family story in hindi
family story in hindi
श्वेता खाना खा कर सोने चली गई थी. उस का पति प्रदीप अभी घर नहीं लौटा था. पहले रात के खाने पर श्वेता पति का देर रात तक इंतजार करती थी. कुछ दिनों के बाद प्रदीप ने कहा कि अगर वह 10 बजे तक घर न आए तो खाने पर उस का इंतजार न किया करे. इस के बाद प्रदीप के आने में देर होने पर श्वेता खाना खा कर लेट जाती थी. उस दिन भी वह लेट तो गई थी, मगर उसे नींद नहीं आ रही थी. वह अपने संबंधों के बारे में सोच रही थी. उसे लग रहा था जैसे वह पति की जबरदस्ती का शिकार हो रही है. प्रदीप ज्यादातर देर रात घर लौटता था. इस के बाद कभी सो जाता था, तो कभी श्वेता को शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करने लगता था. नींद के आगोश में पहुंच चुकी श्वेता को तब संबंध बनाना अच्छा नहीं लगता था. श्वेता को कभीकभी लगता जैसे पति प्यार न कर के बलात्कार कर रहा हो.
श्वेता अपने को यह सोच कर समझाती कि पति की शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए ही शादी होती है, इसलिए उसे केवल पति की जरूरतों को पूरा करना चाहिए. इस जोरजबरदस्ती में श्वेता को 4 साल के विवाहित जीवन में 1-2 बार ही ऐसा लगा था कि प्रदीप प्यार के साथ संबंध बना सकता है, ज्यादातर श्वेता जोरजबरदस्ती का ही शिकार बनी थी. इस का प्रभाव उस के ऊपर कुछ इस तरह पड़ा कि वह शारीरिक संबंधों से चिढ़ने लगी. श्वेता और प्रदीप का 1 बेटा था. श्वेता जब कभी अपनी सहेली शालिनी से मिलती तो उसे पता चलता कि उन का पतिपत्नी का रिश्ता मजे में चल रहा है. एक दिन जब श्वेता ने अपनी परेशानी शालिनी को बताई, तो वह उसे सैक्स काउंसलर के पास ले गई.
पति से करें बात
काउंसलर ने बातचीत कर के यह जानने की कोशिश की कि श्वेता की परेशानी क्या है? श्वेता ने काउंसलर को बताया कि उस का पति उस समय उस से सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करता है जब उस का मन नहीं होता है. कई बार जब वह इस के लिए मना करती है, तो वह जोरजबरदस्ती पर उतर आता है. इस से श्वेता का सैक्स संबंधों से मन उचट गया है. काउंसलर रेखा पांडेय ने श्वेता को सलाह देते हुए कहा कि इस बारे में पति से आराम से बात करें और यह बातचीत सैक्स संबंधों के समय न कर के बाद में की जाए. इस के लिए प्यार से पति को मनाने की कोशिश की जाए. अगर पति कभी नशे की हालत में सैक्स संबंध बनाने की कोशिश करे तो उस समय कुछ न कह कर नशा उतरने के बाद बात करें. नशे की हालत में बात समझ में नहीं आती उलटे कभीकभी लड़ाईझगड़े से मामला बिगड़ जाता है.
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पति हर समय गलत होता है, यह भी नहीं मान लेना चाहिए. उसे इस के लिए हमेशा टालना सही नहीं होता है. हो सकता है कि कभी आप का मन न हो, बावजूद इस के आप को सकारात्मक रुख अपनाना चाहिए. सैक्स पति और पत्नी दोनों की जरूरत होती है. इसलिए इस से जुड़ी किसी भी परेशानी को हल करने के लिए पतिपत्नी दोनों को मिल कर सोचना चाहिए. जब आप खुल कर एकदूसरे से बात करेंगे तो सारी गलतफहमियां दूर हो जाएंगी.
क्यों करनी पड़ती जबरदस्ती
सैक्स दांपत्य जीवन की सब से अहम चीज होती है, यह बात पतिपत्नी दोनों को पता होती है. ऐसे में सवाल उठता है कि तब सैक्स संबंध के लिए जबरदस्ती क्यों करनी पड़ती है? कई बार कभी पति या पत्नी को कोई ऐसी बीमारी हो जाती है, जिस से सैक्स संबंधों से मन उचट जाता है. ऐसे में बहुत ही धैर्य और समझदारी की जरूरत होती है. सब से पहले अपने साथी की जरूरत को समझने की कोशिश करें. अगर कोई शारीरिक परेशानी है, तो उस का इलाज किसी योग्य डाक्टर से कराएं. सैक्स की ज्यादातर बीमारियों की वजह मानसिक ही होती है. इस के लिए आपस में बात करें. अगर बात न बने तो मनोरोगचिकित्सक से भी बातचीत कर सकती हैं.
सैक्स के प्रति पत्नी की नकारात्मक सोच ही पति को कभीकभी जबरदस्ती करने के लिए मजबूर करती है. कुछ पत्नियां सैक्स को गंदा काम मान कर उस से संकोच करती हैं. अगर आप भी इसी तरह के विचार रखती हैं, तो यह सही नहीं है. आप के इस तरह के विचार पति को जबरदस्ती करने के लिए उकसाते हैं पति की जबरदस्ती से बचने के लिए इस तरह की नकारात्मक सोच से बचना चाहिए. इस मानसिकता के चलते न तो आप स्वयं कभी खुश रह सकती हैं और न ही पति को खुश रख पाएंगी. ऐसा कर के आप कभी सैक्स का आनंद न स्वयं ले पाएंगी और न कभी अपने पति को ही यह सुख दे पाएंगी. जबरदस्ती से बचने के लिए सैक्स के प्रति अपनी सोच को सकारात्मक बनाएं.
बहाने बनाने से बचें
आमतौर पर पतियों को यह शिकायत होती है कि पत्नियां बहाने बनाती हैं, जिस के चलते जबरदस्ती करनी पड़ती है. इन शिकायतों में बच्चों के बड़े होने, मूड ठीक न होने और घर में एकांत की कमी होना मुख्य कारण होते हैं. रमेश प्रधान का कहना है कि मैं जब भी अपनी पत्नी के साथ सैक्स करने की पहल करता था, वह बच्चों और परिवार का बहाना कर टाल जाती थी. इस का मैं ने हल यह निकाला कि सप्ताह में 1 बार पत्नी को ले कर आउटिंग पर जाने लगा. इस के बाद हमारे संबंध सही रूप से चलने लगे. अब पत्नी को यह अच्छा लगने लगा है. हमारे संबंध अब सहज हो गए हैं. पत्नी के बहाना बनाने का असर यह होता है कि जब कभी पत्नी को हकीकत में कोई परेशानी होगी तब भी पति को लगेगा कि वह बहाना बना रही है.
