धोनी की फिल्म में कौन बना है ‘विराट’

ऐ दिल है मुश्किल से पहले फवाद खान की एक और बॉलीवुड फिल्म रिलीज होने वाली है. यह फिल्म कोई पाकिस्तानी फिल्म नहीं बल्की बॉलीवुड की एक चर्चित रिलीज है. जी हां यह फिल्म कोई और नहीं बल्कि स्टार क्रिकेटर धोनी की जिंदगी पर बनी फिल्म ‘एम.एस धोनी: द अन टोल्ड स्टोरी’ है.

इस फिल्म में जहां सुशांत सिंह राजपूत धोनी के रोल में नजर आ रहे हैं. वहीं इस फिल्म में फवाद खान विराट कोहली के रोल में नजर आने वाले हैं. मतलब कि फवाद फैन्स को अपने स्टार को स्क्रीन पर देखने के लिए 28 अक्टूबर तक का इंतजार नहीं करना पड़ेगा. 30 सितंबर को रिलीज हो रही इस फिल्म फवाद स्टार क्रिकेटर के रोल में दिखने वाले हैं.

जिस वक्त फिल्म की शूटिंग चल रही थी तब भी खबरें आई थीं कि फवाद फिल्म मे विराट कोहली का रोल कर रहे हैं. लेकिन फिल्म ट्रेलर रिलीज होने के बाद और इसकी प्रमोशन शुरू होते ही इन खबरों ने दम तोड़ दिया क्योंकि कहीं भी फवाद का नाम सामने नहीं आ रहा था.

ट्रेलर में भी लीड रोल प्ले कर रहे सुशांत ही अलग-अलग अंदाज में दिखे. लेकिन फवाद की एक झलक भी नहीं थी. लेकिन अब ये खबर फिल्म से जुड़े एक सोर्स ने बताई है कि इसमें फवाद भी नजर आने वाले हैं. जब उनसे पूछा गया कि फिल्म में कौन किसका किरदार निभा रहा है तो उन्होंने कहा जहां तक मुझे पता है फवाद खान विराट कोहली का किरदार निभा रहे हैं.

हाल ही में इस फिल्म का एक गाना भी रिलीज हुआ है. यह गाना फिल्म ‘MS Dhoni: The Untold Story’ का थीम सॉन्ग ‘हर गली में धोनी है’ है. 21 सितंबर को यह गाना यूट्यूब पर आ गया है. न सिर्फ गाने के बोल शानदार हैं बल्कि वीडियो भी ऐसा है जो आपको पूरी तरह धोनी के रंग में रंग जाता है.

फिल्म भले ही 30 सितंबर को रिलीज होने जा रही है लेकिन इसका बुखार अभी से दर्शकों के सर चढ़ कर बोल रहा है. फिल्म का टीजर बेहद दमदार था, और इसके बाद जब ट्रेलर आया तो इन्होंने फिल्म को देखने के लिए दर्शकों की जिज्ञासा और अधिक बढ़ा दी. मेकर्स लगातार फिल्म के टीजर्स रिलीज कर रहे हैं ताकि रिलीज डेट तक दर्शकों की दिलचस्पी फिल्म में बनी रहे.

छोटे पर्दे से बड़े पर्दे तक का सफर तय कर चुके अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत स्टारर इस फिल्म को डायरेक्टर नीरज पांडे ने निर्देशित किया है. रोचक कोहली का यह गाना कुछ ऐसा है कि इसके बहुत जल्द फैन्स के जुबान पर चढ़ जाने की उम्मीद है. मनोज मुंताशिर ने गाने को लिखा है और अरमान मलिक ने कंपोज किया है. यदि गाने के वीडियो के बारे में आपको और बताएं तो किस तरह धौनी के फैन्स गली-गली में उनके क्रिकेट शॉट्स से लेकर उनके चाल ढाल और विकेट कीपिंग के अंदाज को कॉपी करते हैं इसे बखूबी फिल्माया गया है.

इन आदतों से झट उतर जाएगा चश्मा

कम उम्र में आंखों पर चश्मा चढ़ जाना एक मुसीबत बन जाता है. उम्र लग जाती है चश्मा हटाने में. कुछ लोग तो कामयाब हो जाते हैं बाकी को जीवन भर चश्मा चढ़ा कर रखना पड़ता है. ऐसे में अगर कोई आसान उपाय मिल जाए जिससे आंखों की रोशनी को बचाया जा सके तो इससे बेहतर कुछ नहीं.

आंखों पर चश्मा खराब खान पान, उम्र बढ़ने या फिर आंखों पर ज्यादा तनाव बढ़ने की वजह से चढ़ता है. कुछ लोगों में ये समस्या जेनेटिक भी होती है. लेकिन इन सब के बावजूद थोड़ी सी कोशिश करके इससे निपटा जा सकता है.

आंखों की कमजोरी से निपटने के लिए कुछ आसान कसरत हैं जिसे आप कुर्सी पर आराम से बैठकर भी कर सकते हैं.

– एक पेंसिल को आंखों के सामने एक हाथ की दूरी पर रखें और उसे देखते रहें. फिर उसे धीरे-धीरे नाक के पास लाएं. पेंसिल  जैसे-जैसे पास आएगी, उतना ही इससे फोकस खत्म होगा. इसे दिन में कम से कम 10 बार दोहराएं.

– दूसरी कसरत है आंखों को कुछ सेकेंड के लिए क्लॉकवाइज घुमाएं और कुछ देर के लिए एंटी क्लॉकवाइज घुमाएं. इसे 4 से 5 बार दोहराएं.

