‘सिंघम अगेन’ में लेडी सिंघम बनी दीपिका पादुकोण, रोहित बोले ‘मेरी हीरो’

एक्शन और कॉमेडी फिल्म बनाने वाले डायरेक्टर रोहित शेट्टी एक बार फिर से सिंघम सीरिज का नया सीजन लेकर आने वाले हैं. इस फिल्म में एक्ट्रेस दीपिका पादुकोण कॉप के अंदाज में नजर आएंगी.

सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म इंस्टाग्राम पर फिल्म का पहला पोस्टर रिलीज करते हुए रोहित ने लिखा, “मेरी हीरो रील में भी और रीयल में भी, लेडी सिंघम.” फोटो में दीपिका ने काले चश्में पहने हुए हैं और सिंघम का हाथ के पंजे वाला सिग्नेचर स्टेप कर रही हैं.

फिल्म में दीपिका के किरदार का नाम शक्ति शेट्टी है.  इस बार फिल्म की स्टार कास्ट की बात करें तो दीपिका के अलावा फिल्म में दीपिका के पति रणवीर सिंह, एक्टर अक्षय कुमार, अजय देवगन, करीना कपूर और टाइगर श्रौफ मुख्य रोल कर रहे हैं.

इस साल 15 अगस्त (इंडिपेंडेंस डे) के दिन यह फिल्म रीलिज होगी. दरअसल रोहित ने साल 2022 में इस बात की पुष्टि कर दी थी कि दीपिका उनकी फिल्म में पुलिस वाली का रोल करेंगी. दीपिका पर पिक्चाराइज जो गाना है उसका नाम है करंट लगा रे.

दीपिका का फर्स्ट लुक पिछले साल रिवील कर दिया गया था. इसमें दीपिका पहली बार कॉप के रोल में नजर आईं थी. फोटो देखा गया कि वो एक जलते वाहन के आगे एक लड़के को पकड़े हैं और उसके मूंह में बंदूक ताने हुए हैं. दूसरी फोटो में दीपिका के हाथ में पट्टी बंधी हुई है और बंदूक लिए दीपिका स्माइल कर रही हैं.

इससे पहले भी रोहित शेट्टी कई बार पुलिस वालों पर फिल्म बना चुके हैं जिनमें सिंघम 1, सिंघम 2 और सिंघम 3 के अलावा सूर्यवंशी भी शामिल हैं. इस साल रोहित ने ओटीटी प्लैटफॉर्म पर भी कदम रखा है. उनकी वेब सीरिज इंडियन पुलिस फोर्स को दर्शकों ने बहुत पसंद किया. इस फिल्म में सिद्धार्थ मलहोत्रा, शरद केलकर, विवेक ओबीरॉय और शिल्पा शेट्टी प्रमुख रोल्स में थे.

समर्पण: आलोक ने अपनी जिंदगी का क्या फैसला लिया

डा. सीताराम और मंत्रीजी की बातों को सुन कर आलोक समझ चुका था कि ‘आरक्षण’ का राग अलापने वाले मंत्रीजी की नजर में व्यक्तिगत योग्यता का कोई मोल नहीं है. उन की बातों से आहत आलोक यह तय नहीं कर पा रहा था कि उम्र के इस पड़ाव पर वह अपने अंतर्मन की आवाज सुने या अपनी परिस्थितियों से समझौता कर मंत्रीजी का साथ दे.

अचानक रात के 2 बजे टेलीफोन की घंटी बजी तो रीता ने आलोक की तरफ देखा. वह उस समय गहरी नींद में था. वैसे भी आलोक मंत्री दीनानाथ के साथ 4 दिन के टूर के बाद रात के 11 बजे घर लौटा था. 1 महीने बाद इलेक्शन था, उस का मंत्रीजी के साथ काफी व्यस्त कार्यक्रम था. कोई चारा न देख कर रीता ने अनमने मन से फोन उठाया. जब तक वह कुछ कह पाती, उधर से मंत्रीजी की पत्नी का घबराया स्वर सुनाई दिया, ‘‘आलोक, मंत्रीजी की तबीयत ठीक नहीं है. शायद हार्टअटैक पड़ा है. जल्दी किसी डाक्टर को ले कर पहुंचो.’’

‘‘जी मैम, वह तो सो रहे हैं.’’

‘‘अरे, सो रहा है तो उसे जगाओ न, प्लीज. और हां, जल्दी से वह किसी डाक्टर को ले कर यहां पहुंचे.’’

‘‘अभी जगाती हूं,’’ कह कर रीता ने फोन रख दिया.

आलोक को जगा कर रीता ने वस्तुस्थिति बताई तो उस ने झटपट शहर के मशहूर हृदय रोग विशेषज्ञ डा. नीरज सक्सेना को फोन मिलाया पर वह नहीं मिले, वह दिल्ली गए हुए थे.

उन के बाद डा. सीताराम का शहर में नाम था. आलोक ने उन्हें फोन मिलाया. वह मिल गए तो उन्हें मंत्रीजी की सारी स्थिति बताते हुए उन से जल्द से जल्द वहां पहुंचने का आग्रह किया.

जब आलोक मंत्रीजी के घर पहुंचा तो उसी समय डा. सीताराम भी अपनी गाड़ी से उतर रहे थे. उन्हें देखते ही मंत्रीजी की पत्नी बोलीं, ‘‘अरे, आलोक, इन्हें क्यों बुला लाए, इन्हें कुछ आता भी है…इन के इलाज से मुन्ने का साधारण बुखार भी महीने भर में छूटा था.’’

यह सुन कर डा. सीताराम भौचक्के से रह गए, पर आलोक ने गिड़गिड़ा कर कहा, ‘‘मैम, इन को चैक कर लेने दीजिए.’’

‘‘अरे, यह क्या चैक करेंगे. हमारे साहब की सिफारिश पर ही इन्हें डाक्टरी में दाखिला मिला था. वरना इन की औकात ही क्या थी?’’

‘‘डाक्टर साहब सर के परिचितों में से हैं. कम से कम इन्हें मंत्रीजी का प्राथमिक उपचार तो कर लेने दें. उस के बाद आप जहां चाहेंगी उन्हें ले जाएंगे. ऐसी स्थिति में कई बार थोड़ी सी देर भी जानलेवा सिद्ध हो जाती है,’’ आलोक गिड़गिड़ा उठा था.

‘‘ठीक है, आ जाओ,’’ मंत्री की पत्नी ने ऐसे कहा जैसे वह डाक्टर पर एहसान कर रही हैं.

डा. सीताराम निरपेक्ष भाव से मंत्रीजी को चैक करने लगे पर ऐसे समय में मंत्रीजी की पत्नी का यह व्यवहार आलोक की समझ से परे था. यह सच है कि डा. सीताराम हृदयरोग विशेषज्ञ नहीं हैं पर हर रोग पर उन की अच्छी पकड़ है. पिछले वर्ष ही उन्होंने अपना 10 बेड का एक नर्सिंग होम भी खोला है. वैसे भी एक डाक्टर, चाहे वह स्पेशलिस्ट हो या न हो, किसी भी बीमारी में शुरुआती उपचार दे कर मरीज की जान पर आए खतरे को टाल तो सकता ही है.

डा. सीताराम ने मंत्रीजी का चैकअप कर तुरंत इंजेक्शन लगाया तथा कुछ आवश्यक दवाएं लिख कर मंत्रीजी को अपने नर्सिंग होम में भरती करने की सलाह दी. भरती होते ही उन का इलाज शुरू हो गया, उन्हें सीवियर अटैक आया था.

इसी बीच आलोक ने दिल्ली फोन कर दिया और वहां से विशेषज्ञ डाक्टरों की एक टीम चल दी पर जब तक वह टीम पहुंची, डा. सीताराम के इलाज से मंत्रीजी की हालत काफी स्थिर हो चुकी थी. दिल्ली से आए डाक्टरों ने उन की सारी रिपोर्ट देखी तथा हो रहे इलाज पर अपनी संतुष्टि जताई.

उधर मंत्रीजी बीमारी के चलते अपनी इलेक्शन रैली न कर पाने के कारण बेहद परेशान थे. डाक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी और उन से यह भी कह दिया कि आप के लिए इस समय स्वस्थ होना जरूरी है. मंत्रीजी के लिए स्वास्थ्य के साथसाथ चुनाव जीतना भी जरूरी था. वैसे भी चुनाव से पहले के कुछ दिन नेता के लिए जनममरण की तरह महत्त्वपूर्ण होते हैं.

आखिर अस्पताल से ही मंत्रीजी ने सारी व्यवस्था संभालने की सोची. उन्होंने अपने भाषण की संक्षिप्त सीडी तैयार करवाई तथा आयोजित सभा में उस को दिखाने की व्यवस्था करवाई, इस के साथ ही सभा की जिम्मेदारी उन्होंने अपनी पत्नी और बेटी को सौंपी.

