Winter Special: इस सर्दी नहीं होगा आपके जोड़ों में दर्द

शरीर के मजबूत जोड़ हमें सक्रिय रखते हैं और चलने-फिरने में मदद करते हैं. जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए रखने के लिए क्या जरूरी है, इस बात की आपको जानकारी होनी चाहिए. जोड़ों की देखभाल और मांसपेशियों तथा हड्डियों को मजबूत रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका है, स्थिर रहें.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए कुछ आसान उपाय आजमा कर आप अपनी सर्दियां बिना किसी दर्द के काट सकते हैं.

जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है शरीर के वजन को नियंत्रण में रखना. शरीर का अतिरिक्त वजन हमारे जोड़ों, विशेषकर घुटने के जोड़ों पर दबाव बनाता है.

व्यायाम से अतिरिक्त वजन को कम करने और वजन को सामान्य बनाए रखने में मदद मिल सकती है. कम प्रभाव वाले व्यायाम जैसे तैराकी या साइकिल चलाने का अभ्यास करें.

वैसे लोग जो अधिक समय तक कंप्यूटर पर बैठे रहते हैं, उनके जोड़ों में दर्द होने की संभावना अधिक रहती है. जोड़ों को मजबूत बनाने के लिए अपनी स्थिति को लगातार बदलते रहिए.

यदि व्यायाम को अच्छे से किया जाए तो एंडॉर्फिन नामक हॉर्मोन निकलता है, जो आपको स्वस्थ होने का अनुभव देता है. एक दिन में कम से कम 20-40 मिनट तक जरूर टहलें.

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मजबूत मांसपेशियां जोड़ों का समर्थन करती हैं. यदि आपकी मांसपेशियां कमजोर हैं, तो इससे आपके जोड़ों में विशेष रूप से रीढ़ की हड्डी, कूल्हों और घुटनों में दर्द होगा.

बैठने का सही तरीका भी आपके कूल्हे और पीठ की मांसपेशियों की रक्षा करने में मदद करता है. कंधों को झुकाकर न खड़े हों. सीढ़ी चढ़ना दिल के लिए अच्छा है, लेकिन अगर सीढ़ी अप्राकृतिक है, तो यह आपके घुटनों को नुकसान पहुंचा सकती है.

स्वस्थ आहार खाना आपके जोड़ों के लिए अच्छा है. यह मजबूत हड्डियों और मांसपेशियों के निर्माण में मदद करता है. हमें हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कैल्शियम की जरूरत होती है.

अगर आपको नियमित भोजन से जरूरी मिनरल लेने में समस्या हो रही है, तो सप्लिमेंट ले सकते हैं.

वर्तमान में, निर्धारित जरूरत के अनुसार 50 साल की उम्र तक के वयस्क पुरुषों और महिलाओं को नियमित रूप से 1,000 मिलीग्राम कैल्शियम और 50 के बाद नियमित रूप से 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम की जरूरत होती है.

71 साल की आयु के बाद 1,200 मिलीग्राम कैल्शियम पुरुष और महिला दोनों ले सकते हैं. इसे आप दूध, दही, ब्रोकली, हरी पत्तेदार सब्जी, कमल स्टेम, तिल के बीज, अंजीर और सोया या बादाम दूध जैसे पौष्टिक आहार को खाद्य पदार्थ के रूप में शामिल कर कैल्शियम की जरूरत पूरी कर सकते हैं.

हड्डियों और जोड़ों को स्वस्थ रखने के लिए विटामिन डी की जरूरत होती है. आप जो आहार खाते हैं, उसमें विटामिन डी शरीर में कैल्शियम का अवशोषण में मदद करता है. यह हड्डियों के विकास और हड्डी के ढांचे को सक्षम बनाता है.

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विटामिन डी की कमी मांसपेशियों की कमजोरी का कारण बनता है, जो उम्र बढ़ने के साथ हड्डियों के क्षतिग्रस्त होने के लिए जिम्मेदार होता है. विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत सूरज की रोशनी है. डेयरी उत्पाद और कई अनाज, सोया दूध और बादाम के दूध में विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है.

जो लोग धूम्रपान करते हैं, उनमें हड्डियों का घनत्व कम होता है और उनके फ्रैक्चर होने की संभावनाएं ज्यादा होती हैं. यह संभवत: कैल्शियम के अवशोषण और हड्डियों के विकास और शक्ति को प्रभावित करने वाले एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन के उत्पादन को कम करने से संबंधित है, जो हड्डियों के विकास और मजबूती के लिए जिम्मेदार होते हैं.

काले रंग से जुड़ी परेशानियों का सुझाव बताएं?

सवाल-

मेरी कुहनियां शरीर के बाकी अंगों से ज्यादा काली नजर आती हैं और बहुत खराब लगती हैं. इन्हें गोरा करने का कोई तरीका बताएं?

जवाब-

कुहनियों के रंग को हलका करने के लिए सब से पहले उन पर ब्लीच कर लें. रोज आधे नीबू को निचोड़ कर उस में नमक मिलाएं. फिर अब उस से कुहनियों को धीरेधीरे रगड़ें. कुछ देर बाद धो लें और उस पर मौइस्चराइजिंग क्रीम लगा लें. ऐसा 15-20 दिन रैग्युलर करने से कुहनियों का रंग हलका होने लगेगा. अगर इस से फायदा न हो तो कैमिकल पील की जा सकती है जिस से त्वचा की एक लेयर निकल जाती है और अंदर से रंग गोरा दिखने लग जाता है. मगर कैमिकल पील के लिए ऐक्सपर्ट के पास ही जाएं.

सवाल- 

मेरा रंग सांवला है और मुझे समझ नहीं आता है कि मैं किस रंग की लिपस्टिक लगाऊं जो मुझ पर सब से ज्यादा समय सुंदर लगे?

