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लव हारमोंस लाएं बैडरूम में रोमांच, जानें इसके बारे में खास बातें

हमारे मन में तरहतरह की भावनाएं उत्पन्न होती रहती हैं. कभी क्रोध, कभी प्यार, कभी किसी के लिए ममता की भावनाएं उमड़ती हैं, कभी अनायास ही किसी से लड़ने का मन हो उठता है, तो कभी किसी मनपसंद व्यक्ति को देख कर उस के करीब आने का मन करने लगता है. इन सभी भावनाओं के पीछे हारमोंस काम करते हैं. हारमोंस के रिसाव से ही मन में अलगअलग फीलिंग्स आने लागती हैं. शरीर के अंदर होने वाली गतिविधियों का हमें ज्ञान नहीं होता है. हम सिर्फ उन्हीं भावनाओं को ऐंजौय करते रहते हैं जो ऊपर से दिखाई देती हैं. यहां हम शरीर के अंदर उठने वाली भावनाओं और उन के कारणों के विषय में विस्तार से बता रहे हैं.

जब इंसान के मन में कोई भी भावना पैदा होती है तो यह उस के चेहरे पर स्पष्ट दिखाई पड़ने लगती है सिर्फ बाहर ही नहीं, बल्कि शरीर के भीतर भी प्रतिक्रियाएं होती है जिस के परिणाम स्वरूप ‘हारमोन’ निकलते हैं जैसे जब किसी को गुस्सा आता है तो किसी अलग हारमोन का प्रवाह होता है, जब कोई खुश होता है तो डिफरैंट हारमोंस प्रवाहित होते हैं. इसी प्रकार जब शारीरिक संबंध या सैक्स की भावना मन में उठती है तो जो हारमोन प्रवाहित होता है वह एक भिन्न हारमोन प्रवाहित होता है.

आइए, आज हम इन ही अलगअलग भावनाओं में से एक विशेष भावना जो सैक्स संबंध के समय उत्पन्न होती है उस हारमोन के बारे में आप को बताते हैं. मन में शारीरिक संबंध उत्पन्न होने पर मुख्यत: इन 4 हारमोंस का रिसाव होता है- ‘डोपामाइन,’ ‘सैरोटोनिन,’ ‘ऐंडोरफिन’ और ‘औक्सिटोसिन.’ चूंकि ये चारों हारमोंस आनंद देते हैं तन और मन में खुशी और गुदगुदी प्रदान करते हैं इसलिए इन्हें प्लेजर हारमोंस या लव हारमोंस भी कहा जाता है.

कैसे पड़ा नाम

सब से पहले 1994 में इस विषय पर कैलीफौर्निया यूनिवर्सिटी के प्रोफैसर राबर्ट डब्ल्यू स्मिथ ने एक बुक लिखी थी, ‘ए टैक्स्ट बुक औन लव हारमोंस.’ इसी बुक में इन हारमोंस के गुणों के आधार पर इन्हें लव हारमोंस का नाम दिया था. इन चारों हारमोंस का रिसाव तभी होता है जब मन में कोई खुशी, आनंद या प्रेम की भावना उमड़ती है.

इसी विषय पर विस्तार से जानने के लिए मैं पुणे की अमनोरा कालोनी में अपना क्लीनिक चलाने वाली स्त्रीरोग विशेषज्ञा डाक्टर सुहासिनी बेंद्रे से मिला. मेरा प्रश्न सुन कर उन्होंने बड़ी गंभीरता से जवाब दिया, ‘‘जब भी कोई मनपसंद चीज प्राप्त होती है तो आप का मन खुश हो उठता है. यह पसंदीदा चीज कुछ भी हो सकती है.’’

‘‘आप पुरुष हो या नारी, जब भी अपने पार्टनर के करीब जाते हैं और मन में उस के साथ शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा हो रही हो तो मन इस की सूचना तुरंत मस्तिष्क को देता है. सूचना मिलते ही मस्तिष्क संबंधित ग्रंथियों को जागृत करने लगता है. इस प्रक्रिया को ‘सोमैटो सैंसौरी’ कहते हैं.

‘‘मस्तिष्क तुरंत ऐंडोक्राइन नामक ग्लाइंड को मैसेज भेजता है. इस के लिए वह ब्लड और टिशुओं का सहारा लेता है. नसों में बहते खून और टिशू के जरीए ये उन के विशेष अंगों को स्पर्श करते हैं और उन्हें जगाना शुरू कर देते हैं. ज्योंज्यों अंगों में जाग्रति आती है हारमोंस का प्रवाह भी बढ़ता जाता है. यह सब देख कर मस्तिष्क अगला आदेश देता है कि अब वह डोपामाइन नामक हारमोन को रिलीज कर दे. डोपामाइन के रिसाव होते ही तनमन दोनों में सिहरन होने लगती है.’’

हिम्मत देता है

‘‘ज्योंज्यों डोपामाइन का रिसाव बढ़ता जाता है धड़कनें तेज होने लगती हैं, अंगों में तनाव बढ़ता जाता है, रोमांटिक बातें शुरू हो जाती हैं जो दोनों पार्टनर को अच्छा लगने लगता है. उचित समय देख कर मस्तिष्क एक और आदेश देता है और सैरोटोनिन नामक हारमोन भेजने का आदेश देता है. ग्रंथियां सैरोटोनिन का रिसाव शुरू कर देती हैं. यह आप को हिम्मत प्रदान करता है. इस तरह दोनों पार्ट्नर्स इन हारमोन के कारण और करीब आ जाते हैं. दोनों के बीच किस और आलिंगन का आदानप्रदान शुरू हो जाता है और दोनों ही आगे बढ़ने लगते हैं.

‘‘दोनों पार्ट्नर्स के बीच अभी भी हिचकिचाहट रहती है. इस की सूचना जब मस्तिष्क को मिलती है तो वह तुरंत ग्रंथियों को आदेश देता है कि वह एक और हारमोन ऐंडोरफिन का रिलीज करे. इस का रिसाव होते ही मन के सारे संकोच पर से अंकुश हट जाता है. इन्हीं हारमोन की वजह से विशेष अंगों में पूर्ण से तनाव आ जाता है. शारीरिक संबंध के अंतिम भाग में पहुंच जाते हैं. मस्तिष्क का भी पूरी तरह से सहयोग रहता है. हारमोन की अधिक मात्रा देख कर मस्तिष्क तुरंत अपनी ग्रंथी को एक और हारमोन रिलीज करने की हिदायत देता है. ग्रंथी तुरंत इस का रिसाव शुरू कर देती है. इस हारमोन का नाम है औक्सिटोसिन जिस का मुख्य कार्य है पार्ट्नर्स की सैक्स प्रक्रिया की ओर अग्रसर करना, बोल्ड बनाना और मन के सारे विवेक को हर लेना. यहीं अच्छेबुरे का फर्क खत्म हो जाता है और बिना हिचक के दोनों सैक्स संबंध में रत हो जाते हैं.’’

एक सैक्स प्रक्रिया

डा. सुहासिनी ने आगे यह कह कर हमें चौंका दिया कि इन लव हारमोंस की वजह से ही 2 पार्ट्नर्स के बीच सैक्स प्रक्रिया होती है. इन के अनुसार बलात्कार या रेप जो होता है, उस प्रक्रिया में रेप करने वाले के साथसाथ कहीं न कहीं इन हारमोंस का भी उतना ही दोष होता है. यह लौजिक मैडिकली भले ही प्रूव हो जाए पर सामाजिक, कानूनन या मानवीय दृष्टिकोण से यह कदापि सही नहीं है.

इंदौर के मनोचिकित्सक प्रोफैसर डा. युवराज शिंदे ने बताया, ‘‘सैक्स संबंध पूर्णत: ब्रेन गेम है न कि शारीरिक. लव हारमोंस सिर्फ सैक्स के वक्त ही नहीं बल्कि किसी भी आनंददायक भावना के फलस्वरूप पैदा होते हैं और ग्रंथियों से एक प्रकार का रिसाव होने लगता है. जैसे कोई पसंदीदा किताब पढ़ते हुए पसंद की फिल्म देखते हुए भी लव हारमोंस प्रवाहित होते हैं.’’

डा. शिंदे के ही एक पेशैंट 30 वर्षीय अविनाश मल्होत्रा और उन की 24 वर्षीय पत्नी नेहा से हमारी मुलाकात हुई तो नेहा ने बताया, ‘‘हमारी शादी को अभी 2 साल ही हुई है, मगर हमारी सैक्स लाइफ… बोलतेबोलते नेहा रुक गईं.’’

सकारात्मक सोच

नेहा हिचकिचाई तो उन के पति अविश्वास मल्होत्रा ने बात आगे बढ़ाई, ‘‘सर, हमारी सैक्स लाइफ बहुत ही मस्त और ऐंजौएइंग थी पर पिछले 1 साल से हम सैक्स में बोर होने लगे हैं. इस की वजह से हमारा खूब  झगड़ा भी होने लगा था. हम ने तो अलग हो जाने का भी फैसला कर लिया था. तभी एक दोस्त की सलाह पर हम डाक्टर शिंदे से मिले.

इन के पास कल हमारी तीसरी मिटिंग थी. इन के साथ फर्स्ट मिटिंग के बाद से ही हम दोनों में एक पौजिटिव चेंज आने लग गया था. अब हमारी सैक्स लाइफ में फिर से जान आ गई. है.’’

मुंबई के जुहू में अपना क्लीनिक चलाने वाले सैक्सोलौजिस्ट डा. परेश नेरूलकर बताते हैं, ‘‘आजकल की भागदौड़ की जिंदगी में ऐेसे केस ज्यादा आने लगे हैं. पैसे कमाने की होड़ में सैक्स के प्रति रु झान बहुत कम हो गया है. पश्चिमी देशों में तो बच्चे पैदा करने के लिए सरकार इंसैटिव यानी बोनस भी देती है.

‘‘सैक्स की प्रक्रिया के वक्त बौडी से जो हारमोन रिलीज होता है वह है टेस्टोस्टेरोन. पुरुषों में इस की मात्रा सामान्यत: 280 से 1100 नैनोग्राम प्रति डैसीलिटर होती है जबकि फीमेल में सिर्फ 15 से 70 नैनोग्राम प्रति डैसीलिटर होती है. ऐक्चुअली टेस्टोस्टेरोन की मात्रा ही मुख्य कारण है कि पुरुष सैक्स क्रिया में बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाते हैं और महिलाओं को उत्तेजित होने में ज्यादा वक्त लग जाता है.’’

यह भी जानें

अमेरिकन यूरोलौजिकल ऐसोसिएशन की सीईओ एनी वर्डस्वर्थ की बुक ‘ए टैक्स्ट बुक औन लव हारमोंस’ में लिखा है कि सैक्स पूर्णत: एक मैंटल गेम है. ज्यादातर लोग इसे शारीरिक प्रक्रिया सम झने की भूल कर बैठते हैं. जहां तक लव हारमोंस की बात है यही वे हारमोंस हैं जो सैक्स की भावना को जगाते हैं और उसे क्लाइमैक्स तक पहुंचाने में मदद भी करते हैं.