 

चुनाव में इस बात का काफी जोरशोर से प्रचार किया गया कि जनता की दुखतकलीफों के कारण उन्हें इतना दुख पहुंचा है कि हार्टअटैक आ गया जिस की वजह से वह आप के सामने नहीं आ पा रहे हैं पर आप सब से वादा है कि ठीक होते ही वह फिर आप की सेवा में हाजिर होंगे तथा आप के हर दुखदर्द को दूर करने में एड़ीचोटी की ताकत लगा देंगे.

चुनाव प्रचार के साथसाथ मंत्रीजी की कंडीशन स्टेबल होते ही उन के टेस्ट होने शुरू हो गए. डाक्टर की सलाह के अनुसार उन्होंने स्टे्रस टेस्ट करवाया. इस की रिपोर्ट आने पर चिंता और बढ़ गई. अब ऐंजियोग्राफी करवाई गई तो पता चला कि उन की 3 धमनियों में से एक 95 प्रतिशत, दूसरी 80 प्रतिशत तथा तीसरी 65 प्रतिशत अवरुद्ध है अत: बाई- पास करवाना होगा.

इस बीच चुनाव परिणाम भी आ गया. इस बार वह रिकार्ड मतों से जीते थे. उन की पार्टी भी दोतिहाई बहुमत की ओर बढ़ रही थी. उन का मंत्री पद पक्का हो गया था. एक फ्रंट तो उन्होंने जीत लिया था, अब दूसरे फ्रंट पर ध्यान देने की सोचने लगे.

डा. सीताराम उन्हें बधाई देने आए तथा स्वास्थ्य की ओर पूरा ध्यान देने के लिए कहते हुए आपरेशन के लिए चेन्नई के अपोलो अस्पताल का नाम लिया था.

‘‘यार, मुझे क्यों मरवाना चाहते हो. पता है, यह इंडिया है, यहां तुम्हारे जैसे ही डाक्टर भरे पड़े हैं. अगर मरीज बच गया तो उस की किस्मत… आखिर आरक्षण की बैसाखी थामे कोई कैसे योग्य डाक्टर या सर्जन बन सकता है.’’

‘‘मंत्रीजी, आप जिस दिन बीमार पड़े थे, उस दिन जब आप के पी.ए. के कहने पर मैं आप के इलाज के लिए घर पहुंचा था तब भाभीजी ने भी मुझे बहुत बुराभला कहा था पर उस समय मुझे बुरा नहीं लगा, क्योंकि मुझे लगा कि वह आप को ले कर परेशान हैं किंतु आप के द्वारा भी वही आरोप. जबकि आप जानते हैं कि आरक्षण की वजह से मुझे मेडिकल में प्रवेश अवश्य मिला था पर मुझे गोल्डमेडल अपनी योग्यता के कारण मिला है. यहां तक कि मेरा नर्सिंग होम आरक्षण के कारण नहीं वरन मेरी अपनी योग्यता की वजह से चल रहा है. सरकारी नौकरी में भले कोई आरक्षण के बल पर ऊंचा उठ जाए पर प्राइवेट में अपनी योग्यता के आधार पर ही उसे शोहरत मिल पाती है. और तो और आप को भले ही आरक्षण के कारण मंत्रिमंडल में जगह मिली हो, पर क्या आप में वह योग्यता नहीं है जो एक मंत्री में होनी चाहिए?’’ आखिर डा. सीताराम बोल ही उठे, उन के चेहरे पर तनाव स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहा था.

‘‘तुम तो बुरा मान गए बंधु. मेरी बात और है, मुझे तो सिर्फ बोलना पड़ता है, बोलने से किसी को नुकसान नहीं होता. पर यहां भावनाओं में बहने के बजाय वस्तुस्थिति को समझो. अमेरिका में कोई अच्छा अस्पताल हो तो बताओ. तुम्हें भी अपना पारिवारिक डाक्टर बना कर ले जाऊंगा.’’

‘‘मंत्रीजी, आप इलाज के लिए अमेरिका जा सकते हैं, पर दूसरे सब तो नहीं जा सकते. अगर आरक्षण आप की नजर में इतना ही खराब है तो इसे बंद

क्यों नहीं करा देते,’’ स्वभाव के विपरीत

डा. सीताराम आज चुप न रह सके.

‘‘कैसी बात कर रहे हो, आरक्षण बंद कर देंगे तो दलितों और पिछड़ों को ऊपर कैसे उठाएंगे. कम से कम दलित होते हुए मैं तो इस बात का कतई समर्थन नहीं करूंगा.’’

‘‘चाहे इस की वजह से हम जैसों को सदा लोगों के ताने ही क्यों न सुनने पड़ें… हमारी सारी सामाजिक समरसता ही क्यों न चौपट होने लगे…और फिर आप किन दलितों और पिछड़ों की बात कर रहे हैं? क्या वास्तव में उन्हें आरक्षण का लाभ मिल पाता है? मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि असली मलाई तो हम या आप जैसे लोग ही जीम जाते हैं. क्या यह सच नहीं है कि साधनसंपन्न होते हुए भी आप के बेटे को इंजीनियरिंग में दाखिला आरक्षित कोटे से ही मिला था?’’

‘‘आखिर इस में बुराई क्या है?’’

‘‘बुराई है, जब आप आरक्षण पा कर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो गए हैं तो क्या अब भी आरक्षण के प्रावधान को अपनाकर आप किसी जरूरतमंद का हक नहीं छीन रहे हैं?’’

‘‘बहुत बकरबकर किए जा रहे हो, तुम जैसा नीच इनसान मैं ने पहले नहीं देखा. जिस थाली में अब तक खाते रहे हो उसी में छेद करने की सोचने लगे. अब तुम चले जाओ. वरना…’’ मंत्रीजी अपना आपा खो बैठे और अपना रौद्र रूप दिखाते हुए क्रोध से भभक उठे.

डा. सीताराम ने भी उन से ज्यादा उलझना ठीक नहीं समझा और चुपचाप चले गए.

आलोक यह सब देख कर स्तब्ध था. डा. सीताराम के पिता मंत्रीजी के अच्छे मित्रों में हुआ करते थे, उन के गर्दिश के दिनों में उन्होंने उन्हें बहुत सहारा दिया था और मंत्रीजी के कंधे से कंधा मिला कर उन की हर लड़ाई में वह साथ खड़े दिखते थे. यह बात और है कि जैसेजैसे मंत्रीजी का कद बढ़ता गया, डा. सीताराम के पिता पीछे छूटते गए या कहें मंत्रीजी ने ही यह सोच कर कि कहीं वह उन की जगह न ले लें, उन से पीछा छुड़ा लिया.

आलोक मंत्रीजी के साथ तब से था जब वह अपने राजनीतिक कैरियर के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस समय वह बेकार था. पता नहीं उस समय उस ने मंत्रीजी में क्या देखा कि उन के साथ लग गया. उन्हें भी उस जैसे एक नौजवान खून की जरूरत थी जो समयानुसार उन की स्पीच तैयार कर सके, उन के लिए भीड़ जुटा सके और उन के आफिस को संभाल सके. उस ने ये सब काम बखूबी किए. उस की लिखी स्पीच का ही कमाल था कि लोग उन को सुनने के लिए आने लगे. धीरेधीरे उन की जनता में पैठ मजबूत होने लगी और वह दिन भी आ गया जब वह पहली बार विधायक बने. उन के विधायक बनते ही आलोक के दिन भी फिर गए पर आज डा. सीताराम के साथ ऐसा व्यवहार…वह सिहर उठा.

अपने पिता की उसी दोस्ती की खातिर डा. सीताराम अकसर मंत्रीजी के घर आया करते थे तथा एक पुत्र की भांति जबतब उन की सहायता करने के लिए भी तत्पर रहते थे पर आज तो हद ही हो गई…उन की इतनी बड़ी इंसल्ट…जबकि उन का नाम शहर के अच्छे डाक्टरों में गिना जाता है. क्या इनसान कुरसी पाते ही इस हद तक बदल जाता है?

वास्तव में मंत्रीजी जैसे लोगों की जब तक कोई जीहजूरी करता है तब तक तो वह भी उन से ठीक से पेश आते हैं पर जो उन्हें आईना दिखाने की कोशिश करता है उन से वे ऐसे ही बेरहमी से पेश आते हैं…अगर बात ज्यादा बिगड़ गई तो उस को बरबाद करने से भी नहीं चूकते.

आलोक अब तक सुनता रहा था पर आज वह वास्तविकता से भी परिचित हुआ…सारे मंत्री तथा वरिष्ठ आफिसर कुछ भी होने पर विदेश इसीलिए भागते हैं क्योंकि उन्हें पता है कि उन्होंने डाक्टरों की एक ऐसी जमात पैदा की है जो ज्ञान के नाम पर शून्य है फिर वह क्यों रिस्क लें? जनता जाए भाड़ में, चाहे जीए या मरे…उन्हें तो बस, वोट चाहिए.