जवाब-

सांवला रंग आजकल ज्यादा पसंद किया जाता है. इसे सैक्सी और ग्लैमरस कहा जाता है. ऐसे रंग पर ब्राइट रैड कलर की लिपस्टिक बहुत अच्छी लगती है. आप चाहें तो औरेंज भी लगा सकती हैं. सांवले रंग पर डीप ब्राउन जैसेकि सिनेमन व चौकलेट ब्राउन बहुत अच्छी लगती है. रोज पिंक से ले कर मोव तक सभी ब्राइट पिंक अच्छी लगती हैं. मैरून भी अच्छी लगती है पर ब्राउनी मैरून को अवौइड करें. पर्पल शेड सांवले रंग पर भी अच्छे लगते हैं लेकिन डीप पर्पल को अवौइड करें. सांवले रंग पर न्यूड शेड अवौयड करने चाहिए.

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-समस्याओं के समाधान ऐल्प्स ब्यूटी क्लीनिक की फाउंडर डाइरैक्टर डा. भारती तनेजा द्वारा 

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हर दुलहन चाहती है कि उस का स्टाइल और लुक ऐसा हो, जिस से वह न सिर्फ उस के जीवनसाथी के, बल्कि ससुराल वालों के भी दिल का नूर बन जाए. तो ऐसा क्या किया जाए, जिस से दुलहन की खूबसूरती पति का मन मोह ले?

सैलिब्रिटी मेकअप आर्टिस्ट ओजस राजानी बताती हैं कि सब से पहले दुलहन की पर्सनैलिटी, स्किन टाइप, बालों का टैक्स्चर, कलर, आईब्रोज शेप और फेस कट को परखना होता है. अगर इस में कहीं किसी तरह की कमी है, तो दुलहन को ऐक्सरसाइज और स्किन केयर रूटीन की सलाह दी जाती है, जिस से मेकअप से पहले स्किन और जवां व निखरीनिखरी दिखाई दे.

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स्किन केयर रूटीन

स्किन केयर रूटीन के बारे में बात करते हुए ब्राइडल मेकअप आर्टिस्ट आकांक्षा नाइक का कहना है कि दुलहन के लिए अपनी स्किन टाइप के बारे में पता होना बेहद जरूरी है.

शादी से पहले उसे रोजाना क्लींजिंग, टोनिंग और मौइश्चराइजिंग का रूटीन अपनाना चाहिए. यदि स्किन ड्राई है तो सोप फ्री कंसीलर का इस्तेमाल करना चाहिए. त्वचा को दिन में 2 बार मौइश्चराइज भी करना चाहिए.

यदि स्किन टाइप औयली है, तो क्लींजिंग के साथसाथ दिन में 2-3 बार चेहरा धोना भी जरूरी है. औयली स्किन टाइप के लिए टोनिंग बेहद जरूरी है. इस से चेहरे के पोर्स बंद होते हैं और त्वचा से तेल का रिसाव रुकता है. इस के साथसाथ त्वचा को मौइश्चराइज्ड करने के लिए वाटर बेस्ड मौइश्चराइजर लगाना चाहिए. औयली स्किन के लिए फेस मास्क लगाना भी बेहद जरूरी है. इस से चेहरे की डैड स्किन से छुटकारा मिलता है और त्वचा सांस ले पाती है.

वर्क फ्रौम होम और औरतें

वर्क फ्रौम होम कल्चर ने उन औरतों के लिए नए दरवाजे खोलें हैं जिन्होंने पहले परिवार में बच्चों और बूढ़ों को देखने के लिए अच्छे कैरियर के बावजूद नौकरियां छोड़ी हैं. जौब्स फौरहर पोर्टल की एक रिपोर्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार 300 बड़ी कंपनियों ने ऐसी मेधावी शिक्षित व स्मार्ट औरतों के अवसर देने शुरू किए हैं जो पहले से खासी ट्रेन की जा चुकी हैं और उन से व्यवहार करना पुरुषों से ज्यादा आसान होता है.

इन औरतों के घर संभालते हुए बाहर के काम करने की डबल आदत पहले से होती है और ये पुरुषों की तरह आलसी और क्रिकेट मैच के लिए टीवी के सामने बैठने वाली भी नहीं हैं. जिनकी योग्यता अच्छी है वे सोप ऊपेरा टाइप की सास बहू धारावाहिकों के चक्कर में भी नहीं रहते. आज की शिक्षित युवा औरतों को अपने व्यक्तित्व की ङ्क्षचता ज्यादा होती है.

अगर टैक्रोलौजी ने औरतों को आज भी घर की किचन और बेड से छुटकारा नहीं दिलाया है तो वर्क फ्रौम होम अवश्य उन के जीवन में क्रांति ला देगा और वर्षों की जम कर की गई पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी.

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बस ऐसी औरतों को यह ध्यान रखना होगा कि वे धर्म के चक्करों में न पड़ें. आजकल कोविड के जमाने में पंडों के जुल्म पर प्रवचन सुनाने शुरू कर दिए हैं, औन लाइन दान  देना शुरू कर दिया है, औन लाइन पाखंडी क्रियाओं का सिलसिला शुरू कर दिया है. पुरुषों के लिए तो धर्म जरूरी है क्योंकि उसी के सहारे वे वर्ण व्यवस्था को वापस रखते हैं. ङ्क्षहदूमुसलिम कर के राजनीति करते हैं, ……… और ………… खेलते हैं, औरतें के रीतिरिवाजों के चक्करों में बांधतें हैं. नौकरियां मिलने पर घर में ही रह कर औरतें इन पाखंडों से भी बच सकेंगी और अपना खुद का पैसा भी बचा सकेंगी. आज दोहरी इंकम बहुत जरूरी है चाहे बच्चे कम हो. आज हर औरत को कोविड के अचानक प्रहार के लिए तैयार रहना पड़ेगा. आज वैसे भी चिकित्सा का बोझ भी बढऩे लगा है क्योंकि सरकार ने चिकित्सा सुविधा से हाथ पूरी तरह खींच लिया है. औरतों की अतिरिक्त कमाई उन के लिए बहुत जरूरी है.

