5 टिप्स: मौर्निंग एक्सरसाइज करना न भूलें

आज की भागती दौड़ती और अस्वस्थ जीवनशैली को अगर व्यवस्थित करना चाहते हैं तो सुबह-सुबह एक्सरसाइज करें. आपको तमाम बीमारियों से सुरक्षा तो मिलेगी ही  साथ ही साथ आपकी बौडी फिटनेस भी मेंटेन रहेगी. जिन लोगों के पास जिम जाने का टाइम नहीं  और वो अपने बॉडी की फिटनेस बनाए रखना चाहते हैं, तो  आज हम उनके लिए कुछ ऐसी एक्सरसाइज  बताने जा रहे हैं, जिन्हें करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं लगेगा और  लाभ जिम में घंटों पसीना बहाकर मिलने वाले लाभ के बराबर होगा.

1. स्केट्स करें ट्राय

अपनी हार्टबीट, ब्लड सरकुलेशन और मेटाबॉलिज्म को बेहतर करने के लिए यह एक्सरसाइज बेस्ट है.  इस व्यायाम को करने के लिए सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं. अब अपने दोनों पैरों को थोड़ा फैलाकर हाथों को सामने की तरफ करके थोड़ा झुकिए और फिर खड़े हो जाइए. यही क्रिया कम से कम दस बार दोहराइए.

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2. टहलना है जरूरी

अगर आप ब्लड प्रेशर, डायबिटीज या कोलेस्ट्रौल के पेशेंट है, तो आपके लिए रोज सुबह उठने के बाद तेज कदमों वाली चाल से चलना, यानी स्पीड वॉक करना फायदेमंद है. टहलने से केवल आपमें सक्रियता ही नहीं आती भोजन करने के बाद हमें जो आलस महसूस होता है, उससे भी निजात मिलती है.

3. रस्सी कूदना

अगर आप पूरे शरीर की एक अच्छी कसरत जानना चाहते हैं तो रस्सी कूदनाा सबसे वेदर और स्वास्थ्यवर्धक एक्सरसाइज है रोजाना 20 मिनट रस्सी कूदने से लगभग 200 कैलोरी तक बर्न की जा सकती है. इससे पूरे शरीर में ब्लड सरकुलेशन दुरूस्त होता है. अगर आप रस्सी नहीं कूदना चाहते तो आप एक ही जगह पर कई बार उछलकर भी यह व्यायाम कर सकते हैं.

4. साइकिल चलाना

साइकिलिंग भी अपने आप में पूरे शरीर का व्यायाम है इससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं और ब्लड सरकुलेशन सुचारू रूप से होता है. इससे  मांसपेशियां मजबूत होती हैं, और शरीर की ऊर्जा बढ़ती है. तेजी से वजन  कम करने में सहायक  है. कम दूरी वाली जगह पर साइकिल से जाना स्वास्थ्यवर्धक और पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छा है.

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5. इन बातों का भी रखें ध्यान

स्किन को खूबसूरत और जवान बनाए रखने में सबसे प्रभावकारी उपाय एक्सरसाइज ही है. क्योंकि करने  रक्तसंचार तेज होता है, जिससे स्किन पर तेज और चमक बढ़ जाती है, और स्किन स्वस्थ व जवां नजर आती है. साथ ही नियमित एक्सरसाइज से रक्त में कोलेस्ट्रौल के स्तर कम होता है .कसरत हानिकारक कोलेस्ट्रौल को कम कर एचडीएल कोलेस्ट्रौल या गुड कोलेस्ट्रौल को बढ़ाने में मदद करती है. इससे हृदय अधि‍क मात्रा में ब्लड पंप करता है, और हम अधि‍क मात्रा में औक्सीजन ले पाते हैं.

शाम के वक्त करेंगी ये वर्कआउट तो हमेशा रहेंगी फिट

कामकाजी लोगों के लिए सुबह-सुबह वर्कआउट करना या जिम जाना थोड़ा परेशानी का कारण होता है. क्‍या आपने कभी सोचा है कि शाम के समय वर्कआउट करने के भी कुछ फायदे हो सकते हैं? इसलिए हम लाए हैं आपके लिए कुछ कसरतें जिन्हें आप शाम के समय भी आसानी से कर सकते हैं और इनको करने से उतना ही लाभ मिलेगा जितना सुबह की कसरत से मिलता है. असल में शाम के समय बौडी पहले से ही वार्मअप होती है और औफिस जाने की टेंशन भी नहीं रहती. इसलिए शाम को कसरत करने से अच्छी नींद आती है और स्ट्रेस दूर होता है.और सबसे बड़ी बात कि यह आपका अपना समय है आप इसमें आसानी से वर्कआउट कर सकते हैं. आइए जानते हैं शाम को की जा सकने वाली एक्सरसाइज के बारे में–

1. बौल एक्सरसाइज

नाम जरूर फनी है लेकिन फायदे बहुत हैं. इस एक्सरसाइज से बेली फैट कम  होता है. इसे करने के लिए जमीन पर पीठ के बल  सीधा लेट कर एक्सरसाइज वाली बौल को हाथों में लेकर अपने दोनों पैरों को ऊपर उठाएं. इसके बाद अपने हाथों से बौल को अपने पैरों में पकड़ाएं . फिर पैरों को नीचे ले जाकर दुबारा बौल को लेकर ऊपर आएं. और बाल को दुबारा हाथों में पकाड़ाएं. इस प्रक्रिया को लगातार 10 से 12 बार करना फायदेमंद है.

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2. क्लासिक एक्सरसाइज है अच्छा औप्शन

अगर पेट की मसल्स में कसाव और उसको टोन करना चाहते हैं तो  स्टेबिलिटी बौल एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. बौल को कमर के नीचे रखें. हाथ और कोहनी से टिके रहने के लिए सपोर्ट बनाए रखें. अब पैर की अंगुलियों को थोड़ा खींचे और कमर से नीचे वाले भाग को जमीन की तरफ ले जाएं. बौडी को को इस आकार में लाएं कि बौडी सिर से लेकर एड़ी तक लाइन में आ जाए. इस स्थिति में तीस से साठ सेकंड तक बनी रहें. अब इस एक्सरसाइज को दायीं और बाई तरफ भी दोहराएं.

3. फ्लैट बैली क्रंच एक्सरसाइज

क्रंच एक बेहतरीन एक्सरसाइज है फ्लैट बैली के लिए इस क्रम को अपनाकर आसानी से पेट की चर्बी को कम किया जा सकता है, लेकिन इसके साथ आपको कार्डियो एक्सरसाइज जरूर करनी चाहिए. साथ ही ज्यादातर जिम में कैप्टन्स चेयर होती है. इसका इस्तेमाल करें. रोज 12-16 रिपीटेशन के 1-2 सेट करें. बहुत जल्द असर नजर आने लगेगा.

