राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड अपने अदम्य साहस व शौर्य के लिए पूरे भारत में जाना जाता है : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत आज यहां ‘1090’ चैराहे पर ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (ब्लैक कैट कार रैली) को झण्डी दिखाकर रवाना किया. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एन0एस0जी0) अपने अदम्य साहस व शौर्य के लिए पूरे भारत में जाना जाता है. भारत की सुरक्षा, स्वाभिमान व सम्मान को बनाये रखने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि एन0एस0जी0 ने सदैव संवेदनशील स्थिति में जब भी समाज में भय और असुरक्षा का माहौल रहा, तब वहां सुरक्षा व राहत देने का कार्य किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 15 अगस्त, 2022 को जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तब प्रत्येक देशवासी के लिए वह अत्यन्त गौरव का वर्ष होगा. आजादी की क़ीमत क्या होती है, यह वर्तमान पीढ़ी को बताने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आजादी अचानक नहीं मिली है. इसके लिए अनगिनत बलिदान दिये गये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में आजादी के अमृत महोत्सव को पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है. समाज का प्रत्येक वर्ग इससे जुड़ा है. देश को लम्बे संघर्ष और आन्दोलनों के बाद 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली. देश की स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाये रखने में पैरामिलिट्री, आम्र्ड फोर्स व सिविल पुलिस ने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि विगत दिनों सशस्त्र सेना बल (एस0एस0बी0) का एक दल प्रदेश आया था, जिसका उन्हें स्वागत करने का अवसर मिला था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गृह मंत्री, भारत सरकार श्री अमित शाह जी द्वारा 02 अक्टूबर, 2021 को ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ का शुभारम्भ लाल किला, दिल्ली से किया गया. उन्होंने कहा कि यह रैली 03 अक्टूबर, 2021 को आगरा पहुंची. यह रैली आज लखनऊ से वाराणसी को प्रस्थान कर रही है.
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश के अध्यात्मिक गौरव की वृद्धि में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है. उत्तर प्रदेश भारत की स्वाधीनता आन्दोलन का प्रमुख केन्द्र बिन्दु भी रहा है. प्रदेश में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम की अलख बलिया, गोरखपुर, मेरठ में जली थी. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष को विस्मृत नहीं किया जा सकता है. मंगल पाण्डेय के नेतृत्व मंे वर्ष 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम का बिगुल बजाया गया था. उन्होंने कहा कि मेरठ में धनपाल सिंह कोतवाल के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी गयी थी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है. 04 फरवरी, 1922 को जनपद गोरखपुर के चैरी-चैरा में देश की स्वाधीनता के लिए स्थानीय नागरिकों, किसानों व श्रमिकों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन किया था. प्रदेश सरकार ने अमृत महोत्सव और चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव को एक साथ जोड़ते हुए यह व्यवस्था बनाई है कि इन दोनों आयोजनों से जुड़े प्रदेश के प्रत्येक शहीद स्थल व स्वाधीनता से जुड़े पवित्र स्थलों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.

ज्ञातव्य है कि ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ कार रैली देश के 12 राज्यों के लगभग 18 शहरों से होते हुए 7500 किलोमीटर की यात्रा 29 दिनों (02 अक्टूबर से 30 अक्टूबर, 2021 तक) में तय करेगी. ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ लखनऊ से वाराणसी, बोधगया, जमशेदपुर, कोलकाता, भुवनेश्वर, बेहरामपुर, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, हैदराबाद, ओंगोल, चेन्नई, बंगलुरु, हुबली, मुम्बई, अहमदाबाद, जयपुर होते हुए नई दिल्ली वापस आएगी. यह रैली अपनी यात्रा के दौरान स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण कर देशभक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करेगी.

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल व महानिदेशक एन0एस0जी0 श्री एम0ए0 गणपति सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

दो युवतियां: भाग 1- क्या हुआ था प्रतिभा के साथ

वर्षों पहले एक बड़े शहर में 2 युवतियों की मुलाकात एक कालेज में हुई. एक उसी शहर की थी जबकि दूसरी किसी छोटे कसबे से शहर में पढ़ने आई थी. दोनों युवतियां अलगअलग परिवेश की थीं. दोनों का आर्थिक स्तर और विचारधारा भी अलग थी. दोनों के विचार आपस में बिलकुल नहीं मिलते थे, लेकिन दोनों में एक समानता थी और वह यह कि दोनों ही युवतियां थीं और एक ही कक्षा की छात्राएं थीं.

कक्षा में दोनों साथसाथ ही बैठती थीं, इसलिए विपरीत सोच और स्तर के बावजूद दोनों में दोस्ती हो गई थी. धीरेधीरे उन की यह दोस्ती इतनी प्रगाढ़ हो गई कि वे दो जिस्म एक जान हो गई थीं.

