जानें क्या है Drashti Dhami की फिटनेस का राज, पढ़ें इंटरव्यू

दृष्टि धामी इंडियन मौडल होने के साथसाथ चर्चित ऐक्ट्रैस भी हैं. उन्होंने टैलीविजन चैनल स्टार वन के सीरियल ‘दिल मिल गए में’ डाक्टर मुसकान का किरदार निभा कर ऐक्टिंग के अपने कैरियर की शुरुआत की थी. लेकिन उन के ऐक्टिंग के कैरियर को रफ्तार मिली ‘गीत हुई सब से पराई’ में गीत का किरदार निभाने के बाद. इस से वे आम जन के बीच पौपुलर होती गईं.

उन्होंने कोरियोग्राफर सलमान यूसुफ खान के साथ डांस रिएलिटी शो ‘झलक दिखला जा सीजन-6’ भी जीता था. उन्हें 2012 में सैक्सिएस्ट एशियन वूमन की भी लिस्ट में शामिल किया जा चुका है. वे इस कदर लोगों के बीच चर्चित हो गई हैं कि आज उन्हें इंस्टाग्राम पर 2 मिलियन के करीब लोग फौलो कर रहे हैं, जो बड़ी कामयाबी है.

पेश हैं, उन से हुए सवालजवाब:

आप को ऐक्टिंग के क्षेत्र में आने की प्रेरणा कहां से मिली?

मैं ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं ऐक्टिंग के क्षेत्र में आऊंगी और मु?ो इतनी कामयाबी मिलेगी. मेरे लिए यह पूरी तरह से अनप्लानड था. अगर इसे मैं सुयोग कहूं तो गलत नहीं होगा क्योंकि जिस दिन मेरा सलैक्शन हुआ उस दिन मैं अपनी फ्रैंड के औडिशन के लिए उसे कंपनी देने गई थी.

लेकिन वहां मेरा ही एक ऐड के लिए सलैक्शन हो गया. असल में यहीं से मेरे कैरियर की शुरुआत हुई थी. तब मैं ने अभिनय में आने के बारे में जरा भी नहीं सोचा था. लेकिन आज अगर कोई मुझ से पूछे तो मेरे लिए ऐक्टिंग से बढ़ कर कोई और प्रोफैशन नहीं क्योंकि मैं खुद को इस प्रोफैशन में जितना फिट पाती हूं, उतना किसी और प्रोफैशन में नहीं.

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वर्ल्ड सैक्सिएस्ट एशियन वूमन का खिताब पाने के पीछे की मेहनत और अब आप खुद को किन सैलिब्रिटीज के बराबर आंकती हैं?

सच कहूं तो मैं ने इसे कभी संघर्ष या प्रतियोगिता के रूप में देखा ही नहीं. बस मैं खुद को अंदर व बाहर से फिट रखना चाहती हूं और इस के लिए जो भी अपने तरीके से करना होता है, उसे करा भी और आगे भी कर रही हूं. सही समय पर सही खाना व क्वांटिटी का खास ध्यान रखा. ठीक उसी तरह कि कब, कहां, किस बात का क्या जवाब देना है.

मैं खुद के व अपने खानपान के साथ कभी कोई समझता करना पसंद नहीं करती हूं और शायद यही कारण रहा होगा वर्ल्ड सैक्सिएस्ट एशियन वूमन का खिताब पाने के पीछे. और रही बात दूसरी सैलिब्रिटीज के बराबर खुद को आंकने की, तो बता दूं कि हर किसी में कुछ यूनीक क्वालिटीज होती हैं, इसलिए किसी से खुद को आगे बताना या बराबरी करना ठीक नहीं.

फिटनैस कितनी जरूरी है?

जब आप अंदर से फिट होंगे, तभी आप बाहर से भी फिट नजर आएंगे क्योंकि जब बौडी अंदर से डिटौक्स हो कर फिट होती है, तभी उस की झलक आप की स्किन के ग्लो, स्किन प्रौब्लम्स का न के बराबर होना के रूप में दिखती है और साथ ही फिट यानी सैक्सी फिगर भी मिलती है. इस के लिए आप को क्लीन डाइट और ड्रिंक क्लीन के सिद्धांत को अपनाने की जरूरत होती है खास कर आज के माहौल में, जब हर किसी में कोरोना वायरस का खौफ है.

ऐसे में अगर इस बीमारी से बचना है तो इम्यूनिटी को बूस्ट करना बहुत जरूरी है और इस के लिए  हैल्दी ईटिंग हैबिट्स, वर्कआउट को अपने डेली रूटीन में जरूर शामिल करें. मैं रोजाना टेटली विटामिन सी युक्त ग्रीन टी का सेवन करती हूं क्योंकि इस में ऐप्पल से 5 गुना ज्यादा ऐंटीऔक्सीडैंट्स होते हैं, जो इम्यूनिटी को बूस्ट करने के साथसाथ आप को यंग बनाए रखने का भी काम करते हैं. जब तक आप अंदर से फिट नहीं होंगे तब तक बाहर से हिट नहीं हो सकते.

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‘झलक दिखला जा सीजन-6’ की विनर, कामयाबी पर कामयाबी, खुद को अब कहां देखती हैं और आगे क्या धमाल करने की सोच रही हैं?

यह सच है कि जब किसी भी इंसान को कामयाबी मिलती है तो उस के पैर जमीन पर नहीं टिकते हैं. मेरे लिए भी सीजन-6 का विनर होना किसी सपने से कम नहीं था क्योंकि इस से मेरा कौन्फिडैंस बढ़ने के साथसाथ मैं लोगों के बीच काफी पौपुलर होती जा रही थी.

लेकिन मैं ने कभी भी कामयाबी का जनून अपने सिर पर नहीं चढ़ने दिया, बल्कि हमेशा और आगे बढ़ने के लिए मेहनत करती रही और आगे भी करती रहूंगी. अभी मैं वैब सीरीज ‘द एंपायर’ को ऐंजौय कर रही हूं.

अहंकार से टूटते परिवार

पुरानी मान्यताओं के हिसाब से बेटी की शादी करने के बाद मातापिता उस की जिम्मेदारियों से पल्ला झड़ लेते थे. लड़की की मां चाह कर भी कुछ नहीं कर पाती थी. लड़के की मां को ही पतिपत्नी के बीच तनाव का कारण माना जाता था. मगर आधुनिक युग में बेटी के प्रति मातापिता की सोच बहुत बदली है. ज्यादातर घरों में पति से ज्यादा पत्नी का वर्चस्व नजर आने लगा है. इसलिए बेटी की ससुराल में होने वाली हर छोटीबड़ी बात में उस की मां का हस्तक्षेप बढ़ने लगा है.

आजकल की बेटियों का तो कुछ पूछो ही नहीं. अपने घर की हर बात अपनी मां को फोन से बताती रहती हैं. छोटेछोटे झगड़े या मनमुटाव जो कुछ देर बाद अपनेआप ही सुलझ जाता है उसे भी वे मां को बताती हैं. मांपिता को पता लग जाने मात्र से बखेड़ा शुरू हो जाता है.

बहू के घर वाले खासकर उस की मां उसे समझने के बदले उस की ससुरालवालों से जवाब तलब करने लगती है, जिसे लड़के के घर वाले अपने सम्मान का प्रश्न बना लेते हैं और अपने लड़के को सारी बातें बता कर उसे बीच में बोलने के लिए दबाव बढ़ाने लगते हैं.