आज यहां हड़ताल, कल वहां बंद, कहीं रैली तो कहीं धरना…अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए तोड़फोड़ करवाने से भी नेता नहीं चूकते. ऐसा करते वक्त ये लोग भूल जाते हैं कि वे किसी और की नहीं, अपने ही देश की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. आम जनजीवन अलग अस्तव्यस्त हो जाता है, अगर इस सब में किसी की जान चली गई तो वह परिवार तो सदा के लिए बेसहारा हो जाता है पर इस की किसे परवा है. आखिर ऐसे दंगों में जान तो गरीब की ही जाती है. सामाजिक समरसता की परवा आज किसे है जब इन जैसों ने पूरे देश को ही विभिन्न जाति, प्रजातियों में बांट दिया है.

आलोक का मन कर रहा था कि वह मंत्रीजी का साथ छोड़ कर चला जाए. जहां आदमी की इज्जत नहीं वहां उस का क्या काम, आज उन्होंने डा. सीताराम के साथ ऐसा व्यवहार किया है कल उस के साथ भी कर सकते हैं.

मन ने सवाल किया, ‘तुम जाओगे कहां? जीवन के 30 साल जिस के साथ गुजारे, अब उसे छोड़ कर कहां जाओगे?’

‘कहीं भी पर अब यहां नहीं.’

‘बेकार मन पर बोझ ले कर बैठ गए… सचसच बताओ, जो बातें आज तुम्हें परेशान कर रही हैं, क्या आज से पहले तुम्हें पता नहीं थीं?’

‘थीं…’ कहते हुए आलोक हकला गया था.

‘फिर आज परेशान क्यों हो… अगर तुम छोड़ कर चल दिए, तो क्या मंत्रीजी तुम्हें चैन से जीने देंगे… क्या होगा तुम्हारी बीमार मां का, तुम्हारी 2 जवान बेटियों का जिन के हाथ तुम्हें पीले करने हैं?’

तभी सैलफोन की आवाज ने उस के अंतर्मन में चल रहे सवालजवाबों के बीच व्यवधान पैदा कर दिया. उस की पत्नी रीता का फोन था :

‘‘मांजी की हालत ठीक नहीं है… लगता है उन्हें अस्पताल में दाखिल करना पड़ेगा. वहीं शुभदा को देखने के लिए भी बरेली से फोन आया है, वे लोग कल आना चाहते हैं… उन्हें क्या जवाब दूं, समझ में नहीं आ रहा है.’’

‘‘बस, मैं आ रहा हूं… बरेली वालों का जो प्रोग्राम है उसे वैसा ही रहने दो. इस बीच मां की देखभाल के लिए जीजी से रिक्वेस्ट कर लेंगे,’’ संयत स्वर में आलोक ने कहा. जबकि कुछ देर पहले उस के मन में कुछ और ही चल रहा था.

‘‘आलोक, कहां हो तुम…गाड़ी निकलवाओ…हम 5 मिनट में आ रहे हैं,’’ मंत्रीजी की कड़कती आवाज में रीता के शब्द कहीं खो गए. याद रहा तो केवल उन का निर्देश…साथ ही याद आया कि आज 1 बजे उन्हें एक पुल के शिलान्यास के लिए जाना है.

उस के पास मंत्रीजी का आदेश मानने के सिवा कोई चारा नहीं था…घर के हालात उसे विद्रोह की इजाजत नहीं देते. शायद उसे ऐसे माहौल में ही जीवन भर रहना होगा, घुटघुट कर जीना होगा. अपनी मजबूरी पर वह विचलित हो उठा पर अंगारों पर पैर रख कर वह अपने और अपने परिवार के लिए कोई मुसीबत मोल लेना नहीं चाहता था. और तो और, अब वह जब तक शिलान्यास नहीं हो जाता, घर भी नहीं जा पाएगा.

सैलफोन पर ‘हैलो…क्या हुआ…’ सुन कर उसे याद आया कि वह रीता से बात कर रहा था…न आ पाने की असमर्थता जताते हुए मां को तुरंत अस्पताल में शिफ्ट करने की सलाह दी. वह जानता था, रीता उस की बात सुन कर थोड़ा भुनभुनाएगी पर उस की मजबूरी समझते हुए सब मैनेज कर लेगी. आखिर ऐसे क्षणों को जबतब उस ने बखूबी संभाला भी है.

हालात के साथ समझौता करते हुए ड्राइवर को गाड़ी निकालने का निर्देश दे कर व्यर्थ की बातों को दिमाग से निकाल वह स्पीच लिखने लगा. जाहिर है, यह उस का समर्पण है. उसे यह भी पता था कि मंत्रीजी के 5 मिनट 1 घंटे से कम नहीं होते.

Beauty Tips: स्किन टाइप के मुताबिक घर पर ऐसे करें स्क्रबिंग

बढ़ते पौल्यूशन के कारण फेस पर धूल-मिट्टी के कारण हमारा फेस डल होने लगता है और हमारी स्किन जवां नही रहती. फेस को क्लीन करना जरूरी होता है, जिसके लिए स्क्रबिंग करना बहुत जरूरी है. आज हम आपको स्किन टोन के हिसाब से सक्रब कैसे करें इसके लिए कुछ टिप्स बताएंगे, जिसे ट्राय करके आप घर पर आसानी से स्क्रब कर सकते हैं.

औयली स्किन पर ऐसे करें स्क्रब

1/2 कप हरे चने मैश कर लें. उस में 1 बड़ा चम्मच दही व पानी मिला कर पेस्ट बना लें. इस से हलके हाथों से चेहरे को स्क्रब करें. ठंडे पानी से धो लें. साबुन न लगाएं.

1/2 कप चावल के आटे में 1/2 कप कच्चा पपीता मैश कर के मिला लें और इस में आधे नीबू का रस भी मिला लें. चेहरे को हलका गीला कर के इस पेस्ट से स्क्रब करें.

ड्राई स्किन पर ऐसे करें स्क्रब

विटामिन ई आयल में 1 बूंद नीबू का रस और 1 बूंद ग्लिसरीन मिला लें. इस से चेहरे की मसाज कर के ठंडे पानी से धो लें.

1/2 चम्मच बादाम के चूरे में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच गुलाबजल मिला कर लगा लें और फिर गीले कौटन पैड से साफ कर लें.

नौर्मल स्किन पर ऐसे करें स्क्रब

आटे का चोकर या बारीक दलिया लें. उस में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच दूध मिलाएं और चेहरे पर लगाएं. कुछ देर बाद हलके हाथों से रगड़ कर छुड़ा लें.

 

जेंटल फेस पर ऐसे करें स्क्रब

3 चम्मच पिसे बादाम में 3 चम्मच ओटमील, 3 चम्मच मिल्क पाउडर, 2 चम्मच सूखी गुलाब की पत्तियां और बादाम का तेल मिला लें. इस मिश्रण को कांच के जार में भर कर रख लें और सप्ताह में 1 बार इस्तेमाल करें.

बता दें, अगर आप मार्केट के प्रौडक्ट्स का इस्तेमाल स्क्रब करने के लिए करते हैं तो द्यान रखें कि स्क्रब किसी ब्रेंडेड कंपनी का हो और किसी हानिकारक कैमिकल स्क्रब में मौजूद न हो. साथ ही स्क्रब होममेड हो या रेडिमेड हफ्ते में एक बार जरूर करें. इससे आपके स्किन हमेशा क्लीन रहेगी.

खामोशी: नेहा अपनी शादीशुदा जिंदगी को संभाल पाई

नेहा एक अतिमहत्त्वाकांक्षी युवती थी. शादी बाद जब वह ससुराल आई तो पति से न सिर्फ भरपूर प्यार मिला, धनदौलत भी भरपूर मिली. मगर सिवाय उसे सहेजने के, वह खुल कर पैसा उड़ाने लगी…

‘‘तुम फिर से शुरू हो गए. क्या तुम्हें नहीं पता था कि मैं पब्लिक फिगर हूं. मेरे दोस्त, मेरे फैन सब मेरी 1-1 बात जानना चाहते हैं,’’ नेहा ने गुस्से में सोफे पर बैठते हुए सचिन से बोला, ‘‘देखो सचिन तुम्हें अपनी मम्मी को समा  झना होगा कि मेरे फोटो मेरे कपड़ों पर बोलना बंद करे… अरे वह नाइटी एक बड़े ब्रैंड ने मु  झे गिफ्ट की ताकि उसे पहन कर मैं सोशल मीडिया पर पोस्ट करूं और उन का प्रमोशन हो और तुम्हारी मम्मी ने इतना ड्रामा शुरू कर दिया. इसे छोड़ो मैं ने तुम्हें 5 लाख का बोला था… मु  झे आज शौपिंग पर जाना है… यार मेरा मूड मत खराब करो,’’ गुस्से में तमतमाई नेहा ने पास पड़ा कुशन जमीन पर पटक दिया.