4. कसरत छोड़ने के नुकसान

मांसपेशियों की शक्ति कम होने लगती है लचीलापन भी घटने लगता है साथ ही बौडी की फिटनेस पर भी प्रभाव पड़ता है और पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है.

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5. जरूरी बात का रखें ध्यान

भोजन के तुरंत बाद किसी भी प्रकार की कसरत ना करें. अगर आप की तबीयत सही नहीं है ,आप को बुखार है या जोड़ों में दर्द है या गठिया की कोई प्रौब्लम है, तब भी आपको कसरत नहीं करनी चाहिए. कसरत करते समय पंखा हल्का या बंद होना चाहिए.

6 टिप्स: औफिस में ऐसे करें वर्कआउट

डेली बिजी लाइफस्टाइल में काम का बहुत प्रैशर रहता है, पहले घर का काम फिर औफिस का. कभी-कभी तो इतनी थकान महसूस होती है कि औफिस में काम के दौरान झपकियां आने लगती हैं. ऐसी बहुत सी महिलाएं हैं, जो दोपहर आते-आते अपना एनर्जी लैवल खोने लगती हैं. ऐसे में जरूरी है कि आप कौफी पीने के बजाय कुछ वर्कआउट करें. आप तुरंत ही असर देखेंगी, क्योंकि एक्सरसाइज आप को तुरंत एनर्जी देती है और आप की सुस्ती गायब हो जाती है. आइए, जानें कुछ एक्सरसाइज के बारे में, जिन्हें आप औफिस में कामकाज के दौरान भी कर सकती हैं.

1. स्ट्रेंथ मूव्स है जरूरी

कुरसी के पहियों के साथ बैठे-बैठे ही अपनी अपर बौडी को घुमाएं. चेयर को पीछे ले जाएं और दोनों हाथों से डैस्क को पकड़ें. ध्यान रखें कि उंगलियां डैस्क पर ही रहें और अंगूठा नीचे की ओर. अब पैरों को फर्श से ऊपर उठाएं. चेयर को पीछे ले जाएं, सिर दोनों हाथों के बीच हो और नजरें जमीन पर. इसे 15 बार दोहराएं.

2. डेस्क पुशअप करना है जरूरी

खड़ी हों और दोनों हाथों को चौड़ाई में फैलाते हुए डैस्क पर रखें. पैरों को पीछे की ओर ले जाते हुए पुशअप पोजिशन बनाएं. बांहें सीधी रखें. अब दोनों हाथों को कुहनियों तक मोड़ें और डैस्क तक झुकते हुए धीरेधीरे सीने तक लाएं. 2 सेकंड रुकें. यह प्रक्रिया 10-12 बार दोहराएं.

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3. चेयर ट्विस्ट करें जरूर

कुरसी पर सीधी बैठें, बाएं पैर को दाहिने पैर से क्रौस करें. गहरी सांस लें और छोड़ें. अब आराम से कमर को जितना हो सके पीछे की ओर घुमाएं, हिप्स को न मोड़ें. हाथों को सीट के पिछले हिस्से पर रखते हुए बौडी को स्ट्रैच करने की कोशिश करें. 10 सेकंड रुकें, अब इसी प्रक्रिया को दूसरी तरफ से करें. इसे 10-15 बार दोहराएं.

4. स्टेअर्स का करें इस्तेमाल

यदि आप का आफिस तीसरी या चौथी मंजिल पर है तो अच्छी बात है. ऊपर तक पहुंचने के लिए लिफ्ट की जगह सीढि़यों का इस्तेमाल करें. यह आप की हार्ट पंपिंग की क्षमता में वृद्धि करेगा. दूसरों से प्रतिस्पर्धा रखते हुए उन से पहले पहुंचने की कोशिश करें.

5. बौडी को सीधा रखना न भूलें

खड़ी हों और घुटनों को थोड़ा सा मोड़ लें. हाथों की उंगलियों को आपस में बांधते हुए सामने की ओर कंधे के समानांतर लाएं. अब हथेलियों को खुद से दूर करते हुए हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं, बौडी को ऊपर की ओर खींचने की कोशिश करें. 15 सेकंड रुकें, फिर छोड़ दें.

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6. चेयर एरोबिक्स है बे्स्ट औप्शन

यदि पूरे समय में आप को आफिस से बाहर जाने को नहीं मिलता है तो चेयर ऐरोबिक्स करें. सीधी खड़ी हों, दोनों हाथों को ऊपर उठाते हुए कमर को दोनों तरफ जितना हो सके, घुमाने की कोशिश करें. अपनी जगह पर खड़ी हो कर जौगिंग करें. यदि सहकर्मियों का ध्यान भंग हो रहा है तो शूज उतार दें.

जानें क्या है लिपोसक्शन, जिससे मिलेगी स्लिम बौडी

लिपोसक्शन प्रक्रिया में शरीर के आकार को सुधारने के लिए वसा के जमाव को निकाला जाता है, जिसे डाइट और एक्सरसाइज से कम नहीं किया जाता सकता. यह सर्जरी आमतौर पर नितंबों, पेट, जांघें और चेहरे पर की जाती है. लिपोसक्शन के द्वारा केवल वसा निकाली जाती है सैल्युलाइट नहीं. यह सर्जरी एनेस्थीसिया दे कर की जाती है. सर्जन छोटा कट लगा कर उस में सक्शन पंप या एक बड़ी सीरिंज डाल कर अतिरिक्त वसा निकाल लेता है. इस में कितना समय लगेगा यह इस पर निर्भर करता है कि कितनी वसा निकाली जानी है.

लिपोसक्शन के प्रकार

लिपोसक्शन की कई अलगअलग तकनीकें हैं, जिन में 2 सब से प्रचलित हैं:

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ट्युमेसैंट लिपोसक्शन

इस तकनीक में शरीर के वसा वाले क्षेत्रों में सर्जरी से पहले एक घोल डाला जाता है, जिस से वसा निकालने में आसानी होती है. इस से रक्तस्राव कम होता है और सर्जरी के पहले और बाद में दर्द कम करने में मदद मिलती है.

अल्ट्रासाउंड असिस्टेड लिपोसक्शन

अल्ट्रासाउंड असिस्टेड लिपोसक्शन में वसा को तरल करने के लिए अल्ट्रासोनिक ऊर्जा का उपयोग किया जाता है. ठोस वसा की तुलना में तरल वसा को निकालना आसान होता है. यह प्रक्रिया दर्दरहित है और सर्जरी के बाद भी बहुत कम लोगों को दर्द की शिकायत रहती है. लगभग 40% लोगों को तो किसी भी दर्दनिवारक दवा की आवश्यकता नहीं पड़ती.

