जीनत संग सोना चाहते थे जूनियर बच्चन

70 के दशक में जीनत अमान की खूबसूरती के दीवानों की फेहरिस्त में अभि‍षेक बच्चन का नाम भी शामिल था. लिहाजा उस दौरान अभि‍षेक बच्चन उम्र में काफी छोटे थे लेकिन फिर भी उन्हें जीनत अमानत बेहद पसंद थीं. एक टीवी शो के दौरान जूनियर बच्चन ने ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ फेम एक्ट्रेस जीनत अमान को अपना पहला प्यार बताया.

टीवी शो पर अभि‍षेक बच्चन ने अपने बचपन के एक मजेदार किस्से को शेयर किया. अभि‍षेक बच्चन ने बताया कि उनके पिता अमिताभ बच्चन एक दफा हिमाचल में जीनत अमान संग फिल्म की शूटिंग कर रहे थे और इस दौरान अभि‍षेक बच्चन भी उनके साथ थे.

अभि‍षेक ने बताया कि उस दौरान उन्हें अपने पिता की को-स्टार जीनत अमान संग वक्त बिताना बहुत अच्छा लग रहा था, वह हर वक्त उनके साथ खेलने में व्यस्त रहते. एक दिन जब जीनत अमान डिनर करने के बाद अपने रूम की ओर जाने लगी तभी 5 साल के क्यूट अभि‍षेक जानना चाहते थे कि वह किसके साथ सोएंगी.

जब उन्हें पता चला कि जीनत अमान अकेले ही सोने जा रही हैं तो क्यूट अभिषेक को बहुत हैरानी हुई. अभि‍षेक ने जीनत से मासूमियत के साथ पूछा, ‘क्या मैं आपके साथ सो सकता हूं?’, जीनत ने भी मजाकिया अंदाज में जवाब देते हुए कहा, ‘थोड़े बड़े हो जाओ फिर.’

रिलीज होगी एक साल पहले बैन हुई फिल्म

हालिया समय में लीक होने वाली फिल्मों में सनी देओल की ‘मोहल्ला अस्सी’ भी शामिल है. मगर इस फिल्म के साथ दुर्भाग्य यह रहा कि यह रिलीज ही नहीं हो पाई. हालांकि अब इस फिल्म की रिलीज पर मंडरा रहे संकट के बादल छंट गए हैं, क्योंकि पुनर्विचार संबंधी ट्रिब्यूनल ने ‘मोहल्ला अस्सी’ देख ली है और ‘ए’ सर्टिफिकेट दिया है. यह फिल्म संभवत: जनवरी में रिलीज होगी.

आपको बता दें कि ‘मोहल्ला अस्सी’ पिछले साल लीक हो गई थी, पूरी ओरिजनल कॉपी थी. पहले इस फिल्म के ट्रेलर को लेकर काफी हो-हल्ला मचा. सनी देओल, साक्षी तंवर समेत सभी कलाकार गालियां देते नजर आए. मगर सबसे विवादित मुद्दा भगवान शिव को भी गाली देते दिखाना था. मगर ट्रेलर लीक होने के बाद तो पूरी फिल्म ही डिजिटल फॉर्मेट में लीक होकर बाजार में पहुंच गई.

बनारस की पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म धर्म व आस्था के बाजारीकरण पर कुठाराघात है और यह काशीनाथ सिंह के मशहूर उपन्यास ‘काशी का अस्सी’ पर बनी है. कोर्ट ने कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की वजह से ‘मोहल्ला अस्सी’ की रिलीज पर रोक लगा थी, हालांकि अब हरी झंडी मिल गई है. हालांकि लीक होने की वजह से पहले ही काफी नुकसान हो चुका है.

अब नहीं हूं बॉक्स ऑफिस किंग लेकिन…

अभिनेता शाहरुख खान मानते हैं कि कलाकार नहीं, कला महत्वपूर्ण है. निर्देशक समर खान ने शाहरुख खान की बायोग्राफी ‘25 ईयर्स ऑफ ए लाइफ’ लिखी है.

इस बुक लॉन्च के मौके पर शाहरुख ने कहा, ‘एक कलाकार पानी की तरह होता है, उसे रंग और आकार में ढल जाना चाहिए. मैं मानता हूं कि कला महत्वपूर्ण होती है, कलाकार नहीं. मुझे लगता है कि मैं उस शुद्धता को कायम रख सकता हूं. वह शुद्धता तभी कायम रहेगी, जब मैं यह मानूंगा कि मुझसे ज्यादा मेरी कला महत्वूपर्ण है’.

उन्होंने कहा, ‘मैं अपने सभी प्रशंसकों का आभार व्यक्त करता हूं, जिन्होंने मुझे वह बनाया जो आज मैं हूं. मैं साथ ही रॉयल स्टैग, मेगा म्यूजिक, समर और इस किताब से जुड़े सभी को धन्यवाद देता हूं.’ किताब का शीर्षक ‘25 ईयर्स ऑफ ए लाइफ’ है. इसमें बॉलीवुड में शाहरुख की सफल यात्रा की रोचक घटनाओं को शामिल किया गया है.

