बिगड़ी फिगर ऐसे सुधारें

फैट इकट्ठा करना हमारी बौडी की टैंडैंसी है और जैसेजैसे उम्र बढ़ती है यह टैंडैंसी बढ़ती जाती है क्योंकि बौडी का मैटाबोलिक रेट कम होने लगता है. लड़कियों में 16 साल की उम्र के बाद फैट तेजी बढ़ने लगता है और अगर खानपान रिच है और जिंदगी में बहुत भागदौड़ नहीं है तो 2 साल भी नहीं लगते कमर को कमरा बनने में. लड़कियों में फैट का पहला टारगेट हिप्स, कमर व गरदन होती है. स्लिमट्रिम लड़की को तकरीबन 6 किलोग्राम वेट बढ़ जाने के बाद पता चलता है कि उस का वेट बढ़ गया है, क्योंकि यह पूरी बौडी में फैला होता है. हम लोग फैट को सिर्फ अपनी कमर पर महसूस करते हैं, जबकि कमर की मोटाई दिखने से पहले फैट बौडी पर लेयर बना चुका होता है. अपनी बौडी को ले कर अगर आप गंभीर हैं तो लंबे समय तक अपनी फिगर को संभाल सकती हैं. अगर आप समय रहते खुद के लिए कुछ नियमकानून बना लेंगी, तो आगे चल कर पछतावा, कड़ी मेहनत व कड़ा परहेज जैसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ेगा. यह बात किसी से नहीं छिपी है कि फिजिकल ऐक्टिविटी और खानेपीने पर कंट्रोल ही आप को बेडौल होने से बचा सकता है. लेकिन फिर भी कुछ उपाय ऐसे हैं, जो मोटापे की दहलीज पर पहुंचे लोगों को वापस पीछे खींच सकते हैं और फिगर को बिगड़ने से बचा सकते हैं.

ये आदत डालें

सोने से पहले गरम पानी पीने की आदत डालें. यह आदत पड़ गई तो आप के बड़े काम आएगी. अगर पानी से बोरियत हो तो उस में थोड़ा नीबू निचोड़ लें व 1 कालीमिर्च पीस कर डाल लें.

हफ्ते में 1 दिन उपवास रखें. उपवास के दिन केवल फल खाएं.

सुबह फ्रैश होने के बाद व्यायाम जरूर करें.

गेहूं की रोटी के बजाय जौ, चने की रोटी खाएं. इस के लिए 10 किलोग्राम चने में 2 किलोग्राम जौ डलवा कर पिसवा लें.

खाने के तुरंत बाद पानी पीने की आदत बिलकुल छोड़ दें. अगर तेज प्यास लगे तो 1-2 घूंट पानी पीने में कोई बुराई नहीं. वैसे खाने के 1 घंटे बाद ही पानी पीएं.

खाने से पहले 1 कटोरी सब्जियों का सूप पीने की आदत डालें.

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अगर पेट की चरबी बढ़ गई हो

पेट की बढ़ी चरबी बिना ऐक्सरसाइज किए नहीं जाती. उस में भी सिर्फ कमर की ऐक्सारसाइज करने से कमर पतली नहीं होती. कसरत तो आप को पूरी बौडी की करनी होगी. अगर आप ऐक्सरसाइज और डाइट पर ध्यान दे रही हैं, तो पेट की सेंक कुछ हद तक आप की मदद कर सकती है. इस के लिए पतीले में पानी भर कर गरम होने को रख दें. इस में 1 चम्मच नमक और 1 चम्मच अजवायन भी डालें. जब पानी खौलने लगे तो पतीले के ऊपर कोई जाली या आटा चालने वाली लोहे वाली चलनी रख दें. अब भिगो कर निचोड़े हुए 2 छोटे तौलिए उस जाली पर रख दें. फिर 1-1 कर के दोनों तौलियों से अपनी नाभि के ऊपर वाले हिस्से की 10 से 15 मिनट सेंकाई करें. आप रात को सोने से पहले या सुबह के वक्त यह काम कर रोज कर सकती हैं.

मम्मी के कहे का क्या करें

मांएं हमेशा यह कहती हैं कि घीमक्खन खाना चाहिए. यह बात तब तो बिलकुल वाजिब है जब आप बाहर तला हुआ नहीं खातीं. लेकिन बाहर भी सब चल रहा है तो घर में परहेज बरतना होगा. अगर मां जिद करें तो सुबह के वक्त थोड़ा घीमक्खन लेने में कोई बुराई नहीं. कुल मिला कर बात यह है कि आप को खुद तय करना होगा आप बौर्डर लाइन पर हैं, उस के आगे या उस से कई कदम पीछे. फिर उसी हिसाब से योजना बनानी होगी. अपना बीएमआई यानी बौडी मास इंडैक्स जरूर चैक करें. इस से आप को आगे की योजना बनाने में मदद मिलेगी.

जरूरी बात

अगर आप तली हुई चीजों से परहेज नहीं कर रही हैं, तो इन में से कोई भी उपाय आप के काम नहीं आने वाला. यह बात तो स्वाभाविक रूप से समझनी चाहिए कि फास्ट फूड और तला खाना मोटापे की पहली वजह है. इन पर काबू किए बिना फिगर के बारे में सोचना बड़ा मुश्किल है.

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इन 25 बीमारियों से बचाएगी ग्रीन टी, पढ़ें खबर

ग्रीन टी अपने स्वास्थ्यवर्धक गुणों के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध होती जा रही है. ग्रीन टी के प्रयोग से विभिन्न बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सकता है. यहां हम बता रहे हैं कि ग्रीन टी कौनकौन सी बीमारी में किसकिस तरह सहायक होती है और उस में कौनकौन से लाभदायक तत्त्व होते हैं.

1. कैंसर

इस के अंदर पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट कैंसर का जोखिम को कम करने के लिए विटामिन सी के मुकाबले 25 गुणा और विटामिन बी के मुकाबले 100 गुना ज्यादा प्रभावकारी होते हैं. ये ऐंटीऔक्सीडैंट आप के शरीर के सैल्स को डैमेज होने से बचाए रखते हैं, जिस से कैंसर से बचाव होता है.

2. हृदयरोग

ग्रीन टी कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम कर के हृदयरोगों और स्ट्रोक्स से होने वाले जोखिम को भी कम करने में सहायक है. यहां तक कि हार्टअटैक के बाद मृत पड़े हार्ट सैल्स को रिकवर कर दूसरे हार्ट सैल्स के संरक्षण में भी मदद करती है.

3. ऐंटीएजिंग

ग्रीन टी में पोलीफिनोल्स नामक ऐंटीऔक्सीडैंट होते हैं, जो फ्री रैडिकल्स से लड़ने की क्षमता रखते हैं. इस का अर्थ यह है कि ग्रीन टी बढ़ती उम्र से लड़ने में सहायक होती है और आप को ज्यादा समय तक जवां बनाए रखती है.

4. वेट लौस

शरीर से फैट बर्न कर के वजन को नियंत्रित करने में भी ग्रीन टी सहायक होती है. यह ऐक्स्ट्रा फैट को बर्न करने में भी मदद करती है और मैटाबोलिक रेट को प्राकृतिक तरीके से बढ़ाती है. यह एक दिन में शरीर से 70 कैलोरी तक बर्न करने की क्षमता रखती है.

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5. त्वचा

ग्रीन टी में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट त्वचा को फ्री रैडिकल्स के हानिकारक दुष्प्रभावों से भी संरक्षित रखते हैं. त्वचा पर आई झुर्रियों और ढलती उम्र में त्वचा पर होने वाले प्रभाव इन्हीं फ्री रैडिकल्स के कारण उत्पन्न होते हैं.

6. आर्थराइटिस

ह्यूमेटायड आर्थराइटिस के जोखिम को भी ग्रीन टी कम करती है और इस के दुष्प्रभावों से बचाव करती है. यह शरीर के ऐंजाइम्स को ब्लाक कर के कार्टिलेज को संरक्षित रखती है. ये ऐंजाइम कार्टिलेज को कमजोर बना कर उन्हें नष्ट करते हैं.

7. बोंस (हड्डियां)

ग्रीन टी का फ्लूअराइड नामक तत्त्व हड्डियों को मजबूत बनाने में सहायक होता है. यदि आप प्रतिदिन ग्रीन टी पीते हैं, तो यह आप के शरीर में हड्डियों की डैंसिटी (स्थिरता) को बरकरार रखती है.

8. कोलेस्ट्रौल

यह कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम करने में सहायक है. यह बुरे कोलेस्ट्रौल के स्तर को कम कर के अच्छेबुरे कोलेस्ट्रौल के अनुपात को भी नियंत्रित करती है.

