#lockdown: ये हैं पत्नी का गुस्सा शांत करने के 5 जबरदस्त टिप्स

शादी के बाद लोगों की जिंदगी में कई बदलाव आते हैं और इसी के साथ ही कई जिम्मेदारियां भी आती हैं. पति हो या पत्नी दोनों को अपने रिश्ते को बनाए रखने के लिए कई बातों का ख्याल रखना पड़ता हैं. पति-पत्नी का रिश्ता नोंक-झोंक का रिश्ता होता हैं, जिसमें कभीकभार पति को पत्नी की नाराजगी भी झेलनी पड़ती हैं.

ऐसे में पति को समझदारी दिखाते हुए समय रहते पत्नी का गुस्सा शांत करने की जरूरत होती हैं, नहीं तो यह बड़ी लड़ाई बन सकती हैं. इसलिए आज हम आपके लिए कुछ टिप्स लेकर आए हैं कि किस तरह से आप अपनी पत्नी का गुस्सा शांत कर सकते हैं.

1. कभी-कभी पत्नी को दें आराम

घर संभालना भी कोई आसान काम नहीं है,सारा दिन परिवार की देखभाल करने के बाद पत्नी थक जाती है. कभी-कभी उसे इन कामों से छुट्टी दें क्योंकि सबको खुश करने के चक्कर में हो सकता है वह चिड़चिडी हो गई हो. आप पत्नी का ध्यान रखेंगे तो उसकी आदत भी ठीक होनी शुरू हो जाएगी.

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2. जानें नराजगी के पीछे की वजह

पत्नी अगर गुस्से में है तो पहले खुद से सवाल करें कि कहीं इसके पीछे आपकी कोई गलती तो नहीं. उसके बाद उससे कारण पूछें. इसके पीछे की वजह जायज लगती है तो उससे बैठकर बात करें. गलती अगर आपकी है तो उसे शांत करने के लिए सॉरी बोल दें. गुस्सा शांत होने पर उसे समझाएं कि बात-बात पर नराज होने सही नहीं है.

3. बच्चों की लें मदद

आप पत्नी को हैंडल करने के लिए बच्चों का सहारा भी ले सकते हैं. जब पत्नी गुस्से में हो तो बच्चों की तरफ ज्यादा ध्यान दें. बच्चे आसापास होंगे तो वह ऊंची आवाज में आपसे कोई भी नहीं कहेंगी. अपनी बीवी का मूड ठीक करने के लिए उसे घर से बाहर ले जाएं.

4. पत्नी के साथ समय बिताएं

अपनी पत्नी का मूड ठीक करने के लिए आप उनके साथ समय बिताएं. उनसे बात करें, हो सकता है उसके गुस्से के पीछे की वजह आपकी पत्नी का समय न देना हो.

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5. कभी-कभी पत्नी की अनदेखी करें

वाइफ को हैंडल करने का तरीका खोज रहे हैं तो कभी-कभी उसे इग्नोर भी करें. इससे उसका गुस्सा जल्दी शांत हो जाएगा और वह बाद में समझ पाएगी कि वह बेवजह आप पर गुस्सा कर रही है.

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शादी बड़ी धूमधाम से की जाती है. सभी बड़ेबुजुर्ग, शुभचिंतक, रिश्तेदार नए जोड़े को आशीर्वाद देते हैं कि उन का वैवाहिक जीवन सफल हो. खुद पतिपत्नी भी इसी उम्मीद से अपने रिश्ते को आगे बढ़ाते हैं कि हाथों से हाथ न छूटे, यह साथ न छूटे. फिर क्यों कई बार नौबत तलाक तक पहुंच जाती है या क्यों ऐक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर बनते हैं? आंकड़े बताते हैं कि आज के बदलते समाज में ये बातें कुछ आम सी होती जा रही हैं. लेकिन जो पतिपत्नी अपने रिश्ते को ले कर सजग हैं, वे छोटीछोटी बातों का भी ध्यान रखते हुए अपने दांपत्य जीवन को हंसतेखेलते बिताना जानते हैं.

न छूटे बातचीत का दामन

शादीशुदा जीवन के लिए आपसी बातचीत का होना अनिवार्य है. शादी चाहे नई हो या फिर उसे हुए कितने ही साल क्यों न बीत गए हों, पतिपत्नी को एकदूसरे से बात करनी और एकदूसरे की सुननी चाहिए.

देहरादून के एक विश्वविद्यालय में कार्यरत पवन कहते हैं, ‘‘हमारे दिल में जो आता है उसे हम एकदूसरे को बताने से कभी नहीं हिचकिचाते. हां, मगर ऐसा हम प्यार से करते हैं.’’

सालों से साथ रहने के कारण पतिपत्नी न सिर्फ कही गई बातें ही सुनते हैं, बल्कि अनकही बातों को भी भांप लेते हैं. दूसरे शब्दों में कहें तो शादी के बंधन से सुख पाने वाले पतिपत्नी अपने साथी के उन विचारों और भावनाओं को भी समझ लेते हैं, जिन्हें उन का साथी शायद जबान पर न ला पाए. बातचीत का तारतम्य टूटने से पतिपत्नी के रिश्ते में दरार आ जाना स्वाभाविक है, जबकि बातचीत से पतिपत्नी दोनों को फायदा होता है.

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माफी मांगने में शर्म कैसी

अपने रिश्ते में विश्वास की मजबूती बनाए रखने के लिए कई बार अपनी गलती के लिए अपने साथी से माफी मांगना आवश्यक हो जाता है. जब हम सच्चे मन से माफी मांगते हैं तो हमारे साथी के मन में हमारे लिए और भी प्यार व सम्मान जाग उठता है. इलिनोइस विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान की प्रोफैसर डा. जेनिफर रोबेनोल्ट के अनुसार, सच्चे मन से मांगी गई माफी से टूटे रिश्ते के भी जुड़ने के आसार बन जाते हैं. कई बार तो बिना गलती किए भी रिश्ते में आ गई खटास मिटाने के लिए अपने साथी से माफी मांगनी पड़ जाती है.

बड़प्पन इसी में है कि हम अपनी गलती को स्वीकारने में झिझकें नहीं. माफी की ताकत न केवल रिश्ते बचाती है, अपितु हमें बेहतर इंसान भी बनाती है.

दूसरों के समक्ष एकदूसरे के प्रति शालीनता

कई बार देखने में आता है कि दूसरों के समक्ष पतिपत्नी एकदूसरे को नीचा दिखाने की होड़ में लग जाते हैं. फिर चाहे बात पत्नी द्वारा बनाई चीजों या पकवानों में कमी निकालने की हो या फिर पति द्वारा लिए गए किसी गलत निर्णय को सब के सामने दोहराने की. इस से रिश्ते के विश्वास में तो दरार आएगी ही, साथ ही एकदूसरे के आत्मविश्वास को भी ठेस पहुंचेगी. होशियार पतिपत्नी वे होते हैं, जो अपने जीवनसाथी की तारीफ करने के लिए जाने जाएं न कि उस की नुक्ताचीनी करने के लिए. सब के सामने साथी का मजाक बना कर हम अपने साथी के साथसाथ अपने रिश्ते का भी अपमान कर बैठते हैं.

ध्यान दें

छोटीछोटी बातों से ही रिश्ते मजबूत होते हैं. इसलिए निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान दे कर आप अपने दांपत्य जीवन को मजबूती दे सकते हैं:

एकदूसरे की प्रशंसा करने में झिझकें नहीं.

अपने साथी से अपनी दिनचर्या के बारे में बात करें.

यदि आप को अपना साथी कुछ चुपचुप सा या आप के प्रति उदासीन लगे तो कारण जानने का प्रयास करें.

जब भी कोई काम कहना हो तो बिना ताने मारे कहें जैसे ‘मैं चाय बना लाती हूं, तब तक आप बिस्तर ठीक कर लें.’

अपनी प्यारी सी इच्छा भी जरूर साझा करें जैसे हम दोनों फलां फिल्म देखने चलें.

लड़ाईझगड़े के उपरांत

नौर्थवैस्टर्न विश्वविद्यालय में हुए शोध से एक बहुत रोचक बात सामने आई है कि यदि लड़ाईझगड़े के उपरांत पतिपत्नी किसी तीसरे की नजर से झगड़े के कारण व वजहों को लिखें तो झगड़ा बहुत जल्दी सुलझ जाता है. इस का श्रेय जाता है लिखने से पनपे तटस्थ दृष्टिकोण को. अगली बार जब आप दोनों में झगड़ा हो तो आप भी कारणों को लिख कर पढि़एगा. आप पाएंगी कि गुस्से की वजह से आप से कहां चूक हो गई.