लेकिन आज का युवावर्ग पैसे कमाने में इतना व्यस्त है कि वह सैक्स के लिए समय ही नहीं निकाल पाता है जिस की वजह से टेस्टोस्टेरोन, डोपामाइन आदि हारमोंस शरीर से या तो रिलीज ही नहीं हो पाते हैं या इतनी कम मात्रा में रिलीज होते हैं कि सैक्स भावना को जगा ही नहीं पाते हैं.

त्यौहार पर बनाएं ये खास रेसिपी, जानें चूरमा मिल्क केक बनाने की विधि

त्योहारों पर बाजार में मिलने वाली मिठाइयां न तो सेहतमंद होती हैं और न ही बजट फ्रैंडली. इसलिए बाजार से मिठाई लाने की अपेक्षा यदि थोड़ी सी कोशिश से घर पर ही मिठाई बना ली जाए तो बचत भी होती है और सेहत के लिए भी अच्छी होती है.

आज हम आप को गेहूं के आटे से ऐसी ही एक मिठाई बनाना बता रहे हैं जिसे आप बहुत आसानी से घर पर बना सकती हैं. इसे हम ने केवल 2 चम्मच घी और गुड़ से बनाया है इसलिए यह काफी हैल्दी भी है. तो आइए, देखते हैं कि इसे कैसे बनाया जाता है :

कितने लोगों के लिए : 8
बनने में लगने वाला समय : 20 मिनट
मील टाइप : वेज

सामग्री
गेहूं का आटा : 1 कप
मलाई : 1 कप
दूध : 1 कप
घी : 2 टेबलस्पून
बारीक कटी मेवा : 2 टेबलस्पून
इलायची पाउडर : 1 कप
नारियल बुरादा : 1 टीस्पून
मिल्क पाउडर : 2 टेबलस्पून
रोज पेटल सजाने के लिए

विधि
गेहूं के आटे में मलाई मिला कर धीरेधीरे दूध डालते हुए पूरी जैसा सख्त आटा लगा कर 20 मिनट के लिए ढक कर रख दें. 20 मिनट बाद आटे को 3 भाग में बांट कर 3 मोटीमोटी रोटियां बना कर गैस पर सेंक लें. ध्यान रखें कि रोटियां गैस पर बहुत हलका सा सेकें ताकि काली चिकत्ती न आने पाएं. ठंडा होने पर इसे तोङ कर मिक्सी में पीस लें. अब इस पिसे मिश्रण को 1 टीस्पून घी में 5 मिनट तक धीमी आंच पर भून कर एक प्लेट में निकाल लें. अब कढ़ाई में शेष बचा घी डाल दें और कटी मेवा को सुनहरा होने तक भून कर प्लेट में निकाल लें. बचे घी में गुड़, 1 टेबलस्पून पानी और मिल्क पाउडर डाल कर धीमी आंच पर गुड़ के पूरी तरह पिघलने तक पकाएं. अब पिसा रोटी का मिश्रण और इलायची पाउडर डाल कर अच्छी तरह चलाएं. जब मिश्रण पैन के किनारे छोड़ने लगें तो गैस बंद कर दें. मेवा मिलाएं और तैयार मिश्रण को एक चिकनाई लगी ट्रे में जमाएं. ऊपर से नारियल बुरादा बुरकें. गुनगुनी में ही मनचाहे आकार में पीसेज काटें और रोज पेटल से गार्निश कर के मेहमानों को सर्व करें.

किराए का ब्राइडल लहंगा, बजट के साथ फैशन भी

अन्वी की शादी नवंबर माह में होनी है जिस के चलते आजकल वह शौपिंग करने में व्यस्त है. किसी भी लड़की की शादी में शादी वाले दिन पहना जाने वाला लहंगा शौपिंग का मुख्य विषय होता है. अन्वी भी पिछले 15 दिनों से अपने लहंगे को ले कर परेशान है क्योंकि जो लहंगा उसे पसंद आता है वह उस की रेंज से बहुत ऊपर होता है. अब उसे समझ नहीं आ रहा है कि करे तो क्या करे ताकि मम्मीपापा का बजट भी न बिगड़े और उस का अपना शौक भी पूरा हो जाए.

तनीषा की 1 वर्ष पूर्व ही शादी हुई है. अपनी शादी का लहंगा उस ने ₹80 हजार का खरीदा था. उस समय मन में सिर्फ एक ही बात थी कि शादी बारबार तो नहीं होती, जिंदगी में एक बार ही होती है। इस भावना के चलते खरीद तो लिया पर अब वह पछता रही है। शादी के बाद सिर्फ एक बार अपने देवर की शादी में ही पहना है. अब बारबार तो एक ही ड्रैस नहीं पहन सकती न.

लेकिन अब लग रहा है कि इतने पैसे यदि म्यूचुअल फंड या सेविंग में डाले होते तो आज काम आ जाते.

लहंगा शादी वाले दिन पहनने के लिए आज दुलहनों की पहली पसंद है. पहले की अपेक्षा आज फैशन बहुत तेजी से बदलता है. इसलिए आज जो फैशन है कल वह नहीं रहेगा. ऐसे में लहंगे पर हजारों या लाखों रुपये खर्च करना कहां की बुद्धिमानी है. अकसर महंगेमहंगे दामों पर शादी वाले दिन के लिए खरीदे गए लहंगे एकाध बार ही दोबारा पहने जाते हैं अन्यथा वे कवर्ड में पड़े धूल खाते रहते हैं.

आजकल सोशल मीडिया का जमाना है जहां पर एक ही ड्रैस की फोटो को तो दोबारा डालने में युवतियां पसंद नहीं करतीं. ऐसे में एक ही लहंगे की दोबारा फोटो नहीं डाली जा सकती.

किराए का लहंगा है अच्छा विकल्प

तान्या ने अपनी शादी पर किराया का लहंगा लिया था. वह कहती है,”मेरे बजट में कोई भी अच्छा और मनपसंद लहंगा नहीं मिल पा रहा था, फिर जब मैं ने किराए के लहंगे की तलाश की तो मेरे बजट से चौथाई से भी कम रेंज में बहुत सुंदर, ट्रैंडी और फैशनेबल लहंगा विद ज्वैलरी मिल गई. यही नहीं, मेरे उस लहंगे की हर किसी ने भरपूर तारीफ भी की। मैं खुश हूं कि मेरे शौक के लिए मेरे पेरैंट्स को परेशान नहीं होना पड़ा. अब मैं किसी भी विशेष अवसर पर खरीदने की अपेक्षा किराए पर ही लहंगा खरीदना पसंद करती हूं.”

क्या होता है रेंट

भोपाल की अरेरा कालोनी में ब्राइडल लहंगा रखने वाली मायरा कलैक्शन की मालकिन रेनू सिंह के अनुसार, बड़ेबड़े ब्रैंड के लहंगों के पैटर्न की रेप्लिका कौपी बनाए जाने से रेंट के लहंगे ट्रैंडी और फैशनेबल होते हैं. एक वीयर के का रेंट ₹3,500 से शुरू हो कर अधिकतम ₹15,000 तक होता है. पसंद आने के बाद लहंगे को पहनने वाले की बौडी के अनुसार फिटिंग और ड्राईक्लीन करवा कर दिया जाता है.

रखें इन बातों का ध्यान

-किराए पर लहंगा लेने जाने से पहले से इंटरनैट से फैशन, ट्रैड और अपनी पसंद को क्लीयर कर के जाएं ताकि आप को सिलैक्शन करने में आसानी रहे.

-सदैव अच्छे और प्रतिष्ठित दुकान से ही रेंट का लहंगा लें ताकि एनवक्त कोई परेशानी न हो.

-रेंट वाले स्टोर्स लहंगे की मैचिंग ज्वैलरी भी रखते हैं। लहंगा फाइनल करने से पहले ज्वैलरी और लहंगे को एकसाथ पहन कर देख लें ताकि आप दोनों को एकसाथ जज कर सकें. साथ ही लहंगे को फिटिंग के लिए भी दे सकें. आप चाहें तो ज्वैलरी अलग से भी ले सकतीं हैं.

-सभी स्टोर्स रेंट की अपनी अलग अलग पौलिसी रखते हैं। कुछ वीयर के हिसाब से तो कुछ दिन के हिसाब से रेंट तय करते हैं. आप अपनी सुविधानुसार मनचाही पौलिसी चुन सकती हैं.

-आजकल औनलाइन भी रेंट पर लहंगे मिलने लगे हैं। इन्हें लेने से पूर्व रिटर्न पौलिसी और अन्य नियमों को बहुत ध्यान से पढ़ लें.

-लहंगे को शादी वाले दिन से एक दिन पूर्व ही घर पर डिलीवर करवाएं ताकि आप किसी भी प्रकार के तनाव में न आएं.

-अतिरिक्त तनाव से बचने के लिए औनलाइन की अपेक्षा औफलाइन लहंगा लेने को प्राथमिकता दें.

प्रकृति के रंग में रंगना है तो जाएं इस्तांबुल, यहांं करीब से देखें इस शहर का इतिहास

घर से कुछ समय निकाल कर कहीं घूमने जाना हमेशा ही नया अनुभव देता है. यात्रा के दौरान बहुत से नए लोगों को, नई चीजों को देखते हैं जिस से दुनिया के बारे में हमें नया नजरिया मिलता है. जब भी संभव होता है मैं कहीं घूमने जरूर निकलती हूं. आजकल के व्यस्त जीवन से कुछ दिन निकाल कर परिवार के साथ थोड़ा समय बिताना अब जरूरी सा लगने लगा है वरना वही हाथ में फोन लिए ?ाकी हुई गरदनें या लैपटौप को घंटों घूरती आंखें, दिनरात की भागदौड़. इस से हट कर कुछ दिन रिलैक्स हो कर बिताना हैल्थ के लिए भी जरूरी है.

सो अब की बार सपरिवार घूमने का प्रोग्राम बना तो टर्की फाइनल हुआ. मुंबई से टर्किश एअरलाइंस से इस्तांबुल की फ्लाइट बुक की गई. 8 घंटे की फ्लाइट थी पर आजकल एअरपोर्ट पर इंटरनैशनल फ्लाइट के लिए 4 घंटे पहले जाना पड़ता है.

तुर्किए

इस देश का नाम राष्ट्रपति रेसेप तैयप एडोर्गन के कहने पर ही बदला गया था. घरेलू स्तर पर तुर्की को तुर्किए ही कहते हैं मगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस का नाम तुर्किए हो गया था जिसे अंगरेजी में लोग टर्की कहने लगे थे. संयुक्त राष्ट्र संघ की तरफ से 2022 में तुर्की का नाम आधिकारिक तौर पर तुर्किए कर दिया गया था.