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अत: मूड न होने पर भी साथी को सहयोग देने की कोशिश करें. इस से उस की जबरदस्ती से बच सकती हैं. पति का समीप आना पत्नी की अंदर की भावनाओं को जगा देता है. इस से पत्नी भी उत्तेजित हो जाती है. पति जबरदस्ती करने से बच जाता है. आप का मूड न हो तो भी उसे बनाया जा सकता है. आप को पति को बताना पड़ेगा कि मूड बनाने के लिए वह क्या करे. अगर कभी पति जबरदस्ती करे तो आप को उसे सहयोग दे कर जबरदस्ती से बचना चाहिए. पति जबरदस्ती करने लगे और आप भी संबंध न बनाने पर अड़ गईं, तो इस से संबंधों में दरार पड़ सकती है.
लेखक- तोषी व्यास
पीठ, हमारे शरीर का अत्यंत महत्वपूर्ण हिस्सा. मगर परेशानी तब शुरू होती है जब इसी हिस्से के दर्द को शुरुवात में हल्के में लिया जाता है. रही सही कसर टीवी पर आने वाले तरह-तरह के मरहम के विज्ञापन पूरी कर देते हैं. कमर दर्द या पीठ का दर्द कई वजहों से हो सकता है जैसे रीढ़ की हड्डियों की कमजोरी या वहां पनप रही कोई समस्या, मांसपेशियों का मजबूत ना होना, किसी प्रकार की कोई नई अथवा पुरानी चोट आदि.
वजह छोटी हो या बड़ी जरूरी यह है कि बिना देर किए समय पर चिकित्सा सलाह लें.
कुछ छोटी-छोटी बातों को अगर ध्यान में रखेंगे तो कमर या पीठ की तकलीफ से बचा जा सकता है.
पोश्चर –
पोश्चर यानी आपके उठने, बैठने, सोने का सही तरीका.
अक्सर देखने में आता है जब भी हम किसी को सीधे बैठने के लिए कहते हैं तो वो तन के बैठ जाते हैं और 5 से 10 मिनट बाद ही थक कर झुक जाते हैं, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपकी मांसपेशियां तनी हुई होने के कारण ज्यादा काम कर रही होती हैं और जल्दी ही थक जाती हैं. सीधे बैठने का अर्थ है सीधी पर आरामदायक अवस्था में पीठ का होना.
पिछले 1 साल में कमर दर्द के मरीजों में इजाफा हुआ है. कई लोग वर्क फ्रम होम होने के बाद से कमर दर्द से परेशान थे .
इसके पीछे सबसे बड़ा कारण पोश्चर का सही ना होना है. आप जब भी लंबे समय के लिए बैठे ध्यान रखें कि आपकी कुर्सी आरामदायक हो. एर्गोनॉमिकली डिजाइन की गई कुर्सी आसानी से बाजार में उपलब्ध है, और अगर वह नहीं है तो बैठते वक्त एक तकिया आपकी कमर के पीछे लगाएं, ध्यान रखें कि तकिया ना तो बहुत कठोर हो ना ही मुलायम. इसके अलावा एक टॉवल को रोल कर के अपनी गर्दन के पीछे रखें .
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पैरों को नीचे लटकाने की बजाय उन्हें किसी स्टूल या पटे पर रखें. दोनों पैरों के बीच में कंधे जितनी दूरी रखें.
लिफ्टिंग पोश्चर –
जब भी आपको कोई सामान नीचे से उठाना हो चाहे छोटा सा हो या बड़ा, आप कभी भी कमर को ना झुकाएं. झुकना कमर के लिए घातक हो सकता है, इसके बजाय दोनों घुटनों को मोड़कर बैठते हुए फिर उठाएं. यदि कोई सामान नीचे से उठाना है और घुटनों में तकलीफ है तो कोई छोटे बाथरूम स्टूल वगैरह का इस्तेमाल कर सकते हैं, उस पर बैठे और फिर उठाएं. झुक कर कभी भी कोई भी चीज ज़मीन से ना उठाएं.
फ्रिज के निचले हिस्से से बार बार कुछ निकालना हो तो भी छोटे स्टूल का इस्तेमाल करें.
एक्सरसाइज-
एरोबिक एक्सरसाइज जैसे तेज़ चलना, तैराकी, साइकिल चलाना आदि और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करने वाली यानी मसल्स स्ट्रैंथनिंग एक्सरसाइज, दोनों ही प्रकार के व्यायाम आपकी पीठ के लिए जरूरी हैं. आप मसल स्ट्रैंथनिंग में केवल पीठ के व्यायाम ना करते हुए पीठ और पेट दोनों के लिए व्यायाम करिए. लचीलापन बना रहे इसलिए स्ट्रेचिंग ज़रूर करें. ब्रीदिंग एक्सरसाइज को भी अपने रूटीन में शामिल करें. एक्सरसाइज शुरू करने से पहले विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.
डायट-
हाई प्रोटीन डाइट और हाई कैलशियम डायट का उपयोग करें . दही, मट्ठा, छाछ या अन्य डेयरी पदार्थ और प्रोटीन से भरपूर जैसे साबुत अनाज, अंडे आदि जरूर अपनी डाइट में शामिल करें.
स्लीपिंग पोश्चर –
6 से 8 घंटे की भरपूर नींद लें और ध्यान रखें सोते वक्त आपका गद्दा आरामदायक हो और आपकी कमर को अच्छी तरह से सपोर्ट करता हों. गद्दा ना बहुत मुलायम रखें ना ही बहुत कड़क. जितना गद्दा फर्म होगा उतना ही आपकी कमर के लिए अच्छा है.
