियों के पसीने से मुक्ति

कुछ लोगों को बगल और हथेलियों से अत्यधिक पसीना आने की समस्या होती है. थोड़ी मात्रा में बगल और हथेलियों में बोटोक्स को इंजैक्ट करने से पसीने का निर्माण रुक जाता है. इस का प्रभाव 10 महीने तक रहता है.

फिलर्स

ह्यालुरोनिक ऐसिड हमारे शरीर के संयोजी ऊतकों में पाया जाता है और यह त्वचा को लचीला रखता है. उम्र बढ़ने के साथ ह्यालुरोनिक ऐसिड की मात्रा कम हो जाती हे. इस से त्वचा का लचीलापन कम हो जाता है. जिस से झुर्रियां पड़ जाती हैं. डर्मल फिलर्स में ह्यालुरोनिक ऐसिड होता है जो संयोजी ऊतकों को रिप्लेनिश करता है, जिस से झुर्रियां दूर होती हैं.

फोरहैड ट्रीटमैंट

उम्र बढ़ने के साथ माथे पर झुर्रियां पड़ जाती हैं. दोनों आंखों के किनारों पर गड्ढे हो जाते हैं, जिन्हें टैंपोलर होलोस कहा जाता है. डर्मल फिलर्स को इन स्थानों पर इंजैक्ट कर के इन का सौंदर्य बढ़ाया जाता है.

टीयर ट्रफ

धंसी आंखें, डार्क सर्कल्स और आंखों के नीचे जो थैलियां बन जाती हैं उन के कारण युवा भी थका हुआ, बीमार और अस्वस्थ दिखाई देता है. उम्र बढ़ने और कई अन्य कारणों से आंखों और नाक के बीच के स्थान की त्वचा की नमी कम हो जाती है और ऊतकों का क्षय भी हो जाता है, इसलिए इस स्थान को टीयर टर्फ कहते हैं. सौफ्ट फिलर्स की सहायता से इस स्थान को भर दिया जाता है. इस से यह स्थान भराभरा लगता है और आप युवा नजर आते हैं.

ऐप्पल्स औफ चीक

हमारे गालों पर भी उम्र का प्रभाव तेजी से दिखाई देने लगता है. अगर इस स्थान के संयोजी ऊतकों को रिप्लेनिश कर दिया जाए तो आप इस से जितना युवा दिखाई देंगे उतना किसी और उपचार से दिखाईर् नहीं दे सकते. अधिक डैंसिटी वाले फिलर्स के द्वारा बिना चीक इंप्लांट्स के दर्द के आप अपने गालों को एक आकर्षक गोलाकार दे सकते हैं. फिलर्स के कारण गालों की त्वचा थोड़ी उठ जाती है, जिस से हंसते समय जो लाइनें पड़ती हैं उन में भी उभार आ जाता है और इस से आप कम गंभीर दिखाईर् देते हैं.

होंठ

भरेभरे होंठ काफी सुंदर दिखाई देते हैं. उन्हें भराभरा दिखाने के अलावा फिलर पतले और सिलवटों वाले होंठों को भी ठीक कर सकता है. अगर उपचार कराने के बाद आप अपने होंठों के नए आकार से संतुष्ट न हों तो उन्हें फिर से पहले वाले रूप में लाना आसान है.

लेजर थेरैपी

लेजर थेरैपी का उपयोग त्वचा में कसाव लाने, पिगमैंटेशन और मुंहासे के दागों को दूर करने, त्वचा को चिकना बनाने और स्थाई रूप से बालों को कम करने के लिए किया जाता है. आंखों के आसपास के क्षेत्र को छोड़ कर लेजर शरीर के किसी भी भाग में जहां पर अत्यधिक बाल हैं, किया जा सकता है. लेजर तकनीक मोटे और काले बालों पर सब से प्रभावी होती है. इस से अधिकतर बाल निकल जाते हैं और जो थोड़े बहुत बच जाते हैं वे पतले और हलके हो जाते हैं. लेजर अधिकतर हेयर फौलिकल को नष्ट कर देता है.

आजकल लेजर थेरैपी का प्रचलन बहुत बढ़ गया है. महिलाएं ही नहीं पुरुष भी बड़ी संख्या में खुद को आकर्षक और हैंडसम दिखाने के लिए इस तकनीक का सहारा ले रहे हैं. हाथपैरों के लिए तो इस का इस्तेमाल सामान्य है, लेकिन यह शरीर के दूसरे भागों जैसे कमर, बगलों, छाती, होंठों के ऊपरी हिस्से, बिकिनी एरिया, चिन आदि के लिए भी काफी सुरक्षित है और लगभग स्थाई रूप से बालों से छुटकारा मिल जाता है. इस से बालों का विकास 80-90% तक कम हो जाता है.

