ब्रेक-अप की अफवाहों के बीच फिर साथ दिखें मलायका अरोड़ा और अर्जुन कपूर

अर्जुन कपूर और मलायका अरोड़ा के ब्रेकअप की खबरें नई नहीं हैं. इस कपल की पहले भी ऐसी चीजों का सामना करना पड़ा है. दोनों एक बार फिर सुर्खियों में थे क्योंकि ऐसी अफवाहें थीं कि वे दोनों अलग हो गए हैं. ऐसी अटकलों पर विराम लगाते हुए रविवार दोपहर को मलायका और अर्जुन को लंच डेट पर देखा गया. मलायका ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक पोस्ट भी शेयर किया है जिसमें इशारा दिया गया है कि वह अर्जुन के साथ हैं.

बंद्रा में साथ नजर आए अर्जुन- मलायका

अर्जुन कपूर और मलायका अरोड़ा को मुंबई के एक रेस्तरां से एक साथ निकलते हुए देखा गया. इस आउटिंग के लिए, मलायका को वाइट आउटफिट में देखा गया, जबकि अर्जुन ने पूरी तरह से काली टी-शर्ट और जींस का कैज़ुअल लुक अपनाया. वहीं दोनो कपल ने चश्मे पहना है.

 

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मलायका अरोड़ा ने शेयर की स्टोरी

मलायका अरोड़ा ने अपने इंस्टाग्राम पर एक स्टोरी शेयर की थी. उस स्टोरी में रेस्तरां की मेज पर रखे अपने और प्रेमी अर्जुन कपूर के चश्मे की एक तस्वीर साझा की और इसे कैप्शन दिया, “सनी डेज़ फिर से यहां हैं…”

 

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कुशा कपिल का नाम सामने आया

बता दें कि ऐसी खबरें आ रही थीं कि अर्जुन और मलायका अलग हो गए हैं और अर्जुन अब सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और एक्टर कुशा कपिल को डेट कर रहे हैं. हालांकि, जैसा कि आज उनकी आउटिंग से साबित हुआ, अर्जुन कपूर और मलायका अरोड़ा एक साथ हैं और कुशा कपिला को उनकी कथित ब्रेकअप स्टोरी में घसीटे जाने से भी खुश नहीं थे.

क्या मलायका ने अर्जुन के करीबी को अनफॉलो किया

कुछ रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया था कि मलाइका ने अभिनेता के परिवार के सदस्यों को सोशल मीडिया पर अनफॉलो कर दिया है. बाद में मलायका ने अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक गुप्त नोट भी पोस्ट किया, जहां उन्होंने ‘बदलाव’ और अतीत की लालसा न होने का जिक्र किया.

 

क्या है हाई प्रोटीन लो कैलोरी डाइट

हाई प्रोटीन लो कैलोरी फूड की आजकल खूब डिमांड है. भागदौड़ भरी जिंदगी में हर शख्स अपनी हैल्थ के प्रति सजग होता जा रहा है क्योंकि सभी जानते हैं सेहत है तो जहान है वरना कुछ भी नहीं.

ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि रोजमर्रा की डाइट में जो भी आप के द्वारा खाया जा रहा है उस में प्रोटीन की मात्रा अधिक हो व वसा की कम रहे. ऐसा इसलिए जरूरी होता है क्योंकि-

  •  अधिक प्रोटीन व कम कैलोरीयुक्त डाइट ही हैल्दी डाइट मानी जाती है.
  • प्रोटीन का अधिक सेवन करने से जहां मसल्स (मांसपेशियां) मजबूत होती हैं वहीं वजन भी कम होता है जो फिट व ऐक्टिव रहने के लिए बेहद आवश्यक है.
  • अधिक प्रोटीन व कम वसायुक्त डाइट लेने से जहां वजन कम होता है वहीं हड्डियां भी मजबूत होती हैं, साथ ही टिशू की भी मरम्मत होती है.
  • इस के अतिरिक्त मैटाबोलिज्म को बढ़ा कर देना, हैल्दी प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करना भी शामिल है.
  •  हाई प्रोटीन लो कैलोरी फूड टाइप-2 डायबिटीज के जोखिम को कम करता है.
  • इसी तरह और भी कई स्वास्थ्य लाभ हैं. अत: जो भी नियमित डाइट आप के द्वारा ली जाए उस के प्रति सचेत रहें. प्रोटीन को अपनी डाइट में अवश्य शामिल करें.

ऐसे कुछ खाद्यपदार्थ हैं जिन का सेवन करने से हम प्रोटीन की अधिकता व कैलोरी की कम मात्रा आसानी से प्राप्त कर सकते हैं:

  1. दालें

दाल को रोज अपने आहार में अवश्य शामिल करना चाहिए. यह कैलोरी में कम और प्रोटीन से भरपूर होती है. 100 ग्राम उबली दाल में 9 ग्राम प्रोटीन होता है व 116 कैलोरी होती है. दालें कई तरह की होती हैं जैसे मसूर, मूंग, अरहर, चना बगैरा. इन में फाइबर, विटामिन और मिनरल पर्याप्त मात्रा में मौजूद रहता है.

साथ ही ये वजन भी कंट्रोल करने में सहायक होती हैं. मसूर दाल बेहतर मानी जाती है. इसे स्प्राउट्स के रूप में भी खाया जा सकता है, सोयाबीन भी अवश्य लेना चाहिए. इस से टोफू बना कर भी खाया जा सकता है.

2. अनाज

यदि रोजमर्रा की डाइट में कम कैलोरी वाले अनाज का सेवन अवश्य किया जाए तो अपनी सेहत को अधिक तंदुरुस्त बनाया जा सकता है. कद्दू का आटा, रागी, ओट्स, जौ, ब्राउन राइस आदि ऐसे अनाज हैं जिन में कैलोरी तो कम होती है, किंतु प्रोटीन के अतिरिक्त फाइबर, जरूरी विटामिंस, मिनरल्स तथा ऐंटीऔक्सीडैंट्स खूब मौजूद होते हैं.

इन का सेवन करने से पाचनक्रिया बेहतर बनती है, शरीर में कोलैस्ट्रौल और ब्लड शुगर लैवल नियंत्रित रहता है, साथ ही वजन भी नियंत्रित रहते हुए शरीर में ऊर्जा बरकरार रहती है, सेहत की कई समस्याएं दूर रह शरीर सेहतमंद रहता है. कोशिश रहे कि साबूत अनाज का सेवन अधिक किया जाए.

3. दूध दही

दूध जहां प्रोटीन का अच्छा स्रोत है वहीं इस में फैट भी कम होता है. इस से वजन भी कम रहता है व शरीर हैल्दी बना रहता है. करीब 100 ग्राम दूध में 3.6 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है, दहीछाछ या लस्सी पीने से भी प्रोटीन मिलता है. पनीर, खोया व स्किम्ड मिल्क का सेवन भी अच्छा रहता है.

4. फलसब्जी

रोज डाइट में फल व सब्जी को भी अवश्य शामिल करें, स्वस्थ रहने व फिजिकल ऐक्टिविटीज के लिए हैल्दी डाइट बहुत जरूरी है. हमेशा हैल्दी रहने के लिए फल व सब्जियों को खाने की सलाह दी जाती है. इन फूड्स में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, फाइबर, ऐंटीऔक्सीडैंट्स व

अन्य पोषक तत्त्व होते हैं जो आंखों की रोशनी बढ़ाने, दांतोंहड्डियों को स्वस्थ रखने, कोलैस्ट्रौल को कम कर हृदय संबंधी परेशानियों को दूर कर हमारी इम्युनिटी पावर को भी बढ़ाने में सहायक होते हैं.

निम्न कुछ फल व सब्जियां अवश्य लेनी चाहिए जो गुणों से भरपूर व कैलोरी मात्रा होती कम है. अत: वजन घटाने में भी ये सहायक हैं:

केला, अमरूद, कीवी, स्वीटकौर्न, ऐवोकाडो, चकोतरा/ग्रेप फ्रूट, हर तरह की बेरी (स्ट्राबेरी, ब्लूबेरी, ब्लैकबेरी) हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. इन से प्रति कप 2 से 4 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता है.

हरे मटर, पालक, खीरा, मूली, चुकंदर, टमाटर, मशरूम, फूलगोभी, ब्रोकली आदि का सेवन करने से प्रति कप 2 से 8 ग्राम तक प्रोटीन मिल सकता है.

5. अंडे

अंडा स्वास्थ्ययुक्त और सब से अधिक प्रोटीन युक्त खाद्यपदार्थों में से एक है. अंडे को प्रोटीन और पोषक तत्त्वों का पावरहाउस और कैलोरी की कमी मानना गलत नहीं है. एक अंडे में औसतन 6-7 ग्राम प्रोटीन होता है- उच्च प्रोटीन आहार के लिए एक दिन में 3 अंडे तक खा सकते हैं.