इस्तांबुल तुर्की का सब से बड़ा शहर और प्रमुख बंदरगाह है. यह बीजान्टिन साम्राज्य और आटोमन साम्राज्य दोनों की राजधानी रहा है लेकिन जब आधुनिक तुर्की गणराज्य की स्थापना हुई और अंकारा को नई राजधानी के रूप में चुना गया तो इस ने राजधानी के रूप में अपनी स्थिति खो दी.

इस्तांबुल एअरपोर्ट बहुत बड़ा और सुंदर बना हुआ है. वहां इमीग्रेशन की बहुत लंबी लाइन थी. फ्लाइट में इंडियंस भी काफी थे. बैल्ट से सामान लिया तो देखा, हमारे एक बड़े बैग का हैंडल टूट गया है. हम ने वहीं के एक स्टाफ को बताया तो उस ने कहा कि बैगेज हैंडलिंग औफिस में बात कर लो. वहां जा कर हम ने अपना बैग दिखाया. उन्होंने हमारे बैग पर लगा टैग लिया और तुरंत एक नया बड़ा बैग दे दिया. यह हमारे लिए बड़ी हैरानी की बात थी. हम ने वहीं अपना सामान नए बैग में रखा और उन्हें थैंक्स कह कर एअरपोर्ट से बाहर निकले.

जब एअरपोर्ट से बाहर निकले ठंड से हालत खराब हो गई जो जैकेट और पैंट पहनी हुई थी लगा इसे तो ठंडी हवा उड़ा कर ले जाएगी. यह मार्च के आखिरी दिन थे. टैक्सी का इंतजार कर ही रहे थे कि बारिश शुरू हो गई. ठंडी हवा से कांपते हुए खड़ेखड़े इधरउधर नजर डाली तो एक अलग ही माहौल था.

इतने खूबसूरत और स्टाइलिश लोग कभी नहीं देखे थे. लोगों के चेहरों से नजर ही नहीं हट रही थी. कमाल की खूबसूरती ने मन मोह लिया. टैक्सी आ गई. जो होटल बुक किया था, वह सिटी सैंटर में था जो एअरपोर्ट से 1 घंटा दूर था. यह होटल इसलिए बुक किया था वहां से हर देखने की जगह 20-25 मिनट चल कर पहुंचा जा सकता था.

होटल पहुंचने में दोपहर के 3 बज रहे थे. जा कर लंच किया, फिर बच्चे बराबर वाले अपने रूम में सोने चले गए. चारों थके थे, सब सो गए. शाम को उठे तो आसपास घूमने, डिनर करने निकले.

साफसुथरी जगह

डिनर जिस रेस्तरां में किया वह काफी अच्छी जगह थी. लाइव म्यूजिक चल रहा था जो सम?ा तो नहीं आ रहा था पर धुनें बहुत अच्छी थीं. टूरिस्ट्स इस म्यूजिक पर डांस भी कर रहे थे. धुन कर्णप्रिय थी. मेन्यू पर हाथ रखरख कर वेटर को इशारों से सम?ाया गया कि क्या चाहिए. यहां बहुत कम लोगों को अंगरेजी भाषा आती है. टर्किश भाषा ही चलती है. घूमटहल कर हम अपने होटल देर रात लौट आए.

अगले दिन हम सुबह नाश्ता कर के होटल से बस 5 मिनट दूर इस्तांबुल यूनिवर्सिटी का एरिया देखने गए. बहुत ही विशाल परिसर में बहुत ही सुंदर साफसुथरी यूनिवर्सिटी है. इस के एक एरिया में एक विशाल, आलीशान मसजिद बनी हुई है. जैसे हमारे देश में हर 10 मिनट पर एक मंदिर है, यूरोप में चर्च हैं.

यहां हम ने आधा घंटा बिताया. उस के बाद हम ने फेरी बुक की हुई थी. फेरी से आधा घंटा दूर एशियन साइड आफ इस्तांबुल जाना था. फेरी से यह टूर यहां की फेमस चीजों में से एक है. इस्तांबुल दुनिया का एकमात्र शहर है जो 2 अलगअलग महाद्वीपों पर स्थित है. यूरोप और एशिया. एक दिन के लिए फेरी से जा कर एक नई जगह देखी जा सकती है. फेरी से जाते हुए कई सुंदर दृश्य दिखते हैं. हजारों सफेद, सुंदर सीगल लगातार उड़ती दिखती हैं. बहुत ही मनोहर दृश्य होता है. इस तरफ लाइंस से टूरिस्ट्स के लिए सुंदर रेस्तरां हैं. यूरोपीय की तुलना में यहां कीमतें थोड़ी कम हैं.

हागिया सोफिया

1935 में कमाल अतातुर्क ने चर्च और मसजिद के रूप को समाप्त कर के उसे म्यूजियम बना दिया था जिस के बाद जुलाई, 2020 में दोबारा उसे मसजिद बना दिया गया. हागिया  सोफिया को तुर्की भाषा में आया सोफिया कहा जाता है. अंगरेजी में कभीकभी उसे सेंट सोफिया भी कहा जाता है. रोम में सेंट पीटर बेसिलिका के बाद हागिया सोफिया दुनिया का सब से बड़ा लटकता हुआ गुंबद है. यह इस्तांबुल में यूनैस्को की विश्व धरोहर का हिस्सा है.

इस के बनने के बाद लगभग एक सहस्त्राब्दी तक यह पूरे ईसाई जगत में सब से बड़ा चर्च था. इस ने बीजांटिन दुनिया के लिए धार्मिक, राजनीतिक और कलात्मक जीवन के केंद्र के रूप में कार्य किया. अया (पवित्र, संत) और सोफोस (ज्ञान) शब्दों से बना है जिस का अर्थ पवित्र ज्ञान है. यह इमारत धार्मिक परिवर्तनों को साफसाफ दिखाती है.

ड्यूटी पर स्टाफ काफी सख्ती से तैनात हैं. उस ने हमें सिर ढकने के लिए कहा. यहां बेहतरीन मार्बल के खभे हैं जिन्हें उन के रंग और विविधता के लिए चुना गया है. हम ने गाइड लिया था ताकि इतनी प्रसिद्द जगह के बारे में अच्छी तरह से जान सकें. वह जरमन था पर अंगरेजी भाषा में बोल रहा था.

यह एक बार फिर महसूस किया कि हर दौर में राजनीति और धर्म सरकार के हिसाब से बदलते रहते हैं. इस इमारत को कभी चर्च, कभी मसजिद, कभी म्यूजियम होना पड़ा. यहां एक जगह स्वास्तिक भी बना है. गाइड ने एक बात और मजेदार बताई. एक जगह एक रानी का चित्र  बना हुआ था. जो भी राजा बना, उस का चित्र उस रानी के साथ बना दिया गया. इस तरह रानी के साथ 3 राजाओं के चित्र बने. एक का चित्र खुरच दिया जाता और दूसरे का बना दिया जाता था.

हर जगह सुंदर काम हुआ है, दीवारों से नजर नहीं हटती. कहीं वर्जिन मेरी का चित्र बना है, कहीं अल्लाह, हसन हुसैन लिखा है, कहीं स्वास्तिक. गाइड ने एक मजबूत दरवाजा दिखाते हुए कहा कि इस के बारे में कहा जाता है कि यह कयामत तक खुला रहेगा. शायद दुनिया में हर जगह धार्मिक मान्यताओं का बोलबाला है.

यहां घूमने में 3 घंटे लगे. यह बहुत लंबीचौड़ी जगह है. टूरिस्ट्स बहुत थे पर कहीं कोई धक्कामुक्की नहीं, कोई शोर नहीं, सब शांत. यहां बहुत सारे ट्यूलिप दिखे. पहले कभी ट्यूलिप नहीं देखे थे. बहुत ही मैंटेन्ड गार्डन में सफेद, लाल सुंदर से फूल बहुत आकर्षक लगे.

ग्रैंड बाजार

यह एक भूलभुलैया जैसा पुराना बाजार है जो कई छोटीछोटी गलियों में स्थित है. आर्टिफिशियल ज्वैलरी की हजारों दुकानें हैं, गिफ्ट्स आइटम्स हैं, चीजें बहुत सुंदर हैं पर बार्गेनिंग बहुत होती है. यहां के मसाले बहुत मशहूर हैं. ले कर आई हूं. किसी भी चीज में डाल रही हूं, अलग ही स्वाद आ रहा है.

ब्लू मास्क

हजारों नीली टाइल्स इस संरचना को इसे यह नाम देती हैं. 1985 से यूनैस्को की विश्व धरोहर स्थल, ब्लू मसजिद अपनी आश्चर्यजनक वास्तुकला सुविधाओं, इतिहास, स्थान और अपने इंटीरियर के लिए प्रसिद्ध है. इस के वास्तुशिल्प डिजाइन में ओटोमन शैली और बीजांटिन के तत्त्व दोनों हैं. इस के इंटीरियर में हरे, लाल हुए सोने जैसे सहायक रंगों के साथ नीली इज्निक टाइल्स के पैटनर्स हैं.

इसे आटोमन काल की कला और 20वीं सदी की अन्य कलाओं से सजाया गया है. यहां प्रवेश नि:शुल्क है. इसे सुलतान अहमत मसजिद के नाम से भी जाना जाता है.

अगले दिन हम ने एक फेरी ट्रिप लिया. इस में बहुत से टूरिस्ट्स थे. यह साफसुथरा, खूब सजा हुआ था. इस के अंदर सुंदर चेयर्स, टेबल लगी हुई थीं. कुछ टूरिस्ट्स बाहर रेलिंग के पास खड़े हो कर वीडियो बना रहे थे. अनगिनत सुंदर सीगल पानी में तैर रही थीं. मु?ो उन की गतिविधियां देखने में विशेष आनंद आ रहा था. ?ांड की ?ांड  सीगल समुद्र की लहरों को छूतीं.

कुछ देर उन पर टिकतीं, फिर डुबकी मार कर उड़ जातीं. इस फेरी ने पूरे शहर को दिखाया. 2 घंटे का शानदार चक्कर था. इस शिप में 19-20 साल का एक लड़का था जो रेलिंग पर खड़े फोटो खिंचवाते लोगों के फोटो अपने प्रोफैशनल कैमरे से खींचने लगा. उन के पोज बनवाने लगा, हम भी उन में से थे. थोड़ी देर बाद जब हम अंदर आ कर चेयर्स पर बैठ गए, वह एक अलबम में अपने खींचे फोटो लगा कर लाया. उस ने हम चारों की बहुत से फोटो, कुछ सोलो, कुछ साथ में खींचे हुए थे और कहने लगा कि इस में से आप कुछ छांट कर 70 यूरो में खरीद सकते हैं. यह तो बहुत महंगा लगा, फिर थोड़ी बार्गेनिंग शुरू हुई फोटोज बहुत अच्छे आए थे.

