अगर कश्मीर जाएं तो लें इन 5 जायकों का स्वाद लेना ना भूलें

कहते हैं अगर धरती पर कहीं स्वर्ग है, तो कश्मीर में है. कश्मीर प्राकृतिक खूबसूरती का खजाना है. अगर आप कभी कश्मीर नहीं गए, तो जल्दी से ट्रिप प्लान कर लीजिए. साथ ही अगर आप कश्मीर घूमने जाएं, तो कश्मीरी जायकों का लुफ्त उठाना न भूलें. आइए, हम आपको बताते हैं कश्मीर के खास जायके. जिन्हें अगर आप एक बार चखेंगी तो पूरी जिंदगी उनका स्वाद आपके जुबान से नहीं उतरेगा.

1. रोगन जोश

नौन-वेज खाने के शौकीनों को रोगन जोश डिश जरूर पसंद आएगी. आप इस जायकेदार रेसिपी को चावल या तंदूरी रोटी के साथ ट्राई कर सकती हैं. यह काफी जल्दी बन जाता और तो और इसमें कई प्रकार के मसाले होते है जिससे यह बेहद स्वादिष्ट हो जाता है. यह कश्मीर का बेहद चर्चित व्यंजन है.

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2. दम उलाव

इस डिश को बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता इसे बनाने के लिये सबसे पहले दही और कश्मीरी लाल मिर्च के पेस्ट का प्रयोग होता है जिसकी वजह से दम उलाव काफी स्वादिष्ट हो जाता है. इसे बनाने के लिये सबसे पहले आलू को उबाल लिया जाता है फिर ज्यों का त्यों उसे गर्म तेल में फ्राई कर लिया जाता है उसके बाद इसे बनाने की मुख्य प्रक्रिया शुरू होती है. इस व्यंजन को स्वादिष्ट बनाने में सबसे ज्यादा योगदान इसमें डलने वाले मसालों का होता है, ये देखने में आलू-दम की तरह ही होता है लेकिन बेहद स्वादिष्ट होता है.

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3. मोदूर पुलाव

अगर आप कभी भी कश्मीर जाएं तो एक बात जरूर ध्यान में रखियेगा और वो है वहां की पुलाव. इसका स्वाद मीठा होता है इसमें तमाम प्रकार के मसालों के साथ साथ काफी मात्रा में ड्राई फ्रूट्स तथा शुद्ध देसी घी का प्रयोग किया जाता है. इस चावल का रंग केसरिया होता है और यह चावल मीठा होता है जिसकी वजह से इस व्यंजन का स्वाद मीठा होता है. अगर आप कश्मीर जाएं, तो मीठे जायके का मजा जरूर लें.

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4. थुकपा

इस डिश को बनाना जितना आसान है उतना ही स्वादिष्ट इसका स्वाद है जिसे एक बार चखने बाद शायद आप इस नूडल से बने डिश को कभी ना भूल पाएं. यह नौनवेज और वेज दोनो ही प्रकार का होता है. गाढ़ी नूडल्स की ग्रेवी वाली इस डिश को आप सूप की तरह खा सकती हैं.

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5. कहवा और बटर-टी

कश्मीर के सबसे मशहूर जायकों में से एक. अगर आपने कश्मीर में जाकर कहवा या बटर टी का मजा नहीं लिया, तो समझिए आप बहुत कुछ मिस कर दिया. तो कश्मीर घूमने जाएं, तो यहां के इन जायकों को चखना न भूलें. क्योंकि ठंड में गर्मा गरम चाय या कौफी का मजा ही कुछ अलग हो जाता है.

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आशा की नई किरण: भाग 2- कौनसा मानसिक कष्ट झेल रहा था पीयूष

‘‘बस यही कि आप एक अच्छे डाक्टर से सलाह ले कर इलाज करवा लें और जब तक आप का इलाज चलता रहेगा, मैं अपने जौब पर वापस जा कर खुश रहने का प्रयास करूंगी.’’

पीयूष सोच में पड़ गया. स्वाति का काम पर जाना उसे पसंद नहीं था. दरअसल, वह अपनी यौन अक्षमता से परिचित था और वह नहीं चाहता था कि शादी के बाद स्वाति अन्य पुरुषों के संपर्क में आए. स्त्री की अधूरी इच्छाएं और कामनाएं उसे भटका सकती थीं. इन पर किसी स्त्री का जोर नहीं चलता.

‘‘बाहर जा कर काम करने की इच्छा तुम मन से निकाल दो,’’ पीयूष ने कुछ कड़े स्वर में कहा, ‘‘मां, कभी नहीं मानेंगी और अगर मैं ने इजाजत दी तो घर में बेवजह कलह पैदा होगा. परंतु मैं एक काम कर सकता हूं. तुम में रचनात्मक प्रतिभा है. मैं घर पर कंप्यूटर ला देता हूं. तुम लेखकहानी लिख कर पत्रपत्रिकाओं में भेजो. इस से तुम्हारे अंदर का रचनाकार जीवित रहेगा और तुम समय का सही उपयोग भी कर सकोगी.’’ स्वाति जो चाहती थी, यह उस का सही समाधान नहीं था. चौबीसों घंटे घर पर रहने से एकाकीपन और ज्यादा डरावना लगने लगता है. यों तो स्वाति के ऊपर बाहर जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं था परंतु पुरानी सहेलियों और मित्रों से संपर्क टूट चुका था. एकाध से कभीकभार फोन पर बात हो जाती थी. अब उसे अपने पुराने रिश्तों को जीवित करना होगा. जिस घुटनभरी मानसिक अवस्था में वह जी रही थी, उस में उस का बाहर निकल कर लोगों के साथ घुलनामिलना आवश्यक था, वरना वह मानसिक अवसाद के गहरे कुएं में गिर सकती थी. स्वाति ने बुझे मन से पति के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया परंतु मन में विद्रोह के भाव जाग्रत हो उठे. वह बहुत सीधी, सरल और सच्चे मन की लड़की थी. उस के स्वभाव में विद्रोही भाव नहीं थे. परंतु परिस्थितियां मनुष्य को विद्रोही बना देती हैं. स्वाति के पास विद्रोह करने के एक से अधिक कारण थे परंतु अपनी मनोभावना को उस ने पति पर प्रकट नहीं किया. स्वाति ने संशय से पूछा, ‘‘और आप ने अपने बारे में क्या सोचा है?’’

‘‘अपने बारे में क्या सोचना?’’ उस ने टालने के भाव से कहा.

