ब्रदरहुड: क्या शुरु हो पाया रैस्टोरैंट

कहते हैं समय राजा को रंक, रंक को राजा बना देता है. कभी यह अधूरा सच लगता है, जब हम गलतियां करते हैं तब करनी को समय से जोड़ देते हैं. इस कहानी के किरदारों के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 2 सगे भाई एकदूसरे के दुश्मन बन गए. जब तक मांबाप थे, रैस्टोरैंट अन्नपूर्णा का शहर में बड़ा नाम था. रैस्टोरैंट खुलने से देररात तक ग्राहकों का तांता लगा रहता. फुरसत ही न मिलती. पैसों की ऐसी बरसात मानो एक ही जगह बादल फट रहे हों.

समय हमेशा एक सा नहीं रहता. करवटें बदलने लगा. बाप का साया सिर से क्या उठा, भाइयों में प्रौपर्टी को ले कर विवाद शुरू हो गया. किसी तरह जमापूंजी का बंटवारा हो गया लेकिन पेंच रैस्टोरैंट को ले कर फंस गया. आपस में खींचतान चलती रही. घर में स्त्रियां झगड़ती रहीं, बाहर दोनों भाई. एक कहता, मैं लूंगा, दूसरा कहता मैं. खबर को पंख लगे. उधर रिश्ते के मामा नेमीचंद के कान खड़े हो गए. बिना विलंब किए वह अपनी पत्नी और बड़े बेटे को ले कर उन के घर पहुंच गया. बड़ी चतुराई से उस ने ज्ञानी व्यक्ति की तरह दोनों भाइयों, उन की पत्नियों को घंटों आध्यात्म की बातें सुनाईं. सुखदुख पर लंबा प्रवचन दिया. जब देखा कि सभी उस की बातों में रुचि ले रहे हैं, तब वह मतलब की बात पर आया, ‘‘आपस में प्रेमभाव बनाए रखो. जिंदगी की यही सब से बड़ी पूंजी है. रैस्टोरैंट तो बाद की चीज है.’’ नवीन ने चिंता जताई,

‘‘हमारी समस्या यह है कि इसे बेचेंगे, तो लोग थूथू करेंगे.’’ ‘‘थूथू पहले ही क्या कम हो रही है,’’ नेमीचंद सम झाते हुए बोला, ‘‘रैस्टोरैंट ही सारे फसाद की जड़ है. यदि इसे किसी बाहरी को बेचोगे तो बिरादरी के बीच रहीसही नाक भी कट जाएगी.’’ सभी सोच में पड़ गए. ‘‘रैस्टोरैंट एक है. हक दोनों का है. पहले तो मिल कर चलाओ. नहीं चलाना चाहते तो मैं खरीदने की कोशिश कर सकता हूं. समाज यही कहेगा कि रिश्तेदारी में रैस्टोरैंट बिका है…’’ नेमीचंद का शातिर दिमाग चालें चल रहा था. उसे पता था कि सुलह तो होगी नहीं. रैस्टोरैंट दोनों ही रखना चाहते हैं, यही उन की समस्या है. रैस्टोरैंट बेचना इन की मजबूरी है और उसे सोने के अंडे देने वाली मुरगी को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए. आखिरकार, उस की कूटनीति सफल हुई. दोनों भाई रैस्टोरैंट उसे बेचने को राजी हो गए. नेमीचंद ने सप्ताहभर में ही जमाजमाया रैस्टोरैंट 2 करोड़ रुपए में खरीद लिया. बड़े भाई प्रवीण और छोटे भाई नवीन के बीच मसला हल हो गया,

किंतु मन में कड़वाहट बढ़ गई. नेमीचंद ने ‘रैस्टोरैंट अन्नपूर्णा’ के बोर्ड के नीचे पुराना नाम बदल कर प्रो. नेमीचंद एंड संस लिखवा दिया. रैस्टोरैंट के पुराने स्टाफ से ले कर फर्नीचर, काउंटर कुछ नहीं बदला. एकमात्र मालिकाना हक बदल गया था. दोनों भाई जब भी रैस्टोरैंट के पास से गुजरते, खुद को ठगा महसूस करते. अब दोनों पश्चात्ताप की आग में जलने लगे. दोनों के परिवार पुश्तैनी मकानों में अलगअलग रहा करते थे. दोनों के प्रवेशद्वार अगलबगल थे. बरामदे जुड़े हुए थे, लेकिन बीच में ऊंची दीवार खड़ी थी. दोनों भाइयों की पत्नियां एकदूसरे को फूटी आंख न देखतीं. बच्चे सम झदार थे, मगर मजबूर. भाइयों के बीच कटुता इतनी थी कि एक बाहर निकलता तो दूसरा उस के दूर जाने का इंतजार करता. सभी एकदूसरे की शक्ल देखना पसंद न करते.

रैस्टोरैंट खरीदने के बाद नेमीचंद के दर्शन दुर्लभ हो गए. पहले कुशलक्षेम पूछ लिया करता था. धीरेधीरे नेमीचंद उन की कहानी से गायब ही हो गया. लेदे कर एक बुजुर्ग थे गोकुल प्रसाद. उन के पारिवारिक मित्र थे. जब उन्हें इस घटना की जानकारी हुई तो बड़े दुखी हुए. उसी दिन वे दोनों से मिलने उन के घर चले आए. पहुंचते ही उन्होंने दोनों को एकांत में बुला कर अपनी नाराजगी जताई. फिर बैठ कर सम झाया, ‘‘इस झगड़े में कितना नुकसान हुआ, तुम लोग अच्छी तरह जानते हो. नेमीचंद ने चालाकी की है लेकिन इस में सारा दोष तुम लोगों का है.’’ ‘‘गलती हो गई दादा, रैस्टोरैंट हमारे भविष्य में न था, सो चला गया,’’ प्रवीण पीडि़त स्वर में बोला और दोनों हथेलियों से चेहरा ढक लिया. ‘‘मूर्खता करते हो, दोष भविष्य और समय पर डालते हो,’’ गोकुल प्रसाद ने निराश हो कर लंबी सांस ली, ‘‘सारे शहर में कितनी साख थी रैस्टोरैंट की. खूनपसीने से सींचा था उसे तुम्हारे बापदादा ने.’’ नवीन बेचैन हो गया,

‘‘छोडि़ए, अब जी जलता है मेरा.’’ ‘‘रुपया है तुम्हारे पास. अब सम झदारी दिखाओ. दोनों भाई अलगअलग रैस्टोरैंट खोलो. इस की सम झ तुम लोग रखते हो क्योंकि यह धंधा तुम्हारा पुश्तैनी है.’’ प्रवीण को बात जम गई, ‘‘सब ठीक है. पर एक ही इलाके में पहले से ही एक रैस्टोरैंट है?’’ ‘‘खानदान का नाम भी कुछ माने रखता है,’’ गोकुल प्रसाद ने कहा, ‘‘मैं तुम्हारे पिता का दोस्त हूं, गलत नहीं कहूंगा. खूब चलेगा.’’ ‘‘मैं आप की बात मान लेता हूं,’’ प्रवीण ने कहा, ‘‘इस से भी पूछ लो. इसे रैस्टोरैंट खोलना है या नहीं.’’ नवीन भड़क उठा, ‘‘क्या सम झते हो, तुम खोलो और मैं हाथ पे हाथ धरे बैठा रहूं? ठीक तुम्हारे ही सामने खोलूंगा, देखना.’’ ‘‘क्या हो गया दोनों को? भाई हो कि क्या हो? इतना तो दुश्मन भी नहीं लड़ते,’’ गोकुल प्रसाद झल्लाए और उठने लगे. ‘‘रुकिए दादा. भोजन कर के जाना,’’ प्रवीण ने आग्रह किया. ‘‘आज नहीं. जब दोनों के मन मिलेंगे तब भोजन जरूर करूंगा.’’ गोकुल प्रसाद ने अपनी छड़ी उठाई और अपने घर के लिए चल दिए. दोनों को आइडिया सही लगा.

