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मुसीबत में ऐसे बचाएं खुद को, ‘हमेशा रखें सैफ्टी टूल्स’

आज देश के किसी भी कोने में जा कर देखा जाए तो महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं दिखाई पड़तीं. कोई घर में शोषण का शिकार हो रही है तो कोई बाहर. हाल ही में मध्य प्रदेश के इंदौर में सेना के अधिकारी अपनी गर्लफ्रैंड के साथ पिकनिक मनाने आ गए तो 5-6 बदमाशों ने उन की एक महिला मित्र को बंधक बना कर आर्मी अफसर से ₹10 लाख फिरौती की रकम मांगी व महिला के साथ रेप भी किया.

मौके पर पुलिस के पहुंचने पर युवती को छोड़ बदमाश वहां से भाग निकले लेकिन सवाल छोड़ गए कि युवती सुरक्षित कहां हैं? रेप की बढ़ती वरदातों के चलते आज समय की मांग है कि महिलाएं खुद को सुरक्षित रखने के गुण सीखें क्योंकि परेशानी आने पर सरकार और प्रशासन साथ नहीं होता. उस वक्त आप की सूझबूझ व हिम्मत ही आप को बचा सकती है इसलिए जरूरी है कि अपनी समझदारी व कुछ सैफ्टी टूल्स हमेशा अपने पास रखें.

हमेशा रखें सैफ्टी टूल्स

सैफ्टी टूल्स में आप अपने पास इलैक्ट्रिक शौक गन हमेशा अपने पर्स में रखें. यह एक पोर्टेबल गन है. अगर इसे स्किन पर टच किया जाए तो बिजली का झटका लगता है. इसी तरह एक इलेक्ट्रौनिक रौड भी आती है जिसे आप फोल्ड कर के अपने पर्स में रख सकती हैं.

पेपर स्प्रे बोतल भी अपने पर्स में रखें. यदि इस का प्रयोग करती हैं तो हमलावर तिलमिला जाएगा क्योंकि इस में से निकलने वाला स्प्रै इतना तेज होता है कि जलन होने लगती है और यदि आंखों में लग जाए तो आंखें खोलनी मुश्किल हो जाती हैं.

सैफ्टी अलार्म भी बहुत काम की चीज है. इस के बटन दबाने से बहुत तेज सायरन की आवाज आती है जिसे सुन कोई न कोई आप की मदद करने आ सकता है.

सैफ्टी टिप्स

जब भी आप औफिस से निकलें अपने घर वालों को बताएं और जो भी कैब या वाहन में सवारी कर रही हैं उस की नंबर प्लेट की फोटो और लोकेशन भी साझा करें.

जब किसी पर संदेह हो

  • किसी प्रकार का संदेह होने पर वूमन सेल या 100 नंबर पर कौल करें.
  • औफिस में यदि किसी कर्मी का व्यवहार आप को अटपटा लगे तो मैनेजमेंट को बताएं व अपने किसी भरोसेमंद दोस्त को अवश्य बताएं.
  • सैफ्टी ऐप अपने फोन में डाउनलोड रखें व जीपीएस हमेशा औन रखें.किसी नजदीकी पुलिस थाने का नंबर इमरजैंसी डायल में रखें.
  • अगर ड्राइवर आप को गलत रास्ते से ले जा रहा है तो उसे टोके नहीं, अपने दुप्पटे को उस के गले में फंसा दें व मदद के लिए चिल्लाएं.
  • कई बार इस तरह के टूल्स शातिर क्रिमिनल के सामने धरे के धरे रह जाते हैं लेकिन ऐसे टूल्स आप को आत्मरक्षा के लिए हिम्मत जरूर देते हैं व आप का मनोबल बढ़ाते हैं किसी भी गंभीर परस्थिति में खुद को कमजोर न समझते हुए ऐसी जगह से भाग निकलने की जुगत लगाएं .
  • आप किसी भी उम्र में हों आप को फाइट के कुछ गुण आने अति आवश्यक हैं इसलिए अपने बचाव के लिए आत्मरक्षा के गुण जरूर सीखें.
  • यदि आप किसी के साथ गलत होते हुए देख रही हैं तो पुलिस को सूचित करें. सुनसान गलियों की जगह मैन रोड से जाएं.

फैशन और ग्लैमर का प्रतीक इयररिंग्स, ‘हर अवसर के लिए परफैक्ट’

झुमका गिरा तो बरेली के बाजार में था लेकिन पसंद सब की बन गया. अब चाहे बरेली हो या बैंगलुरु, इयररिंग्स हमेशा से महिलाओं की पहली पसंद रहे हैं और उन की ज्वैलरी क्लैकशन में भी एक स्पैशल स्थान रखते हैं. इन की खास बात यह है कि आप 18 की हों या 58 की, ये सभी उम्र की महिलाओं पर खूब फबते हैं और उन के दिलों में राज करते हैं. इन्हें इंडियन और वैस्टर्न दोनों तरह की ड्रैसेज के साथ पहना जा सकता है. आप रेट्रो क्वीन हों या मौर्डन क्वीन, झुमकों का 1 जोड़ा आप के स्टाइल को निखारने के लिए काफी है.

लेकिन, अब ये ट्रैडिशनल फैशन के साथ मौर्डन फैशन में भी अपनी जगह बना चुके हैं. चाहे साधारण हों या भारीभरकम, इयररिंग्स हर आयुवर्ग और अवसर के अनुसार बदलते और ढलते रहे हैं.

फैशन जगत में इयररिंग्स ने खुद को एक ट्रेंडी और स्टाइलिश ज्वैलरी में शामिल किया है. इयररिंग्स सिर्फ ज्वैलरी नहीं है बल्कि आप के लिए भरोसेमंद साथी है और कभीकभी आप की पर्सनेलिटी का रिफ्लैकशन भी होते हैं. सही इयररिंग्स आप के लुक को निखार सकते हैं, आप के फीचर्स को उभार सकते हैं और आप को फैशन आइकौन भी बना सकते हैं.

फैशन के अनुसार बदला रूप

आज तक इयररिंग्स में कई बदलाव हुए और यह फैशन का महत्त्वपूर्ण हिस्सा बन गए. आजकल विभिन्न प्रकार के इयररिंग्स जैसे स्टड्स, हूप्स, चांदबाली, झुमके, डैंगलर्स आदि फैशन के बाजार में छाए हुए हैं.

वैरायटी है भरपूर

इयररिंग्स की सब से बड़ी खूबी इन के अनेक स्टाइल हैं. हर किसी की पसंद को ध्यान में रखते हुए ढेरों डिजाइंस और आकारों में इयररिंग्स उपलब्ध हैं. चाहे आप छोटे और सादे स्टड्स पहनना पसंद करती हों या बड़े और झिलमिलाते झुमके, हर स्टाइल के लिए इयररिंग्स का अलग रूप मौजूद है. यह वर्सटैलिटी ही इसे एक ट्रैंडी और लोकप्रिय विकल्प बनाती है.

हर अवसर के लिए परफैक्ट

इयररिंग्स की खासियत यह है कि ये हर अवसर के लिए फिट होते हैं. रोजमर्रा के कैजुअल आउटफिट से ले कर किसी खास अवसर जैसे शादी या पार्टी में पहनने के लिए आप को इयररिंग्स में अनेक विकल्प मिल जाएंगे. स्टड्स और हूप्स जैसे छोटे और हलके इयररिंग्स औफिस या डेली यूज के लिए परफैक्ट होते हैं, जबकि चांदबाली और झुमके जैसे भारी डिजाइंस पार्टी या त्योहारों में ग्लैमरस लुक देते हैं.

ट्रैडिशनल और मौर्डन एकसाथ

आज के दौर में इयररिंग्स का डिजाइन पारंपरिक और आधुनिक फैशन का शानदार मिश्रण बन चुका है. जहां एक ओर हमें पारंपरिक झुमके, कश्मीरी डैंगलर्स और टेंपल ज्वैलरी के इयररिंग्स दिखते हैं, वहीं दूसरी ओर आधुनिक हूप्स, टैसलस और जियोमैट्रिक डिजाइंस का चलन भी तेजी से बढ़ रहा है. यह मेल इयररिंग्स को और भी अधिक आकर्षक और फैशन में बनाए रखता है.

ऐक्सप्रेसिव फैशन स्टेटमैंट

इयररिंग्स पहनने से केवल आप के लुक में ही बदलाव नहीं होता है, बल्कि यह एक ऐक्सप्रैसिव फैशन स्टेटमैंट भी बन चुका है. आप अपने मूड, पर्सनैलिटी और आउटफिट के अनुसार इयररिंग्स का चयन कर सकती हैं. बोल्ड और बड़े इयररिंग्स आत्मविश्वास को दर्शाते हैं जबकि छोटे और सादे इयररिंग्स एक सौफ्ट और सोबर लुक प्रदान करते हैं. इसी कारण से इयररिंग्स न सिर्फ फैशन का हिस्सा हैं, बल्कि व्यक्तित्व को भी व्यक्त करता है.

