8 Summer Hair Care Tips: गरमी के मौसम में ऐसे करें बालों की देखभाल

बढ़ती गरमी के साथ जब नमी हाथ मिलाती है तो उस का असर बालों पर सब से पहले दिखाई पड़ता है. कभी रेशमी नजर आने वाले बाल उमस भरी गरमी में शैंपू करने के बाद एक दिन में ही चिपचिपे और तैलीय हो जाते हैं जिस के चलते जहां पहले हफ्ते में 2-3 बार शैंपू से काम चल जाता था वहां अब रोजाना शैंपू की जरूरत पड़ने लगती है. मगर रोजाना शैंपू का इस्तेमाल बालों को कमजोर और ड्राई कर सकता है.

आप को शैंपू का इस्तेमाल कैसे और कब करना चाहिए यह जानकारी आप के लिए बेहद अहम साबित होगी ताकि समर की हीट हो या उमस आप के बाल हैल्दी और खूबसूरत बने रहें.

  1. पसीना और प्रदूषण होता है खतरनाक

आजकल के भागदौड़ वाले लाइफस्टाइल में बालों का ?ाड़ना, ड्राई हेयर, उल?ो बाल, डैंड्रफ, दोमुंहे बालों की प्रौब्लम आम बात हो गई है. गरमी के मौसम में स्कैल्प ज्यादा तेल छोड़ती है जिसे से पसीना, प्रदूषण और स्कैल्प पर मैल जमा होने से बाल बहुत जल्दी चिपचिपे और गंदे नजर आने लगते हैं. पसीने के साथ स्कैल्प पर निकला नमक बालों की सेहत के लिए नुकसानदेह साबित होता है. यह बालों की जड़ों को कमजोर करता है, जिस से हेयरफौल की समस्या पैदा होती है.

साथ ही गरमियों में बालों से आने वाली गंदी बदबू से अकसर महिलाएं व पुरुष दोचार होते हैं. दरअसल, हमारी स्कैल्प पर आया पसीना और गरमी का मौसम दोनों फंगस और बैक्टीरिया पैदा होने के लिए बेहतरीन वातारवरण प्रदान करते हैं जिस से बालों में से अजीब सी दुर्गंध आने लगती है. इन सभी समस्याओं का इलाज बालों की अच्छी तरह साफसफाई करने और देखभाल से ही संभव है.

2. शैंपू करने का सही तरीका

हो सकता है कि आप शैंपू करती हों, लेकिन वह स्कैल्प से तेल को न हटा पाता हो. इस के लिए जरूरी है कि आप शैंपू करते वक्त जल्दबाजी न करें. इस के साथ ही शैंपू में झाग बनाने के लिए सर्क्यूलर मोशन का उपयोग करने से बाल एकदूसरे से रगड़ खा कर कमजोर हो जाते हैं. ऐसे में बालों के उलझ कर टूटने की समस्या भी देखने को मिलती है. इसलिए झाग बनाने के लिए साइडटूसाइड मोशन का उपयोग करें.

इस तरीके से हेयर स्ट्रैंड्स को नुकसान नहीं पहुंचता. इस के साथ ही शैंपू के वक्त स्कैल्प पर उंगलियों का हलका दबाव ही इस्तेमाल करें. शैंपू को सिर पर सीधे लगाने से पहले बालों को  अच्छी तरह गीला करें और शैंपू को भी सीधे सिर में डालने के बजाय थोड़े से पानी में घोल लें. इस से शैंपू अच्छी तरह बालों की सफाई भी करेगा और उस से बालों को नुकसान भी नहीं होगा.

3. हेयर टाइप के अनुसार चुनें शैंपू

ड्राई स्कैल्प और बालों के लिए आप सल्फेट फ्री शैंपू का औप्शन चुन सकती हैं. दरअसल, सल्फेट से स्कैल्प ड्राई होती है और वहीं स्कैल्प को साफ करने के लिए आप माइल्ड फौर्मूले का यूज कर सकती हैं. गरमियों में डैड सैल्स, हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट्स और डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए हमेशा क्लैरिफाइंग शैंपू का इस्तेमाल करें. अगर स्कैल्प बहुत ज्यादा औयली रहती है तो सल्फेट शैंपू इस्तेमाल करने की आवश्यकता है.

4. बाल धोने के लिए उपयोग करें ठंडा पानी

बालों को धोने के लिए ठंडे पानी से बेहतर कुछ भी नहीं. यह हेयर क्यूटिकल्स को बंद कर देता है और बालों को शाइनी टैक्स्चर देता है. यह स्कैल्प को बिना ड्राई किए नैचुरल औयल को बरकरार रखता है, साथ ही बालों को मजबूत बना कर उन्हें टूटने से भी रोकता है.

5. स्कैल्प नहीं बालों के लिए बना है कंडीशनर

स्कैल्प पर कंडीशनर का इस्तेमाल करने से बालों के औयली होने की समस्या लगातार बनी रहती है. इसलिए कंडीनशर का इस्तेमाल सिर्फ बालों की लंबाई में ही करें. कंडीशनर लगाने के बाद बालों को धोने के लिए ठंडे पानी का ही इस्तेमाल करें.

6. बेजान बालों में जान डाल देगा ऐप्पल साइडर विनेगर

स्कैल्प में तेल स्राव को कम करने के लिए सैलिसिलिक ऐसिड या ग्लाइकोलिक ऐसिड शैंपू का उपयोग करने की सलाह दी जाती है. ऐप्पल साइडर विनेगर बालों के पीएच लैवल को संतुलित करने के साथसाथ किसी भी बिल्डअप को गहराई से साफ करने के लिए अच्छा काम करता है. शैंपू से बाल धोने के बाद थोड़े से पानी में एक टेबलस्पून ऐप्पल साइडर विनेगर डाल कर उस से बालों को धो लें. इस से बालों में पसीने की बदबू से भी लंबे वक्त तक छुटकारा मिलेगा.

7. हीट स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल

गरमियों में हीट स्टाइलिंग टूल्स का इस्तेमाल जितना हो सके उतना कम करें. यह आप के हेयर हैल्थ के लिए बेहतर होता है. दरअसल, गरमियों में बारबार स्टाइलिंग टूल्स के इस्तेमाल से बाल कमजोर और जल्दी दोमुंहे हो जाते हैं, जिस से हेयर ग्रोथ प्रभावित होती है. ड्रायर का अधिक इस्तेमाल भी बालों को बेजान बना देता है. हेयर ड्रायर के इस्तेमाल के बजाय बालों को प्राकृतिक तरीके से सूखने दें. इस से बाल जल्दी औयली नहीं होंगे.

8. गरमियों में ट्राई करें हेयर मास्क

गरमियों में बालों को डीप कंडीशनिंग के साथसाथ बेहतर मौइस्चराइजिंग की आवश्यकता होती है. बालों की सेहत को दुरुस्त करने के लिए हेयर मास्क मददगार साबित होते हैं. 15 दिन में एक बार हेयर मास्क का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए, फिर बाल चाहे किसी भी हेयर टाइप के क्यों न हों.

हेयर मास्क के लिए एक बाउल में 1 चम्मच जैतून का तेल लें और उस में आधा केला मैश कर लें. अब इस में 1/4 कप दही मिक्स करें. इन सब को अच्छी तरह मिला कर बालों में लगा कर 20 मिनट लगा रहने दें. फिर बालों को धो लें.

-सोनिया राणा

क्या आपको पता है इन 10 नूडल्स के बारे में

‘‘टू मिनट नूडल्स,’’ यानी मैगी से तो सब वाकिफ हैं, पर क्या आप को पता है की दुनियाभर में कितनी तरह के नूडल्स खाए जाते हैं? जी हां, ढेरों तरह के.

कोई झक सफेद, तो कोई पतली सुतली जैसे या फिर कोई चौड़े रिबन जैसे बने होते हैं. कुछ आटे से बने होते हैं तो कुछ चावल, मैदे, आलू, अंडे, शकरकंद या कुट्टू से. और भी तरहतरह के नूडल्स मार्केट में उपलब्ध हैं. आकार, रंग में भिन्न ये नूडल्स बनाए भी कई तरीके से जाते हैं और नाम भी अलगअलग होते हैं.

बच्चे तो इन्हें चाव से खाते ही हैं, बड़े भी खूब पसंद करते हैं. बनाने में भी आसान और स्वाद भी भरपूर. मनचाही सब्जियों को मिला कर इन्हें पौष्टिक भी बनाया जा सकता है.

आज ऐसे ही कुछ नूडल्स के बारे में जानते हैं जो चीन की सीमा को लांघ कर कई अन्य देशों में भी उतने ही लोकप्रिय बन गए हैं.

  1. यूनान राइस नूडल्स

यों तो चावल के नूडल्स कई आकर के मिलते हैं, लेकिन गोल और सामान्य स्पैगेटी की तरह के नूडल्स सब से ज्यादा लोकप्रिय हैं जिन्हें यूनान नूडल्स या मी जिआन भी कहते हैं. दक्षिणी पश्चिमी चीन के यूनान प्रोविंस से लोकप्रिय हुए ये नूडल्स अकसर ग्लूटेन फ्री चावल और पानी के मिश्रण से बनाए जाते हैं. कई तरह की डिशेज बनाई जाती हैं जिन में सब से ज्यादा लोकप्रिय ‘क्रौसिंग द ब्रिज राइस नूडल्स’ है. चिकन, पोर्क एवं मसाले खासकर स्टार ऐनीज और अदरक के साथ बनाए गए सूप के साथ तैयार नूडल्स को परोसा जाता है.

  1. मी फेन या राइस सेंवइयां

पतले नूडल्स जो भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में आम मिलते हैं, चीनी में इन्हें मी फेन और थाई में सन मी कहते हैं. दक्षिणी चीन से आए ये नूडल्स बहुत ही पतले, भंगुर और उजले होते हैं. इन्हें पकाना बहुत ही आसान होता है. 10 मिनट तक गरम पानी में डुबो कर रखना पर्याप्त है. पानी निकाल कर चाहें तो ब्राथ में डाल लीजिए अथवा तवे पर सब्जियों के साथ हलका फ्राई कर लीजिए. बहुत ही फ्लेवरफुल और कम तैलीय होने की वजह से ये लोगों में बहुत ही लोकप्रिय हैं. फिलीपींस के प्रसिद्ध व्यंजन ‘पंसित’ भी राइस नूडल्स, सब्जियां, चिकन, श्रिंप, सोया सौस आदि के साथ टौस कर बनाए जाता हैं. ‘पैड थाई’ बनाने में भी इसी तरह के नूडल्स प्रयोग किए जाते हैं.

