टूटा अनुपमा के सब्र का बांध, वनराज-बा ने उठाई कैरेक्टर पर उंगली तो लिया ये फैसला

रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) स्टारर सीरियल अनुपमा (Anupama) की जिंदगी में नया मोड़ आने वाला है, जिसके चलते वह अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करेगी. वहीं इस सफर में अनुपमा को परिवार के साथ की बजाय अनुज (Gaurav Khanna) का साथ मिलता नजर आएगा. हालांकि इस दौरान बा और वनराज (Sudhanshu Panday), अनुपमा के खिलाफ होंगे और काव्या (Madalsa Sharma) परिवार को उसके खिलाफ भड़काती नजर आएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुज का ख्याल रखती है अनुपमा

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा, अनुज के साथ मीटिंग के लिए दूर कहीं जाती है, जहां पर तेज बारिश के चलते दोनों का एक्सीडेंट हो जाता है और कार खराब हो जाती है. वहीं बारिश में भीगते हुए दोनों को एक जगह सहारा मिलता है. जहां से अनुपमा घर पर फोन तो करती है. लेकिन उसकी बात नहीं हो पाती. दूसरी तरफ अनुज की तबीयत खराब हो जाती है, जिसके बाद अनुपमा उसका ख्याल रखती नजर आ ती है.

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वनराज ने उठाई अनुपमा के कैरेक्टर पर उंगली

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज, अनुपमा के किए नंबर पर दोबारा फोन करता है, जिसके बाद उसे जवाब मिलता हो कि वह दोनों बैडरुम में गए हैं. वहीं ये सब सुनते ही जहां वनराज का पारा बढ़ जाता है तो काव्या और आग में घी डालना शुरु कर देती है. दूसरी तरफ अनुपमा घर लौटती है तो वनराज एकबार फिर अनुपमा पर बरस जाता है और पूरे परिवार के सामने उसके कैरेक्टर पर उंगली उठाता है.

घर छोड़ेगी अनुपमा

 

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इस दौरान वनराज एक बार फिर पूरे परिवार और बच्चों के सामने अनुपमा के कैरेक्टर पर कीचड़ उछालते हुए कहेगा कि गिरी तो तुम हो अनुपमा और अनुज कपाडिया (गौरव खन्ना) के साथ उस बरसात में, उस रात में और उस कमरे में… वहीं अनुज की ये बात सुनते ही अनुपमा चिल्लाते हुए कहेगी कि बहुत सम्मान हो गया, अग्नि परीक्षा राम को दी जाती है, रावण को नहीं, जिसे सुनकर बा अनुपमा पर चिल्लाएगी. लेकिन अनुपमा उन्हें भी चुप कराते हुए कहेगी कि अब अगर इस घर में मैं रही ना तो कान्हा जी कसम ये घर, घर नहीं रहेगा. इसलिए मैं ये घर छोड़कर जा रही हूं. हालांकि पाखी अनुपमा को रोकने की कोशिश करती नजर आएगी. लेकिन अनुपमा अपने फैसले पर अड़ी रहेगी. अब देखना होगा कि अनुपमा का परिवार के बिना नया सफर कैसा होता है.

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खूबसूरत महिला बौस से परेशान पत्नियां

राखी के पति रोहित औफिस से आने के बाद बस अपनी बौस की खूबसूरती का ही राग अलापते रहते कि आज उस ने ऐसी ड्रैस पहनी, उस का हेयरस्टाइल देखो, हमारे यू.एस. वाले क्लाइंट को उस ने कैसे इंप्रैस किया. राखी को पति पर विश्वास था पर फिर भी वह पति से इन बातों पर उलझ पड़ती कि तुम ने मेरी तो कभी तारीफ नहीं की, मैं ने कौन सी नई साड़ी ली है, तुम्हें नहीं पता, पर बौस की हर चीज पर तुम्हारी नजर रहती है. रोहित का कहना था, ‘‘मैं तुम्हें यह सब इसलिए बताता हूं, क्योंकि तुम बाहर कम जाती हो और तुम्हें भी आजकल के फैशन के बारे में पता होना चाहिए ताकि तुम भी मौडर्न और स्मार्ट बन सको.’’

लेकिन रोहित के ये तर्क राखी के लिए काफी नहीं थे. उसे हर पल ‘ऐतराज’ फिल्म की प्रियंका चोपड़ा और ‘सिर्फ तुम’ की सुष्मिता ही रोहित की बौस में नजर आती थीं, जो हर वक्त रोहित को इंप्रैस करने के बहाने खोजती होगी. यह स्थिति सिर्फ रोहित की पत्नी राखी की ही नहीं है, बल्कि कई घरेलू पत्नियां इस डर में जीती हैं और पति के बौस से एक अनचाही सी असुरक्षा महसूस करते हुए पति पर छींटाकशी करने लगती हैं. इस बारे में एक मल्टीनैशनल कंपनी में काम करने वाले अमित ने बताया, ‘‘मेरी पत्नी मेरी बौस से औफिस की एक पार्टी में मिली थी. तब उसे देख कर रुचि ने कहा, ‘आप की बौस तो बहुत खूबसूरत है.’ सच कहूं तो मेरा उस तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया था. मैं ने पहली बार बौस को ध्यान से देखा, तो लगा वाकई यह खूबसूरत है और यह बात मैं ने अपनी पत्नी से कह दी. तब से तो वह मेरे पीछे ही पड़ गई. औफिस में थोड़ी देर हो जाए तो उसे लगता है कि मैं बौस के ही साथ था. अगर कभी उसे कह दूं, ‘आज तुम साड़ी नहीं सूट पहन लो,’ तो वह पलट कर कहती है, ‘क्यों आप की बौस पहनती है इसलिए?’ उस की इन बातों से मैं तंग आ चुका हूं.’’

अकसर देखा जाता है कि पत्नी पति पर सवालों की झड़ी लगा देती है. औफिस में कौन सी मीटिंग थी? छुट्टी वाले दिन औफिस में कौन सा काम है? आजकल तुम्हारा मन घर में लगता ही कहां है? इस तरह के ताने बेचारे पतियों के लिए आम हो जाते हैं. महिला बौस की खूबसूरती तो मानो पति के लिए एक सजा हो जाती है. इस बारे में जब नेहा से पूछा गया तो उन का कहना था, ‘‘मैं मानती हूं कि हर पति गलत नहीं होता, पर अगर सामने वाली ‘ऐतराज’ फिल्म की प्रियंका चोपड़ा बनने पर उतारू हो जाए तो अच्छेअच्छों के कदम बहक जाएं और फिर बौस खूबसूरत हो और दिन में 8-10 घंटे जब वह आंखों के सामने रहे, तो मुझ जैसी सामान्य सी दिखने वाली पत्नी की वैल्यू कहीं न कहीं कम तो हो ही जाती है.’’ नेहा भी अपनी जगह सही है और पति महाशय अगर सही भी हों तो भी इस स्थिति में उन्हें सैंडविच बनने से कोई नहीं रोक सकता. तो आइए, जानें कि ऐसे में पतिपत्नी क्या करें-

पत्नियां ध्यान दें

हर महिला बौस फिल्मों में दिखाई गई बौस की तरह नहीं होती, उस का भी अपना परिवार होता है, इसलिए यह डर अपने मन से निकाल दीजिए.