संग चलें

ब्लैखेम कहते हैं कि एक ही दिशा में संग चलने से आपसी तालमेल तथा एकजुट होने की भावना का विकास होता है. एकदूसरे के आमनेसामने होने से अधिक एकदूसरे के साथ होने से पतिपत्नी में एकरसता बढ़ती है. इसी तरह जब बाहर खाना खाने जाएं तो एकसाथ बैठें. आमनेसामने तो विरोधी बैठते हैं या फिर इंटरव्यू देने गया व्यक्ति.

अच्छा रिपोर्ट कार्ड

‘‘मैं ने कहीं पढ़ा था कि सुखद बातें पत्थर पर लिखो और दुखद बातें पानी पर. मुझे यह बात इतनी अच्छी लगी कि शादी के बाद मैं ने घर की एक दीवार पर रिपोर्ट कार्ड लिख दिया. जब कभी मेरे पति कुछ सुखद करते हैं, चाहे मेरे बिना मांगे मेरी पसंद की आइसक्रीम लाना या फिर मेरे पसंदीदा हीरो की फिल्म मुझे दिखाना अथवा मेरे मायके का टिकट बुक करवा देना, मैं उस दीवार पर उस के लिए एक सितारा बनाती हूं और जब 5 सितारे इकट्ठे हो जाते हैं तब मैं उन की पसंद का कोई गिफ्ट उन्हें उपहारस्वरूप देती हूं.’’

जब बाकी के सभी रिश्ते जीवन की आपाधापी या उम्र की मार के आगे बिछुड़ जाते हैं तब पतिपत्नी का रिश्ता ही साथ निभाता है. हरकोई इसी उम्मीद में एक जीवनसाथी को चुनता तथा अपनाता है. लेकिन जब यह रिश्ता गलतफहमी, ईगो या प्रयास की कमी के कारण टूटता है तो दुख केवल 2 लोगों को ही नहीं, अपितु इस का असर पूरे समाज पर दिखता है. तो क्यों न जरा सी समझदारी दिखाते हुए अपने इस सुनहरे रिश्ते में थोड़ी और चमक घोल दी जाए.

जानिए कितना सुखमय है आप का दांपत्य

क्लीनिकल सैक्सोलौजिस्ट वैन वर्क, जो पुस्तक ‘द मैरिड सैक्स सौल्यूशन’ के लेखक भी हैं, कहते हैं, ‘‘एक जोड़े को आपसी प्यार बढ़ाने के लिए बढि़या सैक्स से अधिक ज्यादा सैक्स पर ध्यान देना चाहिए. यदि रोज सैक्स करना मुमकिन नहीं है, तो कम से कम रोज 10 मिनट आलिंगन, चुंबन या संग नहाने भर से अच्छा सैक्स होने के चांस बढ़ जाते हैं.’’

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इस क्विज से जानिए अपने शादीशुदा रिश्ते की मजबूती. उत्तर सही या गलत में दें:

प्र. 1: हम दोनों की यौनक्रिया लाइफ आज भी नई जैसी है

-सही या गलत

प्र. 2: हमारी सैक्स जल्दबाजी भरी होती है, जिस में फोरप्ले की गुंजाइश बहुत कम होती है.

-सही या गलत

प्र. 3: हम दोनों के रिश्ते में सैक्स का महत्त्व कम है.

  • सही या गलत

प्र. 4: जब भी हम में लड़ाई होती है तो हम कईकई दिनों तक एकदूसरे से मुंह फुलाए रहते हैं.

-सही या गलत

प्र. 5: हमारे बीच हाथ पकड़ना, गले मिलना, सट कर बैठना काफी कम होता जा रहा है.

-सही या गलत

प्र. 6: हम दोनों कभी फिल्म देखने या खाना खाने बाहर नहीं जाते हैं. जब भी जाते हैं परिवार साथ होता है

-सही या गलत

प्र. 7: सैक्स की शुरुआत करने से मुझे डर लगता है कि कहीं मेरा साथी मुझे दुत्कार न दे.

-सही या गलत

प्र. 8: अपनी कोई भी समस्या अपने साथी से बांटने में मुझे कोई संकोच नहीं होता है.

-सही या गलत

प्र. 9: मेरा अपने साथी से भावनात्मक रूप से जुड़ाव है.

-सही या गलत

प्र. 10: मैं/मेरा साथी आजकल काम के कारण परेशान है.

-सही या गलत

यदि आप के अधिकतर उत्तर ‘सही’ में हैं तो आप को अपने रिश्ते की मजबूती की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है.

जब डेटिंग किसी से और शादी किसी और से

क्या हो अगर डेटिंग वाला शादी के समय आ धमके? पता चला कि इधर दुलहन शादी की तैयारियों में मगन, सजधज कर शादी के लिए तैयार है और उधर पुराने मजनूजी दिल हथेली पर लिए लैला की शादी में खलल डालने पधार गए. ऐसी स्थिति लड़कों के साथ भी हो सकती है कि दूल्हे मियां साफा बांध कर शादी करने चले और पुरानी गर्लफ्रैंड आ धमके रंग में भंग डालने.

ऐसे माहौल में रिश्तेदारों की प्रतिक्रिया अलग होगी. कुछ को शायद मजा आए, कुछ तरस खाएं, लेकिन खुद शादी वाले लड़के/लड़की का क्या हाल होगा, कैसे निबटेंगे वे इस परिस्थिति से, आइए जानते हैं:

1. जब ऐक्स को बनाया बुद्धू

कुछ ऐसी ही मजेदार किस्सा बताती हुई शीतल कहती हैं, ‘‘मेरी शादी के समय कालेज का बौयफ्रैंड आ पहुंचा. पता नहीं उसे कहां से पता चल गया कि मेरी शादी हो रही है. हालांकि उस से मेरा ब्रैकअप हुए 3 साल हो चुके थे. पर उस को इस बात की तसल्ली थी कि मैं उस की नहीं तो और किसी की भी नहीं हुई हूं. थोड़ा चिपकू किस्म का था. मेरी पूछताछ करता रहता था. घर में किसी को भी उस के बारे में पता नहीं था. पूछो मत क्या हाल हुआ.’’

फिर तो शीतल ने अपनी प्रिय सहेली रति का सहारा लिया. शीतल कहती हैं, ‘‘रति ने मुझे बचाने के लिए मजनू के साथ झूठा स्वांग रचाया ताकि वह मुझ से ध्यान हटाए. वह बेवकूफ मुझे जलाने की सोच कर रति के आगेपीछे घूमता रहा. पर बात प्रपोज करने तक पहुंची उस से पहले ही मेरी बिदाई हो गई और रति सिर पर पैर रख वापस विदेश लौट गई.’’

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2. बीवी ने लिया समझदारी से काम

‘‘मेरी ऐक्स गर्लफ्रैंड ने जैसे ठान लिया था कि मेरी होने वाली पत्नी के मन में शक का बीज बो कर रहेगी,’’ यह कहना है सिद्धार्थ का. वे आगे बताते हैं, ‘‘मुझे हमेशा लगता था कि वह एक बचकानी लड़की है और मेरी शादी पर अचानक टपक कर उस ने मुझे सही साबित कर दिया. एक तो बिनबुलाए आ पहुंची, ऊपर से हर फंक्शन में मेरे आसपास ऐसे मटक रही थी कि सब को संदेह होना लाजमी था. वह तो अच्छा हुआ कि मेरी पत्नी समझदार थी. उस के विश्वास के कारण मैं ने निस्संकोच दोनों का परिचय करा दिया. तब जा कर मेरी ऐक्स शांत हुई और मेरी शादी आराम से हो पाई.’’

3. मां ने बचाया शर्मिंदगी से

निशा की मां को उस के ऐक्स बौयफ्रैंड के बारे में जानकारी थी. जब शादी के ऐन वक्त वह हाथ में गुलदस्ता लिए आ पहुंचा तो मां ने ही मोरचा संभाला. झट उस के हाथों से गुलदस्ता लिया और उस का हाथ थामे उसे स्टेज पर अपने संग ले गई. आननफानन में नए जोड़े के साथ उस की फोटो खिंचवाई और उस को रवाना किया.

निशा थोड़ी गंभीर हो कर कहती हैं, ‘‘उस शाम यदि मां ने चौकसी न बरती होती तो क्या पता वह मेरे पति से मिल कर क्या कह देता.’’

4. क्यों होता है ऐसा

मनोचिकित्सक, डा. श्याम भट्ट कहते हैं, ‘‘पश्चिमी देशों की तुलना में भारत में डेटिंग करना एक नूतन प्रक्रिया है. 15-20 वर्ष इस की मौजूदगी इतनी नहीं थी जितनी उग्रता व तीव्रता से यह आज हर ओर दिखाई देती है. जब इतने युवा डेटिंग करेंगे तो लाखों के दिल भी टूटेंगे.

‘‘ब्रैकअप के कई कारण हो सकते हैं जैसे जातिधर्म की दीवार, आर्थिक स्थिति, आपसी मनमुटाव, परिवार वालों की असहमति, किसी एक का चीटिंग करना, लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप, शादी में रुचि न होना, कोई बेहतर साथ मिल जाना, व्यक्तित्व में असमानता आदि.’’