पति को अपने मातापिता से जब अपनी ससुराल वालों के दखलंदाजी की बातें मालूम होती हैं, तो वह इसे अपने मातापिता का अपमान समझ कर गुस्से में आ कर पत्नी से झगड़ पड़ता है. उधर पत्नी भी अपने मातापिता के कहने पर उन के सम्मान के लिए भिड़ जाती है. मातापिता के विवादों की राजनीति में पतिपत्नी के बीच बिना बात झगड़ा और तनाव बढ़ता है.

छोटीछोटी बातों का बतंगड़

हर मातापिता जब अपने बच्चों की शादी करते हैं तो उन की खुशहाली ही चाहते हैं. फिर भी अपनी अदूरदर्शिता के कारण अपने ही बच्चों की जिंदगी बरबाद कर देते हैं. आजकल बेटी की मां को लगता है कि वह बराबर कमा रही है तो किसी की कोई बात क्यों सुने? यह बात भी सही है, गलत बात का विरोध करना चाहिए, अत्याचार नहीं सहना चाहिए, पर अत्याचार या कोई गलत व्यवहार हो तब न.

अकसर छोटीछोटी बातों का ही बतंगड़ खड़ा होता है. जरूरी नहीं है कि हर बात के लिए उद्दंडता से ही बात की जाए. अगर कोई बात पसंद नहीं आती हो तो बड़ों का अपमान करने के बदले शांति से समझ कर भी बातें की जा सकती हैं. बातबात पर उलझ कर यह बताना कि हम बराबर कमाते हैं, इसलिए हम किसी से कम नहीं, मेरी ही सारी बातें सही हैं जैसी बातें करना गलत है.

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लड़कियों में इस तरह की बढ़ती स्वेच्छाचारिता उन की स्वत्रतंता को नहीं दर्शाती है, बल्कि उन की उद्दंडता को ही दर्शाती है. किसी भी चीज का विरोध शांतिपूर्ण ढंग से भी समझ कर किया जा सकता है. लड़की को भी समझना चाहिए कि यह उस का घर है और घर की भी अपनी एक मर्यादा होती है.

बेवजह की बातें

मेरे पड़ोस में रिटायर बैंक कर्मचारी रहते हैं. उन का बेटा एक सरकारी औफिस में ऊंचे पद पर कार्यरत है. उन की बहू भी बेटे के औफिस में नौकरी करती है. हाल ही में उन्हें पोता हुआ, तो उन्होंने कोरोना को देखते हुए कुछ अती करीबी लोगों को ही बुलाया.

लड़के की बूआ बहू को बच्चे की बधाइयां देते हुए बोली, ‘‘समय से पहले ही बच्चे का बर्थ हो जाने से बच्चा बहुत कमजोर है. लगता है बहू कोल्डड्रिंक और फास्टफूड ज्यादा खाती थी तभी बच्चे का जन्म समय से पहले हो गया.’’

तुरंत लड़के की मां ने विरोध किया, ‘‘नहीं… ऐसी कोई बात नहीं है दीदी… बस हो जाता है कभीकभी.’’

पास में बैठी बहू की बहन ने सुन लिया. तुरंत रिएक्ट करते हुए बोली, ‘‘अच्छी बात है जिस के मन में जो आता है वही बोल जाता है. दीदी तुम ने विरोध क्यों नहीं किया, यों ही कब तक घुटघुट कर जीती रहोगी.’’

संयोग से तब तक बूआजी बगल वाले कमरे में चली गई थीं.

तुरंत बहू की मां ने रिएक्ट किया, ‘‘जिसे पूछना है मुझ से पूछे, दामादजी से पूछे, यों मेरी बेटी को जलील करने का उन्हें कोई हक नहीं है. वह कोई गंवार लड़की नहीं है, दामादजी के बराबर कमाती है.’’

लड़के की मां दौड़ी आईं, ‘‘कुछ मत बोलिए, वह घर की सब से बड़ी है. जो भी कहना हो बाद में मुझ से कह लीजिएगा.’’

तुरंत बहू बोली, ‘‘मेरी मां ने ऐसा क्या गलत कह दिया जो आप लोग उसे चुप कराने लगे?’’

फिर से बहन बीच में पड़ी, ‘‘इस सब में सब से ज्यादा गलती तो जीजाजी की है. वे अपनी बूआ से क्यों नहीं पूछते हैं कि वह इस तरह का ऊटपटांग बातें क्यों करती है.’’

तुरंत लड़़के की मां बोली, ‘‘मेरे बेटे के बाप की तो हिम्मत ही नहीं है कि अपनी बहन से सवाल पूछे. फिर मेरा बेटा क्या पूछेगा? अपने घर में हम अपने से बड़ों से उद्दंडता से बातें नहीं करते.’’

छोटी सी बात थी मगर

एक 80 साल के बुजुर्ग की बातों को ले कर दोनों परिवारों में कितने दिनों तक ठनी रही. लड़की के मातापिता अपनी बेटी को कहते कि उस की ससुराल में उन का अपमान हुआ है. वे लड़के वाले हैं तो क्या हुआ, मेरी बेटी उन के घर में इस तरह की उलटासीधी बात क्यों सुनेगी. लड़के की बूआ माफी मांगे वरना हम लोग लीगल ऐक्शन भी ले सकते हैं.’’

जब बहू ने ये सब बातें अपनी ससुराल में बोलीं तो लड़के के मातापिता बिगड़ गए, लड़के की मां बोली, ‘‘अच्छी जबरदस्ती है. मेरे घर की हर बात में टांग अड़ाते हैं, उलटे हमें धमकियां भी देते हैं. जो करना है करें, इतनी सी बात के लिए कोई माफी नहीं मांगेगा. इतना गुमान है तो रखें अपनी बेटी को अपने घर.’’

यह छोटी सी बात इतनी बढ़ी कि लड़की की मां अपनी बेटी को अपने घर ले गईं. न चाहते हुए भी पतिपत्नी, एकदूसरे से अलग हो गए. अपनेअपने मातापिता की प्रतिष्ठा बचातेबचाते बात तलाक तक पहुंच गई. बड़ी मुश्किल से लड़के के दोस्तों ने बीच में पड़ कर बात को संभाला.

गलत सलाह कभी नहीं

वंदना श्रीवास्तव एक काउंसलर है के अनुसार मातापिता के बेटी की ससुराल में छोटीछोटी बातों में दखल देने और लड़के के मातापिता के अविवेकी गुस्से और नासमझ भरी जिद्द से आज परिवार तेजी से टूट रहे हैं. वंदनाजी के अनुसार, उन के पास ज्यादातर ऐसे ही मामले आते हैं, जिन में मां की गलत सलाह के कारण बेटियों के घर टूटने के कगार पर होते हैं.

मेरे पड़ोस में एक सिन्हा साहब रहते हैं. उन्होंने अपनी इकलौती संतान अपने बेटे की शादी बड़ी धूमधाम से की. बहू को बेटी का मान देते थे. बहू भी बहुत खुश रहती थी और आशाअनुरूप सब से काफी अच्छा व्यवहार करती थी.

1 महीने बाद बेटा बहू के साथ दिल्ली लौट गया. वह वहीं जौब करता था. बहू भी वहीं जौब करती थी. जब बहू गर्भवती हुई बेटा मां को अपने पास बुला लाया, पर यह बात बहू की मां को पसंद नहीं आई. पहले वह समधन को यह कर घर लौटने की सलाह देती रही कि अभी से रह कर क्या कीजिएगा, समय आने पर देखा जाएगा. जब वह नहीं लौटी तो वह बेटी को समझने लगी कि जरूर तुम्हारी सास के मन में कुछ है, उन के हाथों का कुछ भी मत खानापीना.