निर्देशक और किताब के लेखक समर खान ने कहा, ‘यह किताब, मेरे लिए एक अलग अंदाज से शाहरुख की कहानी कहने का एक अच्छा मौका था. मैं इसमें सहयोग देने वाले सभी को धन्यवाद देता हूं.’

जहां हर कोई बॉलीवुड किंग शाहरुख खान की तारीफ किए बिना नहीं थकता वहीं किंग खान अब खुद को बॉक्स ऑफिस का किंग नहीं मानते हैं. उन्होंने कहा कि वह अब बॉक्स ऑफिस किंग नहीं रहे और ये बात उन्हें अब सताती नहीं है.

शाहरुख ने कहा ‘अब मैं सिनेमा की ओर मुड़ गया हूं. जब मैं बॉक्स ऑफिस के लिए फिल्में करता था तब मुझे बॉक्स ऑफिस की चिंता ही नहीं होती थी. मैं उस जगह कभी रहा ही नहीं कि चिंता करनी पड़े. मैं पहले चिंता नहीं करता था क्योंकि मैं बेहतर था. हां, अब जानता हूं कि मैं बॉक्स ऑफिस किंग नहीं हूं. लेकिन उम्र के साथ शायद अब वो समझ आ गई है कि इससे फर्क नहीं पड़ता. अब मेरा ध्यान दूसरी तरफ चला गया.

शाहरुख ने कहा ‘ मैं सिनेमा की ओर मुड़ गया क्योंकि मैं ऐसी फिल्में चाहता हूं जो लोग याद रखें. मैं अपना सिनेमा ठीक रखना चाहता हूं. सही सिनेमा करना चाहता हूं. और सही सिनेमा हम में से किसी को नहीं पता क्या है. बस अच्छा सिनेमा करते रहना चाहिए. जब तक ये ना लग जाए कि हां ये सही सिनेमा है. मेरे पास ऐसी फिल्में हैं ही नहीं. मैं पूरा सम्मान करता हूं उन फिल्मों का जो मैंने की पर अब मैं थोड़ा किरदारों की ओर घूमना चाहता हूं.’

नशे में डूबती आधी आबादी

पिछले कुछ सालों से महिलाओं के बीच पीने का चलन तेजी से बढ़ा है, जिस की एक खास वजह है, शराब की कंपनियों का शराब पीने वाली महिलाओं को आधुनिक, आजाद व पुरुषों के समतुल्य प्रचारित करना. बीयर, शैंपेन आदि तो पुराने पड़ चुके शगल हैं, अब तो शराब के ढेरों ब्र्रैंड बाजार में अपनी जगह बना रहे हैं.

महिलाओं की पसंद में भी तबदीली आ गई है. पहले शराब भारत में इक्केदुक्के होटलों में ही मुहैया होती थी, लेकिन अब महिलाओं के शौक को देखते हुए तमाम होटलों, बारों, पबों, डिस्कोथिक आदि में शराब के ढेरों ब्रैंड आसानी से उपलब्ध हैं. वोदका, वाइन, व्हिस्की आदि के कौकटेल कालेज की छात्राओं व गृहिणियों में काफी प्रचलित हो रहे हैं. वे किट्टी पार्टियों, शादी की सालगिरह आदि मौकों पर पीनेपिलाने से कतई नहीं हिचकतीं.

शराब सेवन की पुरानी परंपराओं में पहले शराब पीने वाली महिलाएं 2 विपरीत वर्गों से संबंध रखतीं. पहले वर्ग में झुग्गी बस्तियों में रहने वाली दलित, वेश्याएं आती हैं. जिन के लिए नशा आजीविका का साधन रहा है, तो दूसरे वर्ग में पश्चिमी सभ्यता से प्रेरित और भौतिक सुखसुविधाओं की प्रचुरता के चलते पेशेवर समाज की महिलाएं आती हैं, जो लेट नाइट पार्टियों अथवा पति के साथ ऐग्जीक्यूटिव पार्टियों में पीने को स्टेटस सिंबल समझती हैं. अब एक तीसरा नया वर्ग कालेज जाने वाली युवतियों का है, जो देर रात तक डांस फ्लोर पर थिरकने की चाह के चलते नशे के आगोश में घिरती जा रही हैं.

इस विषय में एसएमएस हौस्पिटल, जयपुर की वरिष्ठ मनोचिकित्सक डा. शकुंतला यादव कहती हैं, ‘‘पेशेवर वर्ग की महिलाओं में पीना स्टेटस सिंबल है. वे पीने से खुद को पुरुष के बराबर का समझती हैं. भौतिक सुख की प्रचुरता के कारण जब पुरुष पी सकता है, तो वे क्यों नहीं? यही धारणा उन्हें पीने के लिए प्रेरित कर रही है.’’

