तो छोटा घर भी दिखेगा बड़ा

घर कितना भी छोटा हो, छोटेछोटे प्रयासों से उसे सुंदर बनाया जा सकता है. लेकिन सुंदरता के साथ घर स्पेशियस भी लगे इस के लिए कुछ इनोवेटिव आइडियाज की जरूरत पड़ती है.

दीवारों का रंग हो कैसा

इस बाबत लिपिका सूद इंटीरियर प्राइवेट लिमिटेड की डायरैक्टर लिपिका सूद बताती हैं कि दीवारों पर सही पेंट कराने से घर के इंटीरियर को एक बड़ा सपोर्ट मिलता है. इस से घर का लुक तो बेहतर होता ही है, साथ ही यह अपने रिफ्लैक्शन से घर के आकार पर भी प्रभाव डालता है. अगर आप का घर छोटा है तो निम्नलिखित टिप्स पर जरूर गौर करें.

– छोटे कमरे में हमेशा हलके रंग का पेंट करवाना चाहिए. क्योंकि हलका रंग कमरे को स्पेशियस बनाता है. दरअसल, हलके रंग बहुत कम लाइट ऐब्जौर्ब करते हैं, जिस से कमरा स्पेशियस लगता है.

– यदि कमरा कम ऊंचा है तो उसे ज्यादा ऊंचा दिखाने के लिए सीलिंग पर फ्लोरोसैंट कलर के स्टिकर लगा दें या फिर वालपेपर का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. इस से कमरा ऊंचा दिखने लगता है.

– सिर्फ दीवारें ही नहीं बल्कि छोटे कमरे की फर्श भी हलके रंग की होनी चाहिए. इस के लिए हलके रंग के पत्थर या फिर टाइल्स लगवाने चाहिए.

– यदि छोटे कमरों की दीवारों में भी टाइल्स लगवाने की सोच रहे हैं, तो उन का रंग भी हलका ही होना चाहिए.

– वन वाल डार्क का फैशन भले ही इन हो, लेकिन छोटे कमरों में इस फैशन को लागू न करें. हां, यदि आप कुछ अलग ही करना चाहते हैं तो एक ही कलर के दूसरे शेड का इस्तेमाल करें. लेकिन चुनें लाइट शेड ही.

स्टाइलिश फर्नीचर और उन की सैटिंग

लिपिका सूद ने फर्नीचर सिलैक्शन एवं सैटिंग पर निम्नलिखित टिप्स बताए.

– छोटे कमरे के लिए स्टेटमैंट फर्नीचर का चुनाव करें. यानी कमरे को छोटेछोटे फर्नीचर से भरने की जगह कोई ऐसा फर्नीचर चुनें जो कम जगह घेरे और जरूरत को भी पूरा करे. जैसे 1 काउच से यदि आप की जरूरत पूरी हो रही है, तो पूरा सोफासैट रखने की आवश्यकता नहीं है.

– फर्नीचर के साइज के साथ ही उस की सैटिंग का भी विशेष ध्यान रखें. कभी भी फर्नीचर को दीवार से सटा कर इसलिए न रखें कि कमरे की कुछ जगह बच जाएगी. ऐसा करने पर दीवारें खराब होने के साथ ही भरीभरी भी लगती हैं. हमेशा फर्नीचर को दीवार से कुछ इंच छोड़ कर ही रखें.

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– छोटे घरों में फर्नीचर सिर्फ उठनेबैठने या सजावट के ही नहीं बल्कि स्टोरेज के भी काम आ सकते हैं. बाजार में सोफा कम बैड व बैड बौक्स तो पहले से ही आ रहे हैं, लेकिन अब डाइनिंग टेबल, सोफासैट और कुछ मौड्यूलर फर्नीचर ऐसे आने लगे हैं, जो जगह भी कम घेरते हैं और स्टोरेज का भी काम करते हैं.

– आजकल बाजार में डिजाइनर फोल्डिंग फर्नीचर भी उपलब्ध हैं. ऐसे फर्नीचर जरूरत पड़ने पर असेंबल कर लिए जाते हैं और जगह बनाने के लिए इन्हें डीअटैच भी किया जा सकता है.

– यह जरूरी नहीं की घर में लकड़ी के भारीभरकम फर्नीचर ही हों, बाजार में प्लास्टिक और फाइबर के डिजाइनर फर्नीचर भी उपलब्ध हैं, जो फर्नीचर की कमी को भी पूरा करते हैं और इन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर रखा भी जा सकता है. यानी जब भी इंटीरियर में थोड़ा भी बदलाव करने का मन करे, तो फर्नीचर के स्थान में बदलाव कर के इसे अंजाम दिया जा सकता है.

सजावट करें कम

लिपिका कहती हैं कि छोटे घर के इंटीरियर में तो आप को खासतौर से इन बातों पर ध्यान देना चाहिए.

– छोटे कमरे में ड्रैमैटिक पेंटिंग, जो कमरे की कलर थीम से भी मैच करती हुई हो, को लगाया जा सकता है. यह कमरे की रौनक बढ़ाएगी और पेंटिंग का कमरे की कलर थीम से मैच होने से कमरा भराभरा नहीं लगेगा.

– कमरे में रखी टेबल पर फ्लावरवास रखना पुराना ट्रैंड हो गया है. अब टेबल को फ्री रखें और कमरे की किसी साइड में एक सुंदर और आकार में बड़ा टैराकोटा, चीनी मिट्टी या किसी धातु से बना पौट, वास या आर्टिकल सजा दें.