‘‘आप जानबूझ कर अनजान क्यों बन रहे हैं? क्या आप समझते हैं कि मैं इतनी भोली हूं और पुरुष के बारे में कुछ नहीं जानती. आप अपनेआप को किसी भ्रम में रखने की कोशिश न करें वरना मांजी पोतापोती का मुंह देखे बिना ही इस दुनिया से कूच कर जाएंगी.’’

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पीयूष कुछ पल चुप रहा, फिर गंभीरता से कहा, ‘‘मैं अपना इलाज करवा लूंगा.’’

‘‘तो फिर कब चलेंगे डाक्टर के पास?’’ स्वाति ने उत्साह से कहा.

‘‘तुम क्यों मेरे साथ चलोगी? मैं स्वयं जा कर डाक्टर से सलाह ले लूंगा,’’ पीयूष की आवाज में बेरुखी साफ दिखाई पड़ रही थी.

स्वाति के मन में कुछ चटक गया. पतिपत्नी के प्रेम की डोर में एक गांठ पड़ गई. पीयूष ने दूसरे ही दिन एक डैस्कटौप कंप्यूटर, प्रिंटर के साथ ला कर घर पर लगवा दिया. स्टेशनरी भी रख दी. स्वाति ने अपने भावों को शब्दरूप में ढालना आरंभ किया. उस के लेखन को प्रकाशन के माध्यम से गति मिली. इस से काफी हद तक उसे मानसिक सुख और शांति का अनुभव हुआ. स्वाति अपनी दुश्चिंता और मानसिक परेशानी से बचने के उपाय ढूंढ़ रही थी, तो दूरी तरफ सासूमां उस की परेशानी बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थीं. जैसेजैसे महीने साल में बदल रहे थे, सासूमां की वाणी की मधुरता गायब होती जा रही थी. उन के मुंह से अब केवल व्यंग्यबाण ही निकलते थे. स्वाति को बातबात पर कोसना उन की दिनचर्या में शामिल हो गया था. सासूमां की कटुता स्वाति अपनी कहानियों और कविताओं में भरती रहती थी.

सासूमां अकसर टोकतीं, ‘‘स्वाति, कुछ घर की तरफ भी ध्यान दो.’’

‘‘मेरे बिना घर का कौन सा काम रुका पड़ा है?’’ स्वाति ने अब अपनी स्वाभाविक सरलता त्याग दी थी. वह भी पलट कर जवाब देने लगी थी.

‘‘शादी के कई साल हो गए. अभी तक एक बच्चा पैदा न कर सकी. घरगृहस्थी की तरफ कब ध्यान दोगी, बच्चे कब संभालोगी?’’

‘‘जब समय आएगा, बच्चे भी पैदा हो जाएंगे?’’

‘‘वह समय पता नहीं कब आएगा?’’ सासूमां बोलीं.

स्वाति कुछ नहीं बोली, तो सासूमां ने आगे कहा, ‘‘तुम्हारे पैर घर में टिकते ही नहीं, बच्चों की तरफ ध्यान क्यों जाएगा? बाहर तुम्हारे सारे शौक पूरे हो रहे हैं, तो पति से क्या लगाव होगा? उसे प्यार दोगी तभी तो बच्चे पैदा होंगे.’’ स्वाति ने जलती आंखों से सासूमां को देखा. मन में एक ज्वाला सी भड़की. इच्छा हुई कि सासूमां को सबकुछ बता दे, कमसेकम उन का कोसना तो बंद हो जाएगा, परंतु क्या वे उस की बात पर विश्वास करेंगी? शायद न करें, अपने बेटे की कमजोरी को वे क्यों स्वीकार करेंगी?

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‘‘पता नहीं कैसी बंजर कोख ले कर आई है. ऊसर में भी बरसात की दो बूंदें पड़ने से घास उग आती है, परंतु इस की कोख में तो जैसे पत्थर पडे़ हैं,’’ सासूमां के प्रवचन चलते ही रहते थे. सासूमां की जलीकटी सुनतेसुनते स्वाति तंग आ चुकी थी. लेख, कविता और कहानी के माध्यम से मन की भड़ास निकालने के बाद भी उस के मन की जलन कम नहीं होती थी. दिन पर दिन स्वाति का मानसिक तनाव बढ़ता जा रहा था. पीयूष की तरफ से उसे कोई सकारात्मक संकेत नहीं मिल रहे थे. उस ने कहा था कि वह एक आयुर्वेदाचार्य से सलाह ले कर जननेंद्रियों को पुष्ट करने वाली कुछ यौगिक क्रियाएं कर रहा था और दूध के साथ कोई चूर्ण ले रहा था. स्वाति समझ गई, वह किसी ढोंगी वैद्य के चक्कर में फंस गया था. एक नियमित अवधि के बाद जब दोनों ने संबंध बनाए तो स्वाति को पीयूष की पौरुषता में कोई अंतर नजर नहीं आया.

‘‘आप किसी अच्छे डाक्टर को क्यों नहीं दिखाते?’’ स्वाति ने कहा.

‘‘क्या फायदा, जब आयुर्वेद में इस का इलाज नहीं है तो अंगरेजी चिकित्सा में कहां होगा?’’

‘‘आप कैसी दकियानूसी बातें कर रहे हैं. आप पढ़ेलिखे हैं. एक अनपढ़गंवार व्यक्ति के मुंह से भी यह बात अच्छी नहीं लगती. आज विज्ञान कहां से कहां पहुंच गया. चिकित्सा के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति हो रही है. कम से कम आप तो ऐसी बात न करें.’’

‘‘ठीक है, अगर तुम कहती हो तो मैं डाक्टर को दिखा दूंगा,’’ पीयूष ने बात को टालते हुए कहा और बाहर की तरफ चल दिया.