  1. हे फन

ये मोटे और चपटे नूडल्स हैं जिन्हें थाई में सन यई कहा जाता है. माना जाता है कि ये सर्वप्रथम दक्षिणी चीन के ग्वांग?ाउ प्रांत में बने थे. कैंटोनीज डिश ‘चाउ फन’ में ये नूडल्स मीट अथवा वैजिटेबल्स के साथ ड्राई फ्राई किए जाते हैं या फिर इन्हें गाढ़ी और स्टार्ची सौस के साथ पका लिया जाता है. चावल के आटे और पानी से बने नूडल्स अमूमन लंबी स्ट्रिप्स या शीट्स के रूप में मार्केट में मिलते हैं जिन्हें मनचाहे आकार में काट कर काम में लाया जा सकता है.

यीन जेन फन या सिल्वर नीडल नूडल्स एकदम सफेद और बहुत ही छोटे आकार के होते हैं. महज 5 सीएम लंबे और 5 एमएम व्यास के. इन नूडल्स के दोनों सिरे नुकीले होते हैं. मलयेशिया और सिंगापुर में इन्हें रत नूडल्स के नाम से भी जाना जाता है. राइस और पानी के मिश्रण को महीन छलनी के माध्यम से सीधे उबलते हुए पानी में डाल कर बनाया जाता है. इन्हें टूटने से बचाने के लिए बनाने वक्त कौर्न स्टार्च भी मिलाया जाता है.

  1. लामिआन या हैंड पुल्ड नूडल्स

हाथ से खींच कर लंबे किए गए चीनी नूड्ल्स. गेहूं के आटे, नमक, पानी से बनाए जाने वाले इन नूडल्स में कभीकभी लचीलापन देने के लिए अल्कलाइन भी मिलाए जाते हैं. पकने के बाद ये बहुत मुलायम, चिकने होते हैं और ये हमेशा ताजे ही परोसे जाते हैं. उत्तर पश्चिमी चीन के प्रसिद्ध व्यंजन ‘डानडान नूडल्स’ में यही नूडल्स उपयोग में लाए जाते हैं.

  1. फन जी या ग्लास नूडल्स

बहुत ही पतले, लंबे और लगभग पारदर्शी इन नूडल्स के रंगों में भिन्नता, इन्हें बनाने में प्रयुक्त स्टार्च सामग्री पर निर्भर करती है. मूंग बींस, आलू, शकरकंद अथवा सागूदाने के हिसाब से ये या तो सफेद, हलके स्लेटी या फिर भूरे रंग के हो सकते हैं. इन्हें या तो 3 से 5 मिनट के लिए उबाल कर या फिर गरम पानी में कुछ देर तक भिगोने के बाद प्रयोग में लाया जा सकता है.

  1. मीसुआ

चीन के फुजिआन राज्य के पतले नमकीन और सब से लंबे नूडल्स. गीले आटे को 30 मीटर तक खींच कर इन नूडल्स को बनाया जाता है. चीन में जन्मदिन की पार्टियों में यही नूडल्स सर्व किए जाते हैं. चीनी मान्यताओं के हिसाब से इन नूडल्स को लंबी उम्र से जोड़ कर देखा जाता है. इन नूडल्स को सूप के साथ सर्व कर सकते हैं या फिर कम आंच पर सब्जियों के साथ टौस कर भी तैयार किया जाता है.

  1. चाउमिन

चाउमिन के तो हम सब दीवाने हैं. चाउमिन का शाब्दिक अर्थ है फ्राइड नूडल्स. आकर में पतले और क्रिस्पी नूडल्स सब से पहले ग्वांगडोंग चीन में बने थे. इन्हें बनाने से पहले उबालना जरूरी होता है. इन की मोटाई के हिसाब से 2 से 6 मिनट तक. इन्हें ठंडे पानी से धो कर और पानी निकाल कर मनचाही  सब्जियों, अंडों अथवा मांस के साथ टौस कर तैयार किया जाता है.

  1. वानटोन नूडल्स

पतले आकार के ये नूडल्स अंडे, पानी और लाइ वाटर (सोडियम या पोटैशियम हाईड्राक्साइड का घोल) से बनाया जाता है. इन्हें इन के आकार और रंग की वजह से एंजेल हेयर पास्ता भी कहते हैं. दक्षिणी चीन और हौंगकौंग में बने इन नूडल्स को थोड़ी देर तक गरम पानी में उबाल कर ठंडे पानी के नीचे रखा जाता है. कैंटोनी डिश ‘श्रिंप वानटोन’ लोगों को बहुत भाती है.

  1. नाइफ कट नूडल्स

इस तरह के नूडल्स की स्ट्रैंड हर दूसरे स्ट्रैंड से आकार, लंबाई में भिन्न होती  है. गौरतलब है कि काफी अभ्यास के बाद ही कोई शैफ इन नूडल्स को बनाने में महारत हासिल करता है. अन्य नूडल्स के मुकाबले ये नूडल्स मोटे होते हैं और नूडल्स के दोनों किनारे भी खुरदरे होते हैं.

  1. लामिआन

मुलायम, सिल्की और चाउमिन से थोड़े मोटे इन एग नूडल्स को बनाने का तरीका अलग होता है. इस का शाब्दिक अर्थ है टास्ड नूडल्स. इन्हें उबालना पड़ता है फिर बहुत ही कम सौस, पकी हुई सब्जियों, मांस के साथ टौस कर लिया जाता है.

-चेतना वर्धन           

शार्क टैंक की नमिता थापर जूझ रही हैं IVF से, जानिए ये कैसे करता है काम

‘शार्क टैंक इंडिया’ का दूसरा सीजन भी पहले सीजन की तरह बहुत प्रचलित हो रहा है. इस शो में नए उद्यमी यानी इंटरप्रेन्योर पार्टिसिपेट करते हैं और अपने बिजनेस आइडियाज को इस शो के जजेज के सामने बताते हैं ताकि वो उनके बिजनेस में निवेश करें. यह शो के जजेज न केवल सक्सेसफुल और अमीर हैं, बल्कि उनका जीवन अन्य लोगों को प्रेरित भी करता है. समय- समय पर शो में यह जजेज अपने निजी जीवन के बारे में बताते हैं. हाल ही में इसकी एक जज नमिता थापर ने अपनी  IVF जर्नी के बारे में बताया था. आईये जानें नमिता थापर की IVF जर्नी के बारे में और पाएं जानकारी IVF के बारे में.

नमिता थापर की IVF जर्नी

नमिता थापर एमक्योर फार्मा की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर हैं. ‘शार्क टैंक इंडिया’ की जज अनुसार उनकी पहली प्रेग्नेंसी सामान्य थी. लेकिन, दूसरी प्रेग्नेंसी में उन्हें बहुत समस्या हुई क्योंकि वो कंसीव नहीं कर पा रही थी. वो इसके बाद दो बार IVF ट्रीटमेंट से गुजरी, जो दोनों बार फेल हो गया. उनके मुताबिक यह ट्रीटमेंट बहुत ही मुश्किल होता है, जिसमें महिला शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजरती है. नमिता थापर का कहना था कि चार साल में दो अटेम्प्स के बाद उन्होंने इस ट्रीटमेंट को न लेने का निर्णय लिया. लेकिन, इसके कुछ समय बाद उन्होंने नेचुरली कंसीव किया. आज वो दो बच्चों की हैप्पी मदर है.

क्या है IVF और कैसे करता है यह काम?

IVF का फुल फॉर्म है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन. यह प्रोसिजर्स की एक काम्प्लेक्स सीरीज है जिनका इस्तेमाल फर्टिलिटी में मदद करता है और यह जेनेटिक प्रॉब्लम्स को दूर करने में भी सहायक है. इस प्रोसीजर में पुरुषों के स्पर्म और महिलों के अंडाणुओं को आर्टिफिशियल तरीके से फर्टिलाइज किया जाता है. बाद में फीटस के विकसित होने पर इसे महिला के यूटरस में ट्रांसफर कर दिया जाता है. IVF की मदद से हेल्दी बेबी की मां बनना कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है जैसे उम्र और इंफर्टिलिटी का कारण आदि. इसके साथ ही यह प्रोसीजर महंगा और इंवेसिव भी है. यही नहीं, इसमें बहुत अधिक समय भी लगता है.

IVF ट्रीटमेंट एक मुश्किल प्रोसीजर है लेकिन आजकल बहुत से लोग इसका इस्तेमाल कर के पेरेंट्स बनने का सुख पा रहे हैं. आजकल का लाइफस्टाइल ऐसा है कि लोग या तो अधिक उम्र में शादी करते हैं या फॅमिली प्लानिंग देरी से करते हैं. जिससे पुरुषों और महिलाओं में इनफर्टिलिटी की परेशानियां बढ़ रही हैं. ऐसे में आज के दौर में यह कई लोगों के लिए प्रोसीजर वरदान की तरह साबित हो रहा है.

जब जिंदगी तमाशे में डूब जाए

छिछली होती सोच का नतीजा यह है कि आज किसी भी हिंदी, अंगरेजी अखबार या चैनल को खोल लें उस में ज्यादातर खबरें सैलिब्रिटीज के खाने, पहनने, बीच पर नहाने, एअरपोर्ट पर आनेजाने पर होती हैं. ऐश्वर्या राय, अभिषेक बच्चन और उन की बेटी आराध्य न्यूयौर्क से मुंबई आईं तो फोटोग्राफरों का हुजूम जमा था और जब ये फोटो इंस्टाग्राम पर डाले गए तो हजारों नहीं लाखों तक लाइक्स मिले.

शाहरुख खान के जन्मदिन के मौके पर उन के घर के सामने खड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा. तमन्ना भाटिया और विजय का किसिंग फोटो इतना वायरल हुआ कि टाइम्स औफ इंडिया ने इस की पूरी खबर बना कर छाप दी और उस का औनलाइन वीडियो जम कर चला. दीया मिर्जा अपने पति वैभव और स्टैप डौटर समायरा के साथ दिखीं, यह इंडियन एक्सप्रैस के लिए खबर थी.

आखिर इस सब का मतलब क्या है? ये आम जिंदगी को किस तरह प्रभावित करते हैं कि इन सैलिब्रिटीज के कपड़ों पर, बोलने पर, रंग पर, फैशन पर समय और शक्ति बरबाद की जाए? तमाशा हरेक को अच्छा लगता है पर जब जिंदगी तमाशे में डूब जाए और हरकोई टिकटौक या इंस्टाग्राम की रील्स के लाइक्स गिनने शुरू कर दे तो साफ है कि जनता की सोच की शक्ति गहरे पानी में डूब चुकी है.

तमाशा उबाऊ मेहनती जिंदगी से राहत पाने के लिए अच्छा है पर इस के लिए अपना समय और मेहनत मोबाइलों पर लाइक्स डालने में लगा लेने वाली जनता को वे परेशानियां उठानी ही पड़ेंगी, जो आज दिख रही हैं. आज दुनियाभर में एक तरह की अशांति है. कोविड-19 का डर इतना नहीं रह गया जितना कि नौकरियां खोने का. पैसे की तंगी का, पतिपत्नी या प्रेमीप्रेमिका का भय है.