– मिरर डैकोरेशन वैसे तो काफी पुराना आइडिया है, लेकिन छोटे घरों के लिए एकदम परफैक्ट है. यदि मिरर डैकोरेशन को इनोवेटिव तरीके से किया जाए, तो यह घर की रौनक के साथ ही घर को स्पेशियस दिखाने का भ्रम भी बना देता है. लिपिका बताती हैं कि आजकल कमरे की एक दीवार को मिरर पैनल से कवर करना ट्रैंड में है. खासतौर पर घर के ड्राइंगरूम में इस तरह का इनोवेशन किया जा सकता है. क्योंकि यह कमरा हर घर का ऐंट्रैंस पौइंट होता है. इस कमरे की साइज से ही कोई घर के छोटेबड़े होने का अंदाजा लगा सकता है.

– डिजाइनर कारपेट इंटीरियर का बहुत महत्त्वपूर्ण हिस्सा है. लेकिन छोटे घरों में स्ट्रिप कारपेट का इस्तेमाल करना चाहिए. इस से कमरा लंबा दिखता है.

– यदि आप स्टूडियो फ्लैट में रह रहे हैं तो जाहिर है कि आप को एक ही कमरे में ही थोड़ेथोड़े स्थान पर हर कमरे की जरूरत का सामान रखना होता है. ऐसे में कारपेट सैपरेटर का काम कर सकता है. इस के लिए आप छोटे  कारपेट का इस्तेमाल कर एक ही कमरे में अलगअलग काम के लिए ऐरिया डिवाइड कर सकते हैं.

– वैसे मार्केट में आ रहे डिवाइडर्स भी छोटे आशियाने के लिए अच्छा विकल्प हैं. इन्हें एक ही कमरे में अलगअलग काम करने के लिए या प्राइवेसी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

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– ओवरहैड कैबिनेट भी डैकोरेशन का ही हिस्सा हैं. यदि कमरा छोटा है और सामान ज्यादा है तो ओवरहैड कैबिनेट स्टोरेज के साथ जगह की भी बचत करते हैं. यदि ओवरहैड कैबिनेट न बनवा सकें तो फाल्स सीलिंग भी एक अच्छा विकल्प है.

खिड़की और दरवाजों पर करें गौर

लिपिका ने बताया कि घर में खिड़की और दरवाजों का काम सिर्फ 2 कमरों को सैपरेट करने का नहीं होता बल्कि अब ये घर के इंटीरियर में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. खासतौर पर जब घर छोटा हो तो इन की भूमिका और अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती है. साथ ही इनोवेशन के कई विकल्प भी खुल जाते हैं.

– कमरा छोटा है तो खिड़कियों को हर वक्त भारीभरकम परदों से कवर कर के न रखें. हो सके तो उन्हें अनकवर्ड रखें. इस से कमरे में रोशनी भी आएगी और कमरा भराभरा नहीं लगेगा.

– यदि परदे लगाने ही हैं तो आजकल बाजार में शिमरी करटेंस आ रहे हैं. ये पारदर्शी होते हैं लेकिन बहुत अट्रैक्टिव लगते हैं. इन में भी हलके रंग के परदों का इस्तेमाल करें.

– आजकल बाजार में डिजाइनर दरवाजे आ रहे हैं. जिन में ग्लास डोर्स इन ट्रैंड हैं. इसलिए वुडेन डोर्स की जगह सेमी ग्लास डोर्स घर में लगवाएं. इस से कमरा सैपरेट हो जाएगा और बंदबंद सा भी नहीं लगेगा.

लाइट्स की सैटिंग भी हो नई

छोटे घरों में लाइट्स इंटीरियर को फोकस करने के साथ उस की स्पेस पर भी प्रभाव डालती हैं. आइए जानते हैं कैसे.

– ओवरहैड लाइट्स का फैशन तो एवरग्रीन है, लेकिन कुछ नया ट्राय करना है तो आप अपने घर में बिलो हैडलाइट्स की सैटिंग कराएं. इस के लिए आप फ्लोर लाइट्स, डिजाइनर लैंप्स, हैंगिंग लाइट्स का विकल्प चुन सकते हैं.

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– वैसे घर में नैचुरल लाइट्स का अच्छा सोर्स भी होना चाहिए. इस के लिए खिड़कियों पर वुडेन वर्क कराने की जगह उन पर ग्लास वर्क कराएं. इस से सूर्य की रोशनी घर के अंदर आ सकेगी.

– कमरे में कितनी रोशनी की आवश्यकता है, उस हिसाब से लाइट अरैंजमेंट होने चाहिए. जैसे, बैडरूम में मीडियम लाइट्स के लिए वौल लैंप्स से भी काम चल सकता है. वहीं स्टडी रूम के लिए ज्यादा रोशनी की जरूरत होती है. इस लिए यहां ओवरहैड लाइट्स ही होनी चाहिए.

– आप का डाइनिंग ऐरिया कितना ही छोटा क्यों न हो, आप डाइनिंग टेबल पर हैंगिंग लाइट लगा कर सिर्फ उतने पोर्शन को फोकस करेंगे तो कमरे का साइज छोटा है या बड़ा ज्यादा पता नहीं चलेगा.

Anik Ghee के साथ बनाएं फलाहारी चावल के क्यूब्स

नवरात्रि में या किसी फेस्टिवल में अगर आप चटपटी डिश बनाना चाहते हैं तो अनिक घी के साथ ट्राय करें ये फलाहारी चावल के क्यूब्स की ये रेसिपी.

सामग्री

1 कप चावल का आटा

2 बड़े चम्मच गाजर बारीक कद्दूकस की

2 बड़े चम्मच अदरक व हरीमिर्चें बारीक कटी

1/4 कप मूंगफली भुनी व कुटी

1 छोटी चम्मच धनियापत्ती बारीक कटी

2 बड़े चम्मच अनिक घी

थोड़ा सा अनिक घी शैलो फ्राई करने के लिए

सेंधा नमक स्वादानुसार

विधि

एक नौनस्टिक कड़ाही में 1 या 1/4 कप पानी गरम करने के लिए रखें. उस में नमक व घी डाल दें. जब थोड़ा अच्छा गरम हो जाए, तब उसमें धीरे-धीरे नमक, चावल का आटा और कद्दूकस की गाजर, अदर, हरीमिर्चें डाल दें. धीमी आंच पर बराबर चलाते रहें. जब मिश्रण गोले का आकार लेकर जमने जैसा होने लगे, तब उसमें कुटी मूंगफली व धनियापत्ती मिला दें. एक चिकनाई लगी थाली में जमाएं. ठंडा कर के टुकड़े काटें. फिर नौनस्टिक तवे पर थोड़ा अनिक घी लगाकर उलटपलट कर सेंक लें. चटनी के साथ सर्व करें.