6. मीटमछली

दुबला मांस और पोल्ट्री खाने के लिए अच्छे खाद्यपदार्थ हैं. ये कैलोरी में कम होते हैं व प्रोटीन में उच्च. समुद्री भोजन भी अत्यधिक पौष्टिक और उत्कृष्ट विकल्प है.

यदि अपने आहार में मछली का सेवन करते हैं तो इस में प्रोटीन की अच्छी मात्रा रहती है और वसा मौजूद होती है. मछली में असंतृप्त फैटी ऐसिड होता है जिस में ओमेगा 3 और ओमेगा 6 ऐसिड मनुष्यों के लिए उपयोगी होते हैं, चयापचय को सामान्य करते हैं, शरीर की प्रतिरोधक्षमता को बढ़ाते हैं. वसा कम के लिए उबली व सिंकी मछली खाना फायदेमंद रहता है.

7. बीज

कद्दू, सूरजमुखी, चिया व अलसी के बीजों को पोषण का पावरहाउस कहा जाता है. इन का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभकारी माना जाता है. ये प्रोटीन के स्रोत होने के साथसाथ वजन घटाने में भी सहायक होते हैं, हृदय

स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं. रक्त शर्करा प्रबंधन में सहायता करते हैं व मधुमेह कैंसर जैसी बीमारियों के जोखिम को भी कम करने में मदद करते हैं.

कच्चे बीजों को नाश्ते के रूप में खा सकते हैं. उन्हें पत्तेदार हरे सलाद पर बुरक सकते हैं. इन के अलावा इन्हें अनाज, दही, छाछ, प्रोटीन शेक आदि कई खाद्यपदार्थों में मिला कर लिया जा सकता है.

अहम बात है कि इन बीजों का सेवन अलगअलग या फिर एकसाथ मिला कर भून कर भी कर सकते हैं पर प्रतिदिन 15 ग्राम (3 चम्मच) से अधिक का सेवन नहीं करना चाहिए. अत: स्वस्थ रहने या फिजिकल ऐक्टिविटीज के लिए हैल्दी डाइट का लिया जाना बहुत आवश्यक है. तभी फिट व खुश रह सकते हैं.

तुम्हारी कोई गलती नहीं: भाग 3- रिया के साथ ऐसा क्या हुआ था

‘‘शाम के धुंधलके में अचानक उस का मुंह दबा कर 2 अनजान लोगों ने बेचारी के साथ जबरदस्ती की. देर रात में गांव के कुछ लोगों ने लहूलुहान उसे हालत में झडि़यों में बेहोश पड़े देखा. छोटे से गांव में आग की तरह यह खबर फैल गई. मंदिर के महंत और धर्म के ठेकेदार जमा हो गए. लड़की पर सैकड़ों लांछन लगे. उसे जाति व समाज से बाहर कर दिया गया. उस के परिवार को जाति से बाहर कर खेत और संपत्ति छीनने की धमकी दी गई, फिर गांव से बाहर निकलने को कहा गया.

‘‘मजबूर मांबाप अपने बच्चों के भविष्य की दुहाई दे कर बहुत गिड़गिड़ाए, तब मंदिर का महंत इस बात पर राजी हुआ कि परिवार पहले जैसा ही घर और खेत ले कर गांव में रह सकता है परंतु लड़की चूंकि अपवित्र हो चुकी है, इस के कारण गांव पर कोई विपत्ति न आए इस के लिए उसे मंदिर में ईश्वर की सेवा में सौंप दिया जाए. आखिर में समाज के दबाव के चलते उस के पिता को मजबूर हो कर उन की बात माननी पड़ी.

‘‘ईश्वर की सेवा का तो बस दिखावा था. असल में वह महंत और धर्म के ठेकेदारों और जमींदारों की वासनापूर्ति का माध्यम बनी. इन धर्म के ढोंगी ठेकेदारों का यही काम होता है. पहले धर्म का डर दिखा कर लड़की को घर से निकाल कर मंदिर की सेवा में अर्पण करने या आश्रम में रहने के लिए मजबूर करो और फिर उस का जी भर कर दैहिक शोषण करो. एक दिन बेचारी मौका पा कर जैसेतैसे वहां से भाग कर शहर की मिशनरी में आश्रय लेने पहुंची. पर वहां तो उस की और दुर्गति हुई. वहां के कार्यकर्ता स्वयं तो उस का शोषण करते ही, उसे दूसरी जगहों पर भी सप्लाई करने लगे…’’ डा. आशा की आंखों से आंसू बहने लगे.

‘‘फिर उस का क्या हुआ?’’ रिया का स्वर कांप रहा था. शायद वह स्वयं को उस की स्थिति में महसूस कर रही थी.

‘‘जब बेचारी उन के भोग और वासना पूर्ति के लायक नहीं रही, तो एक दिन उसे एक सरकारी अस्पताल के सामने फेंक कर चले गए. मैं उस समय उसी अस्पताल में नौकरी कर रही थी. उसी ने मुझे इन आश्रमों और धार्मिक संस्थानों की घिनौनी सचाई के बारे में बताया. उस की हालत इतनी नाजुक थी कि मैं बहुत कोशिशों के बाद भी उसे बचा नहीं पाई.’’

डा. आशा अपनी आंखें पोंछ कर आगे बोलीं, ‘‘इसलिए मैं कहती हूं कि पवित्रअपवित्र जैसी खोखली दकियानूसी बातों में कुछ नहीं रखा है. बीती बातों को भूल कर अपने परिवार के साथ रहो.’’

रिया पर उन की बातों का गहरा असर हुआ. 4 दिनों में ही वह झूठे अपराधबोध से बाहर निकल कर स्वस्थ हो गई. जब उस ने मम्मीपापा से आगे बढ़ने की इच्छा प्रकट की तो उन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. रिया ने जीतोड़ मेहनत की और एमबीबीएस में सिलैक्ट हो गई. जब वह डाक्टर बन कर इंटर्नशिप कर रही थी, तभी डा. आशा भी वहीं आ गईं. उन के अंडर में ही रिया ने एमडी किया.

जन्म से ही घुट्टी में मिली हुई रूढिवादी मान्यताओं को अपने मन से निकाल फेंकना आसान नहीं था. पर रिया ने साहसपूर्वक यह कर दिखाया और हिम्मत से अपने जीवनपथ पर आगे बढ़ती रही. उसी साहस और सचाई के चलते वह यह बात नीरज से छिपाना नहीं चाहती थी. जिस हिम्मत से उस ने समाज की थोथी मान्यताओं और कुसंस्कारों को झटक कर अपने लिए एक रास्ता बनाया था, वह चाहती थी कि नीरज सारी सचाई को जान कर उसी हिम्मत से उसे स्वीकार कर उस के साथ जीवनपथ पर आगे बढ़े.

रात के 2 बज गए थे. रिया तो अपने अतीत को रात में देखा बुरा सपना समझ कर झटक चुकी थी, लेकिन नीरज से वह यह बात छिपा कर उसे धोखे में नहीं रखना चाहती थी. अत: उस ने फैसला किया कि वह कल नीरज को सब कुछ बता देगी. यह फैसला करने पर ही उसे नींद आई.

दूसरे दिन रिया की ड्यूटी नहीं थी. उस ने नीरज को फोन लगाया. संयोग से उस दिन उस की भी छुट्टी थी. 4 बजे लेकव्यू स्थित विंड्स ऐंड वेव्स पर उन का मिलना तय हुआ.

4 बजे रिया नियत स्थान पर पहुंची तो देखा नीरज पहले से ही वहां बैठा था. नीरज ने उठ कर उस का स्वागत किया. रिया का कलेजा धड़कने लगा, परंतु जल्द ही उस ने अपनेआप को संयत किया और नीरज के सामने वाली कुरसी पर बैठ गई. कुछ औपचारिक बातों के बाद रिया ने झिझकते हुए नीरज से कहा, ‘‘मुझे आप से कुछ कहना है.’’

‘‘कहो न,’’ नीरज के स्वर में प्रेमपूर्ण आग्रह था.

रिया ने हिम्मत जुटा कर निगाहें नीची कर के अपने साथ हुई दुर्घटना की पूरी बात नीरज को बता दी. फिर उस की आंखों से आंसू छलकने लगे. उस ने बड़ी मुश्किल से अपनेआप को संयत किया, लेकिन आंखें उठा कर नीरज की ओर देखने की उस की हिम्मत नहीं हो रही थी. उसे लग रहा था कि जिन नजरों में थोड़ी देर पहले तक उस के लिए प्यार झलक रहा था, उन में अब घृणा झलक रही होगी. वह आंखें नीचे किए ही बैठी रही. तभी अचानक अपने हाथ पर नीरज के हाथ का स्पर्श पा कर उस ने चौंक कर निगाहें ऊपर उठाईं तो आश्चर्यचकित रह गई. नीरज

अब भी उस की ओर प्यार से देख रहा था. नीरज ने रिया का हाथ प्यार से सहलाया और कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बारे में पहले से ही सब कुछ जानता था.’’

‘‘क्या? लेकिन आप को किस ने बताया?’’ रिया अवाक रह गई.