9. ओबेसिटी

फैट सैल्स में ग्लूकोज की बढ़ती सक्रियता को रोक कर ओबेसिटी पर भी ग्रीन टी नियंत्रण रखती है.

10. डायबिटीज

ग्रीन टी लिपिड प्रोफाइल को बेहतर बनाती है. ग्लूकोज मैटाबोलिज्म रेट में शुगर लैवल को बढ़ने से रोकता है और शरीर के मेटाबोलिक रेट को भी नियंत्रित करता है.

11. अलजाइमर

ग्रीन टी आप की मैमोरी को बढ़ाने में भी मदद करती है. हालांकि यह अलजाइमर से बचाव नहीं करती, लेकिन यह ब्रेन में मौजूद एसेटिलकोलिन नामक तत्त्व की सक्रियता को कम करने में मदद करती है. यह तत्त्व ही अलजाइमर होने के मुख्य कारण बनता है.

12. पार्किंसन

ग्रीन टी में पाए जाने वाले ऐंटीऔक्सीडैंट मस्तिष्क में होने वाले सैल डैमेज से बचाव में मदद करती है. यह डैमेज पार्किंसन होने की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका निभाता है.

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13. लीवर डिजीज

रिसर्च से पता चलता है कि ग्रीन टी शरीर की फैटी लीवर में मौजूद हानिकारक फ्री रैडिकल्स को नष्ट कर देती है. यह लीवर फेल होने के कारणों से बचाव कर के ट्रांसप्लांट के जोखिम को भी कम करती है.

14. हाई ब्लडप्रैशर

यह हाई ब्लडप्रैशर से बचाव में मदद करती है. ग्रीन टी पी कर ब्लडप्रैशर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. यह एंगोएटेनसिन पर दबाव बनाए रखती है, जिस से ब्लडप्रैशर पर नियंत्रण बना रहता है.

15. फूड पौइजनिंग

इस में पाया जाने वाला कैटेचिन नामक तत्त्व शरीर के उन बैक्टीरिया को नष्ट कर देता है, जो फूड पौइजनिंग की वजह बनते हैं. साथ ही, यह उन टौक्ंिसस को भी नष्ट करती है, जो इन बैक्टीरिया के कारण पनपते हैं.

16. ब्लड शुगर

यों तो बढ़ती उम्र के साथ शरीर में ब्लड शुगर लैवल बढ़ने की प्रवृत्ति होती है, लेकिन ग्रीन टी में पाए जाने वाले पौलीफिनोल्स ब्लड शुगर लैवल को कम करने में मदद करते हैं.

17. इम्यूनिटी

ग्रीन टी में मौजूद पोलीफिनोल्स और फ्लेवनौइड्स शरीर के इम्यून सिस्टम को बेहतर बनाने में मदद करते हैं.

18. कोल्ड और फ्लू

इस में मौजूद विटामिन सी सामान्य कोल्ड और फ्लू से लड़ने में मदद और शरीर को अन्य बीमारियों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है.

19. अस्थमा

ग्रीन टी मसल्स को रिलैक्स करती है, इस से अस्थमा अटैक की तीव्रता में भी कमी आती है.

20. ईयर इन्फैक्शन

ग्रीन टी कानों में होने वाले इन्फैक्शन से भी बचाव करती है. रुई के फाहे को ग्रीन टी में भिगो कर उस से संक्रमित कान की सफाई करें. यह गंदगी को भी साफ कर देगा और कीटाणु भी नहीं पनपने देगा.

21 हरपीज

ग्रीन टी हरपीज के विशेष ट्रीटमैंट टौपिकल इंटरफेरन ट्रीटमैंट के प्रभाव को और अधिक बढ़ाने में मदद करती है. इस ट्रीटमैंट से पहले यह संक्रमित हिस्से पर दबाव या प्रभाव बनाती है और उस के बाद उस क्षेत्र के आसपास की त्वचा को ड्राई छोड़ देती है, जिस से ट्रीटमैंट का असर ज्यादा होता है और ट्रीटमैंट में भी सहूलियत रहती है.

22. सांसों की दुर्गंध

ग्रीन टी कई तरह के ऐसे वायरस और बैक्टीरिया को भी खत्म करती है, जो कई तरह की डैंटल प्रौब्लम्स का कारण होते हैं. साथ ही उन बैक्टीरिया को भी पनपने से रोकती है, जो सांस में दुर्गंध पैदा करते हैं.

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23. स्ट्रैस

ग्रीन टी एंग्जाइटी और स्ट्रैस से मुक्ति में सहायक होती है. इसलिए ग्रीन टी से स्ट्रैस पर नियंत्रण पाया जा सकता है.

24. ऐलर्जी

ग्रीन टी में मौजूद ईजीसीजी किसी भी तरह की स्किन ऐलर्जी से मुक्ति में सहायक है. इसलिए यदि आप को ऐलर्जी है, तो ग्रीन टी आप के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.

25. एचआईवी

जापान के वैज्ञानिकों ने पाया है कि ग्रीन टी शरीर के हैल्दी इम्यून सैल्स को आपस में इकट्ठा कर के एचआईवी संक्रमण को रोक सकती है.q

जानें Bigg Boss 15 फेम विधि पांड्या के फिटनेस सीक्रेट्स

टीवी सीरियल तुम ऐसे ही रहना बालिका वधू, एक दूजे के वास्ते, उड़ान, लाल इश्क, क्राइम पेट्रोल, बिग बॉस 15 में नजर आ चुकी एक्ट्रेस विधि पांड्या अब सोनी टीवी के सीरियल ‘मोसे छल किए जाए’ में एक लेखिका सौम्या का किरदार निभाती नजर आ रही हैं. जो अपनी महत्वाकांक्षा पूरी करने के लिए घिसे-पिटे रिवाजों को तोड़ती हुई नजर आएंगी.

आपको बता दे विधि ने टीवी सीरियल तुम ऐसे ही रहना से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी. हालांकि, विधि को सफलता सीरियल उड़ान में चकोर की बहन के किरदार से मिली. उन्होंने सीरियल में निगेटिव किरदार निभाया था. मुंबई में जन्मी विधि सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. अक्सर अपनी फ़ैशनेबल फोटोज शेयर करती रहती है.

शो के प्रमोशन पर दिल्ली के ललित होटल आई विधि पांड्या ने शो के अलावा अपनी फिटनेस के बारे में कुछ सीक्रेट्स शेयर किए.

एक्ट्रेस विधि पांड्या के फिटनेस सीक्रेट्स

सुबह की शुरुआत

सुबह उठते ही मैं एप्पल इन सीडर विनेगर वार्म वाटर के साथ लेती हूं. नाश्ते में मूसली या पोहा लेती हूं.

डाइट

मैं कोई डाइट फॉर्मेट में बिलीव नही करती  मेरी कुछ बेसिक चीजे है सब कुछ खाओ लेकिन कम कॉन्टिटी में खाओ. रात को सोने से 2-3 घंटे पहले  अपना डिनर फिनिश कर लो ताकि डाइजेशन बेटर हो. मैं जंक फूड नही खाती, घर का खाना खाती हूं और खूब सारा पानी पीती हूं.

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लंच

लंच के समय मैं रोज मक्के की रोटी के साथ डिफरेंट टाइप की वेजिटेबल और दाल खाती हूं.

हाइड्रेशन

मैंअपनी बॉडी को हाइड्रेट करने के लिए खूब सारा पानी पीती हूं. जिसमें लाइम वाटर, कोकोनेट वाटर, और टर्मनिक वाटर रोज़ लेती हूं.

एक्सरसाइज

फिट रहने के लिए एक टाइम पर मैं योगा करती थी लेकिन अब मैं एक्सरसाइज करती हूं मेरी बॉडी एक्सरसाइज के लिए कंफरटेबल है. मुझे रनिंग करना पसंद है. मैं 5 से 6 किलोमीटर रन करती हूं. रोज  एक घंटा जिम करती हूं जिसमें20 मिनट कार्डियो, 20 मिनट वेट् ट्रेनिंग और 20 मिनट दूसरी एक्सरसाइज करती हूं.

डिनर

डिनर मैं लाइट ही लेती हूं जिसमे पनीर सैलेड लेती हूं या मूसली, सूप लेती हूं जिससे रात में डाइजेशन सही रहे.

चीट डे

चीट डे में मैं कभी- कभी पिज़्जा, ब्राउनी और चॉकलेट खा लेती हूं क्योंकि ये मुझे बहुत पसंद है.

