Hindi Moral Tales : जान पहचान – हिमांशुजी से मिलने को क्यों आतुर थी सीमा?

Hindi Moral Tales : जुलाई की एक शाम थी. कुछ देर पहले ही बरसात हुई थी. मौसम में अभी भी नमी बनी हुई थी. गीली मिट्टी की सौंधी सुगंध चारों ओर फैली हुई थी. सीमा को 2 घंटे हो गए थे. वह अपने कपड़े फाइनल नहीं कर पा रही थी, ‘क्या पहनूं? बरसात भी बंद हो गई है’. समय देखने के लिए उस ने घड़ी पर नजर डाली, ‘साढ़े 5 बज गए. लगता है मुझे देर हो जाएगी.’ उस ने जल्दी से कपड़े चेंज कर मां को आवाज लगाई, ‘‘मां, मैं जा रही हूं, मुझे आने में शायद देर हो जाएगी,’’ सीमा लगभग भागती हुई रैस्टोरैंट पहुंची.

लतिका मैम ने उसे देखते ही कहा, ‘‘कम, लतिका.’’

‘‘यस, मैम,’’ यह कहते ही सीमा उस लेडी के पीछे हो ली. लतिका नए हेयरकट में बेहद सुंदर लग रही थी. साथ ही टाइट जींस और टाइट टीशर्ट, गले में बीड्स की माला और पैरों में सफेद रंग की हाई हील. उस के हेयरकट के साथ उस की सुंदरता को और बढ़ा रहे थे. कालेज में हमेशा लतिका मैडम को साड़ी और सूटसलवार में ही देखा था. उसे थोड़ा अटपटा जरूर लगा, लेकिन ठीक है उसे क्या लेनादेना, वह तो सिर्फ अपने काम के लिए आई है.

‘‘रैस्टोरेंट ढूंढ़ने में कोई परेशानी तो नहीं हुई,’’ लतिका मैडम ने उस के कपड़ों पर नजर डालते हुए पूछा.

सीमा लौंग स्कर्ट और ढीला सा कुरता पहन कर आई थी और बालों की पोनी बना कर उन्हें बांधा था. ‘‘नहीं मैडम, ज्यादा परेशानी नहीं हुई.’’

‘‘अच्छा है, अभी हिमांशुजी आ रहे हैं. तुम अपने सारे सर्टिफिकेट तो लाई हो न.’’

‘‘जी मैडम,’’ उस ने अपने आसपास देखा और बोली, ‘‘वैसे मुझे लगा था कि देर हो गई है.’’

लतिका के साथ बैठा रोनी हंसते हुए बोला, ‘‘तुम्हें अगर देर हो जाती तो यह रोल किसी और को मिल जाता. वैसे भी बड़े लोग जल्दी कहां आते हैं.’’

लतिका मैडम ने उसे घूरा और बोली, ‘‘रोनी, तुम कब सीरियस होगे,’’ फिर सीमा की तरफ देख कर बोली, ‘‘इसे तो तुम जानती हो न, यह रोनी है.’’

‘‘यस, मैडम.’’

तभी 2 और लड़कों ने रैस्टोरैंट में प्रवेश किया. वे तेजी से चलते हुए लतिका मैडम की तरफ आ रहे थे.

‘‘आज तो गरमी ने हद कर दी है,’’ उस में से एक ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और पसीना पोंछने लगा.

‘‘इतनी देर कहां कर दी, सुमेर.’’

‘‘मैडम बरसात हो रही थी इसलिए थोड़ी देर हो गई.’’

‘‘यह तो अच्छा है कि अभी तक हिमांशुजी नहीं आए हैं वरना…’’

‘‘कितनी उमस है आज,’’ फिर लतिका मैडम की तरफ देख कर बोला, ‘‘मैडम, हिमांशुजी आएंगे भी या नहीं या आज फिर खाली हाथ लौटना होगा.’’

‘‘मेरी उन से फोन पर बात हुई थी, वे थोड़ी देर में पहुंचने ही वाले हैं,’’ वेटर को और्डर दे कर वह सीमा का सब से परिचय कराने लगी, ‘‘सीमा, यह सुमेर है और यह अर्जुन.’’

‘‘मैडम, नम्रता और दीपाली नहीं आईं.’’

‘‘वे आज नहीं आएंगी क्योंकि उन का घर बहुत दूर है. इस बारिश ने सबकुछ गड़बड़ कर दिया.’’

वे सब आपस में बातें करने लगे. सीमा आसपास मौजूद एकएक वस्तु का मुआयना करने लगी. वह सोच रही थी, ‘कैसे होंगे हिमांशुजी जिन का सब इंतजार कर रहे हैं.’

उस ने अपने चारों तरफ नजरें दौड़ाईं, साथ वाली टेबल पर अधेड़ उम्र के 2 आदमी बैठे थे.

‘‘अरे यार, फिर से बीवी का फोन है, जरा सा मजा भी नहीं लेने देती.’’

‘‘सुन ले न,’’ दूसरा आदमी बोला.

‘‘हां, तू विस्की और्डर कर मैं फोन सुन कर आता हूं.’’

कुछ देर बाद दोनों शराब की चुसकियों के साथ पता नहीं किस के खयालों में खो गए.

‘‘ये आजकल के लड़कों ने अच्छी रीत बना रखी है, डेट पर जाने की.’’

‘‘सीमा, लो न, कहां खो गई हो,’’ उस ने देखा उस के सामने बियर की बोतलें पड़ी हैं.

‘‘नहीं मैडम, मैं नहीं पीती.’’

‘‘अरे लो न, आज से तुम हमारी मंडली में शामिल हो रही हो तो हम जैसा तो बनना ही पड़ेगा.’’

‘‘नहीं मैडम, प्लीज, आप मेरे लिए कौफी मंगवा दें.’’

‘‘ठीक है, जैसी तुम्हारी मरजी. आज पहला दिन है इसलिए आज तुम्हें छोड़ देते हैं, लेकिन आगे से नहीं,’’ लतिका मैडम ने यह कह कर वेटर को आवाज लगाई.

2 टेबल छोड़ कर एक नवविवाहित जोड़ा बैठा हुआ था. सीमा ने देखा कि उस नवविवाहिता ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी और बहुत मेकअप किया हुआ था. उस की साड़ी का पल्लू बारबार गिर जाता था. पता नहीं वह अपने पति को आकर्षित कर रही थी या फिर हौल में बैठे लोगों को.

पति उस के मुंह में चम्मच से आइसक्रीम डाल रहा था और वह अदाओं से उस की तरफ देख रही थी. बीचबीच में वह अपने आसपास भी देख लेती थी.

‘‘क्या आइटम है,’’ तभी उस के कानों में आवाज आई, सुमेर उस नवविवाहिता के लिए कह रहा था.

‘‘छोड़ो न उसे, तुम इधर ध्यान दो,’’ लतिका मैडम ने उसे डांट लगाते हुए कहा.

‘‘स्क्रिप्ट क्या है मैडम?’’

‘‘अभी मुझे कुछ नहीं पता, हिमांशुजी के आने पर ही सब फाइनल होगा.’’

‘‘वैसे प्ले का नाम क्या है?’’

‘‘एक मुट्ठी आसमान.’’

‘‘और हीरोइन कौन है?’’

‘‘तुम्हारे सामने तो बैठी है.’’

‘‘क्या?’’ सब ने आश्चर्य से सीमा को देखा, जैसे कोई अनोखी लड़की देख ली हो.

‘‘अरे, अभी नाम फाइनल नहीं हुआ है. वैसे मैं ने सीमा को कालेज के प्ले में परफौर्म करते देखा है. क्या कमाल की अदाकारा है.’’

‘‘लेकिन क्या यह हिमांशुजी को…’’ अर्जुन कहतेकहते रुक गया.

‘‘हां, क्यों नहीं.’’

सीमा अपनेआप में सिकुड़ रही थी. भले ही उस के प्ले ने कालेज में धूम मचाई थी, पर प्रोफैशनली वह पहली बार किसी से मिलने आई थी, ऐसी अजीबोगरीब जगह पर.

‘‘आप कुछ बोलती भी हैं या सिर्फ प्ले में ही अपनी जबान खोलती हैं,’’ रोनी उस का मजाक उड़ाते हुए बोला तो सब हंस पड़े.

‘‘अभी नई है न, फिर देखना,’’ लतिका मैडम ने उस का बचाव किया.

‘‘अच्छा, कौफी तो लो.’’

‘‘हां,’’ ऐसा कह कर सीमा ने हलकेहलके सिप लेने शुरू किए और बाकी सब बियर की बोतलें खाली करने लगे.

सीमा को ये सब अजीब लग रहा था. लतिका मैडम की आजादी, उस की तरफ उन का झुकाव, क्यों कर रही हैं वे उस के लिए, क्यों उसे ही मिलने के लिए बुलाया है, इसी उधेड़बुन में डूबी सीमा ने फिर सोचा, ‘बस, एक बार काम मिल जाए तो अपनी प्रतिभा दिखा दूंगी और फिर सब बातों से पीछा छूट जाएगा.’

तभी अर्जुन ने अपनी घड़ी देखी, ‘‘मैडम, लगता है आज भी हिमांशुजी से मुलाकात नहीं होगी. बहुत देर हो गई है मुझे, इसलिए जाना पड़ेगा.’’

‘‘फिर तो मुझे भी तेरे साथ जाना पड़ेगा क्योंकि मैं तेरे साथ बाइक पर आया था. वरना 200 रुपए खर्च कर के वापस जाना पड़ेगा,’’ सुमेर कहते हुए खड़ा हो गया.

‘‘मैडम, मैं भी चलती हूं. बहुत देर हो गई है. इतनी रात तक मैं अकेली कभी भी घर से बाहर नहीं रही,’’ सीमा भी खड़ी हो गई.

‘‘लेकिन तुम नहीं जा सकती सीमा क्योंकि ये दोनों तो पहले भी हिमांशुजी से मिल चुके हैं और इन के रोल फाइनल हैं, लेकिन यह तुम्हारी पहली मुलाकात है, फिर बड़े आदमी तो हमेशा देर से ही आते हैं. अगर तुम्हारे जाने के बाद हिमांशुजी आए तो तुम्हें न पा कर बुरा मान जाएंगे और यह न तो तुम्हारे लिए सही होगा और न ही मेरे लिए,’’ लतिका मैडम एक सांस में इतना कुछ बोल गई.

कुछ देर बाद रोनी भी बहाना बना कर चलता बना. ‘‘बहुत देर से तलब लग रही थी, अब मौका मिला है,’’ सब के जाने के बाद लतिका ने सिगरेट जला ली. सीमा को उस का धुआं बरदाश्त नहीं हो रहा था. चारों तरफ शराब और सिगरेट की गंध फैली हुई थी. सीमा का मन कर रहा था कि वह वहां से उठ कर भाग जाए पर हिमांशुजी से मिलना भी जरूरी था.