रूटीन मेडिकल चेकअप –
समय-समय पर अपना मेडिकल चेकअप ज़रूर करवाते रहें और खासकर आपका सीरम कैल्शियम और विटामिन डी का टेस्ट समय समय पर जरूर करवाते रहें ताकि समय रहते आप किसी भी कमी को पूरा कर सकें.
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नशे से दूरी बनाएं-
किसी भी तरह के नशे से दूर रहें. अल्कोहल या शराब, सिगरेट, तंबाकू आदि के नशे से जितना हो सके दूर रहें.
ध्यान रखें कि आपका शरीर एक ही अवस्था में लंबे समय तक ना रहे. यदि बैठ कर लंबे समय काम करते हैं तो छोटे छोटे ब्रेक लें जैसे हर 40 से 50 मिनिट पर अपनी कुर्सी से उठें, स्ट्रेचिंग करें, पानी पिएं और फिर काम शुरू करें.
ऊपर दी गई बातों को ध्यान में रखने के बाद भी यदि कमर दर्द होता है तो बिना देर किए विशेषज्ञ की सलाह लें.
डॉ. तोषी व्यास
सीनियर फ़िज़ियोथैरेपिस्ट
भोपाल
धीरेधीरे स्वाति ने उन से बात करना कम कर दिया. वह उन से दूर ही छिटकी रहती. वे कुछ कहतीं तो उन की बातें एक कान से सुनती, दूसरे कान से निकाल देती. पोती के बाद उन का विरोध अपनी बहू से भी था. उसे सीधेसीधे टोकने के बजाय रमानंदजी से कहतीं, ‘बहुत सिर चढ़ा रखा है बहू ने स्वाति को. मुझे तो डर है, कहीं उस की वजह से इन दोनों की नाक न कट जाए.’ रमानंदजी चुपचाप पीतल के शोपीस चमकाते रहते. सिद्धेश्वरीजी का भाषण निरंतर जारी रहता, ‘बहू खुद भी तो सारा दिन घर से बाहर रहती है. तभी तो, न घर संभल पा रहा है न बच्चे. कहीं नौकरों के भरोसे भी गृहस्थी चलती है?’
‘बहू की नौकरी ही ऐसी है. दिन में 2 घंटे उसे घर से बाहर निकलना ही पड़ता है. अब काम चाहे 2 घंटे का हो या 4 घंटे का, आवाजाही में भी समय निकलता है.’
‘जरूरत क्या है नौकरी करने की? समीर अच्छा कमाता ही है.’
‘अब इस उम्र में बहू मनकों की माला तो फेरने से रही. पढ़ीलिखी है. अपनी प्रतिभा सिद्ध करने का अवसर मिलता है तो क्यों न करे. अच्छा पैसा कमाती है तो समीर को भी सहारा मिलता है. यह तो हमारे लिए गौरव की बात है.’ इधर, रमानंदजी ने अपनेआप को सब के अनुसार ढाल लिया था. मजे से पोतापोती के साथ बैठ कर कार्टून फिल्में देखते, उन के लिए पिज्जा तैयार कर देते. बच्चों के साथ बैठ कर पौप म्यूजिक सुनते. पासपड़ोस के लोगों से भी उन की अच्छी दोस्ती हो गई थी. जब भी मन करता, उन के साथ ताश या शतरंज की बाजी खेल लेते थे.
बहू के साथ भी उन की खूब पटती थी. रमानंदजी के आने से वह पूरी तरह निश्चिंत हो गई थी. अनिरुद्ध को नियमित रूप से भौतिकी और रसायनशास्त्र रमानंदजी ही पढ़ाते थे. उस की प्रोजैक्ट रिपोर्ट भी उन्होंने ही तैयार करवाई थी. बच्चों को छोड़ कर शालिनी पति के साथ एकाध दिन दौरे पर भी चली जाती थी. रमानंदजी को तो कोई असुविधा नहीं होती थी पर सिद्धेश्वरीजी जलभुन जाती थीं. झल्ला कर कहतीं, ‘बहू को आप ने बहुत छूट दे रखी है.’
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रमानंदजी चुप रहते, तो वे और चिढ़ जातीं, ‘अपने दिन याद हैं? अम्मा जब गांव से आती थीं तो हम दोनों का घूमनाफिरना तो दूर, साड़ी का पल्ला भी जरा सा सिर से सरकता तो वे रूठ जाती थीं.’
‘अपने दिन नहीं भूला हूं, तभी तो बेटेबहू का मन समझता हूं.’
‘क्या समझते हो?’
‘यही कि अभी इन के घूमनेफिरने के दिन हैं. घूम लें. और फिर बहू हमारे लिए पूरी व्यवस्था कर के जाती है. फिर क्या परेशानी है?’
‘परेशानी तुम्हें नहीं, मुझे है. बुढ़ापे में घर संभालना पड़ता है.’
‘जरा सोचो, बहू तुम्हारे पर विश्वास करती है, इसीलिए तो तुम्हारे भरोसे घर छोड़ कर जाती है.’
सिद्धेश्वरीजी को कोई जवाब नहीं सूझता था. उन्हें लगता, पति समेत सभी उन के खिलाफ हैं.
दरअसल, वे दिल की इतनी बुरी नहीं हैं. बस, अपने वर्चस्व को हमेशा बरकरार रखने की, अपना महत्त्व जतलाने की आदत से मजबूर थीं. उन की मरजी के बिना घर का पत्ता तक नहीं हिलता था. यहां तक कि रमानंदजी ने भी कभी उन से तर्क नहीं किया था. बेटे के यहां आ कर उन्होंने देखा, सभी अपनीअपनी दुनिया में मगन हैं, तो उन्हें थोड़ी सी कोफ्त हुई. उन्हें ऐसा महसूस होने लगा जैसे वे अब एक अस्तित्वविहीन सा जीवन जी रही हों. पिछले हफ्ते से एक और बात ने उन्हें परेशान कर रखा था. स्वाति को आजकल मार्शल आर्ट सीखने की धुन सवार हो गई थी. उन्होंने रोकने की कोशिश की तो वह उग्र स्वर में बोली, ‘बड़ी मां, आज के जमाने में अपनी सुरक्षा के लिए ये सब जरूरी है. सभी सीख रहे हैं.’