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समय पर करवाएं Uterus के कैंसर का इलाज

गर्भाशय (Uterus ) का Cancer आज देश में तेजी से महिलाओं में फैलती जा रही है. इसकी वजह पहले दिखाई नहीं पड़ती और महिलाएं खुद के बारें में इतना नहीं सोचती. भारत में गर्भाशय के कैंसर की घटना 3.8 से बढ़कर एक लाख में 5 महिलाओं को होता है. यह डेटा गर्भाशय के कैंसर को महिलाओं में 5वां सबसे आम कैंसर बताता है. इस बारें में चेन्नई की अपोलो प्रोटॉन कैंसर सेंटर की स्त्री रोग ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. कुमार गुब्बाला कहती है कि भारत में यह डेटा गर्भाशय के कैंसर की महिलाओं में 5वां सबसे आम कैंसर की श्रेणी में आता है. अधिकांश गर्भाशय के कैंसर के कारणोंका पता लगाना मुश्किल होता है, लेकिन कुछ ऐसे कारक है, जो इसे विकसित होने के जोखिम को बढ़ाते है.यह अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब और पेरिटोनियम से उत्पन्न होने वाले कैंसर की एक बड़ी संख्या है. यह आमतौर पर 75 प्रतिशत रोगियों में विकसित अवस्था में दिखाई देता है, क्योंकि तब ये अन्य अंगो में भी फ़ैल गया होता है.

गर्भाशय के कैंसर बढ़ने की वजह

  • जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, गर्भाशय के कैंसर होने का खतरा बढ़ता जाता है. गर्भाशय के कैंसर के ज्यादातर मामले उन महिलाओं में होते है, जिनका मासिक धर्म आना बंद हो चुका होता है.
  • आनुवंशिक दोषपूर्ण जीनगर्भाशय के कैंसर के कारण होते है, जो एक महिला के जीवन के दौरान विकसित होते हैऔर विरासत में नहीं मिलते है, लेकिन 100 में से 5 से 15 गर्भाशय के कैंसर 5 से 15 प्रतिशतआनुवंशिक दोषपूर्ण जीन के कारण होते है. विरासत में मिले दोषपूर्ण जीन जो गर्भाशय के कैंसर के खतरे को बढ़ाते है, उनमें BRCA1 और BRCA2 शामिल है, ये जीन ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को भी बढ़ाते है.
  • गर्भनिरोधक गोली लेना, बच्चे पैदा करना और स्तनपान कराना.

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प्रारंभिक लक्षण

अक्सर गर्भाशय के कैंसर के लक्षण अन्य बीमारियों की तरह दिखता है, लेकिन सूक्ष्म परिक्षण के द्वारा इसे पता लगाया जा सकता है.

सबसे आम लक्षण सूजन, पेट में दर्द, मासिक धर्म में बदलाव, दर्दनाक संभोग, खाने में परेशानी या जल्दी से पेट भरा हुआ महसूस करना, थकान आदि है, जिसे समय रहते किसी  स्त्री रोग विशेषज्ञ से सलाह ले और इलाज करवाएं.

गर्भाशय के कैंसर के प्रकार

एपिथेलियल गर्भाशय कैंसर सबसे आम प्रकार का कैंसर है. दुर्लभ प्रकारों में जर्म सेल ट्यूमर,स्ट्रोमल ट्यूमर और सार्कोमा शामिल है. प्राथमिक पेरिटोनियल कैंसर गर्भाशय के कैंसर की तरह होता है और उसी तरह से इलाज किया जाता है.

जांच

अल्ट्रा साउंड स्कैन, सीए 125 ब्लड टेस्ट, एमआरआई, सीटी या पैट सीटी स्कैन ये 4 प्रकार के टेस्ट से इस कैंसर का पता लगाया जा सकता है. दरअसल इसके ग्रोथ चार चरण में होता है,पहली चरण में अगर कैंसर अंडाशय तक सीमित है, चरण 2में पेट के निचले हिस्से में कैंसर होना,3 और 4होने पर कैंसर का पेट के अन्य अंगों में फैल जाना है.

गर्भाशय के कैंसर का इलाज

इसके आगे डॉ. कुमार गुब्बाला कहती है कि गर्भाशय के कैंसर के निदान और उपचार के लिए एक अनुशासनिक टीम की आवश्यकता होती है, जो मुख्य डॉक्टर के साथ मीटिंग कर उस टीम का साथ देती है. इसके अलावा उपचार इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर कहाँ, कितना बड़ा, शरीर में कहीं दूसरी जगह पर फैल गया है या नहीं और रोगी की सामान्य स्वास्थ्य पर उसका प्रभाव क्या है.

अगर गर्भाशय द्रव्यमान (mass) को हटाने और निदान के लिए, गर्भाशय के कैंसर के संदेह के लिए जो पेट के अन्य भागों में फैल चुका हो,जिसमें ओमेंटम, पेरिटोनियम, लिम्फ ग्रंथियों को हटाना शामिल होता है, तब ऑपरेशन की आवश्यकता होती है, जहाँ आंत के करीब या उसके पास काम करना पड़ सकता है.