स्वाति पति के टालू स्वभाव से हैरान रह गई. पता नहीं किस मिट्टी का बना है यह इंसान. सासूमां का अत्याचार उस के ऊपर बदस्तूर जारी था, बल्कि दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा था. उन के तानों और जलीकटी बातों से स्वाति का हृदय फट कर रह जाता था. दूसरी तरफ पति की उपेक्षा से उस की मानसिक परेशानी दोगुनी हो जाती. उसे लगता, इस भरीपूरी दुनिया में वह बिलकुल अकेली पड़ गई है. उस का पति और सास ही उस के दुश्मन बन गए हैं. अपने मम्मीपापा से वह अपनी परेशानी बता नहीं सकती थी. अपना दर्द वह उन के हिस्से में क्यों डाले. उन्होंने तो अपनी जिम्मेदारी निभा दी थी. उस की शादी कर दी. अब अपने दांपत्यजीवन की परेशानियों से अवगत करा कर उन्हें क्यों परेशान करे? उस ने ठान लिया कि वह स्वयं ही अपनी परेशानियों से लड़ेगी और जीत हासिल करेगी. इन्हीं दुश्चिंताओं से गुजरते हुए उस ने इंटरनैट पर एक प्रसिद्ध सैक्सोलौजिस्ट का नाम व पता ढूंढ़ निकाला, फिर पीयूष से कहा, ‘‘आप स्वयं तो कुछ करने वाले नहीं हैं. मैं ने एक डाक्टर के बारे में इंटरनैट से जानकारी प्राप्त की है. उन से अपौइंटमैंट भी ले लिया है. कल हम दोनों उन के पास चलेंगे.’’ पीयूष ने अपने स्वर में और ज्यादा तल्खी घोलते हुए कहा, ‘‘एक बात समझ लो, मैं किसी डाक्टर के पास नहीं जाने वाला, तुम अपने काम से काम रखो. घर संभालो, मां की सेवा करो, अपना लेखन कार्य करो. तुम्हें जो चाहिए, मैं ला कर दूंगा. मेरे बारे में कुछ करने की तुम्हें जरूरत नहीं है.’’

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धारा के विपरीत: भाग 2- निष्ठा के कौनसे निर्णय का हो रहा था विरोध

मार्च का महीना शुरू हो चुका था. निष्ठा के पेट पर हलका उभार दिखने लगा था जिसे वह ढीले कपड़ों में छिपाने की कोशिश करती रहती थी. अब उसे इंतजार था अगले महीने का जब मृदुल से उस की शादी हो जाएगी और यह बच्चा, जो अभी तक नाजायज है, फेरे पड़ते ही जायज हो जाएगा.

किसी का सोचा हुआ अक्षरशः कभी हुआ है क्या, जो निष्ठा का सोचा हुआ होता. मार्च का अंतिम सप्ताह आते-आते एक बार फिर से पूरा देश लौकडाउन की स्थिति में आ गया. कहीं पूर्ण तो कहीं आंशिक रूप से शहर और कसबे बंद होने लगे. घबराहट के मारे निष्ठा का बुरा हाल था.

महामारी को रोकने के प्रयास में सख्ती बढ़ाते हुए सरकार ने हर तरह के समारोहों पर रोक लगा दी. बहुत जरूरी होने पर केवल 11 लोगों की उपस्थिति में विवाह समारोह आयोजित किया जा सकता है. मृदुल के घर वालों ने विवाह की तिथि आगे खिसकाने की बात की जिसे निष्ठा के घर वालों ने सहर्ष स्वीकार कर लिया. आखिर सभी चाहते थे कि शादी धूमधाम से और सभी मित्रों, परिजनों की उपस्थिति में ही संपन्न हो.

निष्ठा ने सुना तो उस के पांवों तले से जमीन खिसक गई. अगली तारीख कम से कम तीनचार महीने बाद ही तय होगी. तब तक वह अपना पेट कैसे छिपा सकेगी?

पहले तो निष्ठा और मृदुल ने तय तिथि पर ही शादी करने की जिद की लेकिन जब उन की बात नहीं सुनी गई तो हिम्मत कर के निष्ठा ने अपनी मां से फोन पर बात की. जैसा कि खुद निष्ठा को अंदेशा था, उस के बिनब्याही मां बनने की खबर ने मां के भी होश उड़ा दिए.

“हाय, इतनी समझदार हो कर भी यह कैसी भूल कर बैठी लड़की,” मां ने माथा पीट लिया लेकिन अब हो भी क्या सकता था. अब तो, बस, एक ही उपाय है. किसी तरह 11 लोगों की गवाही में ही सही, लड़की को नदी पार लगा दिया जाए वरना नाक तो कट ही चुकी है.

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मां ने पापा को विश्वास में ले कर इस विपदा की सूचना दी. पापा ने बहुत सोचविचार कर समधियों को वस्तुस्थिति से अवगत करवाना सही समझा. समधी भी सुलझे हुए विचारों के थे. वे भी अवसर की नजाकत समझ कर पहले से तय तिथि पर ही शादी करने को राजी हो गए. सब ने राहत की सांस ली. समस्या का समाधान तो हो गया था लेकिन जरूरी नहीं कि हर कहानी का अंत उतना ही सुखद और समस्या का समाधान उतना ही आसान हो जैसा दिखाई दे रहा हो. निष्ठा के हिस्से अभी बहुत सी परीक्षाएं देनी शेष थीं.

इधर शादी में कुछ ही दिन शेष रह गए थे और उधर कोरोना था कि कम होने का नाम ही नहीं ले रहा था. हर रोज नए मरीजों के आने और बीमारी से होने वाली मौतों का आंकड़ा नया रिकौर्ड बना रहा था. कहीं लौकडाउन तो कहीं कर्फ्यू लगा था. यहां तक कि निष्ठा का शादी वाला लहंगा और मृदुल की शेरवानी भी उन्हें नहीं मिल पा रहे थे क्योंकि टेलर की दुकान अनिश्चित समय के लिए बंद कर दी गई थीं.

यह कोरोना की दूसरी लहर थी जो धीरेधीरे अपना प्रचंड रूप दिखा रही थी. कोई ऐसा घर, महल्ला नहीं बचा था जहां कोई मौत न हुई हो. ऊपर से औक्सीजन और दवाओं की कमी अलग. न अस्पतालों में जगह न डाक्टरों को फुरसत. एक बार जो इस वायरस की चपेट में आ कर अस्पताल में भरती हो गया, उस के वापस जिंदा लौटने के चांस बहुत ही कम देखे गए. कौन जाने वहां अस्पताल में क्या हो रहा था. न परिजनों को मिलने दिया जा रहा था और न ही अंदर की कोई खबर बाहर आ पा रही थी. ऐसे लग रहा था जैसे अस्पताल नहीं, कोई ब्लैकहोल हैं जिस में एक बार जो गया, उस की वापसी का कोई रास्ता शेष नहीं रहता.

निष्ठा और मृदुल के घर वाले तमाम सावधानियां रखते हुए शादी की तैयारियों में जुटे थे. हर दिन विकट होते हालात के मध्य, हालांकि यह आसान काम नहीं था लेकिन फिर भी, सब चाहते थे कि किसी तरह यह शादी निर्विघ्न निबट जाए क्योंकि निष्ठा अब गर्भपात करवाने वाली स्थिति में भी नहीं थी.

शादी में अब केवल सप्ताहभर बाकी था. बाहर से मेहमान तो कोई आने वाला नहीं था, बस, दोनों परिवारों और पंडित जी को मिला कर कुल 11 लोग ही इस शादी में शामिल होने वाले थे. निष्ठा और मृदुल किसी तरह किराए पर गाड़ी ले कर अपनेअपने घर पहुंचे.