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अगर आप फिल्मों को देख कर यह सोच रही हैं, तो यह भी देखें कि ऐसी औरतों के लाख जतन करने पर भी पति खुद को ‘ऐतराज’ फिल्म के अक्षय कुमार की तरह काबू में रखना जानते हैं.

अगर बौस काबिल है, तो आप कौन सा उन से कम हैं. वह औफिस संभाल रही है तो आप पूरा घर संभाल रही हैं.

बौस के सुंदर होने की बात है, तो क्यों न इसी बहाने आप भी खुद पर ध्यान देना शुरू कर दें.

आप शायद भूल गई हैं कि आप के फीचर्स, केश, पति की बौस से ज्यादा अच्छे हैं. बस, थोड़ी सी केयर करने की जरूरत है, जो आप गृहस्थी में फंसने के कारण कई सालों से नहीं कर पाईं.

पति ध्यान दें

अपनी खैर चाहते हैं, तो हर वक्त अपनी बौस की तारीफों के पुल बांधने बंद कर दीजिए.

अपनी बौस और पत्नी की तुलना करने की कोशिश न करें. दोनों का अलग व्यक्तित्व व गुण हैं. अपनी हमसफर की अच्छाइयां ढूंढ़ें, बुराइयां नहीं.

आप की पत्नी बौस से इनसिक्योरिटी फील कर रही है, तो बेवजह उसे हवा देने के बजाय प्यार से समझा कर गलतफहमी दूर करने की कोशिश करें, क्योंकि शक की यह दीमक अगर एक बार लग गई, तो आप की हंसतीखेलती गृहस्थी को खा जाएगी.

अगर बौस जबरदस्ती आप से नजदीकी बढ़ाने की कोशिश करे, तो स्पष्ट शब्दों में इनकार कर दें और यह बात अपनी पत्नी से छिपाएं नहीं.

अगर आप को लगे कि आप भी अपनी बौस की तरफ खिंच रहे हैं या आप के मन में भी चोर आ रहा है, ?तो तुरंत संभल जाइए. खतरे की घंटी बज चुकी है, इसलिए अपनी बौस से दूरियां बनानी शुरू कर दीजिए वरना आप की पत्नी के शक को यकीन में बदलते देर नहीं लगेगी.

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अगर बौस पत्नी से ज्यादा सुंदर है, तो क्या हुआ आप बाहरी रूप पर नहीं, बल्कि अपनी पत्नी के आंतरिक गुणों की खूबसूरती के बारे में सोचें. फैसला आप के हाथ में है. आप के लिए पल दो पल की खूबसूरती का बखान करना ज्यादा अच्छा है या फिर अपनी पत्नी के आजीवन रहने वाले गुणों का.

ठकठक गैंग की खतरे की टैक्नीक

चौराहों पर खड़ी बंद गाडिय़ों के शीशे ठकठका कर भीख मांगना या सामान बेचना एक आम बात है पर यह ठकठक गैंग की खतरे की टैक्नीक है. वे इतनी बार ठकठक कर के आपका ध्यान बटाते हैं कि न चाह कर भी आप का ध्यान बंट जाता है. पैट्रोल लीक कर रहा है, डिग्गी खुली है, टायर फ्लैट हो गया है जैसे इशारें अक्सर स्कूटर या बाइक पर सवार लोग कार ड्राइवरों को करते है और अगर 10 में से 1-2 सही हो तो 8-9 गलत इरादे वाले ही होते हैं. यह बात दूसरी उन के शिकार कुछ ही बनते है क्योंकि अब इतना ज्यादा प्रचार हो चुका है कि लोग होशियार रहने लगे हैं.

बेइमान हमेशा नएनए तरीके ढूंढ़ते रहते हैं एक जगह दिल्ली में स्कूटर पर सवार 2-3 गैंगों ने गुट बना लिया. एक ने ठकठक कर के पीछे की ओर ईशारा किया. सतर्क महिला कार ड्राइवर ने तुरंत गाड़ नहीं रोकी और काफी दूर तक चलती रही कि वे ठकठक करने वाले जा चुके होंगे. नहीं, उन के दूसरे साथी पीछे से आ रहे थे. महिला ने सावधानी के लिए उतरने से पहले अपना पर्स कंध्धेे पर टांग लिया कि कोई गाड़ी में से निकाल न ले जाए. तब वह उतर कर पीछे की ओर चैक करने लगी.

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पीछे से तभी वह दूसरा गुट आया और उस के कंधे से बैग छीन कर भागने लगा. औरत ने बैग को मजबूती से पकड़ लिया और 100 मीटर तक उसे घसीटा तब उन के हाथों में आया. उस में चाहे ज्यादा पैसे नहीं थे पर औरत की बहादुरी में बहुत बड़ा रिस्म भी था.

ज्यादा गंभीर बात यह है कि दिल्ली की हर सडक़ पर चालान करने वाले पुलिस वाले खड़े रहते हैं, जगहजगह कैमरे लगे हैं. बैरीयर हैं. ट्रैफिक जाम आम हैं. ऐसे में इस तरह के ठकठक गैंग के लोग बारबार एक ही रास्ते पर गुजरते हुए चालान काटने के लिए खड़े पुलिस वालों की नजर में नहीं आएं यह नहीं माना जा सकता.

ठकठक गैंग में जो शामिल होते हैं उन की चौराहे या सडक़ पर बारबार देखकर वहां घंटों खड़े पुलिस वाले की निगाह में आ ही जाने चाहिए. अगर फिर भी ये लोग वारदात कर देते हैं तो पक्का है कि उस में पुलिस की या तो भागीदारी है या उसका निक्मापन है.

