खुद के लिए एक दिन

कोरोनाकाल में घर और दफ्तर की भागतीदौड़ती जिंदगी में थोड़ा सा ठहरती हुई मैं रिश्तों के जाल में फंसी हुई खुद से ही खुद का परिचय कराती हुई मैं. एक बेटी, एक बहू, एक पत्नी, एक मां और एक कर्मचारी की भूमिका निभाते हुए खुद को ही भूलती हुई मैं, इसलिए सोचा चलो आज खुद के साथ ही 1 दिन बिताती हूं मैं.

अब आप लोग सोच रहे होंगे कि कोरोनाकाल में भी अगर मुझे खुद के लिए समय नहीं मिला तो फिर ताउम्र नहीं मिलेगा. पर अगर सच बोलूं तो शायद कोरोनाकाल में हम लोगों की अपनी प्राइवेसी खत्म हो गई है.

हम चाहें या न चाहें हम सब परिवाररूपी जाल में बंध गए हैं. घर में कोई भी एक ऐसा कोना नहीं है जहां खुद के साथ कुछ समय बिता सकूं. सब से पहले अगर यह बात सीधी तरह किसी को बोली जाए तो अधिकतर लोगों को समझ ही नहीं आएगा कि खुद के साथ समय बिताने के लिए 1 दिन की आवश्यकता ही क्या है?

आज का समय तो जब तक जरूरी न हो घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए पर क्या हर इंसान को भावनात्मक और मानसिक आजादी की आवश्यकता नहीं होती है? लोग माखौल उड़ाते हुए बोलेंगे कि यह नए जमाने की नई हवा है जिस के कारण यह फितूर मेरे दिमाग मे आया है. कुछ लोग यह जुमला उछालेंगे कि जब कोई काम नहीं होता न तो ऐसे ही खुद को पहचानने का कीड़ा दिमाग को काटता है. यह मैं इसलिए कह रही हूं क्योंकि शायद मैं भी उन लोगों मे से ही हूं जो ऐसे ही प्रतिक्रिया करेगा.

अगर कोई मुझ से भी बोले कि आज मैं खुद के साथ समय बिताना चाहती या चाहता हूं, तो ऐसे लोगों को हम स्वार्थी या बस अपने तक सीमित या बस केवल अपनी खुशी देखने वाला और भी न जाने क्याक्या बोलते हैं.

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चलिए, अब रबरबैंड की तरह बात को न खींचते हुए मैं अपने अनुभव को साझा करना चाहती हूं. खैर लौकडाउन खत्म हुआ और मेरा दफ्तर चालू हो गया पर बच्चों और पति का अभी भी घर से स्कूल और दफ्तर जारी था. छुट्टी का दिन मेरे लिए और अधिक व्यस्त होता है क्योंकि जिन कार्यों की अनदेखी मैं दफ्तर के कारण कर देती थी वे सब कार्य ठुनकते हुए कतार में सिर उठा कर खड़े रहते थे कि उन का नंबर कब आएगा? बच्चे अगर सामने से नहीं पर आंखों ही आंखों में यह जरूर जता देते हैं कि मैं हर दिन कितनी व्यस्त रहती हूं, उन को जब मेरी जरूरत होती है तो मैं दफ्तर के कार्यों में अपना सिर डाल कर बैठी रहती हूं.

पति महोदय का बस यही वाक्य होता है कि तुम्हें ही सारा काम क्यों दिया जाता है? जरूर तुम ही भागभाग कर हर काम के लिए लपकती होंगी. अरे, वर्कफ्रौम होम के लिए बात क्यों नहीं करती हो? पर फिर जब हर माह की 5 तारीख को जब वेतन आता है तो वे सारी चीजें भूल जाते हैं और नारीमुक्ति या उत्थान के पुजारी बन जाते हैं.

ऐसे ही एक ठिठुरते हुए रविवार में सब के लिए खाना परोसते हुए मेरे दिमाग में यह खयाल आया कि क्यों न दफ्तर से छुट्टी ले ली जाए और बस लेटी रहूं. घर पर तो यह मुमकिन नहीं था. पहले तो बिना किसी कारण छुट्टी लेना किसी को हजम नहीं होगा. दूसरा, अगर ले भी ली तो सारा समय घर के कामों में ही निकल जाना है. कहने को तो मेरे जीवन में बहुत सारे मित्र हैं पर ऐसा कोई नहीं है जिस के साथ मैं यह दिन साझा कर सकूं. पर न जाने क्यों मन ने कुछ नया करने की ठानी थी, खुद के साथ समय बिताने की दिल ने की मनमानी थी.

जब से यह खयाल मन में आया तो कुछ जिंदगी में रोमांच सा आ गया साथ ही साथ एक अनजाना डर भी था कि कहीं मैं इस वायरस की चपेट में न आ जाऊं पर फिर अंदर की औरत बोल उठी,’अरे तो रोज दफ्तर भी तो जाती हो. उस में भी तो इतना ही जोखिम है. मेरे पास भी कुछ ऐसा होना चाहिए जो मेरा बेहद निजी हो.’

पूरा रविवार पसोपेश में बीत गया. ‘करूं या न करूं…’ सोचते हुए सांझ हो गई. मुझे कहीं घूमने नहीं जाना था, न ही किसी दर्शनीय स्थल के दर्शन करने थे, कारण था कोरोना. मुझे तो अपने अंदर की औरत को पहचाना था कि क्या इस कोरोना की आपाधापी में उस में थोड़ी सी चिनगारी अभी भी बाकी है?

दफ्तर में तो छुट्टी की सूचना दे दी थी पर अब सवाल यह था कि खुद को कहां पर ले जाऊं? क्या होटल सेफ रहेगा या मौल के किसी कैफे में? तभी फेसबुक पर ओयो रूम दिखाई पड़े. यहां पर घंटों के हिसाब से कमरे उपलब्ध थे. किराया भी बस ₹1,000 तक था. कोरोना के कारण घर से ही चेकइन करने की सुविधा थी पर फिर दिमाग में आया कि कहीं पुलिस की रेड न पड़ जाए क्योंकि ऐसे माहौल में कमरे घंटों के हिसाब से क्यों लिए जाते हैं यह सब को पता है तो ऐसे कमरों में ठहरना क्या सुरक्षित रहेगा?

इधरउधर होटल खंगाले तो कोई भी होटल ₹5,000 से कम नहीं था. पति महोदय मेरी समस्या को चुटकी में ही हल कर सकते थे पर यह तो मेरी खुद के साथ की डेट थी फिर उन से मदद कैसे ले सकती थी? और अगर सच बोलूं तो मुझे अपने पति से कोई लैक्चर नहीं सुनना था. यह बात नहीं सुननी थी कि मैं मिडऐज क्राइसिस से गुजर रही हूं इसलिए ऐसी बचकानी हरकतें कर रही हूं.

माह की 27 तारीख थी. बहुत अधिक शाहीखर्च नहीं हो सकती थी इसलिए धड़कते दिल से एक ओयो रूम ₹900 में 8 घंटों के लिए बुक कर दिया. वहां से कन्फर्मेशन में भी आ गया. फिर शाम के 5 बजे से मैं अपने मोबाइल को ले कर बेहद सजग हो गई जैसे मेरी कोई चोरी छिपी हो उस में.

बेटे ने जैसे ही हमेशा की तरह मेरे मोबाइल को हाथ लगाया, मैं फट पड़ी,”मैं तुम्हारे मोबाइल को हाथ नहीं लगाती हूं तो तुम्हें क्या जरूरत पड़ी है?”

बेटा खिसिया कर बोला,”मम्मी, मेरे एक फ्रैंड ने मुझे ब्लौक कर रखा है या नहीं, बस यही देखना चाहता था.”