घर में पत्नियों की राय ली गई और जल्दी ही किराए की जगह पर रैस्टोरैंट खोल दिए. संयोग ऐसा बना कि दोनों को रैस्टोरैंट के लिए जगह आमनेसामने ही मिली. दोनों रैस्टोरैंट चल पड़े. कमाई पहले जैसी तो नहीं थी, तो कम भी न थी. रुपया आने लगा. लेकिन कटुता नहीं गई. दोनों में प्रतिस्पर्धा भी जम कर होने लगी. तू डालडाल, मैं पातपात वाली बात हो गई. दोनों भाइयों में बड़े का रैस्टोरैंट ज्यादा ग्राहक खींच रहा था. इस बात को ले कर नवीन को खासी परेशानी थी. आखिरकार उस ने एक बोर्ड टांग दिया- ‘लंच और डिनर- 100 रुपए मात्र.’ प्रवीण ने भी देखादेखी रेट गिरा दिया, ‘लंच और डिनर- 80 रुपए मात्र.’ ग्राहक को यही सब चाहिए. शहर के लोग लड़ाई का मजा ले रहे थे. मालिकों में तकरार बनी रहे और अपना फायदा होता रहे. नवीन भी चुप नहीं बैठा रहा. कुछ महीनों बाद ही उस ने फिर रेट 75 रुपए कर दिया.

मजबूरन प्रवीण को 60 रुपए पर आना पड़ा. इस तनातनी में 6-7 महीने गुजर गए और आखिर में दोनों रैस्टोरैंट के शटर गिए गए. प्रवीण से सदमा बरदाश्त न हो पाया, उसे एक दिन पक्षाघात हो गया. पासपड़ोसी समय रहते उसे अस्पताल ले गए. आईसीयू में एक सप्ताह बीता, फिर हालत में सुधार दिखा. मोटी रकम इलाज में खर्च हो गई. घर आया, शरीर में जान आने लगी लेकिन आर्थिक तंगी ने उसे मानसिक रूप से बीमार कर दिया. घर की माली हालत अब पहले जैसी न थी. पहले ही झगड़े में काफी नुकसान हो गया था. नवीन की एक बेटी थी मनु. जब भी उसे अकेला पाती, मिलने चली आती. कई दिनों के बाद बरसात आज थम गई थी. आसमान साफ था. प्रवीण स्टिक के सहारे लौन में टहल रहा था. मनु ने उसे देखा तो गेट खोल कर भीतर आ गई. उस ने स्नेह से मनु को देखा और बड़ी उम्मीद से कहा, ‘‘बेटी, पापा से कहना कि ताऊजी एक जरूरी काम से मिलना चाहते हैं.’’ मनु ने हां में सिर हिलाया और पैर छू कर गेट पर खड़ी स्कूटी को फुरती से स्टार्ट किया और कालेज के लिए निकल गई. धूप ढलने लगी, तब मनु कालेज से लौटी. नवीन तब ड्राइंगरूम में बैठा चाय की चुस्कियां ले रहा था. मनु ने किताबें रैक पर रखीं और पापा के सामने वाले सोफे पर जा बैठी. ‘‘पापा, आप कल दिनभर कहां थे?’’ उस ने पूछा.

‘‘क्यों, क्या हुआ?’’ ‘‘ऐसे ही पूछ रही हूं,’’ मनु ने सोफे पर बैठे हुए आगे की ओर शरीर झुकाते हुए कहा. ‘‘महल्ले में एक बुजुर्ग की डैथ हो गई थी, इसलिए जाना पड़ा,’’ नवीन ने बताया. ‘‘आप को वहां जाने की जरूरत क्या थी? उन के पासपड़ोसी, रिलेटिव्स तो रहे ही होंगे,’’ मनु ने प्रश्न किया. ‘‘कैसी बेवकूफों वाली बातें कर रही हो. समाज में जीना है तो सब के सुखदुख में शामिल होना चाहिए,’’ नवीन ने सम झाया. ‘‘दैट्स करैक्ट. यही सुनना चाहती थी मैं. जब ताऊजी बीमार पड़े तब यह बात आप की सम झ में क्यों नहीं आई?’’ नवीन को काटो तो खून नहीं. भौंचक्का सा मनु को देखता ही रह गया वह. ‘‘आप और मम्मी ताऊजी को देखने नहीं गए. मैं गई थी सीधे कालेज से, लगातार 3 दिन. मनु कहती रही, ‘‘रौकी भैया भी अस्पताल में थे. मैं ने उन्हें घर चलने को कहा तो बोले, ‘यहां से सीधे होस्टल जाऊंगा.

घर अब रहने लायक नहीं रहा.’’’ ‘‘यह सब मु झे क्यों सुना रही हो?’’ नवीन ने प्रश्न किया. ‘‘इसलिए कि ताऊजी कोई पराए नहीं हैं. आज उन्हें आप की जरूरत है. मिलना चाहते हैं आप से.’’ नवीन ठगा सा रह गया. इस उम्र तक वह जो सम झ न सका, वह छोटी सी उम्र में उसे सिखा रही है. मनु उठी और पापा के गले से लग कर बोली, ‘‘समाज के लिए नहीं, रिश्ते निभाने के लिए ताऊजी से मिलिए. आज और अभी.’’ उधर प्रवीण, नवीन से मिलने को बेचैन था. वह बारबार कलाई घड़ी की सुइयों पर नजरें टिका देता. कभी बरामदे से नीचे मेन गेट की ओर देखने लगता. अंधेरा बढ़ने लगा. रोशनी में कीटपतंगे सिर के ऊपर मंडराने लगे. थक कर वह उठने को हुआ, तभी नवीन आते हुए दिखा. उस ने इशारे से सामने की चेयर पर बैठने को कहा. नवीन कुछ देर असहज खड़ा रहा. मस्तिष्क में मनु की बातें रहरह कर दिमाग में आ रही थीं. वह आगे बढ़ा और चेयर को खींच कर अनमना सा बैठ गया. दोनों बहुत देर तक खामोश रहे.

आखिरकार नवीन ने औपचारिकतावश पूछा, ‘‘तबीयत ठीक है अब?’’ उस ने ‘हां’ कहते हुए असल मुद्दे की बात शुरू कर दी, ‘‘मु झे पैसों की सख्त जरूरत है. मैं ने सोचा है कि मेरे हिस्से का मकान कोई और खरीदे, उस से अच्छा, तु झे बेच दूं. जितना भी देगा, मैं ले लूंगा.’’ नवीन खामोश बैठा रहा. ‘‘सुन रहा है मैं क्या कह रहा हूं?’’ उस ने जोर दे कर कहा. ‘‘सुन रहा हूं, सोच भी रहा हूं. किस बात का झगड़ा था जो हम पर ऐसी नौबत आई. हमारा खून तो एक था, फिर क्यों दूसरों के बहकावे में आए.’’ ‘‘अब पछता कर क्या फायदा? खेत तो चिडि़या कब की चुग गई. मैं ऐसी हालत में न जाने कब तक जिऊंगा. तु झ से दुश्मनी ले कर जाना नहीं चाहता,’’ प्रवीण ने उदास हो कर बरामदे की छत को ताकते हुए कहा. ‘‘तुम तो बड़े थे, बड़े का फर्ज नहीं निभा पाए. मैं तो छोटा था,’’ नवीन ने उखड़े स्वर में कहा, फिर चश्मा उतार कर रूमाल से नम आंखें साफ करने लगा. ‘‘बड़ा हूं, तो क्या हुआ. छोटे का कोई फर्ज नहीं बनता? खैर छोड़, जो हुआ सो हुआ. अब बता, मेरा हिस्सा खरीदेगा?’’ ‘‘नहीं,’’ नवीन ने सपाट सा जवाब दिया.