– दिन का कुछ समय सूरज की रोशनी में बिताएं. कुछ देर आंखें बंद करके सूरज की रोशनी के सामने खड़े हो जाएं. इससे आखों को आराम मिलेगा साथ ही हीलिंग भी होगी.

– इसके अलावा एक तरीका है दोनों हाथों को रगड़ें जिससे हथेली गर्म हो जाएंगी और हल्के हाथों से दोनों आंखों को कवर करें. ध्यान रहे आंखों को पूरी तरह से कवर करें, रोशनी ना जाने पाए. इसे दिन में कई बार करें, फायदा होगा.

आंखों के लिए बादाम खाना सबसे बेहतर होता है. रात में 4 से 5 बादाम पानी में भिगो दें. इसके छिलके उतार कर इसे गर्म दूध के साथ लें. रोजाना बादाम खाने से आंखों की रोशनी बढ़ेगी साथ ही इससे याददाश्त भी मजबूत होती है.

फैशन में चोटी

अंगरेजी में एक मुहावरा है ‘फैशन रिपीट इट सैल्फ’. हेयरस्टाइल फैशन के मामले में भी यह एकदम सटीक बैठता है. यही वजह है कि जहां एक तरफ इंगलिश हेयरस्टाइल ने महिलाओं को दीवाना बना रखा है और अधिकतर महिलाओं को शॉर्ट हेयर रखने का शौक बढ़ा है, तो वहीं दूसरी तरफ वैस्टर्न कल्चर और फैशन के रंगढंग में रंगी महिलाओं को लंबे बाल भी लुभाने लगे हैं. इसकी बड़ी वजह है स्टाइलिश चोटियों का फिर से फैशन में आना.

चोटियों में सब से अधिक फिश टेल का क्रेज महिलाओं में दिख रहा है. इसकी वजह है बॉलीवुड अभिनेत्रियों द्वारा मूवीज, पार्टीज और अवार्ड फंक्शन में फिश टेल में दिखाई पड़ना. फिश टेल बनाना बेहद आसान है और इसे खुद ही बनाया जा सकता है. इस के लिए बालों को एक तरफ कर के 2 हिस्सों में विभाजित कर लें. अब दोनों हिस्सों से कुछ बाल ले कर गूथें. फिश टेल कम बालों में भी अच्छी लगती है. वैसे फिश टेल के अतिरिक्त वाटर फाल, डच टेल, फ्रैंच टेल और ब्रैंडेड टॉप नौट भी काफी चलन में हैं.

हेयर एक्सपर्ट प्रिसिला कहती हैं, ‘‘चोटियां अब सिर्फ ट्रैडिशनल हेयरस्टाइल नहीं रह गईं. अब महिलाएं वैस्टर्न आउटफिट में भी स्टाइलिश चोटी करना पसंद करती हैं. चोटी से दरअसल 2 फायदे होते हैं, पहला यह कि चोटी ट्रैंडी लुक देती है और दूसरा इस से बाल व्यवस्थित रहते हैं.’’

दीपिका पादुकोण की फैवरेट फिश टेल

– बालों को 2 हिस्सों में बाटें.

– अब दोनों हिस्सों से थोड़ेथोड़े बाल ले कर गूंथें.

– 1-2 बार गूंथ लेने के बाद अपनी ग्रिपिंग को थोड़ा कसें.

– ध्यान रखें दोनों तरफ से बराबर हिस्सा ले कर गूंथें.

– दोनों हिस्सों को अंत तक गूंथें यदि बाल निकलने लगें तो वहीं इलास्टिक से बाल बांध लें.

– यदि रियल फिश टैक्सचर देना चाहती हैं तो चोटी में से कुछ लटें निकाल लें और हेयर स्प्रे से बालों को सेट करें.                                          

क्या आप जानती हैं फिश टेल बनाना?

प्रिसिला से जानें

बालों में अच्छी तरह से कंघी करें और उलझे बालों को सुलझाएं.

– चोटी बनाने के पूर्व बालों को नियंत्रित करना आवश्यक है. इसलिए बालों में सिरम, हलका तेल (केयो कार्पिन)या पानी बेस्ड जैल जैसे स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें. इस से चोटी में अच्छी फिनिशिंग आती है.

– स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल जरूरत भर ही करें खासकर हेयर जैल का, क्योंकि इस से चोटी कड़ी हो जाती है.बेहतर है हलका तेल (केयो कार्पिन) इस्तेमाल करें.

– चोटी को अधिक सफाई से बनाने के लिए पिन टेल कौंब से पार्टिंग करें.

– अपनी चोटी को घना दिखाने के लिए चोटी के लिए बालों का सैक्शन करें और बैककौंबिंग करें.

कॉर्नर

हेयर एक्सपर्ट प्रिसिला

डा. कायनात काजी को बेस्ट हिंदी ब्लॉगर का अवार्ड

फोटोग्राफर, ट्रेवल राइटर और ब्लॉगर डा. कायनात काजी को देश के प्रतिष्ठित न्यूज चैनल एबीपी न्यूज के बेस्ट हिंदी ब्लॉगर अवार्ड से सम्मानित किया गया है. डा. कायनात काज़ी जितना अच्छा लिखती हैं, उतनी अच्छी फोटोग्राफी भी करती हैं. हिंदी साहित्य में पीएचडी कायनात एक प्रोफेशनल फोटोग्राफर हैं. राहगिरी (rahagiri.com) नाम से उनका हिंदी का प्रथम ट्रेवल फोटोग्राफी ब्लॉग है. इसी के लिए एबीपी न्यूज ने उन्हें बेस्ट हिंदी ब्लॉगर का अवार्ड दिया है.

