शाह परिवार से दूर हुई Anupama में घुसा भूत, देखें वीडियो

स्टार प्लस के सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में वनराज और बा के इल्जामों ने अनुपमा को घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है, जिसके कारण वह अपने मायके चली गई है. हालांकि अभी भी उसकी जिंदगी में प्रौब्लम खत्म नहीं हुई है. लेकिन अब अनुज, अनुपमा का साथ देने के लिए खड़ा होने वाला है. लेकिन इसी बीच अनुपमा का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें अनुपमा का अलग रुप सामने आ रहा है. आइए आपको दिखाते हैं वायरल वीडियो

Halloween में भूत बनीं अनुपमा

 

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अनुपमा यानी रुपाली गांगुली की एक वीडियो में वह आत्मा की तरह अपने घर के चक्कर लगा रही है. दरअसल रुपाली गांगुली Halloween का जश्न मनाते हुए अंधेरे में मोमबत्ती लेकर घूमती नजर आ रही हैं, जिसके बाद वह खुद को क्रेजी बताती नजर आ रही हैं. वीडियो देखने के बाद जहां कुछ फैंस डर गए हैं तो वहीं कुछ फैंस के मजेदार रिएक्शन देखने को मिल रहे हैं.

 

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तलाकशुदा का टैग लाएगा अनुपमा की जिंदगी में मुसीबत

 

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सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो अनुपमा (Anupama) अपनी मां के घर से निकलकर अपने लिए नया घर ढूंढेगी. लेकिन इस सफर में भी उसके लिए बड़ी मुसीबतें खड़ी होगी. दरअसल, अनुपमा अपने लिए किराए का घर ढूंढेगी. लेकिन तलाकशुदा होने की बात जानते ही मकानमालिक अनुपमा को घर देनें से मना कर देंगे. दूसरी तरफ काव्या, बा से अनुपमा के नाम की प्रौपर्टी अपने नाम करवाने की बात करेगी.

 

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काव्या को मिलेगी शाह परिवार की जिम्मेदारी

 

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अब तक आपने देखा कि शाह हाउस से निकलने के बाद अनुपमा (Anupama) अपनी मां के घर पहुंची. जहां उसके भाई औऱ मां ने फैसले पर अपनी सहमति जताई. वहीं अनुपमा के जाने के बाद बापूजी की तबीयत खराब देखने को मिली. हालांकि वनराज, काव्या को परिवार का ख्याल रखने की जिम्मेदारी देते हुए नजर आता है.

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दोनों ही काली: भाग 4- क्यों पत्नी से मिलना चाहता था पारस

लेखक- जीतेंद्र मोहन भटनागर

 राबर्ट पारस के ठीक सामने खड़ा हो कर उस की आंखों में अपनी आंख डालता हुआ बोला, ‘‘तू मुझे मार डालना चाहता है तो ले मैं तेरे सामने खड़ा हूं… मार डाल मुझे. लेकिन जिस कारण से तेरी आंखों में खून उतर आया है, उस का जिम्मेदार तेरे भीतर उपजा शक का बीज है.

‘‘जब से दोनों जुड़वां बच्चियां मेरे काले रंग से मिलतीजुलती पैदा हुई हैं तुझे लगता है कि वह मेरे और नलिनी के बीच अवैध संबंधों का नतीजा है. इसी कारण तुम ने नलिनी और बच्चों को मां के पास पटक

कर अपने बैंक क्वार्टर में रहने की ठान ली और मिलनाजुलना तक बंद कर दिया.’’

‘‘हां मेरी सोच गलत नहीं है. नलिनी की कोख में अगर तुम्हारा बीज न गया होता तो इतने काले बच्चे पैदा ही नहीं होते. क्या यह गलत है कि मेरी अनुपस्थिति में तुम हर दूसरे दिन उस से मिलने चले आते थे?’’

‘‘यह सच है कि तुम्हारा बैंक क्वार्टर मेरी वैलफैयर सोसाइटी के औफिस जाने के मार्ग में पड़ता था तो मैं नलिनी के हाथ से बनी काफी पीने और हाल चाल लेने के लिये तुम्हारे घर जाकर बैठ जाता था.’’

‘‘लेकिन तुम्हारी नियत सही नहीं थी.’’

अब मेरी नियत सही थी या गलत ये तो या नलिनी जानती है या मेरा जमीर.

‘‘इस की परख तो डीएनए टेस्ट से हो सकती है क्योंकि मैं ने कभी इस एंगिल से सोचा ही नहीं कि तुम्हारा नलिनी से भी संबंध कायम हो सकता है. फिर दोनों बच्चों का तुम्हारे रंग का होना भी एक सवाल तो खड़ा करता ही है. पारस भाईसाहब अगर न आए होते तो मै पत्र पढ़ कर नलिनी से यही सचाई जानने का प्रयास कर रही थी और वो कुछ बताने ही जा रही थी तभी.

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‘‘इसलिए हम सब के साथ तुम्हारा डीएनए टेस्ट होना बहुत

जरूरी है क्योंकि एकांत के क्षणों में 2 विपरीत लिंगी लोगों में सैक्स की इच्छा उठना और उस का क्रिया मे तब्दील हो जाना कोई नई बात नहीं है.’’

‘‘ठीक है अगर तुम भी मुझ पर शक कर रही हो तो मैं अपना भी डीएनए टैस्ट करवाने को तैयार हू. पर इस बार में स्टैम्प पेपर पर लिखित शर्त तुम सब से लगाता हूं.’’

‘‘इस में शर्त की क्या बात है?’’

‘‘बिलकुल शर्त की बात है और वह भी लिखित, जिस पर सब के हस्ताक्षर होंगे और यह मांजी पर निर्भर करेगा कि वह जीतने वाले के साथ कैसा जस्टिस करती हैं और हारने वालों को क्या सजा देती हैं… बोलो पारस तुम्हें यह शर्त मंजूर है?’’

‘‘राबर्ट तुम ज्यादा सयाने न बनों शर्त बताओ,’’ पारस का नशा कम हो चुका था.

वह पास पड़ी कुरसी पर बैठ कर राबर्ट को घूर रहा था.

राबर्ट बोला, ‘‘मेरी डीएनए रिपोर्ट अगर बच्चियों से मैच नहीं करी तो 2 में से 1 बच्ची कानूनीरूप से मेरी और अगर मैच कर गईं तो दोनों बच्चियां मेरी. उन्हें पढ़ालिखा कर डाक्टर बनाने की जिम्मेदारी मेरी.’’

राबर्ट की बात सुन कर सब को सोच में डूबा देख कर मां बोल पड़ी, ‘‘क्या यह शर्त लगाना जरूरी है?’’

‘‘हां मां केवल मेरे ही मानसम्मान का सवाल नहीं है. आप के ऊपर भी इस बात को ले कर कोई कटाक्ष करे इसे मैं बरदाश्त नहीं कर सकता और आज यह मेरा दोस्त मुझे मारने चले था उसे देख कर हारने की दशा में मेरा इन बच्चियों को ले कर इस शहर से बहुत दूर चला जाना ठीक रहेगा,’’ कह कर राबर्ट उठ खड़ा हुआ. उस ने मैस्सी को अपने घर चलने का इशारा किया. फिर नलिनी से पारस का ध्यान रखने की कहता हुआ बच्चियों के पालने के पास खड़ा हो कर उन्हें प्यारभरी नजरों से देखने लगा.

इस के बाद मां के पास जा कर बोला, ‘‘मां मैं चलता हूं, कल सवेरे वकील और स्टांप पेपर ले कर शर्त की लीगल फौर्मैलिटी करवाने आऊंगा उस के बाद हम डीएनए टैस्ट के लिए जाएंगे.’’

मैस्सी को ले कर राबर्ट जब चला गया तब नलिनी पारस को वहां से उठा कर अपने कंधे का सहारा देती हुई कमरे में ले गई और बैड पर लिटा दिया.

‘‘तुम आराम से लेट जाओ, तुम मेरे चरित्र को ले कर और बच्चियों के काले रंग से जीजाजी का रंग मैच हो जाने के कारण अंदर ही अंदर इतना घुटने के बजाय अपने मन की बात मुझ से शेयर कर लेते तो यह नौबत ही न आती.

‘‘उन्हें मार डालने की बात तुम्हारे मन में आई ही कैसे? अगर तुम्हें बच्चियों के पैदा

होने के बाद शक हुआ ही था तो दोष और इलजाम मुझ पर लगाते, मुझे गालियां देते, मेरा गला घोंट देते.’’

पारस अब तक खामोश था. बोला, ‘‘नलिनी मेरा मन ऐसा करने का भी हुआ पर मैं ने सोचा तुम्हें मारने पर मैं तुम्हारे साथ इन बच्चियों का भी हत्यारा कहलाऊंगा और तुम्हें मार डालना सब से सरल था. इसी उधेड़बुन में मैं 5 दिन तक बदहवास सा इस शहर के बाहरी सुनसान इलाकों में भटकता रहा.

‘‘एक बार को तो मैं ने यह भी सोच

लिया कि ये सब करने के बजाय क्यों न अपनी लीला ही समाप्त कर लूं. फिर मन ने कहा तू अपनेआप को समाप्त करने की क्यों सोच रह है. सारा दोष तो राबर्ट का है. ये काली बच्चियां उसी की तो देन हैं.

‘‘बस मैं इसी हालत में बार में गया.

खूब शराब पी फिर उठ कर सीधा राबर्ट के घर गया. उस का घर लौक देख कर सीधा यहां

चला आया.’’

‘‘और ये सब तुम ने इसलिए किया कि दोनों बच्चियां काले रंग की पैदा हुई थीं. काश, तुम ने उन्हें सीने से लगा कर नन्हीनन्ही धड़कनें सुनी होतीं. अब तुम्हें कैसे विश्वास दिलाऊं कि ये हमारेतुम्हारे प्यार की ही निशानी हैं.’’

‘‘वह तो हम सब के डीएनए टैस्ट का रिजल्ट बता ही देगा.’’

‘‘लेकिन उस से पहले जीजाजी जो कानूनी शर्तनामा बनवा कर ला रहे हैं उस के अनुसार

शर्त जीतने पर भी हमारी ही हार है. हम एक बच्ची से हाथ धो बैठेंगे और शर्त हार गए तो

दोनों से.’’

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‘‘उस से क्या फर्क पड़ता है. कम से कम टैस्ट की रिपोर्ट आने पर दूध का दूध और पानी का पानी तो हो जाएगा.’’