मनोविज्ञानी के. वर्षा के अनुसार, ‘‘कई बार बचपन का प्यार परिपक्व होने पर दोस्ती या खयाल रखने तक सीमित रह जाता है. एक बार ब्रैकअप होने के बाद मूव औन करने में ही दोनों पक्षों की समझदारी और भलाई है.’’

5. ताकि शादी में कन्फ्यूजन न हो जाए

बेहतर यही होगा कि ब्रैकअप के समय भावनात्मक झगड़ों से बचें और सही तर्कों के अंतर्गत अलग हों ताकि भविष्य में कहीं टकरा जाने की स्थिति में एकदूसरे का सामना करना आसान रहे. पूर्व प्रेमी का शादी में शामिल होने से कई कोण सामने आ सकते हैं. जैसे:

पूर्व प्रेमी का पहले से भी अधिक आकर्षक लगना: अब आप आगे बढ़ चुकी हैं इसलिए पीछे मुड़ने से खुद को रोकना होगा.

पूर्व प्रेमी को सामने पा अंतरंग क्षणों की याद आ जाना: अपनी आंखों और चेहरे को सामान्य बनाए रखें ताकि देखने वाले भांप न लें कि आप के मन में क्या चल रहा है.

रिश्तेदारी में कानाफूसी: अपने अंदर आत्मविश्वास रखें. आप का आत्मविश्वास देख कर रिश्तेदार एकदूसरे के कानों में चुगली भले ही करें, पर कुछ भी जोर से बोलने या शादी का माहौल खराब करने की हिम्मत कोई नहीं कर पाएगा.

ऐक्स द्वारा कोई गलत हरकत करना: किसी अपने का सहारा लें, चाहे बहन हो या सहेली. उस की मदद से अपने ऐक्स को स्वयं तक पहुंचने से रोकें.

मैरिज काउंसलर, राबर्ट पारस्ले कहते हैं कि शादी का स्थान डेटिंग से कहीं ऊंचा है. डेटिंग वाले के चक्कर में वर्तमान शादी खराब नहीं करनी चाहिए.

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मुंबई की काउंसलिंग साइकोलौजिस्ट, जंखाना जोशी का कहना है कि ब्रैकअप के बाद दिल टूटने की पीड़ा उतनी ही गहरी होती है जितनी किसी रिश्ते की मौत की. मस्तिष्क के एमआरआई से पता चलता है कि टूटे हुए दिल में उतना ही दर्द होता है जैसा शारीरिक चोट में होता है.

शोध बताते हैं कि इस के लक्षण ड्रग्स के समान होते हैं. इसलिए समझदारी इसी में है कि ब्रैकअप के समय परिपक्वता से काम लें. जिस से डेटिंग कर रही हैं, जरूरी नहीं कि उसी से आप की शादी हो. यह बात पहले ही साफ कर दें. अपनी अपेक्षाएं बता कर आगे बढ़ें ताकि रिश्ता तोड़ते समय सामने वाले को धोखा न लगे. यदि आप ने ब्रैकअप सफाई से किया होगा तो डेटिंग वाले का आप की शादी में आ धमकने से भी आप को नुकसान का खतरा कम होगा.

पति ही क्यों जताए प्यार

अंजलि की पीठ पर किसी ने धौल जमाई. उस ने मुड़ कर देखा तो हैरान रह गई. उस की कालेज की फ्रैंड साक्षी थी. आज साक्षी अंजलि से बहुत दिनों बाद मिल रही थी.

अंजलि ने उलाहना दिया, ‘‘भई, तुम तो बड़ी शैतान निकली. शादी के 6 साल हो गए. घर से बमुश्किल 5 किलोमीटर दूर रहती हो. न कभी बुलाया और न खुद मिलने आई. मियां के प्यार में ऐसी रमी कि हम सहेलियों को भूल ही गई.

अंजलि की बात सुनते ही साक्षी उदास हो गई. बोली, ‘‘काहे का मियां का प्यार यार. मेरा पति केशव शुरूशुरू में तो हर समय मेरे आगेपीछे घूमता था, लेकिन अब तो लगता है कि उस का मेरे से मन भर गया है. बस अपने ही काम में व्यस्त रहता है. सुबह 10 बजे घर से निकलता है और रात 8 बजे लौटता है. लौटते ही टीवी, मोबाइल और लैपटौप में व्यस्त हो जाता है. दिन भर में एक बार भी कौल नहीं करता?’’

अंजलि बोली, ‘‘अरे, वह नहीं करता है तो तू ही कौल कर लिया कर.’’

साक्षी मुंह बना कर बोली, ‘‘मैं क्यों करूं. यह तो उस का फर्ज बनता है कि मुझे कौल कर के कम से कम प्यार के 2 शब्द कहे. मैं तो उसे तब तक अपने पास फटकने नहीं देती हूं जब तक वह 10 बार सौरी न बोले. मूड न हो तो ऐसी फटकार लगाती हूं कि अपना सा मुंह ले कर रह जाता है. मैं कोई गईगुजरी हूं क्या?’’

अंजलि साक्षी की बातें सुन कर हैरान रह गई. बोली, ‘‘बस यार, मैं समझ गई. यही है तेरे पति की उदासीनता की वजह. तू उसे पति या दोस्त नहीं अपना गुलाम समझती है. तू समझती है कि प्यारमुहब्बत करना, पैंपर करना या मनुहार करना सिर्फ पति का काम है. पति गुलाम है और पत्नी महारानी है. तेरी इसी मानसिकता के कारण तेरी उस से दूरी बढ़ गई है.’’

साक्षी जैसी मानसिकता बहुत सी महिलाओं की होती है. ऐसी महिलाएं चाहती हैं कि पति ही उन के  आगेपीछे घूमे, उन की मनुहार करे, उन के नखरे सहे. उन के रूपसौंदर्य के साथसाथ उन की पाककला या फिर दूसरे गुणों का भी बखान करे. ऐसी महिलाएं प्यार की पहल भी पति के द्वारा ही चाहती हैं. एकाध बच्चा होने के बाद उन्हें पति का सैक्सुअल रिलेशन बनाना, रोमांस करना या उस का रोमांटिक मूड में कुछ कहना भी चोंचलेबाजी लगने लगता है. जाहिर है, स्वाभिमान को चोट पहुंचने, बारबार दुत्कारे जाने या उपेक्षित महसूस किए जाने पर पति बैकफुट पर चला जाता है. तब वह भी ठान लेता है कि अब वह ऐसी पत्नी को तवज्जो नहीं देगा.

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समझदार पत्नियां जानती हैं कि किसी भी संबंध का निर्वाह एकतरफा नहीं हो सकता. इस के लिए दोनों पक्षों को सचेष्ट रहना पड़ता है. अगर आप या आप की कोई सहेली साक्षी की तरह सोचती है, तो बात बिगड़ने से पहले ही संभल जाएं. अपने दांपत्य जीवन को सरस बनाए रखने के लिए आप भी पूरी तरह सक्रिय रहें. दांपत्य संबंधों को निभाने के लिए बस इन छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना है:

  • जब भी आप को लगे कि आप का पति इन दिनों कम बोलने लगा है या उदास है, तो उस के मन की थाह लें कि कहीं वह बीमार, व्यापार या अपने प्रोफैशन में किसी प्रौब्लम के कारण दुखी या उदास तो नहीं या फिर पूछें कि वह आप से नाराज तो नहीं? यकीन मानिए आप का परवाह करना उसे भीतर तक खुश कर देगा.
  • जरा सोच कर देखिए कि अंतिम बार आप ने अपने पति को खुश करने के लिए कुछ खास किया था? अगर जवाब नैगेटिव हो तो आप को आत्ममंथन करना होगा कि क्या विवाह संबंधों को निभाने की जिम्मेदारी सिर्फ पति की है? पति को सिर्फ पैसा कमाने की मशीन समझना आप की गलती है.

सैलिब्रिटी जोड़ी का तजरबा

सैलिब्रिटी चेतन भगत और उन की पत्नी अनुषा की शादी को 9 वर्ष हो चुके हैं. आज ये जुडवां बच्चों के पेरैंट्स हैं. पति उत्तर है तो पत्नी दक्षिण. जी हां, अनुषा बंगलुरू में जन्मी तमिलियन हैं और चेतन दिल्ली के पंजाबी परिवार के बेटे. एक पत्रकार से अपने अनुभव बांटते हुए इन्होंने दांपत्य जीवन से जुड़ी कई अहम बातें शेयर कीं.

अनुषा ने बताया कि शादी को पावर का खेल न बनने दें. एकदूसरे को पावर दिखाने के बजाय प्यार से रिश्ते को नियंत्रित करें.