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यदि कोई व्यापक बीमारी है या ऑपरेशन के बाद सर्जरी से पहले कभी-कभी कीमोथेरेपी का उपयोग किया जाता है. पहले कीमोथेरेपी का उपयोग करने की वजह कैंसर की मात्रा को कम करना है और ऑपरेशन के बाद कैंसर सेल की थोड़ी भी मात्रा शरीर में न रहे न रहे को न छोड़ने के इरादे से कम व्यापक ऑपरेशन करना संभव बनाना है.सही और समय पर इलाज से लगभग 90 प्रतिशतरोगी ठीक हो सकते है.

गर्भाशय के कैंसर का पता चलने के बाद लगभग 50 प्रतिशत महिलाएं कम से कम 5 साल तक बीमारी से जीवित रहती है. प्रारंभिक स्टेज में पता चलने पर20से 40 प्रतिशत महिलायें, जो एडवांस स्टेज में इलाज होने पर जीवित रहती है, जबकि थोड़ी देर में कैंसर का पता चलने पर एडवांस की तुलना में 90 प्रतिशत महिलाएं कम से कम 5 साल तक जीवित रहती है.

घर पर मिनटों में Anik Ghee के साथ तैयार करें नारियल की बर्फी

चाहे शादी ब्याह हो या पूजा पाठ,पार्टी या कोई अन्य फंक्शन मिठाइयों के बिना पूरा हो ही नहीं सकता. मिठाई किसी भी अवसरों की जान होती है. और अगर इन अवसरों पर अच्छी क्वालिटी की मिठाई न मिले तो समझ लीजिए कि अवसर का का मजा किरकिरा हो गया.

भारतीय खाने की तरह भारतीय मिठाइयों में भी बहुत विविधता है. बंगाली मिठाइयों में छेने की प्रमुखता है तो पंजाबी मिठाइयों में खोये की. उत्तर भारत की मिठाइयों में दूध की प्रमुखता है तो दक्षिण भारत की मिठाइयों में अन्न और नारियल की. बेशक त्योहारों व दूसरे अनुष्ठानों में मिठाई का बहुत महत्व होता है और हममे से अधिकतर लोग बाहर की मिलावटी मिठाइयों को उसके नकारात्मक परिणाम को जाने बिना खरीदकर घर लाते हैं, और बच्चे व परिवार के सभी लोग उसे स्वाद से खाते भी हैं.

पर क्या आप जानते है त्योहार के समय मिलावट चरम पर होती है, क्योंकि दूध, मावे की मांग काफी होती है और इससे व्यापारियों को मुनाफा होता है. इसलिए वो अक्सर मिठाईयों को मिलावटी मावे के साथ-साथ सस्ते और हानिकारक रंगों का इस्तेमाल कर, बाजार में सजाकर और आकर्षक बनाकर बेचते है .जिसका परिणाम आपके और आपके परिवार के लिए बेहद घातक साबित हो सकता हैं.

तो क्यों न हम इन मिठाइयों को घर पर बनाने की कोशिश करे.हो सकता है वो बाहर की मिठाइयों की तुलना में देखने में ज्यादा आकर्षक न लगे लेकिन उनसे हमे और हमारे अपनों को कोई नुक्सान नहीं होगा.

तो चलिए आज हम बनायेंगे बिना मावे के नारियल की बर्फी वो भी बहुत आसान तरीके से. ये बर्फी जितनी आसानी से बन जाते है उतने ही ज्यादा ये स्वादिष्ट भी लगते है और इनकी सबसे बड़ी खासियत ये है की ये जल्दी खराब भी नहीं होते . तो चलिए जानते है इसके लिए हमें क्या-क्या चाहिए-

कितने बर्फी बनेंगे-15 से 20 मध्यम आकार के
कितना समय-20 से 25 मिनट
मील टाइप-वेज

हमें चाहिए-

सूखे नारियल का बुरादा- 300 gm
चीनी -100 gm
फुल क्रीम पका हुआ दूध -200 ml
घी -1 छोटा चम्मच
इलाइची पाउडर – ½ छोटी चम्मच (ऑप्शनल)
मिल्क पाउडर-1 टेबल स्पून (ऑप्शनल)

बादाम- 100 ग्राम

बनाने का तरीका-

1-सबसे पहले एक पैन में Anik Ghee घी गर्म करे.इसके बाद इसमें नारियल का बुरादा या घिसा हुआ नारियल डाल कर उसे 4 से 5 मिनट माध्यम आंच पर भून ले.

2-अब इसमें दूध डाल कर इसे अच्छे से मिलाये .जब दूध पूरा अच्छे से मिलकर सूख जाये तब उसमे चीनी डाल दे और उसको करीब 7 से 8 मिनट गल जाने तक मिलाये.

3-जब चीनी गल जाये तब उसमे मिल्क पाउडर दाल कर फिर से मिलाये.अब आप देखेंगे की मिश्रण सूख सा गया है .तब आप चाहे तो इसमें पिसी हुई इलाइची डाल सकते है .

4-अब गैस को बंद करके मिश्रण को एक प्लेट में निकाल ले और हल्का ठंडा होते ही इसके गोल -गोल लड्डू बना ले.ये बहुत ही आसानी से बन जायेंगे . (बस एक चीज़ याद रखियेगा की मिश्रण को ज्यादा ठंडा नहीं होने देना है.)

5-अब एक दूसरी प्लेट में नारियल का बुरादा निकाल कर बने हुए लड्डू को उसमे हल्का सा घुमा ले.इससे नारियल का बुरादा लड्डू में अच्छे से चिपक जायेगा और ये देखने में भी अच्छे लगेंगे. इसी तरह से सारे लड्डू बना ले.

6- तैयार है instant नारियल की बर्फी . इन्हें फ्रिज में स्टोर करे.आप इसे आराम से कुछ दिन खा सकते है.

Udaariyaan: जैस्मिन के सामने आएगा कैंडी का सच, क्या तेजो को कर देगी घरवालों से दूर?