‘‘मतलब तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं है.’’

पारस कुछ बोला नहीं. करवट बदल कर उस ने मुख दूसरी तरफ कर लिया. नलिनी कुछ देर चुप रही फिर उसे अपनी तरफ वापस करवट दिलाने के बाद बोली, ‘‘आज रातभर के लिए  मेरी एक विनती मानोगे पारस?’’

‘‘कैसी विनती?’’

‘‘आज रातभर इसी पलंग पर दोनों बच्चियां हमारे बीच सोएंगी.’’

‘‘इस से क्या होगा?’’

‘‘मुझे नहीं पता कि इस से क्या होगा, पर  आप इस दोष से तो बच जाएंगे कि पैदा होने के बाद एक दिन भी अपने पिता के पास बच्चियां नहीं रह पाईं.’’

‘‘ठीक है एक दिन के लिए मैं ने मानी तुम्हारी बात.’’

और उस रात जबजब नन्हे हाथ पारस के बदन से टकराए, उसे एक मखमली

अनुभूति हुई और भावावेश में आ कर उस ने बच्चियों की तरफ करवट ले कर जब उन्हें सीने से लगाया तो उन नन्ही धड़कनों के मधुर स्पंदन ने उस से न जाने कितने संवाद कर डाले.

सवेरे राबर्ट मैस्सी के साथ कानूनी शर्तनामा टाइप करा कर लाया तो स्वभाव से हट कर उस के चेहरे पर गंभीरता थी. साथ आए वकील ने अपने सामने सब के दस्तखत लिए.

जब डीएनए टैस्ट की रिपोर्ट आई तो दूरदूर तक कहीं बच्चों की रिपोर्ट से राबर्ट की रिपोर्ट मैच नहीं कर रही थी, जबकि पारस का डीएनए बच्चियों से पूरी तरह मैच कर रहा था.

शर्त के अनुसार पारस और नलिनी को उन में से एक बच्ची राबर्ट और मैस्सी को देनी पड़ी. मैस्सी ने नाम रख दिया था रातिका.

देखते ही देखते पारस से दूर जाती हुई, मानसी की गोद से पीछे की ओर देख कर रोती हुई रातिका जैसे अपने पिता से पूछ रही हो,

‘‘पापा क्या कुसूर था मेरा जो आप ने मुझे

अपनी मां से तो दूर करा ही बहन से भी दूर

कर दिया,’’

आज इस घटना को घटे 1 साल हो गया है. राबर्ट और मैस्सी शिमला जा कर सैटल हो गए. मां भी नहीं रहीं. पारस का प्रमोशन के साथ मुंबई हैड औफिस में ट्रांसफर हो गया और वह नलिनी तथा दिनिका के साथ वहीं रह रहा है.

रातिका के हिस्से का दूध अभी भी नलिनी के स्तनों में भर आता है और तब वह दर्द से तड़प उठती है.

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अहंकारी: क्या हुआ था कामना के साथ

अभिजीत 2 दिनों से घर नहीं लौटा था. उस की मां सरला देवी कंपनी में पूछ आई थीं. अभिजीत 2 दिन पहले कंपनी में आया था, यह चपरासी ने सरला देवी को बताया था. अभिजीत 25 साल का अच्छी कदकाठी का नौजवान था. वह सेठ गोपालदास की कंपनी में पिछले 2 साल से बतौर क्लर्क काम कर रहा था. अभिजीत के परिवार में उस की मां सरला देवी के अलावा 2 बहनें थीं. 2 साल पहले अभिजीत के पिता की मौत हो चुकी थी. वे भी सेठ गोपालदास की कंपनी में काम करते थे. उन्हीं की जगह अभिजीत इस कंपनी में काम कर रहा था. अभिजीत के इस तरह गायब होने से सरला देवी और उन की दोनों बेटियां परेशान थीं. सरला देवी को उम्मीद थी कि सेठ गोपालदास ने उसे कंपनी के किसी काम से बाहर भेजा होगा, पर अब उन के द्वारा इनकार किए जाने पर सरला देवी की परेशानी और बढ़ गई थी.

सरला देवी ने अभिजीत को हर जगह तलाश किया, पर वह कहीं नहीं मिला. आखिर वह गया तो कहां गया, यह बात उस की मां को बेहद परेशान करने लगी. फिर उन्होंने कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड से बात की. पहले तो उस ने इधरउधर की बात की, फिर बता दिया कि उस दिन कंपनी की छुट्टी का समय हो गया था. उस में काम करने वाले लोग जा चुके थे. अभिजीत अपने थोड़े बचे काम को तेजी से निबटा रहा था, ताकि समय से घर लौट सके. तभी सेठ गोपालदास की छोटी बेटी कामना कंपनी में आई. वह अभिजीत की टेबल के करीब आई और अपने हाथ टेबल पर टिका कर झुक गई. उस समय वह जींस और शर्ट पहने हुई थी, जो उस के भरेभरे जिस्म पर यों कसी हुई थीं कि उस के बदन की ऊंचाइयां और गहराइयां साफ दिख रही थीं.

अभिजीत अपने काम में मशगूल था. कामना ने उस का ध्यान खींचने के लिए अपना पैर धीरे से पटका. आवाज सुन कर अभिजीत ने नजरें उठा कर देखा तो बस देखता ही रह गया. कामना उस की टेबल पर हाथ टिकाए झुकी हुई थी, जिस से उस के भारी और दूधिया उभारों का ऊपरी हिस्सा शर्ट से झांक रहा था. वह गार्ड नौजवान था, पर समझदार भी था. उस ने सरला देवी को बताया कि उसे कामना का बरताव अजीब लगा था. वह कोने में खड़ा हो कर उन की बातें सुनने लगा. दफ्तर तो पूरा खाली ही था.  उन दोनों की बातचीत इस तरह थी:

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‘कहां खो गए?’ कामना धीरे से बोली थी.

‘कहीं नहीं,’ अभिजीत ने बौखला कर अपनी नजरें उस के उभारों से हटा ली थीं. उस की बौखलाहट देख कर कामना के होंठों पर एक मादक मुसकान खिल उठी थी. वह अभिजीत के सजीले रूप को देखते हुए बोली थी, ‘क्यों, आज घर जाने का इरादा नहीं है?’

‘है तो…’ अभिजीत अपनेआप को संभालते हुए बोला था, ‘थोड़ा सा काम बाकी रह गया था, सोचा, पूरा कर लूं तो चलूं.’

‘काम का क्या है, वह तो होता ही रहेगा…’ कामना बोली थी, ‘पर इनसान को कभीकभी घूमनेफिरने का समय भी निकालना चाहिए.’

‘मैं समझा नहीं.’

‘मैं समझाती हूं…’ कामना अभिजीत की आंखों में झांकते हुए बोली थी, ‘अभिजीत, तुम्हें घर लौटने की जल्दी तो नहीं है न?’

‘कोई खास जल्दी नहीं…’ अभिजीत बोला था.

‘मैं आज मूड में हूं और अगर तुम्हें एतराज न हो, तो तुम मेरे साथ पापा के कमरे में चलो.’

‘पर मैं आप का मुलाजिम हूं और आप मेरे मालिक की बेटी.’

‘मैं इन बातों को नहीं मानती…’ कामना बोली थी, ‘मैं तो बस इतना जानती हूं कि मैं इनसान हूं और तुम भी. तुम मुझे अच्छे लगते हो. अब मैं तुम्हें अच्छी लगती हूं या नहीं, तुम जानो.’

‘आप भी मुझे अच्छी लगती हैं…’ अभिजीत पलभर सोचने के बाद बोला था, ‘ठीक है.’ कामना अभिजीत को ले कर एक कमरे में पहुंचे. दफ्तर में अंधेरा था, पर दरवाजे में एक छेद भी था. गार्ड उसी से देखने लगा कि अंदर क्या हो रहा है.

उस गार्ड ने सरला देवी को बताया कि अभिजीत कामना की इस हरकत से परेशान लग रहा था.

‘अरे, तुम अभी तक खड़े ही हो?’ कामना बोली थी, ‘आराम से सोफे पर बैठो.’ अभिजीत आगे बढ़ कर कमरे में रखे गुदगुदे सोफे पर बैठ गया था. कामना आ कर उस के करीब बैठ गई थी और अभिजीत की आंखों में झांकते हुए बोली थी, ‘अभिजीत, तुम ने किसी से प्यार किया है?’ गार्ड सब सुन सकता था, क्योंकि पूरे दफ्तर में सन्नाटा था.

‘नहीं…’ अभिजीत बोला था, ‘कभी यह काम करने का मौका ही नहीं मिला.’

‘अगर मिला, तो क्या करोगे?’

अभिजीत चुप रहा था.

‘तुम ने जवाब नहीं दिया?’

‘हां, करूंगा’ वह बोला था.

‘आज मौका है और समय भी.’

‘पर लड़की?’

‘तुम्हारा मेरे बारे में क्या खयाल है?’ कहते हुए कामना ने अपनी शर्ट उतार दी. उस के ऐसा करते ही उस के उभार अभिजीत के सामने आ गए थे. उन को देखते ही अभिजीत के सब्र का बांध टूट गया था. जब कामना उस से लिपट गई, तो पलभर के लिए वह बौखलाया, फिर अपने हाथ कामना की पीठ पर कस दिए. इस के बाद तो अभिजीत सबकुछ भूल कर कामना की खूबसूरती की गहराइयों में उतरता चला गया. सरला देवी ने कामना के ड्राइवरसे भी पूछताछ की. उसे भी बहुतकुछ मालूम था. उस ने बताया कि पिछली सीट पर अकसर कामना मनमाने ढंग से उस का इस्तेमाल करने लगी थी. कामना का दिल जिस पर आ जाता, वह उसे अपने प्रेमजाल में फांसती, उस से अपना दिल बहलाती और जब दिल भर जाता, तो उसे अपनी जिंदगी से निकाल फेंकती.

ड्राइवर ने आगे बताया कि एक दिन उन दोनों में झगड़ा हुआ था. कामना का दिल उस से भर गया, तो वह उस से कन्नी काटने लगी. उस के इस रवैए से अभिजीत तिलमिला उठा. वह कामना से सच्चा प्यार करता था. जब कामना को पता चला तो वह बोली थी, ‘अपनी औकात देखी है तुम ने? तुम हमारी कंपनी में एक छोटे से मुलाजिम हो. मैं ब्राह्मण और तुम यादव. दूसरी जाति की लड़की को तुम प्यार कर पा रहे हो, क्या यह कम है. शादी की तो सोचना भी नहीं.’

