लड़कियों में न निकालें मीनमेख

सुश्रुत अपने परिवार के साथ दिल्ली के राजौरी गार्डन में लड़की देखने गया. वह बड़े जोश में था और दोस्तों को भी बता कर आया था कि लड़की देखने जा रहा हूं. लड़की वालों के घर जब उस का पूरा परिवार पहुंचा तो उन्होंने आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. अच्छा खाना खिलाया. सभी रिश्तेदारों ने उन का खुले दिल से स्वागत किया.

अब आई लड़की दिखाने की बारी. सौम्य सी लड़की वंदना जब सामने बैठी तो सुश्रुत समेत उस के घर वाले इस तरह से सवाल दागने लगे मानो वंदना उन की कंपनी में इंटरव्यू देने आई हो.

कितनी उम्र है? अब तक कितने लड़के देख चुके हैं तुम्हें? कहां जौब करती हो औफिस में किसी से अफेयर तो नहीं है? बौस पुरुष है या महिला? हाइट कितनी है तुम्हारी? सैलरी कितनी मिलती है? इन्हैंड कितनी है और पेपर में कितनी है? तुम्हारी हाईट बिना हाई हील्स के कितनी है? तुम्हारा कलर ही इतना फेयर है या मेकअप किया है? कपड़े कैसे पहनती हो? वैस्टर्न का भी शौक है? इतनी ज्यादा उम्र हो गई है, अभी तक कोई लड़का नहीं मिला या कोई कमी थी?

ऐसे ही सवालों की झड़ी लगा दी उन्होंने, जिस से वंदना घबरा गई और बिना कुछ कहे रोते हुए अंदर चली गई. इस पर भी सुश्रुत का परिवार नहीं माना. लड़की हकली है क्या? कुछ बीमारी तो नहीं है? कुछ बोल क्यों नहीं रही थी? कुछ छिपा रही थी क्या? जैसे सवाल दागते रहे. जाहिर है लड़की और उन के परिवार वालों को उन की इन हरकतों से बहुत शर्मिंदा होना पड़ा.

लड़की राशन का सामान नहीं

यह ऐसी अकेली घटना नहीं है. लगभग हर घर में लड़की देखने आए लोग ऐसा ही व्यवहार करते हैं. बड़े बुजुर्ग ऐसा व्यवहार करते हैं तो समझ में आता है, लेकिन जब आज के युवा लड़की देखते वक्त इतनी मीनमेख निकालते हैं, तो लगता है उन्हें लड़की नहीं कोई स्मार्ट फीचर वाला फोन चाहिए, जिस का एकएक स्पैसिफिकेशन चैक करना जरूरी हो. अरे भाई, लड़की है कोई खानेपीने का सामान नहीं, जो इतना मोलभाव किया जाए.

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हर इंसान में कुछ कमियां और कुछ खूबियां होती हैं. ऐसे में सिर्फ युवती में ही कमी निकालना गलत है. आज युवाओं को सोचना चाहिए कि युवतियां आत्मनिर्भर हो कर अपना जीवन जीना चाहती हैं.

इसलिए वे आत्मसम्मान से समझौता नहीं करतीं ऐसे में क्या कोई युवा चाहेगा कि उस की होने वाली वाइफ के साथ इस तरह की मीनमेख निकाल कर शादी हो. होना तो यह चाहिए कि युवक अपनी होने वाली पत्नी के साथ अलग से बात कर के अपनी पसंदनापसंद, हौबीज, आइडियोलौजी और जीवन में वरीयता देने वाली बातों पर चर्चा करे और जब मन मिल जाएं तब शादी के लिए हां करे.

शक्लसूरत और धनसंपदा न होने के कारण लड़की में कमी निकालना मूर्खता है. शरीर और पैसा तो बदलता रहता है, लेकिन इंसान के विचार नहीं बदलते. जरा सोचिए जो युवक शादी से पहले युवतियों में इतनी मीनमेख निकाल कर उन्हें शर्मिंदा करते हैं, अगर उन की बहन को देखने आए लड़के वाले भी ऐसी ही हरकत करें तो उन्हें कितना बुरा लगेगा? जाहिर है सब की भावना और आत्मसमान का आदर करना चाहिए.

अपने गिरेबान में भी झांकें

हमारी संस्कृति और रीतिरिवाज ऐसे हैं जहां लड़की को लड़के वालों के सामने झुकना पड़ता है. लड़का लड़की को ब्याह कर यह समझता है कि वह उस पर एहसान कर रहा है जबकि दुनिया में दो लड़कालड़की शादी करते वक्त एकदूसरे का बराबरी से सामना करते हैं और कोई बिना किसी के सामने झुके व आपस में बात कर शादी तय करते हैं, लेकिन हमारे यहां युवक समझते हैं कि अगर वे शादी करने जा रहे हैं तो लड़की की क्लास ले कर आएंगे. उस का अगलापिछला सब चैक कर फिर उसे पास करेंगे.

दरअसल, वे अपने गिरेबान में झांकना भूल जाते हैं. जरा सोचिए, युवती यदि आप के शरीर, लंबाई और हैसियत का मजाक बना कर शादी के दौरान आप को कमतर आंके तो कैसा लगेगा?

युवा प्रश्न करने से पहले यह भूल जाते हैं कि पहले वे अपनी खूबियां भी तो बताएं. जब उन से सिर्फ लड़के के बारे में पूछा जाता है तो कहते हैं कि लड़का ज्यादा पढ़ा तो नहीं है, लेकिन बाप का बिजनैस देखेगा.

अगर लड़का लड़की देखने जा रहा है तो बिना लड़की देखे कोई राय न बनाएं. अकसर लोग पहले से ही नकारात्मक विचार मन में बना लेते हैं. जिस वजह से उन्हें हर चीज में यही भाव दिखाई देता है. लड़की वालों को ऐसा महसूस न कराएं कि आप को लड़की नापसंद है. सिर्फ लड़की की कमियां न गिनवाएं. इतना ही नहीं यदि लड़की या लड़के में कोई कमी या विकार है तो उसे उजागर करें.

लड़की वालों के यहां रिश्तेदारों की पूरी फौज ले कर न जाएं. अगर युवक ज्यादा कमाता है या परिवार आर्थिक रूप से लड़की वालों से मजबूत भी हो, तो भी लड़की वालों पर अपने पैसे का रोब दिखा कर उन्हें छोटा होने का एहसास न होने दें.

अंधविश्वासी न बनें

शादी के समय पंडेपुरोहित लड़के के घर वालों को अंधविश्वास में फंसा कर अपनी जेब भर लेते हैं. युवक को भी लड़की की खूबसूरती से जुड़े टोटके बता कर भटकाने का काम करते हैं.

वे भाग्य को चमकाने वाले चिह्न बता कर युवक के मन में शारीरिक और नस्लीय भेदभाव का बीज रोप देते हैं. कभी भी अंधविश्वास के चक्कर में पड़ कर शादी के दौरान लड़की देखते हुए ऐसे रिवाजों में न पड़ें. तन की नहीं मन की सुंदरता भी देखें.

लड़की को करें सहज

जब कोई युवा किसी लड़की को देखने जाता है तो उसे यह बात समझनी चाहिए कि यह समय लड़की के लिए बड़ा नर्वस होने वाला होता है. उस पर कई तरह के दबाव रहते हैं. मातापिता का दबाव होता है कि ठीक ढंग से तैयार हो कर लड़के के सामने जाना. किसी भी तरह की कोई चूक नहीं होनी चाहिए, जबकि लड़के के सामने किसी तरह का कोई दबाव नहीं होता. उलटे वह सीना चौड़ा कर यह सोच कर जाता है कि उसे तो लड़की सिलैक्ट या रिजैक्ट करनी है.

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यह मानसिकता गलत है. युवक को चाहिए कि लड़की से बात कर उसे सहज करे. जाहिर सी बात है इस दिन आप दोनों अच्छे कपड़े पहन कर गए होंगे, लेकिन बात की शुरुआत के लिए कपड़ों की तारीफ करना अच्छा रहेगा. इस से उस लड़की को लगेगा कि आप ने उसे नोटिस किया.

लड़की को अच्छा लगेगा अगर आप अपनी संभावित पत्नी से उन के घरपरिवार के बारे में पूछें. कैरियर के बारे में उस से बातें करना भी एक अच्छा विकल्प है. कुछ न समझ आए तो चुपचाप उस की पसंद के बारे में पूछ लें. ऐसा करने से लड़की काफी सहज हो जाएगी और आप की बातों का उचित और तार्किक जवाब दे पाएगी.

जरा सोचिए, आप एक परिवार के साथ जीवनभर का रिश्ता जोड़ने के इरादे से जाते हैं ऐसे में अगर वे भी आप के परिवार व आप को ले कर मीनमेख निकालें तो जाहिर है बुरा लगेगा. जो व्यवहार आप को बुरा लग सकता है उसे दूसरों के साथ नहीं करना चाहिए. रीतिरिवाज या रिश्तेदारों के दबाव में आ कर लकड़ी की या उस के परिवार वालों की मीनमेख निकालने के चक्कर में हो सकता है आप के हाथ से एक अच्छा रिश्ता निकल जाए. शादी को सौदेबाजी का खेल बनाना निहायत ही गलत है.

