एक दिन के एड शूट के 2.7 करोड़ लेंगी दीपिका

बॉलीवुड की डिंपल गर्ल दीपिका पादुकोण एक दिन के एड शूट के लिए करीब तीन करोड़ रुपए लेने जा रही हैं. चर्चा है कि दीपिका ने एक ब्रांड एंडोर्समेंट के लिए आठ करोड़ रुपए फीस मांगी है. यह तीन दिन के ऐड शूट के लिए है. एक दिन की फीस करीब 2.66 करोड़ रुपए होगी. यदि यह डील फाइनल होती है, तो वे शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान या रणबीर कपूर के बराबर पहुंच जाएंगी.

चर्चा है कि यह एंडोर्समेंट डील एक एयरलाइन कंपनी के साथ चल रही है. यदि दीपिका इस डील को साइन करती हैं, तो यह ‘ए’ लिस्टर एक्ट्रेसेस की एंडोर्समेंट फीस से बहुत ज्यादा होगी. अभी प्रियंका चोपड़ा और कटरीना कैफ जैसी स्टार्स एक दिन के एक ऐड के लिए एक करोड़ रुपए फीस लेती हैं.

आमतौर पर एड शूट के लिए पेमेंट हर दिन के हिसाब से होता है. इसके लिए दीपिका 1.5 करोड़ रुपए तक चार्ज करती हैं. लेकिन दीपिका ने इस एंडोर्समेंट के लिए शाहरुख, सलमान, आमिर या रणबीर के बराबर फीस मांगकर सबको चौंका दिया है. दीपिका और कंपनी के बीच बातचीत आखिरी चरण में है.

यदि स्टार वैल्यू की बात की जाए तो जानकार कहते हैं, “दीपिका मार्केट वैल्यू के हिसाब से टॉप पर रहने वाली एक्ट्रेसेस में से हैं. पिछले साल उनकी फिल्में ‘पीकू’ और ‘बाजीराव मस्तानी’ बॉक्स ऑफिस पर हिट रही थीं. “इस लिहाज से दीपिका का ये फीस मांगना ठीक है. दीपिका एक दिन के ऐड शूट के लिए 2 करोड़ रुपए से ज्यादा की बात कंपनी से कर रही हैं.”

कंगना के साथ जुड़ा नाम तो गुस्सा हुए रणबीर

रितिक रौशन से चल रहे विवाद के दौरान रणबीर कपूर ने कंगना की काफी मदद की. रणबीर, कंगना को एक अच्छा दोस्त मानकर मदद कर रहे थे. लेकिन लोगों ने इसका गलत ही मतलब निकाल लिया. फिर कंगना का भी इस पर कोई रिएक्शन नहीं आया. लेकिन ‘जग्गा जासूस’ की शूटिंग का मोरक्का शेड्यूल खत्म कर जब रणबीर स्वदेश आए और खबर उनके कानों तक पहुंची, तो वो काफी नाराज हुए.

रणबीर के एक करीबी ने कहा, ‘रणबीर को इस बात की हैरानी है कि आखिर ये अफवाह कहां से शुरू हो गई कि वो कंगना को डेट कर रहे हैं, क्योंकि इन बातों में बिल्कुल भी सच्चाई नहीं है. रणबीर पिछले काफी समय से भारत में नहीं थे. वो मोरक्को में ‘जग्गा जासूस’ की शूटिंग कर रहे थे. लेकिन भारत आकर जब उन्हें इस बात का पता चला तो वह काफी अपसेट हुए. वह जानते हैं कि इन खबरों को फैलाने के पीछे किसका हाथ है. अगर ऐसी खबरें आनी बंद नहीं होती हैं, तो वह इस मुद्दे को गंभीरता से उठाएंगे.’

गौरतलब है कि कुछ समय पहले ही रणबीर का कट्रीना से ब्रेकअप हुआ है. ऐसे में रणबीर पहले ही टेंशन में हैं. इस पर उनका नाम कंगना के साथ जोड़कर लोगों ने उन्हें और परेशान कर दिया है.

अंतरिक्ष में जाने की तैयारी में हैं आमिर

बॉलीवुड में मिस्टर परफेक्शनिस्ट कहे जाने वाले आमिर खान हमेशा ही अपनी फिल्मों में डिफरेंट कैरेक्टर में नजर आते हैं. एक दौर में आमिर फिल्मों में महज एक लवर ब्यॉय की भूमिका निभाते नजर आते थे. लेकिन धीरे-धीरे अनुभव बढ़ने के साथ-साथ उनका किरदार भी काफी चुनौतीपूर्ण होता गया. फिर चाहे गजनी हो, पीके हो या फिर उनकी अपकमिंग मूवी दंगल. लिहाजा अब वे हमेशा ही अपने दर्शकों के लिए चुनौतीपूर्ण भूमिका वाली फिल्में ही लाते हैं.

एक खबर के मुताबिक दंगल के बाद आमिर एक और बेहत चुनौतीपूर्ण किरदार करते नजर आएंगे. दरअसल, दंगल के बाद आमिर एस्ट्रोनॉट की भूमिका में दिखाई देंगे. इस फिल्म में आमिर राकेश शर्मा की भूमिका अदा करेंगे.

बता दें कि राकेश शर्मा एक एयरफोर्स पायलेट थे. जो स्पेस पर जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे, जिन्हें वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था.

उनका एक किस्सा काफी मशहूर है कि जब राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष से पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को फोन किया था. तब इंदिरा ने उनसे पूछा, अंतरिक्ष से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है? इस पर उन्होंने कहा, ”सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा.” ऐसे में आमिर अब लीड रोल वाली इस भूमिका के जरिए राकेश शर्मा के स्पेस के सफर के बारे में दर्शाते नजर आएंगे.

अब हीरोइनें छुईमुई नहीं रहीं: श्रद्धा कपूर

स्टार बेटियों में अपने समय के मशहूर खलनायक शक्ति कपूर की बेटी श्रद्धा कपूर के कॅरियर की पहली फिल्म ‘तीन पत्ती’ को नजरअंदाज कर दें, तो वे निरंतर सफलता की ओर अग्रसर हैं. वे बॉलीवुड में 100 नहीं, बल्कि 2-2 सौ करोड़ी फिल्मों का हिस्सा बन चुकी हैं.