‘‘तुम्हें पता है, इस रोल के लिए कितनी लड़कियां मेरे पास आई थीं, पर मुझे सब से ज्यादा प्रतिभा तुम में दिखाई दी और इसलिए मैं ने तुम्हें हिमांशुजी से मिलवाने का फैसला किया है.’’

तभी लतिका मैडम बोली, ‘‘वह देखो, हिमांशुजी आ गए हैं.’’

सीमा ने देखा, एक अधेड़ उम्र का गंजा आदमी उस की ओर चला आ रहा है. उस ने महंगे कपड़े पहने हुए हैं. उस के साथ 2 और आदमी हैं पर हिमांशुजी ने उन्हें वहीं रुकने का इशारा किया.

‘‘अरे, बैठोबैठो, मुझे बहुत ज्यादा देर तो नहीं हो गई लतिका,’’ कहते हुए वे सीमा के पास वाली कुरसी पर बैठ गए.

‘‘अरे, नहीं सर.’’

सीमा हैरानी से उन्हें देखे जा रही थी.

‘‘सर, यह है सीमा. मैं ने आप से इस के बारे में बात की थी.’’

उस ने सीमा को ऐसे देखा जैसे हलाल करने से पहले कसाई अपने बकरे को देखता है. सीमा ने डर कर अपनी नजरें झुका लीं.

‘‘ओह, तो आप हैं सीमाजी.’’

‘‘यह बहुत प्रतिभावान है सर, आप इस के सर्टिफिकेट्स देखिए.’’

‘‘हांहां, जरूर देखेंगे इन के सर्टिफिकेट्स,’’ उन की नजर अभी भी सीमा के चेहरे पर गड़ी हुई थी.

‘‘सीमा दिखाओ, इन्हें अपने सर्टिफिकेट्स.’’

‘‘जी, मैडम.’’

‘‘बहुत बढि़या,’’ उन्होंने एक उड़ती हुई नजर उन सर्टिफिकेट्स पर डाली, ‘‘वैसे तुम ने इन्हें सब समझा दिया है न,’’ उन्होंने अपना एक हाथ सीमा के कंधे पर रख दिया.

‘‘समझाना क्या है सर, आजकल की लड़कियां तो वैसे भी बहुत समझदार होती हैं,’’ और उस ने अपनी एक आंख झपका कर इशारा किया.

‘‘लगता है आप वैजिटेरियन हैं,’’ हिमांशुजी ने उस के आगे पड़े हुए कौफी के कप को देख कर कहा.

‘‘जी, मैं समझी नहीं.’’

‘‘आप कौफी पी रही हैं.’’ कौफी और वैजिटेरियन का संबंध सीमा को समझ नहीं आया.

‘‘हां, तो सीमा हमारी शर्तें क्याक्या होंगी, वह तुम्हें लतिका समझा देगी,’’ उन का हाथ धीरेधीरे सीमा की पीठ पर सरकने लगा था.

‘‘जी, सर,’’ सीमा की सोचनेसमझने की शक्ति खत्म होती जा रही थी.

‘‘रिहर्सल कब से शुरू होगी वह भी तुम्हें लतिका ही समझा देगी,’’ कहते हुए इस बार उन का हाथ सीमा की जांघ पर आ गया. सीमा को लगा जैसे हजार चींटियां उस के बदन पर रेंग रही हैं.

सीमा झटके से खड़ी हो गई, ‘’मैडम मुझे अब चलना चाहिए.‘’

‘’लेकिन अभी तो जानपहचान नहीं हुई है,‘’ लतिका बोली.

सीमा का चेहरा क्रोध से लाल हो रहा था. अपना पर्स उठाते हुए तेजी से उस ने कहा ‘’इतनी जानपहचान मेरे लिए काफी है.‘’

वह भाग कर बाहर आ गई और घर की ओर बढ़ने लगी. पूरा घटनाक्रम उस के दिमाग में चल रहा था. हिमांशु का उसे देखना, छूना सर्टिफिकेट तो मात्र बहाना था. यह सब लतिका की एक चाल थी. फिल्म दिलवाने के नाम पर वह उसे किसी और ही काम में फंसा रही थी.

यह सब सोचते हुए उसे लगा मानो दिमाग की नसें फट जाएगी. वह जोरजोर से सांस लेने लगी. बाहर अभी भी बहुत उमस थी पर उसे वह उमस अंदर की ठंडी हवा से कहीं ज्यादा अच्छी लग रही थी. वह एक मुट्ठी आसमान के लिए अपना सारा जहां कुरबान नहीं कर सकती थी.

Dahi Vada : गर्मियों में बनाएं ब्रैड दही वड़ा, बहुत आसान है रेसिपी

Dahi Vada : अगर आम गरमी के दिनों में कुछ हल्का और टेस्टी डिश बनाना चाहते हैं तो ब्रेड दही वड़ा आपके लिए परफेक्ट डिश है. ब्रैड दही वड़ा बनाने में आसान और किफायती है, जिसे आप कम समय में अपनी फैमिली के लिए बना सकते हैं.

हमें चाहिए- 

–  जरूरतानुसार ब्रैड

–  जरूरतानुसार दूध ब्रैड सोक करने के लिए

–  2 बड़े चम्मच इमली की चटनी

–  1 बड़ा चम्मच हरी चटनी

–  4 बड़े चम्मच दही

–  थोड़े से अनारदाने

–  1 छोटा चम्मच भुना जीरा पाउडर

–  काला नमक स्वादानुसार

– 1/2 छोटा चम्मच लालमिर्च पाउडर

–  1 बड़ा चम्मच ड्राईफ्रूट्स कटे

–  नमक व काला नमक स्वादानुसार.

बनाने का तरीका-

ब्रैड के किनारे हटा कर ब्रैड स्लाइसेज को दूध में सोक करें. सोक हो जाने के बाद एकएक ब्रैड स्लाइस को निकल कर हलके हाथों से निचोड़ कर उन में ड्राईफ्रूट्स स्टफ करें और बड़े का आकार दे कर सर्विंग बाउल में रखती जाएं. वड़े अच्छी तरह सील हो जाने चाहिए. अब इन में ऊपर से दही, इमली चटनी, हरी चटनी, भुना जीरा, लालमिर्च पाउडर, अनारदाने और ड्राईफ्रूट्स डाल कर ठंडा कर सर्व करें.

ऐसी औरतें जो खुद को समझती हैं यूजलेस

कई पतियों को अपनी पत्नियों से शिकायत होती है कि वे कभी सजती सवरती नहीं है? हमेशा वही बेकार से कपड़ों में नजर आती है फिर चाहे कितनी भी अलमारियां अच्छे कपड़ों से क्यों ना भरी हो. वाकई यह बात सही है महिलाओं के पास अकसर कपड़ों की कमी नहीं होती लेकिन वह उन्हें आने जाने में ही पहनना पसंद करती है और घर पर वही पुराने कपडे और बिखरे हुए बाल वाले अंदाज में रहती हैं. अगर उनसे पूछा जाए वे ऐसा क्यों करती है? तो उनका साफ है. घर में हम सारे दिन काम में लगे रहते हैं तो हमे कम्फर्ट चाहिए. दूसरे, घर में हमें कौन आकर देख रहा है जिसके लिए सजा जाएं जब कभी बहार जाएंगे तो तैयार भी हों लेंगें.

सच तो यह है अगर एक औरत कहे कि मुझे सुबह से उठकर इसी 2 कमरे के मकान में रहना है और कहीं जाना नहीं है.  मेरी दाएं बाएं वाली पड़ोसन भी ऐसे ही रहती है. तो मैं ही क्यों सजधज कर बैठूं और कहां जाऊं. जिस औरत को हफ्ते के 6 दिन घर पर रहना है ना कहीं जाना है ना आना है. ना ही उसके घर पर किसी को आना है. तो हम टिप टौप होकर क्यों बैठे जबकि बरमूडा और टीशर्ट में हमे आराम मिलता है. उनकी बात सही हो सकती है. लेकिन यहां मेरा एक सवाल है?

घर में बैठी हो तो बहार क्यों नहीं निकलती हो? आप यूजलेस हैं क्या? क्या वाकई बाहर जाने के आपके पास कोई वजह नहीं है?  या फिर आप आलसी हैं ? आपका कोई फ्रेंड सर्कल नहीं है? आखिर क्या वजह है ऐसे रहने की?

क्या आप सोशली और इकोनौमिकली  निरर्थक हैं?

आप हर वक्त घर पर बेकार क्यों बैठी रहती हैं. अगर जौब नहीं कर रही तो भी घर से निकले. अपना कोई सोशल सर्कल बनाये. उनके साथ अपनी कोई हॉबी क्लास ज्वाइन करें, कुछ सोशल वर्क के काम में लग जाएँ. घर से ही छोटा मोटा कोई काम करें जैसे डांस सीखना, कुकिंग सीखना आदि क्यूंकि आप भी चाहे तो बहुत कुछ कर सकती हां क्योंकि आप सोशली और इकोनौमिकली निरर्थक नहीं है.

घर के काम से आगे भी है जिंदगी

क्या आपका जन्म सिर्फ घर की देखभाल करने के लिए ही हुआ है, अपनी सारी पढ़ाई लिखाई क्यों वेस्ट कर रही हैं महिलाएं. जमाना इतना आगे निकल चूका है. घर के हर काम के लिए आज माइड और मशीनें अवलेबल है. यहां तक कि साफसफाई के लिए रौबर्ट मशीन, बर्तन मांजने धोने के लिए मशीन है और फिर माइड भी तो है 5 -10 हजार रूपए में घर का सारा काम मेड कर सकती है. अगर आप जौब करने पर कम से कम 40 भी कमाती हैं और उसमें से 10 -15 माइड आदि पर खर्च हो भी जाता है तो क्या बात हो गए. ये आपके अपने लिए जरूरी है.

कहीं आप अपना व्यक्तित्व अपने निकम्मेपन से तो नहीं खो रही हो

कई महलाओं में काबिलियत की कमी नहीं होती वे पढ़ी लिखी भी होती है और दिमाग की भी तेज होती है लेकिन अपने आलसी और निकम्मेपन से सब गावंती रहती है. उन्हें लगता है पड़े पड़े पति की कमाई खाने को तो मिल ही रही है फिर हम बेकार की महत्व कम करें. जबकि ये सोच गलत है बात सिर्फ पैसा कमाने की नहीं है बल्कि इससे भी जाया आपकी अपनी पहचान की है. जिसे आप बखूबी बना सकती हैं लेकिन बनाना नहीं चाहती.