‘‘क्यों, क्या हुआ? रैस्टोरैंट बेच कर हम से गलती हो चुकी है. अब मेरी मजबूरी सम झ. भले ही रुपए किस्तों में देना. मैं अब किसी और को बचाखुचा जमीर बेचना नहीं चाहता,’’ प्रवीण ने फिर दुखी हो कर वजह बताई, ‘‘रौकी की इंजीनियरिंग पूरी हो जाए. यह मेरी अंतिम ख्वाहिश है. शरीर ने साथ दिया तो कहीं किराए पर घर ले कर छोटामोटा धंधा शुरू कर लूंगा.’’ ‘‘हम ने आपस में जंग लड़ी. तुम भी हारे, मैं भी हारा. नुकसान दोनों का हुआ, तो भरपाई भी दोनों को ही करनी है.’’ ‘‘तेरी मंशा क्या है, मैं नहीं जानता. मु झे इतना पता है कि मु झ में अब लड़ने की ताकत नहीं है और लड़ना भी नहीं चाहता,’’ प्रवीण ने टूटे स्वर में कहा. ‘‘मैं लड़ने की नहीं, जोड़ने की बात कह रहा हूं,’’ नवीन ने कुछ देर सोचते हुए जोर दे कर अपनी बात रखी, ‘‘हम लोग मिल कर फिर से रैस्टोरैंट खोलेंगे. अब हम बेचेंगे नहीं, खरीदेंगे.’’ नवीन उठते हुए बोला, ‘‘आज मनु मेरी आंखें न खोलती तो पुरखों की एक और निशानी हाथ से निकल जाती.

’’ प्रवीण आश्चर्य से नवीन को देखता रह गया. उस की आंखें एकाएक बरसने लगीं. गिलेशिकवे खरपतवार की तरह दूर बहते चले गए. ‘‘मकान बेचने की कोई जरूरत नहीं है. सब ठीक हो जाएगा. बिजनैस के लायक पैसा है मेरे पास,’’ जातेजाते नवीन कहता गया. इस बात को लगभग 4 मास हो गए. रैस्टोरैंट के शुभारंभ की तैयारियां शुरू हो गई थीं. इश्तिहार बांटे जा चुके थे. दशहरा का दिन था. रैस्टोरैंट रंगीन फूलों से बेहद करीने से सजा था. शहर के व्यस्ततम इलाके में इस से व्यवस्थित और आकर्षक रैस्टोरैंट दूसरा न था. परिचित लोग दोनों भाइयों को बधाई दे रहे थे. घर की बहुएं वयोवृद्ध गोकुल प्रसाद से उद्घाटन की रस्म निभाने के लिए निवेदन कर रही थीं. गोकुल प्रसाद कोई सगेसंबंधी न थे. पारिवारिक मित्र थे. एक मित्र के नाते उन के स्नेह और समर्पण पर सभी गौरवान्वित हो रहे थे. मनु सितारों जड़े आसमानी लहंगे में सजीधजी आगंतुकों का स्वागत कर रही थी. रौकी, प्रवीण और नवीन के बीच खड़ा तसवीरें खिंचवा रहा था. सड़क पर गुजरते हुए लोग रैस्टोरैंट के बाहर चमचमाते सुनहरे बोर्ड की ओर मुड़मुड़ कर देख रहे थे, जिस पर लिखा था- ‘रैस्टोरैंट अन्नपूर्णा ब्रदरहुड.’’

Winter Special: सर्दियों में भी रहेंगे चमचमाते बाल

सर्दी का मौसम अपने साथसाथ कई समस्याएं भी ले कर आता है. उन्हीं में से एक है बालों की समस्या. आइए, जानते हैं सर्दी के मौसम में होने वाली बालों की समस्याओं के बारे में:

1. बालों का टूटना

अकसर सर्दी के मौसम में स्वस्थ बाल भी नाजुक हो जाते हैं और हवा में मौइश्चराइजर होने की वजह से वे टूटने लगते हैं. अत: इस परेशानी से बचने के लिए आवश्यकतानुसार तेल की कुछ बूंदें अंडे के साथ मिलाएं और फिर बालों पर लगाएं. अगर चाहें तो अंडा हिना मास्क के साथ भी लगा सकती हैं. उस के बाद माइल्ड शैंपू से धो लें. आप पाएंगी सुंदर, सिल्की व कोमल बाल.

2. गरम तेल से मसाज

अकसर मालिश के लिए प्राकृतिक तेल जैसे औलिव औयल, नारियल तेल, कैस्टर औयल इस्तेमाल किए जाते हैं. ये बालों को मौइश्चराइज करने के साथसाथ उन्हें टूटने से भी बचाते हैं.

3. संतुलित आहार

बालों को टूटने से रोकने का संतुलित भोजन बेहतरीन उपाय है. अत: हमारे भोजन में चावल, दाल, हरी सब्जियां, अंकुरित अनाज इत्यादि पर्याप्त मात्रा में हो. इस के साथ ही दिन भर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए.

4. दोमुंहे बाल

अगर बालों को ड्रायर से सुखाएंगी तो उस से वे दोमुंहे होंगे और जल्दी टूटेंगे. अत: आवश्यकतानुसार तेलों का मिश्रण जैसे नारियल तेल, औलिव व बादाम के तेल के प्रयोग से बाल घने और सुंदर बनेंगे.

5. अंडा मास्क

3 चम्मच अंडे की जरदी को 1 चम्मच शहद के साथ मिलाएं फिर बालों पर हलके हाथों से लगाएं. कुछ देर बाद माइल्ड शैंपू से धो लें.

6. शहद मसाज

2 चम्मच शहद 4 कप गरम पानी में मिलाएं और फिर शैंपू के बाद बालों पर लगाएं.

7. सूखे बाल व सूखी स्कैल्प

टीट्री औयल में पावरफुल ऐंटीफंगल और ऐंटीबैक्टीरियल ताकत होती है. बालों के लिए यह एक बेहतर घरेलू उपचार है.

8. ऐलोवेरा जैल

बालों से डैंड्रफ खत्म करने के लिए ऐलोवेरा जैल सब से बेहतरीन उपाय है. इस के अलावा ऐलोवेरा जैल से बालों में मसाज कर

10-15 मिनट बाद धो लें. इस से बालों की खुजली भी कम हो जाएगी. बेकिंग सोडा पेस्ट भी बालों की खुजली में असरदायक है. इस के लिए बेकिंग सोडे का पेस्ट बना कर बालों में लगाएं. आधे घंटे बाद बालों को धो लें.

9. नारियल तेल

नारियल तेल घरेलू उपचार में सब से ज्यादा इस्तेमाल होने वाला सामान है. यह बालों की नमी को बनाए रखता है और बालों को ड्राई होने से बचाता है. कुनकुने नारियल तेल से बालों की जड़ों में मालिश करें. फिर घंटे भर बाद उन्हें धो लें.

10. नीबू का रस

सूखे बालों व सूखी स्कैल्प के चलते बालों में रूसी हो जाती है. ऐसे में नींबू का रस इस के लिए सब से बेहतर उपाय है. नींबू के रस से बालों में हलकेहलके मसाज की जाए तो रूसी कम होगी.

Winter Special: सर्दियों में गरमाहट दे बादाम वटी

सर्दियों में आपके शरीर को अंदर से भी गरमाहट की जरूरत होती है. सर्दियों में बनायें बादाम वटी ताकि आपका शरीर को अंदर से भी गर्माहट मिलती रहे.

सामग्री

– 100 ग्राम बादाम

– 50 ग्राम चीनी

– 3 बड़े चम्मच मिल्क पाउडर

– 1/4 कप पानी

– 3 बादाम, सजावट के लिए

विधि

बादामों को गरम पानी में 2 घंटे भिगोएं.

– बादामों को छिलका उतार कर कपड़े से पोंछ लें.