अगर आप भी रहना चाहती है फिट तो एक्ट्रेस विधि पांड्या के फिटनेस टिप्स को जरूर फॉलो करें. ….

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40 की उम्र में इन 20 टिप्स से रहें फिट

महिलाएं पति और बच्चों का तो खूब खयाल रखती हैं पर खुद को इग्नोर करती रहती हैं. युवावस्था तो सब झेल जाती है पर 40 की दहलीज पर पहुंचने पर समझदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. इस उम्र में फिट रहने के 20 फंडे हम आप को बता रहे हैं. इन में से कुछ तो आप जानती होंगी पर कुछ आप के लिए बिलकुल नए होंगे. अगर आप इन्हें धीरेधीरे अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लें तो बहुत सी परेशानियों से आप दूर रहेंगी.

1. कैल्सियम और आयरन हासिल करें:

हिंदुस्तानी महिलाओं में आयरन और कैल्सियम की कमी आमतौर पर पाई जाती है. एक बार इन दोनों के टैस्ट करा लें और खानपान में ऐसी चीजें शामिल करें, जिन में इन की मात्रा अधिक हो. इन की गोलियां लेने से परहेज न करें.

2. एक प्याला सेहत का:

कौफी हमारी दोस्त होती है. इस में मौजूद कैफीन फैट को ऐनर्जी में बदलने के लिए उकसाता है. यह काम ग्रीन टी भी बखूबी करती है. इसलिए दोनों को अपना दोस्त मानें.

3. वेट टे्रनिंग करें:

आप ने पहले कभी जिम जौइन की हो या नहीं फर्क नहीं पड़ता. अब मसल्स कमजोर पड़ रहे हैं. वेट टे्रनिंग उन्हें मजबूती देती है. हिंदुस्तानी महिलाएं वेट टे्रनिंग से परहेज करती हैं पर इस के कई फायदे हैं. जिम नहीं जा सकतीं तो घर पर इस की व्यवस्था कर लें.

4. शैड्यूल चेंज करें:

अगर आप योग करती हैं या सैर पर जाती हैं और लंबे समय से यह करती आ रही हैं तो इस शैड्यूल में थोड़ा बदलाव करें. हैल्थ स्पैशलिस्ट से सलाह ले कर कुछ और चीजें शामिल करें तो कुछ चीजों को बंद करें. सैर का टाइम भी बदल सकें तो बदलें.

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5. सप्लीमैंट्स का इस्तेमाल:

इस उम्र में आप को सब से ज्यादा फिक्र अपने जोड़ों और हड्डियों की होनी चाहिए. कैल्सियम के बारे में हम बात कर चुके हैं. आप विटामिन डी, सी और ई का खयाल रखें. विटामिन सी और ई को एकसाथ लें. ऐक्सरसाइज करती हैं तो उस से 1 घंटा पहले डाक्टर से बात कर सप्लीमैंट का चुनाव करें.

6. पोस्चर पर ध्यान दें:

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कंधों, गरदन और कमर दर्द की शिकायत ज्यादा होती है. इस की प्रमुख वजह बैठने और सोने के तरीके में गड़बड़ी है. अब जरा इस पर ध्यान दें. फिजियोथेरैपिस्ट से बात करें, कैसे बैठें, कैसे सोएं वगैरह जानें.

7. दिमाग से तैयार हों:

खुद को बदलाव के लिए तैयार करें. लेख पढ़ने और मन में सोचने से कुछ नहीं होगा. अगर स्वस्थ रहना चाहती हैं तो इसे ठान लें. शुरू में लोग टोकेंगे भी मगर उसे आप को संभालना है. ‘मैं करूंगी’, ‘मैं करना चाहती हूं’ की जगह ‘मैं कर रही हूं’, ‘मैं जा रही हूं’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें.

8. स्पोर्ट्स शूज खरीदें:

हो सकता है आप को आदत न हो, मगर टहलने के लिए स्पोर्ट्स शूज अच्छे होते हैं. अपनी पसंद के शूज खरीदें और उसी में टहलने या जिम जाएं.

9. गलती से घबराएं नहीं:

अगर कुछ नतीजे सामने नहीं आए तो परेशान होने की जरूरत नहीं. दोबारा नई तकनीक के साथ चीजें शुरू करें. ऐक्सपर्ट की मदद लेने में कोई बुराई नहीं.

10. सब को बताएं:

आप जो कुछ कर रही हैं और जो कुछ करना चाहती हैं उस के बारे में खुद से जुड़े लोगों को जरूर बताएं. ताकि वे लोग आप की सफलता पर आप को बधाई दें और टोकते भी रहें, ‘आज जिम नहीं जा रहीं…’

11. खानासोना ऐसे हो:

रात का खाना सोने से 2 घंटे पहले खा लें. खाने के बाद कम से कम 100 कदम टहलें, लेकिन खाने के तुरंत बाद नहीं थोड़ा रुक कर.

12. स्पा और मसाज:

हफ्ते में एक बार अगर जेब आप को मंजूरी देती हो तो मसाज और स्पा का लुत्फ उठाएं. नहीं तो घर में किसी से कहें वह आप की मालिश कर दे. प्यारमुहब्बत से सब काम हो जाते हैं.

13. बाथरूम पर ध्यान दें:

घर का सब से खतरनाक इलाका बाथरूम होता है. घर के बड़े अकसर वहीं फिसल कर चोट खाते हैं. घर में आदेश जारी कर दें कि कोई भी बाथरूम को गीला नहीं छोड़ेगा. इस्तेमाल के बाद तुरंत वाइपर से पानी पोंछ दें. बाथरूम में कभी जल्दी में न घुसें.

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14. शुरुआत फल के साथ:

दिन की शुरुआत किसी फल से करें. सेब अच्छा फल है, नहीं तो जो भी मौसमी फल मिले उसे खाएं. सेहत के लिए जितना अच्छा अनार है उतना ही अमरूद भी है.

15. आंवला कैंडी, बेल का मुरब्बा:

पेट को दुरुस्त रखने में बेल का कोई जवाब नहीं. इस का फल तो आता ही है, मुरब्बा, पाउडर और सिरप भी आता है. आंवले की कैंडी इस्तेमाल करें.

16. दिन में 2 बार:

अगर कंफर्टेबल फील करना चाहती हैं तो दिन में 2 बार पेट साफ करें. शरीर में हलकापन रहेगा.

17. पिएं और पीती रहें:

अरे रे, शराब मत समझ लेना. हम पानी की बात कर रहे हैं. पानी किसी टौनिक से कम नहीं है. हमेशा साथ रखें और सिप कर के पीती रहें.

18. प्रोटीन से प्यार:

प्रोटीन आप के कमजोर होते मसल्स में नई जान फूंक देगा. इस की मात्रा बढ़ाएं. यह मेटाबौलिज्म को तेज करते हुए फैट बर्न करने में भी मदद करता है.

19. चैकअप कराएं:

डाक्टर से सलाह ले कर शुगर, कोलैस्ट्रौल, थाइराइड और एचबी की जांच करवाती रहें. जहां भी गड़बड़ी हो डाइट प्लान उसी हिसाब से करें.

20.नाराज होना बंद करें:

यह बात बहुत जरूरी है. क्या जल गया, क्या खल गया इन सब का ध्यान रखना आप का काम है, मगर पैनिक होने की जरूरत नहीं. बच्चों को खुद सीखने दें. खुश रहना 100 बीमारियों का इलाज है.

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एक्सरसाइज काे लिए सबसे अच्छा औप्शन है साइकिलिंग

शारीरिक फिटनैस को ले कर हमेशा यह उलझन रही है कि कौन सी गतिविधियां सुडौल और छरहरे बदन के लिए मददगार हैं. हम में से ज्यादातर लोग बाहर घूमने से परहेज करते हैं, क्योंकि हम अपनी अन्य समस्याओं को दूर करने पर ज्यादा समय बिताते हैं.

साइकिलिंग हम में से उन लोगों के लिए एक खास विकल्प है, जो जिम की चारदीवारी से अलग व्यायाम संबंधी अन्य गतिविधियों को पसंद नहीं करते हैं. साइकिल पर घूमना शारीरिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. आप साइकिल के पैडल मार कर ही यह महसूस कर सकते हैं कि आप की मांसपेशियों में उत्तेजतना बढ़ी है. शारीरिक गतिविधि एड्रेनलिन से संबद्ध है, जो आप को बेहद ताकतवर कसरत का मौका प्रदान करती है. यह आप को बाकी व्यायाम के लिए भी उत्साहित करती है.