चेतन का कहना हैं कि अनुषा ने सही कहा. हम ताकत या पावर से संबंधों को कंट्रोल नहीं कर सकते. आज सभी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं, इसलिए नियंत्रण नहीं, समझदारी से रिश्ते निखरते हैं. एकदूसरे का खयाल रखना ही संबंधों के निभाव का मूलमंत्र है.

ऐसा करें

  • पति को स्पोर्ट्स या न्यूज चैनल देखने का शौक है, तो रोज की टोकाटाकी बंद करें.
  • अपने पति की फैमिली से चिढ़ने और उन के बारे में उलटापुलटा बोलने की आदत न डालें. आखिर उसे अपने मांबाप से उतना ही प्यार होता है जितना आप को अपने मम्मीपापा से.
  • सिर्फ पति से ही गिफ्ट की उम्मीद न करें. कभी आप भी उसे गिफ्ट दें.
  • घर का हर काम सिर्फ पति से ही करवाने की न सोचें.
  • पति की हौबी का मजाक न उड़ाएं, बल्कि सहयोग करें.
  • रोमांस और सैक्स को चोंचला नहीं ऐंजौयमैट औफ लाइफ और जरूरत समझें.
  • हर वक्त किचकिच करना और सिर्फ पति के व्यक्तित्व के कमजोर पक्ष को ले कर ताने देना छोड़ दें.

ऐसा करें

  • पति को व्हाट्सऐप पर जोक्स व रोमांटिक मैसेज भेजना जारी रखें. कभीकभी कौंप्लिमैंट्स देने वाले मैसेज भी भेजें.
  • पति औफिस से लौट कर कुछ बताए, तो उसे गौर से सुनें. उस पर ध्यान दें, उस के विचारों को तवज्जो दें. साथ ही, आप भी दिन भर के घटनाक्रम के विषय में संक्षिप्त चर्चा करें.

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  • शाम की चाय या नाश्ता पति के साथ बैठ कर लें. इस दौरान हलकीफुलकी बातें भी हो सकती हैं.
  • पति आप के काम में हाथ बंटाए, आप को कोई गिफ्ट दे या आप की प्रशंसा करे तो उसे दिल से शुक्रिया करने की आदत डालें. उसे ‘टेकन फौर ग्रांटेड’ न लें.
  • हफ्ते में 2-3 बार उस की कोई पसंदीदा डिश बनाएं. कई बार पूछ कर तो कई बार अचानक बना कर पति को सरप्राइज दें.
  • पति की नजदीकियों को उस की मजबूरी या अपनी चापलूसी न समझें. इन नजदीकियों की आप दोनों को बराबर जरूरत है.
  • शादी के 2-4 साल बीतते ही खुद की देखभाल करना बंद न कर दें. अपनी अपीयरैंस पर ध्यान दें, सलीके से रहें.
  • कभीकभी पति को मनमानी करने की छूट भी दें. फिर बात चाहे घर में अपने वक्त को बिताने की हो या बाहर दोस्तों के साथ घूमनेफिरने की अथवा आप के साथ ऐंजौंय और हंसीमजाक की.

#lockdown: Quarantine में पति-पत्नी कैसे बिठाएं सामंजस्य

कोरोना के चलते सभी अपने घरों में बंद हैं. लोगों को अपने पार्टनर्स के साथ जाहिरतौर पर समय चाहिए था परंतु इतना नहीं कि वे एकदूसरे से ही बोर होने लगें और वक्तबेवक्त लड़ाइयों में उलझे रहें. शादीशुदा कपल जिन के बीच कम्यूनिकेशन की कमी हो उन के लिए यह वक्त अनेक मुश्किलें पैदा कर सकता है. सुबह से शाम तक वैसे भी कोई काम में नहीं लगा रहता लेकिन इतना समय खाली साथ होने के कारण पतिपत्नी के बीच का स्पार्क खो सकता है जिस से वे एकसाथ उबाऊ भी महसूस कर सकते हैं.

क्वारंटीन में पतिपत्नी के बीच झगड़े और मनमुटाव के कई कारण हो सकते हैं. ‘मुझे ये नाटक देखना है, तुम जाओ अपने फोन में लगो,’ ‘तुम्हारे पास दूसरों की चुगली के अलावा कोई बात नहीं है क्या करने के लिए,’ ‘तुम्हें बस एक ही चीज चाहिए मुझ से, कभी बैठ कर दो बात नहीं कर सकते,’ ‘तुम्हें हर बात का बतंगड़ ही बनाना आता है,’ आदि आदि. इस तरह अनचाहे ही पार्टनर्स अपना मूड तो खराब करते ही हैं साथ ही यदि घर में बच्चे या मांबाप रहते हों तो उन्हें भी अपने व्यवहार से परेशान कर देते हैं. ऐसे में घर का माहौल हर समय चिड़चिड़ा और तनावपूर्ण लगता है और लगने लगता है कि कब यह लौकडाउन खत्म हो और मैं बाहर निकलूं. इस परिस्थिति से निकलने के लिए जरूरी है कि आप अपने रिश्ते में मिठास घोलने की कोशिश करें न कि कड़वाहट.

1. बैठ कर गड़ेमुर्दे न उखाड़ें

कई रिसर्चों के अनुसार किसी नकारात्मक घटना को याद करने जैसे कि कोई पुरानी लड़ाई का असर किसी सकारात्मक घटना को याद करने से कही ज्यादा होता है. यह वह समय नहीं है जब आप सालों पुरानी बुरी या नकारात्मक इवेंट्स को याद कर अपने वर्तमान को बिगाड़ें. साथ बैठ कर कुछ याद करना ही है तो अच्छी चीजें याद करें, जैसे एकदूसरे से पहली बार मिलना या पहली बार साथ घूमने जाना, कोई मजेदार ट्रिप या किस्सा आदि.

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2. समझने की कोशिश करें

घर बैठे ऊब जाना और अपने दोस्तों की याद आना लाजिमी है. कई बात पतिपत्नी एकदूसरे की इस तरह की बातों का जवाब कुछ यों देते हैं, ‘हां तुम्हें मेरे साथ समय बिता कर खुशी कहां मिल रही होगी.’ ऐसा न करें और समझने की कोशिश करें. सभी का अपनी आम दिनचर्या को याद करना और एकबार फिर उसी तरह रहने का मन करना लाजिमी है, इस में इस तरह की बातें कहना गलत है. किसी और को याद कर लेने से आप की इंपोर्टेन्स कम नहीं हो जाती.

3. बात साफ शब्दों में कहें

अगर पत्नी कह रही है कि उस के साथ बैठ कर बातें कर लो तो इस पर बहाने बनाना या टालने से बेहतर आप साफ शब्दों में कह दीजिए कि इस समय आप का मूड नहीं है या आप बात करने जैसा महसूस नहीं कर रहे. इस से आप की पत्नी को ऐसा नहीं लगेगा कि आप के पास उस के लिए अभी भी समय नहीं बल्कि वह आप के मूड को समझने की कोशिश करेगी. यही बात पत्नियों पर भी लागू होती है जब उन के पति हर समय उन से सैक्स के लिए कहें तो वे साफ शब्दों में अपने मूड के बारे में बताएं बजाए बहाना बनाने के.

4. तानाकाशी की आदत छोड़ दें

बातबात पर ताने देना सही आदत नहीं है, इस से व्यक्ति न केवल खीझ उठता है बल्कि उसे कोई साधारण बात कहना भी व्यर्थ लगने लगता है. हर बात का ताना देने की कोई जरूरत नहीं है. कुछ चीजों पर बहस हो सकती है लेकिन उस बहस पर महीनों पहले की किसी बात का ताना दे कर बहस खत्म करने की कोशिश सही नहीं है. यह वह समय नहीं है जब आप अपने पति  को उन के द्वारा बेची गई प्रोपर्टी की याद दिला कर नीचा दिखाने की कोशिश करें या उन्हें कुछ कहने लायक न छोड़ें. यह समय एकदूसरे को समझने और समझाने का है न कि नासमझियों से रिश्ते बिगाड़ने का.

5. गुस्से को नजरंदाज न करें

हो सकता है आप को अपने पार्टनर का गुस्सा बेतुका लग रहा हो और आप उसे ड्रामा समझ रहे हों, परंतु याद रखिए कि जो बात आप के लिए बहुत छोटी है वह दूसरे व्यक्ति के लिए बड़ी हो सकती है. अपनी गलती सुधार कर माफी मांग लीजिए. अपने पार्टनर को गुस्से में छोड़ आप ये दिन अपने लिए और मुश्किल बना लेंगे, अहंकार को हवा मत दीजिए.

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इस महामारी से या तो कपल्स एकसाथ बाहर निकलेंगे या एकदूसरे से अलग. आप की कोशिश अपने रिश्ते में ग्रो करने की होनी चाहिए न कि ग्रो अपार्ट होने की. राई का पहाड़ बनाने की बजाए बड़ी प्रौब्लम्स को छोटा करने की कोशिश कीजिए.