बैरिएट्रिक सर्जरी और लाइपोसक्शन में अंतर

लाइपोसक्शन बौडी कंटूरिंग सर्जरी है. यह न केवल भार कम करने वाली सर्जरी है, बल्कि शरीर को आकार देने के लिए की जाती है. यह कौस्मैटिक सर्जरी है, इसलिए इस के बैरिएट्रिक सर्जरी जैसे स्वास्थ्य लाभ नहीं हैं. लाइपोसक्शन के द्वारा शरीर के विभिन्न भागों से वसा निकाली जाती है.

बैरिएट्रिक सर्जरी को मैटाबोलिक सर्जरी भी कहते हैं. इस का उद्देश्य केवल मोटापा कम करना ही नहीं, बल्कि संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधारना और जीवनकाल बढ़ाना भी होता है. यह सर्जरी लैप्रोस्कोपिक तकनीक के द्वारा की जाती है. इस में आंत को छोटा कर दिया जाता है या उस का मार्ग बदल दिया जाता है, जिस से सर्जरी कराने के बाद भूख कम लगती है, व्यक्ति कम खाता है, जिस से वजन कम करने में सहायता मिलती है. यह सर्जरी कराने का सुझाव उन लोगों को दिया जाता है, जिन का बीएमआई 40 से अधिक होता है, जो 5 या उस से अधिक वर्ष से मोटे हैं और जिन की उम्र 18 से 65 वर्ष के बीच है. बैरिएट्रिक सर्जरी में एक बार में शरीर के कुल भार से 10% से अधिक वसा नहीं निकाली जानी चाहिए वरना यह घातक हो सकता है.

लिपोसक्शन के लिए कोई आयुसीमा निर्धारित नहीं है. 60 वर्ष की आयु के लोगों में भी इस के अच्छे परिणाम मिले हैं. दोनों ही सर्जरियां पेशेवर डाक्टर से ही कराएं.

कब जरूरी है लाइपोसक्शन

– गर्भावस्था के बाद शरीर को सही आकार देने के लिए.

– बेनिग्न फैटी ट्यूमर्स को ठीक करने के लिए.

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– उन जगहों जैसे ठुड्डी, गरदन और चेहरे से वसा को कम करना जहां से वसा निकालना कठिन हो.

– बगल से अत्यधिक पसीना निकलने की समस्या से पीडि़त लोगों के उपचार के लिए.

– शरीर के कुछ निश्चित अंगों का आकार कम करने के लिए.

– सुडौल टमी के लिए.

रिस्क फैक्टर्स

सभी सर्जरियों में कोई न कोई रिस्क होता है. लिपोसक्शन को अगर विशेषरूप से प्रशिक्षित कौस्मैटिक सर्जन से कराया जाए तो इस के अच्छे परिणाम मिलते हैं और रिस्क न्यूनतम होता है. अधिकतर लोग सर्जरी के 2 सप्ताह बाद अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकते हैं. फिर भी इस से जुड़े कुछ रिस्क निम्न हैं:

– आमतौर पर लिपोसक्शन में सब से बड़ा खतरा संक्रमण का होता है.

– कुछ सप्ताह तक, सूजन और दर्द हो सकता है.

– स्किन का खुरदुरा हो जाना, उस का लचीलापन कम हो जाना.

– स्किन के नीचे अस्थाई पौकेट्स जिन्हें सेरोमास कहा जाता है में फ्लूड का जमा हो जाना, जिसे नीडल से निकाला जाता है.

– प्रभावित क्षेत्र में स्थाई या अस्थाई सुन्नपन.

– स्किन के संक्रमण के मामले बहुत कम देखे जाते हैं, लेकिन गंभीर स्किन संक्रमण के कारण मृत्यु भी हो सकती है.

– वसा के लूज टुकड़े रक्त नलिकाओं में फंस जाते हैं और फेफड़ों में इकट्ठे हो जाते हैं या मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं, इसे फैट ऐंबोलिज्म कहते हैं जो एक चिकित्सीय आपात स्थिति है.

– किडनी और हृदय की समस्याएं.

– स्किन का ऊंचानीचा और बदरंग हो जाना.

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इन बातों का रखें ध्यान

डाक्टर आप को सर्जरी के लिए तैयार करने के लिए सही खानपान, अलकोहल का सेवन कम करने, कुछ विटामिनों का सेवन करने या न करने की सलाह देंगे:

– अपने डाक्टर से अपने लक्ष्य, औप्शन, रिस्क और लाभ के बारे में चर्चा करें.

– लिपोसक्शन कराने के बाद आप उसी दिन घर जा सकते हैं. हां, अगर अधिक मात्रा में वसा निकाली गई है तो आप को 1-2 दिन अस्पताल में रुकना पड़ सकता है.

– अगर सर्जन आप के शरीर की बड़ी सतह पर कार्य करता है या एक ही औपरेशन में कई प्रक्रियाएं करता है तो जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है.

– जिन लोगों में वसा के बजाय सैल्युलाइट का जमाव हो उन्हें लिपोसक्शन नहीं कराना चाहिए, क्योंकि उपचार कराए गए स्थान की स्किन पर अनियमितताएं विकसित हो सकती हैं.

– हालांकि उम्र इस में एक महत्त्वपूर्ण कारक नहीं है, लेकिन चूंकि उम्र बढ़ने के साथ स्किन का लचीलापन कम हो जाता है, इसलिए अधिक उम्र के लोगों को लिपोसक्शन के द्वारा उतने अच्छे परिणाम नहीं मिल सकते जितने युवा लोगों को मिलते हैं, क्योंकि उन की स्किन टाइट होती है.

लिपोसक्शन से रहें ये दूर

– 18 वर्ष से कम उम्र के लोग.

– गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं.

– ऐसी स्वास्थ्य समस्याओं से पीडि़त जिन के घाव भरने में समय लगता है.

– ऐसे लोग जो रक्त को पतला करने वाली दवा लेना बंद नहीं कर सकते.

ये लिपोसक्शन करवाएं

– जिन का वजन सामान्य से बहुत अधिक न हो.

– जिन की स्किन दृढ़ और लचीली हो.

– जिन का संपूर्ण स्वास्थ्य अच्छा हो.

– शरीर पर जगहजगह वसा का जमाव नजर आए.