पति और घर के अन्य सदस्य मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देख रहे थे. मैं बिना कोई उत्तर दिए रसोई में घुस गई. फिर रात को मैं ने अपने कार्ड्स और आईडी सब अपने पर्स में रख लिए. सुबह दफ्तर के समय ही घर से निकली और धड़कते दिल से कैब बुक करी. कैब ड्राइवर ने कैब उस गंतव्य की तरफ बढ़ा दी और फिर करीब आधे घंटे के बाद हम वहां पहुंच गए.

मुझे उतरते हुए कैब ड्राइवर ने पूछा,”मैम, आप को यहीं जाना था न?”

मुझे पता था वह बाहर ओयो रूम का बोर्ड देख कर पूछ रहा होगा. मैं कट कर रह गई पर ऊपर से खुद को संयत करते हुए बोली,”हां, पर तुम क्यों पूछ रहे हो?” वह कुछ न बोला पर उस के होंठों पर व्यंगात्मक मुसकान मुझ से छिपी न रही.

मैं अंदर पहुंची पर कोई रिसैप्शन नहीं दिखाई दिया, फिर भी मैं अंदर पहुंच गई तो एक ड्राइंगरूम दिखाई दिया. 2 बड़े बड़े सोफे पड़े हुए थे और एक डाइनिंग टेबल भी थी. 2 लड़के सोए हुए थे. मुझे देखते हुए आंखे मलते हुए उठने ही वाले थे कि मैं तीर की गति से बाहर निकल गई. खुद पर गुस्सा आ रहा था कि एक भी ऐसा कोना नहीं है मेरे इस शहर में.शहर में ही क्यों, मेरा निजी कुछ भी नहीं है मेरे जीवन में.

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अब खुद के साथ समय बिताना भी मुश्किल हो गया था. जो फोन नंबर वहां पर अंकित था, वह मिलाया तो पता लगा कि वह नंबर आउट औफ सर्विस है. यह स्थान एक घनी आबादी में स्थित था इसलिए सड़क पर आतेजाते लोगों में से कुछ मुझे आश्चर्य से और कुछ बेशर्मी से देख रहे थे. मैं बिना कुछ सोचे तेजतेज कदमों से बाहर निकल गई. नहीं समझ आ रहा था कि कहां जाऊं?

ऐसे ही चलती रही. एक मन किया कि किसी मौल मैं चली जाऊं पर फिर वहां पर मैं क्या खुद से गुफ्तगू कर पाऊंगी? करीब 1 किलोमीटर चलतेचलते फिर से एक इमारत दिखाई दी. ओयो रूम का बोर्ड यहां भी मौजूद था. न जाने क्या सोचते हुए मैं उस इमारत की ओर बढ़ गई. वहां पर देखा कि रिसैप्शन आरंभ में ही था. उस पर बैठे हुए पुरूष को देख कर मैं ने बोला,”सर, कमरा मिल जाएगा?”

रिसैप्शनिस्ट बोला,”जरूर मैडम, कितने लोगों के लिए?”

मैं ने कहा,”बस मैं…”

उस ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा और फिर बोला,”मैडम, कोई मेहमान या दोस्त आएगा आप से मिलने?”

मैं बोली,”नहीं, दरअसल घर की चाबी नहीं मिल रही है,” न जाने क्यों एक झूठ जबान पर आ गया खुद को सामान्य दिखाने के लिए. मुझे मालूम था कि अगर उसे पता चलेगा कि मैं ऐसे ही समय बिताने आई हूं तो शायद वह मुझे पागल ही करार कर देता.

आज पहली बार मन ही मन कोरोना को धन्यवाद दिया. मास्क के पीछे मुझे बेहद सुरक्षित महसूस हो रहा था. रूम नंबर 202 के अंदर घुसते ही मैं ने देखा एक छोटा सा बैड है, साफसुथरी रजाई भी रखी हुई थी. मेरे सामने ही रूम को दोबारा सैनिटाइज करा गया था. मैं ने राहत की सांस ली और अपना मास्क निकाला और फिर दोबारा से हाथ सैनिटाइज कर लिए थे. टीवी चलाने की कोशिश करी तो जाना मुझे तो पता ही नहीं यह नए जमाने के स्मार्ट टीवी कैसे चलाते हैं. थोड़ीबहुत कोशिश करी और फिर नीचे से लड़का बुला कर टीवी को चलवाया गया.

एक म्यूजिक चैनल औन किया तो जाना कि न जाने कितने साल हाथों से फिसल गए. न कोई गाना पहचान पा रही थी और न ही कोई अभिनेता या अभिनेत्री. फिर भी कुछ झिझक के साथ रजाई ओढ़ते हुए मैं लेट गई. मन में यह सोचते हुए कि न जाने कितने जोड़ों ने इस को ओढ़ कर प्रेमक्रीड़ा करी होगी.

टनटन करते हुए व्हाट्सऐप के दफ्तर वाले ग्रुप पर कार्यों की बौछार हो रही थी. मैं ने तुरंत डेटा बंद किया और मन ही मन मुसकराने लगी.

कुछ आधे घंटे बाद एक असीम शांति महसूस हुई. ऐसी शांति जो कभी योगा में भी लाख कोशिशों के बाद भी नहीं हुई थी. लेटे हुए मैं यही सोच रही थी कि कौनकौन से मोड़ से जिंदगी गुजर गई और मुझे पता भी नहीं चला. फिर गुसलखाने जा कर अपनेआप को निहारने लगी. घर पर न तो फुरसत थी और न ही इजाजत, जैसे ही देखना चाहती कि एकाएक एक जुमला उछाला जाता,”अब क्या देख रही हो? कौनसा 16 साल की हो….” जैसे सुंदर दिखना बस युवाओं का मौलिक अधिकार है. 40 वर्ष की महिला तो महिला नहीं एक मशीन है.

आईना देखते हुए मेरी त्वचा ने चुगली करी कि कब से पार्लर का मुंह नहीं देखा? शायद पहले तो फिर भी माह में 1 बार चली जाती थी पर अब तो 9 माह से भी अधिक समय हो गया था. बाल भी बेहद रूखे और बेजान लग रहे थे. झिझकते हुए रूम से बाहर निकली तो देखा सामने ही पार्लर भी था. बिना कुछ सोचे कमरे में ताला लगाया और पार्लर चली गई. हेयर स्पा और फेसियल कराया तो बहुत मजा आया. ऐसा लगा जैसे खुद के लिए कुछ करना अंदर से असीम शांति और खुशी भर देता है.

जब 3 घंटे बाद कमरे में पहुंची तो कस कर भूख लग गई थी. इंटरकौम से खाना और्डर किया. बहुत दिनों बाद बिना किसी ग्लानि के अपना पसंदीदा तंदूरी रोटी और बेहद तीखा कोल्हापुरी पनीर खाया.

अब कोरोना का डर काफी हद तक दिमाग से निकल गया था. जब पूरे 8 घंटे बिताने के बाद मैं घर पहुंची तो देखा चारों ओर घर में तूफान आया हुआ है. अभीअभी दोनों बच्चे लड़ाई कर के बैठे थे. पर यह क्या मुझे बिलकुल भी गुस्सा नहीं आया. गुनगुनाती हुई मैं रसोई में घुस गई और गरमगरम पोहे बनाने में जुट गई.

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अंदर बैठी हुई खूबसूरत महिला फिर से दिल के दरवाजे पर दस्तख दे रही थी कि मैं अगली डेट पर कब जा रही हूं? शायद दूसरों को खुश करने से पहले खुद को खुश करना जरूरी है. इस कोरोनाकाल में मेरे अंदर चिड़चिड़ापन और तनाव बढ़ गया था, जो आज काफी हद तक कम हो गया था.