जब आप पिगमैंटेशन और मुंहासों के दागों का उपचार कराएं तो इन की देखभाल का भी पूरा ध्यान रखें. सनस्क्रीन जरूर लगाएं और जब भी घर से बाहर धूप में निकलें तो चेहरे और शरीर के खुले हिस्सों को ढक कर ही निकलें.

डा. रोहित बतरा

सर गंगाराम अस्पताल, दिल्ली

बॉलीवुड के डायलॉग्स जो आपको करेंगे मोटिवेट

यूं तो आपने कई मोटिवेशनल फिल्में देखी होंगी और खुद को मोटिवेट भी किया होगा. लेकिन क्या आपको बॉलीवुड फिल्मों के डायलॉग याद हैं जिसे सुन आप मोटिवेट हो गए हों. आइए जानते हैं फिल्मों के ऐसे डायलॉग के बारे में जो आपको कहीं हिम्मत नहीं हारने देंगे और सफलता पाने का जज्बा हमेशा जगाए रखेंगे.

सुल्तान

कोई तुम्हें तब तक नहीं हरा सकता जब तक तुम खुद से ना हार जाओ.

3 इडियट्स

कामयाबी के पीछे मत भागो, काबिल बनो, कामयाबी तुम्हारे पीछे झक मार कर आएगी.

धूम 3

जो काम दुनिया को नामुमकिन लगे, वही मौका होता है करतब दिखाने का.

बदमाश कम्पनी

बड़े से बड़ा बिजनेस पैसे से नहीं, एक बड़े आइडिया से बड़ा होता है.

ये जवानी है दीवानी

मैं उठना चाहता हूं, दौड़ना चाहता हूं, गिरना भी चाहता हूं. बस रुकना नहीं चाहता.

सरकार

नजदीकी फायदा देखने से पहले दूर का नुकसान सोचना चाहिए.

नमस्ते लंदन

जब तक हार नहीं होती ना. तब तक आदमी जीता हुआ रहता है.

चक दे इंडिया

वार करना है तो सामने वाले के गोल पर नहीं, सामने वाले के दिमाग पर करो. गोल खुद ब खुद हो जाएगा.

मैरी कॉम

कभी किसी को इतना भी मत डराओ कि डर ही खत्म हो जाए.

जन्नत

जो हारता है, वही तो जीतने का मतलब जानता है.

हैप्पी न्यू ईयर

दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं विनर और लूजर. लेकिन जिंदगी हर लूजर को एक मौका जरूर देती है जिसमें वह विनर बन सकता है.

ओम शांति ओम

अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती हैं.

वंस अपॉन अ टाईम इन मुंबई

रास्ते की परवाह करुंगा तो मंजिल बुरा मान जायेगी.

17 जगहें जिन का दीदार बन जाए यादगार

दुनिया में कुछ ऐसी रोमांटिक जगहें हैं जहां की आबोहवा में ही इश्क बसता है और अगर इन जगहों पर आप अपने पार्टनर के साथ जाएंगे तो आशिकी के नए रंगों में नहा जाएंगे. आइए, हम आप को बताते हैं कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में जहां जा कर आप और आप का साथी एकदूजे में कुछ यों खो जाएंगे कि वापस आने का मन ही नहीं करेगा.

गोवा

यहां की स्वच्छंद व उन्मुक्त जीवनशैली पर्यटकों को बरबस ही यहां खींच लाती है. यदि आप भी अपने साथी के साथ कुछ अंतरंग पल गुजारना चाहते हैं, तो इस के लिए गोवा बहुत अच्छी जगह है. वाटर स्पोर्ट्स के लिए भी गोवा बहुत प्रसिद्ध है. समुद्र की लहरों पर आप वाटर सर्फिंग, पैरासेलिंग, वाटर स्कीइंग, स्कूबा डाइविंग, वाटर स्कूटर आदि का लुत्फ उठा सकते हैं. रोमांच चाहने वालों के लिए सागर की छाती को चीर कर चलने वाले वाटर स्कूटर की सवारी बेहद आकर्षित करती है.

गोवा के कुछ प्रसिद्ध बीच डोना पाउला, कोलबा, कलंगूट, मीरामार, अंजुना, बागातोर आदि हैं. पणजी, मपुसा, मडगांव आदि गोवा के कुछ प्रमुख शहर हैं.