वर्क फ्रौम होम तो एक तरह से औरतों के लिए आरक्षित हो जाना चाहिए और हर सरकारी व गैर सरकारी कंपनी को रिजर्वेशन देनी चाहिए. जरूरी हो तो इस का कानून बनें. औरतें अगर डेटा कनेक्शन खरीदें, मोबाइल खरीदें, लैपटौप खरीदें तो उन्हें करों में वैसे ही छूट दी जानी चाहिए जैसी स्टैंप ड्यूटी में दी जा रही है जिस के कारण आज बहुत संपत्ति औरतों के हाथ में आने लगी है.

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सामान दें सम्मान के साथ

दीवाली पर घर की साफ सफाई के दौरान रागिनी ने अपनी कामवाली को एक पुराना सूटकेस यह कहते हुए दिया कि “ले जा तेरे काम आएगा.” एक सप्ताह बाद वही सूटकेस सोसाइटी के कचरे के अटाले के ढेर में पड़ा देखकर रागिनी का पारा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस दिन से उसने आगे से अपनी मेड को कुछ भी न देने का निश्चय कर लिया.

एक सप्ताह तक फ्रिज में रखी रहने के बाद भी जब घर के किसी सदस्य ने मिठाई नहीं खायी तो गीता ने वह मिठाई अपनी काम वाली को दे दी, कामवाली ने अपनी मालकिन से तो कुछ नहीं कहा परन्तु गेट के बाहर जाकर कुत्तों को खिला दी.

इसी प्रकार रजनी ने घर के कुछ पुराने कपड़े अपने ही घर के सर्वेन्ट क्वार्टर में रहने वाले नौकर को दिए. कुछ दिनों बाद उसी नौकर की पत्नी को उन्हीं पुराने कपड़ों के बदले स्टील के बर्तन खरीदते देखकर उसे बहुत क्रोध आया और उसने अपने नौकर को खूब खरी खोटी सुनायीं.

कामगारों और मालिकों के बीच इस प्रकार की घटनाएं होना बहुत आम बात है जब मालिक का मन रखने के लिए कामवाले उनके द्वारा दिया गया सामान ले तो लेते हैं परन्तु प्रयोग करने के स्थान पर उसे फेंक देते हैं. क्योंकि उन्हें अक्सर वह सामान दिया जाता है जो प्रयोग करने के लायक ही नहीं होता.

क्या कहते हैं कामगार

एक सोसाइटी के कई घरों में काम करने वाली सीमा कहती है, “मेहनत हम चार पैसे कमाने के लिए करते हैं परन्तु घर का कबाड़ देकर मालिक हमें नौकर होने का अहसास कराते हैं आखिर हम भी तो उन्हीं की तरह एक इंसान हैं.”

अनेक घरों में खाना बनाने का काम करने वाली रजनी कहती है,”10 दिन से मैं खुद उस मिठाई को फ्रिज में रखा देख रही थी और 11 वें दिन मालकिन ने वह मिठाई उठाकर मुझे दे दी,”तेरे बच्चे खा लेंगे”.मानो मेरे बच्चे इंसान नहीं जानवर हों.

आमतौर पर कामगारों को दिये जाने वाले सामान में खाद्य पदार्थ, पहनने के कपड़े और घरेलू सामान होता है. अक्सर उन्हें वह सामान दिया जाता है जो हमारे लिए अनुपयोगी होता है परन्तु कोई भी सामान देने से पूर्व यह सुनिश्चित किया जाना आवश्यक है कि वह सामान एकदम बेकार और कचरे में फेंकने योग्य तो नहीं है.

ध्यान रखने योग्य बातें

-पुराने कपड़े देते समय यह सुनिश्चित करें कि वह मैला, कुचला, फटा न हो. यदि कहीं से सिलाई खुली है तो उसे सिलकर, धो और प्रेस करा कर ही दें.

-कई दिनों तक फ्रिज में रखने के बाद कोई भी खाद्य पदार्थ देने के स्थान पर उपयोग करने के बाद अगले दिन ही उन्हें दे दें ताकि समय रहते वे उसे प्रयोग कर सकें.

-सदैव ध्यान रखें जिस खाद्य पदार्थ को आप स्वयम नहीं खा सकते उसे उन्हें भी क्यों देना क्योंकि वे भी आपकी तरह ही एक इंसान ही हैं.

-कोई भी घरेलू सामान यदि एकदम टूटी फूटी हालत में है तो उसे कामगारों को देने के स्थान पर कचरे में फेंक दें.

-अरे ये तो सब खा लेते हैं या सब पहन ओढ़ लेते हैं जैसी ओछी बातें सोचकर उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाएं.

-किसी भी सामान को उन्हें देने से पूर्व उनसे पूछें कि वह उनके काम का है भी या नहीं.

-सबसे जरूरी बात कि आप उन्हें भी अपने जैसा ही एक इंसान समझें और उसी अनुरूप उनसे व्यवहार भी करें.

सदियों के बाद हमारे समाज के कामगार वर्ग को आज थोड़ा ही सही पर वो सम्मान प्राप्त होने लगा है जिसके वे वास्तव में हकदार हैं..इसे वे स्वयम तो आसानी से नहीं जाने देंगे परन्तु हम मालिकों कभी दायित्व है कि उनके इस सम्मान को बरकरार रखें.