बात तो समझ आ गई कि खुद के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है. लेकिन एक डेट के बाद यह भी समझ में अवश्य आ गया कि ऐसा कौंसैप्ट हमारे समाज मे अभी प्रचिलित नहीं है. अभी यह रचना लिखते हुए भी मेरे दिमाग मे यह बात आ रही है कि अगर उस दिन मुझे किसी जानपहचान वालों ने देख लिया होता तो शायद मैं भी उन के लिये एक अनसुलझी कहानी बन जाती. पर हम सब को तो मालूम है न कि हर प्रेमकहानी में थोड़ाबहुत जोखिम तो होता ही है और यह जोखिम मैं अब लेने के लिए तैयार हूं.

ऐसी है ‘कार्तिक-नायरा की बेटी , मिलिए ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ की नई ‘अक्षरा’ प्रणाली राठौर से

पिछले बारह वर्षों से भी अध्किा समय से ‘‘स्टार प्लस’’ पर प्रसारित हो रहा राजन शाही का अति लोकप्रिय सीरियल ‘‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’’ अब लंबा लीप लेने जा रहा है.इस बार सीरियल की कहानी कुछ वर्ष आगे बढ़ने के साथ ही कई किरदारों के कलाकार भी एकदम नए आ जाएंगे. मसलन- अब तक हिना खान,अक्षरा के किरदार में नजर आ रही थीं, लेकिन लीप के बाद अक्षरा के किरदार में प्रणाली राठौर नजर आने वाली हैं.

सर्वाधिक लोकप्रिय व लंबे समय से प्रसारित हो रहे सीरियल ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’ से जुड़ने को लेकर उत्साहित अभिनेत्री प्रणाली राठौर कहती हैं-‘‘सर्वाधिक सफल सीरियल की विरासत को आगे ले जाना एक सम्मान और सौभाग्य की बात है. मैं जिस सीरियल को देखते हुए बड़ी हुई हूं,उसी का हिस्सा बनना मेरे लिए गौरव की बात हैं. हिना खान से प्यार करने से लेकर सीरियल के सार को समझने तक, यह एक ऐसा एहसास है जिसे मैं सरल शब्दों में परिभाषित नहीं कर पाऊंगी.”

 

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प्रणाली की अक्षरा मस्ती पसंद है और सकारात्मकता से भरी है,जो उसके विचारों और भावनाओं में झलकती है.वह अपने परिवार से प्यार करती है और जरूरत पड़ने पर गोली भी खा सकती है.वह कहती हैं-“मैं चरित्र से इतना संबंधित हूं कि मुझे तुरंत जिस तरह से लिखा गया है उससे प्यार हो गया. साथ ही, असल जिंदगी में भी मैं अक्षरा की तरह ही फ्री-स्पिरिटेड हूं.मुझे अपने परिवार से प्यार है. वह वही हैं जिन्होंने मुझे और इसके माध्यम से समर्थन दिया है.’’

 

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राजन शाही और निर्देशकों कुट प्रोडक्शन की टीम के साथ काम करने के अपने अनुभव को साझा करते हुए वह कहती हैं-“राजन सर के साथ काम करना एक खुशी की बात है.क्योंकि हम सभी को उनके अनुभव से सीखने को मिलता है.जिस तरह से वह हमारा समर्थन करते हैं, बताते हैं कि चीजें बिल्कुल शानदार हैं.कंटेंट किंग है और वह दर्शकों की नब्ज को भी अच्छी तरह समझते हैं.इन दिनों बदलाव का हिस्सा बनना बहुत महत्वपूर्ण है कि दर्शक भी बुद्धिमान कथाओं को स्वीकार करने और उम्मीद करने के लिए तैयार हैं जहां से वह वापस लेने के लिए कुछ लेते हैं. ”

 

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सीरियल ‘‘यह रिश्ता क्या कहलाता है’’एक मानवीय मूल्यों और रिश्तों का प्रतीक है.और राजन शाही अपनी कुरकुरी कहानी के लिए जाने जाते हैं.इससे सहमति जताते हुए प्रणाली राठौर कहती हैं-‘‘रिश्ते और मानवीय मूल्य इस ग्रह पर दो सबसे मूल्यवान चीजें हैं और मेरा मानना है कि हम एक ऐसे उद्योग में हैं,जो हमारी कहानियों के माध्यम से दर्शकों को व्यक्त करने के लिए सबसे अच्छी तरह से जाना जाता है.राजन सर जो कुछ भी करते हैं,उसमें उस्ताद हैं.क्योंकि वह कहानी के हर विवरण में आते हैं और प्रत्येक विवरण को स्वयं परिष्कृत करते हैं.मुझे लगता है कि यह सब उन्हें आज हमारे उद्योग में सबसे अच्छे श्रोताओं में से एक बनाते हैं.’’

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प्रेम त्रिकोण और सीरियल के शीर्षक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए प्रणाली कहती हैं-“मुझे लगता है कि प्रेम त्रिकोण कहानी को वास्तव में दिलचस्प बनाते हैं. लेकिन मेरा यह भी मानना है कि किसी भी चीज के प्रति प्यार शुद्ध होना चाहिए और जो ऐसा महसूस करता है वह विजयी होता है.जहां तक शीर्षक का सवाल है, मुझे लगता है कि यह सवाल है कि हम सभी को खुद से पूछना चाहिए कि आप अपने जीवन में जो रिश्ता कमाते हैं, वह आपके और साथी व्यक्ति के लिए क्या मायने रखता है. मुझे लगता है कि जब हम इसका उत्तर जान लेंगे, तो दुनिया मानव जाति के लिए एक बेहतर जगह होगी.‘‘

तेजो और फतेह की जिंदगी में एंट्री मारेगा ये हैंडसम हंक, Udaariyaan में आएगा नया ट्विस्ट

इन दिनों अनुपमा के अलावा टीवी सीरियल ‘उड़ारियां’ (Udaariyaan) फैंस का दिल जीत रहा है, जिसके चलते सीरियल टौप 5 में आ गया है. वहीं सीरियल की कहानी की बात करें तो तेजो और फतेह की कहानी में आज भी जैस्मिन चाल चलती नजर आ रही है. लेकिन जल्द ही सीरियल में एक नए एक्टर की एंट्री होने वाली है, जिसके चलते सीरियल में नया ट्विस्ट आता नजर आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

#fatejo की लाइफ में होगी नई एंट्री

 

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खबरों की मानें तो उड़ारियां में पौपुलर एक्टर करण वी ग्रोवर की एंट्री होने वाली है, जिसका एक वीडियो सोशलमीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें दिवाली सेलिब्रेशन के मौके पर करण वी ग्रोवर, फतेह और तेजो संग डांस करते नजर आ रहे हैं. वहीं उड़ारियां में करण वीर ग्रोवर का रोल काफी अहम साबित होने वाला है, जिसका फैंस इंतजार कर रहे हैं.

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तेजो औऱ फतेह रखेंगे एक दूसरे के लिए व्रत

सीरियल के अपकमिंग ट्रैक की बात करें तो तेजो, फतेह के लिए करवाचौथ का व्रत रखने के लिए मना कर देगी. लेकिन वह चोरी छिपे व्रत रखेगी. दूसरी तरफ फतेह भी तेजो के लिए व्रत रखेगा. लेकिन जैस्मिन समझेगी कि उसने उसके लिए व्रत रखा है. वहीं जैस्मिन अपना व्रत तोड़ देगी. इसी के साथ ही फतेह, तेजो को देखकर अपना व्रत तोड़ता नजर आएगा, जिसे देखकर जैस्मिन का सपना चकनाचूर हो जाएगा.