पैरिस

पैरिस दुनिया भर के पर्यटकों के लिए सपनों का शहर है. हर साल लगभग डेढ़ करोड़ से अधिक लोग प्रेम की नगरी पैरिस को देखने आते हैं. इसे प्रेम की नगरी इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यहां की सीन नदी पर बना सब से पुराना पुल पोंट न्यूफ प्रेमी जोड़ों में खासा लोकप्रिय है. यहां प्रेमी जोड़ों के द्वारा लवलौक लगाया जाता है. वैसे यहां के म्यूजियम भी दुनिया भर में मशहूर हैं जैसेकि वैक्स म्यूजियम आदि.

यही नहीं पैरिस के उत्तर में 130 मीटर ऊंची मोंटमा पहाड़ी पर प्रेम की दीवार है. 40 वर्ग मीटर की इस दीवार पर कलाकारों ने 612 टाइल्स पर 300 भाषाओं में ‘आई लव यू’ लिखा है. इसे देखने के लिए भी पर्यटकों की भारी भीड़ जमा होती है.

सिडनी

सिडनी आस्ट्रेलिया का सब से बड़ा और सब से पुराना शहर है. सिडनी शहर का नाम आते ही सैलानियों के जेहन में शंख की आकृति वाली ओपेरा हाउस की बिल्डिंग जरूर आती है. सिडनी के बेनिलौंग पौइंट पर स्थित यह इमारत अपनी खूबी और खूबसूरती की वजह से यूनैस्को की वर्ल्ड हैरिटेज सूची में भी शामिल है.

ओपेरा हाउस की बगल में सिडनी हार्बर ब्रिज है. इस पर न्यू ईयर सैलिब्रैशन देखते ही बनता है. प्यार से लोग इसे कोट हैंगर के नाम से बुलाते हैं. पूरे विश्व में यह अपने तरह का अकेला पुल है.

थाईलैंड

थाईलैंड का नाम लेते ही पार्टी और बीचेज की याद आने लगती है. लाखों पर्यटक हर साल थाईलैंड की रंगीन रातों का मजा लेने के लिए यहां पहुंचते हैं.

थाईलैंड के बारे में एक बात और भी खास है कि यहां के लोग माथे को सब से ज्यादा पवित्र अंग मानते हैं, दिल से भी ज्यादा. उन का मानना है कि व्यक्तित्व की असली झलक सिर्फ मस्तिष्क से ही मिलती है. इसलिए यहां एक बात और देखने को मिलती है कि यहां आने वाली भारतीय पत्नियां अकसर अपने पति से एक बार माथे पर किस करने की गुजारिश जरूर करती हैं. ऐसा करना उन के लिए रोमांटिक पल तो होता ही है, साथ ही सम्मान की बात भी होती है. इस के अलावा यहां का फीफी आइलैंड मंत्रमुग्ध कर देने वाली जगह है. यहां की प्राकृतिक खूबसूरती में अपने साथी के साथ समय बिताना यादगार बन जाएगा.

मौरीशस

सन ऐंड सैंड के बीच रोमांस करना हो तो इस द्वीप से सुंदर कोई जगह नहीं है. हनीमूनर्स पैराडाइज कहलाने वाले मौरीशस में चप्पे-चप्पे पर प्रकृति का सौंदर्य सिर चढ़ कर बोलता है. इसी कारण मौरीशस को ड्रीमलैंड के नाम से भी जाना जाता है. मौरीशस एक ऐसा द्वीप है जहां के सुंदर रेतीले बीच पर्यटकों को सम्मोहित कर लेते हैं. यहां होने वाली मौजमस्ती पर्यटकों को बारबार आने के लिए उत्साहित करती है. मौरीशस में पेरीबेरी, ग्रैंड बाई, ब्लू बे जैसे कई मनमोहक बीच हैं. यहां समुद्र के अंदर छिपी दुनिया का लुत्फ उठाने के लिए ब्लू सफारी पनडुब्बी भी है.

पोर्टलुई मौरीशस की राजधानी है, जोकि देश की कलासंस्कृति की जीतीजागती तसवीर है. यहां के रौनक भरे बाजारों में शौपिंग के लिए बहुत कुछ है. यहां सूखी मछलियों से बने गहने, टीशर्ट, शोपीस आदि कई चीजें मिलती हैं. यहां पैंपलमूज बोटैनिकल गार्डन खास तरह के वाटर लिली के फूलों के लिए मशहूर है.