शहरी युवती अत्याधुनिक और खूबसूरत थी. उस का पिता एक बड़ा अफसर था इसलिए वह बड़े बंगले में रहती थी. उस के पास सारी सुखसुविधाएं मौजूद थीं. वह कार से कालेज आतीजाती और महंगा मोबाइल इस्तेमाल करती थी. वह काफी खुले विचारों की थी इसलिए उस की दोस्ती भी कालेज के कई युवकों से थी. ऐसा लगता था, जैसे वह कालेज के हर युवक से प्रेम करती थी. कालेज का हर छात्र उस का दीवाना था. उस का खुलापन और युवकों के साथ उस की मित्रता देख कर कोई भी यह सहज अनुमान लगा सकता था कि वह उन युवकों में से ही किसी एक के साथ शादी करेगी.

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दूसरी तरफ कसबाई युवती इतनी सीधीसादी थी कि वह युवकों से बात करते हुए भी घबराती थी. वह होस्टल में रहती थी लेकिन अपनी कसबाई संस्कृति और संस्कारों से बाहर नहीं निकल पाई थी. उस के पास एक सस्ता सा मोबाइल था, जिस में उस के किसी बौयफ्रैंड का नंबर नहीं था. उस में केवल उस के मांबाप और कुछ रिश्तेदारों के नंबर थे. सुबहशाम वह केवल अपने मांबाप से ही बात करती थी.

शहरी युवती जब भी कालेज कैंपस में होती, उसे देख कर लगता जैसे चांद दिन में निकल कर अपनी शीतल चमक से सब को जगमग कर रहा है. युवक तारों की तरह उस के इर्दगिर्द लटक जाते और टिमटिमाने का प्रयास करते. कसबाई युवती उस के साथ बिलकुल वैसे ही लगती, जैसे एलईडी बल्ब के सामने जीरोवाट का बल्ब जल रहा हो. वह यदि अकेला जलता तो शायद थोड़ीबहुत रोशनी भी देता, लेकिन उस शहरी युवती के सौंदर्य के सामने उस की रोशनी बिलकुल फीकी लगती और ऐसा लगता जैसे दिन की रोशनी में शमा की रोशनी घुलमिल गई हो.

दोनों युवतियों की अपनीअपनी जिंदगी थी, उन की अपनीअपनी सोच थी और वे एकदूसरे के बारे में क्या सोचती थीं, यह अब उन्हीं की जबानी…

शहरी युवती…

जब से कालेज आई हूं, जीवन में एक अद्भुत परिवर्तन आया है. स्वच्छंदता है, उच्छृंखलता है, मस्ती और जोश है. इतनी सारी खुशियां पहली बार जीवन में आई हैं. समझ नहीं आता, उन्हें किस प्रकार समेट कर अपने दामन में भरूं. अगर समेट लूं, तो उन्हें सहेज कर कहां रखूंगी. डर भी लगता है कि कहीं एक दिन यह खुशियों का संसार टूट कर बिखर न जाए. कहते हैं, ‘खुशियों के दिन कम होते हैं.’ जीवन में जब ज्यादा खुशियां आती हैं, तो दुखों का अंधेरा उन से ज्यादा लंबा और घना होता है, लेकिन आगे आने वाले दुखों के बारे में सोच कर क्यों परेशान हुआ जाए. जब चारों तरफ फूल खिले हों, तो पतझड़ की कल्पना बेमानी लगती है. खुशियों का इंद्रधनुष जब आसमान में खिला हो तो काली घटाओं का आना बुरा लगता है.

ऐसी आजादी कहां मिलेगी? इतने सारे दोस्त और खुला वातावरण… युवकों के साथ दोस्ती करना कितना अच्छा लगता है. पहले कितने प्रतिबंध थे, अब तो कोई रोकनेटोकने वाला नहीं है. चाहे जिस से दोस्ती कर लो. युवक भी पतंगे की तरह युवतियों की तरफ खिंचे चले आते हैं. कितना शौक होता है युवकों को भी जल कर मर जाने का. समझ में नहीं आता, युवक इतने उतावले क्यों होते हैं युवतियों का प्यार हासिल करने के लिए. युवती को देखते ही उन का दिल बागबाग होने लगता है. वे लपक कर पास आ जाते हैं, जैसे युवती किसी विश्वसुंदरी से कमतर नहीं है और युवती के सामने उन की वाणी में कालिदास का मेघदूत आ विराजता है.

मेरी दोस्ती कई युवकों से है. सभी हैंडसम, स्मार्ट और अमीर घरों के हैं. वे मुझ पर मरते हैं. सभी ने मुझ से प्रेम निवेदन किया है, लेकिन मैं जानती हूं, ये सभी झूठे हैं. वे मेरे सौंदर्य पर मोहित हैं और येनकेन प्रकारेण मेरे शरीर को भोगने के लिए मेरे आगेपीछे भंवरे की तरह मंडराते रहते हैं, यह सोच कर कि कभी न कभी तो फूल का रस चूसने को मिलेगा.