अनमोल यादें

आखिर में हम ने कुछ फोटो छांटे और 30 यूरो में खरीद लिए. जब शिप से उतरने का टाइम आया, हम ने हंसीमजाक में उससे कहा कि अरे, तुम पैसा लेना भूल गए हो. अपने पैसे तो ले लो. वह याद दिलाने पर बहुत खुश हुआ. उस ने बहुत थैंक्स कहा. फिर हम ने कहा कि हमारे बाकी फोटो भी दे दो. ये सब तुम्हारे काम के भी तो नहीं हैं. भाषा की समस्या थी. अब तक सिर्फ अंगरेजी के कुछ शब्दों में ही बात हो रही थी.

उस ने अपने होंठों पर हाथ रख कर चुप रहने का इशारा किया और जल्दी से नीचे जा कर हमारे सारे फोटो हमें ला कर दे दिए. शायद वह उस के पैसे याद दिलाने से बहुत खुश हो गया था.

यहां घूम कर हम 3 रात के लिए फ्लाइट से अंतालिया चले गए जो फ्लाइट से 1 घंटे की दूरी पर स्थित बेहद खूबसूरत जगह है. यहां हम ने डुडेन फाल्स देखा. बहुत ही सुंदर. इस जगह ने मन मोह लिया. समुद्र का नीला, हरा सा पानी, उस पर ये फाल्स. वाह, क्या नैसर्गिक सौंदर्य था, तेज धूप थी पर जब एक बार यहां पहुंच गए तो ठंडी फ्रैश हवा ने सारी गरमी भुला दी. इस्तांबुल की अपेक्षा यहां का मौसम गरम था.

यहां हम ने जिस बड़े से सुंदर रेस्तरां में लंच किया वह समुद्र से कुछ ही दूर था और यहां ज्यादा स्टाफ नहीं था. जो खाना सर्व कर रहा था वह काफी जौली नेचर का था. एक लड़की कुछ ले कर आई. उस ने पूछा कि इंडियंस? हमारे ‘हां’ कहने पर उस ने ओह शाहरुख खान कहते हुए हाथ से दिल का साइन बनाया. हम हंस दिए. इस यात्रा में ऐसा कई बार हुआ. शाहरुख खान के जलवे विदेशों में कई बार देखे.

एक दिन हम ओल्ड टाउन गए. यह जगह ऐसे अनुभव देगी जिसे आप कभी नहीं भूल सकते. आप यहां शानदार हैड्रियन गेट, निजी समुद्र तट, वाचटावर और बोहेमियन कैफे देख सकते हैं. यहां बहुत पतलीपतली साफसुंदर, सजी हुई गलियां हैं, जिन्हें देखने से मन नहीं भरता.

यहां हर चीज को बहुत खूबसूरती से सजाया गया है. यहां हम ने एक दिन की बोट राइड ली क्योंकि बच्चों को स्कूबा डाइविंग करनी थी. इस बोट पर गुरुग्राम के 2 युवा लड़के भी मिल गए. बोट पर 4 लोगों का स्टाफ था जो बहुत ही केयरिंग था. उन में जो सब से सीनियर था. वह खुद हमारी बेटी को जो पहली बार स्कूबा डाइविंग से अचानक डरने लगी. उसे पानी में ले कर उतरा. बहुत ही अच्छी सेफ व्यवस्था थी. हर तैराक के साथ वह सीनियर और स्टाफ में से कोई एक रहता. हम दोनों बस उन सब को मछलियां बनते देख कर ऐंजौय करते रहे. हम पानी में नहीं उतरे.

बच्चों ने 1 घंटा बहुत ऐंजौय किया. फिर सब को सैंडविच और कोल्ड ड्रिंक्स दी गई. स्टाफ ने ही बहुत सी विक्ट्री के साइन के साथ कई तरह के फोटो लिए, पानी के अंदर के वीडियो बनाए. इन फोटो को लेने के लिए 6 हजार देने होते हैं. बच्चों ने इस यादगार दिन की मैमोरीज रखने के लिए सब ले लिए. उन्होंने सब मेल कर दिए.

एक दिन हम यहां मूरतपासा गए. यह भी एक बीच है. यहां भी बहुत से होटल्स हैं. यहां बहुत शांति थी. बीच बहुत साफ था. फिर हम वापस इस्तांबुल लौट आए.

बकलावा

अगर आप टर्की में हैं तो यहां की सब से फेमस स्वीट डिश खाए बिना लौट ही नहीं सकते. यह एक बहुत ही स्वादिष्ठ पेस्ट्री जैसी चीज होती है जो कई ड्राई फ्रूट्स से भरी होती है. हम ने हैल्थ के सब नियम भूल कर लंच और डिनर के बाद रोज बकलावा खाया. जब कभी होटल में खाना खाते हुए अच्छा बड़ा और्डर हो जाता है, यहां बकलावा कौंप्लिमैंटरी सर्व कर दिया जाता है.

टर्किश टी

जब आप टर्की में हों तो यहां की चाय और काफी जरूर चखें. इसे बहुत ही छोटेछोटे बेहद खूबसूरत कपों में सर्व किया जाता है. यह कई फ्लेवर की मिलती है. ज्यादा महंगी भी नहीं है. कई होटल इसे कौंप्लिमैंटरी सर्व करते हैं. अपना एक अनुभव बताना चाहती हूं. मैं ने बचपन से ही दूध वाली, अदरक की चाय पी है. यह आदत छूटती ही नहीं थी. जब टर्किश चाय पी, सालों की यह आदत इस का एक कप पी कर छूट गई. मु?ो अपनी चाय एक बार भी याद नहीं आई. जो ले कर आई हूं, वही पी रही हूं. इस के बहुत से हैल्थ बैनिफिट्स भी हैं. इस में कुछ नहीं करना होता है, बस गरम पानी मिलाना होता है जैसे लोग हर्बल टी पीते हैं. पर इस के जैसा स्वाद किसी और चाय में नहीं है. यहां की करेंसी लीरा है.

खुशमिजाज लोग

जहांजहां भी खाना खाया. सब से पहले कौंप्लिमैंटरी ब्रैड आती है. यह बहुत बड़ी और बहुत अच्छी तरह से सिंकी होती है जो कुछकुछ भठूरे की शेप में होती है पर तली हुई नहीं होती. रोटी की तरह सिंकी होती है. वेटर्स बहुत खुशमिजाज हैं. कोईकोई तो उठते समय पूछता है कि गुड फूड?‘यस कहने पर हाई फाइव देता है. यहां भुट्टे बहुत बिक रहे थे. यहां हम पैदल बहुत चले. एक दिन तो 19 किलोमीटर चले. ट्राम भी थी पर इधरउधर खूबसूरत लोग. सुंदर चीजों को देखते हुए पैदल चलने में आनंद आ रहा था. न कोई पौल्यूशन न कोई भीड़.

इस्तांबुल में कुछ दिन बिता कर लौटने का समय आ गया. पैकिंग कर होटल से निकले. इस्तांबुल एअरपोर्ट पर काफी समय बिताया. बहुत सुंदर चीजें थीं. कुछ ड्यूटी फ्री में खरीद लीं. वहां के हिसाब से 8 बजे की फ्लाइट थी.

जब सुबह 5 बजे फ्लाइट ने मुंबई लैंड किया. सुंदर अनुभवों के साथ घर वापसी हो चुकी थी. यात्रा कई दिनों तक मनमिजाज खुश रखती  है.

प्रेग्रेंसी के दौरान इन स्किन केयर प्रौडक्ट्स से बनाएं दूरी

जब आप प्रेग्रेंसी प्लान कर रही होती हैं और इसी बीच आपको जब पता चलता है कि आपने  कंसीव कर लिया है तो आपकी खुशी का ठिकाना नहीं रहता.  ऐसा लगने लगता है जैसे हमारी पूरी दुनिया ही बदलने वाली हो.  यही बात स्किन केयर प्रोडक्ट्स पर भी लागू होती है. भले ही आपकी कैबिनेट क्रीम से भरी हुई हो, जो आपकी  स्किन को खूबसूरत व ग्लोइंग बनाने का काम करती हो, लेकिन प्रेग्रेंट होते ही आपके शरीर की तरह आपकी स्किन में भी कई तरह के बदलाव आने शुरू हो जाते हैं.  क्योंकि होर्मोन्स का संतुलन बिगड़ने की वजह से स्किन में नमी कम होने के साथ स्किन ज्यादा सेंसिटिव जो होने लगती है. इसलिए अब न तो आप पहले की तरह अपने रूटीन को फॉलो कर पाती हैं और न ही स्किन केयर रूटीन को.  बल्कि अब आपको जरूरत होती है अपने स्किन केयर रूटीन में उन ब्यूटी प्रोडक्ट्स को शामिल करने की, जो प्रेग्रेंसी में आपके व आपके बच्चे के लिए सही व सेफ हो.

अनेक रिसर्च में यह साबित हुआ है कि प्रेग्रेंट महिला को प्रेग्रेंसी के दौरान निर्म बताए केमिकल्स से दूरी बना कर रखना बहुत जरूरी है, तो जानते हैं उन केमिकल्स के बारे में कॉस्मोटोलॉजिस्ट पूजा नागदेव से.

1. रेटिनोइड्स

अच्छी त्वचा , प्रजनन संबंधी व आंखों की अच्छी हैल्थ के लिए विटामिन ए बहुत ही आवश्यक तत्व माना जाता है. लेकिन जब हम इसे लेते हैं या फिर स्किन के जरिए अवशोषित करते हैं तो हमारा शरीर इसे रेटिनोल में बदल देता है. बता दें कि बहुत सारे एंटी एजिंग स्किन केयर प्रोडक्ट्स में रेटिनोइड्स होते हैं , जो एक तरह का रेटिनोल होता है. जिसमें एक्ने व झुर्रियों से लड़ने की क्षमता होती है. रेटिनोइड्स डेड स्किन को एक्सफोलिएट करके तेजी से कोलेजन के निर्माण में मदद करता है. लेकिन आपको बता दें कि ओवर द काउंटर मेडिसिन्स की तुलना में प्रेसक्राइब्ड मेडिसिन में काफी ज्यादा मात्रा में रेटिनोइड्स होते हैं. लेकिन जब जरूरत से ज्यादा इसका इस्तेमाल किया जाता है तो ये बच्चे में कई समस्याओं का कारण बन सकता है. इसलिए इनका इस्तेमाल प्रेग्रेंसी के दौरान स्किन केयर प्रोडक्ट्स में करने से बचना चाहिए.