सिंगापुर

सिंगापुर साउथ ईस्ट एशिया के सब से महंगे शहरों में से एक है. लेकिन यह हनीमून या फिर छुट्टी बिताने के लिए हमेशा पर्यटकों की पहली पसंद रहा है. सिंगापुर के बसकर्स फैस्टिवल, सिंगापुर आर्ट फैस्टिवल, मोजिएक म्यूजिक फैस्टिवल, लूनर न्यू ईयर बेहद खास होते हैं. यहां आप म्यूजिक, आर्ट इंस्टालैशंस और लाइट शोज का मुफ्त में भी आनंद ले सकते हैं. लेकिन इन फैस्टिवल का आनंद उठाने के लिए आप को अपना ट्रिप सिंगापुर के कैलेंडर के हिसाब से प्लान करना होगा.

स्विट्जरलैंड

यहां की सफेद बर्फ से ढकी आल्प्स की पहाडि़यां, चारों तरफ हरियाली, मदहोश कर देने वाली नदियां और झीलें, सुंदर फूल, रंगीन पत्तियों वाले पेड़ हर किसी को आकर्षित करते हैं. यहां मीलों लंबी सुरंगें, प्राकृतिक नजारे भी हैं. टिटलिस पर्वत पर केबल कार के जरीए पूरे ग्लेशियर की खूबसूरती निहारी जा सकती है. यह दुनिया का एकमात्र ऐसा स्थान है जहां घूमती हुई केबल कार है. विश्वप्रसिद्ध कौफी नैसकैफे का मुख्यालय भी यहीं है. यहां प्रेमी जोड़े कौफी का आनंद जरूर लेते हैं और फुरसत के कुछ पल बिताते हैं. यूरोप का सब से ऊंचा रेलवे स्टेशन जंगफ्रा भी देखने वाली जगह है. यहां रेल की 2 नहीं, बल्कि 3 पटरियां हैं. बीच की पटरी साइकिल की चैन जैसी है जिस पर ट्रेन के नीचे लगी गरारी के दांते चलते हैं. यह इसलिए ताकि सीधे ऊंचाई पर जाते हुए भी ट्रेन वापस न खिसके.

टोक्यो

‘ले गई दिल गुडि़या जापान की…’ यह गीत बहुत पुराना है, लेकिन जापान पर एकदम सटीक बैठता है. जापान की लड़कियां वाकई में गुडि़यों जैसी दिखती हैं और वहां की राजधानी टोक्यो ऐसी जगह है कि जो एक बार जाए उसे वहां से प्यार हो जाए. जापान में ऐसे होटल हैं जो खासतौर पर कपल्स की प्राइवेसी को ध्यान में रख कर बनाए गए हैं. इन होटल्स को लव होटल्स के नाम से जाना जाता है. यहां रुकने वाले लोग एक घंटे के लिए भी रूम बुक करा सकते हैं.

टोक्यो में दुनिया की सब से ऊंची मीनार स्काइटी है. इस मीनार में 312 मीटर तक शौपिंग, रेस्तरां, औफिस, ऐक्वेरियम और प्लानेटोरियम हैं. 350 मीटर की ऊंचाई पर औब्जरवेशन टावर है, जहां से राजधानी टोक्यो और आसपास के इलाकों का दीदार किया जा सकता है.

दुबई

दुनिया की सब से ऊंची इमारत बुर्र्जखलीफा दुबई में ही है. दुबई का जुमेराह बीच दुनिया के सब से बेहतरीन बीचेज में से एक है. यहां की खूबसूरती सब को अपना दीवाना बना लेती है. दुबई क्रीक भी शानदार है. यहां बोटिंग करने का अपना अलग ही मजा है.

हौंगकौंग

चीन के दक्षिणी तट पर बसा यह देश कभी सोता नहीं है. यहां की जगमगाती सड़कें व इमारतें दिनरात का फासला मिटाती हैं. यहां का डिजनीलैंड, क्लौक टौवर, ड्रैगंस बैक टेल व हौंगकौंग म्यूजियम काफी फेमस हैं.

हौंगकौंग की सैर के लिए क्रूज भी लिया जा सकता है. यह कू्रज लाइनर एक तरह से घूमते हुए फाइवस्टार होटल की तरह नजर आता है, जिस में पर्यटकों की जरूरत का सारा सामान होता है.

मालदीव

यहां के समुद्र के गहरे नीले पानी में अंगूठियों की तरह छितराए छोटेछोटे द्वीपों को देख मन उमंग से भर जाता है. यह धरती खूबसूरती के पैमाने पर कुदरत के किसी अजूबे से कम नहीं है. करोड़ों साल से मूंगे के इकट्ठा होते जाने से बने इन द्वीपों जब ऊपर से देखते हैं तो हलके नीले रंग के नजर आते हैं और सफेद रेत वाले इन के किनारे समुद्र में घुलते से नजर आते हैं.