यह इसलिए है कि जिंदगी को जिस गंभीरता से जीना जरूरी है उसे हम भूलने लगे हैं. हमारी जिंदगी की डोर अब कुछ सितारों, कुछ सैलिब्रिटीज के हाथों में हो गई है. ऐसा नहीं है कि पहले सबकुछ अच्छा था. सदियों तक लोग राजाओं और देवीदेवताओं के गुलाम रहते थे और वे जो अत्याचार करते, अनाचार करते, सहते थे. इतिहास बारबार अकालों, बीमारियों, युद्धों से भरा है. दुनियाभर में विशाल किले और मंदिर, चर्च, मसजिदें हैं पर आम लोगों के घर अभी पिछले कुछ सौ साल पहले बनने शुरू हुए जब साइंस और तकनीक ने धर्म और राजाओं की थोपी सोच से मुक्ति दिलाई.

अफसोस कि कहीं पेले, कहीं विराट कोहली, कहीं अमिताभ, कहीं लेडी गागा की चर्चाएं लोगों को फिर बहकाने लगी हैं और शासक व धर्म भी उन की सहायता से जनता को बेवकूफ बनाए रखने में सफल हो रहे हैं. आज वैज्ञानिक व चिंतक सिर्फ दिखावटी मजदूर रह गए हैं. वे गुलामों की तरह के हैं. उन से ज्यादा नहीं. यह चुनना हरेक का अपना फैसला कि उस का आदर्श कोई तमाशबीन है या वह जो खोज करता है, सवालों के हल ढूंढ़ता है, निर्माण करता या करवाता है. आप का फैसला क्या है?

सीलन: उमा बचपन की सहेली से क्यों अलग हो गई?

बचपन से ही वह हमेशा नकाब में रहती थी. स्कूल के किसी बच्चे ने कभी उस का चेहरा नहीं देखा था. हां, मछलियों सी उस की आंखें अकसर चमकती रहती थीं. कभी शरारत से भरी हुई, तो कभी एकदम शांत और मासूम. लेकिन कभीकभी उन आंखों में एक डर भी दिखाई देता था. हम दोनों साथसाथ पढ़ते थे. पढ़ाई में वह बेहद अव्वल थी. जोड़घटाव तो जैसे उस की जबां पर रहता था. मुझे अक्षर ज्ञान में मजा आता था. कहानियां, कविताएं पसंद आती थीं, जबकि गणित के समीकरण, विज्ञान, ये सब उस के पसंदीदा सब्जैक्ट थे.

वह थोड़ी संकोची, किसी नदी सी शांत और मैं एकदम बातूनी. दूर से ही मेरी आवाज उसे सुनाई दे जाती थी, बिलकुल किसी समुद्र की तरह. स्कूल में अकसर ही उसे ले कर कानाफूसी होती थी. हालांकि उस कानाफूसी का हिस्सा मैं कभी नहीं बनता था, लेकिन दोस्तों के मजाक का पात्र जरूर बन जाता था. मैं रिया के परिवार के बारे में कुछ नहीं जानता था. वैसे भी बचपन की दोस्ती घरपरिवार सब से परे होती है. बचपन से ही मुझे उस का नकाब बेहद पसंद था, तब तो मैं नकाब का मतलब भी नहीं जानता था. शक्लसूरत उस की अच्छी थी, फिर भी मुझे वह नकाब में ज्यादा अच्छी लगती थी.

बड़ी क्लास में पहुंचते ही हम दोनों के स्कूल अलग हो गए. उस का दाखिला शहर के एक गर्ल्स स्कूल में हो गया, जबकि मेरा दाखिला लड़कों के स्कूल में करवा दिया गया. अब हम धीरेधीरे अपनीअपनी दिलचस्पी के काम के साथ ही पढ़ाई में भी बिजी हो गए थे, लेकिन हमारी दोस्ती बरकरार रही. पढ़ाईलिखाई से वक्त निकाल कर हम अब भी मिलते थे. वह जब तक मेरे साथ रहती, खुश रहती, खिली रहती. लेकिन उस की आंखों में हर वक्त एक डर दिखता था. मुझे कभी उस डर की वजह समझ नहीं आई. अकसर मुझे उस के परिवार के बारे में जानने की इच्छा होती. मैं उस से पूछता भी, लेकिन वह हंस कर टाल जाती.

हालांकि अब मुझे समझ आने लगा था कि नकाब की वजह कोई धर्म नहीं था, फिर ऐसा क्या था, जो उसे अपना चेहरा छिपाने को मजबूर करता था? मैं अकसर ऐसे सवालों में उलझ जाता. कालेज में भी मेरे अलावा उस की सिर्फ एक ही सहेली थी उमा, जो बचपन से उस के साथ थी. मेरे मन में उसे और उस के परिवार को करीब से जानने के कीड़े ने कुलबुलाना शुरू कर दिया था. शायद दिल के किसी कोने में प्यार के बीज ने भी जन्म ले लिया था. मैं हर मुलाकात में उस के परिवार के बारे में पूछना चाहता था, लेकिन उस की खिलखिलाहट में सब भूल जाता था. अकसर मैं अपनी कहानियों और कविताओं की काल्पनिक दुनिया उस के साथ ही बनाता और सजाता गया.

बड़े होने के साथ ही हम दोनों की मुलाकात में भी कमी आने लगी. वहीं मेरी दोस्ती का दायरा भी बढ़ा. कई नए दोस्त जिंदगी में आए. उन्हें मेरी और रिया की दोस्ती की खबर हुई. एक दिन उन्होंने मुझे उस से दूर रहने की नसीहत दे डाली. मैं ने उन्हें बहुत फटकारा. लेकिन उन के लांछन ने मुझे सकते में डाल दिया था. वे चिल्ला रहे थे, ‘जिस के लिए तू हम से लड़ रहा है. देखना, एक दिन वह तुझे ही दुत्कार कर चली जाएगी. गंदी नाली का कीड़ा है वह.’ मैं कसमसाया सा उन्हें अपने तरीके से लताड़ रहा था. पहली बार उस के लिए दोस्तों से लड़ाई की थी. मैं बचपन से ही अकेला रहा था. मातापिता के पास समय नहीं होता था, जो मेरे साथ बिता सकें. उमा और रिया के अलावा किसी से कोई दोस्ती नहीं. पहली बार किसी से दोस्ती हुई और

वह भी टूट गई. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था. वह एक सर्द दोपहर थी. सूरज की गरमाहट कम पड़ रही थी. कई महीनों बाद हमारी मुलाकात हुई थी. उस दोपहर रिया के घर जाने की जिद मेरे सिर पर सवार थी. कहीं न कहीं दोस्तों की बातें दिल में चुभी हुई थीं.

मैं ने उस से कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे मातापिता से मिलना है.’’

‘‘पिता का तो मुझे पता नहीं, लेकिन मेरी बहुत सी मांएं हैं. उन से मिलना है, तो चलो.’’ मैं ने हैरानी से उस के चेहरे की ओर देखा. वह मुसकराते हुए स्कूटी की ओर बढ़ी. मैं भी उस के साथ बढ़ा. उस ने फिर से अपने खूबसूरत चेहरे को बुरके से ढक लिया. शाम ढलने लगी थी. अंधेरा फैल रहा था. मैं स्कूटी पर उस के पीछे बैठ गया. मेन सड़क से होती हुई स्कूटी आगे बढ़ने लगी. उस रोज मेरे दिल की रफ्तार स्कूटी से भी ज्यादा तेज थी. अब स्कूटी बदनाम बस्ती की गलियों में हिचकोले खा रही थी.

मैं ने हड़बड़ा कर पूछा, ‘‘रास्ता भूल गई हो क्या?’’

उस ने कहा, ‘‘मैं बिलकुल सही रास्ते पर हूं.’’ उस ने वहीं एक घर के किनारे स्कूटी खड़ी कर दी. मेरे लिए वह एक बड़ा झटका था. रिया मेरा हाथ पकड़ कर तकरीबन खींचते हुए एक घर के अंदर ले गई. अब मैं सीढि़यां चढ़ रहा था. हर मंजिल पर औरतें भरी पड़ी थीं, वे भी भद्दे से मेकअप और कपड़ों में सजीधजी. अब तक फिल्मों में जैसा देखता आया था, उस से एकदम अलग… बिना किसी चकाचौंध के… हर तरफ अंधेरा, सीलन और बेहद संकरी सीढि़यां. हर मंजिल से अजीब सी बदबू आ रही थी. जाने कितनी मंजिल पार कर हम लोग सब से ऊपर वाली मंजिल पर पहुंचे. वहां भी कमोबेश वही हालत थी. हर तरफ सीलन और बदबू. बाहर से देखने पर एकदम छोटा सा कमरा, जहां लोगों के होने का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था. ज्यों ही मैं कमरे के अंदर पहुंचा, वहां ढेर सारी औरतें थीं. ऐसा लग रहा था, मानो वे सब एक ही परिवार की हों.

मुझे रिया के साथ देख कर उन में से कुछ की त्योरियां चढ़ गईं, लेकिन साथ वालियों को शायद रिया ने मेरे बारे में बता रखा था, उन्होंने उन के कान में कुछ कहा और फिर सब सामान्य हो गईं.

एकसाथ हंसनाबोलना, रहना… उन्हें देख कर ऐसा नहीं लग रहा था कि मैं किसी ऐसी जगह पर आ गया हूं, जो अच्छे घर के लोगों के लिए बैन है. वहां छोटेछोटे बच्चे भी थे. वे अपने बच्चों के साथ खेल रही थीं, उन से तोतली बोली में बातें कर रही थीं. घर का माहौल देख कर घबराहट और डर थोड़ा कम हुआ और मैं सहज हो गया. मेरे अंदर का लेखक जागा. उन्हें और जानने की जिज्ञासा से धीरेधीरे मैं ने उन से बातें करना शुरू कीं.

‘‘यहां कैसे आना हुआ?’’

‘‘बस आ गई… मजबूरी थी.’’

‘‘क्या मजबूरी थी?’’

‘‘घर की मजबूरी थी. अपना, अपने बच्चों का, परिवार का पेट पालना था.’’

‘‘क्या घर पर सभी जानते हैं?’’

‘‘नहीं, घर पर तो कोई नहीं जानता. सब यह जानते हैं कि मैं दिल्ली में रहती हूं, नौकरी करती हूं. कहां रहती हूं, क्या करती हूं, ये कोई भी नहीं जानता.’’

मैं ने एक और औरत को बुलाया, जिस की उम्र 45 साल के आसपास रही होगी.

मेरा पहला सवाल वही था, ‘‘कैसे आना हुआ?’’

‘‘मजबूरी.’’

‘‘कैसी?’’

‘‘घर में ससुर नहीं, पति नहीं, सिर्फ बच्चे और सास. तो रोजीरोटी के लिए किसी न किसी को तो घर से बाहर निकलना ही होता.’’

‘‘अब?’’

‘‘अब तो मैं बहुत बीमार रहती हूं. बच्चेदानी खराब हो गई है. सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए गई. डाक्टर का कहना है कि खून चाहिए, वह भी परिवार के किसी सदस्य का. अब कहां से लाएं खून?’’