– सूखी मिक्सी में बादाम पीस लें.

– पिसे हुए बादाम में मिल्क पाउडर भी मिला दें.

– एक कड़ाही में चीनी व पानी डाल कर एकतार की चाशनी तैयार करें.

– इस में बादाम पाउडर डाल कर अच्छी तरह चलाएं. आंच बंद कर दें. मिश्रण को बराबर चलाती रहें. थोड़ी देर में यह किनारे छोड़ देगा.

– मिश्रण को एक चौपिंग बोर्ड पर लगभग 1/2 इंच मोटा फैलाएं. इस पर बादाम के 2 टुकड़े कर के लगा दें. ठंडा होने पर टुकड़े काट लें. बादाम वटी तैयार है.

सैक्सरिंग : प्यार के नाम पर फंस न जाना

युवाओं का पहला आकर्षण प्रेम ही होता है. शायद ही कोई ऐसा युवा होगा जो रोमांस के इस फेज में न फंसा हो. कोई अपना लव इंटरैस्ट अपनी क्लासमेट में ढूंढ़ता है तो कोई पासपड़ोस की ब्यूटीफुल युवती पर फिदा हो जाता है. युवावस्था के आकर्षण से जुड़े हारमोंस ही हमें किसी विपरीतलिंग की तरफ आकर्षित करते हैं.

हालांकि हर बार यह प्यार सच्चा हो, इस की कोई गारंटी नहीं. प्यार के नाम पर कैमिकल लोचा भी हो सकता है, प्यार एकतरफा भी हो सकता है और कई बार लव को लस्ट यानी वासना की शक्ल में भी देखा जाता है. इन सब प्यार की अलगअलग कैटेगरीज से गुजरता हर युवा मैच्योर होतेहोते सीखता है कि लव के असल माने क्या हैं?

इस रोमांटिक फेज में उपरोक्त कैटेगरीज के अलावा एक और खतरनाक फेज होता है सैक्सरिंग का यानी प्यार के नाम पर जब कोई युवती किसी युवती को फंसा ले तो वह सैक्सरिंग में उलझ कर रह जाती है.

प्यार में सौदा नहीं

करन अरोड़ा को कम उम्र में ही पेरैंट्स ने महंगी बाइक दिला दी. महंगी और ऐडवांस्ड बाइक के टशन में वह रोज स्कूल से कोचिंग आता. वह प्रिया को कई बार घर से कोचिंग तक लिफ्ट दे चुका था.

इस के पीछे कारण यह था कि अचानक कुछ दिनों से प्रिया करन की तारीफ उस के दोस्तों के बीच कुछ ज्यादा ही करने लगी थी. दोस्तों से अपनी तारीफ सुन कर करन को लगा कि वह प्रिया को प्रपोज कर देगा. एक दिन कोचिंग से बंक मार कर वह प्रिया को मौल ले गया और उसे प्रपोज कर दिया.

प्रिया ने जितनी जल्दी हामी भरी उस की करन को उम्मीद तो नहीं थी, लेकिन प्रिया की हां से वह इतना उत्साहित हो गया कि दिमाग के बजाय दिल से सोचने लगा. उस दिन उस ने प्रिया की पसंद की ड्रैस, आर्चीज के गिफ्ट व फेवरिट रेस्तरां के खाने में हजारों रुपए खुशीखुशी खर्च कर डाले.

प्रिया के प्यार का यह नाटक उस दिन खुला जब करन के ही दोस्त यश ने उसे बताया कि प्रिया तो सौमिक की कार में घूम रही है और आजकल उस की गर्लफ्रैंड के तौर पर फेमस है.

हैरानपरेशान करन ने जब प्रिया से फोन कर सफाई मांगी तो उस ने उलटे सौमिक से पिटवाने की धमकी दे डाली.

लुटापिटा करन उस को पेरैंट्स से झूठ बोल कर कोर्स फीस के पैसों से स्मार्टफोन, ज्वैलरी व लैपटौप दिलवा चुका था. जाहिर है वह लव के नाम पर लूटा गया था.

अचानक लड़की आप के करीब आ जाए तो उस पर लट्टू होने के बजाय जरा दिमाग लगा कर सोचिए कि इस नजदीकी की वजह प्यार है या आप की मोटी जेब, क्योंकि प्यार कोई सौदेबाजी नहीं होती. जो लड़की आप से प्यार करेगी वह बातबात पर महंगे गिफ्ट्स नहीं मांगेगी और न ही हर समय आप की जेब ढीली करेगी. अगर आप की गर्लफ्रैंड भी आप से ज्यादा आप के तोहफों पर ध्यान देती है तो समझ जाइए कि आप भी सैक्सरिंग में फंसने वाले हैं.

सिंगल होना शर्मिंदगी नहीं

सैक्सरिंग का सब से आसान शिकार युवतियां ज्यादातर उन युवकों को बनाती हैं जो सिंगल होते हैं. साइकोलौजिस्ट भी मानते हैं कि हमारे समाज व युवाओं का रवैया कुछ ऐसा है कि जो लड़के सिंगल होते हैं उन का मजाक बनाया जाता है, उन पर जल्द से जल्द गर्लफ्रैंड बनाने का दबाव डाला जाता है. मानो किसी युवक की गर्लफ्रैंड नहीं है तो उस में कोई न कोई कमी होगी.

इस मनोवैज्ञानिक दबाव के तले दब कर युवक अपनी सोचसमझ खो कर एक अदद युवती की तलाश में जुट जाता है जो जल्दी से जल्दी उस की गर्लफ्रैंड बनने को तैयार हो. भले इस के लिए उसे कोई भी कीमत चुकानी पड़े. इसी जल्दबाजी व मनोवैज्ञानिक दबाव का फायदा चालाक व शातिर युवतियां उठाती हैं और सिंगल युवकों को झूठे प्यार के सैक्सरिंग में फांस कर उन की जेबें ढीली करती हैं. कई मामलों में तो उन की पढ़ाईलिखाई व कैरियर तक बरबाद कर डालती हैं.

युवाओं को यह समझने की जरूरत है कि सिंगल होना कोई  शर्मिंदगी की बात नहीं है. जब तक कोई ईमानदार या सच्चा प्यार करने वाली युवती न मिले, सिंगल रहना बेहतर है. पढ़ाई, कैरियर, शौक व दोस्तों को समय दे कर सैक्सरिंग से बचने में ही समझदारी दिखाने वाले युवा कुछ बन पाते हैं.

इमोशनल अत्याचार के साइड इफैक्ट्स

अकसर युवतियों से धोखा खाए या यों कहें कि सैक्सरिंग के शिकार युवक भावनात्मक तौर पर टूट जाते हैं और प्रतिक्रियास्वरूप कुछ ऐसा कर बैठते हैं जो उन के भविष्य को खतरे में डाल देता है.

जनवरी 2017, दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके के रोहन को जब एक युवती ने झूठे प्यार के जाल में फंसा कर चूना लगाया तो उस ने उस से बदला लेने की ठान ली व एक दिन स्कूल से लौटते समय युवती के चेहरे पर ब्लैड मार दिया.

घायल युवती के परिजनों ने रोहन के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर दी. इस तरह मामला उलटा पड़ गया. युवती का तो कुछ नहीं बिगड़ा, रोहन को जरूर हवालात की हवा खानी पड़ी.

अकसर सैक्सरिंग के शिकार युवा इमोशनली इतने डिस्टर्ब हो जाते हैं कि धोखा खाए प्रेमी की तरह उस युवती से बदला लेने की ठान लेते हैं. आएदिन हम प्रेम में ठुकराए प्रेमियों की आपराधिक कृत्यों की खबरें पढ़ते रहते हैं. कोई तेजाब से हमला करता है तो कोई युवती का अपहरण तक कर डालता है. कोई सैक्स संबंधों की  पुरानी तसवीरों, सैक्स क्लिप्स या प्रेमपत्रों के नाम पर लड़की को सबक सिखाना चाहता है.