-डा. लोकेश कुमार

एचओडी डाइरैक्टर, प्लास्टिक और कौस्मैटिक सर्जरी, बीएलके सुपरस्पैश्यलिटी हौस्पिटल, नई दिल्ली –   

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4 टिप्स: ऐसे घटाएं बैली फैट

बढ़ती कमर सेहत और फिगर दोनों को खराब करती है. बैली फैट के बढ़ने का कारण है कोर्टिसोल का असंतुलित होना. अगर आप के शरीर में कोई बीमारी होती है, तो यही हारमोन है जो बीमारी को और फिर आप के इम्यून सिस्टम को इतना बढ़ा देता है कि आप का शरीर उस बीमारी से लड़ कर उसे जड़ से खत्म कर सके. मगर जब आप स्टै्रस में होते हैं तो यही हारमोन आप के लिए मुसीबत बन जाता है. ज्यादा और लगातार स्ट्रैस लेने से कोर्टिसोल बहुत ज्यादा मात्रा में और ज्यादा समय के लिए रिलीज होने लगता है, जिस की वजह से बहुत सी बीमारियां तो होती ही हैं, साथ ही यह हारमोन फैट को भी बढ़ाने लगता है व शरीर के हिस्सों में फैट को जमाने लगता है, जिस की वजह से बैली फैट या वजन बढ़ता है. कोर्टिसोल को बैलेंस रखने के लिए आप को कार्डिओ एक्सरसाइज  करनी चाहिए और खानपान पर भी ध्यान देना चाहिए. इस से आप अपना बैली फैट कम कर पाएंगी और साथ ही वजन भी. पेश हैं, कुछ सुझाव जो बैली फैट कम करने में सहायक होंगे:

  1. अच्छी नींद है जरूरी

अच्छी नींद लेने से बढ़ा कोर्टिसोल लैवल बैलेंस होता है, क्योंकि उस समय शरीर और दिमाग दोनों ही आराम की अवस्था में होते हैं. अच्छी नींद का मतलब 8 से 12 घंटे की नींद नहीं. बस 6 घंटे की नींद पर्याप्त है, जिस में कि आप सोने से पहले मन में किसी भी तरह का विचार न करें, बस सोते समय सांस पर ध्यान देना है.

साउंड स्लीप का मतलब बीच में बारबार न उठना. एक बार सोएं तो सीधे 5-6 घंटे की नींद ले कर ही उठें. अच्छी नींद के लिए सोने से पहले कम से कम 3 घंटे पहले भोजन करें. हलका भोजन करें और सोने से 2-3 घंटे पहले पानी या कोई लिक्विड ड्रिंक न लें. सिर्फ सोते समय 2-3 घूंट पानी पीएं ताकि आप को रात को वाशरूम जाने के लिए उठना न पड़े. अगर आप इन आदतों को अपनाते हैं तो आप का कोर्टिसोल लैवल कम होने लगेगा और बैली फैट भी कम होने लगेगा.

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  1. मैट एक्सरसाइज क्रंचेज करें

रिवर्स क्रंच करने के लिए पीठ के बल लेट दोनों हाथों को सिर के नीचे रखें. अब बौडी के ऊपरी और निचले हिस्से को एकसाथ ऊपर उठाएं और कुछ देर रुकने के बाद वापस आएं. नीचे से ऊपर जाते वक्त सांस अंदर खीचें, फिर बाहर निकालें. क्रंचेज में ही और बहुत से वैरिएशंस हैं जैसे बाल क्रंच, 90 डिग्री लैग क्रंच, फिगर 4 क्रंच, इत्यादि. ये सभी एक्सरसाइज  हमारे लोअर, मेनली, मिडल और ऐब्स के फैट को कम करने के लिए बहुत ही इफैक्टिव हैं.

इतनी हो लैग रेंज

60 डिग्री लैग रेंज

इस एक्सरसाइज  को करने के लिए आप किसी समतल जगह मैट पर लेट जाएं और अपनी दोनों लैग्स को एकसाथ 60 डिग्री के ऐंगल में उठाएं. आप के दोनों हाथ साइड में हिप्स के पास होने चाहिए. लैग ऊपर की ओर लाते हुए सांस को बाहर छोड़ना है. लैग को सीधा ही रखना है. मतलब नी को मोड़ते हुए एक्सरसाइज नहीं करनी है.

साइड बैंडिंग एक्सरसाइज है बेस्ट

बेसिक साइड बैंड से आप की साइड्स का फैट तो जाता ही है, साथ ही यह आप के बैली फैट को भी कम करने में हैल्प करती है. इस एक्सरसाइज  को करने के लिए दोनों पैरों को शोल्डर लैंथ जितना ओपन कर लीजिए और दोनों हाथ साइड में ही रहें. आप हाथ में डंबल्स या वेट प्लेट्स भी ले सकती हैं. फिर राइट से लैफ्ट की तरफ आप को झुकना है, ध्यान रहे बौडी को सीधा ही रखना है.

  1. कार्डिओ एक्सरसाइज करना है जरूरी

सिर्फ मैट एक्सरसाइज  ही नहीं, साथ में कार्डिओ वर्कआउट करना भी जरूरी है. ये सभी एक्सरसाइज  अपने घर, रूम, जिम, पार्क में भी कर सकती हैं. इन्हें करने के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं होती. कार्डियो वर्कआउट में आप लो हाई ऐरोबिक्स, डांस फिटनैस, फंक्शनल टे्रनिंग, हाई इंटैंसिटी कार्डिओ वर्कआउट, सर्किट ट्रेनिंग, स्टैप ऐरोबिक्स इत्यादि शामिल कर सकती हैं.

हाई नीज

हाई नीज एक कार्डिओ वर्कआउट है. इस में आप को एक जगह पर खड़े रह कर बौडी को सीधा रख कर अपनी नीज को 90 डिग्री के ऐंगल में बना कर वन बाई वन ऊपरनीचे करना होता है. इस एक्सरसाइज  को आप स्लो से फास्ट मोशन और जंप कर के भी कर सकती हैं.

स्पौट रन

इस एक्सरसाइज  में किसी लंबे ट्रैक पर जा कर रनिंग करने की जरूरत नहीं है. आप को एक ही जगह खड़े हो कर अपने पैरों को वन बाई वन जल्दीजल्दी चलाना है और अपनी नीज को हलका सा बैंड और बौडी को भी हलका सा आगे की ओर झुकाना है ताकि टमी पर ज्यादा असर पड़े.

जंपिंग जैक्स

इस एक्सरसाइज  में आप को दोनों पैर मिला कर ताड़ासन की स्थिति में खड़ा होना है और फिर जंप करते हुए पैरों और हाथों को खोलना है पर शोल्डर लैंथ से थोड़ा बाहर की और खुलेंगे और हाथ ही सोल्डर्स या आप के सिर तक सीधे ऊपर जाएंगे. इसे लगातार करते रहना है.

  1. बैली फैट कम करने के लिए जरूरी है डाइट

बैली फैट को कम करने के लिए वर्कआउट के साथसाथ अपनी डाइट में भी बदलाव करना बहुत जरूरी है. बैली फैट को कम करने के लिए अपनी डाइट में प्रोटीन शामिल करें. प्रोटीन लेने से भूख कम लगती है और आप कुछ भी ऊटपटांग खाने से बचते हैं, क्योंकि जब भूख लगती है तो जो भी मिलता है हैल्दी या अनहैल्दी आप बिना सोचेसमझे खा लेते हैं, जिस की वजह से वजन और बैली या ओवरआल बौडी का फैट बढ़ता रहता है.