2. सैलिसिलिक एसिड 

ज्यादा मात्रा में सैलिसिलिक एसिड में एस्पिरिन की तुलना में एंटी इंफ्लेमेटरी प्रोपर्टीज होती हैं , जो आमतौर पर हमेशा एक्ने को ठीक करने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं.  इसलिए डाक्टर के बिना पूछे आप सैलिसिलिक एसिड युक्त क्रीम्स का इस्तेमाल प्रेग्रेंसी के दौरान न करें. क्योंकि अकसर डाक्टर जरूरत पड़ने पर 2 पर्सेंट से कम वाले सैलिसिलिक एसिड का इस्तेमाल करने की ही सलाह देते हैं. लेकिन अगर आप ज्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल करती हैं तो ये नुकसान ही पहुंचाने का काम करेगा.

3. फथालेट्स

फथालेट्स एक ऐसा तत्व है, जो होर्मोनेस के संतुलन को बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार माना जाता है. यहां तक कि इसका इस्तेमाल ढेरों कोस्मेटिक्स व पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में किया जाता है. रिसर्च में यह साबित हुआ है कि जानवरों की प्रजनन क्षमता व होर्मोनेस के संतुलन को बिगाड़ने के लिए इसे जिम्मेदार माना जाता है.तो आप समझ ही गए होंगे कि ये केमिकल कितना नुकसानदायक है.  इसलिए इस केमिकल से दूरी बनाने में ही समझदारी है.

4. केमिकल सनस्क्रीन 

सनस्क्रीन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला अल्ट्रा वायलेट फ़िल्टर ऑक्सीबेंज़ोन व इसके विभिन प्रकार हैं. हालांकि ये स्किन को प्रोटेक्ट करने का काम करता है. लेकिन ऑक्सीबेंज़ोन स्वास्थय व पर्यावरण के लिए सही नहीं माना जाता. क्योंकि ऑक्सीबेंज़ोन एक एंडोक्राइन डिसरूपतर है. इसलिए ये आशंका है कि प्रेग्रेंसी के दौरान ये तत्व होर्मोनेस का संतुलन बिगड़ने के साथसाथ मां व बच्चे दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है.

5. हेयर डाई 

बता दें कि हेयर कलर्स में अमोनिया और पेरोक्साइड होता है. जो स्कैल्प के जरिए शरीर में जाकर जलन , एलर्जी व कई नकारात्मक प्रभाव डालने का काम करता है.

6. ब्लीच 

ब्लीच में हाइड्रोजन पेरोक्साइड होता है,  जो स्किन को डैमेज करने के साथसाथ आंखों के टिश्यू को भी नुकसान पहुंचाने का काम करता है. इसलिए प्रेग्रेंसी में तो इसका इस्तेमाल करने से बचना ही चाहिए , साथ ही वैसे भी आप ब्लीच का जितना हो सके, कम से कम ही इस्तेमाल करें.

अब जानते हैं अल्टरनेटिव 

सेफ स्किन केयर इंग्रीडिएंट्स के बारे में

1. एक्ने एंड हाइपरपिगमेंटेशन 

अगर आप प्रेग्रेंसी के दौरान एक्ने व स्किन पिगमेंटेशन की समस्या से परेशान हैं , जो इस समय की यह आम समस्या है तो आप रेटिनोइड बेस्ड कोस्मेटिक्स की जगह, जिसमें ग्ल्य्कोलिक एसिड इंग्रीडिएंट हो, उसका इस्तेमाल करें. क्योंकि ये हैल्दी स्किन सेल्स को प्रमोट करके आपके प्रेग्रेंसी के ग्लो को भी बनाए रखने का काम करता है.

2. एंटी एजिंग 

विटामिन सी जिस तरह से आपकी इम्युनिटी को बूस्ट करने का काम करता है, उसी तरह से विटामिन सी जैसा एन्टिओक्सीडेंट कोलेजन को बनाए रखने व स्किन को फ्री रेडिकल्स से बचाए रखने का भी काम करता है. इसी के साथ आप प्रेग्रेंसी के दौरान अन्य एन्टिओक्सीडैंट्स जैसे विटामिन इ, विटामिन के , विटामिन बी- 3 व ग्रीन टी का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

3. ड्राई स्किन एंड स्ट्रेक्च मार्क्स 

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि प्रेग्रेंसी के दौरान शरीर पर काफी दबाव व भार पड़ता है. और गर्भ में पल रहे शिशु को किसी भी समय पानी की जरूरत होती है, तो वो आपसे ही इसकी पूर्ति करता है. जिससे स्किन ड्राई हो जाती है. रूखी त्वचा इसका व होर्मोनेस के असंतुलन का ही परिणाम है. ऐसे में अगर आप स्ट्रेच मार्क्स से बचना चाहती हैं तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि आपकी स्किन ड्राई न हो. इसके लिए आप स्वीट आलमंड आयल, सीसम या ओलिव आयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. आप लैवेंडर आयल, रोज आयल, जैसमिन आयल का भी बिना डरे इस्तेमाल करके ड्राई स्किन व स्ट्रेच मार्क्स की समस्या से निजात पा सकती हैं.

4. सन प्रोटेक्शन 

स्किन को धूप से बचाना बहुत जरूरी होता है. क्योंकि अगर आपकी स्किन धूप से बची रहेगी तो स्किन कैंसर के साथसाथ झुर्रियों का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाएगा. ऐसे में आप प्रेग्रेंसी के दौरान नेचुरल सनस्क्रीन के तौर पर रसभरी सीड आयल का इस्तेमाल कर सकती हैं. आप इस बात का ध्यान रखें कि प्रेग्रेंसी के दौरान आप केमिकल वाले सनस्क्रीन की जगह मिनरल बेस्ड सनस्क्रीन का ही इस्तेमाल करें.

नौकरानी नहीं रानी हूं मैं

ओ मैडमजी, आप की हिम्मत कैसे हुई मुझे कामवाली बाई, नौकरानी, महरी जैसे नामों से पुकारने की? बुलाना हो तो मुझे प्यार से मेरे नाम से पुकारें या मेड सर्वेंट अथवा मेड ही कहें. कान खोल कर सुन लो बीवीजी, मैं नौकरानी नहीं हूं. मैं जिस घर में भी जाती हूं रानी बन कर रहती हूं. नौकरानी तो मुझे कोई कह ही नहीं सकता. नौकरी को तो मैं अपनी जूती की नोक पर रखती हूं. जब मन चाहे ऐसी दोटकिया नौकरी को ठोकर मार कर चल देती हूं. गरज तो आप को है मेरी. मुझे नौकरी के लाले नहीं पड़े हैं. बहुतेरी नौकरियां मेरी राह में बिछी हैं. एक घर छोड़ू तो 10 घर मुझे हाथोंहाथ झेल लेंगे. रखना हो तो रखो, नहीं तो मैं तो चली…

एक बात अच्छी तरह समझ लो बीवीजी, काम तो मैं अपनी शर्तों पर करती हूं. अगर आप को मुझे काम पर रखना है, तो टाइम की पाबंदी का कोई नाटक नहीं चलेगा. मैं आप की या आप के साहब की तरह औफिस में काम नहीं करती हूं जहां समय पर पहुंचना जरूरी होता है. मैं तो आराम से अपने घर के काम निबटा कर, सजधज कर काम पर पहुंचती हूं, इसलिए टाइम को ले कर मुझ से झिकझिक करने का नहीं, समझीं आप?

एक और जरूरी बात. मेरे पास अपना मोबाइल है. मैं अपने मोबाइल से किसी से भी, कितनी भी देर, कभी भी, कैसी भी बातें करूं, आप को कोई ऐतराज करने का हक नहीं कि काम पड़ा है और न जाने इतनी देर से किस से बतिया रही है? यह भी जान लो मुझे जब भी, जितनी भी बार चाय की तलब लगे मुझे कड़क, मीठी, स्पैशल चाय चाहिए. उस के बगैर तो मेरे हाथपैर ही नहीं चलते. चाय के लिए आप मुझे रोकेंगीटोकेंगी नहीं.

और हां मेम साहब, यह तो बताना मैं भूल ही गई हूं कि दोपहर को मुझे टीवी पर अपने पसंदीदा सीरियल भी देखने होते हैं. यदि मैं फुलस्पीड पर पंखा चला कर सीरियल या मूवी देखूं तो यह आप की आंखों में खटकना नहीं चाहिए. यह भी तो सोचिए टीवी पर आने वाले विज्ञापनों ने मेरी जनरल नौलेज में कितनी वृद्धि की है. मैं ने उन्हीं से जाना है कि किस बरतन साफ करने वाले पाउडर में सौ नीबुओं की शक्ति है और किस डिटर्जैंट में 10 हाथों की धुलाई का दम है. ये सारे विज्ञापन हम जैसी मेड सर्वेंट के लिए ही तो बने हैं ताकि हमें मेहनत कम करनी पड़े और हाथ मुलायम बने रहें. मैं कहूं उस के पहले ही आप को ये सब चीजें बाजार से ला कर रखनी होंगी.

मैडमजी, पहले ही बता देना आप के सासससुर तो आप के साथ आ कर नहीं रहते हैं? मैं ऐसे घरों में काम नहीं लेती हूं जहां बूढ़े सासससुर भी साथ रहते हों. जितनी देर काम करो उतनी देर खूसट बुढि़या डंडा लिए सिर पर ही सवार रहती है कि यह कर, वह कर, यह क्यों नहीं किया, वह क्यों नहीं किया. असल बात तो यह है कि बहू पर तो उन की चलती नहीं, इसलिए सारी कसर वे हम जैसे लोगों पर ही निकालती हैं.

और हां बीवीजी, अगर आप के घर में छोटे बच्चे हैं और मैं कभी प्यार से उन्हें एकाध चपत लगा दूं तो सीधे थाने में रिपोर्ट करने मत चली जाना, समझीं आप? मेरे खुद के भी तो बालबच्चे हैं कि नहीं? वे परेशान करते हैं तो मैं उन्हें भी तो कूटपीट देती हूं. आप के बच्चों को भी मैं अपने बच्चों की ही तरह पालूंगी. कभी एकाध बार जरा सा हाथ उठा दिया तो उस के लिए हायतोबा मचाने की जरूरत नहीं. घर में सीसीटीवी कैमरे लगे होने की धमकी तो देना ही मत. सीसीटीवी कैमरे की आंखों में और आप की आंखों में भी धूल झोंकना हमें खूब आता है. एक बात और जान लो मेमसाहब, मेरे अपने भी कुछ रूल्स ऐंड रैग्यूलेशंस हैं. मेरा उसूल है कि नौकरी जौइन करने से पहले ही मैं इस मुद्दे पर डिस्कस कर लेना ठीक समझती हूं कि महीने में 4 छुट्टियां (हफ्ते में 1 छुट्टी) तो मुझे चाहिए ही चाहिए. आप की और साहब की नौकरी में ‘फाइव डेज वीक’ का प्रावधान है तो फिर मैं तो ‘सिक्स डेज वीक’ पर काम करने को तैयार हूं. पर सिर्फ इतनी छुट्टियां मेरे लिए काफी नहीं होंगी. गाहेबगाहे तीजत्योहार की छुट्टियां भी तो मुझे मिलेंगी कि नहीं?