‘पर तुम ने इसी मुलाजिम से दिल लगाया था?’

‘दिल नहीं लगाया था, बल्कि दिल बहलाया था. अब मेरा दिल तुम से भर गया है, इसलिए हमारे रास्ते अलग हैं.’

‘नहीं…’ अभिजीत तेज आवाज में बोला था, ‘तुम मुझे यों अपनी जिंदगी से नहीं निकाल सकती.’

‘और अगर निकाला तो?’

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‘मैं सारी दुनिया को तुम्हारी हकीकत बता दूंगा.’ अभिजीत की बात सुन कर कामना पलभर को हड़बड़ाई, पर अगले ही पल उस की आंखों से गुस्सा टपकने लगा. वह अभिजीत को घूरते हुए बोली, ‘तुम ऐसा कर नहीं पाओगे. मैं तुम्हें ऐसा हरगिज करने नहीं दूंगी.’ यह बात सारा दफ्तर जानता था कि एक दिन अभिजीत से सेठ गोपालदास ने कठोर आवाज में सब के सामने बोला था, ‘तुम ने हमारी बेटी को अपने प्रेमजाल में फंसाया और उस की इज्जत पर हाथ डाला. यह बात खुद कामना ने मुझे बताई है.

‘कोई मेरी बेटी के साथ ऐसी हरकत करे, मैं यह बरदाश्त नहीं कर सकता. तुझे इस की सजा मिलेगी,’ इतना कहने के बाद सेठजी ने अपने आदमियों को इशारा किया था. सेठजी के आदमी अभिजीत को खींचते हुए दफ्तर से बाहर ले गए. इस के बाद अभिजीत को किसी ने नहीं देखा था. अभिजीत को गायब हुए जब 10 दिन बीत गए, तो सरला देवी समझ गईं कि अभिजीत मार दिया गया है. सरला देवी ने उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस में लिखवा दी. सरला देवी अपने बेटे को ले कर यों परेशानी के दौर से गुजर रही थीं कि उन की मुलाकात अभिजीत के एक दोस्त से हुई, जो उसी के साथ काम करता था. उस ने सरला देवी को बताया कि अभिजीत को मारने में सेठ गोपालदास का हाथ है. सरला देवी ने अभिजीत के दोस्त को बताया कि कामना को सबक सिखाना है. कामना अपनी ऐयाशियों में डूबी हुई थी. अभिजीत की मौत से बेपरवाह कामना की नजरें एक दूसरे लड़के को ढूंढ़ रही थीं. उस ने रमेश को फांस लिया.

एक शाम जब कामना अपनी कार में लौंग ड्राइव पर निकली थी, तो रमेश उसे सरला देवी के घर ले गया. सरला देवी को देख कर कामना की घिग्घी बंध गई. वह सबकुछ उगल गई. रमेश ने उसे एक कुरसी से बांध दिया और कई घंटों तक तड़पने के लिए छोड़ दिया. इस के बाद कामना का पूरा बयान रेकौर्ड कर लिया. रात में जब सरला देवी ने उसे छोड़ा तो कहा, ‘‘जैसे मैं जिंदगीभर अभिजीत को याद करूंगी, वैसे ही तुम भी करना. यह टेप, यह बयान, हर बार तब काम आएंगे, जब तुम शादी करने की कोशिश करोगी.’’ कामना के पास कोई चारा नहीं बचा था. वह पैदल ही घर की ओर चल पड़ी, हारी और लुटी हुई.

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खुल गई आंखें : रवि के सामने आई हकीकत

लेखक- किशोर श्रीवास्तव

दफ्तर से अपने बड़े सरकारी बंगले पर जाते हुए उस दिन अचानक एक ट्रक ने रवि की कार को जोरदार टक्कर मार दी थी. कार का अगला हिस्सा बुरी तरह से टूटफूट गया था.

खून से लथपथ रवि कार के अंदर ही फंसा रह गया था. वह काफी समय तक बेहोशी की हालत में कार के अंदर ही रहा, पर उस की जान बचाने वाला कोई भी नहीं था.

हां, उस के आसपास तमाशबीनों की भीड़ जरूर लग गई थी. सभी एकदूसरे का मुंह ताक रहे थे, पर किसी में उसे अस्पताल ले जाने या पुलिस को बुलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी.

भला हो रवि के दफ्तर के चपरासी रामदीन का, जो भीड़ को देख कर उसे चीरता हुआ रवि के पास तक पहुंच गया था. बाद में उसी ने पास के एसटीडी बूथ से 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को बुला लिया था.

जब तक पुलिस रवि को ले कर पास के नर्सिंगहोम में पहुंची तब तक उस के शरीर से काफी खून बह चुका था. रामदीन काफी समय तक अस्पताल में ही रहा था. उस ने फोन कर के दफ्तर से सुपरिंटैंडैंट राकेश को भी बुला लिया था जो वहीं पास में रहते थे.

रवि के एक रिश्तेदार भी सूचना पा कर अस्पताल पहुंच गए थे. गांव दूर होने व बूढ़े मांबाप की हालत को ध्यान में रखते हुए किसी ने उस के घर सूचना भेजना उचित नहीं समझा था. वैसे भी उस के गांव में संचार का कोई खास साधन नहीं था. इमर्जैंसी में तार भेजने के अलावा और कोई चारा नहीं होता था.

रवि की पत्नी गुंजा अपने सासससुर व देवर रघु के साथ गांव में ही रहती थी. वह 2 साल पहले ही गौना करा कर अपनी ससुराल आई थी. रवि के साथ उस की शादी बचपन में तभी हो गई थी, जब वे दोनों 10 साल की उम्र भी पार नहीं कर पाए थे.

गांव में रहने के चलते गुंजा की पढ़ाई 8वीं जमात के बाद ही छूट गई थी पर रवि 5वीं जमात पास कर के अपने चाचा के पास शहर में ही पढ़ने आ गया था. उस ने अच्छीखासी पढ़ाई कर ली थी. शहर में पढ़ाई करने के चलते उस का मन चंचल हो गया था. वैसे भी वह गुंजा से हर मामले में बेहतर था.

शादी के समय तो रवि को कोई समझ नहीं थी, पर जब गौने के बाद विदा हो कर गुंजा उस के घर आई थी और पहली बार जवान और भरपूर नजरों से उस ने उसे देखा था तभी से उस का मन उस से उचट गया था.

गुंजा कामकाज में भी उतनी माहिर नहीं थी जितनी रवि ने अपनी पत्नी से उम्मीद की थी. यहां तक कि सुहागरात के दिन भी वह गुंजा से दूर ही रहा था.

गुंजा गांव की पलीबढ़ी लड़की थी. शक्लसूरत और पढ़ाईलिखाई में कम होने के बावजूद मांबाप से उसे अच्छे संस्कार मिले थे. उस ने रवि की अनदेखी के बावजूद उस के बूढ़े मांबाप और रवि के छोटे भाई रघु का साथ कभी नहीं छोड़ा.

मांबाप के लाख कहने के बावजूद रवि जब उसे अपने साथ शहर ले जाने को राजी नहीं हुआ तब भी उस ने उस से कोई खास जिद नहीं की, न ही अकेले शहर जाने का उस ने कोई विरोध किया.

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शहर में आ कर रवि अपने दफ्तर और रोजमर्रा के कामों में ऐसा बिजी हुआ कि गांव जाना ही भूल गया. उसे अपने मांबाप से भी कुछ खास लगाव नहीं रह गया था क्योंकि वह अपनी बेढंगी शादी के लिए काफी हद तक उन्हीं को कुसूरवार मानता था.

तनख्वाह मिलने पर घर पर पैसा भेजने के अलावा रवि कभीकभार चिट्ठी लिख कर मांबाप व भाई का हालचाल जरूर पूछ लेता था, पर इस से ज्यादा वह अपने घर वालों के लिए कुछ भी नहीं कर पाता था.

3-4 दिन आईसीयू में रहने के बाद अब रवि को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया था. दफ्तर के अनेक साथी तन, मन और धन से उस की सेवा में लगे हुए थे. बड़े साहब भी लगातार उस की सेहत पर नजर रखे हुए थे.

नर्सिंगहोम में जहां सीनियर सर्जन डाक्टर अशोक लाल उस के इलाज पर ध्यान दे रहे थे, वहीं वह वहां की सब से काबिल नर्स सुधा चौहान की चौबीसों घंटे की निगरानी में था.

सुधा चौहान जितना नर्सिंगहोम के कामों में माहिर थी, उतना ही सरल उस का स्वभाव भी था. शक्लसूरत से भी वह किसी फिल्मी नर्स से कम नहीं थी. उस की रातदिन की सेवा और बेहतर इलाज के चलते रवि को जल्दी ही होश आ गया था.

उस समय सुधा ही उस के पास थी. उसे बेचैन देख कर सुधा ने सहारा दिया और उस के सिरहाने तकिया रख दिया. अगले ही पल नर्स सुधा ने शीशी से एक चम्मच दवा निकाल कर आहिस्ता से उस के मुंह में डाल दी

रवि कुछ कहने के लिए मुंह खोलना चाहता था, पर पूरे चेहरे पर पट्टी बंधी होने के चलते वह कुछ भी कह पाने में नाकाम था. सुधा ने हलकी मुसकान के साथ उसे इशारेइशारे में चुप रहने को कहा.

सुधा की निजी जिंदगी भी बहुत खुशहाल नहीं थी. उस का पति मनीष इस दुनिया में नहीं था. उस की रिया नाम की 5 साल की एक बेटी थी जो उस के साथ ही रहती थी.

मनीष सेना में कैप्टन था. जब रिया मां के पेट में थी उन्हीं दिनों बौर्डर पर सिक्योरिटी का जायजा लेते समय आतंकियों के एक हमले में उस की जान चली गई थी. इस के बाद सुधा टूट कर रह गई थी. पर मनीष की निशानी की खातिर वह जिंदा रही. अब उस ने लोगों की सेवा को ही अपने जीने का मकसद बना लिया था.

थोड़ी देर तक शांत रहने के बाद रवि कुछ बुदबुदाया. शायद उसे प्यास लग रही थी. सुधा उस के बुदबुदाने का मतलब समझ गई थी. उस ने 8-10 चम्मच पानी उस को पिला दिया. पानी पिला कर उस ने रूमाल से रवि के होंठों को पोंछ दिया था. फिर वह पास ही रखे स्टूल पर बैठ कर आहिस्ताआहिस्ता उस का सिर सहलाने लगी थी. यह देख कर रवि की आंखें नम हो गई थीं.