रेडी न होने के एक्सक्यूसेस देती हैं

कुछ महिलाओं के पति उनसे हमेशा इस बात पर खफा रहते हैं कि तुम कभी ढंग से तैयार नहीं होती हो. लेकिन ये महिलाएं पतिओं की इस बात को हमेशा नज़रअंदाज करती हैं क्योंकि उन्हें लगता है हम किस के लिए घर में सज सवरकर बैठे आखिर घर का काम और बच्चों की देखभाल ही तो करनी है इसके लिए अपने अच्छे कपडे क्यों खराब किये. घर में तो गाउन पहनना ही आरामदायक होता है. लेकिन इन्हें ऐसी हालत में देखा कर पति का मुद ख़राब हो जाता है और यही बात उनके बहार किसी अन्य औरत को ताकने की आदत को बढ़ावा देता है. ये कड़वा है मगर सच यही है.

कमाऊं बहु के आगे जमाना ही नहीं ससुराल भी झुकता है

अभी हाल ही में आपने मिसेज मूवी तो देखी ही होगी, तब तो आपको पता ही चल गया होगा कि घर के जिन कामों की वजह से आप अपना करियर दांव पर रख रही है उसकी कोई वैल्यू नहीं है वही अगर आप कमाने बाहर जाती है तो घर के लोग आपकी ज्यादा कदर करेंगे. इससे आपकी पर्सनैलिटी में भी एक अलग ही चेंज आएगा. इसलिए आप अपने किसी भी हुनर को अपना करियर बनाये. अगर सिलाई कड़ाई, टूशन पढ़ाना या फिर पार्लर का काम आता है तो कुछ घंटे दिन में इस काम को करने में भी बुराई नहीं है. इससे आप एक्टिव भी बानी रहेंगी.

धर्म भी कम जिम्मेवार नहीं है

काफी हद तक तो ये निकम्मापन औरतों में धर्म की ही देन है. जहां उन्हें पति की दासी और बच्चों की आया ही बनने का सुझाव दिया जाता है. ये धर्म गुरु चाहते हैं कि महिलाएं घर में बैठे रहें कुछ काम न करें बहार जाकर क्योंकि अगर ये बिजी हो गए तो इन बाबावों की दुकानदारी कौन चमकाएंगे. ये दिन में फ्री होती है और टाइम पास करने पहुंच जाती हैं इन बाबावों के प्रवचन सुनने. इनकी ऊंटपटांग और गलत बातों का नतीजा होता है महिलाएं अपने वैल्यू नहीं कर पाती क्योंकि इन्हें तो ये घुटी पिलाई जाती है कि तुम तो पति और बच्चों की सेवा के लिए बनी है. यही वजह है इन औरतों की ना ससुराल में कोई पूछ होती है और न ही इनके पातियो इन्हें सम्मान की नजरों से देखते हैं. रोजरोज के इन्हें कलेशों से परेशान होकर ये महिलाएं अपनी समस्याओं के हल के लिए इन बाबावों के पास जाती है और अपना समय, पैसा सब लुटाती रहती है और बाबा इन्हें पहले से भी ज्यादा गर्त में धकेलते रहते हैं.

कोई क्लब ज्वाइन करें

आजकल हर सोसाइटी में महिलाओं के अपने क्लब चलते हैं जिनमे तरहतरह की एक्टिविटी होती हैं उन्हें ज्वाइन करें. आप चाहे तो सोशल वर्क के काम से भी जुड़ सकती हैं.

अपना फ्रेंड सर्कल बनाये

अपनी दोस्तों के साथ टाइम पास करें और कभी कभार उनके साथ घूमने जाएं और मूवी आदि भी देखें जरुरी नहीं के हर बार पति और बच्चों के साथ ही जाया जाएं बल्कि कुछ टाइम अपनी सहेलियों के साथ भी बेटियां इससे आपको कुछ अलग महसूस होगा.

शाम में वाक पर जाएं– शाम के समय अपनी दिनचर्या में से थोड़ा सा समय चुराकर वाक पर भी जाएं. वहां वाक करते समय कई नए दोस्त भी बनने लगेंगी और आप तैयार होकर ही जाएंगी भले ही जिम सूट में जाएं लेकिन वो भी ठीक थक ही होगा तो ऐसे में पति की शिकायत भी दूर होगी कि आप तैयार नहीं होती.

Skin Care Tips : विटामिन-सी से पाएं ग्लोइंग स्किन

Skin Care Tips :  नेहा जो अपने आउटफिट्स का तो काफी ध्यान रखती थी लेकिन अपनी स्किन का जरा भी नहीं. जिससे धीरे धीरे उसकी स्किन से ग्लो खत्म होने के साथसाथ स्किन डल व बेजान होने लगी. अब चाहे वह कितने भी स्मार्ट आउटफिट्स क्यों नहीं पहन लेती थी लेकिन फिर भी उसके लुक में वो बात नहीं आ पाती थी जो आनी चाहिए थी. ऐसे में जब नेहा को कोई वाहवाही नहीं मिलती थी तो वह काफी परेशान रहने लगी. उसे परेशान देख जब स्नेहा ने उससे पूछा तो उसने बताया कि मैं चाहे कितना भी स्मार्ट कपड़ा क्यों न पहन लू लेकिन कोई मेरी तारीफ ही नहीं करता. यह सुन स्नेहा बोली यार तेरे आउटफिट्स तो काफी स्टाइलिश होते हैं लेकिन तेरी रूखी बेजान स्किन के कारण तेरे आउट फिट्स पर किसी की नजर ही नहीं जाती है. ऐसे में तुझे आउट फिट्स से ज्यादा अपने फेस को ग्लोइंग बनाने की और ध्यान देना होगा. तब नेहा ने उसे ग्लोइंग स्किन बनाने के जो टिप्स दिए उससे आज हर कोई उसकी तारीफ किये बिना नहीं थकता.

अगर आप भी ग्लोइंग स्किन पाना चाहती हैं और हर कोशिश कर करके थक चुकी हैं तो आपको बता दें कि विटामिन सी में छिपा है ग्लोइंग स्किन का राज. ये आपको आसानी से हर्ब्स, फ्रूट्स और लीव्स से मिल जाएगा. इससे स्किन पर नेचुरल ग्लो नजर आने के साथ साथ आपकी स्किन की इलास्टिसिटी भी बरक़रार रहेगी. आपको बता दें कि आमला , संतरा, नीम्बू , बेर्री विटामिन सी के बहुत अच्छे स्रोत माने जाते हैं. जो आसानी से मिलने के साथ साथ ये एन्टिओक्सीडैंट्स से भरपूर होते हैं. ये सेल्स के पुनु निर्माण के साथ साथ आपकी इम्युनिटी को भी बूस्ट करने का काम करते हैं. यानी स्किन के साथ साथ आपकी बोडी के लिए भी फायदेमंद हैं . इसके साथ ही ये स्किन रिपेयरिंग, डार्क स्पोट्स को कम करने , स्किन ब्राइट निंग और ग्लो लाने का भी काम करते हैं .

1. कैसे पाए फ्लौलेस स्किन

हर दिन की शुरुवात के साथ ही हमें अपनी स्किन की केयर करने का मौका मिलता है. ऐसे में जरूरी है कि आप अपनी स्किन की केयर के लिए केमिकल बेस्ड प्रोडक्ट्स लगाने से बचे. और अपने स्किन केयर रूटीन में क्लींजिंग, टोनिंग और मॉइस्चरिंग को जरूर शामिल करें. रोजाना 30 एस पी फ वाला सनस्क्रीन जरूर लगाएं. इससे आपकी स्किन को मोइस्चरेर भी मिलेगा और प्रोटेक्शन भी .

साथ ही अपनी स्किन को हाइड्रेट करने वाली विटामिन सी युक्त मास्क जरूर लगाएं. क्योंकि हर रोज हमारी स्किन डैमेज करने वाले रेडिकल्स के प्रभाव में जो आती है, जिससे स्किन की इलास्टिसिटी और स्किन में नेचुरल तरीके से कोलेजन की सप्लाई नहीं हो पाती है. जो हाइड्रेट करने वाले मास्क से आसानी से हो पाती है. इस बात का भी ध्यान रखें कि स्किन प्रोडक्ट्स में हमेशा नेचुरल इंग्रेडिएंट्स हो, एनिमल फैट्स न हो और सिलिकोन्स , पैराबेन्स और सल्फेट फ्री हो.

2. घर पर कैसे पाए बेहतर त्वचा

घर पर बेहतर त्वचा पाने के लिए हमें अपने रूटीन में स्किन केयर को जरूर शामिल करना होगा. इसके लिए आप अपनी स्किन की एसेंशियल ऑयल्स, जैसे लेमन, टी ट्री आयल , रोज, लैवेंडर आदि से केयर करें. इससे स्किन पर जमा गंदगी रिमूव होने से स्किन क्लियर होती है. साथ ही एक अलग ही ग्लो नजर आने लगता है.

3. नेचुरल सोर्स ऑफ़ विटामिन सी

अमला जूस जो न सिर्फ हमारी स्किन बल्कि हमारी ओवरआल हैल्थ को इम्प्रूव करने का काम करता है. क्योंकि ये शरीर से टोक्सिंस को बाहर निकाल कर बॉडी को डीटोक्स करने के साथ साथ स्किन पर ग्लो को बनाए रखता है. साथ ही आप रोजाना खली पेट हलके गरम पानी में नीम्बू मिलकर भी पी सकती हैं , इससे भी स्किन से डेड सेल्स रिमूव होते हैं. ये नेचुरल एस्ट्रिंजेंट का भी काम करता है, जिससे स्किन कॉम्प्लेक्शन धीरे धीरे इम्प्रूव होने लगता है.

4. फेस पैक फौर डेली रूटीन

आपके लिए जहां रोजाना स्किन की टोनिंग,, क्लींजिंग और मॉइस्चराइजिंग करना जरूरी होता है वहीं आपके लिए हफ्ते में 2 बार स्किन पर फेस पैक लगाना भी बहुत जरूरी है. क्योंकि इससे स्किन हाइड्रेट होने के साथ साथ स्किन से एक्सेस आयल रिमूव होता है. इसके लिए आप संतरे के छिलके को छील कर सुखा लें , फिर इसका पाउडर तैयार कर इसमें एक छोटा चम्मच शहद, दही और चुटकी भर हलदी मिलाकर तैयार पेस्ट को 10 मिनट के लिए चेहरे पर अप्लाई करके छोड़ दें और फिर धो दें. आपको इस पैक से स्किन पर इंस्टेंट ग्लो नजर आएगा. खास बात यह है कि ये पैक हर स्किन टाइप पर सूट करता है.