‘‘डा. आशा रिश्ते में मेरी बूआ लगती हैं. उन्होंने ही तुम्हारे बारे में हमें बताया था. सुनते ही मैं ने तय किया था कि मैं ऐसी हिम्मत व आत्मविश्वास से भरी लड़की से शादी करूंगा. लेकिन खुद सचाई बता कर तुम ने मेरे मन में अपने लिए सम्मान और बढ़ा लिया है,’’ नीरज ने संक्षेप में बताया.

‘‘लेकिन मैं… मैं तो अपवित्र…’’ आगे की बातें रिया के गले में ही अटक कर रह गईं.

‘‘नहीं रिया, बूआ की तरह मैं भी यह मानता हूं कि इस में दोष उस हैवान का रहता है, जो यह नीच कार्य करता है. रास्ता चलते यदि कोई गाड़ी वाला हम पर कीचड़ के छींटे डाल कर चला जाए, तो हम घर आ कर नहा कर कपड़े धो लेते हैं न. उन छींटों को सहेज कर उम्र भर अपने से घिन तो नहीं करते? तुम भी उन छींटों को धो डालो. मेरे लिए तुम वैसी ही निर्मल, उज्ज्वल हो. तुम्हारी कोई गलती नहीं,’’ नीरज के स्वर में प्यार और अपनापन था.

रिया विभोर हो गई. ‘‘तो अब झटपट बता दो कि तुम्हें हमारा नीरज पसंद है कि नहीं ताकि हम जल्द से जल्द तुम दोनों की सगाई करा सकें,’’ अपने पीछे से अचानक किसी की आवाज सुन कर रिया ने मुड़ कर देखा तो डा. आशा मुसकरा रही थीं.

‘‘आप के बहुत से एहसान हैं मुझ पर मैडम,’’ रिया की आंखों में खुशी के आंसू आ गए.

‘‘मैडम नहीं, अब मैं तुम्हारी बूआसास हूं. और यह तो तुम्हारे लिए मेरा प्यार और अपनापन है पगली, कोई एहसान नहीं. अब झटपट बता दो कि सगाई कब कराऊं?’’ डा. आशा ने पूछा तो रिया ने एक नजर नीरज पर डालते हुए शरमा कर जवाब दिया, ‘‘जब आप चाहें…’’

यह सुनते ही डा. आशा ने रिया और नीरज दोनों को अपनी बांहों में भर लिया.

बिग बॉस OTT फेम जिया शंकर के ये लुक्स रक्षा बंधन के लिए हैं परफेक्ट

टीवी एक्ट्रेस और बिग बॉस ओटीटी 2 की फेम जिया शंकर किसी पहचान की मौहताज नहीं है. जिया मराठी फिल्म वेद में रितेश देशमुख के साथ नजर आई थीं. जिया शंकर अपने फैशन और ड्रेसिंग सेंस के लिए जानी जाती हैं। जिया सिंपल आउटफिट में ग्लैमर से चार चांद लगा देती हैं.

रक्षाबंधन का त्योहार आ रहा है ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं बिग बॉस OTT फेम जिया शंकर के ये लुक्स रक्षा बंधन के लिए हैं परफेक्ट है.

  1. मस्टर्ड बनारसी प्रिंट लहंगा

रक्षाबंधन पर महिलाएं हॉट ट्रेडिशनल आउटफिट को लेकर काफी कन्फ्यूज रहती है. रक्षाबंधन पर क्या पहने यहीं चिंता बनी रहती है, लेकिन अब कंफ्यूज नहीं होना. बिग बॉस ओटीटी 2 फेम जिया शंकर का ये लुक आप भी ट्राई करें। ‌ मस्टर्ड बनारसी लहंगे में महिलाएं काफी सुंदर लगेंगी.

 

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2. व्हाइट फ्लोरल लहंगा

रक्षाबंधन पर सबसे हटके दिखने के लिए आप जिया शंकर का व्हाइट ब्लॉक फ्लोरल प्रिंट लहंगा ट्राई कर सकते हैं. इस लुक में लड़कियां बेहद खूबसूरत दिखेंगी. इस लुक में आप‌ न्यूड मेकअप के साथ बोल्ड लिपस्टिक ट्राई करें जिसमें आप बेहद ग्लैमरस नजर आएंगी.

 

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3. Beige कलर साड़ी

ट्रेडिशनल लुक में साड़ी साड़ी बहुत ही खूबसूरत लगती है. साड़ी लुक में लड़कियां एकदम हॉट और ग्लैमरस दिखती है। इस रक्षाबंधन पर जिया का यह साड़ी वाला लुक आप जरूर ट्राई करें. ‌ बेज (Beige) कलर बहुत ही प्यार और लाइट होता है. गर्ल्स के लिए Beige कलर की साड़ी रक्षाबंधन पर सबसे बेस्ट ऑप्शन है.

 

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4. चिकनकारी सी ग्रीन लहंगा

चिकनकारी लहंगा और सूट काफी ट्रेडिंग में है. आमतौर पर महिलाओं में चिकनकारी लहंगा या सूट का इस समय काफी क्रेज है. जिया शंकर का यह है चिकनकारी सी ग्रीन लहंगा इस रक्षाबंधन पर आप भी जरूर ट्राई करें.

 

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5. ऑरेंज लहंगा

इस फेस्टिवल पर जिया शंकर का यह ऑरेंज लहंगा एकदम परफेक्ट है. राखी पर इंडियन ट्रेडिशनल लुक के लिए यह लहंगा बहुत ही प्यारा है. जिया का ये लुक रक्षा बंधन के लिए हैं परफेक्ट है. ऑरेंज लहंगा में आप बेहद ब्यूटीफुल नजर आएंगे.

 

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मेरी शादी होने वाली है मेरे घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है, ऐसे मैं परेशान रहती हूं, मैं क्या करूं

सवाल

मेरी उम्र 18 साल है. मेरे घर वालों ने मेरी शादी तय कर दी है. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और मेरे पिता भी ज्यादातर बीमार रहते हैं इसलिए मैं ने शादी के लिए हां तो कह दी है लेकिन अंदर से बहुत परेशान रहने लगी हूं. कुछ अच्छा नहीं लगता. आप ही बताएं मैं क्या करूं? क्या यह फैसला सही है?

जवाब

अपने देश में यह नया नहीं है जब किसी लड़की को परिवार के बुरे हालात की वजह से जल्दी शादी करनी पड़ी हो. आप के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है तो तनावग्रस्त होना स्वाभाविक है. यहां सही या गलत फैसला जैसा कुछ नहीं रह जाता है. आप बस एक जिंदगी से दूसरी जिंदगी में शामिल होने जा रही हैं. हालांकि यह एक बड़ा बदलाव है लेकिन कभी न कभी सभी को इस बदलाव का सामना करना ही पड़ता है. अब इसे सकारात्मकता या नकारात्मकता से लेना व्यक्ति पर निर्भर करता है.

आप के लिए यही सलाह है कि इस फैसले से परेशान न हों. चूंकि आप की शादी तय हो चुकी है तो क्यों न इसे पूरी खुशी और सकारात्मक सोच के साथ अपनाया जाए. अपने मन को शांत करने के लिए दोस्तों से बात करें. होने वाले पति के साथ फोन पर घुलनेमिलने और उसे जानने की कोशिश करें. घर में भी अपने हंसीमजाक से चहलपहल बढ़ाएं. यह न सिर्फ आप की बल्कि परिवार की चिंताओं को भी दूर करेगा.

डाक्टर गौरव गुप्ता
साइकोलौजिस्ट, डाइरैक्टर,
तुलसी हैल्थकेयर 

पाठक अपनी समस्याएं इस पते पर भेजें : गृहशोभा, ई-8, रानी झांसी मार्ग, नई दिल्ली-110055.
व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या 9650966493 पर भेजें.

दबे पांव दस्तक देता है मोटापा

स्त्रियों में ओबेसिटी यानी मोटापा आज सब से बड़ी समस्याओं में से एक है, जिस से हर तीसरी महिला परेशान है. डब्ल्यूएचओ ने मोटापे को स्वास्थ्य के 10 प्रमुख जोखिमों में से एक बताया है. विश्व में 23 फीसदी से अधिक महिलाएं मोटापे की शिकार हैं. भारत तो ‘ग्लोबल ओबैसिटी इंडैक्स’ में तीसरे स्थान पर है.

महामारी का रूप ले चुका है मोटापा

देश में ओबैसिटी 21वीं सदी की मौन महामारी (साइलैंट एपिडेमिक) का रूप लेती जा रही है. भारत में मोटापे की समस्या आज चीन और अमेरिका के आंकड़ों को भी पार कर चुकी है.

मोटापे के मुख्य कारण

खानेपीने की गलत आदतें, ऐक्सरसाइज की कमी, नींद पूरी न होना और तनाव आदि मोटापे के मुख्य कारणों में शामिल हैं. कुछ महिलाओं में सिंड्रोमिक और वंशानुगत ओबैसिटी भी देखने को मिलती है.