हाल ही में जयपुर के बिड़ला सभागार में सिकोईडिकोन संस्था द्वारा ‘महिलाएं और नशा’ विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी की रिपोर्ट के मुताबिक, नशेबाज महिलाओं के चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इस के मुताबिक सब से ज्यादा शराब का सेवन करने वाली महिलाओं की उम्र 21 से 35 साल के बीच पाई गई है. 42 फीसदी कामकाजी महिलाएं, 31 फीसदी अकेलेपन की शिकार, 32 फीसदी तलाकशुदा और 80 फीसदी देह व्यापार से जुड़ी महिलाएं शराब समेत अन्य नशों की आदी हैं.

सवाल यह उठता है कि आखिर क्या वजहें हैं कि विभिन्न वर्गों की महिलाएं जानेअनजाने खुद को इस गर्त में धकेल रही हैं?

सिकोईडिकोन संस्था की विचार गोष्ठी के मुताबिक, दलित, वेश्याएं, श्रमजीवी व मजदूर तबके की महिलाएं अपनी अज्ञानता, अशिक्षा, माली व सामाजिक स्तर के चलते घर में ही सस्ती देशी शराब, ताड़ी आदि पीती हैं. असुरक्षित भविष्य से पलायन की सोच उन्हें इस दलदल में धकेलती है.

वहीं पेशेवर परिवारों की महिलाएं शराब के 2-3 घूंट हलक से नीचे उतारते ही आत्मविश्वासी, फुरतीली, स्मार्ट, खुद को ज्यादा शिष्ट व संयमी समझने लगती हैं. इस के साथसाथ मन में अनेक भ्रांतियां पालने के कारण भी नशे के प्रति आकर्षित होती हैं जैसे शराब से सैक्स व फोरप्ले में अधिक उत्तेजना और देर तक स्टैमिना बना रहना वगैरह. खुद को ज्यादा ऐडवांस, वैस्टर्न और सैक्स अपीलिंग बनाने के लिए भी कौकटेल का गिलास होंठों से लगाने से भी पेशेवर वर्ग की महिलाओं को फर्क नहीं पड़ता.

कालेज की पार्टी हो या लेडीज पार्टियां, फ्रूट जूस, कोला आदि के साथ कौकटेल व बीयर का चलन वर्तमान में जोरों पर है. यही नहीं बड़ीबड़ी केक शौप्स हों या फू्रट जूस कौर्नर कहीं भी फू्रट बीयर मिलना आम बात है. यही वजह है कि स्वाद बढि़या होने के कारण एक सहेली दूसरी सहेली को उकसाती है. फिर एक बार स्वाद चख लेने के बाद पार्टियों में शराब के गिलास की ओर खुदबखुद ही हाथ बढ़ जाता है.

बच्चों पर बुरा असर

बच्चा अपने पिता के शराबी होने का सच कबूल कर सकता है, लेकिन मां को बीयर, शराब पीते नहीं देख सकता. जिस परिवार में बच्चे अपनी मां को ऐसा करते देखते हैं, वे बचपन से किशोरावस्था की दहलीज तक पहुंचतेपहुंचते अपनी 17वीं 18वीं बर्थडे पार्टी में बीयर, शैंपेन की बोतलें खोलने से हिचकते नहीं.

दरअसल, बच्चा अपनी मां से अधिक अपेक्षा रखता है. यही कारण है उस के मन में मां की बनी आदर्श छवि में मां के जरा भी गलत व्यवहार के छींटे उस से बरदाश्त नहीं होते हैं. ऐसे में वह मां को उपेक्षित नजरों से देखने लगता है.

इस मामले में एसएमएस मैडिकल कालेज व हौस्पिटल जयपुर में कार्यरत मनोचिकित्सक डाक्टर शिव गौतम कहते हैं, ‘‘व्यक्ति शराब पीता है पल भर के आनंद के लिए और बदले में उसे मिलती है उम्र भर की परेशानी. अगर हम शराब को बिलकुल नकार दें, तभी हम तनाव को दूर करने के सार्थक उपाय ढूंढ़ पाएंगे, तभी हमें जिंदगी भर का सुख मिल सकेगा.’’

शराब करे सेहत खराब

शराब पीने के पल भर के आनंद के बाद गलत नतीजे सामने आते हैं, जो मर्दों की अपेक्षा औरतों पर ज्यादा असर करते हैं. इंगलैंड में स्थित रौयल मैडिकल कालेज की रिपोर्ट के अनुसार महिलाओं को शराब से बीमारियां पुरुषों की  तुलना में ज्यादा होती हैं. स्त्री और पुरुष के समान मात्रा में शराब पीने के बावजूद स्त्री के रक्त में शराब की गाढ़ी मात्रा एकत्र होती है और रक्त में घुलनशील प्रक्रिया धीमी होने लगती है. नतीजतन उन में कैंसर, दिल की बीमारी आदि के रूप में रोग सामने आते हैं.

‘अलकोहल ऐंड फर्टिलिटी अमंग वूमन’ पुस्तक अनुसार, 1996 में 85 हजार नर्सों की सहायता से एक विश्वव्यापी शोध पूरा किया गया. अध्ययन से यह नतीजा निकाला गया कि 50 साल या उस से ज्यादा उम्र की महिलाओं को उच्च रक्तचाप की शिकायत थी और आनुवंशिकी तौर पर हुई हृदय की बीमारी की शिकायत थी. इन बीमारियों से मरने वाली महिलाओं में एक और बात सामने आई कि वे सप्ताह में 2-3 बार शराब का सेवन करती थीं. 34 से 39 साल की उम्र की महिलाओं में रक्तधमनियों की बीमारी की शिकायत न के बराबर थी, लेकिन भविष्य में आसार अधिक थे. इस के अलावा जो महिलाएं प्रतिदिन शराब पीने की आदी थीं, उन में स्तन कैंसर होने की संभावना 100 फीसदी पाई गई.