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लेकिन मैं भी इतनी बेवकूफ नहीं हूं और न ही इतनी नादान कि एकसाथ कई युवकों से प्यार करूं. दोस्ती तक तो ठीक है, लेकिन इतने युवकों का प्यार ले कर मैं कहां रखूंगी? किसी एक से प्यार करना तो संभव हो सकता है, पर इन में से कोई भी युवक मुझे सच्चा प्यार नहीं करता. सब की बातें झूठी हैं, वादे खोखले हैं, बस मुझे लुभा कर वे मेरे सौंदर्य को पाना चाहते हैं. यदि मैं ने हंसीमजाक में किसी से शादी की बात कर ली, तो वह दूसरे दिन ही कालेज छोड़ कर भाग जाएगा, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी. भुलावे में रख कर उन को बेवकूफ बनाया जा सकता है. कम से कम कैंटीन में ले जा कर भरपेट खिलातेपिलाते तो हैं.

युवकों को विश्वास है कि मैं उन्हें दिल से प्यार करती हूं, लेकिन वे भुलावे में जी रहे हैं. मेरा झुकाव किसी की तरफ नहीं है, मैं उन में से किसी के साथ प्यार करने का जोखिम नहीं उठा सकती हूं. प्यार में खुशी के दिन कम और दुख के ज्यादा होते हैं. मिलन के बाद विरह बहुत दुखदायी होता है. मिलन तो क्षणिक होता है, लेकिन विरह की घडि़यां इतनी लंबी होती हैं कि काटे नहीं कटतीं. बिलकुल जाड़े की तरह काली अंधेरी, सिहरती रातों की तरह.

मेरी कोशिश है कि मैं किसी युवक के प्यार में न पड़ूं, इसलिए मैं उन से अकेले में मिलने से बचती हूं. एकांत दो दिलों को ज्यादा करीब ला देता है. एकदूसरे को अपनी भावनाएं व्यक्त करने का मौका मिलता है. भावुकता भरी बातें होती हैं. ऐसी बातें सुन कर दिल पिघलने लगता है और जब दो दिल साथसाथ पिघलते हैं, तो घुलमिल कर चाशनी की तरह एक हो जाते हैं. मैं ऐसा बिलकुल नहीं चाहती.

मगर युवकों का चरित्र भी बड़ा विरोधाभासी होता है. एक तरफ तो वे युवती को प्यार करने का दम भरते हैं और दूसरी तरफ उस पर शंका भी करते हैं, उस के ऊपर एकाधिकार चाहते हैं. जब मैं एक युवक से बात करती हूं, तो दूसरा क्रोध से लालपीला हो जाता है. मेरे ऊपर नाराजगी प्रकट करता है. मुझे दूसरे युवकों से बात करने, उन से मिलनेजुलने और उन के साथ घूमनेफिरने पर मना करता है. तब मैं उस से साफसाफ शब्दों में कह देती हूं, ‘‘मेरे ऊपर हुक्म चलाने की जरूरत नहीं है. मैं तुम्हारी दोस्त हूं, कोई खरीदी हुई वस्तु नहीं, समझे.’’

एक ही डांट में युवक को अपनी औकात समझ आ जाती है. वह सहम कर कहता है, ‘‘ऐसी बात नहीं है. मैं तो बस तुम्हें सचेत कर रहा था. वह युवक अच्छा नहीं है. वह तुम्हें बरगला कर तुम्हारी इज्जत के साथ खिलवाड़ कर सकता है.’’

‘‘अच्छा,’’ मैं मुसकरा कर कहती हूं, ‘‘लेकिन यही बात वह युवक भी तुम्हारे बारे में कहता है.’’

इस के आगे युवक की जबान बंद हो जाती है.

कालेज में युवकों से दोस्ती के दौरान मैं ने एक बात अनुभव की कि युवक हर युवती से अपनी दोस्ती को प्यार समझते हैं और इसी प्यार का वास्ता दे कर वे उस के शरीर को भोगना चाहते हैं. जब तक वे उस के शरीर को भोग नहीं लेते, तब तक उस के आगेपीछे मंडराते रहते हैं. जब उसे भोग लेते हैं तो उस के प्रति उन का प्यार कम होने लगता है और फिर किसी दूसरी युवती की तरफ देखना शुरू कर देते हैं.

यह मेरा ही नहीं बल्कि मेरी अन्य सहेलियों का भी व्यक्तिगत अनुभव है. मैं ने देखा है कि ऐसी युवतियां अकसर दुखी रहती हैं, क्योंकि एक बार अपना सबकुछ लुटा देने के बाद उन के पास कुछ नहीं बचता. फिर भी वे युवकों के प्रति पूरी तरह समर्पित रहती हैं, जबकि युवक भंवरे की तरह दूसरी युवती रूपी तितली के ऊपर मंडराने लगता है. मैं ने इन अनुभवों से यही सीख ली है कि कालेज में युवकों के प्यार में कोई स्थायित्व नहीं होता. यह केवल मौजमस्ती के लिए होता है. असली प्यार वही होता है, जिस में बंधन होता है, दायित्व होता है.