कहते हैं कि भविष्य में घटित होने वाली किसी भी अप्रिय घटना का आभास हमारी छठी इंद्रिय को पहले ही हो जाता है. यह अलग बात है कि उन संकेतों को हम कितना पकड़ पाते हैं. 2 दिन हुए, निष्ठा का दिल किसी अनिष्ट की आशंका से बैठा जा रहा था. आज शाम को उस की आशंका यकीन में बदलने लगी जब मृदुल ने उसे फोन पर हरारत महसूस होने की बात कही. निष्ठा ने अपने मन को यह कह कर लाख भुलावे में रखने की कोशिश की कि यह सफर की थकान के अतिरिक्त कुछ नहीं है लेकिन मन उस के भुलावे में आने को राजी ही नहीं हुआ.

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विवाह के 3 दिनों पहले बुखार न उतरने की स्थिति में मृदुल की कोरोना जांच करवाई गई जो कि पौजिटिव आई. रिपोर्ट का पता चलते ही निष्ठा बेहोश होतेहोते बची. अनजाने ही उस के हाथ पेट पर चले गए जहां एक नन्हा सा जीव भी अपने जायज होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

सब एकदूसरे को दिलासा दे रहे थे कि 90 प्रतिशत लोग अस्पताल जाए बिना ही ठीक हो जाते हैं, इसलिए घबराने की कोई बात नहीं. लेकिन निष्ठा खुद को उन 10 प्रतिशत अभागे लोगों में शुमार कर रही थी जिन की स्थिति इस वायरस के कारण घातक हो जाती है. और हुआ भी यही. अगले ही दिन औक्सीजन लैवल में कमी आने के कारण मृदुल को अस्पताल ले जाना पड़ा. उस के बाद क्या हुआ, क्या नहीं, कुछ पता नहीं चला. ऐन शादी वाले दिन की सुबह मृदुल के न होने का समाचार आ गया. एक दुनिया बसने से पहले ही उजड़ गई.

निष्ठा की तो सोचने की शक्ति ही चुक गई. अपनी होने वाली संतान, जिसे वह प्रेम की निशानी समझ कर किसी भी कीमत पर बचाना चाह रही थी, उसे अपने शरीर का ऐसा रोगग्रस्त हिस्सा लगने लगी जिसे काट कर फ़ेंकना मात्र ही इलाज शेष है.

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आदित्य के साथ शादी तोड़ेगी Imlie, मालिनी का होगा सपना पूरा

स्टार प्लस सीरियल इमली (Imlie) में इन दिनों कई ट्विस्ट एंड टर्न्स देखने को मिल रहे हैं. जन्माष्टमी के जश्न में इमली की शादीशुदा जिंदगी में मालिनी ने जहर घोल दिया है, जिसके चलते इमली ने आदित्य संग अपने सारे रिश्ते तोड़ने का फैसला कर लिया है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

मालिनी की चाल हुई कामयाब

अब तक आपने देखा कि मालिनी (Mayuri Deshmukh) की वजह से इमली (Sumbul Touqeer Khan) और आदित्य (Gashmeer Mahajani) की शादी में भूचाल आ गया है. दरअसल, जन्माष्टमी खत्म के बाद आदित्य के नशे का फायदा उठाकर मालिनी उसके साथ रात बिताती है, जिसका पता इमली और उसके पूरे परिवार को चल जाता है. वहीं नानी, मालिनी को जमकर खरी खोटी सुनाती है.

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आदित्य मांगेगा माफी

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि जहां परिवार के लोग मालिनी को भला बुरा सुनाएंगे तो वहीं आदित्य इमली को समझाने की कोशिश करेगा. आदित्य पूरी कोशिश करेगा कि वह इमली को बात का यकीन दिला सके. लेकिन इमली नही मानेगी. वहीं मालिनी खुद को बेकुसूर होने का दिखावा करेगी. हालांकि इमली को उसपर यकीन नही होगा. लेकिन आदित्य और मालिनी की मां उस पर विश्वास करती नजर आएंगी.

इमली की मां लेगी फैसला

 

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अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि मालिनी की चाल से पूरी तरह टूट चुकी इमली मंदिर में जाएगी. जहां रखा दिया देखकर आदित्य कहेगा कि उसे अभी भी विश्वास है उस पर. लेकिन इमल कहेगी कि ये विश्वास अब टूट चुका है और लगता नहीं कि अब कभी जुड़ पाएगा. इस बीच इमली की मां जबरदस्ती इमली को त्रिपाठी हाउस से लेकर जाएगी. हालांकि इस दौरान मालिनी जहां खुश होगी तो आदित्य हैरान और टूट जाएगा. अब देखना होगा कि इमली के जाने के बाद मालिनी का अगला प्लान क्या होगा.

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मजबूत इरादों से बदले हालात

संतकबीरनगर . मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि प्रदेश की जेलों को हमनें सुधारगृह के रूप में बदला है. यहां अपराधियों को सुधरने का अवसर दिया गया है लेकिन जेलों को अपराध का गढ़ या अपराधियों की मौज मस्ती का केंद्र नहीं बनने दिया है. एक दौर वह भी था जब सत्ता माफिया का शागिर्द बन उसके पीछे चलती थी, आज माफिया पर हमारी सरकार का बुलडोजर चलता है.

सीएम योगी ने संतकबीरनगर जिले में 126 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित जिला कारागार का लोकार्पण समेत कुल 245 करोड़ रुपये की लागत वाली 122 विकास परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास करने के बाद जनसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार में माफिया को मिले सत्ता के संरक्षण पर जमकर निशाना साधा.

सुधरे नहीं तो हराम कर देंगे माफियाओं को जीना

सीएम योगी ने कहा कि माफिया के लिए हमारा संदेश बिलकुल स्पष्ट है. माफिया यदि गरीब, किसान, व्यापारी का जीना हराम करेगा तो हमारी सरकार उसका जीना हराम कर देगी. सरकार ने यह करके दिखाया भी है. मुख्यमंत्री ने कहा कि संतकबीरनगर में जिला कारागार बन जाने से अब यहां के कैदियों को बस्ती नहीं भेजना पड़ेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि यह कारागार सुधारगृह के रूप में आदर्श कारागार बनेगा.