महिला और पुरुष में समान मात्रा में शराब का सेवन करने पर दोनों में विभिन्न प्रतिक्रियाएं होती हैं, महिलाओं में पुरुषों की अपेक्षा शरीर में वसा की मात्रा अधिक होती है. जिस के कारण कई तरह की बीमारियां शरीर में घर करने लगती हैं.

अधिक मदिरापान से महिलाओं की प्रसवशक्ति प्रभावित होती है. कोल्ड जेनसन द्वारा लिखी गई किताब, ‘डज मौडरेट अलकोहल कंजंप्शन अफैक्ट फर्टिलिटी’ में शोध के अनुसार कुछ मात्रा में शराब का सेवन भी महिला की प्रजननशक्ति के लिए घातक साबित होता है.

शराब का सेवन गर्भवती महिला को अधिक प्रभावित करता है. प्रसवोपरांत शिशु की मंदबुद्धि व विकलांगता का पता चलता है, लेकिन प्रसवपूर्व भ्रूण परीक्षण के दौरान डाक्टरों को अलकोहल रिलेट मल्टीपल कोजीनेटल अबनौर्मली का बड़ी सूक्ष्मता से अध्ययन करने के बाद पता चलता है.

पिलाती और कमाती सरकार

भारतीय संविधान की धारा 49 के अनुसार- राज्य अपनी जनता के पोषक भोजन और जीवन स्तर को उन्नत करने एवं जनस्वास्थ्य के सुधार को अपने प्रारंभिक कर्तव्यों में प्रमुख समझें और यह प्रयास करें कि मादक पेयों और नशीली औषधियां, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं, का प्रयोग निषेध हो.’

कानून बनने के बाद कई राज्यों में शराबबंदी जरूरी हो गई थी, लेकिन समय के साथसाथ म-निषेध संबंधी नीति एवं कार्यक्रम में धीरेधीरे ढील आ गई. केवल कुछ राज्यों में ही यह कानून सिमट कर रह गया. आंध्र प्रदेश में शराबबंदी थी, लेकिन लोग चोरी से पड़ोसी राज्यों से मंगवाने लगे. नतीजतन पड़ोसी राज्यों में राजस्व करों की बढ़ोतरी होने लगी. इसलिए दिवालिएपन की मार पड़ते ही वहां से शराबंदी हटा ली गई. गुजरात में वर्तमान में म-निषेध है, लेकिन वहां लोग इस का सब से ज्यादा सेवन करते हैं.

दरअसल, पूरी तरह से शराबबंदी लागू किए जाने के मार्ग में 2 गंभीर दिक्कते हैं. उसे लागू करने में कठिनाई और शराब की ललक. लेकिन इस बात को भी नहीं झुठलाया जा सकता कि शराब से सरकार को राजस्व की सब से ज्यादा वसूली होती है. हालांकि पानी, बिजली बिक्री कर से भी राजस्व वसूली की जाती है, लेकिन जितनी सहजता से नशे के कर वसूले जाते हैं, अन्य नहीं.

सच यह है कि फैशन और आधुनिकता को दिखाने के और भी कई तरीके हैं. फैशन दिखाने के लिए जरूरी नहीं कि शराब के 2 घूंट गले से नीचे उतारे जाएं और बुरी लत अपनाई जाए. प्रतिभा और व्यक्तित्व निखारें यकीनन आप फैशनेबल कहलाएंगी. 

सब को प्रिय है सम्मान

आप ने भी कभी कहीं यह लिखा जरूर पढ़ा होगा कि दूसरों के साथ वैसा व्यवहार न करो जैसा तुम अपने साथ नहीं चाहते. कहने को यह बात बड़ी साधारण लगती है, लेकिन यह पूरी जीवनशैली को प्रभावित करने वाली है. यह बहुत जरूरी है कि आप समाज में मानसम्मान पाएं. कोई आप को नीची निगाहों से नहीं देखे. यह जितना सही है उतना यह भी स्वाभाविक है कि आप अपना आचरण दूसरों के प्रति भी सकारात्मक रखें.

सामान्य सी बात है कि इज्जत दोगे तो इज्जत मिलेगी. हमारी पूरी सोसायटी इसी फलसफे पर चलती है. हमेशा याद रखें कि भले आप सत्तासीन हों, संपन्न हों, ऊंचे पद पर हों, लेकिन सब से पहले आप मनुष्य हैं और मनुष्य होने के नाते आप का एकदूसरे को सम्मान देना अनिवार्य बनता है.

