जड़ों से जुड़ा जीवन: भाग 4- क्यों दूर गई थी मिली

कहानी- वीना टहिल्यानी

मिली के मन से एक आह सी निकली, ‘तो आखिर, मैं आ ही गई अपने नगर, अपने शहर.’ जौन ने भारत के बारे में लाख पढ़ रखा था पर जो आंखों से देखा तो चकित रह गया. ज्योंज्यों गंतव्य नजदीक आ रहा था, मिली के दिल की धुकधुकी बढ़ती जा रही थी. कई सवाल मन में उठ रहे थे.

कैसी होंगी फरीदा अम्मां? पहचानेंगी तो जरूर. एकाएक ही सामने पड़ कर चौंका दूं तो? तुरंत न भी पहचाना तो क्या…नाम सुन कर तो सब समझ जाएंगी…मृणाल…मृणालिनी कितना प्यारा लग रहा था आज उसे अपना वह पुराना नाम.

लोअर सर्कुलर रोड के मोड़ पर, जिस बड़े से फाटक के पास टैक्सी रुकी वह तो मिली के लिए बिलकुल अजनबी था पर ऊपर लगा नामपट ‘भारती बाल आश्रम’ बिलकुल सही.

टैक्सी के रुकते ही वर्दीधारी वाचमैन ने दरवाजा खोला और सामान उठवाया.

अंदर की दुनिया तो मिली के लिए और भी अनजानी थी. कहां वह लाल पत्थर का एकमंजिला भवन, कहां यह आधुनिक चलन की बहुमंजिला इमारत.

सामने ही सफेद बोर्ड पर इमारत का इतिहास लिखा था. साथ ही साथ उस का नक्शा भी बना था. मिली ठहर कर उसे पढ़ने लगी.

सिर्फ 5 वर्ष पहले ही, केवलरामानी नाम के सिंधी उद्योगपति के दान से यह बिल्ंिडग बन कर तैयार हुई थी. मिली भौंचक्क सी रह गई. लाल गलियारे और हरे गवाक्ष, ऊंची छतों वाला शीतल आवास काल के गाल में समा चुका था. मिली अनमनी हो उठी.

रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने रजिस्टर में उन का नाम पता मिलाया. गेस्ट हाउस में उन की बुकिंग थी. कमरे की चाबी निकाल कर जब लड़की उन का लगेज लिफ्ट में लगवाने लगी तो मिली ने डरतेडरते पूछा, ‘‘क्या मैं पहली मंजिल पर बनी नर्सरी को देखने जा सकती हूं?’’

लड़की ने बहुत शिष्टता से कहा, ‘‘मैम, उस के लिए आप को आफिस से अनुमति लेनी होगी. और आफिस शाम को 5 बजे के बाद ही खुलेगा.’’

‘‘तो आप ऊपर से फरीदा अम्मां को बुलवा दीजिए, प्लीज,’’ मिली ने हिचक के साथ अनुरोध किया.

लड़की ने जब यह कहा कि वह यहां की किसी फरीदा अम्मां को नहीं जानती तो मिली निराश सी हो गई. उस का लटका चेहरा देख कर जौन ने लिफ्ट में उसे टोकते हुए कहा, ‘‘चीयर अप सिस्टर, वी आर इन इंडिया…’’

मिली बेमन से हंस दी.

मिली ने विशेष आग्रह कर के अपने लिए मछली का झोल और भात मंगवाया. पहले उसे यह बंगाली खाना पसंद था पर आज 2 चम्मच से अधिक नहीं खा पाई, जीभ जलने लगी. आंखों में जल भर आया.

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मिली की हताशा पर जौन हंस कर बोला, ‘‘चलो, चलो, पानी पियो…मुंह पोंछो… यह लो, मेरे सैंडविच खाओ.’’

जौन की लाख कोशिशों के बाद भी मिली अधीर और उदास ही बनी रही. इतने बदलावों ने उस के मन में इस शंका को भी जन्म दिया कि कहीं अगर फरीदा अम्मां भी…और इस के आगे वह और कुछ नहीं सोच सकी.

मिली के लिए 2 घंटे 2 युगों के बराबर गुजरे. 5 बजे कार्यालय खुला और जैसे ही संचालक महोदय आए मिली सब को पीछे छोड़ती हुई जौन को साथ ले कर उन के पास पहुंच गई.

संचालक, मिलन मुखर्जी आश्रम की बाला को बरसों बाद वापस आया जान खूब खुश हुए और आदरसत्कार कर मिली से इंगलैंड के बारे में, उस के परिवार के बारे में बात करते रहे. मिली ने अधीरता से जब नर्सरी देखने के लिए आज्ञापत्र मांगा तो मुखर्जी महोदय होहो कर हंस दिए और बोले, ‘‘अरे, तुम्हारे लिए कैसा आज्ञापत्र? तुम तो हमारी अपनी हो…यह तो तुम्हारा अपना घर है…चलो…मैं दिखाता हूं तुम्हें नर्सरी.’’

बड़ा सा हौल. छोटेछोटे पालने. नन्हेमुन्ने बच्चे. कितने सलोने, कितने सुंदर. वह भी तो ऐसे ही पलीबढ़ी है, यह सोचते ही मिली का मन फिर उमड़ने- घुमड़ने लगा.

हौल में बच्चों को पालनेपोसने वाली मौसियां उत्सुकता से मिलीं. वे सब जौन को देखे जा रही थीं. मुखर्जी बाबू ने बड़े अभिमान से मिली का परिचय दिया कि यहीं की बच्ची है मृणालिनी, अब लंदन से अपने भाई के साथ आई है.

हौल में हलचल सी मच गई. खूब मान मिला. मिली के साथसाथ लंबे जौन ने भी सब को बड़ा प्रभावित किया.

मिली बच्चों से मिली. बड़ों से मिली लेकिन उस फरीदा अम्मां से नहीं मिल पाई जिस के लिए समंदर पार कर वह भारत आई थी.

‘‘बाबा, फरीदा अम्मां कहां हैं?’’ उसे याद है बचपन में संचालक को सभी बच्चे बाबा ही कह कर बुलाते थे. आज मुखर्जी बाबू के लिए भी मिली के पास वही संबोधन था.

‘‘कौन? फरीदा बेग? अरे, वह 4-5 साल पहले तक यहीं थी. उस की नजर कमजोर हो गई थी. मोतियाबिंद का आपरेशन भी हुआ पर अधिक उम्र होने के कारण वह काम नहीं कर पाती थी, लेकिन रहती यहीं थी. फिर एक दिन उस का बेटा सेना से स्वैच्छिक अवकाश ले कर आ गया और वह अपने साथ फरीदा को भी ले गया,’’ मुखर्जी ने पूरी जानकारी एकसाथ दे दी.

अम्मां चली गई हैं, यह जानते ही मिली का चेहरा सफेद पड़ गया. उस के निरीह चेहरे को देख कर जौन ने एक और प्रयत्न किया, ‘‘आप के पास उन का कोई पता तो होगा ही मिस्टर मुखर्जी?’’

‘‘हां…हां, क्यों नहीं. आप उन से मिलने जाएंगे? खूब खुश होंगी वह अपनी पुरानी बच्ची से मिल कर.’’ मुखर्जी बाबू आनंदित हो उठे. मिली की जाती जान जैसे वापस लौट आई.

पुराने खातों की खोज हुई. कोलकाता के उपनगर दमदम से भी आगे, नागेर बाजार के किसी पुराने इलाके का पता लिखा था.

अगले दिन, संचालक ने उन के जाने के लिए टूरिस्ट कार की व्यवस्था कर दी.