जो पुलिस चालान करती है वह सडक़ पर हो रहे अपराध से पल्ला नहीं झाड़ सकती कि यह उस का काम नहीं है. जब वे किसी भी वाहन को बेबात में रोक कर पील्यूशन, फिटनैस, रजिस्ट्रेशन, लाईसैंस चैक कर सकते हैं तो उन के राज में ठकठक गैंग हैं और औरतों को निशाना बना रहे हैं तो वे पूरी तरह जवाबदेह हैं. दिल्ली पुलिस या कहीं की भी पुलिस जो चालान करने और बैरीयर लगाने में मुस्तैद है, सडक़ों की ठकठक गैंग से मुक्ति दिलाने को जिम्मेवार हैं. जिस सडक़ पर भी यह घटना हो वहां तैनात सभी पुलिसमैंन 5-7 दिन के लिए लाइन हाजिर तो होने चाहिए ताकि नागरिक सुरक्षित रहें.

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Diwali Special: इस दिवाली कैजुअल आउटफिट के साथ पाएं फेस्टिव लुक

इस दिवाली यदि आप खुद को फेस्टिव लुक देना चाहती हैं और आपका बजट ज्यादा नहीं है तो निराश होने की जरूरत नहीं. आप अपने कैजुअल आउटफिट यानी जीन्स और टौप को भी फेस्टिव लुक दे सकती हैं. आजकल बाजार में कई तरह के सीक्वेंस, खरोस्की बटन्स, लेसेज आदि मिलते हैं. आप उन्हें अपनी जीन्स व टौप में सजाकर डिजाइनर लुक दे सकती हैं.

यदि आपको लगता है कि आपका सूट, स्कर्ट, टौप, जीन्स जो भी होगा आउटफिट पहन रही हैं, बहुत सिंपल है तो उसके साथ सीक्वेंस बीड आदि वर्क वाला हैवी स्टोल पहनें. इससे आपका आउटफिट स्टाइलिश लगेगा.

प्लेन ब्लैक स्कर्ट के साथ कलर्ड टौप पहनें और स्कर्ट या टौप में से किसी एक को सीक्वेंस से सजाएं. आजकल बाजार में आयरन औन सीक्वेंस मोटिफ मिलते हैं. उनका इस्तेमाल भी कर सकती हैं.

प्लेन स्कर्ट के साथ ही टी-शर्ट या स्ट्रेपी टौप पहनें और खूब सारी चंकी मोती की चेन पहन लें. साथ में यदि ब्रोकेड बैग व चप्पल भी पहनेंगी तो कम बजट में स्टाइलिश नजर आना कोई मुश्किल काम नहीं है.

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आपने यदि आउटफिट बहुत मामूली पहना है, लेकिन एक्सेसरीज स्टाइलिश व हैवी पहनी है, तो आपका कंप्लीट लुक खूबसूरत और गार्जियस नजर आएगा, इसलिए आउटफिट के साथ-साथ एक्ससेरीज पर भी उतना ही ध्यान देना जरूरी है.

अपनी प्लेन जार्जेट या शिफान साड़ी को न्यू तथा हैवी लुक देने के लिए उसे कोर्सेट, ब्रोकेड ब्लाउज, स्पेगैटी आदि के साथ पहनें. यदि ऐसा नहीं करना चाहतीं, तो हैवी एक्ससेरीज पहनकर भी आप फेस्टिव लुक दे सकती हैं.

अगर आपका वेट ज्यादा है और आप हैवी साड़ी पहनना चाहती हैं तो हैवी मैसूर सिल्क की साड़ी लें. यह आपको स्लिमर लुक देगी. पैटल स्लीब्ज के ब्लाउज भी आपको देंगे फेस्टिव लुक.

इस दिवाली कुछ अलग हटकर दिखने के लिए पहनें लहंगा. अगर आप डिजाइनर लुक चाहें तो अपने लिए साड़ी भी डिजाइन करवा सकती हैं. पल्ले और प्लेट्स के लिए नेट इस्तेमाल करें और बाकी साड़ी के लिए जार्जेट काम में लें. आजकल डिजाइनिंग की जरी बार्डर भी बाजार में उपलब्ध है. इन्हें साड़ी में लगाएं और तैयार करें अपनी यूनिक डिजाइनर ड्रेस.

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साड़ी की ही तरह लहंगे भी महिलाओं की खास पसंद हैं. ए-लाइन लहँगे हमेशा ही फैशन में रहते हैं और हर फिगर को कौप्लीमेंट करते हैं. पर अगर आपका फिगर अट्रैक्टिव है तो फिर कट या स्ट्रेट कट लहंगे पहनें. ये आपको देंगे ट्रेडिशनल के साथ-साथ माडर्न लुक भी. ब्राकेड, जार्जेट, रौ-सिल्क और क्रेप सभी में डिजाइनर लहँगे बाजार में उपलब्ध हैं.

Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: पाखी को सबक सिखाएगी भवानी, देगी सई का साथ

स्टार प्लस के सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की कहानी में सई और विराट के बीच रिश्ते जहां सुधर रहे हैं तो वहीं पाखी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही, जिसके कारण सम्राट के साथ उसका रिश्ता खराब होता दिख रहा है. लेकिन अब भवानी भी पाखी की चालें समझ चुकी है, जिसके चलते सीरियल की कहानी में नया मोड़ आएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

सोनाली के कदम पर पाखी की खुशी

 

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अब तक आपने देखा कि सई के घर आने के बाद पूजा रखी जाती है, जिसमें भवानी, सोनाली को महाभोज के लिए मसाले पीसने के लिए कहती है. लेकिन सई उसकी मदद के लिए आगे आती है. लेकिन सोनाली उसे धक्का मार देती है, जिसके बाद भवानी उसे खूब खरी-खोटी सुनाती है. हालांकि सोनाली एक बार फिर सई को अनाथ कहकर पूरे परिवार के सामने बखेड़ा खड़ा कर देती है. लेकिन पाखी उसके इस कदम से बेहद खुश नजर आती है.

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सई के लिए भवानी ने दिया साथ

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि भवानी जहां आरती करने के लिए पत्रलेखा यानी पाखी और सम्राट को रोकेगी तो वहीं सई और विराट को उनकी जगह देगी, जिसके बाद पाखी का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है. वहीं भवानी कदम कदम पर जहां सई का साथ देगी तो वहीं पाखी की हरकतों को देखकर वह उसकी चालें समझ जाएगी और उसे सबक सिखाती नजर आएगी.

 

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विराट और सई के रिश्ते का होगा नया सफर

पाखी की चालों के बीच सई और विराट के रिश्ते की नई शुरुआत होगी, जिसके चलते विराट और सई एक दूसरे को निकनेम से पुकारते नजर आएंगे. दरअसल, विराट, सई को मिर्ची कहकर बुलाएगा और सई उसे मोदक कहकर पुकारेगी. वहीं अश्विनी, विराट को सब्र रखने के लिए कहेगी.

