story in hindi
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यूनाइटेड किंगडम के कुल्युवेन विश्वविद्यालय की प्रयोगशाला में डा. मारटेन लारमूसीयू द्वारा किए एक अध्ययन में पाया गया कि यूके की 2% संतानें गैरपिता से उत्पन्न हैं. अब प्रश्न यह उठता है कि इतने बड़े स्तर पर लोग बेवफाई में लिप्त क्यों हैं, जबकि बेवफाई, भावनात्मक व यौन विशिष्टता के संदर्भ में किए गए विवाह अनुबंध का उल्लंघन है?
वर्तमान समय में विभिन्न पत्रपत्रिकाओं द्वारा किए गए सर्वे भी इसी बात को इंगित करते हैं कि भारत में भी 25 से 30% विवाहित महिलाएं समयअसमय पर अपने पति के अतिरिक्त अन्य पुरुषों के साथ अपनी कामवासना शांत करती हैं. भले ही यह अतिशयोक्ति लगती हो, लेकिन सच को नकारा नहीं जा सकता. जो महिलाएं बहुत सीधीसादी व गंभीर दिखती हैं वे भी विवाहशादियों व सामाजिक मेलमिलाप के अवसरों पर अपने लिए किसी ऐसे व्यक्ति की खोज में रहती हैं, जो उन की कामवासना को दबेछिपे शांत कर सके.
अधिकतर लोग यह जानते हुए भी कि उन की पत्नियां उन के प्रति वफादार नहीं हैं, तो भी वे इस सत्य को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करने से कतराते हैं. कई लोग तो जानबूझ कर भी ऐसा सिद्ध करने की कोशिश करते हैं कि उन की पत्नी उन के प्रति पूरी वफादार है.
1950 के आरंभ में किंसे द्वारा जारी किए सर्वे में बताया गया था कि विवाह पूर्र्व शारीरिक संबंधों की तुलना में विवाहेतर संबंधों की संख्या अधिक है. किंसे ने लिखा था कि उन के द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर देने वालों में से 50% विवाहित पुरुषों के तथा 25% विवाहित महिलाओं के विवाहेतर संबंध थे.
इसी प्रकार अमेरिका में यौन व्यवहार पर आधारित जेन्स द्वारा किए गए सर्वे में एकतिहाई विवाहित पुरुष और एकचौथाई महिलाओं का विवाहेतर संबंधों में लिप्त होना पाया गया था. बेवफाई पर सब से सटीक सूचना शिकागो विश्वविद्यालय में 1972 में किए गए एक अध्ययन से आई थी, जिस में 12% पुरुष और 7% महिलाओं ने विवाहेतर संबंधों में लिप्त होना स्वीकारा था.
मनोवैज्ञानिकों का विश्वास है कि व्यक्ति न तो पूरी तरह एकल विवाही है और न ही पूरी तरह बहुविवाही. मानव विज्ञानी हेलनफिशर के मुताबिक व्यभिचार के लिए कई मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार हैं.
कुछ लोग विवाह के उपरांत भी यौन संबंधों का अभाव पाते हैं, जिस कारण वे विवाहेतर यौन संबंध कायम कर लेते हैं. कुछ लोग अपनी यौन समस्या के समाधान हेतु तो कुछ अपनी ओर ध्यानाकर्षण के लिए भी विवाहेतर संबंध कायम कर लेते हैं. कुछ लोग प्रतिशोध लेने या विवाह संबंधों को और रोचक बनाने के लिए भी विवाहेतर संबंध कायम कर लेते हैं.
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हेलनफिशन ने अपने शोध में व्यभिचार के लिए कुछ जैविक कारण भी बताए हैं. उन्होंने बताया है कि इनसान के मस्तिष्क में 2 प्रणालियां हैं. एक प्रणाली प्रेमालाप और लगाव से जुड़ी है, तो दूसरी पूर्णतया यौन आचरण से. कभीकभी दोनों प्रणालियों का तालमेल टूट जाता है, जिस के कारण बिना भावनात्मक लगाव के व्यक्ति यौन संतुष्टि प्राप्त करने में सक्षम नहीं होता.
सोशल मीडिया पर प्रतिदिन 18 लाख व्यक्ति केवल सैक्स चर्चा करते हैं. बेवफाई के प्रत्येक मामले में व्यक्ति का एक अलग उद्देश्य हो सकता है, लेकिन बेवफाई की मुख्यरूप से 5 श्रेणियां हैं-
अवसरवादी बेवफाई: अवसरवादी बेवफाई तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति समर्पित तो होता है, किंतु अपनी यौनेच्छा पूरी करने के लिए वह किसी अन्य से यौन संबंध स्थापित कर लेता है.
अनिवार्य बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने धोखेबाज जीवनसाथी के प्रेम से पूर्णतया ऊब जाता है. तब उस के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह भी किसी अन्य के साथ यौन संबंध बनाए.
विरोधाभासी बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहता है, किंतु अपनी प्रबल यौनेच्छा के कारण समयसमय पर अन्य से भी यौन संबंध बनाता रहता है.
संबंधनिष्ट बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने वैवाहिक संबंधों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध रहता है, लेकिन जीवनसाथी से कोई अपनत्व न मिलने के कारण वह किसी अन्य से यौन संबंध स्थापित कर लेता है.
रोमांटिक बेवफाई: यह स्थिति तब पैदा होती है जब कोई व्यक्ति अपने जीवनसाथी से प्रतिबद्ध रहते हुए कई अन्य के साथ रोमांस करता रहता है.