अम्मां के लिए फलफूल लिए गए. चौडे़ पाड़ वाली बंगाली धोती खरीदी गई. मिली बहुत खुश थी. आखिर दूरियां नापतेनापते जब वे दिए गए पते पर पहुंचे तो पता चला कि वहां तो कोई और परिवार रहता है. पड़ोसियों से पूछताछ की लेकिन पक्के तौर पर कोई कुछ कह न सका. शायद वे अपने गांव उड़ीसा चले गए थे, जहां उन की जमीन थी. पर वहां का पता किसी को मालूम न था.

मिली की तो जैसे सुननेसमझने की शक्ति ही जाती रही. फिर रुलाई का ऐसा आवेग उमड़ा कि उस की हिचकियां बंध गईं. जौन ने उसे संभाल लिया. बांहों में उसे बांध कर उस का सिर सहलाया. स्नेह से समझाया पर मिली तो जैसे कुछ सुननेसमझने के लिए तैयार ही न थी.

उस का कातर कं्रदन जारी रहा तो जौन घबरा उठा. कंधे झकझोर कर उस ने मिली को जोर से डांटा, ‘‘मिली, बहुत हुआ…अंब बंद करो यह नादानी.’’

‘‘यहां आना तो बेकार ही हो गया न जौन,’’ मिली रोंआसे स्वर से बोली.

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‘‘यह तो बेवकूफों वाली बात हुई,’’ जौन फिर नाराज हुआ, ‘‘अरे, अपने भाई के साथ तुम वापस अपने देश आई हो. मैं तो पहली बार ही इंडिया देख रहा हूं और इसे तुम बेकार कहती हो. असल में मिली, तुम्हारी अपेक्षाएं ही गलत हैं. तुम ने सोचा, तुम जो जैसा जहां छोड़ गई हो वह वैसा का वैसा वहीं पाओगी. बीच के समय का तुम्हें जरा भी विचार नहीं…तुम्हें तुम्हारा पुराना भवन न दिखा तो तुम निराश हो गईं. फरीदा अम्मां न मिलीं तो तुम हताश हो उठीं. तनिक यह भी सोचो कि बिल्ंिडग कितनी सुविधामयी है. फरीदा अम्मां अपने परिवार के साथ सुख से हैं. यह    दुख की बात है कि तुम उन से नहीं मिल पाईं पर इस बात को दिल से तो न लगाओ. जिन को चाहती हो, प्यार करती हो उन को अपना आदर्श बनाओ. जुझारू, बहादुर और सेवामयी बनो, फरीदा अम्मां जैसे.’’

भाई की बातों को ध्यान से सुनती मिली एकाएक ही बोल पड़ी, ‘‘जौन, मैं तो अभी कितनी छोटी हूं…मैं भला क्या कर सकती हूं.’’

‘‘तुम क्याक्या कर सकती हो, समय आने पर सब समझ जाओगी. फिलहाल तो तुम इस संस्था को कुछ दान दो जिस ने तुम्हें पाला, पोसा, बड़ा किया, प्यार दिया. मौम तुम्हें कितना सारा पैसा दे कर गई हैं…आओ, मैं तुम्हें चेक भरना बताऊं.’’

दोनों भाईबहनों ने ‘भारती बाल आश्रम’ के नाम एक चेक बनाया जिसे चुपचाप गलियारे में रखे दानपात्र में डाल दिया.

‘‘कोलकाता घूम कर शांतिनिकेतन चलेंगे फिर नालंदा और बोधगया देखेंगे. उस के बाद आगरा का ताज देख कर दिल्ली पहुंचेंगे और दिल्ली दर्शन के बाद वापस लंदन लौट चलेंगे. इस ट्रिप में तो बस, इतना ही घूमा जा सकता है.’’

आंख खुली तो मिली ने देखा एक सितारा अभी भी अपनी पूरी निष्ठा से दमक रहा था. मिली इस सितारे को पहचानती है यह भोर का तारा है.

फरीदा अम्मां कहती थीं, भोर का यह तारा भूलेभटकों को राह दिखाता है, दिशाहारों की उम्मीद जगाता है. बड़ा ही हठीला है पूरब दिशा का यह सितारा. किरणें उसे लाख समझाएं पर जबतक सूरज खुद नहीं आ जाता यह जिद्दी तारा जाने का नाम ही नहीं लेता. इसी हठी सितारे के आकर्षण में बंधी मिली बिस्तर से उठ खड़ी हुई.

पिछवाड़े की बालकनी खोल मिली ने बाहर कदम रखा ही था कि सहसा ठिठक गई. सामने जटाजूटधारी बरगद खड़ा था. वही वैभवशाली वटवृक्ष. पहले से कहीं ऊंचा, उन्नत, विराट और विशाल.

मिली ने हाथ आगे बढ़ा कर हौले से पेड़ के पत्तों को सहलाया, धीरे से उस की डालों को छुआ, मानो पूछ रही हो कि  पहचाना मुझे? मैं मिली हूं जो कभी तुम्हारी छांव में खेलती थी, तुम्हारी जटाओं पर झूलती थी. और इस तरह एक बार फिर मिली बचपन में भटकने लगी थी.

अचानक मसजिद से अजान की आवाज उभरी तो किसी मंदिर के घंटे घनघना उठे. और यह सब सुनते ही मिली को अभिमान हो आया कि कैसी विशाल, विराट, भव्य और उदार है उस की मातृभूमि.

मौम सच कहती थीं, हर जीवन अपनी जड़ों से जुड़ा होता है. मनुष्य अपनी माटी से अनायास ही आकर्षित होता है. अपनी जमीन और अपनी मिट्टी ही देती है व्यक्ति को असीम ऊर्जा और अलौकिक आनंद.

दिन चढ़ने लगा था. कोलकाता शहर के विहंगम विस्तार पर सूरज दमक रहा था. सड़कों पर गलियों में धूप पसर रही थी. सूरज की किरणों के साथ ही जैसे संपूर्ण शहर जाग उठा था.

मिली को अचानक ही लंदन की याद हो आई. शांत, सौम्य लंदन. लंदन उस का अपना नगर, अपना शहर, जहां बर्फ भी गिरती है तो चुपचाप बेआवाज. सर्द मौसम में, पेड़ों की फुनगियों पर, घरों की छतों पर, सड़कों और गलियों में. यहां से वहां तक बस चांदी ही चांदी, बर्फ की चांदी. मिली के मन में जैसे बर्फ की चांदी बिखर गई. मिली अकुला उठी. उसे अपना घर याद हो आया. भोर का सितारा तो न जाने कब, कहां निकल गया था. अब तो उसे भी जाना था, वापस अपने घर.

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जानें कैसे Dancing से एक्टिंग में आए फैजल खान, पढ़े इंटरव्यू

अभिनेता फैसल खान एक अभिनेता और डांसर है, उन्हें बचपन से डांस का शौक है. उन्होंने रियलिटी शो डांस इंडिया डांस लिटल मास्टर 2 के विजेता रहे. उन्होंने 13 वर्ष की उम्र में डांस रियलिटी शो में भाग लिया और इसके विजेता बनने पर 10 लाख रुपये मिले. इसके अलावा उन्होंने “डांस के सुपरकिड्स“, “इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज़“, “डीआईडी ​​डांस का टशन” आदि कई डांस रियलिटी शो में भाग लिया. फैजल ने टीवी डेब्यू 2013 में ऐतिहासिक टीवी धारावाहिक “भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप’ में बाल महाराणा प्रताप की भूमिका निभाई, इसके अलावा फैजल ने भारतीय ऐतिहासिक टीवी शो “चंद्रगुप्त मौर्य” में युवा चंद्रगुप्त मौर्य की मुख्य भूमिका निभाई.प्रसिद्ध शो C.I.D.के भी कुछ एपिसोड में फैजल ने काम किया है. उन्होंने हिपहॉप डांस फॉर्म सीखा है और आज भी उन्हें डांस करना बेहद पसंद है.