Winter Special: सर्दियों में चेहरे लगाएं बाजरे के आटे का फेस पैक, मिलेंगे कई फायदे

लेखिका- दीप्ति गुप्ता

सर्दियां शुरू हो चुकी हैं. इस मौसम में चेहरे की समस्याएं अक्सर बढ़ जाती हैं. यही वजह है कि गर्मियों के मुकाबले इस मौसम में चेहरे का बहुत ख्याल रखना पड़ता है. आपने देखा होगा कि सर्दियों में लोग बाजरे की रोटी और हरी सब्जियां बड़े चाव से खाते हैं. वो इसलिए कि बाजरा सेहत  के लिए बहुत अच्छा होता है. पर क्या आप ये जानते हैं कि सर्दियों में बाजरा आपके चेहरे के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. दरअसल, इस मौसम में आपके पोर्स और त्वचा में कई परतें जमा हो जाती हैं. बाजरे का आटा आपके चेहरे से डेड स्किन को हटाने और त्वचा की चमक लौटाने में मदद करता है. वहीं इसे लगाने से ब्लैकहेड्स की समस्या भी दूर हो जाती है. ब्यूटी एक्सपट्र्स की मानें, तो इस साबुत अनाज में रूटीन और विटामिन बी जैसे एक्टिव कंपोनेंट होते हैं, जो आपको क्लीयर और मॉश्चुराइज्ड स्किन प्रदान करते हैं. तो आइए हम आपको बताते हें कि बाजरे का फेसपैक कैसे बनाया जाता है और बताएंगे इससे होने वाले फायदों के बारे में भी.

त्वचा के लिए फायदेमंद बाजरा

अच्छी बात ये है कि सर्दियों में बाजरा आपको हर जगह आसानी से मिल जाएगा. इस मौसम में आपकी त्वचा पर गंदगी जमा हो जाती है, ऐसे में यह डेड स्किन को हटाने का काम करता है. सर्दियों में आपकी त्वचा में निखार लाने का यह बेहतरीन नुस्खा है. इतना ही नहीं सर्दियों में जिन लोगों की त्वचा बहुत ऑयली हो जाती है, उनके लिए बाजरे का फेस पैक बहुत फायदेमंद साबित  होता है. इसे लगाने के बाद चेहरे पर एक्स्ट्रा ऑयल की टेंशन दूर हे जाती है और चेहरे का रंग पहले से काफी साफ हो जाता है. इसके अलावा बाजरा नए स्किन सेल्स के निर्माण को बढ़ावा देता है, फाइन लाइन्स और झुर्रियों को भी उम्र से पहले चेहरे पर झलकने नहीं देता.

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बाजरे का फेस पैक कैसे बनाएं-

बाजरे का फेस पैक बनाने के लिए सामग्री-

बाजरे का आटा- 2 बड़े चम्मच

गुलाबजल- आधा छोटा चम्मच

कच्चा दूध- आधा कप

बाजरे का फेस पैक बनाने की विधि-

बाजरे का फेस पैक बनाने के लिए 1 कटोरी लें. इसमें बाजरे का आटा डालें और कच्चा दूध मिलाकर पेस्ट बना लें. जब दोनों सामग्री अच्छे से मिक्स हो जाएं, तो इसमें गुलाबजल मिला लें. तैयार फेस पैक को अपने चेहरे पर लगाएं. इससे आपकी त्वचा में निखार आ जाएगा.

बाजरे का फेस पैक इस्तेमाल करने के तरीके-

– आप बाजरे के फेस पैक को क्लींजर की तरह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं.

– इसके अलावा इस फेस पैक को अपनी गर्दन और चेहरे पर अच्छे से लगाएं. फिर कम से कम 20 से 25 मिनट बाद अपने चेहरे को साफ कर लें. जब आपके चेहरे से फेस पैक सूख जाए, तो इस पानी का छिड़काव करके इसे गीला कर लें. अब हल्के हाथों से चेहरे की मालिश कर पैक हटाएं.

– आप चाहें, तो इस फेस पैक को आप स्क्रब की तरह भी यूज कर सकते हैं. इससे सर्दियों में चेहरे की डेड स्किन निकल सकती है. इसका इस्तेमाल हफ्ते में एक बार करना अच्छा है.

बाजरा खाने के फायदों को तो आपने जरूर आजमाया होगा, लेकिन अब त्वचा पर बाजरे के फायदे जानने हैं, तो बाजरे के आटे से बना नेचुरल फेस पैक जरूर ट्राय करें. फिर देखिएगा, आपकी स्किन पहले से ज्यादा ग्लो करने लगेगी.

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मार से नहीं सुधरते बच्चे

कभी खिलौने तोड़ने, कभी होमवर्क न करने, कभी टीवी ज्यादा देर तक देखने, कभी सुबह जल्दी न उठने को ले कर हर बच्चे को कभी न कभी बचपन में अभिभावकों से अवश्य मार पड़ी होगी. जब बच्चे पेरैंट्स के अनुसार काम नहीं करते तो पेरैंट्स को गुस्सा आता है और गुस्से में वे पहले बच्चों को डरातेधमकाते हैं और जब ऐसा करने से बात बनती नहीं दिखती, तो वे बच्चों पर हाथ उठा देते हैं. पेरैंट्स ऐसा करते समय सोचते हैं कि वे ऐसा बच्चों की भलाई के लिए कर रहे हैं, उन्हें सुधारने के लिए कर रहे हैं. पर क्या बच्चों पर हाथ उठाना सच में बच्चों की भलाई के लिए होता, आइए जानते हैं :

हाथ उठाने के पीछे कारण :

साइकोलौजिस्ट प्रांजलि मल्होत्रा के अनुसार, ‘‘पेरैंट्स को लगता है कि बच्चों को मारना उन को सिखानेसमझाने का तरीका है, मारने से वे समझ जाएंगे और दोबारा वही गलती नहीं करेंगे. लेकिन, ऐसा नहीं है.

‘‘कई बार तो बच्चे यह भी नहीं समझ पाते कि उन्हें मार किस बात पर पड़ी है. कई बार बच्चे अकारण भी मार खा जाते हैं. बच्चों पर हाथ उठाने से न सिर्फ उन्हें शारीरिक रूप से चोट पहुंचती है बल्कि वे मानसिक रूप से भी कमजोर पड़ जाते हैं.