लेकिन इन सभी प्रकार की बेवफाई हर हाल में दुष्परिणाम ही देती है. ऐसे संबंधों
के उजागर होने पर बेइज्जती, आत्मग्लानी, मानसिक तनाव, पारिवारिक संबंधों में बिखराव, मुकदमेबाजी सहित और कई परेशानियां पैदा हो सकती हैं.
बेवफाई हर युग में होती रही है पर आज औरतों के अधिकार ज्यादा हैं. अत: वे ज्यादा रिस्क भी लेती हैं और बेवफाई करने वाले साथी को छोड़ती भी नहीं है. उचित यही है कि आप अपने जीवनसाथी के प्रति ईमानदार रहें. अगर कोई परेशानी है तो पहले तो कोशिश करें उसे बातचीत से हल किया जाए और बेवफाई को जीवन का अंत न समझा जाए. फिर विवाह विशेषज्ञों से बात करें. अलग रहने या तलाक लेने की बात तब करें जब साथी लगातार बेवफाई कर रहा हो.
– डा. प्रेमपाल सिंह वाल्यान
शरीर के मजबूत जोड़ हमें सक्रिय रखते हैं और चलने-फिरने में मदद करते हैं. जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है, इस बारे में सटीक जानकारी जरूरी है. जोड़ों की देखभाल और मांसपेशियों तथा हड्डियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, स्थिर रहें. जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए यहां कुछ ऐसे सुझाव दिए गए हैं, जिन्हें आजमा कर आप अपनी सर्दियां बिना किसी दर्द के काट सकते हैं…
1. जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना. शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों, विशेषकर घुटने के जोड़ों पर दबाव बनाता है.
2. व्यायाम से अतिरिक्त वजन को कम करने और वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाने का अभ्यास करें.
3. वैसे लोग जो अधिक समय तक कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, उनके जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक रहती है. जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनी स्थिति को लगातार बदलते रहिए.
4. व्यायाम उपास्थि के पोषण में मदद करता है. यदि व्यायाम को खुशी के साथ किया जाए तो एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो आपको स्वस्थ होने का अनुभव देता है. एक दिन में कम से कम 20-40 मिनट तक जरूर टहलें.
5. मजबूत मांसपेशियां जोड़ों का समर्थन करती हैं. यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो इससे आपके जोड़ों में विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों में दर्द होगा.
6. बैठने का सही तरीका भी आपके कूल्हे और पीठ की मांसपेशियों की रक्षा करने में मदद करता है. कंधों को झुकाकर न खड़े हों. सीढ़ी चढ़ना दिल के लिए अच्छा है, लेकिन अगर सीढ़ी अप्राकृतिक है, तो यह आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है.
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7. स्वस्थ आहार खाना आपके जोड़ों के लिए अच्छा है. यह मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. हमें हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है.
8. अगर आपको नियमित भोजन से जरूरी मिनरल लेने में समस्या हो रही है, तो सप्लिमेंट ले सकते हैं. वर्तमान में, निर्धारित जरूरत के अनुसार 50 साल की उम्र तक के वयस्क पुरुषों और महिलाओं को नियमित रूप से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 के बाद नियमित रूप से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.
9. 71 साल की आयु के बाद 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम पुरुष और महिला दोनों ले सकते हैं. इसे आप दूध, दही, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जी, कमल स्टेम, तिल के बीज, अंजीर और सोया या बादाम दूध जैसे पौष्टिक आहार को खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर कैल्शियम की जरूरत पूरी कर सकते हैं.
10. हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. आप जो आहार खाते हैं, उसमें विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण में मदद करता है. यह हड्डियों के विकास और हड्डी के ढांचे को सक्षम बनाता है.
11. विटामिन डी की कमी मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, जो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने के लिए जिम्मेदार होता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. डेयरी उत्पाद और कई अनाज, सोया दूध और बादाम के दूध में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है.
12. जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व कम होता है और उनके फ्रैक्चर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. यह संभवत: कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास और शक्ति को प्रभावित करने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के उत्पादन को कम करने से संबंधित है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जिम्मेदार होते हैं.
13. समय-समय पर अपने चिकित्सक से मिलते रहें. रक्त में यूरिक एसिड के स्तर की जांच नियमित रूप से कराते रहें.
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सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाईवोल्टेड ड्रामा देखने को मिल रहा है, जिसके चलते शो की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई है. वहीं शो के सितारे अपने फैंस को एंटरटेन करने के लिए सोशलमीडिया पर भी काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं. इसी बीच अनुपमा के किरदार में नजर आने वाली रुपाली गांगुली के फोटोशूट की फोटोज काफी वायरल हो रही है, जिसमें वह लेडी बौस के लुक में नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं रुपाली गांगुली की लेटेस्ट फोटोज…
बौस बनीं रुपाली गांगुली
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हाल ही में अनुपमा यानी रुपाली गांगुली ने एक फोटोशूट की फोटोज फैंस के साथ शेयर की हैं, जिसमें वह बौस लुक में नजर आ रही हैं. ब्लैक पैंट, टौप और प्रिंटेड श्रग पहनें, रुपाली गांगुली का लुक बेहद स्टाइलिश लग रहा है. वहीं फैंस फोटोज देखकर अंदाजा लगा रहे हैं कि यह उनके सीरियल में अपकमिंग लुक है.