पोती की ढिठाई देख कर सिद्धेश्वरीजी सातवें आसमान से सीधी धरातल पर आ गिरीं. उस से भी अधिक गुस्सा आया अपने बहूबेटे पर, जो मूकदर्शक बने सारा तमाशा देख रहे थे. बेटी को एक बार टोका तक नहीं. और अब, इस हरिया माली की, गुलाब का फूल न तोड़ने की हिदायत ने आग में घी डालने जैसा काम किया था. एक बात का गुस्सा हमेशा दूसरी बात पर ही उतरता है, इसीलिए उन्होंने घर छोड़ कर जाने की घोषणा कर दी थी.
‘‘मां, हम बाहर जा रहे हैं. कुछ मंगाना तो नहीं है?’’
सिद्धेश्वरीजी मुंह फुला कर बोलीं, ‘‘इन्हें क्या मंगाना होगा? इन के लिए पान का जुगाड़ तो माली, नौकर यहां तक कि ड्राइवर भी कर देते हैं. हमें ही साबुन, क्रीम और तेल मंगाना था. पर कहें किस से? समीर भी आजकल दौरे पर रहता है. पिछले महीने जब आया था तो सब ले कर दे गया था. जिस ब्रैंड की क्रीम, पाउडर हम इस्तेमाल करते हैं वही ला देता है.’’
‘‘मां, हम आप की पसंदनापसंद का पूरा ध्यान रखते हैं. फिर भी कुछ खास चाहिए तो बता क्यों नहीं देतीं? समीर से कहने की क्या जरूरत है?’’
बहू की आवाज में नाराजगी का पुट था. पैर पटकती वह घर से बाहर निकली, तो रमानंदजी का सारा आक्रोश, सारी झल्लाहट पत्नी पर उतरी, ‘‘सुन लिया जवाब. मिल गई संतुष्टि. कितनी बार कहा है, जहां रहो वहीं की बन कर रहो. पिछली बार जब नेहा के पास मुंबई गई थीं तब भी कम तमाशे नहीं किए थे तुम ने. बेचारी नेहा, तुम्हारे और जमाई बाबू के बीच घुन की तरह पिस कर रह गई थी. हमेशा कोई न कोई ऐसा कांड जरूर करती हो कि वातावरण में सड़ी मच्छी सी गंध आने लगती है.’’ पछता तो सिद्धेश्वरीजी खुद भी रही थीं, सोच रही थीं, बहू के साथ बाजार जा कर कुछ खरीद लाएंगी. अगले हफ्ते मेरठ में उन के भतीजे का ब्याह है. कुछ ब्लाउज सिलवाने थे. जातीं तो बिंदी, चूडि़यां और पर्स भी ले आतीं. बहू बाजार घुमाने की शौकीन है. हमेशा उन्हें साथ ले जाती है. वापसी में गंगू चाट वाले के गोलगप्पे और चाटपापड़ी भी जरूर खिलाती है.
रमानंदजी को तो ऐसा कोई शौक है नहीं. लेकिन अब तो सब उलटापुलटा हो गया. क्यों उन्होंने बहू का मूड उखाड़ दिया? न जाने किस घड़ी में उन की बुद्धि भ्रष्ट हो गई और घर छोड़ने की बात कह दी? सब से बड़ी बात, इस घर से निकल कर जाएंगी कहां? लखनऊ तो कब का छोड़ चुकीं. आज तक गांव में एक हफ्ते से ज्यादा कभी नहीं रहीं. फिर, पूरा जीवन कैसे काटेंगी? वह भी इस बुढ़ापे में, जब शरीर भी साथ नहीं देता है. शुरू से ही नौकरों से काम करवाने की आदी रही हैं. बेटेबहू के घर आ कर तो और भी हड्डियों में जंग लग गया है.
सभी चुपचाप थे. शालिनी रसोई में बाई के साथ मिल कर रात के खाने की तैयारी कर रही थी. और स्वाति, जिस की वजह से यह सारा झमेला हुआ, मजे से लैपटौप पर काम कर रही थी. सिद्धेश्वरीजी पति की तरफ मुखातिब हुईं और अपने गुस्से को जज्ब करते हुए बोलीं, ‘‘चलो, तुम भी सामान बांध लो.’’
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‘‘किसलिए?’’ रमानंदजी सहज भाव से बोले. उन की नजरें अखबार की सुर्खियों पर अटकी थीं.
‘‘हम, आज शाम की गाड़ी से ही चले जाएंगे.’’
रमानंदजी ने पेपर मोड़ कर एक तरफ रखा और बोले, ‘‘तुम जा रही हो, मैं थोड़े ही जा रहा हूं.’’
‘‘मतलब, तुम नहीं जाओगे?’’
‘‘नहीं,’’ एकदम साफ और दोटूक स्वर में रमानंदजी ने कहा, तो सिद्धेश्वरीजी बुरी तरह चौंक गईं. उन्हें पति से ऐसे जवाब की उम्मीद नहीं थी. मन ही मन उन का आत्मबल गिरने लगा. गांव जा कर, बंद घर को खोलना, साफसफाई करना, चूल्हा सुलगाना, राशन भरना उन्हें चांद पर जाने और एवरेस्ट पर चढ़ने से अधिक कठिन और जोखिम भरा लग रहा था. पर क्या करतीं, बात तो मुंह से फिसल ही गई थी. पति के हृदयपरिवर्तन का उन्हें जरा भी आभास होता तो यों क्षणिक आवेश में घर छोड़ने का निर्णय कभी न लेतीं. हिम्मत कर के वे उठीं और अलमारी में से अपने कपड़े निकाल कर बैग में रख लिए. ड्राइवर को गाड़ी लाने का हुक्म दे दिया. कार स्टार्ट होने ही वाली थी कि स्वाति बाहर निकल आई. ड्राइवर से उतरने को कह कर वह स्वयं ड्राइविंग सीट पर बैठ गई और सधे हाथों से स्टीयरिंग थाम कर कार स्टार्ट कर दी. सिद्धेश्वरीजी एक बार फिर जलभुन गईं. औरतों का ड्राइविंग करना उन्हें कदापि पसंद नहीं था. बेटा या पोता, कार ड्राइव करे तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती थी. वे यह मान कर चलती थीं कि ‘लड़कियों को लड़कियों की तरह ही रहना चाहिए. यही उन्हें शोभा देता है.’
