40 की उम्र में इन 20 टिप्स से रहें फिट

महिलाएं पति और बच्चों का तो खूब खयाल रखती हैं पर खुद को इग्नोर करती रहती हैं. युवावस्था तो सब झेल जाती है पर 40 की दहलीज पर पहुंचने पर समझदारी का साथ नहीं छोड़ना चाहिए. इस उम्र में फिट रहने के 20 फंडे हम आप को बता रहे हैं. इन में से कुछ तो आप जानती होंगी पर कुछ आप के लिए बिलकुल नए होंगे. अगर आप इन्हें धीरेधीरे अपने लाइफस्टाइल का हिस्सा बना लें तो बहुत सी परेशानियों से आप दूर रहेंगी.

1. कैल्सियम और आयरन हासिल करें:

हिंदुस्तानी महिलाओं में आयरन और कैल्सियम की कमी आमतौर पर पाई जाती है. एक बार इन दोनों के टैस्ट करा लें और खानपान में ऐसी चीजें शामिल करें, जिन में इन की मात्रा अधिक हो. इन की गोलियां लेने से परहेज न करें.

2. एक प्याला सेहत का:

कौफी हमारी दोस्त होती है. इस में मौजूद कैफीन फैट को ऐनर्जी में बदलने के लिए उकसाता है. यह काम ग्रीन टी भी बखूबी करती है. इसलिए दोनों को अपना दोस्त मानें.

3. वेट टे्रनिंग करें:

आप ने पहले कभी जिम जौइन की हो या नहीं फर्क नहीं पड़ता. अब मसल्स कमजोर पड़ रहे हैं. वेट टे्रनिंग उन्हें मजबूती देती है. हिंदुस्तानी महिलाएं वेट टे्रनिंग से परहेज करती हैं पर इस के कई फायदे हैं. जिम नहीं जा सकतीं तो घर पर इस की व्यवस्था कर लें.

4. शैड्यूल चेंज करें:

अगर आप योग करती हैं या सैर पर जाती हैं और लंबे समय से यह करती आ रही हैं तो इस शैड्यूल में थोड़ा बदलाव करें. हैल्थ स्पैशलिस्ट से सलाह ले कर कुछ और चीजें शामिल करें तो कुछ चीजों को बंद करें. सैर का टाइम भी बदल सकें तो बदलें.

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5. सप्लीमैंट्स का इस्तेमाल:

इस उम्र में आप को सब से ज्यादा फिक्र अपने जोड़ों और हड्डियों की होनी चाहिए. कैल्सियम के बारे में हम बात कर चुके हैं. आप विटामिन डी, सी और ई का खयाल रखें. विटामिन सी और ई को एकसाथ लें. ऐक्सरसाइज करती हैं तो उस से 1 घंटा पहले डाक्टर से बात कर सप्लीमैंट का चुनाव करें.

6. पोस्चर पर ध्यान दें:

पुरुषों के मुकाबले महिलाओं को कंधों, गरदन और कमर दर्द की शिकायत ज्यादा होती है. इस की प्रमुख वजह बैठने और सोने के तरीके में गड़बड़ी है. अब जरा इस पर ध्यान दें. फिजियोथेरैपिस्ट से बात करें, कैसे बैठें, कैसे सोएं वगैरह जानें.

7. दिमाग से तैयार हों:

खुद को बदलाव के लिए तैयार करें. लेख पढ़ने और मन में सोचने से कुछ नहीं होगा. अगर स्वस्थ रहना चाहती हैं तो इसे ठान लें. शुरू में लोग टोकेंगे भी मगर उसे आप को संभालना है. ‘मैं करूंगी’, ‘मैं करना चाहती हूं’ की जगह ‘मैं कर रही हूं’, ‘मैं जा रही हूं’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करें.

8. स्पोर्ट्स शूज खरीदें:

हो सकता है आप को आदत न हो, मगर टहलने के लिए स्पोर्ट्स शूज अच्छे होते हैं. अपनी पसंद के शूज खरीदें और उसी में टहलने या जिम जाएं.

9. गलती से घबराएं नहीं:

अगर कुछ नतीजे सामने नहीं आए तो परेशान होने की जरूरत नहीं. दोबारा नई तकनीक के साथ चीजें शुरू करें. ऐक्सपर्ट की मदद लेने में कोई बुराई नहीं.

10. सब को बताएं:

आप जो कुछ कर रही हैं और जो कुछ करना चाहती हैं उस के बारे में खुद से जुड़े लोगों को जरूर बताएं. ताकि वे लोग आप की सफलता पर आप को बधाई दें और टोकते भी रहें, ‘आज जिम नहीं जा रहीं…’

11. खानासोना ऐसे हो:

रात का खाना सोने से 2 घंटे पहले खा लें. खाने के बाद कम से कम 100 कदम टहलें, लेकिन खाने के तुरंत बाद नहीं थोड़ा रुक कर.

12. स्पा और मसाज:

हफ्ते में एक बार अगर जेब आप को मंजूरी देती हो तो मसाज और स्पा का लुत्फ उठाएं. नहीं तो घर में किसी से कहें वह आप की मालिश कर दे. प्यारमुहब्बत से सब काम हो जाते हैं.

13. बाथरूम पर ध्यान दें:

घर का सब से खतरनाक इलाका बाथरूम होता है. घर के बड़े अकसर वहीं फिसल कर चोट खाते हैं. घर में आदेश जारी कर दें कि कोई भी बाथरूम को गीला नहीं छोड़ेगा. इस्तेमाल के बाद तुरंत वाइपर से पानी पोंछ दें. बाथरूम में कभी जल्दी में न घुसें.

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14. शुरुआत फल के साथ:

दिन की शुरुआत किसी फल से करें. सेब अच्छा फल है, नहीं तो जो भी मौसमी फल मिले उसे खाएं. सेहत के लिए जितना अच्छा अनार है उतना ही अमरूद भी है.

15. आंवला कैंडी, बेल का मुरब्बा:

पेट को दुरुस्त रखने में बेल का कोई जवाब नहीं. इस का फल तो आता ही है, मुरब्बा, पाउडर और सिरप भी आता है. आंवले की कैंडी इस्तेमाल करें.

16. दिन में 2 बार:

अगर कंफर्टेबल फील करना चाहती हैं तो दिन में 2 बार पेट साफ करें. शरीर में हलकापन रहेगा.

17. पिएं और पीती रहें:

अरे रे, शराब मत समझ लेना. हम पानी की बात कर रहे हैं. पानी किसी टौनिक से कम नहीं है. हमेशा साथ रखें और सिप कर के पीती रहें.

18. प्रोटीन से प्यार:

प्रोटीन आप के कमजोर होते मसल्स में नई जान फूंक देगा. इस की मात्रा बढ़ाएं. यह मेटाबौलिज्म को तेज करते हुए फैट बर्न करने में भी मदद करता है.

19. चैकअप कराएं:

डाक्टर से सलाह ले कर शुगर, कोलैस्ट्रौल, थाइराइड और एचबी की जांच करवाती रहें. जहां भी गड़बड़ी हो डाइट प्लान उसी हिसाब से करें.

20.नाराज होना बंद करें:

यह बात बहुत जरूरी है. क्या जल गया, क्या खल गया इन सब का ध्यान रखना आप का काम है, मगर पैनिक होने की जरूरत नहीं. बच्चों को खुद सीखने दें. खुश रहना 100 बीमारियों का इलाज है.

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Holi Special: होली के रंग इन आसान टिप्स के संग

होली का त्यौहार हर साल खुशियों के रंगों के साथ आता है, जो सर्दी के मौसम के खत्म होने के साथ-साथ गर्मी के आगमन का संदेश देता है. बसंत ऋतु के इस त्यौहार को सभी रंगों के उत्सव के रूप में मनाते हैं. सालों पहले इस मौसम में पेड़ों पर रंग–बिरंगे फूल खिलते थे और उन फूलों से इसे मनाया जाता था, लेकिन समय के साथ-साथ इसमें प्राकृतिक रंगों का प्रयोग होने लगा और अब केमिकल रंग भी इसमें आ गए.

इस बारें में मुंबई की प्रसिद्ध त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अप्रतिम गोयल बताती हैं कि होली का त्यौहार उल्लास का है, लेकिन रंग की खरीदारी पर लोग ध्यान नहीं देते, ऐसे में इन रंगों के प्रयोग से त्वचा प्रभावित होती है और होली के बाद उन्हें कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. मसलन स्किन रैशेज, ड्राई ब्रिटल हेयर, आई इंज्यूरी आदि. जिसका ध्यान रखना आवश्यक है. होली के त्यौहार की खूबसूरती बनी रहे, इसके लिए निम्न बातों पर ध्यान रखना आवश्यक है,

  • होम मेड रंगों का प्रयोग करें, जिसमें मेहंदी, हल्दी पाउडर, सूखे गुलाब की पंखुड़ियों को पीसकर पाउडर बना लें और गुलाल के रूप में प्रयोग करें,
  • रंग खेलने से पहले शरीर के खुले भाग पर क्रीम या सरसों का तेल लगा लें और इसे 20 से 30 मिनट तक वैसे ही रहने दें, इसके बाद वाटरप्रूफ सनस्क्रीन लगा लें,
  • नाखूनों, पांव, कुहनी और कानों के पीछे वाले भाग में वेसलीन लगा लें, जिनकी त्वचा संवेदनशील है, उन्हें सेंसेटिव जगहों पर रंग लगने से बचना चाहिए,
  • केवल शरीर पर ही नहीं बालों पर भी तेल लगा लें, ताकि केश रूखे होने से बचें और रंग आसानी से उतर जाए, अगर आयल लगाना नहीं चाहती, तो हेयर जेल का सहारा लिया जा सकता है,
  • अगर रंग से किसी भी प्रकार की एलर्जी या रेसेज होने की शिकायत है, तो एंटीएलर्जिक की गोली होली के पहले दिन रात में ले लें,
  • होली के दिन कपड़े ऐसे पहने, जिससे शरीर का अधिकतम भाग ढक जाय, अगर चाहे तो ड्रेस के नीचे स्विम सूट भी पहन सकती हैं, ताकि त्वचा को रंग न छू सकें,
  • अधिक सुरक्षा के लिए रंग खेलते समय धूप के चश्में और कैप पहन सकती हैं, लेकिन कांटेक्ट लेंस न पहनें.