जब साथी से हो अनबन तो अपनाएं ये टिप्स

क्या आप अपने साथी से जो कुछ कहना चाहती हैं वो नहीं कह पा रही हैं. अगर आपके साथ ऐसा हो रहा है तो आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है. एक अध्ययन के अनुसार बातचीत करना ना केवल किसी रिश्ते को स्वस्थ और खुशहाल रखने के लिए बल्कि इसे सफल बनाने के लिए भी जरुरी है.

बहुत से लोग अपने साथी से बात करने में झिझकते हैं या परेशानी महसूस करते हैं. आपको बता दें कि एक सुचारु और सार्थक बातचीत के लिए अधिक शब्दों की आवश्यकता नहीं होती. हम आपको कुछ आसान टिप्स बता रहे हैं जिनके जरिए आप अपने साथी से अच्छे से बातचीत कर सकती हैं और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकती हैं.

1. छोटी-छोटी बातचीत

अपने साथी से जुड़ी छोटी-छोटी चीजों में दिलचस्पी दिखाएं. उनसे हर छोटी बात के बारे में पूछे लेकिन याद रहें कि उन्हे इस बात का एहसास ना कराएं कि आप उन पर नजर रखने की कोशिश कर रही हैं. बल्कि उन्हें महसूस कराएं कि आप उनकी चिंता करती हैं और जो चीजें उन्हें पसंद हैं उन्हें आप भी पसंद करती हैं.

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2. सुनने की आदत डालें

किसी भी रिश्ते में बातचीत कम होने या खत्म होने के पीछे का बड़ा कारण यही होता है कि लोग एक-दूसरे की बात को धैर्य और शांति से सुनना नहीं चाहते. जिसके कारण आप ना तो खुद को व्यक्त कर पाती हैं और ना ही अपने साथी को समझ पाती हैं. आपके पार्टनर के लिए ये बेहतर अनुभव हो सकता है कि आप उनकी बात ध्यान से सुनती हैं और समझती भी हैं. आप अपने पार्टनर से बात कर रही हैं तो पहले उन्हें अच्छे से सुने उसके बाद ही प्रतिक्रिया दें. अगर आप किसी बात से असहमत हैं तो बीच में दखल देने की बजाय उनकी बात खत्म होने का इंतजार करें और फिर अपना पक्ष रखें.

3. उनके अनुभवों के बारे में पूछे और अपने अनुभव साझा करें

हाल ही के एक अध्ययन में पता चला है कि जब हम किसी व्यक्ति से अपने अनुभवों के बारे में बात करते हैं तो हम काफी करीब महसूस करते हैं. इस अध्ययन में देखा गया है कि जिन लोगों के रिश्तो में उलझने थी उन्होंने अपने रिलेशन को रिपेयर करने के लिए अपने बच्चों के बारे में बातचीत करना शुरु किया और अपने अच्छे अनुभवों को साझा किया. ऐसा जरुरी नहीं है कि आप इन अनुभवों को साझा करने के लिए शब्दों का ही इस्तेमाल करें.

4. बातचीत के दौरान पौजीटिव बौडी लैंग्वेज बनाएं रखें

पौजीटिव बौडी लैंग्वेज बनाने से आप बातचीत को सकारात्मक बना सकती हैं. अपने साथी से बात करते वक्त उनकी आंखों में आंखे डालकर बात करें, अपनी बौडी उनकी तरफ रखें और अपना पूरा ध्यान उन पर रखें. आप अपनी बातों को समझाने के लिए अपने हाथों को मूव कर सकती हैं. बात करते वक्त हाथ बांधकर ना खड़े हो.

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5. इंटिमेसी भी है जरुरी

किसी भी बातचीत के दौरान अपने साथी के साथ इंटिमेसी बना कर रखना भी जरुरी है. आप उनके जितना करीब होंगे उन्हें अपनी बात समझाने और उनकी बात समझने में उतनी ही आसानी होगी. इंटिमेट होने का मतलब केवल शारीरिक सम्बंधो से नहीं है. अपने साथी का हाथ पकड़ना, उन्हें गले लगाना और अधिक समय साथ रहना भी आपके बीच बातचीत बढ़ाने का जरिया हो सकता है.

आपकी स्लीपिंग पोजीशन खोलती है आपके रिश्तों का राज

क्या आपने कभी सोचा है कि पार्टनर के साथ बेड शेयर करते वक्त जब आप और आपका पार्टनर दोनों गहरी नींद में होते हैं तो आपका स्लीपिंग पोजीशन कैसा होता है? शायद नहीं, क्योंकि आपको इससे फर्क नहीं पड़ता. लेकिन क्या आप जानती हैं कि बाकी हर चीजों की तरह आपके सोने का तरीका भी आपके रिश्ते के बारे में कई राज खोलता है.

जी हां एक शोध से पता चला है कि सोते वक्त आपकी बौडी लैंग्वेज आपके रिश्ते के बारे में बहुत सी बातें बताती है. ये आपके आपसी संबंध और एक दूसरे की फीलिंग को भी बयां करती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपका सबकोंशियस(अवचेतन) आपके सोने के तरीके को नियंत्रित करता है. तो देर किस बात की चलिए जानते हैं इसके बारे में.

1. लिबर्टी लवर्स

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लिबर्टी लवर्स एक दूसरे की तरफ कमर करके सोते हैं और इस दौरान उनके बीच स्पेस भी होता है. यह पोजीशन उन कपल्स के बीच सामान्य है जो काफी समय से रिश्ते में हैं. इस पोजीशन का मतलब है कि आप बिना छुए भी एक-दूसरे से जुड़े हो सकते हैं और आप अलग रहकर भी एक-दूसरे को उतना ही प्यार करते हैं. आपको अकेले बहुत सी चीजें करना अच्छा लगता है साथ ही आप अपने साथी से सारी चीजें शेयर करना भी पसंद करते हैं.

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2. द चेजिंग स्पून

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इस पोजीशन में एक व्यक्ति अपने बिस्तर के एक ओर सोता है जबकि दूसरा व्यक्ति शारीरिक तौर पर उससे जुड़ने के लिए उसे चेंज करता है. इस पोजीशन का मतलब है कि आपके रिश्ते में एक व्यक्ति अधिक स्पेस चाहता है जबकि दूसरा व्यक्ति अपने साथी के साथ अधिक समय चाहता है. इस पोजीशन को देखकर आपको एकतरफा कनेक्शन का एहसास होता है.

3. बैक किसर्स

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ज्यादातर कपल्स इस पोजीशन को पसंद करते हैं. इस स्लीपिंग पोजीशन में कपल्स एक दूसरे की तरफ कमर करके सोते हैं. इस दौरान उनकी स्पाइन आपस में कौन्टेक्ट करती है. अगर आप इस पोजीशन में सोती हैं तो इसका मतलब है कि आप एक-दूसरे के साथ को महत्व देने के साथ ही आप अपने निजी स्पेस को भी अहमियत देती हैं.

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4. द अनरेवलिंग नौट

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द अनरेवलिंग नौट स्लीपिंग पोजीशन में दोनों व्यक्ति नौट बनाते हैं लेकिन वो इस नौट में अधिक समय के लिए नहीं रहते और कुछ समय के बाद नौट को खोल देते हैं. सम्बंध विशेषज्ञ कहते हैं कि यह पोजीशन अधिकतर उन कपल्स में होती है जो कुछ समय के लिए साथ होते हैं. जो कपल्स इस पोजीशन में सोते हैं उन्हें इंटिमेसी के साथ-साथ अपनी आजादी भी पसंद होती है. हालांकि केवल 8 प्रतिशत लोग ही इस पोजीशन को पसंद करते हैं.

सोशल मीडिया से क्यों दूर रहना चाहते हैं हैप्पी कपल्स

हर किसी को सोशल मीडिया पर अपने लाइफ के खास पल, अपना ओपिनियन, फोटोज शेयर करना अच्छा लगता है. इसके साथ ही कई लोग अपने रिलेशनशिप के बारे में भी सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं. वे लोगों से अपने रिश्ते के बारे में बताते हैं. जिसकी वजह से वे ज्यादा समय सोशल मीडिया पर बिताते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक हैप्पी कपल अपने रिश्ते के बारे में बताने के लिए सोशल मीडिया पर ज्यादा समय व्यतीत नहीं करते हैं. वे सोशल मीडिया की जगह एक-दूसरे के साथ समय व्यतीत करना ज्यादा पसंद करते हैं. तो आइए कुछ कारण जानते हैं कि क्यों हैप्पी कपल सोशल मीडिया पर ज्यादा समय स्पेंड नहीं करते हैं.

1. उन्हें सोशल मीडिया पर लाइक से फर्क नहीं पड़ता है

बहुत से कपल अपनी इंटीमेसी की फोटो या कहीं जाने का पोस्ट सोशल मीडिया पर डालते हैं. ऐसे कपल को अपनी फोटो पर कितने लाइक या कमेंट आए इसकी बहुत चिंता होती है. मगर हैप्पी कपल अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल पर हर एक चीज अपडेट नहीं करते हैं. ना ही उन्हें किसी के लाइक या कमेंट से फर्क पड़ता है. वह नहीं चाहते हैं कि उनके बारे में सोशल मीडिया पर लोग बाते करें.