इस के अलावा कभी मैं खुद बीमार पड़ी तब तो कभी अपने पति, बच्चों को बीमार बता कर छुट्टी करूंगी. कभी रिश्तेदारी में शादी, तो कभी मौत का बहाना बना कर छुट्टी करूंगी. इस के अलावा जब आप के घर में मेहमान आने वाले हों तब तो मेरा छुट्टी करना बनता ही है. बहानों की कोई कमी नहीं है मेरे पास. आप कहो तो छुट्टी करने के 101 बहानों पर किताब लिख दूं. पर क्या करूं बीवीजी, आप की तरह पढ़ीलिखी तो हूं नहीं. पर पढ़ेलिखों के भी कान कतरती हूं. बीवीजी, अब ऐडवांस लेने के बारे में भी बात कर लें तो अच्छा रहेगा. ऐडवांस लेने के भी 101 बहाने हैं मेरे पास. गरज तो आप को है मेरी. थोड़ी नानुकर के बाद ऐडवांस तो आप को देना ही पड़ेगा, क्योंकि कोई दूसरा चारा ही नहीं है आप के पास. क्व4-5 हजार का ऐडवांस तो ऊंट के मुंह में जीरा है मेरे लिए. इस ऐडवांस की रकम मैं हर महीने वेतन में से सिर्फ सौ 2 सौ ही कटवा कर चुकाऊंगी और किसी दिन सिर घूम गया तो आप को छोड़ कर ऐडवांस ले कर रफूचक्कर हो जाऊंगी.

हाथ की सच्ची हूं, यह तो मैं डंके की चोट पर कहती हूं. जहां भी मैं ने काम किया है, उन से पूछ कर देख लो. आज तक उन की एक सूई भी गायब नहीं हुई. सूई मैं क्यों गायब करूंगी, हाथ की सच्ची हूं न. सूई तो नहीं, पर बाकी चीजें तो इतनी सफाई से गायब होती हैं कि कोई मुझ पर तो शंका कर ही नहीं सकता. क्योंकि मैं खुद तो कुछ नहीं करती हूं पर दूसरों को खबर तो कर सकती हूं न? घर के सारे लोगों की दिनचर्या मुझ से ज्यादा किसे मालूम हो सकती है? घर में कौन कब आता है, कौन कब जाता है, अलमारी की चाबी कहां रहती है, कीमती चीजें कहां रखी रहती हैं, कब छुट्टियां मनाने शहर से बाहर जाने का प्रोग्राम है, इस सब की मुझे खबर रहती है. मैं कुछ नहीं करती, मुझ से भेद ले कर हाथ की सफाई तो कोई और ही दिखाता है. मुझे रंगे हाथों पकड़ना आप के बस की बात नहीं है.

मैडमजी, अब थोड़ी पर्सनल बात भी हो जाए. थोड़ी रोमांटिक बात है यह. वह क्या है कि आप के साहब या जवान हो रहे साहबजादे को रिझाने के भी 101 तरीके हैं मेरे पास. अब झाड़ूपोंछा करते समय मेरी साड़ी पिंडलियों से ऊपर हो जाए (और वह तो होगी ही) या आप के दिए ‘लोकट’ ब्लाउज के अंदर उन की निगाहें फिसलफिसल जाएं और उन्हें कुछकुछ होने लग जाए तो आप मुझे कोई दोष न देना. यह ‘लोकट’ ब्लाउज तो आप ने ही दिया था न मुझे? फिर उस के बाद साहब मौका देख कर किसी न किसी बहाने से या आप के नौजवान साहबजादे कालेज के पीरियड गोल कर वक्तबेवक्त घर आने लग जाएं तो इस में मेरी क्या गलती? साहब या साहबजादे आप से छिपा कर थोड़ीबहुत बख्शीश मुझे दे दें तो आप को ऐतराज नहीं होना चाहिए, वैसे ऐसी बातों की मैं आप को कानोंकान खबर होने दूं तब न?

बीवीजी, एक मजेदार बात तो आप को मालूम ही नहीं. आप तो सपने में भी सोच नहीं सकतीं कि आप लोगों के घरों में काम करने वाली हमारी जैसी मेड सर्वेंट जब आपस में मिलती हैं तो कैसीकैसी बातें करती हैं. आप सुनेंगी तो हंसेंगी या फिर गुस्सा करेंगी कि हमारी बातचीत का मेन टौपिक, हमारा टारगेट तो बस आप लोग ही रहती हैं  सब ने अपनीअपनी मालकिन के उन के रंगरूप और स्वभाव के अनुसार कई मजेदार निकनेम रख रखे हैं. किसी की मालकिन उस की नजर में काली मोटी भैंस है, तो कोई अजगर की तरह सारा दिन बिस्तर पर अलसाई पड़ी रहती है. किसी की मालकिन बिल्ली की तरह चटोरी है, तो कोई फैशन कर दिन भर मेढकी की तरह फुदकती रहती है. कोई बूढ़ी घोड़ी लाल लगाम है, तो कोई जासूस करमचंद की तरह जासूसी करती है. अरे बीवीजी, हम ने तो आप लोगों के ऐसेऐसे नाम रखे हैं, आप की ऐसीऐसी मिमिक्री करती हैं, ऐसीऐसी नकल उतारती हैं कि आप सुन लें तो चुल्लू भर पानी में डूब मरें. किसी दिन हम छुट्टी कर दें तो घर के काम करने में कैसे आप को नानी याद आती है, इस की ऐक्टिंग कर के तो हम लोटपोट हो जाती हैं.

हमारे मन का गुबार या पेट का अफारा कई तरह से निकलता है. कालोनी में किस के घर क्या चल रहा है, किस का किस के साथ चक्कर है, कौन किस के साथ रंगे हाथों पकड़ी गई, किस के घर में तीसरी औरत या तीसरे मर्द को ले कर पतिपत्नी में कुत्तों की तरह लड़ाई छिड़ी रहती है, इन झूठीसच्ची खबरों को तिल का ताड़ बना कर, अपनी तरफ से ढेरों नमकमिर्च लगा कर हम अपना तो मनोरंजन करती ही हैं, फिर ये ही खबरें हमारे मुखारविंद से घरघर जा कर मालकिन के सामने भी ब्रौडकास्ट होती हैं (सिवा उन के खुद के घर की खबरों के). हमारा यह न्यूज चैनल बहुत लोकप्रिय है. अपनी मालकिन को ब्लैकमेल करना भी मुझे बहुत आता है. त्योहारों पर इनाम और दीवाली पर तो 1 महीने का वेतन बोनस मैं धरा ही लेती हूं, हर नए साल पर वेतन बढ़वा लेना भी मुझे खूब आता है. इस के अलावा उन की किसी पड़ोसिन ने अपनी मेड सर्वेंट को क्या दिया है, इस की खबर भी बढ़ाचढ़ा कर सुना कर अपनी मालकिन को ब्लैकमेल करने में पीछे नहीं रहती हूं ताकि वे उस से भी बढ़चढ़ कर मुझ पर कपड़े, बरतन, खानेपीने का सामान लुटाने में पीछे न रह जाएं. अंत में मैं स्पष्ट कर दूं (चाहे तो इसे धमकी भी समझ सकती हैं) कि हम घरेलू कामवाली मेड सर्वेंट ने अपनी यूनियन भी बना रखी है जिस की मैं अध्यक्ष हूं. हम सब की मंथली मीटिंग होती है, जिस में हम अपने वेतन, छुट्टियों, काम के घंटों आदि पर कंट्रोल रखती हैं. मांगें पूरी न होने पर हड़ताल करना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है. शिकायत ले कर थाना, कचहरी जाने में भी हमें कोई डर नहीं है, क्योंकि अंतत: जीत तो हमारी ही होनी है. कानून तो हमेशा (चाहे कोई भी दोषी हो) ससुराल विरुद्ध बहू के केस में बहू का, मकानमालिक विरुद्ध किराएदार में किराएदार का पक्ष लेता है, इसलिए मालकिन विरुद्ध नौकरानी में नौकरानी का ही पक्ष लेगा, इस का हमें पूर्ण विश्वास है. हम सर्वव्यापी हैं, सर्वशक्तिमान हैं. आप को काम पर रखना हो तो रखो, नहीं तो, मैं तो चली…

मेरे पति को शादी से पहले अबौर्शन के बारे में नहीं पता, मैं क्या करूं?

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है, तो ये लेख अंत तक जरूर पढ़ें…

सवाल-

मेरे विवाह को ढाई साल हुए हैं और मैं चाहते हुए भी  प्रैंगनैंट नहीं हो पा रही हूं. विवाह से ढाई साल पहले मैं ने गर्भपात कराया था. अब मुझे डाक्टर के पास चैकअप के लिए जाने में यह डर लगता है कि कहीं विवाह से पहले कराए गए गर्भपात की बात मेरे पति के सामने न खुल जाए. कृपया सलाह दें कि ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब-

अगर आप और आप के पति संतान के इच्छुक हैं, तो अच्छा होगा कि आप दोनों किसी फर्टिलिटी स्पैशलिस्ट से जल्दी राय लें और अपनी जांच तथा इलाज कराएं. अब और इंतजार करते रहने से लाभ नहीं. जहां तक आप के अतीत का सवाल है, तो यह बात आप अब भी छिपा सकती  हैं. जब तक आप खुद इस बारे में कोई जानकारी नहीं देंगी तब तक डाक्टर के लिए यह अनुमान लगा पाना संभव नहीं कि आप ने पहले गर्भपात कराया है. हां, क्लीनिकल हिस्टरी लेते वक्त वे आप से इस बाबत सवाल जरूर पूछेंगी. आप उस समय अगर चाहें तो इस का उत्तर न में दे सकती हैं. यद्यपि यह सच है कि डाक्टर से हिस्टरी छिपाना ठीक नहीं होता, लेकिन हालात को देखते हुए यही उचित होगा कि आप अतीत की घटनाओं के बारे में चुप ही रहें. यह बात ठीक से समझ लें कि प्रैगनैंट न होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. विकार पतिपत्नी में से किसी में भी हो सकता है. समस्या से उबरने के लिए धैर्य और हिम्मत रखने के साथसाथ डाक्टर पर भी विश्वास जरूरी है. बहुत से दंपती बारबार डाक्टर बदलते हैं. यह कतई ठीक नहीं है. ऐसा करने पर समस्या का समाधान नहीं निकल पाता.

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कई अध्ययनों में यह साफ हो गया है कि जैसेजैसे महिलाओं की उम्र बढ़ती जाती है क्रोमोसोम में खराबी आने से असामान्य अंडों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. परिणामस्वरूप गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है, साथ ही अबौर्शन होने का खतरा भी बढ़ जाता है.

कुछ महिलाओं के अंडों की गुणवत्ता 20 या 30 साल में ही खराब हो जाती है तो कुछ की 43 साल की उम्र तक भी बरकरार रहती है. एक औसत महिला की अंडों की गुणवत्ता उम्र बढ़ने के साथ कम हो जाती है.