 

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लेटेस्ट ट्रैक की बात करें तो हाल ही में तेजो ने अपने एक्स हस्बैंड जस से छुटकारा पाया है और उसे पुलिस के हवाले कर दिया है, जिसके बाद जैस्मिन का सच फतेह के सामने आ चुका है.

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आदित्य से दूर होने का फैसला करेगी Imlie, मां के साथ मिलकर मालिनी बनाएगी नया प्लान

स्टार प्लस के सीरियल ‘इमली’ (Imlie) में आए दिन नए मोड़ आ रहे हैं, जिसके चलते शो टीआरपी चार्ट्स में कमाल कर रहा है. दरअसल, मालिनी की हर चाल को इमली नाकामयाब करके त्रिपाठी परिवार का दिल जीत रही है. वहीं इमली आदित्य के भी करीब आ रही है. लेकिन मालिनी ने अपनी चालों से हार नहीं मानी है. जल्द ही वह कुछ ऐसा करने वाली है, जिसका सीधा असर इमली और आदित्य के रिश्ते पर पड़ेगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अपर्णा ने दिया बहू का अधिकार

 

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अब तक आपने देखा कि अपर्णा, इमली (Imlie) को अपनी बहू के तौर पर स्वीकार कर लेती है. साथ ही अपनी बहू इमली को सरप्राइज देने की तैयारी करती है और घर के सभी लोग मिलकर डांडिया नाइट सेलिब्रेट करते नजर आए, जिसे देखकर जहां इमली बेहद खुश नजर आई तो वहीं मालिनी जलन के मारे गुस्से में नजर आई. वहीं डांडिया में भी मालिनी ने आदित्य के साथ डांस करने का सोचा तो भी इमली ने नई चाल चली और प्रैग्नेंसी के कारण उसे आराम करने के लिए कहा.

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मालिनी करेगी इमली की खुशी में नाटक

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि डांडिया में जहां इमली-आदित्य की रोमांटिक कैमेस्ट्री देखने को मिलेगी तो वहीं त्रिपाठी परिवार इमली का स्वागत आदित्य के कमरे में करेगा, जिसके लिए अपर्णा तैयारियां करती है. वहीं मालिनी अपनी नई चाल चलते हुए इमली का स्वागत करने का नाटक करेगी और परिवार का दिल जीतेगी. हालांकि इमली उसे अकेले में कहेगी कि अब वह उसकी किसी चाल में नही फंसेगी.

मालिनी का ये होगा नया प्लान

दूसरी तरफ आप देखेंगे कि मालिनी अपनी मां अनु से कहेगी कि वह इमली के साथ रहेगी और जो कुछ भी वह उसके खिलाफ कर सकती है वह करेगी. साथ ही वह आदित्य के परिवार के सामने अच्छा काम करेगी और उसे और इसके परिवार को इमली के खिलाफ कर देगी. हालांकि इमली, आदित्य से कहेगी कि वह उसके साथ एक ही बिस्तर पर तब तक नहीं सो सकती जब तक कि उसे दोबारा अपने रिश्ते पर विश्वास नहीं हो जाता.

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प्यार साथी के घरवालों से

प्यार की परिधि व्यापक होती है. जिस से प्यार होता है उस से संबंधित लोगों, चीजों और बातों आदि तमाम पक्षों से प्यार हो जाता है. प्यार विवाहपूर्व हो तो प्रिय को पाने के लिए उस के घर वालों से भी प्यार उस राह को आसान और सुगम बना देता है और जहां तक विवाह के बाद की बात है, वहां भी साथी के घर वालों से प्यार रिश्तों में मजबूत जुड़ाव और परिवार का अटूट अंग बनाने में सहायक होता है. हमारे यहां विवाह संबंध 2 व्यक्तियों के बजाय 2 परिवारों का संबंध माना जाता है, इसलिए उस में सिर्फ व्यक्ति के बजाय समूह को प्रधानता दी जाती है. केवल प्रिय या अपने बच्चों तक ही प्यार को स्वार्थ माना जाता है. केवल अपने लिए जिए तो क्या जिए? उस तरह तो हर प्राणी जीता है.

दरअसल, बहू हमारे यहां परिवार की धुरी है, उसी पर हमारे वंश का जिम्मा है, इसलिए उसे परिवार की भावना को अगली पीढ़ी में सुसंस्कार डालने वाली माना जाता है.

क्या कहते हैं अनुभव

राजेश्वरी आमेटा ससुराल में काफी लोकप्रिय हैं. उन के पति डाक्टर हैं और उन्हें भी ससुराल पक्ष व उन के परिचितों से बहुत स्नेह मिला. डा. आमेटा कहते हैं, ‘‘मैं स्वभाव से संकोची और कम बोलने वाला था पर बड़े परिवार में शादी होने से मुझे अपने से छोटेबड़ों का इतना मानसम्मान तथा प्यार मिला कि मुझे जो सामाजिकता पसंद न थी, वह भी अच्छी लगने लगी. राजेश्वरी कहती हैं, ‘‘शादी का मतलब ही प्रेम का विस्तार है. मेरी ससुराल में ससुरजी के 3 भाइयों का परिवार एक ही मकान में रहता था, इसलिए दिन भर घर में रौनक व चहलपहल का माहौल रहता था.’’

अगर मन में यह बात रखी जाए कि पारिवारिकता से आप को प्यार देने के साथसाथ उस की प्राप्ति का सुख भी मिलता है, पारिवारिकता आप के मन को विस्तार देती है, समायोजन में सहूलियत पैदा करती है, तो साथी के घर वालों से भी सहज ही प्यार हो जाता है. मनोवैज्ञानिक सलाहकार डा. प्रीति सोढ़ी इस तरह के संबंधों पर मनोवैज्ञानिक रोशनी डालते हुए बताती हैं कि साथी के घर वालों या संबंधियों से प्यार सपोर्टेड रिलेशनशिप कहलाता है. इस से भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है, आत्मीयता और एकदूसरे के प्रति हमदर्दी में बहुत सपोर्ट मिलता है और लड़ाईझगड़े कम होते हैं. नकारात्मक सोच के लिए कोई मौका नहीं मिलता.

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मिलती सकारात्मक ऊर्जा

हमारे यहां परिवारों में ज्यादातर झगड़े पक्षपात, कमज्यादा लेनदेन व स्नेहभाव कमज्यादा होने पर होते हैं. इसलिए साथी के संबंधियों से प्यार आप का मानसम्मान, हौसला और अहमियत बढ़ाने वाला होता है. लेखिका शिवानी अग्रवाल कहती हैं, ‘‘शुरूशुरू में यह प्यार आप को जतानाबताना पड़ता है, लेकिन धीरेधीरे यह सहज हो जाता है. मसलन, आप उन को बुलाएं, उन का इंतजार करें, उन की पसंदनापसंद का खयाल रखें, उन की जन्मतिथि, शादी की वर्षगांठ आदि याद रखें. यानी भावनात्मक रूप से जुड़ें. फिर ये सब दोनों तरफ से होने लगता है, तो आप अपनेआप पर फख्र करते हैं.’’ आभा माथुर कहती हैं, ‘‘केवल बातों की बादशाही से काम नहीं चलता, उन्हें मूर्त रूप दिया जाना जरूरी होता है. अविवाहित ननद है, तो उस की सहेली बनें. देवर या ननद के छोटेछोटे काम कर दें. साथ खाना खाएं. बाजार से पति बच्चों के लिए कुछ लाएं तो उन्हें न भूलें जैसे सैकड़ों कार्य हैं इस प्यार की अभिव्यक्ति के.’’