पहले नौकरियां नीलाम होती थीं,अब ऐसा करने वालों के घर

मुख्यमंत्री ने कहा कि साढ़े चार साल पहले कैसी सरकार थी, इसे आप सभी जानते हैं. वंशवाद, भाई भतीजावाद, तुष्टिकरण से जनता के हित पर डकैती, गुंडागर्दी और दंगा ही प्रदेश की पहचान बन गई थी. नौजवानों की नौकरियों की नीलामी होती थी और गरीबों के निवाले की डकैती. नौकरियां पहले गिरवी रख दी जाती थीं. एक परिवार के लोग नौकरी के नाम पर वसूली करने निकल जाते थे. आज किसी ने नौकरी नीलाम करने की कोशिश भी की तो हम उसका घर नीलाम करवा देंगे.

योग्यता 4.5 लाख सरकारी नौकरियां, 90 हजार और आ रहीं

सीएम योगी ने कहा कि हमारी सरकार ने नौजवानों को उनकी योग्यता के आधार पर 4.5 लाख सरकारी नौकरियां दी हैं. पूरी पारदर्शिता के साथ, कहीं भी सिफारिश नहीं, एक रुपये वसूली की शिकायत नहीं. उन्होंने कहा कि 90 हजार सरकारी नौकरियां और आ रही हैं.

प्रतियोगी परीक्षाओं में जुटे नौजवानों को देंगे भत्ता, टेबलेट

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बार फिर नौजवानों के लिए प्रदेश सरकार की तरफ से खजाना खोलने की घोषणा की. उन्होंने कहा कि जब तक कोरोना का प्रभाव है, उनकी सरकार प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे नौजवानों को वाहन किराया भत्ता व तैयारी भत्ता देने जा रही है. इसके अलावा वर्चुअली या फिजिकली तैयारी करने वाले, उच्च-तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा में अध्ययनरत नौजवानों को मुफ्त टैबलेट के साथ उन्हें डिजिटल असेस भी प्रदान किया जाएगा.

महिलाओं के सुरक्षा,सम्मान व स्वावलंबन पर सरकार का जोर

सीएम ने कहा कि उनकी सरकार का जोर महिलाओं की सुरक्षा के साथ उनके सम्मान और स्वावलंबन पर भी है. 30 हजार महिला पुलिसकर्मीयों की भर्ती इसी दिशा में बढ़ाया गया महत्वपूर्ण कदम है. महिलाओं के हित में सरकार मिशन शक्ति, कन्या सुमंगला, निराश्रित महिलाओं को पेंशन जैसी अनेकानेक योजनाओं को निरंतर आगे बढ़ा रही है.

रेडीमेड गारमेंट का हब बन सकता है संतकबीरनगर

सीएम योगी आदित्यनाथ ने समारोह में विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के तहत पांच महिलाओं को टेलरिंग टूलकिट भी प्रदान किया. इसका जिक्र अपने संबोधन में करते हुए उन्होंने कहा कि यह टूलकिट महिलाओं के लिए पीएम नरेंद्र मोदी की मंशा के अनुरूप वोकल फॉर लोकल के मंत्र का अनुसरण करते हुए स्वरोजगार का मंच बन सकता है. सीएम ने कहा कि एक समय इस जिले का खलीलाबाद करघा और हथकरघा का बड़ा केंद्र हुआ करता था. ऐसे में यह रेडीमेड गारमेंट का हब क्यों नहीं बन सकता. अगर हम महिलाओं को आधुनिक सिलाई मशीन देकर उन्हें मार्केट से लिंक कर दें तो हर घर रेडीमेड गारमेंट बनने लगेगा. ऐसी स्थिति में रेडीमेड गारमेंट के उत्पादन के मामले में हम बांग्लादेश और वियतनाम को भी पीछे छोड़ सकते हैं.

बखिरा के बर्तन उद्योग को दिलाएंगे वैश्विक पहचान

मुख्यमंत्री ने संतकबीरनगर जिले के बखिरा के बर्तन उद्योग का भी प्रमुखता से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि कभी इस जिले की पहचान बखिरा के बर्तनों से होती थी. पूर्व की सरकारों में इसे भुला दिया गया लेकिन हम बखिरा के बर्तन उद्योग को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं. यह स्थानीय स्तर पर नौजवानों व महिलाओं के लिए रोजगार का बड़ा माध्यम बनेगा.

संतकबीरनगर में पीपीपी मॉडल पर बनेगा मेडिकल कॉलेज

सीएम योगी ने कहा कि एक समय तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस, मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों से बहुत मौतें होती थीं. इलाज का सारा दारोमदार गोरखपुर के जर्जर बीआरडी मेडिकल कॉलेज पर होता था. लोगों को मजबूरन लखनऊ, दिल्ली या मुम्बई जाना पड़ता था. आज प्रदेश के हर जिले में मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था हो रही है. गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज नए व बेहतरीन रूप में है. गोरखपुर में एम्स भी बनकर तैयार है जिसका उद्घाटन पीएम मोदी शीघ्र करेंगे. देवरिया, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, अयोध्या, गोंडा, बलरामपुर, बहराइच सुल्तानपुर, प्रतापगढ़ को मेडिकल कॉलेज की सौगात दी गई है. प्रदेश में कोई भी जिला शेष नहीं रहेगा जहां मेडिकल कॉलेज न हो. मुख्यमंत्री ने एक बार फिर कहा कि संतकबीरनगर में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज स्थापित किया जाएगा.

हर बाढ़ पीड़ित को उपलब्ध कराई जा रही राहत किट

संतकबीरनगर में लोगों से मुखातिब सीएम योगी ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश के चलते आई बाढ़ का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकार हर पीड़ित तक पर्याप्त मात्रा में राहत सामग्री का किट उपलब्ध करा रही है. साथ ही बाढ़ के कारण होने वाली बीमारी से बचाव के लिए लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पर्याप्त मात्रा में एंटी स्नेक वेनम और एंटी रेबीज वैक्सिन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है. उन्होंने जनप्रतिनिधियों से अपील की वे हर बाढ़ पीड़ित तक राहत सामग्री पहुंचना सुनिश्चित करें.

सपा-बसपा शासन के दौरान कोरोनाकाल में केरल, दिल्ली जैसे होते यूपी के हालात

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज यूपी में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण है. पर सपा-बसपा का शासन होता तो कोरोनाकाल में यूपी के हालात केरल व दिल्ली जैसे खतरनाक होते. उन्होंने यूपी में कोरोना पर प्रभावी नियंत्रण के लिए जनता के अनुशासन, स्वास्थ्यकर्मियों, कोरोना वारियर्स, जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों व मीडिया की भूमिका की सराहना की.