जिम की तुलना में जिन कारणों ने साइकिलिंग को अधिक प्रभावी बनाया है, वे मूलरूप से काफी सामान्य हैं. शरीर में सिर्फ एक मांसपेशी के व्यायाम के तहत आप को हमेशा दिल को तरजीह देनी चाहिए. इस का मतलब है दिल के लिए कसरत करना जिस से दिल संबंधी विभिन्न रोगों का जोखिम घटता है. महज एक स्वस्थ शरीर की तुलना में स्वस्थ दिल अधिक महत्त्वपूर्ण है.

ब्रिटिश मैडिकल ऐसोसिएशन के अनुसार, प्रति सप्ताह महज 32 किलोमीटर साइकिलिंग करने से दिल की कोरोनरी बीमारी के खतरे को 50% तक कम किया जा सकता है. एक अध्ययन में यह भी पता चला है कि जो व्यक्ति प्रति सप्ताह 32 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं, उन्हें दिल की किसी बीमारी के होने की आशंका नहीं रहती है.

फायदे अनेक

साइकिलिंग का खास फायदा यह है कि इस का लाभ अबाधित तरीके से मिलता है और आप को इस का पता भी नहीं चलता. साइकिलिंग में महज पैडल मारने से ही आसान तरीके से आप की कसरत शुरू हो जाती है. इसे आराम से या उत्साहपूर्वक घुमाएं, दोनों ही मामलों में दिल की धड़कन बढ़ती है. इस से शरीर में प्रत्येक कोशिका के लिए औक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह बढ़ता है, दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं.

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साइकिलिंग उन लोगों के लिए कसरत का श्रेष्ठ विकल्प है, जो किसी चोट से रिकवर हो रहे हों. क्रौस टे्रनिंग विकल्प ढूंढ़ रहे हों या 85 की उम्र में मैराथन में भाग लेने के लिए अपने घुटनों को मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रहे हों. दौड़ने या जिम में ऐक्सरसाइज की तुलना में टांगों, एडि़यों, घुटनों और पैरों के लिए साइकिलिंग अधिक आसान एवं फायदेमंद है. इस से दिल शरीर के विभिन्न जोड़ों पर अधिक दबाव डाले बगैर पंपिंग करता है.

अधिक समय तक दौड़ने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं दूसरी तरफ साइकिलिंग का कम प्रभाव है और यह घुटनों पर अधिक दबाव डाले बगैर टांगों की मांसपेशियों की कसरत है. इस के अलावा साइकिलिंग जोश बढ़ाती है.

हम में से ज्यादातर लोग साइकिलिंग के वक्त अपनी क्षमता से अधिक आगे बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह बेहद आनंददायक है. इस के अलावा यह काफी कैलोरी भी अवशोषित करती है और उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो अपना अतिरिक्त वजन घटाना चाहते हैं. नियमित साइकिल चलाने से लगभग 300 कैलोरी प्रति घंटे खर्च हो सकती है और रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से 1 साल में आप का 8 किलोग्राम वजन घट सकता है. यह मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उपापचय दर बनाने में भी मददगार है.

साइकिलिंग सस्ता व्यायाम

विशेष स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग जिम की तुलना में आप के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कई मानों में लाभदायक हो सकती है. बाहर की ताजा हवा लेना, सुबह के समय सूर्य की गरमी को महसूस करना या शाम को त्वचा को ठंडी हवा आदि ऐसे लाभ हैं, जो जिम की कसरत में हासिल नहीं हो सकते. साइकिलिंग तनाव कम कर सकती है क्योंकि आप बाहर घूमते वक्त प्राकृतिक तौर पर ताजा हवा लेते हैं. यह क्रिया दिमाग के उस हिस्से को नियंत्रित करती है, जो चिंता और आशंका से जुड़ा होता है और उस हिस्से को सक्रिय करती है, जो सुंदरता, गति से संबद्ध है.

इन स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग आप का काफी समय बचाने में भी मददगार है. यह सर्वोच्च क्रम का मल्टीटास्किंग है. आप काम पर जाने के लिए साइकिल का चयन कर सकते हैं और फिटनैस व्यवस्था पर किसी तरह का दबाव पड़ने की चिंता से भी मुक्त रह सकते हैं.

साइकिलिंग श्रेष्ठ गतिविधियों में से एक है, आप अपनी शारीरिक फिटनैस के साथसाथ मानसिक फिटनैस के लिए भी कर सकते हैं. यह रक्तप्रवाह को बराकरार रखती है और आप के शरीर के अच्छा महसूस कराने वाले हारमोन पैदा करती है. अत: इसे अपने दैनिक रूटीन में जरूर शामिल करें.

शारीरिक फिटनैस को ले कर हमेशा यह उलझन रही है कि कौन सी गतिविधियां सुडौल और छरहरे बदन के लिए मददगार हैं. हम में से ज्यादातर लोग बाहर घूमने से परहेज करते हैं, क्योंकि हम अपनी अन्य समस्याओं को दूर करने पर ज्यादा समय बिताते हैं.

साइकिलिंग हम में से उन लोगों के लिए एक खास विकल्प है, जो जिम की चारदीवारी से अलग व्यायाम संबंधी अन्य गतिविधियों को पसंद नहीं करते हैं. साइकिल पर घूमना शारीरिक रूप से फायदेमंद हो सकता है. आप साइकिल के पैडल मार कर ही यह महसूस कर सकते हैं कि आप की मांसपेशियों में उत्तेजतना बढ़ी है. शारीरिक गतिविधि एड्रेनलिन से संबद्ध है, जो आप को बेहद ताकतवर कसरत का मौका प्रदान करती है. यह आप को बाकी व्यायाम के लिए भी उत्साहित करती है.

जिम की तुलना में जिन कारणों ने साइकिलिंग को अधिक प्रभावी बनाया है, वे मूलरूप से काफी सामान्य हैं. शरीर में सिर्फ एक मांसपेशी के व्यायाम के तहत आप को हमेशा दिल को तरजीह देनी चाहिए. इस का मतलब है दिल के लिए कसरत करना जिस से दिल संबंधी विभिन्न रोगों का जोखिम घटता है. महज एक स्वस्थ शरीर की तुलना में स्वस्थ दिल अधिक महत्त्वपूर्ण है.

ब्रिटिश मैडिकल ऐसोसिएशन के अनुसार, प्रति सप्ताह महज 32 किलोमीटर साइकिलिंग करने से दिल की कोरोनरी बीमारी के खतरे को 50% तक कम किया जा सकता है. एक अध्ययन में यह भी पता चला है कि जो व्यक्ति प्रति सप्ताह 32 किलोमीटर तक साइकिल चलाते हैं, उन्हें दिल की किसी बीमारी के होने की आशंका नहीं रहती है.

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फायदे अनेक

साइकिलिंग का खास फायदा यह है कि इस का लाभ अबाधित तरीके से मिलता है और आप को इस का पता भी नहीं चलता. साइकिलिंग में महज पैडल मारने से ही आसान तरीके से आप की कसरत शुरू हो जाती है. इसे आराम से या उत्साहपूर्वक घुमाएं, दोनों ही मामलों में दिल की धड़कन बढ़ती है. इस से शरीर में प्रत्येक कोशिका के लिए औक्सीजनयुक्त रक्त का प्रवाह बढ़ता है, दिल और फेफड़े मजबूत होते हैं.

साइकिलिंग उन लोगों के लिए कसरत का श्रेष्ठ विकल्प है, जो किसी चोट से रिकवर हो रहे हों. क्रौस टे्रनिंग विकल्प ढूंढ़ रहे हों या 85 की उम्र में मैराथन में भाग लेने के लिए अपने घुटनों को मजबूत बनाए रखने की कोशिश कर रहे हों. दौड़ने या जिम में ऐक्सरसाइज की तुलना में टांगों, एडि़यों, घुटनों और पैरों के लिए साइकिलिंग अधिक आसान एवं फायदेमंद है. इस से दिल शरीर के विभिन्न जोड़ों पर अधिक दबाव डाले बगैर पंपिंग करता है.

अधिक समय तक दौड़ने से शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. वहीं दूसरी तरफ साइकिलिंग का कम प्रभाव है और यह घुटनों पर अधिक दबाव डाले बगैर टांगों की मांसपेशियों की कसरत है. इस के अलावा साइकिलिंग जोश बढ़ाती है.

हम में से ज्यादातर लोग साइकिलिंग के वक्त अपनी क्षमता से अधिक आगे बढ़ जाते हैं, क्योंकि यह बेहद आनंददायक है. इस के अलावा यह काफी कैलोरी भी अवशोषित करती है और उन लोगों के लिए फायदेमंद है, जो अपना अतिरिक्त वजन घटाना चाहते हैं. नियमित साइकिल चलाने से लगभग 300 कैलोरी प्रति घंटे खर्च हो सकती है और रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से 1 साल में आप का 8 किलोग्राम वजन घट सकता है. यह मांसपेशियों को मजबूत बनाने और उपापचय दर बनाने में भी मददगार है.