सच भी है, साथी के घर वालों से प्यार करने से घरपरिवार में सकारात्मक ऊर्जा रहती है. उन्हें नहीं लगता कि उन का भाई, बेटा, पोता या बहन, बेटी, पोती किसी ने छीन ली या दूर कर ली है. कई बार लगता है एक व्यक्ति से जुड़ कर कई लोगों से रिश्ते बने. अपने घरपरिवार वालों से साथी के बारे में अच्छी प्रतिक्रिया से मन बहुत खुश रहता है. लगता है हमें अच्छा साथी मिला. जिस के साथी की निंदा होती हो, वह अच्छा भी हो, तो भी लगता है जैसे उस व्यक्ति के चयन में कोई गड़बड़ी या गलती हो गई है. एक प्रेमविवाह करने वाला जोड़ा कहता है, ‘‘शुरूशुरू में हम दोनों एकदूसरे में ही खोए हुए थे. इस वजह से हमें किसी और का ध्यान ही नहीं आया. पर संबंधियों से हमें इतना प्यार मिला कि हमें एकदूसरे के घर वालों से बहुत प्यार हो गया और अब बढ़ता जा रहा है. हमारे घर वालों ने हमारी पुरानी बातें भुला कर अच्छा ही किया, वरना तनातनी होती व बढ़ती. अब हमें जिंदगी जीने का मजा आ रहा है.’’ कुछ लोगों को लगता है साथी के घर वालों को ज्यादा भाव देने से वे हमारे घर में दखल करेंगे. उन का हस्तक्षेप हमारे जीवन के सुख को कम कर सकता है, व्यावहारिकता से देखासोचा जाए तो सचाई तो यह है प्यार से रिश्तों को पुख्ता बनाने में मदद मिलती है. हारीबीमारी के वक्त, परिस्थिति को जानना, झेलना आसान हो जाता है. हम किसी के साथ हैं तो कोई हमारे साथ भी है, छोटेछोटे परिवार होने पर भी बड़े परिवार का लाभ मिल जाता है.

जहां नहीं होती आत्मीयता

चिरंजी लाल की 6 बहनें हैं. वे कहते हैं, ‘‘माफ कीजिएगा, हम पुरुष जितनी आसानी से ससुराल वालों को मान देते हैं, उतना हमारी पत्नियां हमारे घर वालों को मान नहीं देतीं. मैं पत्नी के भाइयों की खूब खातिर करता हूं, पर मेरी पत्नी मेरे भाईबहनों का उतना आदरसम्मान नहीं करतं, बल्कि मुझे उन से सावधान रहने जैसी बातें कह कर भड़काती रहती हैं. मेरी पत्नी बेहद सुंदर है फिर भी वह मन से भी उतनी ही सुंदर होती, तो मेरे दिल के और करीब होती.’’ जो एकदूसरे के घर वालों से जुड़ नहीं पाते उन्हें मलाल रहता है. इस का कहीं न कहीं उन के अपने प्यार पर भी प्रभाव पड़ता है. प्यार के शुरुआती दिनों में तो यह चल जाता है पर बाद में यह बात आपसी रिश्तों में खींचतान व खटास का कारण भी बनती है. प्रेमविवाह हो या परंपरागत विवाह, साथी के घर वालों से प्यार करने से सुख बढ़ता ही है, अपना भी व दूसरों का भी. यार से हस्तक्षेप बढ़ता है यह भ्रम ही है. मौके पर अच्छी सलाह और मदद अलादीन के चिराग का काम करती है. आज हम किसी के सुखदुख में खड़े हैं, तो कल को कोई हमारे साथ खड़ा होगा. जीवन हमेशा एक जैसा नहीं चलता.

मेरी बचपन की एक सहेली को विवाह के बाद गुपचुप दूसरा विवाह कर के उस के पति ने धोखा दिया. उस के ससुराल वालों ने अपने बेटे का बहिष्कार कर के कानूनन तलाक करवा कर उसे अपनी बेटी बना कर, उस का अपने घर से ही दूसरा विवाह कराया. यदि उस का पति के घर वालों से लगावजुड़ाव नहीं होता, तो यह कभी संभव ही नहीं था.

देखें अपने आसपास

साथी के घर वालों से जुड़ाव का नतीजा आसपास आसानी से देखा जा सकता है. जो ऐसा करते हैं, वे औरों की अपेक्षा ज्यादा मान और भाव पाते हैं. 3 बहुओं व बेटों के होने पर भी ऐसा करने वाला एक व्यक्ति उन पर भारी पड़ता है, उस की पूछ ज्यादा होती है. विवाह और प्यार के मूल में पारिवारिकता है, जो इसे नहीं समझ पाते वे कटेकटे व अलगथलग पड़ जाते हैं. दूसरों से जुड़ कर और अपने से जोड़ कर ही तो हम भी खुल कर कुछ कह सकते हैं और अपनी बात बता सकते हैं. इस जुड़ाव से बहुत से कठिन मौके आसान हो जाते हैं. साथी के घर वालों से जुड़ कर साथी से जुड़ी शिकायतें भी दूर की जा सकती हैं. मसलन, नशा, जुआ या ऐसे ही तमाम ऐबतथा गैरजिम्मेदारी भरे रवैए. जहां यह पारिवारिक जुड़ाव नहीं, वहां तनाव भी पसरता है. साथी एकदूसरे को खुदगर्ज व अपनों से दूर करने वाला भी समझते हैं. तमाम सुखसुविधाओं के बीच भी आधाअधूरापन अनुभव होता है. बच्चों में भी स्वत: यह प्रवृत्ति आती जाती है.

जब हम किसी से जुड़ाव और प्यार रखते हैं, तो औपचारिकता में कड़वी लगने वाली बातें भी आत्मीयता के कारण सहजस्वाभाविक लगती हैं. एकदूसरे के प्रति स्नेह बढ़ता है व रिश्तों की समझ पैदा भी होती है. व्यर्थ के गिलेशिकवे, ताने, तनातनी, लड़ाईझगड़े हो नहीं पाते. जैसे बिखरे पन्नों को बाइंडर किताब के रूप में जोड़ देता है, जिस से लगता ही नहीं कि वे अलगअलग भी थे. यही काम साथी के घर वालों से प्यार पर किसी रिश्ते का होता है.

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Health से जुड़ी इन समस्याओं का इलाज बताएं?

सवाल-

मैं 32 साल की विवाहित स्त्री हूं. मुझे कुछ सालों से डायबिटीज है. दवा लेने से ब्लडशुगर कंट्रोल में रहता है. लेकिन मुझे बारबार वैजाइना में कैंडिडियासिस हो जाता है. दही जैसी सफेद पपड़ी जम जाती है. वैजाइना में खुजली होती है. इतना ही नहीं, सैक्स में भी परेशानी होती है. बताएं क्या करूं?

जवाब-

डायबिटीज में वैजाइना में कैंडिडा का इन्फैक्शन भी हो सकता है. पर इन्फैक्शन अगर बारबार हो तो समझ लें कि ब्लडशुगर कंट्रोल में नहीं है. अपने डायबिटोलौजिस्ट से मिलें. शुगर की जांच कराएं और फिर डाक्टर की सलाह से डायबिटीजरोधी दवा में परिवर्तन लाएं.

साथ ही कैंडिडियासिस से छुटकारा पाने के लिए किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञा से मिलें. उन की सलाह के अनुसार वैजाइनल कैंडिडारोधक क्रीम या पेसरी (जैसे माइकोस्टेटिन, निस्टेटिन) का प्रयोग करें. ध्यान रखें कि कोर्स पूरा होने तक दवा लें. दवा लेना बीच में न छोड़ें. और हां, यह इलाज आप के पति को भी लेना होगा वरना इन्फैक्शन दोबारा हो सकता है.