कलर्स का टीवी सीरियल ‘उड़ारियां’ (Udaariyaan) इन दिनों टीआरपी चार्ट्स में धमाल मचा रहा है. दो बहनों की कहानी दर्शकों का दिल जीत रही है, जिसके चलते मेकर्स सीरियल में और भी कई नए ट्विस्ट लाने वाली है, जिसके चलते सीरियल की कहानी और भी दिलचस्प हो जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

तेजो को पता चला सच

 

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अब तक आपने देखा कि खुद की बहन तेजो से नफरत करने वाली जैस्मीन एग्जाम पेपर ऑनलाइन लीक कर देती है. लेकिन फतेह की मदद से तेजो इस मुसीबत से निकल जाती है. हालांकि जैस्मिन की करतूत का तेजो को पता लग जाता है और वह उसे चांटा मारेगी. साथ ही वार्निंग देती नजर आती है, जिसके चलते जैस्मिन गुस्से में नजर आती है.

 

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कैंडी पर होगा जैस्मीन को शक

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि तेजो के कारण जैस्मिन गुस्से में जा रही होगी. जहां पर कैंडी को भूख लगी होगी और वो जैस्मीन के हाथ में चॉकलेट देखकर ललचाने लगेगी. लेकिन उसे चौकलेट नहीं देगी. लेकिन कैंडी जैस्मिन के हाथ से छीन कर भाग जाएगा और घर की एक फैमिली फोटो को गिरा देगा. इसी बीच कैंडी वह फोटो देखकर जैस्मीन को बताएगा कि वह फोटो उसके घर में भी है. लेकिन उसी वक्त तेजो वहां आ जाएगी. हालांकि जैस्मिन के मन में शक आ जाएगा.

जैस्मिन को पता चलेगा सच

 

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चालाक जैस्मिन, तेजो से कैंडी को लेकर सवाल पूछती नजर आएगी और खुद ही सच जानने की ठानेगी. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में जैस्मिन को पता चलेगा कि कैंडी, सिमरन का बेटा है, जिससे बाउजी नफरत करते हैं क्योंकि सिमरन घर से भाग गई थी. वहीं जैस्मिन इसी बात का फायदा उठाकर तेजो को घर से निकालने का प्लान और पूरी फैमिली को कैंडी का सच बताने की कोशिश करेगी.

 

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वनराज की जलन देख भड़केगी काव्या तो बा सुनाएगी अनुपमा को खरी खोटी

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. जहां वनराज और अनुज आमने सामने आ गए हैं तो वहीं अनुपमा के सपनों की उड़ान पर परिवार का दबाव आ खड़ा हुआ है, जिसके चलते अब सीरियल की कहानी में कई नए मोड़ आने वाले हैं.

अनुज ने दी अनुपमा को हिम्मत

 

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अब तक आपने देखा कि अनुपमा की जिंदगी के सबसे बड़े दिन पर वनराज, अनुज की बेइज्जती करता है. साथ ही वह अनुपमा और अनुज के रिश्ते को लेकर सवाल भी उठाता है, जिससे अनुपमा टूट जाती है वहीं अनुज उसे संभालता है. इसके साथ ही वह अनुपमा को समझाता है कि अब वह घुट-घुट कर जीना बंद कर दे और शाह हाउस से निकलकर अपनी जिंदगी की नई शुरुआत करे.

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बा करेगी वनराज को सपोर्ट

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज के कारण अनुपमा हिम्मत करके वनराज के खिलाफ खड़ी नजर आएगी दरअसल, बापूजी वनराज को अनुपमा से माफी मांगने के लिए कहते हैं. लेकिन बा अपने बेटे की साइड लेते हुए उससे माफी नहीं मांगने की बजाय अनुपमा को वनराज से माफी मांगने के लिए कहेगी. साथ ही उसे अनुज के साथ काम भी छोड़ने के लिए कहेगी. इसी के साथ अनुपमा को धमकी देते हुए बा कहेगी कि अगर उसने अनुज के साथ अपना काम नहीं छोड़ा तो वह उसे धक्के मार कर शाह हाउस से बाहर निकाल देगी.

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वनराज को सबक सिखाएगी अनुपमा

दूसरी तरफ अनुपमा हिम्मत करके वनराज से कहेगी कि अब वह उससे वो नहीं डरती, जिसे सुनते ही वनराज उसे थप्पड़ मारने की कोशिश करेगा. लेकिन अनुपमा उसे धक्का मार देगी, जिसके कारण वह नीचे गिर जाएगा. वहीं अनुपमा का ये बदला रुप देखकर बा और काव्या समेत पूरा परिवार हैरान रह जाएगा.

काव्या को आएगा गुस्सा

 

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अनुज से जलन के कारण वनराज का बदला रुप देखकर काव्या अपना आपा खो बैठेगी. वहीं पूरे परिवार के सामने खरी खोटी सुनाएगी, जिसे सुनकर बा एक बार फिर अनुपमा को कहेगी कि मर्द और औरत कभी दोस्त नहीं हो सकते.

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एनिवर्सरी गिफ्ट: कैसा था दिनेश और सुधा का परिवार

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Drugs से कम नहीं दूध की लत

एक दशक पहले, जब सरकार ने शाकाहारी और मांसाहारी खाद्य पदार्थों के लिए क्रमश: हरे और लाल रंग के डौट्स लगाने का प्रावधान किया, तब दूध उद्योग और सैकड़ों पढ़े-लिखे लोगों ने जोर डाला कि दूध एक शाकाहारी उत्पाद है (हालांकि इस का स्रोत पशु है), इसलिए इस पर हरे रंग का डौट लगाया जाना चाहिए. हमें झुकना पड़ा.