नेहा एक जानीमानी अदाकारा थी पर 35 पार करते ही काम मिलना कम हो गया. बहन या मां के रोल आने लगे तो नेहा ने अपने दोस्तों के कहने पर एक जानेमाने करोड़पति बिजनैसमैन से शादी कर ली. सचिन एक बड़े बिजनैस परिवार का छोटा बेटा था. पहले तो परिवार ने इस शादी से मना किया पर बेटे के आगे सब ने हां कर दी. आज किसी ने सचिन की मां को बहू की नाइटी में एक रील सोशल मीडिया पर दिखा दी जिस के बाद घर में बवाल मचा है.

नेहा का गुस्सा 7वें आसमान पर था क्योंकि पहली बार उस के कपड़ों को ले कर किसी ने उसे टोका था. सचिन को सम  झ नहीं आ रहा था कि क्या करे क्योंकि मांपिताजी ने पहले ही बोला था कि किसी बिजनैस फैमिली की लड़की से शादी करो जो घरपरिवार को सम  झे पर सचिन को माया नगरी की चमकधमक ने इतना प्रभावित किया कि नेहा एक जीती हुई ट्रौफी लगती थी जिसे ले कर वह हर जगह छाया रहता था.

नईनई शादी के वक्त दूरदूर के रिशेदार नेहा के साथ फोटो खिंचवा कर शेयर करते थे. तब सचिन का सीना चौड़ा हो जाता है. दोस्तोयारों में सिर्फ नेहा की चर्चा रहती थी. पैसे की कोई कमी नहीं थी. सचिन को पर नेहा के बाद उसे जो लोगों का ध्यान मिल रहा था वह उस के लिए बहुत खुशी की बात थी. पर शायद सब शुरूशुरू की खुशी थी. करोड़पति परिवार से आने वाले सचिन के परिवार की अपनी बहू से अपेक्षाएं कुछ और ही थीं घर की दूसरी बहुओं की तरह सास चाहती थी कि नेहा भी घर के छोटेबड़े फंक्शन का हिस्सा बने पर नेहा की पार्टियां, फैशन शो, घूमनाफिरना खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था. यहां तक तो फिर भी ठीक था पर आज एक छोटी नाइटी में अपने घर की बहू को नाचते देख सचिन की मां ने नेहा को 2 बातें सुना दीं जिस की वजह से नेहा ने अपना सारा गुस्सा सचिन पर निकल दिया.

रात को गुस्से में नेहा अपने कमरे से बाहर ही नहीं आई? न ही खाना खाया. अगले दिन सुबह नेहा ने फरमान सुना दिया कि वह सब के साथ एक घर में नहीं रहेगी. उसे अलग घर चाहिए.

‘‘नेहा तुम्हें पता है मेरा सारा बिजनैस बड़े भैया और पापा के साथ है और यह घर इतना बड़ा है और तुम्हें कोई रोकटोक नहीं… सोच कर बताओ कि आखिर बार हम ने कब मम्मीपापा के साथ बैठ कर चाय पी जबकि मेरा सारा परिवार सुबह का नाश्ता एकसाथ करता है… यह पापा का नियम है पर तुम्हें कोई कुछ नहीं कहता,’’ सचिन ने प्यार से नेहा को सम  झा.

‘‘प्लीज सचिन यह नाश्ता साथ करने की छोटी बात मु  झ से मत करो. अगर रोकटोक नहीं तो कल तुम्हारी मम्मी ने इतना तमाशा क्यों बनाया? मैं ने एक बार बोल दिया कि अलग घर चाहिए तो चाहिए नहीं तो तुम सोच लो… मेरी लाइन में तलाक आम बात है पर शायद तुम्हारे पापाजी के खानदान में यह आम न हो,’’ बोल कर नेहा ने टौवेल उठाया और नहाने चली गई.

सचिन को अब तक महसूस हो गया था कि नेहा अब नहीं मानेगी. उस ने

पापा और भैया को सारी बात बताई. पापा ने सम  झदारी दिखाते हुए घर से कुछ दूरी वाला फ्लैट सचिन और नेहा के लिए साफ करवाने के लिए बोल दिया. कुछ ही दिनों में नेहा और सचिन कुछ नौकरों के साथ वहां शिफ्ट हो गए पर अब हालात और खराब हो गए. नेहा ने रातरात भर पार्टी करनी शुरू कर दी. वह सचिन को भी साथ चलने को बोलती पर सचिन पर औफिस का काम, फैक्टरी का काम अब बढ़ने लगा था क्योंकि बिजनैस बढ़ रहा था.

‘‘यार तुम्हें दिक्कत क्या है मेरे साथ चलने में… पता है कपिलजी ने खासतौर पर मु  झे फोन कर के बुलाया है. उन की आने वाली फिल्म में एक रोल है शायद मु  झे मिल जाए. सोचो कपिलजी की फिल्म में काम करना कितनी बड़ी बात है,’’ नेहा ने अलमारी से सैक्सी सी ड्रैस निकाल कर शीशे में खुद को देखते हुए सचिन से कहा.

‘‘नेहा तुम यह पहन कर जाओगी?’’ सचिन ने नेहा की ओर देखते हुए पूछा.

‘‘उफ, बस करो सचिन मु  झे जो पहनना है पहनूंगी… अच्छी नजर आओगी तो ही फिल्म के औफर मिलेंगे,’’ नेहा ने गुस्से में कहा.

‘‘पर शादी के वक्त तुम ने बोला था कि तुम काम नहीं करना चाहती… एक सिंपल लाइफ जीना चाहती हो मेरे साथ… सिर्फ पार्टी, अवार्ड फंक्शन पर जाएगी, सोशल वर्क करोगी इसलिए मेरे घर वाले माने थे,’’ सचिन भी सोफे से खड़ा हो गया.

‘‘तब मु  झे लगा था कि मैं साइड रोल नहीं करूंगी पर अब सब मु  झे बोलते हैं कि इन में वह बात है कि साइड रोल में भी मैं धमाल कर सकती हूं,’’ नेहा इतराती हुई बोली.

‘‘जो करना है करो पर मैं पार्टी में नहीं जा सकता. मु  झे सुबह दिल्ली जाना है… किसी को बोल कर मेरा बैग पैक करवा दो.’’

‘‘बैग पैक करवाने का टाइम नहीं है मेरे पास. मेरी हेयर स्टाइलिस्ट से अपौइंटमैंट है. पार्टी के लिए रैडी होना है और जरा मेरे अकाउंट में क्व3 लाख ट्रांसफर कर देना,’’ बोलते हुए नेहा कमरे से बाहर निकल गए सचिन वहीं खड़ा रहा.

अगले दिन 3 दिन सचिन दिल्ली था. न नेहा का कोई फोन आया और सचिन ने फोन करता तो नेहा ने उठाया नहीं. घर पर फोन करता तो कभी नौकर कहता कि मैडम सो रही हैं तो कभी कहता घर पर नहीं. 3 दिन बाद रात को सचिन 2 बजे घर आया तो भी नेहा घर पर नहीं थी.

अगले दिन दोपहर को नेहा घर आई. सचिन को देख कर बोली, ‘‘अरे तुम आ गए? अच्छा हुआ मु  झे क्व4 लाख चाहिए.’’

‘‘तुम थी कहां सारी रात?’’ सचिन ने नेहा से पूछा.

‘‘कहां थी मतलब? कपिल की पार्टी में और तुम्हें पता है शनिवार से मेरी शूटिंग शुरू हो रही है. तुम मु  झे कैश दे दो. मु  झे निकलना है फ्रैश हो कर,’’ सचिन के गुस्से, नाराजगी को अनदेखा कर के नेहा नहाने चली गई.

अब अकसर नेहा रात को देर से आती या अगले दिन आती. आए दिन सचिन से पैसे मांगती. सचिन भी सब चुपचाप सह रहा था क्योंकि उसे पापा की बात याद थी कि शादी टूटनी नहीं चाहिए. समाज में परिवार की इज्जत है. पर एक रात तो हद हो गई. सचिन बालकनी में रात के 3 बज रहे थे. नेहा किसी और की कार से घर के दरवाजे पर लड़खड़ाते कदमों से उतरी. उस के पीछे 2 मर्द जिन का चेहरा साफ नहीं था. एक मर्द ड्राइविंग सीट से और दूसरा पिछली सीट से उतरा. एक ने पीछे से और दूसरे ने आगे से नेहा को गले लगा लिया. एक गु्रप हग जैसा… सिर्फ गले ही नहीं लगाया जिस ने आगे से गले लगाया था वह नेहा के होंठों को चूम रहा था और पीछे से जिस ने गले लगा रखा था उस के हाथ नेहा की छाती को सहला रहे थे. इतना देख कर सचिन नीचे भागा. उसे लगा कि वे दोनों नेहा के नशे में होने का फायदा उठा रहे हैं. जब तक सचिन नीचे पहुंचा नौकर ने दरवाजा खोल दिया था और नेहा गुनगुनाते हुए ड्राइंगरूम में आ चुकी थी.