रोमांटिक फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखाने के बाद श्रद्धा कपूर ने फिल्म ‘एबीसीडी 2’ में हिपहॉप डांस कर के सभी को चौंका दिया. वे फिल्मों में गा भी रही हैं. इस के अलावा वे फिल्म ‘बागी’ में खतरनाक ऐक्शन करते हुए भी नजर आई हैं.

पेश हैं, उन से हुई गुफ्तगू के कुछ अहम अंश:

कलाकार के तौर पर अपनी सफलता को किस तरह से देखती हैं?

सफलता का असली पैमाना यह है कि कितने लोग मेरी फिल्म देखने थिएटर जाना पसंद करते हैं. मैं जब अपने घर से बाहर निकलती हूं और पाती हूं कि लोग मुझे देखने के लिए खड़े होते हैं, तो मुझे लगता है कि मैं सफल हूं, मेरे प्रशंसकों की संख्या बढ़ती जा रही है. सच कहूं तो ‘आशिकी 2’ के मेरे ‘आरोही’ के किरदार से मुझे सब से ज्यादा फायदा मिला.

कोई ऐसा किरदार, जिसने आपकी निजी जिंदगी पर लंबे समय के लिए प्रभाव डाला हो?

किसी न किसी वजह से हर किरदार का मुझ पर प्रभाव पड़ा है. जो किरदार कलाकार निभाता है, उस का असर कलाकार पर हो जाता है. कभी-कभी हम इस बात का अहसास कर लेते हैं, तो कई बार हमें एहसास ही नहीं हो पाता कि किरदार ने हमारी जिंदगी पर किस तरह से प्रभाव डाला है.

अब हर हीरोइन ऐक्शन करते नजर आना चाहती है. क्यों?

समाज व सिनेमा तेजी से बदल रहा है. अब निजी जिंदगी में कोई भी लड़की या औरत छुईमुई बन कर नहीं रहना चाहती. इसीलिए अब हीरोइनें भी छुईमुई नहीं रहीं. आखिरकार सिनेमा समाज का ही आईना है. दर्शक भी हीरोइनों को चुनौतीपूर्ण किरदार निभाते देखना चाहते हैं.

निजी जिंदगी में आप क्या हैं?

मैं बहुत शर्मीली व संकोची स्वभाव की हूं. मैं सिर्फ अपने पारिवारिक सदस्यों और करीबी दोस्तों के संग ही खुल कर बात कर पाती हूं.

आप संकोची स्वभाव की हैं, पर आदित्य राय कपूर के संग आपकी रिलेशनशिप की बातें होती रहती हैं?

क्या कर सकती हूं. यह लिंकअप तो शुरू से चला आ रहा है. मेरे कहने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. जिसे जो लिखना है, वह लिखता रहेगा. मेरी अपनी चाहत यही है कि मेरी निजी जिंदगी को लोग बख्श दें. मेरी निजी जिंदगी को ले कर कोई सवाल न करें.

देखिए, आदित्य राय कपूर के साथ मैंने फिल्म ‘आशिकी 2’ की, जो सुपर हिट रही. अब उन के साथ मैं फिल्म ‘ओके जानू’ कर रही हूं. लोगों के लिखने पर मैं पाबंदी नहीं लगा सकती. इसलिए उन की बातों का मुझ पर असर नहीं होता. मुझे सिर्फ इतना पता है कि मैं सिंगल हूं.

चर्चा है कि आपने माता-पिता से अलग रहने का फैसला करते हुए मकान खरीदा है?

गलत. मैंने मकान जरूर खरीदा है, पर यह मेरा इनवैस्टमैंट है. मैं अपने माता पिता के साथ ही रह रही हूं और उन के साथ ही मुझे रहना है. उन से अलग रहने की तो मैं कल्पना भी नहीं कर सकती. मैं अपने माता-पिता से बहुत जुड़ी हुई हूं. मैं जब सुबह सो कर उठती हूं, तो अपने माता-पिता, अपने भाई सिद्धार्थ और अपने डौगी का चेहरा देखना मुझे अच्छा लगता है. मुझे नहीं लगता कि मैं कभी इन से दूर जा पाऊंगी.

आप लिव इन रिलेशनशिप में कितना यकीन करती हैं?

इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकती, क्योंकि मुझे यह भी नहीं पता कि क्या मैं अपने मातापिता से अलग रह पाऊंगी? मुझे अपने परिवार के साथ रहना पसंद है.

स्कूल के दिनों में टाइगर को आपसे प्यार था?

उसने मुझ से यह बात कभी नहीं कही. एक दिन उस ने यह बात किसी पत्रकार से इंटरव्यू के दौरान कही थी. उसके बाद जब मैंने उस से पूछा, तो उसने कहा उस वक्त वह संकोची स्वभाव के चलते कह नहीं पाया था. मैं व टाइगर श्रौफ बचपन के दोस्त हैं. हम स्कूल में भी एकसाथ पढ़ते थे. उस का अभिनेता बनना मेरे लिए आश्चर्य की बात है. पर उस के साथ फिल्म करना मेरे लिए बहुत ही वंडरफुल अनुभव रहा.

संगीत के क्षेत्र में क्या हो रहा है?

मैं अपनी फिल्मों में मौका मिलते ही गाना गा लेती हूं. फिल्म ‘बागी’ में भी मैंने ‘सब तेरा…’ गीत गाया है. जब मैं अपनी फिल्म में अपने लिए गाना गाती हूं, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है. मेरी कोशिश रहेगी कि मैं अपनी हर फिल्म में कम से कम 1 गाना जरूर गाऊं.

क्या आप रियाज के लिए समय निकाल पाती हैं?

जब वक्त मिलता है, गाना गाती हूं. मैं अभी भी संगीत की क्लास ले रही हूं. सामंथा ऐडवर्ड से मैं फिल्म ‘रौक औन 2’ के लिए संगीत सीख रही हूं. वे गायकी की बहुत बड़ी कोच हैं.

क्या आप भी प्रियंका चोपड़ा की तरह अपना सिंगल गाना ले कर आना चाहेंगी?