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ऐसे ही सही: भाग 3- क्यों संगीता को सपना जैसा देखना चाहता था

अगले दिन सुबह ही मैं उन की पत्नी और उन की 20 साल की बेटी को ले कर जाने लगा. उसी समय मुझे अचानक याद आ गया कि उन की फोटो मैं घर से लाना भूल गया जो कल रात ही मैं ने बनवाई थी. मैं जैसे ही घर पहुंचा तो संगीता ने पूछा, ‘‘आज इतनी जल्दी कैसे आ गए…मुझ पर तरस आ गया क्या?’’

मैं कुछ नहीं बोला और अपनी अलमारी से फोटो निकाल कर चला गया. उत्सुकतावश वह भी मेरे पीछेपीछे बाहर आ गई. मेरे कार में बैठने से पहले ही पूछने लगी, ‘‘कौन हैं और इस समय इन के साथ कहां जा रहे हो? कार कहां से मिल गई?’’

‘‘यह हमारे साहब की पत्नी हैं और पीछे उन की बेटी बैठी है. मैं इन के ही काम से जा रहा हूं.’’

‘‘ऐसा तो मैं ने पहले कभी नहीं सुना कि साहब अपनी खूबसूरत पत्नी और बेटी को कार सहित तुम्हारे साथ भेज दें. कहीं कुछ तो है. शक तो मुझे पहले से ही था. तुम ने सोचा घर पर मैं नहीं होऊंगी तो यहीं रंगरलियां मना ली जाएं और अगर मिल गई तो साहब का बहाना बना देंगे.’’

उन के सामने ऐसी बातें सुन कर मैं बेहद परेशान हो गया और शर्मिंदा भी. मैं ने बहुत कोशिश की कि वह  चुप हो जाए पर उसे तो जैसे लड़ने का नया बहाना मिल गया था. साहब की पत्नी भी संगीता को लगातार समझाने का प्रयत्न करती रहीं. मुझे ऐसी बेइज्जती महसूस हुई कि मेरी आंखों में आंसू आ गए. मेरे लिए वहां खड़ा हो पाना अब बेहद मुश्किल हो गया. मैं जैसे ही कार में बैठा तो वह अपनी चिरपरिचित तीखी आवाज में बोली, ‘‘मैं अब इस घर में एक मिनट भी नहीं रहूंगी.’’

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शाम को मैं जल्दी घर आ गया और जो होना चाहिए था वही हुआ. संगीता की मां और बहन बैठी मेरा इंतजार कर रही थीं. मैं उन्हें इस समय वहां देख कर चौंक गया पर खामोश रहा. अपने ऊपर लगाए गए आरोपों का विरोध करने की मुझ में हिम्मत नहीं थी क्योंकि मेरे विरोध करने का मतलब उन तीनों की तीखी और आक्रामक आवाज से अपने ही महल्ले में जलील होना.

‘‘मैं अपना हक लेना जानती हूं और कभी यहां वापस नहीं लौटूंगी,’’ कह कर वे तीनों वहां से चली गईं. सारा सामान वे ले गईं. स्त्रीधन और सारा सामान उस के हिस्से आया और मानसिक पीड़ा मेरे हिस्से में. अब मेरे लिए वहां रुकने का कोई प्रयोजन नहीं था. उसी शाम अपनी जरूरत भर की वस्तुओं को ले कर मैं अपने मातापिता के यहां आ गया.

मुझे इस वेदना से उभरने में काफी समय लग गया. इन्हीं दिनों 2-3 बार सपना के फोन आए थे जो मैं ने व्यस्त होने का बहाना बना कर टाल दिए.

अपने को व्यस्त रखने के लिए मैं ने सब से पहला काम शर्माजी का विज्ञापन स्थानीय अखबार में दे दिया. पासपोर्ट से ले कर सभी सुविधाओं का विवरण था. एलआईसी का एजेंट  होने के नाते मुझे दिन में 2 घंटे ही आफिस जाना होता था.

इस विज्ञापन के प्रकाशित होते ही मेरे पास आशाओं से अधिक फोन आने लग गए. मैं बहुत उत्साहित था. लोग अपनी समस्याओं को सुनाते और मैं उस से संबंधित पेपर ले कर शाम को शर्माजी के पास पहुंच जाता. इस प्रकार हफ्ते में 2 बार जा कर अपना काम सौंप कर पुराना काम ले आता.

दिन बीतते गए. मैं जब भी घर पहुंचता, सपनाजी अपनी कई बातें मुझ से कहतीं. अपना कोई न कोई काम मुझे देती रहतीं. शाम को कई बार ऐसा संयोग होता कि वह रास्ते में ही मुझ से मिल जातीं और मेरे साथ ही घर आ जातीं. कभीकभी उन का कोई ऐसा काम फंस जाता जो वह नहीं कर सकतीं तो उसे मुझे ही करना पड़ता था.

एक दिन दोपहर को मुझे किसी जरूरी काम से शर्माजी के घर जाना पड़ा. मैं ने देखा बड़ी तल्लीनता से वह सब कागज फैला कर अपना काम करने में व्यस्त थे. मुझे बड़ी खुशी हुई कि शायद उन की जीवन के प्रति नकारात्मक सोच में बदलाव हो गया. सपनाजी पास ही बैठी उन्हें पैड पकड़ा रही थीं. मेरे वहां पहुंचते ही वह हंस कर बोलीं, ‘‘जानते हो, इन दिनों यह बहुत खुश रहते हैं. मुझे तो पूछते भी नहीं.’’

‘‘तुम ऐसा मौका ही कहां देती हो. बस, सवेरे उठ कर तैयार हो जाती हो और चल देती हो. दोपहर तक स्कूल में फिर शाम को बाहर घूमने चली जाती हो.’’

‘‘यह तो आप भी अच्छी तरह जानते हैं कि कितना काम हो जाता है.’’

‘‘मैं सब जानता हूं कि तुम क्या करती हो.’’

कहतेकहते अपने सारे कागज एक तरफ रख कर मुझे घूरने लगे, जैसे भीतर उठी खीज को दबा लिया हो. वह जिन नजरों से मुझे देख रहे थे, मुझे बड़ी बेचैनी महसूस होने लगी. मैं ने विज्ञापन देने से पहले ही सपनाजी  को पता और फोन नंबर देने के लिए कहा था. सपनाजी भी अपनी जगह ठीक थीं. कहने लगीं कि घर पर आने वाले सभी व्यक्तियों को शर्माजी की हालत के बारे में पता चल जाएगा. घर पर मैं और बेटी ही रहती हैं तो कोई कुछ भी कर सकता है. मैं चुप रहा था.

मैं ने औपचारिकता निभाते हुए नया काम दिया और जाने लगा तो सपनाजी बोलीं, ‘‘कहां तक जा रहे हैं आप?’’

‘‘अब तो आफिस ही जाऊंगा,’’ मैं ने सरलता से कहा.

‘‘क्या आप मुझे सिविल लाइंस तक छोड़ देंगे?’’ उन्होंने पूछा.

मैं इनकार नहीं कर सका. शर्माजी टीवी पर मैच देखने में व्यस्त हो गए.

सपनाजी तैयार हो कर आईं और अपना बैग उठा कर बोलीं, ‘‘मैं ममता के घर जा रही हूं. उस के बेटे का जन्मदिन है. आप का उस तरफ का कोई काम हो तो…’’

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‘‘जाओजाओ. तुम्हें तो बस, घूमने का बहाना चाहिए. मैं घर पर पड़ा सड़ता रहूं पर तुम्हें क्या फर्क पड़ता है,’’ कहतेकहते उन की आवाज तेज और मुद्रा आक्रामक हो गई, ‘‘तुम क्या समझती हो. मैं कुछ जानता नहीं हूं. तुम्हें बाहर जाने की छूट क्या दी तुम ने तो इस का नाजायज फायदा उठाना शुरू कर दिया…मुझे तुम्हारा इस तरह गैर मर्दों के साथ जाना एकदम अच्छा नहीं लगता.’’

सपनाजी  एकदम सहम गईं. आंखों में आंसू भर कर चुपचाप भीतर चली गईं. शर्माजी का ऐसा रौद्र रूप मैं ने कभी नहीं देखा था.

अचानक वातावरण में भयानक सन्नाटा पसर गया. मैं पाषाण बना चुपचाप वहीं बैठा रहा. नारी शायद हर संबंधों को सीमाओं में रह कर निभा लेती है पर पुरुष इतना सहज और सरल नहीं होता. शक की दवा तो हकीम लुकमान के पास भी नहीं थी

डर कहीं मेरे भीतर भी बैठ गया था. मौका देख कर मैं ने कहा, ‘‘सर, अब रोजरोज मेरा आना संभव नहीं है. और अब तो आप भी सभी कामों को अच्छी तरह समझ गए हैं. फिर बहुत जल्दी मेरा तबादला भी होने वाला है. आगे से सभी लोगों को मैं आप के पास ही भेज दिया करूंगा,’’ वह मुझे अजीब सी नजरों से देखने लगे पर कहा कुछ नहीं.