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2. किसी से तुलना नहीं करते हैं

अपनी जिंदगी की लोगों से तुलना नहीं करनी चाहिए. यह सोचना बहुत आसान होता है कि दूसरा अपनी लाइफ में कितना खुश है. लेकिन आपको उनके बारे में कुछ पता नहीं होता है. इसलिए कभी भी किसी कपल की सोशल मीडिया पर फोटो देखकर ये नहीं सोचना चाहिए कि वह बहुत खुश हैं. किसी कपल से अपने रिश्ते की तुलना करना गलत होता है. हैप्पी कपल अपने रिलेशनशिप से खुश होते हैं. वह किसी और के रिश्ते से तुलना करना पसंद नहीं करते हैं.

3. अकेले में लड़ते हैं

हैप्पी कपल अगर लड़ाई करते हैं तो वह पब्लिक में लड़ने की बजाय अकेले में लड़ना पसंद करते हैं ताकि उन्हें कोई देख ना सके या किसी को उनकी लड़ाई के बारे में पता ना चले. वह लोगों को अपनी लड़ाई के बारे में बताना पसंद नहीं करते हैं. वह सोशल मीडिया पर लड़ाई वाली कोट या रोने वाले गाने पोस्ट करने की बजाय एक जगह बैठकर अपनी समस्या को दूर करने में विश्वास करते हैं.

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4. वो खास पलों को जीने में विश्वास रखते हैं

हैप्पी कपल अपने साथी के साथ सोशल मीडिया पर फोटो पोस्ट करने की बजाय उनके साथ उन खास पलों को जीने में विश्वास करते हैं. कहीं जाने का चेक-इन करना इन्हें अच्छा नहीं लगता है. वह इसे समय बर्बाद करना समझते हैं. वह अपने खास पलों को कैमरे में कैद करने की बजाय उन्हें जीना पसंद करते हैं.

अच्छे संबंध और खुशी का क्या है कनैक्शन

अनुभव को नया-नया मैनेजर बनाया गया था. अब उस की जिंदगी में एक ही चीज महत्त्वपूर्ण रह गई थी और वह था काम. इस के सिवा वह कहीं अपना वक्त जाया नहीं करता. यहां तक कि रिश्तों को संभालने या दोस्तों के साथ हंसीमजाक भी नहीं. वह  सुबह औफिस चला जाता और पूरा दिन फाइलों में गुम रहता. देर रात घर लौटता. तब तक उस के बच्चे सो चुके होते. पत्नी से भी केवल काम की बातें करता. बाकी समय अपने मोबाइल या लैपटौप में बिजी रहता. समय के साथ उस के जीवन में हर तरफ से उदासीनता पसरती चली गई. औफिस कुलीग्स भी उस से कटने लगे. पत्नी से झगड़े बढ़ने लगे. खुद बहुत चिडि़चिड़ा रहने लगा. इतना चिड़चिड़ा रहने लगा कि बच्चों का मस्ती करते हुए चीखनाचिल्लाना भी बरदाश्त नहीं कर पाता और उन पर हाथ उठा देता. अकसर बीमार भी रहने लगा.

एक दिन अनुभव के एक डाक्टर दोस्त ने उसे अच्छे संबंधों की आवश्यकता और मानसिक खुशी के सेहत पर पड़ने वाले असर के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उसे जीवन जीने का सही तरीका सिखाया. तब अनुभव को भी समझ में आ गया कि रिश्तों से कट कर वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता, समयसमय पर पौधों की तरह रिश्तों को प्यार और विश्वास के पानी से सींचते रहना जरूरी है. इन बातों को ध्यान में रखेंगे तो रिश्ते और जिंदगी में प्यार बना रहेगा:

जिंदगी को बहुत सीरियसली न लें

कुछ लोग जिंदगी को इतना सीरियसली ले लेते हैं कि वे जीवन में छोटेमोटे उतारचढ़ाव को भी स्वीकार नहीं कर पाते और डिप्रैशन में चले जाते हैं, जबकि व्यक्ति का व्यक्तित्व ऐसा होना चाहिए कि बड़ी से बड़ी आंधी भी मन को विचलित न कर सके. लोगों से उलझने के बजाय बातों को हंसी में टालना सीखना चाहिए. इस से रिश्तों में कभी गांठ नहीं पड़ती और आप के अंदर की प्रसन्नता भी कायम रहती है.

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थैंकफुलनैस जरूरी

अध्ययनों के मुताबिक आप जिन बातों के लिए दूसरों के शुक्रगुजार हैं उन्हें एक डायरी या मोबाइल में लिख लेने से मन में अलग सी खुशी पैदा होती है. ऐसा करना आपसी रिश्तों के साथसाथ सेहत के लिए भी काफी लाभकारी होता है. कई दफा हम किसी शख्स की उन बातों पर फोकस करने लगते हैं जब उस ने हमारे साथ बुरा किया. इस से हमारा व्यवहार भी उस के प्रति कठोर हो जाता है. इस से रिश्ते में कड़वाहट आने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसे में लिखी उन पुरानी बातों को पढ़ें जब उस ने आप की मदद की थी, कुछ अच्छा किया था. इस से आप के दिमाग को बहुत सुकून मिलेगा और आप ज्यादा संतुलित और मैच्योर तरीके से उस परिस्थिति से निबट पाएंगे.

‘पर्सनल रिलेशनशिप’ नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के मुताबिक वैसे कपल्स जो अपनी रिलेशनशिप में एकदूसरे के प्रति थैंकफुलनैस कायम रखते हैं उन में तलाक कम होते हैं.

गहरे रिश्ते जरूरी

जब आप किसी के साथ बिना किसी छलकपट के दिल से जुड़े होते हैं, उस के सुखदुख को अपना महसूस करते हैं और अपने दिल की हर बात उस से शेयर करते हैं, तो आप का मन बहुत हलका रहता है. खुश रहने के लिए इस तरह के गहरे रिश्ते बनाने जरूरी हैं, क्योंकि जब आप कुछ लोगों के साथ गहराई से जुड़े होते हैं तो वे आप के गम को आधा और खुशियों को दोगुना कर देते हैं. ऐसे रिश्ते में औपचारिकता नहीं वरन अपनापन होता है.

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प्यार का दुश्मन छोटा घर

मुरादाबाद की रहने वाली छाया की शादी दिल्ली के रहने वाले राजन के साथ हुई थी. उसकी मौसी ने इस शादी में मध्यस्थ की भूमिका निभायी थी, जो दिल्ली में ही ब्याही हुुई थीं. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार की छाया मुरादाबाद से ढेर सारे सपने लेकर दिल्ली में आयी थी. दिल्ली देश की राजधानी है. दिल्ली दिलवालों की नगरी है. यहां बड़ी-बड़ी कोठियां, चमचमाती चौड़ी सड़कें, बड़े-बड़े पार्क, दर्शनीय स्थल, राष्ट्रपति भवन, इंडिया गेट और पता नहीं किस-किस के बारे में उसने सुन रखा था. मगर ससुराल पहुंच कर छाया के सारे सपने छन्न से टूट गये. वो एक हफ्ते में ही समझ गयी कि यहां वह रह नहीं पाएगी. दरअसल दिल्ली तो बहुत बड़ी थी, मगर उसका घर बहुत छोटा था. इतना छोटा कि उसको अपने लिए एक घंटे का एकान्त भी यहां नहीं मिलता था. मुरादाबाद में छाया के पिता का पांच कमरों वाला बड़ा पुश्तैनी मकान था. घर में पांच प्राणी थे और पांच कमरे, सब खुल कर रहते थे, किसी को प्राइवेसी की दिक्कत नहीं थी. मगर यहां दो कमरों के किराये के घर में सात प्राणी रहते थे – छाया, राजन, उनके माता पिता, दादा दादी और राजन का छोटा भाई. घर में एक बाथरूम था, जिसका इस्तेमाल सभी सातों प्राणी करते थे. सुबह पहले सारे मर्द निपट लेते थे, उसके बाद औरतों की बारी आती थी.

यहां छाया और राजन को कोई प्राइवेसी उपलब्ध नहीं थी. मां, दादा-दादी तो पूरे वक्त घर में ही बने रहते थे. पिताजी भी बस सौदा-सुल्फ लेने के लिए ही बाहर जाते थे, बाकी वक्त चबूतरे पर कुर्सी डाल कर बैठे रहते थे. रात के वक्त घर की सारी औरतें एक कमरे में सोती थीं, और मर्द दूसरे कमरे में. ऐसे में छाया को पति की नजदीकियां भला कैसे मिल सकती थीं? दोनों दूर-दूर से एक दूसरे को बस निहारते रहते थे. शादी को महीना बीत रहा था, अभी तक उनके बीच शारीरिक सम्बन्ध भी नहीं बन पाया था. सुहागरात क्या होती है, छाया जान ही नहीं पायी. एक महीने में ही छाया की सारी खुशियां काफूर हो चुकी थीं, वह टूटने लगी थी, अपने घर वापस लौट जाने का ख्याल दिल में आने लगा था. आखिर ऐसी शादी का क्या मतलब था, जहां पति की नजदीकियां ही न मिल सकें?