मोटापे के दुष्प्रभाव

डायबिटीज, हाई ब्लजड प्रैशर, डिसलिपिडीमिया, औस्टियो आर्थ्राइटिस, पित्त की थैली में पथरी, श्वसन समस्याएं, प्रजनन संबंधी समस्याएं आदि मोटापे से हार्ट अटैक, स्ट्रोक और कई प्रकार के कैंसर (ब्रैस्ट, ओवरी, यूटरस, पैंक्रियाज) तथा किडनी से संबंधित रोगों की संभावना तक बढ़ जाती है. किशोरवय में अत्यधिक मोटापा अवसाद का कारण भी बन सकता है.

सामान्य लक्षण

छोटेछोटे काम करने में सांस फूलना तथा पसीना आना, शरीर के विभिन्न भागों में वसा या चरबी का जमना आदि. इस के अलावा कई बार मानसिक और मनोवैज्ञानिक लक्षण जैसे आत्मसम्मान और आत्मविश्वास की कमी इत्यादि देखे जा सकते हैं.

मोटापे का निदान

  •  बीएमआई की गणना.
  •  कमर की परिधि को मापना.
  • लिपिड प्रोफाइल.
  • लिवर फंक्शन टैस्ट.
  • फास्टिंग ग्लूकोस.
  • थायराइड टैस्ट.

बचाव के 10 कारगर उपाय

  •  संतुलित आहार का सेवन करें.
  • कम वसा वाले खाद्यपदार्थों का उपयोग करें.
  • रोजाना सुबह जल्दी उठ कर सैर पर जाएं.
  • नियमित रूप से दिन में कम से कम 30 मिनट तक ऐरोबिक व्यायाम करें.
  • रात को सोने से 2 घंटे पहले ही डिनर ले लें.
  • जंक/फास्ट फूड का सेवन करने से बचें.
  • मैदा, चावल और चीनी का प्रयोग कम ही करें.
  • वसा के हार्ट फ्रैंडली स्रोतों जैसे जैतून, कैनोला औयल, अखरोट के तेल का इस्तेमाल करें. बिंज ईटिंग अर्थात् एकसाथ अत्यधिक खाना न खाएं, बल्कि थोड़ीथोड़ी देर में सुपाच्य एवं हलके भोजन करें.
  • न्यूनतम 8 घंटे की पर्याप्त नींद लें. प्रैगनैंसी व प्रसव पश्चात भी कुछ महिलाओं को मोटापे की समस्या का सामना करना पड़ता है. नवजात को पर्याप्त मात्रा में स्तनपान के माध्यम से इस मुश्किल से छुटकारा पाया जा सकता है.

नवीनतम उपचार

अगर किसी महिला का वजन बहुत अधिक है तथा आहार में सुधार करने, नियमित व्यायाम एवं मोटापा कम करने वाली दवाओं के सेवन के बाद भी उस का वजन कम न हो तो वह डाक्टर से संपर्क कर वजन घटाने वाली शल्यक्रिया अर्थात बैरिएट्रिक सर्जरी का सहारा ले सकती है. यह पद्धति बहुत अधिक मोटे लोगों के लिए वरदान साबित होती है.

कम तेल घी में खाना बनाने के 6 टिप्स

आजकल की भागदौड़ भरी जिन्दगी में अधिकांश लोग कोलेस्ट्रोल बढने की समस्या से जूझते नजर आते हैं. कोलेस्ट्रोल को बढने से रोकने और वजन को संतुलित रखने के लिए भी डॉक्टर्स कम घी तेल में पके भोजन का प्रयोग करने की सलाह देते हैं. रोज रोज उबला खाना नहीं खाया जा सकता इसलिए अपने रोज के खाने को कम तेल में घी में क्यों न बनाया जाये. यदि थोड़ी सी सूझबूझ का प्रयोग किया जाए तो यह समस्या चुटकियों में हल हो जाती है यहां पर प्रस्तुत हैं ऐसे ही 6 टिप्स जिनका प्रयोग करके आप कम  तेल घी में भी स्वादिष्ट भोजन पका सकती हैं-

1.कम घी तेल वाली ग्रेवी

  • ग्रेवी वाली सब्जी के लिए प्याज, अदरक, लहसुन और टमाटर को मिक्सी में पीसकर माइक्रोवेब सेफ कांच के बाउल में डालकर माइक्रोबेव में मसाले को भूनें. जब मसाला गाढा हो जाएं तो एक टी स्पून तेल डालकर कटी सब्जियां डालकर पानी डालें और प्रेशर कुकर में 2 सीटी ले लें. माइक्रोवेब में मसाला भूनते समय ध्यान रखें कि तापमान एक बार में ही सेट न करके 1-1 मिनट पर लगातार चलाते हुए सेट करें.
  • अक्सर ग्रेवी को गाढ़ा करने या रिच लुक देने के लिए काजू और मगज के बीज का प्रयोग किया जाता है इन्हें भूनने के लिए भी काफी तेल का प्रयोग किया जाता है इसके स्थान पर ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए भुना चना पाउडर, भुना बेसन, ब्रेड स्लाइस, उबले आलू, मूंगफली दाना और तिल का प्रयोग करें इससे सब्जी कम तेल में भी गाढ़ी भी हो जाएगी.

2. ऐसे बनाएं भरवां सब्जियां

करेला, तोरई, बैगन जैसी अन्य भरवां सब्जियां बनाने के लिए सब्जियों को धो छीलकर हलका सा चीरा लगाकर माइक्रोबेव में दो से तीन मिनट तक पानी के छींटे देकर हल्का सा गलने तक पकाएं अथवा एक भगौने अथवा इडली मेकर में पानी उबलने रख दें इसके ऊपर चलनी रखकर सब्जियों को रखें और हल्का गलने तक पकाएं फिर मसाला भरें, पहले से पकी होने के कारण इन्हें आप केवल 1 चम्मच तेल में भी भून सकेंगीं.

3.कम घी का परांठा

परांठा चाहे भरवां हो या सादा आप चकले पर बेल कर तैयार किये परांठे को गर्म तवे पर भली भांति दोनों तरफ से अच्छी तरह सेंक लें. जब परांठा मनचाहा सिक जाये तब घी या तेल लगायें. पहले से पका होने के कारण आधे मिनट में ही क्रिस्पी कम तेल वाला परांठा तैयार हो जायेगा.

4.डीप फ्राइंग की जगह शैलो फ्राइंग करें

पकोड़े, समोसा, कटलेट आदि बनाने के लिए आमतौर पर डीप फ्राइंग की जाती है परन्तु बहुत आधिक तेल का प्रयोग किये जाने के कारण अधिकांश लोग इन्हें खाने से ही परहेज करने लगते हैं. इन्हें आप कड़ाही में बनाने के स्थान पर अप्पे पैन में बनाएं इससे आप इन्हें 1 चम्मच तेल में आसानी से बनाकर तले जैसा ही स्वाद प्राप्त कर सकेंगी. समोसा को आप माइक्रोवेब में कन्वेकशन मोड पर बेक करके अथवा एयरफ्रायर में पका सकतीं हैं. कटलेट आदि को बनाने के लिए भी डीप की जगह शेलो फ्राई करें.

5.पकोड़े कोफ्ते ऐसे बनाएं

कढ़ी के पकोड़े, कोफ्ते और दही बड़े के बड़े को भी आप बनाकर पहले भाप में पका लें फिर इन्हें आप चाहें तो ऐसे ही प्रयोग करें अथवा अच्छी तरह गर्म तेल में बीएस डालकर ब्राउन होने पर निकाल लें पहले से पके होने के कारण इनमें नाममात्र का तेल लगता है.

6.स्नेक्स भी बनेगें हेल्दी

परमल, पोहा, मखाना और काजू बादाम जैसे मेवा को पहले बिना घी या तेल के कड़ाही में धीमी आंच पर क्रिस्पी होने तक रोस्ट करके प्लेट में निकाल लें फिर इसी कड़ाही में 1 टीस्पून तेल या घी डालकर मनचाहे मसाले डालकर तले पदार्थों को अच्छी तरह मिला दें इससे हेल्दी स्नैक्स तैयार हो जायेंगें.

इसी प्रकार आप आलू, चावल और दाल के पापड़ में ब्रश से दोनों तरफ चिकनाई लगाकर माइक्रोवेब में 1 मिनट के लिए रोस्ट करें इससे आपको कम तेल में ही तले हुए पापड़ का स्वाद मिल सकेगा.

रखें इन बातों का भी ध्यान

  • मीठे के लिए अंजीर, बादाम, और पिंडखजूर आदि के रोल बनाएं इनमें लेशमात्र भी घी नहीं लगता.
  • जहां तक सम्भव हो खाना पकाने के लिए नानस्टिक बर्तनों का प्रयोग करें क्योंकि इनकी सतह पर विशेष प्रकार की कोटिंग होती है जिससे भोजन इनकी सतह पर खाना चिपकता नहीं है.
  • सब्जियों को कड़ाही के स्थान पर प्रेशर कुकर में बनाने का प्रयास करें इससे वे कम से कम तेल में भी स्वादिष्ट बन सकेंगी.
  • एक बार डीप या शैलो फ्राइंग के लिए प्रयोग किये गए तेल को किसी भी प्रकार की फ्राइंग के लिए प्रयोग करने से बचें.
  • सरसों का तेल प्रयोग करें क्योंकि इसका बोईलिंग पॉइंट हाई होने के कारण यह अधिक तापमान पर भी खराब नहीं होता.