फिलहाल ऐसी कोई योजना नहीं है. अभी तो मेरा सारा ध्यान फिल्मों में अभिनय करने व फिल्मों में गीत गाने पर है. पर मैं फिल्मों में पार्श्वगायन नहीं करना चाहती यानी दूसरे कलाकारों के लिए अपनी आवाज नहीं देना चाहती. मैं खुद को पार्श्व गायक नहीं मानती.

सिनेमा में आ रहे बदलाव को आप किस तरह से देखती हैं?

औफ बीट फिल्मों के हिट होने और कमर्शियल सिनेमा के असफल होने पर मुझे सुखद एहसास होता है. ‘क्वीन’ या ‘हैदर’ जैसी अच्छी सिनेमैटिक फिल्मों का हिट होना बता रहा है कि सिनेमा व सिनेमा के दर्शक तेजी से बदल रहे हैं. मैं चाहती हूं कि अच्छी लिखी फिल्में ज्यादा से ज्यादा बनें.

दोस्तों को उधार दें, पर जरा संभल के

फाइनेंस एग्जिक्यूटिव सौरभ थानेकर के एक दोस्त ने जब उनसे अपने परिवार में किसी के बीमार होने पर उधार मांगा तो सौरभ ने तुरंत उन्हें 40,000 रुपये दे दिए. दो दिन बाद सौरभ को पता चला कि उनके दोस्त ने झूठ बोला था और उसने एक हाई-एंड स्मार्टफोन का नया मॉडल खरीदने के लिए पैसा लिया था. सौरभ को एक ऐसे व्यक्ति ने धोखा दिया, जिसे वह अपना दोस्त मानते थे.

हमारे देश में दोस्तों और रिश्तेदारों को उधार देना आम बात है. इसमें वास्तविक और काल्पनिक आपात स्थितियों के लिए कम रकम की उधारी से लेकर बिजनेस शुरू करने के लिए दिए जाने वाले बड़े कर्ज शामिल होते हैं. इस तरह की उधारी के लिए आमतौर पर कोई पेपरवर्क नहीं किया जाता और इसी वजह से इसमें धोखा होने की आशंका अधिक रहती है.

आपको अपने जानने वालों को उधार देते समय कुछ सावधानी बरतनी चाहिए. उधार देने से पहले खुद से पूछें कि क्या आप इसे अफोर्ड कर सकते हैं? याद रखें कि आपको शायद लंबे समय तक अपनी रकम वापस नहीं मिलेगी. अगर आप घर खरीदने या अपने बच्चे की एजुकेशन के लिए सेविंग कर रहे हैं तो उधार देने से आपके इस तरह के किसी फाइनेंशियल गोल पर असर पड़ सकता है.

अगर आप उधार लेने वाले को अच्छी तरह जानते हैं तो भी जांच-पड़ताल करना बेहतर रहेगा. केवल उनके कहने पर उन कारणों को स्वीकार न करें जिनके लिए वे उधार मांग रहे हैं, जैसा कि सौरभ ने किया था.

मुंबई के आईटी इंजीनियर क्षितिज शर्मा को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था. उनसे एक दोस्त ने अपने परिवार के किसी सदस्य के इलाज के लिए उधार मांगा था. क्षितिज ने उन्हें 50,000 रुपये दिए थे. बाद में क्षितिज को पता चला कि उनके दोस्त ने इसी तरह का कारण बताकर अन्य लोगों से भी एक लाख रुपये का उधार लिया था. उस दोस्त के परिवार में कोई भी बीमार नहीं था और उसने उधार की रकम को फिजूल की चीजों पर खर्च कर दिया था. क्षितिज ने छह महीने तक अपने दोस्त के पीछे पड़कर उनसे अपनी रकम वसूल की. क्षितिज कहते हैं, ‘अब मैं किसी को उधार देते समय अपनी भावनाओं को अलग रखता हूं. मैं उधार देने से पहले दोस्तों और रिश्तेदारों से उस व्यक्ति के बारे में पता करता हूं.

 आईटी प्रोफेशनल कोयल घोष ने अपनी एक मित्र की नौकरी जाने पर उन्हें एजुकेशन लोन की ईएमआई चुकाने के लिए 25,000 रुपये का उधार दिया था, लेकिन कोयल को अपना पैसा वापस नहीं मिला. कोयल कहती हैं, ‘उधार देने से पहले बॉरोअर की फाइनेंशियल स्थिति की जांच करें.’

लेंडर के तौर पर आपको यह पूछने का अधिकार है कि पैसे की जरूरत क्यों है. अगर आपको लगता है कि जरूरत वास्तविक है तो उधार चुकाने की बॉरोअर की क्षमता को देखें. अगर बॉरोअर को बिल चुकाने या अन्य लेंडर्स की रकम वापस करने में मुश्किल हो रही है तो आपका पैसा वापस मिलने के आसार भी बहुत कम होंगे. इस वजह से दोस्तों और रिश्तेदारों को उधार देने के समय भावनाओं में न बहें.

जो दिखता है, वही बिकता है

इंडिया की टैनिस स्टार सानिया मिर्जा अपने खेल के बराबर ही खूबसूरती की वजह से भी लोगों के दिलों पर राज करती हैं.

टीवी और इंटरनैट के दौर में ग्लैम वर्ल्ड के अलावा दूसरे क्षेत्रों में भी अट्रैक्टिव, हौट और सैक्सी दिखना हिट होने की पहली शर्त है. यह बात सिर्फ फीमेल्स पर ही नहीं वरन मेल्स पर भी लागू होती है. अगर उन में सैक्स अपील है तो उन की फैन फौलोइंग दूसरों से ज्यादा देखने को मिलेगी.

सैक्स अपील उभारने के लिए खिलाड़ी ऐक्सपर्ट्स की भी मदद लेते हैं. कई लोगों को उन का पेशा यह मौका दे देता है. सानिया मिर्जा या साइना नेहवाल को निजी मौकों पर बहुत कम ही शौर्ट ड्रैस में देखा होगा. लेकिन कोर्ट में उन के शौर्ट्स और स्कर्ट ने उन्हें युवाओं के दिलों की रानी बना दिया है. मीडिया हो या सोशल मीडिया इन पर उन की शौर्ट ड्रैसेज के ही फोटो देखने को मिलते हैं.