वहीं ऐसे लोग जो विशुद्ध रूप से शाकाहारी हैं, अकसर वे भी मानते हैं कि चीज उन की कमजोरी है. कहते हैं चीज से किसी गंदे मोजे सी बदबू आती है, ऐसा क्यों? दरअसल, फैट सोडियम और कोलैस्ट्रौल होने के कारण चीज एक हाईकैलोरी दुग्ध उत्पाद है. एक आम चीज में 70 फीसदी फैट होता है और जिस तरह का फैट होता है, वह मुख्यतया सैचुरेटेड यानी खराब किस्म का फैट होता है. इस से दिल की बीमारी और डायबिटीज का खतरा होता है. पाश्चात्य डाइट में चीज सैचुरेटेड फैट का सब से बड़ा स्रोत है. अमेरिका में एकतिहाई वयस्क और 12.5 मिलियन बच्चे व किशोर मोटापे के शिकार हैं.

हमारे यहां बड़े पैमाने में लोग शाकाहारी हैं और हमारी रुचि घर के सेहतमंद खाने में है. इसीलिए हमें इन से काफी दूर होना चाहिए था. लेकिन हम भी मोटापा ग्रस्त देशों की सूची में शामिल हो चुके हैं. दिल संबंधी बीमारियों, डायबिटीज और कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारण मोटापा ही है.

दूध में नशा

औसतन 12 इंच के चीज पिज्जा के एकचौथाई हिस्से में लगभग 6 ग्राम सैचुरेटेड फैट और 27 मिलीग्राम कोलैस्ट्रौल के साथ 13 ग्राम फैट होता है. एक आउंस चीज में 6 ग्राम सैचुरेटेड फैट समेत 9 ग्राम फैट होता है. आंशिक रूप से स्किम्ड दूध में फैट की मात्रा कम होती है.

लेकिन हम दूध पीना और चीज/पनीर खाना जारी रखेंगे. बहुत सालों के बाद मैं ने जाना कि लोग आखिर दूध क्यों पीते हैं या चीज व पनीर क्यों खाते हैं. इसलिए नहीं कि यह उन के लिए जरूरी है या इसलिए कि कृष्ण पीते थे. लोग यह इसलिए लेते हैं, क्योंकि इस में नशे का पुट हुआ करता है.

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पनीर के प्रति लोगों की कमजोरी होती है, इस का वैज्ञानिक कारण है. दूध हाजमे में सहायक होता है, क्योंकि इस में हलका सा मादक तत्त्व होता है, जो कैसोमौर्फिन कहलाता है. 1981 में एली हाजुम और उन के सहयोगियों ने वैलकम रिसर्च लैबोरेटरी में पाया कि दूध में रासायनिक मौर्फिन होता है, जो एक तरह का मादक पदार्थ है. कैसिन सभी स्तनधारियों के दूध में पाया जाने वाला प्रमुख प्रोटीन है. कैसोमौर्फिन की एक खासीयत यह है कि इस का मादक या नशीला असर होता है. दूसरे शब्दों में यह दुनिया सब से पुराने किस्म के ज्ञात ड्रग्स में से एक है. इस किस्म के नशीले पदार्थों में अच्छा महसूस करने और में एक तरह की खुशी के एहसास और शांतचित बनाने की क्षमता के साथ नींद से भी बोझिल हो जाने का एहसास जगाने की क्षमता होती है. इस की लत भी लग जाती है. अगर एकाएक इस का सेवन बंद कर दिया तो इस से दूसरों पर निर्भरता बढ़ जाती है और ‘विड्रौल सिंड्रोम’ का सामना करना पड़ता है.

चीज, पनीर, आइसक्रीम, मिल्क चौकलेट जैसे गाढ़े दुग्ध उत्पादों में सघन मात्रा में नशीला पदार्थ होता है. (डेयरी फ्री वीगन चीज में भी कभीकभी कैसोमौर्फिन मिलाया जाता है) लगभग 10 लिटर दूध से एक किलोग्राम चीज मिलता है. जब दूध चीज में तब्दील होता है, तो इस में निहित पानी अलग कर लिया जाता है और जो बचता है वह सघन फैट यानी वसा होता है. इसी कारण चीज जैसे डेयरी प्रोडक्ट ऊंचे दर्जे के नशीले पदार्थ माने जाते हैं. जाहिर है इस में जितनी बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ कैसिन होता है, उतना ही वह मन में अच्छा अहसास जगाता है. इसीलिए रात में सोने से पहले बहुत से लोग दूध पीते हैं.

जरा सोचिए, सुहागरात में नए-नवेले जोड़े के लिए दूध का गिलास क्यों रखा जाता है. अब सवाल है कि स्तनधारियों के दूध में आखिर नशीलापन क्यों होता है? इस बारे में फिजिशियन कमेटी फौर रिसपौंसिबल मैडिसिन के संस्थापक और अध्यक्ष डा. नील बर्नाड कहते हैं, ‘‘हो सकता है कि यह मां-बच्चे के बीच एक अनोखा संबंध स्थापित करने का एक उम्दा उपाय हो. मानसिक जुड़ाव हमेशा शारीरिक मजबूती प्रदान करता है. पसंद हो या न हो, मां का दूध नवजात के दिमाग में नशे की तरह काम करता है, जो मांबच्चे के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित करता है. इसी कारण मां अपने बच्चे का पालनपोषण जीजान से करती है और नवजात बच्चे को मां की देखभाल की जरूरत भी होती है. हेरोइन या कोकीन की ही तरह कैसोमौर्फिन बहुत ही धीमी गति से आंतों में पहुंचता है और अतिसार को रोकने का काम करता है. दर्द निवारक दवाओं की तरह ही शायद चीज में निहित नशीला तत्त्व भी वयस्कों में कब्ज पैदा करता है.’’