साइकिलिंग सस्ता व्यायाम

विशेष स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग जिम की तुलना में आप के मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी कई मानों में लाभदायक हो सकती है. बाहर की ताजा हवा लेना, सुबह के समय सूर्य की गरमी को महसूस करना या शाम को त्वचा को ठंडी हवा आदि ऐसे लाभ हैं, जो जिम की कसरत में हासिल नहीं हो सकते. साइकिलिंग तनाव कम कर सकती है क्योंकि आप बाहर घूमते वक्त प्राकृतिक तौर पर ताजा हवा लेते हैं. यह क्रिया दिमाग के उस हिस्से को नियंत्रित करती है, जो चिंता और आशंका से जुड़ा होता है और उस हिस्से को सक्रिय करती है, जो सुंदरता, गति से संबद्ध है.

इन स्वास्थ्य फायदों के अलावा साइकिलिंग आप का काफी समय बचाने में भी मददगार है. यह सर्वोच्च क्रम का मल्टीटास्किंग है. आप काम पर जाने के लिए साइकिल का चयन कर सकते हैं और फिटनैस व्यवस्था पर किसी तरह का दबाव पड़ने की चिंता से भी मुक्त रह सकते हैं.

साइकिलिंग श्रेष्ठ गतिविधियों में से एक है, आप अपनी शारीरिक फिटनैस के साथसाथ मानसिक फिटनैस के लिए भी कर सकते हैं. यह रक्तप्रवाह को बराकरार रखती है और आप के शरीर के अच्छा महसूस कराने वाले हारमोन पैदा करती है. अत: इसे अपने दैनिक रूटीन में जरूर शामिल करें.

शिव इंदर सिंह
एम.डी., फायरफौक्स बाइक्स प्रा.लि.

जानें एक्ट्रेस फ्लोरा सैनी के फिटनेस मंत्र

हिंदी, तमिल, तेलगू, कन्नड़ फिल्मों में काम करने के अलावा ऑल्ट बालाजी की सबसे बोल्ड वेब सीरीज ‘गंदी बात’ के 5वें सीजन से धमाल मचाने वाली ग्लैमरस एक्ट्रेस फ्लोरा सैनी सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती है. अक्सर अपनी बोल्ड और सेक्सी फोटोज शेयर करती रहती है. हाल ही में उन्होंने वीमेंस डे के मौके पर महिलाओं को फिट रहने के अपने पर्सनल सीक्रेट्स शेयर किए है. उनके फिट रहने का राज क्या है बताते है उन्ही की जुबानी.

एक्ट्रेस फ्लोरा सैनी का फिटनेस मंत्र-

1.वीमेंस डे आने वाला है इस मौके पर महिलाओं को क्या संदेश देना चाहती है?

मैं ये ही कहना चाहती हूं महिलाएं बहुत ही स्ट्रांग है , सुपर वीमेंस है. अपने आप को किसी के कहने पर कभी कम मत समझना, सारे आदमियों की जितनी भी पोस्ट है उन पर कब्जा करना, सबको दिखा देना आप कितना अच्छा कर सकती हो. यंग लड़कियों के लिए इंस्प्रेशन बनना. महिलाओं के लिए वर्क लाइफ और प्रोफेशनल लाइफ दोंनो को बैलेंस करना आसान नही है बिग सेल्यूट आल द वीमेंस.

2.आपकी नजर में महिलाओं के लिए हेल्थ अवेरनेस होना कितना जरूरी है?

मेरे नजरिए में महिलाओं, पुरुषों और बच्चों , सभी के लिए हेल्थ अवेरनेस होना जरूरी है. पहले  हमारे समय में प्ले ग्राउंड होते थे उस समय बच्चे खेलते थे. पर अब सब चेंज हो चुका है. आजकल के बच्चे अपना  समय मोबाइल या फिर गेम पर ज्यादा बिताते  है. इसलिए  बहुत जरूरी है कि बच्चों को अधिक से अधिक एक्टिवेटी में शामिल करें. महिलाएं अगर अपने लिए टाइम नहीं निकाल पा रहीं हैं तो वह घर के काम करके भी अपने को फिट रख सकती हैं. अपने घर को साफ करके जो वर्क आउट होता है उससे बढ़िया कुछ हो ही नहीं सकता.

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3.महिलाओं को ऐसी कौन सी 5 चीजें स्ट्रांग बनाती है?

मुझे 5 चीजे तो नही पता बट महिलाएं, आदमियों के मुकाबले ज्यादा स्ट्रांग है. मेरी मम्मी कहती है आदमियों को जब स्ट्रेस होता है तो उन्हें कुछ न कुछ सहारे की जरूरत होती है वो स्ट्रेस में सिगरेट और शराब का सहारा लेते है लेकिन महिलाओं को इन सब चीजों की जरूरत नहीं होती है. हमारी नानी, दादी, मां और बहनों ने कम पैसों में भी घर चलाया है. बहुत सारे बच्चों को एक साथ एजुकेट किया है. महिलाएं बनी ही स्ट्रांग है. जो अपने अंदर से एक बच्चे को निकाल सकती है वो कुछ भी कर सकती है. उसकी लाइफ में कुछ भी हो जाए वो दोबारा उसे फिर से शुरू कर सकती है. महिलाओं की स्ट्रेंथ ही उसकी खूबसूरती है.

4- लॉक डाउन बहुत लंबा सफर रहा जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर बहुत पड़ा है आप इससे बाहर कैसे निकली?

लॉक डाउन लंबा सफर जरूर था थैंकफुली मैं अपना ऐप चला रही थी तो मैं मेंटली काफी बिजी थी. मैंने बहुत सारे लोगों को एडवाइज जरूर दी जिन्हें डिप्रेशन हुआ, अकेलापन महसूस हुआ. आजकल की लाइफ डिजिटल ज्यादा हो गई है लोग आपस में कम मिलते है डिजिटली फोन पर सोशल मीडिया के जरिए ज्यादा टच में रहते है तो लॉक डाउन एक क्रेच कोर्स था. हमें ये रिलाइज करने के लिए की ह्यूमेन इमोशन को मत भूले एक दूसरे से मिलना, गले लगाना सिंपल सी चीज है इसमें कितनी हीलिंग है.

मेरी 3 चीजे जो लॉक डाउन से रिलेटेड है जिससे आपको जिंदगी में किसी भी चीज से मेंटल स्ट्रेस नही होगा. एक तो मीठा खाएं, मीठा खा कर अपना गम भूल जाएं, जो मीठा खाता है तो हैप्पी हार्मोन्स आते है. दूसरा अच्छा गाना लगाएं तो आटोमेटेकली आपको लगेगा कि अच्छे गाने पर डांस करू और जो आदमी डांस करेगा तो वह बिना स्माइल किये रहेगा नही,  उसे डिप्रेशन होएगा नही और तीसरा अच्छे दोस्तों से बात करना यानी खुशमिजाज दोस्त जो पॉजिटिव वाइवज वाले हो, आज के समय मैं हंसी, ख़ुशी और मुस्कुराहट ही सबसे बड़ा खजाना है जिससे आपके दिमाग में निगेटिव ख्याल ही नही आते है.

5.बॉडी को फिट रखने के लिए दिन की शुरुआत किस तरह करतीं है?

मेरे दिन की शुरुआत बुलेट कॉफी से होती है. आप भी सोच रहें होंगे कि आख़िर  बुलेट कॉफी है क्या? तो मैं आपको बता दूं कि ये नॉर्मल ब्लैक कॉफी का

थोड़ा हाईटेक वर्जन है, जिसमें घी और कोकोनेट  ऑयल डाला जाता है . ये पीने में बहुत टेस्टी होता है. मैं इसे अपने तरीके से टेस्टी बनाती हूं. इसको पीने के बाद काफी देर तक भूख नहीं लगती क्योंकि ये हैवी होती है.पर  मैं जब शूट पर होती हूं तो एक कड़क मसाला चाय पीती हूं.

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6.योग या एक्सरसाइज में क्या करना पसंद करती है?

ये मेरे मूड पर डिपेंड करता है उस समय स्ट्रेसफुल डे है कैसा दिन है. मुझे डांस करना पसंद है. अगर मैं  शूट पर होती हूं तो शॉट के बीच में डायलॉग याद करते हुए चलती रहती हूं इससे मेरी वॉक होती रहती है.