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जैसे ही लड़के की मां की समझ में यह बात आई, वह वहां से जाने को तैयार हो गई, लेकिन बेटे के काफी अनुरोध करने पर उस की मां को वहां रुकना ही पड़ा. जब बच्चे का जन्म हुआ बहू की मां भी आ गई. फिर तो वह बच्चे को दादीदादा को छूने ही नहीं देती थी. बहू का व्यवहार अपनी मां को देख बदलने लगा. सीधीसादी सास उसे कमअक्ल नजर आने लगी. अपनी मां का साथ देते हुए सास से बुरा व्यवहार करने लगी. फिर अपनी मां के साथ अचानक मायके चली गई.

सासूमां और ससुरजी पटना लौट आए. तब से वे लोग बेटे के घर नहीं जाते हैं. बेटा खुद अपने मातापिता से मिलने आता है. रोज फोन भी करता है. बहू को ये सब पसंद नहीं है इसलिए घर में हमेशा तनाव बना रहता है. बहू के मां के कारण एक खुशहाल परिवार तनाव में जीता है.

अगर अपनी बेटी को सुखी रखना है तो खासकर लड़की की मां को बेटी का रिश्ता ससुराल में मजबूत बनाने में मदद करने के लिए उसे अच्छी सलाह देनी चहिए ताकि अपने अच्छे आचारविचार से वह सब का दिल जीत कर सब का प्यार और सम्मान पा सके. मां की जीत तभी है जब बेटी की ससुराल वाले उस पर नाज करें. तभी उस की बेटी खुद भी शांति से रहेगी और दूसरे को भी शांति से रहने देगी.

वहीं लड़के के मातापिता को बहू के मायके वालों की बातों को अपने सम्मान का विषय न बना कर इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों का घर छोटीछोटी बातों से न टूटे वरना मातापिता के अहं की लड़ाई में बिना कारण बच्चों के घर टूटते रहेंगे.

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फेस स्क्रब टिप्स व ट्रिक्स

हम चेहरे पर स्क्रब को अप्लाई करते समय कुछ गलतियां कर ही बैठते हैं, जिन के कारण कभी हमारी स्किन रैड पड़ जाती है, तो कभी पीली हो जाती है. ऐसे में जरूरी है कि जब भी आप फेस स्क्रब करें तो कुछ टिप्स व ट्रिक्स को ध्यान में रखें ताकि आप को फेस स्क्रब से फायदा भी मिल जाए व आप की स्किन को भी कोई नुकसान न पहुंचे.

क्यों करते हैं फेस स्क्रब

फेस स्क्रब स्किन को ऐक्सफौलिएट करने का काम करता है, जिस से स्किन से डैड स्किन रिमूव हो कर पोर्स के क्लोग होने की समस्या नहीं होती है. धूलमिट्टी व गंदगी के कारण पोर्स बंद हो जाते हैं, जिस से ऐक्ने, स्किन पर जरूरत से ज्यादा सीबम का उत्पादन होने लगता है, जिस से स्किन औयली होने के कारण उस पर ऐक्ने की समस्या हो जाती है.

ऐसे में फेस स्क्रब स्किन को अंदर से डीप क्लीन कर के उसे क्लीन व ग्लोइंग बनाने का काम करता है. जानते हैं इस संबंध में डर्मैटोलौजिस्ट पूजा नागदेव से:

टिप्स ऐंड ट्रिक्स फौर फेस स्क्रब

फर्स्ट वाश योर फेस. जब भी आप फेस स्क्रब का इस्तेमाल करें तो उस से पहले अपनी स्किन को जरूर क्लीन करें ताकि स्किन पर जमी गंदगी निकल सके. साथ ही जो भी कौस्मैटिक्स आप ने स्किन पर लगाया है वह रिमूव हो जाए, तभी उस पर फेस स्क्रब करने का अच्छा रिजल्ट मिल पाता है. इस बात का भी ध्यान रखना है कि आप का फेस हलकाहलका गीला भी रहना चाहिए ताकि उस पर स्क्रब करने में आसानी हो.

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आराम से मसाज करें

जरूरी नहीं कि बेहतर रिजल्ट के लिए चेहरे पर तेजतेज मसाज करने से ही अच्छा रिजल्ट मिलता है बल्कि हार्ड हाथों से मसाज करने से स्किन के पील होने के साथसाथ उस के रैड होने का भी डर बना रहता है. ऐसे में जब भी आप चेहरे पर स्क्रब करें तो हलके हाथों से 30 सैकंड तक सर्कुलर डाइरैक्शन में ही स्क्रब करें.

उस के बाद चेहरे को हलके गरम पानी से क्लीन करें, क्योंकि यह आप की स्किन के नैचुरल औयल को बैलेंस में रखने का काम करता है. लेकिन आप को इस बात का भी ध्यान रखना है कि अगर आप की स्किन पर किसी भी तरह की कोई ऐलर्जी है तो आप फेस स्क्रब करने से बचें.

ऐक्सफौलिएशन के तरीके अपनाना

अगर आप की स्किन ड्राई, सैंसिटिव व एक्ने प्रोन है तो आप के लिए मैकैनिकल ऐक्सफौलिएशन का तरीका बिलकुल ठीक नहीं है क्योंकि यह आप की स्किन को नुकसान पहुंचाने का काम करता है. ऐसे में आप के लिए सौफ्ट ऐक्सफौलिएशन या फिर माइल्ड तरीका ही बेहतर रहेगा. स्ट्रौंगर कैमिकल ट्रीटमैंट या फिर मैकैनिकल ऐक्सफौलिएशन ग्रीसी व मोटी स्किन वालों के लिए ठीक रहता है.

अगर आप की स्किन डार्क है या फिर आप को अपने चेहरे पर डार्क एरिया ज्यादा नजर आते हैं तो आप को हार्श कैमिकल्स व मैकैनिकल ऐक्सफौलिएशन से दूर ही रहना चाहिए क्योंकि आज भी ऐक्सफौलिएशन की कुछ ऐसी टैक्नीक हैं, जिन के कारण स्किन पर डार्क स्पौट्स हो सकते हैं. इसलिए जरूरत है ऐक्सफौलिएशन के सही तरीके को अपनाने की.

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इनग्रीडिऐंट्स जरूर देखें 

स्क्रब फौर्मूलेशन में इस्तेमाल किए जाने वाले कई प्राकृतिक घटक त्वचा के लिए नुकसानदायक होते हैं जैसे नमक, बादाम, फ्रूट पिट्स इत्यादि. भले ही ये नैचुरल होते हैं, लेकिन ये कई बार स्किन पर काफी हार्ड इफैक्ट डालने का भी काम करते हैं, जबकि दूसरी तरफ जोजोबा बीड्स, ओट्स, सिलिका व राइस ब्रैन बहुत ही कोमल व असरदार होते हैं, लेकिन इन सब के बावजूद ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

जैसे अगर स्क्रब के कण बहुत छोटे हैं और वे उपयोग के दौरान घुल जाते हैं तो इसे ज्यादा व बारबार करने से बचें. यह भी देखना बहुत जरूरी है कि उस में स्किन को मौइस्चराइज करने के साथसाथ शांत करने वाले तत्त्व भी हों. इसलिए हमेशा इनग्रीडिऐंट्स चैक कर के ही फेस स्क्रब का इस्तेमाल करें.