कायनात कहती हैं, “फोटोग्राफी के दौरान मैंने महसूस किया कि ट्रेवेल ब्लॉग भी बहुत सारे हैं और फोटोग्राफी के भी खूब ब्लॉग हैं. लेकिन हिंदी में एक भी ब्लॉग ऐसा नहीं है जिसमें कंटेंट भी अच्छा हो और फोटोग्राफ भी उम्दा. मैंने सोचा क्यों न इस कमी को पूरा किया जाए? इसमें मेरा लेखक और फोटोग्राफर होना काम आया और इस तरह से हिंदी के पहले ट्रेवल फोटोग्राफी ब्लॉग “राहगिरी” का उदय हुआ.”

फोटोग्राफी और लेखन के लिए डा. कायनात काजी को इससे पहले भी कई पुरस्कार मिल चुके हैं. वह यायावर और घुमक्कड हैं. फोटोग्राफी कायनात का जुनून है और भ्रमण उनका शौक. कायनात कहती हैं, “यात्रा और फोटोग्राफी के लिए मैं हमेशा अपना एक बैग तैयार रखती हूं. एक सोलो फीमेल ट्रेवलर के रूप में मैं महज तीन वर्षों में ही देश-विदेश में करीब 80 हजार किलोमीटर की दूरी नाप चुकी हूं.”

कायनात के पास विभिन्न विषयों पर करीब 25 हजार फोटो का कलेक्शन भी है. उनकी नई दिल्ली के इंडिया हैबीटेट सेंटर सहित कई अन्य जगहों पर फोटो प्रदर्शनियां लग चुकी हैं. एमबीए करने के साथ-साथ उन्होंने प्रतिष्ठित जागरण इंस्टीट्यूट आफ मॉस कम्यूनिकेशन से पत्रकारिता की पढ़ाई भी की है. कई मीडिया संस्थानों में काम भी किया. लेकिन मन नहीं रमा तो सब कुछ छोड़ कर फोटोग्राफी और लेखन में जुट गईं.

उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में जन्मी कायनात बचपन में फोटोग्राफर बनकर दुनिया को नापने का सपना देखा करती थीं. लेकिन तब पढ़ाई और करियर के चक्कर में यह सपना धरा ही रह गया. कायनात बताती हैं, “मेरे अब्बू बहुत अच्छे फोटोग्राफर थे. जब मैंने होश संभाला तो सबसे पहले अब्बू के हाथ में ही कैमरा देखा. अब्बू के साथ मैं साल में कई दफा घूमने जाया करती थी. अब्बू घूमते कम और फोटोग्राफी ज्यादा करते. बस यहीं से मुझे भी फोटोग्राफी का चस्का लग गया. पहला कैमरा मुझे अब्बू ने ही खरीद कर दिया था.” करीब चार साल पहले कायनात ने प्रसिद्ध फोटोग्राफर डा. ओपी शर्मा से फोटोग्राफी के गुर सीखे. फिर दुनिया नापने निकल पड़ी. हाल ही में वह यूरोप यात्रा करके भी लौटी हैं.

कायनात कहानीकार भी हैं और साहित्य की शोधार्थी भी. कृष्णा सोबती पर लंबे शोध के बाद उन्होंने “कृष्णा सोबती का साहित्य और समाज” नाम से एक किताब लिखी है. कॉलेज के दिनों में ही उनकी कई कहानियों का आकाशवाणी पर प्रसारण हो चुका है. जल्दी ही उनका कहानी संग्रह “बोगनबेलिया” भी प्रकाशित होने वाला है. फिलहाल, वह शिव नाडर विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं.

Film Review: पार्च्ड

फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ खत्म होने के बाद दिमाग में एक ही बात आती है कि काश इस फिल्म का नाम होता-‘‘सेक्स और गांव’’. यह फिल्म नारी उत्थान के नाम पर महज  सेक्स के प्रति जागरूकता पैदा करती है. फिल्म में यह सवाल जरुर उठाया गया है कि हमारे यहां अभी भी औरतों को महज भोग्या ही समझा जाता है. तो वहीं फिल्मकार ने इस फिल्म में यह भी रेखांकित किया है कि एक औरत के लिए यौन संबंध की चाहत या अपने शरीर पर अपना हक जताना शर्म की बात नहीं है.

फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ की कहानी के केंद्र में गुजरात राज्य के एक गांव की चार औरतें लज्जो (राधिका आप्टे), रानी (तनिष्ठा चटर्जी), जानकी (लहर खान) व बिजली (सुरवीन चावला) हैं. यह ऐसे गांव की कहानी है, जहां सभी सिर्फ सेक्स व दारू के ही चक्कर में नजर आते हैं. लज्जो (राधिका आप्टे) और रानी (तनिष्ठा चटर्जी) गांव में पड़ोसी व दोस्त हैं. लज्जो का पति मनोज (महेश बलराज) एक नम्बर का शराबी है. उसके बगल में ही रानी रहती है. रानी, अपनी सास और बेटे गुलाब (रिद्धिसेन) के साथ रहती है. रानी विधवा है, उसे अपने बेटे की चिंता रहती है. जिसके कारण वह उसकी शादी जल्दी जानकी (लहर खान) से करवा देती है. गुलाब की शादी के बाद रानी की सास मर जाती है. वह अकेली रह जाती है.

बेटा गुलाब अपनी पत्नी जानकी के बाल छोटे होने से गांव के कुछ लोगों के हंसने के कारण उससे दूर रहता है. रात रात भर घर ही नहीं आता है. गुलाब अपने लोफर दोस्तों के साथ हर समय बियर पीना, झगड़ा करना यही सब करता है. दारू पी कर अपनी पत्नी जानकी को भी मारता है. रानी इससे बहुत दुःखी है.