राजन के पिता रिटायर हो चुके थे. उनकी थोड़ी सी पेंशन आती थी. राजन एक कोरियर कम्पनी में कोरियर बॉय का काम करता था. उसकी कमाई और पिता की पेंशन से सात प्राणियों का घर चलता था. राजन सुबह नौ बजे का निकला रात आठ बजे थका-हारा घर लौटता था. छाया उसके बिस्तर पर ही खाने की थाली धर जाती थी और वह खाना खाते ही सो जाता था. पत्नी से सबके सामने बातचीत भी क्या करता? उसकी कम्पनी से उसे छुट्टी भी नहीं मिलती थी कि पत्नी को लेकर कहीं घूम आये. छुट्टी लेने का मतलब उस दिन की देहाड़ी हाथ से जाना. वहीं दस लोग उसकी जगह पाने के लिए भी खड़े थे. इसलिए वह मालिक को नाराजगी का कोई मौका नहीं देना चाहता था.

यहां घर में छाया की ददिया सास ने शादी के पंद्रह दिन बाद ही पड़पोते की फरमाइश उसके आगे रख दी थी – ‘बिटिया, पड़पोते का मुंह भी देख लूं तो चैन से मर सकूंगी. भगवान जल्दी से तेरी गोद भर दे, बस…’ उनकी बातें सुन कर छाया को बड़ी खीज लगी. मन चाहा मुंह पर बोल दे कि जब पति-पत्नी को करीब आने का मौका ही नहीं दोगे तो पड़पोता क्या आसमान से टपकेगा? पति के प्रेम को छटपटाती छाया आखिरकार महीने भर बाद ही मां की बीमारी का बहाना बना कर अपने घर मुरादाबाद लौट गयी.

राजन उसको ट्रेन में बिठाने गया तो रास्ते में उसने धीरे से पूछा था, ‘क्या मां सचमुच बीमार हैं?’

छाया उससे मन की तड़प छिपा नहीं पायी, बोली, ‘नहीं, कोई बीमार नहीं है, मगर यहां रह कर अगर तुम्हारा साथ नहीं मिल सकता तो ऐसी शादी का मतलब ही क्या है? इतने छोटे घर में मेरा गुजारा नहीं हो सकता. जब अपना घर ले लेना, तब फोन कर देना, मैं लौट आऊंगी.’

राजन ने सिर झुका लिया. उसकी हालत छाया से अलग नहीं थी, मगर वह भी मजबूर था. दूसरा घर लेकर पत्नी के साथ रहने की उसकी औकात नहीं थी. आखिर घर के बाकी लोगों की जिम्मेदारी भी तो उस पर थी, मगर छाया की बात भी ठीक थी.शादी के बाद से उसकी आंखों से भी नींद लगभग गायब ही है. कई बार सोचता कि छाया को चुपचाप बुला कर छत पर ले जाये, मगर फिर यह सोच कर मन मार लेता कि छत पर ऊपर वाली मंजिल पर रहने वाले सोते हैं. कहीं किसी ने देख लिया तो? कई बार सोेचता कि पत्नी के साथ घूमने जाये, किसी सस्ते से होटल में उसके साथ एकाध दिन बिता ले, मगर उसकी जेब में इतने पैसे ही नहीं होते थे. रोज का आने-जाने का किराया काट कर महीने की पूरी तनख्वाह वह मां के हाथों में रख देता था. आखिर सात प्राणियों का पेट जो भरना था. परिवार की आमदनी का और कोई दूसरा स्रोत भी नहीं था. छाया को ट्रेन में बिठाते वक्त उसकी आंखों में आंसू थे. दिल इस आशंका से कांप रहा था कि पता नहीं अब कभी उसे देख पाएगा या नहीं. और फिर वही हुआ… हफ्ते, महीने, साल गुजर गये, न राजन के हालात सुधरे, न छाया वापस लौटी.

छोटा घर प्यार में बड़ा बाधक होता है. संयुक्त परिवार हो तो पति-पत्नी के बीच आपसी प्रेमालाप या शारीरिक सम्बन्ध बनाने के मौके बहुत कम होते हैं. ऐसे में दम्पत्ति लम्बे समय तक एक दूसरे की भावनाओं, इच्छाओं और प्रेम को साझा नहीं कर पाते हैं. एक छत के नीचे रहते हुए भी वे अजनबी बने रहते हैं.

घरवालों के सामने बनना पड़ता है बेशर्म

कुछ कपल घर की इस हालत में थोड़े बेशर्म हो जाते हैं और सबके बीच ही अपनी शारीरिक जरूरतें भी किसी न किसी तरह पूरी कर लेते हैं. जैसे अमृता के बड़े भाई और भाभी. अमृता का परिवार दिल्ली के मंगोलपुरी में एक कमरे के छोटे से मकान में रहता है. अमृता, उसकी मां, उसका छोटा भाई और बड़े भाई अनिल और उनकी पत्नी रिचा रात में जमीन पर ही बिस्तर फैला कर एक साथ सोते हैं. कई बार रात में आंख खुलने पर अमृता ने भइया-भाभी को कोने में एक ही कम्बल में हिलते-डुलते देखा है. वह जानती है कि उसका छोटा भाई भी सब देखता है और कभी-कभी मां भी. मगर क्या किया जाए? मजबूरी है. उसकी भाभी रिचा भी जानती है कि कोई न कोई उन्हें देख रहा है. इसीलिए वह हर वक्त शर्मिंदगी में भी डूबी रहती है. जैसे उसने कोई चोरी की है और चोरी करते रंगे हाथों पकड़ी गयी है. वह घर में किसी से भी आंख मिला कर बात नहीं कर पाती है.

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सार्वजनिक स्थलों पर ढूंढते नजदीकियां

दिल्ली में कैलाश कौलोनी के पास बसा जमरुद्पुर एक मलिन बस्ती है. यहां गुर्जरों के कई दोमंजिला, तिमंजिला मकान हैं, जिनमें बिहार, यूपी से आये सैकड़ों परिवार किराये पर एक-एक कमरा लेकर रहते हैं. ऐसे मकानों में हर माले के कोने में एक शौचालय और एक स्नानागार होता है, जिन्हें ये सभी परिवार बारी-बारी से इस्तेमाल करते हैं. इन्हीं में एक कमरा सरिता का भी है, जिसमें वह अपनी बूढ़ी सास, पति और दो छोटे बच्चों के साथ रहती है. सरिता और उसके पति को जब सम्बन्ध बनाना होता है तो वह रात में पास के एक पार्क में चले जाते हैं, जहां एक कोने में झाड़ियों के पास अपना काम निपटाते हैं. सरिता के लिए यह डर और शर्मिंदा करने वाला वक्त होता है. कहीं से कोई आ न जाए. कहीं कोई देख न ले. कहीं रात में कुत्ते उनके पीछे न पड़ जाएं. कहीं कोई चौकीदार या पुलिसवाला उन्हें न धर ले. घर में बच्चे जाग कर कहीं उन्हें ढूंढने न लग जाएं. सास की आंख न खुल जाए. पति के सानिध्य में ऐसे तमाम ख्याल सरिता को परेशान किये रहते हैं. मगर पार्क में पति के साथ आना उसकी मजबूरी है, एक कमरा जहां सास और बच्चे सोये हुए हैं, वहां वह पति के साथ हमबिस्तर भी कैसे हो?

बहू पर बुरी निगाह 

कई बार छोटा घर बहू को शर्मिंदगी का ही नहीं, अपराध का शिकार भी बना देता है. ऐसे कई केस सामने आते हैं जब पति की अनुपस्थिति में जेठ, देवर या ससुर बहू के साथ नाजायज सम्बन्ध बनाने की कोशिश करते हैं और कई बार अपने इरादों में कामयाब भी हो जाते हैं. अक्सर बहुएं अपने साथ हुए बलात्कार पर चुप्पी साध जाती हैं या हालात से समझौता कर लेती हैं. घर में अगर बहू-बेटे का कमरा अलग हो, तो इस तरह के अपराध औरतों के साथ न घटें. बेटा-बहू लाख सोचें कि रात के अन्धेरे में चुपचाप सम्बन्ध बनाते वक्त उन्हें कोई देख नहीं रहा है, मगर ऐसा होता नहीं है. कब कौन उन्हें देख ले, कब किसके मन में कुत्सित भावनाएं जाग जाएं कहा नहीं जा सकता.