स्वभाव से हंसमुख फैजल के पिता मुंबई में ऑटोरिक्शा चलाते है और उनकी माँ गृहिणी है. फैजल को यहाँ तक पहुँचने में वह अपने माता- पिता का श्रेय मानते है, जिन्होंने उन्हें पढाई पर अधिक ध्यान न देकर डांस के लिए प्रेरित किया. सोनी सब पर उनकी फिक्शन शो ‘गरुड़’ आने वाली है, वे बहुत खुश है, क्योंकि कोविड के बाद एक अच्छी शो में काम मिला है. इसमें उनकी भूमिका गरुड़ की है, बात करना रोचक रहा, पेश है कुछ अंश

सवाल – कोरोना के बाद अभी शूटिंग पर कितनी सावधानी रख रहे है?

जवाल – कोरोना के बाद हम सभी हायजिन और साफ़-सफाई पर अधिक ध्यान देने लगे है. अभी कोई छींकता है या थूकते है,तो डर लगने लगता है. पहले लोग हमेशा ही छींकते थे, पर मुझे कुछ नहीं लगता था. सब्जी वाला अगर थूक से नोट गिनकर दें तो उससे सब्जी मैं नहीं लेता. हांलांकि पहले से ही ये जागरूकता लोगों में आनी चाहिए थी, पर अब काफी लोग समझने लगे है. शूट भी बहुत सावधानी के साथ किया जाता है और मुझसे तो लोग 6 फीट की दूरी पर ही रहते है, इसलिए मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. इस बदलाव से मुझे बहुत ख़ुशी हुई है, सभी जगहों पर सेनिटाईजर और मास्क के साथ जाना पड़ता है. ये एक आदत बन चुकी है और ये अच्छी भी है.

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सवाल – इस फील्ड में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब – मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं यहाँ तक पहुँच सकता हूं, ये माता-पिता का सब्र है, जिसकी वजह से मैं यहाँ तक आ पाया. मैं जिस माहौल से आया हूं, वहां किसी ने कभी नहीं सोचा था, मेहनत करते-करते आगे बढ़ा. पहले मुझे डांस का बहुत शौक था. मैंने मुश्किल से इसे सीखा. फिर टीवी पर ‘डांस इंडिया डांस का ऑडिशन हो रहा था, मैंने उसमे फॉर्म भरा और सेलेक्ट हुआ, विजेता भी बना, फिर किसी ने मेरे डांस को देखकर मुझे शो में कास्ट किया और अब यहाँ तक पहुंचा हूं. बचपन में अपनी बहनों के साथ बेहोश हो जाने का एक्टिंग करता था, लेकिन रियल में एक्टिंग करूँगा, पता नहीं था.

सवाल –इस शो की भूमिका में खास क्या थी?

जवाब – ये भूमिका बहुत चुनौतीपूर्ण और अलग है, क्योंकि गरुड़ के बारें में बहुत कम लोग जानते है,गरुड़ एक पक्षी है, बस इतना ही मैं जानता हूं, फिर इसे इस कहानी में कैसे काम करना है ये सब मुझे प्रेरित किया और मैने हां कह दी.

सवाल – पक्षी की भूमिका निभाने के लिए क्या-क्या करना पड़ा?

जवाब – बहुत तैयारी करनी पड़ी,मानसिक रूप से अधिक तैयारी करनी पड़ी, क्योंकि ऐसा चरित्र मैंने कभी देखा नहीं था, एनिमेटेड भी नहीं मिला. सिर्फ रियल गरुड़ देखने को मिले. इसलिए मैंने मन में सोचा कि अगर गरुड़ होगा, तो देखने में कैसा होगा, उसकी चाल कैसी होगी, कैसे अपने संवाद बोलेगा, कब उसकी चोंच आएगी आदि सब मानसिक रूप से तैयार करना पड़ा. ये तैयारी मैं दो महीने पहले से कर रहा हूं. मेरा वजन 10 किलो अधिक था और एक पक्षी को इतना मोटा नहीं मस्क्युलर होना चाहिए, क्योंकि जब उड़े तब हल्का हो. इसलिए मुझे वजन कम करना पड़ा.

सवाल – इस शो से यूथ को किस तरह की प्रेरणा मिलेगी?आप में कितना बदलाव आया है?

जवाब –इस शो में दिखलाया गया है कि माँ की हर बात को बेटा गरुड़ किस तरह से मानता है, जबकि आज के माहौल में बच्चे माता – पिता की बात को सुनते नहीं है, बहुत कम ऐसे यूथ है जो सुनना चाहते है. बच्चे को माता-पिता की बात सुनना जरुरी है. वे बच्चे की भलाई के लिए ही कुछ कहते है. इस शो से कुछ बच्चों में सीख अवश्य मिलेगी.

इस शो से मैं कुछ बदला नहीं हूं, लेकिन मेरी चाल बदल गई है, क्योंकि 6 फीट दायें और 6 फीट बायें हाथ में पंख लेकर चलना पड़ता है, इससे मैं आम समय में भी कंधा उपर कर चलता हूं. नार्मल चलना मुश्किल हो गया है.

सवाल – आज की दुनिया में अधिकतर यूथ विद्रोही क्यों होते है, परिवार छोड़कर चले जाते है, आपकी सोच इस बारें में क्या कहती है?

जवाब – सच बात यह है कि आज के पेरेंट्स बच्चों की बहुत अधिक केयर करते है, जिससे वे इंडिपेंडेंट नहीं बन पाते, मेरा परिवार भी मेरा केयर करते है पर उस हद तक नहीं, उनके हिसाब से मुझे खुद आत्मनिर्भर होने की आवश्यकता है, क्योंकि उनके न रहने पर भी मैं अपनी जिम्मेदारी खुद सम्हाल सकूँ. इसमें पेरेंट्स और बच्चे सभी को समझने की जरुरत है.

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सवाल – क्या आप हिंदी फिल्म और टीवी सीरीज में काम करना चाहते है?

जवाब – अवश्य करना चाहता हूं, लेकिन मुझे मेरे लायक भूमिका मिलनी चाहिए. कोविड की वजह से वेब सीरीज का क्रेज़ बढ़ी है, कई निर्माता निर्देशक जो टीवी पर शो बनाते थे, उन्होंने वेब सीरीज बनाना शुरू कर दिया है. एक बार ऐसा भी लगा था कि टीवी बंद हो जायेगी. मेरे घर में केबल नहीं है, हम सभी वेब सीरीज ही देखते है. वेब सीरीज ठीक है, पर कभी – कभी ऐसी सीन्स आती है कि सबके सामने बैठकर देखना मुश्किल हो जाता है. असल में वेब सीरीज बहुत खुलकर सबको दिखाती है. एक अच्छी सीरीज में काम मिले तो अवश्य करना चाहूंगा. मुझे सुपर नैचुरल कहानियां बहुत पसंद है. इसके अलावा मिर्जापुर वाला मुन्नाभाई का चरित्र करने की इच्छा है.

सवाल – कोई सुपर पॉवर मिलने पर आप क्या बदलना चाहते है?

जवाब – सुपर पॉवर मिलने पर मैं देश के लोगों की सोच को बदलना चाहता हूं, क्योंकि आज भी धर्म और पहनावे को लेकर बात की जाती है, झगड़े होते है, लेकिन किसी को अगर खून की जरुरत हो, तो वह जाति और धर्म नहीं देखता, भागकर रोगी को बचाता है.