40 की उम्र में अबौर्शन कितना सुरक्षित: 40 तक आतेआते परिवार पूरी तरह सैटल हो जाता है और बच्चे भी बड़े हो जाते हैं. तब गर्भवती होने की खबर एक शौक के समान हो सकती है. ऐसे में अबौर्शन का निर्णय लेना जरूरी लेकिन कठिन हो जाता है. यह सही निर्णय होता है, पर आसान नहीं. 30 से 35 की उम्र में अबौर्शन कराने की तुलना में 40 पार के लोगों के लिए यह अधिक रिस्की होता है.

बढ़ते अबौर्शन के मामले

स्वास्थ्य विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि मातृत्व में देरी न करें, क्योंकि 30 की उम्र पार करने के बाद फर्टिलिटी कम हो जाती है. बहुत सारी महिलाएं यह मानने लगी हैं कि गर्भनिरोधक उपायों की अनदेखी करना सुरक्षित है, इसलिए उन की संख्या बढ़ती जा रही है जो 40 के बाद अबौर्शन कराती है. आईवीएफ के बढ़ते चलन ने भी इस धारणा को मजबूत किया है कि उम्र बढ़ने के साथ महिलाओं की प्रजनन क्षमता तेजी से कम होती है. 30 के बाद प्रजनन क्षमता कम हो जाती है, लेकिन इतनी कम भी नहीं हो जाती कि आप गर्भनिरोधक उपायों को नजरअंदाज कर दें.

निर्णय आपका : सास से परेशान बेचारे दामाद की कहानी

संसार में शायद मुझ से अधिक कोई बदनसीब नहीं होगा. विवाह में सब को दहेज में गाड़ी, सोफा, फ्रिज मिलता है, सुंदर पत्नी घर आती है, लेकिन हमारे साथ ऐसा नहीं हुआ. हमारा विवाह हुआ, पत्नी भी आई और दहेज में सास मिल गई.

हम ने सोचा 1-2 दिन की परेशानी होगी सो भोग लो, किंतु हमारी सोच एकदम गलत साबित हुई. हमें पत्नीजी ने बताया कि आप की सास को यहां का हवापानी काफी जम गया है सो वह अब यहीं रहेंगी. यहां की जलवायु से उन का ब्लड प्रेशर भी सामान्य हो गया है.

हम ने सुना तो हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ गया, लेकिन यदि विरोध करते तो तलाक की नौबत आ जाती. हो सकता है ससुराल पक्ष के व्यक्ति दहेज लेने का, प्रताड़ना का मुकदमा ठोंक देते. इसलिए मन मार कर हम ने यह सोच कर कि आज का दौर एक पर एक फ्री का है, सास को भी स्वीकार कर लिया.

2-3 माह तक दिल पर पत्थर रख कर हम अपनी सास को सहन करते रहे, लेकिन सोचा कि आखिर यह छाती पर पत्थर रख कर हम कब तक जीवित रह पाएंगे? सो हम ने पत्नीजी से सास की पसंद एवं नापसंद वस्तुओं को जान लिया. हमारी सास को कुत्ते, बिल्ली से सख्त नफरत थी. बचपन में उन की मां का स्वर्गवास कुतिया के काटने से हुआ था. पिताजी का नरकवास बिल्ली के पंजा मारने से हुआ था. हम ने भी मन ही मन ठान लिया कि कुत्ता, बिल्ली जल्दी से लाएंगे ताकि सासूजी प्रस्थान कर जाएं और हम अपनी जिंदगी को सुचारु रूप से चला सकें.

हम ने अपने अभिन्न मित्र मटरू से अपनी समस्या बताई और वह महल्ले से एक खजिया कुत्ते का पिल्ला और एक मरियल बिल्ली को ले आए. हम उन्हें खुशीखुशी झोले में डाल कर अपने घर ले आए. हमारी पत्नी ने देखा तो दहाड़ मार कर पीछे हट गई. सासूमां ने बेटी की दहाड़ सुनी तो दौड़ती आईं. हमारे झोले से खजिया कुत्ता एवं बिल्ली को देखा. हम खुश हो गए कि अब तो हमारी सास आधे घंटे बाद घर छोड़ कर प्रस्थान कर जाएंगी लेकिन मनुष्य जो सोचता है वह कब पूरा होता है?

सास ने उन 2 निरीह प्राणियों को देखा तो चच्चच् कर के वहीं जमीन पर बैठ गईं और हमारी ओर बड़ी दया की नजरों से देख कर कहा, ‘‘सच में दामाद हो तो तुम जैसा.’’

‘‘क्यों, ऐसा हम ने क्या कर दिया सासूमां?’’ हम ने प्रसन्नता को मन में छिपाते हुए पूछा.

‘‘अरे, दामादजी, तुम इन निरीह प्राणियों को ऐसी स्थिति में उठा लाए, ये काम बिरले व्यक्ति ही कर सकते हैं. मैं पहले जानवरों से बहुत नफरत करती थी, लेकिन जब से जानवरों की रक्षा करने वाली संस्था की सदस्य बनी हूं तब से  मेरा दृष्टिकोण ही बदल गया. तुम खड़े क्यों हो…आटोरिकशा लाओ?’’ सासूजी ने आदेश दिया.

‘‘आटोरिकशा किसलिए?’’

‘‘अस्पताल चलना है.’’

‘‘क्यों? यह (पत्नीजी उठ बैठी थीं) तो ठीकठाक हैं?’’ हम ने भोलेपन से कहा.

‘‘दामादजी, इन कुत्तेबिल्ली के बच्चों को ले कर चलना है, जल्दी करो,’’ सासूमां ने आर्डर दिया. हम दिल पर पत्थर रख कर चले गए. आगे की घटना बड़ी छोटी है.

आटोरिकशा आया, उस के रुपए हम ने दिए. वेटनरी डाक्टर को दिखाया उस के रुपए हम ने दिए. जानवरों के लिए 1 हजार रुपए की दवा खरीदी वह रुपए देतेदेते हमें चक्कर आने लगे थे. कुल जमा 1,500 रुपयों पर हमें हमारे दोस्त मटरू ने उतार दिया था. घर ला कर उन जानवरों के लिए दूध, ब्रेड की व्यवस्था भी की, और जब ओवर बजट होने लगा तो एक रात चुपके से हम ने दोनों को थैली में बंद कर के मटरू के?घर में छोड़ दिया.

हमारी सास जब सुबह उठीं तो बड़ी दुखी थीं कि पालतू जानवर कहां चले गए? हमारा दुर्भाग्य देखो कि मटरू स्कूटर से सुबह ही आ धमका, ‘‘अरे, गोपाल, ये दोनों मेरे घर आ गए थे. मैं इन्हें ले आया हूं,’’ कह कर उस ने मुझे शादी के तोहफे की तरह कुत्ते का पिल्ला और बिल्ली दी. सासूमां खुशी से झूम उठीं. हम मन ही मन कुढ़ कर रह गए. आखिर किस से अपने मन की व्यथा कहते?

कुत्ते का पिल्ला ठीक हो गया था. उस की खुराक भी हमारी सास की खुराक की तरह बढ़ रही थी. हम खून के आंसू रो रहे थे. सास को जमे 6 माह हो चुके थे. पत्नी थीं कि उन्हें घर भेजने का नाम ही नहीं ले रही थीं.

हम अपने दोस्त मटरू के पास गए. उस के सामने खूब रोएधोए. उसे हमारी दशा पर दया आ गई. उस ने मुझे एक प्लान बताया जिसे सुन कर हम खुश हो गए. उस प्लान में एक ही गड़बड़ी थी कि श्रीमती को ले कर मुझे बाहर जाना था, लेकिन वह सास के बिना माफ करना, अपनी मां के बिना जाने को तैयार ही नहीं होती थीं.

हम ने अपने मित्र मटरू को वचन दिया कि उस की दी गई तारीख को केवल सास ही घर में रहेंगी. मैं और पत्नी सिनेमा देखने जाएंगे. इन 3-4 घंटों में वह काम निबटा कर सब ठीक कर लेगा.

हम ने मौका देख कर पत्नी की प्रशंसा की, उस के साथ कुछ पल तन्हातन्हा गुजारने की मनोकामना प्रकट की. वह थोड़ा लजाई, थोड़ा घबराई, मां की याद भी आई, लेकिन हमारे प्यार ने जोर मारा और वह तैयार हो गई कि मैं और वह शाम को फिल्म देखने चलेंगे.

हालांकि सासूमां को अकेला छोड़ कर जाने पर उन्होंने आपत्ति प्रकट की लेकिन पत्नी ने उन्हें समझाया कि टिक्कू कुत्ता, दीयापक बिल्ली?है इसलिए अकेलापन खलेगा नहीं. बुझे मन से उन्होंने भी जाने की इजाजत दे दी.

हम ने खट से मटरू को मोबाइल से यह खबर दे दी कि हम शाम को निकल रहे हैं, देर से लौटेंगे. रात 10 से 1 के बीच सासूमां का काम निबटा ले. मटरू भी तैयार हो गया?था. हम भी खुश थे कि चलो, बला टलेगी, लेकिन पति हमेशा से ही बदकिस्मत पैदा होता है.

प्लान यह था कि मटरू रात में साढ़े 10 बजे के बीच घर में प्रवेश करेगा और मुंह पर कपड़ा बांध कर सासूमां को डरा कर चोरी कर लेगा. सासूमां डर के मारे या तो भाग जाएंगी या हमारे घर से हमेशा के लिए बायबाय कर लेंगी.

हम पत्नी को 4 घंटे की एक फिल्म दिखलाने शहर से बाहर ले गए. रात 10 बजे फिल्म छूटी. हम ने भोजन किया. फोन से मटरू को खबर भी कर दी कि जल्दी से अपने आपरेशन को अंजाम दे. हमारी पत्नी अपनी मां को ले कर काफी चिंतित थी. हम ने आटोरिकशा वाले को पटा कर 50 रुपए अधिक दिए ताकि वह घर पर लंबे रास्ते से धीमी गति से पहुंचे.

रात साढ़े 12 बजे जब हम अपने घर पहुंचे तो घर के बाहर भीड़ जमा थी. पुलिस की एक वैन खड़ी थी. चंद पुलिस वाले भी थे. हमारा माथा ठनका कि मटरू ने कहीं जल्दबाजी में सासूमां का मर्डर तो नहीं कर दिया?

हम जब आटोरिकशा से उतरे तो महल्ले के निवासी काफी घबराए थे. पत्नी अपनी मां की याद में रोने  लगी तभी अंदर से सासूमां पुलिस इंस्पेक्टर के साथ बाहर हंसतीखिलखिलाती निकलीं. उन्हें हंसते देख हमारा माथा ठनका कि भैया आज मटरू पकड़ा गया और हमारा प्लान ओपन हुआ. बस, तलाक के साथसाथ पूरा महल्ला थूथू करेगा सो अलग. सब कहेंगे, ‘‘ऐसे टुच्चे दोस्त हैं जो ऐसी सलाह देते हैं.’’