‘‘कई मामलों में बच्चों पर हाथ न उठा कर यदि प्यार से समझाया जाए तो उन पर सकारात्मक प्रभाव होता है. शारीरिक हिंसा बच्चों को गलत रास्ता दिखाती है. साथ ही, बच्चे यह समझ बैठते हैं कि सभी समस्याओं का हल केवल एक हाथ उठाने से हो सकता है. ऐसे में वे अपने आसपास दोस्तों के साथ भी मारपीट का रवैया अपनाने लगते हैं.’’

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हाउसवाइफ ज्यादा उठाती हैं हाथ :

मुंबई के एक एजुकेशनल गु्रप पोद्दार इंस्टिट्यूट औफ एजुकेशन द्वारा देश के 10 शहरों में किए गए सर्वे के अनुसार, घर में रहने वाली मांएं बच्चों पर पुरुषों की तुलना में अधिक हाथ उठाती

हैं. हैरानी की बात यह है कि 77 प्रतिशत मामलों में मां ही बच्चों को पीटती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी महिलाओं के पास बच्चों के लिए बहुत कम समय होता है, इसलिए वे कम हाथ उठाती हैं जबकि हाउसवाइफ बच्चों के साथ ज्यादा समय बिताती हैं, इसलिए उन की गलतियों को ले कर वे ज्यादा सख्त होती हैं.

रिश्ते में आ सकती हैं दूरियां :

बच्चों को मार खाना न केवल अपमानित लगता है बल्कि मार उन्हें अशांत या डरपोक बना सकती है. बातबात पर हाथ उठाने से जहां कुछ बच्चे उग्र हो जाते हैं वहीं कुछ बच्चे हर समय डरेसहमे रहने लगते हैं, वे किसी से बात करने से भी कतराने लगते हैं. बड़े होने पर ये सारी समस्याएं उन के विकास में बाधक बन सकती हैं. बारबार मारने से बच्चों में पेरैंट्स का डर खत्म हो जाता है और हो सकता है आप का यह व्यवहार आप के और बच्चों के रिश्ते में दूरियां भी ला दे.

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Bigg Boss 15: Pratik ने दी Umar को ऐसी गाली, घर में हुआ घमासान

कलर्स का रियलिटी शो बिग बौस 15 (Bigg Boss 15) में इन दिनों काफी कुछ देखने को मिल रहा है. जहां मीडिया के आने के बाद तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा के बीच बहस देखने को मिली तो वहीं अब उमर रियाज और प्रतीक की घमासान लड़ाई देखने को मिलने वाली है. आइए आपको दिखाते हैं शो के नए प्रोमो की झलक…

उमर को आया गुस्सा

 

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इन दिनों शो में नई पहचान बना रहे बिग बॉस 13 के फर्स्ट रनरअप रहे असिम रियाज (Asim Riaz) के भाई उमर रियाज (Umar Riaz) सोशलमीडिया पर सुर्खियों में हैं. फैंस उनकी खूब तारीफें कर रहे हैं. वहीं हाल ही में उमर रियाज का गुस्सा देखने को मिल रहा है. दरअसल, उमर रियाज और प्रतीक सहजपाल के बीच तगड़ी लड़ाई हुई, जिसमें प्रतिक सहजपाल ने उमर रियाज की बहन तक को गाली दे दी. इसी कारण उमर रियाज का गुस्सा बढ़ गया और उन्होंने प्रतीक को धमकी देते हुए कहा कि अपनी लिमिट में रहो.

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प्रतीक को कही ये बात

 

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प्रोमो में लड़ाई के दौरान उमर ने प्रतीक को याद दिलाते हुए कहा कि ‘औकत में रह. तेरे लिए अगर मां बड़ी है तो मेरे लिए मेरी बहन भी बहुत बड़ी है. तू ये नहीं बोल सकता. अपनी लिमिट क्रॉस मत कर. मेरे साथ ये सब करने की जरूरत नहीं है.’

 

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#tejran के बीच हुई बहस

 

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मीडिया के जाने के बाद तेजस्वी प्रकाश और करण कुंद्रा के बीच बहस होने के बाद दोनों एक दूसरे से दूर होने की बातें करते नजर आए. हालांकि आखिर में दोनों एक दूसरे के करीब भी नजर आए.

बता दें, शो में जल्द तीन वाइल्ड कार्ड की एंट्री होने वाली है, जिनके आने से शो में कई नए ट्विस्ट देखने को मिलेंगे. वहीं इससे पहले ही सिंबा नागपाल शो से अलविदा हो चुके हैं.

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सिंगल मदर बनने को लेकर क्या कहती है ‘Sasural Genda Phool 2’ की एक्ट्रेस श्रुति पंवार, पढ़ें इंटरव्यू

22 साल की कैरियर में अपनी पहचान बना चुकी अभिनेत्री श्रुति पंवार देहरादून की है, उसे बचपन से ही अभिनय की इच्छा थी, जिसमें उनके पेरेंट्स ने साथ दिया है. वह नेशनल लेवल की बास्केट बॉल प्लेयर भी रह चुकी है. आज भी उसे क्रिकेट और फुटबाल गेम बहुत पसंद है. उन्होंने फिल्म ‘दिल तो पागल है’ से अपनी कैरियर की शुरुआत की थी. इसके बाद कई फिल्में और टीवी धारावाहिकों में काम किया है. उनकी सबसे प्रसिद्ध टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल, रिश्ते, आज के श्रीमान श्रीमती आदि है.

उन्होंने बहुत कम उम्र में आलोक उल्फत से शादी की और एक बेटे की माँ बनी. साल 2017 में उन्होंने डिवोर्स लिया. अभी वह सिंगल पैरेंट है और मुंबई में अपने 14 साल के बेटे ओजस्या उल्फत के साथ रहती है. उनका बेटा भी स्कूल के नाटकों में अभिनय करता है, परन्तु उसे फुटबाल खिलाडी बनने की इच्छा है. फिल्म सूर्यवंशी में माँ की भूमिका निभाने के बाद श्रुति टीवी शो ‘ससुराल गेंदा फूल 2’ की शूटिंग में व्यस्त है, क्योंकि ये 11 साल बाद फिर से आई है. श्रुति से खास गृहशोभा के लिए टेलीफोनिक बात हुई, पेश है कुछ खास अंश.