भले ही ये दोनों महिला खिलाड़ी ग्लैमर वर्ल्ड से न हों, लेकिन इन की फैन फौलोइंग किसी बौलीवुड ऐक्ट्रैस से कम नहीं है. बेशक, इस में उन के खेल का भी योगदान है, लेकिन इन की सैक्स अपील को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, क्योंकि अलगअलग खेलों में कई बड़ी महिला खिलाड़ी रही हैं, लेकिन उन का नाम आज कोई नहीं जानता, क्योंकि इन की तरह उन में सैक्स अपील नहीं थी.

सैक्स अपील है तो होंगे हिट

खेल की दुनिया में टिकने के लिए अच्छा खिलाड़ी होना तो जरूरी है ही, लेकिन सैक्स अपील भी माने रखती है, क्योंकि टीवी व सोशल मीडिया पर आप की तसवीरें छाई रहती हैं. इसलिए खिलाडि़यों को फिटनैस व खेल के साथसाथ मेकओवर पर भी विशेष ध्यान देना पड़ता है.

टॉप ग्लैमरस महिला खिलाड़ी

मिली नई पहचान: सानिया मिर्जा अपने खेल के साथसाथ अपने हौट लुक के लिए भी जानी जाती हैं. उन की छोटी स्कर्ट का लहराना हमेशा कट्टरपंथियों के निशाने पर रहा. उन की स्कर्ट का जादू हो या नोजरिंग पहन कर कोर्ट में उतरना अथवा उन की टीशर्ट पर छपे संदेश, इन सभी से ज्यादा सानिया को सैक्स अपील के कारण ज्यादा लाइक मिले. आज सानिया का नाम उन की पर्सनैलिटी की वजह से ज्यादा लिया जाता है.

कामयाबी की राह पर: साइना नेहवाल ने स्कर्ट के बजाय शौर्ट्स पहन कर खेल में उतरना ज्यादा पसंद किया. उन का नाम सानिया के बराबर ही सैक्स अपील को ले कर चर्चित रहा है. साइना कभी निकर में दिखती हैं तो कभी स्कर्ट में. वे खेल के साथसाथ अपनी सैक्स अपील के कारण भी लोकप्रिय हैं.

तेजतर्रार और सैक्सी: बैडमिंटन कोर्ट में छोटी स्कर्ट पहन कर उन की दिखती लंबी टांगों का सैक्सी दिखना तो लाजिम है, इस वजह से ज्वाला के खेल से ज्यादा उन की पर्सनैलिटी का जलवा दर्शकों को उन का कायल बनाता है. तेजतर्रार ज्वाला अपने खेल के साथसाथ अपनी सैक्स अपील के लिए भी जानी जाती हैं. वे बौलीवुड फिल्म में एक आइटम नंबर भी कर चुकी हैं.

महारथ हासिल: प्राची तहलान नैटबौल और बेसबौल की बेहतरीन फीमेल प्लेयर हैं. सैक्स अपील को ले कर प्राची का नाम भी भारतीय सुदंरियों में लिया जाता है. प्राची ने छोटी उम्र से ही खेलना शुरू कर दिया था.

ब्यूटी विद ब्रेन: ब्यूटी विद ब्रेन के नाम से चर्चित तानिया सचदेव का खेल तो बेहतरीन है ही, उन की खूबसूरती के भी खूच चर्चे होते हैं. इन की खेल से ज्यादा तारीफ इन की ब्यूटी के लिए होती है. तानिया अंतर्राष्ट्रीय चैस प्लेयर हैं.

खूबसूरती की मिसाल: बोल्ड ऐंड सैक्सी दिखने वाली दीपिका पल्लीकल का नाम भी वर्ल्ड टौप 10 स्क्वैश खिलाडि़यों में दर्ज है. इन की खूबसूरती के चर्चे भी गलीगली होते हैं.

शानदार गोल्फर: खूबसूरती की मिसाल शर्मिला निकोलेट शानदार गोल्फर्स में शामिल हैं. इन की सैक्स अपील के कारण खेल जगत का बाजार गरम रहता है.

खेल चला पर सैक्स अपील ने हराया

दमदार वेट लिफ्टर: ‘लौह महिला’ के नाम से चर्चित कर्णम मल्लेश्वरी ने सिडनी ओलिंपिक 2000 में महिला वर्ग में कांस्य पदक जीत कर इतिहास रचा था. कर्णम का नाम उन का खेल अच्छा होने की वजह से लिया जाता है न कि उन की सैक्स अपील के कारण.

सर्वश्रेष्ठ महिला ऐथलीट: उड़नपरी पीटी ऊषा एशिया की सर्वश्रेष्ठ महिला ऐथलीट मानी जाती हैं. उन का नाम उन के द्वारा खेल में अच्छा प्रदर्शन करने के कारण लिया जाता है. सैक्स अपील के नाम पर पीटी ऊषा जीरो साबित हुई हैं.

बौक्सर पंच का जलवा: भारत की स्टार महिला मुक्केबाज एमसी मैरी कौम का नाम ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीत कर और दूसरा उन की बायोपिक के नाम से ज्यादा चर्चित रहा. उन के बेहतरीन खेल के पीछे उन के पति भी योगदान रहा है. इसलिए भी मैरी चर्चा में रही हैं. लेकिन उन की सैक्स अपील न के बराबर है.

बटरफ्लाई क्वीन: छोटी उम्र से ही ढेरों पुरस्कार अपने नाम दर्ज कराने वाली स्विमर निशा मिलेट का नाम खेल की वजह से ही लिया जाता है, खूबसूरती के लिहाज से वे फ्लौप ही साबित हुईं.                        

जो हॉट वही हिट

ऐसा नहीं है कि सैक्स अपील सिर्फ फीमेल प्लेयर्स के लिए जरूरी है. अब मैदान से बाहर सिर्फ अच्छा खेलने वाले नहीं, बल्कि उस खिलाड़ी का जिक्र यूथ्स के बीच में होता है, जिस में सैक्स अपील हो. करीब 10 साल पहले सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली के समय में ही कूल बौय राहुल द्रविड़ लड़कियों की पसंद थे. इस के बाद से तो भारत के सभी क्रिकेटर्स ने अपने लुक पर खास ध्यान देना शुरू कर दिया.