यादों का एहसास

इयररिंग्स से हम लड़कियों की बचपन की यादें जुड़ी होती हैं. उन्हें पहली बार पहनने का एहसास होता है. बचपन में फैशन का अनुभव कराते है. बच्चों के लिए साधारण और बिना रत्नों वाले झुमके चुनें, ताकि स्कूल के दौरान कोई परेशानी न हो.

दुलहन के दोस्त

दुलहन का श्रींगार तब पूरा होता है, जब उस के कानों में झिलमिलाते झुमके हों. यदि आप भी दुलहन बनने वाली हैं और सोच रही हैं कि किस प्रकार के इयररिंग्स आप पर जंचेंगे, तो हम आप को हीरा ही बताएंगे क्योंकि रूबी या पन्ना जैसे रत्न हीरे के आभूषणों के साथ शानदार दिखते हैं. हम आप को पोल्कीकट झुमके लेने की भी सलाह देंगे।

दुलहन की पोशाक को और भी प्रभावशाली बनाने के लिए शादी की रस्म के लिए भारी झुमकों का चुनाव करें. झुमके मखमली और ब्रोकेड की साड़ियों के साथ शानदार लगते हैं.

हर महिला के भरोसेमंद साथी

इयररिंग्स सिर्फ हमें ही नहीं बल्कि हमारी दादी और नानी को भी खूब भाते हैं. एक महिला के प्रिय साथी बने रहते हैं. मेकअप भले ही रह जाए लेकिन कहीं जाने से पहले पसंदीदा झुमके पहनना नहीं भूलती हैं क्योंकि उन्हें पता है कि ये झुमके अब भी उन के चेहरे को चांद सा रोशन कर देते हैं.

झूठ कहा था उस ने

अनीता नाम बताया था उस ने. उम्र करीब 40 वर्ष, सिंपल साड़ी, लंबी चोटी, चेहरे पर कोई मेकअप नहीं. आंखों में एक अजीब सा कुतुहल जो उसे खास बनाता था 2-4 दिनों से देख रहा हूं उसे. हमारी यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान की प्रोफैसर बन कर आई है और मैं अर्थशास्त्र पढ़ाता हूं. साहित्य में रुचि होने की वजह से मैं अकसर लाइब्रेरी में 1-2 घंटे बिताता हूं. वह भी अकसर वहीं बैठी दिख जाती.  एक दिन मैं ने पूछ ही लिया, ‘‘क्या आप भी साहित्य में रुचि रखती हैं?’’

‘‘जी हां, बड़ेबड़े कवियों की कविताएं और शायरी पढ़ना खासतौर पर पसंद है. मैं भी छोटीमोटी कविताएं लिख लेती हूं.’’

‘‘वाह तब तो खूब जमेगी हमारी,’’ मैं उत्साहित हो कर बोला.

उस की आंखों में भी चमक उभर आई थी. हमारी बनने लगी. अकसर हम लोग लाइब्रेरी में पुरानी किताबें निकालते और फिर घंटों चर्चा करते. व्याख्याओं के लिए लाइब्रेरी में 2 कमरे अलग थे, जिन में शीशे के दरवाजे थे, ताकि बातचीत से दूसरे डिस्टर्ब न हों.

एक दिन मैं ने सवाल दागा, ‘‘मैं ने अकसर देखा है आप घंटों यहां रुक जाती हैं. घर में पति वगैरह इतंजार…’’ मैं ने जानबूझ कर वाक्य अधूरा छोड़ दिया.

वह हंस पड़ी, ‘‘नहीं, मेरे घर में पति नाम का जीव नहीं जो चाबुक ले कर मेरा इंतजार कर रहा हो.’’

‘‘चाबुक ले कर?’’ मैं हंसा.

‘‘जी हां, पति चाबुक ले कर इंतजार करे या फूल ले कर, मेरे साथ ऐसा कुछ नहीं, क्योंकि मैं कुंआरी हूं.’’

‘‘कुंआरी?’’ मैं चौंका और फिर कुरसी उस के करीब खिसका ली, ‘‘यानी आप ने अब तक शादी नहीं की. मगर क्यों?’’

‘‘कभी पढ़ने का जनून रहा तो कभी पढ़ाने का… शायद एक वजह यह भी है कि आप जैसा कायदे का शख्स मुझे मिला ही नहीं.’’

‘‘तो क्या मैं आप को मिलता और प्रपोज करता तो आप मुझ से शादी कर लेतीं?’’ मैं ने शरारती लहजे में कहा.

‘‘सोचती तो जरूर,’’ उस ने भी आंखें नचाते हुए कहा.

‘‘वैसे आप को बता दूं घर में मेरा भी कोई इंतजार करने वाली नहीं.’’

‘‘क्या आप भी कुंआरे हैं.’’

‘‘कुंआरा तो नहीं पर अकेला जरूर हूं. बीवी शादी के 2 साल बाद ही एक दुर्घटना में…’’

‘‘उफ, सौरी… तो आप ने दूसरी शादी क्यों नहीं की? कोई बच्चा है?’’

‘‘हां, बेटा है. बैंगलुरु में पढ़ रहा है.

अभी तक बीवी को नहीं भूल पाया हूं,’’ कहते हुए मैं उठ खड़ा हुआ, ‘‘मेरी क्लास का समय हो रहा है. चलता हूं,’’ कह मैं चला आया.

उस पल अपनी बीवी का खयाल मुझे उद्वेलित कर गया था. मैं स्वयं को संभाल नहीं पाया था, इसलिए चला आया. मेरी संवेदनशीलता को उस ने भी महसूस किया था.

अगले दिन वह स्वयं ही मुझ से बात करने आ गई.  बोली, ‘‘आई एम सौरी…  आप वाइफ की बात करते हुए काफी इमोशनल हो गए थे.’’

‘‘हां, दरअसल मैं उस से बहुत प्यार करता था… उस के बाद बेटे को मैं ने ही संभाला. आज वह भी मुझ से दूर है तो थोड़ा दिल भर आया था.

‘‘मैं समझ सकती हूं. वैसे मुझे लग रहा है कि आप संवेदनशील होने के साथसाथ बहुत

प्यारे इनसान भी हैं. मुझे इस तरह के लोग बहुत पसंद हैं.’’

‘‘ओके तो… आप मुझे लाइक करने लगी हैं,’’ उस की बात का रुख अपनी फेवर में करने का प्रयास करते हुए मैं हंस पड़ा. वह कुछ बोली नहीं. बस नजरों से स्वीकृति देती हुई मुसकरा दी.

माहौल में रोमानियत सी छा गई. मैं ने धीरे से उस का हाथ अपने हाथों में ले लिया और फिर दोनों बहुत देर तक बातें करते रहे.

समान रुचि और एकजैसे हालात होने के साथसाथ एकदूसरे को पसंद करने की वजह से हम अब अकसर खाली समय साथ ही बिताने लगे थे. मैं अकसर उस के खयालों में गुम रहने लगा. न चाहते हुए भी लाइब्रेरी के चक्कर लगाता.  44 साल की उम्र में आशिकों जैसी अपनी हालत और हरकतें देख कर मुझे हंसी भी आती और मन में एक महका सा एहसास भी जगता.  कई महीने इसी तरह बीत गए. वक्त के साथ हम एकदूसरे के काफी करीब आ गए थे. वह मुझे अच्छी तरह समझने लगी थी. पर मैं अकसर सोचता कि क्या मैं भी उसे समझ पाया हूं? जब मैं उस के पास नहीं होता तो अकसर उसे गुमसुम बैठा देखता जबकि मैं उसे सदा मुसकराता देखना चाहता था. एक दिन मैं ने उस से कह ही दिया, ‘‘अनीता, क्या तुम्हें नहीं लगता कि अब हमें शादी कर लेनी चाहिए? तुम कहो तो तुम्हारे मातापिता से मिलने आ जाऊं?’’

सुन कर वह एकटक मुझे देखने लगी. उस के चेहरे पर एक पल को उदासीनता सी फैल गई. मुझे डर लगा कि कहीं वह मेरा प्रस्ताव अस्वीकार न कर दे. पर अगले ही पल वह मुसकराती हुई बोली, ‘‘दरअसल, मेरे पापा तो बिजनैस के सिलसिले में विदेश गए हुए हैं. मम्मी अकेली मिल कर क्या करेंगी? ऐसा करते हैं कुछ दिन रुक जाते हैं. फिर तुम मेरे घर आ जाना.’’

मुझे क्या ऐतराज हो सकता था? अत: सहज स्वीकृति दे दी. उस दिन वह काफी देर तक मुझे अपने घर वालों के बारे में बताती रही. मैं आंखों में आंखें डाले उस की बातें सुनता रहा.