इसी उधेड़बुन में रास्ता कट गया. कार स्टेशन पर आ कर रुकी तो सिद्धेश्वरीजी उतर गईं. तुरतफुरत अपना बैग उठाया और सड़क पार करने लगीं. उतावलेपन में पोती को साथ लेने का धैर्य भी उन में नहीं रहा. तभी अचानक एक कार…पीछे से किसी ने उन का हाथ पकड़ कर खींच लिया. और वे एकदम से दूर जा गिरीं. फिर उन्हीं हाथों ने सिद्धेश्वरीजी को सहारा दे कर कार में बिठाया. ऐसा लगा जैसे मृत्यु उन से ठीक सूत भर के फासले से छू कर निकल गई हो. यह सब कुछ दो पल में ही हो गया था. उन का हाथ थाम कर खड़ा करने और कार में बिठाने वाले हाथ स्वाति के थे. नीम बेहोशी की हालत से उबरीं तो देखा, वे अस्पताल के बिस्तर पर थीं. रमानंदजी उन के सिरहाने बैठे थे. समीर और शालिनी डाक्टरों से विचारविमर्श कर रहे थे. और स्वाति, दारोगा को रिपोर्ट लिखवा रही थी. साथ ही वह इनोवा कार वाले लड़के को बुरी तरह दुत्कारती भी जा रही थी. ‘‘दारोगा साहब, इस सिरफिरे बिगड़ैल लड़के को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइएगा. कुछ दिन हवालात में रहेगा तो एहसास होगा कि कार सड़क पर चलाने के लिए होती है, किसी की जान लेने के लिए नहीं. अगर मेरी बड़ी मां को कुछ हो जाता तो…?’’
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हँसना और हसाना मेरी जिंदगी की सबसे अहम् पहलू है….. अगर इसे हुनर के द्वारा कहने को मिले……तो ख़ुशी होती है….मैं कई बार कुछ सालों तक अच्छी स्क्रिप्ट के लिए इंतज़ार कर सकता हूँ…..पर किसी भी चरित्र को निभा नहीं सकता.
ऐसी ही कुछ बातों को हँसते हुए कहने वाले अभिनेता सुमित राघवन सोनी सब टीवी शो ‘बागले की दुनिया नई पीढ़ी नये किस्से’ में काम कर रहे है. उन्होंने डबिंग, थिएटर, फिल्मों और टीवी शो, सभी में काम किया है, उनकी सबसे चर्चित शो ‘साराभाई वर्सेज साराभाई’ थी, जिसकी वजह से वे घर-घर जाने गए, इस शो को आज भी सुमित की दिल के करीब मानते है. सुमित का अभिनय में आना एक इत्तफाक था, लेकिन अब वे इसे एन्जॉय करते है. थिएटर में काम के दौरान उनकी मुलाकात मराठी थिएटर, फिल्म और धारावाहिक आर्टिस्ट चिन्मयी सुर्वे से हुई. सुमित को उनकी सादगी पसंद आई, दोनों में प्यार हुआ और शादी की. इसके बाद दोनों नीरद सुमित और दिया सुमीत के पेरेंट्स बने. बात-बात में हंसने वाले सुमित ने खास गृहशोभा के लिए बात की, पेश है, कुछ खास अंश.
सवाल-‘बागले की दुनिया नयी पीढ़ी नए किस्से’ में आपकी भूमिका से आप कितने संतुष्ट है?
मुझे राजेश बागले की भूमिका करने में बहुत अच्छा मजा आ रहा है, जिसे शब्दों में बताना संभव नहीं. मैंने हमेशा गिने चुने काम करना पसंद किया है. इससे पहले मैंने ‘बड़ी दूर से आये है’, शो किया था, इसके बाद मैंने 4 साल तक काम नहीं किया. कुछ अच्छा और ढंग के शो आने पर मैं काम करता हूँ. जब पहली बार इस शो को करने के लिए कहा गया था तो मैंने इसे करने के लिए सौ प्रतिशत तैयार हो गया, क्योंकि ये एक अनोखा और चर्चित शो है. आज से 32 साल पहले मैं जब कॉलेज में था, तो मैंने इस शो को देखा था और मुझे इसमें नई जेनरेशन को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल रहा है, इससे अच्छी बात कुछ नहीं हो सकती. इसके अलावा इसमें मैं पुरानी शो के दिग्गज कलाकार भारती सिंह और अंजन श्रीवास्तव की जोड़ी के साथ अभिनय करना मेरे लिए अद्भुत है. इसे केवल मैं ही नहीं, मेरे माता-पिता भी इस शो को देख रहे है, क्योंकि उन्होंने पहली शो ‘बागले की दुनिया’ देखी है. इस शो की हर एपिसोड अलग विषय है, जिसमें चाइल्ड मोलेस्टेशन, चाइल्ड ट्राफिकिंग आदि कई विषयों पर बन रहे है, जिसे दर्शक सराह रहे है.
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सवाल-आपने डबिंग से लेकर एक्टिंग फिल्मों, वेब और धारावाहिकों में काम किया है, किसे करते हुए आपको अच्छा लगता है?
मैं हमेशा से गिने चुने काम करता हूँ. एक कलाकार के लिए उसका नाम होना, जिससे वह पोपुलर हो जाय, सबसे जरुरी होता है. ये नाटक, फिल्म और टीवी शो सभी में मिल सकता है, लेकिन मुझे नाम, पैसा और काम सब टीवी में मिला है. डिजिटल आने के बाद आज भी टीवी के दर्शक है और उसे हिलाना संभव नहीं.
सवाल-मनोरंजन की दुनिया में आपने एक लम्बा समय बिताया है, क्या कोई मलाल रह गया है?
कोई मलाल नहीं है, क्योंकि मैंने जो चाहा धीरे-धीरे पूरा हुआ और मुझे बहुत ख़ुशी मिली है. मैं मानता हूँ कि अगर किसी काम से आप खुश नहीं है, तो आप दूसरों को किसी प्रकार की ख़ुशी नहीं दे सकते. ये बातें सुमित राघवन के साथ भी लागू होती है. मेरा खुश रहना जरुरी है, ताकि मैं अपने पेरेंट्स, पत्नी और बच्चों को ख़ुशी दे सकूँ.
सवाल-आप के दिल के करीब कौन सी शो है और क्यों ?