महेंद्र सिंह धोनी की लहराती जुल्फें हों या आर्मी कट हेयरस्टाइल या फिर किसी फुटबौल खिलाड़ी का अंदाज, वह लड़कियों के बीच हमेशा हिट रहे. सिर्फ धोनी ही क्यों, ट्रिम बीयर्ड, सनग्लासेज पहने विराट कोहली को ही देख लीजिए. विरोट कोहली इस समय लड़कियों के पंसदीदा प्लेयर हैं. वजह है उन का मैदान पर अग्रैसिव दिखना व उन की सैक्स अपील. विराट की फैशन सैंस हो या उन का हेयरस्टाइल, उन की लाइट बीयर्ड या सनग्लासेज, ये सभी उन की सैक्स अपील को बढ़ाने का काम करते हैं.

विराट के अलावा रोहित शर्मा का कूल अंदाज भी फीमेल के बीच काफी हिट है. रोहित शर्मा भी अपने लुक्स पर खासा ध्यान देते हैं. इस के अलावा शिखर धवन के छोटे बाल और बड़ी मूंछों वाला माचो स्टाइल भी यूथ्स को काफी पसंद है.  

फलों के लजीज व्यंजन: स्वीट ऐंड सॉर फ्रूट्स

अगर गर्मियों में आप कुछ हल्का बनाना चाहती हैं तो फलों से बनी ये रेसिपी आप ट्राई कर सकती हैं. फायदेमंद होने के साथ-साथ ये आपका समय भी बचायेगा.

सामग्री

– 300 ग्राम मिक्स फ्रूट (अनन्नास, चेरी, सेब, अंगूर, पपीता, अनार, काले अंगूर)

– 1 शिमलामिच

– 1 खीरा कटा

– 1 प्याज कटा

– 2 बड़े चम्मच हरा प्याज कटा

– 1 बड़ा चम्मच अदरक कटा

– 1/2 बड़ा चम्मच लहसुन

– 1 बड़ा चम्मच तेल.

सौस की सामग्री

– 50 ग्राम टोमैटो प्यूरी

– 20 ग्राम कौर्नफ्लोर

– 1/2 चम्मच कालीमिर्च

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

– 10 ग्राम ब्राउन शुगर

– 1 बड़ा चम्मच सोया सीरप

– 2 बड़े चम्मच सिरका

– 1 हरीमिर्च कटी

– नमक स्वादानुसार.

विधि

सारे फलों को काट लें. एक पैन में सौस की सारी सामग्री डाल कर 1/2 कप पानी डाल कर पकाएं. एक दूसरे पैन में तेल डाल कर अदरक व लहसुन को भूनें. फिर प्याज डाल कर गुलाबी होने तक भूनें. अब सारे फल डाल कर थोड़ी देर पकाएं. फिर तैयार सौस और सब्जियां डाल कर पकाएं. गरमगरम परोसें.

 

 

सच्चाई की परत खोलती फिल्म ‘Te3n’

साल 2013 में रिलीज़ हुई कोरियन फिल्म ‘मोनटेज’ पर आधारित फिल्म ‘Te3n’ एक थ्रिलर और इमोशनल फिल्म है, जिसे पहली बार बड़ी फिल्म के लिए निर्देशक बने रिभु दासगुप्ता ने काफी मेहनत से बनाया है. फिल्म की पटकथा की पकड़ को मजबूत बनाये रखने के लिए उन्होंने काफी कोशिश की है, ताकि दर्शक की उत्सुकता अंत तक बनी रहे, हालांकि वे इसमें काफी हद तक सफल भी रहे, पर बीच-बीच में फिल्म की रफ़्तार थोड़ी धीमी दिखी.

अमिताभ बच्चन ने एक वयस्क और टूटे हुए दादा की भूमिका को बहुत ही संजीदगी से निभाया है कि कैसे एक मर्मांहत दादा अपनी पोती के किड्नैपर को सजा दिलाने की कोशिश करता है. उसमें नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी की भूमिका भी देखने लायक रही. रिभु दासगुप्ता कोलकाता के हैं और उन्होंने वहां की हर लोकेशन का भरपूर उपयोग किया है.

फिल्म की कहानी इस प्रकार है, जो फ़्लैश बैक से होती हुई आगे बढती है. जॉन रॉय (अमिताभ बच्चन) पिछले 8 सालों से रोज पुलिस स्टेशन आते है. उनकी पत्नी नैन्सी (पद्मावती रॉय) व्हील चेयर पर बैठीउनकी इस हरकत से परेशान होती रहती है. जॉन बिनी किसी बात की परवाह किये अपना काम करता है वह अपनी पत्नी को समझाता है कि मेरी बेटी नहीं रही, पोती की जिम्मेदारी भी हमने ठीक से नहीं निभाई. इसलिए अपराधी को पकड़ कर ही वह अपनी पोती को न्याय दिला सकते हैं.

इस काम में वह मार्टिन (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) की सहायता चाहते हैं, लेकिन नवाज़ुद्दीन जो पहले पुलिस में ही काम करता था, पर एंजिला रॉय को न बचा पाने और फिरौती लेने वाले को न पकड़ पाने की वजह से अपनी नौकरी खोकर पादरी बन जाता है. वह जॉन को इसे भूल जाने की सलाह देता है. उसी दौरान एक और किडनैप उसी तरह से हो जाता है जिसको पकड़ने का जिम्मा सरिता (विद्या बालन) को दिया जाता है. सरिता अपनी खोज जारी रखती है और इधर जॉन अपने हिसाब से अपराधी तक पहुंचता है जो मनोहर (सव्यसांची चक्रवर्ती) होता है. वैसी ही किडनैप जो आज से 8 साल पहले हुई थी, जानकर सरिता, मार्टिन की मदद चाहती है. ऐसे ही ट्विस्ट के साथ कहानी अंजाम तक पहुचती है.