असुविधा के लिए खेद है: जीजाजी को किसके साथ देखा था ईशा ने

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Neil-Aishwarya Wedding: हमेशा के लिए एक हुए GHKKPM के विराट-पाखी, Photos Viral

सीरियल ‘गुम हैं किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) के लीड एक्टर नील भट्ट और एक्ट्रेस ऐश्वर्या शर्मा 30 नवंबर को शादी के बंधन में बंध गए हैं, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर छा गई हैं. रील लाइफ में देवर-भाभी की ये जोड़ी आज रियल लाइफ में पति पत्नी बन गए हैं. खूबसूरत दुल्हन बनकर पाखी यानी ऐश्वर्या बेहद खूबसूरत लग रही हैं. आइए आपको दिखाते हैं ऐश्वर्या और नील के वेडिंग लुक्स की फोटोज…

राजस्थानी दुल्हन बनीं पाखी 

सोशलमीडिया पर पाखी विराट यानी नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की शादी की फोटोज छा गई है. राजस्थानी लुक में दुल्हन बनकर ऐश्वर्या बेहद खूबसूरत लग रही थीं. रेड और वाइट कलर के कौम्बिनेशन वाले लुक में ऐश्वर्या बेहद खूबसूरत लग रही थीं. वहीं वाइट कलर की शेरवानी पहने नील डैशिंग लग रही थी.

 

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संगीत में पहना पिंक लहंगा

 

शादी के दूसरे फंग्शन की बात करें तो पिंक कलर का लहंगा पहने नजर आईं, जिसके साथ नील भट्ट का मलहारी गाने पर किया हुआ डांस वायरल हो रहा है.

 

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हल्दी में था ऐसा अंदाज

बीते दिन नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा की हल्दी सेरेमनी की फोटोज सोशलमीडिया पर छाई हुई थीं, जिनमें वह पीले सिंपल लुक में नजर आए. पीले कलर का सिंपल लहंगा पहने ऐश्वर्या ने फ्लोरल ज्वैलरी कैरी की. वहीं नील ने सिंपल पीला कुर्ता कैरी किया, जिसमें दोनों की जोड़ी परफेक्ट लग रही थी. वहीं दोस्तों के साथ नील-ऐश्वर्या हल्दी की रस्मों का पूरा लुत्फ उठाते नजर आए.

मेहंदी लगाकर शरमाईं ऐश्वर्या

 

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मेहंदी सेरेमनी में ऐश्वर्या शर्मा के लुक की बात करें तो वह ग्रीन कलर का खूबसूरत प्लाजो और कुर्ती पहने नजर आईं, जिसमें वह फोटोज क्लिक करवाती दिखीं. सिल्वर कलर की कलाई का वर्क किए हुए लुक में ऐश्वर्या बेहद खूबसूरत लग रही थीं. इस दौरान ऐश्वर्या अपने हाथों पर नील भट्ट के नाम की मेहंदी फ्लौंट करते हुए नजर आईं.

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Imlie की जान बचाएगा आर्यन, आदित्य को भड़काएगी मालिनी

सीरियल इमली में इन दिनों आर्यन और आदित्य के बीच लड़ाई देखने को मिल रही है. वहीं मालिनी बात का पूरा फायदा उठाकर इमली के लिए त्रिपाठी परिवार के बीच जहर घोलने की कोशिश कर रही है. लेकिन अपकमिंग एपिसोड में एक बार फिर इमली और आदित्य के बीच जहां दूरियां बढ़ने वाली हैं. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

आर्यन करेगा इमली की मदद

 

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अब तक आपने देखा कि आर्यन, इमली को औफिस में सोते पकड़ लेता है. लेकिन इमली पार्क में जाकर सो जाती है, जिसके बाद गुंडे उसे परेशान करते हैं. लेकिन आर्यन उसे बचा लेता है और गुंडों को भगा देता है. वहीं इमली से उसके घर में रहने का औफर देता है. वहीं मालिनी, इमली को आर्यन के साथ देख लेती है और चुपके से दोनों की सेल्फी लेते हुए फोटोज खींच लेती है. ताकि वह आदित्य को फोटोज दिखा सके.

 

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आदित्य को होगी जलन

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली, आर्यन के उसके घर पर रहने का प्रस्ताव ठुकरा देती है. लेकिन आर्यन अपनी डायरी में एक किराये का समझौता लिखकर कहेगा कि जब तक वह उसके घर में रहेगी, वह हर महीने उसके सैलरी से 5000 रुपये काटेगा, जिसे सुनकर इमली मान जाएगी. वहीं मालिनी घर पहुंचकर त्रिपाठी परिवार को अपनी सेल्फी दिखाएगी, जिसमें आदित्य, इमली और आर्यन को साथ देख लेगा. वहीं मालिनी कहेगी कि रात को इमली एक सीईओ के साथ क्या कर रही है, जिसे सुनकर आदित्य को जलन होगी.

आर्यन देगा इमली को सलाह

 

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इसके अलावा आप देखेंगे कि आर्यन , इमली को अपने करियर को सफल बनाने के लिए सलाह देगा और कहेगा कि जिसने भी उससे कहा कि वह खुद को न बदलें या नई चीजें न सीखें, वह बेवकूफ है. इस बात को सुनने के बाद इमली अपने भविष्य को सफल बनाने का फैसला करेगा.

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हंसी को लेकर क्या कहना चाहते है एक्टर और कॉमेडियन Sunil Grover

कॉमेडी की दुनिया में अपनी एक अलग छाप छोड़ने वाले स्टैंडअप कॉमेडियन और अभिनेता सुनील ग्रोवर को प्रसिद्धी ‘कॉमेडी नाइट्स विथ कपिल’ की शो में गुत्थी, रिंकू भाभी और डॉक्टर मशूर गुलाटी की भूमिका से मिली. उन्हें हमेशा से कॉमेडी करना, किसी की नक़ल उतारना पसंद था. स्कूल, कॉलेज में सभी उनके इस हुनर की तारीफ करते थे. कॉलेज के एक कार्यक्रम में कॉमेडी करते हुए सुनील को पता चला कि उन्हें इसी फील्ड में जाना है और उन्होंने अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा और धीरे-धीरे कामयाब हुए. सुनील बहुत ही धैर्यवान और शांत स्वभाव के है, जब उनके पास काम नहीं था, उन्होंने डबिंग और आकाशवाणी में काम किया. सुनील को परिवार वालों ने मुंबई आने से नहीं रोका, क्योंकि वे सुनील की प्रतिभा से परिचित थे. गृहशोभा के लिए सुनील ने खास बात की, आइये जानते है उनकी जर्नी, उन्हीँ की जुबानी.

सवाल-हँसना और हँसाना कितना जरुरी है?

हँसना हमेशा बहुत जरुरी है. कई बार लोगों की परिस्थिति ख़राब होती है, जैसा कोविड के बाद से लोगों को हुआ, क्योंकि बहुतों की नौकरियाँ चली गयी, किसी के पास रहने को घर नहीं, तक़रीबन हर परिवार ने कोविड से किसी न किसी प्रियजन को खोया है. पेंडेमिक की वजह से सबको बहुत नुकसान किसी न किसी वजह से हुई है और ये बहुत ही संवेदनशील परिस्थिति है, जिसमें किसी को भी हँसाना बहुत मुश्किल है, हालांकि अभी सब खुल चुके है, लेकिन ये बीमारी है और लोग इससे डर रहे है. इसलिए पहले जैसी हालात बनने में काफी समय लगेगा.

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सवाल-पेंड़ेमिक के दौरान आपने कैसे समयबिताया?

मैं घर पर था, मेरा खाना-पीना चल रहा था, पर मैं उन लोगों के लिए चिंतित था, जिन्हें हर दिन के हिसाब से पैसे मिलते है, लेकिन उस समय उनके पास काम नहीं था और उनकी भूखों मरने की नौबत आ चुकी थी, मुझे ये देखकर बहुत ख़राब लगता था, क्योंकि हमारे देश की स्थिति अभी भी सुधरी नहीं. आज भी अमीर और गरीब के बीच का अंतर काफी है.