5. ब्राइटनिंग आयल और सीरम है बेस्ट

ब्राइटनिंग आयल और सीरम से जहां डार्क स्पोट्स कम होने के साथ साथ झुर्रियों की समस्या भी कम होती है. वहीं स्किन टोन भी काफी इम्प्रूव होता है. लेकिन मार्केट में इस तरह के ढेरों प्रोडक्ट्स भरे पड़े हैं , ऐसे में हम यही सोचते हैं कि कौन सा ब्राइटनिंग आयल और सीरम हमारी स्किन के लिए बेस्ट होगा तो आपको बता दें कि आप ऐसे प्रोडक्ट्स अवोइड करें जिसमें मिनरल आयल और सिलिकनेस हो. जिन प्रोडक्ट्स में नेचुरल इंग्रेडिएंट्स हो उन्हें ही यूज़ करने को प्राथमिकता दें. जैसे जिनमें विटामिन इ , विटामिन सी , कोलेजन और hyaluronic एसिड हो स्किन के लिए काफी अच्छे होते हैं. साथ ही स्किन टाइप को देखकर ही प्रोडक्ट खरीदें.

जैसे अगर आपकी ड्राई स्किन है तो प्रोडक्ट में शी बटर, आलमंड आयल, chamomile जरूर हो .
अगर आपकी ऑयली और एक्ने प्रोन स्किन है तो प्रोडक्ट में टी ट्री , लेमन, बेसिल , चारकोल, थाइम , मानगो बटर जरूर हो. ठीक इसी तरह अगर आपकी सेंसिटिव स्किन है तो उसमें लैवेंडर, नेरोली, जेरेनियम में से कुछ जरूर हो. इससे स्किन की पूरी केयर भी होगी और ग्लो भी आएगा.

Diljit Dosanjh ने दिया फिल्म सरदार जी 3 में पाकिस्तानी एक्ट्रेस हानिया आमिर को बड़ा ब्रेक

Diljit Dosanjh : पंजाबी और बौलीवुड सिनेमा के सुपरस्टार दिलजीत दोसांझ जो करीना कपूर, आलिया भट्ट, कियारा आडवाणी, अक्षय कुमार, शाहिद कपूर जैसे कई बड़े कलाकारों के साथ ना सिर्फ फिल्में कर चुके हैं. बल्कि बतौर गायक गाने में भी उनका कोई मुकाबला नहीं है. दिलजीत दोसांझ जो भी करते हैं. पूरे दिल से और पूरी ईमानदारी से करते हैं, फिर चाहे वह फिल्म निर्माण एक्टिंग हो या सिंगिंग ही क्यों ना हो.

दिलजीत हर मंच पर अपनी लोकप्रियता के झंडे गाड़ते हैं. पंजाब से लेकर मुंबई तक अपनी बेहतरीन फिल्मों और अभिनय के जरिए अपनी अलग पहचान बनाने वाले दिलजीत दोसांझ एक बार फिर नई फिल्म के साथ अपनी एक्टिंग के जरिए चार चांद लगाने आ रहे है. उनकी फिल्म सरदार 3 को लेकर दर्शकों के बीच भारी उत्साह देखने को मिल रहा है सरदार जी फिल्म का तीसरा भाग प्रस्तुत होने जा रहा है. फिल्म का निर्देशन अमर हुंदल ने किया है सरदार जी हौरर कौमेडी जानर की फिल्म हैं जो 27 जून 2025 को रिलीज होगी .  इससे पहले सरदार जी का पहला भाग 2015 में बना था और सरदार जी का दूसरा भाग 2016 में रिलीज हो चुका है.

दिलजीत दोसांझ जो अब तक हिंदी फिल्मों में गुड न्यूज़, जट्ट एंड जूलियट, उड़ता पंजाब, हाउसफुल 4, और अमर सिंह चमकीला आदि फिल्मों में बेहतरीन अभिनेता करके दर्शकों को पूरी तरह से लुभा चुके है. अब सरदार जी 3 में दिलजीत दोसांझ एक नए रूप में नजर आएंगे जिसमें दिलजीत की दोहरी भूमिका होगी ,और उनके साथ दो हीरोइन नीरू बाजवा  और पाकिस्तान की प्रसिद्ध हीरोइन हानिया अमीर प्रमुख किरदारों में नजर आएंगी हानिया अमीर की यह पहली बॉलीवुड फिल्म है , जिसे लेकर वह बेहद एक्साइटेड है .

इस फिल्म में अन्य कलाकार गुलशन ग्रोवर मानव विच मोनिका शर्मा सलीम अलबेला नासिर चिन्योती आदि कलाकार भी है जो अहम भूमिका निभाते नजर आएंगे. सरदार जी 3 के अलावा दिलजीत दोसांझ और दो बड़ी फिल्मों में नजर आने वाले हैं, 1997 में बनी बौर्डर की सीक्वेल बौर्डर 2 मैं दिलजीत दोसांझ अहम भूमिका में नजर आएंगे .इस फिल्म में दमदार एक्शन और देश भक्ति का मेल देखने को मिलेगा. यह फिल्म 2026 में रिलीज होगी .इसके अलावा 2005 की सुपरहिट कौमेडी फिल्म नो एंट्री के सीक्वल मे दिलजीत दोसांझ मजेदार किरदार में नजर आएंगे जो की 2025 मैं रिलीज होगी.

ब्लड कैंसर से पीड़ित ‘कसूर’ फेम Lisa Ray जब सेरोगेसी के जरिए बनी जुड़वा बेटियों की मां

Lisa Ray : भारतीय कनाडियन एक्ट्रेस लीजा रे ने बौलीवुड में फिल्म कसूर के जरिए हिंदी फिल्मों में पदार्पण किया. इससे पहले वह फैशन मौडल थी. कसूर के बाद लीजा रे ने रामगोपाल वर्मा की वीरप्पन, दोबारा, पानी और इश्क फौर एवर में भी काम किया. सन 2009 में उनको ब्लड कैंसर हो गया और 2012 में उनकी शादी जेसन देहनी से कैलिफोर्निया में हुई थी.

शादी से पहले लिजा की बच्चा पैदा करने की कोई इच्छा नहीं थी. लेकिन शादी के बाद बच्चों की चाह हुई . लेकिन क्योंकि वह कैंसर की गोली खाने की वजह से बच्चा पैदा करने में असमर्थ थी. इसलिए उन्होंने सरोगेसी का सहारा लिया. लिजा के अनुसार कैंसर की वजह से बच्चा ना होने के कारण वह बहुत आहत थी. लिहाजा लीजा रे ने बच्चा पाने के लिए सरोगेसी का सहारा लिया.

सेरोगेसी का प्रोसीजर भी आसान नहीं था बहुत लंबा प्रोसीजर था और निराशा से भरा हुआ था. इसलिए मैं कई बार निराश भी हो गई थी. लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी. सरोगेसी के जरिए दो बेटियों को जन्म दिया . जब फूल सी प्यारी दोनों बेटियां मेरी गोद में आई तो मैं अपना सारा दुख दर्द भूल गई.

Sweet Kiss : चुंबन – हंगामा है क्यों बरपा

Sweet Kiss : प्यार का प्रतीक या प्यारभरे रिश्ते की आखिरी मंजिल या यों कहें कि होंठों पर चुंबन के जरीए प्यारभरे रिश्ते की शुरुआत. अगर प्यार का प्रतीक है चुंबन और प्यारभरे रिश्ते की सचाई है, तो यही अगर प्यार का इजहार पब्लिकली होता है तो उस पर बवाल क्यों हो जाता है? चुंबन जिसे गलत माना जाता है और सब के सामने करना बेशर्मी का प्रतीक माना जाता है, वही चुंबन प्यार को उस वक्त परिभाषित करता है जब पूरी दुनिया में धर्मअधर्म जातपात, अमीरीगरीबी के भेदभाव के चलते नफरत का बोलबाला हो रहा है, वही प्यार भरा चुंबन पौजिटिव वाइव्स का संचार करता है क्योंकि चुंबन किसी भी तरह का हो, किसी के भी साथ हो वह खुशी प्रदान करता है, अगर वह गलत तरीके से या जबरदस्ती में न किया गया है तो.

प्रेमीप्रेमिका, पतिपत्नी के लिए होंठों पर लिया हुआ पहला चुंबन हमेशा के लिए यादगार लमहा बन जाता है, इसी तरह मातापिता अपने बेटे या बेटी को अपना प्यार जताने के लिए माथे पर किस अर्थात चुंबन करते हैं. एक दोस्त दूसरे दोस्त से अपना प्यार या खुशी जाहिर करने के लिए उस के गाल पर किस कर देता है।

एक सभ्य आदमी अगर किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है तो वह उस के हाथ पर चुंबन करता है. कहने का मतलब यह है कि जिस चुंबन को कुछ लोग बेशर्मी मानते हैं असल में वह प्यार का प्रतीक और एक अच्छे रिश्ते की शुरुआत का पौजिटिव साइन है. लेकिन अगर वही चुंबन गलत तरीके से पेश हो जाए या गलत तरीके से वह चुंबन लिया गया है तो उस पर बड़ा बवाल भी हो जाता है. खासतौर पर ग्लैमर वर्ल्ड में कई ऐसे चुंबन को ले कर किस्से हुए हैं जिस की वजह से न सिर्फ बवाल हो गया, बल्कि वह सारे चुंबन दृश्य आज भी चर्चा का विषय है.

इतना ही नहीं, उन चुंबन दृश्यों की वजह से वह कलाकार भी चर्चा में बने रहे जो इस लिप टू लिप वाले चुंबन कांड में शामिल थे. पेश हैं इसी सिलसिले पर एक नजर :

ग्लैमर वर्ल्ड में चुंबन को ले कर ढेर सारे बवाल

ग्लैमर वर्ल्ड में गाल से गाल टच कर किस करना या बहुत करीबी है तो लिप पर किस कर देना आम बात है. लेकिन बावजूद इस के वही चुंबन पब्लिकली या बिना इजाजत के जबरदस्ती में लिया गया हो या फिल्म के दौरान इंटिमेट सीन के चलते लंबा किस हो तो वह चर्चा का विषय बन जाता है. जैसेकि हाल ही में रौकी रानी की फिल्म ‘प्रेम कहानी’ में 82 साल के धर्मेंद्र और बड़ी उम्र की शबाना आजमी के बीच एक लिप किस फिल्माया गया था जो बाद में बहुत चर्चा में रहा। इसी तरह फिल्म ‘मर्डर’ फिल्म में हीरो इमरान हाशमी ने मल्लिका शेरावत के पूरी फिल्म में इतने चुंबन लिए कि इमरान हाशमी का नाम ही चुंबन देवता पड़ गया.

विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय बच्चन ने अपनी शादी के ठीक कुछ दिन पहले फिल्म ‘धूम’ के लिए रितिक रोशन के साथ एक लंबा चुंबन दृश्य दिया था. इस के बाद ऐश्वर्या राय को बहुत ट्रोल किया गया. बौलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी को एक फंक्शन के दौरान विदेशी रिचर्ड ने कई सारे चुंबन शिल्पा के चेहरे पर जड़ दिए। इस चुंबन को ले कर भी रिचर्ड गेरे और शिल्पा शेट्टी दोनों ही बहुत ट्रोल हुए.