गुलाब की शादी के बाद रानी की सहेली बिजली (सुरवीन चावला) जो एक नाचने वाली वेश्या है, वह भी रानी से मिलने आती है, जिसे देख कर सब गांव वाले चौंक जाते हैं. और आपस में बातें करने लगते हैं. इसलिए बिजली तुरंत चली जाती है. रानी बाद में बिजली के डेरे पर ही उससे मिलने जाती है. साथ में लज्जो भी जाती है. तीनों मिलकर बहुत सारी बातें करती हैं. इतना ही नहीं कुछ समय बाद पता चलता है कि बिजली के यौन संबंध रानी के पति के साथ रहे हैं.

लज्जो का पति लज्जो को ‘बांझ औरत’ कहकर अक्सर पीटता रहता है. लज्जो अपना दर्द बिजली से बयां करती है. तब बिजली, लज्जो को बताती है कि उसको बच्चा नहीं हो रहा है, तो उसके पति में कमी होगी. उसके बाद बिजली, लज्जो को लेकर रात में पहाड़ी पर एक पुरूष (आदिल हुसेन) के पास ले जाती है. जहां लज्जो उस पुरूष के साथ यौन संबंध बनाकर आनंद की अनुभति करती है और वह पेट से हो जाती है.

उधर रानी की बहू जानकी से मिलने उसके घर पर उसका एक दोस्त आता है. गुलाब सदैव घर से बाहर रहता है. गुलाब एक लड़की प्रीति के साथ सेक्स संबंध बनाना चाहता है, इसके लिए उसे ढेर सारे रूपए चाहिए. तो एक दिन गुलाब, रानी के पैसे चुरा लेता है. रानी अपनी बहू जानकी के उपर शक जताती है. जब गुलाब घर लौटता है, तो जानकी अपने पति से सास के पैसे के बारे में सवाल कर देती है. जिससे गुलाब उसे बहुत मारता है. रानी यह सब देख कर बहुत दुःखी होती है. वह  बहू से बात करती है कि वह अपने दोस्त को बुला ले और उसके साथ चली जाए. रानी बहू जानकी को उस लड़के के साथ भेज देती है. रानी व लज्जो दोनों घर से अकेले बिजली के डेरे पर जाती हैं. तीनों वहां से गाड़ी लेकर घूमने चली जाती हैं.

इसी गांव में किशन (सुमीत व्यास) और उसकी पत्नी भी रहते हैं, जो शहर से गांव में आकर सब औरतों को सिलाई का काम लाकर देते हैं और सब को अर्थिक रूप से मदद करते हैं. लेकिन यह बात रानी के बेटे गुलाब को बुरी लगती है. वह अपने दोस्तों के साथ किशन को मारकर घायल कर देता है. किशन अस्पताल पहुंच जाता है. इस घटना के बाद किशन व उसकी पत्नी गांव छोड़ कर चले जाते हैं.

गांव में दशहरा का मेला लगा है. दशहरा के मेले में जाने से पहले जब लज्जो के पति मनोज को पता चलता है कि लज्जो गर्भवती है, तो वह लज्जो को बहुत मारता है. वह कहता है कि उसके पेट में किसका बच्चा है? लज्जो कहती है कि गांव में सभी के सामने वह बोल दे कि मैं बच्चा नहीं पैदा कर सकता, तो वह मान लेगी. फिर लोग उसे क्यों ताने मारते हैं? दोनों में मारपीट होती है. इसी मार पीट में घर में आग लग जाती है और इस आग में मनोज जल जल जाता है.

लज्जो दशहरा के मेले में जाकर रानी व बिजली से मिलती. पूरी कहानी बयां करती है. लज्जो मेले से निकल कर गांव से गाड़ी में शहर की तरफ भागती हैं. तीनों रास्ते में बहुत खुश है.

‘शब्द’ और ‘तीन पत्ती’ जैसी फिल्मों की निर्देशक लीना यादव ने निर्देशक के तौर पर प्रगति की है. इस फिल्म के कुछ दृश्य उन्होंने आम भारतीय फिल्मों से इतर व बेहतर तरीके से लिए हैं. कुछ सीन इस बात की ओर इशारा करते हैं कि उन पर विदेशी सिनेमा का प्रभाव आ चुका है. शायद इसकी वजह उत्कृष्ट हौलीवुड फिल्मों के कैमरामैन रूसेल का इस फिल्म का कैमरामैन होना भी हो सकता है. क्योंकि पटकथा के स्तर पर वह कई जगह मार खा जाती हैं. औरतों के मुद्दे सही ढंग से उभर ही नहीं पाते हैं. फिल्म में ग्रामीण परिवेश को बेहतर तरीके से उकेरा जा सकता था. पुरूष मानसिकता को सही परिपेक्ष्य में नहीं पेश कर पायीं. औरतों के शोषण के नाम पर कुछ भी नया नहीं परोसा गया. क्या नारी स्वतंत्रता व नारी की खुशी महज सेक्स या यानी कि यौन संबंधों तक ही सीमित है? क्या हर रिश्ते को महज यौन संबंधों की कसौटी पर ही कसा जाना चाहिए? नारी उत्थान के नाम पर भी सेक्स व गंदी गालियों का परोसा जाना जायज नहीं ठहराया जा सकता.