सुधा को रवि के बारे में मालूम था. डाक्टर अशोक लाल ने उसे रवि के बारे में पहले से ही सबकुछ बता दिया था. नर्सिंगहोम में रवि के दफ्तर से आनेजाने वालों का जिस तरह से तांता लगा रहता, उसे देख कर उस के रुतबे का अंदाजा लग जाता था.

कुछ दिनों के इलाज के बाद बेशक अभी भी रवि कुछ बोल पाने में नाकाम था, पर उस के हाथपैर हिलनेडुलने लगे थे. अब वह किसी चिट पर लिख कर अपनी कोई बात सुधा या डाक्टर के सामने आसानी से रख पा रहा था. कभी जब सुधा की रात की ड्यूटी होती तब भी वह पूरी मुस्तैदी से उस की सेवा में लगी रहती.

एक दिन सुबह जब सुधा अपनी ड्यूटी पर आई तो रवि बहुत खुश नजर आ रहा था. सुधा के आते ही रवि ने उसे एक चिट दी, जिस पर लिखा था, ‘आप बहुत अच्छी हैं, थैंक्स.’

चिट के जवाब में सुधा ने जब उस के सिर पर हाथ फेरते हुए मुसकरा कर ‘वैलकम’ कहा तो उस की आंखें भर आई थीं. उस दिन रवि के धीरे से ‘आई लव यू’ कहने पर सुधा शरमा कर रह गई थी.

सुधा का साथ पा कर रवि के मन में जिंदगी को एक नए सिरे से जीने की इच्छा बलवती हो उठी थी. जब तक सुधा उस के पास रहती, उस के दिल को बड़ा ही सुकून मिलता था.

एक दिन सुधा की गैरहाजिरी में जब रवि ने वार्ड बौय से उस के बारे में कुछ जानना चाहा था तो वार्ड बौय ने सुधा की जिंदगी की एकएक परतें उस के सामने खोल कर रख दी थीं.

सुधा की कहानी सुन कर रवि भावुक हो गया था. उस ने उसी पल सुधा को अपनाने और एक नई जिंदगी देने का मन बना लिया था. उस ने तय कर लिया था कि वह कैसे भी हो, सुधा को अपनी पत्नी बना कर ही दम लेगा. पर सवाल यह उठता था कि एक पत्नी के होते हुए वह दूसरी शादी कैसे करता?

उस दिन अस्पताल से छुट्टी मिलते ही रवि दफ्तर के कुछ काम निबटा कर सीधा अपने गांव चला गया था. जब वह सुबह अपने गांव पहुंचा तब घर वाले हैरान रह गए थे. बूढे़ मांबाप की आंखों में तो आंसू आतेआते रह गए थे.

पूरे घर में अजीब सा भावुक माहौल बन गया था. आसपास के लोग रवि के घर के दरवाजे पर इकट्ठा हो कर घर के अंदर का नजारा देखे जा रहे थे.

रवि बहुत कम दिनों के लिए गांव आया था. वह जल्दी से जल्दी गुंजा को तलाक के लिए तैयार कर शहर लौट जाना चाहता था. पर घर का माहौल एकदम से बदल जाने के चलते वह असमंजस में पड़ गया था. उस दिन पूरे समय गुंजा उस की खातिरदारी में लगी रही. वह उसे कभी कोई पकवान बना कर खिलाती तो कभी कोई. पर रवि पर उस की इस मेहमाननवाजी का कोई असर नहीं हो रहा था.

दिनभर की भीड़भाड़ से जूझतेजूझते और सफर की रातभर की थकान के चलते उस रात रवि को जल्दी ही नींद आ गई थी. गुंजा ने अपना व उस का बिस्तर एकसाथ ही लगा रखा था, पर इस की परवाह किए बगैर वह दालान में पड़े तख्त पर ही सो गया था. पर थोड़ी ही देर में उस की नींद खुल गई थी. उसे नींद आती भी तो कहां से. एक तो मच्छरमक्खियों ने उसे परेशान कर रखा था, उस पर से भविष्य की योजनाओं ने थकान के बावजूद उसे जगा दिया था.

रवि देर रात तक सुधा और अपनी जिंदगी के तानेबाने बुनने में ही लगा रहा. रात के डेढ़ बजे उस पर दोबारा नींद की खुमारी चढ़ी कि उसे अपने पैरों के पास कुछ सरसराहट सी महसूस हुई. उसे ऐसा लगा मानो किसी ने उस के पैरों को गरम पानी में डुबो कर रख दिया हो.

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रवि हड़बड़ा कर उठ बैठा. उस ने देखा, गुंजा उस के पैरों पर अपना सिर रखे सुबक रही थी. पास में ही मच्छर भगाने वाली बत्ती चारों ओर धुआं छोड़ रही थी. उस के उठते ही गुंजा उस से लिपट गई और फिर बिलखबिलख कर रोने लगी.

गुंजा रोते हुए बोले जा रही थी, ‘‘इस बार मुझे भी शहर ले चलो. मैं अब अकेली गांव में नहीं रह सकती. भले ही मुझे अपनी दासी बना कर रखना, पर अब अकेली छोड़ कर मत जाना, नहीं तो मैं कुएं में कूद कर मर जाऊंगी.’’

गुंजा की यह दशा देख कर अचानक रवि उस के प्रति कुछ नरम होते हुए भावुक हो उठा. वह अपने दिलोदिमाग में हाल में बने गए सपनों को भूल कर अचानक गुंजा की ओर मुखातिब हो चला था.

गुंजा ने जब बातों ही बातों में रवि को बताया कि उस ने शहर चलने के लिए एबीसीडी समेत अंगरेजी की कई कविताएं भी मुंहजबानी याद कर रखी हैं तो रवि उस के भोलेपन पर मुसकरा उठा.

आज पहली बार उसे गुंजा का चेहरा बहुत अच्छा लगा था और उस के मन में गुंजा के प्रति प्यार का ज्वार उमड़ पड़ा था. वह उस की कमियों को भूल कर पलभर में ही उस के आगोश में समाता चला गया था.

रवि गुंजा के बदन से खेलता रहा और वह आंखों में आंसुओं का समंदर लिए उस के प्यार का जवाब देती रही.

एक ही रात और कुछ समय के प्यार ने ही रवि के कई सपनों को जहां तोड़ दिया था वहीं उस के दिलोदिमाग में कई नए सपने भी बुनते चले गए थे. वह गुंजा को तन, मन व धन से अपनाने को तैयार हो गया था, पर सवाल यह था कि शहर जा कर वह सुधा को क्या जवाब देगा. जब सुधा को यह पता चलेगा कि वह पहले से ही शादीशुदा है और जब उस को अब तक का उस का प्यार महज नाटक लगेगा तो उस के दिल पर क्या बीतेगी.

इसी उधेड़बुन के साथ रवि अगली सुबह शहर को रवाना हो चला था. गुंजा को उस ने कह दिया था कि वह अगले हफ्ते उसे लेने गांव आएगा.

शहर पहुंचते ही रवि किसी तरह से सुधा से मिल कर उस से अपनी गलतियों व किए की माफी मांगना चाहता था. अपने बंगले पर पहुंच कर वह नहाधो कर सीधा नर्सिंगहोम पहुंचा, पर वहां सुधा से उस की मुलाकात नहीं हो पाई.

पता चला कि आज वह नाइट ड्यूटी पर थी. वह वहां से किसी तरह से पूछतापूछता सुधा के घर जा पहुंचा, पर वहां दरवाजे पर ताला लटका मिला. किसी पड़ोसी ने बताया कि वह अपनी बेटी के स्कूल गई हुई है.

मायूस हो कर रात को नर्सिंगहोम में सुधा से मिलने की सोच कर रवि सीधा अपने दफ्तर चला गया. आज उस का दिन बड़ी मुश्किल से कट रहा था. वह चाहता था कि किसी तरह से जल्दी से रात हो और वह सुधा से मिल कर उस से माफी मांग ले.

रात के 8 बजने वाले थे. सुधा के नर्सिंगहोम आने का समय हो चुका था, इसलिए तैयार हो कर रवि भी नर्सिंगहोम की ओर बढ़ चला था. मन में अपनी व सुधा की ओर से आतेजाते सवालों का जवाब ढूंढ़तेढूंढ़ते वह कब नर्सिंगहोम के गेट पर जा पहुंचा था, उसे पता ही नहीं चला.

रिसैप्शन पर पता चला कि सुधा प्राइवेट वार्ड के 4 नंबर कमरे में किसी मरीज की सेवा में लगी है. किसी तरह से इजाजत ले कर वह सीधा 4 नंबर कमरे में घुस गया, पर वहां का नजारा देख कर वह पलभर को ठिठक गया. सुधा एक नौजवान मरीज के अधनंगे शरीर को गीले तौलिए से पोंछ रही थी.

रवि को आगे बढ़ता देख उस ने उसे दरवाजे पर ही रुक जाने का इशारा किया. रवि दरवाजे पर ही ठिठक गया था.

मरीज का बदन पोंछने के बाद सुधा ने उसे दूसरे धुले हुए कपड़े पहनाए. उसे अपने हाथों से एक कप दूध पिलाया और कुछ बिसकुट भी तोड़तोड़ कर खिलाए. फिर वह उसे अपनी बांहों के सहारे से बिस्तर पर सुलाने की कोशिश करने लगी.

मरीज को नींद नहीं आते देख सुधा उस के सिर पर हाथ फेरते हुए व थपकी दे कर उसे सुलाने की कोशिश करने लगी थी. उस के ममता भरे बरताव से मरीज को थोड़ी ही देर में नींद आ गई थी.

जैसे ही मरीज को नींद आई, रवि लपक कर सुधा के करीब आ गया था. उस ने सुधा को अपनी बांहों में भरने की कोशिश की, पर सुधा छिटक कर उस से दूर हो गई.

‘‘अरे, यह आप क्या कर रहे हैं. आप वही हैं न, जो कुछ दिन पहले यहां एक सड़क हादसे के बाद दाखिल हुए थे. अब आप को क्या दिक्कत है?’ सुधा ने उस से पूछा.