वह अपने पापा के काफी करीब थी. कहने लगी, ‘‘मेरे पापा मुझ पर जान छिड़कते हैं. यदि मेरी आंखों में नमी भी नजर आ जाए तो वे अपने सारे काम छोड़ कर मुझे मनाने और खुश करने में लग जाते हैं… जब तक मैं हंस न दूं उन्हें चैन नहीं मिलता.’’

‘‘अच्छा तो तुम्हारे पापा क्या बिजनैस  करते हैं?’’

‘‘ऐक्सपोर्टइंपोर्ट का बिजनैस है.’’

‘‘ओके और मम्मी?’’

‘‘मम्मी हाउसवाइफ हैं. घर को इतने करीने से सजा कर रखती हैं कि तुम देख कर दंग रह जाओगे. कोई भी चीज इधर से उधर हो जाए तो समझ जाना कि उन के गुस्से से बच नहीं सकोगे.’’

‘‘अच्छा तो मुझे इस बात का खयाल  रखना होगा,’’ मैं ने मुसकराते हुए कहा तो वह मेरे सीने से लग गई. मैं ने देखा उस की आंखें  भर आई थीं.

‘‘क्या हुआ,’’ मैं ने पूछा, पर वह कुछ  नहीं बोली.

‘‘बहुत प्यार करती हो अपने पेरैंट्स से… तभी शादी का इरादा नहीं,’’ मैं ने कहा.

मेरी बात सुन कर वह हंस पड़ी, ‘‘हां  शायद मैं अपने पेरैंट्स को छोड़ कर कहीं जाना ही नहीं चाहती.’’

‘‘चिंता न करो, तुम कहोगी तो हम उन्हें भी साथ ले चलेंगे… वे हमारे साथ रहेंगे. ठीक है न?’’

वह कुछ नहीं बोली. बस प्यार भरी नजरों से मुझे देखती रही. मुझे लगा जैसे उसे मेरी बात पर यकीन नहीं हो रहा. पर मैं ने भी अपने मन में दृढ़ फैसला कर लिया कि अनीता के मातापिता को अपने साथ रखूंगा. आखिर उस के पेरैंट्स मेरे भी तो पेरैंट्स हुए न.

पेरैंट्स के अलावा अनीता अकसर अपने भाई और भाभी का जिक्र भी करती  थी. उस ने एक दिन विस्तार से सारी बात बताई कि उस का एक ही भाई है, जो उसे बेहद प्यार करता है. मगर भाभी का स्वभाव कुछ ठीक नहीं. भाभी ने शादी के बाद से भाई को अपने नियंत्रण में रखा हुआ है.

‘‘चलो, आज मैं तुम्हारे घर वालों से मिल लेता हूं,’’ एक दिन फिर मैं ने अनीता से कहा तो वह थोड़ी खामोश हो गई. फिर बोली, ‘‘कुछ महीनों के लिए पापा के साथ मम्मी भी गई हैं… वैसे मैं ने उन से तुम्हारी सारी बातें शेयर की हैं… उन्हें इस शादी से कोई ऐतराज नहीं. मैं ने उन्हें आप का फोटो भी दिखाया है… ऐसा करते हैं नितिन, मैं तुम्हारे घर वालों से मिल लेती हूं.’’

‘‘मेरा बेटा भी फिलहाल घर पर नहीं है,’’ मैं ने कहा.

‘‘यह तो बड़ी मुश्किल है. पर देखो, मियांबीवी राजी तो क्या करेगा काजी…’’

‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब तुम शादी की तारीख तय करो. तब तक मम्मीपापा भी आ जाएंगे.’’

‘‘हां, यह ठीक रहेगा. मगर तुम एक बार फिर सोच लो. शादी के लिए पूरी तरह तैयार  हो न?’’

‘‘बिलकुल… मैं तनमनधन से आप की बनने को तैयार हूं,’’ अनीता ने हंसते हुए कहा तो मेरा दिल बल्लियों उछलने लगा.

उस रात मैं बड़ी देर तक जागता रहा. अनीता ही मेरे खयालों में छाई रही. रहरह कर उस का चेहरा मेरी आंखों के सामने आ जाता. दिल में एक भय भी था कि कहीं उस के मातापिता तैयार नहीं हुए तो? भाईभाभी ने किसी बात पर ऐतराज किया तो? मगर अनीता की संशयरहित हां ने मेरी हिम्मत बढ़ाई थी. मैं ने ठीक 12 बजे अनीता को फोन किया.

‘‘अगले महीने की पहली तारीख को हम सदा के लिए एक हो जाएंगे. कैसा रहेगा?’’

‘‘बहुत अच्छा… तुम यह डेट फाइनल कर लो.’’

‘‘मगर तुम्हारे मम्मीपापा और भाई? वे लोग पहुंच तो जाएंगे न?’’

‘‘मैं उन्हें अभी बता देती हूं,’’ खुशी से चहकती हुई अनीता ने कहा तो मेरी सारी शंकाएं दूर हो गईं.

अगले ही दिन मैं ने अपने खास लोगों को शादी की सूचना दे दी. बेटे से तो यह बात बहुत पहले ही शेयर कर ली थी. वह बहुत खुश था. हम ने तय किया कि कोर्ट मैरिज कर के रिश्तेदारों को पार्टी दे देंगे. धीरेधीरे समय गुजरता गया. शादी का दिन करीब आ गया. यूनिवर्सिटी में भी सब को इस की सूचना मिल चुकी थी. हमारे रिश्ते से सब खुश थे. शादी से 1 सप्ताह पहले जब मैं ने अनीता से उस के घर वालों के बारे में पूछा तो वह बोली कि सब आ जाएंगे…

मैं ने अपनी सहमति दे दी. शादी का दिन भी आ गया. मेरा बेटा 4 दिन पहले आ चुका था. हम घर से सीधे कोर्ट जाने वाले थे. इसी पार्टी में मेरे और अनीता के सभी परिचितों और रिश्तेदारों को मिलना था. वैसे मेरे बहुत ज्यादा रिश्तेदार शहर में नहीं थे और शहर से बाहर के रिश्तेदारों को मैं ने बुलाया नहीं था. अनीता ने अपने रिश्तेदारों के बारे में कुछ ज्यादा नहीं बताया था. ठीक 11 बजे हमें कोर्ट पहुंचना था. मैं 10 बजे ही पहुंच गया. 11 बज गए पर अनीता नहीं आई. फोन किया तो फोन व्यस्त मिला. मैं बेचैनी से उस का इंतजार करने लगा. करीब 12 बजे अनीता अपनी 2-3 महिला मित्रों के साथ आई. एक वृद्ध आंटी और उन का बेटा भी था. मैं अनीता को अलग ले जा कर उस के घर वालों के बारे में पूछने लगा. वह थोड़ी घबराई हुई सी थी. बोली, ‘‘मम्मीपापा और भाई सब एकसाथ आ रहे हैं… ट्रेन लेट हो गई है. अब वे टैक्सी कर के आएंगे.’’

‘‘चलो फिर हम उन का इंतजार कर लेते हैं. मैं ने कहा तो वह खामोशी से बैठ गई. करीब 1 घंटा और गुजर गया. इस बीच अनीता ने 2-3 बार अपने घर वालों से बात की. वे रास्ते में ही थे. ‘‘नितिन अभी मम्मीपापा को आने मे 2-3 घंटे और लग जाएंगे.’’

मैं ने स्थिति की गंभीरता समझते हुए उस की बात सहर्ष स्वीकार कर ली. हम ने कागजी काररवाई पूरी कर ली. एकदूसरे को वरमाला पहना कर पतिपत्नी बन गए. पर मन में कसक रह गई कि अनीता के घर वाले नहीं पहुंच पाए. अनीता भी बेचैन सी थी. 2 घंटे बीत गए. मैं ने अनीता की तरफ प्रश्नवाचक नजरों से देखा तो वह फिर फोन मिलाने लगी.

अचानक मैं ने देखा कि बात करतेकरते वह रोंआसी सी हो गई.

मैं दौड़ कर उस के पास गया, ‘‘क्या हुआ अनीता? सब ठीक तो है?’’

‘‘नहीं, कुछ भी ठीक नहीं,’’ वह परेशान स्वर में बोली, ‘‘मेरे मम्मीपापा का ऐक्सीडैंट हो गया है. वे जिस टैक्सी से आ रहे थे वह किसी गाड़ी से टकरा गई. भाई है उन के पास. वह  उन्हें अस्पताल ले गया है. मैं अस्पताल हो कर आती हूं.’’

‘‘नहीं रुको, मैं भी चल रहा हूं,’’ मैं ने कहा तो वह एकदम असहज होती हुई बोली, ‘‘अरे नहीं नितिन, आप मेहमानोें को संभालो. मैं अकेली चली जाऊंगी. सब कुछ अकेले हैंडल करने की आदत है मुझे.’’