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सहेलियों की बात चली तो मैं बता दूं, मेरी एक सहेली है, जो मेरी अन्य सहेलियों से कुछ अलग है, लेकिन मेरी अभिन्न मित्र है. वह मेरी ही कक्षा में है और हम दोनों साथसाथ बैठती हैं, इसलिए दोनों में काफी लगाव है. वह किसी कसबेनुमा गांव की है

और यहां होस्टल में रहती है. बहुत आधुनिक नहीं है, लेकिन बुद्धिमान है. थोड़ी संकोची स्वभाव की है, ज्यादा बोलती नहीं है और युवकों के सामने तो वह शर्म के मारे निगाहें फेर लेती है. मेरे साथ रहती है, लेकिन मेरे किसी दोस्त से बात तक नहीं करती.

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आदित्य और Imlie को करीब आते देख मालिनी चलेगी नई चाल, होगी नई एंट्री

टीवी सीरियल इमली (Imlie) की कहानी में आए दिन नए ट्विस्ट देखने को मिल रहे हैं. जहां एक तरफ मालिनी की आदित्य को पाने की चाहत कम नहीं हो रही तो वहीं इमली के खिलाफ मालिनी की चालें उलटी पड़ रही हैं. इसी बीच सीरियल की कहानी नया मोड़ लेने वाली है जहां आदित्य और इमली की जिंदगी में एक नया शख्स दस्तक देगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

मालिनी की चाल हुई नाकाम

अब तक आपने देखा कि मालिनी (Mayuri Deshmukh) की मां अनु जानबूझकर नकली पूजा रखती है, जिसकी भनक इमली (Sumbul Touqeer Khan) को लग जाती है. इसी के चलते इमली और आदित्य डेट पर नहीं जा पाते, जिस पर मालिनी बेहद खुश होती है. हालांकि इमली उसे सबक सिखाने की ठानती है, जिसके चलते वह मालिनी के लिए घर पर डौक्टर को बुलाती है. हालांकि मालिनी चालाकी से बात बदल देती है.

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आदित्या के नए बौस की होगी एंट्री

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली और मालिनी को छोड़कर आदित्य औफिस जाएगा. जहां उसे पता चलेगा कि कंपनी में कोई नया बौस आया है, जो अखबार को एंटरटेनमेंट अड्डा बनाना चाहता है. दरअसल, आदित्य का नया बौस उसकी खबर को पहले पेज पर लाने से मना कर देगा, जिसके बाद उसे पता चलेगा कि पहले नंबर पर किसी की डेटिंग लाइफ की खबर छपेगी, जिसे सुनकर आदित्य का पारा बढ़ जाएगा. हालांकि देखना होगा कि नया बौस कौन है और वह आदित्य इमली की जिंदगी में कौनसा नया खेल खेलेगा.

इमली के खिलाफ मालिनी बनाएगी प्लान

दूसरी तरफ अपने बच्चे की परवाह ना करते हुए मालिनी का ध्यान आदित्य पर नजर आएगी. वहीं अपकमिंग एपिसोड में वह इमली और आदित्य पर नजर रखेगी. दरअसल, इमली रात में आदित्य के कमरे में जाएगी. जहां वह दोनों बेहद खुश होंगे वहीं मालिनी दोनों को साथ देख नई चाल चलेगी और तबीयत खराब होने का नाटक करती हुए नजर आएगी.

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अनुज को Anupama की कठपुतली कहेगा वनराज तो पाखी का बढ़ेगा गुस्सा

एक्ट्रेस रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) और सुधांशू पांडे (Sudhanshu Pandey) स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में इन दिनों फैमिली ड्रामा देखने को मिल रहा है. दरअसल, अनुज कपाडिया की एंट्री के बाद से जहां अनुपमा की जिंदगी बदल गई है तो वहीं वनराज और काव्या के रिश्ते में दरार आनी शुरु हो गई है. वहीं अपकमिंग एपिसोड में वनराज के खिलाफ उसकी बेटी पाखी भी होने वाली है, जिसके चलते वनराज टूट जाएगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

काव्या ने उठाया वनराज के खिलाफ कदम

 

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अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़िया से जलन के चलते वनराज जहां अनुपमा को ताने मारता नजर आ रहा है तो वहीं काव्या उसकी हरकतें देखकर परेशान नजर आ रही है. इसी के चलते काव्या (Madalsa Sharma) अपनी प्रोफेशनल लाइफ के लिए फैसला लेकर बिना वनराज को बताए अनुज और अनुपमा से मिलने जाती है. जहां वह दोनों के साथ काम करने के लिए राजी होती है. वहीं अनुज, अनुपमा से पूछता है कि वह काव्या को नौकरी पर रखे या नहीं, जिसके बाद अनुपमा, काव्या संग काम करने को राजी हो जाती है.