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नए-नए फैशन कर रही हैं ट्राय
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अनुपमा की सिंपल बहू लुक से हटकर रुपाली गांगुली नए-नए लुक ट्राय कर रही हैं. ड्रैसेस से लेकर वह इन दिनों मौर्डन लुक में फैंस का दिल जीत रही हैं. वहीं फैंस उनके नए लुक में तारीफें कर रहे हैं.
अनुपमा के लुक में भी फैंस कर रहे हैं पसंद
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अनुपमा के रुप में दर्शकों को रुपाली गांगुली के कई लुक देखने को मिले हैं. वहीं अनुज की एंट्री के बाद अनुपमा के बदले लुक को भी फैंस को काफी पसंद किया है.
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महिलाएं ही अपने परिवार में स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देती हैं और सभी का खयाल रखती हैं, मगर वे कामकाजी और पारिवारिक जीवन में इतनी व्यस्त हो जाती हैं कि दोनों को संभालने के चक्कर में अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज करती हैं. ज्यादातर महिलाओं को इस बात का एहसास नहीं होता कि वे अपने परिवार के स्वास्थ्य का खयाल अच्छी तरह तभी रख सकती हैं, जब वे खुद बिलकुल स्वस्थ होंगी.
ऐसे में स्वास्थ्य बीमा की जरूरत को भी समझना बहुत जरूरी हो जाता है, जो आप को किसी भी मैडिकल आपात स्थिति में बड़े संकट से बचा सकता है. जांच में कोई बड़ी बीमारी निकल आए तो उस से न सिर्फ आप के स्वास्थ्य को नुकसान होता है, बल्कि वह आप की पूरी जिंदगी को भी खराब कर सकती है. आज मैडिकल इलाज बहुत महंगा हो गया है. इतना महंगा कि व्यक्ति के लिए स्वास्थ्य बीमा के बिना अपने दम पर इतना वित्तीय बोझ वहन करना मुमकिन नहीं है.
स्वास्थ्य बीमा सभी आयुवर्गों के लिए उपयोगी होता है. युवा लड़कियां स्वयं और अपने मातापिता के लिए स्वास्थ्य बीमा ले सकती हैं, जबकि विवाहित महिलाएं स्वयं और अपने नए परिवार के लिए स्वास्थ्य बीमा का विकल्प चुन सकती हैं.
क्या है स्वास्थ्य बीमा
स्वास्थ्य बीमा एक व्यापक कौन्सैप्ट है, जो लोगों को किसी अप्रत्याशित मैडिकल आपदा और उस पर होने वाले खर्च से सुरक्षा प्रदान करता है. आज बाजार में ऐसी कई योजनाएं मौजूद हैं, जिन में कवर, लाभ इत्यादि उपलब्ध हैं, लेकिन सभी में कुछ न कुछ अंतर होता है.
महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा
बाजार में महिलाओं पर केंद्रित कई अनूठी योजनाएं उपलब्ध हैं, जो सिर्फ उन की जरूरतों और गंभीर बीमारियों को कवर करती हैं. हालांकि बाजार में उपलब्ध इन योजनाओं के लिए कोई विशेष प्रीमियम मूल्य नहीं है.
सभी स्वास्थ्य बीमा कंपनियां महिलाओं पर केंद्रित उत्पाद उपलब्ध नहीं करातीं, लेकिन कंपनियों की नीतियों में मैटरनिटी बैनिफिट शामिल होता है. कंपनियों की नई योजनाएं विभिन्न आयुवर्गों की महिलाओं और उन के जीवन के कई चरणों के लिए हैं. बाजार में उपलब्ध प्रत्येक पौलिसी दूसरी पौलिसी से अलग होती है. पौलिसी के कुछ सामान्य प्रावधान निम्नलिखित हैं:
– बीमा कंपनी के नैटवर्क के अस्पतालों में कैशलैस हौस्पिटलाइजेशन.
– अस्पताल में भरती होने से पहले या भरती होने के दौरान आने वाला खर्च.
– अधिकृत केंद्रों पर हैल्थ चैकअप की लागत.
– मैटरनिटी बैनिफिट, जो अस्पताल में भरती होने का खर्च भी कवर करता है. जन्म से पूर्व और जन्म के बाद होने वाला खर्च शामिल.
– ऐसी पौलिसी, जो आप के परिवार को भी कवर करे. पौलिसीधारक को कैंसर, हार्टअटैक, स्ट्रोक और गुरदे खराब होने जैसी गंभीर बीमारी होने पर संपूर्ण भुगतान.
– धारा 80 डी के तहत लाभ.
– पौलिसी में महिलाओं की गंभीर बीमारियां जैसे स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और स्पौंडिलाइटिस आदि भी कवर होता है.
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अविवाहित/विवाहित महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा
अविवाहित या विवाहित महिलाओं द्वारा उठाया जाने वाला मैडिकल खर्च काफी अधिक होता है. अगर उन के परिवार में किसी को गंभीर बीमारी हो जाए, जिस के इलाज पर काफी रकम खर्च करने की जरूरत हो तो एक समग्र हैल्थकेयर योजना और एक गंभीर बीमारी योजना परिवार को ऐसे समय में वित्तीय मदद उपलब्ध कराती है.