‘‘क्या परिवार में वापस जाने का मन नहीं करता?’’

‘‘परिवार वाले अब मुझे अपनाएंगे नहीं. वैसे भी जब जिंदगीभर यहां कमायाखाया, तो अब क्यों जाएं वापस?’’

यह सुन कर मैं चुप हो गया… अकसर बाहर से चीजें जैसी दिखती हैं, वैसी होती नहीं हैं. उन लोगों से बातें कर के एहसास हो रहा था कि उन का यहां होना उन की कितनी बड़ी मजबूरी है. रिया दूर से ये सब देख रही थी. मेरे चेहरे के हर भावों से वह वाकिफ थी. उस के चेहरे पर मुसकान तैर रही थी. मैं ने एक और औरत को बुलाया, जो उम्र के आखिरी पड़ाव पर थी. मैं ने कहा, ‘‘आप को यहां कोई परेशानी तो नहीं है?’’

उस ने मेरी ओर देखा और फिर कुछ सोचते हुए बोली, ‘‘जब तक जवान थी, यहां भीड़ हुआ करती थी. पैसों की कोई कमी नहीं थी. लेकिन अब कोई पूछने वाला नहीं है. अब तो ऐसा होता है कि नीचे से ही दलाल ग्राहकों को भड़का कर, डराधमका कर दूसरी जगह ले जाते हैं. बस ऐसे ही गुजरबसर चल रही है. ‘‘आएदिन यहां किसी न किसी की हत्या हो जाती है या फिर किसी औरत के चेहरे पर ब्लेड मार दिया जाता है. ‘‘अब लगता है कि काश, हमारा भी घर होता. अपना परिवार होता. कम से कम जिंदगी के आखिरी दिन सुकून से तो गुजर पाते,’’ छलछलाई आंखों से चंद बूंदें उस के गालों पर लुढ़क आईं और वह न जाने किस सोच में खो गई.मुझे अचानक वह ककनू पक्षी सी लगने लगी. ऐसा लगने लगा कि मैं ककनू पक्षियों की दुनिया में आ गया हूं. मुझे घबराहट सी होने लगी. धीरेधीरे उस के हाथों की जगह बड़ेबड़े पंख उग आए. ऐसा लगा, मानो इन पंखों से थोड़ी ही देर में आग की लपटें निकलेंगी और वह उसी में जल कर राख हो जाएंगी. क्या मैं ऐसी जगह से आने वाली लड़की को अपना हमसफर बना सकता हूं? दिमाग ऐसे ही सवालों के जाल में फंस गया था.

अचानक ही मुझे बुरके में से झांकतीचमकती सी रिया की उदास डरी हुई आंखें दिखीं. मुझे अपने मातापिता  की भागदौड़ भरी जिंदगी दिख रही थी, जिन के पास मुझ से बात करने का वक्त नहीं था और साथ ही, वे दोस्त भी दिखे, जो अब भी कह रहे थे, ‘निकल जा इस दलदल से, वह तुम्हारी कभी नहीं होगी.’ मेरा वहां दम घुटने लगा. मैं वहां से बाहर भागा. बाहर आते ही रिया की अलमस्त सुबह सी चमकती हंसी ने हर सोच पर ब्रेक लगा दिया. मैं दूर से ही उसे खिलखिलाते देख रहा था. उफ, इतने दमघोंटू माहौल में भी कोई खुश रह सकता है भला क्या?

मकड़जाल – रवि की कोनसी बात से मानवी के होश उड़ गए ?

आज मानवी की आंख जरा देर से खुली, लेकिन जब वह सो कर उठी तब उस ने एक अजीब सी बेचैनी महसूस की. अपनी बिगड़ी हालत देख कर वह समझ गई कि जरूर उस का गर्भपात हुआ है. तब उस ने अधीरता से रवि को आवाज लगाई, पर उस की आवाज उसे नहीं सुनाई दी.

‘जरूर रवि मेरे लिए चाय बना रहा होगा,’ यही सोच कर वह देर तक आंखें मूंदे बिस्तर पर पड़ी रही, लेकिन जब काफी देर के बाद भी रवि नहीं आया तब मानवी का माथा ठनका.

फिर वह किसी तरह अपनी बची शक्ति समेट कर बड़ी मुश्किल से उठी और धीरेधीरे चलती हुई किचन की तरफ बढ़ गई.

पर यह क्या? रवि तो किचन में भी नहीं था. तभी उस की नजर घर में फैले सामान पर पड़ी. सामने वाली अलमारी का ताला टूटा पड़ा था और उस में रखा सारा कीमती सामान गायब था.

ये सब देख कर मानवी की चीख निकल गई. तब वह धम से सामने पड़े सोफे पर बैठ गई और अनायास ही उस का दिल भर आया.

एक तरफ वह बहुत कमजोरी महसूस कर रही थी तो दूसरी तरफ मानसिक व आर्थिक रूप से भी अक्षम हो चुकी थी.

उसे आज समझ आ रहा था कि उस ने रवि के साथ लिव इन में रह कर कितनी बड़ी भूल की है.

‘कुछ भी ऐसा मत करना मेरी बेटी, जिस से बाद में हमें पछताना पड़े,’ दिल्ली आते समय उस के बाबूजी उस से बोले थे.

‘ओह, बाबूजी… मैं वहां कुछ बनने जा रही हूं, इसलिए कुछ भी ऐसेवैसे की तो गुंजाइश ही नहीं है…’ इतना कह कर उस ने आगे बढ़ कर अपने बाबूजी के चरणस्पर्श कर लिए थे.

फिर वह अपनी आंखों में ढेर सारे सपने लिए दिल्ली आ पहुंची थी. छोटे शहर की मानवी को दिल्ली स्वप्न नगरी से कम नहीं लगी थी. अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते हुए कब रवि उस का हमसफर बन बैठा, इस का एहसास तो उसे बहुत देर में हुआ.

तभी अचानक मानवी को याद आने लगा कि रात को रवि ने जो ड्रिंक उसे औफर किया था, जरूर उस में उस ने कुछ मिलाया होगा. तभी तो उस ड्रिंक को पीते ही उसे बेहोशी छाने लगी थी और शायद इसी वजह से उस का यह गर्भपात हुआ.

अब तो जैसे उस की सोचनेसमझने की शक्ति चुक गई थी. अभी कल ही तो रवि ने उस से मंदिर में शादी की थी. वैसे यह बात नहीं थी कि मानवी ने यह निर्णय जल्दबाजी में लिया था बल्कि लगातार 2 साल लिव इन में रहने के बाद ही उस ने यह निर्णय लिया था.

फिर अचानक मानवी को सारी बीती बातें रवि की सोचीसमझी चाल का हिस्सा लगने लगी थीं.

‘2 महीने का गर्भ है मुझे, अब तो शादी कर लो मुझ से,’ मानवी जब रवि से बोली तो वह खुश होने के बजाय उलटा उस पर ही बरस पड़ा था.

‘पता नहीं, तुम आजकल की लड़कियों को क्या होता जा रहा है. सरकार गर्भनिरोध के नितनए तरीकों पर लाखों रुपए बरबाद कर रही है, पर तुम लोगों के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती. मैं तो मस्तमौला हूं पर तुम तो ध्यान रख सकती थी,’ रवि अचानक आक्रामक हो उठा था.

ये सब सुन कर मानवी का मुंह उतर गया था. फिर वह रोंआसी सी अपने कमरे की तरफ बढ़ गई थी.

थोड़ी देर रो लेने के बाद जब उस का जी हलका हुआ, तब उस ने रवि को अपने सामने खड़ा पाया. उस के हाथ में एक ट्रे थी, जिस में कौफी के 2 मग और मानवी के मनपसंद वैज सैंडविच थे.

‘‘लो जानेमन, गुस्सा थूको और नाश्ता कर लो, ऐसी स्थिति में तो तुम्हें बिलकुल भूखा नहीं रहना चाहिए और फिर हमारा नन्हा शैतान भी तो भूखा होगा…’’ इतना कह कर रवि ने अपने हाथों में पकड़ी ट्रे मानवी के सामने रख दी थी.

‘‘वैसे तुम जानते सबकुछ हो पर अनजान बनने का नाटक करते हो, शायद इसी वजह से मैं तुम्हें अपना दिल दे बैठी,’’ इतना कह कर मानवी ने रवि को खींच कर अपने पास बैठा लिया और फिर वे दोनों नाश्ता करने लगे.

‘‘मानवी, ऐसा करते हैं कि आज दोपहर में मूवी देखते हैं और फिर लंच भी बाहर ही कर लेंगे,’’ रवि खाली ट्रे उठाते हुए बोला, ‘‘पर हां, आज का सारा खर्च तुम्हें ही करना होगा, क्योंकि मेरी हालत जरा टाइट है.’’

‘‘वह तो ठीक है जनाब, पर आज तुम्हारा आशिकी भरा व्यवहार देख कर मुझे तुम पर बहुत प्यार आ रहा है,’’ यह कहतेकहते वह रवि से लिपट गई थी.

‘‘मैं एक बात सोच रहा था कि अगर अब जिम्मेदारी आ रही है तो उस से निबटने के लिए प्लानिंग भी करनी पड़ेगी.’’

रवि मानवी को चूमते हुए बोला, ‘‘अगर कुछ इंतजाम हो जाए तो मैं अपना कोई काम ही शुरू कर लूं. मुझे तो इस बंधीबंधाई कमाई वाली प्राइवेट नौकरी में आगे बढ़ने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं और फिर क्या शादी के बाद भी हर छोटेछोटे खर्च के लिए मैं तुम पर ही निर्भर रहूंगा?’’

‘‘अच्छा जानू, एक बात तो बताओ जरा कि अगर किसी और की मदद लेने की जगह मैं ही तुम्हें फाइनैंस कर दूं तो?’’

‘‘वाह, इस से बढि़या बात तो कोई हो ही नहीं सकती. यह तो वही कहावत हुई, ‘बगल में छोरा और शहर में ढिंढोरा.’ मुझ से ज्यादा तो तुम आर्थिक रूप से सबल हो. इस का तो मुझे तनिक भी एहसास नहीं था,’’ यह कहतेकहते रवि की आंखों में अचानक ही चमक नजर आने लगी थी.

फिर उस ने अचानक ही मानवी को अपनी ओर खींच लिया था और प्यार भरे स्वर में उस से बोला था, ‘‘मैं तो सोच रहा था कि तुम शायद अपने किसी परिचित या सहकर्मी से मदद लोगी पर तुम्हारे पास तो गढ़ा हुआ धन है, मेरी छिपीरुस्तम…’’

‘‘जनाब, जरा अपनी सोच को ब्रेक लगाइए और ध्यान से मेरी बात सुनिए,’’ मानवी हंसते हुए बोली, ‘‘मेरे पास कोई गढ़ा हुआ धन नहीं बल्कि खूनपसीने से कमाए हुए पैसों की बचत है जिस की मैं ने एफडी करवाई हुई है.’’