फिल्म का नकारात्मक पक्ष यह है कि फिल्मकार ने अपनी फिल्म को बहुत गलत ढंग से प्रचारित किया. लीना यादव व अजय देवगन यह चिल्लाते रहे कि फिल्म नारी उत्थान की बात करती है, जो कि फिल्म देखकर महज झूठ का पुलिंदा साबित होता है. दूसरी बात फिल्म के प्रोमो से भी फिल्म की गलत तस्वीर पेश की गयी. जिस तरह के  प्रोमो वगैरह आए थे, उससे उम्मीद बंधी थी कि यह एक हार्ड हीटिंग फिल्म होगी, पर इसे ‘सेक्स एंड सिटी’ का घटिया भारतीय करण ही कहा जा सकता है. फिल्म के अंत को भी सही नहीं ठहराया जा सकता. फिल्म में अनावश्यक गंदी गालियों का समावेश है. नारी पात्र भी गंदी गालियां बकते हुए नजर आते हैं. नारी प्रधान फिल्म के रूप में भी यह निराश करती है. शहरी लड़कियां व औरतें भी शायद इस फिल्म को न पसंद करें.

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो फिल्म तनिष्ठा चटर्जी की ही फिल्म है. फिल्म में तनिष्ठा चटर्जी की आंखें उनकी बेबसी व उनका दर्द बयां करती हैं. इस फिल्म में उनके किरदार की कई परते हैं. राधिका आप्टे उम्मीद पर खरी नहीं उतरती. सुरवीन चावला के संवादों में पंजाबी टच ही नजर आाता है. आदिल हुसेन के किरदार के पास राधिका आप्टे यानी कि लज्जो के संग यौन संबंध स्थापित करने के अलावा कुछ करने का है ही नहीं.

‘‘टू लाइज’, ‘टाइटानिक’, ‘एंट मैन’’ जैसी फिल्मों के कैमरामैन रूसेल कारपेंटर ने कमाल की फोटोग्राफी की है. फिल्म का संगीत ठीक है. लगभग दो घंटे की अवधि वाली फिल्म ‘‘पार्च्ड’’ का निर्माण अजय देवगन, असीम बजाज, गुलाब सिंह तनवर, लीना यादव, रोहन जगदाले ने किया है. लेखक व निर्देशक लीना यादव, एडीटर केविन टेंट, कैमरामैन रूसेल कारपेंटर, गीतकार स्वानंद किरकिरे, नृत्य निर्देशक अशेले लोबो व कास्ट्यूम डिजायनर आशिमा बेलापुरकर हैं.

फिल्म के कलाकार हैं: तनिष्ठा चटर्जी, राधिका आप्टे, सुरवीन चावला, आदिल हुसेन, महेश बलराज, रिद्धिसेन, लहर खान व अन्य.

‘लाइक ए गर्ल’ कैम्पेन में शामिल हुईं सोनाक्षी और साक्षी

जैसा कि एक कहावत है कि ‘लड़कियों की तरह मत करों’ इस फ्रेज को फिर से परिभाषित करने की जरुरत है. इसी प्रसंग को लेकर ‘व्हिस्पर इंडिया’ ने ‘लाइक ए गर्ल’ कैम्पेन का अनावरण अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा और रियो ओलिंपिक ब्रोंज मेडलिस्ट रेसलर साक्षी मलिक से मुंबई में करवाया. उनके अनुसार आज लड़कियां हर काम आसानी से कर सकती हैं, फिर चाहे वह खेल, ड्राइविंग या फाइटिंग हो. वे हर क्षेत्र में आगे जा सकती हैं.

इस अवसर पर अभिनेत्री सोनाक्षी कहती हैं कि ‘लाइक ए गर्ल’ एक अच्छी कैम्पेन है. यह शब्द लड़कियों को नीचा दिखाता है, जबकि आज की लड़कियों ने हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिती दर्ज़ करवाई है, फिर चाहे वह शिक्षा हो या किसी और क्षेत्र. मैंने जब फिल्म ‘अकीरा’ में फाइट के दृश्य किये, तो सारे स्टंट्स मैंने खुद किये और मैं अभी भी कर सकती हूँ. हमारी अपनी सख्सियत है मेरे हिसाब से कोई जेंडर इसे निर्धारित नहीं करती और महिलाएं जितना कर रही है इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. ये सब हमारा समाज,धर्म और परिवार कहता है कि लड़की होने के नाते कुछ पाबंधियाँ है,जो गलत है.मुझे इसका सामना कभी नहीं करना पड़ा. मेरे माता-पिता बहुत ‘लिबरल’ है. मेरे दो भाई होने के बावजूद उन्होंने मुझे किसी काम से नहीं रोका. कही आने-जाने से नहीं रोका. मैं अपनी ख़ुशी से हर काम कर सकती हूँ.

रेसलर साक्षी कहती हैं कि जब मैं इस क्षेत्र में आई तो सभी ने डराया कि तुम लड़की हो ‘रेसलिंग’ तुम्हारे वश में नहीं, लोग मेरा मजाक उड़ाते थे, मैंने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया और अभ्यास करती रही. मैं दृढ प्रतिज्ञ थी और जानती थी कि मेरी मेहनत अवश्य सफल होगी. मैं सभी लड़कियों से कहना चाहती हूँ कि आप जो भी बनना चाहो बनो और खुलकर जियो.

दिल्ली में ही हैं 7 शहर

भारतीय पर्यटकों के साथ-साथ विदेशी पर्यटकों का भी प्रमुख आकर्षक केंद्र, दिल्ली में एक पर्यटक के लिए वे सारी चीजें हैं, जिसके लिए एक पर्यटक सदा लालायित रहता है. यहां की संस्कृति से लेकर यहां की विविधता तक और कई ऐसे ऐतिहासिक राज जो शायद ही आप सबको पता होंगे. दिल्ली जो भारत की राजधानी और एक प्रमुख शहर है, यह इतिहास में 7 ऐतिहासिक शहरों का गढ़ हुआ करता था.