सवाल – सूर्यवंशी  में आपकी भूमिका कितनी चुनौतीपूर्ण रही?

जवाब – इसमें अधिक चुनौती नहीं थी, क्योंकि एक बार टीवी पर माँ की भूमिका निभा लेने के बाद हर कोई एक्ट्रेस मंझे हुए कलाकार की तरह हो जाते है. टेलीविज़न में माँ की भूमिका ममतापूर्ण और भावनात्मक होता है. बच्चों के प्रति अपनी संवेदना को जाहिर करने के लिए भरपूर समय मिलता है. इसलिए मुश्किल नहीं था, लेकिन उसमें दिखाए गए बच्चे मेरी उम्र के है, पर मैंने अभिनय किया , क्योंकि मैंने खुद को किसी भी भूमिका के लिए सिमित नहीं रखी है, क्योंकि मैं एक कलाकार हूं और कलाकार के साथ वर्सेटाइल शब्द जुड़ा हुआ रहता है. आप किसी भी उम्र के हो, पर आपकी सोच उस उम्र की भूमिका निभाने में सहायक होती है. मैं उसी सोच की हूं और किसी उम्र के लिए एक्टिंग करना मेरे लिए चुनौती होती है. इसमें वह चरित्र मेरे लिए आकर्षक और ग्रो करने के लिए कुछ हो, तभी मैं हाँ कहती हूं.

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सवाल – हिमाचल या उत्तराखंड से बहुत सारे कलाकारों का इंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में आना महज एक इत्तफाक है या वहां के लोग कला प्रेमी है, आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जवाब – मैंने भी इस बात का अनुभव किया है, जब मैं साल 1996 – 97 के दौरान इंडस्ट्री में आई थी, तब इतने लोग इंडस्ट्री में नहीं थे,गिनचुनकर उनका नाम लिया जा सकता था, जिसमें हिमानी शिवपुरी और अर्चना पूरन सिंह थे और इन दोनों ने देहरादून से आकर अपना नाम बना लिया था. अब काफी लोग आ चुके है, ऐसा लगता है कि मानों कलाकारों को यहाँ एक एक्सपोजर अपनी कला को दिखाने का मिल गया है. असल में अगर कोई व्यक्ति मुंबई आकर सफल होता है, तो कला प्रेमी उसे देखकर प्रेरित होकर मुंबई जाना चाहते है. उत्तराखंड में रंगमंच बहुत होता है और वहां की संस्कृति और प्रकृति बहुत सुंदर है. वहां के लोगों में भरपूर कला है और वे मुंबई आ भी चुके है, खासकर गढ़वाल, देहरादून और हिमाचल से आधिकतर वे आते है.

सवाल – अभिनय में आने की प्रेरणा कहाँ से मिली?

जवाब – मैंने स्कूल और कालेज से ही अभिनय शुरू किया है. तब उत्तराखंड नहीं बना था और मैं देहरादून की हूं, ये छोटा सा शहर है,मेरे समय में छोटे-छोटे फैशन शो हुआ करते थे और मैंने उसमें भाग लेना शुरू कर दिया था. साथ में रंगमंच पर भी अभिनय करने लगी थी. मुंबई आने की वजह मेरी छोटी उम्र में आलोक उल्फत से शादी कर लेना है. अभी वे मेरे एक्स हस्बैंड है. उस समय वे एनएसडी में पढाते थे और मैंने उनके साथ ही रंगमंच शुरू किया था. फिर हम दोनों मुंबई घूमने आये और अर्चना पूरन सिंह से मेरे पति की जान-पहचान थी. अर्चना से मिलने पर उन्होंने ने ही मुझे अभिनय करने की सलाह दी, क्योंकि उन्होंने मेरी किसी नाटक को देहरादून में देखी थी. मैंने अभिनय के लिए ऑडिशन दिया और एक होम टीवी में काम मिला. इसके बाद जो भी मौके मुझे मिलते गए, मैं काम करती गयी. इस तरह से मेरा काम कभी रुका नहीं. मुझे परदे और कैमरे के सामने रहना बहुत अच्छा लगता है. मैं आज भी खुद को एक छात्र समझती हूं, जिसे हर दिन कुछ नया सीखना है. स्कूल में रहने के दौरान मेरी नानी मुझे नौटंकी करने वाली और ड्रामेबाज लड़की कहती थी,जिसे एक्टिंग के क्षेत्र में जाना चाहिए और वही हुआ भी.

सवाल –इतने सालों में इंडस्ट्री में आये बदलाव को कैसे देखती है?

जवाब – काफी दिनों के बाद किसी भी बदलाव को मैं स्वागत करती हूं और कोई भी चीज सालों तक एक जैसी नहीं रहती, क्योंकि इससे लोग ऊब जाते है. किसी बदलाव में सही और गलत दोनों ही रहता है. आज कोरोना की वजह से ओटीटी का स्तर काफी ऊपर हो गया है, लोग आजकल इसे ही देख रहे है. मैं जब आई थी, सिर्फ जी और सोनी टीवी और दूरदर्शन होता था. उस समय काम सीमित था, लेकिन अभी माध्यम बढ़ने से शो बढ़ गए और कलाकार भी बहुत आ गए. देहरादून से ही जहाँ 3 कलाकार थे अब 50 है. केवल भारत से ही नहीं विदेशों से भी कलाकार यहाँ आ रहे है. कला के साथ खूबसूरत और सही मौकेका मिलना बहुत जरुरी होता है, क्योंकि कई बार अच्छा ऑडिशन देने पर भी काम नहीं मिलता, तो कभी घर बैठे ही काम मिल जाता है. इस प्रकार ओटीटी और डिजिटल में भी काम मिलना आसान नहीं होता. कई बार एक ही व्यक्ति बार-बार अभिनय करता रहता है, घर बैठे उसे काम मिलता रहता है, पर मैंने हमेशा अच्छा काम करने की कोशिश की है, फिर चाहे वह विज्ञापन, टेलीविजन, डिजिटल या कुछ भी हो, मेरे लिए कोई फर्क नहीं पड़ता. मेरा काम मुझे ख़ुशी दे, बस इतना ही मैं देखती हूं.