आप व्हे प्रोटीन ले सकती हैं, क्योंकि इस में बायोलौजिकल वैल्यू बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो हमारी बौडी में न्यूट्रिशंस को जल्दी औब्जर्व करती है. अपनी डाइट में नट्स और सीड्स शामिल करें. पनीर, टोफू, सोयाबीन चंक्स, खाने से लंबे समय तक पेट के भरे रहने से पेट की चरबी कम होती है.

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रौ वैजिटेबल्स ऐंड फ्रूट्स

खाने से आधा घंटा पहले रौ वैजिटेबल्स की प्लेट तैयार कर लें और पेट भर कर खाए, जिस में आप टमाटर, खीरा, ककड़ी, प्याज, गाजर, पुदीना, धनिया, नीबू इत्यादि ऐड कर सकती हैं. ऐसा करने से खाने में धीरेधीरे 1 रोटी खाना कम कर दें, जिस से आप ओवरईटिंग से बचेंगी हैं और बैली फैट कम होने लगेगा. आप सेब, अमरूद, तरबूज, पपीता, अनन्नास जरूर खाएं.

अपने बैली फैट को कम करने के लिए ब्रेकफास्ट जरूर करें, क्योंकि ब्रेकफास्ट करने से पूरे दिन की ऐनर्जी बनती है. आप अगर अच्छा ब्रेकफास्ट करते हैं मतलब हैल्दी जैसे पोहा, नट्स और सीड्स, रोटी और दाल, ब्रैड सैंडविच, मिल्क या जूस तो आप का पेट मौर्निंग में ही भरा रहता है और आप दिन में ओवरईटिंग से बचते हैं, जो बैली फैट को कम करने में मदद करता है. ब्रेकफास्ट करने से स्ट्रैस लैवल भी कम रहता है. फाइबर रिच फूड्स का इन्टेक बढ़ाना चाहिए.

– शक्ति- गुडवेज फिटनेस की फिटनेस एक्सपर्ट

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कार्डियो एक्सरसाइज से रखें खुद को फिट

आजकल की भाग-दौड़ वाली जिंदगी में खुद के लिए समय निकालना बहुत ही मुश्किल होता है. खासकर आप जब सोच रहे हो कि आपको एक्सरसाइज के लिए समय निकालना हो. इसीलिए आप जब कई बार योजना बनाते हैं रोजाना जिम जाकर जमकर वर्कआउट करने कि तो वो योजना कभी पूरी नही हो पाती और आप मायूस हो जाते है. लेकिन आज हम आपको कुछ ऐसे एक्सरसाइज के बारे में बताएंगे जिससे की आप घर बैठे अपने आपको फिट रख सकते हैं. ये सभी एक्सरसाइज आप घर बैठे बिना किसी मशीन के आसानी से कर सकते है. खुद को फिट रखने के साथ ही शरीर को मेनटेन करने के लिए कार्डियो एक्सरसाइज बेस्ट तरीका है. इसे करने से कैलोरी तो बर्न होती है साथ ही ये आपके मेटाबॉलिज्म में भी सुधार लाता है.

1. सबसे अच्छा है रनिंग करना

रनिंग शरीर को फिट रखने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है क्योंकि इससे किसी भी व्यक्ति का स्टैमिना अच्छा हो जाता है. इसके साथ ही रनिंग से पैरों की हड्डियों से जुड़ी परेशानीयों भी दूर होती है.

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2. रस्सी कूदना है अच्छा औप्शन

रस्सी कूदना कार्डियो का सबसे बेहतर तरीका माना जाता है. यह न सिर्फ आपके दिल की सेहत को मजबूत रखेगा बल्कि शरीर में खून के प्रवाह को भी सुधारेगा. इसके साथ ही रस्सी कूदने से पैरों को मजबूती मिलेगी और बैलेंस सुधरेगा.

3. एक्सरसाइज के लिए परफेक्ट है डांसिंग

ये खासकर उन लोगों के लिए है जिन्हें एक्सरसाइज करना बिल्कुल पसंद ना हो पर डांस करना अच्छा लगता हो. इसके लिए सिर्फ एक अपना मनपसंद गाना बजाए और जमकर एक या दो घंटे टे तक डांस करें. डांस करने से व्यक्ति का स्टैमिना बढ़ता है साथ ही ब्लड सर्कुलेशन सुधारने, मसल्स को मजबूत बनाने और लंग्स मजबूत करने में मदद मिलती है. डांस करने वाले व्यक्ति को दिल की बीमारी होने का कम खतरा होता है.

4. लंग्स की मजबूती के लिए साइकलिंग

कार्डियो के इस तरीके से लंग्स को मजबूती मिलती है और शरीर में बेहतर तरीकें से औक्सिजन जाती है. इके साथ ही साइकलिंग से पैरों के मसल्स मजबूत होते है जिससे उम्र के साथ पैरों में होने वाली कमजोरी की शिकायत नही होती.

5. सीढ़ियां चढ़ना-उतरना है अच्छी एक्सरसाइज

ये उन लोगों के लिए है जिन लोगों के पास कम समय होता है अपने लिए. इसे आप अपना काम करते बक्त भी कर सकते है साथ ही इसके लिए आपको बाहर जाने की जरूरत नही पड़ती. इससे आप घर में ही अगर सीढ़ियां है और अगर आप रोज इन्हें 15 से 20 मिनट चढ़ें या उतरें तो आपका वर्कआउट हो जाएगा.

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6. जंपिंग जैक करें ट्राय

जंपिंग जैक एक्सरसाइज करने से भारी मात्रा में कैलोरी बर्न होता है. साथ ही इसे करने से पेट और व्यक्ति के शरीर को सही शेप मिलती है.

7. बौडी को फ्रेश रखने के लिए बेस्ट है सूर्य नमस्कार

कार्डियो एक्सरसाइज में सूर्य नमस्कार को सबसे बेहतर माना जाए सेहत के लिए तो गलत नही होगा. यह अकेला ऐसा एक्सरसाइज है, जो पूरे शरीर को चुस्त-दुरस्त रखने में मदद करती है. ये कार्डियो के साथ-साथ योगा में भी सबसे बेहतर माना जाता है. इस योगासान में 12 प्रकार के एक्सरसाइज होते है, जिससे पूरे शरीर का एक्सरसाइज हो जाता है. अगर कोई व्यक्ति सूर्य नमस्कार आसान 25 मिनट तक कर लें तो उसे और दूसरी एक्सरसाइज करने की जरूरत नही होगी. इसे करने से पहले एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि इसे आप खाली पेट ही करें.