सवाल-आपने हंसी का सफ़र कैसे शुरू किया, किससे प्रेरणा मिली?

हंसी का सफ़र स्कूल और कॉलेज से ही शुरू हो चुका था, स्कूल में नाटक, स्किड्स, मोनो एक्ट, मिमिक्री सब करने लगा था. मैं हरियाणा के डबवाली शहर में जन्म लिया और पढाई की. कॉलेज में कॉमेडी करते हुए मुझे समझ में आया कि मुझे इस फील्ड में जाना है. उन दिनों मैंने जसपाल भट्टी के साथ और टीवी पर काम किया, फिर मैंने चंडीगढ़ में मास्टर ड्रामा लेकर किया. इसके बाद मुंबई मेरे क्लास मेट के बुलाने पर आ गया.यहाँ आने पर मैंने वौइस् ओवर और आकाशवाणी में कई सालों तक काम किया.

सवाल-मुंबई आते समय परिवार की प्रतिक्रिया क्या थी?

उन्होंने कुछ अधिक नहीं कहा, क्योंकि उन्हें पता था कि मैं कुछ कमा सकता हूं. मैने कॉलेज से ही शो होस्ट करना, मिमिक्री, नाटकों में काम करना शुरू कर दिया था, इससे वे जानते थे कि जब यही ये इतना कमा रहा है तो वहां भी कुछ अवश्य कर लेगा. इसलिए उन्होंने नहीं रोका.

सवाल-आपने एक सफल जर्नी तय की है, इससे आप कितने खुश है?

अब तक की जर्नी बहुत अच्छी रही है. उतार- चढ़ाव के बीच ये गुजरी है, लेकिन किसी प्रकार की कोई रिग्रेट नहीं रही. अलग-अलग अनुभव रहे है, लेकिन मैंने टीवी शो, फिल्म, वेब सीरीज आदि सभी काम किया है.

सवाल-हर बार एक नई जोक क्रिएट करना मुश्किल होता है?

जोक्स हमारी समाज से ही पैदा होते है. इसमें लेखक का भी बहुत बड़ा हाथ होता है,क्योंकि मैं तो एक्टिंग करता हूं और राइटर उसे शब्दों में बैठाता है. मैने स्कूल कॉलेज से ही एक्टिंग शुरू की थी, बचपन से ही मैं इसमें था. पहले जोक्स बनने के बारें में पता नहीं था, लेकिन जब बड़ा हुआ तो समझ में आया कि असल में जो हँसना जानते है, वही किसी को हँसा सकते है.

सवाल-कई बार कॉमेडी करने पर भी लोग हँसते नहीं है, इसे कैसे सम्हालते है?

ये बहुत ही मुश्किल काम होता है. जिंदगी का वह सबसे जहरीला पदार्थ है, क्योंकि आपके जोक से कोई हँस नहीं रहा. उस समय अचानक कुछ नया बोलकर सहज करना पड़ता है. मुझे याद आता है कि एक बार किसी कारणवश मैं रात के साढ़े तीन बजे शूटिंग कर रहा था. एक बजे शो शुरू हुआ, पर मेरी एंट्री सुबह 4 बजे हुई. मेरे हिसाब से मेरे जोक्स बहुत अच्छे थे, लेकिन जिन्हें सुना रहा था, उन्हें हंसी नहीं आ रही थी, क्योंकि वे आधे सोये हुए दर्शक थे. तब समझ में आया कि इतनी रात को जागरण ही ठीक है, कॉमेडी नहीं.

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सवाल-आपको गुत्थी की भूमिका से काफी पॉपुलैरिटी मिली, क्या लड़की बनकर कॉमेडी करना आसान होता है?

मैं अपने दिमाग से कभी लड़की नहीं बना. वह एक चरित्र है और संयोग से वह लड़की है. अगर मैं लड़की बनने की कोशिश करता, तो मैं उसकी भाव-भंगिमा पर अधिक ध्यान देने लगता, उसके माइंड सेट को नहीं देखता.मैं उसके दिमाग में घुसकर ये बताने की कोशिश करता हूं कि ये लड़की तो है, पर एक चरित्र है. मैं दिमाग में जेंडर नहीं रखता.

सवाल-कॉमेडी शो आजकल कई चैनल्स पर हो रहे है, क्या इस तरीके की शो की मांग अधिक है?

कॉमेडी के जितने भी शो हो, अच्छा होता है, क्योंकि लोगों को हँसना बहुत जरुरी है. हंसने के जितने भी साधन हो, वह कम ही होता है. ये तनाव को कम करता है और इसमें लोगों की कॉनजम्पशन और पसंद अधिक जिम्मेदार होती है, क्योंकि दर्शक जितना इसे देखना पसंद करते है, शो भी उसी हिसाब से तैयार किये जाते है.

सवाल-कॉमेडी करते समय द्विअर्थी शब्दों का और मिमिक्री करते वक्त किसी के आहत न होने को आप कितना ध्यान रख पाते है?

कॉमेडी सबको पसंद होती है. पूरा परिवार साथ मिलकर इसे देखते है, इसलिए मैं द्विअर्थी शब्दों का प्रयोग नहीं करता. मिमिक्री मैं अधिकतर उनकी करता हूं, जिन्हें लोग और मैं देखना पसंद करते है. असल में ये मेरी तरफ से एक ट्रिब्यूट होता है. मैं किसी की पर्सनल बातों को लेकर मिमिक्री नहीं करता, ताकि देखने वालों की और जिनके बारें में कही गयी है, उन्हें ख़राब न लगे.

सवाल-आपकी पत्नी आरती से आपका मिलना कैसे हुआ? आपका बेटा आपके काम को कितना सराहते है?

मैं आरती से मुंबई में मिला था, वह एक इंटीरियर डिज़ाइनर है. एक शो के दौरान उससे मिला था. मेरा 11 साल का बेटा मोहन जन्म से मुझे कॉमेडी करता हुआ देख रहा है. अब उसे लगता है कि ये पिता का जॉब है. शुरू-शुरू में वह पूछता था कि लोग मेरे साथ पिक्चर क्यों खींच रहे है, मैंने उसे समझाया कि मेरे काम की वजह से लोग मुझे देखते और पसंद करते है, इसलिए मेरे साथ फोटो खींच रहे है.

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सवाल-मुंबई ने आपको अच्छा काम , पैसा और शोहरत सब दिया है,लेकिन इन सबके बीच आप क्या मिस करते है?

मुझे बहुत समय बाद वह मिला जिसकी मैं अपेक्षा किया करता था, रोटी बनाना, कपडे धोना ये सब तो मैं बिलकुल भी मिस नहीं करता, लेकिन उत्तर भारत की सर्दियों में गरम कपडे पहनना, ढाबे पर देसी भोजन खाना आदि को मैं मिस करता हूं, पर मैं उसे शूटिंग में पूरा कर लेता हूं. इसके अलावा मुंबई में काफी ट्राफिक है, मैं अपने स्थान की खाली सड़कों को मिस करता हूं, जिस पर मुझे गाड़ी चलाना बहुत पसंद है.

सवाल-कोई मेसेज जो आप देना चाहते है?