वहां से उठतेउठते ही मैं ने कहा, ‘‘साहब, मेरा कहासुना माफ करना. मुझ से जो बन पड़ा, मैं ने किया.’’

मैं दबे पांव वहां से निकल जाना चाहता था. गेट खोल कर जैसे ही स्कूटर स्टार्ट किया, सपनाजी धीरे से दूसरे कमरे से निकल कर मेरे पास आ गईं और बेहद कोमल स्वर में बोलीं, ‘‘आप ने हमारे लिए जो कुछ भी किया है उस का एहसान तो नहीं चुका सकती पर भूलूंगी भी नहीं. शर्माजी की बातों का बुरा मत मानना,’’ कहतेकहते वह अपराधी मुद्रा में तब तक खड़ी रहीं जब तक मैं चला नहीं गया. मैं भारी मन और उदास चेहरे से वहां से चला गया.

सच, अपने हिस्से की पीड़ा तो स्वयं ही भोगनी पड़ती है. झूठे आश्वासनों के अलावा हम कुछ नहीं दे सकते. कोई किसी की पीड़ा को बांट भी नहीं सकता. उस के बाद मैं उस घर में कभी नहीं गया. यह जीवन का एक ऐसा यथार्थ था जिसे मैं नजरअंदाज नहीं कर सकता. यदि इस दुनिया में यही जीने का ढंग और संकीर्ण मानसिकता है तो ऐसे ही सही.

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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को पक्के मकान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में देश की आजादी के अमृत महोत्सव पर ‘न्यू अर्बन इण्डिया थीम’ के साथ केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय तथा नगर विकास विभाग, उ0प्र0 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय आजादी@75 कॉन्फ्रेन्स-कम-एक्सपो का शुभारम्भ किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने डिजिटल रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पी0एम0ए0वाई0-यू) के तहत बनाये गये आवासों की चाबी उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के 75 हजार लाभार्थियों को सौंपी. उन्होंने इस योजना के तहत लाभान्वित आगरा की श्रीमती विमलेश, कानपुर की श्रीमती रामजानकी पाल तथा ललितपुर की श्रीमती बबिता से संवाद भी किया.

प्रधानमंत्री जी ने स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत आगरा, अलीगढ़, बरेली, झांसी, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, सहारनपुर, मुरादाबाद एवं अयोध्या में इंटीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कन्ट्रोल सेन्टर, इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम एवं नगरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा अमृत मिशन के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न शहरों में उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा निर्मित पेयजल एवं सीवरेज की कुल 4,737 करोड़ रुपए की 75 विकास परियोजनाओं का लोकर्पण/शिलान्यास किया. साथ ही, उन्होंने जनपद लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, झांसी, प्रयागराज, गाजियाबाद और वाराणसी के लिए 75 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का डिजिटल फ्लैग ऑफ भी किया. उन्होंने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के विभिन्न प्रमुख मिशनों के तहत क्रियान्वित 75 परियोजनाओं के ब्यौरे वाली एक कॉफी-टेबल बुक भी जारी की. प्रधानमंत्री जी ने लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में श्री अटल बिहारी वाजपेयी पीठ का डिजिटल शुभारम्भ किया. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित की गयी दो लघु फिल्मों का अवलोकन भी किया.
इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को बड़ी संख्या में पक्के मकान उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वंचित वर्गाें के लोगों को पक्का आवास उपलब्ध कराने की यह विश्व की सबसे बड़ी योजना है. इस योजना के तहत निर्मित 80 प्रतिशत घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर की जा रही है या वे उसकी संयुक्त स्वामी हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पहले की तुलना में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित घरों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में 01 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण को मंजूरी दी है. इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है.
प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मेरे जो साथी, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, उनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को लखपति बनने का अवसर मिला है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित आवासों में बिजली, पानी, शौचालय इत्यादि की सुविधा दी जा रही है. उज्ज्वला योजना के तहत परिवार को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जा गया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक देश में लगभग 03 करोड़ घर बनाए गये हैं. इनकी कीमत करोड़ों रुपये में है. एक मकान की कीमत लाखों रुपये में है. इस प्रकार यह मकान पाने वाले लोग अब लखपति बन गये हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मौजूदा सरकार से पहले, उत्तर प्रदेश की पहले की सरकारों ने योजनाओं को लागू करने के लिए अपने पैर पीछे खींचे थे. उन्होंने कहा कि पिछली उत्तर प्रदेश सरकार को 18,000 से अधिक घरों को मंजूरी दी गई थी, किंतु उस समय 18 घरों का निर्माण भी नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी की वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद, 9 लाख से अधिक आवास इकाइयां शहरी गरीबों को सौंप दी गईं और 14 लाख इकाइयां निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. ये घर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2014 से पूर्व गरीबों के लिए निर्मित किये जाने वाले घरों के आकार की कोई स्थायी नीति नहीं थी. वर्ष 2014 में केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद गरीबों के लिए निर्मित किये जाने वाले आवासों के आकार के सम्बन्ध में एक स्पष्ट नीति बनायी गयी. इस नीति में यह निर्धारित किया गया कि गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों का आकार 22 वर्गमीटर से कम नहीं होगा. आज गरीबों को अपना घर निर्मित करने और उसका डिजाइन अपने ढंग से बनाने की आजादी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यकाल के दौरान पी0एम0ए0वाई0 के तहत 01 लाख करोड़ रुपये की धनराशि गरीबों के बैंक खातों में ट्रांसफर की गयी है. उन्होंने कहा कि शहरों में मजदूरों को किराए के आवास उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्यवाही की गयी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने काफी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानि (रेरा) कानून ऐसा एक बड़ा कदम रहा है. इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है, सभी हितधारकों की मदद की है तथा उन्हें सशक्त बनाया है.

एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट के उपयोग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इनके लगने से शहरी निकायों के हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में उपयोग में लाई जा रही है. उन्होंने कहा कि एल0ई0डी0 ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन प्रौद्योगिकी से आया है. उन्होंने कहा कि देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है. उन्होंने अपनी संस्कृति के लिए मशहूर लखनऊ शहर का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ की ‘पहले आप पहले आप’ की तहजीब की तर्ज पर आज हमें ‘प्रौद्योगिकी पहले’- टेक्नोलॉजी फर्स्ट’ कहना होगा.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को, स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों से जोड़ा जा रहा है. इस योजना के माध्यम से 25 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दी गई है. इसमें भी उत्तर प्रदेश के 07 लाख से ज्यादा लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का लाभ लिया है. कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में स्ट्रीट वेण्डर्स को इस योजना का भरपूर लाभ मिला. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत आज उत्तर प्रदेश के 02 जनपद लखनऊ एवं कानपुर देश में टॉप पर हैं. उन्होंने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए वेण्डरों की सराहना की.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज मेट्रो सर्विस का देश भर के प्रमुख शहरों में तेजी से विस्तार हो रहा है. वर्ष 2014 में, मेट्रो सेवा 250 किलोमीटर से कम रूट की लंबाई पर चलती थी, आज मेट्रो लगभग 750 किलोमीटर रूट की लंबाई में चल रही है. उन्होंने कहा कि देश में अभी लगभग 1,050 किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो ट्रैकों पर काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के 06 शहरों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के रूप में एक विजनरी, मां भारती के लिए समर्पित राष्ट्रनायक देश को दिया है. उन्होंने कहा कि आज उनकी स्मृति में, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में अटल बिहारी वाजपेयी पीठ की स्थापना की जा रही है. उन्होंने कहा कि अटल जी ने देश के त्वरित विकास के लिए अवस्थापना एवं सड़कों के विकास पर विशेष बल दिया. उनकी अवधारणा थी कि प्रदेश के सभी जनपदों को अच्छे सड़क मार्गाें से जोड़ा जाए.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश के लिए शहरीकरण बहुत ही महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश में गतिमान विभिन्न विकास योजनाओं से शहरी परिवेश को बदलने एवं प्रत्येक नागरिक के जीवन में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफलता प्राप्त हुई है. प्रदेश सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षाें में शहरीकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में नए भारत का नया उत्तर प्रदेश अपनी पहचान स्थापित कर रहा है. प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों के विकास पर निरन्तर बल दे रही है. मार्च, 2017 से पूर्व उत्तर प्रदेश में 654 नगरीय निकाय थे. प्रदेश सरकार ने 25 हजार से अधिक आबादी के राजस्व ग्रामों को नगरीय क्षेत्र में शामिल करते हुए नगरीय निकायों की संख्या बढ़ाकर 734 कर दी है. ताकि अधिक से अधिक जनसंख्या को शहरी विकास की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.