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ये सही है कि कई बार सब कुछ ध्यान रखने के बाद भी कुछ न कुछ समस्या होली के बाद त्वचा में आ जाती है, इसलिए त्वचा की सही देखभाल से इसे ठीक किया जा सकता है. कई बार रगड़ने के बावजूद भी रंग सही तरीके से नहीं उतरता, ऐसे में कुछ आसान टिप्स बेहद फायदेमंद होते हैं-

  • नीबू का रस खासकर उंगलियों और नाखूनों के रंगों को साफ करने में बहुत उपयोगी होता है, इसके रस को लेकर 20 से 30 मिनट लगाकर हलके गरम पानी से धोकर मोयास्चराइजर लगा लें.
  • फिर भी रंग न निकले तो थोड़ी गरम ओलिव आयल लेकर लगायें और नरम कपड़े से धीरे-धीरे पोंछ लें, इसके बाद दही के साथ बेसन और थोड़ा दूध मिलाकर पेस्ट तैयार करें और उसे न छूटने वाले रंग वाले भाग पर लगाकर हलके हाथों से मसाज करें रंग निकल जायेगा.
  • इसके अलावा रंग छूटने के बाद स्किन थोड़ी ड्राई हो जाती है ऐसे में सोयाबीन के आटे में थोड़ी बेसन और दूध मिलाकर लगा लें इससे त्वचा में फिर से निखार आ जायेगा.
  • त्वचा से रंगों को छुड़ाने के लिए अधिक जोर का प्रयोग न करें.
  • रंग खेलने के तुरंत बाद बालों को शैम्पू और कंडीशनर से धो लें, अगर बाल रूखे और बेजान हो गए हैं तो हलके गरम आयल का मसाज कर गरम तौलिये का भाप अगले दिन दें.
  • होली के बाद और पहले एक सप्ताह तक ब्लीचिंग, वैक्सिंग या फेसियल करने से बचें,

इसके आगे डा. अप्रतिम गोयल का कहना है कि होली पर लोग मस्ती करने के लिए जानवरों पर भी रंग फेकते हैं जो ठीक नहीं. जानवरों को रंग से हमेशा दूर रखना चाहिए. घरों में रहने वाले जानवर इस लिहाज से थोड़ा सुरक्षित रहता है, पर गली-मुहल्लों में शरारती बच्चे उन्हें परेशान करते है. जानवर अधिकतर चाटकर अपने आप को साफ करते हैं, ऐसे में केमिकल युक्त रंग उनके पेट में चला जाता है, जिससे उन्हें कई प्रकार के पेट की बीमारी हो जाती है, इतना ही नहीं अगर ये रंग उनके आंखों तक जाती है, तो वे अंधे भी हो सकते हैं, इसलिए अगर आपके पालतू जानवर के साथ ऐसा हुआ हो तो, उसे माइल्ड शैम्पू से धो लें और वेटिनरी डाक्टर से सम्पर्क करें.

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जानें प्रौपर्टी गिरवी रखें या बेचें

कुछ सपने हर व्यक्ति देखता है, जैसे अपना घर, अपनी कार, बच्चों को अच्छे स्कूल/कालेज में पढ़ाना और बुरे वक्त के लिए अच्छाखासा बैंक बैलेंस. इन चीजों को ले कर देखे गए सब के सपनों में सिर्फ एक ही फर्क होता है- छोटा घर या बड़ा घर, इस ब्रैंड की कार अथवा उस ब्रैंड की और बैंक बैलेंस बढ़ाने के लिए कितनी मोटी रकम का निवेश. ऐसा देखा जाता है कि बेहद जरूरी होने के बावजूद लोग अपनी प्रौपर्टी को गिरवी रख कर पैसा निकालने का मन नहीं बना पाते हैं. तो क्या इस की वजह सिर्फ अपने घर से होने वाला लगाव है? जी नहीं, इस के पीछे एक भय जिम्मेदार है और वह है अपनी संपत्ति को खो देने का भय.

काफी हद तक यह डर वाजिब भी लगता है, क्योंकि संपत्ति गिरवी रखने के बारे में सूचनाओं का बेहद अभाव है. अधिक जानकारी उपलब्ध कराई जाए तो स्थिति में बदलाव संभव है. एक प्रौपर्टी आप के लिए पैसे निकालने का जरीया हो सकती है, जिस से आप अपनी बेहद जरूरी जरूरतों को आसानी से पूरा कर सकते हैं. लेकिन ऐसा उसी स्थिति में मुमकिन है जब आप को यह जानकारी हो कि इस से ज्यादा से ज्यादा पैसा कैसे निकाल और प्रौपर्टी खोने के डर से खुद को कैसे उबार सकते हैं. एक संपत्ति का मालिक शादी, व्यापार में निवेश, बच्चों का उच्च शिक्षा या फिर अन्य किसी कार्य के लिए अपनी संपत्ति को गिरवी रख कर पैसा ले सकता है. बस, संपत्ति गिरवी रखने से पहले कुछ बातों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है:

संपत्ति का लोन चल रहा हो तब उसे गिरवी रखना:

जब किसी प्रौपर्टी पर पहले से लोन चल रहा हो, उस दौरान उस संपत्ति को गिरवी नहीं रखा जा सकता है. हालांकि कुछ खास हालात में ऋणदाता की सहमति पर संपत्ति को दोबारा गिरवी रखा जा सकता है. संपत्ति गिरवी रख कर ऋणदाता उपभोक्ता को दिए गए अपने रुपयों की अदायगी सुनिश्चित करता है. वहीं उपभोक्ता प्रौपर्टी गिरवी रख कर अपनी जरूरत के समय आर्थिक मदद प्राप्त करता है. कोई व्यक्ति बिना कुछ गिरवी रखे भी ऋण ले सकता है, लेकिन किसी संपत्ति के बदले लिए गए ऋण की ब्याज दर कम होती है.

लोन चुकता करने में असक्षमता:

अगर कर्ज लेने वाला उस का भुगतान कर पाने में सक्षम नहीं होता है, तब ऋण देने वाली संस्था नियमों के हिसाब से उस संपत्ति के जरीए अपने पैसों की वसूली कर सकती है. ऐसा करने के लिए ऋणदाता को नियमानुसार कोर्ट में केस फाइल करना पड़ता है और वहां से मिले निर्देशों के अनुसार उसे बेच कर अपने पैसों की वसूली के लिए उस संपत्ति को अपने कब्जे में ले कर बेच सकता है. डिफाल्टर होने के कारणों के अनुसार अन्य कदम भी उठाए जा सकते हैं. मसलन, अगर धोखाधड़ी का मामला है तो कर्जदार के खिलाफ आपराधिक मामला भी दर्ज हो सकता है.

लोन की अदायगी में देरी होने पर कुछ आर्थिक दंड भी लगाया जाता है. कर्ज लेने वाले को मूल धन और उस के ब्याज के साथ इस अतिरिक्त आर्थिक दंड का भुगतान भी करना पड़ता है.

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संपत्ति गिरवी रखने पर ब्याज दर:

संपत्ति गिरवी रख कर लिए गए ऋण की अदायगी मासिक भुगतान के रूप में की जाती है. यह भुगतान 10, 15% या फिर इस से भी अधिक हो सकता है. यह लोन के प्रकार, कर्ज देने वाले संस्थान के नियमों और कर्ज लेने वाले की क्षमता पर भी निर्भर करता है. आमतौर पर घर खरीदने के लिए लिया गया कर्ज संपत्ति गिरवी रख कर लिए गए कर्ज से सस्ता पड़ता है. ऐसे में अन्य कार्यों जैसेकि व्यापार, यात्रा आदि के लिए ही पुरानी संपत्ति के बदले कर्ज लेना चाहिए. अगर किसी के पास अधिक नक्दी यानी सरप्लस फंड है, तो वह पूरा कर्ज एकसाथ चुका सकता है. ऐसा आमतौर पर कर्ज लेने के 6 महीने बाद किया जा सकता है. ऐसा जरूरी नहीं कि आप धीरेधीरे कर के ही कर्ज चुकाएं. मार्केट से उठाए गए ज्यादातर कर्ज का भुगतान अपनी पूरी अवधि से पहले ही हो जाता है.

डिफाल्ट होने पर संपत्ति खाली कराना:

कभी भी 1 या 2 महीने भुगतान में देरी होने पर कर्ज लेने वाले को भगोड़ा नहीं माना जाता है. हां, अगर यह देरी कई महीनों की हो जाए मसलन 4 या इस से भी अधिक महीनों की और कर्ज लेने वाले की तरफ से इस संबंध में कोई सूचना न दी गई हो अथवा बातचीत भी न की गई हो तो कर्ज देने वाला संस्थान कर्ज लेने वाले के खिलाफ कानूनी काररवाई कर सकता है. कानूनी प्रक्रिया शुरू होने के बाद ऋणदाता द्वारा अपनाए गए कानूनी तरीके के आधार पर संपत्ति खाली कराने में 6 महीनों से ले कर डेढ़ साल तक का समय लग सकता है.

गिरवी रखी संपत्ति को बेचना:

गिरवी रखी संपत्ति को कर्ज देने वाले की सहमति के बिना नहीं बेचा जा सकता है. खासतौर पर तब जब कर्ज का भुगतान रुका हुआ हो. अगर कर्ज का भुगतान समय पर हो रहा हो तब कर्ज देने वाले संस्थान को विश्वास में ले कर संपत्ति को बेच कर कर्ज की बकाया राशि नए मालिक के नाम हस्तांतरित की जा सकती है

बेहतर विकल्प

सभी मामलों में संपत्ति को गिरवी रखना उसे बेचने से बेहतर विकल्प नहीं होता है. दोनों के अपने फायदे व नुकसान हैं. आइए, जानते हैं:

– जब आप प्रौपर्टी गिरवी रखते हैं तब आप को उसे खाली करने की जरूरत नहीं होती. आप उस में रह सकते हैं अथवा उस का व्यापार के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन आप संपत्ति बेच देते हैं, तो आप उस का इस्तेमाल नहीं कर सकते. आप को उसे खाली करना ही होता है.

– गिरवी रखने की स्थिति में प्रौपर्टी पर मालिकाना हक बरकरार रहता है. लेकिन इसे बेचने की स्थिति में मालिकाना हक खरीदार को मिल जाता है.

– गिरवी रख कर आप संपत्ति की मूल कीमत का आमतौर पर 70 से 80 फीसदी हिस्सा ही कर्ज के रूप में ले सकते हैं. लेकिन अगर आप संपत्ति बेचते हैं, तो आप को उस का पूरा पैसा मिल जाएगा.

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– गिरवी रखने की स्थिति में भविष्य में संपत्ति की कीमत बढ़ने का उस के मालिक को कोई लाभ नहीं होता है. लेकिन जब यह संपत्ति बिक जाती है तब खरीदार को भविष्य में होने वाली मूल्य बढ़ोतरी का फायदा हो सकता है.

– कई बार ऐसी स्थिति भी होती है कि संपत्ति का मालिक संपत्ति गिरवी रख कर लोन लेने की शर्तों को पूरा नहीं कर पाता. संपत्ति का मालिक होने के बावजद अगर आप के पास कर्ज चुकाने के लिए पैसों का कोई स्रोत नहीं है तो आप को लोन नहीं मिलेगा. लेकिन संपत्ति का मालिक अपनी संपत्ति को बेच जरूर सकता है.

– गिरवी रखी संपत्ति को कर्ज देने वाले की अनुमति से लीज अथवा किराए पर चढ़ा कर आमदनी का एक अन्य स्रोत भी बनाया जा सकता है.

मत पहनाओ धर्म की चादर

लताब भारत रत्न लता मंगेशकर हमारे बीच नहीं हैं. मगर उन के संघर्ष की कहानियों के साथ उन का कृतित्व, उन के द्वारा स्वरबद्ध गीत सदैव लोगों के दिलोदिमाग में रहेगा. पिता दीनानाथ मंगेशकर के असामायिक देहांत के चलते महज 13 वर्ष की उम्र में भाई हृदयनाथ, 3 बहनों मीना, आशा व उषा तथा मां सहित पूरे परिवार की जिम्मेदारी कंधों पर आ जाने के बाद लता मंगेशकर अपनी मेहनत, लगन, जिद व सख्त इरादों के बल पर सिर्फ देश ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक अलग छाप छोड़ गईं.

पिता की याद में पुणे में अस्पताल

लता के पिता दीनानाथ मंगेशकर का निधन पुणे के ससून जनरल अस्पताल में हुआ था. पिता का निधन एक जख्म की तरह लता मंगेशकर के दिल में रहा. इसीलिए जब वे सक्षम हुईं, तो उन्होंने पुणे में सर्वसुविधासंपन्न अस्पताल बनवाया, जहां आज भी गरीबों का इलाज महज 10 रुपए में किया जाता है. इस अस्पताल में कई गायक, संगीतकार, म्यूजीशियन व कलाकार इलाज करा चुके हैं.