आज हम आपको दिल्ली के उन प्रमुख शहरों से मुखातिब करवाते हैं, जिनका शासनकाल इतिहास के पन्नों में आज भी शान से दर्ज है.

1. किला राय पिथौरा

किला राय पिथौरा जिसे राय पिथौरा का किला भी कहते हैं एक दृढ़ शहर था. जिसे 12 वीं शताब्दी में चौहानों के राजा, पृथ्वीराज चौहान ने बनवाया था. एक घमासान युद्ध में चौहान वंश ने इस शहर को तोमर राजवंश से जीतकर और फैलाया. इसके अंदर 8 वीं सदी का पुराना लाल कोट किला भी शामिल है जिसे तोमर राजपूत शासक अनंगपाल तोमर द्वारा बनवाया गया था.

आज भी इस शहर के कुछ चिन्ह दिल्ली के साकेत, मेहरौली, किशनगढ़ व वसंत कुंज क्षेत्रों में हैं. सुरक्षा के लक्ष्य से बनाये गए किले के परिसर में पृथ्वीराज चौहान का पुतला आज भी शान से खड़ा है.

2. मेहरौली

मेहरौली ने बहुत कुछ देखा है. इसने शुरुआती हिंदू राजाओं की राजधानी लालकोट को अपनी जमीन पर देखा, गुलामों के बादशाह बन जाने का अजूबा देखा और सारी बादशाहत को खाक बराबर समझने वाले कुतुब साहब जैसे दरवेश को भी देखा. सन् 1192 में मोहम्मद गौरी द्वारा तराइन की दूसरी लड़ाई में पृथ्वीराज चौहान के खात्मे के बाद, मोहम्मद गौरी ने कुतुबुद्दीन ऐबक को देश का वाइसराय घोषित कर दिया, जिसके बाद सन् 1193 में कुतुबुद्दीन ने पूरी दिल्ली को अपने अधीन कर लिया जो तब तक चौहान वंश के ही अधीन थी.

सन् 1206 ईसवीं में जब मोहम्मद गौरी का देहांत हुआ, कुतुबुद्दीन दिल्ली के राजसिंघासन पर विराजमान हो गया जिसके बाद दिल्ली मामलुकों या दास वंश की राजधानी बन गयी. दास वंश मुस्लिम सुल्तानों का सबसे पहला वंश था जिन्होंने उत्तरी भारत में राज करना प्रारम्भ किया. मुगल सल्तनत के आरम्भ होते ही कुतुबुद्दीन ऐबक ने सारे हिन्दू मंदिरों को ध्वस्त कर इस्लामिक रचनाओं का निर्माण करवाया जिसे उसने मेहरौली, दिल्ली के दूसरे शहर का नाम दिया.

3. सिरी

कुतुबुद्दीन ऐबक के दास वंश को अल्लाउद्दीन खिलजी ने आगे बढ़ाया. खिलजी वंश के 6 शासकों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय अल्लाउद्दीन खिलजी ने अपने वंश का विस्तार दक्षिण भारत तक किया व दिल्ली के तीसरे शेर सीरी का निर्माण किया. आज भी सिरी का किला जो मोठे पत्थरों की दीवार है, दिल्ली के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है.

4. तुगलकाबाद

दिल्ली के चौथे शहर तुगलकाबाद या तुगलकाबाद के किले का निर्माण गियासुद्दीन तुगलक ने करवाया था. प्रकृति की गोद में निर्जन पहाड़ियों पर खड़ी भूरे अनगढ़ पत्थरों की टूटी दीवारों वाले तुगलकाबाद को वास्तुशिल्प की दृष्‍टि से एक दुर्ग के रूप में स्थापित किया गया था. यह किला दो भागों में बंटा है- दक्षिणी दीवारों के साथ-साथ नगर दुर्ग और महल इसका एक भाग है और इसके उत्तर में बसा नगर दूसरा भाग है. दक्षिण में, तुगलकाबाद के मुख्य प्रवेश द्वार के पास ही गियासुद्दीन तुगलक का मकबरा भी स्थापित है, जो लाल बलुई पत्थर से बनाया गया था.

5. फिरोजाबाद

तुगलक शासकों में से एक, फिरोज शाह तुगलक ने कोटला फिरोज शाह या फिरोजाबाद को दिल्ली के पांचवे शहर के रूप में स्थापित किया. यह ऊंची दीवारों से युक्त महल, खभों वाले बड़े-बड़े हॉल, मस्जिदों, कबूतर टावर व बावलियों का गढ़ है. किले के अवशेषों के साथ-साथ, जामा मस्जिद और अशोक स्‍तम्‍भ के बचे अवशेष भी फिरोजाबाद में स्थित हैं. फिरोज शाह कोटला, यमुना नदी के तट पर स्थित है. यह जगह अशोक के स्‍तंभ के कारण प्रसिद्ध है, जो एक तीन मंजिला संरचना है.

6. शेरगढ़

शेरगढ़ आज पुराना किला के नाम से प्रसिद्घ किला है जिसे शेर शाह ने बनवाया था. इस किले का निर्माण शेरशाह ने मुगलों के दूसरे राजा, हुमायूं से दिल्ली को छीनने के बाद करवाया था. यह दिल्ली के छठे शहर के रूप में विस्तरित हुआ. इसके अंदर एक मस्जिद है जिसमें दो तलीय अष्टभुजी स्तंभ है. कुछ साहित्यकारों के अनुसार यह किला इंद्रप्रस्थ के स्थल‍ पर है जो पांडवों की विशाल राजधानी होती थी.