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सवाल-

मैं 24 साल की युवती हूं. इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर ऐप्लिकेशंस में मास्टर्स कर रही हूं. इधर कई दिनों से अपनी आंखों को ले कर परेशान हूं. आंखें ड्राई रहने लगी हैं. कभीकभी नजर धुंधली पड़ जाती है. मेरे एक सहपाठी का कहना है कि उसे भी यह समस्या हुई थी. जब वह आई स्पैशलिस्ट के पास गया तो उन्होंने ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ डायग्नोज करते हुए उसे कुछ आई ड्रौप्स डालने के लिए कहा था, जिस से कुछ ही दिनों में आराम आ गया था. कृपया बताएं कि मैं क्या करूं?

जवाब-

अच्छा होगा कि आप कम से कम 1 बार अपनी आंखें किसी आई स्पैशलिस्ट को दिखा लें. बहुत मुमकिन है कि आप के सहपाठी का अनुमान ठीक हो. ऐसे लोग जिन्हें रोजाना घंटों कंप्यूटर पर काम करना होता है, उन्हें ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ होने का रिस्क बना रहता है.

सच यह है कि आंखों का नम रहना उन की तंदुरुस्ती के लिए जरूरी है. इसीलिए प्रकृति ने हमें अश्रुग्रंथियां दी हैं. जबजब हम पलकें झपकते हैं, इन ग्रंथियों से आंसू की बूंदें रिस कर आंखों की सतह को नम कर देती हैं. हमारे जानेअनजाने हमारी अश्रुग्रंथियों से आए आंसू हमारी आंखों पर बहुत महीन फिल्म बिछाए रखते हैं और इसी नमी से आंखें शुष्क होने से बची रहती हैं. लेकिन हम जैसेजैसे प्रकृति से दूर होते जा रहे हैं, वैसेवैसे आंखों के इस सुरक्षाकवच में सेंध लगती जा रही है. बड़े शहरों में प्रदूषण बढ़ने, कंप्यूटर पर घंटों काम करने, आसपास बीड़ीसिगरेट का धुआं छाए रहने, चौबीसों घंटे शुष्क एयरकंडिशंड हवा में रहने से आंखों पर बिछी रहने वाली नमी की हलकी परत सूख जाती है. महानगरों में इसी से ‘ड्राई आई सिंड्रोम’ के भुक्तभोगियों की संख्या बढ़ रही है.

कुछ छोटेछोटे उपायों से हम इस मुश्किल को नियंत्रण में ला सकते हैं, जैसे कंप्यूटर पर काम करते हुए पलकों को बारबार झपकाने की आदत बना लें. कंप्यूटर मौनिटर पर एकटक आंखें गड़ा कर न रखें. बीचबीच में आंखों को आराम दें. बाल धोने के बाद उन्हें अगर हेयरड्रायर से सुखाएं तो आंखों को ड्रायर की हवा से बचाएं. स्कूटर या मोटरसाइकिल पर बैठी हों तो गौगल्स लगा लें. अगर डाक्टर सलाह दें तो नियम से दिन में आर्टिफिशियल टियर ड्रौप्स और रात में सोने से पहले नेत्र ओएंटमैंट डाल कर आंखों की नमी बनाई रखी जा सकती है.

सवाल-

मेरी पीठ के बिलकुल निचले छोर से बारबार पस का रिसाव होता है. ऐसा लगता है जैसे कोई जख्म बन गया है. पट्टी कराकरा कर थक गया हूं, पर यह रिसाव बंद नहीं हो रहा. डाक्टर के अनुसार मुझे पाइलोनाइडल साइनस हो गया है. उन की राय है कि मुझे इस का औपरेशन कराना पड़ेगा. मैं ने सुना है कि औपरेशन के बाद यह साइनस दोबारा हो जाता है. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं? पाइलोनाइडल साइनस होता क्या है इस से कैसे छुटकारा पाऊं?

जवाब-

जैसे चूहा जमीन को खोद कर अंदर ही अंदर लंबी पतली सुरंग बना लेता है. वैसे ही रीढ़ के बिलकुल निचले हिस्से में कभीकभी बाल के पोर से शुरू हो कर पतली सुरंग जैसी बन जाती है, जिसे पाइलोनाइडल साइनस कहते हैं. यह आम विकार किसी भी उम्र में पनप सकता है. यह उठतेबैठते, चलतेफिरते, खड़े होते वक्त कूल्हों के बीच सक्शन पैदा होने से होता है. सक्शन के कारण बाल सतही खाल और उस के नीचे के ऊतकों को बेधते हुए नीचे तक महीन दरार पैदा कर देते हैं. इस क्षेत्र में चूंकि पसीना इकट्ठा होता रहता है, साफसफाई पर ध्यान नहीं रहता, इसी से दरार में संक्रमण पैदा हो जाता है और मवाद बनने लगता है. पाइलोनाइडल साइनस का इलाज औपरेशन ही है. यह सर्जरी आप किसी भी अनुभवी सर्जन से करा सकते हैं.

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सवाल-

मैं 23 साल की युवती हूं. मेरी समस्या विचित्र सी है. जैसे ही मैं घर से बाहर सूर्य की रोशनी में निकलती हूं चेहरे और बदन पर लाल रंग के चकत्ते उभर आते हैं और खुजली शुरू हो जाती है. कृपया बताएं कि मुझे यह परेशानी किस कारण से हो रही है. इस से छुटकारा पाने के लिए क्या करना चाहिए?

जवाब-

सूर्य के प्रकाश में अल्ट्रावायलेट किरणें पाई जाती हैं. कुछ लोगों की त्वचा इन किरणों के प्रति जरूरत से ज्यादा संवेदनशील होती है. धूप में निकलते ही चेहरे और बदन पर लाल चकत्ते उभरना और खुजली होना इस बात का द्योतक है कि आप भी सोलर अर्टिकेरिया की ऐलर्जिक समस्या से प्रभावित हैं.

इस परेशानी से बचने के लिए धूप में कम से कम निकलें. अगर निकलना ही हो तो चेहरे जिस्म के अन्य अनढके अंगों पर सनस्क्रीन लोशन लगा लें. यह लोशन कम से कम 15 एस.पी.एफ. वाला हो. इस के अलावा समस्या से उबरने के लिए स्किन स्पैशलिस्ट की सलाह से ऐलर्जीरोधी दवा और स्टेराइड क्रीम लगाने से भी आराम मिलेगा.

– डा. यतीश अग्रवाल

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

फैशन में जाह्वनी-सारा को भी मात देती है Mahima Makwana, सलमान की ‘Antim’ से करेंगी बॉलीवुड डेब्यू

बौलीवुड में टीवी हसीनाओं का जलवा इन दिनों जोरों पर है. मौनी रौय हो या सुरभि चंदना, हर कोई बौलीवुड की फिल्मों में काम करने लगी हैं. वहीं अब इन हसीनाओं में कलर्स के सीरियल शुभारंभ की लीड एक्ट्रेस महिमा मकवाना (Mahima Makwana) का नाम भी शामिल हो गया है. एक्ट्रेस महिमा मकवाना जल्द ही सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म ‘अंतिम’ (Antim) में नजर आने वाली हैं. फिल्म अंतिम में महिमा एक्टर आयुष शर्मा के साथ रोमांस करती नजर आएंगी, जिसे देखने के लिए फैंस एक्साइटेड हैं. लेकिन आज हम आपको महिमा की किसी फिल्म या सीरियल की कहानी की जानकारी नहीं देंगे बल्कि उनके फैशन की झलक दिखाएंगे. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

इंडियन लुक्स से बिखेरतीं जलवा

 

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टीवी के फेमस डेली सोप का हिस्सा रही हैं एक्ट्रेस महिमा मकवाना इंडियन अवतार में नजर आती हैं. लहंगा हो या साड़ी में वह बेहद खूबसूरत लगती हैं. फेस्टिव सीजन में महिमा का इंडियन अवतार बेहद फेमस है.