इस अस्पताल के निदेशक डा. केलकर कहते हैं, ‘‘लताजी ने बिना कौरपोरेट कल्चर वाले अस्पताल का सपना देखते हुए इस का निर्माण किया था, जहां हर इंसान अपने इलाज के लिए सहजता से पहुंच सके और कम दाम में अपना इलाज करा सके. इस के अलावा एक अस्पताल नागपुर में बनवाया. प्राकृतिक आपदा के वक्त भी मदद के लिए आगे आती थीं.’’

मगर लता मंगेशकर की आवाज ही उन की पहचान बनी. उन की आवाज के दीवाने पूरे विश्व में हैं. 36 भाषाओं में एक हजार से अधिक फिल्मों में उन्होंने 50 हजार से अधिक गाने गाए.

मगर आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो उन के द्वारा स्वरबद्ध गीतों यानी उन के कार्यों की भी समीक्षाएं हो रही हैं. परिणामतया यह बात उभर कर आ रही है कि लता मंगेशकर ने अपनी हिंदुत्ववादी छवि को बरकरार रखने के लिए जिस तरह से भक्तिगीत गाते हुए जाने या अनजाने धर्म का प्रचार किया, वह 21वीं सदी के भारत के लिए उचित नहीं है.

मगर कुछ लोग मानते हैं कि लता मंगेशकर ने अपने कैरियर के शुरुआती दौर में परिवार के आर्थिक हालात को देखते हुए अपने प्रोफैशन यानी गायकी के प्रति ईमानदार रहते हुए उन्हें जिन गीतों को भी गाने का अवसर मिला वे गाए. उस वक्त उन के दिमाग में ‘हिंदूवादी छवि’ बनाने का कोई विचार नहीं था.

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क्यों नहीं बन पाईं शास्त्रीय गायक

लता मंगेशकर के गायन के संबंध में एक मुलाकात के दौरान लता की छोटी बहन मीना ने कहा था, ‘‘मेरा मानना है कि यदि मेरे पिता का निधन इतनी कम उम्र में न हुआ होता, तो लता दीदी एक महान शास्त्रीय गायक होतीं और उन का कैरियर एक अलग मुकाम पर होता. हमारे मातापिता ट्रैडीशनल थे. इसलिए उन्होंने लता दीदी का विवाह जरूर करवाया होता और शायद लता दीदी का अपना परिवार व बच्चे होते.’’

धार्मिक गीत व भजन

1961 में लता मंगेशकर ने फिल्म ‘हम दोनों’ में ‘अल्लाह तेरो नाम ईश्वर तेरो नाम…’ गीत गाया था. फिल्म ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ में ‘यशोमती मैया से बोले नंदलाला…’ गाया था. फिल्म ‘अमर प्रेम’ में ‘बड़ा नटखट है यह नंदलाला…’ फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में लता दीदी ने ‘एक राधा एक मीरा… एक प्रेम दीवानी एक दर्श दीवानी…’ गाया. ‘मैं नहीं माखन खायो…’, ‘ठुमकठुमक चलत रामचंद्र…’ सहित 100 से अधिक भजन गाए, जिन के चलते उन की हिंदूवादी छवि बनती गई.

मगर लता मंगेशकर ने ये सारे भक्ति गीत

50-60 व 70 के दशक में फिल्मों के लिए ही गाए थे. कभी किसी धार्मिक कार्यक्रम में शिरकत कर कोई भजन या भक्तिगीत नहीं गाया. यह वह दौर था, जब देश में हिंदुत्व की बातें नहीं की जा रही थीं. इतना ही नहीं उस काल में देश में आजादी, आजादी मिलने के बाद देश निर्माण, देश की अनगिनत समस्याओं की ही तरफ लोगों का ज्यादा ध्यान था.

इस वजह से भी उस काल में लता के इन भक्तिगीतों को ले कर चर्चाएं नहीं हुईं. लता दीदी की आवाज के दीवाने लोगों ने जरूर अपने घर के अंदर संपन्न होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में लता मंगेशकर द्वारा स्वरबद्ध भजन गाए. लता मंगेशकर के तमाम गीत लोगों के घरों के अंदर संपन्न होने वाले धार्मिक संस्कारों का हिस्सा रहे हैं.

लता मंगेशकर ने ‘श्री राम धुन…’ भी गाई. सोनी म्यूजिक वीडियो ने लता मंगेशकर द्वारा स्वरबद्ध ‘श्री राम धुन…’ का 1 घंटे से अधिक लंबा वीडियो 2014 में यूट्यूब पर जारी किया था, जिसे लगभग 10 लाख से अधिक व्यूज मिले. जबकि जिस तरह से लोगों की बीच उन की दीवानगी है और जिस तरह से 2014 से हिंदुत्व की बात की जा रही है, ऐसे में उन के इस अलबम को करोड़ों व्यूज मिलने चाहिए थे. मगर लता मंगेशकर के गाए हुए भजन कभी भी वायरल नहीं हुए, जबकि देशभक्ति का कोई भी कार्यक्रम पं. प्रदीप व लता के गीतों के बिना अधूरा ही रहता है.

इस की एक वजह यह भी रही कि लता मंगेशकर की छवि भले ही हिंदूवादी रही हो, मगर लता ने हमेशा पारिश्रमिक राशि को तवज्जो दी. पैसे को ले कर लता ने कभी कोई समझता नहीं किया. मृत्यु से पहले भी उन्हें हर माह रायल्टी से 40 लाख रुपए और 6 करोड़ रुपए वार्षिक की कमाई होती रही है. इसलिए भी हर चीज मुफ्त में पाने की अभिलाषा रखने वाली धार्मिक संस्थाओं या धार्मिक संस्थानों ने लता मंगेशकर द्वारा स्वरबद्ध गीतों से दूरी बनाए रखी.

जब मो. रफी से हो गया था झगड़ा

सभी को पता है कि 1961 में पहली बार गायकों ने रौयल्टी की मांग की थी. उस वक्त फिल्म ‘माया’ के लिए मो. रफी और लता मंगेशकर एकसाथ गीत ‘तस्वीर तेरे दिल में…’ को रिकौर्ड कर रहे थे. दोनों के बीच रौयल्टी को ले कर बहस छिड़ गई. मो. रफी रौयल्टी की मांग के खिलाफ थे और लता मंगेशकर रायल्टी की मांग करने वालों के साथ थीं.

यह बहस ऐसी हुई कि मो. रफी और लता मंगेशकर ने एकदूसरे के साथ न गाने का प्रण कर लिया. फिर लता मंगेशकर व मो. रफी ने पूरे 4 वर्ष तक न एकसाथ कोई गाना गाया और न ही एकसाथ किसी मंच को साझ किया.

वीर सावरकर की कविताएं

लता मंगेशकर ने वीर सावरकर की ‘सागरा प्राण तलमलल’ व ‘हे हिंदू नृसिंहा प्रभो शिवाजी राजा… हिंदू राष्ट्र को वंदना…’ सहित कई कविताओं को भी अपनी आवाज में गाया. इतना ही नहीं अनुपम खेर द्वारा शेअर किए गए वीडियो के अनुसार 22 दिसंबर, 2021 को ‘आजादी का अमृत महोत्सव कमेटी’ की दूसरी बैठक में लता मंगेशकर ने प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करने के अलावा भगवत गीता का श्लोक ‘यदा यदा ही धर्मस्य… परित्रणय साधू नाम… धर्म संस्थपनाय संभवामि युगे युगे…’ गाया था.

इसाई पृष्ठभूमि का गाया गीत

लता मंगेशकर ने विभिन्न धर्मों के लिए, विभिन्न देवीदेवताओं के सम्मान में भी गाया. स्वर कोकिला लता ने इसाई पृष्ठभूमि के साथ हिंदी में भगवान के लिए गीत गाया था, ‘पिता परमेश्वर, हो धन्यवाद, हो तेरी स्तुति और आराधना, मेरे मसीहा को धन्यवाद, तेरी आराधना में तनमन धन, पवित्र आत्मा को धन्यवाद, करती समर्पण जीवन और मन, पिता परमेश्वर हो धन्यवाद…’’

गुलाम हैदर बने गौड फादर

जब लता 18 वर्ष की थीं, तब संगीतकार गुलाम हैदर ने लता मंगेशकर को सुना और उन्हें फिल्म निर्माता शशधर मुखर्जी से मिलवाया था. लेकिन शशधर मुखर्जी ने यह कह कर लता दीदी से गंवाने से मना कर दिया था कि इन की आवाज काफी पतली है. बाद में गुलाम हैदर ने ‘मास्टरजी’ में गुलाम हैदर ने ही लता से पहली बार पार्श्वगायन करवाया था. इस तरह गुलाम हैदर उन के गौड फादर बन गए थे.

यह एक अलग बात है कि बाद में शशधर मुखर्जी को अपनी गलती का एहसास हुआ और फिर उन्होंने लता मंगेशकर से अपनी ‘जिद्दी’ व ‘अनारकली’ जैसी फिल्मों में गवाया था. बाद में गुलाम हैदर पाकिस्तान चले गए थे, मगर वहां से भी वे फोन पर लता दीदी के संपर्क में बने रहे.

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देशभक्ति

मगर जब एक बार हिंदूवादी छवि बन गई, तब इस से खुद को दूर करने के प्रयास के तहत ही लता ने फिल्म ‘ममता’ में ‘रहे न रहें हम, महका करेंगे…’ फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली’ में ‘राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते धोते…’ के अलावा तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंखू में भर लो पानी…’ गीत गा कर जवाहर लाल नेहरू की आंखों में भी आंसू ला दिए थे. वहीं उन्होंने ‘सारा जहां से अच्छा हिंदुस्तान…’ सहित कई देशभक्ति के गीत भी गाए.

इतना ही नहीं लता मंगेशकर ने अपने पूरे कैरियर में द्विअर्थी गीतों से दूरी बनाए रखी. गीतकारों को कई बार लता मंगेशकर के दबाव में अपने गीत बदलने पड़े. पर अब लता के भजन व गीत बन सकते हैं धर्म प्रचार का साधन. लता मंगेशकर ने अपने जीवन में 100 से अधिक भक्तिगीत व भजन गाए, मगर उन के ये गीत कभी भी धर्मप्रचार का साधन नही बन पाए. लेकिन अब 21वीं सदी में लता मंगेशकर द्वारा स्वरबद्ध गीतों का उपयोग धर्म के प्रचार आदि में नहीं किया जाएगा, इस के दावे नहीं किए जा सकते.

लता का हीरा बेन को लिखा पत्र हुआ वायरल

लता मंगेशकर के देहांत के चंद घंटों के ही अंदर जिस तरह से उन के एक पत्र को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, उस से भी कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं. बौलीवुड का एक तबका मान कर चल रहा है कि अब भाजपा लता मंगेशकर की हिंदूवादी छवि व भजनों को भुनाने का प्रयास कर सकती है.

हर इंसान की अपनी व्यक्तिगत जिंदगी व निजी संबंध होते हैं. इन निजी संबंधों के चलते वह कुछ पत्र भी लिखता है. मगर उन पत्रों को किसी खास मकसद के लिए खास अवसर पर प्रचारित करना या सोशल मीडिया पर वायरल करना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं कहा जा सकता. मगर ऐसा हुआ.