एक बार फ्रांस के पूर्व सम्राट हेनरी अपने अधिकारियों के साथ राजमार्ग से जा रहे थे. थोड़ी दूर चलने पर उन्होंने देखा कि एक भिखारी सड़क पर खड़ा हो गया है. जैसे ही सम्राट उस के नजदीक पहुंचे उस ने अपनी टोपी उतारी और झुक कर राजा को प्रणाम किया. सम्राट ने देखा और वे कुछ सैकंड्स के लिए खड़े हो गए. फिर उन्होंने अपनी टोपी उतारी और भिखारी को प्रणाम किया. साथ चल रहे अधिकारियों में कानाफूसी होने लगी.

सम्राट समझ गए. उन्होंने कहा कि भिखारी मुझे प्रणाम करे, मेरा सम्मान करे तो क्या मैं भिखारी को सम्मान देना नहीं जानता? बात साफ है कि सम्मान दोगे तो सम्मान पाओगे. यह बात जीवन के हर मोड़ पर याद रखनी चाहिए.

नन्हे को भी जरूरत है सम्मान की

अंगरेजी के प्रसिद्ध लेखक विलियम हेजलिट लिखते हैं कि संसार में बच्चे की प्रथम औपचारिक पाठशाला स्कूल ही है. लेकिन इस के पहले वह घर में रहता है. अत: बच्चे में अच्छे संस्कार एवं आदर्श स्थापित करने का उत्तरदायित्व सब से पहले मातापिता का होता है. इसलिए दूसरों के बच्चे से अपने बच्चे की तुलना करना और ताने मारना जैसी हरकतें न करें. यदि छोटा बच्चा घर का छोटा सा काम भी करे तो आप कहें थैंक्यू बेटा. इतना कहने भर से ही बच्चा अपनेआप को महत्त्वपूर्ण समझने लगेगा. इस तरह से उसे प्रोत्साहित करिए ताकि वह बिना झिझक के आगे बढ़ सके.

टीनऐजर भी चाहें सम्मान

मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि आज की जागरूक युवा पीढ़ी को समझाना भी एक कला है. जो मातापिता इस कला को सीख जाते हैं, उन के बच्चे हर क्षेत्र में सफल होते हैं. किशोर होते बच्चे दैनिक कार्यक्रमों के दौरान कई काम ऐसे करते हैं, जिन के लिए हमें उन का सम्मान करना चाहिए. कई बार मातापिता का प्यार भरा हाथ सिर पर रखने से उन का मन छोटा बच्चा बन जाता है. उन के हर छोटे काम की जी खोल कर तारीफ करें और सम्मान करें. यह छोटा सा सम्मान उन्हें आत्मविश्वास से भरा रखेगा. वे अपने हर कदम पर अडिग रहेंगे. अपनी हर समस्या के समाधान हेतु बेहतर जगह ही चुनेंगे.

महिलाओं को भी प्रिय है सम्मान

चाहे वह मां हो, पत्नी हो, गृहिणी हो या कामकाजी महिला, सम्मान की हकदार सभी स्त्रियां हैं. एक छोटा बच्चा भी जब अपनी मां का सम्मान करता है तो मां को फख्र होता है. यदि पति पत्नी के हाथों बने खाने, उस की पूरे दिन की मेहनत को पूरा सम्मान देता है, तो यह बात उसे हमेशा तरोताजा रखेगी.

पुरुषों को भी चाहिए सम्मान

साइकोलौजिस्ट विलियम जेम्स कहते हैं कि पुरुष भी चाहते हैं कि बौस उन के अच्छे काम का सम्मान करें. ऐसा होता है तो काम करने की उमंग बढ़ जाती है. सम्मान करने के लिए बड़ेबड़े अवार्ड्स की जरूरत नहीं होती. बातों से भी सम्मान जताया जा सकता है. दोस्ती में भी सम्मान की भावना हो तो दोस्ती ताउम्र टिकी रहती है. पुरुषों की चाहत होती है कि पत्नी भी उन की सही बातों का सम्मान करे. कई बार छोटीछोटी बातों का भी सम्मान करने से आप का वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है.

बुजुर्ग भी चाहते हैं सम्मान

बुजुर्गों के प्रति आप का रवैया हमेशा हौसला बढ़ाने वाला ही होना चाहिए. शारीरिक रूप से कमजोर हो चले बुजुर्गों की जिंदगी की लंबी पारी का सम्मान करें. उन के संघर्ष की तारीफ करें. इस तरह के सम्मान उन्हें जीने का मकसद देते हैं. सम्मान करते वक्त आप पूरी ईमानदारी रखें. चापलूसी वाले सम्मान की बू तुरंत आ जाती है. वैसे भी शब्दों में वह ताकत होती है, जो हमें परायों के बीच भी अपना बना देती है तथा अपनों के बीच पराया.

सम्मान एक ऐसी कला है, जिस से हम परिचितों का आत्मविश्वास बढ़ा सकते हैं, रिश्तों में गरमाहट ला सकते हैं और अपनी तथा दूसरों की जिंदगी में खुशियां भर सकते हैं.