वर्ष 2014 से प्रारम्भ स्वच्छ भारत मिशन नारी गरिमा की रक्षा के साथ ही स्वस्थ भारत की परिकल्पना को साकार करने में मील का पत्थर साबित हुआ है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर कार्य किये हैं. प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 02 करोड़ 61 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हुआ है. इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश शत-प्रतिशत ओ0डी0एफ0 हो गया. केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा 6,73,649 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय तथा 51,524 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय निर्मित किये गये. वर्ष 2017 के पूर्व प्रदेश में ओ0डी0एफ0 शहरों की संख्या मात्र 15 थी. जबकि वर्तमान में 652 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0, 595 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0 प्लस तथा 30 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0 प्लस-प्लस घोषित किये जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के बाद हर गरीब का यह सपना था कि उसका खुद का एक पक्का मकान हो. प्रधानमंत्री जी की संवेदनशीलता व उनके नेतृत्व का परिणाम है कि आज देश में गरीब व्यक्ति बिना भेदभाव के पारदर्शी व्यवस्था के साथ पक्के मकान प्रदान किये जा रहे हैं. प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के 42 लाख परिवारों को निःशुल्क पक्के आवास उपलब्ध कराये हैं. प्रदेश के शहरी क्षेत्र के 17 लाख परिवारों को पक्के आवास की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जिसमें 09 लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं और आज प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में 75 हजार आवासों में गृह प्रवेश कराया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाने वाली लाइट हाउस परियोजना के लिए देश के 06 चयनित नगरों में प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी शामिल है. लाइट हाउस परियोजना के तहत नवीन तकनीक से सस्ते व अच्छे आवास निर्मित कराये जा रहे हैं. लखनऊ में गतिमान लाइट हाउस परियोजना के कार्याें को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. इस परियोजना के ज्यादातर आवासों को आवंटित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि अमृत योजना के तहत 60 नगरीय निकायों में 11,421 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं.

इसके तहत पेयजल, सीवरेज, हरित क्षेत्र और पार्क विकसित किये गये हैं. इन परियोजनाओं से एक बड़ी शहरी आबादी को सुगम एवं अच्छे जीवन स्तर को प्राप्त करने में मदद मिलेगी. केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के 17 नगर निगमों में से 10 नगर निगमों को स्मार्ट सिटी मिशन में चयनित किया गया है. शेष 07 नगर निगमों को प्रदेश सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का कार्य कर रही है. इस प्रकार प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में स्मार्ट सिटी मिशन के कार्य क्रियान्वित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं प्रभावी मार्गदर्शन में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को प्रदेश सरकार ने राज्य में नियंत्रित किया है. वैश्विक जगत ने आपके कोरोना नियंत्रण एवं प्रबन्धन की भूरि-भूरि प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 11 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं और लगभग 08 करोड़ लोगों के कोविड टेस्ट सम्पन्न कर चुके हैं. प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से 07 लाख से अधिक स्ट्रीट वेण्डर्स को बैंकों से लोन उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त की है. आने वाले समय में 1.5 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को और जोड़ा जाएगा. इस योजना के लाभार्थियों के चयन तथा उन्हें ऋण उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की सदैव यह मंशा रही है कि देश में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था बेहतर हो. इसी क्रम में, प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से आज प्रदेश के 07 जनपदों के लिए 75 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस के परिचालन की शुरुआत की गयी है. इस प्रकार, प्रदेश में वर्तमान में 115 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. आने वाले दिनों प्रदेश के 14 नगरीय निकायों में 700 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की कार्यवाही आगे बढ़ायी जाएगी. उन्होंने कहा कि मेट्रो रेल सार्वजनिक परिवहन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. आज प्रदेश के 04 बड़े शहरों-लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में मेट्रो का संचालन हो रहा है. कानपुर में नवम्बर, 2021 तक मेट्रो का संचालन हो जाएगा. आगरा मेट्रो का निर्माण कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है. रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत प्रदेश में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर का निर्माण प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बड़े नगरीय निकायों के विकास के साथ-साथ छोटे नगरीय निकायों में भी अवस्थापना सुविधाओं का समुचित विकास किया जा रहा है. छोटे नगर निकायों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2018 में ‘पं0 दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत योजना’ की शुरुआत की गयी है. नगरीय क्षेत्रों में अल्पविकसित तथा मलिन बस्तियों में आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के लिए ‘मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना’ संचालित की जा रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रयागराज कुम्भ-2019 की दिव्यता एवं भव्यता को देश व दुनिया ने देखा है. प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था का एक मानक प्रस्तुत किया है. प्रयागराज कुम्भ को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश ने प्रमुख भूमिका निभायी थी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रयागराज में कुम्भ के दौरान इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सेण्टर को विकसित करते हुए वहां की ट्रैफिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने का काम किया गया. इससे 24 करोड़ श्रद्धालुओं को सुव्यवस्था प्राप्त हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 01 अक्टूबर, 2021 को स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) एवं अमृत योजना के द्वितीय चरण का शुभारम्भ किया है. द्वितीय चरण में नगरीय क्षेत्रों को कचरे से पूरी तरह मुक्त रखा जाए. प्रदेश के नगरों को पूरी तरह कचरामुक्त करने, शहरों को जल सुरक्षित बनाने और यह सुनिश्चित करने कि कहीं भी सीवेज का गन्दा नाला नदियों में न गिरे, इसके लिए प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ मिशन मोड पर कार्य करेगी.

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने न्यू इण्डिया का जो सपना देखा है, उसे पूरा करने के लिए वे मिशन मोड में कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रांे के समन्वित विकास के लिए प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहरों का नियोजित नगरीय विकास भारत की प्राचीन परम्परा है. आज समय की मांग के अनुसार देश के नगरों का तेजी से विकास हो रहा है. लोगों को ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस का लाभ नगरीय विकास के कारण मिल रहा है.

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में स्वच्छ भारत मिशन तथा अमृत योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. वर्ष 2015 से 2021 में नगरीय विकास के क्षेत्र में निवेश 07 गुना तक बढ़ा है. केन्द्र सरकार द्वारा लोगों को बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वच्छ भारत मिशन 2.0 तथा अमृत 2.0 प्रारम्भ किये गये हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी का विस्तार हुआ है. आज उत्तर प्रदेश में 08 हवाई अड्डे काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों के विकास के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2,000 करोड़ रुपये की धनराशि का प्राविधान किया गया है.

इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री डॉ0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय, केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ0 दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नगर विकास राज्य मंत्री श्री महेश चन्द्र गुप्ता, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव नगर विकास डॉ0 रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

स्‍ट्रीट वेंडरों का संबल बनी है पीएम स्‍वनिधि योजना

इंदिरा गांधी प्रतिष्‍ठान में न्‍यू अर्बन इंडिया कॉन्‍क्‍लेव के उद्धाटन पर पीएम मोदी ने मंच से एक बार फिर सीएम योगी आदित्‍यनाथ के कामों को सराहा . उन्‍होंने कहा कि सीएम योगी के प्रयासों से कोरोना काल में गरीबों को संबल देने वाली पीएम स्‍वनिधि योजना के क्रियान्‍वयन में उत्‍तर प्रदेश देश में प्रथम स्‍थान पर है. उन्‍होंने कहा कि जिन तीन शहरों ने इस योजना में उत्‍कृष्‍ट काम किया है. उसमें यूपी के दो शहर लखनऊ व कानपुर शामिल है. योजना के तहत यूपी के 7 लाख से अधिक स्‍ट्रीट वेंडर को इसका सीधा लाभ मिला है, जो बड़ी उपलब्धि है. पीएम ने कहा कि रेहड़ी, पटरी व ठेला कारोबारियों को सीधे बैंक से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान देश भर के स्‍ट्रीट वेंडरों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा था. इनका कारोबार लगभग बंद हो गया था. दोबारा कारोबार शुरू करना इनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. ऐसे में केन्‍द्र सरकार की पीएम स्‍वनिधि योजना स्‍ट्रीट वेंडर के लिए बड़ा सहारा बनी. कोरोना काल के बाद दोबारा काम शुरू करने के लिए इस योजना के जरिए स्‍ट्रीट वेंडरों को दस हजार रुपए तक लोन दिया गया. ताकि वह दोबारा अपना काम शुरू कर सकें. लोन की प्रक्रिया को काफी आसान रखा गया. इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के रेहड़ी-पटरी वालों को एक साल के लिए 10,000 रुपये का ऋण बिना किसी गारंटी के उपलब्ध कराया गया.