अब तक मैं ने इस बारे में तुम्हें नहीं बताया था पर अब जब हम दोनों एक होने जा रहे हैं तो भला यह दुरावछिपाव क्यों?’’

‘‘ओह, मेरी प्यारी मानवी,’’ इतना कह कर रवि ने एक प्यारा सा चुंबन मानवी के गाल पर अंकित कर दिया था.

फिर वे दोनों अपने प्यार की खुमारी में डूबे पिक्चर हौल की तरफ बढ़ गए थे.

पहले उन्होंने मस्त मूवी का मजा लिया और फिर एक बढि़या रेस्तरां में लजीज खाना खाया.

जब रात को दोनों सोने के लिए बिस्तर पर लेटे तब फिर से रवि ने सुबह वाली बात का जिक्र छेड़ दिया.

‘‘मैं क्या कह रहा था मानवी,’’ रवि जरूरत से ज्यादा अपने स्वभाव को नम्र करते हुए बोला, ‘‘कल सोमवार है तो तुम औफिस जाने से पहले बैंक से पैसे निकाल कर मुझे दे देना. पैसे हाथ में होंगे तो आगे की प्लानिंग आसान हो जाएगी,’’ फिर रवि मानवी के बालों में अपना हाथ फेरने लगा था.

‘‘वह तो ठीक है जानू,’’ मानवी रवि को गलबहियां डालती हुई बोली, ‘‘पर पहले हमारी शादी होगी, तभी तुम्हें पैसे मिलेंगे, क्योंकि मैं ने यह पैसे अपने फ्यूचर पार्टनर के लिए ही तो बचा कर रखे थे.’’

‘‘ओह, तो तुम्हें मुझ पर भी विश्वास नहीं है,’’ रवि खुद को मानवी की पकड़ से छुड़ाते हुए बोला, ‘‘क्या, मैं तुम्हें ऐसा लगता हूं जो तुम्हें धोखा दे कर भाग जाऊंगा?’’

‘‘सच, बहुत प्यारे लगते हो तुम, जबजब गुस्से में होते हो,’’ मानवी फिर से रवि से लिपटते हुए बोली, ‘‘मेरे जानेजिगर, अब जब तुम्हें अपना तनमन ही सौंप दिया तो भला शक की कैसी गुंजाइश?

‘‘मैं तो यह सोच रही थी कि अब जब शादी करनी ही है तो फिर देरी कैसी? इधर हमारी शादी हुई तो उधर मैं अपनी सारी जमापूंजी तुम्हें सौंप दूंगी,’’ मानवी रवि के आगोश में समाते हुए बोली.

इतना कह कर मानवी तो सो गई पर रवि बेचैनी से लगातार करवटें बदलता रहा था.

‘‘जल्दी से तैयार हो जाओ. हम लोग अभी मंदिर जा कर शादी करेंगे,’’ इतना कह कर रवि ने एक पैकेट उसे थमा दिया, जिस में एक प्यारी सी लाल साड़ी, लाल चूडि़यां और एक प्यारा सा महकता गजरा था.

‘‘पर रवि, इतनी भी क्या जल्दी है? थोड़ा समय दो मुझे,’’ मानवी चाय बनाते हुए बोली.

‘‘तुम लड़कियां न वाकई में कमाल हो. पहले तो जल्दीजल्दी की रट लगाती हो और फिर अगर तुम्हारी बात मान लो तो उस में भी तुम्हें प्रौब्लम होती है,’’ इतना कह कर रवि गुस्से में पैर पटकता हुआ बाहर चला गया.

वैसे मानवी को ये सब इतनी जल्दी होते देख अटपटा तो अवश्य लग रहा था पर अब शक की कोई गुंजाइश नहीं थी.

इसलिए वह सबकुछ भुला कर खुशीखुशी तैयार होने लगी थी. बीचबीच में उसे अपने घर वालों की याद भी आ रही थी पर फिर उस ने सोच लिया था कि वह शादी होते ही रवि को ले कर अपने घर जाएगी.

मानवी को दुलहन के रूप में देख कर पहले तो वे लोग अवश्य उस से गुस्सा होंगे पर फिर जल्दी ही मान भी जाएंगे, क्योंकि वह सभी की लाड़ली जो है.

‘‘वाह, क्या गजब ढा रही हो तुम दुलहन के रूप में, आज तो सब तुम पर फिदा हो जाएंगे,’’ रवि की इस चुटकी पर मानवी शरमा कर उस के गले जा लगी थी.

‘‘अरे सुनो, तुम्हारा बैंक भी तो मंदिर के रास्ते में ही पड़ता है न. ऐसा करना तुम अपनी चैकबुक भी रख लेना,’’ रवि कुछ सोचते हुए बोला.

‘‘तुम भी न, हर काम जल्दी में ही करते हो,’’ मानवी अपना मांगटीका ठीक करते हुए बोली, ‘‘वैसे मुझे कम से कम इतना तो बता दो कि तुम कौन सा काम शुरू करने वाले हो?’’

‘‘मैडम, यह सरप्राइज है तुम्हारे लिए. बस, यह समझ लो कि यह शादी का तोहफा होगा तुम्हारे लिए,’’ इतना कह कर उस ने मानवी का हाथ पकड़ा और फिर वे दोनों शादी करवाने वाली दुकान की तरफ बढ़ गए. वहां एक पंडित बैठा था. उस ने जल्दबाजी में रीतिरिवाज निबटा कर उन की शादी करवा दी और एक प्रमाणपत्र पकड़ा दिया. फिर लौटते समय मानवी ने बैंक से पैसे निकाल कर रवि को दे दिए.

पैसे मिलते ही रवि के रंगढंग बदल गए, इस का एहसास मानवी को हुआ तो जरूर पर फिर उस ने इसे वहम मान कर आगे बढ़ने में ही भलाई समझी.

मानवी कपड़े चेंज कर के अभी लेटी ही थी कि तभी रवि आ गया, ‘‘यह क्या जानेमन, आज तो सैलिब्रेशन की रात है और तुम इतनी सुस्त सी लेटी हो. दैट्स नौट फेयर माई लव,’’ इतना कह कर उस ने विदेशी शराब 2 गिलासों में उड़ेल दी.

वैसे तो मानवी थकी होने के कारण सोना चाहती थी पर वह रवि को परेशान भी तो नहीं कर सकती थी.

फिर वह तुरंत उठी और रवि के पास जा कर बैठ गई.

‘‘चीयर्स,’’ कह कर इधर दोनों के गिलास आपस में टकराए तो उधर एक अजीब सा उन्माद छा गया मानवी पर. फिर थोड़ी देर बाद उस की आंखें भारी होने लगीं और वह सो गई. अब जब आंखें खुलीं तो रवि का सारा सच उस के सामने आ गया था.

अभी वह इसी उहापोह में थी कि क्या करे? तभी उस के मोबाइल पर उस की सहेली रम्या का फोन आ गया.

‘‘क्या यार, 2 दिन से औफिस क्यों नहीं आई?’’ रम्या हंसते हुए बोली.

‘‘कुछ नहीं यार.’’

‘‘तू अभी बिजी है तो मैं बाद में कौल करती हूं,’’ रम्या ने चुटकी ली.

‘‘ऐसा कुछ नहीं है यार,’’ इतना कह कर मानवी रोने लगी.

‘‘तू रो मत, मैं अभी आती हूं,’’ फिर चिंतातुर रम्या सारा काम बीच में ही छोड़ कर मानवी के पास पहुंच गई.

मानवी की इतनी बुरी हालत देख कर रम्या भी सकते में आ गई. फिर मानवी ने भारी मन से रम्या को सबकुछ बता दिया.

‘‘मैं तो तुझे पहले ही समझाती थी कि मत पड़ इस लिव इन के चक्कर में, पर तब तो मैडम पर इश्क का भूत जो सवार था. लिव इन एक कच्चा रिश्ता होता है जो किसी को भी सुख नहीं देता,’’ रम्या गुस्से में बोले जा रही थी.

‘‘मैं तो आत्महत्या कर के अपना जीवन ही समाप्त कर दूंगी. आखिर किस मुंह से मैं सामना करूंगी अपने घर वालों का?’’ इतना कह कर मानवी फिर से रोने लगी.

‘‘आत्महत्या के बारे में सोचना भी मत,’’ यह कह कर रम्या मानवी को समझाने लगी, ‘‘देख मानवी, अब तक तो तू ने जो कुछ गलत किया सो किया पर अब संभल जा. रही बात तेरे परिवार वालों की, तो यह बात समझ ले कि हमारी लाख गलतियों के बावजूद जो हमें स्वीकार करता है, वह हमारा परिवार ही होता है.

‘‘तू शायद यह नहीं जानती थी कि अपने दोस्त तो हम चुनते हैं पर हमें हमारी फैमिली चुनती है.

‘‘शुरू में तो तेरे परिवार वाले तेरे शुभचिंतक होने के नाते तुझे अवश्य डांटेंगे, लेकिन फिर तुझे खुले मन से स्वीकार भी कर लेंगे.

‘‘आत्महत्या तो रवि को करनी चाहिए तूने तो उसे सच्चे दिल से चाहा था, पर दगाबाज तो वही निकला, जो तुझे आर्थिक, मानसिक व शारीरिक स्तर पर धोखा दे कर चंपत हो गया. वह शातिर तो तेरे पैसों पर ऐश कर रहा होगा और तू यहां रोरो कर बेहाल हो रही है.’’

फिर रम्या ने उस के आंसू पोंछे और उसे अपनी कार में बैठा कर डाक्टर के पास ले गई.

डाक्टर ने पहले मानवी का चैकअप किया और फिर थोड़े उपचार के बाद उसे कुछ दवाएं लिख दीं, जिन से मानवी को बहुत आराम मिला.

इसी बीच रम्या ने मानवी द्वारा बताए गए नंबर पर उस के घर वालों से संपर्क किया और उन्हें सारी बात बता दी.

फिर क्या था? शाम होते ही मानवी के घर वाले उसे लेने आ पहुंचे.

मानवी की मनोदशा उस की मां ने तुरंत भांप ली और उसे अपने प्यार भरे आंचल में समेट लिया. पर मानवी की गलतियों पर उस के बाबूजी ने उसे बहुत डांटा. फिर इस बात का एहसास होते ही कि मानवी को अपनी गलतियों का एहसास है, उन्होंने उसे माफ भी कर दिया.

मानवी अपने घर वालों के साथ अपने घर चली गई. रम्या उस की कार को जाते हुए तब तक देखती रही, जब तक  कार उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

एक तरफ जहां उसे अपनी सहेली से बिछुड़ना बहुत खल रहा था वहीं दूसरी तरफ उसे इस बात की बेहद खुशी थी कि चाहे देर से ही सही, उस की सहेली उसे उस मकड़जाल से बाहर निकालने में सफल हो गई थी, जिसे उस ने अपनी नासमझी से अपने इर्दगिर्द बुना था.