GHKKPM: श्रीदेवी बनकर विराट का दिल जीतेगी सई, देखें प्रोमो

स्टार प्लस के सीरयल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisi key Pyaar Meiin) की कहानी में फैंस विराट और सई के रोमांस का इंतजार कर रहे हैं. इसी बीच शो के मेकर्स ने एक प्रोमो रिलीज किया है, जिसमें खूबसूरत अंदाज में सई, विराट को प्रपोज करती नजर आ रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं प्रोमो की झलक…

श्रीदेवी बनी सई

 

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इन दिनों सई से नाराज विराट चौह्वाण निवास लौट आया है. वहीं सई भी विराट को मनाने के लिए घर वापस लौट आई है. हालांकि चौह्वाण परिवार इस बात से नाखुश नजर आ रहा है. इसी बीच मेकर्स द्वारा शेयर किए गए नए प्रोमो में सई चुपचाप अस्पताल जाकर डॉक्टर की ड्रेस पहने नजर आ रही है. वहीं अपना चेहरा छिपाकर विराट (Neil Bhatt) के पास जाती है और श्रीदेवी के पौपुलर गाने ‘कांटे नहीं कटते दिन और रात’ पर डांस करती हुई नजर आ रही है. वहीं सई का ये अंदाज देखकर विराट के दिल में प्यार का एहसास होता है. लेकिन वह अपनी नाराजगी दिखाता हुआ नजर आता है.

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भवानी करेगी ये काम

इसके अलावा सीरियल के अपकमिंग एपिसोड की बात करें तो सई के चौह्वाण परिवार में कदम रखते ही भवानी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाएगा और वह उसे घर से निकालने की कोशिश करेगी. वहीं भवानी की बातों का जवाब देते हुए वह विराट के साथ तलाक के कागज फाड़ देगी, जिसे देखकर पाखी समेत पूरा परिवार हैरान रह जाएगा. इसी के कारण पाखी, भवानी को सई के खिलाफ भड़काने का काम करती नजर आएगी.

बता दें, सीरियल के लीड कलाकार यानी नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा इन दिनों स्मार्ट जोड़ी शो में नजर आ रहे हैं, जिसे दर्शक काफी पसंद कर रहे हैं. हालांकि दोनों की इस जोड़ी को कुछ ट्रोल भी करते नजर आते रहे हैं.

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शादी के बाद रोमांस करते दिखे Imlie और आर्यन! वीडियो वायरल

सीरियल इमली (Imlie) की कहानी में जल्द ही नया मोड़ आने वाला है, जिसके चलते आर्यन और इमली की शादी होती नजर आएगी. हालांकि ये एक झूठी शादी होगी. इसी बीच सीरियल के सेट से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें शादी के बाद इमली और आर्यन साथ में डांस और रोमांस करते नजर हुए नजर आ रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो…

रोमांस करते दिखे आर्यन-इमली

 

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इन दिनों सीरियल में आर्यन और आदित्य के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. हालांकि इमली पूरी कोशिश कर रही है कि वह आदित्य को बचा सके. वहीं अब इमली के रोल में नजर आने वाली सुंबुल तौकीर खान ने आर्यन यानी फहमान खान संग एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें दोनों रोमांस करते नजर आ रहे हैं. फैंस को दोनों की ये जोड़ी काफी पसंद आ रही है, जिसके चलते सोशलमीडिया पर दोनों की वीडियो वायरल हो रही है.

 

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लाल साड़ी और चूड़ा पहनें दिखी इमली

वीडियो की बात करें तो इमली लाल साड़ी पहने नई नवेली दुल्हन की तरह सजी धजी नजर आ रही हैं. वहीं आर्यन और इमली दोनों एक दूसरे के साथ डांस करते नजर आ रहे हैं. हालांकि सुंबुल और फहमान की ये वीडियो एक #reel है, जिसे देखकर फैंस दोनों को सीरियल में भी ऐसे रोमांस करने के लिए कहते नजर आ रहे हैं.

सीरियल में आएगा नया ट्विस्ट

सीरियल की कहानी की बात करें तो अपकमिंग एपिसोड में आर्यन, इमली के साथ शादी की शर्त रखेगा, जिसे वह आदित्य के लिए मान जाएगी. वहीं इमली के दिल में अपने लिए प्यार देखकर वह उसे प्रपोज करेगा. लेकिन इमली उसे मना करते हुए कहेगी कि उसकी शादी आर्यन से हो चुकी है, जिसके कारण आदित्य को झटका लगता नजर आएगा.

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Sunrise Pure स्वाद और सेहत उत्सव में बनाइए टेस्टी मटर कोफ्ता

कोफ्ता हर किसी को पसंद आता है, लेकिन लोगों को लगता है कि मटर कोफ्ता बनाना मुश्किल है. आज हम आपको टेस्टी मटर कोफ्ता की आसान रेसिपी बताएंगे, जिसे आप अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को लंच या डिनर में खिला सकते हैं.

हमें चाहिए

– मटर के दाने (1 कप)

– पनीर (1/4 कप कद्दूकस किया)

– हरी मिर्चें (1-2)

– टमाटर (2 कटे हुए)

– 1 प्याज (कटा हुआ)

– 1 लालमिर्च साबूत

– 3 से 4 काजू भुने

– 1 टुकड़ा अदरक ( कटा हुआ)

– 1 बड़ा चम्मच (मलाई)

– तेल (तलने के लिए)

– नमक (स्वादानुसार)

Sunrise Pure हल्दी (1/4 छोटा चम्मच)

Sunrise Pure धनिया पाउडर (1 छोटा चम्मच)

– जीरा पाउडर (1/4 छोटा चम्मच)

–  Sunrise Pure गरममसाला (1 चम्मच)

– कौर्न पाउडर (1 बड़ा चम्मच)

बनाने का तरीका

– मटर और हरीमिर्च एकसाथ मिक्सी में पीस लें.

– इस मिश्रण में पनीर, कौर्न पाउडर और नमक मिला कर छोटीछोटी बौल्स तैयार करें व गरम तेल में तल कर रख लें.

– एक पैन में घी गरम कर प्याज, अदरक, काजू, टमाटर, लालमिर्च व Sunrise Pure मसाले डाल कर भूनें.

– तैयार मिश्रण को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लें.

– पेस्ट को कड़ाही में डालें और जरूरतानुसार पानी व नमक मिलाएं.

– पहले से तैयार कोफ्ते भी इस में मिलाएं और 2 मिनट तक धीमी आंच पर ढक कर पकाएं.

– अब क्रीम से फिनिश कर परोसें.

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अर्जुन कपूर की बहन Anshula का हुआ Body Transformation, फोटोज वायरल

बॉलीवुड एक्टर अर्जुन कपूर (Arjun Kapoor Sister)की बहन अंशुला कपूर (Anshula Kapoor) इन दिनों सोशलमीडिया पर छाई हुई हैं, जिसका कारण उनका वेट ट्रांसफौर्मेशन है. वहीं हाल ही में अंशुला कपूर ने अपने वेट ट्रांसफौर्मेशन  (Anshula Kapoor Weight Transformation) को लेकर एक इमोशनल पोस्ट शेयर किया है, जिसे फैंस काफी पसंद कर रहे हैं. आइए आपको दिखाते हैं अंशुला कपूर के लुक्स की झलक…

फोटोज में दिखा अलग लुक

 

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हाल ही में अंशुला ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर करके फैंस को अपने 2 साल के वजन कम करने के सफर के बारे में बताया है. हालांकि उनकी फोटोज और वीडियो को देखकर फैंस पहले ही उनके वेट ट्रांसफौर्मेशन का अंदाजा लगा चुके हैं. बीते दिनों एक वेडिंग में अंशुला अपने लहंगे वाले लुक को फ्लौंट करती हुईं नजर आईं थीं, जिसे फैंस ने काफी पसंद किया था.