हम शर्म से जमीन में गड़ गए. मन ही मन विचार किया, कभी ऐसा गंदा प्लान नहीं बनाएंगे. अचानक हमारे कान में मटरू की आवाज सुनाई पड़ी. देखा कि वह तो भीड़ में खड़ा तमाशा देख रहा है. अब हमारी बारी चक्कर खा कर गिरने की आ गई थी.

हम हिम्मत कर के आगे बढ़े तो देखते हैं कि पुलिस एक चोर को पकड़ कर बाहर आ रही थी. हमें देख कर सासूमां ने कहा, ‘‘लो दामादजी, इसे पकड़ ही लिया, पूरा शहर इस की चोरियों से परेशान था.’’

पुलिस इंस्पेक्टर ने हमें बधाई दी और कहा, ‘‘आप की सास वाकई बड़ी हिम्मती हैं. इन्होंने एक शातिर चोर को पकड़वाया है. इन्हें सरकार से इनाम तो मिलेगा ही लेकिन हमें आज आप के भाग्य पर ईर्ष्या हो रही है कि ऐसी सास हमारे भाग्य में क्यों नहीं थी?’’ हम ने सुना तो गद्गद हो गए. हमारी पत्नी ने लपक कर अपनी मां को गले से लगा लिया.

किस्सा यों हुआ कि हमारे मटरू दोस्त को आने में देर हो गई थी. उस की जगह उस रात अचानक असली चोर घुस आया. सासूमां ने पुराना घी खाया था, सो बिना घबराए अपने कुत्ते के साथ उसे धोबी पछाड़ दे दी. महल्ले वालों को आवाज दे कर बुलाया, पुलिस आ गई. इस तरह सासूमां ने एक शातिर चोर को पकड़ लिया. अगले दिन समाचारपत्रों में फोटो सहित सासूमां का समाचार छपा हुआ था.

अब आप ही विचार करें, ऐसी प्रसिद्ध सासूमां को कौन घर से जाने को कहेगा? आप ही निर्णय करें कि हम भाग्यशाली हैं या दुर्भाग्यशाली? आप जो भी निर्णय लें लेकिन हमारी सासूमां जरूर सौभाग्यशाली हैं जिन्हें ऐसा दामाद मिला…

हुनर बोलता है, आप का छोटा कद नहीं

फिल्म ‘लावारिस’ का एक गाना,’जिस की बीवी छोटी उस का भी बड़ा नाम है… छोटीछोटी, छोटी नाटी…’ इस गाने को सुन कर लोग आज भी खूब आनंद लेते हैं. यह गाना आज भी लोगों के जुबां पर है. खासकर शादी में इस गाने पर डांस किया जाता है. लोग इस गाने को ले कर कितना ऐंजौय करते हैं लेकिन क्या आप ने कभी गौर किया है कि इस में बीवी के शौर्ट हाइट को मजाक बनाया गया है.

केवल गाने ही नहीं बल्कि रियल लाइफ में भी लोग शौर्ट हाइट लोगों की खिल्ली उड़ाई जाती है, लेकिन शौर्ट हाइट के लोगों की टेलैंट भी तो आप देखें.

यहां पेश हैं शौर्ट हाइट के लोगों की खूबियां और उन के लिए कुछ टिप्स :

एक कहावत है ‘कद से काबिलियत को नहीं मापी जाती…’ कद्दावर बनने के लिए काम करना है जरूरी। कुछ लोग इस कहावत के सुबूत भी हैं.

कद टेलैंट को नहीं दर्शाता

लोगों की रंगत या लंबाई उन के टेलैंट को नहीं दर्शाता है. माना भी जाता है लंबे लोगों की तुलना में छोटे कद के लोगों में सोचने की ताकत ज्यादा होती है. इस का सब से बड़ा उदाहरण है लाल बहादुर शास्त्री।उन की हाइट छोटी थी लेकिन उन का व्यक्तित्व काफी उंचा था.

लाल बहादुर शास्त्री के बार में यह भी कहा जाता है कि दुनिया का हर बड़ा नेता उन से सिर झुकाशकर बात करता था. उन का कद छोटा था लेकिन उनकी काबिलियत ऊंची थी. तो वहीं सचिन तेंदुलकर की उपलब्धियां किसी से छिपी नहीं हैं. उन की काबिलियत इतनी अधिक है कि वहां तक किसी का पहुंच पाना आसान नहीं होता.

क्या आप जानते हैं राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी छोटे हाइट के थे लेकिन दुनियााभर में उन को शांतिदूत माना जाता है? उन के कर्म और जज्बे का विश्वभर में गुणगान किया जाता है.

हाइट के कारण डिप्रैशन क्यों

अगर आप छोटे हाइट के हैं, तो यह सोच कर निराश न हों कि लोग आप की मजाक उड़ाएंगे. कई बार लोग अपने छोटे कद की वजह से डिप्रैशन में चले जाते हैं. लोगों को शौर्ट हाइट के लोगों का मजाक उड़ाने से बचना चाहिए. आप के एक मजाक से किसी की जिंदगी बरबाद हो सकती है, तो शौर्ट हाइट के लोगों की मजाक न उड़ाएं. उन की कद को न देंखें, काबिलियत को पहचानें.

कैरियर औप्शन

छोटे कद वाले लोगों को लगता है कि उन के लिए बेहतर कैरियर औप्शन नहीं है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है. अगर आप की भी हाइट कम है, तो आप के लिए कुछ खास अवसर हैं. अगर आप को गेम में इंट्रैस्ट है, तो कैरमबोर्ड, चेस में अपना कैरियर जरूर आजमाएं. इस के अलावा अगर आप को गाने या डांसिंंग का शौख है, तो यह भी आप के लिए अच्छी औपर्च्युनिटी है. आप आईटी जैसे कैरियर का भी चुनाव कर सकते हैं.

फैशन टिप्स

शौर्ट हाइट के लोग भी स्मार्ट और फैशनेबल दिख सकते हैं. आप भी कौन्फिडेंट और क्लासी नजर आ सकते हैं. आप को अपने आउटफिट का विशेष खयाल रखना चाहिए. आजकल कई आउटफिट्स हैं, जो शौर्ट हाइट के लोगों को भी मौडर्न लुक देते हैं. शौर्ट हाइट के लोग अपने स्किन और बालों का भी खयाल रख कर अपने पर्सनैलिटी को बेहतर बना सकते हैं. आप कुछ अलग तरीके का हेयरकट अपना सकते हैं, जिस से आप को न्यु लुक मिलेगा.

टैलेंटेड ऐक्ट्रेस राधिका मदान ने अपने फैन गर्ल मोमेंट को किया याद, इस फेमस ऐक्ट्रेस के बारे में बताई खास बातें

अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत एकता कपूर के शो, ‘मेरी आशिकी तुमसे ही’ करने वाली टेलेंटेड एक्ट्रेस राधिका मदान ने फिल्म ‘पटाखा’ से अपने प्रभावशाली डेब्यू से लेकर डिफरैंट रोल में बेहतर प्रदर्शन किया. फिल्म ‘अंग्रेजी मीडियम’ और हाल ही में रिलीज हुई फिल्म ‘सरफिरा’, तक राधिका मदान ने अपने दमदार अभिनय के बल पर जल्दी ही अपनी पीढ़ी की सबसे होनहार प्रतिभाओं में अपनी खास जगह बना ली है. फिल्मों में बेहतरीन काम की बदौलत राधिका ने दुनिया भर में एक फैनबेस बना लिया है. लेकिन क्या आपको पता है वो किसकी फैन है.

खुद से प्यार करना कितना जरूरी-

हाल ही में एक इंटरव्यू में राधिका मदान ने फेमस एक्ट्रैस करीना कपूर खान के बारे में खुलकर बात की और उनके साथ अपने फैन गर्ल मोमेंट को याद किया. राधिका ने कहा, “बचपन से ही मैंने खुद को करीना कपूर की तरह समझा है. करीना तो करीना है, और उनसे मैंने ये सीखा है कि खुद से प्यार करना कितना ज़रूरी है… जब मैंने काम करना शुरू किया, तो मुझे अहसास हुआ कि जो भी इंडस्ट्री में चलता है, लोग वही करते हैं. चाहे वो शरीर का आकार हो, चेहरा हो, कद हो या कुछ और… जब मुझे ऐसा रिएक्शन मिला, तो मैंने सोचा, अगर हर कोई एक जैसा बन जाए तो दर्शकों के लिए रोमांचक क्या रहेगा? मैंने करीना कपूर को बड़े होते देखा है. वह एक उदाहरण सेट करती हैं, मैं देख सकती थी कि वह अलग हैं और उनका काम भी.”

उन्होंने आगे कहा, “हर इंसान अलग होता है, तो अगर मैं किसी की नकल करूं, तो मैं बस एक नकल ही रहूंगी. जो मैं दे सकती हूं, वह है मेरी अनूठी पहचान.”

करीना के साथ का औनसेट अनुभव

करीना के साथ अपने औनसेट अनुभव के बारे में बात करते हुए राधिका ने कहा, “जब मुझे पता चला कि वह ‘अंग्रेजी मीडियम’ में हैं और मेरा उनके साथ एक सीन है जिसमें मेरा कोई डायलौग नहीं था, उस दिन मैं कांप रही थी. मेरे पास एक वीडियो है जिसमें मैंने ‘हेलो’ कहने की लगभग सौ बार रिहर्सल की थी. लेकिन जब मैं उनसे मिली, तो मुझे बहुत खुशी हुई और उन्होंने मुझे लंच के लिए इनवाइट किया. मैं उनके सामने बेवकूफी कर रही थी और फिर जब अगली बार मुलाकात हुई, तब चीजें थोड़ी अलग हो गईं, लेकिन मैं अभी भी उनके सामने कांप जाती हूं.”

अचीवमेंट्स

राधिका ने बहुत कम उम्र में ही बौलीवुड में अपना नाम बना लिया है. उन्होंने सिर्फ 27 साल की उम्र में नेशनल अवार्ड जीत लिया था. पटाखा के बाद राधिका ने मर्द को दर्द नहीं होता, अंग्रेजी मीडियम, शिद्दत ‘कुत्ते’, ‘कच्चे लिंबू’ और ‘सजिनी शिंदे का वायरल वीडियो’ समेत कई और फिल्मों में काम किया है. इसके अलावा राधिका ने ओटीटी पर भी कदम रखा और ‘सास, बहू और फ्लेमिंगो वेब सीरीज में भी मुख्य किरदार निभाया है. फोर्ब्स इंडिया 2024 की लिस्ट में 30 साल के कम उम्र के 30 दिग्गजों के लिस्ट में राधिका मदान ने अपनी जगह बनाई है.

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