7- फिट रहने के लिए रुटीन फालो करने के क्या नियम है?

फिट रहने के लिए रूटीन को फॉलो करना बहुत जरूरी होता है पर लोग ऐसा नहीं कर पाते. अकसर देखने को  मिलता है कि न्यू ईयर पर लोग फिट रहने का रेसलूशन लेते हैं पर थोड़े दिन बाद ब्रेक हो जाता है. ऐसा ना हो इसके लिये बहुत जरूरी है कि रूटीन को ब्रेक ना होने दें.

8.आप वेजिटेरियन है या नॉन वेजिटेरियन डाइट में क्या लेती है. डाइट प्लान क्या है?

वैसे तो मैं नॉन वेजिटेरियन हूं मगर मुझे वेजिटेरियन खाना बहुत पसंद है. अगर मुझे ऑप्शन दिया जाए तो मैं वेजिटेरियन खाना ही पसंद करती हूं. मुझे लगता है कि यह बहुत कंपलीट खाना है. वैसे अभी तो मैं स्ट्रिक्ट डाइट पर हूं तो चिकन और सैलिड बहुत जरूरी है मेरी डाइट में. वेजिटेरियन में अगर  मुझे ऑप्शन दिया जाए तो मैं इडली की बहुत बड़ी फैन हूं.

कम समय में वजन घटाएं ऐसे

‘‘फरवरी में मेरी बहन की शादी है और फिट होने के लिए मेरे पास केवल एक महीना है,’’ या फिर ‘‘आने वाली छुट्टियां मुझे मियामी में बितानी हैं और मुझे उस के लिए वजन कम करना है,’’ ऐसे संकल्प हम अपने दोस्तों, परिजनों और परिचितों से किसी न किसी समय आमतौर पर सुनते रहते हैं. अपने इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए लोग कई तरह की क्रैश डाइट्स और तेजी से वजन घटाने वाले व्यायाम करते हैं. जबकि ये सभी प्रयास लंबी अवधि में प्रभावी नहीं होते. इसलिए बहुत से जागरूक और समझदार लोग वजन घटाने के ऐसे प्रयास करते हैं, जिन में वजन का घटना लगातार जारी रहता है. वे फिटनैस के लिए पूरे शरीर पर असर करने वाले जुंबा और शरीर को मजबूती देने वाली वेट लिफ्टिंग का सहारा लेते हैं. इस की वजह मांसपेशियों की स्थायी मजबूती और फैट बर्निंग के प्रति बढ़ती जागरूकता है.

फिटनैस के दीवाने लोगों के बीच जुंबा और शरीर को मजबूती देने वाली वेट लिफ्टिंग बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं. हालांकि, जुंबा के लिए भी कई लोग जिम जाना पसंद करते हैं, लेकिन जिम के उपकरणों और मशीनों पर वही परंपरागत तरीके से वर्कआउट बड़ी संख्या में फिटनैस प्रेमियों के लिए नीरस हो जाता है. अब वे अपने फिटनैस लक्ष्य हासिल करने के लिए कुछ विविधता, उत्साह और मनोरंजन से भरपूर तकनीक चाहते हैं.

जुंबा का आविष्कार 90 के दशक में एक फिटनैस प्रशिक्षक अल्बर्टो बेटो पेरेज के हाथों हुआ. यह एक मस्ती और ऊर्जा से भरपूर ऐरोबिक फिटनैस प्रोग्राम है, जो दक्षिणी अमेरिकी डांस की विभिन्न शैलियों से प्रेरित है. यह वर्कआउट शैली तेजी से कैलोरी बर्न करने के लिए कारगर है. दरअसल, इस में अपने पंजों पर खड़े रह कर हिपहौप और सालसा की चुस्त बीट्स पर अपनी बौडी को मूव कराना होता है. मुख्य रूप से गु्रप में किया जाने वाला वर्कआउट जुंबा उत्साही बने रहने और फिटनैस लक्ष्यों पर केंद्रित है. चूंकि जुंबा तेज गति से होने वाला डांस है, इसलिए यह अन्य वर्कआउट्स जैसे ट्रेडमिल पर दौड़ने या क्रौसट्रेनर पर समय बिताने के मुकाबले तेजी से फैट बर्न करता है.

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बढ़ाएं लचीलापन

जुंबा एक बेहतरीन कार्डियोवैस्क्युलर ऐक्सरसाइज है, जो तेज और मध्यम गति से की जाती है और इंटरवेल ट्रेनिंग की तरह काम करती है, इसलिए हर मांसपेशी खासतौर पर पीठ और पेट पर असरकारक है. जुंबा में होने वाले पेचीदा मूव मसल्स में लचीलापन बढ़ाते हैं और शरीर को संतुलित बनाते हैं. जुंबा के परिणाम यहीं तक सीमित नहीं हैं, ताकत से भरपूर इस वर्कआउट का दूसरा फायदा यह है कि यह सभी मांसपेशियों को सक्रिय करता है और पूरे शरीर को फिट करने में मदद करता है. सब से अच्छी बात यह है कि जुंबा में उम्र कोई रुकावट नहीं है, क्योंकि इस का जोड़ों पर बहुत कम असर पड़ता है. फिट रहने के लिए 5 से 65 वर्ष तक का कोई भी व्यक्ति जुंबा कर सकता है.

वेट ट्रेनिंग

वेट ट्रेनिंग भी वजन घटाने के लिए एक अन्य प्रभावी वर्कआउट है, जो परंपरागत रूप से बौडीबिल्डर्स के बीच लोकप्रिय रहा है. आश्चर्य हो रहा है? हम में से बहुत से लोग सोचते हैं कि वेट ट्रेनिंग केवल मसल्स बनाने के लिए है. यही वजह है कि वजन घटाने की कोशिश करने वाले वेट लिफ्टिंग को प्राथमिकता नहीं देते और इस के बजाय कार्डियो और कैलीस्थैनिक्स को अपनाते हैं.

वेट लिफ्टिंग शरीर की मजबूती के साथ ही वजन घटाने के लिए भी महत्त्वपूर्ण व्यायाम है. परंपरागत रूप से स्ट्रैंथ ट्रेनिंग में सहनशक्ति और मांसपेशियां बढ़ाने के लिए फ्री वेट या वेट मशीनों का उपयोग किया जाता रहा है. मैटाबोलिक स्ट्रैंथ ट्रेनिंग में उच्च तीव्रता वाले इंटरवेल सर्किट्स और चेंजिंग कौंबिनेशंस के साथ फ्री वेट्स, कैटलबेल्स, डंबल्स आदि का उपयोग करते हुए दोहराना होता है.

वर्कआउट के दौरान रैजिस्टैंस बैंड्स मैटाबोलिज्म रेट को बढ़ा देते हैं. कार्डियो ट्रेनिंग में केवल वर्कआउट के दौरान हृदय की गति एवं फेफड़ों की क्षमता बढ़ने से कैलोरीज बर्न होती हैं, इस के उलट वेट ट्रेनिंग में व्यायाम खत्म होने के 72 घंटे बाद तक कैलोरी बर्निंग जारी रहती है. यह शरीर की मैटाबोलिक दर को भी बढ़ाता है, जो दिन भर कैलोरी को तेजी से बर्न करने में मदद करता है.

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वेट लिफ्टिंग के फायदे केवल वजन घटाने तक ही सीमित नहीं हैं, वेट ट्रेनिंग बौडी मसल्स बनाने और हड्डियों की सघनता बढ़ाने में भी कारगर है, जिस से औस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों से बचने में मदद मिलती है. रोजाना वेट लिफ्टिंग करने से डायबिटीज का खतरा कम होता है और इस से पीठ दर्द में भी आराम मिलता है. मानसिक मजबूती बढ़ती है और फिटनैस के दीवाने लोगों को काम के दौरान उत्साही बनाए रखती है.

इसलिए शरीर की मजबूती के लिए फिटनैस की धुन में भले ही जुंबा को चुनें या वेट ट्रेनिंग को, ये दोनों ही वर्कआउट्स आप के फिटनैस लक्ष्य को हासिल करने में मदद कर सकते हैं, चाहे आप वजन कम करना चाहें या मांसपेशियों की मजबूती. जुंबा और वेट लिफ्टिंग दोनों ही बेहतरीन रास्ते हैं. तो क्या आप पसीना बहाने के लिए तैयार हैं?