लखनऊ व कानपुर आगे

पीएम मोदी ने स्‍ट्रीट वेंडरों को ऋण देने में लखनऊ व कानपुर के स्‍थानीय निकायों की तारीफ की. पीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री स्‍वनिधि योजना के क्रियान्‍वयन में यूपी अव्‍वल है. खासकर देश के तीन शहरों के स्‍थानीय निकायों ने इसमें उल्‍लेखनीय काम किया है. उसमें यूपी के दो शहर लखनऊ व कानपुर शामिल हैं. वहीं, यूपी केन्‍द्र सरकार की 41 योजनाओं के क्रियान्‍वयन में देश के सभी राज्‍यों में अव्‍वल है.

नीड़: भाग 3- सिद्धेश्वरीजी क्या समझ आई परिवार और घर की अहमियत

सिद्धेश्वरीजी के पैरों में मोच आई थी. प्राथमिक चिकित्सा के बाद उन्हें घर जाने की अनुमति मिल गई थी. उन के घर पहुंचने से पहले ही बहू और बेटे ने, उन की सुविधानुसार कमरे की व्यवस्था कर दी थी. समीर और शालिनी ने अपना बैडरूम उन्हें दे दिया था क्योंकि बाथरूम बैडरूम से जुड़ा था. वे दोनों किनारे वाले बैडरूम में शिफ्ट हो गए थे. सिरहाने रखे स्टूल पर बिस्कुट का डब्बा, इलैक्ट्रिक कैटल, मिल्क पाउडर और टी बैग्स रख दिए गए. चाय की शौकीन सिद्धेश्वरीजी जब चाहे चाय बना सकती थीं. उन्हें ज्यादा हिलनेडुलने की भी जरूरत नहीं थी. पलंग के नीचे समीर ने बैडस्विच लगवा दिया था. वे जैसे ही स्विच दबातीं, कोई न कोई उन की सेवा में उपस्थित हो जाता.

अगले दिन तक नेहा और जमाई बाबू भी पहुंच गए. घर में खुशी की लहर दौड़ गई थी. उन के आने से समीर और शालिनी को भी काफी राहत मिल गई थी. कुछ समय के लिए दोनों दफ्तर हो आते. नेहा मां के पास बैठती तो स्वाति अस्पताल हो आती थी. इन दिनों उस की इन्टर्नशिप चल रही थी. अस्पताल जाना उस के लिए निहायत जरूरी था. शाम को सभी उन के कमरे में एकत्रित होते. कभी ताश, कभी किस्सेकहानियों के दौर चलते तो घंटों का समय मिनटों में बदल जाता. वे मंदमंद मुसकराती अपनी हरीभरी बगिया का आनंद उठाती रहतीं. सिद्धेश्वरीजी एक दिन चाय पी कर लेटीं तो उन का ध्यान सामने खिड़की पर बैठे कबूतर की तरफ चला गया. खिड़की के जाली के किवाड़ बंद थे, जबकि शीशे के खुले थे. मुश्किल से 5 इंच की जगह रही होगी जिस पर वह पक्षी बड़े आराम से बैठा था. तभी नेहा और शालिनी कमरे में आ गईं, बोलीं, ‘‘मां, इस कबूतर को यहां से उड़ाना होगा. यहां बैठा रहा तो गंदगी फैलाएगा.’’

‘‘न, न. इसे उड़ाने की कोशिश भी मत करना. अब तो चैत का महीना आने वाला है. पक्षी जगह ढूंढ़ कर घोंसला बनाते हैं.’’

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उन की बात सच निकली. देखा, एक दूसरा कबूतर न जाने कहां से तिनके, घास वगैरह ला कर इकट्ठे करने लगा. वह नर व मादा का जोड़ा था. मादा गर्भवती थी. नर ही उस के लिए दाना लाता था और चोंच से उसे खिलाता था. सिद्धेश्वरीजी मंत्रमुग्ध हो कर उन्हें देखतीं. पक्षियों को नीड़ बनाते देख उन्हें अपनी गृहस्थी जोड़ना याद आ जाता. उन्होंने भी अपनी गृहस्थी इसी तरह बनाई थी. रमानंदजी कमा कर लाते, वे बड़ी ही समझदारी से उन पैसों को खर्चतीं. 2 देवर, 2 ननदें ब्याहीं. मायके से जो भी मिला, वह ननदों के ब्याह में चढ़ गया. लोहे के 2 बड़े संदूकों को ले कर अपने नीड़ का निर्माण किया. बच्चे पढ़ाए. उन के ब्याह करवाए. जन्मदिन, मुंडन-क्या नहीं निभाया.  खैर, अब तो सब निबट गया. बच्चे अपनेअपने घर में सुख से रह रहे हैं. उन्हें भी मानसम्मान देते हैं. हां, एक कसक जरूर रह गई. अपने मकान की. वही नहीं बन पाया. बड़ा चाव था उन्हें अपने मकान का.  मनपसंद रसोई, बड़ा सा लौन, पीछे आंगन, तुलसीचौरा, सूरज की धूप की रोशनी, खिड़की से छन कर आती चांदनी और खिड़की के नीचे बनी क्यारी व उस क्यारी में लगी मधुमालती की बेल.

वे बैठेबैठे बोर होतीं. करने को कुछ था नहीं. एक दिन उन्होंने कबूतरी की आवाज देर तक सुनी. वह एक ही जगह बैठी रहती. अनिरुद्ध उन के कमरे में आया तो अतिउत्साहित, अति उत्तेजित स्वर में बोला, ‘‘बड़ी मां, कबूतरी ने घोंसले में अंडा दिया है.’’

‘‘इसे छूना मत. कबूतरी अंडे को तब तक सहेजती रहेगी जब तक उस में से बच्चे बाहर नहीं आ जाते.’’

अनिरुद्ध पीछे हट गया था. उन्हें इस परिवार से लगाव सा हो गया था. जैसे मां अपने बच्चे के प्रति हर समय आशंकित सी रहती है कि कहीं उस के बच्चे को चोट न लग जाए, वैसे ही उन्हें भी हर पल लगता कि इन कबूतरों के उठनेबैठने से यह अंडा मात्र 4 इंच की जगह से नीचे न गिर जाए. एक दिन उस अंडे से एक बच्चा बाहर आया. सिर्फ उस की चोंच, आंखें और पंजे दिखाई दे रहे थे. अब कबूतर का काम और बढ़ गया था. वह उड़ता हुआ जाता और दाना ले आता. कबूतरी, एकएक दाना कर के उस बच्चे को खिलाती जाती. सिद्धेश्वरीजी ने अनिरुद्ध से कह कर उन कबूतरों के लिए वहीं खिड़की पर, 2 सकोरों में दाने और पानी की व्यवस्था करा दी थी. अब कबूतर का काम थोड़ा आसान हो गया था.

सिद्धेश्वरीजी अनजाने ही उस कबूतर जोड़े की तुलना खुद से करने लगी थीं. ये पक्षी भी हम इंसानों की तरह ही अपने बच्चों के प्रति समर्पित होते हैं. फर्क यह है कि हमारे सपने हमारे बच्चों के जन्म के साथ ही पंख पसारने लगते हैं. हमारी अपेक्षाएं और उम्मीदें भी हमारे स्वार्थीमन में छिपी रहती हैं. इंसान का बच्चा जब पहला शब्द मुंह से निकालता है तो हर रिश्ता यह उम्मीद करता है कि उस प्रथम उच्चारण में वह हो. जैसे, मां चाहती है बच्चा ‘मां’ बोले, पापा चाहते हैं बच्चा ‘पापा’ बोले, बूआ चाहती हैं ‘बूआ’ और बाबा चाहते हैं कि उन के कुलदीपक की जबान पर सब से पहले ‘बाबा’ शब्द ही आए. हम उस के हर कदम में अपना बचपन ढूंढ़ते हैं. अपनी पसंद के स्कूल में उस का ऐडमिशन कराते हैं.

यह हमारा प्रेम तो है पर कहीं न कहीं हमारा स्वार्थ भी है. उस का भविष्य बनाने के लिए किसी अच्छे व्यावसायिक संस्थान में उसे पढ़ाते हैं. उस की तरक्की से खुद को गौरवान्वित महसूस करते हैं. समाज में हमारी प्रतिष्ठा बढ़ती है. हम अपनी मरजी से उस का विवाह करवाना चाहते हैं. यदि बच्चे अपना जीवनसाथी स्वयं चुनते हैं तो हमारा उन से मनमुटाव शुरू हो जाता है, हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा को बट्टा जो लग जाता है. हमारी संवेदनाओं को ठेस पहुंचती है. बच्चे बड़े हो जाते हैं, हमारी अपेक्षाएं वही रहती हैं कि वे हमारे बुढ़ापे का सहारा बनें. हमारे उत्तरदायित्व पूरे करें. हमारे प्रेम, हमारी कर्तव्यपरायणता के मूल में कहीं न कहीं हमारा स्वार्थ निहित है. कुछ दिन बाद उस बच्चे के छोटे पंख दिखाई देने लगे. फिर पंख थोड़े और बड़े हुए. अब उस ने स्वयं दाना चुगना शुरू कर दिया था. फिर एक दिन उस के मातापिता उसे साथ ले कर उड़ने लगे. तीनों विहंग छोटा सा चक्कर लगाते और फिर लौट आते वापस अपने नीड़ में.