केरल

पानी में रोमांटिक पल गुजारना चाहते हैं तो आप के लिए केरल का बेकवाटर बैस्ट औप्शन है. यहां आप अलपुज्जा, कोल्लम, तिरुवल्लम जैसे डैस्टिनेशन की सैर हाउसबोट के जरीए कर सकते हैं. केरल के बैकवाटर्स में

900 किलोमीटर से भी ज्यादा के क्षेत्र में सैर की जा सकती है. नदी और समुद्र का पानी मिल कर बैकवाटर का एरिया बनाते हैं. यही वजह है कि यहां तमाम तरह के पेड़ों, हरेभरे खेतों के अलावा मरीन लाइफ को भी नजदीक से देखा जा सकता है.

कश्मीर

यहां देवदार और चीड़ के पेड़ों से गिरते बर्फ के टुकड़े एक नई दुनिया में आने का आभास कराते हैं. कश्मीर में घूमने के लिए वैसे तो कईर् जगहें हैं, लेकिन गुलमर्ग, सोनमर्ग, पहलगाम, श्रीनगर जाए बिना कश्मीर घूमना अधूरा है. गुलमर्ग में स्कीइंग, गोल्फ कोर्स, विश्व की सब से ऊंची केबल कार और ट्रैकिंग की सुविधा है. पहलगाम के पास अरू वैली, चंदनवाड़ी और बेताबवैली है जहां कई फिल्मों की शूटिंग भी की गई है.

डलहौजी

5 पहाड़ों कठलौंग, पोटेन, तेहरा, बकरोटा और बलुन पर स्थित यह पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में स्थित है. वैसे डलहौजी शहर उस धौलाधार पर्वत के सामने पड़ता है जो साल भर बर्फ की नईनई परतें ओढ़ता है. चारों ओर बिखरे कुदरती नजारों में दूरदूर तक सन्नाटे में घूमा जा सकता है. यहां भीड़भाड़ के बजाय शांत माहौल होता है. लंबी छुट्टियां गुजारने वाले व एकांतपसंद लोग यहां बड़ी संख्या में आते हैं.

अंडमान निकोबार द्वीप

अगर आप अपने पार्टनर के साथ शोरगुल से दूर अकेले में सुकून में समय बिताना चाहते हैं तो यह जगह आप के लिए बैस्ट है. आप के लिए इस जगह से अच्छी दूसरी कोई रोमांटिक जगह नहीं होगी.

अंडमान और निकोबार अपने समुद्री तटों और स्कूबा डाइविंग के लिए ही नहीं, बल्कि यहां घने जंगलों में पाए जाने वाले कई प्रजातियों के पक्षियों और सुंदर फूलों के लिए भी जाना जाता है. इन्हें देखने का आनंद ही कुछ और है.

कौसानी

कौसानी को भारत का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है. महात्मा गांधी ने कहा था कि कौसानी धरती का स्वर्ग है. बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा कौसानी सूर्योदय व सूर्यास्त के अद्भुत दृश्य के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां से चौखंभा, त्रिशूल, नंदादेवी, पंचचूली एवं नंदाकोट सहित कई अन्य पर्वत चोटियां साफ दिखती हैं.

दार्जिलिंग

दार्जिलिंग खूसबसूरत रोमांटिक पर्यटन स्थल के नाम से जाना जाता है. यहां की खुशनुमा वादियां हनीमून में चार चांद लगा देती हैं. दार्जिलिंग को पहाड़ों की रानी भी कहा जाता है. यहां बर्फ से ढकी वादियां हैं. कलकल करती नदियां, देवदार के वृक्ष और साथ ही प्रकृति के दिलकश नजारे मन को मोह लेते हैं. यहां के सौंदर्य को देख कर लगता है मानो प्रकृति ने अपना सारा सौंदर्य यहीं बिखेर दिया हो.

दार्जिलिंग में सब से दिलकश नजारा है विक्टोरिया झरना, जो लोगों का मन मोह लेता है. इस के अलावा सैंथल झील, रौकगार्डन की खूबसूरती देख भी लोग दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. 

क्या आपने आजाद-अराध्या का ये परफॉर्मेंस देखा है?

अभिषेक बच्चन-ऐश्वर्या राय बच्चन की बेटी अराध्या बच्चन और आमिर खान-किरण राव के बेटे आजाद एक ही स्कूल में जाते हैं. दोनों धीरुभाई अंबानी के स्कूल में पढ़ते हैं.