7. शाहजहांबाद

आज पुरानी दिल्ली के नाम से प्रसिद्ध शाहजहांबाद, दिल्ली के सातवें शहर का निर्माण अकबर के पुत्र शाहजहां ने करवाया था. इसी पुरानी दिल्ली या शाहजहांबाद में 17 वीं शताब्दी के वास्तुकला व इतिहास की अद्भुत रचनाएं, जामा मस्जिद व लाल किला स्थापित है. यह सुरक्षा दीवारों से परिबद्ध शाहजहानाबाद नामक क्षेत्र था. यह क्षेत्र मुगल साम्राज्य के पतन तक मुगलों की राजधानी रहा.

निवेश जो दे नियमित आय

जिस निवेश योजना के बारे में हम चर्चा करने जा रहे हैं वह उन पतियों के लिए एक सपने के सच होने जैसी है, जो अपनी-अपनी पत्नी से प्रत्येक महीने के घर के बजट के बारे में बातचीत करने से घबराते हैं.

प्रत्येक महीने का घर का बजट बनाते हुए जरूरी है आवश्यकता या उस से जुड़ी परेशानियों पर लगातार ध्यान देने की. पुराने समय से ही औरतों को घर के खर्चों को सही ढंग से संभालने के लिए जाना जाता है. उन के पास हमेशा आपात स्थिति के लिए पैसा संगृहीत होता है. पर जरा सोचिए कि अगर बिना किसी नौकरी के भी उन्हें हर महीने एक नियमित आय मिले तो कैसा लगे. जी हां, सिस्टेमैटिक विथड्रावल प्लान (एसडब्ल्यूपी) के आसान रास्ते के द्वारा यह मुमकिन है.

क्या है एसडब्ल्यूपी ?

जिस तरह से हर महीने निश्चित तारीख पर वेतन मिलता है, ठीक उसी प्रकार एसडब्ल्यूपी बैंक खाते में एक फिक्स्ड पैसा आना सुनिश्चित कर सकता है. बस आवश्यकता है तो निवेशक को एक खास योजना में शुरुआत में कुछ पैसा निवेश करने की. म्यूचुअल फंड स्कीम को एक बार एसडब्ल्यूपी निर्देश दिए जाते हैं. उदाहरण के लिए लगभग क्व15 लाख के निवेश के द्वारा एक निवेशक म्यूचुअल फंड को यह निर्देश दे सकता है कि हर महीने के 5वें दिन क्व6,500 दिसंबर, 2020 तक उस के बैंक अकाउंट में स्थानांतरित किए जाएं. यह सिर्फ एक उदाहरण था कि किस तरह से एक एसडब्ल्यूपी निर्धारित की जाए.

कई बार मासिक एसडब्ल्यूपी की राशि से अधिक राशि की आप को आवश्यकता हो सकती है. एसडब्ल्यूपी म्यूचुअल फंड्स की एक खुली योजना है, जिस में निवेशक बची राशि किसी भी समय एक आसान से रिडेंपशन निर्देश के द्वारा निकाल सकता है. एसडब्ल्यूपी निर्देश किसी भी समय रोका या बदला जा सकता है. अगर आप को ऐसा लगता है कि अब खर्चे बढ़ चुके हैं तो आप उसी योजना में अधिक निवेश कर सकते हैं और एसडब्ल्यूपी की राशि बढ़ा सकते हैं.

एसडब्ल्यूपी के फायदे

एसडब्ल्यूपी का एक अन्य फायदा यह है कि यह टैक्स रिटर्न्स के लिए बहुत कुशल या प्रभावशाली है. कल्पना करते हैं कि श्रीमान ए ने 15 लाख की म्यूचुअल फंड्स की एसडब्ल्यूपी में एक मासिक आय योजना (एमआईपी) में निवेश किया और श्रीमान बी ने बौंड/डिपौजिट योजना में 8% की ब्याज दर पर निवेश किया. केवल गणना के उद्देश्य से हम यह कल्पना करें कि प्रत्येक महीने 10 हजार एसडब्ल्यूपी के लिए रखे गए या फिर 1 लाख 20 हजार प्रति साल या निवेशित राशि का 8% केवल गणना के उद्देश्य के लिए यह भी मानिए कि एमआईपी में 8% रिटर्न मिला. श्रीमान ए और बी दोनों ही 30% के टैक्स स्लैब में हैं और क्रमानुसार दोनों को 10 वर्षों के लिए एसडब्ल्यूपी से और ब्याज से आय प्राप्त हुई.

ऊपर दिए गए उदाहरण में श्रीमान ए ने कैपिटल गेन टैक्स के तौर पर 37 हजार 537 का भुगतान किया, जबकि श्रीमान बी ब्याज की आय पर कर (टैक्स) के रूप में 3 लाख 60 हजार का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होंगे. 10 वर्षों के समय के उपरांत वे 12 लाख की राशि एसडब्ल्यूपी या ब्याज की राशि के तौर पर प्राप्त कर चुके होंगे.

अगर फंड्स को 10 वर्षों के बाद भी निकाला नहीं जाता है, तब 12 लाख पर श्रीमान ए 3.12% जबकि श्रीमान बी 30% कर (टैक्स) का भुगतान कर चुके होंगे (6% प्रति वर्ष इन्फ्लेशन दर की कल्पना के साथ). ये गणनाएं बिना किसी सरचार्ज के की गई हैं या खातों को आयकर से मुक्त कर के और इस अनुमान के साथ कि 10 सालों के बाद भी कोई फंड नहीं लिया गया है.