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धीरेधीरे सिद्धेश्वरीजी की तबीयत सुधरने लगी. अब वे घर में चलफिर लेती थीं. अपना काम भी स्वयं कर लेती थीं. रमानंदजी को नाश्ता भी बना देती थीं. घर के कामों में शालिनी की सहायता भी कर देती थीं. अब यह घर उन्हें अपना सा लगने लगा था. दिन स्वाति उन्हें अस्पताल ले गई. मोच तो ठीक हो गई थी. फिजियोथेरैपी करवाने के लिए डाक्टर ने कहा था, सो प्रतिदिन स्वाति ही उन्हें ले जाती. वापसी में समीर अपनी गाड़ी भेज देता. अब ये सब भला लगता था उन्हें.

एक दिन उन्होंने देखा, कबूतर उड़ गया था. वह जगह खाली थी. अब वह नीड़ नहीं मात्र तिनकों का ढेर था. क्योंकि नीड़ तो तब था जब उस में रहने वाले थे. मन में अनेक सवाल उठने लगे, क्या वह बच्चा हमेशा उन के साथ रहेगा? क्या वह बड़ा हो कर मातापिता के लिए दाना लाएगा? उन की सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ाएगा? इसी बीच उन के मस्तिष्क में एक ऋषि और राजा संवाद की कुछ पंक्तियां याद आ गई थीं. ऋषि ने राजा से कहा था, ‘‘हे राजा, हम मनुष्य अपने बच्चों का भरणपोषण करते हैं, परंतु योग माया द्वारा भ्रमित होने के कारण, उन बच्चों से अपेक्षाएं रखते हैं. पक्षी भी अपने बच्चों को पालते हैं पर वे कोई अपेक्षा नहीं रखते क्योंकि वे बुद्धिजीवी नहीं हैं और न ही माया में बंधे हैं.’’

उन्होंने खिड़की खोल कर वहां सफाई की और घोंसला हटा दिया. धीरेधीरे तेज हवाएं चलने लगीं. उन्होंने खिड़की बंद कर दी. कुछ दिन बाद कबूतर का एक जोड़ा फिर से वहां आ गया. अपना नीड़ बनाने. वे मन ही मन सुकून महसूस कर रही थीं. अब फिर घोंसला बनेगा, कबूतरी अंडे देगी, उन्हें सेना शुरू करेगी, अंडे में से चूजा निकलेगा, फिर पर निकलेंगे और फिर कबूतर उड़ जाएगा और कपोत का जोड़ा टुकुरटुकुर उस नीड़ को निहारता रह जाएगा, उदास मन से. ठंड बढ़ने के साथसाथ मोच वाले स्थान पर हलकी सी टीस एक बार फिर से उभरने लगी थी. परिवार में उन की हालत सब के लिए चिंता का विषय बनी हुई थी. रमानंदजी आयुर्वेद के तेल से उन के टखनों की मालिश कर रहे थे. स्वाति ने एक अन्य डाक्टर से उन के लिए अपौइंटमैंट ले लिया था. सिद्धेश्वरीजी ने उसे रोकने की कोशिश की, तो वह उन्हें चिढ़ाते हुए बोली, ‘‘बड़ी मां, टांग का दर्द ठीक होगा तभी तो गांव जाएंगी न.’’

स्वाति समेत सभी खिलखिला कर हंसने लगे थे. नौकर गरम पानी की थैली दे गया तो सिद्धेश्वरीजी पलंग पर लेट कर सोचने लगीं, ‘सही कहते हैं बड़ेबुजुर्ग, घर चारदीवारी से नहीं बनता, उस में रहने वाले लोगों से बनता है.’ घोंसला अवश्य उन का अस्थायी रहा पर वे तो भरीपूरी हैं. बेटेबहू, पोतेपोती से खुश, संतप्त भाव से एक नजर उन्होंने रमानंदजी की दुर्बल काया पर डाली, फिर दुलार से हाथ फेरती हुई बुदबुदाईं, ‘उन का जीवनसाथी तो उन के साथ है ही, उन के बच्चे भी उन के साथ हैं. अब उन्हें किसी नीड़ की चाह नहीं. जहां हैं सुख से हैं, संतुष्ट और संतप्त.’ उन्होंने कामवाली बाई से कह कर बक्से में से सामान निकलवाया और अलमारी में रखवा दिया. और फिर मीठी नींद के आगोश में समा गईं.

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Ramayana के रावण Arvind Trivedi ने कहा दुनिया को अलविदा तो ‘लक्ष्मण’ और ‘सीता’ ने दी श्रद्धांजलि

टीवी इंडस्ट्री से बीते दिनों बुरी खबरों का सिलसिला जारी है. वहीं अब खबर है कि टीवी के पौपुलर सीरियल रामायण (Ramayana) में लंकापति रावण का किरदार निभाने वाले एक्टर अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का बीते दिन निधन हो गया है, जिसके बाद फिल्मी और टीवी सितारे उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

दोस्तों ने दी श्रद्धांजलि

 

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दरअसल, 2-3 दिन से बीमार चल रहे 83 साल के अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) का निधन बीती रात हुआ, जिसकी खबर उनके भतीजे कौस्तुभ ने फैंस को दी. वहीं खबर मिलते ही कई फिल्मी सितारों ने शोक व्यकत किया. वहीं रामायण में अरविंद त्रिवेदी (Arvind Trivedi) संग स्क्रीन शेयर कर चुके लक्ष्मण का किरदार निभाने वाले एक्टर सुनील लहरी ने सोशलमीडिया पर अपनी श्रद्धांजलि दी. सुनील ने लिखा, ‘बहुद दुखद समाचार है कि हमारे सबके प्यारे अरविंद भाई (रामायण के रावण) अब हमारे बीच नहीं रहे. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे. मैं कुछ नहीं बोल पा रहा हूं. मैंने अपने पिता समान व्यक्ति, मेरे गाइड और शुभचिंतक को खो दिया है.’ सुनील के अलावा शो में साथ काम कर चुके अशोक पंडित, दीपिका चिखलिया ने भी अरविंद के निधन पर शोक प्रकट करते हुए पोस्ट शेयर किया है, जिस पर फैंस अपना रिएक्शन दे रहे हैं.

 

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रामायण से बटोरी थीं सुर्खियां

बीते साल 2020 में रामायण की दोबारा प्रस्तुति से फैंस का जबरदस्त रिस्पौंस देखने को मिला था. वहीं सोशलमीडिया पर शो से जुड़े कई मीम्स भी वायरल हुए थे. बात करें  अरविंद त्रिवेदी के काम की तो वह करीब 300 हिंदी और गुजराती फिल्मों का हिस्सा रह चुके हैं. इसी के चलते साल 2002 में उन्हें सेंसर बोर्ड (सीबीएफसी) के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में भी नॉमिनेट किया गया था.

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वनराज के इल्जाम से टूटा अनुज, Anupama से कहेगा शाह हाउस छोड़ने की बात

स्टार प्लस के टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. दरअसल, अनुज की एंट्री के बाद जहां अनुपमा के सपने पूरे होते नजर आ रहे हैं तो वहीं वनराज उसके सपनों पर ग्रहण की तरह मंडराता नजर आ रहा है. इसी बीच अनुपमा एक बड़ा फैसला लेने वाली है, जिससे अपकमिंग एपिसोड में सीरियल की कहानी में दर्शकों को और भी मजा आने वाला है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

वनराज ने तोड़ी हदें

अब तक आपने देखा कि अनुपमा के सपने पूरा होने का एक बड़ा दिन आ चुका है. जहां वह अनुज के साथ अपनी पार्टनरशिप की नींव रखने वाली होती है. लेकिन एक बार फिर वनराज उसकी खुशियों पर नजर लगा देता है. दरअसल, भूमि पूजन के दौरान वनराज बखेड़ा खड़ा कर देता है. साथ ही अनुज-अनुपमा के रिश्ते पर वनराज इल्जाम लगाता है, जिसके जवाब में अनुपमा (Anupama) और अनुज साथ में वनराज पर चीखते नजर आते हैं. और अनुज, वनराज की हरकतें देखकर उसे अपने घर से निकलने के लिए कहता है.

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वनराज के कारण टूटे अनुज-अनुपमा

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे वनराज (Sudhanshu Pandey) के हदें पार करने के बाद अनुपमा (Anupama) भागकर कारखाने में जाकर रोने लगेगी, जिसे देखकर अनुज (Anuj Kapadia) उसे चुप कराएगा और वह खुद भी इमोशनल हो जाएगा. इसके साथ ही वह अनुपमा को संभालते हुए अनुज, अनुपमा को समझाएगा कि वो जहर के घूंट पीने की बजाय अब अपने अस्तित्व के लिए फैसला ले और शाह हाउस छोड़ दे.