‘‘अरे, यह क्या कह रही हो तुम? ऐसे अजनबियों जैसी बातें क्यों कर रही हो? मैं तुम्हारा वही रवि हूं जिस ने तुम्हारे प्यार के बदले में तुम से भी उतना ही प्यार किया था और हम जल्दी ही शादी करने वाले थे,’’ कहता हुआ रवि उस के करीब आ गया.

रवि की बातों के जवाब में सुधा ने कहा, ‘‘मिस्टर आप रवि हैं या कवि, आप की बातें मेरी समझ से परे हैं. आप किस प्यार और किस शादी की बात कर रहे हैं, मैं समझ नहीं पा रही हूं.

‘‘देखिए, मैं एक नर्स हूं. मेरा काम यहां मरीजों की सेवा करना है. भला इस में प्यार और शादी कहां से आ गई.’’

‘‘तो क्या आप ने मुझे भी महज एक मरीज के अलावा कुछ नहीं समझा?’’ रवि बौखलाते हुए बोला.

सुधा ने अपने मरीज की ओर देखते हुए रवि को धीरेधीरे बोलने का इशारा किया और उसे खींचते हुए दरवाजे तक ले गई. वह उस को समझाते हुए बोली, ‘‘आप को गलतफहमी हुई है. हम यहां प्यार करने नहीं बल्कि अपने मरीजों की सेवा करने आते हैं.

‘‘अगर हम भी प्यारव्यार और शादीवादी के चक्कर में पड़ने लगे तो हमारे घर में हर दिन एक नया पति दिखाई देगा.

‘‘प्लीज, आप यहां से जाइए और मेरे मरीज को चैन से सोने दीजिए.’’

इस बीच मरीज ने अपनी आंखें खोल लीं. उस ने सुधा से पानी पीने का इशारा किया. सुधा तुरंत जग में से पानी निकाल कर चम्मच से उसे पिलाने बैठ गई. पानी पिलातेपिलाते वह मरीज के सिर को भी सहलाए जा रही थी.

रवि सुधा से अपनी जिस बात के लिए माफी मांगने आया था, वह बात उस के दिल में ही रह गई. उसे तसल्ली हुई कि सुधा के मन में उस के प्रति ऐसी कोई बात कभी आई ही नहीं थी, जिसे सोच कर उस ने दूर तक के सपने देख लिए थे.

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सुधा रवि से ‘सौरी’ कहते हुए अपने मरीज की तीमारदारी में लग गई. रवि ने कमरे से बाहर निकलते हुए एक नजर सुधा व उस के मरीज पर डाली. मरीज को लगी हुई पेशाब की नली शायद निकल गई थी, इसलिए वह कराह रहा था. सुधा उसे प्यार से पुचकारते हुए फिर से नली को ठीक करने में लग गई थी.

सुधा की बातों और आज के उस के बरताव ने रवि के मन का सारा बोझ हलका कर दिया था.

आज रात रवि को जम कर नींद आई थी. एक हफ्ते तक दफ्तर के कामों में बिजी रहने के बाद रवि दोबारा अपने गांव जाने वाली रेल में सवार था. उस की रेल भी उसे गुंजा तक जल्दी पहुंचाने के लिए पटरियों पर सरपट दौड़ लगाती हुई आगे बढ़ी चली जा रही थी. जो गांव उसे कल तक काटता था और जिस की ओर वह मुड़ कर भी नहीं देखना चाहता था, आज उस के आगोश में समाने को बेताब था.

DIWALI 2021: इस दीवाली ट्राय करें ये 9 रंगोली

बाजार में मिलने वाली पाउडरनुमा रंगोली से आप ने कई बार रंगोली बनाई होगी, लेकिन इस बार कुछ नया ट्राई करें ताकि घर आए मेहमानों की नजर आप की रंगोली पर ठहर जाए. आइए, जानें तरह-तरह की रंगोली बनाना:

1. कुंदन रंगोली

डिजाइनर कपड़ों की तरह अगर आप डिजाइनर रंगोली से अपने आंगन को सजाना चाहती हैं तो बाजार में उपलब्ध रैडीमेड कुंदन रंगोली से बढि़या विकल्प और कोई नहीं. चूंकि इसे बनाने के लिए रंगबिरंगे कुंदन इस्तेमाल किए जाते हैं, इसलिए यह देखने में काफी आकर्षक नजर आती है.

2. फ्लोटिंग रंगोली

पानी में तैरती रंगोली भी इन दिनों डिमांड में है, लेकिन घबराएं नहीं इसे आप को बनाने की जरूरत नहीं है. यह बाजार में रैडीमेड मिलती है. इसे घर ला कर पानी से भरे बाउल में बस डालना होता है. यह पानी में तैरने लगती है. मुख्यद्वार, आंगन के साथ ही ऐसी रंगोली टेबल डैकोरेशन के भी काम आती है. इस के लिए पानी से भरा बाउल टेबल पर रख कर उस में फ्लोटिंग रंगोली डाल दें.

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3. स्टीकर रंगोली

अगर आप के पास रंगोली बनाने का समय नहीं है या आप को रंगोली बनानी नहीं आती है, तो चिंता करने की जरूरत नहीं है. आप स्टीकर रंगोली का चुनाव कर सकती हैं. इस के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती. बस जगह के अनुसार छोटीबड़ी जैसी चाहें वैसी रंगोली का स्टीकर खरीद कर घर ले जाएं और उसे मुख्यद्वार के सामने या आंगन में चिपका दें. दूसरी रंगोली जहां अगले दिन ही बिखर जाती है वहीं स्टीकर रंगोली कई महीनों तक ज्यों की त्यों रहती है.

4. चौक से बनी रंगोली

अगर आप की ड्राइंग अच्छी है तो आप फर्श पर चौक से भी रंगोली बना सकती हैं. इस के लिए अलगअलग रंग की चौक खरीदें और प्रयोग से पहले पानी में कुछ देर के लिए भिगो दें. फिर धीरेधीरे रंगोली बनाती जाएं. जैसेजैसे भारी चौक से बनी डिजाइन सूखेगी वैसेवैसे रंगोली का रंग और भी गहरा नजर आएगा.

5. ग्लास पेंटिंग रंगोली

ग्लास पर पेंटिंग ब्रश से बनाई गई रंगबिरंगी रंगोली भी काफी खूबसूरत नजर आती है. इन दिनों ग्लास पेंटिंग रंगोली काफी डिमांड में है. आप चाहें तो इसे अपनी पहली पसंद बना सकती हैं. बाजार में यह छोटी, बड़ी और मध्यम हर आकार और कई रंगों में मिलती है.

6. फूलों की रंगोली

मेहमानों का ध्यान आकर्षित करने के लिए रंगबिरंगे फूलों की रंगोली बनाई जा सकती है. इसे बनाने के लिए खासकर गुलाब, कमल, गेंदा, एस्टर के फूलों की पंखुडि़यों का इस्तेमाल किया जाता है. फूलों के साथ पत्तों का इस्तेमाल कर और भी आकर्षक बनाया जा सकता है. रंगों के साथ खुशबू भी फूलों की रंगोली की खासीयत है. इन दिनों पानी में तैरती फूलों की रंगोली भी काफी पसंद की जा रही है.

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7. वुडन रंगोली

लकड़ी के बेस पर स्टोन, मोती, स्पार्कल आदि की सहायता से बनाई गई रंगोली पहली नजर में ही सब का मन मोह लेती है. बाजार में यह अलगअलग भागों (पत्ते अलग, फूल अलग) में रैडीमेड मिलती है. बस इसे घर ला कर सैट करने की जरूरत होती है. वुडन रंगोली वुडन फ्लोरिंग वाले कमरे में ज्यादा जंचती है. दीवाली के बाद इसे दीवार पर टांग कर वाल डैकोरेशन भी की जा सकती है.

8. अनाज की रंगोली

दाल, चावल, गेहूं, सूजी के अलावा आटे से भी रंगोली बनाई जा सकती है. इस के लिए अलगअलग रंग की साबूत दाल जैसे मूंग, मसूर, तुअर, चना, मटर का प्रयोग करें. इसी तरह चावल को हलदी से रंग कर या कुमकुम लगा कर पीला और लाल रंग दें और फिर चावल का इस्तेमाल करते हुए रंगोली बनाएं. बेसन, मैदा, गेहूं और चावल के आटे से भी रंगोली बनाई जा सकती है.

9. मिलीजुली रंगोली

चाहें तो फूल, अनाज और दीयों का प्रयोग कर के भी बेहद खूबसूरत रंगोली बना सकती हैं. इस के लिए पहले चौक की सहायता से जमीन पर बड़ी डिजाइन बना लें. अब इस के कुछ हिस्सों में फूलों की पंखुडि़यां, कुछ में पत्ते, कुछ में रंगे चावल तो कुछ में हरीपीली दालें डाल कर इसे सुंदर रूप दें. जब रंगोली तैयार हो जाए, तो उस पर जलते हुए कुछ दीए रख दें.

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दादी अम्मा : आखिर कहां चली गई थी दादी अम्मा

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दूर रहें या पास, जगे रहें एहसास

विवाह का मकसद ही है लंबी दूरी तक एकसाथ चलते जाना, पर दूरी से विवाह और अपने फूलतेफलते कैरियर को क्यों प्रभावित होने दें? आजकल कई लड़कियां अपने लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप को अपने कैरियर के बीच में नहीं आने देना चाहतीं. इस विषय पर कुछ पत्नियों से बात की गई. उन के विचार जान कर समाज में आता बदलाव साफ दिखाई देता है.

अलग अलग रहना आसान नहीं

मुंबई की कविता टीवी सीरियल्स में काम करती हैं. 7 साल पहले उन का विवाह दिल्ली के एक बिजनैसमैन से हुआ था. वे बताती हैं, ‘‘अलगअलग रहना आसान नहीं है. बहुत धैर्य रखना पड़ता है. एकदूसरे पर विश्वास रखना पड़ता है और एकदूसरे को समझना पड़ता है. हम अकसर फोन पर ही रहते हैं. वीडियो कौल चलती रहती है. हम अपने रिश्ते को अच्छा बनाने की कोशिश करते हैं. रोज हमें एकदूसरे के बारे में पता चलता रहता है. 2-3 महीनों बाद ही मिलना होता है. बीचबीच में काम नहीं होता तो साथ रहना होता है. जब भी हम लंबे समय बाद मिलते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे खोया प्यार मिल गया हो. यहां मुंबई में मैं अपने मातापिता के साथ रहती हूं. जब मुंबई में होती हूं पति और ससुराल की हर चीज याद आती है. दिल्ली में होती हूं तो पेरैंट्स याद आते हैं.’’