यह एक अलग बात है कि राजनेताओं से उन के संबंध रहे हैं. मगर उन को भेजे गए पत्र का वायरल होना कई सवाल पैदा करता है?

अंतिम संस्कार और राजनीति

लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर का जन्मस्थल गोवा और कार्यस्थल मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र था, जबकि लता मंगेशकर की जन्मभूमि इंदौर, मध्यप्रदेश व कर्मभूमि मुंबई रही. उन के देहावसान के बाद उन का अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क में पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया गया.सभी राजनीतिक दलों के नेता अंतिम संस्कार के वक्त श्रृद्धांजलि देने पहुंचे.

यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (नरेंद्र मोदी को लता दीदी अपना भाई मानती थीं) भी खासतौर पर दिल्ली से मुंबई पहुंचे. मगर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अनुपस्थिति ने विवादों को जन्म दिया. सोशल मीडिया पर अंतिम संस्कार के वक्त मध्य प्रदेश से किसी नुमायंदे के न आने को ले कर काफी कुछ कहा गया. कुछ लोगों ने दबे स्वर यहां तक कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी के चलते शिवराज सिंह चौहान ने दूरी बनाई.

खैर, दूसरे दिन मध्यप्रदेश के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लता दीदी की याद में उन के नाम से संगीत अकादमी, संगीत महाविद्यालय, संगीत संग्रहालय और प्रतिमा लगाने तथा हर वर्ष लता दीदी के नाम का ‘लता पुरस्कार’ दिए जाने का ऐलान किया, तो वहीं स्मार्ट सिटी पार्क पहुंच कर लता मंगेशकर की स्मृति में बरगद का पौधा भी लगाया.

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Holi Special: गुप्त रोग: क्या फंस गया रणबीर

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

“अब छोड़ो भी….जाने दो मुझे …..मेरे पति का रणबीर का फोन आता ही होगा ” रूबी ने अजय सिंह की बाहों में कसमसाते हुए कहा

“अच्छा तो अपने पति के वापस आते ही मुझसे नखरे दिखाने लगी तुम ”अजय सिंह ने रूबी के सीने पर हाथ का दबाव बढ़ाते हुए कहा

“क्या बताऊँ…..अजय ….जब से मेरा मर्द गुजरात से कमाई करके लौटा है तबसे  सेक्स का भूखा भेड़िया बन गया है रात में भी मुझे सोने नहीं देता ….. ” रूबी ने एक मादक अंगड़ाई लेते हुए कहा

“तो तुम भी सेक्स के मज़े लो …..इसमें परेशानी की क्या बात है भला ? ” एक भद्दी सी मुस्कुराहट के साथ अजय सिंह ने कहा

“रात में उसका बिस्तर गरम करूं और दिन में तुम्हारे जोश को ठंडा करूं …..अरे मैं एक औरत हूँ कोई सेक्स डॉल नहीं …..और फिर मैं प्यार तो तुमसे करती हूँ न …..मेरा वो तोंद वाला मोटा पति मुझे कतई पसंद नहीं ”

ये कहकर रूबी ने अजय सिंह को अपनी बाहों में भर लिया .

तीखे नैननक्श और भरे बदन वाली रूबी पर मोहल्ले के मनचलों की नज़र रहती  थी ,जब रूबी नाभि प्रदर्शना ढंग से साड़ी पहनकर बाहर निकलती तो लोग फटी आंखों से उसे घूरते रह जाते अपनी इस खूबसूरती का अच्छी तरह अहसास भी था रूबी को और मौका पड़ने पर वह इसका फायदा उठाने से भी नहीं चूकती थी .

रूबी इस  मकान में अकेली रहती थी जबकि उसके पति को गुजरात में काम के सिलसिले में  कई महीनों तक बाहर रुकना पड़  जाता था .

रूबी को अपने पति के मोटे होने से चिढ़ थी इसलिये उसने कई बार रणबीर से खुलकर कहा भी पर उसके पति को पैसे से इतना प्यार था कि वह अपने शरीर पर ध्यान नहीं देता  था अपने पति की गैर मौजूदगी में जब भी रूबी की तबीयत कुछ खराब होती तो  वह  मोहल्ले के नुक्कड़ पर बने अस्पताल में दवा लेने जाती थी ,तन्हाई की मारी हुई जवान और खूबसूरत रूबी की जानपहचान जल्दी ही उस अस्पताल में काम करने वाले कम्पाउंडर अजय सिंह से हो गई और रूबी और अजय सिंह एक दूसरे से प्यार करने लगे रूबी को  एक आदमी का सहारा मिला तो वह और भी निखर गई ,अजय सिंह का डॉक्टर जब कभी भी अस्पताल से बाहर कहीं जाता तो अजय सिंह रूबी को फोन करके अस्पताल में बुला लेता ,दोनो साथ में ही खाते पीते और अस्पताल में ही जिस्मानी सुख का मज़ा भी लेते ,दोनो की ज़िंदगी मज़े से गुज़र रही थी पर इसी बीच रूबी के पति रणबीर के गुजरात से वापस लौट आने से रूबी की आज़ादी पर ब्रेक सा लग गया था . अगले दिन रूबी ने भरे गले से अजय सिंह को फ़ोन करके ये बताया कि अब वह उससे मिलने नहीं आ पाएगी क्योंकि उसका पति उसे लेकर हमेशा ही बिस्तर पर पड़ा रहता है और पोर्न फिल्में दिखाकर अपनी “सेक्स फैंटेसी” पूरी करने के लिए रूबी पर दबाव डालता रहता है.

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रूबी को उसका पति परेशान कर रहा था ये बात अजय सिंह को अच्छी नहीं लग रही थी  ,रूबी का पति उसे एक दुश्मन की तरह लग रहा था ,एक तो रूबी से  दूरी अजय सिंह को  सहन नहीं हो रही थी और ऊपर से  ये बातें सुनकर अजय सिंह को गुस्सा आ रहा था इसलिए मन ही मन अजय सिंह रूबी के पति को उससे दूर रखने के लिए कुछ ऐसा प्लान सोचने लगा जिससे सांप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे.

फिर एक दिन अजय सिंह ने रूबी को अस्पताल में बुलाया

“बड़ी मुश्किल से आ पाई हूँ ….जल्दी बताओ क्या बात है  ” रूबी ने कहा

“ये लो ….ये एक किस्म का तेल है जिसमे मैने कई तरह की दवाएं मिलाई है ….इस तेल को तुम्हे अपने पति के प्राइवेट पार्ट अर्थात लिंग पर मलना है ” अजय सिंह ने एक छोटी शीशी

रूबी की ओर बढ़ाते हुए कहा

उसकी बातें सुनकर रूबी चौक पड़ी थी

“पर भला इससे क्या होगा? ”रूबी ने पूछा

“मैने इस तेल में कुछ ऐसे केमिकल मिलाए हैं जिनका पी. एच. का मान बहुत कम होता है और यदि कम पी.एच. के मान वाली चीजों को त्वचा पर दोचार दिन तक लगाया जाए तो त्वचा पर हल्का घाव या इन्फेक्शन हो सकता है ……  ”अपनी आंख को शरारती अंदाज़ में दबाते हुए अजय सिंह ने कहा

“ओह…..इसका मतलब है कि इसे लगाते ही रणबीर को इन्फेक्शन हो जाएगा  और फिर वह मुझे सेक्स के लिए तंग नहीं करेगा … पर फिर यह तेल  मेरे हाथ पर भी घाव बना सकता है न  ” रूबी ने अपनी घबराहट दिखाई

“ वेरी स्मार्ट ….. मेरी जान ये काम तुम दस्ताने पहनकर करोगी …..ये लो ग्लव्स ”

“पर इस तरह से तो रणबीर को मुझ पर शक हो जाएगा  ” रूबी ने शंका जाहिर करी तो अजय सिंह खीझ उठा

“उफ्फ….बहुत नासमझ हो तुम …..तुम्हे मोटे पति के साथ  न सोना पड़े इसका एकमात्र यही रास्ता था…..अब आगे का सफर कैसे तय करना है  वो सब तुम्हे सोचना है  ”

“ठीक है बाबा मैं ही कुछ सोचती हूँ” रूबी ने तेल की शीशी लेते हुए कहा

रोज़ रात की तरह रणबीर फिर से रूमानी होने लगा तो रूबी ने रजस्वला होने का झूठ बोला जिस पर रणबीर ने बुरा सा मुँह बना लिया

“अरे अब तुम नाराज़ मत हो  ….मेरे पास तुम्हे खुश करने के और भी बहुत से तरीके हैं …..मैं तुम्हारे पैरों में तेल से मसाज कर देती हूं ….तुम्हे अच्छी नींद आ जायेगी ” ये कहकर रूबी ने रणबीर की आंखों पर एक दुपपट्टा बांध दिया ,रणबीर मन ही मन कल्पना के गोते लगाने लगा कि न जाने उसकी पत्नी उसके साथ क्या करने जा रही है इस समय वह अपने आपको किसी अंग्रेज़ी फ़िल्म का हीरो समझ रहा था.

रनबीर को लिटा कर रूबी  ने हाथों में ग्लव्स पहन लिए और उसकी टांगों पर चढ़ कर बैठ गयी और रणवीर के पैरों और घुटनों में सादा यानि बिना मिलावट वाला तेल लगाया जबकि अजय सिंह के द्वारा दिए गए तेल को रणबीर के प्राइवेट अंग में लगा कर धीरधीरे मालिश करने लगी.

रणबीर आंखें बंद करके आनन्द के सागर मे गोते लगा रहा था क्योंकि इस मसाज से एक अजीब सी अदभुत अनुभूति हो रही थी उसे

“रूबी ….तुमने कल जिस तेल से मसाज करी थी ….वह बाद मुझे बहुत अच्छा लगी ….तुम आज भी ठीक वैसी ही मसाज देना ”रणबीर ने सुबह उठते ही कहा जिस पर रूबी मुस्कुराकर रह गई .

रणबीर ने तीन चार दिन ये मसाज करवा कर मज़ा लिया  पर उस बेचारे को क्या पता था  कि उसके साथ क्या होने वाला है .

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एक दिन सुबह जब रणवीर सोकर उठा तो उसके लिंग में हल्की सी जलन हो रही थी उसने ध्यान दिया कि अंग पर लाललाल दाने हैं जिसमे खुजली भी हो रही थी , दानों को खुजला भी दिया था रणबीर ने जिसके कारण ऊपर की त्वचा से हल्का सा खून निकलने लगा था .

“रूबी जबसे तुमने मेरे लिंग पर मसाज करी है तबसे वहाँ पर एलर्जी सी हो गई है ….देखो तो क्या हाल हो गया है मेरा ” रणबीर ने शिकायती लहज़े में रूबी से कहा

“देखिए इसमें मेरी कोई गलती नहीं है  ….आप महीनों घर से बाहर रहते हैं ,पत्नी का साथ आपको नसीब नहीं होता ऐसे में धंधेबाजऔरतों से संबंध भी आप ज़रूर ही बनाते होंगे ….. आपको किसी भी तरह का गुप्त रोग होना तो लाज़मी ही है ” रूबी ने नाकभौं सिकोड़ते हुए उपेक्षित स्वर में कहा

अपनी पत्नी से रणबीर को सहानुभूति की उम्मीद थी पर उसे तो नफरत मिल रही थी ,अपने बनाये हुए प्लान में रुबी और अजय कामयाब हो रहे थे और वे ये सोचकर खुश हो रहे थे कि रणबीर को अपने गुप्त रोगी होने का अहसास होगा और अब वह  रूबी के शरीर को हाथ नहीं लगा पायेगा और गुजरात जल्दी वापस लौट जाएगा जबकि दूसरी तरफ रणबीर  बहुत परेशान था .