आशीर्वाद- भाग 1 : क्यों टूट गए मेनका के सारे सपने

दोपहर का खाना खा कर मेनका थोड़ी देर आराम करने के लिए कमरे में आई ही थी कि तभी दरवाजे की घंटी बज उठी.

मेनका ने झल्लाते हुए दरवाजा खोला. सामने डाकिया खड़ा था.

डाकिए ने उसे नमस्ते की और पैकेट देते हुए कहा, ‘‘मैडम, आप की रजिस्टर्ड डाक है.’’

मेनका ने पैकेट लिया और दरवाजा बंद कर कमरे में आ गई. वह पैकेट देखते ही समझ गई कि इस में एक किताब है. पैकेट पर भेजने वाले गुरुजी के हरिद्वार आश्रम का पता लिखा हुआ था.

मेनका की जरा भी इच्छा नहीं हुई कि वह उस किताब को खोल कर देखे या पढ़े. वह जानती थी कि यह किताब गुरु सदानंद ने लिखी है. सदानंद उस के पति अमित का गुरु था. वह उठतेबैठते, सोतेजागते हर समय गुरुजी की ही बातें करता था, जबकि मेनका किसी गुरुजी को नहीं मानती थी.

मेनका ने किताब का पैकेट एक तरफ रख दिया. अजीब सी कड़वाहट उस के मन में भर गई. उस ने बिस्तर पर लेट कर आंखें बंद कर लीं. साथ में उस की 3 साल की बेटी पिंकी सो रही थी.

मेनका समझ नहीं पा रही थी कि उसे अमित जैसा अपने गुरु का अंधभक्त जीवनसाथी मिला है तो इस में किसे दोष दिया जाए?

शादी से पहले मेनका ने अपने सपनों के राजकुमार के पता नहीं कैसेकैसे सपने देखे थे. सोचा था कि शादी के बाद वह अपने पति के साथ हनीमून पर शिमला, मसूरी या नैनीताल जाएगी. पहाड़ों की खूबसूरत वादियों में उन दोनों का यादगार हनीमून होगा.

मेनका के सारे सपने शादी की पहली रात को ही टूट गए थे. उस रात वह अमित का इंतजार कर रही थी. काफी देर के बाद अमित कमरे में आया था.

अमित ने आते ही कहा था, ‘देखो मेनका, आज की रात का हर कोई बहुत बेचैनी से इंतजार करता है पर मैं उन में से नहीं हूं. मेरा खुद पर बहुत कंट्रोल है.’

मेनका चुपचाप सुन रही थी.

‘सदानंद मेरे गुरुजी हैं. हरिद्वार में उन का बहुत बड़ा आश्रम है. मैं कई सालों से उन का भक्त हूं. उन के उपदेश मैं ने कई बार सुने हैं. उन की इच्छा के खिलाफ मैं कुछ भी करने की सोच ही नहीं सकता.

‘मैं ने तो गुरुजी से कह दिया था कि मैं शादी नहीं करना चाहता पर गुरुजी ने कहा था कि शादी जरूर करो तो मैं ने कर ली.’

मेनका चुपचाप अमित की ओर देख रही थी.

अमित ने आगे कहा था, ‘देखो मेनका, आज की रात हमारी अनोखी रात होगी. हम नए ढंग से शादीशुदा जिंदगी की पहली रात मनाएंगे. मेरे पास गुरुजी की कई किताबें हैं. मैं तुम्हें एक किताब से गुरुजी के उपदेश सुनाऊंगा जिन्हें सुन कर तुम भी मान जाओगी कि हमारे गुरुजी कितने ज्ञानी और महान हैं.

‘और हां मेनका, मैं तुम्हें एक बात और भी बताना चाहता हूं…’

‘क्या?’ मेनका ने पूछा था.

‘मेरा तुम से एक वादा है कि तुम मां जरूर बनोगी यानी तुम्हें तुम्हारा हक जरूर मिलेगा, क्योंकि गुरुजी ने कहा है कि गृहस्थ जीवन में ब्रह्मचर्य व्रत को तोड़ना पड़ता है.’

मेनका जान गई थी कि अमित गुरुजी के जाल में बुरी तरह फंसा हुआ है. उस के सारे सपने बिखरते चले गए थे.

अमित एक सरकारी दफ्तर में बाबू के पद पर काम करता था. जब भी उसे समय मिलता तो वह गुरुजी की किताबें ही पढ़ता रहता था.

एक दिन किताब पढ़ते हुए अमित ने कहा था, ‘मेनका, गुरुजी के प्रवचन पढ़ कर तो ऐसा मन करता है कि मैं भी संन्यासी हो जाऊं.’

यह सुन कर मेनका को ऐसा लगा था मानो कुछ तेज सा पिघल कर उस के दिल को कचोट रहा है. वह शांत आवाज में बोल उठी थी, ‘मेरे लिए तो तुम अब भी संन्यासी ही हो.’

‘ओह मेनका, मैं मजाक नहीं कर रहा हूं. मैं सच कह रहा हूं. अगर तुम गुरुजी की यह किताब पढ़ लो, तुम भी संन्यासिनी हो जाने के लिए सोचने लगोगी,’ अमित ने वह किताब मेनका की ओर बढ़ाते हुए कहा था.

‘अगर इन गुरुओं की किताबें पढ़पढ़ कर सभी संन्यासी हो गए तो काम कौन करेगा? मैं गृहस्थ जीवन में संन्यास की बात क्यों करूं? अगर तुम्हारी तरह मैं भी संन्यासी बनने के बारे में सोचने लगूंगी तो हमारी बेटी पिंकी का क्या होगा? बिना मांबाप के औलाद किस तरह पलेगी? बड़ी हो कर उस की क्या हालत होगी? उस के मन में हमारे लिए प्यार नहीं नफरत होगी. इस नफरत के जिम्मेदार हम दोनों होंगे.

‘जिस बच्चे को हम पालपोस नहीं सकते, उसे पैदा करने का हक भी हमें नहीं है और जिसे हम ने पैदा कर दिया है उस के प्रति हमारा भी तो कुछ फर्ज है,’ मेनका कहा था.

अमित ने कोई जवाब नहीं दिया था.

एक दिन दफ्तर से लौट कर अमित ने कहा था, ‘मेनका, मेरे दफ्तर में 3 दिन की छुट्टी है. मैं सोच रहा हूं कि हम दोनों गुरुजी के आश्रम में हरिद्वार चलेंगे.’

‘मैं क्या करूंगी वहां जा कर?’

‘जब से हमारी शादी हुई है, तुम एक बार भी वहां नहीं गई हो. अब तो तुम मां भी बन चुकी हो. हमें गुरुजी का आशीर्वाद लेना चाहिए… वे हमारे भगवान हैं.’

‘मेरे नहीं सिर्फ तुम्हारे. जहां तक आशीर्वाद लेने की बात है, वह भी तुम ही ले लो. मुझे नहीं चाहिए किसी गुरु का आशीर्वाद.’

‘मेनका, मैं ने फोन कर के पता कर लिया है. गुरुजी अगले एक हफ्ते तक आश्रम में ही हैं. तुम मना मत करो.’

‘देखो अमित, मैं नहीं जाऊंगी,’ मेनका ने कड़े शब्दों में कहा था.

अमित को गुरुजी से मिलने के लिए अकेले ही हरिद्वार जाना पड़ा था.

3 दिन बाद अमित गुरुजी से मिल कर घर लौटा तो बहुत खुश था.

‘दर्शन हो गए गुरुजी के?’ मेनका ने पूछा था.

‘हां, मैं ने तो गुरुजी से साफसाफ कह दिया था कि आप की शरण में यहां आश्रम में आना चाहता हूं… हमेशा के लिए. गुरुजी ने कहा कि अभी नहीं, अभी वह समय बहुत दूर है. कभी मेनका से बात कर उसे भी समझाएंगे.’

‘वे भला मुझे क्या समझाएंगे? क्या मैं कोई गलत काम कर रही हूं या कोई छोटी बच्ची हूं? तुम ही समझते रहो और आशीर्वाद लेते रहो,’ मेनका ने कहा था.

तभी मेनका को पिंकी के रोने की आवाज सुनाई पड़ी. पिंकी नींद से जाग चुकी थी. मेनका उसे थपकियां दे कर दोबारा सुलाने की कोशिश करने लगी.

शाम को अमित दफ्तर से लौट कर आया तो मेनका ने कहा, ‘‘आज आप के गुरुजी की किताब आई है डाक से.’’

इतना सुनते ही अमित ने खुश हो कर कहा, ‘‘कहां है… लाओ.’’