अब बस पापा: क्या पिता की हिंसा का जवाब दे पाई आशा

आशा का मन बहुत परेशान था. आज पापा ने फिर मां के ऊपर हाथ उठाया था. विमला, उस की मां 70 साल की हो चली थी. इस उम्र में भी उस के 76 वर्षीय पिता जबतब अपनी पत्नी पर हाथ उठाते थे. अभीअभी मोबाइल पर मां से बात कर के उस का मन आहत हो चुका था. पर उस की मजबूरी यह थी कि वह अपनी यह परेशानी किसी को बता नहीं सकती थी. अपने पति व बच्चों को भी कैसे बताती कि इस उम्र में भी उस के पिता उस की मां पर हाथ उठाते हैं.

मां के शब्द अभी भी उस के दिमाग में गूंज रहे थे, ‘बेटा, अब और नहीं सहा जाता है. इन बूढ़ी हड्डियों में अब इतनी जान नहीं बची है कि तुम्हारे पापा के हाथों से बरसते मुक्कों का वेग सह सकें. पहले शरीर में ताकत थी. मार खाने के बाद भी लगातार काम में लगी रहती थी. कभी तुम लोगों पर अपनी तकलीफ जाहिर नहीं होने दी. पर अब मार खाने के बाद हाथ, पैर, पीठ, गरदन पूरा शरीर जैसे जवाब दे देता है. दर्द के कारण रातरात भर नींद नहीं आती है. कराहती हूं तो भी चिल्लाते हैं. शरीर जैसे जिंदा लाश में तबदील हो गया है. जी करता है, या तो कहीं चली जाऊं या फिर मौत ही आ जाए ताकि इस दर्द से हमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए. पर दोनों ही बातें नहीं हो पातीं. चलने तक को मुहताज हो गई हूं.’

आशा मां के दर्द, पीड़ा और बेबसी से अच्छी तरह वाकिफ थी, लेकिन वह कर भी क्या सकती थी. मां को अपने घर ले आना भी तो समस्या का समाधान नहीं था, और आखिर कब तक मां को वह अपने घर रख सकती थी? अपनी घरगृहस्थी के प्रति भी तो उस की कोई जिम्मेदारी थी. ऊपर से भाइयों के ताने सुनने को मिलते, सो अलग. उस के दोनों भाई अपनीअपनी गृहस्थी में व्यस्त थे. अलग रह रहे मांबाप की भी कभीकभी टोह ले लिया करते थे.

वैसे तो बचपन से उस ने अपनी मां को पापा से मार खाते देखा था. घर के हर छोटेबड़े निर्णय पर मां की चुप्पी व पिता के कथन की मुहर लगते देखा था. वह दोनों के स्वभाव से परिचित थी. वह जानती थी कि सदा से ही घरगृहस्थी के प्रति बेपरवाह व लापरवाह पापा के साथ मां ने कितनी तकलीफें सही हैं और बड़ी मेहनत से तिनकातिनका जोड़ कर अपनी गृहस्थी बसाई व बच्चों को पढ़ालिखा कर काबिल बनाया. वरना पापा को तो यह तक नहीं मालूम था कि कौन सा बच्चा किस क्लास में पढ़ रहा है. वे तो अपनी मौजमस्ती में ही सदा रमे रहे.

उन दोनों के व्यक्तित्व व व्यवहार में जमीनआसमान का फर्क था. एक तरफ जहां मां आत्मविश्वासी, ईमानदार, मेहनती, कुशल और सादगीपसंद महिला थीं, वहीं दूसरी ओर उस के पिता मस्तमौला, स्वार्थी, लालची और रसिया किस्म के इंसान थे, जो स्थिति के अनुसार अपना रंग बदलने में भी माहिर थे. आज भी दोनों के व्यक्तित्व में इंचमात्र भी अंतर नहीं आया था. हां, शारीरिक रूप से अस्वस्थ व कमजोर होने के कारण मां थोड़ी चिड़चिड़ी अवश्य हो गई थीं. इसलिए अब जब भी उन के बीच वादविवाद की स्थिति बनती थी तो वे प्रत्युत्तर में पापा को बुराभला जरूर कहती थीं. यह बात पापा को कतई बरदाश्त नहीं होती थी. आखिर सालों से वे उन होंठों पर चुप्पी की मुहर देखते आए थे, सो, इस बात को हजम करने में उन्हें बहुत मुश्किल होती थी कि उन की पत्नी उन से जबान लड़ाती है. दोनों भाई भी यों तो मां को बहुत प्यार करते थे लेकिन उन की आपसी लड़ाई में अकसर पापा का ही पक्ष लिया करते थे.

आशा को मालूम था कि पिछली बार जब पापा ने मां पर हाथ उठाया था तो अत्यधिक आवेश व क्षोभ में मां ने भी उन का हाथ पकड़ कर उन्हें झिंझोड़ दिया था, और सख्त ताकीद की थी कि वे अब ये सब नही सहेंगी. तब आननफानन पापा ने सभी बच्चों को फोन लगा कर उन्हें उन की मां द्वारा की गई इस हरकत के बारे में बताया था. तब छोटे भैया ने घर पहुंच कर मां को खूब लताड़ लगाई थी और यह तक कह दिया था कि आप की बहू आप से सौ गुना अच्छी है, जो अपने पति से इस तरह का व्यवहार तो नहीं करती है. पता नहीं, पर शायद उन की भी पुरुषवादी सोच मां के इस कृत्य से आहत हो गई थी.

आशा को बहुत बुरा लगा था, आखिर इन मर्दों को यह क्यों नहीं समझ आता कि औरत भी हाड़मांस से बनी एक इंसान है, वह कोई मशीन नहीं जिस में कोई संवेदना न हो. उसे भी दर्द और तकलीफ होती है, वह भी कितना और कब तक सहे? और आखिर सहे भी क्यों?

भैया ने उस से भी फोन कर मां की शिकायत की थी, इस उद्देश्य से कि वह मां को समझाए कि इस उम्र में ये बातें उन्हें शोभा नहीं देतीं. बोलना तो वह भी बहुतकुछ चाहती थी, पर इस डर से कि बात कहीं और न बिगड़ जाए, सिर्फ हांहूं कर के फोन रख दिया था. काश, उस वक्त उस ने भी सचाई बोल कर भाई का मुंह बंद कर दिया होता, कि भैया, मां से तो आप की पत्नी की तुलना हो भी नहीं सकती है. क्योंकि न ही वे भाभी जैसे झूठ बोलने में यकीन रखती हैं और न अपना आत्मसम्मान कभी गिरवी रख सकती हैं. उन्होंने तो सदा सिर्फ अपनी जिम्मेदारियां ही निभाई हैं, बिना अपने अधिकारों की परवा किए. पर आप की पत्नी तो हमेशा से ही मस्त व बिंदास रही हैं, जबजब आप ने उन की मरजी के खिलाफ कोई भी काम किया है तबतब उन्होंने क्याक्या तांडव किए हैं, क्या आप को याद नहीं है? और अब जबकि आप उन की जीहुजूरी में हमेशा ही लगे रहते हो तो वे आप का विरोध करेंगी ही क्यों? भाभी की याद करतेकरते आशा के मुंह में जैसे कड़वाहट सी घुल गई.

विचारों के भंवर में इसी तरह गोते लगाती हुई आशा की तंद्रा दरवाजे की घंटी की आवाज से टूट गई. घड़ी की ओर निगाहें घुमा कर वह मन ही मन बुदबुदा उठी, ‘अब कैसे होगा काम, बच्चे आ गए, आज उस का सारा काम पड़ा हुआ है.’ भारी मन से उठते हुए उस ने दरवाजा खोला, तो चहकते हुए दोनों बच्चों ने घर में प्रवेश किया, ‘‘ममा, पता है, आज ड्राइंग टीचर को मेरी ड्राइंग बहुत अच्छी लगी, पूरी क्लास ने मेरे लिए क्लैप किया. टीचर ने मुझे टू स्टार्स भी दिए हैं. देखो,’’ नन्हीं परी ने मां को अपनी ड्राइंग शीट दिखाते हुए कहा.

‘‘ओहो, मेरी रानी बिटिया तो बड़ी होशियार है, आई एम प्राउड औफ यू,’’ कहते हुए उस ने नन्हीं परी को गले लगा लिया. परी अभी 7 साल की थी व दूसरी कक्षा में पड़ती थी. उस से बड़ा सौरभ था. जो कि 7वीं क्लास में पढ़ता था.

‘‘ममा, बहुत भूख लगी है, मेरे लिए पहले खाना लगा दो प्लीज,’’ सौरभ अपना बैग रखते हुए बोला.

‘‘ओके, बच्चो, आप फ्रैश हो कर आओ, तब तक मैं जल्दी से आप के लिए खाना परोसती हूं,’’ कह कर आशा किचन की तरफ चल दी. उस ने अभी तक कुछ भी खाने को नहीं बनाया था. बस, कामवाली काम कर के जा चुकी थी, लेकिन उस ने घर भी नहीं समेटा था. बच्चों की पसंद ध्यान में रखते हुए उस ने जल्दी से गरमागरम परांठे और आलू फ्राई बना कर सौस के साथ परोस दिया. बच्चों को खिलातेखिलाते भी उस के दिमाग में कुछ उधेड़बुन चल रही थी.

कुछ देर बाद उस ने दोनों बच्चों को तैयार कर अपनी पड़ोसिन सीमा के पास छोड़ा. और खुद सीधा अपनी मां के घर चल दी. वहां पहुंच कर पता चला कि पापा कहीं बाहर गए हैं. मां की हालत देख उस की रुलाई फूट पड़ी, पर अपने आंसुओं को जब्त कर वह बड़े ही शांत स्वर में बोली, ‘‘मां, चलो तैयार हो जाओ, हमें पुलिस स्टेशन चलना है.’’

‘‘लेकिन बेटा, एक बार और सोच

ले. अभी बात ढकी हुई है, कल को आसपड़ोस, समाजबिरादरी, नातेरिश्तेदारों तक फैल जाएगी. लोग क्या कहेंगे? बहुत बदनामी होगी हमारी. सब क्या सोचेंगे?’’ मां ने कुछ अनुनयपूर्वक कहा.

‘‘जिस को जो सोचना है सोच ले, मगर अब मैं आप को और जुल्म सहने नहीं दूंगी. मां, तुम समझती क्यों नहीं हो, जुल्म सहना भी एक बहुत बड़ा अपराध है और आज तक आप सब सहती आई हो. आप की इसी सहनशीलता ने पापा को और प्रोत्साहित किया. मगर अब, पापा को यह बात समझनी ही होगी कि आप पर हाथ उठाना उन के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है.’’

मां को तैयार कर आटो में उन का हाथ थाम कर उन के साथ बैठती आशा ने जैसे मन ही मन ठान लिया था, अब बस, पापा.