अगर आप अकेले ही बच्चों की जिम्मेदारी उठा रही हैं तो स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के जरीए निम्तलिखित लाभ उठा सकती हैं:
– व्यापक स्वास्थ्य कवर के तहत आप के साथ आप का बच्चा भी कवर हो सकता है.
– एक ही कवर में चाइल्ड केयर बैनिफिट भी उपलब्ध हो सकता है.
– इस कवर में 12 वर्ष की आयु तक वैक्सिनेशन शुल्क भी शामिल.
– आप अपने सिंगल कवर के तहत अपने बच्चों के साथ ही अपने अभिभावकों को भी शामिल कर सकती हैं.
– किसी भी गंभीर बीमारी की स्थिति में अस्पताल में इलाज पर होने वाला पूरा खर्च शामिल.
नवविवाहित युगल के लिए स्वास्थ्य बीमा
नवविवाहित महिलाएं ऐसा बीमा योजना चुन सकती हैं कि जब अपना परिवार आगे बढ़ाने की योजना बनाएं तो मैटरनिटी बैनिफिट ले सकें. युगल मैटरनिटी लाभ तभी ले सकते हैं, जब पति और पत्नी को यह योजना लिए कम से कम 2 साल का समय बीत गया हो.
संयुक्त परिवार में रहने वाली महिलाओं के लिए स्वास्थ्य बीमा अगर कोई महिला संयुक्त परिवार में रहती है तो उस के लिए भी बाजार में ऐसी पौलिसियां हैं, जो एक बार में 15 लोगों को कवर कर सकती हैं जैसे स्वयं, पति, उन पर निर्भर लोग (25 वर्ष तक की आयु के अविवाहित) या फिर उन पर निर्भर नहीं रहने वाले बच्चे, उन पर निर्भर या निर्भर नहीं रहने वाले अभिभावाक, निर्भर रहने वाले भाईबहन, बहुएं, दामाद, सासससुर, दादादादी और पोतेपोती (अधिकतम 15 सदस्य तक).
वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा
वरिष्ठ महिला नागरिक किसी बीमारी के इलाज के लिए अस्पताल में भरती होने पर स्वास्थ्य बीमा का लाभ उठा सकती हैं. अस्पताल से आने के बाद नर्सिंग जैसी सेवाएं भी उपलब्ध कराई जाती हैं और ये सेवाएं उस समय बहुत काम आती हैं, जब घर में उन की देखभाल करने वाला कोई नहीं हो. कुछ पौलिसियों में नई पौलिसी खरीदने के लिए कोई उम्र सीमा नहीं होती. हालांकि उस के तहत व्यक्ति को दिए जाने वाले लाभ पौलिसी दर पौलिसी बदल सकते हैं.
बीमित रकम और भुगतान किया जाने वाला प्रीमियम
स्वास्थ्य बीमा पौलिसी का प्रीमियम योजना, प्लान, कवरेज की सीमा और बीमित रकम के साथ ही व्यक्ति की उम्र पर भी निर्भर करता है व इसी के अनुसार बढ़ या घट सकता है. प्रीमियम का भुगतान ईसीएस, कैश, चैक और डायरैक्ट औनलाइन भी किया जा सकता है.
दावों का निबटान
बीमाकर्ता पौलिसीधारक को विस्तृत दिशानिर्देश उपलब्ध कराते हैं, जिन में लिखा होता है कि दावे के लिए उन्हें क्या करना है. अस्पताल में भरती दावों के लिए बीमा कंपनी के नैटवर्क में शामिल अस्पतालों में कैशलैस सुविधा उपलब्ध होती है. इन अस्पतालों को सूची बीमाधारक को पौलिसी लेते समय ही उपलब्ध करा दी जाती है. अगर बीमाकंपनी के नैटवर्क में शामिल अस्पतालों के अतिरिक्त कहीं और इलाज कराया तो बीमाधारक को दावों का भुगतान प्रतिपूर्ति के आधार पर करना होता है.
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कैसे खरीदें पौलिसी
पौलिसी की खरीद औनलाइन भी की जा सकती है. इस के अतिरिक्त आप बीमा कंपनी की अपने नजदीक की शाखा या कौल सैंटर पर भी कौल कर सकते हैं. उस के बाद वे एक उपयुक्त अधिकारी को आप से संपर्क करने को कहेंगे, जो आप को उस योजना की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएगा.
बीमाकर्ता का चयन कैसे करें
व्यक्ति को बीमा हमेशा अच्छी साख वाली बीमा कंपनी से ही लेना चाहिए, जिन की सेवा और दावे निबटान का रिकौर्ड बहुत अच्छा हो, क्योंकि ये बातें उस समय बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं, जब वास्तव में आप को अपने बीमा का इस्तेमाल करने की जरूरत होती है. सस्ती पौलिसी जरूरी नहीं कि हमेशा अच्छी हो. ऐसी पौलिसी चुनें, जो कवरेज और बीमित रकम के लिहाज से आप की जरूरतों को पूरा करती हो. पूरी विवरणिका और पौलिसी के नियमों व शर्तों को ध्यान से पढ़ें, जिस से आप को निबटान इंतजार की अवधि, क्या शामिल नहीं है और पौलिसी में कितनी सीमा है जैसी जानकारी मिल सके. किसी भी पौलिसी पर हस्ताक्षर करने से पहले अच्छी तरह सोच समझ लें.
(श्रीराज देशपांडे, प्रमुख (स्वास्थ्य बीमा) फ्यूचर जेनेराली इंडिया इंश्योरैंस कंपनी लिमिटेड)
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डिनर या लंच के मौके पर अगर आप अपनी फैमिली के लिए कुछ टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो शाही पनीर की रेसिपी ट्राय करें.