ऐसे रहें फिट & फाइन

हर ऐरोबिक सैंटर में ऐसी बहुत सारी महिलाएं आती हैं जिन के घुटनों, पैरों, गरदन और पीठ में दर्द की शिकायत होती थी. मगर ऐसी महिलाएं जिन के पास समय कम होता है वे घर पर रह कर भी सप्ताह में 4-5 दिन सिर्फ 20 मिनट वर्कआउट कर फिट रह सकती हैं. इस वर्कआउट को 5 वर्गों में विभाजित किया जा सकता है:

– सोमवार को शरीर का निचला भाग जिस में ‘हिप्स-थाइ’ आदि आते है.

– मंगलवार को पेट और पीठ के लिए,

-बुधवार को शरीर का ऊपरी हिस्सा, आर्म्स, कंधे, गरदन का पिछला भाग.

– बृहस्पतिवार को पूरे शरीर को स्ट्रैच करना.

– शुक्रवार को पूरी प्रक्रिया को 20 मिनट में दोहराना.

इस तरह हर दिन 20 मिनट का समय आप के पूरे शरीर को स्वस्थ बना सकता है. इस में घर में पाई जाने वाली वस्तुओं का वर्कआउट में सहारा लिया जा सकता है. इन में 500 मिलीलिटर के पानी की 2 बोतलें, 1 कुर्सी, दीवार, 1 नहाने की टौवेल, 1चटाई या कारपेट.

तरीका: 2 पानी की 500 मिलीलिटर बोतलों को दोनों हाथों में पकड़े. अब अपनी कुहनी को थोड़ा नीचे करें और आगे बढ़ कर पीछे की तरफ ले जाएं. ऐसा करने से पीठ के बीच के भाग को आराम मिलता है.

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– सीधे खड़े हो कर बोतलों को दोनों हाथों में पकड़ कर कमर को पहले दाहिनी और फिर बायीं तरफ मोड़े यह व्यायाम कमर के लिए होता है.

– कुरसी के प्रयोग से आप अपनी जांघों के लिए व्यायाम कर सकती हैं. कुरसी पर बैठ कर अपने पैरों को आगे की तरफ सीधा बैलेंस करें.

– इस के अलावा कुरसी का सहारा ले कर अपने नितंबों को ऊपर और नीचे करें.

– दीवार के सहारे से हिप्स और थाइज का व्यायाम संभव है. दीवार के सहारे सीधे खड़े हो कर अपने घुटनों को 90 डिग्री के कोण पर मोड़ कर 2 सैकंड तक इसी अवस्था में रहें.

– अपना चेहरा दीवार की तरफ रखें और फिर अपनी कुहनियों को मोड़ कर छाती को दीवार के नजदीक लाएं और फिर पीछे जाएं. इस से आप के कंधों व सीने का व्यायाम हो सकेगा.

– जमीन पर कारपेट या चटाई पर बैठ जाएं. हाथों को पीछे ले जा कर पहले दाहिने और फिर बाएं हाथ से टौवेल को पकड़ें. 10 से 30 सैकंड के इस वर्कआउट से आप के कंधों और भुजाओं का व्यायाम होगा.

– जमीन पर लेट कर अपने दोनों हाथों को सिर के नीचे फैला कर रखें और फिर अपने पैरों को मिलाकर 90 डिग्री के कोण पर आगेपीछे करें.

– पीठ के बल लेट जाएं, फिर अपने दोनों हाथों से गरदन को सहारा दें. अब अपने कंधों को थोड़ा ऊपर उठाएं. फिर बाएं कंधे को दाहिने घुटने की ओर ले जाएं. अब दाहिने कंधे को बाएं घुटने की ओर बारीबारी से ले जाएं. यह व्यायाम कमर की अतिरिक्त मसल्स को कम करता है.

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सेलेब्रिटी की फिटनेस का राज बता रहे है, फिटनेस ट्रेनर योगेश भटेजा

कई बार एक फिल्म का इम्पैक्ट कहानी पर नहीं, बल्कि एक लीड एक्टर की लुक पर निर्भर करता है. इसमें अभिनेता आमिर खान की फिल्म दंगल, करीना कपूर की फिल्म टशन या फिर अभिनेता सोनू सूद की फिल्म R राजकुमार, सिम्बा, हैप्पी न्यू इयर, कॉमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म ‘किस किस को प्यार करू’ आदि सभी फिल्मों में एक्टर को चरित्र के हिसाब से अपनी बॉडी बनाने में ट्रेनर का मेहनत रहा है. वे उन्हें वैसी बॉडी पाने के लिए लगातार मोटीवेट करते रहते है.

मिली प्रेरणा

असल में फिट रहना सभी चाहते है, लेकिन जब सेलेब्स की बात हो, तो फिटनेस उनके जीवन का खास अंग होता है, क्योंकि उनकी खूबसूरती फिटनेस में छुपी रहती है, फिर चाहे वह जीरो साइज़ हो या प्लस साइज़, चरित्र के अनुसार उन्हें अपनी काया में बदलाव करनी पड़ती है. इस काम के लिए वे बहुत सारा पैसा खर्च भी करते है, क्योंकि आउटडोर होने पर सेलेब्स अपने फिटनेस ट्रेनर को साथ भी ले जाते है और उनकी डाइट, ट्रेनर के हिसाब से चलती है. इस बारें में सेलेब्रिटी फिटनेस ट्रेनर योगेश भतेजा कहते है कि स्कूल के समय से ही थोड़ी रूचि फिटनेस को लेकर थी. मैं प्रोफेशनल फुटबाल प्लेयर बनना चाहता था, लेकिन मैंने फिजिकल एजुकेशन में ग्रेजुएट किया और मुझे अब फुटबॉल प्लेयर से अधिक ट्रेनर बनने की इच्छा हुई और मैंने एक जिम में ज्वाइन किया. मुझे ये फील्ड बहुत रुचिकर लगा, जिसमें मैंने फिटनेस, अलग-अलग तरह की वर्कआउट, व्यायाम आदि को लेकर सर्टिफिकेशन करता गया और मैंने एक बॉडी बिल्डर कम्पटीशन में ज्वाइन किया. वहां बहुत ही विस्तृत तरीके से बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन के बारें में प्रशिक्षण दिया जाता है, इससे अधिक गहराई से मैं बॉडी पार्ट के बारें में सीख सकते है. मैंने उसमें ज्वाइन किया और टॉप 5 में चुना गया. वही से जिम की जर्नी शुरू हुई. आज 16 साल से मैं इस क्षेत्र में काम कर रहा हूँ.

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कठिन होती है सेलेब्स की ट्रेनिंग

एक सेलिब्रिटी और एक आम इंसान को ट्रेन करने के अंतर के बारें में फिटनेस ट्रेनर योगेश का कहना है कि एक बहुत बड़ा अंतर दोनों में है. आम इंसान की लाइफ में एक रूटीन होता  है, लेकिन सेलेब्स का टाइम फिक्स्ड नहीं होता, कभी दिन तो कभी रात में शूट चलता रहता है. शूटिंग के घंटे कई बार लम्बे हो जाते है और उन्हें फेस, बॉडी और डाइट पर भी काम करना होता है. नए-नए स्किल्स जिसमें खासकर कलरी सीखना चाहते है, कई सारी चीजे उन्हें सीखनी पड़ती है और इससे पोषण बॉडी से ही लेना पड़ता है. उस समय रूटीन बहुत मुश्किल होने के साथ-साथ डिमांडिंग भी हो जाता है. बॉडी टायर्ड होने पर भी उन्हें वर्कआउट करना पड़ता है. ऐसे में उनकी एनर्जी के साथ वर्कआउट को पुश करना, ताकि वे उस लेवल तक जा सकें और उन्हें अच्छा दिखना भी जरुरी होता है. हर बार मुझे उनके हिसाब से ट्रेनिंग देनी पड़ती है, जो बहुत कठिन होता है.

जरुरी है मोटिवेशन

सभी सेलेब्स योगेश की बात को मानते है, क्योंकि उन्हें चरित्र के हिसाब से बॉडी चाहिए. वे आगे कहते है कि हाईली सेल्फ मोटीवेटेड इंसान अभिनेता सोनू सूद है. वहां मेरी मेहनत थोड़ी कम हो जाती है. मुझे हर किसी को उनके अनुसार बॉडी देना ही मेरा काम है, इसलिए जो आम इंसान फिट होना चाहते है मैं उन्हें कहता हूँ,‘If you have the will, I have the skillकोई भी सामने वाला अगर फिटनेस के लिए राजी होता है, तो उसे ठीक करना मुश्किल नहीं और मैं उन्हें यहाँ तक पहुँचने का रास्ता बता देता हूँ.