‘‘अरे तुम अभी तक जाग रहे हो,’’ सचिन को देख कर वह मदहोश आंखों से सचिन से लिपट गई पर सचिन का दिमाग हिल चुका था क्योंकि नेहा इतने भी नशे में नहीं थी कि कोई उस का फायदा उठा ले और वह गुनगुनाती हुई आए सचिन से लिपट गई.

नेहा को धक्का दे कर अलग किया और बोला, ‘‘कौन थे वे दोनों जो तुम्हें छोड़ने आए थे और तुम्हारी कार कहां है?’’

‘‘अरे चिल्ला क्यों रहे हो कार कपिल के घर है और वे कपिल के दोनो दोस्त थे जो आए थे. आज कपिल के घर पार्टी थी. अब हटो सोने दो मु  झे.’’

सचिन को लगा कि अभी और बात हुई तो बात बिगड़ सकती है. अत: उस ने सुबह होने का इंतजार किया. सारी रात नींद नहीं आई तो सोशल मीडिया में नेहाकपिल का प्रोफाइल देखने लगा जो देखा उसे देख कर सचिन के होश उड़ गए. पिछले 1 हफ्ते में नेहा का प्रोफाइल अर्धनग्न फोटों से भरा हुआ था. इतना ही नहीं अलगअलग लड़कों के साथ लिपट कर कई फोटो थे. सचिन काम की वजह से सोशल मीडिया पर नहीं था और पिछली बार की लड़ाई देखते हुए शायद घर वालों ने भी इन फोटों का जिक्र उस से नहीं किया. पर अब सचिन को लगा कि समाज, परिवार के डर से खामोश रहना कमजोरी हो गई है.

सुबह सचिन ने नेहा से जब फोटो और रात वाले गले लगने और किस की बात

बोली तो नेहा उलटा सचिन पर भड़क गई, ‘‘रहे न तुम छोटी सोच के… गुडबाय किस थी वह और बाय करने का तरीका था गले लगना… और क्या खराबी है इन तसवीरों में… तुम न गंवार हो… मेरी क्रैडिट कार्ड की लिमिट का क्या हुआ?’’

अब सचिन को लगा कि खामोशी तोड़नी होगी, ‘‘नेहा कान खोल कर सुन लो अभी तक सबकुछ मैं ने चुपचाप सहा क्योंकि मु  झे अपने परिवार की चिंता थी… तुम ने मु  झ से शादी से पहले बोला था कि तुम घर संभालोगी और औफिस जौइन करोगी… तुम्हें सब पहले से पाता था कि मेरे घर वाले कैसे हैं, फिर भी मैं ने हमेशा तुम्हारा साथ दिया. तुम वापस फिल्मों में काम करना चाहती हो बिलकुल करो, लाइफ में जो करना चाहती हो करो मैं साथ हूं पर कल जो मैं ने देखा उसे बिलकुल सहन नहीं करूंगा… मैं अपनी पत्नी के सपने पूरे करने मैं हर तरह से उस के साथ हूं पर तुम जो कर रही हो यानी डरी रातरात भर घर नहीं आना, दूसरे लड़कों के साथ गले लगना, अश्लील फोटो सोशल मीडिया पर डालना यह मुझ से सहन नहीं होगा. यही अगर तुम्हारे सपने हैं तो तुम अभी यह घर छोड़ कर चली जाओ मेरे तरफ से तुम आजाद हो. मैं सिर्फ तुम्हारा एटीएम बन कर रह गया… मैं तुम्हारी जिम्मेदारी उठाने को तैयार हूं पर तुम्हारी ऐयाशी के खर्चे बिलकुल नहीं उठा सकता… शाम तक अपना सामान पैक कर के मेरा घर खाली कर दो… बाकी तलाक के समय जो चाहोगी मैं दे दूंगा पर मैं अब इस घुटन में नहीं रहना चाहता,’’ सचिन ने औफिस का बैग उठाया और कमरे से निकल गया. जाते समय सारे नौकरों को बोल गया कि मैडम के जाने के बाद घर लौक कर के वापस कोठी पर चले जाएं.                       द्य

जब पार्टनर हो Emotionless तो क्या करें

रिया ने प्रशांत से अपना अफेयर खत्म कर लिया. और करती भी क्या, क्योंकि जब भी कोई मनमुटाव होता, प्रशांत एक दीवार की तरह सख्त और कठोर बन जाता. उस में जैसे भावनाएं हैं ही नहीं. जो कुछ भी हो रहा है उस की पूरी जिम्मेदारी रिया पर है और उसे ही इस रिश्ते को आगे चलाने का दारोमदार उठाना है.

अपनी बात, अपनी भावनाएं प्रशांत को कितनी ही बार सम झाने के विफल प्रयासों के बाद रिया को लगने लगा था कि प्रशांत उसे कभी नहीं सम झ पाएगा. आखिर कब तक वह अकेले रिश्ता निभाती रहेगी. फिर एक समय ऐसा आया जब दोनों में से कोई भी रिश्ते में भावनाएं नहीं उड़ेल रहा था. रिश्ते का टूटना तय होने लगा था. रिया को तब तक पता नहीं था कि प्रशांत दरअसल एक कम आईक्यू वाला इंसान है.

क्या होता है आईक्यू

आईक्यू यानी इमोशनल कोशैंट, मतलब इमोशनल इंटैलिजैंस का माप. अपनी तथा दूसरों की भावनाओं को सम झ पाना, अपनी भावनाओं पर काबू रख पाना, उन्हें ढंग से प्रस्तुत कर पाना और आपसी रिश्तों को सू झबू झ व समानभाव से चला पाना इमोशनल इंटैलिजैंस की श्रेणी में आता है. निजी और व्यावसायिक दोनों में उन्नति की राह इमोशनल इंटैलिजैंस से हो कर गुजरती है. कुछ ऐक्सपर्ट्स का मानना है कि जिंदगी में तरक्की के लिए इमोशनल इंटैलिजैंस, इंटैलिजैंस कोशैंट से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण होती है.

कैंब्रिज यूनिवर्सिटी, टोरंटो यूनिवर्सिटी और लंदन के यूनिवर्सिटी कालेज द्वारा प्रकाशित शोधों से साफ है कि जो लोग अपनी इमोशनल इंटैलिजैंस को बढ़ा लेते हैं वे दूसरों को मैनिपुलेट करने में कामयाब रहते हैं. लेकिन जो इस में कमजोर होते हैं, उन के पार्टनर्स को बहुत मुसीबत उठानी पड़ती है.

कैसे पहचानें ऐसे पार्टनर को

रहेजा हौस्टिपल के साइकिएट्रिस्ट डा. केदार तिलवे कम आईक्यू वाले इंसान को पहचानने के लिए जिन बातों का ध्यान करते हैं वे हैं भावनात्मक विस्फोट, अपनी या अपने पार्टनर की भावनाओं को न सम झ सकना, इमोशंस को गलत ढंग से सम झना, परेशानी की स्थिति में सामने वाले को दोषी ठहराना, बिना तर्कसंगत और विवेकशील हुए बहसबाजी करना, सामने वाले की बात को न सुनना.

कंसल्टैंट साइकिएट्रिस्ट

डा. अनीता चंद्रा बताती हैं कि ऐसे व्यक्ति जल्दी में प्रतिक्रिया देते हैं और सामाजिक तालमेल बैठाने में कमजोर होते हैं. इन्हें अपने गुस्से के कारणों का पता नहीं होता और ये थोड़े अडि़यल स्वभाव के होते हैं.

कम आईक्यू के कारण

मनोचिकित्सक डा. अंजलि छाबरिया कहती हैं कि कम आईक्यू वाले लोग अपनी भावनाओं को भी नहीं पहचान पाते हैं और इसीलिए अपनी बातों या अपने क्रियाकलापों का असर सम झने में भी पिछड़ जाते हैं. ऐक्सपर्ट्स की राय में परेशानी में बीता बचपन या आत्ममुग्ध अभिभावकों की वजह से आईक्यू में कमी आ सकती है. कम आईक्यू जेनेटिक भी हो सकता है. ऐसे लोग दूसरों की तकलीफ कम सम झ पाते हैं और अकसर अपने कार्यों पर पछताते भी नहीं हैं.