अब विकास में किसी से पीछे नहीं रहेगा संतकबीरनगर

सीएम ने अपने संबोधन में लोगों को जिले की विकास परियोजनाओं से जोड़ते हुए कहा कि अब संतकबीरनगर विकास के पैमाने पर किसी भी जनपद से पीछे नहीं रहेगा. उन्होंने कहा कि बाबा तामेश्वरनाथ और महान सूफी संत संतकबीर की यह धरती 24 वर्ष से विकास की आस में थी. विकास के लिए राजनीतिक घोषणाएं तो होती थीं लेकिन उनका क्रियान्वयन नहीं होता था. योजनाएं ठेके पट्टे, भाई भतीजावाद के चक्कर में फंसकर रह जाती थीं. पर बीते साढ़े चार सालों में परिवर्तन आया है.

245 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं से जुड़ा यह कार्यक्रम प्रदर्शित करता है कि यह जिला अब विकास के नए प्रतिमानों को छुएगा. विकास जनता की आवश्यकता है और इससे ही हर व्यक्ति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा. मुख्यमंत्री ने कहा कि दो वर्ष पूर्व मगहर आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संतकबीर की साधना स्थली पर कबीरपीठ की स्थापना की थी, इसके लोकार्पण की शुभ तिथि भी अब आने वाली है.

कोरोना से निराश्रित बच्चों को प्यार-दुलार

कार्यक्रम में कोरोना से निराश्रित बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना का स्वीकृति पत्र प्रदान करने के दौरान सीएम योगी ने बच्चों को खूब प्यार-दुलार दिया. उनसे उनकी पढ़ाई के बारे में पूछा और सिर पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिया. सीएम ने कहा कि हर पीड़ित के साथ सरकार खड़ी है. निराश्रित बच्चों के अलावा कोरोना से निराश्रित हुई महिलाओं के लिए भी सरकार शीघ्र योजना ला रही है.

कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों को स्वीकृति पत्र का वितरण

समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लाभार्थियों, मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना व शादी अनुदान योजना के लाभार्थियों तथा सामुदायिक शौचालयों का स्वच्छता प्रबंधन करने वाले स्वयं सहायता समूहों के केयर टेकर्स को मानदेय स्वीकृति पत्र का वितरण भी किया. कोविड 19 से मृतक सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को नियुक्ति पत्र प्रदान करने के साथ ही उन्होंने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना के लाभार्थियों को टूलकिट सौंपा. इस अवसर पर सीएम के हाथों सबमिशन ऑफ एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना के लाभार्थियों को चाबी का वितरण भी किया गया. समारोह में कारागार मंत्री जयकुमार सिंह जैकी, उद्यान एवं कृषि विपणन मंत्री श्रीराम चौहान, जिले के प्रभारी मंत्री व स्टाम्प पंजीयन मंत्री रवींद्र जायसवाल, सांसद प्रवीण निषाद, विधायक राकेश सिंह बघेल, दिग्विजय नारायण चौबे, दयाराम चौधरी आदि भी मौजूद रहे. आभार ज्ञापन अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने किया.

महिला सशक्तिकरण को विशेष महत्व

प्रदेश सरकार एक ओर अपनी योजनाओं से महिलाओं के मनोबल को बढ़ा रही है वहीं दूसरी ओर मिशन शक्ति जैसे वृहद अभियान से उनको सुरक्षा, सम्‍मान और स्‍वावलंबन का कवच प्रदान कर रही है. प्रदेश सरकार की दो योजनाओं से महिलाओं और बेटियों को लाभ मिल रहा है जिसमें पति की मृत्यु के बाद निराश्रित महिला पेंशन योजना और मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना से महिलाओं और बेटियों को सीधे तौर पर मदद मिल रही है.

मिशन शक्ति अभियान के तहत इन दोनों योजनाओं से नए लाभार्थियों को जोड़ने का कार्य किया जा रहा है. महिला कल्‍याण विभाग की ओर से स्‍वावलंबन कैंप कार्यक्रम का आयोजन कर नई महिलाओं बेटियों के आवेदनों को स्‍वीकार कर इस योजना के तहत लाभान्वित किया जा रहा है. बता दें क‍ि म‍िशन शक्ति अभियान से प्रदेश की महिलाओं और बेटियों को योगी सरकार की योजनाओं की जानकारी संग उनको विभिन्‍न योजनाओं से जोड़ा जा रहा है.

महज एक साल में जुड़े 1.73 लाख पात्र नवीन लाभार्थी

पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना  के तहत साल 2017 से 2021 तक पति की मृत्यु उपरान्त निराश्रित महिला पेंशन योजना के तहत कुल 12.36 लाख नए लाभार्थी जुड़े हैं. वहीं साल 2021-22 में 1.73 लाख पात्र नवीन लाभार्थी जोड़े गए हैं. अब तक 29.68 लाख महिलाओं को लाभान्वित किया जा चुका है. बता दें कि पात्र लाभार्थियों को 500 रुपए प्रतिमाह की दर से 04 तिमाही में पेंशन का भुगतान पीएफएमएस के जरिए से सीधे उनके बैंक खाते में किया जाता है. इसके साथ ही योजना के लिए लाभार्थी की आयु की अधिकतम सीमा को समाप्त करते हुए वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर 2.00 लाख कर दिया गया है.

कन्या सुमंगला योजना से संवर रहा बेटियों का भविष्‍य

प्रदेश में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने, बालिकाओं के स्वास्थ्य व शिक्षा को सुदृढ करने, बालिका के परिवार को आर्थिक सहायता प्रदान करने साथ ही बालिका के प्रति आम जन में सकारात्मक सोच विकसित करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने अप्रैल 2019 में मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना की शुरूआत की. इस योजना तहत अब तक 9.91 लाख लाभार्थियों को लाभान्वित किया जा चुका है.

Anupama के सामने अनुज कपाड़िया की बेइज्जती करेगा तोषू, मिलेगा करारा जवाब

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा में अनुज कपाड़िया की दोस्ती वनराज को परेशान कर रही है. हालांकि इस बात से काव्या बेहद खुश है और वह अनुपमा के साथ अपना रिश्ता सुधार रही है. लेकिन अब सीरियल की कहानी नया मोड़ लेने वाली है, जिसके चलते अनुज पर परितोष का गुस्सा देखने को मिलेगा. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे….

वनराज की बढ़ी जलन

सीरियल में अब तक आपने देखा कि अनुज (Anuj Kapadia) से मिलने काव्या – वनराज और अनुपमा (Anupama) जाते हैं. जहां मीटिंग के बाद अनुपमा और अनुज पार्टनर बन जाते हैं, जिसके चलते वनराज – काव्या को बड़ा झटका लगता है. वहीं किंजल की मां राखी दवे वनराज को भड़काती नजर आती है, जिसके कारण वनराज के दिल में अनुज और अनुपमा के लिए जलन देखने को मिलती है.