‘‘आदत है तो अच्छी बात है अनीता. पर अब मैं चलूंगा तुम्हारे साथ. मेहमानों को विजय देखा लेगा. बेटा जरा गाड़ी निकालना. हम अभी आते हैं,’’ मैं ने कहा और बेटे को सारी जिम्मेदारी सौंप अनीता के साथ निकल पड़ा.  रास्ते में अनीता बहुत गुमसुम और परेशान थी. मैं उस की स्थिति समझ रहा था.

‘‘अनीता, ऐक्सीडैंट नोएडा में हुआ है. अब बताओ कि उन्हें किस अस्पताल में दाखिल कराया गया है? हम नोएडा पहुंचने वाले हैं,’’ गाड़ी चलाते हुए मैं ने पूछा तो वह कुछ देर खामोश सी मुझे देखती रही. फिर धीरे से बोली, ‘‘सिटी अस्पताल.’’

मैं ने तेजी से गाड़ी सिटी अस्पताल की तरफ मोड़ दी. ‘‘अनीता, फोन कर के पूछो कि अब उन की तबीयत कैसी है? चोट कहांकहां लगी है? कोई सीरियस बात तो नहीं… और हां, यह भी पूछो कि उन्हें किस वार्ड में रखा गया है?’’

मेरी बात सुन कर भी वह खामोश रही. उसे परेशान देख मुझे भी बहुत दुख हो रहा था. अत: मैं भी खामोश हो गया.  गाड़ी अस्पताल तक पहुंच गई तो मैं ने फिर वही बात दोहराई, ‘‘अनीता प्लीज,  अपने भाई से पूछा कि वे किस वार्ड में हैं?’’

वह खामोश रही तो मैं घबरा गया. उसे झंझोड़ता हुआ बोला, ‘‘अनीता तुम मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रही? बताओ अनीता क्या हुआ तुम्हें? तुम्हारे मम्मीपापा कहां हैं?’’

अचानक अनीता फूटफूट कर रो पड़ी, ‘‘कहीं नहीं हैं मेरे मम्मीपापा… कहीं नहीं हैं… मैं अकेली हूं इस दुनिया में बिलकुल अकेली. कोई नहीं है मेरा.’’

उसे रोता देख मैं घबरा गया. बोला, ‘‘यह क्या कह रही हो तुम? मम्मीपापा ठीक हो जाएंगे… चिंता न करो अनीता. मैं चल रहा हूं न तुम्हारे साथ… तुम बस बताओ, उन्हें किस वार्ड में रखा है.’’

अनीता मेरी तरफ देखती रही. फिर भीगी पलकें पोंछती हुई बोली, ‘‘मैं ने तुम से झूठ कहा था नितिन. मेरे मम्मीपापा बचपन में ही मर गए थे… कोई भाईबहन नहीं हैं. एक बूआ थीं, जिन्होंने मुझे पालापोसा. फिर वे भी इस दुनिया से चली गईं… सालों से बिलकुल अकेली जिंदगी जी रही हूं. मैं ने तुम से झूठ कहा था कि मेरा एक परिवार है… मुझे माफ कर दो प्लीज.’’

मैं हैरान सा उसे देखता रहा. फिर पूछा, ‘‘पर ऐसा करने की वजह?’’

‘‘क्योंकि मैं तुम्हें बहुत चाहती हूं नितिन. मुझे लगता था कि यदि मैं ने सच बता दिया तो तुम मुझे छोड़ कर चले जाओगे… प्लीज मुझ से नाराज न होना नितिन… आई लव यू.’’

मुझे अनीता पर कतई गुस्सा नहीं आ रहा था. उलटा उस के लिए सहानुभूति महसूस हो  रही थी. अत: मैं ने कहा, ‘‘झूठी कहानियां गढ़ने की कोई जरूरत नहीं थी अनीता… मैं तो खुद अकेला हूं… तुम्हारी तकलीफ कैसे नहीं समझूंगा? और हां, मैं वादा करता हूं आज  के बाद तुम्हें परिवार की कभी कमी महसूस नहीं होने दूंगा… मैं हूं न तुम्हारा परिवार… हम दोनों अकेले हैं… मिल जाएंगे तो खुद परिवार  बन जाएगा.’’

अनीता के चेहरे पर विश्वास की लकीरें खिंच आई थीं. उस ने सुकून के साथ अपना सिर मेरे सीने पर टिका दिया. मैं ने गाड़ी डा. संदीप के क्लीनिक की तरफ मोड़ ली. वे मेरे सहपाठी और जानेमाने मनोचिकित्सक हैं. यदि जरूरत महसूस हुई तो वे अनीता की काउंसलिंग कर उसे नई जिंदगी की बेहतर शुरुआत के लिए पूरी तरह तैयार कर देंगे.

रोज हील्स पहनने से मेरे टखनों में दर्द होता है, मैं क्या करूं ?

सवाल

मैं 24 साल की हूं और मौडलिंग करती हूं. रोज हील्स पहननी पड़ती हैं. मेरे टखनों में दर्द होता है. क्या इस से मेरे पोश्चर पर असर पड़ेगा?

जवाब

टखनों में चाहे हलका दर्द हो या ज्यादा, जब भी ऐसा हो तब सतर्क जरूर हो जाएं. टखनों में दर्द का सामान्य कारण चोट या खिंचाव हो सकता है, पर आर्थ्राइटिस भी इस की वजह हो सकती है. इस से आप के पोश्चर पर असर पड़ सकता है. लेकिन आप रोज व्यायाम करती हैं तो धीरेधीरे दर्द ठीक भी हो सकता है. आप कम से कम 20 मिनट तक टखने पर बर्फ की पोटली रख कर भी दर्द से राहत पा सकती हैं. ऐसा 3 दिन तक दिन में 3 बार करें.

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हाई हील सताए तो अपनाएं ये उपाय

फैशन और ग्लैमर वर्ल्ड की ओर आकर्षित महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखे बिना ही किसी भी प्रकार की हाई हील पहनने लगती हैं. एक सर्वेक्षण के मुताबिक हाई हील पहनने वाली 90% महिलाएं घुटनों, कमर, कूल्हों, कंधों और जोड़ों के दर्द से परेशान रहती हैं.

और्थोपैडिक सर्जन हमेशा हाई हील पहनने से होने वाली इन परेशानियों से महिलाओं को अवगत कराते हैं. पर महिलाएं इस पर ध्यान न दे कर हाई हील पहनती हैं. फलस्वरूप वे जोड़ों में दर्द, नसों में खिंचाव, कमर के आसपास चरबी बढ़ना आदि समस्याओं से ग्रस्त हो जाती हैं. कई बार तो कम उम्र में ही नी कैप बदलने तक की नौबत आ जाती है.

इस बारे में मुंबई के और्थोफिट के मोबिलिटी कंसलटैंट और पीडियाट्रीशियन, जो 15 सालों से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं, कहते हैं कि 10 में से 1 महिला सप्ताह में कम से कम 3 बार हाई हील पहनती है. इस से एडि़यां ऊंची हो जाती हैं, जिस से शरीर का झुकाव आगे की ओर हो जाता है. फलस्वरूप शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है. पंजों एवं एडि़यों में दर्द के अलावा पीठ दर्द, नसों में खिंचाव, घुटनों में दर्द जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं.

हाई हील सोचसमझ कर खरीदें

अब महिलाएं हील न पहनें ऐसा तो मुमकिन ही नहीं, लेकिन वे परेशानियों से बचने के लिए इन बातों पर ध्यान दें:

– हाई हील कम से कम पहनें.

– 1 से डेढ़ इंच की हाई हील पहनने में कोई हरज नहीं पर 4-5 इंच की पहने पर परेशानी होती है. अत: 4-5 इंच की हाई हील कभीकभार ही पहनें.

– कम समय के लिए शौपिंग पर जाती हैं, तो हील पहन सकती हैं. शौपिंग मौल में जाते समय हील पहनने से बचें.

– घूमनेफिरने जाते समय हाई हील कभी न पहनें.

– पैंसिल हील से आप के पैरों पर शरीर का वजन बढ़ता है, जिस से कमर और हिप्स में दर्द होता है. अत: इन्हें कम पहनें.

– औफिस में पूरा दिन हाई हील न पहनें. बीचबीच में उन्हें उतार दें.

– हमेशा हील शाम को ही खरीदें, क्योंकि पूरा दिन काम करने के बाद शाम तक पैरों का आकार थोड़ा बढ़ जाता है.

– हील खरीदते समय ध्यान दें कि वे कंफर्टेबल हैं या नहीं. फैंसी फुटवियर पर न जाएं. कोई भी ब्रैंड यह दावा नहीं कर सकता कि उस की हाई हील पहनने पर पैरों में दर्द न होगा.

– कभी औनलाइन हील की खरीदारी न करें.

– पैरों के दर्द को कभी सहन न करें. उसे व्यायाम या चिकित्सा से दूर करें. 