मेनका ने अमित को किताब का वह पैकेट दे दिया.

अमित ने पैकेट खोल कर किताब देखी. कवर पर गुरुजी का चित्र छपा था. दाढ़ीमूंछें सफाचट. घुटा हुआ सिर. चेहरे पर तेज व आंखों में खिंचाव था.

अमित ने मेनका को गुरुजी का चित्र दिखाते हुए कहा, ‘‘देखो मेनका, गुरुजी कितने आकर्षक और तेजवान लगते हैं. ऐसा मन करता है कि मैं हरदम इन को देखता ही रहूं.’

‘‘तो देखो, मना किस ने किया है.’’

‘‘मेनका, तुम जरा एक कप चाय बना देना. मैं अपने गुरुजी की यह किताब पढ़ रहा हूं,’’ अमित बोला.

मेनका चाय बना कर ले आई और मेज पर रख कर चली गई.

अमित गुरुजी की किताब पढ़ने में इतना खो गया कि उसे समय का पता ही नहीं चला.

रात के साढ़े 8 बज गए तो मेनका ने कहा, ‘‘अब गुरुजी को ही पढ़ते रहोगे क्या? खाना खा लीजिए, तैयार है.’’

‘‘अरे हां मेनका, मैं तो भूल ही गया था कि मुझे खाना भी खाना है. गुरुजी की किताब सामने हो तो मैं सबकुछ भूल जाता हूं.’’

‘‘किसी दिन मुझे ही न भुला देना.’’

‘‘अरे वाह, तुम्हें क्यों भुला दूंगा? तुम क्या कोई भूलने वाली चीज हो…’’ अमित ने कहा, ‘‘ठीक है, तुम खाना लगाओ… मैं आता हूं.’’

मेनका रसोई में चली गई.

रात के 11 बजे थे. मेनका आंखें बंद किए बिस्तर पर लेटी थी. साथ में पिंकी सो रही थी. अमित आराम से बैठा हुआ गुरुजी की किताब पढ़ने में मगन था. तभी वह पुरानी यादों में खो गया.

कुछ साल पहले अमित अपने दोस्त से मिलने चंडीगढ़ गया था. दोस्त के घर पर ही गुरुजी आए हुए थे. तब पहली बार वह गुरुजी के दर्शन और उन के प्रवचन सुन कर बहुत प्रभावित हुआ था.

कुछ महीने बाद अमित गुरुजी के आश्रम में हरिद्वार जा पहुंचा था. आश्रम में गुरुजी के कई शिष्य थे जो आनेजाने वालों की खूब देखभाल कर रहे थे.

अमित उस कमरे में पहुंचा जहां एक तख्त पर केसरी रंग की महंगी चादर बिछी थी. उस पर गुरुजी केसरी रंग का कुरता व लुंगी पहने हुए बैठे थे. भरा हुआ शरीर. गोरा रंग. चंदन की भीनीभीनी खुशबू से कमरा महक रहा था. 8-10 मर्दऔरत गुरुजी के विचार सुन रहे थे. अमित ने गुरुजी के चरणों में माथा टेका था.

कुछ देर बाद अमित कमरे में अकेला ही रह गया था.

‘कैसे हो बच्चा?’ गुरुजी ने उस से पूछा था.

‘कृपा है आप की. आप के पास आ कर मन को बहुत शांति मिली. गुरुजी, मन करता है कि मैं यहीं आप की सेवा में रहने लगूं.’

‘नहीं बच्चा, अभी तुम पढ़ाई कर रहे हो. पढ़लिख कर अपने पैरों पर खड़े हो जाओ. यह आश्रम तुम्हारा ही है, कभी भी आशीर्वाद लेने आ सकते हो.’

‘जी, गुरुजी.’

‘एक बात का ध्यान रखना बच्चा कि औरत से हमेशा बच कर रहना. उस से बचे रहोगे तो खूब तरक्की कर सकोगे, नहीं तो अपनी जिंदगी बरबाद कर लोगे. ब्रह्मचर्य से बढ़ कर कोई सुख संसार में नहीं है,’ गुरुजी ने उसे समझाया था.

उस के बाद जब कभी अमित परेशान होता तो गुरुजी के आश्रम में जा पहुंचता.

विचारों में तैरतेडूबते अमित को नींद आ गई और वह खर्राटे भरने लगा.

2 महीने बाद एक दिन दफ्तर से लौट कर अमित ने कहा, ‘‘मेनका, अगले हफ्ते गुरुजी के आश्रम में चलना है.’

‘‘तो चले जाना, किस ने मना किया है,’’ मेनका बोली.

‘‘इस बार मैं अकेला नहीं जाऊंगा. तुम्हें भी साथ चलना है.’’

अंशिका: भाग 3- क्या दोबारा अपने बचपन का प्यार छोड़ पाएगी वो?

समय की गति और तेज हो चली थी. देखते ही देखते 4 वर्ष बीत गए. शांत कोलकाता में अपना पीजी भी पूरा करने जा रहा था. इस बीच उस ने हम लोगों से लगातर संपर्क बनाए रखा था. खासकर मेरे और संजय के जन्मदिन पर और शादी की सालगिरह पर बधाई और तोहफा देना कभी नहीं भूलता था. शांत ने अभी तक शादी नहीं की थी.

इन दिनों मेरे मातापिता और सासससुर काफी चिंतित रहते थे. हम दोनों पतिपत्नी भी, क्योंकि अभी तक हमारी कोई संतान न थी. मैं ने दिन भर के अकेलेपन से बचने के लिए पास का एक प्राइवेट स्कूल जौइन कर लिया था.

एक दिन शांत पटना आया था, तो हम लोगों से भी मिलने आया. बातोंबातों में संजय ने हमारी चिंता का कारण बताते हुए कहा, ‘‘अरे डाक्टर, कुछ हम लोगों का भी इलाज करो यार. यहां तो डाक्टरों ने जो भी कहा वह किया पर कोई फायदा नहीं हुआ. यहां के डाक्टर ने हम दोनों का टैस्ट भी लिया और कहा कि मैं पिता बनने में सक्षम ही नहीं हूं…इस के बाद से हम से ज्यादा दुखी हमारे मातापिता रहते हैं.’’

मैं भी वहीं बैठी थी. शांत ने हम दोनों को कोलकाता आने के लिए कहा कि वहां किसी अच्छे स्पैशलिस्ट की राय लेंगे.

संजय ने बिना देर किए कहा, ‘‘हां, यह ठीक रहेगा. तनुजा ने अभी तक कोलकाता नहीं देखा है.’’

अगले हफ्ते हम कोलकाता पहुंच गए. अगले दिन शांत हमें डाक्टर के पास ले गया.

एक बार फिर से दोनों के टैस्ट हुए. यहां भी डाक्टर ने यही कहा कि संजय संतान पैदा करने में सक्षम नहीं है. शांत ने डाक्टर दंपती से अकेले में कुछ बात की, फिर संजय से कहा कि बाकी बातें घर चल कर करते हैं.

उसी शाम जब हम तीनों शांत के यहां चाय पी रहे थे, तो उस ने मुझे और संजय दोनों की ओर देख कर कहा, ‘‘अब तो समस्या का मूल कारण हम सब को पता है, किंतु चिंता की बात नहीं है, क्योंकि  इस का भी हल मैडिकल साइंस में है. दूसरा विकल्प किसी बच्चे को गोद लेना है.’’

संजय ने कहा, ‘‘नहीं, तनु किसी और के बच्चे को गोद लेने को तैयार नहीं है…जल्दी से पहला उपाय बताओ डाक्टर.’’

‘‘तुम दोनों ध्यान से सुनो. तनु में मां बनने के सारे गुण हैं. उसे सिर्फ सक्षम पुरुष का वीर्य चाहिए. यह आजकल संभव है, बिना परपुरुष से शारीरिक संपर्क के. उम्मीद है तुम ने सैरोगेसी के बारे में सुना होगा…इस प्रक्रिया द्वारा अगर सक्षम पुरुष का वीर्य तनु के डिंब में स्थापित कर दिया जाए तो वह मां बन सकती है,’’ शांत बोला.

यह सुन कर मैं और संजय एकदूसरे का मुंह देखने लगे.

तभी शांत ने आगे कहा, ‘‘इस में घबराने की कोई बात नहीं है. डाक्टर विजय दंपती के क्लीनक में सारा प्रबंध है. तुम लोग ठीक से सोच लो…ज्यादा समय व्यर्थ न करना. अब आए हो तो यह शुभ कार्य कर के ही जाना ठीक रहेगा. सब कुछ 2-3 दिन के अंदर हो जाएगा.’’

थोड़ी देर सब खामोश रहे, फिर संजय ने शांत से कहा, ‘‘ठीक है, हमें थोड़ा वक्त दो. मैं पटना अपने मातापिता से भी बात कर लेता हूं.’’

मैं ने और संजय दोनों ने पटना में अपनेअपने मातापिता से बात की. उन्होंने भी यही कहा कि कोई और विकल्प नहीं है तो सैरोगेसी में कोई बुराई नहीं है.