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अनुज रखेगा शर्त

 

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अनुपमा का फैसला जानने के बाद अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज कपाड़िया, काव्या के सामने शर्त रखेगा. दरअसल, अनुज, काव्या से कहेगा कि अनुपमा ने उसे ये जॉब देने का फैसला किया है और वनराज को लेकर चेतावनी देते हुए कहेगा कि उसे गारेंटी लेनी होगी कि उसका पति वनराज ऑफिस में आकर कोई तमाशा नहीं करेगा. पर्सनल लाइफ का उनके बिजनेस पर कोई असर नहीं होगा. वहीं अगर ऐसा हुआ तो वह उसे नौकरी से निकाल देगा.

 पिता पर बरसेगी पाखी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि काव्या की नौकरी की बात जानने के बाद वनराज बौखला जाएगा और उसे जमकर सुनाते हुए कहेगा कि पहले अनुज, अनुपमा की कठपुतली था अब वह भी हो गई है, जिसे सुनकर काव्या उल्टा जवाब देते हुए कहेगी कि उसे खुद को डौक्टर को दिखाना चाहिए. वहीं वनराज के गुस्से को देखकर अनुपमा बीच में आएगी, जिसके चलते वनराज उसे धक्का मार देगा. इन सब को देखकर पाखी का पारा चढ़ जाएगा और वह पूछेगी कि अगर पति-पत्नी एक दूसरे से परेशान होते हैं तो तलाक लेते हैं अगर बच्चे अपने माता-पिता से परेशान हो जाएं तो वह क्या करें? , जिसे सुनकर वनराज और अनुपमा इमोशनल हो जाएंगे.

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तो कहलाएंगी Wife नं. 1

आजकल अगर आप पत्नियों से यह पूछें कि पति पत्नी से क्या चाहता है तो ज्यादातर पत्नियों का यही जवाब होगा कि सौंदर्य, वेशभूषा, मृदुलता, प्यार.

जी हां, काफी हद तक पति पत्नी से नैसर्गिक प्यार का अभिलाषी होता है. वह सौंदर्य, शालीनता, बनावट और हारशृंगार भी चाहता है. पर क्या केवल ये बातें ही उसे संतुष्ट कर देती हैं?

जी नहीं. वह कभीकभी पत्नी में बड़ी तीव्रता से उस की स्वाभाविक सादगी, सहृदयता, गंभीरता और प्रेम की गहराई भी ढूंढ़ता है. कभीकभी वह चाहता है कि वह बुद्धिमान भी हो, भावनाओं को समझने वाली योग्यता भी रखती हो.

बहलाने से नहीं बनेगी बात

पति को गुड्डे की तरह बहलाना ही पत्नी के लिए पर्याप्त नहीं. दोनों के मध्य गहरी आत्मीयता भी जरूरी है. ऐसी आत्मीयता कि पति को अपने साथी में किसी अजनबीपन की अनुभूति न हो. वह यह महसूस करे कि वह उसे सदा से जानता है और वह उस के दुखसुख में हमेशा उस के साथ है. पतिपत्नी के प्यार और वैवाहिक जीवन में यह आत्मिक एकता जरूरी है. पत्नी का कोमल सहारा वास्तव में पति की शक्ति है. यदि वह सहृदयता और सूझबूझ से पति की भावनाओं का साथ नहीं दे सकती, तो वह सफल पत्नी नहीं कहला सकती.

पत्नी भी मानसिक तृष्णा अनुभव करती है. वह भी चाहती है कि वह पति के कंधे पर सिर रख कर जीवन का सारा बोझ उतार फेंके.

बहुतों का जीवन प्राय: इसलिए कटु हो जाता है कि वर्षों के सान्निध्य के बावजूद पति और पत्नी एकदूसरे से मानसिक रूप से दूर रहते हैं और एकदूसरे को समझ नहीं पाते हैं. बस यहीं से शुरू होती है दूरी. यदि आप चाहती हैं कि यह दूरी न बढ़े, जीवन में प्रेम बना रहे तो निम्न बातों पर गौर करें:

– यदि आप के पति दार्शनिक हैं तो आप दर्शन में अपनी जानकारी बढ़ाएं. उन्हें कभी शुष्क या उदास मुखड़े से अरुचि का अनुभव न होने दें.

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– यदि आप कवि की पत्नी हैं, तो समझिए वीणा के कोमल तारों को छेड़ते रहना आप का ही जीवन है. सुंदर बनी रहें, मुसकराती रहें और

सहृदयता से पति के साथ प्रेम करें. उन का दिल बहुत कोमल और भावुक है, आप की चोट सहन न कर पाएगा.

– आप के पति प्रोफैसर हैं तो आटेदाल से ले कर संसार की प्रत्येक समस्या पर हर समय व्याख्यान सुनने के लिए प्रसन्नतापूर्वक तैयार रहें.

– यदि आप के पति धनी हैं, तो उन के धन को दिमाग पर लादे न घूमें. धन से इतना प्रभावित न हों कि पति यह विश्वास करने लगे कि सारी दिलचस्पी का केंद्र उस की दौलत है. आप दौलत से बेपरवाह हो कर उन के व्यक्तित्व की उस रिक्तता को पूरा करें जो हर धनिक के जीवन में होती है. विनम्रता और प्रतिष्ठतापूर्वक दौलत का सही उपयोग करें और पति को अपना पूरा और सच्चा सान्निध्य दें.