 

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ड्रैसेस को फ्लौंट करती दिखीं अंशुला

 

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लहंगे के अलावा हाल ही में एक फोटोशूट में अंशुला ड्रैसेस ट्राय करती हुई नजर आईं थीं, जिसमें वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं इन ड्रैसेस में वह अपने फिगर को फ्लौंट करती हुई भी दिखी थीं. फैंस को अंशुला कपूर का नया अंदाज काफी पसंद आ रहा है, जिसके चलते उनकी फोटोज इन दिनों सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

 

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बिजनेस लेडी लुक में दिखीं अंशुला

 

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ड्रैसेस से लेकर गाउन के अलावा अंशुला कपूर बिजनेस लेडी लुक में भी नजर आईं. ब्लैक कलर के पैंट और सूट के साथ गोल्डन कौम्बिनेशन वाली ज्वैलरी में अंशुला बेहद खूबसूरत और एलीगेंट लग रही थीं. इस लुक को देखकर फैंस कयास लगाते नजर आए कि अंशुला अब बिजनेस संभालती हुई नजर आने वाली है.

 

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बता दें, अंशुला कपूर से पहले अर्जुन कपूर भी वजन कम कर चुके हैं. वहीं जाह्नवी कपूर के फैशन और फिटनेस को भी फैंस काफी पसंद करते हैं. हालांकि अब अंशुला कपूर का ट्रांसफौर्मेशन देख फैंस उनके फिल्मों में आने की बात कहते नजर आ रहे हैं.

जानें बेहतर मैरिड लाइफ से जुड़ी जानकारी

लेखिका- भाषणा बांसल गुप्ता

कई दिनों से निशा की बढ़ती व्यस्तता नितिन की बेचैनी बढ़ा रही थी. जब भी नितिन सेक्स के मूड में होता वह उस की व्यस्तता के कारण यौनसुख प्राप्त नहीं कर पाता. यह नहीं कि निशा को इस की जरूरत महसूस नहीं होती, पर वह अपने काम को अपनी इस जरूरत से अधिक महत्त्व देती. इस से नितिन की यौन भावनाएं आहत होतीं.  धीरेधीरे वह यौन कुंठा का शिकार हो गया. अकसर व्यस्त दंपती अपनी सेक्सलाइफ का पूर्णरूप से आनंद नहीं उठा पाते, क्योंकि अगर वे सेक्स करते भी हैं तो किसी कार्य को निबटाने की तरह. न तो उन्हें एकदूसरे से रोमांटिक बातें करने की फुरसत होती, न ही वे परस्पर छेड़छाड़ का मजा ले पाते. सेक्स विशेषज्ञों का मानना है कि सेक्स में चरमसुख की प्राप्ति तभी हो पाती है जब पतिपत्नी दोनों पूरी तरह उत्तेजित हों और यह उत्तेजना उन में तभी आ सकती है, जब वे सेक्स से पहले आवश्यक क्रियाएं जैसे परस्पर छेड़छाड़, एकदूसरे के गुप्त अंगों को सहलाना, होंठ चूमना, आलिंगनबद्ध होना इत्यादि करें. इन क्रियाओं से सेक्सग्रंथियां तेजी से काम करना शुरू कर देती हैं व पतिपत्नी में अत्यधिक उत्तेजना पैदा हो जाती है, जो उन्हें चरमसुख प्रदान करने में सहायक होती है. पर जो दंपती अपने काम को सेक्स से ज्यादा महत्त्वपूर्ण मानते हैं, वे ऐसा कदापि नहीं कर पाते.

घातक स्थिति है यह

राघव की जौब ऐसी है कि वह रात को 11 बजे से पहले घर नहीं लौट पाता. उस की पत्नी ट्विंकल भी नौकरी करती है. दोनों इतने व्यस्त रहते हैं कि उन्हें एकदूसरे से ढंग से बात  करने तक की फुरसत नहीं मिलती. सेक्स को भी दोनों अपने जौबवर्क की तरह ही निबटाते हैं. नतीजा यह होता है कि वे कई सप्ताह तक शारीरिक तौर पर एकदूसरे के साथ जुड़ते ही नहीं, क्योंकि सेक्स में उन्हें बिलकुल भी आनंद नहीं आता और इसी कारण उन की इस में रुचि घटती जा रही है. अधिक व्यस्त रहने के कारण पतिपत्नी लगातार अपनी यौनइच्छाओं को दबाते रहते हैं, क्योंकि कई बार ऐसी स्थिति भी आती है कि उन में से एक जल्दी फ्री हो जाता है व दूसरे के साथ अपना समय गुजारना चाहता है, शारीरिक सुख प्राप्त करना चाहता है परंतु उस की यह चाहत पूरी नहीं हो पाती, क्योंकि उस का साथी बिजी है. ऐसे में पतिपत्नी न तो कभी अपनी यौन भावनाओं को एकदूसरे से शेयर कर पाते हैं, न ही सेक्स के विषय पर एकदूसरे से खुल कर बातचीत करते हैं. या तो वे लगातार सेक्स को नजरअंदाज करते हैं या इसे सिर्फ निबटाते हैं. ऐसी स्थिति में उन के सेक्स संबंधों पर प्रतिकूल असर पड़ता है. धीरेधीरे सेक्स उन्हें बोर करने लगता है.

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सेक्स में बोरियत होने से दोनों ही इस से विमुख होने लगते हैं. उन की सेक्स के प्रति अंदरूनी चाहत खत्म होने लगती है और पति का अंग शिथिल पड़ता चला जाता है, साथ ही पत्नी को भी उत्तेजित होने में अधिक समय लगता है. यह स्थिति दांपत्य संबंधों के लिए खतरे की घंटी है. सेक्स, जो सफल वैवाहिक जीवन का आधार है, अगर पतिपत्नी इस से ही विमुख हो जाएंगे तो उन्हें एकदूसरे के प्रति कोई आकर्षण नहीं रहेगा. ऐसे में विवाहेतर संबंध पनपते हैं, जो पतिपत्नी के आपसी रिश्ते की जड़ें खोखली करने में अहम भूमिका निभाते हैं. अगर पतिपत्नी दोनों मिल कर प्रयास करें तो वे अपने व्यस्त जीवन में से सेक्स में पूर्ण आनंद प्राप्त करने हेतु समय निकाल ही सकते हैं. बस, जरूरत है थोड़ी समझदारी व इच्छाशक्ति की. अपनी यौनइच्छाओं को दबाएं नहीं बल्कि मौका देख कर उन्हें जीवनसाथी के समक्ष उजागर करें.

नेहा और सूजल ऐसी स्थिति में एकदूसरे को पूर्ण सहयोग देते हैं. एक फ्री है तो उस ने दूसरे के काम निबटा दिए, दूसरा जल्दी फ्री हो जाता है तो वह अपने साथी के कार्यों में सहयोग देता है ताकि वे दोनों एकदूसरे के साथ कुछ वक्त बिता सकें. नेहा कहती है, ‘‘कई बार सूजल जल्दी फ्री हो जाते हैं तो वह नौकरानी को खाना बनाने संबंधी हिदायतें देते हैं, फिर अन्य काम जैसे प्रेस के कपड़े भिजवाना, बेडरूम को व्यवस्थित करना इत्यादि कार्य निबटा लेते हैं. मैं जब घर लौटती हूं तो वह जल्दी से मुझे फे्रश होने को कह खाना लगा देते हैं. ऐसे में हमारा शारीरिक व मानसिक रिश्ता अधिक मजबूत हो जाता है.’’ यह तो तय है कि जिन पतिपत्नी में परस्पर सहयोग की भावना होती है, वे मानसिक तथा शारीरिक तौर पर एकदूसरे के अधिक करीब होते हैं, क्योंकि एकदूसरे का सहयोग उन्हें मानसिक संबल प्रदान करने के साथसाथ आपसी लगाव, प्यार व विश्वास में भी वृद्धि करता है. ऐसे में वे शारीरिक तौर पर भी सहज ही एकदूसरे से जुड़ जाते हैं और उन्हें उत्तेजित होने में भी अधिक समय नहीं लगता.