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या हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- sampadak@delhipress.biz सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

क्या आप जानती हैं ? पुरुषों को कौनसी बातें नहीं आती पसंद

वसु शादी के बाद से ही दिनेश को अपने इशारे पर नचाने की कोशिश करती रही. दिनेश कई बार तो उस की बात मान जाते तो कई बार इनकार भी कर देते. ऐसा होने पर दोनों में खूब झगड़ा होता. वसु ने एक बार तो अलमारी नहीं खरीदने पर फिनाइल तक पी डाला.

हर पत्नी चाहती है कि उस का पति उस के इशारों पर नाचता रहे, लेकिन पति के दिल के करीब पहुंचने के लिए यह भी जरूरी है कि पत्नी उन की पसंदनापसंद को भी जाने. यदि वह उन पहलुओं पर भी गौर करे कि पति किन बातों से चिढ़ते और नफरत करते हैं, तो पत के दिल पर राज करने का रास्ता आसान हो जाएगा. मैरिज काउंसलर एन.के. सूद क मुताबिक पतिपत्नी में हमेशा प्यार और अपनापन बना रहे इस के लिए जरूरी है इन बातों पर ध्यान देना:

1. जब आजादी न मिले

पति हर वक्त पत्नी के पल्लू से बंध कर रहना पसंद नहीं करते, लेकिन कई जगह ऐसा करने के लिए उन्हें बाध्य किया जाता है. आर.के. पुरम में रहने वाली रूमा यही चाहती है कि राकेश हर समय उस के पल्लू से बंध कर रहें. वह खुद औफिस जाती है, लेकिन रिटायर्ड पति से चाहती है कि जब वह औफिस के लिए जाए तो राकेश दरवाजा बंद करें और जब वह औफिस से वापस आए तो राकेश उस के लिए दरवाजा खोलें.

राकेश पारिवारिक जिम्मेदारी निभाने के लिए ऐसा करते हैं लेकिन कभीकभी वे चंद घंटों के लिए घर से निकल ही जाते हैं. इतना ही नहीं, राकेश का कहना है कि वे दोस्तों के साथ मौजमस्ती करने की आजादी चाहते हैं, इसलिए अकसर वे जयपुर चले जाते हैं जहां कुछ दिन रह कर हर तरह के मौजमस्ती का आनंद लेते हैं.

औफिस से जरा देर से लौटते ही प्रश्नों की बौछार करना, छुट्टी वाले दिन पूरे समय घर में बैठे रहने की जिद करना पुरुष के नफरत का ही कारण बनता है. पुरुष भी कुछ समय अपनी इच्छानुसार  बिताना चाहते हैं. उस पर भी पत्नी का हावी रहना उन को नागवार गुजरता है. वे कुछ कह तो नहीं पाते, लेकिन खुद को ठगा सा महसूस करते रहते हैं. ऐसे पति अकसर घर से बाहर दूसरे संबंध बनाते हुए नहीं झिझकते हैं.

2. जब मांगों की लिस्ट हो लंबी

वसु की सिर्फ इस मांग पर दिनेश ने यह किया कि उस ने अलमारी लेने के लिए मना कर दिया. वसु ने घर जा कर फिनाइल की पूरी बोतल पी ली तो डाक्टर को बुलाना पड़ा. दिनेश कई दिन तक परेशान रहे. कई पति यह कहते हैं कि उन की पत्नियां अत्याधुनिक फ्लैट, शानदार गाड़ी, फाइवस्टार होटल में पार्टी, गहने, कपड़े आदि की मांग बारबार कर के उन्हें परेशान करती रहती हैं. इस के लिए पति पर ज्यादा कमाई के लिए दबाव डालना या दूसरों से उस की तुलना करते रहना उस को अकसर चिड़चिड़ा बना देता है.

3. जब पत्नी कनफ्यूज करे

मनोवैज्ञानिक डा. प्रकाश का कहना है कि बहुत बार पत्नियां जो कहती हैं, वह उन की बौडी लैंग्वेज के ठीक विपरीत होता है यानी जबान पर कुछ और दिल में कुछ और होता है. वे चाहती हैं कि उन के दिल की बात को समझा जाए. लेकिन पत्नी द्वारा कही गई बात एवं उन के हावभाव में तालमेल न होने से पति अकसर असमंजस की स्थिति में हो जाते हैं. यहीं से समस्या खड़ी होनी शुरू होती है. पत्नी के ऐसे व्यवहार से पति नफरत करते हैं.

4. जब बातबात पर निकलें आंसू

डा. प्रकाश की मानें तो पत्नियों का किसी भी बात को ले कर हर समय रोना पति को उकता देता है. अकसर पत्नियां पति का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए छोटीछोटी चालों का सहारा लेने लगती हैं. लेकिन जरा सी बात का बतंगड़ बना कर जल्दी ही परेशान हो कर रोने लग जाना पति को पसंद नहीं होता है.

5. जब पत्नी रहे अस्तव्यस्त

डा. दिनेश के मुताबिक अकसर देखा जाता है कि शादी के कुछ समय बाद ही महिलाएं अपनी वेशभूषा के प्रति लापरवाह हो जाती हैं. गुडि़या सी दिखने वाली महिला की मुसकराहट कहीं गायब हो जाए और पूरे दिन मैक्सी पहने और छोटा सा जूड़ा बनाए घूमती रहे, तो पति को कोफ्त होना लाजिम है. घर के कामकाज का रोना रोते हुए अस्तव्यस्त कपड़ों और बिखरे बालों वाली महिला को पुरुष पसंद नहीं करते हैं.

6. जब सैक्स बने हथियार

सैक्स सुखी वैवाहिक जीवन का अहम पहलू है. महिलाएं सैक्स को हथियार की तरह इस्तेमाल करती हैं. मनमुटाव या अपनी मांग पूरी करवाने के लिए सैक्स को हथियार की तरह इस्तेमाल करना पुरुष पसंद नहीं करते. सैक्स के मामले में पत्नी का उत्साहित न होना, हमेशा बेरुखी से पेश आना या बिस्तर पर ठंडा होना भी पति पसंद नहीं करते हैं. सैक्स के प्रति खुलापन ही पति बिस्तर पर पसंद करते हैं.

फैमिली के लिए बनाएं हैल्दी और टेस्टी सूजी की खिचड़ी, ट्राई करें ये रेसिपी

चावल-दाल की खिचड़ी, साबुदाने की खिचड़ी तो आप सब बड़े चाव से खाते होंगे, लेकिन क्या आपने कभी सूजी की खिचड़ी के बारे में सुना है या खाया है. बेहद स्वादिष्ट होता है ये स्पेशल खिचड़ी. तो चलिए जानते हैं इसे बनाने की विधि.

सामग्री

सूजी – ¼ कप

घी – 2 टेबल स्पून

शिमला मिर्च – 2 से 3 टेबल स्पून (बारीक कटी हुई)

टमाटर – 2 से 3 टेबल स्पून (बारीक कटे हुए)

हरी मटर – 2 टेबल स्पून

जीरा – ½ छोटी चम्मच

करी पत्ता – 7 से 8

हल्दी पाउडर – ¼ छोटी चम्मच से कम

अदरक – ¼ इंच टुकडा़ (बारीक कटा हुआ)

हरी मिर्च – 2 बारीक कटी हुई

नमक – स्वादानुसार

विधि

खिचड़ी बनाने के लिए सबसे पहले सूजी को भूनकर तैयार कर लीजिए. इसके लिए पैन में 2 छोटी चम्मच घी डालकर गरम कीजिए. घी में सूजी डाल दीजिए और सूजी को लगातार चलाते हुए हल्का गोल्डन ब्राउन होने तक मध्यम आंच पर भून लीजिए.

भुनी सूजी को प्लेट में निकाल लीजिए. इसके बाद, पैन में 2 छोटी चम्मच घी डालकर गरम कीजिए. घी के गरम होने पर गैस धीमी करके घी में जीरा डालकर चटखा लीजिए.

जीरा भुनने पर करी पत्ता, बारीक कटा हुआ अदरक और बारीक कटी हुई हरी मिर्च डालकर हल्का भून लीजिए. इसके बाद हल्दी पाउडर डालकर मसालों को हल्का सा और भून लीजिए.

मसाले भुन जाने के बाद, इसमें हरी मटर के दाने डाल दीजिए और इसे लगातार चलाते हुए भून लीजिए. मटर के हल्का भुन जाने पर इसमें बारीक कटी हुई शिमला मिर्च और टमाटर डालकर सब्जियों को 1 से 2 मिनिट लगातार चलाते हुए हल्की क्रन्ची होने तक पका लीजिए.

सब्जियों के क्रन्ची होने के बाद, इनमें 1.5 कप पानी डाल दीजिए. साथ ही भुनी हुई सूजी और नमक डाल सभी चीजों को अच्छे से मिलने तक मिक्स कर लीजिए. पैन को ढककर सूजी को धीमी आंच पर 3 मिनिट के लिए फूलने तक पकने दीजिए.