प्यार से अपराध की ओर न जाएं

याद रखिए ये तमाम हिंसात्मक व अनैतिक रास्ते अपराध की उन गलियों की ओर ले जाते हैं, जहां से युवाओं के लिए वापस आना नामुमकिन सा हो सकता है. एक तो पहले ही युवती ने फंसा कर आप का धन व समय बरबाद कर दिया. उस पर उस से बदला लेने के लिए अतिरिक्त समय, धन व भविष्य दांव पर लगाना कहां की समझदारी है?

बेहतर यही है कि उस बात को भूल कर आप अपने कैरियर पर ध्यान दें. एक न एक दिन आप को सच्चा प्यार जरूर मिलेगा. इस धोखेभरी लवस्टोरी से इतना जरूर सीखिए कि अगली बार जब कोई युवती आप की भावनाओं से खिलवाड़ कर आप पर सैक्सरिंग का वार करे तो उस के झांसे में न आएं.

सैक्सरिंग के लक्षण

कोई युवती आप से सचमुच प्यार करती है या फंसा रही है, उसे समझने के लिए सैक्सरिंग के कुछ लक्षण समझना जरूरी है. निम्न पौइंट्स से समझिए कि कौन सी युवती स्वाभाविक तौर पर सैक्सरिंग के जाल में आप को फंसाना चाहती है :

–       जब बातबात पर शौपिंग, पार्टी या महंगे गिफ्ट्स की डिमांड करे.

–       जब खुद से जुड़ी जानकारियां छिपाए व आप की हर बात जानना चाहे.

–       आप के दोस्तों या परिवार से मिलने से कतराए.

–       अपने फैमिली या फ्रैंड सर्किल से मिलवाते वक्त आप की पौकेट खाली करवाए.

–       बातबात पर आप की तारीफ करे और आप की हर बात पर सहमति जताए.

–       हर जरूरत पर आर्थिक मदद की डिमांड करे.

–       झगड़े की वजहों में पैसों का ताना मारे.

–       आप के अमीर व संपन्न दोस्तों से करीबी बढ़ाए.

–       आप की आर्थिक मदद करने से कतराए या बहाने बनाए.

–       प्यार के नाम पर भावनात्मक सहारे के बजाय सिर्फ फिजिकल रिलेशन को तरजीह दे.

अगर इन तमाम पौइंट्स पर आप की गर्लफ्रैंड खरी उतर रही हो तो सावधान हो जाइए. आप पर सैक्सरिंग फेंका जा चुका है. सही मौका पाते ही सैक्सरिंग का छल्ला गले से निकाल फेंकिए और ब्रेकअप सौंग पर जम कर अपनी फेक लवर से आजादी का जश्न मनाइए.

शादी के बाद मैं पत्नी के साथ क्या खुश रह पाऊंगा?

सवाल-

मैं 25 वर्षीय युवक हूं. मेरी शादी होने वाली है. पर मैं अपनी एक व्यक्तिगत समस्या को ले कर बेहद परेशान हूं. मैं किसी दोस्त से भी इस बारे में बात नहीं कर सकता. इसीलिए आप को लिख रहा हूं. मेरा यौनांग काफी छोटा है. पता नहीं विवाह के बाद मैं पत्नी को यौनसुख देने और पिता बनने में समर्थ हो पाऊंगा या नहीं.कृपया कोई दवा या क्रीम बताएं, जिस के प्रयोग से मेरा यौनांग बड़ा हो जाए.

जवाब-

यौनांग के आकार का शारीरिक सुख पर कोई प्रभाव नहीं होता. आप बेवजह परेशान न हों. आप की सैक्स लाइफ में इस से कोई परेशानी नहीं होगी और न ही संतानोत्पत्ति में कोई रुकावट आएगी.

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मेरठ का 30 वर्षीय मनोहर अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं था, कारण शारीरिक अस्वस्थता उस के यौन संबंध में आड़े आ रही थी. एक वर्ष पहले ही उस की शादी हुई थी. वह पीठ और पैर के जोड़ों के दर्द की वजह से संसर्ग के समय पत्नी के साथ सुखद संबंध बनाने में असहज हो जाता था. सैक्स को ले कर उस के मन में कई तरह की भ्रांतियां थीं.

दूसरी तरफ उस की 24 वर्षीय पत्नी उसे सैक्स के मामले में कमजोर समझ रही थी, क्योंकि वह उस सुखद एहसास को महसूस नहीं कर पाती थी जिस की उस ने कल्पना की थी. उन दोनों ने अलगअलग तरीके से अपनी समस्याएं सुलझाने की कोशिश की. वे दोस्तों की सलाह पर सैक्सोलौजिस्ट के पास गए. उस ने उन से तमाम तरह की पूछताछ के बाद समुचित सलाह दी.

क्या आप जानते हैं कि सैक्स का संबंध जितना दैहिक आकर्षण, दिली तमन्ना, परिवेश और भावनात्मक प्रवाह से है, उतना ही यह विज्ञान से भी जुड़ा हुआ है. हर किसी के मन में उठने वाले कुछ सामान्य सवाल हैं कि किसी पुरुष को पहली नजर में अपने जीवनसाथी के सुंदर चेहरे के अलावा और क्या अच्छा लगता है? रिश्ते को तरोताजा और एकदूसरे के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए क्या तौरतरीके अपनाने चाहिए?

पूरी खबर पढ़ने के लिए- जानें हैप्पी मैरिड लाइफ से जुड़ी बातें

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

जानें क्या हैं गर्भनिरोधक गोलियों के 10 साइड इफेक्‍ट

अनचाहे गर्भ को रोकने के लिये अक्‍सर महिलाएं बर्थ कंट्रोल पिल्‍स यानी गर्भ निरोधक गोलियों पर विश्‍वास रखती हैं. अगर इन्‍हें सही समय पर लिया जाए तो यह अपना काम असरदार तरीके से करती हैं.

किसी किसी चीज का फायदा है तो उसका नुकसान भी जरुर होगा इसलिये बर्थ कंट्रोल के भी कुछ साइड इफेक्‍ट होते हैं, जैसे मतली, यौन रुचि में बदलाव, वजन का बढ़ना, सिरदर्द, चक्कर आना, स्तन में सूजन आना आदि, जैसी बातें हर महिला को पता होती हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी साइड इफेक्‍ट हैं, जो डॉक्‍टर आपको नहीं बताएगा.

बर्थ कंट्रोल पिल शरीर में हार्मोन को कंट्रोल करता है, इसलिये इसके कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. आइये जानते हैं इनके बारे में.

1. सिरदर्द और माइग्रेन

शरीर में हार्मोन के उतार चढाव की वजह से सिरदर्द या माइग्रेन हो सकता है. कई बर्थ कंट्रोल पिल एस्‍ट्रोजन के लेवल को घटा देते हैं जिससे सिरदर्द होने लगता है. अगर आपको भी ऐसा साइडइफेक्‍ट होता है, तो अपनी पिल डॉक्‍टर से कह कर बदल लें.

2. मतली

अगर इसे खाने के बाद मतली महसूस हो तो, पिल को खाना खाते समय या सोने से पहले लें. इसे कई दिनों तक एक ही समय पर लें, जिससे इसका साइड इफेक्‍ट कम हो जाए.

3. ब्रेस्‍ट में सूजन या कड़ापन आना

पिल लेने से महिलाओं के ब्रेस्‍ट में सूजन आ जाती है, जो कि पिल लेने के कई हफ्तों बाद ठीक भी हो जाती है. यह केवल हार्मोन के बदलाव की वजह से होता है. इस दौरान कॉफी और नमक का सेवन कम कर दें और सपोर्ट वाली ब्रा ही पहनें. अगर आपको छाती में दर्द, सांस लेने में दर्द हो, तो आपको डाक्टरी सलाह लेनी ही चाहिए.