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एक साथ रात बिताएंगे अनुज और Anupama! वनराज को भड़काएगी काव्या

स्टार प्लस के टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी में आए दिन नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं, जिसके चलते सीरियल की कहानी दर्शकों को बेहद मजा आ रहा है. जल्द ही अनुपमा (Rupali Ganguly) के घर छोड़ने के फैसले से फैंस जहां खुश हैं तो वहीं वह जानना चाहते हैं कि परिवार के लिए जान तक देने वाली अनुपमा आखिर क्यों घर छोड़ने का फैसला करेगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

अनुपमा-अनुज का हुआ एक्सीडेंट

अब तक आपने देखा कि अहमदाबाद से दूर अनुज  (Gaurav Khanna) और अनुपमा मीटिंग में जाते हैं. जहां पर रास्ते में दोनों मंदिर जाते हैं. इस दौरान जहां अनुपमा, अनुज से शादी का सवाल करती है तो वहीं अनुज उससे दोबारा शादी करने की बात कहता नजर आता है और बताता है कि उसका रिलेशनशिप तो था लेकिन उसमें प्यार नहीं था, जिसके कारण उसने शादी नहीं की. इसी बीच तेज बारिश में दोनों का एक्सीडेंट हो जाता है.

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बारिश में भीगेंगे अनुज-अनुपमा

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज और अनुपमा मंदिर से घर जाने के लिए निकलेंगे. जहां तेज बारिश और तूफान आ जाएगा, जिसके कारण अनुपमा-अनुज का एक्सीडेंट हो जाएगा. लेकिन दोनों बच जाएंगे पर उनकी कार खराब हो जाएगी और दोनों बारिश में भीगकर मदद के लिए दौड़ेगे. इसी के चलते अनुपमा टाइम पर घर नहीं पहुंचेगी और पूरा शाह परिवार परेशान नजर आएगा.

वनराज को भड़काएगी काव्या

दूसरी तरफ अनुपमा और अनुज को कुछ कौलेज के लोग मदद करेंगे और उन्हें अपने घर में जगह देंगे. वहीं कुछ लोग अनुपमा को बारिश में कपड़े बदलने के लिए भी देंगे, जिसके बाद दोनों गाने पर डांस करते नजर आएंगे. हालांकि अनुपमा परिवार को कौल करेगी. लेकिन फोन पर ढंग से बात नहीं हो पाएगी. लेकिन वनराज  (Sudhanshu Pandey) दोबारा उस नंबर पर कौल करेगा जहां एक लड़का वनराज से कहेगा कि अंकल आंटी बेडरुम में सोने चले गए हैं, जिसके बाद वनराज का पारा बढ़ जाएगा. वहीं काव्या  (Madalsa Sharma) आग में घी डालने का काम करते हुए वनराज और बा को भड़काएगी. इसी के कारण शाह परिवार में एक बार फिर बड़ा हंगामा होगा, जिसके बाद अनुपमा घर छोड़ने का फैसला करेगी.

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जानें क्या है ब्रैस्ट कैंसर और इसका इलाज

ब्रैस्ट कैंसर तब होता है जब  कोशिका बढ़ती है और दो संतति कोशिकाओं का निर्माण करने के लिए विभाजित होकर स्तन में शुरू होता है. भारत में महिलाओं के बीच यह  एक प्रमुख कैंसर है, यह सर्वाइकल कैंसर के बाद दूसरे स्थान पर आता  है, लेकिन आश्वस्त रूप से, यदि शुरू के ही  स्टेज  (स्टेज I-II) में पता चलता है तो यह सभी प्रकार के कैंसर में से सबसे अधिक इलाज योग्य भी है. मेनोपॉज़  के बाद की महिलाएं (55 वर्ष से अधिक आयु) अधिक कमजोर होती हैं. हालांकि, कम उम्र की महिलाओं में भी इसका प्रचलन बढ़ रहा है. हर 2 साल में प्रिवेंटिव जांच अनिवार्य है, खासकर अगर तत्काल परिवार की महिला रिश्तेदार (दादी, मां, चाची या बहन) को कभी  कैंसर हुआ हो.लाइफलाइन लेबोरेटरी की एमडी (पैथ) एचओडी हेमेटोलॉजी, साइटोपैथोलॉजी और क्लिनिकल (पैथ) डॉक्‍टर मीनू बेरी के मुताबिक हालांकि यह रेयर है किन्तु  पुरुषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है – डक्टल कार्सिनोमा और लोब्युलर कार्सिनोमा सबसे संभावित प्रकार हैं. महिला पुरुष दोनों में लक्षण कमोबेश समान होते हैं.

लक्षण

लक्षण गुप्त या स्पष्ट दोनों ही हो सकते हैं, क्योंकि अलग-अलग महिलाओं में अलग-अलग प्रकार के लक्षण हो सकते हैं . वे कैंसर के विकसित होने के लंबे समय बाद प्रकट हो सकते हैं. हालांकि, ज्यादातर मामलों में निम्नलिखित लक्षण आम हैं:

  • स्तन, बगल और कॉलर बोन पर या उसके आस-पास किसी भी गांठ और सूजन या सूजी हुई लिम्फ नोड्स की बिना देर किए डॉक्टर की जांच की जानी चाहिए. जरूरी नहीं कि हर गांठ एक कैंसर हो – लेकिन यह एक सिस्ट, फोड़ा या फाइब्रो-एडेनोमा (वसा जमा की एक चिकनी, रबड़ जैसी और सौम्य गांठ जो छूने पर चलती है) हो सकती है.
  • ‘संतरे के छिलके’ के जैसा कुछ दिखना या स्तन का धुंधला दिखना.
  • स्तन की त्वचा का मोटा होना, फड़कना, स्केलिंग, मलिनकिरण या चोट लगना.
  • दाने या जलन.
  • निप्पल से पानी या खूनी निर्वहन.
  • स्तन के आकार में परिवर्तन.
  • निप्पल को खींचा हुआ, खींचा हुआ या उल्टा निप्पल.
  • स्तन क्षेत्र में या उसके आसपास दर्द और कोमलता.
  • बाएं स्तन में गांठें अधिक सामान्य रूप से विकसित होती हैं.