क्या कहती है रिसर्च

बहुत सारे अध्ययनों और जनस्वास्थ्य को देखते हुए 2009 में द यूरोपियन फूड सैफ्टी एजेंसी ने वैज्ञानिक साहित्य की समीक्षा यह देखने के लिए की कि लत के लिए कैसोमौर्फिन आखिर किस हद तक जिम्मेदार होता है? साथ में यह भी कि कैसोमौर्फिन आंतों की दीवार को पार कर रक्तनालिकाओं से होते हुए दिमाग तक भी पहुंचता है या नहीं? क्या औटिज्म का कैसोमौर्फिन से कुछ लेनादेना है? अभी तक वे इन सवालों से जूझ रहे हैं, क्योंकि मानवदेह के लिए यह अच्छा है या नहीं, इस नतीजे तक वे अभी तक नहीं पहुंच पाए हैं.

बहरहाल, अभी तक हम यह जान गए हैं कि नशीले पदार्थ का और इस की मात्रा का हरेक इनसान पर अलगअलग असर होता है. साथ में सामान्य तौर पर यह स्वीकार भी किया जा चुका है कि किसी भी नशीले पदार्थ को हर रोज लेना हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है, भले ही वह बहुत थोड़ी मात्रा में लिया जाए. फ्लोरिडा के वैज्ञानिक डा. रौबर्ट कैड ने ध्यान भटकाने वाले विकार के संभावित कारण के रूप में कैसोमौर्फिन की पहचान की है. डा. कैड ने सिजोफ्रेनिया और औटिज्म के मरीजों के रक्त और पेशाब में उच्च सघनता वाला बेटाकैसोमौर्फिन 7 नामक तत्त्व पाया है.

नार्वे के डा. कार्ल रिचेट द्वारा किए गए अध्ययन में पाया गया कि औटिस्टिक व्यवहार, सीलिएक बीमारी, मानसिक असंतुलन जैसे विकारों में दुग्ध उत्पाद का बहुत बड़ा हाथ होता है. अमेरिका के इलिनोइस के स्टेट विश्वविद्यालय के एक शोध पत्र के अनुसार, ‘‘कैसोमौर्फिन में ओपिओइड या नशाग्रस्त करने की क्षमता हाती है. ओपिओइड शब्द का इस्तेमाल मौर्फिन या अफीम जैसे नशीले पदार्थ के असर के लिए किया जाता है, जिस के असर से नशा होता है. यह सहनशक्ति की क्षमता को बढ़ा देता है, गहरी नींद सुला देता है, लेकिन अवसाद भी पैदा करता है.’’

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नवजात पर असर

हाल ही में जर्नल औफ पैडियाटिक गैस्ट्रोइंट्रोलौजी ऐंड न्यूट्रिशन में ‘काउज मिल्कइंड्यूज्ड इंफैट एपनिया विद इंक्रिज्ड सेरम कंटैंट औफ बोवाइन बेटाकैसोमौर्फिन 5’ नाम से प्रकाशित एक केस स्टडी में कहा गया है कि इंफैंट एपनिया उस स्थिति को कहते हैं जब कोई नवजात सांस लेना बंद कर देता है. शोधकर्ता ने रिपोर्ट में कहा है कि एक स्तनपान करने वाले नवजात में बारबार एपनिया का दौरा पड़ने के मामले में पाया गया कि मां हमेशा गाय का ताजा दूध पीने के बाद नवजात को स्तनपान कराती थी. प्रयोगशाला में हुई जांच में बच्चे के खून में बहुत अधिक मात्रा में कैसोमौर्फिन पाया गया. इस के बाद शोधकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि इस ओपिओइड स्थिति का कारण स्नायुतंत्र में श्वसन केंद्र में दबाव हो सकता है. यह स्थिति मिल्क ओपिओइड कहलाती है.

शोधपत्र आगे यह भी कहता है कि इस हालिया रिपोर्ट का मकसद शोधकर्ताओं का ध्यान इस ओर खींचना है कि संभवतया गाय के दूध में पाए जाने वाले प्रोटीन के कारण नवजात शिशुओं में दैहिक प्रक्रिया के तौर पर एपनिया के लक्षण उभरते हैं. हम मानते हैं कि इस तरह की भावशून्य स्थिति कभीकभार ही देखने को मिलती है. हालांकि सही माने में नवजात शिशु के जीवन के लिए यह खतरा भी बन सकता है. जबकि एक बहुत ही सहज परहेजी उपाय डेयरीफ्री आहार, जोकि महंगा भी नहीं है, से इस स्थिति से बचा भी जा सकता है. हर 10 में से एक नवजात शिशु एपनिया का शिकार होता है और उसे बचाया नहीं जा सकता है. और वह सडन इंफैंट डैथ सिंड्रोम या (संक्षेप में एसआईडीएस) या नवजात शिशु की आकस्मिक मौत का मामला बन कर रह जाता है.

कैलिफोर्निया बेवर्ली हिल्स के इम्युनोसाइंस लैब के सीईओ और इम्युनोलौजिस्ट शोधकर्त्ता अरिस्टो वोजडानी का कहना है कि ग्लूटेन और डेयरी प्रोडक्ट बहुत सारे लोगों में किसी ड्रग की तरह काम करते हैं. जिस तरह हेरोइन या दर्द निवारक दवा की लत लग जाती है, उसी तरह ग्लूटेन या कैसिन से दूर जाने पर इन का तुरंत असर निर्लिप्तता के लक्षण विड्रौल सिमटम्स के रूप में सामने आता है. इस निर्लिप्तता में गुस्सा और अवसाद भी शामिल होता है.

वैसे कैसिन जब शरीर के अंदर पेट में जा कर रासायनिक क्रिया करता है तो यह हिस्टामाइन रिलीज करता है. हिस्टामाइन वह पदार्थ है, जो ऐलर्जी समेत रक्तवाहिकाओं के फैलने और इन की दीवारों को झीना यानी पतला करने में बड़ी भूमिका अदा करता है. हिस्टामाइन का स्राव तब होता है, जब ऐलर्जी पैदा करने वाले किसी बाहरी तत्त्व (मसलन सर्दीजुकाम की दवा, जिस में ऐंटीहिस्टामाइन होता है) की मौजूदगी होती है. इसी कारण दुनिया की 70% आबादी को डेयरी प्रोडक्ट से ऐलर्जी है.