– यदि आप के पति पैसे वाले न हों तो उन्हें केवल पति समझिए गरीब नहीं. आप कहें कि आप को गहनों का तो बिलकुल शौक नहीं है. साधारण कपड़ों में भी अपना नारीसौंदर्य स्थिर रखें. चिंता और दुख से बच कर हर मामले में उन का साथ दें.

हमेशा याद रखें कि सच्चा सुख एकदूसरे के साथ में है, भौतिक सुखसुविधाएं कुछ पलों तक ही दिल बहलाती हैं.

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Anik Ghee के साथ बनाएं पनीरी फिरनी

अगर आप डेजर्ट में कुछ हेल्दी और टेस्टी रेसिपी ट्राय करना चाहते हैं तो पनीरी फिरनी ट्राय करना न भूलें. पनीरी फिरनी टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी भी होती है, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली और फ्रेंड्स को डेजर्ट के तौर पर परोस सकते हैं. तो आइए जानते हैं इसकी रेसिपी…

सामग्री

100 ग्राम अनिक पनीर

1 कप फुल क्रीम अनिक दूध

1/4 कप अनिक मिल्क पाउडर

10-12 धागे केसर

1/4 छोटा चम्मच इलायची  चूर्ण

थोड़े काजू, बादाम, पिस्ता कटा

विधि

दूध उबालने रख दें. उबले दूध में  1 छोटे चम्मच दूध में केसर के धागे डाल दें.

दूध धीमी आंच पर उबलने दें. पनीर को अच्छी तरह मैश करें.

मिल्क पाउडर और पनीर उबलते दूध में डाल कर गाढा होने तक चलाते रहें.

केसर को दूध में घोट कर मिश्रण में डाले और चीनी भी.

ठंडा कर के इलायची  पाउडर, काजू, बादाम, पिस्ता की कतरनों से सजा कर सर्व करें.

जानें क्या है HIV होने के 12 लक्षण

एच आई वी यानि ह्यूमन इम्‍युन डिफिशिएंशी वायरस एक विषाणु है जो बॉडी के इम्‍यून सिस्‍टम पर नकारात्‍मक प्रभाव ड़ालता है और व्‍यक्ति के शरीर में उसकी प्रतिरोधक क्षमता को दिनोंदिन कमजोर कर देता है.

भारत की बात करें तो यहां एड्स के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं. यहां सबसे ज्‍यादा एचआईवी एड्स के केस (13107) महाराष्‍ट्र में दर्ज हुए हैं. वहीं दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है.

अगर पिछले वर्षों से तुलना करें तो संख्‍या लगातार बढ़ रही है. 2009-10 में 246,627 केस पूरे देश में आये, जबकि 2010-11 में यह संख्‍या बढ़कर 320,114 रही.

सही तरीके से देखभाल न करने की दशा में यह बीमारी बढ़कर एड्स का रूप धारण कर लेती है. एक सर्वे के अनुसार, एच आई वी के शुरूआती स्‍टेज में इसका पता नहीं चल पाता है और व्‍यक्ति को इलाज करवाने में देर हो जाती है. इसीलिए आपको एच आई वी के शुरूआती 12 लक्षणों के बारे में पता होना जरूरी है.

1. बार-बार बुखार आना: हर दो तीन दिन में बुखार महसूस होना और कई बार तेजी से बुखार आना, एच आई वी का सबसे पहला लक्षण होता है.

2. थकान होना: पिछले कुछ दिनों से पहले से ज्‍यादा थकान होना या हर समय थकावट महसूस करना एच आई वी का शुरूआती लक्षण होता है.

3. मांसपेशियों में खिचावं: आपने किसी प्रकार का भी भारी काम नहीं किया या फिर आप शारीरिक मेहनत का कोई काम नहीं करते , फिर भी मांसपेशियों में हमेशा तनाव और अकड़न रहती है. यह भी एच आई वी का लक्षण होता है.

4. जोड़ों में दर्द व सूजन: ढ़लती उम्र से पहले ही अगर आपके जोड़ों में दर्द और सूजन हो जाती है तो आपको एच आई वी टेस्‍ट करवाने की जरूरत है.

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5. गला पकना: अक्‍सर कम पानी पीने की वजह से गला पकने की शिकायत होती है लेकिन अगर आप पानी पर्याप्‍त मात्रा में पीते हैं और फिर भी आपके गले में भयंकर खराश और पकन महसूस हो, तो यह लक्षण अच्‍छा नहीं

6. सिर में दर्द: सिर में हर समय हल्‍का – हल्‍का दर्द रहना, सुबह के समय दर्द में आराम और दिन के बढ़ने के साथ दर्द में भी बढ़ोत्‍तरी एच आई वी का सबसे बड़ा लक्षण है.