क्या परमानैंट नेलपौलिश करवाना सही है, इसका कोई नुकसान तो नहीं है?

सवाल

मैं जब भी मैनीक्योर कराने जाती हूं तो मुझे परमानैंट नेलपौलिश की सलाह दी जाती है. क्या यह सेफ है?

जवाब

जी हां परमानैंट या जैल नेलपौलिश लगाना काफी सेफ है क्योंकि इस में जैल से नेलपौलिश लगाई जाती है और उसे मशीन से सैट किया जाता है. यह नेलपौलिश जल्दी से उतरती नहीं है. इसलिए एक तो हर वक्त खूबसूरत लगती है  और दूसरा जो जनरल नेलपौलिश चिपचिप होती है वह ज्यादातर आप के या आप के बच्चों के खाने में जाती है क्योंकि यह चिप नहीं होती तो आप के लिए सेफ बनी रहती है.

दूसरा यह काफी दिनों तक टिकती है. 1 से डेढ़ महीने तक चल जाती है. एक बात और है जिस की हमें गलतफहमी रहती है कि एक बार परमानैंट नेलपौलिश लगा दी जाए तो उस के ऊपर कलर बदला नहीं जा सकता. हमें आदत होती है कि जब भी हम कहीं जाते हैं तो हम नेलपौलिश बदलना चाहती हैं.

आप चाहें तो इस जैल नेलपौलिश के ऊपर दूसरी लगा सकती हैं. उसे उतार भी सकती हैं. नीचे की टिकी रहेगी.

ध्यान रखने की बात यह है कि जब भी आप परमानैंट नेलपौलिश लगवाएं तो किसी ऐक्सपर्ट से लगवाएं क्योंकि इसे लगाने से पहले नेल्स को ब्फ किया जाता है. ज्यादा बफिंग करने से नेल्स वीक हो जाते हैं.

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सवाल

मेरा रंग तो गोरा है पर मेरी गरदन का कलर काफी डार्क रहता है. कोई भी ज्वैलरी पहनती हूं तो अच्छी नहीं लगती. बताएं क्या करूं?

जवाब

आप अपनी गरदन को सब से पहले ब्लीच कर लें. कुछ हद तक उस का रंग ठीक हो जाएगा. उस के बाद नियमित स्क्रब करें. स्क्रब बनाने के लिए फ्रैश ऐलोवेरा का जैल निकाल लें और उस में चीनी डाल कर उस से अपनी

गरदन पर रोज मसाज करें. उस के बाद उसे सूखने दें. सूखने के बाद धो लें. ऐसा करने से 15 दिन में आप की गरदन का कलर पहले से बैटर हो जाएगा. जब भी घर से बाहर जाएं अपने फेस के साथसाथ गरदन पर भी या जितना हिस्सा दिखता है उस पर सनस्क्रीन जरूर लगा कर जाएं.

-समस्याओं के समाधान

ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा 

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आलिया- अनुष्का से लेकर शिल्पा शेट्टी तक, क्या है इन 4 सैलिब्रिटी मौम्स की खूबसूरती का राज

बच्चे के जन्म के साथ ही औरत की जिंदगी कई मानों में बदल जाती है. चाहे उस का सोचने का नजरिया हो या फिर बात अपीयरैंस की हो, फिजिकल. अधिकतर महिलाएं पोस्ट डिलिवरी वजन बढ़ने से परेशान रहती हैं. इस मोटापे से तो हमारी खूबसूरत सैलिब्रिटिज भी नहीं बच सकी हैं. मगर सवाल यहां यह है कि पोस्ट डिलिवरी सैलिब्रिटिज बेहद कम वक्त में अपनी पहली जैसी छरहरी काया हासिल कर लेती हैं.

लेकिन कैसे? आप के इसी सवाल का जवाब आज हम देंगे कि कैसे करीना कपूर से ले कर अनुष्का शर्मा, शिल्पा शेटी, सोनम कपूर, आलिया तक कैसे फैट लौस में कामयाब हुई हैं.

  1. घर का खाना खाना है करीना को पसंद

20 दिसंबर, 2016 को करीना ने तैमूर और 21 फरवरी, 2021 को अपने दूसरे बेटे जेह को जन्म दिया. इन दोनों ही जर्नी में करीना ने अपनी अपीयरैंस को ले कर लोगों को खासा प्रभावित किया है. बहरहाल करीना ने पहली प्रैगनैंसी के दौरान काफी वजन बढ़ा लिया था, बावजूद इस के करीना ने अपने मनोबल को टूटने नहीं दिया और 18 महीने में अपनी बौडी को रिकवर किया.

करीना का मानना है कि सादा और स्वच्छ खाना, हलका व्यायाम और वाकिंग से वजन कम किया जा सकता है. लेकिन इस में कोई जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. आप धीरेधीरे अपने वजन को नियंत्रित करने के ओर कदम बढ़ाएं. इस दौरान महिलाएं कम कार्बोहाइड्रेट का सेवन करने लग जाती हैं ताकि जल्दी वजन कम हो, लेकिन करीना ने धीरेधीरे अपनी डाइट को पोषण से भर कर तब अपना वजन कम किया है. करीना कई बार मंच से अपनी फिटनैस का श्रेय अपनी खानपान की आदतों को देती हैं.

सैलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट रुतुजा दिवेकर करीना के साथ लंबे अरसे से जुड़ी हुई हैं. वे बताती हैं कि करीना ने सिर्फ घर के बने खाने और मौसमी फलसब्जियों के जरीए ही हैल्दी प्रैगनैंसी और पोस्ट प्रैगनैंसी वजन को नियंत्रित किया है.

प्रैगनैंसी और पोस्ट प्रैगनैंसी के वक्त करीना ने दाल हो या चावल सब चीजों में घी का तड़का जरूर लगाया है और वे अपने दोनों बच्चों के खाने में भी देशी घी का इस्तेमाल जरूर करती हैं. करीना को ऐक्सपोर्टेड फल और सब्जियों से ज्यादा मौसमी फल, दहीचावल, ज्वार, मक्का, गेहूं के आटे की रोटी, लौकी, करेले, दाल आदि बहुत पसंद हैं.

करीना परांठों से भी परहेज नहीं करतीं, बस उनका कहना है कि आप जो खा रहे हैं उस की मात्रा नियंत्रित करें. रुतुजा का कहना है कि सब से पहले आप सोचिए आप को कितनी भूख है और अपनी प्लेट में क्या रखना चाहते हैं उस के बाद अपनी सोच से आधा खाना प्लेट में रखें और दोगुना वक्त ले कर धीरेधीरे चबा कर खाएं. मान लीजिए आप 5 मिनट में खाना खाते हैं तो 10 मिनट में उसे खत्म करें.

करीना को पावर योगा और हौट योगा भी काफी पसंद है. इस के साथ ही वे वाकिंग को अपने लिए जरूरी मानती हैं.

2. न्यू सैलिब्रिटी मौम आलिया हैं सब की फैवरिट

प्रैगनैंसी के दौरान क्यूट बेबीबंप फ्लौंट करना हो या पोस्ट प्रैगनैंसी एरियल योगा कर वेट लौस, हर अवतार में आलिया लोगों को काफी पसंद आ रही हैं. 6 नवंबर, 2022 को ऐक्ट्रैस ने अपनी बेटी राहा कपूर को जन्म दिया और उस के बेहद कम वक्त बाद ही वे एरियल योगा और सही डाइट से पहले की तरह फिट नजर आ रही हैं.

 

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आप को हैरानी होगी लेकिन करीना की तरह ही आलिया भी घर का खाना बेहद पसंद करती हैं. चुकंदर तड़का दही इनका मनपसंद है जिसे वे अपनी डाइट में शामिल करना नहीं भूलतीं. आलिया घर की बनी रोटीसब्जी, दालचावल खाना बेहद पसंद करती हैं और उन्हें भी खाने में देशी घी का तड़का बेहद पसंद है. बहरहाल आलिया रोज एक जैसा खाना न खा कर अपने खाने में वैरायटी लाना नहीं भूलतीं और न ही वे अपना कोई मील स्किप करती हैं. बस कंट्रोल पोर्शन और घर के बने सिंपल खाने से ही उन्होंने अपना वजन कम किया है.

हालांकि स्नैक्स क्रेविंग को कम करने के लिए अनुष्का नीबू पानी में केसर मिला कर पीती हैं. वर्कआउट के बाद आलिया पैक्ड जूस के बदले फ्रैश निकाला हुआ गन्ने का जूस पीना पसंद करती हैं. रोजाना ब्रेकफास्ट में भी आलिया किसी न किसी वैजिटेबल जूस को जरूर शामिल करती हैं. बौडी को हाइड्रेट रखने के लिए वे रोजाना कम से कम 2-3 लिटर पानी जरूर पीती हैं.

3. 1 महीने में फैट टू फिट हो गई थीं अनुष्का

अभिनेत्री अनुष्का शर्मा ने प्रैगनैंसी के दौरान कठिन योगाभ्यास की तसवीरें शेयर कर लोगों को हैरान कर दिया था, लेकिन उस से भी ज्यादा लोगों को अनुष्का की पोस्ट प्रैगनैंसी वेट लौस जर्नी देख कर हैरानी हुई है. उन्होंने मात्र 1 महीने में अपनी पहले जैसी छरहरी काया को हासिल कर लिया था. उन की न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि अच्छी नींद किसी की भी वेट लौस जर्नी में काफी अहम भूमिका निभाती है

 

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बहरहाल मां बनने के बाद भरपूर नींद लेना किसी सपने जैसा लगता है, लेकिन जैसे ही आप का बच्चा  सोए, आप भी उसके साथ ?ापकी लें. यह आप की स्किन, मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य के लिए बेहतर होगा और इस से आप की रिकवरी भी जल्दी होगी तथा ऐनर्जी भी मिलेगी.

इस के अलावा बच्चे को सही पोस्चर में पकड़ना, स्तनपान करवाते समय कमर के पीछे तकिया लगाना ताकि बैकपेन न हो, इस की सलाह अनुष्का की न्यूट्रिशनिस्ट देती हैं. प्रैगनैंसी फैट को घटाने के लिए अनुष्का शर्मा ने संतुलन बढ़ाने वाली ऐक्सरसाइज का सहारा लिया. उन के लिए मैडिटेशन और डीप ब्रीदिंग ऐक्सेरसाइज भी मददगार साबित हुई हैं. इस से पोस्टपार्टम डिप्रैशन से राहत पाने में भी मदद मिलती है.

4. शिल्पा हैं नई मांओं के लिए प्रेरणा

शिल्पा शेट्टी का नाम आते ही हमारे सामने बहुत ही फिट अदाकारा की छवि बन जाती है. लेकिन मदरहुड की जर्नी में शिल्पा भी मोटापे का शिकार हुई हैं. उन के अनुसार वे अपने बेटे के जन्म के बाद इतनी मोटी हो गई थीं कि उन्हें उन का कोई कपड़ा फिट नहीं होता था और उन्हें घर से बाहर निकलने में भी शर्म आती थी.