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खाने को ऐसे बनाएं हेल्दी

रैडी टु कुक स्नैक्स व भोजन का चलन आजकल काफी बढ़ गया है. ब्रेकफास्ट, स्नैक्स या किसी भी समय खाने वाले स्नैक्स की बात करें जैसे इडली, डोसा, बड़ा, उपमा, ढोकला, पकौड़ी, थेपला आदि के सील्ड पैकेट बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं. पैकेट पर लिखे निर्देशानुसार पानी या दही मिलाएं और मनचाहा स्नैक्स बना लें. इसी तरह पोरिज आदि बनाने के लिए ओट्स, कौर्नफ्लैक्स, म्यूसली आदि में दूध डाला और झटपट तैयार. कहने का मतलब है कि बाजार में मुख्यतया 2 प्रकार की चीजें उपलब्ध हैं. एक वे जिन में दूध या दही आदि मिला कर कुछ मिनट पकाने के बाद तैयार हो जाती हैं तो दूसरी वे जिन में दूध आदि मिलाया और खाने के लिए तैयार. आइए जानें, इन दोनों ही चीजों की पौष्टिकता कैसे बढ़ाएं:

मूंग भजिया आटा, थालीपीट आटा को अलग तरीके से करें इस्तेमाल

वैसे तो नाम के अनुसार मूंग भजिया आटा में प्याज, आलू डाल कर भजिए बनाए जाते हैं, पर ऐसी सब्जियां जैसे पालक, कटहल आदि जो घर में नहीं खाई जाती है उन्हें भी इस में डाल कर पकौड़े बनाएं, बोंडा बनाएं, भजिए के आटे से चीला बनाएं. कई सब्जियों को बारीक काट कर या पीस कर इस के घोल में मिलाएं. ऊपर से धनियापत्ती बुरकें. कद्दूकस किया पनीर डालें. बढि़या व पौष्टिक चीला तैयार है.

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यदि फ्राइड पकौड़े या बोंडा नहीं खाना है तो अप्पे बना लें. बहुत कम तेल में अप्पे तैयार हो जाएंगे. इसी तरह थालीपीठ के आटे में कद्दूकस कर के लौकी, शिमलामिर्च, बारीक कटी पुदीनापत्ती, पालक आदि मिला कर थेपले बना लें.

ओट्स

आजकल लोग हेल्थ के प्रति काफी जागरूक हो गए हैं. अत: ओट्स जिसे हिंदी में जई के नाम से जाना जाता है का प्रयोग काफी बढ़ गया है. मगर ज्यादातर लोग ओट्स को दूध में डाल कर ही खाते हैं.

पौष्टिकता ऐसे बढ़ाएं

दूध डालने से पहले ओट्स को हलका सा रोस्ट कर लें. छोटेछोटे क्यूब्स में काट कर मौसमी फल डालें. ऊपर से अनार के दानों से सजाएं. चीनी की जगह शहद डालें. आयरन से भरपूर शहद के साथसाथ फल भी डालने से ओट्स की पौष्टिकता कई गुना बढ़ जाती है.

ओट्स उत्तपम, पैनकेक, इडली डोसा

ओट्स का उत्तपम, इडली, पैनकेक, डोसा आदि कुछ भी बनाना हो तो ओट्स को हलका सा रोस्ट कर के ठंडा कर मिक्सी में पाउडर बना लें. इडली बनानी हो तो इस में थोड़ी सूजी मिलाएं. उत्तपम बनाना हो तो चावल का आटा मिलाएं. बढि़या स्वादिष्ठ और पौष्टिक ब्रेकफास्ट तैयार है.

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रैडी टु कुक वाला उपमा बनाना हो तो भी उस में ओट्स का पाउडर मिला दें, साथ ही बारीक कटी शिमलामिर्च, गाजर, प्याज आदि. इस से उपमा भी पौष्टिक हो जाएगा. इसी तरह बाजार में मसाला ओट्स के पैकेट भी मिलते हैं. इस में पनीर मिलाएं और परांठों में भर कर सेंक लें. बच्चों को पता भी नहीं चलेगा और उन्हें पूरी पौष्टिकता भी मिल जाएगी.

आजकल ओट्स के साथ कौर्नफ्लैक्स ड्राईफ्रूट्स, चोकर आदि मिली म्यूसली भी बाजार में उपलब्ध है. इस में बारीक कटा सेब मिलाने से भरपूर पौष्टिकता मिलेगी.

कौर्नफ्लैक्स के साथ फ्रूट्स को भी मिलाएं

कौर्नफ्लैक्स भी रैडी टु ईट की श्रेणी में आता है. इस में दूध डालने के साथ-साथ मौसमी फल मिला लें तो जायका भी बढ़ेगा और पौष्टिकता भी. केला और अनार डालें तो क्या कहने. केले में भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, तो अनार आयरन से भरपूर होता है और यह पेट की  समस्याओं से छुटकारा दिलाता है.

कौर्नफ्लैक्स का प्रयोग सिर्फ मीठी चीज के लिए ही नहीं किया जाता है वरन कटलेट पर कोटिंग के लिए भी किया जाता है. इस के अलावा कौर्नफ्लैक्स में थोड़ा सा प्याज, टमाटर, शिमलामिर्च, दही व चटनी डाल कर चाट बना कर भी सर्व करें.

क्रंची टैक्स्चर वाले कौर्नफ्लैक्स में शुगर, आयरन, विटामिन आदि भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. डाइटीशियन का मानना है कि इस में फाइबर भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है. ध्यान रहे दिनभर में एक ही बार इस का सेवन करना चाहिए, क्योंकि इस में मौजूद शुगर की मात्रा वजन बढ़ा सकती है.

म्यूसली का करें इस तरह इस्तेमाल

म्यूसली के बाजार में कई प्रकार के फ्लेवर उपलब्ध हैं. दूध में डालने के साथसाथ इस का प्रयोग ऐनर्जी बार बनाने में भी करें. किसी भी स्वीट डिश में थोड़ी सी म्यूसली डाल दें. स्वाद बढ़ जाएगा. ऐनर्जी बार में चीनी की जगह शहद या पाम शुगर मिलाएं तो आयरन भी मिल जाएगा.

ढोकला बड़ा पाउडर के साथ वेजीटेबल का कौम्बिनेशन भी करें ट्राय

ढोकले का मिश्रण बाजार में आसानी से उपलब्ध है. इस की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए इस में गोभी, गाजर, बींस आदि सब्जियों को बारीक काट कर सौते करें और फिर ढोकले के मिश्रण में डाल कर पकाएं. बच्चे पालक या अन्य कोई भी हरी सब्जी खाना पसंद नहीं करते. अत: थोड़े से पालक के पत्ते, मूंगफली, आंवला, लहसुन आदि पीस कर चटनी तैयार करें. तैयार ढोकले के बीच में पालक की चटनी लगा कर उस की पौष्टिकता बढ़ाएं.

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प्रोटीन और हेल्दी चीजें मिलाएं

आंवला विटामिन सी से भरपूर होता है जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. बड़ा पाउडर से सिर्फ बड़े ही नहीं बनते, बड़े के आटे में दाल भी होती है, जो प्रोटीन से भरपूर होती है. सभी सब्जियों को हलका सा ब्लांच कर के उबले आलू के साथ मिलाएं व छोटेछोटे गोले बना लें. बड़े के आटे के घोल में डिप कर डीप फ्राई करें. स्वादिष्ठ व पौष्टिक पकौड़े तैयार हैं.