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 रिस्क फैक्टर :

  • कैंसर का पारिवारिक इतिहास, और यदि किसी प्रथम श्रेणी की महिला रिश्तेदार (दादी, मां, चाची, या बहन) को ब्रैस्ट कैंसर हो गया हो.
  • मेनोपॉज़ के बाद 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को उच्च जोखिम होता है.
  • प्रारंभिक शुरुआत मेनार्चे (11-12 साल से पहले मेंस्ट्रुएशन की शुरुआत) देर से शुरू होने वाली मीनोपॉज (55 साल के बाद मासिक धर्म की समाप्ति).
  • स्तनपान का कोई पिछला इतिहास नहीं है.
  • धूम्रपान और शराब का सेवन.
  • अधिक वजन या मोटापा भी जोखिम को बढ़ा सकता है.

मेटास्टेटिक ब्रैस्ट कैंसर के लक्षण (कैंसर जो शरीर के अन्य भागों में फैल गया है), जिसके बारे में किसी को पता नहीं हो सकता है, इसमें सामान्य कमजोरी, सिरदर्द और बिना किसी प्रशंसनीय कारण के मतली, सांस लेने में परेशानी, पीलिया, त्वचा का पीलापन, सूजन शामिल हो सकते हैं. पेट, वजन घटाने, आदि

प्रिवेंटिव केयर

याद रखने वाला सबसे महत्वपूर्ण  फैक्ट यह है कि उपरोक्त लक्षणों और जोखिम कारकों में से एक या अधिक की उपस्थिति में प्रिवेंटिव जांच का अत्यधिक महत्व है. पारिवारिक इतिहास जैसे कुछ अपरिवर्तनीय जोखिम कारक हैं, लेकिन कुछ जोखिम कारकों को स्वस्थ जीवन शैली अपनाने से नियंत्रित किया जा सकता है.

– साबुत अनाज (मल्टीग्रेन आटा और ब्रेड, दलिया, जई, मूसली जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट के लिए जाएं), पालक, सरसों के पत्ते, मेथी के पत्ते, सलाद पत्ता, गोभी, ब्रोकोली, केल, और हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे संतुलित आहार लें. फल जैसे केला, सेब, नाशपाती, पपीता, स्ट्रॉबेरी आदि. बादाम, अंजीर और अखरोट जैसे नट्स को आहार में शामिल करें.

– भरपूर शारीरिक गतिविधि आपको फिट रखेगी और मांसपेशियों और हड्डियों को ढीला होने से बचाएगी. फिट और एक्टिव रहने के लिए रोजाना 45 मिनट की ब्रिस्क वॉक करें और लाइट वेट ट्रेनिंग लें.

– धूम्रपान छोड़ें और अत्यधिक शराब के सेवन से बचें.

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Diwali Special: साड़ी पहनने का अंदाज नया

भारतीय परिधानों में साडि़यों का फैशन एक बार फिर महिलाओं के सिर चढ़ कर बोल रहा है. लेकिन बदलाव की एक झलक इस पारंपरिक परिधान पर भी साफ नजर आ रही है. तभी तो पुराने ढंग से पहने जाने के बजाय इस को अब आधुनिक तरीकों से पहनने का ट्रैंड चल रहा है. शालीनता व भारतीय छवि झलकाती साड़ी अब सिर्फ वहीं तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि अब साड़ी के सैक्सी अंदाज पर सभी फिदा हैं. साड़ी को सैक्सी अंदाज देने के लिए डिजाइनर्स द्वारा न सिर्फ साड़ी, बल्कि ब्लाउज व पेटीकोट पर भी विभिन्न प्रयोग किए जा रहे हैं. इसी वजह से ही पामेला एंडरसन हों या लेडी गागा, दोनों ने साड़ी की सैक्स अपील में नए चैप्टर जोड़े हैं. सैक्सी अंदाज की साड़ी का नया लुक वाकई में गजब का हौट और बिंदास है. इस अंदाज की साड़ी में किसी भी फीमेल की अपील दोगुनी हो जाती है.

ऐसे करें कैरी

साड़ी में ब्लाउज या पेटीकोट को स्टाइलिश लुक देने से ही बौडी का टोन बदल जाता है. परफैक्ट बौडी पर सैक्सी साड़ी पहनने से आप तो सैक्सी दिखेंगी ही, साथ ही बदन दिखना भी लाजिम है. ऐसे में बदन दिखने का स्टाइल कितना लौजिकल है, इस पर डिसकशंस तो होते रहेंगे, लेकिन हकीकत तो यही है कि स्टाइल का कोई लौजिक नहीं होता, बल्कि दूसरों को अट्रैक्ट करने के लिए इस का अपना एक अलग अंदाज होता है. लेकिन टशन के लिए अगर आप इस फंडे को आजमाना चाहती हैं, तो कुछ बातों को ध्यान में रखने की जरूरत है-

अपनी वेस्ट लाइन पर ज्यादा ध्यान दें. यहां की स्किन एकदम साफ होनी चाहिए और कोई फ्लैब यानी ढीलापन भी नजर नहीं आना चाहिए. इस के लिए सब से पहले आप को अपनी वेस्ट को टोन करना पड़ेगा.

साड़ी से मैचिंग कलर का पेटीकोट तो पहनें ही, साथ ही पैंटी भी लेस या साटिन की हो यानी फैमिनिन अपील वाले फैब्रिक की.

जरूरी नहीं कि पल्ला आप इस तरह कैरी करें कि उस में से स्ट्रिंग नजर आएं, बल्कि साड़ी को आप ट्रैडिशनल तरीके से बांध कर भी टशन जमा सकती हैं व सैक्सी दिख सकती हैं.

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बैकलैस व न्यूड स्ट्रिप्स ब्लाउज व पारदर्शी साड़ी पहनने पर जाहिर है बदन तो दिखेगा ही, जिस से आप सैक्सी दिख सकेंगी. इस स्टाइल को जमाने में आप का बोल्ड अंदाज बहुत काम आएगा, इसलिए इस का ध्यान जरूर रखें.

साड़ी की जान डिजाइनर ब्लाउज

फैशन के चलते अगर आप को साड़ी को और भी स्टाइलिश व सैक्सी बनाना है, तो डिजाइनर ब्लाउज के जरीए बना सकती हैं. सैक्सी लुक पाने के लिए ब्लाउज के साथ कई तरह के प्रयोग किए जा सकते हैं. देखा जाए तो फैशन डिजाइनर भी आजकल साडि़यों पर कम बल्कि ब्लाउज की डिजाइन पर ज्यादा जोर दे रहे हैं. आजकल कई तरह के फैब्रिक के अलगअलग तरह के ब्लाउज फैशन में हैं. जैसे नैट, बोक्रेड, टिशू, वैल्वेट व सिमर का प्लेन साड़ी के साथ पहना गया डिजाइनर ब्लाउज आप के व्यक्तित्व को ज्यादा इंप्रेसिव बना सकता है.