हालांकि यह एक संवेदनशील और थ्रिलर फिल्म है, इसलिए इसमें अमिताभ बच्चन ने अपनी कला का पूरी तरह से प्रयोग किया है, जिसमें बराबर का साथ दिया है नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने. विद्या बालन और अधिक कर सकती थी, जिसकी कमी दिखी. इसके अलावा तकनीक का प्रयोग इस फिल्म में खास नहीं की गई, जो किया जा सकता था. इतना सही है कि फिल्म के कुछ संवाद वाह-वाही  लूट सकते हैं. गाने कुछ ख़ास नहीं हैं, दृश्य के हिसाब से ठीक हें. इसे टू एंड हाफ स्टार दिया जा सकता है.                                                          

 

कहानी+वजीर+ज़ज्बा = TE3N

किसी भी सस्पेंस थ्रिलर का मजा उसके सस्पेंस में ही होता है, लिहाजा सस्पेंस खोलकर फिल्म की समीक्षा या पोस्टमार्टम करना दर्शकों का मजा किरकिरा कर देता है. हाँ, फिल्म TE3N के टाइटल का सस्पेंस यही है कि इसमें तीन लोग है, जॉन विस्वास, फादर मार्टिन दास और सरिता सरकार. जो एक किडनैपिंग केस की अपने अपने पूर्वग्रहों से लैस होकर पड़ताल कर रहे हैं.

फिल्म TE3N के शुरुआती क्रेडिट रोल्स से अंदाजा हो जाता है कि यह फिल्म भी काफी मेहनत और रिसर्च करके किसी सफल कोरियन फिल्म मोंटाज (मोंगटाजू) का भारतीय रूपांतरण करके बनाई गयी है. सुजोय घोष ने फिल्म के रीमेक राइट्स खरीदे और उसमें अपनी सुपर हिट फिल्म कहानी की थोड़ी सी रेसिपी और बहुत सारा बंगाल मिलाकर हिंदी दर्शकों के स्वादानुसार तैयार कर रिभु दासगुप्ता से पेश करवाया है.

फिल्म शुरू होते ही आपको फिल्म कहानी के परिवेश में ले जाती हैं. जहाँ बंगाल के पोलिस स्टेशन से एक कथा रफ़्तार पकडती है और हावड़ा ब्रिज होते हुए अपने अंजाम तक पहुँचती हैं. जॉन विश्वास (इस किरदार को बिग बी ने अपनी बदली सी बौडी लैंग्वेज से उम्दा बनाया है) अपनी 8 पहले किडनैप हुई ग्रांड डॉटर के लिए इन्साफ की आस में रोज पुलिस स्टेशन के चक्कर लगा रहे हैं. वहीँ इस केस से जुड़े इन्स्पेक्टर मार्टिन दास (नवाज़ुद्दीन सिद्धिकी) अपने कई किलो के गिल्ट के साथ पुलिस की वर्दी उतारकर पुलिस से पादरी बन चुके हैं. फिर भी उन्हें उनका अतीत और अपराधबोध रातभर करवटे बदलने पर मजबूर किये है. वहीँ सरिता सरकार (विद्या बालन अपने कैमियों को एक्सटेंड करती हुई) को मार्टिन और जौन दोनों से सहानुभूति है. इस केस की वह तीसरी कड़ी हैं.

बहरहाल 8 साल पहले जिस पैटर्न पर बच्ची की किडनैपिंग हुई थी, आज वही पैटर्न दोहराया जा रहा है. इस बार मनोहर (सब्स्याची चक्रवर्ती) की ग्रांड डाटर किडनैप हुई है. जॉन को लगता है इस बार वह अपनी नातिन के कातिल और किडनैपर को पकड़ लेगा. मार्टिन को दोबारा मौका मिला है अपनी गलती सुधारने का. कहानी इसी गुत्थी को कैसे सुलझाती है, यही फिल्म का रोचक पहलू है.

अच्छी बात

अच्छी बात यह है कि आखिर तक आपको फिल्म बांधे रखती है और बार कन्फ्यूज करती है कि असली अपराधी कौन है. हाँ, अगर बहुत ध्यान से फिल्म देखी और सुनी जाए तो अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं सस्पेंस की दीवार के पीछे कौन छिपा है. बंगाल की खूबसूरत लोकेशन एक किरदार की तरह स्क्रीनप्ले से तारतम्य बनाए रखती हैं.

इंटरवल के बाद फिल्म तेजी पकड़ती है और अंत तक स्क्रीन और कुर्सी से चिपकाए रखती है. अमिताभ बच्चन अपने टॉप फॉर्म में हैं. विद्या बिना शोरशराबे के साथ अपना नपातुला काम कर जाती हैं. और नवाज़ फिल्म लांच बॉक्स की तरह एक कॉमिक रिलीफ बनकर आतेजाते रहते हैं. किडनैपिंग को लेकर जो डर और रोमांच रचा गया है,  दर्शकों तक पहुंचता रहता है. हाउसफुल सरीखी नॉनसेंस फिल्मों के सदमे से उबरने के लिए बतौर एंटीडोट फिल्म तीन की एक खुराक ली जा सकती है.

गन्दी बात

गन्दी बात यह है कि फिल्म जैसे जैसे बढ़ती है आपको ढेर सारी फिल्मों का फ्लैश बैक देने लगती है. खास तौर से कोरियन फिल्मों की जो चेज और ट्विस्ट की परंपरा होती है वो इसमें भी मौजूद है. याद कीजिये भट्ट कैम्प की मर्डर २, कहानी. जज्बा 2 और वजीर.

 

तीन किरदारों के मजबूत अभिनय पर टिकी फिल्म TE3N स्क्रीनप्ले के मामले में हिचकोले खाने लगती है. कई बार ख़ास तौर से फर्स्ट हाफ में लगता फिल्म को फॉरवर्ड किया जाए. नवाज़ का किरदार उनके पिछले किरदारों की तुलना में काफी उलझा हुआ है. वह तय नहीं कर पाते कि उन्हें दर्शकों को अपने वन लाइनर पंच से हंसाना है या फिर अपराध बोध की आग में जलना है.

इस मामले में फिल्म ज़ज़्बा में इरफ़ान का किरदार यह कमी नहीं खलने देता था. हालांकि इस कमी की वजह नवाज नहीं बल्कि किरदार की लिखावट रही होगी. सहायक कलकारों में जॉन की पत्नी पद्मावती राव और सब्स्याची के किरदारों को ज्यादा कसा नहीं गया है जबकि ये दोनों किरदार इमोशनल और थ्रिलर पॉइंट से बहुत इंटेंस ड्रामा रच सकते थे. थ्रिलर फिल्मों में आम तौर पर उत्सुकता पैदा करने वाला बैकग्राउंड म्यूजिक कमजोर है और एक रीमिक्स गाना खलता है. एन्ड रोल का बढ़िया गीत बीच फिल्म  में प्लेस किया जाता तो शायद बेहतर होता.