दोनों के स्कूल में एनुअल डे प्रोग्राम था और दोनों ने ही बहुत क्यूट परफॉर्मेंस दिया है. अपने बच्चों को चियर करने के लिए अभिषेक, ऐश्वर्या और आमिर भी मौजूद थे.

बच्चन के फैन क्लब ने वीडियो ट्विटर पर शेयर किया है. बच्चें ‘रेल गाड़ी’ गाने पर डांस कर रहे हैं. दोनों रेड टी और रेड पैंट्स पहने हुए हैं.

आमिर और ऐश्वर्या-अभिषेक अपने बच्चों की चीयर करते नजर आए और लगातार तालियां बजाते रहे। ऐश्वर्या-अभिषेक ने स्कूल के दूसरे बच्चों के साथ जमकर मस्ती की।

एक्टर्स के साथ स्कूल की चेयरपर्सन नीता अंबानी भी बैठी हुईं थीं. बाद में नीता भी स्टेज पर आईं और काला चश्मा गाने पर कुछ देर थिरकीं.

देखें अराध्या और आजाद का परफॉर्मेंस

एंटरटेनमेंट का नया माध्यम वेब सीरीज

आजकल आप को अधिकांश युवा इयरफोन लगा कर वीडियो देखते हुए जरूर दिखते होंगे, आप को लगता होगा कि वे कोई फिल्म देख रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है. वे फिल्म नहीं बल्कि वेब सीरीज देख रहे होते हैं. जी हां, आज वेब सीरीज एंटरटेनमेंट के एक नए माध्यम के रूप में सामने आई हैं, जिन में न तो सासबहू का ड्रामा होता है और न ही ब्रेक का झंझट.

आप ने अभी तक कोई वेब सीरीज नहीं देखी, आप को वेब सीरीज के बारे में नहीं पता? कोई बात नहीं, हम आप को बता रहे हैं वेब सीरीज के बारे में ताकि आप भी इस के एंटरटेनमेंट से अछूते न रहें.

क्या है वेब सीरीज

वेब सीरीज स्क्रिप्टेड वीडियोज की सीरीज हैं जो अलग अलग विषयों पर आधारित होती हैं. आज के समय में इन्हें वेब टेलीविजन कहा जाए तो गलत नहीं होगा. इन में एक कहानी को 4-6 ऐपिसोड में दिखाया जाता है और ये ऐपिसोड भी 15 से 45 मिनट के होते हैं, जिस की वजह से उबाऊ भी नहीं लगते.

वेब सीरीज में क्या है खास

वेब सीरीज की सब से बड़ी ताकत है बोल्ड कॉंन्टेंट. इन के लिए ऐसे विषयों का चुनाव किया जा रहा है, जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी परेशानियों से जुड़े हैं. दरअसल, आज टीवी चैनलों पर यूथ औडियंस से संबंधित कॉन्टेंट की कमी है.

यहां या तो सासबहू वाले टीवी सीरियल्स हैं या फिर नाचगाने वाले रिएलिटी शो. इसी वजह से यूथ इंटरनैट की तरफ बढ़ रहे हैं.

यहां उन्हें उन की पसंद के विषय मिलने के साथ साथ उन से जुड़ने का मौका भी मिल रहा है. वेब सीरीज की खास बात यह है कि इन में हर ऐपिसोड एक अंतराल के बाद आता है, जिस से दर्शकों के बीच उत्सुकता बनी रहती है कि आगे क्या होगा.

क्यों बढ़ रही है मांग

यूट्यूब से मिलते रैवेन्यू ऐड प्लेसमैंट और विभिन्न ब्रैंड्स के साथ टाइअप से आते धन के अलावा 3जी और 4जी के आगमन और स्मार्टफोन के इस्तेमाल ने एंटरटेनमेंट का नया माध्यम खोल दिया है. इन में सिर्फ वन वे कम्युनिकेशन नहीं होता कि आप ने कुछ भी बना कर डाल दिया और दर्शकों ने देख लिया बल्कि इन में दर्शक लाइव, शेयर व कमैंट के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करते हैं कि वे क्या देखना चाहते हैं और क्या नहीं. उन्हें कौन सी चीजें खराब लगीं और वे किन चीजों में सुधार चाहते हैं.

यूजर्स के लिए कैसे हैं फायदेमंद

यह सीरीज 15 से 45 मिनट की होती है जिस में सीमित या यों कहा जाए कि इस में न के बराबर ऐड होते हैं जिन्हें फौरवर्ड या स्किप करना आसान होता है. इन वेब सीरीज का सब से बड़ा फायदा यह है कि आप इन्हें कहीं भी, कभी भी देख सकते हैं.