रणबीर अपनी पत्नी से भले ही महीनों दूर रहता था पर किसी भी बाज़ारु औरत से कभी भी उसने संबंध नहीं बनाए थे ऐसे में उसके शरीर पर किसी भी प्रकार के इन्फेक्शन का हो जाना उसे परेशानी और हैरत में डाल रहा था और उस पर उसकी पत्नी  भी उसे बारबार गुप्त रोगी होने का ताना दे रही थी  इसलिए वह सीधा शहर के एक अच्छे डॉक्टर के पास पहुचा और अपनी समस्या बताई .

“क्या आपने सड़क के किनारे तम्बू  लगाकर दवाई या तेल बेचने वालों से किसी तरह की दवा ली है क्या ? ” डॉक्टर ने पूछा

“नहीं सर नीमहकीम से तो नही  पर …..एक दोस्त ने ज़रूर एक तेल दिया था जिसे मैने ताकत बढ़ाने वाला तेल समझकर लगा लिया है ….ये घाव और जलन तबसे ही पनपा है “रणबीर ने अपनी पत्नी का नाम छुपा लिया क्योंकि उसकी पत्नी ने ही उसके लिंग पर तेल से मसाज करी है ऐसा कहने में भी उसे शर्म लग रही थी.

उस डॉक्टर ने रणबीर को ढाँढस बंधाया और वो तेल उन्हें लाकर दिखाने को कहा ताकि वे उसको जांच सकें .

जब रणबीर ने वो तेल की शीशी डॉक्टर को लाकर दिखाई तो तेल का शुरुआती टेस्ट करते ही डॉक्टर चौक गए और उन्होंने रणबीर को जो बताया उसे सुनकर उसके पैरों तले जमीन खिसक गई

“ये एक ऐसा तेल है जिसके पी एच का मान बहुत कम है  और इतने कम पी.एच. का कोई भी मलहम या तेल हमारी त्वचा को नुकसान पहुचा सकता है साथ ही इसमें कुछ हानिकारक केमिकल्स भी मिले हुए हैं  इतना ही नहीं बल्कि इसके निरन्तर इस्तेमाल से आप नपुंसक भी हो सकते हैं …… ”डॉक्टर ने कहा

“रूबी…..  तो मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकती तो क्या रूबी के साथ किसी ने नकली तेल देकर फ्रॉड किया है ?” इसी सोचविचार में उलझा हुआ रणबीर घर आया तो उसने रूबी को फोन पर किसी से बात करते हुए पाया ,रुबी उस समय अजय सिंह से ही बात कर रही थी रणबीर को अचानक से घर आया देखकर वह हड़बड़ा सी गई और उसने फोन काट दिया .

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परेशान रणबीर सोफे पर पसर गया और रूबी से एक कप चाय बना लाने को कहा और खुद अपनी मर्ज की दवाई ढूंढने  के लिए इंटरनेट खंगालने लगा पर रणबीर का मोबाइल हैंग कर रहा था इसलिए उसने किचन में जाकर रूबी का मोबाइल मांगा तो रूबी के चेहरे का रंग ही उतर गया ,और रूबी ने मोबाइल देने में हिचकिचाहट भी दिखाई पर भारी मन से उसने अपना मोबाइल रणबीर को दे दिया उसकी ये परेशानी  रणबीर से भी छुपी नही रह सकी इसलिए मोबाइल को अपने हाथ में लेते ही रणबीर ने मोबाइल के हाल में डायल किये गए नम्बरों पर सरसरी नज़र डाली तो उसमें पिछले डायल किये गए को “फ्रेंड” नाम से सेव किया गया था .

उत्सुकतावश रणबीर ने मोबाइल के व्हाट्सएप्प पर “फ्रेंड” नाम की डीपी देखी तो वह एक युवक की तस्वीर थी .

“भला ये आदमी कौन  है जिसका नंबर रूबी के मोबाइल में  फ्रेंड नाम से सेव है?” ये सवाल बारबार रणबीर के मन में संदेह पैदा कर रहा था .

रणबीर ने घाटघाट का पानी पिया था उसे कुछ शक हुआ तो मोबाइल  काल की रिकॉर्डिंग सुनने लगा और “फ्रेंड” नाम के युवक से हुई कई कॉल की रिकॉर्डिंग रणबीर ने सुन डाली और उसे सारा माजरा समझते देर नहीं लगी ,उसकी नसों में बहता खून बारबार उसकी कनपटियों तक जोर मार रहा था उसका मन कर रहा था कि वो जाकर रूबी की गर्दन मरोड़ दे पर कुछ सोचकर उसने ऐसा नहीं किया,रणबीर ने शांत भाव से मोबाइल को टेबल पर रख दिया और अपनी आंखें बंद करके बैठ गया .

रूबी जब चाय लेकर आई तो उसने रणबीर को सोता हुआ देखा तो उसकी जान में  जान आई उसने झट से अपना मोबाइल अपने कब्जे में कर लिया.

एकदो दिनों तक रणबीर बहुत ही शांत रहा और अपने को खुश दिखाता रहा फिर एक दिन उसने रूबी से कहा,

“मैं काम के सिलसिले में दो दिन के लिए बाहर जा रहा हूँ  ……इस बीच तुम अपना ध्यान रखना ”

“हाँ और आप भी दवाई खाते रहिएगा और ज्यादा तला भुना मत खाइएगा” रूबी ने विरह का गम अपने चेहरे पर लाते हुए कहा

रणबीर के आ जाने से कई दिनों तक रूबी और अजय सिंह मिल नहीं पा रहे थे अब आज रणबीर के जाने के बाद उन्हें जी भरकर जिस्म का सुख उठाने का मौका मिलने वाला था .

रूबी के फ़ोन करते ही अजय सिंह उसके घर आ गया और दोनो पूरी तरह से निर्वस्त्र होकर यौन सुख लेने लगे ,इन पूरे दो दिनों में अजय सिंह रूबी के घर में ही रहा .

दो दिन के बाद रणवीर का फोन आया कि वह शहर में आ चुका है और घर पहुचने वाला है ,अजय सिंह ये जानकर वहां से निकल लिया.

रणवीर मुस्कुराते हुए आया और रूबी ने उसके गले लगते हुए कहा कि वह उसके लिए चाय बनाकर लाती है ,चाय पीते समय रणबीर ने उसे बताया कि कल शाम को उसे गुजरात जाना है ,रूबी ने प्रत्यक्ष में तो हैरानी दिखाई पर मन ही मन वह रणबीर के जाने की बात सुनकर बहुत खुश हो रही थी .

अगले दिन रणबीर गुजरात के लिए निकल गया .

रणबीर के जाने के करीब एक हफ्ते बाद उसे उसे एक पत्र मिला जिसे पढ़कर रूबी बुरी तरह चौंक गई .

“मैं तुम्हारे और तुम्हारे उस “फ्रेंड” के संबंधों के  बारे में सब कुछ जान चुका हूँ ,मैंने तुम्हें बहुत प्यार किया पर तुमसे बेवफाई ही मिली…. अब मेरे पास तुम्हे तलाक देने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है , दो दिन के लिए बाहर जाने का बहाना करके मैने तुम्हारे बेडरूम में कैमरा लगाकर तुम्हारी हकीकत जान ली है  मेरे पास  गैर मर्द के साथ तुम्हारी संभोगरत वीडियो भी  है जिसको मैने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया है जल्दी ही तुम पूरे शहर में फेमस हो जाओगी …..और अब तुम अपने प्रेमी के पास चली जाना क्योंकि मैंने ये मकान भी  बेच दिया है ”

सन्नाटे में  आ गयी थी रूबी. बदहवास हालत में रूबी अस्पताल जाकर अजय सिंह से मिलने पहुची पर वहां जाकर उसे पता चला कि उन दोनों का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया के द्वारा शहर में वायरल हो चुका है और बदनामी के डर डॉक्टर साहब ने उसे नौकरी से निकाल दिया है  परेशान होकर रूबी ने अजय सिंह को फोन लगाया “ तूने मेरी ही सेक्स की वीडियो बनाकर पूरे शहर में मेरी बदनामी करवा दी है ….और इसके कारण मुझे अपनी नौकरी से भी हाथ धोना पड़ गया है ”चीख रहा था अजय सिंह “मेरी बीवी बच्चों  को भी मेरे नाज़ायज़ संबंधों के बारे में पता चला गया है और इन सबकी ज़िम्मेदार सिर्फ तुम हो …पर इतनी ज़िल्लत के साथ मेरा जी पाना बहुत मुश्किल है इसलिए मैं ये दुनिया ही छोड़कर जा रहा हूँ  ”ये कहकर फोन कट गया था .

आतेजाते लोग रूबी को रोते हुए देख रहे थे ,युवा लड़के और पान की दुकानों पर खड़े पुरुष कभी मोबाइल की स्क्रीन पर देखते तो कभी रूबी के चेहरे की तरफ .

रूबी को उसकी बेवफाई की सज़ा मिल गयी थी.

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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस: सुनिए दिल्ली प्रेस की महिला पत्रिकाओं की खास कहानियां सिर्फ ऑडिबल पर, बिल्कुल मुफ्त

8 मार्च, 2022: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर, अमेज़न की एक कंपनी और विश्व में प्रमुख स्पोकन-वर्ड एंटरटेनमेन्ट कंपनी, ऑडिबल और भारत की सबसे बड़ी पत्रिका प्रकाशन कंपनी, दिल्ली प्रेस ने 60 से भी ज्यादा लोकप्रिय हिन्दी कहानियां जारी करने की घोषणा की है। इस प्रकाशन हाउस की सबसे प्रसिद्ध महिला पत्रिका गृहशोभा, सरिता, सरस सलिल और मनोहर कहानियां की कहानियों को ऑडियो फॉर्मेट में ऑडिबल पर बिलकुल मुफ्त में जारी किया गया है ।

ये कहानियां फैमिली ड्रामा और रोमांटिक प्रेम कहानियों वाली विधा में है, जोकि बेहद दिलचस्प और सुनने में आसान हैं। हमारे व्यस्त रहने वाले श्रोताओं के लिये ये कहानियां बिलकुल सटीक हैं, जो उनके ‘व्यस्त समय’ को फुर्सत के पलों में बदल देंगी, यानी मल्टीटास्किंग करते हुए भी इसे सुन सकते हैं। इस माध्यम की प्रकृति ऐसी है कि श्रोता इन कहानियों को घर के काम करते हुए, एक्सरसाइज करते हुए या फिर सोने के पहले के रूटीन को करते-करते भी सुन सकते हैं। इससे श्रोताओं को आनंद के वे निजी पल भी मिलते हैं- बस कानों में ईयरफोन्स लगायें और एक अलग ही दुनिया में खो जायें।

फैमिली ड्रामा जोनर की कुछ चर्चित कहानियों में शामिल हैं:

  • मैं सिर्फ बार्बी डॉल नहीं हूं (गृहशोभा पत्रिका से): यह खुद की सहायता और आत्मविश्वास की कहानी है, जो मनीष और परी के रिश्ते को लेकर बुनी गई है। जब परी को पहली बार पता चलता है कि उसे पीसीओएस है।
  • तालमेल (गृहशोभा पत्रिका से): यह आज के जमाने का फैमिली ड्रामा है। इसमें बूढ़े माता-पिता के संघर्षों और अपने बच्चों के साथ उनके रिश्ते की कहानी है।
  • वसीयत (गृहशोभा पत्रिका से): यह फैमिली ड्रामा, पति की असमय मौत के इर्द-गिर्द घूमता है, वसीयत आपको निश्चित रूप से आखिर तक बांधकर रखेगी।