उन्होंने बेटे वियान के जन्म के बाद 32 किलोग्राम वजन बढ़ा लिया था, लेकिन सिर्फ 4 महीनों की कड़ी मेहनत और हैल्दी खानपान के जरीए उन्होंने वापस अपनी बौडी को पहले की शेप में कर लिया.

-सोनिया राणा डबास      

एक हसीना एक दीवाना: भाग 3- क्या रंग लाया प्रभात और कामिनी का इश्क ?

आज अचानक कामिनी खुद ही उस के पास आ गई. शाम के साढ़े 5 बजे प्रभात की छुट्टी हुई, तो वह कामिनी के पास गया. कामिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘अब चलें?’’

‘‘हां, चलो.’’ बैंक से कुछ ही कदम पर कामिनी का घर था. पैदल चलतेचलते प्रभात ने पूछा, ‘‘रिजल्ट आने के बाद तुम मुझ से शादी करने वाली थीं, फिर मुझे बिना बताए घर से चली क्यों गई थीं?’’

‘‘तुम तो जानते ही थे कि मैं अपने पैरों पर खड़ी होने के बाद ही शादी करना चाहती थी. उस दिन तुम मेरे साथ जिस्मानी हरकत करने पर उतारू हो गए थे, इसलिए मुझे तुम से झूठा वादा करना पड़ा था. ‘‘मैं जानती थी कि रिजल्ट आने के बाद शादी के लिए तुम मुझ पर दबाव डालोगे, इसलिए रिजल्ट निकलने के कुछ दिन बाद ही अपने मामा के पास मुंबई चली गई थी. मेरे मामा वहां एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते हैं.

‘‘मामा के पास रह कर ही मैं ने नौकरी पाने की कोशिश की, तो 7-8 महीने बाद मुझे प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई. पर पोस्टिंग मुंबई में न हो कर कोलकाता हुई. तब से मैं कोलकाता में ही हूं.’’ बात करतेकरते कामिनी घर पहुंच गई. दरवाजा बंद था. ताला खोलने के बाद कामिनी बोली, ‘‘तुम्हारी पूर्व प्रेमिका के घर में तुम्हारा स्वागत है.’’

‘‘पूर्व क्यों? आज भी तुम मेरी प्रेमिका हो. तुम्हारे सिवा किसी और के बारे में मैं सोच भी नहीं सकता. जब तक मैं तुम्हें पा नहीं लूंगा, तब तक मुझे चैन नहीं मिलेगा,’’ कहते हुए प्रभात अंदर आ गया. ‘‘ऐसी बात है, तो आज मैं पहले तुम्हारी चाहत पूरी करूंगी, उस के बाद कोई बात करूंगी.’’

दरवाजा अंदर से बंद करने के बाद प्रभात की आंखों में आंखें डाल कर कामिनी बोली, ‘‘तुम बैडरूम में जा कर मेरा इंतजार करो. मैं कपड़े बदल कर जल्दी आती हूं.’’ ‘‘मतलब, शादी से पहले ही तुम अपना सबकुछ मुझे सौंप दोगी?’’

‘‘हां,’’ कामिनी चुहलबाजी करते हुए बोली. यह सुन कर प्रभात हैरान था. कामिनी में हुए बदलाव की वजह वह समझ नहीं पा रहा था.

प्रभात को हैरत में देख कामिनी मुसकराते हुए बोली, ‘‘आज मैं तुम्हारी चाहत पूरी कर देना चाहती हूं, तो तुम्हें हैरानी हो रही है?’’ ‘‘हैरानी इसलिए हो रही है कि पहले मैं कभीकभी तुम्हें चूम लेता था, तो तुम यह कह कर डांट देती थीं कि शादी से पहले यह सब करोगे, तो मिलनाजुलना तो दूर बात करना भी बंद कर दूंगी, फिर अचानक आज तुम ने अपना सबकुछ मेरे हवाले करने का मन कैसे बना लिया?’’

‘‘तुम ने अब तक शादी नहीं की और न ही मेरी तलाश बंद की. इसी वजह से तुम पर मेरा प्यार उमड़ पड़ा है. वैसे, तुम नहीं चाहते हो, तो कोई बात नहीं है. हम यहीं बैठ कर बात कर लेते हैं,’’ कामिनी बोली. प्रभात हाथ आए मौके को गंवाना नहीं चाहता था. पता नहीं, कामिनी का मन कब बदल जाए, इसलिए उस ने झट से कह दिया, ‘‘मैं क्यों नहीं चाहूंगा. तुम्हें पाने के लिए ही तो मैं 3 साल से दरदर भटक रहा था. तुम बताओ कि बैडरूम किधर है?’’

‘‘चलो, मैं साथ चलती हूं,’’ कामिनी के साथ प्रभात बैडरूम में चला गया. वह उसे बांहों में भर कर उस के गालों व होंठों को दीवानों की तरह चूमने लगा. कामिनी उसे सहयोग करने लगी. प्रभात की बेकरारी बढ़ गई, तो उस ने कामिनी के सारे कपड़े उतार दिए.

मंजिल पर पहुंच कर सांसों का तूफान जब थम गया, तो प्रभात ने कहा, ‘‘तुम्हें पा कर आज मेरा सपना पूरा हो गया कामिनी.’’ ‘‘यही हाल मेरा भी है प्रभात. तुम्हारा हक तुम्हें दे कर कितनी खुशी मिली है, यह मैं बता नहीं सकती.’’

‘‘ऐसी बात है, तो तुम मुझ से शादी कर लो. अब मैं तुम से जुदा नहीं रह सकता.’’ ‘‘मैं भी अब कहां तुम से जुदा रहना चाहती हूं. मैं खुद तुम से शादी करना चाहती हूं, मगर इस में एक अड़चन है.’’

‘‘कैसी अड़चन?’’ ‘‘दरअसल, बात यह है कि मैं प्राइवेट नौकरी से खुश नहीं हूं. नौकरी छोड़ कर मैं खुद की एक फैक्टरी लगाना चाहती हूं. इस के लिए मैं ने एक जगह भी देख रखी है. बस, मुझे पैसों की जरूरत है.

‘‘मैं लोन मांगने के लिए ही बैंक गई थी. वहां तुम मुझे मिल गए. अब अगर तुम मेरी मदद कर दोगे, तो मुझे जरूर लोन मिल जाएगा.’’ ‘‘कितना लोन चाहिए?’’

‘‘कम से कम 5 करोड़ का.’’ ‘‘5 करोड़? तुम पागल हो गई हो क्या? बिना गारंटर के कोई भी बैंक इतनी बड़ी रकम नहीं देता.’’

‘‘क्या तुम मेरे लिए गारंटर बन नहीं सकते?’’ ‘‘मतलब?’’

‘‘मतलब यह कि बैंक में गारंटर के कागजात ही तो दिखाने हैं. वे तुम नकली बना लो. तुम बैंक में काम करते ही हो. तुम्हारे लिए ऐसा करना कोई मुश्किल नहीं होगा.’’ बात करतेकरते अचानक कामिनी ने प्रभात को बांहों में भर लिया और बोली, ‘‘तुम मुझे लोन दिला दोगे, तो मैं फिर कभी तुम से कुछ नहीं मांगूंगी.’’

प्रभात चिंता में पड़ गया. प्रभात को परेशान देख कामिनी बोली, ‘‘अगर तुम लोन नहीं दिलाना चाहते हो, तो कोई बात नहीं. मैं यह समझ कर अपने दिल को समझा लूंगी कि तुम्हें मुझ से नहीं, मेरे जिस्म से प्यार था. मेरा जिस्म पाने के बाद तुम ने मुझ से किनारा कर लिया.’’

प्रभात ने मन ही मन तय किया कि वह हर हाल में बैंक से कामिनी को लोन दिला कर यह साबित कर देगा कि वह उस के जिस्म का नहीं, बल्कि उस के प्यार का भूखा है. उस ने नकली गारंटर बनने का फैसला किया. बैंक में अकसर ऐसा किया जाता है, जब पैसा महफूज हो. प्रभात ने ऐसा किया भी. नकली गारंटर बना कर 2 महीने में उस ने कामिनी को बैंक से 5 करोड़ रुपए का लोन दिला दिया.

5 करोड़ रुपए पा कर कामिनी की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. 2 महीने तक तो ठीक रहा, पर उस के बाद प्रभात के ऊपर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. कामिनी प्रभात से कम मिलने लगी. लोन का ब्याज नहीं आ रहा था. सारा पैसा निकाल लिया गया था.

कामिनी को लोन दिलाने के 4 महीने बाद बैंक के अफसरों को सचाई का पता चल गया. नतीजतन, प्रभात को नौकरी से हाथ धोना पड़ा. उस पर मुकदमा चला सो अलग. एक दिन प्रभात ने कामिनी से शादी करने के लिए कहा, तो उस ने शादी करने से साफ मना कर दिया. कामिनी ने कहा, ‘‘आज मैं तुम्हें एक सचाई बता रही हूं…’’

‘‘क्या?’’ प्रभात ने पूछा. ‘‘सचाई यह है कि मैं ने तुम्हें कभी प्यार ही नहीं किया. दरअसल, मैं प्यारमुहब्बत में यकीन नहीं करती. कालेज लाइफ में तुम मेरे आगेपीछे घूमने लगे थे, तो टाइम पास के लिए मैं ने तुम्हारा साथ दिया था, पर तुम से प्यार नहीं किया था.

‘‘दरअसल, मेरी मंजिल रुपए कमाना है. होश संभालते ही मैं भरपूर दौलत की मालकिन बनने का सपना देखने लगी थी. सपना पूरा करने के लिए मैं कुछ भी करगुजरने के लिए तैयार थी. इस के लिए मैं कोई शौर्टकट रास्ता ढूंढ़ रही थी कि बैंक में तुम मिल गए और मुझे रास्ता दिखाई पड़ गया. ‘‘मुझे तुम से जो पाना था, मैं पा चुकी हूं. अब तुम्हारे पास मुझे देने के लिए कुछ भी नहीं बचा है. तुम मुझ से जो चाहते थे, मैं भी वह तुम्हें दे चुकी

हूं, इसलिए अब हम दोनों के बीच कुछ नहीं रहा. ‘‘तुम से कमाए पैसों से मैं अपनी जिंदगी संवार लूंगी. तुम भी अपनी जिंदगी के बारे में सोचो, अब तुम मुझ से कभी मिलने की कोशिश मत करना.’’

प्रभात यह सुन कर हैरान रह गया. कोई हसीना इतनी खतरनाक भी हो सकती है, वह नहीं जानता था. अब कामिनी से कोई बात करना बेकार था, इसलिए प्रभात चुपचाप उस के घर से बाहर आ गया. कामिनी से उस का मोह भंग हो गया था और वह जल्दी अपने घर लौट जाना चाहता था.

लेखक- राम महेंद्र राय

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