इन्हीं सब बातों पर आप की सेक्सलाइफ निर्भर करती है. अगर आप चरमसुख की अनुभूति प्राप्त करना चाहते हैं तो परस्पर सहयोग तो करना ही होगा, क्योंकि सेक्स भी टैक्स मांगता है. तो फिर देर किस बात की, टैक्स चुकाइए व सेक्स का लुत्फ उठाइए.

नवीनता लाएं

अगर आप सदैव व्यस्तता का रोना रो कर सेक्स से कटते हैं तो आप के संबंध बेहद नीरस हो जाते हैं. ऐसी स्थिति पैदा होने पर आप को स्वयं में कुछ बदलाव लाने होंगे, तभी आप अपने संबंधों को चरमसुख के रस से सराबोर कर सकते हैं.

सेक्स का पूरा आनंद उठाने हेतु आप दोनों का पूर्णरूप से उत्तेजित होना बहुत आवश्यक है और यह उत्तेजना तभी आ सकती है, जब आप सेक्स से पूर्व एकदूसरे के साथ मीठीमीठी बातें, शरारतें, छेड़छाड़ करें.

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कभीकभी रूटीन से हट कर कुछ नया करें. समय निकाल कर जीवनसाथी से मोबाइल पर मीठी बातें करें. अगर वह बिजी हो तो उसे रोमांटिक मैसेज भेजें.

अपने अंत:वस्त्रों में बदलाव लाएं. ऐसे रंग के अंत:वस्त्र पहनें, जो जीवनसाथी को बेहद पसंद हों.

डिनर के वक्त प्यार से एकदूसरे को निहारें. पैरों से शरारतें करें. कभी खाना लेते वक्त हलके से हाथों का स्पर्श करें या फिर अचानक उस अंग को छू दें, जिस से जीवनसाथी में उत्तेजना पैदा होती हो. रोमांटिक गाने सुनें.

आप का बेडरूम व्यवस्थित व खुशबूदार होना चाहिए. बेडरूम में भीगी महक वाला स्पे्र करें. यह महक आप को मदहोश कर देगी और आप मौका मिलते ही आलिंगनबद्ध हो जाएंगे और आप को पता भी नहीं चलेगा कि कब आप एकदूसरे में समा गए.

40 की उम्र में इन 20 टिप्स से रहें फिट

महिलाएं पति और बच्चों का तो खूब खयाल रखती हैं पर खुद को इग्नोर करती रहती हैं. युवावस्था तो सब झेल जाती है पर 40 की दहलीज पर पहुंचने पर समझदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. इस उम्र में फिट रहने के 20 फंडे हम आप को बता रहे हैं. इन में से कुछ तो आप जानती होंगी पर कुछ आप के लिए बिलकुल नए होंगे. अगर आप इन्हें धीरेधीरे अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लें तो बहुत सी परेशानियों से आप दूर रहेंगी.

1. कैल्सियम और आयरन हासिल करें:

हिंदुस्तानी महिलाओं में आयरन और कैल्सियम की कमी आमतौर पर पाई जाती है. एक बार इन दोनों के टैस्ट करा लें और खानपान में ऐसी चीजें शामिल करें, जिन में इन की मात्रा अधिक हो. इन की गोलियां लेने से परहेज न करें.

2. एक प्याला सेहत का:

कौफी हमारी दोस्त होती है. इस में मौजूद कैफीन फैट को ऐनर्जी में बदलने के लिए उकसाता है. यह काम ग्रीन टी भी बखूबी करती है. इसलिए दोनों को अपना दोस्त मानें.

3. वेट टे्रनिंग करें:

आप ने पहले कभी जिम जौइन की हो या नहीं फर्क नहीं पड़ता. अब मसल्स कमजोर पड़ रहे हैं. वेट टे्रनिंग उन्हें मजबूती देती है. हिंदुस्तानी महिलाएं वेट टे्रनिंग से परहेज करती हैं पर इस के कई फायदे हैं. जिम नहीं जा सकतीं तो घर पर इस की व्यवस्था कर लें.

4. शैड्यूल चेंज करें:

अगर आप योग करती हैं या सैर पर जाती हैं और लंबे समय से यह करती आ रही हैं तो इस शैड्यूल में थोड़ा बदलाव करें. हैल्थ स्पैशलिस्ट से सलाह ले कर कुछ और चीजें शामिल करें तो कुछ चीजों को बंद करें. सैर का टाइम भी बदल सकें तो बदलें.

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5. सप्लीमैंट्स का इस्तेमाल:

इस उम्र में आप को सब से ज्यादा फिक्र अपने जोड़ों और हड्डियों की होनी चाहिए. कैल्सियम के बारे में हम बात कर चुके हैं. आप विटामिन डी, सी और ई का खयाल रखें. विटामिन सी और ई को एकसाथ लें. ऐक्सरसाइज करती हैं तो उस से 1 घंटा पहले डाक्टर से बात कर सप्लीमैंट का चुनाव करें.

6. पोस्चर पर ध्यान दें:

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कंधों, गरदन और कमर दर्द की शिकायत ज्यादा होती है. इस की प्रमुख वजह बैठने और सोने के तरीके में गड़बड़ी है. अब जरा इस पर ध्यान दें. फिजियोथेरैपिस्ट से बात करें, कैसे बैठें, कैसे सोएं वगैरह जानें.

7. दिमाग से तैयार हों:

खुद को बदलाव के लिए तैयार करें. लेख पढ़ने और मन में सोचने से कुछ नहीं होगा. अगर स्वस्थ रहना चाहती हैं तो इसे ठान लें. शुरू में लोग टोकेंगे भी मगर उसे आप को संभालना है. ‘मैं करूंगी’, ‘मैं करना चाहती हूं’ की जगह ‘मैं कर रही हूं’, ‘मैं जा रही हूं’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें.

8. स्पोर्ट्स शूज खरीदें:

हो सकता है आप को आदत न हो, मगर टहलने के लिए स्पोर्ट्स शूज अच्छे होते हैं. अपनी पसंद के शूज खरीदें और उसी में टहलने या जिम जाएं.

9. गलती से घबराएं नहीं:

अगर कुछ नतीजे सामने नहीं आए तो परेशान होने की जरूरत नहीं. दोबारा नई तकनीक के साथ चीजें शुरू करें. ऐक्सपर्ट की मदद लेने में कोई बुराई नहीं.

10. सब को बताएं:

आप जो कुछ कर रही हैं और जो कुछ करना चाहती हैं उस के बारे में खुद से जुड़े लोगों को जरूर बताएं. ताकि वे लोग आप की सफलता पर आप को बधाई दें और टोकते भी रहें, ‘आज जिम नहीं जा रहीं…’

11. खानासोना ऐसे हो:

रात का खाना सोने से 2 घंटे पहले खा लें. खाने के बाद कम से कम 100 कदम टहलें, लेकिन खाने के तुरंत बाद नहीं थोड़ा रुक कर.

12. स्पा और मसाज:

हफ्ते में एक बार अगर जेब आप को मंजूरी देती हो तो मसाज और स्पा का लुत्फ उठाएं. नहीं तो घर में किसी से कहें वह आप की मालिश कर दे. प्यारमुहब्बत से सब काम हो जाते हैं.

13. बाथरूम पर ध्यान दें:

घर का सब से खतरनाक इलाका बाथरूम होता है. घर के बड़े अकसर वहीं फिसल कर चोट खाते हैं. घर में आदेश जारी कर दें कि कोई भी बाथरूम को गीला नहीं छोड़ेगा. इस्तेमाल के बाद तुरंत वाइपर से पानी पोंछ दें. बाथरूम में कभी जल्दी में न घुसें.