बच्चों पर बुरा असर

जब घर में एक या दो कमरे हों और घर के सभी प्राणी उन्हें शेयर करते हों तो पति-पत्नी के बीच बनने वाले शारीरिक सम्बन्ध अक्सर घर के बच्चों की नजर में आ ही जाते हैं. आप अगर यह सोचें कि बच्चा सो रहा है, या बच्चा छोटा है कुछ समझ नहीं पाएगा, तो यह आपकी गलतफहमी है. आजकल टीवी और इंटरनेट के जमाने के बच्चे सब कुछ समझते भी हैं और उन्हें दोहराने की कोशिश भी करते हैं. यह बातें बच्चों में उत्पन्न होने वाली आपराधिक प्रवृत्ति की जिम्मेदार हैं. ऐसे ही बच्चे जो बचपन में अपने माता-पिता को शारीरिक सम्बन्ध बनाते देखते हैं, वह अपने स्कूल में अन्य बच्चों के साथ गलत हरकतें करते हैं या लड़कियों को मोलेस्ट करने या उनसे बलात्कार करने की कोशिश करते हैं.

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पति-पत्नी में बढ़ती दूरी

छोटा घर और बड़ा परिवार पति-पत्नी के शारीरिक सम्बन्धों में तो बाधा है ही, यह पति-पत्नी को मानसिक और भावनात्मक रूप से भी एक-दूसरे के करीब नहीं आने देता है. छोटे घर में अन्य सदस्यों की मौजूदगी में पति-पत्नी अपनी उन फीलिंग्स को एक-दूसरे के साथ कभी शेयर ही नहीं कर पाते हैं, जो उन्हें एक-दूसरे के निकट लाती है. वे कभी एक-दूसरे की बाहों में लिपट कर नहीं बैठ सकते. प्यार के स्पर्श को महसूस नहीं कर पाते. अपने मन की बातें एक-दूसरे से नहीं कह पाते. वे बस रात होने का इंतजार करते हैं, सबके सोने का इंतजार करते हैं और सेक्स को डर और आशंकाओं के बीच किसी मशीनी क्रिया की भांति फटाफट निपटा लेते हैं. ऐसे कपल जीवन की पूर्णता के निकट भी नहीं पहुंच पाते हैं और उनके बीच सदा एक दूरी बनी रहती है. समय गुजरने के साथ ये दूरी बढ़ती जाती है और दोनों एक-दूसरे की भावनाओं और तकलीफों से भी कट जाते हैं.

छोटा घर तलाक का कारण

शुभांगी ने तो पति का छोटा घर देख कर शादी के पहले ही दिन तलाक की बात कह दी और अपने माता-पिता के साथ हैदराबाद लौट गयी. दरअसल शुभांगी दिल्ली में काम करती थी. यहां वह दो कमरे के किराये के फ्लैट में रहती थी. उसके माता-पिता हैदराबाद में थे. प्रतीक से वह एक मेट्रीमोनियल साइट पर मिली थी. प्रतीक ने उसको बताया था कि वह बेंगलुरु में एक अच्छी कम्पनी में काम करता है और शादी के बाद शुभांगी को अपने साथ बेंगलुरु ले जाएगा, जहां कम्पनी की तरफ से उसको बड़ा फ्लैट मिला हुआ है. दोनों ने अपने-अपने माता-पिता को इस रिश्ते के बारे में बताया. दोनों के माता-पिता हैदराबाद में एक पब्लिक प्लेस पर मिले और शादी की तारीख पक्की हो गयी. तय तारीख पर शुभांगी हैदराबाद पहुंची और दोनों शादी वहां एक मंदिर में हुई. शादी में दोनों के माता-पिता, प्रतीक का छोटा भाई और कुछ दोस्त मौजूद थे. शादी सम्पन्न होने पर शुभांगी अपने माता-पिता के साथ प्रतीक के हैदराबाद वाले घर में पहुंची तो वह छोटा सा दो कमरे का घर था. जहां एक कमरे में उसके माता-पिता रहते थे, और दूसरे में उसका भाई. वहां पहुंच कर प्रतीक ने शुभांगी से कहा कि उसकी नौकरी चली गयी है और वह नई कम्पनी जल्दी ही ज्वाइन करेगा. कम्पनी ने उसका फ्लैट भी खाली करवा लिया है, इसलिए वह अभी उसको अपने साथ बेंगलुरु नहीं ले जा सकता और शुभांगी को यहीं उसके छोटे भाई के साथ उसका कमरा शेयर करके रहना होगा.

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यह सुनते ही शुभांगी गुस्से से भर गयी. उसने पूछा कि यह बात उसने शादी से पहले क्यों नहीं बतायी? इस पर प्रतीक और उसके माता-पिता ने सिर झुका लिया. शुभांगी ने प्रतीक से कहा कि वह कोई पुलिस केस नहीं चाहती है, इसलिए तलाक की अर्जी कोर्ट में दाखिल करेगी और बेहतर होगा कि प्रतीक भी आपसी सहमति से तलाक के लिए राजी हो जाए, अगर वह राजी नहीं हुआ तो मजबूरन वह उन लोगों पर चार सौ बीसी का केस दायर करेगी, इसके साथ ही वह उन लोगों पर सामाजिक प्रताड़ना, मानसिक उत्पीड़न, घरेलू हिंसा और महिलाओं को प्रोटेक्ट करने वाले तमाम मुकदमे भी दर्ज करवा देगी. उसकी धमकी सुन कर प्रतीक और उसके माता-पिता कांपने लगे और तुरंत तलाक के लिए राजी हो गये.

दरअसल शुभांगी इस बात से तो नाराज थी ही कि प्रतीक ने अपनी नौकरी जाने की बात उसे शादी से पहले नहीं बतायी, बल्कि इस बात से ज्यादा नाराज थी कि उसने यह नहीं बताया था कि नौकरी न रहने पर शुभांगी को उसके दो कमरे के छोटे से घर में उसके छोटे भाई के साथ कमरा शेयर करके रहना होगा. अगर यह घर थोड़ा बड़ा होता और शुभांगी को वहां रहने के लिए अपना कमरा मिलता तो शायद वह तलाक की बात न भी करती और प्रतीक को नई नौकरी ढूंढने का मौका देती.

क्या है उपाय

घर चाहे छोटा हो या बड़ा, मर्यादाओं का पालन होना ही चाहिए, वरना समाज और देश अमर्यादित और आपराधिक गतिविधियों में उलझ जाएगा. बच्चे का पहला शिक्षालय उसका घर ही होता है. वहां वह जो कुछ देखता, सीखता है, उसकी पुनरावृत्ति वह स्कूल, कॉलेज और उसके उपरान्त अपने जीवन में भी करता है. इसलिए कोशिश करें कि बच्चों के सामने ऐसी कोई हरकत न करें, जिसका उनके कोमल मन पर बुरा प्रभाव पड़े.

घर छोटा और परिवार बड़ा हो तो नये शादीशुदा जोड़े को एकान्त वक्त बिताने के लिए घर के अन्य सदस्यों को मौका देना चाहिए. इतवार या अन्य छुट्टी के दिन नये जोड़े को घर में छोड़ कर घर के बाकी लोग यदि पिकनिक पर या किसी रिश्तेदारी में चले जाएं तो यह वक्त नये कपल के लिए स्वर्ग से ज्यादा सुन्दर होगा.

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सास-ससुर को चाहिए कि शाम को बेटे के घर लौटने के वक्त ईवनिंग वौक पर इकट्ठे चले जाएं या बाजार-हाट कर आएं और बेटे-बहू को घर में कुछ वक्त अकेले में बिताने का मौका दें और बेटे-बहू को भी चाहिए कि वे भी माता-पिता को कुछ समय अकेले रहने का मौका दें. आखिर उनके मन में भी तो तमाम बातें होती होंगी, जो वे बेटे, बहू या अन्य बच्चों के सामने नहीं कर पाते होंगे. बेहतर तो यह होगा कि शादी के बाद नये जोड़े के लिए घर में अलग कमरे का इंतजाम हो. यदि घर बहुत छोटा है और ऐसा करना सम्भव नहीं है तो आमदनी ठीक होने पर नये जोड़े को अलग घर लेकर दे देना चाहिए. इसके लिए बहू को दोष देना ठीक नहीं कि आते ही उसने लड़के को घर से अलग कर दिया, जैसा की आमतौर पर भारतीय परिवारों में सुनायी पड़ता है. दो अनजान प्राणी एक दूसरे से तभी जुड़ पाएंगे, एक दूसरे के हमसफर सही मायनों में तभी बन पाएंगे, जब अकेले में एक दूसरे के साथ वक्त बिताएंगे. आज तलाक की बड़ी वजह यह भी है कि मां-बाप अपने शादीशुदा बेटे को उसकी पत्नी के साथ रहने का पूरा मौका नहीं देते हैं.

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