खिचडी़ को चैक कीजिए. सूजी के अच्छे फूलने के साथ ही, खिचडी़ पककर तैयार हो गई है. इसे बिना ढके लगातार चलाते हुए 1 मिनिट और पका लीजिए. खिचडी़ के अच्छा गाढां होने पर यह पककर तैयार है, गैस बंद कर दीजिए तथा खिचडी़ को प्याले में निकाल लीजिए.

स्वाद से भरपूर हेल्दी सूजी की खिचडी़ के ऊपर 1 चम्मच घी डालकर इसकी गार्निशिंग कर दीजिए. इस लाज़वाब खिचड़ी को गरमागरम ऎसे ही खाइए.

लिस्ट : क्या सच में रिया का कोई पुरुष मित्र था?

संडे के दिन लंच के बाद मैं सारे काम निबटा कर डायरी उठा कर बैठ गई. मेहमानों की लिस्ट भी तो बनानी थी. 20 दिन बाद हमारे विवाह की 25वीं सालगिरह थी. एक बढि़या पार्टी की तैयारी थी.

आलोक भी पास आ कर बैठ गए. बोले, ‘‘रिया, बच्चों को भी बुला लो. एकसाथ बैठ कर देख लेते हैं किसकिस को बुलाना है.’’

मैं ने अपने युवा बच्चों सिद्धि और शुभम को आवाज दी, ‘‘आ जाओ बच्चो, गैस्ट लिस्ट बनानी है.’’

दोनों फौरन आ गए. कोई और काम होता तो इतनी फुरती देखने को न मिलती. दोनों कुछ ज्यादा ही उत्साहित थे. अपने दोस्तों को जो बुलाना था. डीजे होगा, डांस करना है सब को. एक अच्छे होटल में डिनर का प्लान था.

मैं ने पैन उठाते हुए कहा, ‘‘आलोक, चलो आप से शुरू करते हैं.’’

‘‘ठीक है, लिखो. औफिस का बता देता हूं. सोसायटी के हमारे दोस्त तो कौमन ही हैं,’’ उन्होंने बोलना शुरू किया, ‘‘रमेश, नवीन, अनिल, विकास, कार्तिक, अंजलि, देविका, रंजना.’’

आखिर के नाम पर मैं ने आलोक को देखा तो उन्होंने बड़े स्टाइल से कहा, ‘‘अरे, ये भी तो हैं औफिस में…’’

‘‘मैं ने कुछ कहा?’’ मैं ने कहा.

‘‘देखा तो घूर कर.’’

‘‘यह रंजना मुझे कभी पसंद नहीं आई.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘तुम जानते हो, उस का इतना मटकमटक कर बा करना, हर पार्टी में तुम सब कुलीग्स के गले में हाथ डालडाल कर बातें करना बहुत बुरा लगता है. ऐसी उच्छृंखल महिलाएं मुझे कभी अच्छी नहीं लग सकतीं.’’

‘‘रिया, ऐसी छोटीछोटी बातें मत सोचा करो. आजकल जमाना बदल गया है. स्त्रीपुरुष की दोस्ती में ऐसी छोटीछोटी बातों पर कोई ध्यान नहीं देता… अपनी सोच का दायरा बढ़ाओ.’’

मैं चुप रही. क्या कहती. आलोक के प्रवचन सुन कर कुछ कटु शब्द कह कर फैमिली टाइम खराब नहीं करना चाहती थी. अत: चुप ही रही.  फिर मैं ने शुभम से कहा, ‘‘अब तुम लिखवाओ अपने दोस्तों के नाम.’’

शुभम शुरू हो गया, ‘‘रचना, शिवानी, नव्या, अंजलि, टीना, विवेक, रजत, सौरभ…’’

मैं बीच में ही हंस पड़ी, ‘‘लड़कियां कुछ ज्यादा नहीं हैं लिस्ट में?’’

‘‘हां मौम, खूब दोस्त हैं मेरी,’’ कह वह और भी नाम बताता रहा और मैं लिखती रही.

‘‘यह हमारी शादी की सालगिरह है या तुम लोगों का गैट टु गैदर,’’ मैं ने कहा.

‘‘अरे मौम, सब वेट कर रहे हैं पार्टी का… नव्या और रचना तो डांस की प्रैक्टिस भी करने लगी हैं… दोनों सोलो परफौर्मैंस देंगी.’’

सिद्धि ने कहा, ‘‘चलो मौम, अब मेरे दोस्तों के नाम लिखो- आशु, अभिजीत, उत्तरा, भारती, शिखर, पार्थ, टोनी, राधिका.’’

उस ने भी कई नाम लिखवाए और मैं लिखती रही. शुभम ने उसे छेड़ा, ‘‘देखो मौम, इस की लिस्ट में भी कई लड़के हैं न?’’

सिद्धि ने कहा, ‘‘चुप रहो, आजकल सब दोस्त होते हैं. हम लोग पार्टी का टाइम पूरी तरह ऐंजौय करने वाले हैं… आप देखना मौम आशु कितना अच्छा डांसर है.’’ इसी बीच आलोक को औफिस की 2 और लड़कियों के नाम याद आ गए. मैं ने वे भी लिख लिए.

‘‘हमारे दोस्तों की लिस्ट तो बन गई मौम. लाओ, मुझे डायरी और पैन दो मैं आप की फ्रैंड्स के नाम लिखूंगी,’’ सिद्धि बोली.

‘‘अरे, तुम्हारी मम्मी की लिस्ट तो मैं ही बता देता हूं,’’ मैं कुछ कहती उस से पहले ही आलोक बोल उठे तो मैं मुसकरा दी.

आलोक बताने लगे, ‘‘नीरा, मंजू, नीलम, विनीता, सुमन, नेहा… कुछ और भी होंगी किट्टी पार्टी की सदस्याएं… हैं न?’’  तब मैं ने 4-5 नाम और बताए. फिर अचानक कहा, ‘‘बस एक नाम और लिख लो, शरद.’’

‘‘यह कौन है?’’ तीनों चौंक उठे.

‘‘मेरा दोस्त है.’’

‘‘क्या? कभी नाम नहीं सुना… कौन है? इसी सोसायटी में रहता है?’’

तीनों के चेहरों के भाव देखने लायक थे.

आलोक ने कहा, ‘‘कभी तुम ने बताया नहीं. मुझे समझ नहीं आ रहा कौन है?’’

‘‘बताने को तो कुछ खास नहीं है. ऐसे ही कुछ दोस्ती है… मेरा मन कर रहा है कि मैं उसे भी सपरिवार इस पार्टी में बुला लूं. इसी सोसायटी में रहता है. 1 छोटी सी बेटी है. कई बार उसे सपरिवार घर बुलाने की सोची पर बुला नहीं पाई. अब पार्टी है तो मौका भी है… तुम लोगों को अच्छा लगेगा उस से मिल कर. अच्छा लड़का है.’’  तीनों को तो जैसे सांप सूंघ गया. माहौल एकदम  बदल गया. एकदम हैरत भरा, गंभीर माहौल.

आलोक के मुंह से फिर यही निकला, ‘‘तुम ने कभी बताया नहीं.’’

‘‘क्या बताना था… इतनी बड़ी बात नहीं थी.’’

‘‘कहां मिला तुम्हें यह?’’

‘‘लाइब्रेरी में मिल जाता है कभीकभी. मेरी तरह ही पढ़नेलिखने का शौकीन है… वहीं थोड़ी जानपहचान हो गई.’’

‘‘उस की पत्नी से मिली हो?’’

‘‘बस उसे देखा ही है. बात तो कभी नहीं हुई. अब सपरिवार बुलाऊंगी तो मिलना हो जाएगा.’’

शुभम ने कहा, ‘‘मौम, कुछ अजीब सा लग रहा है सुन कर.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘पता नहीं मौम, आप के मुंह से किसी मेल फ्रैंड की बात अजीब सी लग रही है.’’

सिद्धि ने भी कहा, ‘‘मौम, मुझे भी आप से यह उम्मीद तो कभी नहीं रही.’’

‘‘कैसी उम्मीद?’’

‘‘यही कि आप किसी लड़के से दोस्ती करेंगी.’’

‘‘क्यों, इस में इतनी नई क्या बात है? जमाना बदल गया है न. स्त्रीपुरुष की मित्रता तो सामान्य सी बात है न. मैं तो थोड़ी देर पहले आप लोगों के विचार सुन कर खुश हो रही थी कि मेरा परिवार इतनी आधुनिक सोच रखता है, तो मेरे भी दोस्त से मिल कर खुश होगा.’’