4. पीरियड के दरमियान असामान्य ब्लीडिंग

पिल लेने के दो या तीन महीने कें अंदर महिलाओं को पीरियड के दरमियान असामान्य ब्लीडिंग से जूझना पड़ता है. हार्मोनल पिल लेने से यूट्रस में एंडोमेट्रियल की लाइनिंग कमजोर हो कर गिरने लगती है और इसी वजह से ब्‍लीडिंग शुरु हो जाती है. अगर आपको पिल लेते वक्‍त 5 या उससे अधिक दिनों तक ब्‍लीडिंग हो तो डॉक्‍टर से मिलना ना भूलें.

5. वजन बढ़ना

गोलियां लेने के हफ्ते-महीने बाद शरीर का वजह बढ़ने लगता है, लेकिन यह केवल वॉटर रिटेंशन की वजह से होता है जो कि बाद में चला जाता है. बर्थ कंट्रोल में भारी मात्रा में एस्‍ट्रोजन होता है, जो भूख खतक कर के वजन बढाने का काम करता है. इससे जांघों, हिप्‍स और ब्रेस्‍ट पर चर्बी बढ़ जाती है.

6. वेजाइनल यीस्‍ट इंफेक्‍शन

इस दौरान योनि में खुजली, जलन, तथा यीस्‍ट इंफेक्‍शन होने की संभावना बढ़ जाती है. यह रोग तब और ज्‍यादा बढ सकता है अगर महिला को मधुमेह है या फिर वह बहुत ज्‍यादा शक्‍कर या शराब का सेवन करती हो या फिर उसका इम्‍यून सिस्‍टम कमजोर हो.

7. मूड में बदलाव

मूड स्‍विंग या फिर डिप्रेशन भी हो सकता है क्‍योंकि सिंथेटिक हार्मोन दिमागी नसों पर असर डालते हैं. अगर आपके घर में किसी को डिप्रेशन था, तो अपने डॉक्‍टर को यह बात जरुर बतलाएं.

8. आंखों की रौशनी में परिवर्तन

वे महिलाएं जो शुरु से ही चश्‍मा लगाती है, उन्‍हें गर्भ निरोधक गोली खाने पर आंखों की रौशनी में फरक देखने को मिल सकता है. हार्मोन की वजह से आंखों की पुतलियों में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से यह पेशानी होती है. लंबे समय तक ओरल पिल लेने से ग्‍लूकोमा जैसी बीमारी भी हो सकती है.

9. रक्‍त के थक्‍के जमना

ओरल पिल लेने के साइड इफेक्‍ट में, रक्‍त के थक्‍के जमना एक आम पर गंभीर समस्‍या है. महिलाएं जो ओवरवेट, 35 की उम्र पार कर चुकी है या फिर हाल ही में बच्‍चे को जन्‍म दिया है, वे इसके रिस्‍क पर सबसे ऊपर रहती हैं. अगर आपको सांस लेने में दिक्‍कत, सीने में दर्द या पैरों में सूजन महसूस हो तो यह फेफड़े या दिल में रक्‍त जमने का संकेत हो सकता है.

10. यौन रुचि में कमी

कई महिलाओं में यह गोलियां, यौन रूचि में कमी डाल सकती हैं. यह हार्मोनल गोलियां, टेस्‍टोस्‍ट्रोन का प्रॉडक्‍शन रोक देती हैं, जिससे आपकी सेक्‍स लाइफ पर असर पड़ सकता है. इससे सेक्‍स के दौरान दर्द भी होता है.

जरुरी टिप्‍स

– ओरल पिल्‍स को रोजाना एक ही समय पर लें.

– ये गोलियां आपको यौन संक्रमित बीमारियों से नहीं बचाएंगी.

– यह गोलियां उनको सूट नहीं करेंगी, जो स्‍मोकिंग करती हैं या फिर जिन्‍हें ब्‍लड क्‍लॉटिंग की बीमारी है.

– जैसे ही लगे कि आप प्रेगनेंट हो सकती हैं, वैसे ही यह गोली खाएं.

तू मायके चली जाएगी: क्या वापस आई श्रीमतीजी

सुबह से बधाइयों का तांता लगा हुआ था. पड़ोस के दीपक व महेश ने तो मौर्निंग वाक पर ही मुझे बधाई दे दी थी. हम ने भी हंस कर उन की बधाइयों को स्वीकार किया था और साथ ही उन की आंखों में अपने प्रति कुछ जलन भी महसूस की थी. फिर तो जिसे पता चलता गया, वह आ कर बधाई देता गया. जो लोग आ न सके, उन्होंने फोन पर ही बधाई दे डाली. हम भी विनम्रता की मूर्ति बने सब से बधाइयां लिए जा रहे थे. तो आइए आप को भी मिल रही इन बधाइयों का कारण बता दें. दरअसल, कल शाम ही हमारी श्रीमतीजी हम से लड़झगड़ कर मायके चली गई थीं. हमारी 35 साल की शादी के इतिहास में यह पहली बार हुआ था कि वे हम से खफा हो मायके गईं. हां, यह बात और थी कि मुझे कई बार अपने ही घर से गृहनिकाला अवश्य दिया जा चुका था. खैर, इतनी बड़ी जीत की खुशी हम से अकेले बरदाश्त नहीं हो रही थी, तो रात को खानेपीने के दौर में ये बात महल्ले के ही राजीव के सामने हमारे मुंह से निकल गई. तभी से अब तक बधाइयों का अनवरत दौर चालू था.

पिछली रात उन बांहों की कैद से आजाद हम बड़ी मस्त नींद सोए थे. यह बात और है कि सुबह उठने के बाद हमें उन के हाथों से बनी चाय का लुत्फ न मिल पाया. पर जल्द ही अपनी भावनाओं पर काबू पाते हुए हम ने अपने मर्दाना हाथों से एक कड़क चाय बनाई, जो इत्तफाक से कुछ ज्यादा ही कड़क हो गई, बिलकुल हमारी बेगम साहिबा के मिजाज की तरह.

चाय पीतेपीते ही खयाल आया कि आखिर फेसबुक के मित्रों ने हमारा क्या बिगाड़ा है? उन से भी तो हमें यह खुशखबरी बांटनी चाहिए. हम ने कहीं सुन रखा था कि खुशियां बांटने से बढ़ती हैं तो अपनी खुशी बढ़ाने की गरज से हम ने यों ही चाय पीते हुए अपनी एक सैल्फी ले कर फेसबुक पर अपनी नई पोस्ट डाल दी. फिर तो साहब देखने वाला माहौल बन गया. लाइक पर लाइक, कमैंट्स पर कमैंट्स आते रहे. आज तक हमारी किसी भी पोस्ट पर इतने लाइक्स या कमैंट्स नहीं आए थे. हम खुशी से फूले न समा रहे थे. सुबह के 10 बज रहे थे. कामवाली बाई अपना काम खत्म कर के जा चुकी थी. अब जोरों से लगती भूख ने हमें घर से बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया, क्योंकि हमें खाना बनाने का हुनर तो कुदरत ने बख्शा ही नहीं था. यही वह एक कमी थी जिस का फायदा हर झगड़े में हमारी श्रीमतीजी उठाती थीं. हम ने भी तय कर लिया था, बाहर खा लेंगे, पर अब इस लड़ाई में घुटने नहीं टेकेंगे. घर से बाहर निकलते ही हमारा सामना प्रेमा से हो गया, जो इत्तफाक से बाहर अपने प्यासे पौधों को पानी पिला रही थीं. हमें देख कर वे कुछ इस अदा से मुसकराईं कि हमें पतझड़ के मौसम में बसंत बहार नजर आने लगी. प्रेमा अभी कुछ महीनों पहले ही हमारे महल्ले में आई हैं.