साराभाई वर्सेज साराभाई शो मेरे दिल के करीब है, क्योंकि इस शो की कहानी और ह्यूमर बहुत ही सुंदर तरीके से पेश किया गया था. मजे की बात यह है कि 16 साल पहले ये शो एकदम नहीं चली, जबकि सभी ने इसके लिए काफी मेहनत की थी. दर्शकों को पसंद नहीं आ रही थी, इसलिए यह शो सप्ताह में केवल एक दिन आता था. इसके बाद जब इस शो की एक दिन की एपिसोड को बार-बार रिपीट किया जाने लगा और लोगों ने देखा, तो सबको पसंद आने लगा. ये सही है कि मेहनत से किया गया कोई भी काम हमेशा सफल होता है.
सवाल-एक्टिंग में आना एक इत्तफाक था या बचपन से सोचा था? परिवार का सहयोग कितना रहा?
36 साल की इस जर्नी में एक्टिंग, एक इत्तफाक ही था. 13 साल की उम्र में स्कूल की छुट्टियों में पेरेंट्स ने एक्टिंग क्लास में डाल दिया, ताकि मैं कुछ समय के लिए व्यस्त रहूँ. वहां मुझे एक्टिंग का चस्का लग गया. किसी भी सिचुएशन को दिए जाने के बाद उसे एक्ट करना मेरे लिए एक अद्भुत अनुभूति थी. थोड़े दिनों बाद मुझे एक धारावाहिक में काम मिला और मेरी एक्टिंग शुरू हो गयी.
मेरे माता-पिता ने मुझे पहले ही कह दिया था कि उनके पास अधिक पैसे और इंडस्ट्री की कोई पहचान नहीं है, इसलिए जो भी काम मैं करूँ ,सोच समझ कर करूँ. लेकिन उन्होंने और बड़े भाई की वजह से मैं यहाँ तक पहुँच पाया.
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सवाल-आप चिन्मयी सुर्वे से कैसे मिले, उनकी किस बात से आप आकर्षित हुए?
मैं उनसे थिएटर में मिला था, हमारी लव मैरिज हुई है. मुझे उसकी बातचीत रहन-सहन सब अच्छा लगता था, कुछ दिनों तक हम मिले फिर शादी का प्रस्ताव दिया. परिवार वाले मान गए और शादी हो गयी.
सवाल-आप दोनों के काम को बच्चे कितना सराहते है?
नया काम आने पर हम दोनों बच्चों से डिस्कस करते है, उनकी राय लेते है, क्योंकि बेटा 24 और बेटी 19 वर्ष की है. बच्चों की राय लेने से उनकी रिएक्शन कहानी के बारें में पता चलता है. इसके अलावा बेटा म्यूजिशियन और बेटी फोटोग्राफी सीख रही है.
सवाल-आगे की योजनाएं क्या है? हिंदी फिल्मों में आगे कब आने वाले है?
अधिक से अधिक हिंदी फिल्मों में अभिनय करने की बहुत इच्छा है और अच्छे स्क्रिप्ट का इंतज़ार कर रहा हूँ. मुझे रिश्तें और कॉमेडी पर आधारित फिल्मे करने की इच्छा है, क्योंकि मैने सालों से कॉमेडी में काम करता आया हूँ और कॉमेडी के साथ रिश्तों को दिखाना मुझे पसंद है.
सवाल-जीवन जीने का मन्त्र क्या है?
चिंता न करें, जो मिला है, उसी में खुश रहना सीखे. इसके अलावा जो भी काम मिलता है, उसे मेहनत और लगन से करें.
सीरियल गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) के सई और विराट की कहानी इन दिनों कई उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहे हैं, जिसके चलते शो दर्शकों के बीच छाया हुआ है. वहीं आने वाले एपिसोड में सीरियल की कहानी में दिलचस्प मोड़ आने वाला है, जिसके चलते सम्राट और पाखी के रिश्ते में भी दरार आ जाएगी. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….
विराट को मिली सई के एक्सीडेंट की खबर
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अब तक आपने देखा कि सई चव्हाण निवास से और विराट की जिंदगी से दूर जाती है. लेकिन रास्ते में वह हादसे का शिकार हो जाती है और वह अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच खड़ी नजर आती है. दूसरी तरफ हादसे की खबर मिलते ही पूरा परिवार अस्पताल जाता है. जहां सम्राट अस्पताल जाकर सई की हालत देखता है और विराट को सच बताता है और उसे अस्पताल आने के लिए कहता है क्योंकि सई की सर्जरी के लिए उसके पति के साइन चाहिए.
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विराट को भारी पड़ी गलती
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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई के एक्सीडेंट की खबर मिलते ही विराट दौड़ा दौड़ा अस्पताल जाएगा. लेकिन सई के दोस्त उसे वहीं रोक लेंगे क्योंकि उसके कारण ही सई ने घर छोड़ा है. लेकिन विराट सभी से विनती करेगा कि उसे सई को देखने दे. इसी बीच सई की सास विराट को समझाएगी कि दोनों के अलग होने से किसी ना किसी की जिंदगी पर खतरा आ जाता है.
सम्राट को होगा एहसास
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एक तरफ जहां सई की सलामती के लिए पूरा परिवार दुआ मांगेगा तो वहीं सम्राट को पाखी और विराट के रिश्ते पर गलतफहमी होगी. दरअसल, पाखी, विराट से मिलने जाएगी और उसे समझाएगी कि वह टेंशन ना ले. लेकिन विराट उसका हाथ पकड़कर टूट जाएगा और कहेगा कि वह प्रार्थना करे कि सई बच जाए. इसी बीच सम्राट दोनों को हाथ पकड़े देख लेगा, जिसके बाद वह दोनों के बीच रिश्ता होने की गलतफहमी का शिकार हो जाएगा. हालांकि पाखी उसे समझाती नजर आएगी.