रोमांस और रिश्ते शैली की अन्य कहानियों में शामिल हैं:

  • हरिनूर (सरस सलिल पत्रिका से): मूल में सांप्रदायिक भेदभाव लिये यह प्रेम कहानी, हरिनूर (शबीना और नीरज का बेटा), यह साबित करती है कि प्यार की हमेशा ही जीत होती है!
  • प्रेम कबूतर (सरिता पत्रिका से): प्यार, दुख और अलग-अलग ट्विस्ट वाली इस कहानी में यह जानने के लिये कि क्या अखिल वाकई पुतुल से प्यार करता है, इस कहानी को सुनें
  • अंतर्दाह (गृहशोभा पत्रिका से): यह एक घुमावदार प्रेम कहानी है, जहां अलका हर किसी के भले के लिये अपनी जिंदगी के साथ आगे बढ़ जाने का फैसला करती है।

शैलेष सवलानी, वीपी एवं कंट्री जीएम, ऑडिबल इंडिया का कहना है, “इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम भारत की कुछ बेहद चर्चित हिन्दी पत्रिकाओं की पहले से मशहूर हिन्दी कहानियों को ऑडियो के जरिये पेश कर रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि सभी श्रोताओं को इन कहानियों के सुनने का शानदार अनुभव मिलेगा। इसके साथ उन लोगों के लिये एक सहजता भी जुड़ी है जो पूरे दिन मल्टीटास्किंग करते हैं। अभी और आने वाले समय में इस तरह की पहलों के साथ, हम देशभर में अपने श्रोताओं के लिये अनूठा और अलग तरह का कंटेंट लाना जारी रखना चाहते हैं

अनंत नाथ, कार्यकारी प्रकाशक, दिल्ली प्रेस, “हमारी पत्रिकाओं को लाखों श्रोताओं का प्यार और सराहना मिलती है, खासकर महिलाओं की ओर से। इसकी वजह है ये मर्मस्पर्शी और वास्तविक-सी कहानियां हैं जोकि उनकी अलग-अलग भावनाओं से मेल खाती हैं, जिनसे रोजमर्रा के जीवन में वे रूबरू होती हैं। इस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर, हम ऑडिबल पर इन चुनिंदा कहानियों को ऑडियो रूप में बड़े पैमाने पर दर्शकों तक लाने के लिये बेहद खुश है।”

ऑडिबल श्रोताओं के आनंद के लिये 2022 के दौरान विभिन्न शैलियों से दिल्ली प्रेस की सबसे प्रसिद्ध महिला पत्रिकाओं से लोकप्रिय हिन्दी कहानियों को ऑडियो रूप में जारी करता रहेगा। अधिक जानकारी के लिये इस स्पेस को देखें।

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लड़ाई जारी है: भाग 3- सुकन्या ने कैसे जीता सबका दिल

‘भाभी, अगर आपके ऐसे ही विचार हैं तो क्यों यहाँ इसे लेकर डाक्टरी की परीक्षा दिलवाने लाई, अरे, कोई भी लड़का देखकर बाँध देती उससे…वह इसे चाहे जैसे भी रखता….’ मन कड़ा करके मनीषा ने कहा था.

भाभी कुछ बोल नहीं पाई थीं पर उस दिन के बाद से सुकन्या उसके और करीब आ गई थी, कोई भी परेशानी होती, उससे सलाह लेती. बाद में उसने सुकन्या को समझाते हुए कहा था,‘ बेटा, औरत का चरित्र एक ऐसा शीशा है जिस पर लगी जरा सी किरच पूरी जिंदगी को बदरंग कर देती है और फिर तेरी माँ तो गाँव की भोली-भाली औरत है, दुनिया की चकाचौंध से दूर…अपने आँचल के साये में फूल की तरह सहेज कर तुझे पाला है, तभी तो जरा से झटके से वह विचलित हो उठी हैं…. तू उसे समझने की कोशिश कर.’

भाभी सुकन्या को लेकर चली गईं. दादी ने जब सुकन्या के विवाह का प्रस्ताव रखा तो वह मना नहीं कर पाईं. सुकन्या अपनी लड़ाई अपने आप लड़ रही थी. इसी बीच रिजल्ट निकल आया. सुकन्या का नाम मेडिकल के सफल प्रतियोगी की लिस्ट में पाकर दादाजी बेहद प्रसन्न हुये. दादी के विरोध के बावजूद उन्होंने उन्हें यह कर मना लिया,‘ जरा सोचो हमारी सुकन्या न केवल हमारे घर वरन् हमारे गाँव की पहली डाक्टर होगी. मेरा सीना तो गर्व से चौड़ा हो गया है.’

पिताजी के मन में द्वन्द था तो सिर्फ इतना कि सुकन्या शहर में अकेली कैसे रहेगी ? तब उसने कहा था,‘ सुकन्या गैर नहीं, मेरी भी बेटी है, अगर आप सबको आपत्ति है तो उसकी जिम्मेदारी मैं लेती हूँ .’

संयोग से उसके शहर के मेडिकल कालेज में ही सुकन्या का एडमीशन हो गया. अनुराधा भी सुकन्या का हौसला बढ़ाने लगी पर माँ का वही हाल रहा.

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इसी बीच पिताजी चल बसे….सुकन्या टूट गई थी. एक वही तो थे जो उसका हौसला बढ़ाते थे वरना माँ के व्यंग्य बाण तो उसके कोमल मन को तार-तार करने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे. पता नहीं किस जन्म का बैर वह उसके साथ निकाल रही थीं. उन्हें लगता था कि घर की सारी परेशानी की जड़ सुकन्या ही है, पढ़ लिख कर नाक ही कटवायेगी….. अनुराधा असमंजस में थी न वह सास को कुछ कह पाती थी और न ही बेटी का पक्ष ले पाती थी क्योंकि अगर वह ऐसा करती तो सुकन्या के साथ सास के व्यंग्यबाणों का शिकार उसे भी होना पड़ता था…. जल में रहकर मगर से बैर कैसे लेती…? धीरे-धीरे सुकन्या ने घर जाना बंद कर दिया जब भी छुट्टी मिलती वह उसके पास आ जाती थी.

‘ आपका गंतव्य आ गया.’  जी.पी.एस. ने सूचना दी.

मनीषा कार पार्क करके रिसेप्शनिस्ट से जानकारी लेकर, आई़.सी.यू. में पहुँची. उसे देखकर सुकन्या उसके पास आई तथा रूआँसे स्वर में बोली,‘ बुआ मेरी वजह से दादी की आज ये हालत है….’

‘ ऐसा नहीं सोचते बेटा, अगर तू नहीं होती तो हो सकता है, उनकी हालत और भी ज्यादा खराब हो जाती.’

विजिंटग आवर था अतः सुकन्या उसे लेकर आई.सी.यू में गई…

‘ पानी….’ दादी की आवाज सुनकर सुकन्या उन्हें चम्मच से पानी पिलाने लगी….

उसे देखकर माँ ने कुछ बोलना चाहा तो सुकन्या ने कहा,‘ दादी, आपकी तबियत ठीक नहीं है, आप कुछ मत बोलिये…. बुआ आप दादी के पास रहिये, मैं जरा डाक्टर से मिलकर आती हूँ.’

माँ की आँखों से बहते आँसू न चाहते हुये भी बहुत कुछ कह गये थे वरना जिस तरह का सीवियर अटैक आया था, अगर उन्हें तुरंत सहायता नहीं मिली होती तो न जाने क्या होता… जो माँ  कभी उसकी पढ़ाई की विरोधी थीं वही आज उसे दुआयें देती प्रतीत हो रही थीं.

विजिटिंग आवर समाप्त होते ही वह बाहर आई तथा अनुराधा भाभी के पास बैठ गई.

‘ दीदी, अगर सुकन्या न होती तो पता नहीं क्या हो जाता.’

‘ माँ दवा ले लो वरना तुम्हारी तबियत भी खराब हो जायेगी.’ सुकन्या पानी की बोतल के साथ माँ को दवाई देती हुई बोली. अनुराधा भाभी उसे ममत्व भरी निगाहों से देख रही थीं.

‘ लेकिन यह हुआ कैसे ?’ मनीषा ने पूछा.

‘ दीदी, माँ ने सुकन्या को बुलाया था. इस बार वह उनकी बात मानकर आ भी गई. उसके आते ही माँ ने उसके विवाह की बात छेड़ दी. जब उसने कहा कि अभी मैं तीन चार वर्ष विवाह के लिये सोच भी भी नहीं सकती क्योंकि मुझे पी.जी. करनी है. उसकी बात सुनकर वह बहुत नाराज हुईं. अचानक उनका शरीर पसीने से लथपथ हो गया तथा वह अपना सीना कसकर दबाने लगीं. सुकन्या उनकी दशा देखकर घबड़ा गई, उसने उन्हें चैक कराना चाहा तो माँ ने उसे झटक दिया…. तब सुकन्या ने रोते हुये कहा दादी प्लीज मुझे अपना इलाज करने दीजिये, अगर आपको कुछ हो गया तो मैं स्वयं को कभी माफ नहीं कर पाऊँगी.

माँ को हार्ट अटैक आया है. सुकन्या ने उन्हें वहीं दवा देकर स्थिति पर काबू पाया. उसने तुरंत हेल्पलाइन नम्बर मिलाकर अपनी परेशानी फोन उठाने वाले व्यक्ति को बताकर तुरंत एम्बुलेंस भिवानी की प्रार्थना की. उस भले मानस ने एम्बुलेंस भेज दी वरना कोरोना वायरस द्वारा हुये लॉक  डाउन के कारण आना ही मुश्किल हो जाता. जैसे ही हम चले , सुकन्या ने अस्पताल में किसी से बात की, उसकी पहचान के कारण तुरंत माँजी को एडमिट कर डाक्टरों ने उनकी चिकित्सा प्रारंभ कर दी. दीदी, सुकन्या ने तबसे पलक भी नहीं झपकाई है. समय पर दवा देना, लाना सब वही कर रही है. दीदी, उचित चिकित्सा के अभाव में पिताजी को तो बचा नहीं पाये पर माँ को नहीं खोना चाहती हूँ.’ भाभी के दिल का दर्द जुबान पर आ गया था.

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सुदेश की वजह से उसका रोज जाना तो नहीं हो पा रहा था पर फोन से हालचाल लेती रहती थी.  माँ ठीक हो रही हैं, सुनकर उसे संतोष मिलता. आखिर  सुदेश का क्वारेंन्टाइन भी पूरा हो गया था. सब ठीक रहा. माँ को भी अस्पताल से छुट्टी मिल गईं. माँ अभी काफी कमजोर थीं. सुकन्या को अपनी सेवा करता देख एक दिन वह उसका हाथ पकड़कर बोलीं,‘ बेटी मुझे क्षमा कर दे. मैंने तुझे सदा गलत समझा, बार-बार तुझे रोका टोका….’

‘ दादी प्लीज, आप दिल पर कोई बात न लें, अभी आप कमजोर हैं, आप आराम करें.’

‘ मुझे कुछ नहीं होगा बेटा, गलती मेरी ही है जो सदा अपने विचार तुझ पर थोपती रही…मैंने क्या-क्या नहीं कहा तुझे, पर तूने मेरी जान बचाई…मुझे नाज है तुझ पर….’ माँ ने कमजोर आवाज में उसे देखते हुये कहा.