इन्हें एक तय समय पर देखने की जरूरत नहीं है. आप इन्हें औनलाइन और औफलाइन दोनों प्रकार से देख सकते हैं. अगर आप के पास इंटरनैट की सुविधा नहीं है तो भी आप बिना किसी टैंशन के आसानी से इन्हें देख सकते हैं. आप सोच रहे होंगे भला कैसे, तो कुछ इस तरह से कि आप अपने दोस्तों से अपने फोन, टैबलेट व लैपटौप में ले कर देख सकते हैं.

इस के अलावा इन वेब सीरीज को यूट्यूब औफिशियल वेब चैनल और इन के ऐप में भी देखा जा सकता है. ऐप में देखने पर यह फायदा होता है कि ऐप से आप को नोटिफिकेशन आते रहते हैं कि कब नया सीजन शुरू होगा और कौन सा ऐपिसोड आ गया है.

सैंसरबोर्ड की दादागीरी नहीं

वेब सीरीज में बौराई हुई सैंसरशिप से नहीं जूझना पड़ता, न ही सैंसर बोर्ड से पास होने का इंतजार करना पड़ता है. इस में न केवल कैंची से बचा जाता है बल्कि अपनी क्रिएटिविटी दिखाने की पूरी आजादी मिलती है.

बौलीवुड सितारे भी नहीं हैं अछूते

ऐसा नहीं है कि इस में केवल वही कलाकार काम कर रहे हैं जिन्हें बौलीवुड में बे्रक नहीं मिल रहा है, बल्कि इस में कई बौलीवुड स्टार भी काम कर चुके हैं, जिस में कल्की कोचलिन, स्वरा भास्कर, करणवीर मेहरा, परिणीति चोपड़ा, कुणाल कपूर, भूमि पेडनेकर, गचा चड्डा, रिया चक्रवर्ती, अली फजल जैसे कलाकार शामिल हैं.

अब तो फिल्मों के डायरेक्टर भी वेब सीरीज में आ रहे हैं. अनुराग कश्यप की ‘गैंग्स औफ वासेपुर’ को भी वेब सीरीज में तबदील कर अंतर्राष्ट्रीय दर्शकों तक पहुंचाया जा रहा है, जिसे खुद अनुराग कश्यप ने 8 हिस्सों की एक वेब सीरीज का फैलाव दिया है.

खबर आ रही है कि टैलीविजन क्वीन एकता कपूर भी एक वेब सीरीज ले कर आ रही हैं, जिस में एयरलिफ्ट स्टार निमृत कौर होंगी. साथ ही बाजीराव मस्तानी का निर्माण करने वाला स्टूडियो इरोस नाउ एकसाथ तकरीबन 6 वेब सीरीज पर काम कर रहा है. यही नहीं देश के सब से बडे़ फिल्म निर्माताओं में से एक यशराज फिल्म्स अपनी एक निर्माण शाखा ‘वाय फिल्म्स’ के माध्यम से भी वेब सीरीज बना रहे हैं.

टैलेंट दिखाने का बैस्ट मंच

कम बजट और पौपुलर ऐक्टर न होने के बावजूद वेब सीरीज को काफी लोकप्रियता मिल रही है और इन में काम करने वाले कलाकारों को भी नेम व फेम मिल रहा है. ‘परमानैंट रूममेट्स’ से प्रसिद्ध हुए सुमित व्यास को आज वेब सीरीज का किंग कहा जाए तो गलत नहीं होगा. वैसे तो सुमित राइटर हैं, लेकिन वेब सीरीज के माध्यम से इन्होंने अपनी अभिनय कला को भी दिखाया है.

वेब सीरीज उन लोगों के लिए एक बेहतर मंच प्रदान कर रहा है जिन के पास आइडिया है, लेखन की कला है. आप भी आसानी से अपनी वेब सीरीज शुरू कर सकते हैं, बस आप के पास एक अलग व नया आइडिया होना चाहिए.

ये फेमस वेब सीरीज नहीं देखीं तो क्या देखा

परमानैंट रूममेट्स

पिचर्स

बैंड बाजा बारात

मैंस वर्ल्ड

अलिशा

बेक्ड

बैड इंडियन

टैक कन्वरसेशन विद डैड

औन एयर विद एआईबी

सैक्स चैट विद पप्पू ऐंड पापा

ट्रिपलिंग

औफिशियल चुकयागीरि

बार-बार लिप बाम लगाने के नुकसान

सर्दियां आते ही होंठ फटने लगते हैं. ऐसे में होंठों नर्म और मुलायम बनाए रखने के लिए हम इन पर लिप बाम लगाना शुरू कर देते हैं. पर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि होंठों की खूबसूरती बढ़ाने वाले लिप बाम दरअसल, होंठों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं.