गायक मीका सिंह ने अपने जन्मदिन पर ड्रामा क्वीन राखी को जबरदस्ती होंठों पर चुंबन जड़ दिया था जो बाद में बहुत चर्चा में रहा ओर इस कांड के बाद मीका की बदनामी भी बहुत हुई। हाल ही में गायक उदित नारायण ने अपनी एक प्रशंसक को औटोग्राफ की जगह होंठों पर किस कर दिया, जिस के बाद उदित की सोशल मीडिया पर बहुत खिंचाई हुई.

इसी तरह बिग बी यानी अमिताभ बच्चन ने फिल्म ‘ब्लैक’ में रानी मुखर्जी के साथ और फिल्म ‘निशब्द’ में जिया खान के साथ लिप किस किया था जिस पर बहुत बवाल हो गया था. ऐसे ही डाइरैक्टर महेश भट्ट ने अपनी बेटी पूजा भट्ट के साथ जब एक मैग्जीन के कवर के लिए लिप टू लिप किस दिया, तो उस दौरान बापबेटी दोनों की बहुत बेइज्जती हुई थी.

चुंबन पर बनने वाले हिट गाने

चुंबन पर कई सारे गाने बने हैं जो काफी लोकप्रिय हुए हैं जैसे शिल्पा शेट्टी पर फिल्माया गीत ‘एक चुम्मा तू मुझ को उधार दे दे और बदले में यूपी बिहार ले ले…’ इमरान हाशमी और मल्लिका शेरावत पर फिल्माया गाना ‘भीगे होंठ तेरे प्यासा दिल यह मेरा…’ सलमान खान पर फिल्माया गाना ‘जुम्मे की रात है चुम्मे की रात है…’ अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गाना ‘जुम्मा चुम्मा दे दे…’ वगैरा.

आज भले ही फिल्मों में या पब्लिकली मौडर्न जमाने के होने की वजह से चुंबन देना आम बात हो, लेकिन कुछ साल पहले एक समय ऐसा भी था जब किस सीन को फिल्माने के लिए फूलों से फूल टकराए जाते थे या पंछियों को चोंच लड़ाते हुए दिखा दिया जाता था. इतना ही नहीं सेंसर भी चुंबन दृश्यों पर कैंची चला देती थी. चुंबन पर बवाल के पीछे खास वजह यही है कि भले ही हम आज 21वीं सदी में जी रहे हों लेकिन आज भी हमारे यहां पर हाथ मिलाने से ज्यादा हाथ जोड़ने और पैर छूने की परंपरा है.

आज भी भारत में लोग अपने मांबाप के सामने इंटिमेट सीन या चुंबन दृश्य एकसाथ बैठ कर नहीं देखते.

ऐसे में निष्कर्ष यही निकलता है कि चुंबन जो प्यार की निशानी है, प्यारभरे रिश्ते की शुरुआत का पहला कदम है, वह सब के सामने करना सभ्यता के खिलाफ माना जाता है, क्योंकि आज भी हमारा समाज प्यारमोहब्बत के ऐसे लमहों को सब के सामने बेशर्मी मानता है, उन के हिसाब से परदे के पीछे रहने वाली चीजें सब के सामने करना असभ्यता और बेशर्मी की निशानी है. प्रेमीप्रेमिका के बीच लिप टू लिप किस बुरा नहीं है बशर्ते वह बेशर्मी की हद पार न करें. यही वजह है कि 21वीं सदी में भी चुंबन दृश्यों को ले कर हमेशा बवाल हो जाता है जबकि वह सब के सामने और पब्लिकली होता है.

Grihshobha Inspire Awards 2025 में प्रेरणादायक महिलाओं को किया सम्मानित

नई दिल्ली, 21 मार्च 2025 : गृहशोभा इंस्पायर अवार्ड्स 2025 का आयोजन 20 मार्च 2025 को त्रावणकोर पैलेस, नई दिल्ली में किया गया. इस कार्यक्रम में उन असाधारण महिलाओं को सम्मानित किया गया जिन्होंने अपने क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस कार्यक्रम में लोक कला, शासन, सार्वजनिक नीति, सामाजिक कार्य, व्यवसाय, विज्ञान, ऑटोमोटिव और मनोरंजन जैसे क्षेत्रों की प्रभावशाली और उपलब्धि हासिल करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया. यह पुरस्कार उन लोगों को दिया गया जिन्होंने जिन्होनें अपने सामने आने वाली सभी मुश्किलों को पार कर एक नई राह बनाई.

इस इवेंट को लाइव देखने के लिए लिंक पर क्लिक करें – https://www.facebook.com/share/v/15annFyN5g/?mibextid=wwXIfr

इस समारोह में, सार्वजनिक स्वास्थ्य और शासन में परिवर्तनकारी नेतृत्व के लिए केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सुश्री के.के. शैलजा को पुरूस्कृत किया गया. साथ ही प्रसिद्ध अदाकारा सुश्री शबाना आज़मी को सिनेमा में उनके योगदान और मजबूत एवं मुश्किल किरदारों के प्रदर्शन के लिए मनोरंजन के माध्यम से सशक्तिकरण – आइकन के रूप में सम्मानित किया गया. डॉ. सौम्या स्वामीनाथन को सार्वजनिक स्वास्थ्य और वैज्ञानिक अनुसंधान में उनके अग्रणी नेतृत्व के लिए नेशन बिल्डर – आइकन पुरस्कार मिला. टाइटन वॉचेस की सीईओ सुश्री सुपर्णा मित्रा को कॉर्पोरेट नेतृत्व में नए स्टैंडर्ड स्थापित करने के लिए बिजनेस लीडरशिप – आइकन पुरूस्कार दिया गया.

अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार विजेताओं में सुश्री मंजरी जरूहर शामिल रहीं, जिन्हें पुलिसिंग में उनके अग्रणी करियर के लिए फियरलेस वारियर – आइकन के रूप में सम्मानित किया गया. ग्रामीण कारीगरों को सशक्त बनाने वाली जमीनी स्तर की नेता सुश्री रूमा देवी को ग्रासरूट्स चेंजमेकर – आइकन पुरस्कार मिला, जबकि सुश्री अमला रुइया को जल संरक्षण में उनके अग्रणी कार्य के लिए ग्रासरूट्स चेंजमेकर – अचीवर के रूप में सम्मानित किया गया. सुश्री विजी वेंकटेश को कैंसर देखभाल में उनके सरहानीय योगदान के लिए न्यू बिगिनिंग- आइकन से सम्मानित किया गया.

बिजनेस इंडस्ट्री में, भारत की पहली कीवी वाइन मैकर सुश्री तागे रीता ताखे को बिजनेस लीडरशिप-अचीवर से सम्मानित किया गया, जबकि मेंस्ट्रुपीडिया की फाउंडर सुश्री अदिति गुप्ता को होमप्रेन्योर-अचीवर से सम्मानित किया गया. सुश्री कृपा अनंथन को ऑटोमोटिव इंडस्ट्री में चेंजमेकर के रूप में सम्मानित किया गया, और सुश्री किरुबा मुनुसामी को उनकी कानूनी सक्रियता के लिए सोशल इम्पैक्ट-अचीवर से पुरूस्कृत किया गया. डॉ. मेनका गुरुस्वामी और सुश्री अरुंधति काटजू को लैंगिक समानता और LGBTQ समुदाय के अधिकारों के लिए उनकी ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई के लिए संयुक्त रूप से सोशल इम्पैक्ट-चेंजमेकर से सम्मानित किया गया.

लोक कलाओं के संरक्षण में उनके योगदान के लिए, डॉ. रानी झा को फोल्क हेरिटेज-आइकन से सम्मानित किया गया. डॉ. बुशरा अतीक को STEM में उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया.

एंटरनमेंट और डिजिटल इन्फ्लुएंस में, सुश्री तिलोत्तमा शोम और और सुश्री कोंकणा सेन को मनोरंजन के माध्यम से सशक्तिकरण के लिए ऑनस्क्रीन और ऑफस्क्रीन सम्मानित किया गया. सुश्री लीजा मंगलदास को कंटेंट क्रिएटर -एम्पावरमेंट, सुश्री श्रुति सेठ को कंटेंट क्रिएटर – पेरेंटिंग और डॉ. तनया नरेंद्र को कंटेंट क्रिएटर – हेल्थ में उनकी उत्कृष्टता के लिए सम्मानित किया गया.

माननीय अतिथि

सभी पुरस्कार आरटीआई कार्यकर्ता सुश्री अरुणा रॉय, वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री इंदिरा जयसिंह, प्रसिद्ध कथक नृत्यांगना सुश्री शोवना नारायण और महिला अधिकार कार्यकर्ता एवं राजनीतिज्ञ सुश्री सुभाषिनी अली द्वारा प्रदान किए गए. इन विशिष्ट अतिथियों ने अपने प्रेरणादायक शब्दों के साथ विजेताओं की उपलब्धियों के लिए उन्हें प्रोत्साहित किया.

जूरी पैनल

पुरस्कारों का निर्णय प्रतिष्ठित और सम्मानित महिलाओं के एक प्रतिष्ठित जूरी पैनल द्वारा किया गया, जिसमें लेखिका और फेमिना की पूर्व संपादक सुश्री सत्या सरन, लोकप्रिय अभिनेत्री सुश्री पद्मप्रिया जानकीरमन, चंपक की संपादक सुश्री ऋचा शाह, लर्निंग लिंक्स फाउंडेशन की अध्यक्ष सुश्री नूरिया अंसारी, आउटवर्ड बाउंड हिमालय की डायरेक्टर सुश्री दिलशाद मास्टर और कारवां की वेब संपादक सुश्री सुरभि कांगा शामिल थीं.

कार्यक्रम में बोलते हुए, दिल्ली प्रेस के प्रधान संपादक और प्रकाशक श्री परेश नाथ ने कहा: “गृहशोभा इंस्पायर अवार्ड उन लोगों को श्रद्धांजलि है जो आम धारणाओं को चुनौती देते हैं, और बदलाव लाने के लिए और भविष्य को आकार देने के लिए रचनात्मकता और साहस का उपयोग करते हैं. शोर से अभिभूत दुनिया में, ये पुरस्कार विजेता हमें याद दिलाते हैं कि सच्चा नेतृत्व उन लोगों के शांत लेकिन परिवर्तनकारी प्रभाव में निहित है जो सत्ता के सामने सच बोलने और ईमानदारी के साथ नेतृत्व करने का साहस करते हैं.”

गृहशोभा के बारे में:

गृहशोभा, जिसे दिल्ली प्रेस द्वारा प्रकाशित किया जाता है, भारत की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली हिंदी महिला मैगजीन है, जिस के 10 लाख से अधिक रीडर्स हैं. यह मैगजीन 8 भाषाओं (हिंदी, मराठी, गुजराती, कन्नड़, तमिल, मलयालम, तेलुगु और बंगाली) में प्रकाशित होती है और इस में घरगृहस्थी, फैशन, सौंदर्य, कुकिंग, स्वास्थ्य और रिश्तों पर रोचक लेख शामिल होते हैं. पिछले 45 सालों से गृहशोभा महिलाओं के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन का स्रोत बनी हुई है.