निवेश से पहले न करें ये गलतियां

अपने कल को बेहतर बनाने के लिए आज से बचत शुरु करने से बेहतर कुछ और नहीं है. एक्सपर्ट्स भी यही मानते हैं कि अपने जीवन की पहली नौकरी लगते ही सेविंग्स शुरु कर देनी चाहिए. अक्‍सर लोग ऐसा करते भी हैं. लेकिन कई बार हम सेविंग, इंवेस्‍टमेंट के दौरान कई छोटी छोटी गलतियां कर जाते हैं. ऐसा कई बार जानकारी के अभाव में होता है. कई लोग ऐसे भी होते हैं जो बचत तो कर रहे हैं, मगर उनके जहन में ढेर सारे सवाल रहते हैं और वह यह जानने के लिए उत्सुक रहते हैं कि बचत को और कैसे बेहतर किया जा सकता है.

1. बीमा पॉलिसी को टैक्स बचाने के उदेश्य से खरीदना

कई लोग टैक्स बचाने के लिए बीमा पॉलिसी खरीद लेते हैं. उन्हें अपनी इस गलती का एहसास साल के आखिरी में होता है जब उन्हें अपने नियोक्ता को निवेश संबंधित प्रमाण देने होते हैं. बीमा पॉलिसी होना एक अच्छी बात है, लेकिन जीवन बीमा की तुलना में अन्य सभी टैक्स सेविंग विकल्प बेहतर होते हैं. टैक्स सेविंग फंड्स जैसे कि ईएलएसएस कम उम्र के बचत करने वाले लोगों के लिए सबसे अच्छा ऑप्शन है.

2. निवेश से पहले जानकारी का अभाव

जब लोग नियमित रूप से बचत नहीं करते तो बैंक एकाउंट में पड़े पड़े वह खर्च हो जाते है. इससे दो नुकसान होते हैं, पहला छोटी उम्र में निवेश करने के अनुरुप यह आपकी पूंजी को नहीं बढ़ा पाता. और दूसरा इससे बेफिजूल खर्च करने की आदत पड़ जाती है. बचत करने के लिए शुरुआत में अपनी मासिक तनख्वाह का 5 फीसदी से 10 फीसदी तक नियमित रूप से डेट फंड या फिर रेकरिंग डिपॉजिट में निवेश करें.

3. दूसरों को देखकर शेयर बाजार में निवेश करना

ऐसा लोग तब करते हैं जब उनमें स्टॉक्स में निवेश को लेकर कम जानकारी होती है. साथ ही शेयर बाजार में निवेश करते समय लोगों को लगता है कि उनकी निवेश राशि दो गुना हो जाएगी, जबकि ऐसा सोचना गलत है. निवेश करने से पहले अपने दोस्त, रिश्तेदार या सहकर्मी का देख लें कि किसको कितना मुनाफा या नुकसान हुआ है. निवेश करने से पहले स्टॉक से जुड़ी सारी जानकारी प्राप्त कर लें.

4. हर साल नौकरी बदलना

कई लोग सैलरी बढ़ाने के लिए जल्दी-जल्दी नौकरी बदलते हैं. जबकि नौकरी तब बदलनी चाहिए जब आप एक जगह काम करके अपनी स्किल्स अच्छी करें. इसके बाद आप जहां भी जाएंगे आपको अच्छी सैलरी का ऑफर दिया जाएगा.

5. एजुकेशन लोन के बारे में भूल जाना

नौकरी से पहले कई लोग आगे की पढ़ाई के लिए एमबीए जैसे कॉर्स में दाखिला लेते हैं. ऐसे में पढ़ाई के खर्चे को उठाने के लिए लोन की आवश्यकता पड़ती है. घर से दूर रहकर नौकरी करने पर लोग अपने बैंक से संपर्क नहीं कर पाते. ऐसे में ब्याज बढ़ता रहता है. इसलिए अपने एजुकेशन लोन के बारे अपना ध्यान केंद्रित करें. लोन की रिपेमेंट के बाद अपने लंबी अवधि वाले निवेश पर काम करें. अपने खर्च करने की आदत में सुधार और सही विकल्प में निवेश करने से अपनी बचत को बेहतर कर सकते हैं.

घरेलू उपाय से चमकाएं त्वचा

बदलते मौसम की सब से बड़ी समस्या चेहरे के सौंदर्य को बनाए रखने की होती है. इस मौसम का सब से पहला प्रभाव त्वचा पर ही महसूस होता है. शरीर के अन्य सभी हिस्से तो ढके रहते हैं, लेकिन चेहरे को शुष्क हवाओं व धूलमिट्टी का शिकार बनना पड़ता है.

ऐसे मौसम में त्वचा की निचली सतह पर पाई जाने वाली तैलीय ग्रंथियां कार्य करना बंद कर देती हैं. फलस्वरूप त्वचा खुश्क और खुरदरी हो जाती है. और फिर पर्याप्त देखभाल के अभाव में फटने लगती है. असमय ही चेहरे पर झुर्रियां भी पड़ जाती हैं.

मगर त्वचा को साफ, चिकना तथा कोमल बनाए रखना कोई कठिन काम नहीं है. बस जरूरत है थोड़ी सी अतिरिक्त देखभाल की.