 

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बहू अवतार से बेब में दिखा लुक

 

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महिमा मकवाना (Mahima Makwana) ने 10 साल की उम्र में अपने करियर की शुरुआत की थी, जिसके बाद वह सीरियल्स में बेटी और बहू के रोल और अवतार में नजर आईं, जिसमें महिमा का लुक बेहद खूबसूरत लगता है. लेकिन इंडियन के अलावा वह हौट अवतार में भी बेहद खूबसूरत लगती हैं. महिमा के सोशलमीडिया पर नजर डालें तो वह हौट अवतार में फैंस की तारीफें बटोरतीं नजर आती हैं.

 

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Hot Look में लगती हैं खूबसूरत 

 

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महिमा मकवाना का हौट लुक बेहद खूबसूरत लगता है. ब्लैक ड्रैस हो या कोई वेस्टर्न अवतार बेहद स्टाइलिश है. इसके लुक सोशलमीडिया में छाया रहता है.

 

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भारतीय जनता परिवार में पुरोहिताई को जोर

हर संयुक्त परिवार की तरह कांग्रेस परिवार में सब कुछ अच्छा नहीं है. कभी कोई बहू नखरे दिखा कर अपना घर अलग बसा लेती है तो कभी कोई बेटीबेटा विधर्मी, विजातीय से शादी कर के प्यार का संबंध तोड़ देता है. कभी तो भाई अलग दुकान खोल कर संयुक्त परिवार को ही चुनौती देने लगता है. संयुक्त परिवार चलाना उतना ही कठिन है जितना एक राजनीतिक पार्टी खासतौर पर कांग्रेस की तरह जो हवेलियों का एक समूह है और जिस के पांव तरहतरह से फैले पड़े हैं और जर्जर हालत में हैं पर नाम अभी भी है.

पंजाब में अमरींद्र ङ्क्षसह को मुख्यमंत्री पद से निकालना या गोवा में पूर्व मुख्यमंत्री का जाना या उत्तर भारत के व्यापार पर भारतीय जनता पार्टी को कब्जा हो जाना इस संयुक्त परिवार के लिए चुनौती है पर अगर मैं इस में कुछ गोंद लगी है तो वह है कि यह संयुक्त परिवार बाजार को हर समय आश्वस्त करता है कि जब तक वह है कुछ न कुछ होगा और नए लोग बाजार पर कब्जा नहीं कर पाएंगे. इस संयुक्त परिवार में जाति और धर्म के भेदभाव भी नहीं है.

आजकल कांग्रेस का भविष्य इतना खराब नहीं लग रहा है क्योंकि दूसरे संयुक्त परिवार जिस ने मंदिर बनवा कर बाजार लूटा है, आगे है पर मंदिर तो पैसा खाता है, देता नहीं.

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भारतीय जनता परिवार में पुरोहिताई का इतना जोर है कि वहां या तो महापुरोहित की चलती या उस के 2, केवल 2 महाशिष्यों की. बाकी सब परिवार के व्यापार के मुनाफे का फायदा उठा सकते हैं पर यूं की नहीं कि उन्हें मेनका गांधी की तरह बाहर वाले कमरे में बैठा दिया जाएगा.

इस भारतीय जनता परिवार की देन भी कुछ नहीं है. यह चिट फंड कंपनियों की तरह मोटे ब्याज के सपने दिखाती रहती है और उस के  बल पर कहीं हवाई जहाज, कहीं, ऊंचे भवन बनवा लिए पर पीछे से घर की जमीनें जायदाद बेच रही है. इस दुकान के ग्राहक ज्यादा है पर अच्छी पैङ्क्षकग में उन्हें बासी, खराब या न चलने वाला माल मिल रहा है और किसी को भी व्यापार चलाना आता नहीं, सब सिर्फ भजन पूजन में लगे रहते हैं.

चूंकि भारतीय जनता परिवार ने खूब पाॢटयां दीं, खूब रंग रोगन करा कर मकान चमकाया, नाम तो हुआ पर कांग्रेसी हवेली की तरह दरारें वाली ही सहीं, मोटी दीवारें नहीं बन पाईं. 1707 के बाद जब मुगल साम्राज्य का पतन हुआ तो भी लालकिला 1857 देश की धुरी बना रहा, कोलकाता, मुंबई में वह दम नहीं रहा.

कांग्रेसी परिवार और भारतीय जनता परिवार में दोनों में आज नेतृत्व की कमी है. एक में पढ़ेलिखे है और दूसरे में अमीर अंधभक्त. बाजार में दोनों की दुकानें हैं, व्यापार है, पर ग्राहक दोनों से संतुष्ट नहीं है.

कांग्रेसी परिवार आजकल अपने पुनॢनर्माण में लग रहा है पर उस परिवार से छिटके ही इसे बड़ा प्रतियोगिता दे रहे हैं. इस के मुखिया सोनिया गांधी समझदार, उदार, अनुभवी है और संभल कर चलने वालों में से है पर बिमार है. बच्चे प्रियंका और राहुल अब हाथपैर मार रहे हैं.

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भारतीय जनता परिवार की अंदरूनी हालत और बुरी है, वहां पुरोहित जी तो दूर बैठे हुक्म देते रहते है और मुखियां को बोलना ही बोलना आता है. दूसरे नंबर के मुखियां रौबिले हैं, लखीमपुर खीरी के सांसद और उन के बेटे की तरह उग्र.

आप भी अगर संयुक्त परिवार में हैं और उस में दरारे दिख रही हैं तो इन पाॢटयों पर नजर डाल लें. इन से बहुत कुछ सीखने को मिल जाएगा जो न तो तिलकधारी बता पाएंगे न काले कोर्ट वाले. नजर छोटी दुकानों पर भी डाल लें कि अलग घर में रहना सही है या भरे पूरे घर में जहां अंत तक कोई साथ बना रहता है.

‘शुभ लाभ’ एक्ट्रेस गीतांजलि टिकेकर को किसका है इंतज़ार, पढ़ें इंटरव्यू

अभिनेत्री गीतांजलि टिकेकर महाराष्ट्र के पुणे की है. उन्होंने धारावाहिक ‘क्या हादसा क्या हकीकत’ से डेब्यू किया, लेकिन उन्हें सफलता ‘कसौटी जिंदगी की’में अपर्णा अनुराग बासु की भूमिका निभाकर मिली,जिसमें उन्होंने बहुत ही सहज भाव से अभिनय किया. उनकी भूमिका को आलोचकों की काफी तारीफ़ की. इसके बाद उन्होंने इस प्यार को क्या नाम दूँ, एक बार फिर, एक दूजे के वास्ते आदि कई टीवी शो में काम किया है. धारावाहिक ‘कसौटी जिंदगी की’ में अभिनय करते हुई उनकी मुलाकात अभिनेता सिकंदर खरबंदा से हुई, प्यार किया और शादी की. उनका बेटा शौर्य खरबंदा है, जो 12 साल का है. गीतांजलि सोनी सब टीवी की धारावाहिक ‘शुभ लाभ’ में सविता की भूमिका निभा रही है. ये एक कॉमेडी ड्रामा है, जिसे करने में उन्हें खूब मजा आ रहा है. हंसमुख स्वभाव की गीतांजलि सेउनकी जर्नी के बारें में बात हुई पेश है कुछ खास अंश.

सवाल-इस धारावाहिक में आपकी भूमिका आपसे कितना मेल खाती है?