दिल्ली प्रेस के बारे में:

दिल्ली प्रेस भारत के सबसे बड़े और विविध पत्रिका प्रकाशनों में से एक है. यह परिवार, राजनीति, सामान्य रुचियों, महिलाओं, बच्चों और ग्रामीण जीवन से जुड़ी 36 पत्रिकाएं 10 भाषाओं में प्रकाशित करता है. इस की पहुंच पूरे देश में फैली हुई है.

मीडिया से संपर्क करें:
अनंथ नाथ/ एला
9811627143/ 8376833833

Latest Hindi Stories : इंटरनैट – क्या कावेरी अपने फैसले से खुश थी?

Latest Hindi Stories : लैंडलाइनपर जय के फोन से शाम 4 बजे नितिन और कावेरी की नींद खुली. फोन और लैंडलाइन पर, वे हैरान हुए. आजकल तो लैंडलाइन पर कभीकभार ही भूलेभटके किसी का फोन आता था. आज शनिवार था, दोनों की औफिस की छुट्टी थी तो लंच कर के गहरी नींद में सोए थे. घंटी बजती जा रही थी, दोनों ने एकदूसरे को शरारती नजरों से देखा और उठने का इशारा किया.

कावेरी ने न में सिर हिलाया तो नितिन ही उठा, ‘‘हैलो,’’ कहते ही उस की आवाज में जोश भर आया. कावेरी को उस की बातें सुनाई दे रही थीं.

कब? बहुत बढि़या आ जा.

‘‘हां, बिलकुल, बहुत मजा आएगा, यार. कितने साल हो गए. पता व्हाट्सऐप कर दूं? उफ, फिर लिख ले.’’

नितिन फोन पर पता लिखवा कर फोन रख कर कावेरी के पास आ कर लेट गया और कहने लगा, ‘‘गेस करो डियर, कौन आ रहा है?’’

‘‘तुम्हीं बता दो.’’

‘‘अरे थोड़ा तो गेस करो.’’

‘‘कोई पुरानी जानपहचान लग रही है जिस के पास हमारा लैंडलाइन नंबर भी है.’’

‘‘जय मुंबई आया है अभी, एक मीटिंग है उस की, डिनर पर आएगा, फिर वापस आज ही चला जाएगा, रात की ही फ्लाइट से.’’

कावेरी भी उत्साह से भर कर खुश हो गई. बोली, ‘‘अरे वाह, करीब 5 साल तो हो ही गए होंगे मिले हुए. आज तो खूब मजा आएगा जब बैठेंगे 3 यार, तुम वो और मैं. चलो बताओ, क्याबनाएं डिनर में? वैसे तो मेड आजकल छुट्टी पर है, घर में सब्जी वगैरह भी नहीं है, मैं सारा सामान शनिवार को ही तो लाती हूं. अब पहले कुछ सामान ले आएं?’’

‘‘पर तुम तो कह रही थी आज तुम्हें चाइना बिस्ट्रो का खाना खाना है, तुम्हारा बहुत दिन से मन था, वहीं से खाना और्डर कर लें? जय को भी वहां का चाइनीज खाना बहुत पसंद आएगा. तुम कहां इस समय किचन में घुसोगी. आराम करो, खाना और्डर कर लेंगे.’’

‘‘वाह, क्या आइडिया है. ऐसा पति सब को मिले.’’

नितिन ने शरारत से पूछा, ‘‘इस आइडिया की फीस पता है न?’’

कावेरी हंस पड़ी, ‘‘नहीं, जाननी भी नहीं है.’’

‘‘पर मैं तो बता कर रहूंगा,’’ कहतेकहते नितिन ने कावेरी को अपनी तरफ खींच लिया.

सहारनपुर की एक गली में ही नितिन, कावेरी और जय के घर थे. बचपन से ही तीनों की दोस्ती बहुत पक्की थी. बड़े होने पर कावेरी और नितिन की दोस्ती प्यार में बदल गई थी जिस पर दोनों के परिवार वालों ने खुशीखुशी मुहर लगा दी थी. जय दिल्ली में कार्यरत था. अपनी फैमिली के साथ वहीं रहता था तो 5 सालों से मिलना ही नहीं हो पाया था.

अचानक कावेरी को याद आया. पूछा, ‘‘अरे, यह बताओ जय ने लैंडलाइन पर फोन क्यों किया? उस के पास तो हमारे मोबाइल नंबर भी हैं. बात होती तो रहती है.’’

‘‘वह बहुत देर से मोबाइल फोन ही ट्राई कर रहा था. इंटरनैट ही नहीं था शायद और ज्यादा सब्र उस में है भी नहीं, जानती हो न?’’

कावेरी हंस पड़ी, ‘‘हां, यह तो है. सब्र नहीं उस में.’’

दोनों पुरानी बातें याद कर हंसते रहे. दोनों ही उस के आने से बहुत खुश थे. दोनों नहा धो कर अच्छी तरह तैयार हो गए. पूरा हफ्ता बिजी रहने के बाद दोनों ही वीकैंड में पूरी तरह से रिलैक्स करते. कावेरी सुंदर साड़ी पहन कर सजसंवर गई. सुंदर वह थी ही, इस समय और खूबसूरत लग रही थी. दोनों ने यह नियम बना रखा था कि जब साथ होंगे, फोन कम ही देखेंगे.

अब 7 बजे दोनों ने अपनाअपना फोन उठाया. कावेरी ने कहा, ‘‘चलो, बढि़या डिनर और्डर करते हैं.’’

जैसे ही दोनों ने अपनाअपना फोन देखा, इंटरनैट गायब था. थोड़ी देर तक बारबार वाईफाई रीस्टार्ट किया. फिर चिंता होने लगी. नितिन ने कहा, ‘‘लैंडलाइन से और्डर कर देते हैं, आओ.’’

लैंडलाइन से फोन करने पर उधर घंटी जाती रही, पर फोन नहीं उठाया गया. अब तक 8 बज गए थे. अब दोनों को चिंता होने लगी.

नितिन ने कहा, ‘‘कार भी सर्विसिंग के लिए दे रखी है. कोरोना के केसेज फिर दोबारा बहुत बढ़ गए हैं. औटो से जा कर खाना लाना भी सेफ नहीं है. औटो में तो बैठने का मन भी नहीं करता है आजकल. क्या करें यार.’’

कावेरी के चेहरे पर अब पसीने की बूंदें झलकने लगीं. बोली, ‘‘अब तो यही समझ आ रहा है कि जो भी घर में है जल्दी से बना लूं. हमारा दोस्त इतने टाइम बाद हम से मिलने आ रहा है. उस से बैठ कर बातें भी तो करनी हैं,’’ कह कर कावेरी ने साड़ी का पल्ला अपनी कमर में खोंसा और किचन की तरफ चल दी.

नितिन भी उस के पीछेपीछे चलते हुए बोला, ‘‘मैं भी हैल्प करता हूं. मिल कर बनाते हैं यार के लिए कुछ.’’

कावेरी को नितिन पर प्यार आ गया. रुक कर उस के गाल चूम लिए. दोनों ने एकदूसरे को प्यार किया और ‘साथी हाथ बढ़ाना…’ गाते हुए  खाना बनाने में जुट गए. दोनों ने बड़े मन से खाना बनाया. घर में रखे आलू, फ्रोजन मटर और पनीर की स्टफिंग तैयार कर कावेरी ने मिक्स्ड वैज परांठे बनाए. दही तो था ही. नितिन लगातार इंटरनैट भी चैक करता रहा और आलू छीलने में, बाकी चीजों में उस ने पूरी हैल्प की. बीच में कहा, ‘‘यार, बड़ी प्यारी लग रही हो, कमर में साड़ी का पल्ला खोंसे. मेरी मां तो बहू के इस रूप पर फिदा हो जाएंगी. रुको, तुम्हारा वीडियो बना कर उन्हें भेजता हूं.’’

कावेरी जोर से हंस पड़ी और फिर सचमुच अपना वीडियो बनाने में नितिन को पूरा सहयोग करने लगी. साथसाथ कमैंट्री भी करती जा रही थी, ‘‘अब आप कभी भी इन परांठों को अपनी सासूमां को बना कर खिला सकते हैं. वे खुश होंगी तो आप भी चैन से जीएंगी. मैं अपना यह पहला वीडियो अपनी प्यारी सासूमां को समर्पित करता हूं.’’

यों ही हंसतेखेलते काम निबटा लिया गया. 9 बज रहे थे. नितिन ने कहा, ‘‘वह कहां रह गया? आया नहीं अभी तक,’’ कह उस ने फोन उठाया और अपना सिर पकड़ लिया, ‘‘यार, नैट नहीं है, तुम देखना.’’

‘‘हां, नो नैटवर्क.’’

‘‘मैं तो उस का कोई कौंटैक्ट नंबर भी लेना भूल गया, अब कैसे पता करें?’’

थोड़ी देर होटल के ही लैंडलाइन से जय ने फोन किया, ‘‘यार, यह तुम्हारा कैसा शहर है… यहां नेटवर्क ही नहीं है. क्या मुसीबत हुई है आज. कितने जरूरी काम थे. इतनी देर से उबेर या ओला बुक करने की कोशिश कर रहा हूं. कुछ भी नहीं हो रहा है. मैं नहीं आने वाला अब जल्दी तुम्हारे शहर में.’’

‘‘कल्पना बंद करो और आने की कोशिश करो, यार. मेरी कार भी सर्विसिंग के लिए गई हुई है वरना कोई प्रौब्लम ही नहीं थी.’’

‘‘देख, मैं यहां इस ट्रैफिक टाइम में औटो से तो बिलकुल नहीं आने वाला. अब मैं आ ही नहीं रहा हूं. बहुत लेट हो गया हूं. मैं यहीं से वापस चला जाऊंगा. शायद अगली बार मिल पाएं. क्या बकवास शहर है.’’

‘‘हां, जैसे तुम्हारे शहर में तो कभी नैट जाता ही नहीं.’’

अब फोन स्पीकर पर था. कावेरी भी शामिल हो गई थी. थोड़ीबहुत बातें हुईं, फिर  यह समझ आ गया कि इस बार मिलना हो नहीं पाएगा. फिर फोन रख कर नितिन ने कहा, ‘‘यार, खाना तो बहुत बढि़या तैयार हो गया था. बना भी कुछ ज्यादा ही है…’’

नितिन की बात अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि उन के फ्लैट की डोरबैल बजी.