उस रात शांत ने जब पूछा कि हम ने क्या निर्णय लिया है तो मैं ने कहा, ‘‘हम ने घर पर बात कर ली है. उन को कोई आपत्ति नहीं है. पर मेरे मन में एक शंका है.’’

शांत के कैसी शंका पूछने पर मैं फिर बोली, ‘‘किसी अनजान के वीर्य से मुझे एक डर है कि न जाने उस में कैसे जीन्स होंगे और जहां तक मैं जानती हूं इसी पर बच्चे का जैविक लक्षण, व्यक्तित्व और चरित्र निर्भर करता है.’’

‘‘तुम इस की चिंता छोड़ दो. डाक्टर विजय और उन के क्लीनिक पर मुझे पूरा भरोसा है. मैं उन से बात करता हूं. किसी अच्छे डोनर का प्रबंध कर लेंगे,’’ कह शांत अपने कमरे में जा कर डाक्टर विजय से फोन पर बात करने लगा. फिर बाहर आ कर बोला, ‘‘सब इंतजाम हो जाएगा. उन्होंने परसों तुम दोनों को बुलाया है.’’

अगले दिन सुबह शांत ने कहा था कि उसे अपने अस्पताल जाना है. पर मुझे बाद में पता चला कि वह डाक्टर विजय के यहां गया था. डाक्टर विजय को उस ने मेरी चिंता बताई थी. उन्होंने शांत को अपना वीर्य देने को कहा था. पहले तो वह तैयार नहीं था कि तनु न जाने उस के बारे में क्या सोचेगी. तब डाक्टर विजय ने उस से कहा था कि इस बात की जानकारी किसी तीसरे को नहीं होगी. फिर शांत का एक टैस्ट ले कर उस का वीर्य ले कर सुरक्षित रख लिया.

अगले दिन मैं, संजय और शांत तीनों डाक्टर विजय के क्लीनिक पहुंचे. उन्होंने कुछ पेपर्स पर मेरे और संजय के हस्ताक्षर लिए जो एक कानूनी औपचारिकता थी. इस के बाद मुझे डाक्टर शालिनी अपने क्लीनिक में ले गईं. उन्होंने मेरे लिए सुरक्षित रखे वीर्य को मेरे डिंब में स्थापित कर दिया. वीर्य के डोनर का नाम गोपनीय रखा गया था. सारी प्रक्रिया 2 घंटों में पूरी हो गई.

देखते ही देखते 9 महीने बीत गए. वह दिन भी आ गया जिस का हमें इंतजार था. मैं एक सुंदर कन्या की मां बनी. पूरा परिवार खुश था. पार्टी का आयोजन भी किया गया. शांत भी आया था.

6 महीने ही बीते थे कि संजय को औफिस के काम से 1 हफ्ते के लिए सिक्किम जाना पड़ा. इन के जाने के 3 दिन बाद सिक्किम में आए भूंकप में इन की मौत हो गई. शांत स्वयं सिक्किम से संजय के पार्थिव शरीर को ले कर आया. अब चंद मास पहले की खुशी को प्रकृति के एक झटके ने गम में बदल डाला था. पर वक्त का मलहम बड़े से बड़े घाव को भर देता है. संजय को गुजरे 6 माह बीत चुके थे. शांत जब भी पटना आता बेबी के लिए ढेर सारे खिलौने लाता और देर तक उस के साथ खेलता था. अब बेबी थोड़ा चलने लगी थी.

एक दिन शांत लौन में बेबी के साथ खेल रहा था. मैं भी 2 कप चाय ले कर आई और कुरसी पर बैठ गई. मैं ने एक कप उसे देते हुए पूछा, ‘‘बेबी तुम्हें तंग तो नहीं करती? तुम इसे इतना वक्त देते हो…शादी क्यों नहीं कर लेते?’’

शांत ने तुरंत कहा, ‘‘तुम्हारी जैसी अब तक दूसरी मिली ही नहीं.’’

मैं ने सिर्फ, ‘‘तुम भी न,’’ कहा.

इधर शांत मेरे मातापिता एवं सासससुर से जब भी मिलता पूछता कि तनु के भविष्य के बारे आप लोगों ने क्या सोचा है? मैं अभी भी उस से प्यार करता हूं और सहर्ष उसे अपनाने को तैयार हूं. एक बार उन्होंने कहा कि तुम खुद बात कर के देख लो.

तब शांत ने कहा था कि वह इस बात की पहल खुद नहीं कर सकता, क्योंकि कहीं तनु बुरा मान गई तो दोस्ती भी खटाई में पड़ जाएगी.

एक बार मेरी मां ने मुझ से कहा कि अगर मैं ठीक समझूं तो शांत से मेरे रिश्ते की बात करेगी. पर मैं ने साफ मना कर दिया. इस के बाद उन्होंने शांत पर मुझ से बात करने का दबाव डाला.

इसीलिए शांत ने आज फिर कहा, ‘‘तनु अभी बहुत लंबी जिंदगी पड़ी है. तुम शादी क्यों नहीं कर लेती हो? बेबी को भी तो पिता का प्यार चाहिए?’’

मैं ने झुंझला कर कहा, ‘‘कौन देगा बेबी को पिता का प्यार?’’

‘‘मैं दूंगा,’’ शांत ने तुरंत कहा.

इस बार मैं गुस्से में बोली, ‘‘मैं बेबी को सौतेले पिता की छाया में नहीं जीने दूंगी, फिर चाहे तुम ही क्यों न हो.’’

‘‘अगर उस का पिता सौतेला न हो सगा हो तो?’’

‘‘क्या कह रहे हो? पागल मत बनो,’’ मैं ने कहा.

शांत ने तब मुझे बताया, ‘‘डाक्टर विजय के क्लीनिक में जब तुम ने वीर्य के जींस पर अपनी शंका जताई थी, तो मैं ने डाक्टर को यह बात कही थी. तब उन्होंने मुझे सलाह दी कि मैं तुम्हारा सच्चा दोस्त हूं तो यह काम मैं ही करूं. तुम ने अपनी कोख में 9 महीने तक मेरे ही अंश को संभाला था. अगर संजय जिंदा होता तो यह राज कभी न खुलता.’’

मैं काफी देर तक आश्चर्यचकित उसे देखती रही. फिर मैं ने फैसला किया कि मेरी बेबी को पिता का भी प्यार मिले…मेरी बेबी जो हम दोनों के अंश से बनी है अब अंशिका कहलाती है.

Raksha Bandhan: बहनें- भाग 3-रिश्तों में जलन का दर्द झेल चुकीं वृंदा का बेटिंयों के लिए क्या था फैसला?

वृंदा ने बात को जल्दी ही समाप्त किया और लगभग भागती हुई अपने घर आ गई. घंटेभर शांति से बैठने के बाद जब उस की सांसें स्थिर हुईं तब उसे घर छोड़ कर बाहर अकेले रहने का अपना फैसला गलत लगने लगा. कितना कहा था रवि ने कि इसी घर में पड़ी रहो, पर वह कहां मानी. स्वाभिमान और आत्मसम्मान आड़े आ रहा था. पता नहीं क्या हो गया था उसे. भूल गई थी कि औरतों का भी कहीं सम्मान होता है. पर उसे तो स्वयं पर भरोसा था, समाज पर विश्वास था. सुनीसुनाई बातें वह मानती नहीं थी.

उस के अनुभव में भी अब तक ऐसी कोई घटना नहीं थी कि वह डरती. किंतु अब तक वह पति के द्वारा छोड़ी भी तो नहीं गई थी. पति ने छोड़ा है उसे? नहीं, वृंदा स्वाभिमान से घिर जाती. वह पति के द्वारा छोड़ी गई नहीं है बल्कि उस ने अपने पति को छोड़ा था. जब वह अपने पति द्वारा दिए अपमान को न सह सकी तब डा. निगम से इतना डर क्यों? इसी साहस के बल पर वह अकेले रहने निकली है? डा. निगम जैसे तो अब पगपग पर मिलेंगे. कब तक डरेगी?

अंधेरा घिर आया था. किसी ने दरवाजा फिर खटखटाया. वृंदा फिर भयभीत हुई. भय अंदर तक समाने की कोशिश कर रहा था, किंतु वृंदा ने उठ कर पूरे साहस के साथ दरवाजा खोल दिया. दरवाजे के सामने पड़ोस में रहने वाली मिसेज श्रीवास्तव खड़ी थीं. वृंदा को उदास देख उन्हें शंका हुई. उन्होंने कारण पूछा तो वृंदा रो पड़ी तथा शाम को घटी घटना का बयान ज्यों का त्यों उन के सामने कर दिया. फिर मिसेज श्रीवास्तव के प्रयास से ही 15 दिन के भीतर उसे यह कमरा मिला था.