आइए जानें कि आप कैसा ब्लाउज चुनें, जो आप पर फबे ताकि आप नजर आएं सब से अलग-

  • हमेशा से साड़ी के रंग व फैब्रिक से मैच करते हुए ब्लाउज तैयार किए जाते रहे हैं. लेकिन अब के फैशन के चलते ब्लाउज का फैब्रिक कंट्रास्ट रखा जाने लगा है.
  • मार्केट में इस समय डिजाइनर चोली नूडल स्ट्रिप्स, शौर्ट नैक, स्लीवलैस और होल्डर नैक के रूप में उपलब्ध है.
  • लाल, हरे और नीले रंग की प्लेन साड़ी पर उसी रंग की चोली खूब फबती है.
  • विद्या बालन ने फिल्म ‘डर्टी पिक्चर’ में डीपबैक या बैकलैस ब्लाउज पहना है. यह आप के सादे अंदाज में शोखी ला सकता है.
  • सैक्सी लुक के लिए कोर्सेट व बिकनी स्टाइल के सैक्सी ब्लाउज का चुनाव कीजिए या फिर डीपनैक और हाईबैक्स के जरीए भी सैक्सी लुक मिल सकेगा. इस के लिए बौडी का फिट होना जरूरी है वरना खूबसूरती नहीं फूहड़ता नजर आएगी.
  • इस समय चोलीकट ब्लाउज का फैशन है. इस में छोटी व बड़ी चोली का लुक भी बेहतर व सैक्सी दिखता है. नैट, जौर्जेट या फिर टिशू साड़ी या फिर फिशटेल लहंगे के साथ इस की मैचिंग की जा सकती है. पर इस के लिए आप का पेट सपाट होना जरूरी .
  • सैक्सी व फैशनेबल लुक के लिए ब्लाउज की जगह ऐसे टौप का इस्तेमाल करें, जिस पर हैवी फ्लोरल ऐंब्रौयडरी की गई हो.
  • ऐक्सपैरिमैंट करना हो तो बबल सिलुएट ब्लाउज भी ट्राई कर सकती हैं. इस के लिए आप को ब्लाउज के नीचे की ओर इलास्टिक डलवाना होगा.
  • यदि ब्लाउज की स्लीव यानी बाजू के साथ प्रयोग किए जाएं तो इस से साड़ी का पूरा लुक बदल जाता है. इन दिनों नैट की साड़ी के साथ आधी बाजू की स्लीव फैशन में है.

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बौडी के अनुसार चुनें साड़ी

  • साड़ी का सही चुनाव आप की पर्सनैलिटी को सही रूप देता है. साड़ी का चुनाव करने से पहले अपनी बौडी स्ट्रक्चर को ध्यान से समझें और फिर साड़ी का चुनाव करें.
  • महिलाएं हैवी वेट हैं, उन्हें साड़ी के साथ कम घेरे वाला स्ट्रेट कट पेटीकोट पहनना चाहिए. सांवले रंग की महिलाओं को हमेशा डार्क कलर्स पहनने चाहिए, जैसे मैरून, डार्क पिंक, ग्रीन, ब्लू.
  • पतली, लंबी व सही स्ट्रक्चर वाली महिलाओं पर हर तरह की साड़ी अच्छी लगती है. फैटी महिलाओं को क्रेप, शिफौन और जौर्जेट की साड़ी पहननी चाहिए तथा टिशू, औरगैंजा व स्टिफ कौटन की साडि़यां पतली व लंबी महिलाओं पर खूब फबती हैं.
  • बड़े बौर्डर व बड़े प्रिंट की साडि़यां महिलाओं की लंबाई को कम दिखाती हैं. छोटे कद की महिलाओं को बिना बौर्डर या महीन बौर्डर वाली साडि़यां अधिक फबती हैं, जबकि अधिक चौड़े बौर्डर में ऐसी महिलाओं की लंबाई और कम लगती है.
  • फैशनेबल व ग्लैमरस लुक चाहिए तो साड़ी हमेशा नाभि के नीचे बांधें. आप कमर में सुंदर कमरबंद या कोई गहना भी पहन सकती हैं. जब भी आप साड़ी पहनें, तो उस से पहले फुटवियर जरूर पहनें ताकि आप की साड़ी बाद में ऊंची न लगे.
  • ग्लैमरस व सैक्सी लुक के लिए अपने पेटीकोट में सुंदर लेस लगवा सकती हैं. इस से सीढि़यां चढ़ते समय या कभी अचानक यदि आप का पेटीकोट नजर आया तो वह लेस रौयल लुक देगी. इसी तरह झीनी साड़ी के लिए लेस लगा पेटीकोट पहनें तो शानदार लगेगा.
  • साड़ी पिन हमेशा पिछले कंधे पर लगाएं. इस से साड़ी एक ही जगह टिकी रहेगी व पिन भी अच्छा दिखेगा.
  • नैट की साड़ी के साथ हमेशा बैक हुक या साइड हुक वाला ब्लाउज सिलवाएं. झीनी नैट की साड़ी के साथ चोली अच्छी नहीं लगती.
  • एकदम पतली कमर न हो तो लंबा ब्लाउज ट्राई करें.
  • मोटी व हैवी वेट महिलाओं को ध्यान में रखना चाहिए कि उन को पफ बाजू के ब्लाउज सिलवाते वक्त कम पफ डलवाना चाहिए.
  • पतला लुक देने के लिए आप को बदलाव पसंद है तो बैक से नैकलाइन को 2 इंच ऊपर करने और आगे डीप रखने से नैकलाइन स्लिम दिखेगी. इस से आप लंबी भी नजर आएंगी.

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जब सताने लगे अकेलापन

रंजना का अपने पति से तलाक हो गया सुन कर धक्का लगा. 45 वर्षीय रंजना भद्र महिला है. पति, बच्चे सब सुशिक्षित. भला सा हंसताखेलता परिवार. फिर अचानक यह क्या हुआ? बाद में पता चला कि रंजना ने दूसरी शादी कर ली. दूसरा पति हर बात में उन के पहले पति से उन्नीस ही है. किसी ने बताया रंजना की मुलाकात उस व्यक्ति से फेसबुक पर हुई थी और उन्हीं के बेटे ने उन्हें बोरियत से बचाने के लिए उन का फेसबुक पर अकाउंट बनाया था. प्रारंभिक जानपहचान के बाद उन की घनिष्ठता बढ़ती गई, जो बाद में प्यार में बदल गई. वह व्यक्ति भी उसी शहर का था. कभीकभी होने वाली मुलाकात एकदूसरे के बिना न रह सकने में तबदील हो गई. वह भी शादीशुदा था. इस शादी के लिए उस ने अपनी पत्नी को बड़ी रकम दे कर उस से छुटकारा पा लिया.