मैं सभी से कहना चाहता हूं कि कोविड की एक भयंकर दौरसे सभी गुजर चुके है, लेकिन अभी ये रोग विद्यमान है, इसलिए जिन व्यक्तियों ने वैक्सीन नहीं लगाया है, वे अवश्य लगायें और जो लगा चुके है वे दूसरों को प्रेरित करें, ताकि अच्छी तरह से इस पेंडेमिक से लड़ी जा सके. जब भी बाहर जाए, मास्क पहने, साबुन से हाथ धोएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें, जब तक ये बीमारी ख़त्म नहीं होती.

2,503 कन्याओं का विवाह ‘कन्या विवाह सहायता योजना’

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आज जनपद कुशीनगर में श्रम विभाग के तत्वावधान में उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 2,503 कन्याओं के विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित हुए. गोरखपुर मण्डल से सम्बन्धित जनपदों की इन कन्याओं का विवाह ‘कन्या विवाह सहायता योजना’ के तहत सम्पन्न हुआ. इसमें जनपद कुशीनगर की 654, जनपद गोरखपुर की 817, जनपद महराजगंज की 634 तथा जनपद देवरिया की 398 कन्याएं सम्मिलित हैं. इस समारोह में 138 मुस्लिम तथा 122 बौद्ध जोड़ों का विवाह भी सम्पन्न हुआ. मुख्यमंत्री जी द्वारा 11 नवविवाहित दम्पत्तियों को प्रतीक स्वरूप प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया.

मुख्यमंत्री जी ने सामूहिक विवाह समारोह में परिणय सूत्र में बंधने वाले सभी जोड़ों को सौभाग्यशाली बताते हुए उन्हें हार्दिक बधाई और उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं. उन्होंने कहा कि इस आयोजन में मुख्यमंत्री, मंत्रिगण, जनप्रतिनिधिगण एवं अधिकारीगण की उपस्थिति लोकतंत्र की ताकत को दर्शाती है. उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य सहित उनके विभाग की पूरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि श्रम विभाग ने शासन की योजनाओं का लाभ पात्र व्यक्तियों तक पहुंचाया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की परम्परा में कन्यादान महादान माना गया है. वर्तमान सरकार इस प्रकार के कार्यक्रमों से जुड़ रही है. उन्होंने कहा कि सामूहिक विवाह कार्यक्रम में जाति, मत, मजहब, क्षेत्र तथा भाषा का कोई भेदभाव नहीं किया गया है. सभी पात्र लोगों को इस योजना का लाभ दिया जा रहा है. वर्ष 2017 के पहले भी श्रम विभाग था, लेकिन तब शासन की योजनाओं का लाभ गरीबों, मजदूरों, किसानों, युवाओं तथा महिलाओं को नहीं मिल पाता था. वर्तमान सरकार के गठन के बाद प्रत्येक जरूरतमन्द को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. बाबा साहब डॉ0 भीमराव आंबेडकर ने जो संविधान दिया, उसमें सभी के लिए समान अधिकार की व्यवस्था की गयी है. केन्द्र और प्रदेश सरकार इसी समान अधिकार के तहत बिना भेदभाव समाज के अन्तिम व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचा रही है. शौचालय, प्रधानमंत्री आवास योजना, मुख्यमंत्री आवास योजना, निःशुल्क विद्युत कनेक्शन, 05 लाख रुपये की आयुष्मान भारत योजना तथा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति को बिना भेदभाव के दिया जा रहा है. केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाएं व्यवस्थित रूप में आगे बढ़ रही हैं. किसानों को शासन की योजनाओं का पूरा लाभ दिया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकार के प्रयास से 43 लाख गरीबों को आवास उपलब्ध कराये गये हैं. 02 करोड़ 61 लाख शौचालय, 01 करोड़ 40 लाख गरीबों को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन, 01 करोड़ 56 लाख निःशुल्क रसोई गैस, 90 लाख लोगों को निराश्रित महिला पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन तथा दिव्यांगजन पेंशन का लाभ दिया जा रहा है. 02 करोड़ 54 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि प्रदान की गयी है. यह सब तब सम्भव हुआ है, जब अपने-पराये का भेदभाव समाप्त हुआ. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ जब एक साथ मिलते हैं, तो सकारात्मक परिणाम प्राप्त होते हैं. सामूहिक विवाह का कार्यक्रम इसी का प्रतिफल है. सामूहिक विवाह के दो लाभ होते हैं. इससे बाल विवाह और दहेज प्रथा दोनों पर अंकुश लगता है. उन्होंने कहा कि आज गांव की बेटी सबकी बेटी का भाव देखने को मिलता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना के कारण कई देशों में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, लेकिन प्रधानमंत्री जी के कुशल मार्गदर्शन में उत्तर प्रदेश सहित भारत में कोरोना के सफल प्रबन्धन की मिसाल पूरी दुनिया ने देखी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने देश में कोरोना की निःशुल्क जांच तथा उपचार की व्यवस्था के साथ ही सभी को निःशुल्क वैक्सीन भी उपलब्ध करायी है. आज भारत में लगभग 125 करोड़ कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. उत्तर प्रदेश में भी अब तक 16 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी है. उन्होंने कहा कि कोरोना के कारण जब लॉकडाउन जारी हुआ था, तब उत्तर प्रदेश देश की पहली सरकार थी, जिसने 54 लाख गरीबों, श्रमिकों तथा मजदूरों के लिए भरण-पोषण भत्ते की व्यवस्था की थी. सरकार ने निःशुल्क खाद्यान्न वितरण भी प्रारम्भ किया, जो अनवरत जारी है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश में प्रत्येक गरीब को प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से निःशुल्क खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है. इसके तहत  अन्त्योदय कार्डधारकों को 35 किलो निःशुल्क खाद्यान्न तथा पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति यूनिट 05 किलो निःशुल्क खाद्यान्न प्रदान किया जा रहा है. साथ ही, राज्य सरकार द्वारा भी अन्त्योदय कार्डधारकों को 35 किलो निःशुल्क खाद्यान्न के साथ 01 किलो दाल, 01 लीटर खाद्य तेल, 01 किलो चीनी, 01 किलो नमक प्रदान किया जा रहा है. इसी प्रकार पात्र गृहस्थी कार्डधारकों को प्रति यूनिट 05 किलो निःशुल्क खाद्यान्न के साथ 01 किलो दाल, 01 लीटर खाद्य तेल, 01 किलो नमक भी प्रदान किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार ने नेशनल पोर्टेबिलिटी सिस्टम लागू किया है, जिससे श्रमिक कहीं भी अपना राशन प्राप्त कर सकता है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रमिक राष्ट्र का निर्माता है. इसके श्रम, परिश्रम तथा पुरुषार्थ से राष्ट्र की नींव पड़ती है. श्रमिक जितना मजबूत होगा, देश भी उतना मजबूत होगा. श्रमिक रोजगार के लिए विभिन्न राज्यों अथवा जनपदों में भ्रमण करता है. इसके दृष्टिगत प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिकों के बच्चों के लिए आधुनिक सुविधाओं से युक्त अटल आवासीय विद्यालयों की स्थापना करायी जा रही है. इन विद्यालयों के माध्यम से श्रमिकों के बच्चों को बेहतर शिक्षा मिल सकेगी, जिससे इनके बच्चे भी महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवाएं दे सकेंगे. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने श्रमिकों के हितों में निर्णय लिया है कि कोई भी श्रमिक प्रवासी हो अथवा निवासी हो, उसे 02 लाख रुपये की सामाजिक सुरक्षा की गारण्टी तथा 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जाएगा.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने अभी विगत दिनों जनपद कुशीनगर में अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन किया है. इस एयरपोर्ट में वायु सेवाएं प्रारम्भ हो चुकी हैं. इसके अलावा, जनपद में एक मेडिकल कॉलेज भी बनने जा रहा है, जिससे कुशीनगरवासियों को बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध होंगी. यह मेडिकल कॉलेज जनपद कुशीनगर की शान का प्रतीक होगा.