बाकी ममता बनर्जी को बड़ा सा थैंक्स कहकर जिस तरह फिल्म बंगाल को भुनाती है, कहानी को उतना नहीं भुना पाती. कुछ मिसिंग सा लगता है. और रही बात कोरियन फिल्मों की भारतीयकरण या बंगालीकरण करने की तो यह काम हॉलीवुड वाले भी ओल्ड बॉयज़ और इंटरनल अफेयर्स की तर्ज़ पर कर ही रहे हैं. आखिर फिल्मों का बिजनेस सेन्स भी कोई चीज है.

आखिरी बात

 एक बार देख सकते हैं TE3N. वर्ना टीवी पर तो प्रीमियर हो ही जायेगा लेकिन तब तक आपका कोई खुराफ़ाती दोस्त या अखबार वाला फिल्म का सस्पेंस खोल दे शिकायत भी न कीजिएगा.

राम सीता का गोरखधंधा

एक महिला अपने पति के साथ अल्ट्रासाउंड सैंटर पहुंचती है. डाक्टर उस का चैकअप कर कहता है कि घर जा कर आराम कीजिए, चिंता की कोई बात नहीं है. खूब फल खाएं और समयसमय पर चैकअप कराती रहें.

महिला और उस का पति इस के बाद भी आंखों में कुछ सवाल लिए डाक्टर के सामने खड़े रहते हैं. डाक्टर उन की ओर देख मुसकरा कर कहता है कि बाहर राम का फोटो लगा है, उसे जा कर प्रणाम कर लो.

डाक्टर के यह कहने पर महिला और उस का पति मुसकराते हैं. दोनों की आंखों में चमक आ जाती है. खुशी के मारे वे राम के फोटो को सिर झुका कर प्रणाम करते हैं. उस के बाद दोनों डाक्टर साहब के भी पांव छू कर आशीर्वाद लेते हैं. तभी महिला अपने पति से कहती है, ‘‘अरे, डाक्टर साहब ने इतनी बड़ी खुशखबरी सुनाई है. जाइए, मिठाई ले कर आइए.’’ थोड़ी ही देर में डाक्टर साहब के सामने मिठाई के कई पैकेट आ जाते हैं.

उस सैंटर के बाहर दर्जनों महिलाओं और उन के परिवार वालों की भीड़ लगी है. ज्यादातर गर्भवती महिलाएं हैं. वे अपनी बारी के इंतजार में बैठी हैं. कुछ गलियारे में टहल रही हैं.

डाक्टर के कमरे का दरवाजा खुलने पर हर निगाह उस ओर उठ जाती है कि कहीं उस का नंबर तो नहीं आया. हर कोई बेचैनी में है. क्लीनिक से बाहर निकलने वाली हर औरत के चेहरे को देख कर पता चल जाता है कि किसे ‘खुशी’ मिली है और किसे ‘गम’.

कुछ समय के बाद एक और गर्भवती महिला जांच के लिए जाती है. अल्ट्रासाउंड जांच के बाद डाक्टर उस से कहता है, ‘‘ठीक है, उठ जाएं. अपने कपड़े ठीक कर लें.’’

महिला सवालिया निगाहों से डाक्टर को देखती है तो डाक्टर कहता है, ‘‘बाहर, सीता का फोटो लगा है, उसे प्रणाम कर लो.’’

महिला के चेहरे पर उदासी छा जाती है. आंखों में आंसू छलक आते हैं. महिला का पति डाक्टर से कहता है, ‘‘एक बार फिर से चैक कीजिए न डाक्टर साहब. कहीं मशीन में कुछ खराबी न हो.’’

डाक्टर गुस्से में कहता है, ‘‘हम इतने सालों से यह काम कर रहे हैं, एक बार जो कह दिया वह कह दिया. सीता को प्रणाम कर लो और बाहर निकलो.’’

महिला डाक्टर से फिर से एक बार जांच करने की विनती करती है तो डाक्टर गुस्से से कहता है, ‘‘अपना और मेरा समय बरबाद न करें. बाहर कई मरीज लाइन में लगे अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.’’

महिला और उस का पति मुंह लटकाए क्लीनिक से बाहर आ जाते हैं. उस के बाद दूसरी महिला जांच के लिए भीतर जाती है. इस तरह यह सिलसिला लगातार जारी रहता है.

मोटी रकम वसूली जाती है

बिहार के वैशाली जिले के हैडक्वार्टर हाजीपुर के सुभाष चौक इलाके के मंगलम अल्ट्रासाउंड सैंटर में पिछले साल दिल्ली से आई केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की जांच और निगरानी कमेटी की टीम ने छापा मारा. छापेमारी में इस बात का खुलासा हुआ कि उस क्लीनिक में बच्चे के जन्म से पहले उस के लिंग की जानकारी दी जाती है और उस के ऐवज में मोटी रकम वसूली जाती है. अल्ट्रासाउंड जांच में लड़के का पता चलने पर ‘राम’ के फोटो को प्रणाम करने के लिए कहा जाता है, तो लड़की होने का पता चलने पर ‘सीता’ के फोटो को. इस फंडे से डाक्टर बगैर अपने मुंह से कहे ही लड़का और लड़की के बारे में बता देता. इसी तरह का गोरखधंधा बिहार के कई अल्ट्रासाउंड क्लीनिकों में धड़ल्ले से चल रहा है और स्वास्थ्य महकमा कान में रूई डाले सोया है.

इस अल्ट्रासाउंड क्लीनिक के बारे में कई शिकायतें मिलने पर केंद्रीय जांच टीम हाजीपुर पहुंची थी और उस ने हकीकत का पता लगाने के लिए रेणु नाम की एक महिला को उस क्लीनिक में भेजा था. टीम को यह देख कर काफी हैरानी हुई कि हाजीपुर में 2 किलोमीटर के दायरे में

50 से भी ज्यादा अल्ट्रासाउंड क्लीनिक हैं. गौरतलब है कि देश भर में अल्ट्रासाउंड जांच के जरीए जन्म से पहले मानव भ्रूण का लिंग बताने का गोरखधंधा धड़ल्ले से चल रहा है. अल्ट्रासाउंड जांच का रेट 600 से 1,200 तक है और 2 हजार से 4 हजार से भी ज्यादा ले कर पीएनडीटी ऐक्ट- 1994 को ठेंगा दिखा कर भ्रूण के लिंग बताने का धंधा चल रहा है.