सामने वाले फ्लैट में रहने वाले दंपती सुमित और रेखा थे. इन दोनों से कभी नितिन और कावेरी की ज्यादा बातचीत नहीं हुई थी. वे दोनों भी वर्किंग थे. सालभर पहले ही इस फ्लैट में आए थे. यों ही आतेजाते लिफ्ट में बस एक स्माइल और हैलो का आदानप्रदान ही हुआ था.

नितिन ने जैसे ही दरवाजा खोला, सुमित ने झेंपते हुए कहा, ‘‘हम लोग कई दिनों से बाहर गए हुए थे. अभी आए हैं. इंटरनैट ही नहीं चल रहा है. फोन काम ही नहीं कर रहा है. एक कप दूध मिलेगा?’’

‘‘अरे, क्यों नहीं. ऐसे क्यों नहीं करते कि आप फ्रैश हो कर यहीं आ जाओ. चाय भी पी लें और कुछ खाना भी खा लें.’’

सुमित और उस के पीछे खड़ी रेखा संकोच से भर उठी. कहा, ‘‘नहींनहीं, बस आप एक कप दूध दे दीजिए.’’

‘‘अरे, सिर्फ दूध से कैसे काम चलेगा? आज कुछ भी और्डर नहीं कर पाएंगे.’’

नितिन और कावेरी के स्वर में इतना अपनापन और सरलता थी कि दोनों फिर तैयार हो ही गए. बोले, ‘‘ठीक है, हम फ्रैश हो कर आते हैं.’’

नितिन ने दरवाजा बंद कर कावेरी से कहा, ‘‘ठीक किया, इन के साथ ही आज डिनर करते  हैं. ये दोनों हमेशा मुझे अच्छे लगे हैं. वैसे भी यहां किसी को भी कभी इतनी फुरसत नहीं होती कि मिल कर कभी किसी के साथ बैठ पाएं. आज खाना तो है ही. चलो, फिर एक बार साबित हो गया कि दानेदाने पर खाने वाला का नाम लिखा होता है.’’

‘‘हां, मुझे भी खुशी हो रही है. आज पहली बार कोई पड़ोसी हमारे घर आएगा.’’

20 मिनट बाद ही सुमित और रेखा आ गए. पहली बार आए थे. थोड़ा तो संकोच स्वाभाविक था, पर नितिन और कावेरी खुले दिल के सरल स्वभाव के इंसान थे तो थोड़ी देर में ही सुमित और रेखा खुलने लगे. उन्होंने घर के इंटीरियर की खुले दिल से तारीफ की. फिर अपने हाथ में पकड़ा पैकेट कावेरी को देते हुए रेखा ने कहा, ‘‘हम दोनों मेरे मम्मीपापा से मिलने गए हुए थे.  मम्मी ने आते हुए यह पूरनपोली बना कर दी है. आप के लिए भी ले आई. यह महाराष्ट्र की फेमस चीज है.’’

‘‘अरे, वाह. हां, औफिस में कोई लाता है तो मैं जरूर खाती हूं. मुझे बहुत पसंद है, थैंक्स,’’ कहते हए कावेरी ने खुशी से वह पैकेट ले लिया. फिर उन लोगों के लिए चाय ले आई. अब तक सब सहज रूप से बातें करने लगे थे.

खाना जब लगा तो रेखा ने बहुत तारीफ करते हुए खाया. हंस कर कहा, ‘‘औफिस में भी नौर्थ इंडियंस अकसर परांठे लाते हैं तो मैं अपनी रोटी उन्हें दे कर उन के परांठे ले लेती हूं.’’

आजकल सब के दिल में अपने काम में व्यस्त रहने के चलने एक खालीपन भरता ही जा रहा है. मशीनी जीवन से दूर यह आज की शाम चारों को एक नया अपनापन दे रही थी. अब यह लग ही नहीं रहा था कि चारों आज पहली बार ही मिले हैं. हंसीमजाक शुरू हो गया था जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था.

सुमित ने कहा, ‘‘आज तो दिल खुश हो गया. अब तो हर वीकैंड का कोई प्रोग्राम रहना ही चाहिए. हर वीकैंड पर मूवी देख लो, बाहर खाना खा आओ बस यही करते हैं. ऐसी शाम बारबार आती रहनी चाहिए नितिन.’’

चारों हमउम्र ही थे. अब सब एकदूसरे का नाम ही ले रहे थे.

एक बात सुनो, ‘‘हमारी एक आंटी का अलीबाग में फार्महाउस है. कोरोना टाइम में कहीं और आनाजाना तो हो नहीं रहा, वहां कोई नहीं रहता है. एक हाउस हैल्प है बस. क्यों न वहां 1-2 रातें घूमने चला जाए?’’ सुमित बोला,

जवाब कावेरी ने दिया, ‘‘हम तैयार हैं.’’

‘‘यार, आज तो मन खुश हो गया. तुम लोगों के साथ तो सफर की थकान भी उतर गई. यह तो कभी सोचा नहीं था कि हमारे पड़ोसी इतने अच्छे हैं. एक दिन अचानक हम एक शाम में ही इतने अच्छे दोस्त बन जाएंगे,’’ रेखा ने बहुत प्यार से कहा तो कावेरी मुसकरा दी.

सब बैठ कर अपने घर, परिवार, औफिस की बातें करते रहे. 12 कब बज गए, पता ही नहीं चला.फिर सुमित ने कहा, ‘‘चलो, अब सोया जाए, अब तो मिलते ही रहेंगे. थैंक यू, दोस्तो.’’

नितिन ने कहा, ‘‘हमें थैंक्स मत कहो, इंटरनैट को कहो कि थैंक यू, इंटरनैट. अच्छा हुआ तुम चले गए. तभी तो हम मिले वरना तो तुम लोगों ने फोन कर के दूध और खाना मंगा लिया होता.’’

‘‘हां, फिर हमें इतने अच्छे परांठे न मिलते.’’

‘‘और मुझे पूरनपोली, नहीं तो तुम ने अकेले खा ली होती,’’ कहतेकहते कावेरी ने मुंह बनाया तो सब जोर से हंस पड़े.

उन के जाने के बाद नितिन और कावेरी ने खुशी से कहा, ‘‘कितना अच्छा लगा, यार. कितना जरूरी होता है दोस्तयारों का साथ. आज तो इंटरनैट के जमाने ने कमाल कर दिया. भाई साहब गए तो अच्छे दोस्तों से मिलना हो गया. एक दोस्त से नहीं मिल पाए तो 2 दोस्त और मिल गए, जय से तो अब अगली बार मिल ही लेंगे पर आज दिल खुश हो गया.’’

नितिन ने सहमति में सिर हिला दिया. दोनों सारा सामान समेटते हुए फिर गा रहे थे, ‘‘जहां चार यार मिल जाएं, वहीं रात हो गुलजार…’’

Hindi Love Stories : भावनात्मक सुरक्षा

Hindi Love Stories :  मुकेशआज भी अनमना सा था. जब वेटर बिल ले कर आया तो उस के चेहरे पर काफी परेशानी उभर आई. कविता इस बात को समझ सकती थी. हमारे पुरुषप्रधान समाज में यदि स्त्री भुगतान करे तो इसे खराब माना जाता है. हमारे पुरुषप्रधान समाज में ही क्यों शायद सारी दुनिया में इसे अपमानजनक माना जाता है.

कविता को स्कूल के दिन याद आ गए जब वे एक कहानी पढ़ा करती थी लंचियों. इस में एक 40 वर्षीय महिला लेखक विलियम सोमरसेट की दीवानी थी. वह लेखक से एक बड़े रैस्टोरैंट में मिलने की इच्छा व्यक्त करती है. रैस्टोरैंट में दोनों लंच के लिए पहुंचते हैं.

विलियम को बिल की चिंता होती है क्योंकि महिला के द्वारा बिल का भुगतान किया जाना अपमानजनक होता और विलियम के पास ज्यादा पैसे नहीं थे. महिला काफी महंगी खानेपीने की चीजें मंगवाती जाती है और विलियम का दिल धड़कता रहता है.

अंत में स्थिति यह होती है कि उस के पास टिप देने को बहुत कम रकम बचती है और अगले कुछ दिनों के लिए उस के पास कुछ भी नहीं बचता है. यद्यपि यह कहानी हास्य का पुट लिए हुए थी पर यह संदेश तो था ही उस में कि पुरुष के होते महिला के द्वारा बिल का भुगतान करना या बिल शेयर करना ठीक नहीं माना

जाता था.

मगर मुकेश उस के साथ ऐसा क्यों महसूस करता है वह समझ नहीं पाती थी. आखिर वह उस का बौयफ्रैंड था. कई वर्षों से दोनों साथ थे. सुख में भी और दुख में भी. यह ठीक है कि उस की आमदनी कुछ कम थी. वैसे वह उम्र में भी उस से 2 वर्ष छोटा था और जौब भी उस के बाद ही शुरू की थी. परंतु जब इस में उसे कोई परेशानी नहीं थी तो आखिर मुकेश क्यों इतना गंभीर हो जाता था छोटीछोटी बातों पर?

मुकेश का मूड देख कविता ने इस बारे में बात करना मुनासिब नहीं समझ. इधरउधर की बातें कर के उस ने उस से विदा ली. पर यह बात उसे मथती रही. आज वे मित्र हैं कल पतिपत्नी होंगे. उस समय भी यदि मुकेश इसी प्रकार व्यवहार करेगा तो क्या आसान होगी जीवन की यात्रा?

क्या करे वह कुछ समझ नहीं पा रही थी. कहीं मुकेश के मन में हीनभावना न आती जाए और वह उसे छोड़ कर चला न जाए. वह उसे बहुत चाहती थी और उस के साथ जीवन बिताना चाहती थी. पर उस के इस व्यवहार से उस के मन में आशंका होती थी कि कहीं यह रिश्ता दरक न जाए.

कौन इस समस्या से उसे छुटकारा दिला सकता है? कई नाम उस के जेहन में आए जिन से वह चर्चा करने पर विचार कर सकती थी. पर अधिकांश लोगों से बात करने में उसे संदेह था कि लोग उस की खिल्ली न उड़ाएं. ‘रहिमन निज मन की व्यथा मन में राखो गोय, सुनी अठिलइन्हें  लोग सब बांट न लइन्हें कोय,’ उस के जेहन में रहीमदास की पंक्तियां गूंज गईं.

उस के मन में सुजीत का खयाल आया. वह उस का सहकर्मी था और बड़े ही सुलझे विचारों का था. उस से यह सलाह ली जा सकती है. औफिस में आधे घंटे का लंच होता था. वह सुजीत के साथ लंच लेते हुए बात कर सकती थी. वह उस की उलझन सुन हंसेगा नहीं और अपनी तरफ से सही सलाह भी देगा.

दूसरे दिन औफिस पहुंचते ही उस ने इंटरकौम से सुजीत का नंबर मिलाया.