सामूहिक विवाह के इस कार्यक्रम में प्रत्येक वर-वधू द्वारा मास्क के प्रयोग पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कोरोना से बचाव के लिए आवश्यक है कि कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि कोरोना दुनिया के कई देशों में कहर ढा रहा है. प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में देश और प्रदेश ने कोरोना पर सफल नियंत्रण पा लिया, लेकिन दुनिया में संक्रमण के नये दौर को लेकर हमें सतर्कता पर पूरा ध्यान देना होगा. इसलिए ‘दो गज की दूरी मास्क है जरूरी’ मंत्र का अनुसरण करते हुए यह भी आवश्यक है कि सभी लोग समय से कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज अवश्य लें. निःशुल्क वैक्सीन के प्रति लोगों को जागरूक करें. जिन लोगों ने अब तक वैक्सीन नहीं लगवायी है, उन्हें वैक्सीन लगवाने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि वैक्सीन ही कोरोना से बचाव का एक महत्वपूर्ण साधन है.

श्रम एवं सेवायोजन मंत्री श्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन तथा मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में बिना भेदभाव के समाज के अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. श्रमिक अपने कार्य के लिए विभिन्न स्थानों पर जाते रहते हैं. ऐसे में उनके बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो, इसके लिए प्रत्येक मण्डल मुख्यालय पर अटल आवासीय विद्यालय की स्थापना की जा रही है.

राज्य सरकार द्वारा इन विद्यालयों में श्रमिकों के बच्चों को निःशुल्क आवासीय शिक्षा सुविधा प्रदान की जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के माध्यम से श्रमिकों के जीवन में व्यापक परिवर्तन आया है. प्रदेश सरकार द्वारा श्रमिकों के हितों के दृष्टिगत 18 जनकल्याणकारी योजनाएं संचालित की जा रही हैं.

Anupamaa: बा-बापूजी को खास तोहफा देगा अनुज, काव्या को लगेगा झटका

सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में वनराज- काव्या (Sudhanshu Panday- Madalsa Sharma) और तोषू- किंजल के बिगड़ते रिश्तों के बीच शाह परिवार में जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है. दरअसल, शो में बा-बापूजी की शादी की 50वीं सालगिरह मनाते हुए नजर आ रहे हैं. वहीं अनुपमा (Rupali Ganguly) समेत पूरा परिवार बेहद खुश नजर आ रहा है. इसी बीच सीरियल के सेट से कुछ फोटोज वायरल हो रही हैं, जिसे देखकर फैंस चौंक जाएंगे. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

बा का साथ देंगे अनुज-अनुपमा

शाह परिवार में जल्द ही शहनाई बजने वाली है, जिसके चलते शो में धमाल दिखने वाला है. दरअसल, शादी की 50वीं सालगिरह पर जहां बा और बापूजी शादी करेंगे तो वहीं अनुपमा के साथ अनुज भी इस शादी का हिस्सा बनता नजर आएगा. वहीं खबरें हैं कि अनुज और अनुपमा बा का कन्यादान भी करते नजर आएंगे, जिसकी फोटोज सोशलमीडिया पर वायरल हो रही हैं.

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अनुज देगा खास तोहफा

दूसरी तरफ खबरों की मानें तो इस शादी के मौके पर अनुज को शाह हाउस में देखकर जहां पूरा परिवार हैरान होगा तो वहीं अनुज, बा-बापूजी को शादी के तोहफे के रुप में शाह हाउस गिफ्ट करेगा. दरअसल, काव्या ने अनुज के दोस्त को शाह हाउस बेच दिया था, जिससे पूरा परिवार अनजान था. लेकिन अनुज इस घर को दोबारा खरीद लेगा.

अनुज के साथ मस्ती करती नजर आएगी अनुपमा

 

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इसके अलावा आप शादी में देखेंगे कि अनुपमा खुशी के माहौल में झूमती नजर आएगी और बेहद खुश होगी. वहीं अनुपमा को खुश देखकर अनुज भी मस्ती करती नजर आएगा, जिसे देखकर काव्या और वनराज नाराज नजर आएंगे. लेकिन अब देखना दिलचस्प होगा कि अनुज (Gaurav Khanna) और अनुपमा की जोड़ी क्या बन पाएगी.

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औरत नहीं है बच्चा पैदा करने की मशीन

हाल ही में मुंबई के पौश इलाके दादर की एक 40 वर्षीय महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उस के पति ने उसे बेटा पैदा करने के दबाव में 8 बार गर्भपात कराने को मजबूर किया. इस के साथ ही उस को 1,500 से अधिक हारमोनल और स्टेराइड इंजैक्शन दिए गए.

भारत में गर्भपात गैरकानूनी है, इसलिए उस का गर्भपात और उपचार बिना उस की सहमति के विदेश में करवाया. बेटे की ख्वाहिश में की जा रही इस मनमानी के खिलाफ आवाज उठाने पर उस के साथ मारपीट की.

पीडि़ता ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि शादी के कुछ समय बाद ही पति ने वारिस के रूप में एक बेटे की जरूरत पर जोर दिया और जब ऐसा नहीं हो सका तो उस के साथ मारपीट करनी शुरू कर दी. इसी वजह से विदेश में उस का 8 बार गर्भपात कराया. महिला के पिता सेवानिवृत्त जज हैं और उन्होंने अपनी बेटी का विवाह एक उच्च शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार में किया था. पीडि़ता के पति और सास दोनों ही पेशे से वकील हैं और ननद डाक्टर है.

2009 में पीडि़ता ने एक बच्ची को जन्म दिया. 2 साल के बाद 2011 में जब वह दोबारा गर्भवती हुई तो उस का पति उसे डाक्टर के पास ले गया और गर्भ में फिर से बेटी होने की खबर पा कर उसे गर्भपात के लिए मजबूर किया.

आरोपी पति अपनी पत्नी को भ्रूण प्रत्यारोपित कराने ले गया और इस से पहले आनुवंशिक रोग के निदान के लिए बैंकौक भी ले कर गया. गर्भाधान से पहले भ्रूण के लिंग की जांच कर के उस का इलाज और सर्जरी की जा रही थी. इस के लिए पीडि़ता को 1,500 से अधिक हारमोनल और स्टेराइड के इंजैक्शन दिए गए. महिला की शिकायत के आधार पर पति के खिलाफ उत्पीड़न, मारपीट, धमकी और जैंडर सलैक्शन का केस दर्ज कर लिया गया.

सोचने वाली बात है कि जब रईस और पढ़ेलिखे लोग ऐसा करेंगे तो दहेज देने में लाचार या अनपढ़ लोगों के बारे में कुछ कहना ही बेकार है. आज के समय में जबकि लड़कियां बड़े से बड़े ओहदे पर पहुंच कर बखूबी अपनी भूमिकाएं निभा रही हैं तब इस तरह की सोच रखने वाले रईस परिवारों की इस मानसिक संकीर्णता पर अफसोस जाहिर करने के सिवा क्या कहा जा सकता है?

औरतों के साथ हैवानियत

मगर बात यहां केवल संकीर्ण सोच या बेटे के लिए पागलपन की नहीं है. इस तरह के मामले दरअसल हैवानियत की सीमा पार कर जाते हैं. एक औरत के लिए मां बनने का सफर आसान नहीं होता. गर्भधारण के बाद के पूरे 9 महीने उसे कितनी शारीरिक तकलीफों से गुजरना पड़ता है यह केवल एक औरत ही समझ सकती है. मगर अकसर पुरुष औरत को इंसान नहीं बल्कि बच्चे पैदा करने वाली मशीन समझते हैं.