बनती है फिटनेस चार्ट

योगेश का अपना कोई जिम नहीं है, क्योंकि उन्हें कई बार फिल्म के लिए मुंबई से बाहर कई महीने या साल भर बाहर रहना पड़ता है. ऐसे में जिम को स्टाब्लिश करना उनके लिए मुश्किल है. यही वजह है कि योगेश कई सारे जिम के साथ जुड़े है. उनकी टीम में उनका भाई देवेन्द्र भटेजा और 5 अन्य व्यक्ति है, जिन्हें योगेश ने ट्रेनिंग दी है और उनके व्यस्त रहने पर टीम अपना काम करती है. योगेश कहते है कि सेलेब्रिटी के साथ जाने का उद्देश्य बॉडी को उस चरित्र के अनुसार शेप में बनाए रखना है. अभिनेत्री कंगना रनौत जब फिल्म ‘थलाईवा” किया, उस समय उन्हें करीब 20+ किलो वजन बढ़ाना पड़ा, ताकि वह स्वर्गीय जयललिता जैसी दिखे. इससे बॉडी के जॉइंट और इंटरनल काफी लोड आया और दर्द शुरू हुआ, ऐसे में साथ जाने पर उनके डाइट और हार्ट की जांच करता हूँ. इस दौरान बनाये गए फिटनेस चार्ट को ऐसा बनाया जाता है, ताकि वजन को एक तालमेल के साथ धीरे-धीरे घटाया जाय. परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने अपना बेस्ट देने के लिए ‘दंगल’ फिल्म में अपना वजन बढाया.

भेड़चाल में न हो शामिल

ट्रेनर योगेश आगे कहते है कि आइडियली देखा जाय तो 3 महीने में प्लस 3 या माइनस 3 किया जा सकता है, इससे अधिक करने पर बॉडी सिस्टम पर गलत अवश्य पड़ता है. हेल्दी डाइट और हेल्दी living के साथ अगर वजन बढ़ाते है, तो वह ठीक होता है, उसी प्रकार एक सिमित दायरे में वजन घटाने पर किसी प्रकार की समस्या नहीं होती. बिना सोचे-समझे बार-बार शरीर बढ़ाना और घटाना ठीक नहीं. इसमें सबसे गलत काम आज के यूथ करते है, जो कही पढ़कर या देखकर ओवरनाईट में वैसी शरीर बनाना चाहते है, जो ठीक नहीं. इससे नींद की समस्या,कई प्रकार की बीमारियाँ, हार्मोनल समस्याएँ आदि हो जाती है.इसके अलावा नमक छोड़ देना या पानी कम पीने से वजन कभी नहीं घटता.

अमिताभ बच्चन की बात करें तो सारे प्रोफेशनल का आपस में बातचीत चलती रहती है. उनके डॉक्टर, ट्रेनर, डाइटिशियन, शेफ आदि सब मिलकर काम करते है. इसके अलावा अमिताभ बच्चन समय के बहुत पाबंदी रखते है. समय से खाना, समय से सोना और समय से काम करना ये सब उनकी सूची में रहती है.

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वजन घटाना नहीं मुश्किल

वजन के बढ़ने में फ़ूड का बहुत बढ़ा हाथ होता है. बॉडी की जरुरत और टाइप के अनुसार ही डाइट चार्ट होनी चाहिये, जिसमें प्रोटीन, फैट, फाइबर आदि को नहीं छोड़ना चाहिए. इसलिए न्यूट्रीनिस्ट से मिलकर सही डाइट प्लान बनाना जरुरी है, जिससे वजन घटाना मुश्किल न हो. संतुलित भोजन और नियमित वर्कआउट से वजन बहुत जल्दी घटता है. आजकल मोटापे के शिकार बच्चे अधिक होते है, कुछ कारण निम्न है,

  • बच्चों में मोटापा बढ़ने का मुख्य कारण, उनका बाहर जाकर न खेलना,
  • गेजेट्स का बच्चों के जीवन पर अधिक प्रभाव,
  • जंक फ़ूड का अधिक से अधिक सेवन,
  • समय से न सोना आदि है.

इसके अलावा शुगर, सॉफ्ट ड्रिंक और जंक फ़ूड को अवॉयड करें, पत्तेदार सब्जियां और मौसमी फल खाए, समय से खाना और समय से सोना, बॉडी को रोज सुबह डिटोक्स करें.

उम्र के अनुसार खाने में ऐसे शामिल करें पनीर

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

पनीर और इससे बने सभी व्यंजन लोगों को पसंद होते हैं. यह न केवल प्रोटीन और कैल्शियम बल्कि शरीर में विटामिन -डी की कमी को भी पूरा करता है. पनीर में शॉट चेन फैट के रूप में फैटी एसिड होते हैं, जो आसानी से पच जाते हैं. इससे फैट शरीर में बहुत जल्दी जमा नहीं होता और शरीर को ऊर्जा देने के लिए टुकड़ों में टूट जाता है, जिससे वजन नहीं बढ़ पाता. बहुत कम लोग जानते हैं लेकिन पनीर के नियमित सेवन से ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी बीमारियों को बेहतर तरीके से नियंत्रित करने में मदद मिलती है. यह शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को उत्तेजित करने में मदद करता है और शरीर में बेहतर इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है. पनीर में मौजूद विटामिन बी न केवल बढ़ते बच्चों के विकास में मददगार है, बल्कि एकाग्रता और यादाश्त में सुधार करके मास्तिष्क के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है. वहीं पनीर महिलाओं में ऑस्टियोपोरोरिस को रोकने में मददगार है. चूंकि पनीर के इतने सारे स्वास्थ्य लाभ  हैं, इसलिए सभी अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों को इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए. तो आइए जानते हैं उम्र के अनुसार इसे अपने आहार में कैसे शामिल किया जा सकता है.

6 महीने से अधिक उम्र के बच्चों के लिए-

पनीर एक पौष्टिक शिशु आहार है. आप बेबी फूड जैसे गाजर की प्यूरी, सेब की प्यूरी आदि में थोड़ा सा पनीर का पेस्ट मिलाकर बच्चे को दे सकते हैं. ध्यान रखें बच्चे को इसे बहुत कम मात्रा में दिया जाना चाहिए.

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बढ़ते बच्चों के लिए –

बढ़ते हुए बच्चों को अपने दैनिक आहार में कार्बोहाइड्रेट के साथ पोषक तत्वों से भरपूर आहार की जरूरत होती है. ऐसे में अपने बढ़ते बच्चों के लिए पनीर के भरवां पराठे बना सकते हैं. बच्चों के लिए दिन की शुरूआत करने का यह एक हाई कार्ब नाश्ता है. आप चाहें, तो तले हुए पनीर के टुकड़ों और सब्जियों के साथ गेहूं की ब्रेड की सैंडविच बनाकर उन्हें खिला सकते हैं. पनीर टिक्का और पनीर रोल जैसे स्टाटर्स भी बच्चों को पौष्टिक भोजन देने का एक बेहतरीन विकल्प है.

वयस्कों के लिए –

दिल की बीमारियों को दूर करने के साथ ब्लड प्रेशर कम करने और हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि पनीर हर वयस्क के आहार का हिस्सा होना चाहिए. विशेषज्ञ कहते हैं कि वयस्क को अपने भोजन के विकल्प चुनते समय पनीर के साथ बहुत सारी सब्जियां शामिल करनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि वयस्कों में चयापचय दर बच्चों की तुलना में बहुत कम होती है. ऐसे में पनीर के साथ सब्जियों को शामिल करने से भोजन को पचाना बेहद आसान हो जाता है. आप सब्जी, पुलाव, हरे पत्तेदार सलाद में पनीर का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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बुजुर्गों के लिए –

पनीर को पचाना बेहद आसान होता है. चूंकि बेहतर पाचन के लिए मैग्नीशियम और फास्फोरस दोनों की जरूरत  होती है, इसलिए पनीर बुजुर्गों के लिए सबसे अच्छा पौष्टिक भोजन है. हालांकि, इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस उम्र में आंत के स्वास्थ्य से समझौता करने के कारण इसका कैसे और कितना सेवन करना है. विशेषज्ञों की सलाह है कि बुजुर्ग लोगों के लिए पनीर को बहुत कम तेल और मसालों के साथ हल्के तरीके से पकाना चाहिए. हो सके, तो पनीर के साथ दही न दें. ध्यान रखें बुजुर्गों को ज्यादा से ज्यादा घर का बना पनीर देना फायदेमंद साबित होता है.

पनीर हर आयु वर्ग के लिए बहुत फायदेमंद है. इसलिए हर किसी को नियमित रूप से इसे अपने आहार में शामिल करना चाहिए.

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