उन के बारे में ज्यादा कोई नहीं जानता. बस, इतना ही मालूम था, 2 शादीशुदा बेटे विदेश में रहते हैं, और वे यहां अकेली. उम्र 55 से ऊपर, पर अभी भी बला की खूबसूरत नजर आती थीं. महल्ले के सभी यारों ने कभी न कभी उन की तारीफ में कुछ नगमे अवश्य सुनाए थे. खुद हम भी कहां कम थे, 62 की उम्र में भी दिल जवां था हमारा. उन की एक नजर हम पर भी कभी पड़े, इस हेतु हम ने बड़े जतन किए थे, पर आज श्रीमतीजी के हमारे साथ न होने से शायद हमारा समय चमक गया था. आज उन की इस मुसकान पर हम ठिठक कर रह गए…

नमस्ते मिहिर साहब, कहां जा रहे हैं? उन के पूछने पर जैसे हमारी तंद्रा टूटी.

जी, बस कुछ नहीं, श्रीमतीजी घर पर नहीं हैं, तो बे्रकफास्ट करने किसी रेस्तरां…

‘‘आइए चाय पी लीजिए, मैं कुछ गरमगरम बना देती हूं,’’ मेरी बात को बीच में ही उन्होंने काटते हुए कहा. एक भिखारी को अचानक ही रुपयों से भरा सूटकेस मिल जाए, हमारी हालत भी कुछ ऐसी ही हो रही थी. हम ने एक बार भी मना किए बगैर उन के इस नेह निमंत्रण को स्वीकार कर लिया. चायनाश्ते के दौरान जब कभी हमारी निगाह मिलती, दिल की धड़कनें बढ़ती हुई प्रतीत होतीं. चाय के साथ गरमगरम पकौडि़यों संग उन की मीठीमीठी बातें. अच्छा हुआ हमें डाइबिटीज नहीं थी, वरना शुगर लैवल बढ़ते देर न लगती. इस दौरान उन्होंने अपनी मेड सर्वैंट से हमारी फोटो भी क्लिक करवाई, इस समय को यादगार बनाने के लिए.

हमारी खुशी का ठिकाना न था. घर आ कर हमें अपना खाली मकान भी गुलजार लगने लगा. श्रीमतीजी के मायके जाने की असल खुशी तो हमें आज हो रही थी. कुछ आराम करने के बाद हम ने अपना फेसबुक खोला, तो उस में प्रेमा की फ्रैंड रिक्वैस्ट देख कर हम फूले न समाए. उन के हमारी फ्रैंड लिस्ट में जुड़ने से जाने कितनों के दिल टूटने वाले थे.

खैर, शाम को जब पार्क में घूमते समय हम ने यह बात अपने दोस्तों को बताई, तो आश्चर्य से भरे उन के चेहरे उस वक्त देखने काबिल थे. कइयों ने उसी समय हम से अपनी पत्नी से लड़नेझगड़ने के नुस्खे उन्हें भी सिखा देने की रिक्वैस्ट की. हम महल्ले के हीरो बन चुके थे. रात का खाना प्रकाश के घर से आ चुका था. खाना खा कर बिस्तर पर लेटते ही हमें नींद ने आ घेरा, रातभर सपनों में भी हम प्रेमा के संग प्रेमालाप में व्यस्त रहे. अगली सुबह फ्रैश हो कर चाय पीतेपीते हम ने पूरे दिन का प्रोग्राम बनाया, जिस में प्रेमा के साथ शाम को घूमने का प्रोग्राम भी शामिल था. यह सोच कर कि मौर्निंग वाक पर जाते समय ही प्रेमा को निमंत्रण दे देना चाहिए, हम ने तैयार हो कर दरवाजे की तरफ पहला कदम बढ़ाया ही था कि दरवाजे की घंटी बज उठी. इतनी सुबह कौन होगा? हम ने दरवाजा खोला. दरवाजा खोलते ही हम गश खा कर गिरतेगिरते बचे, सामने हमारी श्रीमतीजी अपना सूटकेस लिए खड़ी थीं. हम ने कुछ हकलाते हुए कहा, ‘‘तुम इस वक्त यहां?’’

‘‘क्यों अपने ही घर आने के लिए हमें वक्त देखना पड़ेगा क्या?’’ श्रीमतीजी ने अपनी जलती हुई निगाहों से मुझे घूरते हुए कहा.

‘‘नहींनहीं, यह बात नहीं है, तुम कुछ गुस्से में गई थीं न, इसलिए…’’ हम ने उन्हें याद दिलाना चाहा.

‘‘सुना है, आसपड़ोसी तुम्हारा बहुत खयाल रख रहे हैं,’’ श्रीमतीजी के तेवर हमें ठीक नहीं लग रहे थे.

‘‘चलो, अच्छा हुआ, तुम आ गईं. तुम्हारे बिना यह घर हमें काटने को दौड़ रहा था,’’ हम ने मुसकराना चाहा.

‘‘तभी तो दूसरों के घर अपना गम भुलाने गए थे तुम, है न?’’ श्रीमतीजी प्रश्न पर प्रश्न किए जा रही थीं.

‘‘मैं तुम्हारे लिए मस्त चाय बनाता हूं,’’ कहते हुए हम वहां से खिसक लिए. चाय पीते वक्त भी श्रीमतीजी की तीखी निगाहें हम पर ही टिकी थीं. कुछ देर बाद वे उठ कर घर के कामों पर नजर दौड़ाने लगीं. और हम अपनी अक्ल के घोड़े दौड़ाने लगे इस बात पर कि आखिर श्रीमतीजी इतनी जल्दी वापस क्यों आ गईं? हमारा पूर्व निर्धारित पूरा प्रोग्राम चौपट हो चुका था. फिर भी हमें तसल्ली थी कि कम से कम उन्हें हमारी कारगुजारियों के बारे में पता तो नहीं चला. अब हम ने मोबाइल पर अपने फेसबुक की अपडेट्स लेनी चाही, तो ये देख कर चौंक गए कि प्रेमाजी ने कल सुबह के नाश्ते की तसवीर फेसबुक पर डाल कर मुझे टैग किया हुआ था, यह लिख कर कि ‘हसीं सुबह की चाय का लुत्फ एक नए दोस्त के साथ’ और श्रीमतीजी ने न केवल उसे लाइक किया था, बल्कि कमैंट भी लिखा था. अब हमें उन के तुरंत लौट आने और उन की तीखी निगाहों का कारण समझ में आ गया. इस बात के लिए उन्हें क्या सफाई देंगे, इस बात पर सोच ही रहे थे कि दरवाजे पर फिर से दस्तक हुई. श्रीमतीजी ने दरवाजा खोला, तो सामने प्रेमा हमारी ही उम्र के एक अनजान व्यक्ति के साथ नजर आईं.

‘‘हाय स्वीटी,’’ उन्होंने मुसकरा कर मेरी श्रीमतीजी को गले से लगाते हुए कहा.

‘‘आओ प्रेमा, आओ,’’ श्रीमतीजी उन्हें अंदर लाते हुए बोलीं.

नमस्ते जीजाजी, प्रेमा ने मेरी ओर मधुर मुसकान बिखेरते हुए कहा.

‘जीजाजी, यह शब्द हम पर हथौड़े की भांति पड़ा. मगर फिर भी हम अपनेआप को संभालने में कामयाब रहे. तभी श्रीमतीजी ने प्रेमा के साथ आए आगंतुक का परिचय कराते हुए कहा, ‘ये हैं डा. अनिवनाश जैन, प्रेमा के पति.’

‘‘जी हां, और पिछले कुछ महीनों से मुझ से झगड़ कर अपने मायके यानी मेरे सासससुर के पास रह रहे थे. और आज आप के कारण ही हम दोबारा एक हो पाए हैं. आप का बहुतबहुत धन्यवाद, जीजाजी,’’ कह कर प्रेमा ने दोनों हाथ जोड़ दिए.