बार-बार लिप बाम लगाने से होंठ और भी खराब हो जाते हैं. लिप बाम में जिन केमिकल फ्रेग्नेंस का इस्तेमाल किया जाता है दरअसल, उससे भी होंठों को नुकसान पहुंचता है.

लिप बाम यदि मेंथॉल युक्त है तो उस से और भी अधि‍क नुकसान होगा. नियमित रूप से लिप बाम लगाने वाले लोगों में होंठ फटने की समस्या और अधि‍क पाई गई है.

एक अध्ययन में यह बात भी कही गई है कि लिप बाम में हालांकि एडिक्शन वाला कोई तत्व नहीं होता, पर इसे बार-बार लगाने से इसकी आदत जरूर पड़ जाती है.

कई मामलों में लिप बाम से एलर्जी होता भी देखा गया है. दरअसल, खुशबू के लिए लिप बाम में जो केमिकल इस्तेमाल किए जाते हैं, उसकी वजह से होंठों पर एलर्जी हो सकती है.

तीन तलाक का राजनीतिकरण

ट्रिपल तलाक यानी 3 बार तलाक, तलाक, तलाक कहने पर कोई भी मुसलिम पति अपनी मुसलिम पत्नी को तलाक दे सकता है. यह कानून इसलामी शरीयत की देन है और सदियों से चला आ रहा है पर आजकल चर्चित है क्योंकि कुछ मुसलिम औरतें इस पर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं जहां आमतौर पर हिंदू समाज में सुधारों का विरोध करने वाली भारतीय जनता पार्टी उस का समर्थन कर रही है और इसे अमानवीय, बराबरी के सिद्धांत के खिलाफ मान रही है.

देखा जाए तो यह सिस्टम बहुत अच्छा है. होना तो यह चाहिए कि यह हिंदू कानून में भी शामिल हो जाए और औरतों को भी हक मिल जाए. शादी करूंगी, शादी करूंगी, शादी करूंगी कहने से जब शादी हो जाती है और बाद में कुछ प्रक्रिया के बाद कानून इसे मान भी लेता है तो तलाक, तलाक, तलाक कहने पर शादी क्यों न तोड़ दी जाए?

देशभर की अदालतों में सैकड़ों मामले औरतों के तलाक मांगने के पड़े हैं. जब पतिपत्नी में से कोई भी अदालत पहुंच जाए तो पक्का है कि शादी तो नहीं चलेगी. फिर कानून की, बंदूक की नाल के सहारे उन्हें पतिपत्नी क्यों माना जाए? यह तो गैंगरेप की तरह गैंगबंधन है जिस में दोनों के मातापिता, बच्चे, कानून व्यवस्था जम कर पतिपत्नी का शोषण करते हैं कि एक बार शादी करूंगा क्या कह दिया कि अब जब तक हलाल न हो जाए, शादी टूटेगी ही नहीं.

अगर तीन तलाक सब धर्मों और पतिपत्नी दोनों पर लागू हो जाए तो न इसलामी कट्टरपंथी कुछ कह सकेंगे न इस मामले का राजनीतिकरण होगा. अब तो राजनीति पतिपत्नी के बीच तीसरा बन कर जम गई है और दोनों का शोषण कर रही है.

विवाह कोई नैसर्गिक, प्राकृतिक या आवश्यक प्रक्रिया नहीं है. मानव इतिहास को एक दिन का गिना जाए तो पता चलेगा कि धर्मजनित विवाह की परंपरा तो केवल कुछ मिनटों पहले शुरू हुई होगी. आज विवाह टूट इसलिए रहे हैं क्योंकि बीच के 2,000 वर्षों में भारतीयों ने धर्म के सहारे औरतों को गुलाम बना कर रखने में सफलता पा ली थी. आज औरत आजादी और अपना वजूद चाहती है, बराबरी चाहती है, इसलिए ट्रिपल तलाक का विरोध कर रही है.

उसे बराबरी का स्तर चाहिए. सरकार, कानून, समाज उसे मन मार कर कुछ करने को मजबूर न करें. उस पर न अत्याचार हों न उसे सामूहिक सामाजिक रेप का शिकार बनना पड़े. तलाक सरल हो, चाहे कोई भी धर्म हो और यह प्रक्रिया औरतोंआदमियों दोनों के लिए आसान हो.

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