ध्यान रखें

अधिकतर सभी म्यूचुअल फंड्स योजनाओं के वर्ग में एसडब्ल्यूपी योजना की सुविधा उपलब्ध होती है. फिर भी यह सुझाव दिया जाता है कि एक निवेशक को अपने रिस्क की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए ही इस का चुनाव करना चाहिए. ऊपर दिया गया उदाहरण डैब्ट औरिऐंटेड फंड्स के संबद्ध में भी सत्य है, जिस में एमआईपी भी सम्मिलित है. जबकि इक्विटी औरिऐंटेड फंड्स अधिक कर लाभ पहुंचाते हैं, लेकिन ये निवेश के बाजार मूल्य में भारी उतारचढ़ाव लाते हैं.

यह योजना सेवानिवृत्त लोगों के लिए भी बहुत अच्छी है. उन की सेवानिवृत्ति के संग्रह को नियमित मासिक प्रवाह के लिए प्रयोग कर सकते हैं. कुछ निवेशक अपने बच्चों की मासिक फीस या जिन के बच्चे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते हैं उन की पौकेट मनी के लिए भी इस का प्रयोग कर सकते हैं.

तो अब आप के लिए यह समय है एसडब्ल्यूपी के साथ एक नए निवेश का जो महीने के अधिकतर खर्चों को कवर करे. अपनी पत्नी को अर्थात गृहिणी को उस बैंक खाते का डैबिट कार्ड देना न भूलें ताकि वह आप के खर्चों के पोर्टफोलियो को बेहतर तरीके से संभाल सके.

12 साल बाद अलग होंगे ब्रैड पिट और एंजेलीना

हॉलीवुड अभिनेत्री फिल्मकार एंजेलीना जोली ने अपने परिवार की सेहत की खातिर पति ब्रैड पिट से अलग होने का फैसला किया है.

शादी के दो साल बाद जोली ने परस्पर विरोधी मतभेदों का हवाला देते हुए तलाक की अर्जी दी. यह युगल 10 साल साथ रहने के बाद 2014 में शादी के बंधन में बंधे थे. सूत्रों ने बताया कि जोली ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि वह बच्चों की परवरिश के पिट के तरीकों से नाखुश थीं.

एंजेलीना के वकील ने कहा, ‘‘यह फैसला परिवार की सेहत के चलते लिया गया है.’’ अभिनेत्री के वकील ने कहा, ‘‘इस वक्त वह बयान नहीं दे पाएंगी और इस मुश्किल वक्त में उन्होंने उनके परिवार को निजता प्रदान करने को कहा है.’’

अदालत के मुताबिक दस्तावेज मिल गए हैं और जोली (41)  ने अदालत से इस युगल के छह बच्चों मैडॉक्स, पैक्स, जहारा, शिलोह, विविएन और नॉक्स का संरक्षण प्रदान करने के लिए कहा है तथा उन्होंने अनुरोध किया है कि पिट को बच्चों से मिलने का अधिकार दिया जाए.

अपने बयान में पिट ने कहा, ‘‘इस कदम से मैं बहुत दुखी हूं लेकिन इस वक्त जो सबसे अधिक मायने रखता है वह है हमारे बच्चों की भलाई. मैं मीडिया से अनुरोध करता हूं कि वे इस चुनौतीपूर्ण वक्त में उनकी निजता का ख्याल रखे.’’

एक सूत्र ने कहा, ‘‘पिट (52) और जोली दोनों अपने बच्चों का बहुत ख्याल रखते हैं तथा दोनों ओर बेहद उदासी छाई है.’’ एक अन्य करीबी ने कहा, ‘‘यह तलाक पूरी तरह से चौंकाने वाला कदम है. निश्चित रूप से इस साल उन्होंने अधिक समय अलग रहकर बिताया है लेकिन फिर भी यह एक चौंकाने वाला कदम है. उन्होंने केवल अपनी शादी की सालगिरह साथ मनाई थी.’’

कौन है बॉलीवुड की नई ड्रीम गर्ल

इन दिनों बॉलीवुड की दो एक्ट्रेस हैं, जो हॉलीवुड में भी छाई हुई हैं. इनमें एक प्रियंका चोपड़ा तो दूसरी दीपिका पादुकोण है, जिनका करियर काफी अच्छे दौर से गुजर रहा है. पर्दे पर उन्होंने कई तरह के किरदार को जीवंत किया है और अपने अभिनय के दमखम से दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी है.

वैसे दीपिका को अब तक अपनी तारीफ में भले ही कई अच्छे कॉम्प्लीमेंट मिले हों, मगर ये वाला जरूर उनके लिए खास होगा. आखिरकार बॉलीवुड की ‘ड्रीम गर्ल’ हेमा मालिनी ने जो दिया है, वो भी अपना खिताब.

जी हां, हाल ही में हेमा मालिनी एक इंटरव्यू में दीपिका के काम की तारीफ करती नजर आईं और यहां तक कि उन्हें बॉलीवुड की मौजूदा ‘ड्रीम गर्ल’ तक करार दे दिया.

अब जब दीपिका को इस बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत ट्वीट करते हुए हेमा मालिनी के प्रति अपना प्यार जाहिर किया और कहा कि वो भी उनसे बेहद प्यार करती हैं. आपको बता दें कि दीपिका इन दिनों अपनी पहली हॉलीवुड फिल्म की शूटिंग में व्यस्त हैं, जिसमें वो सुपरस्टार विन डीजल के साथ नजर आएंगी.

वहीं वो ‘बाजीराव मस्तानी’ के बाद एक बार फिर संजय लीला भंसाली के साथ काम करने जा रही हैं. उनकी अगली फिल्म है ‘पद्मावती’, जिसकी शूटिंग जल्द शुरू होने वाली है.

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