डिस्प्ले पर कविता का नंबर देख सुजीत ने रिसीवर उठा कर कहा, ‘‘हाय कविता.’’

‘‘हाय, कैसे हो सुजीत?’’ कविता ने पूछा.

‘‘चकाचक, मस्ती, झकास,’’ हमेशा की तरह सुजीत का जवाब था. कितनी भी परेशानी में क्यों न हो उस का यही जवाब होता था. वह कहता भी था, स्थिति जो भी हो जवाब यही होना चाहिए. यदि रोने बैठ जाओगे तो कोई हाल भी नहीं पूछेगा.

‘‘तुम कैसी हो?’’ उस ने पूछा.

‘‘मैं ठीक हूं पर पूरी तरह नहीं. कुछ उलझन है, तुम से निष्पक्ष सलाह चाहिए,’’ कविता ने कहा.

‘‘सलाह? अरे यह तो थोक के भाव कोई भी दे सकता है अपने देश में,’’ सुजीत ने हंस कर कहा, ‘‘पर उपदेश कुशल बहुतेरे.’’

‘‘मुझे पता है. पर मैं किसी सुलझे विचारों वाले व्यक्तिसे ही सलाह लेना चाहती हूं और वह भी थोक के भाव से नहीं. संक्षिप्त और गूढ़ सलाह और मेरे खयाल से तुम सही व्यक्तिहो.’’ कविता ने कहा.

‘‘बड़ी खुशी हुई कि मुझे इस लायक समझ गया. फरमाइए?’’ सुजीत ने कहा.

‘‘अभी नहीं. आज लंच तुम्हारे पास बैठ कर करूंगी और उसी समय बात भी करूंगी.’’

‘‘स्वागत है आप का. ठीक डेढ़ बजे मिलते हैं,’’ सुजीत ने कहा.

‘‘ठीक है,’’ कविता ने कहा और फोन डिसकनैक्ट कर दिया.

डेढ़ बजे कविता सुजीत के कैबिन में टिफिन बौक्स ले कर पहुंची. वह जानती थी कि सुजीत भी घर से लंच लाता है. फिर उस का कैबिन थोड़ा बड़ा भी था और वहां वह अकेला बैठता था. अत: बात करने में सुविधा भी थी.

दोनों ने एकदूसरे के टिफिन बौक्स से खाद्यसामग्री मिलबांट कर खाई और फिर हाथ धो कर दोनों बातचीत करने बैठ गए.

‘‘क्या बात है?’’ सुजीत ने पूछा.

‘‘मुकेश को तो तुम जानते हो.’’

‘‘हां. तुम्हारा दोस्त.’’

‘‘दोस्त से कुछ ज्यादा… होने वाला जीवनसाथी.’’

‘‘मामला क्या है?’’

‘‘वह मुझ से 2 वर्ष छोटा है. जौब मेरे बाद शुरू की है. मेहनती भी बहुत ज्यादा नहीं है. थोड़ा कम व्यावहारिक भी है. अत: वेतन कम पाता है. स्वाभाविक है हम कहीं साथ होते हैं तो ज्यादातर खर्च मैं ही करती हूं. मुझे कोई आपत्ति भी नहीं है. पर वह इसे अपमानजनक मानता है. मैं उसे खोना नहीं चाहती. मैं क्या करूं?’’ कविता ने एक ही सांस में अपनी बात रख दी.

‘‘हूं, मामला पेचीदा है,’’ सुजीत ने कहा और फिर सोच में डूब गया.

थोड़ी देर सोचने के बाद बोला, ‘‘देखो वह जब तक आर्थिक रूप से समर्थ नहीं हो जाता उस का ऐसा व्यवहार स्वाभाविक है. आखिर वर्षों से जड़ जमाए पितृसत्तात्मक व्यवस्था का हिस्सा है वह. दूसरा उपाय यह है कि वह भावनात्मक रूप से सुरक्षित महसूस करे. आर्थिक रूप से समर्थ तो वह अपनी मेहनत और लगन से ही हो सकता है. इस में तुम ज्यादा कुछ नहीं कर सकती. हां भावनात्मक सुरक्षा तुम उसे दे सकती हो. तुम उस से बात करती रहो और बताओ कि तुम ज्यादा क्यों कमाती हो. पहली बात तुम उस से पहले से जौब कर रही हो. दूसरा तुम काफी मेहनत करती हो. तुम उस के साथ लगातार बात करती रहो और उसे समझती रहो. उसे बताओ कि जमाना बदल रहा है. अब पतिपत्नी साथसाथ काम कर रहे हैं. घर का भी, बाहर का भी.

‘‘अब संयुक्त परिवारों का समय नहीं रहा जब महिलाओं को घर के अंदर और पुरुषों को घर के बाहर काम करना होता था. अब वह समय नहीं रहा जब घर में कई महिलाएं होती थीं और कई पुरुष होते थे. महिलाएं आपस में काम बांटती थीं और पुरुष आपस के. अब परिवार में पतिपत्नी और बच्चे होते हैं. पतिपत्नी को ही मिल कर परिवार चलाना होता है. कोई बड़ा नहीं कोई छोटा नहीं होता. दोनों बराबर होते हैं और अपनी क्षमता के अनुसार कमाते हैं और घर का काम करते हैं. उसे बताओ कि तुम्हें उस की कम आमदनी से कोई परेशानी नहीं है.’’

‘‘ठीक कह रहो हो. मैं उस से बात करूंगी थैंक्यू,’’ कविता ने कहा और टिफिन बौक्स ले कर अपने कैबिन में वापस आ गई.

अगली बार जब कविता मुकेश से मिली तो उस ने कहा, ‘‘एक बुरी खबर सुनानी है.’’ ‘‘क्या?’’ मुकेश चौंका.

‘‘हो सकता है मेरी जौब चली जाए और मुझे कहीं अभी से आधी सैलरी पर काम करना पड़े. कहीं तुम मेरा साथ छोड़ तो नहीं दोगे?’’

‘‘कैसी बात करती हो? क्या मैं तुम्हारे साथ तुम्हारी सैलरी के लिए जुड़ा हूं? मैं प्यार करता हूं तुम से. आधी सैलरी तो छोड़ो, बगैर सैलरी के भी रहोगी तो हम मिलजुल कर गुजारा कर लेंगे. अभी मेरी सैलरी कम है तो क्या तुम मुझे छोड़ कर चली गई?’’ मुकेश ने कहा.

‘‘नहीं और कभी जाऊंगी भी नहीं. पर तुम कभीकभी ऐसा व्यवहार क्यों करते हो जब कभी मैं बिल का भुगतान करती हूं,’’ कविता ने कहा.

‘‘वह… वह… वह…’’ मुकेश कुछ बोल नहीं पाया. शायद उसे पता भी नहीं था कि उस की प्रतिक्रिया से कविता वाकिफ है.

‘‘देखो मुकेश, जिंदगी में कभी मैं ज्यादा कमाऊंगी कभी तुम ज्यादा कमाओगे. इस से कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. अब मैं और तुम, हम बनने वाले हैं. इन छोटीछोटी बातों को बीच में मत आने दिया करो.’’

मुकेश के चेहरे पर अनिश्चिंतता के भाव थे. शायद वह पूरी तरह सहमत नहीं हो पा रहा था. बाद में भी मुकेश का व्यवहार वैसा ही बना रहा. स्थिति तब और बुरी हो गई जब लौकडाउन के चलते पहले तो उसे वर्क फ्रौम होम का और्डर दिया गया और बाद में उसे जौब से ही हटा दिया गया.

मुकेश कोशिश करता रह गया कहीं काम पाने की पर सफल नहीं हो पाया. धीरेधीरे वह निराशा के गर्त में डूबता चला गया. अब उसे कविता से बारबार पैसे लेने पड़े. इस शहर में उस का और कोई ऐसा नहीं था जिस से वह सहायता ले पाता और घर वाले तो उस पर ही आश्रित थे. उन से वह कुछ मांग नहीं सकता था. कोढ़ में खाज की तरह वह कोरोना से संक्रमित हो गया. वह भी तब, जब सबकुछ सुधरता नजर आ रहा था. एक कंपनी से उस की बात भी हो गई थी और बहुत बढि़या पैकेज पर उसे जौब मिल रही था.

पहले तो हलका बुखार ही था पर जब उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो  अस्पताल जाने के अलावा कोई चारा नहीं था. उस ने कविता को बताया कि वह अस्पताल जाने वाला है तो कविता उस के पास आ गई.

‘‘इस बीमारी में पास नहीं आते कविता. दूर ही खड़ी रहो और वापस जाओ,’’ दरवाजा खोलने के साथ ही उस ने कहा.

‘‘पूरी सावधानी के साथ आई हूं मुकेश. यह देखो मास्क, सैनिटाइजर मेरे बैग में हमेशा रहते हैं. तुम्हें अस्पताल में एडमिट करवा कर वापस आऊंगी तो स्नान कर लूंगी,’’ कविता ने कहा.

‘‘मेरे कारण तुम भी संक्रमित हो जाओगी,’’ मुकेश ने थोड़ी नाराजगी से कहा.

‘‘बीमारी कोई भी हो, अपने तो अपने के काम आएंगे. पूरी सावधानी बरतूंगी. अगर फिर भी संक्रमित होना होगा तो हो जाऊंगी, पर तुम्हें अकेले कैसे छोड़ दूं,’’ कविता ने कहा और उसे किनारे होने का इशारा कर अंदर चली आई.

मुकेश लाख समझता रहा पर कविता नहीं मानी. उसे ले कर अस्पताल गई.

डाक्टर ने चैक कर कहा, ‘‘शारीरिक से ज्यादा मानसिक परेशानी है आप की. बहुत ही मामूली संक्रमण है. अस्पताल में भरती होने की आवश्यकता नहीं है. घर पर ही क्वारंटाइन रहें और जो दवाएं लिख रहा हूं उन्हें लेते रहें, जो ऐक्सरसाइज बता रहा हूं वे करते रहें, समयसमय पर भाप लेते रहें.’’

कविता कुछ दिनों के लिए मुकेश के ही फ्लैट में आ गई. उस ने उस का पूरापूरा खयाल रखा. समय पर खानापानी देना, दवा देना, भाप देने की व्यवस्था आदि सबकुछ और साथ ही घर से ही कंपनी का काम भी करती रही.

मुकेश कुछ ही सप्ताह में पूरी तरह स्वस्थ हो गया. धीरेधीरे बात उस की समझ में आ गई कि साथी का क्या मतलब होता है. अब उसे जौब भी मिल गई. अब उसे इस बात से फर्क नहीं पड़ता था कि बिल का भुगतान कविता करती है या वह.

कविता की निस्स्वार्थ सेवा ने उस के मन में भावनात्मक सुरक्षा भर दी थी और अब वे दोनों सुखी दांपत्य जीवन के पथ पर चलने के लिए तैयार थे.

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