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सवाल – आपने टीवी और फिल्मों में इमोशनल सीन्स काफी निभाए है, रियल लाइफ में आप कितनी इमोशनल है?

जवाब – शारीरिक रूप से मैं बहुत मजबूत हूं, क्योंकि मैं वर्कआउट बहुत करती हूं, लेकिन मानसिक रूप से बहुत कोमल है. कोई अगर मुझे कुछ कहता है तो मैं बहुत जल्दी हर्ट हो जाती हूं. इसकी वजह ये रही है कि मैं देहरादून में एक संयुक्त परिवार में पली-बड़ी हूं. मैं पूरे खानदान में छोटी हूं, इसलिए हमेशा प्रोटेक्टिव रही. 11 साल की उम्र में मेरे पिता की मृत्यु हो गयी थी. मेरे बड़े भाई ही मेरे पिता समान रहे.

सवाल – इतनी सारी फिल्मों में कौन सी फिल्म आपके दिल के करीब है और क्यों?

जवाब – मैंने एक फिल्म ‘गफला’ की थी जो अधिक चल नहीं पाई, पर ये फिल्म बहुत अच्छी थी. ये पहली फिल्म थी, जिसने हर्षद मेहता के स्कैम को दिखाया था. इसके अलावा मैंने एक शार्ट फिल्म ‘अमृता और मैं’ में अभिनय किया था, इस फिल्म के लिए मुझे बेस्ट एक्ट्रेस का एवार्ड भी मिला था. ये फिल्म मेरे लिए बहुत चैलेंजिंग थी, क्योंकि अमृता प्रीतम एक प्रोग्रेसिव लेखिका थी, उनकी भूमिका को निभाना मेरे लिए आसान नहीं था. ये फिल्म मेरे दिल के बहुत करीब है.

सवाल -आज हर निर्माता निर्देशक बायोपिक बना रहे है, पहले बायोपिक उनकी बनायीं जाती थी, जो अब दुनिया में नहीं है और उनकी सफलता, त्याग और बलिदान को प्रेरणा स्वरुप दर्शाने के लिए किये जाते थे, अब जीवित व्यक्ति की भी बायोपिक बन रही है, क्या ये कुछ अधिक नहीं है, क्या फिल्म इंडस्ट्री में कहानी की कमी हो चुकी है? आपकी सोच इस बारें में क्या है?

जवाब – बायोपिक बनाना मेरे हिसाब से कठिन है, क्योंकि इसमें एक व्यक्ति का पूरा जीवन जो वह जी चुका है, उसको दिखाना पड़ता है. कहानियां बहुत है और उसकी कमी कहीं नहीं है. समय के साथ सोच बढती है और कहानियां भी उसके अनुसार बनती है. हिंदी सिनेमा में अब बायोपिक बन रही है, हॉलीवुड में सालों से बायोपिक बन रही है. असल में टीवी और फिल्म्स लोगों को बहुत प्रभावित करता है, इसलिए ऐसे बायोपिक आम दर्शकों खासकर यूथ के लिए अच्छा होता है, उन्हें ऐसे खास लोगों से बारें में जानकारी मिलती है.

सवाल – आप एक सिंगल मदर है, अकेले बच्चे की परवरिश की है, जीवन में आये लो फेज को कैसे लिया?

जवाब – जीवन में सबसे जरुरी होता है खुश रहना और स्वस्थ रहना, अगर ये सब किसी की जिंदगी में नहीं है तो कितना भी पैसा व्यक्ति कमा ले, वह सुखी नहीं हो सकता. मेरे परिवार में मेरी माँ, भाई, बहन आदि सभी ने हमेशा मेरा साथ दिया, वे सब मेरे साथ रहते है, क्योंकि सिंगल मदर होना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती होती है. जीवन में जो होना होता है, वह होता है, उसे अपनाकार आगे निकल जाना ही बड़ी बात होती है. मैंने सिंगल मदर होने की बात किसी से शेयर नहीं किया, क्योंकि ये मेरा निजी जीवन है और फैसला भी मेरा है. डिवोर्स के बाद अभी हम दोनों दोस्त है और बच्चे की वजह से कई बार मिलते है.

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GHKKPM: विराट की लाइफ में होगी इस एक्ट्रेस की एंट्री, सई को भड़काएगी पाखी

सीरियल गुम हैं किसी के प्यार में ( Ghum Hai Kisike Pyaar Mein) की कहानी में पाखी की नाकाम कोशिशों के बाद विराट (Neil Bhatt) और सई (Ayesha Singh) एक दूसरे के करीब आ गए हैं. लेकिन शो में होने वाली नई एक बार फिर दोनों के बीच दूरियां ले आएगी. वहीं पाखी (Aishwarya Sharma) इस बात से बेहद खुश नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

शो में होगी विराट के प्यार की एंट्री

 

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हाल ही में एक प्रोमो में विराट अपनी जिंदगी में नए शख्स के आने की बात करता नजर आया था. वहीं खबर है कि एक्ट्रेस शफक नाज (Shafaq Naaz) शो में नजर आने वाली हैं. वहीं इसी के चलते विराट, सई से दूर होने वाला है. दरअसल, शो का नया प्रोमो सामने आया है, जिसमें सई जहां अपने प्यार का इजहार करने के लिए बेताब नजर आती है तो वहीं विराट उखड़ा उखड़ा सा नजर आता है. इसी कारण पाखी, सई को आगाह करते हुए कहती है कि जो उसके साथ हुआ कहीं सई के साथ ना हो जाए.