7. धीरे-धीरे वजन का कम होना: एच आई वी में मरीज का वजन एकदम से नहीं घटता है. हर दिन धीरे – धीरे बॉडी के सिस्‍टम पर प्रभाव पड़ता है और वजन में कमी होती है. अगर पिछले दो महीनों में बिना प्रयास के आपके वजन में गिरावट आई है तो चेक करवा लें.

8. स्‍कीन पर रेशैज होना: शरीर में हल्‍के लाल रंग के चक्‍त्‍ते पड़ना या रेशैज होना भी एच आई वी का लक्षण है.

9. बिना वजह के तनाव होना: आपके पास कोई प्रॉब्‍लम नहीं है लेकिन फिर भी आपको तनाव हो जाता है, बात-बात पर रोना आ जाता है तो नि:संदेह आपको एच आई वी की जांच करवाना जरूरी है.

10. मतली आना: हर समय मतली आना या फिर खाना खाने के तुरंत बाद उल्‍टी होना भी शरीर में एच आई वी के वायरस का होना इंडीकेट करते हैं.

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11. हमेशा जुकाम रहना: मौसम आपके बेहद अनुकूल है लेकिन उस हालत में भी नाक बहती रहती है. हर समय छींक आती है और रूमाल का साथ हमेशा चाहिए होता है.

12. ड्राई कफ: आपको भयंकर खांसी नहीं हुई थी लेकिन हमेशा कफ आता रहता है. कफ में कोई ब्‍लड़ नहीं आता. मुंह का जायका खराब रहता है. अगर आपको इनमें से अधिकाशत: लक्षण अपने शरीर में लगते हैं तो आप एच आई वी टेस्‍ट जरूर करवाएं.

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Festive Special: त्योहारों के मौसम में Skin को ऐसे रखें जवां

त्योहारों के मौसम के शुरू होते ही सर्दियों की आहट भी आने लग जाती है. आज हम आपको बताएंगे कि त्योहारों के इस मौसम में त्वचा को कैसे रखें जवां और चमकदार.

ऐसे रखें त्वचा को जवां जवां

पपीता, शहद और नींबू को आपस में मिलाकर लगाये. पपीता में मौजूद पपेन नाम का एंजाइम प्राकृतिक तरीके से मृत त्‍वचा की परत को उतारता है. एंटी-बैक्टीरियल गुण से युक्त शहद त्‍वचा को मुलायम बनाता है. जबकि साइट्रिक एसिड युक्त नींबू त्‍वचा को चमकाने का काम करता है.

चीनी, नींबू का रस और आलिव आयल को एक साथ मिक्स करके आप बाडी स्‍क्रब तैयार कर सकती हैं. मुलायम त्वचा के लिए यह स्क्रब सही है. इसके मिश्रण को अपने शरीर पर चीनी के घुलने तक धीरे-धीरे रगड़ें. इससे त्वचा की रंगत निखरती है.

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हल्दी, चंदन पाउडर, बेसन और दूध का उबटन त्वचा पर लगाएं. इसका जादुई स्पर्श अपकी त्वचा को त्‍वचा को चमकाने में आपकी मदद करेगी. एंटी-आक्‍सीडेंट गुणों से भरपूर हल्‍दी और चंदन त्वचा में कसाव लाते हैं, जबकि बेसन मृत त्वचा को हटाकर त्वचा को प्रोटीन उपलब्‍ध करवाता है. दूध त्‍वचा की रंगत को निखारने का काम करती है और त्वचा को मुलायम बनाती है.

अगर आपकी त्वचा तैलीय है, तो त्वचा से ब्लैकहेड्स और अतिरिक्त आयल हटाने के लिए कोई अनाज वाले स्क्रब का इस्तेमाल करें. इससे आपकी त्वचा की ऊपरी परत हेल्दी रहेगी, मुंहासे नहीं होंगे और त्वचा चमकदार बनी रहेगी.

दही, एवोकाडो और शहद को मिक्स कर चेहरे पर लगाएं. इससे त्वचा में निखार आता है. दही में लैक्टिक एसिड होता है, जो त्‍वचा की चमक बरकरार रखने वाले कोलेजन का उत्‍पादन करता है. एवोकाडो में आवश्‍यक फैटी एसिड होता है, जो त्‍वचा को मजबूत, नरम और अधिक लचीला बनाने में मदद करता है.

पपीता, एवोकाडो, ककड़ी के गूदे में दो चम्मच क्रीम मिलाकर फेस पैक तैयार करें. इसे त्‍वचा पर 20 मिनट तक लगा रहने दें. इसके बाद हल्‍के गुनगुने पानी से त्वचा को धो लें.

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महिलाओं के लिए Insurance

इंश्योरेंस पॉलिसी कोई भी हो, इसका एक मात्र उद्देश्‍य हमारा और हमारे अपनों का भविष्‍य बेहतर और सुरक्षित बनाना होता है. लेकिन यह बात भी सही है कि एक इंश्‍योरेंस पॉलिसी सभी की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती. क्‍योंकि व्‍यक्ति दर व्‍यक्ति जरूरत और जिम्‍मेदारी अलग-अलग होती है.