उन्हें यह भी समझ नहीं आता कि एक मां का अपने बच्चे से जुड़ाव उसी समय हो जाता है जब वह उस के पेट में आता है. बच्चा उस के शरीर का ही हिस्सा होता है. ऐसे में महज बेटी होने की वजह से उस का गर्भपात करा देना उस अजन्मी बच्ची के साथसाथ मां की ममता का भी खून करना होता है. असुरक्षित गर्भपात गर्भवती औरतों की मृत्यु का तीसरा सब से बड़ा कारण है.

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यही नहीं गर्भपात और इलाज के नाम पर उस के शरीर में हारमोनल और स्टेराइड इंजैक्शन घुसाना या सर्जरी करना किसी भी तरह मान्य नहीं है. पति होने का मतलब यह नहीं कि पुरुष महिला के शरीर का मालिक हो गया और उस के साथ कुछ भी करने का हक हासिल कर लिया. इस तरह के लोग तो रैपिस्ट से भी ज्यादा हैवान होते हैं. रेपिस्ट किसी अनजान महिला के साथ जबरदस्ती करते हैं, मगर पति 7 वचन निभाने का वादा कर के भी महिला को मर्मांतक पीड़ा पहुंचाते हैं.

औरत केवल बच्चे पैदा करने के लिए नहीं है

हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान की नई सरकार में महिलाओं को शामिल किए जाने की सभी संभावनाओं को खारिज करते हुए समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि महिलाओं को सिर्फ बच्चे पैदा करने चाहिए. एक महिला के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है. इस के बाद अफगानिस्तान की सैकड़ों महिलाएं अपनी जान जोखिम में डाल कर इस के विरोध में सड़कों पर उतर आईं.

तालिबान द्वारा विरोध पर काररवाई में महिला प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कोड़े और लाठियों का इस्तेमाल किया. यही नहीं तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं के खेलों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है.

इस तरह की सोच पुरुषों की छोटी सोच का नतीजा होती है. आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधा से कंधा मिला कर अपनी काबिलीयत साबित कर रही हैं. फिर भी औरतों को दोयम दर्जा ही दिया जाता है. बात तालिबान की हो या भारत की, औरतों के साथ हैवानियत कहीं भी हो सकती है और इस की वजह महिलाओं के प्रति समाज का संकीर्ण रवैया है. समाज का यह रवैया कहीं न कहीं धार्मिक अंधविश्वासों और धर्मगुरुओं की देन है.

मैं बच्चा पैदा करने की मशीन नहीं हूं

महिला हीरोइन हो या साधारण घर की लड़की अकसर भारतीय समाज में शादी के बाद ज्यादातर लड़कियों से यह सवाल जरूर पूछा

जाता है कि वह खुशखबरी कब सुनाएगी यानी मां कब बन रही है. ऐसा लगता है जैसे औरत का सब से पहला और जरूरी काम बच्चे पैदा करना ही है.

दरअसल, ससुराल में ऐंट्री होने के बाद से ही लड़कियों पर एक अच्छी पत्नी और बहू के साथसाथ घर को वारिस देने की जिम्मेदारी भी डाल दी जाती है. उसे बेटे की मां बनने का आशीर्वाद दिया जाता है. मां बनने में देर हुई तो ताने दिए जाने लगते हैं. सिर्फ परिवार वाले ही नहीं बल्कि रिश्तेदार और पासपड़ोस वालों का नजरिया भी यही होता है.

अकसर घर के बड़े बेटियों को समझते हैं कि शादी के बाद कैरियर को भूल कर पहले घर देखना और घर की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए. लड़की को कभी अपनी जिंदगी से जुड़े अहम फैसले लेने का हक भी नहीं मिलता. कई बार सासससुर द्वारा बहू से डिमांड की जाती है कि वह उन्हें पोता ही दे.

इस तरह कभी पोते की चाह को ले कर सासससुर बहू पर हावी होते हैं तो कभी शादी के तुरंत बाद बच्चे की पैदाइश को ले कर उतावले रहते हैं. ऐसा लगता है जैसे बहू बच्चा पैदा करने की मशीन है. जब चाहे पोता पैदा करवा लो और यदि गर्भ में बच्ची है तो उस की हत्या कर दो. लगता है जैसेकि लड़की की अपनी कोई संवेदना ही नहीं. उस का कोई वजूद ही नहीं, रूढ़ीवादी सोच के चलते लड़की के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है.

बदल जाती है लड़की की जिंदगी

शादी वैसे तो 2 लोगों के बीच होती है, लेकिन अपेक्षाएं केवल बहू से ही की जाती हैं. वैसे ही नए माहौल में एडजस्ट होना और घर को संभालना उस के जीवन की चुनौती होती है. उस की जिंदगी में ऐसे कई बदलाव आते हैं जिन का सामना सिर्फ और सिर्फ लड़की को ही करना पड़ता है. यही नहीं नए रीतिरिवाजों से ले कर सब के मन की करने का बोझ भी घर की नई बहू पर डाल दिया जाता है.

जिन लड़कियों के लिए जिंदगी में कैरियर बहुत महत्त्वपूर्ण होता है उन्हें भी शादी के बाद अपनी प्राथमिकताएं बदलनी पड़ती हैं. एक अच्छी बहू, पत्नी बनने के चक्कर में कैरियर बहुत पीछे छूट जाता है. बची हुई कसर उन के मां बनने के बाद घर पर रह कर बच्चा संभालने की जिम्मेदारी पूरी कर देती है.

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सोसाइटी में दिखावा

समाज में दिखावा करने का रिवाज बहुत पुराना है. बहू के आने के बाद शादी में मिले सामान से ले कर उस की खूबसूरती और कुकिंग स्किल्स को ले कर ससुराल वाले रिश्तेदारों के सामने तारीफ करते नहीं थकते. ऐसा कर के वे समाज में अपनी हैसियत बढ़ा रहे होते हैं. सोसाइटी में अच्छी और बुरी बहू के कुछ पैमाने बने हुए हैं जिन के आधार पर एक बहू को जज किया जाता है. बहू घर का कितना काम करती है, कितनी जल्दी पोते का मुंह दिखा रही है या कितने बड़े घर से आई है जैसी बातें ही उस के अच्छा और बुरा बनने का फैसला करती हैं.

समाज को नहीं भाती आत्मनिर्भर लड़की

समाज में एक आत्मनिर्भर बहू को पचा पाना आज भी मुश्किल है. अगर बहू अपने पहनावे, कैरियर और दोस्तों से मिलनेजुलने जैसी बातें खुद डिसाइड करती है तो ससुराल में उस का टिकना मुश्किल हो जाता है. उस के पति और सासससुर को यह बात बिलकुल रास नहीं आती है. अगर एक बहू काम से घर पर देर से लौटती है तो उसे जज किया जाता है. लड़के दोस्त होने पर उस के चरित्र तक पर सवाल उठाए जाते हैं और शादी के तुरंत बाद मां न बनने का फैसला उस में कई तरह की कमियां ढूंढ़ निकालता है.

जरूरी है कि महिलाएं खुद अपनी अहमियत को समझेंं और किसी भी तरह के दबाव को अपनी लाइफ पर हावी न होने दें. पुरुषों को भी जरूरत है इस सोच से ऊपर उठने की, बेटा हो या बेटी बिना किसी पक्षपात के बच्चे को अपना पूरा प्यार देने की.

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