सामग्री
– 300 ग्राम पनीर के टुकड़े – 6 बड़े टमाटर कटे
– 8-10 काजू – 1 इलायची – 1 तेजपत्ता
– 3-4 कालीमिर्च – 1 टुकड़ा दालचीनी
– 1/2 कप पानी – 1 छोटा चम्मच लालमिर्च
– 2 छोटे चम्मच बटर – 1 छोटा चम्मच तेल
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– 1 छोटा चम्मच जीरा – 1/4 कप क्रीम
– नमक स्वादानुसार.
विधि
टमाटर, काजू, मोटी इलायची, तेजपत्ता, काली मिर्च, दालचीनी, 1/2 कप पानी डाल कर 1 सीटी लगा लें. प्रेशर ड्रौप और ठंडा होने पर अच्छे से ग्राइंड कर लें और छान लें. अब पैन में बटर और तेल गरम कर जीरा तड़काएं और तैयार मिश्रण के साथ सभी पिसे मसाले डाल कर भूनें. अब पनीर के टुकड़े मिला कर जरूरतानुसार पानी मिलाएं और कुछ देर भून कर सर्विंग डिश में निकालें. क्रीम से गार्निश कर नान के साथ परोसें.
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शैलेंद्र का चेहरा सफेद पड़ गया, ‘‘चाचीजी, बड़ा मुश्किल सवाल किया आप ने.’’
‘‘मुश्किल होगा तेरे लिए. मैं तो इस का जवाब जानती हूं. तभी तो कहती हूं तेरे संस्कार सदियों पुराने हैं. औरतें तो हों सीता जैसी जो अग्निपरीक्षा भी पास कर लें और आदमी हो रावण जैसे जो दूसरों की औरतों को उठा लाएं.’’
शैलेंद्र चाचीजी की बात पर हंस दिया, ‘‘चाचीजी, इतनी बार आप ने मुझे माफ किया है, इस बार भी कर दो. सुमि को समझाना अब आप की जिम्मेदारी है.’’
चाचीजी का चेहरा गंभीर हो गया. भोली सी बच्ची शैलेंद्र की नादानी का सदमा ले बैठी थी. चाचीजी सुमि से पूछपूछ कर उस की पसंद के व्यंजन बनातीं तो वह उन्हें अभिभूत हो कर देखती रहती. सीधे पल्ले की सूती साड़ी, गोरा, गोल, आनंददीप्त चेहरा. सिर से पांव तक चाचीजी ममता की मूर्ति थीं. मां जैसी वह उस की देखभाल करतीं. अधिकारपूर्ण वाणी में उसे आदेश देतीं. कभी बड़ी बहन बन कर उस के रूखे बालों में तेल मलतीं, कभी सहेली बन कर गांव, खेतखलिहान की सैकड़ों बातें करतीं.
सुमि की चुप्पी धीरेधीरे टूटने लगी. चाचीजी को ले कर एक भय था मन में, जो कब का खत्म हो गया. अब तो उसे लगता कि बस, चाचीजी यहीं रह जाएं.
‘‘सुमि,’’ चाचीजी उस दिन उस के लिए खीर बना रही थीं, ‘‘गांव में अपना सबकुछ है. दूध, मक्खन, घी, कितना वैभव है. यहां पनियल दूध की खीर बनाना बहुत तकलीफ दे रहा है. दूध औटा कर आधा कर लिया फिर भी ऐसे उबल रहा है जैसे पानी.’’
सुमि मुसकरा दी, ‘‘अब इस से गाढ़ी यह नहीं हो पाएगी,’’ उस ने गैस बंद कर दी.
‘‘चलो, बेटी, दो घड़ी आराम कर लें फिर खाना खाएंगे.’’
‘‘जी,’’ सुमि उन के साथ शयनकक्ष तक चली आई.
‘‘चाचीजी,’’ सुमि लाड़ से उन का आंचल अपनी उंगली में लपेटते हुए बोली.
‘‘आप सचमुच आदर्श हैं. शैलेंद्र आप की तारीफ अकसर किया करते थे. शादी के बाद मैं 4 दिन आप के पास रही पर अब लगता है काश, वहीं रहती.’’
‘‘पगली कहीं की,’’ चाचीजी उसे अंक में भर कर बोलीं, ‘‘फिर मेरे शैलेंद्र का खयाल कौन रखता. शादी के शुरुआती दिनों में पतिपत्नी को एकदूसरे के पास ही रहना चाहिए. गांव वालों ने मुझ से कितना कहा कि बहू को कम से कम 1 महीना अपने पास ही रखो पर मैं ने किसी की नहीं सुनी.’’
‘‘चाचीजी, आप तो अंतर्यामी हैं. निपट देहात में रह कर आप इतनी आधुनिक बातें कैसे समझ लेती हैं? शैलेंद्र कहते हैं, आप बहुत बड़ी मनोवैज्ञानिक हैं.’’