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रिश्ते में विश्वास जरूरी

अंधेरी, मुंबई निवासी सीमा बंसल ने दुबई निवासी अनिल मेहरा से विवाह किया. जैसे ही सीमा ने वहां जा कर घरगृहस्थी संभाली, उन्हें मुंबई में ड्रैस डिजाइनिंग का एक नया काम मिला. तब से वे हर महीने 15 दिनों के लिए मुंबई आती हैं. सीमा ने अपने अनुभव के बारे में बताया, ‘‘अब जीवन खूबसूरत लगता है. मैं दुबई शिफ्ट कर चुकी थी, क्योंकि मुझे अपनी घरगृहस्थी पर पूरा ध्यान देना था पर मैं यह औफर लेने से खुद को रोक नहीं पाई. मेरी ससुराल वाले आधुनिक और विकसित सोच वाले हैं. वे मुझ से पारंपरिक बहू बनने की उम्मीद भी नहीं करते. अनिल मेरे सब से अच्छे दोस्त हैं. वे अच्छी तरह जानते हैं कि वे मेरे लिए सब से महत्त्वपूर्ण हैं और वे मेरी दुनिया हैं. हमारा अफेयर 2 साल चला था. तब भी ये लौंग डिस्टैंस रिलेशन ही था. असल में दूर रहने से हम एकदूसरे को और अच्छी तरह जान गए. हमारे शौक भी एकजैसे हैं और हम एकदूसरे की स्पेस का सम्मान करते हैं. हमारे रिश्ते में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग 2 ठोस चीजें हैं. जब मैं मुंबई में होती हूं, उन्हें बहुत याद करती हूं.’’

एक नया अनुभव

गीता देसाई दिल्ली में एक मौडल हैं. उन्होंने यू.एस. में रहने वाले वौलेंटियों से विवाह किया है. वे भी अब वहीं रहती हैं पर जब उन्हें कोई शो औफर होता है वे दिल्ली आ जाती हैं. वे कहती हैं, ‘‘इस विवाह ने मुझे एक ताकत, एक संतुलन दिया है. अब मैं ज्यादा सेफ, रिलैक्स्ड और तनावमुक्त रहती हूं. वे बहुत अंडरस्टैंडिंग हैं. मैं अपनी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ कैसे बैलेंस करती हूं यह देख कर वे हमेशा खुश होते हैं. बहुत दिनों के बाद मिलना हमेशा एक नया अनुभव होता है. विश्वास और सम्मान लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप की 2 महत्त्वपूर्ण चीजें हैं. मैं स्वयं को खुशहाल समझती हूं. मैं कई तरह के कल्चर, परंपराओं, लोगों और लाइफस्टाइल का अनुभव कर रही हूं.’’

आपसी प्यार और सहयोग जरूरी

मुंबई की ही अभिनेत्री नीता बंसल का कहना है, ‘‘मेरे पति कोलकाता में रहते हैं. मैं ने बे्रक लेने का फैसला किया था पर मेरे पति और सासूमां ने 6 महीनों बाद काम करने की छूट दे दी. उन्होंने मुझे अपनी मरजी से काम करने के लिए कहा. उन्हीं दिनों एक सीरियल का औफर मिला तो मैं फिर मुंबई आ गई. वीडियो चैट होती रहती है. मेरे पति का भी काम से मुंबई आना होता रहता है. कभी मैं चली जाती हूं तो कभी सब को बुला लेती हूं.’’

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इन सब के विचार जानने के बाद लंबी दूरी के विवाह में सब से जरूरी चीजें हैं, आपस में विश्वास और अंडरस्टैंडिंग. वैसे देखा जाए तो ये हर विवाह में जरूरी है, पर कई बार रोज साथ रह कर भी रिश्ते में खटास आ जाती है और कई बार दूर रह कर भी प्यार बना रहता है. आजकल लड़कियां भी कैरियर में कम मेहनत नहीं करतीं. ऐसे में विवाह के बाद सारी मेहनत पर पानी फिर जाना उन्हें अच्छा नहीं लगता. ऐसी स्थिति में जीवनसाथी और ससुराल वालों का थोड़ा सहयोग मिल जाए तो वे भी प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ में सफल हो कर जीवन का आनंद उठा सकती हैं. बात बस आपसी प्यार और सहयोग पर ही निर्भर करती है.

आत्मनिर्भर होना है जरुरी – जय भारती (बाइक राइडर)

पिछले कुछ सालों से ट्रेवल करना मेरे लिए जरुरी हो गया था. आर्किटेक्ट होने की वजह से मुझे जॉब के साथ ही बहुत ट्रावेल करना पड़ता था. मैं हर साल किसी न किसी क्षेत्र में ट्रेवल करती रही. जब मैं हैदराबाद वापस आई, तो मुझे GoUNESCO चैलेंज में भाग लेने के लिए कहा गया, जिसमें पूरे भारत में 28 UNESCO साइट्स को एक साल में पूरा करना था. मैने इस चैलेज को लिया और इसे जीतने के बाद ट्रेवलिंग की उत्कंठा और अधिक बढ़ गयी. इन बातों को हंसती हुई कह रही थी,39 वर्ष की हैदराबाद की‘मोवो संस्था’ की संस्थापक बुलेट बाइकर जय भारती.

मिली प्रेरणा

जय भारती ने छोटी अवस्था से ही पिता प्रसाद रावकी छोटी लूना मोपेड चलाना सीख लिया था. उनका कहना है कि मेरे भाई और मुझमें, पिता ने कभी अंतर नहीं समझा. इसके बाद से मुझे गाडी चलाने का शौक बढ़ा और जो भी मोटरसाइकिल मेरे घर आती थी, मैं उसे चलाती थी. पहले मैंने शौक से चलाया, लेकिन पिछले 10 सालों से मैं सीरियसली बाइक चला रही हूँ, जिसमें केवल भारत ही नहीं इंडोनेशिया, वियतनाम, अमेरिका आदि कई जगहों पर एक मिशन के साथ बाइक चला चुकी हूँ. ये सही है कि मैंने बाइक चलाना फैशन के रूप में सीखा, लेकिन बहुत सारी महिलाओं को भी गाड़ी चलने का शौक होता है,पर उन्हें कोई सीखाने वाला नहीं होता. मैंने अपनी संस्था की तरफ से कम आय वाली 1500 महिलाओं को गाड़ी चलाना मुफ्त में सिखाया है. कुछ प्राइवेट गाडी चलाती है, तो कुछ रोज की चीजों को मार्केट से लाकर बेचती है या फिर कहीं आने जाने के लिए चलाती है. इसमें मैं उन्हें लाइसेंस अपने पैसे से लेने के लिए कहती हूँ, ताकि परिवार के लोग इसमें शामिल हो, क्योंकि कई बार लड़कियां घर पर बिना बताये गाडी सिखती है, इसलिए ऐसा करना पड़ा. मेरी इस टीम में 10 संस्था की और 10 फ्री लांस काम करते है. इसके अलावा मेरी कोशिश रहती है कि महिला को महिला इंस्ट्रक्टर ही सिखाएं, इससे वे अधिक जल्दी सीख लेती है, क्योंकि उनका कम्फर्ट लेवल अधिक अच्छा होता है.

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मिलता है कॉन्फिडेंस

बाइक राइडिंग सीखने के बाद जीवन में आये परिवर्तन के बारें में जय भारती कहती है कि मैं कई सालों से बाइक चला रही हूँ. मैने देखा है कि बाइक पर बैठते ही मुझे एक कॉन्फिडेंस आ जाता है, क्योंकि किसी भी गाडी को चलाना, उसे कंट्रोल करना आसान नहीं होता, इसे कंट्रोल कर लेने के बाद व्यक्ति बहुत अधिक आत्मविश्वास पा लेता है, जो आगे चलकर उनके जीवन की किसी भी कठिनाई को सॉल्व कर सकती है.कैम्पेन ‘मूविंग बाउंड्रीज’भी एक ऐसी ही मिशन है, जिसमें दुनियाभर में महिलाओं को अपने आवागमन को लेकर कई अड़चनों का सामना करना पड़ता है. वे अच्छी पढ़ाई या किसी कामके लिए घर से ज्यादा दूर नहीं जा पातीं, क्योंकि वे गाड़ी चला नहीं सकती और असुरक्षित यात्रा नहीं करना चाहती, ऐसे में उनके पास रोज़गार के काफी सीमित मौके ही रह जाते है, मैंअपनी मोटरबाइक पर इन 40 दिनों की यात्रा को लेकर बेहद उत्साहित हूँ. इस दौरान मुझे देश भर में सभी वर्गों की महिलाओं से मिलने और वर्कशॉप करने का मौका मिलेगा. जहां मैं उन्हें यह बता सकती हूं कि ड्राइविंग एक ऐसा काम है, जो न सिर्फ उनके लिए संभव है, बल्कि वे इसे रोज़गार के रूप में चुन सकती है. एक सुरक्षित माहौल निर्माण करना बेहद ज़रूरी है, जहां महिलाओं को न सिर्फ यात्रा करने के लिए भरोसेमंद ट्रांसपोर्टेशन की सुविधा मिले, बल्कि वे अपने वाहन खरीदकर आजीविका भी कमा सकें. यह एक शानदार तरीका है, जिसमें रोजगार के साथ-साथ सुरक्षा की भी गारंटी होती है और महिलाओं को पुरुषों पर निर्भर होना कम हो सकेगा. मेरे यहाँ तक पहुँचने में मेरी पिता का सबसे बड़ा हाथ है, उन्होंने कभी मुझे किसी काम से मना नहीं किया, इसके बाद मेरी दो भाइयों ने भी सपोर्ट दिया.