वेजीटेबल को हर खाने में मिलाने की करें कोशिश

हर चीज की पौष्टिकता बढ़ाने के लिए बारीक कटी ताजा सब्जियां व फल आदि मिलाएं. डाइटीशियन शिल्पा जैन कहती हैं कि झटपट तैयार होने वाली हर चीज को पूरी तरह से स्वास्थ्यवर्धक नहीं माना जा सकता है, क्योंकि इन में प्रिजर्वेटिव पड़े होते हैं. अत: हर चीज की अधिकता से बचें. हफ्ते में 2-3 बार ही इस्तेमाल करें. अच्छा हो कुछ चीजें घर में ही बना कर रखें, जिन्हें हम प्री मिक्स कहते हैं. उदाहरण के लिए सूजी को भून कर उस में तड़का लगा कर रखें. सेंवईं, दलिया को घर में भून कर रखें ताकि कम समय में पौष्टिकता प्राप्त हो सके.

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Edited by- Rosy

7 टिप्स: वर्कआउट करते समय रखें हेल्थ का खास ख्याल

बिजी लाइफस्टाइल में हर किसी को पसंद होता है खुद को फिट रखना, जिसके लिए वह जिम, योगा और घर में ही एक्सरसाइज करना पसंद करते हैं. लेकिन कभी-कभी एक्सरसाइज करना हमारी हेल्थ पर बुरा असर डाल सकता है. इसीलिए आज हम आपको खुद को फिट रखने के लिए एक्ससाइज करते समय क्या-क्या सावधानियां रखनी चाहिए, इसके बारे में आपको बताएंगे…

1. एक्सरसाइज से पहले वौर्म अप करना है जरूरी

एक्सरसाइज शुरू करने से पहले वौर्म अप करना सबसे जरूरी होता है. नौर्मली हम वौर्म अप आधे घंटे से 45 मिनट तक करते हैं, लेकिन गरमी में वौर्म अप 15 से 20 मिनट ही करना चाहिए. गरमी में ज्यादा देर तक या बहुत ज्यादा वौर्म अप करने से कैलरी ज्यादा बर्न हो जाएगी, जिससे वर्कआउट करने की क्षमता कम हो सकती है. गर्मियों के मौसम में कूल डाउन भी आवश्यकता के अनुसार 10 से 15 मिनट से ज्यादा नहीं करना चाहिए. देर तक कूल डाउन भी तभी करना चाहिए, अगर आप ज्यादा मोटे हो, नहीं तो वर्कआउट के लास्ट में थोड़ी बहुत स्ट्रेचिंग, कार्डिओ, ट्रेडमिल, साइकलिंग या आसन कर लेने चाहिए.

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2. गरमियों में रखें खास ख्याल

कई बार हम वर्कआउट वाली जगह पर आने-जाने के लिए जौगिंग या ब्रिस्क वौक करते हुए जाते हैं. गरमियों में ऐसा नहीं करना चाहिए. गरमियों में वर्कआउट पर आने-जाने के लिए नौर्मली से टहलते हुए या गाड़ी से ही जाना चाहिए. गरमियों में ब्रिस्क वौक, जौगिंग या रनिंग करते हुए वर्कआउट के लिए आने या जाने से हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है.

3. वर्कआउट के लिए क्लीन कपड़े होना जरूरी

आजकल वर्कआउट के लिए थोड़े ढीले कपड़े पहनना चाहिए, पर जरूरी है कि मौसम को देखते हुए भी वर्कआउट के कपड़े चुनें. यही नहीं, साथ ही ध्यान रहें कि वर्कआउट के बाद उन कपड़ों को जल्दी ही बदल लें, खासकर गरमी के मौसम में. गर्मियों में वर्कआउट के समय बहुत ज्यादा पसीना आता है. ऐसे में अगर आप वही कौस्ट्यूम बहुत देर तक पहने रखते हैं तो कीटाणु आपकी हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकते हैं. साथ ही इससे इंफेक्शन का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए वर्कआउट करने के बाद आधे और एक घंटे के अंदर अपने गीले कपड़े बदल लेने चाहिए.

4. वर्कआउट के लिए नहाकर जाएं

गरमियों में वर्कआउट के लिए हो सके तो नहा कर जाएं. गरमी में वर्कआउट करने के बाद भी शावर लेना जरूरी होता है. इससे पसीने की वजह से जो कीटाणु होंगे, वो पूरी तरह से साफ हो जाएंगे और आपकी हेल्थ को नुकसान भी नहीं पहुंचेगा.

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5. वर्कआउट में तेल की मालिश से बचें

गरमियों में तेल की मालिश करवाने से बचें और वर्कआउट से पहले तो ऐसी मालिश बिल्कुल भी न करवाएं. जरूरी हो तो स्किन की देखभाल के लिए हल्के मौइस्चराइजर का इस्तेमाल करें.

6. स्किन का भी रखें खास ख्याल

गरमी में वर्कआउट करते समय पसीना ज्यादा आता है, जिससे स्किन रिलेटिड प्रौब्लम्स बढ़ जाती हैं. जिनकी स्किन सेंसिटिव है, उनको स्किन से जुड़ी कई सावधानियां बरतनी चाहिए. इसके लिए वर्कआउट करने से पहले और बाद में चेहरे और स्किन को अच्छी तरह से साफ करें. स्किन को साफ रखने के लिए तौलिया भी साथ रखें और स्किन को पोंछते रहें. वर्कआउट के बाद अच्छे क्लींजर का इस्तेमाल करके भी अपनी स्किन को सुरक्षित रख सकते हैं.

7. वर्कआउट से पहले करें ये काम

वर्कआउट करने के तुरंत पहले आधा घंटा या 20 मिनट तक कुछ न खाएं. गरमियों में चाय या ब्लैक कौफी भी जिम जाने से पहले न पिएं. गरमियों में वर्कआउट करने से 20 मिनट पहले प्रोटीन या बादाम शेक जैसी प्रोटीन वाली एनर्जी ड्रिंक और चीजें खानी चाहिए.

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मौनसून में ऐसे रखें डाइट का ख्याल

लेखक- अनु जायसवाल (फाउंडर डाइरैक्टर वैदिक सूत्र वैलनैस सैंटर)

मौनसून सीजन में अगर आप का खानपान सही है तो आप डिहाइड्रेशन, डायरिया, पसीना, थकान, भूख न लगना, उलटियां, हीट स्ट्रोक, फूड पौइजनिंग जैसी समस्याओं से दूर रहेंगी. इस मौसम में इन परेशानियों से बचने के लिए आप अपने डाइट चार्ट में निम्न चीजों को शामिल कर सकती हैं:

1. सलाद को करें डाइट में शामिल

टमाटर में विटामिन ए, विटामिन सी और लाइकोपीन होने से पोषक तत्त्वों का यह पावरहाउस फलों और सब्जियों दोनों में गिना जाता है. एक टमाटर में सिर्फ 35 से 40 कैलोरी होती है, लेकिन यह एक दिन में विटामिन सी की 40% और विटामिन ए की 20% जरूरत को पूरा कर सकता है.