कुछ साल पहले तक ऐसे समाचार अखबारों में पढ़े जाते थे और वे सभी विदेशों के होते थे. तब अपने यहां की संस्कृति पर बड़ा मान होता था. लेकिन आज हमारे देश में भी यह आम बात हो गई है. हमारा सामाजिक व पारिवारिक परिवेश तेजी से बदल रहा है. इन परिवर्तनों के साथ आ रहे हैं मूल्यों और पारिवारिक व्यवस्था में बदलाव. आज संयुक्त परिवार तेजी से खत्म होते जा रहे हैं. सामाजिक व्यवस्था नौकरी पर टिकी है जिस के लिए बच्चों को घर से बाहर जाना ही होता है. पति के पास काम की व्यस्तता और बच्चों की अपनी अलग दुनिया. अत: महिलाओं के लिए घर में अकेले समय काटना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में उन का सहारा बनती है किट्टी पार्टी या फेसबुक पर होने वाली दोस्ती.

आइए जानें कुछ उन कारणों को जिन के चलते महिलाएं अकेलेपन की शिकार हो कर ऐसे कदम उठाने को मजबूर हो रही हैं:

संयुक्त परिवार खत्म हो रहे हैं. एकल परिवार के बढ़ते चलन से पति व बच्चों के घर से चले जाने के बाद महिलाएं घर में अकेली होती हैं. तब उन का समय काटे नहीं कटता.

अति व्यस्तता के इस दौर में रिश्तेदारों से भी दूरी सी बन गई है. अत: उन के यहां आनाजाना, मिलनाजुलना कम हो गया है. साथ ही सहनशीलता में भी कमी आई है. इसलिए  रिश्तेदारों का कुछ कहना या सलाह देना अपनी जिंदगी में दखल लगता है, जिस से उन से दूरी बढ़ा ली जाती है.

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विश्वास की कमी के चलते सामाजिक दायरा बहुत सिमट गया है. अब पासपड़ोस पहले जैसे नहीं रह गए. पहले किस के घर कौन आ रहा है कौन जा रहा है की खबर रखी जाती थी. दिन में महिलाएं एकसाथ बैठ कर बतियाते हुए घर के काम निबटाती थीं. इस का एक बड़ा कारण दिनचर्या में बदलाव भी है. सब के घरेलू कामों का समय उन के बच्चों के अलग स्कूल टाइम, ट्यूशन की वजह से अलगअलग हो गया है.

पति की अति व्यस्तता भी इस का एक बड़ा कारण है. अब पहले जैसी 10 से 5 वाली नौकरियां नहीं रहीं. अब दिन सुबह 5 बजे से शुरू होता है, जो सब के जाने तक भागता ही रहता है. इस से पतिपत्नी को इतमीनान से साथ बैठ कर पर्याप्त समय बिताने का मौका ही नहीं मिलता. कम समय में जरूरी बातें ही हो पाती हैं.

ऐसे ही पुरुषों की व्यस्तता भी बहुत बढ़ गई है. सुबह का समय भागदौड़ में और रात घर पहुंचतेपहुंचते इतनी देर हो जाती है कि कहनेसुनने के लिए समय ही नहीं बचता. इसलिए आजकल पुरुष भी अकेलेपन का शिकार हो रहे हैं और औफिस में या फेसबुक पर उन की भी दोस्ती महिलाओं से बढ़ रही है जिन के साथ वे अपने मन की सारी बातें शेयर कर सकें.

यदि अकेले रहने की वजह परिवार से मनमुटाव है, तो ऐसे में पति का उदासीन रवैया भी पत्नी को आहत करने वाला होता है. उसे लगता है कि उस का पति उसे समझ नहीं पा रहा है या उस की भावनाओं की उसे कतई कद्र नहीं है. इस से पतिपत्नी के बीच भावनात्मक अलगाव पैदा हो रहा है.

टीवी सीरियलों में आधुनिक महिलाओं के रूप में जो चारित्रिक हनन दिखाया जा रहा है उस का असर भी महिलाओं के सोचनेसमझने पर हो रहा है. अब किसी पराए व्यक्ति से बातचीत करना, दोस्ती रखना, कभी बाहर चले जाना जैसी बातें बहुत बुरी बातों में शुमार नहीं होतीं, बल्कि आज महिलाएं अकेले घर का मोरचा संभाल रही हैं. ऐसे में बाहरी लोग आसानी से उन के संपर्क में आते हैं.

पति परमेश्वर वाली पुरानी सोच बदल गई है.

इंटरनैट के द्वारा घर बैठे दुनिया भर के लोगों से संपर्क बनाया जा रहा है. ऐसे में अकेलेपन, हताशानिराशा को बांट लेने का दावा करने वाले दोस्त महिलाओं की भावनात्मक जरूरत में उन के साथी बन कर आसानी से उन के फोन नंबर, घर का पता हासिल कर उन तक पहुंच बना रहे हैं.

नौकरीपेशा महिलाएं भी घरबाहर की जिम्मेदारियां निभाते हुए इतनी अकेली पड़ जाती हैं कि ऐसे में किसी का स्नेहस्पर्श या  भावनात्मक संबल उन्हें उस की ओर आकर्षित करने के लिए काफी होता है.

अत्यधिक व्यस्तता और तनाव की वजह से पुरुषों की सैक्स इच्छा कम हो रही है. सैक्स के प्रति पुरुषों की अनिच्छा स्त्रियों में असंतोष भरती है. ऐसे में किसी और पुरुष द्वारा उन के रूपगुण की सराहना उन में नई उमंग भरती है और वे आसानी से उस की ओर आकर्षित हो जाती हैं. लेकिन क्या ऐसे विवाहेतर संबंध सच में महिलाओं या पुरुषों को भावनात्मक सुकून प्रदान कर पाते हैं? होता तो यह है कि जब ऐसे संबंध बनते हैं दिमाग पर दोहरा दबाव पड़ता है. एक ओर जहां उस व्यक्ति के बिना रहा नहीं जाता तो वहीं दूसरी ओर उस संबंध को सब से छिपा कर रखने की जद्दोजेहद भी रहती है. ऐसे में यदि कोई टोक दे कि आजकल बहुत खुश रहती हो या बहुत उदास रहती हो तो एक दबाव बनता है.