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14. शुरुआत फल के साथ:

दिन की शुरुआत किसी फल से करें. सेब अच्छा फल है, नहीं तो जो भी मौसमी फल मिले उसे खाएं. सेहत के लिए जितना अच्छा अनार है उतना ही अमरूद भी है.

15. आंवला कैंडी, बेल का मुरब्बा:

पेट को दुरुस्त रखने में बेल का कोई जवाब नहीं. इस का फल तो आता ही है, मुरब्बा, पाउडर और सिरप भी आता है. आंवले की कैंडी इस्तेमाल करें.

16. दिन में 2 बार:

अगर कंफर्टेबल फील करना चाहती हैं तो दिन में 2 बार पेट साफ करें. शरीर में हलकापन रहेगा.

17. पिएं और पीती रहें:

अरे रे, शराब मत समझ लेना. हम पानी की बात कर रहे हैं. पानी किसी टौनिक से कम नहीं है. हमेशा साथ रखें और सिप कर के पीती रहें.

18. प्रोटीन से प्यार:

प्रोटीन आप के कमजोर होते मसल्स में नई जान फूंक देगा. इस की मात्रा बढ़ाएं. यह मेटाबौलिज्म को तेज करते हुए फैट बर्न करने में भी मदद करता है.

19. चैकअप कराएं:

डाक्टर से सलाह ले कर शुगर, कोलैस्ट्रौल, थाइराइड और एचबी की जांच करवाती रहें. जहां भी गड़बड़ी हो डाइट प्लान उसी हिसाब से करें.

20.नाराज होना बंद करें:

यह बात बहुत जरूरी है. क्या जल गया, क्या खल गया इन सब का ध्यान रखना आप का काम है, मगर पैनिक होने की जरूरत नहीं. बच्चों को खुद सीखने दें. खुश रहना 100 बीमारियों का इलाज है.

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Holi Special: होली के रंग इन आसान टिप्स के संग

होली का त्यौहार हर साल खुशियों के रंगों के साथ आता है, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने के साथ-साथ गर्मी के आगमन का संदेश देता है. बसंत ऋतु के इस त्यौहार को सभी रंगों के उत्सव के रूप में मनाते हैं. सालों पहले इस मौसम में पेड़ों पर रंग–बिरंगे फूल खिलते थे और उन फूलों से इसे मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होने लगा और अब केमिकल रंग भी इसमें आ गए.

इस बारें में मुंबई की प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि होली का त्यौहार उल्लास का है, लेकिन रंग की खरीदारी पर लोग ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन रंगों के प्रयोग से त्वचा प्रभावित होती है और होली के बाद उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसलन स्किन रैशेज, ड्राई ब्रिटल हेयर, आई इंज्यूरी आदि. जिसका ध्यान रखना आवश्यक है. होली के त्यौहार की खूबसूरती बनी रहे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है,

  • होम मेड रंगों का प्रयोग करें, जिसमें मेहंदी, हल्दी पाउडर, सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर पाउडर बना लें और गुलाल के रूप में प्रयोग करें,
  • रंग खेलने से पहले शरीर के खुले भाग पर क्रीम या सरसों का तेल लगा लें और इसे 20 से 30 मिनट तक वैसे ही रहने दें, इसके बाद वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा लें,
  • नाखूनों, पांव, कुहनी और कानों के पीछे वाले भाग में वेसलीन लगा लें, जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें सेंसेटिव जगहों पर रंग लगने से बचना चाहिए,
  • केवल शरीर पर ही नहीं बालों पर भी तेल लगा लें, ताकि केश रूखे होने से बचें और रंग आसानी से उतर जाए, अगर आयल लगाना नहीं चाहती, तो हेयर जेल का सहारा लिया जा सकता है,
  • अगर रंग से किसी भी प्रकार की एलर्जी या रेसेज होने की शिकायत है, तो एंटीएलर्जिक की गोली होली के पहले दिन रात में ले लें,
  • होली के दिन कपड़े ऐसे पहने, जिससे शरीर का अधिकतम भाग ढक जाय, अगर चाहे तो ड्रेस के नीचे स्विम सूट भी पहन सकती हैं, ताकि त्वचा को रंग न छू सकें,
  • अधिक सुरक्षा के लिए रंग खेलते समय धूप के चश्में और कैप पहन सकती हैं, लेकिन कांटेक्ट लेंस न पहनें.

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ये सही है कि कई बार सब कुछ ध्यान रखने के बाद भी कुछ न कुछ समस्या होली के बाद त्वचा में आ जाती है, इसलिए त्वचा की सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है. कई बार रगड़ने के बावजूद भी रंग सही तरीके से नहीं उतरता, ऐसे में कुछ आसान टिप्स बेहद फायदेमंद होते हैं-

  • नीबू का रस खासकर उंगलियों और नाखूनों के रंगों को साफ करने में बहुत उपयोगी होता है, इसके रस को लेकर 20 से 30 मिनट लगाकर हलके गरम पानी से धोकर मोयास्चराइजर लगा लें.
  • फिर भी रंग न निकले तो थोड़ी गरम ओलिव आयल लेकर लगायें और नरम कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ लें, इसके बाद दही के साथ बेसन और थोड़ा दूध मिलाकर पेस्ट तैयार करें और उसे न छूटने वाले रंग वाले भाग पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करें रंग निकल जायेगा.
  • इसके अलावा रंग छूटने के बाद स्किन थोड़ी ड्राई हो जाती है ऐसे में सोयाबीन के आटे में थोड़ी बेसन और दूध मिलाकर लगा लें इससे त्वचा में फिर से निखार आ जायेगा.
  • त्वचा से रंगों को छुड़ाने के लिए अधिक जोर का प्रयोग न करें.
  • रंग खेलने के तुरंत बाद बालों को शैम्पू और कंडीशनर से धो लें, अगर बाल रूखे और बेजान हो गए हैं तो हलके गरम आयल का मसाज कर गरम तौलिये का भाप अगले दिन दें.
  • होली के बाद और पहले एक सप्ताह तक ब्लीचिंग, वैक्सिंग या फेसियल करने से बचें,

इसके आगे डा. अप्रतिम गोयल का कहना है कि होली पर लोग मस्ती करने के लिए जानवरों पर भी रंग फेकते हैं जो ठीक नहीं. जानवरों को रंग से हमेशा दूर रखना चाहिए. घरों में रहने वाले जानवर इस लिहाज से थोड़ा सुरक्षित रहता है, पर गली-मुहल्लों में शरारती बच्चे उन्हें परेशान करते है. जानवर अधिकतर चाटकर अपने आप को साफ करते हैं, ऐसे में केमिकल युक्त रंग उनके पेट में चला जाता है, जिससे उन्हें कई प्रकार के पेट की बीमारी हो जाती है, इतना ही नहीं अगर ये रंग उनके आंखों तक जाती है, तो वे अंधे भी हो सकते हैं, इसलिए अगर आपके पालतू जानवर के साथ ऐसा हुआ हो तो, उसे माइल्ड शैम्पू से धो लें और वेटिनरी डाक्टर से सम्पर्क करें.

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जानें प्रौपर्टी गिरवी रखें या बेचें

कुछ सपने हर व्यक्ति देखता है, जैसे अपना घर, अपनी कार, बच्चों को अच्छे स्कूल/कालेज में पढ़ाना और बुरे वक्त के लिए अच्छाखासा बैंक बैलेंस. इन चीजों को ले कर देखे गए सब के सपनों में सिर्फ एक ही फर्क होता है- छोटा घर या बड़ा घर, इस ब्रैंड की कार अथवा उस ब्रैंड की और बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए कितनी मोटी रकम का निवेश. ऐसा देखा जाता है कि बेहद जरूरी होने के बावजूद लोग अपनी प्रौपर्टी को गिरवी रख कर पैसा निकालने का मन नहीं बना पाते हैं. तो क्या इस की वजह सिर्फ अपने घर से होने वाला लगाव है? जी नहीं, इस के पीछे एक भय जिम्मेदार है और वह है अपनी संपत्ति को खो देने का भय.