चाचीजी सकुचा गईं फिर बोलीं, ‘‘बसबस, अब चने के झाड़ पर मत चढ़ा. और तू जिसे मनोविज्ञान कहती है वह मेरे लिए कड़वेमीठे अनुभवों का निचोड़ भर है. 21 साल की उम्र में पति और जेठजेठानी की मृत्यु. बूढ़ी सास की जहर उगलती जबान, मुझे मनहूस समझ कर पड़ोसियों का सुबह से छिपना. एकएक अनुभव हृदय पर अमिट परिभाषाएं लिखता रहा. मानव के अबूझ व्यवहार की, धर्म के नाम पर किए जाने वाले ढकोसलों की, झूठे चरित्र की…’’
‘‘चाचीजी…’’ बीच में टोकते हुए सुमि की आवाज कांप गई.
‘‘ठीक कह रही हूं, सुमि, एक परीक्षा से गुजरते ही दूसरी सामने खड़ी हो जाती. अनगिनत परीक्षाएं दीं मैं ने. पर एक बात सोलह आने सच है कि समाज के सामने ताल ठोंक कर खड़े हो जाना फिर भी आसान था. लेकिन अपनेआप से लड़ना बहुत ही मुश्किल.’’
चाचीजी ने एक गहरी सांस ली. फिर कहने लगीं, ‘‘मेरा धर्म मुझे संयम सिखाता रहा, संस्कार गलत काम करने से रोकते रहे लेकिन 25 साल की उम्र और विवाह के सुखभरे 2 साल…खेत में हिसाब- किताब देखने वाला मोहनलाल उन दिनों मेरे संयम की मजबूत चट्टान को हिला रहा था. लाख रामनाम जपा. रामायणगीता पढ़ी पर सब बेकार…और एक रात जब वह मुझे हिसाब के रुपए देने आया उस ने…नहीं, यह कहना गलत होगा, बल्कि मैं ने ही उसे मौका दे दिया. मन मुझे पीछे धकेल रहा था पर शरीर कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था. पता नहीं उस दिन कैसे इतनी कमजोर पड़ गई थी मैं. सुबह उठ कर इतनी शरम आई कि मुंह अंधेरे बावड़ी की ओर चल दी.
लेकिन कूदने से पहले शैलेंद्र की याद ने मेरे पैरों में बेडि़यां डाल दीं. मैं मर जाती तो वह बेचारा जीतेजी मर जाता. माना कि मेरी गलती बहुत बड़ी थी पर सजा तो शैलेंद्र को ही भुगतनी पड़ती न. मैं तो अपनी बदकिस्मती से पल भर में मुक्त हो जाती पर उस की भी किस्मत के दरवाजे बंद कर जाती. अबोध शैलेंद्र क्या पता उसे यह जमीनजायदाद मिलती भी या चालाकी से ये मुलाजिम ही सब डकार जाते.’’
सुमि शांत मन से चाची द्वारा कहे एकएक शब्द को सुन रही थी.
‘‘बहुत नफरत हो रही है न मुझ से?’’ चाचीजी ने उसे टटोला.
‘‘नफरत,’’ सुमि को सोचना पड़ा. कम उम्र में आवेश को नकारना सहज नहीं होता. उसे मानना ही पड़ा.
‘‘उस कमजोरी को यदि मैं ताकत में न बदलती तो इस घटना की मुझे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती. मोहनलाल को मैं ने नौकरी से हटा दिया. अपना आचरण संयमित कर लिया और मन ममतामय. कोशिश की कि कोई भी मुझे भोग्या न समझे बल्कि मां की तरह आदरणीय समझे.’’
कुछ देर रुक कर चाचीजी ने गहरी सांस ली, ‘‘सुमि, राह चलते पैरों में कीचड़ लग जाए तो कोई पांव काट कर नहीं फेंक देता. पवित्रता का महत्त्व जरूर है पर जीवन की कीमत पर नहीं.’’
‘‘चाचीजी,’’ सुमि उन के कंधे से लग कर फूटफूट कर रोने लगी.
‘‘शैलेंद्र से भी गलती हुई है. लेकिन वह तुम से बहुत प्यार करता है. उस गलती के लिए तुम 3 जिंदगियां दांव पर लगाने की गलती मत करो. तुम, वह और यह नन्ही सी जान, सब बिखर जाएंगे. वह तो तुम से माफी मांग ही चुका है, उस की ओर से आंचल फैला कर मैं भी तुम से विनती करती हूं.’’
‘‘नहीं, चाचीजी, आप बड़ी हैं. आप का आदेश ही मेरे लिए काफी है. लेकिन क्या शैलेंद्र ने आप को सबकुछ बता दिया?’’
‘‘तो क्या गलत किया? उस ने मुझ से आज तक कुछ नहीं छिपाया. इस बार भी…’’
सुमि को हंसी आ गई. उस की घुंघरू जैसी रुनझुन हंसी की अनुगूंज पूरे घर को आनंद से सराबोर कर रही थी. अभीअभी आया, दरवाजे पर ठिठका शैलेंद्र समझ गया था कि इस बार भी चाचीजी ने उस की समस्या चुटकियों में सुलझा दी है. अभियुक्त की बाकी सजा माफ हो गई है.
लेखिका- प्रतिभा सक्सेना
यह परिवर्तन बाबूजी के लिए सुखद था. अब तक सुमि कहां थी? अब उन का मन लगने लगा. धीरेधीरे उन में जीने की इच्छा जागने लगी. गों गों का स्वर धीरेधीरे अस्फुट शब्दों में परिवर्तित होने लगा. उंगलियों में हरकत होने लगी. सभी तो खुश लग रहे थे इस सुधार से.