 

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सम्राट कहेगा ये बात

अपकमिंग एपिसोड की बात करें तो दिवाली पर घर के लोगों के सामने मोहित सई और विराट की सुहागरात न होने की बात करेगा, जिसे सुनकर पाखी का चेहरा उतर जाएगा और वह बाहर चली जाएगी. लेकिन सम्राट, पाखी के पीछे जाकर कहेगा कि सुहागरात तो अभी हमारी भी नहीं हुई है, जिसे सुनते ही पाखी हैरान रह जाएगी.

बता दें, सीरियल से हटकर कास्ट की पर्सनल लाइफ की बात करें तो विराट और पाखी यानी नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा जल्द ही शादी के बंधन में बंधने वाले हैं. वहीं हाल ही में ऐश्वर्या शर्मा ने अपनी खास बेचलर्स पार्टी की झलक भी फैंस को दिखाई थी.

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7 Tips: खूबसूरती बढ़ाए Saree

हमारी भारतीय संस्कृति में साड़ी एक मात्र एक ऐसा पहनावा है, जिसे पहनने के लिए ना तो उम्र की कोई सीमा निर्धारित होती है और ना ही पहनने का कोई ख़ास कारण. मतलब ये कि, साड़ी पहनने के लिए किसी भी तरह के मौके का इंतजार नहीं करना होता है. निकेता ठाकर, फाउंडर और डिजाइनर, सिवी द बेस्पोक बुटीक का मानना है कि साड़ी हर महिला के लिए सबसे अच्छा पहनावा होता है. आप इसे किसी भी तरह के फंक्शन में पहनकर खुद को प्रभावशाली दिखा सकती हैं. हालांकि महिला की शारीरिक बनावट कैसी भी हो, लेकिन साड़ी पहनने के बाद हर महिला खूबसूरत दिखने लगती है. साड़ी हम महिलाओं का सबसे पसंदीदा पहनावा है, और ये हमारे लिए सबसे सही पोशाक में से एक क्यों है, इसके कई कारण है.

1. मिक्स एंड मैच का फायदा-

साड़ी पहनने में हर महिला या लड़की को एक फायदा तो जरुर मिलता है. वो फायदा है स्टाइलिंग को लेकर मिक्स एंड मैच को विकल्प. जी हां एक साड़ी ब्लाउज पहनकर बोर हो गयी हैं, तो आप मिक्स एंड मैच का विकल्प चुन सकती हैं. मतलब साड़ी को दूसरे ब्लाउज या ब्लाउज को दूसरी साड़ी के साथ मैच करके पहन सकती हैं. ये अपने आप में ही एक अलग एक्स्पेरियंस होगा.

2. अपनी पसंद का करें स्टाइल-

सुपर सेक्सी दिखने की चाह हो या क्यूट दिखने की चाह हो. साड़ी हर मामले में आपको लाजवाब बनाती है. साड़ी ना सिर्फ आत्मविश्वास बढ़ाती है बल्कि, आपका व्यक्तित्व और पर्सनालिटी उभारती है. आप साड़ी को जैसे मन हो वैसे पहनें. साड़ी की स्टाइलिंग के लिए आप अलग-अलग वेबसाइट और फैशन विशेषज्ञों से मदद भी ले सकती हैं.

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3. बिंदास होकर पहनें साड़ी-

साड़ी पहनने के लिए आपको किसी तरह के किसी नियम के पालन करने की जरूरत नहीं है. साड़ी को बिंदास तरीके से पहनें. इसमें आप हर तरह से जंचेंगी भी और खूबसूरत भी नजर आएंगी.

4. हर शरीर में फबे साड़ी-

अगर आप अपने शरीर के बनावट को देखते हुए ये सोचती हैं, कि साड़ी आप पर जंचेंगी भी या नहीं. तो आप अपने दिमाग से ये बात पूरी तरह से निकाल दें. आपका रंग, रूप और शरीर की बनावट कैसी है, ये ना सोचें. क्योंकि साड़ी हर तरह से आप पर फबेगी.

5. नहीं कोई उम्र की सीमा-

इस तथ्य में कोई शक नहीं कि, साड़ी किसी भी उम्र की महिला पर फबती है. साड़ी पहनने की कोई उम्र सीमा निर्धारित नहीं होती. आपकी उम्र 18 हो या 58, आप बेफिक्र होकर साड़ी पहनिए.

6. शरीर को निखारे साड़ी-

कोई भी वेस्टर्न ड्रेस और स्किनी जींस पहनकर आप खुद को खूबसूरत देखती हैं तो यहां अगर आप साड़ी पहन लें, तो कहने ही क्या? साड़ी आपके शरीर को निखारती है. और आपको सबसे जुदा अंदाज भी देती है.

7. पहनने के हैं कई तरीकें-

बाग्लादेशी से लेकर कांजीवरम और बनारसी सिल्क तक की साड़ियों की काफी वैरायटी आपको बाजार में मिल जाएगी. आप अपनी मनपसंद तरीके की साड़ी पहनें और खुद को स्टाइल करें. आप पल्लू को भी मनपसंद तरीके से स्टाइल करके किसी बॉलीवुड दिवा की तरह दिख सकती हैं.

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साड़ी ना सिर्फ आपकी खूबसूरती को निखारती है, बल्कि आपको एक जुदा पहचान भी देती है. साड़ी हमारी संस्कृति से जुड़ी हुई है, जो दशकों से पहनी जा रही है. इस परम्परागत पहनावे का चलन आज भी वैसे का वैसा ही है. जो दशकों पुराना है. अब आपको भी साड़ी पहनने से पहले इतना सोचने की जरूरत नहीं है, बिंदास होकर साड़ी पहनिए और खुद को एक अलग अंदाज में पेश करने के लिए तैयार हो जाइए.

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