अभी तक तीनों के चेहरे देखने लायक थे. तीनों को जैसे कोई झटका लगा था.  आलोक ने अचानक कहा, ‘‘अभी थोड़ा लेटने का मन हो रहा है. बच्चो, तुम लोग भी अपना काम कर लो. बाकी तैयारी की बातें बाद में करते हैं.’’  बच्चे मुंह लटकाए हुए चुपचाप अपने  रूम में चले गए. आलोक ने लेट कर आंखों पर हाथ रख लिया. मैं वहीं बैठेबैठे शरद के बारे में सोचने लगी…  साल भर पहले लाइब्रेरी में मिला था. वहीं थोड़ीबहुत कुछ पुस्तकों पर, पत्रिकाओं पर बात होतेहोते कुछ जानपहचान हो गई थी. वह एक स्कूल में हिंदी का टीचर है. उस की पत्नी भी टीचर है और बेटी तो अभी तीसरी क्लास में  ही है. उस का सीधासरल स्वभाव देख कर ही उस से बात करने की इच्छा होती है मेरी. कहीं कोई अमर्यादित आचरण नहीं. बस, वहीं खड़ेखड़े कुछ साहित्यिक बातें, कुछ लेखकों का जिक्र, बस यों ही आतेजाते थोड़ीबहुत बातें… मुझे तो उस का घर का पता या फोन नंबर भी नहीं पता… उसे बुलाने के लिए मुझे लाइब्रेरी के ही चक्कर काटने पड़ेंगे.

खैर, वह तो बाद की बात है. अभी तो मैं अपने परिवार की स्त्रीपुरुष मित्रता पर आधुनिक सोच के डबल स्टैंडर्ड पर हैरान हूं. शरद का नाम सुन कर ही घर का माहौल बदल गया. मैं कुछ हैरान थी. मैं तो कितनी सहजता से तीनों के दोस्तों की लिस्ट बना रही थी. मेरी लिस्ट में एक लड़के का नाम आते ही सब का मूड खराब हो गया. पहले तो मुझे थोड़ी देर तक बहुत गुस्सा आता रहा, फिर अचानक मेरा दिल कुछ और सोचने लगा.

इन तीनों को मेरे मुंह से एक पुरुष मित्र का नाम सुन कर अच्छा नहीं लगा… ऐसा क्यों हुआ? वह इसलिए ही न कि तीनों मुझे ले कर पजैसिव हैं तीनों बेहद प्यार करते हैं मुझ से, जैसेजैसे मैं इस दिशा में सोचती गई मेरा मन हलका होता गया. कुछ ही पलों में डबल स्टैंडर्ड के साथसाथ मुझे इस बात में भी बहुत सा स्नेह, प्यार, सुरक्षा, अधिकार की भावना महसूस होने लगी. फिर मुझे किसी से कोई शिकायत नहीं रही. मुझे कुछ हुत अच्छा लगा.  अचानक फिर तीनों के साथ बैठने का मन हुआ तो मैं ने जोर से  आवाज दी, ‘‘अरे, आ जाओ सब. मैं तो मजाक कर रही थी. मैं तो तुम लोगों को चिढ़ा रही थी.’’

आलोक ने फौरन अपनी आंखों से हाथ हटाया, ‘‘सच? झूठ क्यों बोला?’’

बच्चे फौरन हाजिर हो गए, ‘‘मौम, झूठ  क्यों बोला?’’

‘‘अरे, तुम लोग इतनी मस्ती, मजाक करते रहते हो, तो क्या मैं नहीं तुम्हें चिढ़ा सकती?’’

सिद्धि ने फरमाया, ‘‘फिर भी मौम, ऐसे मजाक भी न किया करें… बहुत अजीब लगा था.’’

शुभम ने भी हां में हां मिलाई, ‘‘हां मौम, मुझे भी बुरा लगा था.’’

आलोक मुसकराते हुए उठ कर बैठ चुके थे, ‘‘तुम ने तो परेशान कर दिया था सब को.’’

अब फिर वही पार्टी की बातें थीं और  मैं मन ही मन अपने सच्चेझूठे मजाक पर मुसकराते हुए बाकी तैयारी की लिस्ट में व्यस्त हो गई. लेकिन मन के एक कोने में शरद की याद और ज्यादा पुख्ता हो गई. उसे तो किसी दिन बुलाना ही होगा. मैरिज ऐनिवर्सरी पर नहीं तो किसी और दिन.

अनन्या पांडे ने रिलेशनशिप स्टेटस पर तोड़ी चुप्पी, ‘खुद को बताया मिस्टीरियस’

‘स्टूडेंट औफ द ईयर’ फिल्म से अभिनय की शुरुआत करने वाली स्वीट और गौर्जियस एक्ट्रेस अनन्या पांडे ने काफी कम समय में फिल्म जगत में अपनी पहचान बनाई. लेकिन इन दिनों वो अपनी पर्सनल लाइफ के कारण सुर्खियों में छाई हुई है. लंबे समय से चर्चा है कि अनन्या फौर्मल अमेरिकन मौडल वाकर ब्लैंको को डेट कर रही है. अब उन्होंने वाकर ब्लैंको संग रिश्ते पर पहली बार तोड़ी चुप्पी!

रिश्ते पर पहली बार तोड़ी चुप्पी-

अपनी वेब सीरीज ‘कौल मी बे’ के प्रमोशन में बिजी अनन्या पांडे ने हाल ही में खुलासा किया है कि उनके पार्टनर में ये सब क़्वालिटी होनी चाहिए. जो उनके सपनों को सपोर्ट करे और उन्हें मोटिवेट करे. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे पार्टनर को पाना कितना मुश्किल है, जो वास्तव में यंग कामकाजी महिला को उसके सपनों को पूरा करने में मदद करे. अनन्या एक ऐसे इंसान की तलाश में भी हैं, जो उन्हें हंसाए और सबसे बढ़कर एक अच्छा दोस्त हो.

खुद को बताया मिस्टीरियस

आपको बता दे कुछ दिनों पहले न्यूज आई थी कि वो एक्स मौडल वाकर ब्लैंकों को डेट कर रही हैं. अब उन्होंने एक इंटरव्यू में अपने रिलेशनशिप स्टेटस पर चुप्पी तोड़ी है और खुद को मिस्टीरियस बताया है.
एक फैन ने जब उनसे रिलेशनशिप स्टेटस और उनका पार्टनर कैसा होना चाहिए, तो अनन्या ने जवाब में कहा, ‘आह, मिस्टीरियस (रहस्यमयी) .इसके बाद वो आगे कहती हैं, ‘तो, पहला पार्ट एक रहस्य होने वाला है, क्योंकि जैसा कि मैंने कहा कि मैं एक रहस्यमयी इंसान हूं.’

सरे आम प्यार का इजहार-

एक्ट्रेस अनन्या पांडे का कहना है, ‘अगर मैं किसी से प्यार करती हूं, मैं किसी के साथ हूं तो मैं इसे जगजाहिर करना चाहूंगी. मैं रिलेशनशिप को सेलिब्रेट करने में यकीन करती हूं, उन्हें छिपाने में नहीं, लेकिन मैं ये भी समझती हूं कि अगर आपका पार्टनर दुनिया के सामने नहीं आना चाहता है तो उसके बारे में सबको बताना गलत होगा.

कौन है वाकर ब्लैंको

वाकर ब्लैंको यूएस के रहने वाले हैं एक्स मॉडल है और इस समय गुजरात के जामनगर में एनिमल सेंटर वंतारा के लिए काम कर रहे हैं. इसके मालिक अनंत अंबानी हैं. उनकी सोशल मीडिया प्रोफाइल से पता चलता है कि वो मूल रूप से शिकागो, इलिनोइस से हैं और अब मियामी, फ्लोरिडा में रहते हैं.

वाकर ब्लैंको से मुलाकात-

अनन्या और वाकर ब्लैंको की मुलाकात अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की शादी में हुई थी. यहां पर अनन्या ने सभी से वाकर को अपना पार्टनर कहकर मिलवाया था. दोनों को शादी में एक साथ डांस करते भी देखा गया था उसके बाद से ही अनन्या और वाकर की डेटिंग की खबरें वायरल होना शुरू हो गई थी.
वाकर ब्लैंको से पहले अनन्या का नाम आदित्य राय कपूर के साथ भी जुड़ा था. दोनों की कई ऐसी फोटोज और न्यूज सामने आई थीं, जिनमें दोनों गुपचुप तरीके से अपने प्यार का इजहार करते दिखे थे. बाद में दोनो का ब्रेकअप हो गया.

अनन्या का वर्कफ्रंट

अनन्या को हाल ही में रिलीज वेब सीरीज ‘कौल मी बे’ में देखा गया. और अब जल्द ही विक्रमादित्य मोटवानी की ‘सीटीआरएल’ में देखा जाएगा. जो 4 अक्टूबर 2024 को ओटीटी प्लेटफौर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होगी.

मेरे हसबैंड शक्की स्वभाव के हैं, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल

मेरी शादी को 3 साल हुए हैं. मेरे पति मुझसे प्यार करते हैं, लेकिन उनकी यह समस्या है कि मैं घर में उनके भाई या किसी रिश्तेदार से भी बात कर लूं, तो वह मुझ पर शक करने लगते हैं. मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूं, लेकिन उनकी यह रवैय्या मुझे अच्छी नहीं लगती है. यहां तक कि किसी का फोन भी आता है, तो वो पूछते रहते हैं कि किस का फोन आया था, किससे बात कर रहे थे. ये मुझे अच्छा नहीं लगता है. मैं अपनी जिंदगी ऐसे नहीं बिता सकती. आप ही बताएं, इस स्थिति में मैं क्या करूं ?