होते है आश्चर्य चकित

क्या महिला होकर बाइक चलाने को लेकर किसी प्रकार के ताने सुनने पड़े, पूछे जाने पर जय भारती कहती है कि शुरू में कई बार ताने सुनने पड़ते थे. इसके अलावा मोटरसाइकिल चलाते वक्त सबको ड्रेस पहनने पड़ते है, हेलमेट लगाना पड़ता है, इससे वे अच्छी तरह से पहचान नहीं पाते है कि लड़की है या लड़का. हाँ ऐसा जरुर होता है कि जब मैं बाइक रोकती हूँ, तो लोग मुझे देखकर चौक जाते है. कुछ लोग उसे पोजिटिव रूप में भी लेते है और खुश होकर अपनी बेटियों को भी सिखाने की इच्छा जाहिर करते है. 40 दिन की ये सफ़र 11 अक्तूबर कोयानि ‘इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे’ के दिन हैदराबाद से शुरू होकर बंगलुरु, चेन्नई,कोचीन, गोवा, पुणे, मुंबई, अहमदाबाद, दिल्ली, श्रीनगर आदि जगहों पर होते हुए हैदराबाद में अंत हो जाएगा. ये सफ़र पूरे भारतवर्ष का है. इसमें मुझे सनराइज सेशुरू कर, सनसेट के बाद कही रुकना पड़ता है. इसमें 4 या 5 महिलाएं मेरे साथ भाग लेती है, जो उनकी व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर करता है.इस दौरान मैं हर जगह की महिला ट्रेनिंग सेंटर्स सेमिलने की कोशिश करुँगी और कुछ महिलाओं की कहानियों को दूसरे शहरों में फैलाना चाहती हूँ, क्योंकि चेन्नई में 200 से अधिक ऑटो ड्राईवर महिला है, स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी के पास 50 प्रतिशत से अधिक महिला इलेक्ट्रिक ऑटो ड्राईवर है. इसलिए मैं दूसरे शहर की महिलाओं को प्रेरित करना चाहती हूँ, क्योंकि अगर मुंबई, अहमदाबाद, चेन्नई, दिल्ली आदि शहरों में महिलाये पब्लिक ट्रांसपोर्ट चला सकती है, तो बाकी शहरों में क्यों नहीं चला सकती. अधिक से अधिक महिला ड्राईवर देश में होने चाहिए.

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जरुरी है आत्मनिर्भर होना

जय भारती को इस काम में मुश्किल अधिक कुछ भी नहीं लगता है, क्योंकि बाइक चलाना मुश्किल नहीं होता, लेकिन सही संस्था के साथ जुड़ना आवश्यक है, क्योंकि हमारे देश में कई संस्थाएं है, जहाँ महिलाओं को ट्रेनिंग दी जाती है, पर वे इसे रोजगार के रूप में नहीं ले पाती, इन संस्थाओं में अधिक से अधिक महिलाओं को ड्राइविंग की ट्रेनिंग देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. इसके लिए इच्छुक महिलाओं को ढूढ़ निकालना भी बहुत मुश्किल होता है.

अनदेखा न करें ट्राफिक नियम

पेशे से मैं आर्किटेक्ट हूँ, लेकिन 2 साल पहले मैंने इसे छोड़ सोशल काम करना शुरू किया. इस काम में उम्र सीमा नहीं होती, पहले तो महिलाएं किसी की बाइक लेकर सीखती थी. पिछले 10 सालों में बहुत बदलाव आया है. आज तो किसी के बर्थडे पर बाइक गिफ्ट की जाती है. बाइक चलाना सीखते वक्त सबका सहयोग होता है, लेकिन सबसे अधिक सपोर्ट पुणे में मिला है. कुछ जगहों पर महिलाएं बिना बताये ड्राइविंग सीखने आ जाती है और कॉंफिडेंट होने पर घरवालों को बताती है. ड्राइविंग में सबसे जरुरी है, ट्राफिक के नियमों का पालन करना, लाइसेंस लेना, स्पीड लिमिट सही रखना, ताकि आप सुरक्षित ड्राइव कर सकें.

पैठनी साड़ी से महाराष्ट्रियन लुक में लगाएं चार चांद, पढ़ें खबर

साड़ी में हर नारी के आभा ऐसी खिलती जैसे किसी कुम्भार ने मिट्टी में आभा उकेरी साड़ी किसी भी औरत या लड़की की किसी भी तरह के त्योहार या किसी फंगस में पहनने जाने वाली पहली पसंद होती है वैसे तो हर औरत के वॉडरोब में सिल्क, बनारसी, बांधनी, चंदेरी, कॉटन के साड़ियों का संग्रह मिल जाता है. पर कुछ और भी पारम्परिक और डिजाइन की साड़ी महिलाओं की पसंद बन सकती है.

ऐसे में औरंगाबाद के पैठन से हाथ कारीगरों के द्वारा बुनी हुई साड़ी को पैठानी साड़ी का नाम दिया जाता है, ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पैठनी साड़ी बुनने की शुरुआत पैठन से ही हुई थी, लेकिन मौजूदा समय मे महाराष्ट्र के नाशिक शहर के येवला में सबसे ज्यादा पैठनी साड़ियों को बनाया जाता है. रेशम के धागों से बुनी हुई यह सुंदर साड़ी महराष्ट्रियन शादी का एक एहम हिसा है. दुल्हन के लिए खास लाल और हरे रंग की पैठनी साड़ी का चुनाव किया जाता है. सिर्फ शादी ही नहीं बल्कि किसी भी शुभ अवसर के लिए महाराष्ट्र में पैठनी साड़ी का चलन सबसे अधिक है. लेकिन अब ये सिर्फ महाराष्ट्र नहीं बल्कि पूरे हिंदुस्तान में इस रेशमी साड़ी को पहना जाता है. वजह है इसकी सुंदरता और रंगों का चुनाव.

काली पैठनी साड़ी

पैठनी साड़ीयो के इस सुंदर संग्रह की शुरुआत हम सबसे पहले काले रंग की पैठनी के साथ करते है, इस पैठनी साड़ी पर आपको एक बेहतरीन डिज़ाइनर ब्लाउज़ भी मिलेगा. काले रंग में सुनहरे और लाल रंग की जाने वाली कारीगरी साड़ी को खूबसूरत बनाती है.

पीली पैठनी

त्यौहारों के इस मौसम में पीला रंग पहनना बहुत ही शुभ माना जाता है. पीले रंग में हल्के सुनहरे रंग की बॉर्डर के साथ की जाने वाली कारीगरी साड़ी को और भी ज्यादा खूबसूरत बनाती है. इसके पल्लू और बॉर्डर पर आपको रंग-बिरंगे फूलों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

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गुलाबी पैठनी

यह गुलाबी पैठान बिलकुल ऐसी है जैसे रेशम पर किसी खूबसूरत सी कारीगरी को बुन दिया गया हो. हेवी बॉर्डर पल्लू होने के कारण आप इसे फ्रंट पल्लू स्टाइल में भी आराम से पहन सकती हैं. इसके संग दिये हुए ब्लाउज़ पर आपको सुनहरी बूटियों की कारीगरी देखने को मिल जाएगी.

गुलाबी हरी पैठनी

दिवाली हो या और कोई खास त्यौहार, यह पैठनी साड़ी हर मौके के लिए एकदम पर्फेक्ट चॉइस है. गुलाबी रंग को सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है. वजह है आप इस पैठनी को किसी भी खास और आम अवसर पर पहन सकती हैं. इस साड़ी के संग दिए हुए इसके विपरीत रंग के ब्लाउज़ ने इस साड़ी की शोभा को दुगना कर देता है.

लाल हरा पैठनी

लाल और हरे रंग का संगम हमेशा ही शानदार दिखाई देता है. लेकिन जब लाल रंग में ऐसी सुनहरी डिज़ाइन देखने को मिले तो साड़ी और भी खास हो जाती है. और इस संगम में सिर्फ साड़ी ही नहीं बल्कि आपको ब्लाउज़ भी डिज़ाइनर ही मिलेगा.

नीली पैठनी

इस पैठनी साड़ी की सबसे अच्छी बात यह है कि यह डार्क ब्लू रंग में है. गहरा नीला रंग हर महिला पर सुंदर दिखाई देता है. इसकी बॉर्डर की डिज़ाइन को बैंगनी और गुलाबी रंग की कारीगरी से सजाया गया है.

हाफ वाइट पैठनी

सौम्य और खूबसूरत पैठनी साड़ी पहनने की इच्छा हो तो आप यह ऑफ व्हाइट रंग की पैठनी साड़ी को आराम से पसंद कर सकती हैं. इसके ऑफ व्हाइट रंग को संतुलित करने के लिए इसकी बॉर्डर में सुनहरे और कई सारे रंगों का प्रयोग किया गया है.

स्ट्राबेरी लाल पैठनी

स्ट्रॉबेरी रंग की यह पैठनी साड़ी युवतियों में सबसे ज्यादा चर्चित है. इसका रंग संयोजन बेहद ही कमाल का है. इसकी कारीगरी में भी आपको सुंदर फूलों का आकार दिखाई देगा.

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ग्रे पैठनी

अगर आप पैठनी के आम रंगों से हटकर किसी रंग में पैठनी पहनना चाहती है तो यह साड़ी केवल आपके लिए है. ग्रे रंग में प्रस्तुत यह साड़ी पर गोल्ड रंग की बॉर्डर शानदार लूक दे रही है.

चेक डिजाइन पैठनी

जितनी खूबसूरत यह चेक्स पैटर्न में पैठनी साड़ी है उससे कई ज्यादा सुंदर इसका ब्लाउज़ है. इस ब्लाउज़ को आप अपनी दूसरी रेशमी और पैठनी साड़ियों के संग पहन
सकती हैं.

हीट ट्रीटमेंट और हेयर स्टाइलिंग प्रोडक्ट से बेजान हो गए हैं बाल तो करिए ये काम

मौजूदा दौर में हर लड़की परफेक्ट दिखना चाहती है. इसके लिए वो अपनी स्किन के साथ साथ बालों के साथ भी कई एक्सपेरीमेंट करती हैं. नए नए हेयर स्टाइल, हेयर कर्ल और हेयर स्ट्रेटनिंग का सहारा लेती है, जिसके लिए कई बार बालों को बहुत ज्यादा हीट ट्रीटमेंट भी सहना पड़ता है. ये कुछ वक्त के लिए तो अच्छा लगता है लेकिन इसका असर बालों पर काफी लंबे समय तक रहता है.

जी हां, बालों की हद से ज्यादा स्टाइलिंग करने और हेयर ट्रीटमेंट यूज करने से इसका सीधा असर उनकी जड़ों पर पड़ता है और वो कमजोर होकर टूटने लगते हैं. इसके लिए अलावा वो ड्राय और बेजान हो जाते हैं जिससे बालों की नेचुरल चमक खत्म हो जाती है और इसका असर हमारे पूरे लुक पर पड़ता है. इसीलिए आज हम आपको बताएंगे एक ऐसे आर्युवेदिक ट्रीटमेंट के बारे में जो आपके बालों की देखभाल भी करेगा और उन्हें बढ़ने में भी मदद करेगा.

केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर से बाल बनेंगे शानदार

अब वक्त आ गया है कि आप हेयर स्ट्रेटनिंग और हीट ट्रीटमेंट की वजह से झड़ते हुए या रूखे और मुरझाए बालों का सही से इलाज करें. इसके लिए आपको हफ्ते में 3 बार केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करना होगा, जिससे बालों का झड़ना होगा कम और केश किंग तेल, शैंपू और कंडीशनर से बाल बनेंगे शानदार.

ज्यादा हेयर स्टाइलिंग और हीट ट्रीटमेंट की वजह से बेजान हुए बालों के लिए केश किंग ऑयल, शैंपू और कंडीशन एक बेहतरीन ऑप्शन है क्योंकि इसमें है भृंगराज, आंवला और ब्राह्मी जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां जो बालों से जुड़ी कई समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद करती है. साथ ही एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां जो आपके बालों को फ्रिज़ीनेस से बचाने के साथ उन्हें मुलायम व खूबसूरत बनाने का काम करती है. इन प्रौडक्ट्स की खास बात ये है कि ये केमिकल्स से फ्री है , जिससे आपके बाल पूरी तरह से सेफ हैं. ये तेल इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड है और जिससे लाखों लोगों को फायदा मिला है.

आइए जानते हैं इसके 3 स्टेप हेयर केयर रूटीन के बारे में जो आपके बालों के लिए बेहद फायदेमंद होगा….

  1. हेयर ऑयलिंग और मसाज

जड़ी बूटी से युक्त ये आयुर्वेदिक तेल बालों के लिए एक टॉनिक की तरह काम करता है और बालों को जड़ों तक पोषण देता है, जिससे बाल मजबूत और घने होते हैं. सप्ताह में 3 बार बालों में Kesh King तेल से मसाज करने से बाल हैल्दी रहते हैं और इसके लगातार इस्तेमाल से बाल झड़ना भी बंद हो जाते हैं ये बालों को असमय सफेद होने से भी बचाता है.

ऐसे करें इस्तेमाल…

  • रात में सोने से पहले इस तेल की मसाज करने से आपको ज्यादा फायदा मिलेगा.
  • केश किंग के Deep Root Comb से बालों में मसाज करें, जो बालों की जड़ों तक तेल से पोषण देने में मदद करेगा.
  • इसके बाद बालों की हल्की चोटी बनाकर उन्हें रात भर के लिए छोड़ दे जिसे वो पूरी तरह बालों की जड़ों में पहुंच जाएगा और उन्हें पोषण देगा.
  • कभी भी किसी भी तेल को सख्ती से सर पर नहीं लगाए और न हीं रगड़े वरना इससे आपके बाल कमजोर होकर उखाड़ सकते हैं.

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तेल की खासियत

  • हेयर फॉल के लिए नंबर 1 तेल
  • बालों को गहरा पोषण देता है
  • इस तेल में हैं बालों के लिए फायदेमंद आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां जिनका कोई साइड इफेक्ट नहीं हैं.
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड क्रुएलिटी, पैराबेन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त
  1. शैंपू

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी-हेयरफॉल शैम्पू एक अनूठा और शक्तिशाली फॉर्मूला है, जो एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से भरा है. ये बालों को रेशमी, चमकदार और चिकना बनाता है वो भी बिना किसी साइड इफेक्ट के.

केश किंग शैंपू लगाने का तरीका

  • बालों को धोने से पहले कंघी जरूर करें ताकि वो उलझ कर टूटे न.
  • बाल धोने के लिए हमेशा गुनगुने पानी का प्रयोग करें.
  • बालों को गीला करें और फिर हल्के हाथों से केश किंग शैंपू को पूरे बालों में लगाएं.
  • 3-4 मिनट के बाद अच्छी तरह से धोले.
  • बालों को सुखाने के लिए तौलिये से न रगड़ें, बल्कि किसी मुलायम कपड़े या टीशर्ट से बालों को कवर करें और उन्हें नेचुरल तरीके से सुखाने की कोशिश करें.
  • केश किंग शैंपू को अपने बालो के हिसाब से हफ्ते में 3 या 2 बार इस्तेमाल करें.

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी हेयर फॉल शैंपू की खासियत

  • बाल टूटने की वजह से हो रहे हेयरफॉल को 80% तक कम करता है.
  • बालों को सिल्की, शाइनी और सौफ्ट बनाता है.
  • इसके इस्तेमाल से मिलेंगे हेल्दी और पोषित स्कैलप
  • पूरे परिवार के लिए उपयुक्त
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड
  • क्रुएलिटी, पैराबिन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त
  1. कंडीशनिंग

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी-हेयरफॉल कंडीशनर आपके बालों को बिना किसी भारीपन के फ्रिज़-फ्री, मुलायम, चिकना और चमकदार बनाता है. इसके अनूठे फॉर्मूले में एलोवेरा और 21 दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां शामिल हैं जो बालों के झड़ने को कम करने और फ्रिज़ी बालों को संभालने में मदद करती हैं.

कंडीशनर लगाने का तरीका

  • बालों को शैंपू से अच्छे से धोएं.
  • अगर ऑइल लगाया है तो दो बार धोते हुए स्कैल्प और बालों को साफ करें ताकि कंडीशनर का असर हो सके.
  • बालों को टॉवल से हल्का सुखा लें, ऐसा नहीं करने पर बालों से पानी के साथ कंडीशनर भी बह जाएगा.
  • बालो की लंबाई के हिसाब से कंडीशन लें और दोनों हथेलियों पर मल लें.
  • बालों को एक साइड पर लें और हथेली पर लगे कंडीशनर को मिड लेंथ से टिप तक लगाएं.
  • कंडीशनर लगाने के दौरान हाथों से ज्यादा प्रेशर न दें नहीं तो हेयरफॉल ज्यादा होगा.
  • ध्यान रहे कि कंडीशनर को कभी भी स्कैल्प पर न लगाएं.
  • 1-2 मिनट तक कंडीशनर को बालों पर रहने दें फिर उन्हें हल्के हाथ से धो लें.
  • बालों को टॉवल से रगड़कर न सुखाएं नहीं तो कंडीशनर का कोई फायदा नहीं होगा और बाल फ्रिजी हो जाएंगे

केश किंग आयुर्वेदिक एंटी हेयर फॉल कंडिशनर की खासियत

  • फ्रिजी बालों को संभालने में मदद करता है.
  • बालों का झड़ना कम करता है.
  • एलोवेरा और 21 दुर्लभ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों से तैयार
  • हर तरह के बालों के लिए परफेक्ट
  • इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट द्वारा सर्टिफाइड
  • क्रुएलिटी, पैराबिन और सिलिकॉन फ्री, हानिकारक रसायनों से मुक्त

बालों के लिए आजमाएं ये खास टिप्स

लगातार बढ़ता प्रदूषण बालों को कमजोर और बेजान बना देता है. ऐसे में ये टिप्स अपना कर बना सकती हैं अपने बालों को सुंदर और घना:

हेल्दी डाइट है बहुत जरूरी

-अपने खानें में प्रोटीन, विटामिन ए, बी, सी, डी, ई, बी कॉम्प्लेक्स, आयोडीन, फॉस्फोरस, कॉपर, सिलिकॉन, आयरन, मेग्निशियम, पोटेशियम जैसे तत्वों को शामिल करें. अंडे, पनीर, शकरकंद, पालक, मछली, केला, दूध, अनाज और साइट्रस फ्रूटस रोजाना खाएं.

-हेल्दी डाइट के साथ साथ आप केश किंग आयुर्वेदिक हेयर ग्रोथ कैप्सूल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं जो बालों के लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा.

-केश किंग आयुर्वेदिक कैप्सूल एक संपूर्ण आयुर्वेदिक फार्मूला है, जो प्रकृति में पाई जाने वाली 6 चुनी हुई जड़ी-बूटियों का उपयोग करके तैयार किया जाता है.

– बालों को पोषण देने के लिए नारियल के दूध का इस्तेमाल करें. नारियल का दूध बालों को पोषण तो देता ही है, साथ ही यह बालों को लंबा और चमकदार भी बनाता है. यदि आप के बाल ज्यादा रूखें हैं तो आप नारियल के दूध का इस्तेमाल जरूर करें. इस से आप के बाल सौफ्ट और सिल्की नजर आएंगे.

– बालों को चमकदार बनाने के लिए सिरके का इस्तेमाल भी कर सकती हैं. सिरके में पोटैशियम और गुणकारी ऐंजाइम होते हैं जो खुजली और रूसी से राहत दिलाते हैं. सेब का सिरका बालों को नई जान दे सकता है. बालों में सेब का सिरका महज 5 मिनट लगाने से ही बालों में नई चमक आ जाती है.

-इसके अलावा बालों की जड़ों से रूसी को हटाने के लिए 3 चम्मच दही में थोड़ा सा काली मिर्च पाउडर मिला कर लगाएं. आधे घंटे बाद इसे धो लें. इसे हफ्ते में 2 बार करें.

– गीले बालों में कंघी न करें, इस से बाल कमजोर हो जाते हैं.

– बाल धोने के लिए हॉट वॉटर इस्तेमाल न करें. महीने में 2 बार स्पा जरूर लें. यदि पार्लर नहीं जा सकती तो घर पर ही स्पा कर लें.

-बालों को स्टीम जरूर दें. अगर आप के पास स्टीमर नहीं है तो आप गरम तौलिए से भी बालों को स्टीम दे सकती हैं.

– बालों की देखभाल के लिए प्रोटीन ट्रीटमैंट जरूर लेना चाहिए. बालों को प्रोटीन ट्रीटमैंट देने के लिए 1 अंडे को फेंट कर गीले बालों में लगाएं. इसे 15 मिनट तक लगे रहने दें और फिर गुनगुने पानी से धो लें. इसके बाद एलोवेरा और 21 आयुर्वेदिक हर्ब्स की खूबियां वाले केश किंग शैंपू और कंडीशनर का इस्तेमाल करें.

-अगर आपको धूप में बाहर जाना है तो पहले बालों को हमेशा अच्छे से ढककर कवर करें. धूप के अलावा बारिश, तेज हवा और ठंडा मौसम भी बालों की प्राकृतिक नमी को सोखते हैं जिससे उन्हें नुकसान पहुंचता और उनकी चमक कम हो जाती है.

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