‘ प्लीज दादी, अभी आपको आराम की विशेष आवश्यकता है….यह दवा ले लीजिए और सोने की कोशिश कीजिये.’ हाथ के सहारे माँ को उठाकर दवा खिलाते हुये सुकन्या ने कहा

माँ की तीमारदारी के साथ, इधर-उधर भागदौड़ करती, गाँव की भोली -भाली लड़की सुकन्या को अदम्य आत्मविश्वास से माँ की सेवा करते देख मनीषा सोच रही थी कि अगर मन में लगन हो तो औरत क्या नहीं कर सकती…!! उसे दया आती है उन दम्पत्तियों पर जो बेटों के लिये बेटियों का गर्भ में ही नाश कर देते हैं. वह क्यों भूल जाते हैं…बचपन से लेकर मृत्यु तक विभिन्न रूपों में समाज की सेवा में लगी नारी  हर रूप में अतुलनीय है. बदलते समय के साथ  सुकन्या जैसी नारियाँ अपने आत्मबल से आज समाज द्वारा निर्मित लक्ष्मण रेखा को तोड़ने में काफी हद तक कामयाब हो रही हैं…यह बात अलग है कि आज भी पुरूष तो पुरूष स्वयं स्त्रियाँ भी, ऐसी स्त्रियों के मार्ग में काँटे बिछा रही हैं….फिर भी लड़ाई जारी है की तर्ज पर ये लड़कियाँ आज अपना अस्तित्व कायम करने के लिये तत्पर हैं और करती रहेंगी…

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जड़ों से जुड़ा जीवन: भाग 3- क्यों दूर गई थी मिली

कहानी- वीना टहिल्यानी

इधर मौम का इलाज चलता रहा. उधर अमेरिका के फ्लोरिडा विश्व- विद्यालय में पढ़ाई पूरी होते ही जौन को नौकरी मिल गई. यह जानने के बाद कि उसे फौरन नौकरी ज्वाइन करनी है, मौम ने उसे घर आने के लिए और अपने से मिलने के लिए साफ और सख्त शब्दों में मना करते हुए कह दिया कि उसे सीधा वहीं से रवाना होना है.

उस दिन बिस्तर में बैठेबैठे ही मौम ने पास बैठी मिली का हाथ अपने दोनों हाथों के बीच रख लिया फिर धीरे से बहुत प्रयास कर उसे अपने अंक में भर लिया. मिली डर गई कि मौम को अंत की आहट लग रही है. मिली ने भी मौम की क्षीण व दुर्बल काया को अपनी बांहों में भर लिया.

‘‘मर्लिन मेरी बच्ची, मैं तेरे लिए क्याक्या करना चाहती थी लेकिन लगता है सारे अरमान धरे के धरे रह जाएंगे. लगता है अब मेरे जाने का समय आ गया है.’’

‘‘नहीं, मौम…नहीं, तुम ने सबकुछ किया है…तुम दुनिया की सब से अच्छी मां हो…’’ रुदन को रोक, रुंधे कंठ से मिली बस, इतना भर बोल पाई और अपना सिर मौम के सीने पर रख दिया.’’

कांपते हाथों से मिसेज ब्राउन बेटी का सिर सहलाती रहीं और एकदूसरे से नजरें चुराती दोनों ही अपनेअपने आंसुओं को छिपाती रहीं.

मिली भाई को बुलाना चाहती तो मौम कहतीं, ‘‘उसे वहीं रहने दे…तू है न मेरे पास, वह आ कर भी क्या कर लेगा. वह कद से लंबा जरूर है पर उस का दिल चूहे जैसा है…अब तो तुझे ही उस का ध्यान रखना होगा, मर्लिन.’’

मौम की हालत बिगड़ती देख अकेली पड़ गई मिली ने एक दिन घबरा कर चुपचाप भाई को फोन लगाया और उसे सबकुछ बता दिया.

आननफानन में जौन आ पहुंचा और फिर देखते ही देखते सबकुछ बीत गया. मौम चुपके से सबकुछ छोड़ कर इस दुनिया को अलविदा कह गईं.

उस रात मां के चेहरे पर और दिनों सी वेदना न थी. कैसी अलगअलग सी दिख रही थीं. मिली डर गई. वह समझ गई कि मौम को मुक्ति मिल गई है. मिली ने उन को छू कर देखा, वे जा चुकी थीं. मिली समझ ही न पाई कि वह हंसे या रोए. अंतस की इस ऊहापोह ने उसे बिलकुल ही भावशून्य बना दिया. हृदय का हाहाकार कहीं भीतर ही दब कर रह गया.

लोगों का आनाजाना, अंतिम कर्म, चर्च सर्विस, मिली जैसे सबकुछ धुएं की दीवार के पार से देख रही थी. होतेहोते सबकुछ हो गया. फिर धीरेधीरे धुंधलका छंटने लगा. कोहरा भी कटने लगा. मिली की भावनाएं पलटीं तो मां के बिना घर बिलकुल ही सूना लगने लगा था.

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कुछ ही दिन के बाद डैड अपनी एक महिला मित्र के साथ कनाडा चले गए. जैसे जो हुआ उन्हें बस, उसी का इंतजार था.

सत्र समाप्ति पर था. मिली नियमित स्कूल जाती और मेहनत से पढ़ाई करती पर एक धुकधुकी थी जो हरदम उस के साथसाथ चलती. अब तो जौन भी चला जाएगा, फिर कैसे रहेगी वह अकेली इस सांयसांय करते सन्नाटे भरे घर में.

मौम क्या गईं अपने साथसाथ उस का सपना भी लेती गईं. सपना अपने देश जा कर अपने शहर कोलकाता देखने का था. सपना अपनी फरीदा अम्मां से मिल आने का था. टूट चुकी थी मिली की आस. अब कोई नहीं करेगा इंडिया जाने की बात. काश, एक बार, सिर्फ एक बार वह अपना देश और कोलकाता देख पाती.

स्कूल का सत्र समाप्त होने पर जौन उसे अपने साथ ले जाने की बात कर रहा था. अब वह कैसे उस से कहे कि मुझे इंडिया ले चलो. देश दिखा लाओ.

मौम के जाने पर ही भाईबहन ने जाना कि वह बिन बोले, बिन कहे कितना कुछ सहेजेसंभाले रहती थीं. अब वह चाहे जितना कुछ करते, कुछ न कुछ काम रह ही जाता.

उस दिन जौन मां के कागज सहेजनेसंभालने में व्यस्त था. बैंक पेपर, वसीयत, रसीदें, टैक्स पेपर तथा और भी न जाने क्या क्या. इतने सारे तामझाम के बीच जौन एकदम से बोल पड़ा, ‘‘मर्लिन, इंडिया चलोगी?’’

मिली हैरान, क्या कहती? ओज के अतिरेक में उस की आवाज ही गुम हो गई और आंखों में आ गया अविश्वास और आश्चर्य.

‘‘यह देखो मर्लिन, मौम तुम्हारे भारत जाने का इंतजाम कर के गई हैं, पासपोर्ट, टिकट, वीसा और मुझे एक चिट्ठी भी, छुट्टियां शुरू होते ही बहन को इंडिया घुमा लाओ…और यह चिट्ठी तुम्हारे लिए.’’

मिली ने कांपते हाथों से लिफाफा पकड़ा और धड़कते दिल से पत्र पढ़ना शुरू किया:

‘‘प्यारी बेटी, मर्लिन,

कितना कुछ कहना चाहती हूं पर अब जब कलम उठाई है तो भाव जैसे पकड़ में ही नहीं आ रहे. कहां से शुरू करूं और कैसे, कुछ भी समझ नहीं पा रही हूं्. कुछ भावनाएं होती भी हैं बहुत सूक्ष्म, वाणी वर्णन से परे, मात्र मन से महसूस करने के लिए. कैसेकैसे सपनों और अरमानों से तुम्हें बेटी बना कर भारत से लाई थी कि यह करूंगी…वह करूंगी पर कितना कुछ अधूरा ही रह गया… समय जैसे यों ही सरक गया.

कभीकभी परिस्थितियां इनसान को कितना बौना बना देती हैं. मनुष्य सोचता कुछ है और होता कुछ है. फिर भी हम सोचते हैं, समय से सब ठीक हो जाएगा पर समय भी साथ न दे तो?

मैं तुम्हारी दोषी हूं मर्लिन. तुम्हें तुम्हारी जड़ों से उखाड़ लाई…तुम्हारी उमर देखते हुए साफ समझ रही थी कि तुम्हें बहलाना, अपनाना कठिन होगा पर क्या करती, स्वार्थी मन ने दिमाग की एक न सुनी. दिल तुम्हें देखते ही बोला, तुम मेरी हो सिर्फ मेरी. तब सोचा था तुम्हें तुम्हारे देश ले जाती रहूंगी और उन लोगों से मिलवाती रहूंगी जो तुम्हारे अपने हैं. पर जो चाहा कभी कर न पाई. तुम्हारे 18वें जन्मदिन का यह उपहार है मेरी ओर से. तुम भाई के साथ भारत जाओ और घूम आओ…अपनी जननी जन्मभूमि से मिल आओ. मैं साथ न हो कर भी सदा तुम्हारे साथ चलूंगी. तुम दोनों मेरे ही तो अंश हो. ऐसी संतान भी सौभाग्य से ही मिलती है. जीवन के बाद भी यदि कोई जीवन है तो मेरी कामना यही रहेगी कि मैं बारबार तुम दोनों को ही पाऊं. अगली बार तुम मेरी कोख में ही आना ताकि फिर तुम्हें कहीं से उखाड़ कर लाने की दोषी न रहूं.

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तुम पढ़ोलिखो, आगे बढ़ो, यशस्वी बनो, अपने लिए अच्छा साथी चुनो. घरगृहस्थी का आनंद उठाओ, परिवार का उत्सव मनाओ. तुम्हारे सारे सुख अब मैं तुम्हारी आंखों से ही तो देखूंगी. इति…

मंगलकामनाओं के साथ तुम्हारी मौम.’’

मौम बिन बताए उस के लिए कितना कुछ कर गई थीं. उसे घर, धनसंपत्ति और सब से ऊपर जौन जैसा प्यारा भाई दे गई थीं.

मौम की अंतिम इच्छा को कार्यरूप देने में जौन ने भी कोई कोरकसर न छोड़ी.

स्कूल का सत्र समाप्त होते ही रोमांच से छलकती मिली हवाई यात्रा कर रही थी. जहाज में बैठी मिली को लग रहा था कि बचपन जैसे बांहें पसारे खड़ा हो. गुजरा, भूला समय किसी चलचित्र की तरह उस की आंखों के सामने चल रहा था.

पिछवाड़े का वह बूढ़ा बरगद जिस की लंबी जटाओं से लटक कर वह हमउम्र बच्चों के साथ झूले झूलती थी, और वेणु मौसी देख लेती तो बस, छड़ी ले कर पीछे ही पड़ जाती. बच्चों में भगदड़ मच जाती. गिरतेपड़ते बच्चे इधरउधर तितरबितर हो जाते पर मौसी का कोसना देर तक जारी रहता.

विमान ने कोलकाता शहर की धरती को छुआ तो मिली का मन आकाश की अनंत ऊंचाइयों में उड़ चला.

बाहर चटकचमकीली धूप पसरी पड़ी थी. विदेशी आंखों को चौंध सी लगी. बाहर निकलने से पहले काले चश्मे चढ़ गए. चौडे़ हैट लग गए. पर मान से भरी मिली यों ही बाहर निकल गई मानो कह रही हो कि अरे, धूप का क्या डर? यह तो मेरी अपनी है.