नियमित सफाई

चेहरे की स्वाभाविक कांति और ताजापन बनाए रखने के लिए क्लींजिंग यानी सफाई पर विशेष ध्यान दें, क्योंकि धूलमिट्टी तथा मेकअप की बासी परतों के कारण चेहरा मलिन तो लगता ही है, साथ ही रोमछिद्रों के बंद हो जाने से कीलमुंहासे भी हो जाते हैं.

चेहरे की सफाई के लिए जहां तक संभव हो साबुन का प्रयोग न करें, क्योंकि साबुन में हानिकारक तत्त्व होते हैं जो त्वचा को और अधिक खुश्क बना देते हैं. हां, तेलयुक्त साबुन का प्रयोग किया जा सकता है.

इन घरेलू खाद्यपदार्थों को भी चेहरे की सफाई के लिए प्रयोग कर सकती हैं.

बेसन

1 चम्मच बेसन को पानी में घोल कर पेस्ट बना कर चेहरे पर 5 मिनट तक लगाए रखें. फिर रगड़ कर उतारें और चेहरे को धो लें. यदि आप की त्वचा अधिक खुश्क है, तो बेसन में थोड़ी सी मलाई या कच्चा दूध मिला लें.

जौ का आटा

2 चम्मच दूध में 1/2 चम्मच जौ का आटा व नीबू के रस की कुछ बूंदें मिला कर चेहरे पर लगाएं. कुछ देर बाद चेहरा धो लें.

दही

चेहरे पर दही का लेप करें. इस से न केवल चेहरे की सफाई होती है, बल्कि उस में चमक भी आ जाती है.

मेकअप

आकर्षक दिखने के लिए साफसुथरी त्वचा के साथसाथ मेकअप भी आकर्षक होना चाहिए. अत: इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है:

बदलते मौसम में त्वचा रूखी हो जाती है, इसलिए पाउडर का प्रयोग न करें. इस की जगह फाउंडेशन लगाएं. गहरा मेकअप करें. त्वचा से मेल खाते गहरे रंग की लिपस्टिक व आईशैडो का चुनाव करें.

लिपस्टिक लगाने से पहले चैपस्टिक लगाएं. फटे होंठों पर लिपस्टिक भद्दी लगती है.

कुछ और उपयोगी बातें

बदलते मौसम में अकसर होंठ फट जाते हैं, जिस से चेहरे का आकर्षण नष्ट हो जाता है. अत: इन्हें फटने से बचाने के लिए रात को सोते समय इन पर मलाई या देशी घी लगाएं.

रात को सोने से पहले क्लींजिंग मिल्क चेहरे पर लगा कर गीली रुई से साफ कर लें. इस से रोमछिद्रों में छिपा मैल जो साबुन या अन्य पदार्थों से भी साफ नहीं हो पाता पूरी तरह निकल जाता है.

त्वचा में प्राकृतिक नमी व तेल की कमी की पूर्ति के लिए सुबह मेकअप से पहले व रात को सोने से पहले मौइश्चराइजर का प्रयोग जरूर करें. यह चेहरे को निखार कर चिकना बनाता है.

सप्ताह में 1 दिन चेहरे पर भाप लें. भाप लेने से रोमछिद्र खुल जाते हैं.

बाहर से घर आने पर मेकअप को अच्छी तरह साफ कर चेहरे को कुनकुने पानी से धो लें. भोजन में पौष्टिक तत्त्वों की मात्रा बढ़ाएं जैसे हरी सब्जियां, मौसमी फल, दालें, अंकुरित चने आदि.

मेथी खायें वजन घटायें

मेथी के दाने ना केवल खाने का स्‍वाद बढ़ाते हैं बल्‍कि अगर ठीक प्रकार से नियमित खाए जाएं, तो इंसान का वजन भी कम करते हैं.

मेथी ब्‍लड प्रेशर, मोटापा और मधुमेह जैसी बीमारियों को दूर भगाने में मदद करती है. साथ ही वे लोग जिन्‍हें हर वक्‍त भूख लगती है, वे मेथी खाएं, तो उनकी बार बार खाने की आदत भी कम हो जाती है.

यदि आपको कब्‍ज है तो भिगोई हुई मेथी जरुर खाएं क्‍योंकि इसमें अच्‍छी मात्रा में फाइबर पाया जाता है.

गरम मेथी के दाने

सुबह खाली पेट मेथी के दानों को ग्राइंडर में पीस कर पाउडर बना कर गुनगुने पानी के साथ खाएं. आप पाउडर को किसी सब्‍जी में भी डाल कर खा सकते हैं.

अंकुरित मेथी

अंकुरित मेथी में विटामिन और मिनरल्‍स भरपूर मात्रा में होते हैं. इसे सुबह खाली पेट खाने से वजन कम होता है.

भिगोई हुई मेथी

एक गिलास में मुठ्ठीभर मेथी के दानों को रातभर भिगो कर रख दें और फिर सुबह उसे छान कर खाएं. इससे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहेगा और भूख भी कम लगेगी. इससे आप कम कैलोरी खाएंगे.