सुमि के वापस जाने का समय नजदीक आ रहा था. एक दिन जब सुमि और बच्चे बाबूजी के पास बैठे थे कि मुकुल व मुकेश अपनीअपनी पत्नियों के साथ आ गए. बच्चों को बाहर भेज दिया गया. बाबूजी का दिल बैठने लगा. ऐसी क्या बात है जो बच्चों के सामने नहीं हो सकती?
बड़े बेटे मुकुल ने, अटकते हुए कहना शुरू किया, ‘‘बाबूजी, हमें आप को कुछ बताना है.’’
सुमि बोली, ‘‘क्या बात है, मुकुल?’’
मुकुल बोला, ‘‘दीदी, यह बड़ी अच्छी बात है कि आप के आने से बाबूजी की स्थिति में सुधार आ रहा है, पर…’’
‘‘हां, पर क्या, बोलो?’’
मुकुल थूक निगलते हुए बोला, ‘‘दीदी, बाबूजी की बीमारी के कारण अब हम दोनों की स्थिति ठीक नहीं है.’’
वह आगे कुछ कहता कि सुमि ने आंखें तरेरीं और चुप रहने का इशारा किया पर दोनों भाई तो ठान कर आए थे, सो चुप कैसे रहते, ‘‘बाबूजी, मुकेश आप की बीमारी का कुछ भी खर्चा उठाने को तैयार नहीं है. अभी तक मैं अकेला ही सब खर्चे का बोझ उठा रहा हूं.’’
मुकेश जो अब तक चुप था बोला, ‘‘बाबूजी, आप तो जानते ही हैं कि मेरी इस के जितनी तनख्वाह नहीं है.’’
‘‘तो मैं क्या करूं, अगर आप की तनख्वाह कम है,’’ मुकुल बोला, ‘‘आखिर मुझे भी तो अपने परिवार के भविष्य का खयाल रखना है.’’
‘‘तुम्हारा अपना परिवार? लेकिन मैं तो समझती थी कि यह पूरा परिवार एक ही है, नहीं है क्या?’’ सुमि ने कहा.
‘‘दीदी, किस जमाने की बातें कर रही हो आप. अब वह जमाना नहीं है जब सब एकसाथ हंसीखुशी रहते थे. देखना कुछ सालों बाद आप का यह लाड़ला मुझ से अपना हिस्सा मांगेगा. तो जो कल होना है वह आज अम्मांबाबूजी के सामने क्यों न हो जाए?’’
‘‘कुछ तो शर्म करो तुम दोनों, बाबूजी को ठीक तो होने देते, बेशर्मी करने से पहले,’’ सुमि ने डपटा, ‘‘और अब तो बाबूजी ठीक भी हो रहे हैं. कुछ दिन और सह लो, फिर बंटवारे की जरूरत ही नहीं रहेगी. बाबूजी स्वस्थ हो जाएं तो वह भी कुछ न कुछ कर लेंगे.’’
‘‘नहीं दीदी, आप नहीं समझ रही हैं. बात खर्चे की नहीं है, नीयत की है. मुकेश की नीयत ठीक नहीं,’’ मुकुल बोल पड़ा.
‘‘सोचसमझ कर बोलिए भैया, मेरी नीयत में कोई भी खोट नहीं, यह कहिए कि आप ही निबाहना नहीं चाहते,’’ मुकेश ने बात काटी. दोनों एकदूसरे को खूनी नजरों से घूर रहे थे.
‘‘चुप रहो दोनों. बाबूजी को ठीक होने दो फिर कर लेना जो दिल में आए.’’
‘‘देखिए दीदी, आप बाबूजी की बीमारी के बारे में जानने के बाद अब 1 वर्ष बाद आ पाई हैं. अब बुलाने पर तो आप आएंगी नहीं. यह बात आप के सामने हो तो बेहतर होगा. वरना बाद में आप ने कुछ आपत्ति उठाई तो?’’ मुकेश बोला.
‘‘मुकेश,’’ सुमि चीखी, ‘‘मैं तुम दोनों की तरह बेशर्म नहीं हूं, जो ऐसी बातें करूंगी और सुन लो, मुझे अपने अम्मांबाबूजी की खुशी के अलावा कुछ नहीं चाहिए. और हां, बंटवारे के बाद अम्मांबाबूजी कहां रहेंगे, बताओ तो जरा?’’
‘‘क्यों, मुकेश के पास. वही अम्मां का लाड़ला छोटा बेटा है,’’ मुकुल ने झट कहा.
‘‘मेरे पास क्यों? आप बड़े हैं. आप की जिम्मेदारी है,’’ मुकेश ने नहले पर दहला मारा.
विजयजी की आंखों की कोरों से 2 बूंद आंसू लुढ़क गए. उन के दोनों स्तंभ बड़े कमजोर निकले. उन का अभेद्य किला आज ध्वस्त हो गया था, जाने कब से अंदर ही अंदर यह ज्वालामुखी धधक रहा था. ललिता ने भी मुझे कुछ भनक नहीं लगने दी. अंदर का ज्वालामुखी मन में दबाए मेरे आगे हमेशा हंसती रही. उन की नजरें ललिता को खोजने लगीं. वह उन्हें दरवाजे की ओट में से भीतर झांकती दिखीं. बेहद डरीसहमी हुई. दोनों बहुएं भी वहीं थीं. शायद वे भी यह सब चाहती थीं, पर उन के चेहरों पर ऐसा कुछ भी नहीं था. उन की निगाहें झुकी हुई थीं, चुप थीं दोनों.