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‘सब सतरंगी’ एक्टर मोहित कुमार ने कही लाइफ पार्टनर को लेकर ये बात

हरियाणा के मोहित कुमार को लगता था कि फिल्मों में अभिनय करना आसान है, उन्हें इस बारें में कोई जानकारी नहीं थी,लेकिन मुंबई आने के बाद उन्हें पता चला कि एक्टिंग का काम बहुत मुश्किल से मिलता है. हरियाणा के भिवानी से निकले और प्योर हरियाणवी बोलने वाले मोहित जब दिल्ली आये, तो विज्ञापनों में मॉडलिंग के कुछ काम मिले, इसके बाद जब उन्हें मुंबई एक्टिंग के लिए जाना पड़ा तो वे बहुत चिंतित थे , क्योंकि अच्छी हिंदी के बिना किसी भी शो में काम करना उनके लिए मुश्किल था, लेकिन उन्हें एक के बाद एक शो मिली और आज वे सोनी सब की शो ‘सब सतरंगी’ में मुख्य भूमिका निभा रहे है, ऐसे ही कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हुए उन्होंने गृहशोभा के लिए खास बात की, पेश है कुछ अंश.

सवाल – अभिनय की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब – मेरे परिवार से कोई भी इस फील्ड में नहीं है, मेरी माँ ममता रानी लेक्चरार है और पिता बीर सिंह पोसवाल व्यवसाय करते है. मेरी छोटी बहन रेनू पोसवाल मेडिकल की पढाई कर रही है. पिता चाहते थे कि मैं भी डॉक्टर बनूँ, मेरा एडमिशन भी हो गया था. मेरा घर हरियाणा के भिवानी में है, वहां रहकर कभी भी अभिनय करने के बारें में सोचना संभव नहीं था. मैं ऐसे ही दिल्ली घूमने आया और यहाँ आने पर कुछ जगहों पर एक्टिंग की ऑडिशन दिया, पर कहीं नहीं हुआ, क्योंकि न तो मुझे अच्छी हिंदी में बात करनी आती थी और न ही एक्टिंग आती थी. मैंने खुद को थोडा चेंज किया, एक साल तक मॉडलिंग किया और मुझे एक्टिंग का मौका भी मिला. मैं साल 2018 में मुंबई आया था, पर मैंने अभिनय के बारें में कभी सोचा नहीं था. मुझे मॉडलिंग करते हुए मज़ा आता था, मैंने एक दिन पिता से अपने मन की बात कही, उन्होंने झट स्वीकार कर लिया और मेरा कैरियर शुरू हो गया. मुझे पहली शोएक दूजे के वास्ते 2 मिली. इसके बाद टीवी शो ‘सब अतरंगी’ में मुख्य भूमिका मिली.

सवाल – जब पिता से पहली बार अभिनय की बात की तो उनका रिएक्शन कैसा था?

जवाब – पढाई करने के बाद जब मैं दिल्ली घूमने गया था तो मुझे अंदर से एक फीलिंग आ रही थी कि मुझे अभिनय करना है, लेकिन मुंबई आने के बाद काम मिलता गया, मॉडलिंग करता था, इसलिए सब मुझे जानते थे, अधिक संघर्ष नहीं करना पड़ा.

सवाल – सब सतरंगी शो की खास बात क्या है, जिससे आप आकर्षित हुए?

जवाब – मुझे जब इस भूमिका के लिए प्रोडक्शन हाउस ने बुलाया गया और कहानी सुनने के बाद लगा कि ये कठिन भूमिका है और मुझसे नहीं हो पायेगा, क्योंकि तैयारी का कोई समय नही था और मैं रियल लाइफ में ऐसा नहीं हं. बाकी सब चरित्र की कास्टिंग हो चुकी थी, मैं अंतिम था. फिर उन्होंने मुझे एक्टिंग की सभी बातें और बॉडी लैंग्वेज समझाया, इससे मुझे कुछ अच्छा लगा. असल में ये कहानी मेरे किसी भी किरदार से अलग था. पहले मैंने हीरो की भूमिका निभाई थी. इसमें मेरी भूमिका एक आम इंसान की तरह है, वह कहानी की केंद्र है, लेकिन हीरों जैसा नहीं दिखना है. इसलिए मुझे ये कहानी अलग दिखी.

सवाल – इसमें लखनवी भाषा का अधिक प्रयोग है, आपने इसे कैसे तैयार किया?

जवाब – ये सही है कि मैं हरियाणा का हं और हरियाणवी बोलता हं. इसके अलावा मुझे खुद को तैयार करने के लिए समय नहीं था. इसेबोलने का ढंग को पकड़ना मुश्किल हो रहा था. मैं कोशिश करने के बाद इसके लहज़े को अब पकड़ पाया हं. निर्माता सौरभ तिवारी ने मुझे बहुत सहायता की, क्योंकि वे भी लखनऊ के है. शो में धीरे और नार्मल पिच में बात करना पड़ता है. मैं बहुत जल्दी-जल्दी बात करता हं, लेकिन इस शो में मुझे धीरे बोलना पड़ा.

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सवाल – इससे पहले आपने कौन सी शो की है?

जवाब – मैंने एक दूजे के के वास्ते 2 शो किया था,

सवाल – लखनऊ की कौन सी बात आपको अच्छी लगी, जिसे आप डेली लाइफ में प्रयोग करना  है?

जवाब – सबसे पहले ‘आप’ शब्द को प्रयोग करना सीखा, जबकि हरियाणा में तू , तेरा जैसे शब्दों से संबोधन किया जाता है,पर इस शो में आप शब्द का प्रयोग करना था. इससे एक तहजीब आती है,जैसा मैं अब हमेशा ‘मेरा’ बोलता हं, लेकिन वहां ‘हम’ या ‘हमारे’ शब्द प्रयोग किये जाते है. इससे इज्जत अधिक बढती है और एक शिष्टता का परिचय मिलता है. इसका मेरे नार्मल जीवन पर भी पड़ा है. मैं चरित्र में जाकर सब सीख रहा हं और अब हिंदी भी अच्छी आ गई है.

सवाल –क्या आप फिटनेस फ्रीक है?

जवाब – जब मैं मॉडलिंग करता था, तब मुझे बॉडी बनाने के लिए काम करना पड़ता था, लेकिन अब समय नहीं बचता. समय मिलने पर थोडा कुछ कर लेता हं.

सवाल – क्या फिल्मों या वेब सीरीज में आने की इच्छा है

जवाब– मुझे रियल लाइफ स्टोरी की मूवी में काम करना है.

सवाल – रियल लाइफ में आप कैसे है?

जवाब –  एकदम उल्टा हं,क्योंकि इस शो में मेरा चरित्र बिल्कुल इंनोसेंट दिखाया जा रहा है, पर मैं शांत नहीं, बल्कि बहुत आउट स्पोकेन हं. मैं एक्शन और कट के बीच में रहता हं, जैसे ही कट होता है, मैं अपने ओरिजिनल रूप में होता हं. मुझे मौज-मस्ती करना पसंद है. यहाँ भी सेट पर कर रहा हं. मैंने कभी एक्टिंग क्लास नहीं की है, पर अपनी भूमिका पर मेहनत करता हं.

सवाल – आपकी बातों से लगता है कि अभिनय का मिलना आसान है, इसलिए हर दिन कुछ बच्चे मुंबई एक्टिंग के लिए आ जाते है, आप इस बारें में यूथ को क्या कहना चाहेंगे?

जवाब – ये सही है कि यहाँ हजारों की संख्या में लोग आते है और मेरे साथ भी कई दोस्त आये थे, लेकिन एक दो साल तक कुछ न मिलने से वे वापस चले गए, ये लक बाय चांस वाली बात होती है, क्योंकि मुंबई में बाहर से आने वाले सारे लड़के हैंड्सम है,हर दूसरे लड़के को 6 पैक है, वे एक्टिंग की ट्रेनिंग भी ले रहे है, पर काम नहीं मिल पाता, वजह समझना मुश्किल होता है. मेरे हिसाब से आप अधिक फ्रस्ट्रेड न हो, धैर्य रखे, तभी कुछ संभव हो सकता है. मैंने मन में ठान लिया था कि एक्टिंग करूँगा, लेकिन मॉडलिंग को नहीं छोड़ा था, इसलिए वित्तीय रूप से समस्या नहीं आई.

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सवाल –क्या सफलता का कोई मूल मन्त्र है?

जवाब –मेहनत करना,कोशिश करना और धैर्य रखना.

सवाल – आपके सपनों की राजकुमारी कैसी हो?

जवाब –(हँसते हुए) एक इमोशनल बोन्डिंग जिसके साथ हो, तो मेरे सपनों की राजकुमारी हो सकती है.ये कहीं भी कभी भी मिल सकती है, लेकिन अब तक नहीं मिली है.

Nimki Mukhiya बनीं दुल्हन, देखें वेडिंग फोटोज

बीते दिनों कई टीवी एक्ट्रेसेस ने शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया, जिनमें मौनी रौय और अंकिता लोखंडे जैसी पौपुलर एक्ट्रेसेस का नाम शामिल हैं. वहीं अब इस लिस्ट में निमकी मुखिया Nimki Mukhiya की एक्ट्रेस का नाम भी शामिल हो गया है. दरअसल, सीरियल ‘निमकी मुखिया’ से फैंस का दिल जीतने वाली एक्ट्रेस भूमिका गुरुंग (Bhumika Gurung) ने शादी कर ली है. आइए आपको दिखाते हैं शादी की फोटो की झलक…

दुल्हन बनीं निमकी मुखिया

 

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हाल ही में पंजाबी रीति रिवाज से एक्ट्रेस भूमिका ने माही विज (Mahhi Vij) के कजिन भाई शेखर मल्होत्रा  (Shekhar Malhotra) संग गुरुद्वारे में फेरे शादी कर ली है. वहीं दोनों की शादी की फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसके बाद सेलेब्स और फैंस उन्हें बधाई देते हुए नजर आ रहे हैं.

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ऐसा था एक्ट्रेस का वेडिंग लुक

 

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एक्ट्रेस भूमिका गुरुंग (Bhumika Gurung) के शादी लुक की बात करें तो गुरुद्वारे में वह ग्रीन जोड़ा पहने नजर आईं. वहीं ब्राइडल लुक को मैच करते हुए उनके हस्बैंड शेखर भी मैचिंग शेरवानी में दिखे. वहीं इस दौरान एक्ट्रेस माही विज भी भाई की शादी में अपने लुक से फैंस को दिवाना बनाती नजर आईं.

शादी की रस्मों में मस्ती करती दिखीं माही विज

कजन ब्रदर शेखर मल्होत्रा की वेडिंग में एक्ट्रेस माही विज बेटी तारी संग मस्ती करती हुई नजर आईं. वहीं शादी से जुड़ी रस्मों की फोटोज और वीडियो भी फैंस के साथ शेयर की. वहीं इस दौरान वह बेटी तारा संग भी फोटोज खिचवातीं हुई नजर आईं.

बता दें, एक्ट्रेस भूमिका गुरंग सीरियल निमकी मुखिया से घर-घर में पहचान बना चुकी हैं. वहीं इसके अलावा वह कई सीरियल और म्यूजिक वीडियो में भी नजर आ चुकी हैं. हालांकि अब देखना होगा कि वह शादी के बाद कैसे फैंस को एंटरटेन करती हुई नजर आती हैं.

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