वनराज के खिलाफ खड़ी होगी अनुपमा

दूसरी तरफ अनुज, अनुपमा (Anupama) समझाएगा कि बापूजी, किंजल, पाखी, समर और नंदिनी उसकी बात को समझेंगे और उसका साथ देंगे. इसलिए वह रोना बंद करे और अपने लिए और सपने के लिए कदम उठाए. वहीं अनुज की बातों से अनुपमा वनराज का सामना करने के लिए तैयार होगी. हालांकि देविका, अनुज को समझाएगी कि अनुपमा शाह हाउस और अपने परिवार को कभी नहीं छोड़ेगी.

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फेस्टिव सीजन के लिए परफेक्ट हैं Bigg Boss 15 की Akasa Singh के ये लुक्स

कलर्स का पौपुलर रियलिटी शो बिग बौस 15 की शुरुआत हो चुकी है. वही शो में सितारों की लड़ाइयां और प्लानिंग भी दर्शकों का दिल जीत रही हैं. हालांकि सोशलमीडिया पर कई कंटेस्टेंट को फैंस काफी पसंद कर रहे हैं, जिनमें सिंगर अकासा सिंह का नाम भी शामिल है. अकासा सिंह इन दिनों बिग बौस 15 में काफी सुर्खियां बटोर रही हैं. वहीं सोशलमीडिया पर उनके लुक्स भी काफी वायरल हो रहे हैं. इसीलिए आज हम आपको अकासा सिंह के कुछ लुक्स दिखाएंगे, जिन्हें आप गरबा या फेस्टिव सीजन में ट्राय कर सकती हैं.

फेस्टिव सीजन में सिंपल हो लुक

 

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अकासा सिंह का फैशन काफी सिंपल है. वह हैवी और लाउड लुक की बजाय सिंपल लुक में फैंस का दिल जीतती हैं. वहीं फेस्टिव सीजन में सिंपल लुक कैरी करना चाहती हैं तो अकासा सिंह की ये ड्रैस आप ट्राय कर सकती हैं. ये मल्टीकलर ड्रैस आपके लुक को फेस्टिव सीजन में चार चांद लगा देगी.

 

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लहंगा है परफेक्ट 

 

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अगर आप मल्टी कलर आउटफिट की जगह वाइट औप्शन तलाश कर रही हैं तो अकासा सिंह का ये लहंगा आपके लिए परफेक्ट रहेगा. हैवी ब्लाउज के साथ प्लेन वाइट लहंगा परफेक्ट औप्शन आपके लिए फेस्टिव सीजन में बेस्ट रहेगा.

सूट भी है खास

 

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अगर आप लहंगे की जगह फेस्टिव सीजन में सूट ट्राय करना चाहती हैं तो अकासा सिंह के सिंपल सूट के साथ हैवी और प्रिंटेड दुपट्टे वाले ये सूट बेस्ट औप्शन रहेंगे. पंजाबी फुल्कारी को या प्रिंटेड दुपट्टा अकासा सिंह के पास सूट के कलेक्शन बेहद खूबसूरत हैं, जिसे आप फेस्टिव सीजन में आसानी से कैरी कर सकती है.

 

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जब खरीदें औनलाइन फर्नीचर

आज के समय में जहां एक तरफ कोरोना का डर है तो दूसरी तरफ जिंदगी में बढ़ती व्यस्तता का आलम है. ऐसे में बाजार की भीड़भाड़ में जा कर सामान खरीदने की अपेक्षा घर बैठेबैठे औनलाइन शौपिंग करना बहुत सुविधाजनक और आसान विकल्प है. आज लोग इलैक्ट्रौनिक आइटम्स से ले कर घरेलू सामान तक सबकुछ औनलाइन खरीदने को ही प्राथमिकता देते हैं. वैसे भी अब औनलाइन हर चीज मिल जाती है.

जब हम छोटीमोटी वस्तुओं जैसे जूते, कपड़े या ब्यूटी प्रोडक्ट्स आदि की शौपिंग के लिए औनलाइन प्लेटफौर्म का प्रयोग करते हैं तो ज्यादा नहीं सोचते, लेकिन जब बात महंगी आइटम जैसे फर्नीचर वगैरह की हो तो हमें ज्यादा सोचना पड़ता है क्योंकि इन में एक बार में ही काफी पैसे लग जाते हैं.

वैसे फर्नीचर न सिर्फ जरूरी सामान है बल्कि घर के लुक में भी चार चांद लगाता है. ऐसे में अगर आप औनलाइन फर्नीचर खरीद रही हैं तो सिर्फ उस के डिजाइन पर ही ध्यान न दें. ऐसी कई चीजें हैं जिन पर औनलाइन फर्नीचर खरीदते समय ध्यान दिया जाना बेहद जरूरी है.

जरूरत हो तभी खरीदें

कई बार औनलाइन शौपिंग के दौरान हमें कोई अच्छा सा, कम कीमत का डिजाइनर फर्नीचर नजर आता है तो हम उसे बिना सोचेसम  झे खरीद लेते हैं. मगर घर में जगह कम होने की वजह से घर काफी कंजस्टेड लगने लगता है. इसलिए औनलाइन फर्नीचर लेने से पहले अपनी जरूरत पर ध्यान दें.

विश्वसनीय साइट पर जाएं

बेहतर होगा कि आप फर्नीचर हमेशा सुरक्षित साइट से ही खरीदें. यों तो औनलाइन मार्केट प्लेटफौर्म बहुत से हैं जो आप को आकर्षक फर्नीचर देने का दावा करेंगे. लेकिन महत्त्वपूर्ण यह है कि आप किसी विश्वसनीय साइट का औप्शन ही चुनें. साइट की सिक्यूरिटी जानने के लिए आप लाक आईकान पर क्लिक करें, प्रोडक्ट से जुड़े रिव्यूज पढ़ें और कंपनी को ईमेल या फोन के द्वारा कौंटैक्ट करने की कोशिश करें ताकि आप को उस की औथेंटिसिटी का पता चल सके. यह भी ध्यान दीजिए कि क्या साइट रैग्युलरली अपडेट हो रही है.

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मेजरमैंट पर दें ध्यान

हर फर्नीचर अलगअलग साइज और पैटर्न में मिल जाता है. उस का मैटीरियल भी अलगअलग होता है. फर्नीचर के बारे में औनलाइन दी गई जानकारी को ठीक से पढ़ें. डिजाइन के साथसाथ घर में मौजूद स्पेस पर भी ध्यान दें. यह तय करें कि आप को फर्नीचर कहां रखना है और वहां कितनी जगह है ताकि घर कंजस्टेड न हो जाए.

कई बार हम बैड, सोफा या दूसरा बड़ा फर्नीचर खरीद जरूर लेते हैं, लेकिन वह जब घर आता है तो हमारे रूम में फिट नहीं होता. ऐसे में बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. इसलिए रूम का मेजरमैंट लेना न भूलें. साथ ही फर्नीचर का साइज भी सही चुनें. कुछ साइट्स में इंटीरियर स्पैशलिस्ट कस्टमर के घर भेजा जाता है जो कस्टमर को सही फिटिंग वाला फर्नीचर लेने में मदद करते हैं.

यह पता करना भी जरूरी है कि क्या फर्नीचर आप को असैंबल कर के भेजा जाएगा क्योंकि ऐसे में आप को यह भी ध्यान देना होगा है कि प्रोडक्ट की चौड़ाई कहीं दरवाजे से बड़ी तो नहीं? मतलब उसे दरवाजे से हो कर कमरे में पहुंचाया जा सकेगा या नहीं? अगर उसे सीढि़यों से ले जाना है तो क्या यह संभव हो पाएगा?

औफर्स का फायदा उठाएं

ज्यादातर कंपनियां अकसर अपने प्रोडक्ट्स पर औफर देती रहती हैं खासकर किसी स्पैशल दिन या त्योहारों पर काफी औफर रहते हैं. विशेष त्योहार के दिन तो और भी ज्यादा डिस्काउंट मिल सकता है. ऐसे में आप औनलाइन प्रोडक्ट खरीदने से पहले सभी साइट्स पर औफर चैक करें. आप को इस का लाभ मिल सकता है.

टर्म्स ऐंड कंडीशंस पर ध्यान दें

औनलाइन फर्नीचर खरीदने से पहले उस से जुड़े डिस्क्रिप्शन में टर्म्स ऐंड कंडीशन को ठीक से पढ़ें. कई बार जरूरी जानकारी भी काफी छोटे शब्दों में लिखी जाती है ताकि उस पर नजर न पड़े. बाद में विवाद होने पर वेंडर के पास खुद को बचाने का औप्शन रहता है. इस के अलावा आप फर्नीचर  फाइनलाइज करने से पहले कस्टमर रिव्यूज भी पढ़ें. इस से काफी कुछ पता चल जाता है. मैटीरियल, उस के कलर आदि के बारे में भी डिटेल से पढ़ें. इस में आप को थोड़ा वक्त जरूर लग सकता है, लेकिन इस तरह आप किसी गलत प्रोडक्ट को चुनने से बच जाएंगी.