मेथी और शहद

एक कप ग्रीन टी या हर्बल टी में शहद और नींबू का जूस मिलाएं और ऊप से पिसी हुई मेथी पावडर डालें. फिर इसे रोजाना सुबह खाली पेट पियें. इससे आपका वजन बड़ी ही जल्‍दी कम होगा.

मेथी चाय

मेथी को जरा सा पानी डाल कर पीस लें और फिर उसको 1 कप पानी में खौलाएं. फिर उसमें दालचीनी और घिसी हुई अदरक डालें. इस चाय को पीने से ब्‍लड प्रेशर कंट्रोल होता है और खाना भी आराम से हजम होता है.

500-1000 के नोट ने बदलवाई फिल्मों की रिलीज डेट

फिल्में देखने वाले हो या बनाने वाले, पैसे की जरुरत सबको पड़ती है और अब ऐसे ही हरे-लाल नोटों की बंदी ने बॉलीवुड की दो फिल्मों की रिलीज डेट पर असर डाल दिया है.

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अचानक एक हजार और पांच सौ के नोटों की मान्यता खत्म करने का ऐलान कर दिया जिसके बाद से कुछ अफरा-तफरी का भी माहौल बना और बॉलीवुड की दो फिल्मों को इसी कारण आगे भी सरकाना पड़ा.

11 नवम्बर को रिलीज के लिए तैयार हितेन पेंटल और हृषिता भट्ट स्टारर फिल्म ‘जस्ट 30 मिनट’ और रजनीश दुग्गल, सोनारिका भदौरिया और हितेन तेजवानी स्टारर फिल्म ‘सांसे’ ने अपनी रिलीज डेट को आगे बढ़ा दिया है.

फिल्म ‘सांसे’ के निर्माता गौतम जैन ने बताया कि “प्रधानमंत्री मोदी जी के फैसले का सम्मान करते हुए फिल्म की टीम के साथ की गयी एक मीटिंग में हमने ये फैसला किया है कि अब हम अपनी फिल्म ‘सांसे’ इस हफ्ते रिलीज नहीं करेंगे. फिल्म में पैसा इन्वेस्ट करने वाले हमारे साथियों की भी यही राय है की फिल्म की रिलीज डेट को फिलहाल आगे बढ़ा दिया जाए.” ‘सांसे’ एक हॉरर फिल्म हैं.

फिल्म ‘जस्ट 30 मिनट’ में अहम भूमिका निभा रहे हितेन पेंटल ने भी 500 और एक हज़ार के नोट के बैन के बाद अपनी फिल्म की रिलीज की अगली डेट को एक महीने के लिए आगे कर दिया है. अब ये फिल्म 9 दिसम्बर को रिलीज होगी. जस्ट 30 मिनट वक्त के अनुशासन पर बेस्ड है. फिल्म की कहानी ऐसे बच्चे की है, जिसके मां-बाप उसे वक्त का इतना पाबंद बना देते हैं कि एक मिनट की देरी न हो जाए इस दबाव में वह मर्डर कर बैठता है.

हालांकि इस शुक्रवार को फरहान अख्तर, अर्जुन रामपाल और श्रद्धा कपूर स्टारर फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ रिलीज होगी. फिल्म को लेकर एक मल्टीप्लेक्स चेन ने दर्शकों की पैसे की किल्लत को दूर करने के लिए डेबिट और क्रेडिट कार्ड से टिकट लेने पर लगने वाली कन्वेनियन्स फीस माफ कर दी है.

सेहत से जुड़ी है घर की सफाई

साफ-सुथरा घर किसे पसंद नहीं होता. साफ और सुव्यवस्थित घर एक ओर जहां मूड अच्छा रखने में मददगार होता है वहीं घर साफ हो तो सेहत भी अच्छी रहती है. इसके अलावा और भी बहुत सी ऐसी वजहें हैं, जिसके चलते घर को साफ रखने की सलाह दी जाती है.

1. घर खूबसूरत और फ्रेश बना रहता है

यह तो बेहद स्वभाविक है कि जो घर सुव्यवस्थित रहता है, उसे देखकर अच्छा लगता है.

2. प्रॉडक्टिविटी बढ़ जाती है

कई अध्ययनों में यह बात कही गई है कि जो लोग साफ जगह पर रहते हैं वे अपने काम पर ज्यादा ध्यान दे पाते हैं और उनकी प्रॉडक्टिविटी तुलनात्मक रूप से अच्छी होती है.

3. संक्रमण का खतरा कम रहता है

रोजाना सफाई करने से घर में गंदगी बैठने नहीं पाती. इसके चलते संक्रमण का खतरा बहुत कम हो जाता है.

4. मानसिक स्वास्थ्य के लिए

एक अध्ययन के मुताबिक, गंदगी में रहने वाले लोगों को अक्सर डिप्रेशन की शिकायत हो जाती है. ऐसे में सफाई में रहने से इस परेशानी से बचा जा सकता है.

5. सफाई को व्यायाम की तरह ही लें

सफाई के दौरान काफी कैलरी बर्न होती है. इस लिहाज से यह एक अच्छी एक्सरसाइज भी है.

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