स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा की कहानी दिलचस्प होती जा रही है. वहीं आने वाले दिनों में मेकर्स द्वारा नए-नए ट्विस्ट भी फैंस को हैरान करने वाले हैं. दरअसल, जहां एक तरफ अनुपमा अपने सपनों की उड़ान भर रही है तो वहीं वनराज और काव्या को उसका ये सपना खल रहा है, जिसके चलते वह शाह परिवार में उसके खिलाफ जहर खोलते नजर आ रहे हैं. इसी बीच सीरियल में कुछ ऐसा होने वाला है, जिसे देखकर फैंस हैरान रह जाएंगे. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…
हवन में साथ बैठे अनुज-अनुपमा
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अब तक आपने देखा कि कि अनुपमा और अनुज कपाड़िया के नए बिजनेस की शुरुआत के लिए भूमि पूजन की तैयारियां करते हैं. लेकिन, वनराज और बा इस बात को लेकर नाखुश नजर आते हैं, जिसके चलते बा भूमि पूजन का कार्ड फाड़ देती है और ना जाने का फैसला करती है. लेकिन पूजा के दौरान तीनों वहां पहुंच जाते हैं. दूसरी तरफ, अनुपमा और अनुज कपाड़िया भूमि पूजन के दौरान हवन में बैठते हैं. जहां पंडित, अनुपमा और अनुज के हाथ की छाप एक कागज में लगाते के लिए कहता है. लेकिन वह छाप वनराज की शर्ट पर लग जाती है, जिससे डरकर काव्या कहती है कि अब वह कोई ड्रामा ना करे.
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परिवार के बदलेंगे रिश्ते
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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि वनराज के कारण अनुपमा के रिश्तों में बदलाव देखने को मिलेगा. दरअसल, अनुज और अनुपमा की पार्टनरशिप के कारण जहां बापूजी, अनुपमा का साथ देंगे तो वहीं बा कहेगी कि अगर वह अपनी बेटी को नहीं रोक सकते तो वह भी अपने बेटे को नहीं रोकेंगी. दूसरी तरफ समर और पाखी, अनुज के साथ दोस्ती करते नजर आएंगे.
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वनराज ने लगाया इल्जाम
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अनुपमा के बदलते रिश्तों के बीच वनराज एक बार फिर उसके चरित्र पर सवाल उठाता नजर आएगा. दरअसल, वनराज, शाह परिवार को बताएगा कि अनुज कपाड़िया ने उसका प्रपोजल भी एक्सेप्ट कर लिया है. वहीं अनुज पर वह तंज कसते हुए कहेगा कि ये रिश्वत है या फिर भीख, जो अनुज उसे देना चाहता है ताकि वह अनुपमा और अनुज के रिश्ते पर आंख बंद कर ले और उन्हें कोई कुछ ना कहे. साथ ही औफर लेटर को हवन की आग में फेंक देगा, जिस पर अनुज का खून खौल उठेगा और वह कहेगा कि ये प्रपोजल उसने नहीं बल्कि उसकी टीम ने वनराज को भेजा है. दूसरी तरफ अनुपमा, वनराज को परिवार के सामने खरी खोटी सुनाएगी.
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मनरेगा कर्मियों को दशहरा और दीपावली के पहले बड़ा तोहफा दिया है. उन्होंने मनरेगा कर्मियों के मानदेय वृद्धि की इसी माह से देने की घोषणा की है.
उन्होंने मनरेगा कर्मियों के लिए उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की तरह एचआर पालिसी एक माह के अंदर लाने की घोषणा की है, जिसमें आकष्मिक अवकाश 24 दिन और चिकित्सा अवकाश 12 दिन मिलेगा. यह बातें उन्होंने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी सम्मेलन के दौरान कहीं.
कार्यक्रम का आयोजन डिफेंस एक्सपो मैदान वृंदावन लखनऊ में किया गया था. सीएम योगी ने मनरेगा कर्मियों के जॉब चार्ट में ग्राम्य विकास विभाग के कई अन्य कार्यों को भी जोड़ने का ऐलान किया है. साथ ही उन्होंने कहा कि रोजगार सेवक की सेवा समाप्ति के पूर्व उपायुक्त मनरेगा की सहमति आवश्यक होगी. यानि कोई जबरदस्ती नहीं हटा पाएगा.
उन्होंने कहा कि ग्राम रोजगार सेवक यदि नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान के निकटतम संबंधी या परिवारीजन हैं, तो उन्हें निकटतम रिक्त ग्राम पंचायत में तैनात किया जाएगा. उनकी सेवाएं समाप्त नहीं होंगी. इसी तरह उन्होंने महिला ग्राम रोजगार सेविका के विवाह के बाद उन्हें नए जिले में तैनात किया जाएगा. इसके अलावा सभी महिला संविदा कार्मिकों 180 दिन का मातृत्व अवकाश लागू कर दिया गया है.
सीएम योगी ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले राज्य स्तर पर अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार आदि, विकास खंड के अधिकारियों, कई मनरेगा कर्मियों को प्रशस्ति पत्र देकर पुरस्कृत भी किया. इस दौरान ग्राम्य विकास एवं समग्र ग्राम विकास विभाग के मंत्री राजेंद्र प्रताप सिंह मोती सिंह और राज्य मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ल ने भी कार्यक्रम को संबोधित किया.
इन मनरेगा कर्मियों का बढ़ा मानदेय
सीएम योगी ने मनरेगा कर्मियों को अब ग्राम रोजगार सेवकों को 10 हजार, तकनीकी सहायकों को 15,656, कंप्यूटर आपरेटरों को 15,156, अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी को 34,140, लेखा सहायक को 15,156, आपरेशन सहायक को 18,320, हेल्पलाइन एक्जीक्यूटिव को 18,320, चतुर्थ श्रेणी कर्मी को नौ हजार, ब्लॉक सोशल आडिट कोआर्डिनेटर को 14,100, डिस्ट्रिक्ट सोशल आडिट कोआर्डिनेटर को 19 हजार नौ सौ रुपए का मानदेय अक्तूबर माह से देने की घोषणा की है.
भ्रष्टाचार संज्ञान में आए, तो करें कठोरता पूर्वक कार्यवाही: सीएम योगी
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का यह संकल्प है कि भ्रष्टाचार मुक्त पूणर्त: पारदर्शी ढंग से लाभार्थियों को योजनाओं का लाभ उपलब्ध कराया जाए और जहां कहीं भी भ्रष्टाचार के प्रकरण संज्ञान में आएं, उसमें कठोरता पूर्वक कार्यवाही भी की जाए. उन्होंने कहा कि विभाग को इस वर्ष कम से कम 20 लाख परिवारों को सौ दिन का रोजगार देते हुए 13 हजार करोड़ का कार्य कराना चाहिए. महिला मेटों का समयबद्ध ढंग से प्रशिक्षण होने पर ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली महिलाओं के स्वावलंबन में बड़ी भूमिका हो सकती है.