काफी हद तक यह डर वाजिब भी लगता है, क्योंकि संपत्ति गिरवी रखने के बारे में सूचनाओं का बेहद अभाव है. अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो स्थिति में बदलाव संभव है. एक प्रौपर्टी आप के लिए पैसे निकालने का जरीया हो सकती है, जिस से आप अपनी बेहद जरूरी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं. लेकिन ऐसा उसी स्थिति में मुमकिन है जब आप को यह जानकारी हो कि इस से ज्यादा से ज्यादा पैसा कैसे निकाल और प्रौपर्टी खोने के डर से खुद को कैसे उबार सकते हैं. एक संपत्ति का मालिक शादी, व्यापार में निवेश, बच्चों का उच्च शिक्षा या फिर अन्य किसी कार्य के लिए अपनी संपत्ति को गिरवी रख कर पैसा ले सकता है. बस, संपत्ति गिरवी रखने से पहले कुछ बातों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है:

संपत्ति का लोन चल रहा हो तब उसे गिरवी रखना:

जब किसी प्रौपर्टी पर पहले से लोन चल रहा हो, उस दौरान उस संपत्ति को गिरवी नहीं रखा जा सकता है. हालांकि कुछ खास हालात में ऋणदाता की सहमति पर संपत्ति को दोबारा गिरवी रखा जा सकता है. संपत्ति गिरवी रख कर ऋणदाता उपभोक्ता को दिए गए अपने रुपयों की अदायगी सुनिश्चित करता है. वहीं उपभोक्ता प्रौपर्टी गिरवी रख कर अपनी जरूरत के समय आर्थिक मदद प्राप्त करता है. कोई व्यक्ति बिना कुछ गिरवी रखे भी ऋण ले सकता है, लेकिन किसी संपत्ति के बदले लिए गए ऋण की ब्याज दर कम होती है.

लोन चुकता करने में असक्षमता:

अगर कर्ज लेने वाला उस का भुगतान कर पाने में सक्षम नहीं होता है, तब ऋण देने वाली संस्था नियमों के हिसाब से उस संपत्ति के जरीए अपने पैसों की वसूली कर सकती है. ऐसा करने के लिए ऋणदाता को नियमानुसार कोर्ट में केस फाइल करना पड़ता है और वहां से मिले निर्देशों के अनुसार उसे बेच कर अपने पैसों की वसूली के लिए उस संपत्ति को अपने कब्जे में ले कर बेच सकता है. डिफाल्टर होने के कारणों के अनुसार अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं. मसलन, अगर धोखाधड़ी का मामला है तो कर्जदार के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है.

लोन की अदायगी में देरी होने पर कुछ आर्थिक दंड भी लगाया जाता है. कर्ज लेने वाले को मूल धन और उस के ब्याज के साथ इस अतिरिक्त आर्थिक दंड का भुगतान भी करना पड़ता है.

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संपत्ति गिरवी रखने पर ब्याज दर:

संपत्ति गिरवी रख कर लिए गए ऋण की अदायगी मासिक भुगतान के रूप में की जाती है. यह भुगतान 10, 15% या फिर इस से भी अधिक हो सकता है. यह लोन के प्रकार, कर्ज देने वाले संस्थान के नियमों और कर्ज लेने वाले की क्षमता पर भी निर्भर करता है. आमतौर पर घर खरीदने के लिए लिया गया कर्ज संपत्ति गिरवी रख कर लिए गए कर्ज से सस्ता पड़ता है. ऐसे में अन्य कार्यों जैसेकि व्यापार, यात्रा आदि के लिए ही पुरानी संपत्ति के बदले कर्ज लेना चाहिए. अगर किसी के पास अधिक नक्दी यानी सरप्लस फंड है, तो वह पूरा कर्ज एकसाथ चुका सकता है. ऐसा आमतौर पर कर्ज लेने के 6 महीने बाद किया जा सकता है. ऐसा जरूरी नहीं कि आप धीरेधीरे कर के ही कर्ज चुकाएं. मार्केट से उठाए गए ज्यादातर कर्ज का भुगतान अपनी पूरी अवधि से पहले ही हो जाता है.

डिफाल्ट होने पर संपत्ति खाली कराना:

कभी भी 1 या 2 महीने भुगतान में देरी होने पर कर्ज लेने वाले को भगोड़ा नहीं माना जाता है. हां, अगर यह देरी कई महीनों की हो जाए मसलन 4 या इस से भी अधिक महीनों की और कर्ज लेने वाले की तरफ से इस संबंध में कोई सूचना न दी गई हो अथवा बातचीत भी न की गई हो तो कर्ज देने वाला संस्थान कर्ज लेने वाले के खिलाफ कानूनी काररवाई कर सकता है. कानूनी प्रक्रिया शुरू होने के बाद ऋणदाता द्वारा अपनाए गए कानूनी तरीके के आधार पर संपत्ति खाली कराने में 6 महीनों से ले कर डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.

गिरवी रखी संपत्ति को बेचना:

गिरवी रखी संपत्ति को कर्ज देने वाले की सहमति के बिना नहीं बेचा जा सकता है. खासतौर पर तब जब कर्ज का भुगतान रुका हुआ हो. अगर कर्ज का भुगतान समय पर हो रहा हो तब कर्ज देने वाले संस्थान को विश्वास में ले कर संपत्ति को बेच कर कर्ज की बकाया राशि नए मालिक के नाम हस्तांतरित की जा सकती है

बेहतर विकल्प

सभी मामलों में संपत्ति को गिरवी रखना उसे बेचने से बेहतर विकल्प नहीं होता है. दोनों के अपने फायदे व नुकसान हैं. आइए, जानते हैं:

– जब आप प्रौपर्टी गिरवी रखते हैं तब आप को उसे खाली करने की जरूरत नहीं होती. आप उस में रह सकते हैं अथवा उस का व्यापार के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन आप संपत्ति बेच देते हैं, तो आप उस का इस्तेमाल नहीं कर सकते. आप को उसे खाली करना ही होता है.

– गिरवी रखने की स्थिति में प्रौपर्टी पर मालिकाना हक बरकरार रहता है. लेकिन इसे बेचने की स्थिति में मालिकाना हक खरीदार को मिल जाता है.

– गिरवी रख कर आप संपत्ति की मूल कीमत का आमतौर पर 70 से 80 फीसदी हिस्सा ही कर्ज के रूप में ले सकते हैं. लेकिन अगर आप संपत्ति बेचते हैं, तो आप को उस का पूरा पैसा मिल जाएगा.

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– गिरवी रखने की स्थिति में भविष्य में संपत्ति की कीमत बढ़ने का उस के मालिक को कोई लाभ नहीं होता है. लेकिन जब यह संपत्ति बिक जाती है तब खरीदार को भविष्य में होने वाली मूल्य बढ़ोतरी का फायदा हो सकता है.

– कई बार ऐसी स्थिति भी होती है कि संपत्ति का मालिक संपत्ति गिरवी रख कर लोन लेने की शर्तों को पूरा नहीं कर पाता. संपत्ति का मालिक होने के बावजद अगर आप के पास कर्ज चुकाने के लिए पैसों का कोई स्रोत नहीं है तो आप को लोन नहीं मिलेगा. लेकिन संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति को बेच जरूर सकता है.

– गिरवी रखी संपत्ति को कर्ज देने वाले की अनुमति से लीज अथवा किराए पर चढ़ा कर आमदनी का एक अन्य स्रोत भी बनाया जा सकता है.

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