सुमि फिर दहाड़ी, ‘‘इतना सबकुछ तय कर लिया अपनेआप, यह भी बताओ, बंटवारा कैसे करना है, यह भी तो सोच ही लिया होगा? आखिर बाबूजी तो लाचार हैं, कुछ बोल नहीं सकेंगे, तो?’’
‘‘इतना बड़ा घर है. बीच से एक दीवार डाल देंगे, जो आंगन को भी बराबरबराबर बांट दे. रसोई काफी बड़ी है, आंगन के बीचोंबीच. उस में भी दीवार डाल देंगे,’’ मुकुल ने कहा.
‘‘और अम्मांबाबूजी के बारे में भी तो तुम दोनों ने सोच ही लिया होगा. उन का क्या होगा, क्या सोचा है?’’ सुमि का चेहरा लाल हो रहा था.
‘‘दीदी, आप अमेरिका में रह कर ऐसी नादानी भरी बातें करेंगी, आप से ऐसी उम्मीद नहीं थी. वहां बूढ़े और अपाहिज मातापिता का क्या करते हैं यह आप से बेहतर कोई क्या जानेगा?’’ मुकुल फुसफुसाया जो सब ने सुन लिया.
‘‘हां, भैया ठीक कह रहे हैं. आजकल यहां भारत में भी ऐसा इंतजाम है. यहां भी कई वृद्धाश्रम खुल गए हैं,’’ मुकेश ने कहा तो सुमि को लगा कि दोनों भाई कम से कम इस बारे में एकमत थे.
दोनों अपना फैसला सुना कर बाहर चल दिए. अम्मां दरवाजे के पास घुटनों में सिर दे कर बैठ गईं, सिसकते हुए अपने दिवंगत सासससुर को याद करने लगीं, ‘‘अब कहां हो अम्मांजी, बापूजी? हम तो एक बेटे एक बेटी में खुश थे. आप ही को 2-2 पोते चाहिए थे. अगर एक ही होता तो आज यह नौबत न आती.’’
सुमि दोनों हथेलियों में सिर थामे निर्जीव सी कुरसी पर ढह गई. जीजाजी, जो अब तक चुप थे, ने चुप ही रहने में अपनी भलाई समझी. कहीं यह न हो कि दोनों सालों को डांटें तो वह यह न कह दें कि जीजाजी, आप को क्या कमी है, आप क्यों नहीं ले जाते अपने साथ?
विजयजी बेबस परेशान अपने दिए संस्कारों में गलतियां खोज रहे थे. जिस भरोसे से उन्होंने अपने अटूट परिवार की नींव डाली थी, वह भरोसा ही खंडखंड हो गया था. सबकुछ तो उन के तय किए हुए खाके पर चल रहा था, शायद ऐसे ही चलता रहता, अगर उन पर इस पक्षाघात का कहर न टूट पड़ता.
स्टार प्लस का पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) में लीप के बाद की कहानी फैंस को काफी पसंद आ रही हैं. जहां फैंस अभिमन्यू (Harshad Chopda) और अक्षरा (Pranali Rathod)का रोमांस देखने का इंतजार कर रहे हैं. हालांकि आरोही संग अभिमन्यू की शादी ने फैंस को निराश कर दिया है. इसी बीच अक्षरा के साथ हुआ हादसा शो की कहानी में जबरदस्त ट्विस्ट लाने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
अक्षरा का हुआ एक्सीडेंट
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अब तक आपने देखा कि अक्षरा की बहन के लिए प्यार की कुरबानी के चलते अभिमन्यु उसे इग्नोर करता है. इसी बीच अक्षरा का एक्सीडेंट हो जाता है. हालांकि एक्सीडेंट की खबर से अंजान अभिमन्यू को अक्षरा का इलाज करने के लिए कहा जाता है. लेकिन अक्षरा को देखते ही वह टूट जाता है.
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अभिमन्यू करेगा अक्षरा का इलाज
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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अक्षरा के एक्सीडेंट के बाद हालत बुरी हो जाएगी. वहीं अभिमन्यू से उसका इलाज करने के लिए कहा जाएगा. लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाएगा. हालांकि महिमा उसे समझाएगी कि उसे अक्षरा की जान बचानी होगी. वहीं अक्षरा के परिवार को एक्सीडेंट की खबर मिलेगी, जिसके चलते पूरा परिवार टूट जाएगा. वहीं आरोही को अपनी गलती का एहसास होगा और उसे अक्षरा के लिए अभिमन्यू का प्यार नजर आएगा.
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सेट पर हो रही है मस्ती
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सीरियल में सीरियल माहोल के बीच अक्षरा और आरोही साथ में डांस करते हुए नजर आ रहे हैं. दरअसल, हाल ही में सोशलमीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें आरोही यानी करिश्मा सावंत और अक्षरा यानी प्रणाली राठोड़ सेट पर जमकर डांस करते नजर आ रहे हैं. वहीं फैंस को दोनों का ये वीडियो काफी पसंद आ रहा है.
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Family Story in Hindi: परिवार हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है, जो हर सुख-दुख में आपका सपोर्ट सिस्टम बनती है. साथ ही बिना किसी के स्वार्थ के आपका परिवार साथ खड़ा रहता है. इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आये हैं गृहशोभा की 10 Best Family Story in Hindi. रिश्तों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जो आपके दिल को छू लेगी. इन Family Story से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए Grihshobha की Best Family Story in Hindi 2022.
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