225 करोड़ रुपए स्वीकृत कर दिया ग्राम रोजगार सेवकों को मानदेय
उन्होंने कहा कि मुझे याद है, जब ग्राम रोजगार सेवकों को कई-कई वर्षों से मानदेय का भुगतान नहीं हो पाता था. यह बात अकसर हमारे सामने आती थी. हमने कहा कि यह सभी लोग शासन से अल्प मानदेय पाते हैं और इसे भी हम कई-कई वर्षों तक न दें, तो अन्याय है. तत्काल हमने शासन से 225 करोड़ रुपए स्वीकृत किए और विभाग ने समयबद्ध ढंग से पहुंचाने का कार्य किया. इसी प्रकार से अप्रैल 2020 में मनरेगा संविदा कर्मियों का भुगतान राज्य स्तरीय केंद्रीयकृत पूल के माध्यम से जो पहले नहीं हो पाता था, उसे अब सीधे उनके खाते में भेजने की व्यवस्था कर दी गई है.
बढ़ती उम्र पर लगाम लगाने की चाह हर महिला की होती है और इस चाह को पूरा करने के लिए वह ब्यूटी ट्रीटमैंट के तौर पर फ्रूट फेशियल, चौकलेट फेशियल व औक्सी फेशियल की तकनीक अपनाती है. लेकिन क्या आप जानती हैं कि वाइन भी आप की बढ़ती उम्र पर लगाम लगाने के साथसाथ आप के सौंदर्य को बढ़ाने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है? आप हैरान हो रही होंगी कि भला वाइन खूबसूरती निखारने व बढ़ती उम्र पर लगाम लगाने में कैसे मददगार हो सकती है?
आप जैसी अनेक महिलाओं की वाइन फेशियल से जुड़ी इस जिज्ञासा को दूर करने का प्रयास किया दिल्ली प्रैस भवन में आयोजित गृहशोभा की फेब मीटिंग में ब्यूटी ऐक्सपर्ट मीनू अरोड़ा ने. मीनू अरोड़ा ने वाइन फेशियल के फायदे बताते हुए इसे करने का तरीका भी बताया.
वाइन फेशियल प्रक्रिया:
वाइन फेशियल में इस्तेमाल किए जाने वाले काले अंगूरों में मुख्यरूप से विटामिन ई, ऐंटोसिनो साइड्स, पौलीफेनोल, प्रोसिया निडोल्स और ऐंटीऔक्सीडैंट्स जैसे तत्त्व पाए जाते हैं. वाइन के ऐंटीसैप्टिक होने के कारण वह त्वचा में आने वाली सूजन व झुर्रियों को भी कम करती है. इतना ही नहीं, त्वचा की डैड स्किन निकालने में भी मदद करती है.
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क्लींजिंग व स्क्रबिंग:
अन्य फेशियलों की तरह वाइन फेशियल की शुरुआत भी क्लींजिंग, स्क्रबिंग व टोनिंग से की जाती है. त्वचा की क्लींजिंग के लिए थोड़े से कच्चे दूध में 2 छोटे चम्मच ऐप्पल वाइन, 2 बूंदें रैड वाइन और गुलाब की पत्तियों की पीस कर मिलाएं और अच्छी तरह मिक्स करें. फिर कौटन बौल की सहायता से इस से त्वचा की क्लींजिंग करें. इस से त्वचा को मिनरल्स मिलते हैं. इस के बाद 200 एमएल गरम पानी में 1 छोटा चम्मच बोरिक ऐसिड मिला कर घोल बनाएं. उस घोल में कौटन भिगो कर चेहरे को हौट कंप्रैशन दें. इस से त्वचा के ब्लैकहैड्स व व्हाइटहैड्स निकलने में मदद मिलेगी. इस के बाद रोजवाटर का टोनर लगाएं ताकि ओपन पोर्स बंद हो जाएं. अब एकदम ठंडे नारियल पानी में कौटन डुबो कर चेहरे पर कोल्ड कंप्रैशन दें.
मसाज:
ऐलोवेरा जैल में रैड वाइन मिक्स कर के 3 मिनट तक गैलवेमिक नैगेटिव व 3 मिनट तक गैलवेनिक पौजिटिव मसाज दें. आप चाहें तो मसाज मिक्सचर में विटामिन ई औयल भी डाल सकती हैं. गैलवेनिक मसाज देते समय ग्रेप्स जूस भी चेहरे पर डालती रहें.
पैक:
अंत में गौज को रैड वाइन में डुबो कर चेहरे पर रखें व ऊपर से काले अंगूरों का पल्प लगाएं. 10 मिनट बाद पैक को उतार दें. इस पैक से त्वचा के उत्तक तो रिपेयर होते ही हैं, साथ ही त्वचा को टाइटनिंग इफैक्ट भी मिलता है. अंत में चेहरे पर सनब्लौक क्रीम या सनस्क्रीन लगाएं. सनस्क्रीन लगाने से सनबर्न व टैनिंग होने की संभावना कम हो जाती है.
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त्वचा के अनुसार करें वाइन का चुनाव:
अलगअलग प्रकार की त्वचा के लिए अलगअलग तरह की वाइन का प्रयोग किया जाता है. जहां तैलीय त्वचा के लिए रैड वाइन बेहतर रहती है और वह ऐलोवेरा मिला कर प्रयोग की जाती है, वहीं सूखी त्वचा के लिए व्हाइट वाइन में मौजूद अल्फा हाइड्रौक्सी ऐसिड्स त्वचा के लिए असरदार साबित होते हैं. इस से त्वचा मुलायम होती है. अगर त्वचा सैंसिटिव हो तो व्हाइट वाइन में गुलाबजल और बादाम का पेस्ट भी मिलाया जाता है. रैड वाइन में मौजूद ऐंटीऐजिंग तत्त्व त्वचा को रिजुवनेट और डिहाइड्रेट करते हैं. यही नहीं ये पिगमैंटेशन को रोकते हुए ऐजिंग प्रोसैस पर भी लगाम लगाते हैं.
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