जब संबंध नएनए बनते हैं तब तो सब कुछ भलाभला सा लगता है, लेकिन समय के साथ इस में भी रूठनामनाना, बुरा लगना, दुख होना जैसी बातें शामिल होती जाती हैं. बाद में स्थिति यह हो जाती है कि न इस से छुटकारा पाना आसान होता है और न बनाए रखना, क्योंकि तब तक इतनी अंतरंग बातें सामने वाले को बताई जा चुकी होती हैं कि इस संबंध को झटके से तोड़ना कठिन हो जाता है. हर विवाहेतर संबंध की इतिश्री तलाक या दूसरे विवाह में नहीं होती. लेकिन इतना तो तय है कि ऐसे संबंध जब भी परिवार को पता चलते हैं विश्वास बुरी तरह छलनी होता है. फिर चाहे वह पति का पत्नी पर हो या पत्नी का पति पर अथवा बच्चों का मातापिता पर. बच्चों पर इस का सब से बुरा असर पड़ता है. एक ओर जहां उन का अपने मातापिता के लिए सम्मान कम होता है वहीं परिवार के टूटने की आशंका भी उन में असुरक्षा की भावना भर देती है, जिस का असर उन के भावी जीवन पर भी पड़ता है और वे आसानी से किसी पर विश्वास नहीं कर पाते.

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यदि परिवार और रिश्तेदार इसे एक भूल समझ कर माफ भी कर दें तो भी आगे की जिंदगी में एक शर्मिंदगी का एहसास बना रहता है, जो सामान्य जिंदगी बिताने में बाधा बनता है. विवाहेतर संबंध आकर्षित करते हैं, लेकिन अंत में हाथ लगती है हताशा, निराशा और टूटन. इन से बचने के लिए जरूरी है कि अकेलेपन से बचा जाए. खुद को किसी रचनात्मक कार्य में लगाया जाए. अपने पड़ोसियों से मधुर संबंध बनाए जाएं, रिश्तेदारों से मिलनाजुलना शुरू किया जाए. अपने पार्टनर से अपनी परेशानियों के बारे में खुल कर बात की जाए और अपने पूर्वाग्रह को भुला कर उन की बातें सुनी और समझी जाएं. हमारी सामाजिक व पारिवारिक व्यवस्था बहुत मजबूत और सुरक्षित है. इसे अपने बच्चों के लिए इसी रूप में संवारना हमारा कर्तव्य है. आवेश में आ कर इसे तहसनहस न करें.

टैक्नोलौजी और धर्म

आजकल बहुत सा पैसा टैक्नोलौजी सो चल रही पढ़ाई में लगाया जा रहा है और इस का अर्थ है कि सिमैंट और इंटों से बने स्कूलकालेजों में 40-50 साल पहले तय की गई शिक्षा अब अपना मतलब खोती जा रही है. जैसे फेक्ट्रियों में मजदूरों को नई टैक्नोलौजी बुरी तरह निकाल रही है, उसी तरह टैक्नोलौजी न जानने वाले युवाओं का भविष्य और ज्यादा धूमिल होता जा रहा है.

जिस तरह का पैसा बैजू जैसी कंपनियों में लग रहा है उस से साफ है कि कंप्यूटर पर बैठ कर ऊंची शिक्षा पाने वाले ही अब देशों और दुनिया में छा जाएंगे पर यह शिक्षा बहुत मंहगी है और साधारण घर इसे अफोर्ड भी नहीं कर पाएंगे.

अमेरिका में किए गए एक सर्वे में पाया गया कि 3000 डौलर (लगभग 18,00,000 लाख रुपए) कमाने वाले परिवारों में से 64′ के पास स्मोर्ट फोन, एक से ज्यादा कंप्यूटर वाईफाई, ब्रौडबैंड कनेक्शन स्मार्ट टीवी हैं. जबकि 3000 डौलर से कम वाले घरों में 16′ के पास ही ये सुविधाएं हैं. इस का अर्थ है कि गरीब मांबाप के बच्चे गरीबी में ही रहने को मजबूर रहेंगे क्योंकि न तो वे महंगे स्कूलकालेजों में जा पाएंगे न मंहगी चीजें खरीद पाएंगे. आज हाल यह है कि पिछले सालों में कम तकनीक जानने वालों के वेतनों में 2-3′ की वृद्धि हुई है जबकि ऊंची तकनीक जानने वालों का वेतन 20-25′ बड़ा है.

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भारत में यह स्थिति और ज्यादा उग्र हो रही है क्योंकि यहां भेदभाव को जन्म व जाति से भी जोड़ा हुआ है. यहां जिस तरह पूरे रोज के विज्ञापन कोचिंग क्लास चलाने वाले अखबारों में लेते हैं, उस से साफ है कि नौन टैक्नोलौजी शिक्षा भी मंहमी हो गई है, टैक्नोलौजी की शिक्षा तो न जाने कहां से कहां जाएगी.

टैक्नोलौजी से चलने वाली शिक्षा का एक बड़ा असर औरतों की शिक्षा पर पढ़ रहा है. उन्हें ऊंची पोस्ट मिलने में कठिनाई होने लगी हैं. क्योंकि सारी पढ़ाई का खर्च लडक़ों पर किया जा रहा है जो अब और ज्यादा हो गया है. हाल यह है कि भारत के विश्वविद्यालयों और कालेजों में ही, जहां पर अभी तक टैक्नोलौजी का राज नहीं है, केवल 7′ प्रमुख पोस्ट औरतों के पास है और इन में से भी ज्यादा ऐसे संस्थानों में हैं जहां केवल लड़कियां पढ़ रही हैं.

टैक्नोलौजी न केवल गरीब और अमीर का भेद बड़ा रही है, अमीरों में भी यह जेंडर यानी लडक़ेलडक़ी का भेद बढ़ा रही है. टैक्नोलौजी को समाज और दुनिया को बचाने वाला समझा जाता है पर यह बुरी तरह से कुछेक के हाथों में पूरी ताकत सौंप रहा हैं. अमीर घरों के लडक़े खर्चीली पढ़ाई कर के ऊंची कमाई करेंगे और मनचाही लडक़ी से शादी करेंगे पर उस लडक़ी पर मनचाहे ढंग से राज भी करेंगे. घर, कपड़ों, छुट्टियों, गाड़ी के लालच में पत्नियों की दशा राजाओं की रानियों की तरह हो जाएगी जो गहनों से लदी होती थीं पर राजा की निगाह में बस आनंद देने वाली गुडिय़ां होंगी.

इस समस्या का निदान आसान नहीं है और धर्म की मारी, अपने भाग्य पर निर्भर लड़कियां तो न भारत में न दुनिया में कहीं कभी इस स्थिति में लड़़ पाएंगी. वे टैक्नो गुलाम रहेंगी और टैक्नो गुलामों से काम कराने में फक्र करेंगी.

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