डा. छाबरिया इन कारणों को इन के रिश्ते में आती दरारों से जोड़ कर देखती हैं. क्लीनिकल साइकोलौजिस्ट डा. सीमा हिंगोरानी के अनुसार ऐसे लोग अपने पार्टनर का ‘पौइंट औफ व्यू’ नहीं सम झते और मनमुटाव की स्थिति में सारा दोष पार्टनर के सिर पर डालने लगते हैं.

ऐसी ही एक लड़ाई के बाद जब सारिका दिल टूटने के कारण रोने लगी तब भी मोहित ने न तो उसे चुप कराया और न ही गले लगाया, उलटा पीठ फेर कर बैठ गया. हर बार रोने या दुखी होने का मोहित पर कोई फर्क न पड़ता देख सारिका ने इसे मैंटल एब्यूज का दर्जा दिया.

रिश्तों पर असर

डा. छाबरिया अपने एक केस के बारे में बताती हैं जहां एक पत्नी का ऐक्सट्रा मैरिटल अफेयर था, क्योंकि उसे अपने पति से भावनात्मक सामीप्य नहीं मिलता था. लेकिन वह अपने पति को छोड़ना भी नहीं चाहती थी. पति का अपने बच्चों के प्रति रवैया भी शुष्क था. फिर भी पत्नी उसे एक अच्छा इंसान मानती थी. कम आईक्यू वाले इंसान अपने रिश्तों में काफी कमजोर होते हैं. दोनों पार्टनर्स में एकदम अलग भावनात्मक स्तर होने के कारण रिश्ते पर आंच आने लगती है. ऐसे लोगों को उन के पार्टनर्स अच्छे से सम झ नहीं पाते और न ही वे स्वयं उन्हें सम झा पाते हैं, जिस की वजह से उन में गुस्सा और खीज बढ़ती है और तनाव व अवसाद होने की आशंका रहती है.

डा. हिंगोरानी हाल ही में हुए 3 केसों के बारे में बताती हैं जहां पत्नियां अपने पतियों से किसी भी तरह की भावनात्मक बातचीत नहीं कर पा रही थीं, क्योंकि हर बात पति या तो वहां से चला जाता या फिर टीवी की आवाज बढ़ा कर बातचीत न होने देता.

यों बचाएं रिश्ता

डा. हिंगोरानी के मुताबिक ऐसे रिश्तों को जिंदा रखने का एक ही तरीका है और वह है कम्यूनिकेशन. ‘कम्यूनिकेशन इज द की.’

आप को यह ध्यान रखना होगा कि आप का पार्टनर कुछ भी जानतेबू झते नहीं कर रहा है. उस की बैकग्राउंड को ध्यान में रखें. रोने झगड़ने, दोषारोपण करने से कोई हल नहीं निकलेगा, बल्कि आप को शांत रहना होगा.

डा. तिलवे कहते हैं कि बातचीत के दौरान आप उन की बात को दोहराएं ताकि उन्हें विश्वास हो कि आप उन्हें सम झ रहे हैं, साथ ही उन्हें भी सही तरह से सुनना आ सके, जोकि कम्यूनिकेशन में बेहद जरूरी होता है.

डा. छाबरिया कम आईक्यू वाले लोगों के पार्टनर्स को सलाह देती हैं कि वे अपनी भावनाएं, इच्छाएं और विचारों को साफ तौर पर व्यक्त करें.

क्या और कैसे करें

कम आईक्यू वाले पार्टनर से डील करते समय आप को क्या करना चाहिए कि रिश्ता कायम रहे और आप पर अत्यधिक दबाव भी न पड़े, आइए जानें:

लक्ष्मण रेखा खींचें: यह नियम बना लें कि खाने के समय पर कोई तनावपूर्ण बात नहीं की जाएगी या फिर औफिस में एकदूसरे को फोन कर के परेशान नहीं किया जाएगा.

टाइम आउट: यदि बातचीत लड़ाई का रूप लेने लगे या फिर कोई एक आपा खोने लगे तो उसी समय बातचीत रोक देने में ही आप का और आप के रिश्ते का फायदा है.

किसी तीसरे की सलाह: कई बार किसी बाहर वाले या काउंसलर की सलाह काम कर जाती है.

साफ बताएं: रिश्तों में कम्यूनिकेशन अकसर गैरमौखिक और सांकेतिक संप्रेषण

होता है. लेकिन यदि आप का पार्टनर कम आईक्यू वाला है तो उस से साफ शब्दों में अपनी भावनाएं व्यक्त करना ही सही रहता है, क्योंकि उस के लिए आप की भावनाओं को सम झ पाना मुश्किल है.

बहस न करें: आप चाहे कितने भी सही हों, किंतु कम आईक्यू वाले पार्टनर से बहस करना, उस के आगे रोना, अपनी बात को तर्क से कहना, उस की सोच बदलने की कोशिश करना सब व्यर्थ है. उलटा इस का असर यह भी हो सकता है कि वह आप पर  झल्ला पड़े, आप की बेइज्जती करने लगे, आप से लड़ने लगे या फिर आप की भावनाओं से एकदम पीछे हट जाए, इसलिए अपनी बात को शांत मन से कहें और फिर चुप हो जाएं.

रिश्तों पर पकड़ आपसी मनोभावों की सम झदारी में है. आप इन भावों को कैसे बताते हैं, कैसे सम झ पाते हैं, इसी पर रिश्तों का निबाह निर्भर करता है. यदि एक पार्टनर इस विषय में कमजोर है तो दूसरे पार्टनर को थोड़ी ज्यादा जिम्मेदारी निभानी होगी. आखिर आप का आईक्यू आप के पार्टनर से अधिक जो है.

क्या है इंटिमेट हाइजीन

पहले महिलाएं पुरानी रूढि़वादी सोच बदलते इंटिमेट हाइजीन पर बातचीत करने से हिचकती थीं, जिस का खमियाजा भी उन्हें ही भुगतना पड़ता था. उन्हें तरहतरह के इन्फैक्शन परेशान करते थे. मगर अब जमाना बदल गया है. लड़कियां और महिलाएं इस विषय पर हर तरह की जानकारी चाहती हैं ताकि वे सेहतमंद बनी रहें.

क्या है इंटिमेट हाइजीन

पर्सनल हाइजीन का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा इंटिमेट हाइजीन है. महिलाओं के लिए इंटिमेट हाइजीन बनाए रखना बेहद जरूरी है. इस से न केवल वे क्लीन और फ्रैश महसूस करती हैं, बल्कि खुजली, फंगल और बैक्टीरियल इन्फैक्शन या यूटीआई जैसी गंभीर समस्याओं से भी बचती हैं.

मगर इस हिस्से में ज्यादा साबुन का प्रयोग करने से रूखापन, जलन और पीएच बैलेंस (3.5 से 4.5) बिगड़ने की समस्या हो सकती है. शरीर के इस हिस्से में मौजूद टिशू काफी संवेदनशील होते हैं. इसलिए इस हिस्से की ज्यादा साफसफाई या कम दोनों ही वजहों से समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

इंटिमेट हाइजीन बनाए रखने का सही तरीका

– हर महिला को दिन में कम से कम 2 बार इंटिमेट एरिया को सावधानी से साफ करना चाहिए. इस एरिया की त्वचा पर हार्ड वाटर, हार्ड साबुन आदि का इस्तेमाल करने से बचें. हमेशा जैंटल और माइल्ड प्रोडक्ट का ही इस्तेमाल करें.

– ध्यान रखें कि जिस पानी का इस्तेमाल कर रही हों वह बहुत ज्यादा गरम या ठंडा न हो. कुनकुने साफ पानी का प्रयोग करें.

– इंटिमेट एरिया को हमेशा कोमलता से धोएं या पोंछें. अगर आप तौलिए से बहुत रगड़ कर पोंछेंगी तो सैंसिटिव टिशूज डैमेज हो सकते हैं.

– इस हिस्से की त्वचा को हमेशा सूखा रखें.

– इंटिमेट एरिया की सफाई के लिए कोई भी ऐसा प्रोडक्ट इस्तेमाल न करें जिस में खुशबू मिलाई गई हो. खुशबू के लिए इन प्रोडक्ट्स में खतरनाक कैमिकल मिलाए जाते हैं, जो वैजाइना के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होते.

– लेस वाली अंडरवियर कितनी भी खूबसूरत क्यों न हो पर हमेशा कौटन के अंडरवियर ही चुनें. ये कंफर्टेबल होते हैं और इन से हवा सहजता से पास हो पाती है. ‘जर्नल ओब्स्टेट्रिक्स ऐंड गाइनोकोलौजी’ में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार सिंथैटिक के अंडरवियर वैजाइना में यीस्ट इन्फैक्शन का खतरा बढ़ाते हैं.