‘‘हां मिहिर, प्रेमा मेरी कालेज की सहेली है. कुछ महीनों पहले जब यहां शिफ्ट हुई, तब एक बार अचानक ही हमारी मुलाकात हो गई और बातोंबातों में उस ने बताया कि अविनाश से किसी बात को ले कर उस की काफी कहासुनी हो गई है, और इसीलिए वह अकेली रह रही है. और तभी हमारे दिमाग में यह प्लान आया और मैं जानबूझ कर तुम से लड़ कर मायके चली गई क्योंकि मुझे मालूम था कि मेरे सामने तो तुम इस के पास जाने से रहे,’’ कह कर श्रीमतीजी बेसाख्ता हंस पड़ीं. उन के साथ प्रेमा और अविनाश भी मुसकराने लगे.

ओह, तो इस का मतलब है हमें मुरगा बनाया गया. अब शुरू से आखिर तक की सारी कहानी हमारी समझ में आ चुकी थी. श्रीमतीजी का यों लड़ कर मायके जाना, प्रेमा का प्यार जताना, हमारी फोटो फेसबुक पर डालना ताकि उसे देख अविनाश वापस आ जाए. मतलब जिसे हम अपनी जीत समझ रहे थे. वह मात्र एक भ्रम था. ‘‘लेकिन अगर अविनाश अभी वापस नहीं आते?’’

हमारे इस प्रश्न पर श्रीमतीजी मुसकुराते हुए बोलीं, ‘‘तो यह नाटक कुछ दिनों और चलता. मैं मायके से अभी वापस नहीं आती.’’

अब हमारे पास सिवा मुसकराने के और कोई चारा नहीं था. मन ही मन इस बात की तसल्ली थी कि प्रेमा के संग प्यार की पींगें न सही, साली के रूप में आधी घरवाली मिलने का संतोष तो है.

बिदाई: क्यों मिला था रूहानी को प्यार में धोखा

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ननद Saba के वेडिंग रिसेप्शन में छाए दीपिका-शोएब, वीडियो वायरल

टीवी के पौपुलर कपल यानी एक्ट्रेस दीपिका कक्कड़ (Dipika Kakkar) और एक्टर शोएब इब्राहिम (Shoaib Ibrahim) इन दिनों अपनी बहन सबा इब्राहिम की शादी के चलते सुर्खियों में हैं. वहीं हाल ही में हुए वेडिंग रिसेप्शन में फैमिली और दोस्तों के अलावा टीवी इंडस्ट्री के सेलेब्स की शिरकत करते नजर आएं. हालांकि इस फंक्शन की लाइमलाइट शोएब और दीपिका ने चुरा ली. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो की झलक…

रिसेप्शन में पहुंचे टीवी सितारे

 

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दीपिका कक्कड़ की ननद सबा इब्राहिम और सनी के वेडिंग रिसेप्शन की फोटोज और वीडियो तेजी से वायरल हो रही हैं, जिसमें एक्ट्रेस गौहर खान और उनके पति से लेकर संभावना सेठ तक फंक्शन में चार चांद लगाते नजर आ रहे हैं. इसके अलावा पौपुलर सीरियल ससुराल सिमर का का हिस्सा रहे एक्टर्स भी इस फंक्शन में पहुंचे. वहीं सेलेब्स अपने सोशलमीडिया अकाउंट से रिसेप्शन की अनदेखी फोटोज और मस्ती की वीडियो भी सोशलमीडिया पर शेयर करते दिख रहें हैं.

दीपिका-शोएब ने बटोरी सुर्खियां  

 

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एक तरफ जहां दुल्हन सबा इब्राहिम ने अपने वेडिंग रिसेप्शन पर पर्पल आउटफिट में सुर्खियों बटोरती दिखीं तो वहीं  भाभी दीपिका कक्कड़ और उनके पति शोएब इब्राहिम की गैंड एंट्री ने फैंस का दिल जीत लिया. दरअसल, एक्ट्रेस दीपिका पीच कलर आउटफिट में तो शोएब इब्राहिम ब्लैक कलर की शेरवानी में एंट्री करते दिखे. वहीं फैंस ने दोनों की इस एंट्री को रॉयल बताया और सोशलमीडिया पर काफी तारीफें भी की हैं.

बहन के रिसेप्शन में नाचे शोएब

 

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लुक के अलावा वेडिंग रिसेप्शन में मस्ती की बात की जाए तो एक्टर शोएब इब्राहिम अपनी बहन के रिसेप्शन में जमकर डांस करते हुए दिखे. वहीं इसमें उनका साथ दीपिका कक्कड़ देती हुई नजर आईं, जिसकी वीडियो एक्ट्रेस ने अपने सोशलमीडिया अकाउंट पर शेयर की है और फैंस इस वीडियो को काफी पसंद कर रहे हैं.

Bigg Boss 16: प्रियंका नहीं बल्कि इस एक्ट्रेस संग अंकित गुप्ता की रोमांटिक फोटोज हुई वायरल

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 16 (Bigg Boss 16) की चर्चा इन दिनों सोशलमीडिया पर बनी हुई हैं. जहां एक तरफ, फैंस प्रियंका चौधरी को विनर बता रहे हैं तो वहीं साजिद खान, निमृत आहलूवालिया और टीना दत्ता जैसे सितारों का सपोर्ट करने पर बिग बॉस को बाय्सड कह रहे हैं. इसी बीच प्रियंका चौधरी के खास दोस्त और कंटेस्टेंट अंकित गुप्ता अपने रिलेशनशिप के कारण सोशलमीडिया पर छा गए हैं. वहीं प्रियंका की बजाय एक्ट्रेस शनाया खान के साथ अंकित गुप्ता की रोमांटिक फोटोज वायरल हो गई हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शनाया खान को बताया अंकित की गर्लफ्रेंड!

हाल ही में एक्टर और बिग बॉस 16 के कंटेस्टेंट अंकित गुप्ता अपनी सीक्रेट गर्लफ्रेंड के साथ नजर आ रहे हैं. दरअसल, सोशलमीडिया पर एक्टर अंकित गुप्ता की ‘साड्डा हक’ को-स्टार शनाया खान के साथ कुछ इंटीमेट फोटोज वायरल हो गई हैं. इन फोटोज में जहां एक-दूसरे को किस करते दिख रहे हैं तो वहीं शनाया खान को मीडिया के सामने अपनी गर्लफ्रेंड बताते हुए नजर आ रहे हैं. एक्टर की इस वीडियो पर फैंस जमकर कमेंट कर रहे हैं. वहीं प्रियंका चौधरी को धोखा देने की बात कर रहे हैं.

 

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एक्ट्रेस ने कबूली थी रिलेशनशिप की बात

 

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पुरानी वायरल वीडियो में एक्टर ही नहीं बल्कि शनाया कपूर भी अंकित संग अपने रिश्ते की बात कबूल करती दिख रही हैं. वहीं अपनी पहली मुलाकात का किस्सा भी फैंस के साथ शेयर कर रही हैं. हालांकि अभी दोनों के रिश्ते को लेकर कोई अपडेट सामने नहीं आई है. लेकिन फैंस जानना चाहते हैं कि क्या अभी भी दोनों रिलेशनशिप में हैं या नहीं.

बता दें कि बिग बॉस 16 के घर में उड़ारियां कपल यानी एक्टर अंकित गुप्ता और एक्ट्रेस प्रियंका चौधरी की जोड़ी को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. एक-दूसरे की कैमेस्ट्री को दोस्ती का नाम देने वाले इस कपल की धीरे-धीरे प्यार में बदल रही है, जिसे देखकर फैंस ने दोनों का हैशटैग #priyankit भी बना दिया है. वहीं सोशलमीडिया पर दोनों को फैंस बिग बॉस 16 के घर में सपोर्ट करते हुए भी नजर आ रहे हैं.

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