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नवजात के लालनपालन का सुखद तरीका प्रकृति ने तय किया है. यही व्यवस्था दूध छुड़ाने में आड़े आती है. यही कारण है कि बहुत सारे वयस्क दूध की लत से अपना पीछा कभी नहीं छुड़ा पाते. क्या आप को भी इस की लत है?

Festive Season में घर सजाएं ऐसे

त्योहारों के शुरू होते ही लोगों में उत्साह भर जाता है. वे अपने घरों की सजावट को एक नया पारंपरिक और आधुनिक रूप देना चाहते हैं ताकि अपने मेहमानों के साथ इन्हें दोगुने उत्साह से मना सकें.

अपने घर की सजावट को नया रूप देने के लिए कई चीजें हैं. तरह तरह के सजावट के सामान सहित और कई तरह से घर की सजावट कर सकते हैं. अपने घर को निखार सकते हैं और अपने प्रियजनों की प्रशंसा पा सकते हैं.

प्रकाश

घर को आकर्षक बनाने के लिए विभिन्न लाइट्स का प्रमुख स्थान है. दीवाली, क्रिसमस, गुरु नानक जयंती आदि पर मोमबत्तियों के प्रकाश का अपना महत्त्व है. चमकीले रंगों की शानदार मोमबत्तियों का विभिन्न आकारों में उपलब्ध आकर्षक मोमबत्ती स्टैंड, टी लाइट स्टैंड, ग्लास वोटिव के संग्रह के इस्तेमाल से आप अपने त्योहारों को उज्जवल कर सकते हैं. भारतीय घरों में अगर तांबे के दीपक का प्रयोग न हो, तो त्योहार कुछ अधूरा सा लगता है. ऐसे में तांबे के दीपक का अपना अलग महत्त्व है. घर के दरवाजों पर लालटेन के आकार के वोटिव या लौन में मोमबत्ती टी लाइट होल्टर्स के जरीए घर को शानदार रूप दे सकते हैं. सुगंधित मोमबत्तियों का इस्तेमाल आप को सम्मोहित कर सकता है. शानदार लैंप शेड्स के द्वारा अपने इंटीरियर को नया लुक दे सकते हैं. कोने में रखा एक लंबा लैंप शेड आप के कमरे को रोशनी से भर कर बैडरूम की सुंदरता में चार चांद लगा सकता है.

सैंटर पीसेज

सैंटर पीसेज के बिना देशी डैकोर अधूरा है. इन का उपयोग करते हुए अपने घर को पारंपरिक रूप दे सकते हैं. आजकल विभिन्न रूपों में उपलब्ध पारंपरिक या आधुनिक शैली की मूर्तियां सब से अधिक पसंद की जाती हैं. आप इन्हें पारंपरिक प्राकृतिक रंगों में उपलब्ध पुष्पों जैसे लाल, संतरी आदि का प्रयोग कर जीवंत कर सकते हैं.

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सजावटी वास या फूलदान

फूलों का भारतीय संस्कृति में खासा महत्त्व है. घर आए मेहमान का गर्मजोशी से स्वागत करने, घर को सुगंधित और सुंदर दिखाने के लिए फूलों का उपयोग करते हैं. सुंदर लिली, ट्यूलिप और आर्किड के फूल घर को सुगंधित रखते हैं. आप इन्हें बाजार में उपलब्ध सुंदर फूलदानों में रख सकते हैं. फूलदान निश्चित रूप से आप के घर के सौंदर्य में चार चांद लगा देते हैं.

रग्ज और कालीन

आप अपने फर्श को रग्ज और कालीनों का उपयोग कर सजा सकते हैं. अपने घर के बाहरी हिस्सों जैसे आंगन और बरामदों में हाथों से बुने सुंदर कालीनों और रग्ज का उपयोग कर के महमानों पर छाप छोड़ सकते हैं.

चादरें/कुशन कवर/रुफुस

त्योहारों में बिस्तर पर वाइब्रैंट रंगीन चादरों के खूबसूरत संग्रह से आप अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा ला सकते हैं. कमरों में रखे शानदार डिजाइन वाले कुशन कवर्स भी सब का ध्यान आकर्षित करते हैं. बगीचे में सुंदर रुफुस का इस्तेमाल भी आप के बगीचे को और भी सुंदर बना सकता है.

ऐक्सैंट फर्नीचर

ऐक्सैंट फर्नीचर अपने अनोखे डिजाइन से सब का ध्यान आकर्षित करता है. आजकल बाजार में ऐक्सैंट कुरसियों, वुडन चैस्ट, साइड टेबल्स से ले कर सुंदर काउचेज तक की भरमार है. इन त्योहारों में ऐसे फर्नीचर का इस्तेमाल हम घर की शोभा बढ़ाने के साथसाथ आप की सूझबूझ का परिचय भी देता है.

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डैकोरेटिव आईने

डैकोरेटिव आईनों का इस्तेमाल घर में अतिरिक्त जगह का भ्रम बनाता है और प्रवेश के चित्र को प्रतिबिंबित करता है, जो घर में गुडलुक और चार्म का प्रवेश भी करता है. इन छोटी कलात्मक चीजों से आप अपने घर की सुंदरता बढ़ा सकते हैं.

दस्तकारी आईनों का इस्तेमाल घर को खास सुंदरता प्रदान करता है. आप बाजार में उपलब्ध आईनों जैसे बाथरूम दर्पण, विंटेज दर्पण या सजावटी दीवार दर्पण में से अपने लिए सही विकल्प चुन सकते हैं.

– नितीश चंद्रा, मैडहोम डौट कौम

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