 

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वनराज के कैफे आएगा वनराज

 

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डील होने के बाद आप अपकमिंग एपिसोड में देखेंगे कि अनुज कपाड़िया (Anuj Kapadia), वनराज का कैफे देखने जाएगा. जहां पर अनुपमा (Anupama) उसे कैंडिल लाइट डिनर कराएगी. साथ हगी वह अपने हाथों से अनुज को खाना सर्व करेगी. दोनों के बीच गहरी दोस्ती होगी, जिसे देखकर वनराज नाखुश होगा. इस बीच काव्या (Madalsa Sharma) को गुस्सा आएगा कि आखिर उसका प्लान कैसे फेल हो गया.

 

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पारितोष के कारण अनुज को आएगा गुस्सा


अपकमिंग एपिसोड़ में आप देखें कि अनुज – अनुपमा के बीच बढ़ती दोस्ती को देख पारितोष भड़क जाएगा और अनुज कपाड़िया (Anuj Kapadia) पर गुस्सा करते हुए कहेगा कि भले ही समर की जान बचाई है, लेकिन हर दिन उनका इस तरह से आ जाना और हर चीज का हिस्सा बनना उसे पसंद नहीं है. तोषू कहेगा कि अनुज उनकी फैमिली चीजों से दूर रहे और इसके साथ ही उसे शाह हाउस से निकलने को कहेगा. तोषू की बाते सुनकर अनुज को गुस्सा आ जाएगा और वह कहेगा कि मैं यहां से अकेले नहीं जाऊंगा, यहां से मेरे साथ जाएगी इस कारखाने की डील और आप लोगों के प्रपोजल पास होने की उम्मीद भी जाएगा. अब न तो मैं ये कारखाना खरीदूंगा और न किसी को ये कारखाना खरीदने दूंगा. ये बात सुनने के बाद पूरा परिवार हैरान रह जाएगा. हालांकि अब देखना होगा कि क्या अनुपमा के लिए अनुज अपना फैसला बदलेगा.

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फैमिली के लिए बनाएं हेल्दी और टेस्टी बेबीकौर्न मंचूरियन

अगर आप घर में कुछ टेस्टी और हेल्दी बनाना चाहते हैं तो बेबी कौर्न मंचूरियनआपके लिए परफेक्ट डिश रहेगी. ये टेस्टी के साथ-साथ हेल्दी और कम समय में बनने वाली डिश है, जिसे आप आसानी से अपनी फैमिली को खिला सकते हैं. आइए आपको बताते हैं बेबी कौर्न मंचूरियन की टेस्टी रेसिपी…

सामग्री

– 100 ग्राम बेबीकौर्न

– 1/2 कप कौर्नफ्लोर

– 1/4 कप मैदा

– 1 बड़ा चम्मच चावल का आटा

– 1/4 छोटा चम्मच कालीमिर्च चूर्ण

– तलने के लिए पर्याप्त तेल

– नमक स्वादानुसार.

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अन्य सामग्री

– 2 छोटे चम्मच सोया सौस

– 2 छोटे चम्मच रैड चिली सौस

– 1 बड़ा चम्मच टोमैटो सौस

– 1 छोटा चम्मच व्हाइट सिरका

– 1 बड़ा चम्मच कौर्नफ्लोर

– 2 बड़े चम्मच प्याज बारीक कटा

– 1 छोटा चम्मच अदरकलहसुन पेस्ट

– थोड़ी सी धनियापत्ती कटी सजावट के लिए

– 2 छोटे चम्मच रिफाइंड औयल

– नमक स्वादानुसार.

विधि

कौर्नफ्लोर, मैदा व चावल के आटे को मिक्स कर पकौड़ों लायक घोल तैयार करें. इस में कालीमिर्च चूर्ण और नमक डालें. बेबीकौर्न को 1/2 इंच के टुकड़ों में काट लें. कड़ाही में तेल गरम कर प्रत्येक बेबीकौर्न के टुकड़े को घोल में डिप कर डीप फ्राई कर लें. एक नौनस्टिक कड़ाही में तेल गरम कर के प्याज सौते करें. अदरकलहसुन पेस्ट डाल कर 30 सैकंड चलाएं. फिर सोया सौस, चिली सौस, टोमैटो सौस और सिरका डालें. 1/2 कप पानी में कौर्नफ्लोर घोल कर डाल दें. इस में फ्राइड बेबीकौर्न डालें और धीमी आंच पर चलाती रहें. जब मिश्रण अच्छी तरह बेबीकौर्न पर लिपट जाए तब आंच बंद कर दें. सर्विंग डिश में पलट धनियापत्ती से सजा कर सर्व करें.

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आज भी बहुत मुश्किल है तलाक लेना

रैप गायक हनी सिंह और उस की पत्नी शालिनी में अब झगड़ा वकीलों की देखरेख में अदालत में पहुंच गया है. मजेदार बाद है हनी सिंह की वकील बेहद सुलझी हुई और हयूमन राइटस के लिए लडऩे वाली रैकोका जान है और उसने भी अदालत की राय से सहमति दिखाने कि मामले को ज्यादा खुली अदालत में नहीं उछलने दिया जाए.

शालिनी अपने पति (अभी तक तो डाइवोर्स नहीं हुआ न) से 20 करोड़ का कंपनलेशन, दक्षिणी दिल्ली में एक अच्छा मकान और 5 लाख रुपए हर माह खर्च के लिए मांगा है. जैसा सभी तलाक मामलों में होता है. शालिनी ने हनी सिंह पर शारीरिक, मानसिक व भावनात्मक अत्याचार का आरोप लगाया है और जज के कमरे में लंबी समझाहट के बाद भी बात नहीं बनी शालिनी को अपना सामान हनी सिंह के घर से समेट लाने की इजाजत मिली है.

तलाक लेना आज भी बहुत मुश्किल है जैसे भारतीय संस्कृति में नियम है. औरतों पर अत्याचार न हो इसलिए जो कानून बने हैं वे अब तलाक की प्रक्रिया को और बढ़ा देते है और मतभेदों के साथ कौंपलैक्स फैक्टर भी आ जाते हैं जिन से निपटने में वकीलों और जजों को वर्षों लग सकते हैं.

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अब वैसे तो विवाह संस्कार नहीं रह गया क्योंकि तोड़ा जा सकता है पर फिर भी हमारी अदालतें, पुलिस, परिवार सब मिल कर अलग होने वाले युगल इस तरह चक्की में पीसते हैं कि विवाह की कल्पना एक नाईट शेयर, बुरा सपना, बनने लगी है. बहुत से युवा इसीलिए विवाह नहीं कर रहे कि अगर तलाक हो गया तो क्या होगा.