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टमाटर के और भी कई फायदे हैं. लाइकोपीन जैसे ऐंटीऔक्सीडैंट के कारण यह कई तरह के कैंसर से लड़ने में सहायक होता है. शोध बताते हैं कि लाइकोपीन एलडीएल या बैड कोलैस्ट्रौल से बचाता है, जिस से हृदय रोगों की आशंका कम होती है.

खीरा सलाद के रूप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. इस में पोटैशियम होता है जो हाई ब्लड प्रैशर को कंट्रोल करने में मददगार होता है. अल्सर के इलाज में भी खीरे का सेवन राहत पहुंचाता है. पैपर या कालीमिर्च में भी बीटा कैरोटिन जैसा ऐंटीऔक्सीडैंट होता है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत  बनाता है और फ्री रैडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है. रोज एक बाउल टमाटर का सलाद जरूर खाएं. लेकिन कुछ बीमारियों जैसे पथरी में टमाटर का सेवन डाक्टर से पूछ कर ही करें.

2. लो कैलेरी फ्रूटस को मौनसून में करें ट्राई

इस मौसम में कई लो कैलोरी फ्रूट्स उपलब्ध होते हैं, जिन में फाइबर, कैल्सियम एवं अन्य महत्त्वपूर्ण पोषक तत्त्वों की पर्याप्त मात्रा होती है. ये शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखते हैं. इस मौसम में मौसमी फलों जैसे तरबूज, लीची, खीरा, खरबूजा, संतरा, अंगूर आदि का सेवन बहुत फायदेमंद रहता है. सोडियम, पोटैशियम और विटामिन बी से भरपूर तरबूज शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होता है. अत: इन सब मौसमी फलों को अपने डाइट चार्ट में शामिल करना न भूलें.

3. बौडी को रखें जूस से हाइड्रेटिड

चिपचिपी गरमी के मौसम में बौडी को पानी की ज्यादा जरूरत होती है, इसलिए पेयपदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए ताकि शरीर को पर्याप्त पानी मिले और आप को मिले उमस भरी दोपहरी में चुस्तीफुरती. अत: डाइट चार्ट में जूस को भी शामिल करें. नीबू पानी से बेहतर कोई जूस नहीं. संतरा, मौसमी जैसे फलों जूस भी ले सकती हैं. नारियल पानी में कई जरूरी मिनरल्स होते हैं, जो शरीर को हाइड्रेट रखते हैं. यह पोटैशियम का अच्छा स्रोत है.

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4. मौसमी सब्जियों को करें डाइट में शामिल

डाइट में मौसमी सब्जियां जैसे लौकी, भिंडी, करेला, सीताफल, टमाटर, खीरा और मिर्च को जरूर शामिल करें. लौकी में कैलोरी कम, लेकिन फाइबर और पानी अधिक होता है. लो कैलोरी होने की वजह से इन सब्जियों को खाने से मोटापे का भी खतरा नहीं होता. करेले में कौपर, आयरन और पोटैशियम होता है. इसे खाने से शरीर की ब्लड शुगर और इंसुलिन का स्तर नियंत्रित रहता है. करेला शरीर में क्षारीय प्रभाव डालता है, जिस से शरीर से विषैले तत्त्व बाहर निकलते हैं. ऐसिडिटी और अपच की परेशानी में भिंडी बहुत फायदेमंद होती है. जिन्हें यूरिन से जुड़ी समस्याएं होती हैं उन के लिए भिंडी बहुत लाभकारी होती है.

सीताफल यानी कद्दू में आयरन, फास्फोरस, मैगनीशियम जैसे तत्त्व होते हैं. कच्चे सीताफल का रस शरीर से विषैले तत्त्वों को बाहर निकालता है. ऐसिडिटी दूर करने और वजन कम करने में भी यह बहुत फायदेमंद होता है.

Edited by- Rosy

तेजी से वजन कम करना है खतरनाक

मोटापे से पीड़ित लोगों के लिए वजन कम करना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसके लिए लोग सब कुछ करने को तैयार होते हैं. वो एक्सरसाइज करते हैं, डाइटिंग करते हैं, दवाइयां लेते हैं, पर कई बार उन्हें इसका परिणाम मन मुताबिक नहीं मिलता. वजन जल्दी कम करने की इस जद्दोजहत में लोग कई गलत तरीके अपना बैठते हैं और उसका उनकी सेहत पर काफी बुरा असर होता है.

आइए जाने कि जल्दी वजन कम करने के लालच में सेहत का क्या नुकसान होता है.

डिहाइड्रेशन

quick weight loss is dangerous to health

वेटलौस की कई डाइट्स से शरीर में डिहाइड्रेशन होता है. शरीर में पानी की कमी होने से कब्ज, सिर दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और एनर्जी की कमी होने लगती है. साथ ही स्किन भी अधिक ड्राई हो जाती है.

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शरीर में न्यूट्रिशन की कमी

वजन कम करने के लिए लोग अक्सर कैलोरी फ्री डाइट लेने लगते हैं, जिसका असर होता है कि उनके शरीर से न्यूट्रिशन की कमी हो जाती है. जैसे कि कीटो डाइट में कार्बोहाइड्रेट नहीं होता है, जो शरीर में एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी होता है. यही कारण है कि जिन लोगों की डाइट में कार्बोहाइड्रेट की कमी होती है, उन लोगों को जल्दी थकान महसूस होने लगती है. साथ ही ऐसे लोगों का मूड भी तेजी से स्विंग होता है. कई लोगों में खून की कमी भी हो जाती है.

दिमाग के लिए होता है बुरा

वेट लौस से शरीर के साथ साथ मानसिक सेहत भी बुरी तरह से प्रभावित होती है.  डाइट के बिगड़ने और शरीर में न्यूट्रिशन की कमी होने से कई प्रकार की मानसिक समस्याएं होने लगती हैं.

मेटाबौलिज्म के लिए सही नहीं

मोटापे से परेशान लोग वजन कम करने के चक्कर में अक्सर भूल जाते हैं कि वजन कम करने से मेटाबौलिज्म पर बुरा असर होता है. डाइट में कैलोरी की कमी होने से मेटाबॉलिज्म के काम करने की क्षमता धीमी हो जाती है. बता दें, मेटाबौलिज्म के सही ढंग से काम ना करने की वजह से वजन कम होने के बजाए बढ़ने लगता है.

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मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं

वजन कम करने वाली डाइट से कई बार मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. लंबे समय तक इस डाइट का सेवन मांसपेशियों के लिए अच्छा नहीं होता.

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