– अपने अंडर गारमैंट्स की हाइजीन पर भी ध्यान दें. हमेशा इन्हें अच्छे डिटर्जैंट से धो कर धूप में सुखाएं ताकि इन में मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाएं.

– अगर संभव हो तो रात को बिना अंडरवियर या बहुत ढीले शौर्ट्स पहने कर सोएं.

– पीरियड्स के दौरान सफाई का खास खयाल रखें. हर 3-4 घंटों के अंदर सैनिटरी पैड बदलें.

– ऐसे कपड़े न पहनें जो बहुत टाइट हों. टाइट कपड़े इंटिमेट एरिया में हवा के बहाव को रोकते हैं. इस से नमी अंदर ही रहती है और यीस्ट इन्फैक्शन का खतरा रहता है.

– यदि आप को वैजाइनल डिस्चार्ज की समस्या है, तो यथाशीघ्र डाक्टर से मिल कर उपचार कराएं.

– अगर शरीर के इस हिस्से से किसी तरह की दुर्गंध महसूस हो तो भी देरी किए बिना डाक्टर से संपर्क करें.

प्रोडक्ट खरीदने से पहले  ध्यान दें

आज बाजार में इंटिमेट हाइजीन के लिए तरहतरह के प्रोडक्ट्स उपलब्ध हैं. ये प्रोडक्ट इस एरिया को साफ रखने में अलगअलग तरह से मदद करते हैं. लेकिन कोई भी प्रोडक्ट खरीदते समय कुछ बातों का खयाल रखना जरूरी है.

प्रोडक्ट ऐसा लें जो हाइपोएलर्जेनिक हो, सोप फ्री हो, पीएच फ्रैंडली हो, माइल्ड क्लींजर हो और किसी तरह का नुकसान या जलन पैदा किए बगैर अपना काम करे. मार्केट में इंटिमेट हाइजीन के लिए ऐसे प्रोडक्ट्स मौजूद हैं, जिन में पर्याप्त मात्रा में मौइस्चराइजर होता है ताकि त्वचा के ड्राई होने की समस्या से बचा जा सके.

प्यूबिक एरिया के बालों की सफाई

अपने प्यूबिक एरिया के बालों की सफाई का भी खयाल रखें. आप चाहें तो इन्हें शेव कर सकती हैं, वैक्स कर सकती हैं या फिर नियमित रूप से ट्रिम कर सकती हैं. हर बार शेव करने के लिए नए रेजर का इस्तेमाल करें. इस से इन्फैक्शन का खतरा कम होगा.

जिस तरह आप हाथपैरों के लिए साबुन या शेविंग क्रीम का इस्तेमाल करती हैं उसी तरह अपने प्यूबिक हेयर को शेव करते वक्त भी करें. शेविंग से पहले साबुन या शेविंग क्रीम से खूब सारा झाग बना लें.

इस से शेव करते वक्त कम फ्रिक्शन होगा और कटने का जोखिम भी कम होगा. यही नहीं जरूरी है कि आप साबुन या किसी अच्छे इंटिमेट वाश से प्यूबिक हेयर की रोज सफाई भी करें वरना यहां बैक्टीरिया फंसे रह सकते हैं. इस सफाई करने से आप कई प्रकार के संक्रमण से बच सकती हैं.

यहां ब्रेनवाश करना आसान है

यहां ब्रेनवाश करना आसान है आज शासन न केवल वोटों से चुन कर आए नेताओं के हाथों से खिसक कर नेताओं के लिए काम कर रहे अफसरों के हाथों में चला गया है, वे अफसर अब पुराने पुरोहितों की तरह बातें भी करने लगे हैं, वहीं पुरोहित दुनियाभर की औरतों को आज 21वीं सदी में चेनों में भी बांध कर रखते हैं. ये वे पुरोहित हैं जो औरतोंआदमियों से कहते रहे हैं कि जो भी उन्हें मिला है वह उन के माध्यम से ईश्वरअल्लाह ने दिया है और जो कुछ उन से छीना गया है, वह उसी ईश्वरअल्लाह की मरजी है.

पहले भी और आज भी ये पुरोहित इस तरह ब्रेनवाश करते रहे हैं कि सारी जनता न केवल अपना अनाज, मेहनत, कपड़ा और यहां तक कि जान भी हर समाज के कुछ चुने हुए पुरोहितों को एक तरह से अपनी मरजी से दे देती थी, हर आफत के लिए खुदको दोषी मानती थी. जब से आधुनिक, तार्किक, वैज्ञानिक सोच का जन्म हुआ, आदमियों ने इन पुरोहितों की बातें काटनी शुरू कीं और राजाओं और राजपुरोहितों की चलनी कम हुई पर यह छूट औरतों को नहीं मिली. वे पहले की तरह ही धर्म की दुकानों की तिजोरियों को भी भरती रहीं और अपना शरीर भी पुजारियों को देती रहीं. अभी अफसरनुमा पुरोहितों ने भारत में कहना शुरू किया है कि देश के थोड़ेबहुत पढ़ेलिखे युवकयुवतियों को सरकारी नौकरियों की मांग नहीं करनी चाहिए.

एक अफसर संजीव सान्याल ने युवाओं को फटकारते हुए कहा कि वे क्यों अपने जीवन के कीमती साल सरकारी नौकरियों के पीछे गंवा रहे हैं जबकि उन्हें एलन मस्क या मुकेश अंबानी बनना चाहिए. यह एक तरह से वह उपदेश है कि वे तपस्या कर के इंद्र की गद्दी के लिए सबकुछ त्याग दें और उन की आंखें बचा कर चालबाज एक मनोहर आश्रम स्थापित कर लें, जिन की रक्षा का काम राजाओं का हो. संजीव सान्याल कहते हैं कि 2 वक्तकी रोटी पाने के लिए उन्हें सरकारी नौकरी पाने के बजाय किचन ही बनानी चाहिए जहां हजारों खाना खाएं. उन का उद्देश्य बड़ा होना चाहिए. खुद सरकारी ओहदे पर बने रहते हुए उपदेश देना वैसा ही है जैसा हर प्रवचन में पादरी या पुरोहित भव्य भवन में सोने के सिंहासन पर बैठ कर माया को मोह का नाम दे और मोक्ष को पाने के लिए त्याग की महिमा गाए.

यह पुरोहितनुमा अफसरशाही दुनियाभर में कहती रहती है कि अपनी इच्छाएं कम करो पर अपना कर्म पूरा करते रहो, शासन की सेवा करते रहो. आज हर घर पर शासन, सरकार, रिच कंपनियों के हाईटैक धर्मगुरुओं का भरपूर कब्जा है. बच्चों के पैदा होते ही क्रौस, ओम, अल्लाह का पाठ पढ़ाया जाता है ताकि वे जो भी करें, उन के लिए करें. जो थोड़े से इस मकड़जाल से निकल जाते हैं, उन्हें पुरोहिताई अफसरशाही अपने में मिला लेती है और कहती है कि हमारा विरोध न करो, अपनी तार्किक बुद्धि का इस्तेमाल आम जनता को बहकाने, लूटने के लिए करो. दुनियाभर में मांएं अपने बच्चों को या तो धर्मभीरु बना रही हैं ताकि वे धर्मनियंत्रित समाज में सेवक, अच्छे या मध्यम व्हाइट कौलर जौब्स या मेहनती मजदूरी वाली ब्ल्यू कौलर जौब्स करें या फिर शासकों की बिरादरी में पहुंच कर पीढ़ी दर पीढ़ी अपना विशिष्ट स्थान सुरक्षित कर लें.

भारत में यह ज्यादा हो रहा है. यहां ब्रेनवाश करना आसान है क्योंकि यहां जन्म से ही रट्टू पीर बना दिया जाता है. यहां पढ़ाई सवाल खड़े करने वाली नहीं होती. जो कहा गया उसे सच व अंतिम तथ्य मानना होता है. अब तो परीक्षाओं में सही उत्तर पहले ही दे दिए जाते हैं और 3 गलत उत्तरों में से ढूंढ़ना भर रह गया है. आज के पुरोहित अफसरों ने सरकार पर ही नहीं, टैक्नोलौजी पर भी कब्जा कर लिया है. जो तार्किक ज्ञान पाए पिता का बेटा है वह अलग से पढ़ाई करता है, सवाल पूछता है, नए विचार रखता है, शासन करने वालों की बिरादरी में घुसता है, कंपनियां चलाता है, टैक्नो इनवेंशन करता है, बाकियों को संजीव सान्याल कहते हैं कि इस बिरादरी में कुछ नहीं रखा, यह भ्रम है, माया है.