विवाह 2 युवाओं का प्रेम पर मोहर लगाने की प्रक्रिया है. अब मेरा तुम्हारा नहीं, सब हमारा है. मेरी ङ्क्षजदगी तुम्हारी है और तुम्हारे बिना में अधूरी हूं. तुम साथ नहीं हो तो मैं न जाने क्या हो जाता हूं. जैसे भाव न जाने विवाह के बाद कब छूमंतर हो जाते हैं और तुम ऐसे, तुम वैसी हो, तुमने ऐसा क्यों किया, मुझ से पूछा नहीं, यह बात करने का तरीका है, अपनी जबान बंद रखो जैसी बातें जबरन डाली रहती है.

अफसोस यह है कि थोड़े से ही प्रयास के बाद दोनों के मांबाप, मित्र, सलाहकार हथियार डाल कर एक का पक्ष लेना शुरू कर देते हैं. एक बगुला भगत बन जाता है. दूसरा खूंखार बाज, गिद्ध. सहज संतोष की गुंजाइश ही नहीं रहती. जिस के साथ एक बिस्तर पर दिनों बिता वह दुश्मन हो जाता है. बच्चे हो गए हों तो भी फर्क नहीं पड़ता. वकीलों की मौजूदगी भी कोई राहत नहीं दिलाती क्योंकि वकील हर मामले अपने क्लाइंट को दूसरे की खामियां बढ़ाचढ़ा कर बताने की कोशिश करता है.

यह अफसोस है कि जैसे क्लाइमेंट कंट्रोल की जिम्मेदारी हर नागरिक, हर देश, हर उद्योग दूसरे पर डाल रहा, मानव जीवन की इस सब से बड़ी अहम ट्रेन के पटरी पर उतरने के मामले में सब उदासीन हैं. अदालतों में मामलों 10-15 साल तक चल सकते हैं. नरेंद्र मोदी जैसे पूरी ङ्क्षजदगी अकेले रह कर पत्नी को अकेली रहने को मजबूर कर सकते हैं. दुनिया भर में करोड़ स्त्री पुरुष तलाक के पहले की त्रासदी से जूझ रहे हैं.

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तलाक के बाद दूसरी शादी आसानी नहीं है. एक खरोंच खाए जाने से लंबी पारी, जीवन के अंत तक, खेलने का भरोसा कम रहता है. कोई भी दुनिया भर में पतिपत्नी संबंधों में नए सिरे से सोचने के बारे में प्रयास तक नहीं कर रहा. विवाह से मोटी कमाई करने वाले धर्म इस उलझन का मजा ले रहे हैं क्योंकि ज्यादातर मामलों पहले मध्यस्थ वे ही होते हैं और वकीलों की तरह वे भी कमाई कर रहे हैं.

अगर जा रही हैं श्रीनगर घूमने, तो यहां जाना ना भूलें

सर्दियों में घूमने-फिरने का मजा ही कुछ और है. कश्मीर के दिल में बसा श्रीनगर दरिया झेलम के दोनों किनारों पर फैला हुआ है. नगीन और डल जैसी विश्व प्रसिद्ध झीलें श्रीनगर की जान कही जा सकती हैं, जबकि अपने लुभावने मौसम के कारण श्रीनगर पर्यटकों को सारा वर्ष आकर्षित करता रहता है.

आज कश्मीर का सबसे खूबसूरत शहर श्रीनगर विश्वभर के पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है, जो 103.93 वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला हुआ और समुद्र तल से 1730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. अगर आप भी श्रीनगर जा रही हैं, तो ये 5 जगह देखना न भूलें.

डल झील

डल झील अपने हाउसबोट और शिकारे के लिए सबसे अधिक लोकप्रिय है. यह झील लगभग 26 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुई है. यह पानी सर्फिंग, हाउसबोट और शिकारा सवारी, तैराकी, मछली पकड़ना, कैनोइंग के लिए सबसे बेहतरीन जगह है.

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इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन

श्रीनगर में स्थित इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डन अपने वार्षिक ट्यूलिप महोत्सव के लिए बहुत मशहूर है. यह जाबारवन पर्वत की तलहटी में स्थित है. यहां देखने के लिए निशात गार्डन, शालीमार गार्डन, अचाबल बाग, चश्मा शाही गार्डन वर्ल्ड फेमस है.

निशात बाग

निशात बाग डल झील के किनारे पर स्थित है. इसका निर्माण 1633 में अब्दुल हसन आसफ खान ने किया था और यह सबसे बड़ा मुगल गार्डन है. यह पर्यटकों को अपने सौंदर्य की वजह से अपनी ओर खींचता है.

शंकराचार्य मंदिर

शंकराचार्य मंदिर एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है. यह श्रीनगर का एक अन्य पर्यटन स्थल है. यह मंदिर कई पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है. यह माना जाता है कि इसे 200 ईसा में सम्राट अशोक के बेटे जलुका द्वारा निर्माणित किया गया था. पहाड़ी से शीर्ष आगंतुकों पीर पंजाल पर्वत श्रृंखला की बर्फ से ढकी पहाड़ों की एक शानदार दृश्य प्राप्त कर सकते हैं.

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कैसे पहुंचे

श्रीनगर आने के लिए जम्मू रेलवे स्टेशन सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, जो यहां से 290 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह रेलवे स्टेशन देश के कई प्रमुख शहरों जैसे-बंगलौर, चेन्नई, त्रिवेंद्रम और अन्यं से भली-भांति जुड़ा हुआ है. पर्यटक रेलवे स्टेशन से श्रीनगर के लिए प्राईवेट टैक्सी भी हायर कर सकते हैं.

यहां का एयरपोर्ट शेख- उल- आलम एयरपोर्ट के नाम से जाना जाता है, जो शहर से 14 किमी. की दूरी पर स्थित है. यह एयरपोर्ट एक नेशनल एयरपोर्ट है जो देश के कई शहरों और राज्यों जैसे- मुम्बई, दिल्ली, शिमला और चंडीगढ़ आदि से जुड़ा हुआ है. एयरपोर्ट के बाहर खडी टैक्सी आपको वाजिब दाम में शहर की सैर या होटल तक पहुंचा देगी. विदेश से आने वाले पर्यटक दिल्ली के इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पर उतरें और वहां से 876 किमी. का सफर तय करके श्रीनगर पहुंचें.

घूमने का सबसे बेस्ट टाइम : आप पूरे साल श्रीनगर में घूम सकते हैं, लेकिन सर्दियों में मौसम ज्यादा खुशगवार रहता है.

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