जवाब

देखिए, शक की कोई दवा नहीं होती. अगर आपके पति आप पर शक करते हैं, तो यह बहुत ही छोटी सोच है. लड़का-लड़की आपस में बात करें, तो इसका मतलब ये नहीं होता है वो गलत संबंध में है. आजकल तो लड़के-लड़कियां कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है और आपके हसबैंड की सोच कुछ और ही है.

हालांकि आप अपने हसबैंड की शक्की स्वभाव को बदल सकती हैं. आप उन्हें यकिन दिलाएं कि आप सिर्फ उनसे प्यार करती हैं. जहां विश्वास होता है, वहां शक की गुंजाइश नहीं होती. आप उनकी तारिफ करें. आप उनसे ये भी कहे कि आप उनके अलावा किसी और के बारे में नहीं सोच सकती हैं. हो सकता है आपका व्यवहार उनके शक्की स्वभाव को बदल सकता है.

जब हसबैंड हो शक्की, तो फौलो करें ये टिप्स

  • पार्टनर के साथ क्वालिटी टाइम जरूर बिताएं.
  • आप उन्हें अपने फ्रैंड्स के ग्रुप में भी शामिल कर सकती है.
  • पार्टनर जब आप पर शक करता है, तो उस पर गुस्सा करने के बजाय प्यार से उसकी जवाब दें.
  • हसबैंड को अपने फ्रैंड्स से मिलवाएं. उन्हें समझाएं कि वे आप के फ्रैंड्स हैं और आप के लिए महत्त्वपूर्ण है.
  • अगर हसबैंड आप के फ्रैंड्स को समझेंगे उतना ही कम शक करेंगे.

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अलका लांबा, नवनीत राणा, कंगना रानौत, डिंपल यादव हैं स्टाइलिश महिला लीडर्स

भारत में महिलाएं किसी अहम पद पर हो तो यह बेहद ही गर्व की बात होती है. संसद में या विधानसभा में महिलाओं का होना सामनाता को दिखाता है. देश में ऐसी कई महिला नेता हैं जो मंत्री पद पर भी हैं. कई ऐसी महिला नेता भी हैं जो अपने भाषणों के साथसाथ अपनी खूबसूरती के लिए भी जानी जाती हैं. सुंदरता के मामले में वे किसी फिल्मी एक्ट्रैस से कम नहीं दिखती है, वहीं कुछ महिला नेता अपनी सादगी के लिए मशहूर हैं . आज ऐसे ही महिला नेताओं की बात करेंगे जो अपनी खूबसूरती के लिए भी फैमस हैं.

महुआ मोइत्रा का शानदार रहा है लाइफस्टाइल

महुआ मोइत्रा काफी स्टाइलिश हैं और अकसर चर्चा में रहती हैं. वह काफी यंग और फिट दिखती हैं. उनका लाइफस्टाइल भी किसी फिल्मी हीरोइन से कम नहीं है. महुआ मोइत्रा के करियर की बात करें, तो साल 2009 में उन्होंने जेपी मौर्गन में वाइस प्रेसीडेंट की नौकरी छोड़ी और कांग्रेस की सदस्यता लेकर अपना राजनीति करियर शुरू किया था. पर साल भर बाद ही उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कहकर तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इस बार उन्होंने तृणमूल कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ा और जींती भी.

महुआ मोइत्रा की लाइफस्टाइल की बात करें, तो उन्हें फ्लैट चप्पलें बिलकुल पसंद नहीं है, इसकी जगह वह हाई हील्स पहनना पसंद करती हैं . वह आंखों में बौबी ब्राउन के आईलाइनर लगाती हैं जो कि बेहद मशहूर ब्रांड है. मोइत्रा को स्टाइलिश और ब्रांडैड हैंडबैग्स का शौक है. वह अकसर अपने साथ Louis Vuitton के हैंडबैग्स कैरी करती हैं जो पिछले दिनों काफी चर्चा में भी रहा था.
इन बैग्स की कीमत लाखों में होती है. महुआ मोइत्रा के पास लगभग ढाई करोड़ रुपये की प्रौपर्टी है. इसमें डेढ़ करोड़ रुपये से ज्यादा के तो गहने ही हैं. इसके अलावा उनके पास एक महिंद्रा की स्कौर्पियो कार भी है.

कंगना रानौत को मिल चुका है नेशनल अवार्ड

बौलीवुड एक्ट्रैस और भाजप नेता कंगना रनौत की खूबसूरती और स्टाइल से तो सभी वाकिफ हैं. उन्होंने पहले फिल्मों में बतौर एक्ट्रैस दमदार एक्टिंग से लोगों का दिल जीता और अब पौलिटिक्स में कदम रख कर यह साबित किया है कि उनमें वाकई दम है. कंगना रनौत भी खूबसूरत महिला नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं . कंगना को फिल्म इंडस्ट्री में ही काफी स्टाइलिश माना जाता है. पौलिटिक्स के गलियारों में उन्हें साड़ी में देखा जाता है लेकिन उनका साड़ी पहनने का अंदाज ही काफी स्टाइलिश है. वह ज्यादातर समय कौटन साड़ी कैरी करती हैं. चेहरे पर सिंपल मेकअप रहता है साथ ही उनके गौग्लस उनकी खूबसूरती में चार चांद लगा देते हैं.

फिल्मस्टार से कम नहीं अलका लांबा का जलवा

महिला लीडर अलका लांबा का स्टाइल किसी फिल्म स्टार से कम नहीं है, इनको हमेशा से ही लाइलाइट में रहना पसंद रहा है. अलका लांबा ने दिल्ली के लोकेश कपूर से शादी की थी लेकिन कुछ सालों बाद दोनों अलग हो गए. अलका का एक बेटा है जिसका नाम ऋतिक है. अलका हमेशा से ही लेकिन स्टाइलिश रही हैं. बता दें, अलका कांग्रेस की महिला मंत्री है. अलका को भी ज्यादातर समय साड़ी में देखा जा सकता है. ज्यादातर समय उनके चेहरे पर स्माइल होती है. चेहरे पर एक बिंदी भी लगाती हैं और बालों को स्ट्रैट ही रखती हैं.

अलंका लांबा दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रहा चुकी हैं. वह दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के पूर्व महासचिव और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व सचिव भी हैं. अलका लाम्बा एक गैर सरकारी संगठन “गो इंडिया फाउंडेशन” के भी अध्यक्ष हैं.

सादगी और सौम्यता की मिसाल है डिंपल यादव

मैनपुरी लोकसभा सीट से सांसद और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की पत्नी डिपंल यादव खूबसूरती में सभी महिला नेताओं को टक्कर देती हैं. राजनीतिक मुद्दों के साथसाथ डिंपल अपनी खूबसूरती को लेकर भी चर्चाओं में बनी रहती है. वह सिंपल लुक में भी बेहद सुंदर लगती हैं . उनका नाम देश की खूबसूरत सांसद में शामिल है. डिंपल को अकसर सिंपल साड़ी में ही देखा जाता है लेकिन परिवार के फंक्शन में वह बेहद अच्छे से तैयार होती हैं और मेकअप भी कैरी करती है. डिंपल की स्कूलिंग आर्मी पब्लिक स्कूल से हुई है. लखनऊ यूनिवर्सिटी से स्नात्तक की पढ़ाई की.

पहले फिल्म फिर राजनीति में आईं नवनीत राणा

नवनीत कौर भी पेशे से एक मंत्री है जो कभी फिल्मों में एक्ट्रैस और मौडल थी. एक वक्त था जब नवनीत ने मौडलिंग से लेकर फिल्मी पर्दे तक अपना जलवा बिखेरा था. इसके बाद में वह राजनीति में आ गईं. उनका नाम भी खूबसूरत महिला नेताओं में शामिल है .

नवनीत ने हिंदी, तेलुगु, कन्नड, मलयालम और पंजाबी की कई बड़ी फिल्मों में काम किया और फैन्स ने उनके काम को काफी सराहा भी है. फिल्मों को छोड़ नवनीत राणा ने राजनीति की दुनिया में कदम रखा. उन्होंने साल 2014 में एनसीपी के टिकट से अमरावती से लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत हासिल नहीं कर पाईं. नवनीत की खूबसूरती आज भी किसी एक्ट्रैस से कम नहीं है.

नवनीत कौर राणा का जन्म मुंबई में ही पंजाबी परिवार में हुआ था. नवनीत के पिता सैन्य अधिकारी थे. उन्होंने स्कूली शिक्षा मुंबई के ही कार्तिका हाई स्कूल से पूरी की है.

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