महिलाओं की बात करें तो यह बात और भी जरूरी हो जाती है. आज के तेजी से ग्‍लोबल हो रहे भारत में महिलाएं हाउस वाइफ के दायरे से बाहर निकलकर प्रोफेशनल लाइफ में नए मुकाम हासिल कर रही हैं.

यही ध्‍यान में रखते हुए महिलाओं की जरूरत को देखते हुए इंश्योरेंस कंपनियां दर्जनों बीमा उत्पाद पेश कर चुकी हैं.

महिलाओं के लिए कौन सी कंपनियों की हैं पॉलिसी

देश की प्रगति में महिलाओं की बढ़ती हिस्‍सेदारी को देखते हुए लगभग सभी  इंश्योरेंस कंपनियों ने वुमन सेंट्रिक प्रोडक्‍ट पेश किए हैं. इन कंपनियों में सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी, आईसीआईसीआई प्रू लाइफ, एचडीएफसी लाइफ, एगॉन रेलिगेयर, बजाज अवीवा लाइफ इंश्योरेंस, बिरला सन लाइफ और कई अन्य कंपनियों ने महिला ग्राहकों के लिए बीमा पालिसी पेश की हैं. एलआईसी के कुल ग्राहकों में से करीब 28 फीसद महिला बीमाधारक हैं. इससे पता चलता है कि महिलाएं अपनी आर्थिक मजबूती के लिए कितनी सजग रहती हैं.

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वुमेन इंश्योरेंस में क्या है खास

महिला ग्राहकों को केंद्रित कर तैयार की गई बीमा पालिसी में महिलाओं से जुड़े तमाम जोखिम कवर को शामिल किया गया है. इनमें लाइफ कवर के साथ-साथ बीमारियों से जुड़ कवर भी शामिल हैं.

इनमें सामान्य अथवा गंभीर बीमारियां शामिल हैं. महिलाओं की बीमा पालिसी में प्रेग्नेंसी कवर को भी शामिल किया गया है. साथ ही इनके भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को देखते हुए पेंशन प्लान में भी महिलाओं के लिए प्रीमियम में छूट प्रदान की गई है.

कई कंपनियों ने ऐसी व्यवस्था की है कि अगर कोई महिला पूरे परिवार के लिए फैमिली पालिसी का चयन करेगी तो उसको प्रीमियम में ज्यादा छूट दी जाएगी.

सिंगल वुमन के लिए भी हैं स्‍पेशल प्‍लान

महिला एकांकी जीवन व्यतीत कर रही हैं उनके लिए भी भविष्य की आर्थिक सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए कई बीमा कंपनियों ने फ्यूचर प्रोटेक्शन प्लान भी पेश किए हैं. यह प्लान उन महिलाओं लिए भी अच्छे साबित हो सकते हैं जिनके कंधों पर उनके माता-पिता या सास-ससुर के भरण पोषण का दायत्वि भी है.

बच्‍चों की परवरिश के लिए स्‍पेशल पॉलिसी

बच्चों की सुरक्षा और उनकी शिक्षा को ध्यान में रखते हुए कई कंपनियों ने ऐसे प्लान लांच किए हैं जिनमें एक निश्चित अवधि के बाद महिला को इतनी रकम अवश्य मिल जाती है जिसके जरिये वह अपने बच्चे की शिक्षा के लिए अच्छी रकम हासिल कर सकती है. ग्रुप पालिसी के तहत भी महिलाओं के लिए जीवन बीमा निगम ने कुछ पालिसी पेश कर रखी हैं. इनमें आंगनबाड़ी समूह के लिए भी बीमा पालिसी शामिल है.

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कैसी पालिसी खरीदें

बीमा कंपनियों ने यूं तो महिलाओं से जुड़ी पालिसी उतारी हैं लेकिन पालिसी लेते वक्त यदि आपको लगता है कि वुमेन स्पेशल पालिसी से ज्यादा बेहतर कोई अन्य पालिसी है तो आप उसको भी खरीद सकती हैं लेकिन प्रीमियम में जो छूट वुमेन स्पेशल पालिसी पर मिलती है वह सामान्य पालिसी पर नहीं मिलती. इसके पालिसी खरीदते वक्त इस बात का ध्यान रखें कि जो पालिसी आप ले रही हैं आवश्यकता पड़ने पर वह आपकी जरूरतों को पूरा कर पाएगी या नहीं. मान लीजिए आपने बच्चे की उच्च शिक्षा को ध्यान में रखकर कोई पालिसी खरीदी है और आपको 15 साल बात पैसों की जरूरत पड़ती है लेकिन पालिसी 18 साल में पूरी होती है तो ऐसे में आप अपनी जरूरतें नहीं पूरी कर पाएंगी. इसलिए आप पालिसी के चयन में आयु, समय और आवश्यकता का ध्यान जरूर रखें.

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