जरूरी है जागरूकता

राज्य स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2015 में ढाई लाख गर्भवती महिलाओं ने गर्भपात कराया. मुजफ्फरपुर और दरभंगा जिले में सब से ज्यादा गर्भपात कराए गए. महकमा इस बात की जांच कर रहा है कि अल्ट्रासाउंड कराने के बाद कितनी महिलाओं ने गर्भपात कराया. पटना के इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट औफ मैडिकल साइंस के रेडियोलौजिस्ट डाक्टर ब्रजनंदन प्रसाद कहते हैं कि गर्भवती महिलाओं के पेट में पल रहे बच्चे की हालत या पेट से जुड़ी बीमारियों का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड जरूरी होता है. माना कि इस का गलत इस्तेमाल रोकना सरकार और कानून से जुड़ा मसला है, लेकिन बेटे और बेटियों में फर्क करने वालों को भी जागरूक बनाना जरूरी है.

पटना की डाक्टर किरण शरण कहती हैं कि हर महिला और उस के परिवार वाले चाहते हैं कि पहला बच्चा लड़का ही हो. जिसे पहली बार लड़की हो जाती है तो वह चाहता है कि दूसरा बच्चा लड़का ही हो. लड़के की चाह में ही लड़कियों के भ्रूण की हत्या कर दी जाती है. कन्या भ्रूण हत्या एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है. इस का हल कानून की लाठी से नहीं किया जा सकता है. इस के लिए शहरों से ले कर गांवों तक जागरूकता मुहिम चलाने की जरूरत है. बेटे की चाह में कन्या भ्रूण हत्या के मामले कई कड़े कानूनों के बाद भी नहीं रुक सके हैं.

सख्ती से रोक लगे

समाजसेवी अनिता सिन्हा कहती हैं कि 1 हजार मर्दों पर 933 औरतों का होना समाज और परिवार के लिए चिंता का मामला है. भ्रूण हत्या पर सख्ती से रोक लगाना बहुत जरूरी हो गया है. अगर हम अब भी नहीं चेते तो समाज में खतरनाक स्तर तक असंतुलन बढ़ सकता है.

बिहार में जन्म से पहले भ्रूण की लिंग जांच के बहाने कई अल्ट्रासाउंड क्लीनिक चलाने वाले कानून को ठेंगा दिखा कर मोटी कमाई कर रहे हैं. इतना ही नहीं, ज्यादातर अल्ट्रासाउंड क्लीनिक लाइसैंस का बिना नवीनीकरण कराए धड़ल्ले से चल रहे हैं. लगातार कई शिकायतें मिलने के बाद स्वास्थ्य महकमे की नींद खुली और अल्ट्रासाउंड सैंटरों की जांच के लिए 9 टीमें बनाई गई हैं. स्वास्थ्य महकमे से मिली जानकारी के मुताबिक बिहार में कुल 2021 रजिस्टर्ड अल्ट्रासाउंड सैंटर हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच टीम ने 2012 में पटना में भी 2 अल्ट्रासाउंड सैंटरों पर छापा मारा था. पटना के मौर्या ऐक्सरे ऐंड अल्ट्रासाउंड प्राइवेट लिमिटेड की मशीनें जब्त कर ली गई थीं और क्लीनिक को सील कर दिया गया था. टीम ने जांच में पाया था कि वहां रोज 12 से 15 गर्भवती औरतों का अल्ट्रासाउंड होता था, जबकि रिकौर्ड में सिर्फ 2-3 को ही दर्ज किया जाता था. वहीं पटना के ही फोर्ड हौस्पिटल की जांच में पाया गया कि अल्ट्रासाउंड करने को ले कर कई तरह की गड़बडि़यां की जाती हैं. वहां न तो औथराइज्ड डाक्टर थे और न ही फार्म एफ को भरवाया जाता था. उस फार्म में अल्ट्रासाउंड जांच कराने वाले की पूरी जानकारी दर्ज होती है. महीने भर में कितने लोगों का टैस्ट होता है और किसकिस तरह के मरीज आते हैं, इस का कोई रिकौर्ड नहीं था.       

अल्ट्रासाउंड सैंटरों का स्कैनिंग

कानून को ठेंगा दिखाने वाले अल्ट्रासाउंड सैंटर करारे नोटों की चमक से चुंधिया कर अपना गोरखधंधा चला रहे हैं. चंद रुपयों की वजह से कन्या भ्रूण हत्या का खुला खेल चल रहा है. बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजप्रताप यादव कहते हैं कि सरकार कन्या भ्रूण हत्या को बढ़ावा देने वालों के खिलाफ कड़ी से कड़ी काररवाई करेगी. ऐसे लोगों पर नकेल कसने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे. राज्य के सभी अल्ट्रासाउंड सैंटरों की जांच शुरू की गई है. जांच टीम यह पता करेगी कि अल्ट्रासाउंड सैंटरों पर ट्रेंड डाक्टर और मुलाजिम हैं या नहीं? सैंटरों पर जन्म के पहले लिंग जांच न होने का पोस्टर लगा है या नहीं? सैंटरों के पास लाइसैंस है या नहीं? लाइसैंस का नवीनीकरण कराया गया है या नहीं? अल्ट्रासाउंड कराने से पहले मरीज की पूरी जानकारी फार्म एफ में भरवाई जाती है या नहीं? जांच के लिए 9 टीमें बनाई गई हैं और उन में कुल 27 अफसर हैं. 2 महीने के भीतर टीम अपनी रिपोर्ट सौंपेगी. उस के बाद गैरकानूनी तरीके से चलने वाले और गैरकानूनी कामों में शामिल होने वाले अल्ट्रासाउंड सैंटरों को सील कर दिया जाएगा और उन के संचालकों को जेल भेजा जाएगा.

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