जपतप कर के इंद्र का स्थान पाने कीकोशिश न करो, जीजस न बनो, बुद्ध न बनो. आज स्थिति यह है कि लड़कियों को सुंदर चेहरों और रील्स बनाने पर लगा दिया गया है और लड़कों को कांवड़ ढोने पर. संजीव सान्याल इस बारे में कुछ नहीं कहते. उन्हें बंगालियों के अड्डों से शिकायत है जहां आपस में बैठ कर जीवन की गुत्थियों को बिना पुरोहितों की छत्रछाया में सम?ाने की कोशिश की जाती थी. वे सूखी रोटी पर 2 बूंद शहद टपका कर कहते हैं कि शहद बनाने की कोशिश करो और सूखी रोटी खाओ. वे जानते हैं कि शहद के लिए गुलाम मक्खियां रानी मक्खी के लिए फूलों से रस चूसती हैं और फिर मर जाती हैं.

रानी मक्खी शान से छत्ता संभालती है. हर देश में संजीव सान्याल हैं जो सम?ा रहे हैं कि कैसे आदर्श गुलाम बनो, मशीनी मानव बनो, कंप्यूटर प्रोग्रामर बनो, मैकैनिक बनो, डिलिवरी बौय बनो पर उन ऊंचे स्थानों के सपने भी न देखो जहां केवल पीढ़ी दर पीढ़ी वाले लोगों का कब्जा है. हर लड़की, हर युवती, हर औरत, हर पत्नी, हर मां इस ?ांसे में आ ही जाती है. अपने को टाइगर मौम सम?ाने वाली मांएं भी असल में सिस्टम के बंधे युवा पैदा कर रही हैं.

डिनर में बनाना चाहती हैं कुछ अलग तो ट्राई करें ये रेसिपीज

सब्ज हांड़ी

अक्सर हम लोग यह सोचकर कंन्फ्यूस हो जाते हैं कि खाने में क्या बनाए. आपकी इस समस्या का हल हमारे पास है. हम आपके साथ शेयर कर रहे हैं दो रेसिपी जिसे आप डिनर में बना सकते हैं. तो फटाफट लेकर आइए सामान और बनाइए सब्ज हांडी और अवध बिरयानी.

सामग्री

आलू  10-12 फ्रैंच बींस 1 कप ब्रौड बींस 3 गाजर डेढ़ कप छिले मटर  1 गोभी 1 गुच्छा मेथी 3 प्याज 3 टमाटर  50 ग्राम काजू 30 मिलीलीटर क्रीम 1 छोटा चम्मच अदरक का पेस्ट 1 छोटा चम्मच लहसुन का पेस्ट 1 छोटा चम्मच सुमन लालमिर्च पाउडर 1/2 छोटा चम्मच सुमन हलदी पाउडर 1/2 कप सुमन कच्ची घानी मस्टर्ड औयल धनियापत्ती  6 हरीमिर्च नमक स्वादानुसार.

विधि

सबसे पहले आलू व बींस को डायमंड शेप में काटें. फिर गोभी में से छोटे-छोटे फूल निकालें. फिर गरम पानी में काजू को उबाल कर पेस्ट तैयार करें. इस के बाद मेथी, धनियापत्ती, प्याज व हरीमिर्च काटें. फिर बरतन में सुमन कच्ची घानी मस्टर्ड औयल गरम कर उस में प्याज डाल कर सुनहरा होने तक भूनें. इस में अदरक लहसुन पेस्ट डाल कर अच्छी तरह भूनें. अब इस में सुमन लालमिर्च पाउडर, सुमन हलदी पाउडर, नमक और कटे टमाटर डाल कर अच्छी तरह पकने दें. इस में मेथी डाल कर 3-4 मिनट तक और पकाएं. अब इस में सब्जियां डाल कर मिलाएं और साथ ही काजू का पेस्ट और क्रीम भी ऐड करें. इस के बाद इस में 1 कप पानी डाल कर धीमी आंच पर तब तक पकाएं जब तक सब्जियां तीन चौथाई पक न जाएं, फिर धनियापत्ती व हरीमिर्च डाल कर सारा पानी सूखने तक पकने दें और गरमगरम सर्व करें.

 

अवधी वैज बिरयानी

सामग्री

2 कप बासमती चावल  7 बड़े चम्मच देशी घी  1 छोटा चम्मच जीरा  8 लौंग  1 टुकड़ा दालचीनी  1 टुकड़ा जावित्री  1/4 चम्मच जायफल पाउडर  8-10 केसर के धागे   2 सूखी लालमिर्च  2 बड़ी इलायची  5 छोटी इलायची  1 चम्मच अदरक पेस्ट  8-10 तेज पत्ते  1 छोटा चम्मच कालीमिर्च कुटी  1/2 कप दूध केसर भिगोने के लिए  400 ग्राम सब्जियां (फूलगोभी, फ्रेंच बीन, गाजर, मटर, शिमलामिर्च)  4 टमाटर   1/2 पुदीने के पत्ते 1 चम्मच लालमिर्च पाउडर  1 चम्मच जीरा पाउडर  2 चम्मच गरम-मसाला  3 कप पानी   नमक स्वादानुसार.

विधि

कुकर में घी गरम करें और सारे खड़े मसाले डाल कर 2 मिनट तक भूनें. अब सारी सब्जियों को डाल कर 2 मिनट फिर से भूनें. सब्जियों के बड़े टुकड़े ही काटें. इस में टमाटर डालें, हलका भूनने के बाद दही डालें और फिर से भूनें. अब सारे सूखे मसाले भी इस में मिला दें. अब कटा हुआ पुदीना मिलाएं. इस में हलका नमक मिलाएं. अब पहले से भीगे हुए चावलों से इन सब्जियों के ऊपर एक परत लगाएं. उस के ऊपर चुटकी भर गरम मसाला और एक चम्मच घी फैलाएं और थोड़ा कटा हुआ धनिया पुदीना भी फैलाएं. इस के बाद केसर मिला हुआ दूध ऊपर से डाल दें. अब इस में नमक डालें. एक फोर्क की मदद से चावलों को हलका सा पलटे जिस से नमक उस में अच्छी तरह मिल जाए इस के बाद इस में पानी डाल दे और कुकर का ढक्कन लगा कर एक सीटी लगा ले, इस के बाद करीब 3 मिनट तक गैस धीमी कर के छोड़ दें उस के बाद गैस बंद कर दें. कुकर को ठंडा होने दें जब पूरी तरह गैस निकल जाए तब कुकर का ढक्कन खोलें और फोर्क की सहायत से बिरयानी को हलके हाथों से ऊपर नीचे करें. अपनी पसंद के रायते के साथ सर्व करें.

 

मैं 25 साल की लड़की हूं और मुझे पीरियड्स में बहुत गंभीर ऐंठन/दर्द होता है. क्या करूं

सवाल

मैं 25 साल की लड़की हूं और मुझे पीरियड्स में बहुत गंभीर ऐंठन/दर्द होता है.  मैं इस को कैसे कम कर सकती हूं?

जवाब

लड़कियों में पीरियड्स के पहले 2 दिनों में मैंस्ट्रुअल कैंप यानी दर्द होना सामान्य बात है. लेकिन अगर आप में यह दर्द इतना ज्यादा है कि आप को उल्टी हो रही है और अपना रोज का काम नहीं कर पा रही हैं तो यह दर्द सामान्य दर्द नहीं है. आप दर्द को कम करने के लिए नौर्मल पेन किलर ले सकती हैं. मीठे खाद्यपदार्थों को न खाएं. कोशिश करें कि जो भी डाइट खाएं उस में सभी जरूरी पोषक तत्त्व हो. सब से जरूरी है कि तनाव न लें. अगर इस के बाद भी दर्द नहीं जाता है तो अपने गायनोकोलौजिस्ट से कंसल्ट करें क्योंकि यह दर्द एंडोमेट्रियोसिस की वजह से हो सकता है.

इसलिए अगर किसी महिला, खास कर अगर लड़कियों में पीरियड्स का दर्द हो रहा है तो उसे डाक्टर की सलाह पर एमआरआई कराना चाहिए. मेरी उम्र 30 साल है और मेरा पीरियड सिर्फ 3 दिनों तक रहता है. क्या इसे सामान्य माना जाता है या मु?ो अपने गायनोकोलौजिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए? अगर पहले आप का मैंस्ट्रुअल साइकल 5 दिन का होता था और अब आप को लगता है कि यह 3 दिन का हो गया है और अब पीरियड्स भी अनियमित तौर पर आ रहा है और आ भी रहा है तो फ्लो यानी खून भी कम आ रहा है तो यह नौर्मल नहीं है. इस के लिए आप अपने गायनोकोलौजिस्ट से कंसल्ट करें क्योंकि हो सकता है कि यह कुछ प्रकार की हारमोनल समस्या हो. आप अपने गायनोकोलौजिस्ट से कंसल्ट कर के इस का कारण जाने और समाधान ढूंढें.

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