डिलिवरी चार्ज को न करें इग्नोर

कई बार औनलाइन शौपिंग के समय हम डिलिवरी चार्ज पर ध्यान नहीं देते हैं.

आप इस गफलत में रहते हैं कि आप ने महंगी आइटम खरीदी है, इसलिए प्रोडक्ट की फ्री डिलिवरी होगी. लेकिन ऐसा होता नहीं. आप को शिपिंग चार्ज भी देना पड़ता है. तब आप ठगा सा महसूस करते हैं क्योंकि तब आप को फर्नीचर और भी महंगा पड़ता है.

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लेने से पहले एक विशलिस्ट बनाएं

औनलाइन फर्नीचर खरीदना इतना आसान भी नहीं. आप को अच्छी तरह रिसर्च कर के ही कोई चीज फाइनल करनी चाहिए. इसलिए बेहतर होगा कि आप किसी प्रोडक्ट को लेने का फैसला करने से पहले एक विशलिस्ट तैयार करें. इस में आप पसंद आ रहे फर्नीचर की एक लिस्ट बना लें. अंत में सभी विकल्पों पर गौर करने के बाद आखिरी में आप के लिए यह फैसला लेना अधिक आसान हो जाएगा कि आप के घर के लिए कौन सा फर्नीचर सब से उपयुक्त रहेगा.

कीमत की तुलना करें

इंटरनैट पर बहुत सारी औनलाइन शौपिंग साइटें हैं. अलगअलग साइट पर कई बार एक ही प्रोडक्ट के अलगअलग रेट मिलते है. इसलिए कोई भी फर्नीचर खरीदने से पहले दूसरी साइटों से कीमत की तुलना करना न भूलें. अलगअलग साइट पर एक ही प्रोडक्ट की कीमत में क्व1 हजार से क्व10 हजार तक का अंतर हो सकता है. लेकिन यह चैक करना न भूलें कि कहीं कम कीमत के चक्कर में आप लोकल या घटिया लकड़ी का प्रोडक्ट तो नहीं ले रहे. इसलिए कीमत के साथसाथ क्वालिटी की भी तुलना जरूर करें.

कैश औन डिलिवरी है बेहतर औप्शन

नकली माल या किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचने के लिए जरूरी है कैश औन डिलिवरी का विकल्प चुनना. इस को ष्टहृष्ठ भी कहते हैं. इस विकल्प में उपयोगकर्ता अपना प्रोडक्ट प्राप्त करने के बाद उस की पेमैंट करता है. इस से आप कई तरह की समस्याओं से बच जाते हैं.

रिटर्न पौलिसी

औनलाइन शौपिंग में हम अकसर रिटर्न पौलिसी का खयाल नहीं रखते हैं. लेकिन ऐसा करने से आप मुश्किल में पड़ सकते हैं. कई बार फर्नीचर की डिलिवरी होने के बाद वह चीज आप को पसंद नहीं आती या सामान में टूटफूट अथवा दूसरी कोई कमी नजर आ सकती है. यह हमें प्रोडक्ट के आने के बाद ही पता चलता है. ऐसे में यदि कंपनी की नो रिटर्न पौलिसी है तो उसे वापस करना भी मुश्किल हो जाता है और आप को मन मसोस कर वह फर्नीचर रखना पड़ता है. इसलिए ऐसी साइट से ही और्डर करें जहां सामान पसंद न आने पर रिटर्न करने का औप्शन हो.

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यदि आइटम डैमेज है तो बेहतर होगा कि आप उस की डिलिवरी लें ही नहीं. आप डैमेज पीस के फोटो ले कर भेज सकते हैं. यह आप के पास एक पू्रफ के रूप में रहेगा कि भेजने के दौरान यानी डिलिवरी होने से पहले ही फर्नीचर का कोई हिस्सा डैमेज हो गया था. इस से प्रोडक्ट वापस करने में आप को कोई रुपए यानी रिटर्न की कौस्ट नहीं देनी पड़ेगी और वह वापस हो जाएगा.

Festive Special: मूंग से बनाएं ये टेस्टी स्नैक्स

आमतौर पर मूंग दाल को पसन्द नहीं किया जाता, कुछ लोग तो इसे मरीजों वाली दाल कहते हैं परन्तु अनेकों विटामिन, फाइबर, आयरन और प्रोटीन के प्रचुर स्रोत वाली यह दाल बहुत सेहतमंद और सुपाच्य होती है तभी तो बीमारी में डॉक्टर इसका सेवन करने की सलाह देते हैं. आज हम मूंग दाल से बनाये जाने वाले दो ऐसे स्नैक्स बनाना बता रहे हैं जिन्हें बनाना तो बहुत आसान है ही साथ ही ये सेहतमंद भी हैं. तो देखते हैं कि इन्हें कैसे बनाया जाता है.

-मूंग मठरी

कितने लोंगों के लिए          4

बनने में लगने वाला समय    30 मिनट

मील टाइप                        वेज

सामग्री

छिल्के वाली मूंग दाल          1 कटोरी

मैदा                                   1 कटोरी

आटा                                1/2 कटोरी

हींग                                 चुटकी भर

नमक                                स्वादानुसार

अदरक, हरी मिर्च, लहसुन पेस्ट  1 टीस्पून

अजवाइन                           1/4 टीस्पून

मैदा                                    2 टेबलस्पून

घी                                       1 टेबलस्पून

तलने के लिए तेल         पर्याप्त मात्रा में

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विधि

मूंग दाल को साफ सूती कपड़े से पोंछकर मिक्सी में दरदरा पीस लें. ध्यान रखें कि यह बहुत मोटी न रहे और न ही एकदम पाउडर फॉर्म में हो जाये. अब इसे एक बाउल में डालकर 2 कप पानी से धो लें. चलनी से पानी निकाल दें. धुली दाल में आटा, मसाले, मैदा और अदरक हरी मिर्च, 2 टीस्पून तेल व  लहसुन पेस्ट अच्छी तरह मिलाएं. अब इसे 15 मिनट के लिए ढककर रख दें. 15 मिनट बाद तैयार आटे में से रोटी के बराबर लोई लेकर रोटी जैसा पतला बेल लें. इसी प्रकार 3 रोटी तैयार कर लें. मैदा और घी को मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें. अब एक रोटी को चकले पर फैलाएं और उसके ऊपर ब्रश से मैदा और घी का पेस्ट अच्छी तरह लगाएं. इसी प्रकार मैदा और घी लगाते हुए तीनों रोटियां एक दूसरे के ऊपर रख लें. सबसे ऊपर वाली रोटी पर भी घी लगाएं और इन्हें अंदर की तरफ दबाते हुए रोल कर लें. तैयार रोल में से 1-1 इंच के पीस काट लें. कटे पीसेज को हथेली से दबाकर चपटा कर दें. अब इन्हें गर्म तेल में मद्धिम आंच पर सुनहरा होने तक तलकर बटर पेपर पर निकाल लें.

-मूंगलेट

कितने लोंगों के लिए               6

बनने में लगने वाला समय      30 मिनट

मील टाइप                           वेज

सामग्री

धुली मूंग दाल                    1 कप

चावल का आटा                 1 टीस्पून

बारीक कटा प्याज             1

बारीक कटी शिमला मिर्च     1

बारीक कटी गाजर               1

कॉर्न के दाने                        1/4 कप

बारीक कटी हरी मिर्च           4

बारीक कटी हरी धनिया         1 टेबलस्पून

अदरक                                 1 छोटी गांठ

हींग                                     चुटकी भर

जीरा                                  1/4 टीस्पून

लाल मिर्च पाउडर               1/2 टीस्पून

नमक                                 स्वादानुसार

ईनो फ्रूट साल्ट                    1 सैशे

तेल                                   1 टेबलस्पून

मक्खन                               1 टिक्की

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विधि

मूंग दाल को धोकर 2 घण्टे के लिए दोगुने पानी में भिगो दें. दो घण्टे बाद पानी निथारकर दाल को अदरक के साथ मिक्सी में बारीक पीस लें. पल्स मोड पर पीसें और यदि पीसने में परेशानी हो तो 1 टीस्पून पानी डाल लें. पिसे मिश्रण को एक बाउल में पलट लें. अब इसमें सभी मसाले और सब्जियां और कॉर्न भली भांति मिलाएं. ईनो फ्रूट सॉल्ट डालकर चलाएं. एक नॉनस्टिक पैन में 1 टीस्पून तेल डालें और तैयार मूंग के मिश्रण को डाल दें. इसे कलछी से फैलाकर एकसार कर दें. ढककर 5 मिनट तक मध्यम आंच पर पकाएं. 5 मिनट बाद पलट दें और चाकू से क्रॉस बनाकर काट लें. बीच में मक्खन रख दें और ढककर पुनः सुनहरा होने तक पकाएं. तैयार मूँगलेट को टोमेटो सॉस या हरी चटनी के साथ परोसें.

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