वृंदा ने एक गहरी सांस ली. कमरे में रखे सामान पर उस की नजर गई. इस कमरे में तमाम सामान के साथ एक अटैची भी थी, जिस में सब से नीचे एक तसवीर रखी थी. तसवीर में रवि मुसकरा रहा था. वृंदा जब उस अटैची को खोलती तो उस तसवीर को जरूर देख लेती. क्या था इस तसवीर में? क्यों इसे इतना संभाल कर रखती है वह? बारबार इसे देखने की उस की इच्छा क्यों उमड़ती है? वह तो रवि से नफरत करती है. इतनी नफरत के बाद भी वह तसवीर उस की अटैची में कैसे है? उस ने महसूस किया कि न सिर्फ अटैची में है उस की तसवीर बल्कि अपनी हर छोटीमोटी परेशानी में वह सब से पहले रवि को ही याद करती है. क्या उस के हृदय में रवि के प्रति प्रेम जैसा कुछ अब भी है?

जितनी बार वृंदा के मन में ये विचार, ये प्रश्न उठते, उतनी ही बार वह मन को विश्वास दिलाती कि ऐसा कुछ नहीं है. यह तसवीर तो वह अपनी बेटियों के लिए लाई है, खुद अपने लिए नहीं. बेटियां पूछेंगी अपने पापा के बारे में तो वह बता सकेगी कि देखो, ये हैं तुम्हारे पापा, यह चेहरा है उन का, इस चेहरे से करो नफरत कि इस चेहरे ने किया है अनाथ तुम्हें. उस की बच्चियां और अनाथ? वह क्या कर रही है फिर? उस ने अपने अस्तित्व को नकार दिया है क्या? बस रवि ही सब कुछ था क्या? दुख में रवि, खुशी में रवि, नफरत में रवि. उलझ गई है वृंदा. वह रवि को जितना नकारती है, रवि उतना ही उसे याद आता है तभी तो अटैची खोलते ही वह सामान बाद में निकालती है तसवीर को पहले देखती है.

वृंदा अब लेटी नहीं रह पा रही थी. वह उठ कर खिड़की के पास तक आई. बाहर अभी भी अंधेरा था किंतु सुबह होने में अब अधिक देर नहीं थी. सरसराती हवा कमरे में आ रही थी. वृंदा ने अपने माथे को खिड़की से टिका दिया और एक लंबी सांस ली, चलो किसी तरह एक रात और बीती.

आज बच्चों के स्कूल में ऐनुअल फंक्शन था. उस ने बच्चियों को जगाया और अपने काम में लग गई. प्राची अपने कपड़ों को उलटनेपलटने लगी. गिनती के कपड़ों में वह यह देख रही थी कि अब तक कौन सी ड्रैस पहन कर स्कूल नहीं गई है. किंतु बारबार पलटने पर भी उसे एक भी ऐसी ड्रैस नहीं मिल रही थी. इन सब कपड़ों को एक बार तो क्या कईकई बार पहन कर वह स्कूल गई है. हार कर उस ने एक पुरानी फ्रौक निकाल ली और नहाने के लिए बाथरूम में घुसी.

रश्मि अभी तक बिस्तर पर लेटी थी. प्राची को बाथरूम में जाते देख चिल्लाने लगी कि पहले वह नहाएगी. रश्मि का रोना सुन कर प्राची बाथरूम से बाहर आ गई ताकि रश्मि ही पहले नहा ले. प्राची के हाथ में फ्रौक थी. रश्मि फ्रौक को खींचती हुई बोली, ‘‘इसे मैं पहनूंगी, तुम दूसरी पहन लेना. फ्रौक बड़ी है इस बात की चिंता उसे नहीं थी. वह तो खुश थी कि प्राची यह फ्रौक नहीं पहन पाई, बस.

इधर, कुछ दिनों से वृंदा रश्मि की इन आदतों, जिस में प्राची की चीजों को छीन लेना और उसे हरा देना शामिल होता जा रहा था, से परेशान थी. और शायद इसलिए आजकल उसे डरावने सपने भी अधिक आने लगे थे. वृंदा को रश्मि के जन्म के समय मैटरनिटी होम में कहे गए उस बंगाली महिला के शब्द याद आ गए. उस के दोनों बच्चों में मात्र सालभर का अंतर है, यह जानते ही बंगाली महिला ने उसे सलाह दी थी, ‘इस को, इस के हाथ से केला खिला देना. तब वह बहन से हिंसा नहीं करेगी.’

हिंसा शब्द ईर्ष्या शब्द के पर्याय में बोला गया था. यह तो वृंदा भलीभांति समझ गई थी, किंतु केला बड़ी बेटी के हाथ से छोटी को खिलाए या छोटी बेटी के हाथ से बड़ी बेटी को, यह नहीं समझ पाई थी. समझने का प्रयास भी नहीं किया था, कहीं केला खिलाने से प्रेम और द्वेष हो सकता है भला.

पर अब उस के मन में कभीकभी आता है कि वह पूरी तरह क्यों नहीं उस बंगाली महिला की बात को समझी. समझ कर वैसा कर लेती तो शायद रश्मि प्राची से इतनी ईर्ष्या न करती. लेकिन प्राची इतनी उदार कैसे हो गई? कहीं अनजाने में उस ने रश्मि को केला खिला तो नहीं दिया था. वृंदा झुंझला उठी, क्या हो गया है उसे? किनकिन बातों में विश्वास करने लगी है वह?

स्कूल के स्टेज पर एक कार्यक्रम के बाद दूसरा कार्यक्रम था. तालियों पर तालियां बज रही थीं, किंतु वृंदा का मन अपने ही द्वारा बुने गए विचारों में उलझा था. समारोह समाप्त होने पर सब बच्चों को स्कूल की तरफ से एकएक पैकेट चिप्स और चौकलेट दी गई.  बच्चे खुश हो कर घर लौटे.

वृंदा का मन अब तक उदास था. वह बेमन से घर के कामों को निबटाने लगी.

प्राची ने रश्मि से पूछा, ‘‘रश्मि चौकलेट का स्वाद कैसा था?’’

‘‘अच्छा, बहुत अच्छा,’’ रश्मि ने इठलाते हुए जवाब दिया.

‘‘तुम्हें नहीं मिली थी क्या?’’ वृंदा के काम करते हाथ रुक गए.

‘‘हां, मिली थी.’’

‘‘फिर तुम ने भी तो खाई होगी?’’

‘‘नहीं.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘रश्मि ने मांग ली थी.’’

‘‘उसे भी तो मिली होगी?’’

‘‘हां, उसे मिली थी, पर उसे और खानी थी.’’

‘‘आधी दे देनी थी, पूरी क्यों दी?’’

‘‘रश्मि रोने लगी थी, मम्मी.’’

प्राची के जवाब से वृंदा का धैर्य थर्रा कर टूट गया. उस ने प्राची के गाल पर तड़ातड़ कई थप्पड़ जड़ दिए, ‘‘उस ने मांगी और तुम ने दे दी, अपनी चीजों को बचाना नहीं आता तुम्हें? तुम दादी बन रही हो? तुम्हें क्या लगता है कि रश्मि तुम्हारा बड़ा मानसम्मान करेगी कि तुम ने हर पल अपने हिस्से को उसे दिया है…अरे, यों ही देती रहोगी तो एक दिन वह तुम से तुम्हारा जीवन भी छीन लेगी…अब उसे कुछ दोगी, बोलो, अब दोगी अपनी चीजें उसे…’’ वृंदा प्राची को मारे जा रही थी और बोले जा रही थी.

मां का रौद्र रूप देख कर रश्मि डर के मारे एक कोने में दुबक गई थी. वृंदा के मारते हाथ जब थोड़े रुके तो वह स्वयं फूटफूट कर रोने लगी और वहीं दीवार के सहारे जमीन पर बैठ गई.

घंटों रो लेने के बाद उस ने कमरे में नजर दौड़ाई. खिड़की के बाहर एक स्याह परदा पड़ गया है. भीतर की पीली रोशनी में कमरा कुछ उदास और खोयाखोया सा लग रहा था. उस की दोनों बेटियां रोतेरोते वहीं उस के पास जमीन पर ही सो गई थीं. रश्मि प्राची की गोद में दुबक गई थी और प्राची का हाथ रश्मि के सिर पर था. वृंदा का मन विह्वल हो गया. वह क्यों पिछली जिंदगी की गुत्थियों में उलझी है? 10 साल पहले घटी एक घटना का अब तक इतना गहरा प्रभाव? वह गलत राह पर है. उसे इस छाया को अपनी जिंदगी से मिटाना पड़ेगा. कितना प्रेम तो है दोनों में? वह क्यों अलगाव के बीज बो रही है. उस के इस व्यवहार से तो दोनों एकदूसरे से बहुत दूर हो जाएंगी. उस ने तय किया कि अब वह कभी पीछे लौट कर नहीं देखेगी. वह काली छाया अपनी बेटियों पर नहीं पड़ने देगी. उस ने बारीबारी से दोनों के सिर पर हाथ फेरा और आश्चर्य उसे यह हुआ कि आज इस अवसाद की स्थिति में भी उस ने रवि को याद नहीं किया.

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