ये भूमिका मेरे बिल्कुल विपरीत है.सविता मूडी है, कभी रूठ तो कभी मान जाती है और परिवार में होने वाली सारी समस्याओं का समाधान करती रहती है. मैं मूडी नहीं और हमेशा खुशमिजाज रहती हूं. असल में हर एक व्यक्ति के अंदर एक शक्ति होती है और व्यक्ति खुद ही उसे बाहर निकाल सकता है, इसके लिए किसी धार्मिक स्थानों पर जाना जरुरी नहीं.

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सवाल-अभिनय में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था?

अभिनय के बारें में कभी सोचा नहीं था, मेरे परिवार में कोई भी मनोरंजन की फील्ड में नहीं था. कॉलेज में रहते हुए मैंने कई नाटकों में भाग लिया और एक्टिंग पसंद करती थी. उस समय कॉलेज की कुछ लड़कियों में मॉडलिंग की इच्छा जागृत होने लगी थी, उसमें मैं भी एक थी,क्योंकि उस समय एश्वर्या राय, लारादत्ता जैसी कई सुंदरियों ने मिस वर्ल्ड का ख़िताब जीता था. मैं लकी थी, क्योंकि मैंने मॉडलिंग करना चाही और मौका मिल गया. मॉडलिंग करते-करते पुणे में ही एक शो के लिए ऑडिशन दिया और मैं चुन ली गयी. यही से मेरे अभिनय का सफर शुरू हो गया.

सवाल-पहली बार जब अभिनय के बारें में परिवार को बताया, तो उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?

परिवार वालों की तरफ से किसी प्रकार की समस्या नहीं आई. उन्होंने केवल मेरी पढाई पूरी करने की बात कही थी. मैंने पढाई के साथ-साथ टीवी से जुडी रही. मुझे ख़ुशी है कि मेरी जर्नी अब तक बहुत अच्छी रही.

सवाल-आप भाग्य या कर्म किस पर अधिक विश्वास करती है?

कर्म अगर अच्छा है, तो भाग्य अपने आप अच्छा हो जाता है. मन में मैल को लेकर धार्मिक काम कर समय ख़राब करने को मैं कभी अच्छा नहीं मानती, क्योंकि दिखावा करने की कोई आवश्यकता नहीं है.

सवाल-आप सिकंदर खरबंदा से कैसे मिली, उनकी कौन सी बातें आपको अच्छी लगी थी?

हम दोनों धारावाहिक ‘कसौटी जिंदगी की’में काम कर रहे थे. शो से पहले मेरी सिकंदर से थोड़ी दोस्ती थी. शो के दौरान हम दोनों मिलते थे और बातचीत होती थी. शो के ख़त्म होने के बाद पता चला कि हम दोनों एक दूसरे को मिस कर रहे है और मिलना जुलना बढ़ गया. इससे प्यार बढ़ा और ढाई साल की डेटिंग के बाद शादी की. पेरेंट्स भी बने, अभी 16 साल से हम साथ रह रहे है.

सवाल-सिकंदर की कौन सी बात आपको अच्छी लगी,जिससे आप आकर्षित हुई?

मेरे पति ने हमेशा कॉमिक करैक्टर में अभिनय किया है, इसलिए वे हमेशा मुझे हँसाते रहते थे. उनके साथ रहते हुए मैंने कभी डलनेस का अनुभव नहीं किया. मेरे उदास होने पर उसे वे मजकियाँ ढंग से पेश करते थे और मैं हंस देती थी. ये गुण मुझे बहुत अच्छी लगी. इसके अलावा वे मेरे परिवार और मेरा भी काफी ख्याल रखते है.

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सवाल-काम के साथ परिवार की देखभाल कैसे करती है?

इसका श्रेय मेरी सास को जाता है. आज के माहौल में बच्चे को किसी मेड सर्वेंट के पास छोड़कर जाना मुश्किल होता है. सास ने हर तरह से सपोर्ट किया और मैंने बच्चे की वजह से कभी काम में ब्रेक नहीं लिया. सास ने बच्चे को बहुत अच्छी तरीके से देख-भाल की है. उनकी वजह से आज मेरा कैरियर बना है.

सवाल-क्या हिंदी धारावाहिक के अलावा आपने मराठी या किसी दूसरे भाषा में एक्टिंग की है?

मेरी जर्नी हिंदी में बहुत अच्छी चल रही है, इसलिए मैने किसी दूसरी भाषा में काम करने की कोशिश नहीं की, लेकिन मुझे वेब सीरीज और मराठी फिल्मों में काम करने की इच्छा है, लेकिन सामने से कोई अच्छा ऑफर मुझे नहीं मिला,उसका मुझे इंतज़ार है.

सवाल-क्या इंडस्ट्री में गॉडफादर न होने की वजह से आपको किसी प्रकार की संघर्ष का सामना करना पड़ा?

मैंने कभी टेलीविज़न पर अपनी कैरियर बनाने के बारें में सोचा नहीं था. बालाजी टेलिफिल्म्स का ऑडिशन पुणे में हो रहा था, मैंने ऑडिशन दिया और चुन ली गयी. इसके बाद मैं मुंबई उस शो के लिए आई और एक के बाद एक बालाजी टेलेफिल्म्स की शो से जुडती चली गयी,इससे मुझे कुछ अधिक सोचना नहीं पड़ा. फिर मैंने मुंबई नहीं छोड़ी.

Bigg Boss 15: #tejran की कैमेस्ट्री पर उठाए Donal Bisht ने सवाल! मेकर्स के लिए कही ये बात

कलर्स के रियलिटी शो बिग बॉस 15 (Bigg Boss 15) में इन दिनों लड़ाई और प्यार देखने को मिल रहा है, जिसके बाद सोशलमीडिया पर शो छा गया है. वहीं हाल ही में घरवालों के द्वारा इविक्टिड हुईं टीवी एक्ट्रेस विधि और डोनल बिष्ट (Donal Bisht) चर्चा में हैं. इसी के चलते शो से जुड़े नए-नए खुलासे हो रहे हैं. इसी बीच डोनल बिष्ट ने करण कुंद्रा (Karan Kundrra) और तेजस्वी प्रकाश (Tejasswi Prakash) की कैमस्ट्री को लेकर बड़ा खुलासा किया है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शो को लेकर किया खुलासा

हाल ही में बिग बौस 15 की एक्स कंटेस्टेंट डोनल बिष्ट ने एक इंटरव्यू में कहा है कि मेकर्स कुछ चुनिंदा कंटेस्टेंट्स को अक्सर ही कंफेशन रूम में बुलाते थे. जब वो बाद में उन कंटेस्टेंट्स से पूछते थे कि उन्हें क्यों बुलाया गया तो वो कहते थे कि ये एक निजी बात है. वहीं इन सितारों में करण कुंद्रा, तेजस्वी प्रकाश, जय भानुशाली, सिंबा नागपाल और अकासा सिंह का नाम शामिल है.

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फैंस को हो रहा है #tejran की कैमेस्ट्री पर शक

इंटरव्यू देखने के बाद फैंस को लग रहा है कि शो में इन दिनों तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा के बीच पनप रहे रोमांस एक दिखावा है. हालांकि खुद डोनल बिष्ट ने इन दोनों सितारों के बीच दिख रहे रोमांस को फेक नहीं कहा है. लेकिन हाल ही में दोनों के बीच बढ़ी नजदीकियां दर्शकों को हैरान कर रही हैं.

बता दें, हाल ही में तेजस्वी प्रकाश के तबीयत खराब होने के कारण करण कुंद्रा डर गए थे. वहीं शो में ये भी देखने को मिल रहा है कि अकासा सिंह पूरी कोशिश कर रहे हैं कि करण अपने दिल की बात तेजस्वी को बता दें.

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