घर की खूबसूरती में चार चांद लगाती हैं ये 4 लाइट्स

अब जब कि बारिश लगभग समाप्ति की ओर है और त्यौहारी मौसम प्रारम्भ हो चुका है. बारिश के बाद सितंबर अक्टूबर में खिली धूप निकलती है और साथ ही शुरू हो जाता है घरों में साफ सफाई और रिनोवेशन का कार्य. चूंकि अक्टूबर नवम्बर में दीवाली भी होती है इसलिए दीवाली की तैयारियां भी प्रारम्भ हो जाती है. इन दिनों कुछ लोग अपने नए अथवा पुराने घर का इंटीरियर भी कराते हैं. घर के इंटीरियर में लाइट का बहुत बड़ा योगदान तो होता ही है. साथ ही घर में लगी लाइट्स हमारी सेहत को भी प्रभावित करतीं हैं. एक रिसर्च के अनुसार सही लाइटिंग से शरीर रिलैक्स होता है, मूड सुधरता है, और दिमाग की प्रोडक्टिविटी बढ़ जाती है. हमारे स्लीप साइकल और मस्तिष्क की शक्ति पर भी लाइट का गहरा असर पड़ता है. इसके साथ साथ घर की सुंदरता में भी लाइटिंग चार चांद लगा देती है. इसीलिए आजकल बाजार में भांति भांति की रेंज और प्रकार की लाइट्स मौजूद हैं जिनमें से आप अपने बजट  के अनुसार अपने घर के लिए चुन सकते हैं. घर के हर कमरे में उसकी उपयोगिता के अनुसार लाइट लगवाना सही रहता है आइए जानते हैं विभिन्न लाइट्स के बारे में-

1. -इनकैंडिसेन्ट लाइट्स

वार्म अथवा पीली रंग की रोशनी वाले ये बल्ब दशकों से हमारे घरों में प्रयोग में लाये जा रहे हैं पर आज के दौर में नई नई लाइट्स आ जाने से  इनका उपयोग कुछ कम हो गया है.

2. -कॉम्पेक्ट फ्लोरोसेंट बल्ब(सी एफ एल)

साधारण बल्ब से 75 प्रतिशत कम बिजली की खपत वाले ये बल्ब कूल रोशनी और अलग ब्राइटनेस लेवल वाले होते हैं.

3. -एल ई डी(लाइट एमिटिंग डायोड)

सामान्य बल्बों के मुकाबले तीन गुना अधिक चलने वाले ये बल्ब सीधी और तेज रोशनी देने के साथ साथ गर्म भी कम होते हैं. साधारण इनकैंडिसेन्ट बल्बों के मुकाबले इनकी कीमत और लाइफ अधिक होती है.

4. -हैलोजन

ट्रेडिशनल बल्ब से कम बिजली की खपत वाले इन बल्वों की रोशनी दिन के उजाले के समान तेज ब्राइट और व्हाइट रोशनी वाले होते हैं. इनका उपयोग टास्क लाइटिंग के लिए होता है.

कैसी हो घर की लाइट सेटिंग्स

आजकल चूंकि लाइट्स के बिना घर की सजावट अधूरी है इसलिए यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि किस कमरे में कैसी लाइट लगाई जाए जिससे कमरे के सौंदर्य तो निखरे ही साथ ही वह आपके लिए उपयोगी भी साबित हो सके.

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5. -एम्बिएंट

कमरे की पूरी लाइट एंबिएंस बनाती है. ये पूरे कमरे के स्पेस को रोशन करतीं है और कमरे की नेचुरल लाइट कहलातीं हैं. आजकल तो घरों में सजावट के लिए फाल्स सीलिंग का प्रयोग किया जाता है. फाल्स सीलिंग में ही लाइट की व्यवस्था होती है आप अपनी रुचि के अनुसार वार्म या व्हाइट लाइट का प्रयोग कर सकते हैं. इस प्रकार की लाइटिंग के लिए शेडलियर, पेंडेंट लाइट, वाल स्कॉन्स और ट्रेक लाइट का प्रयोग किया जा सकता है.

6. -टास्क

वर्क और रीडिंग एरिया के लिए परफेक्ट होतीं हैं क्योंकि इनकी रोशनी का फोकस एक ही जगह पर होता है. डेस्क लैंप, अंडर कैबिनेट किचन या फिर किसी विशेष वस्तु को फोकस करने के लिए भी इस लाइट का प्रयोग किया जा सकता है. आजकल किचन कैबिनेट्स के नीचे कोप लाइट्स लगाने का भी चलन है जिसमें आप वार्म और व्हाइट कोई भी लाइट लगवा सकते हैं.

7. -एक्सेंट

केवल एक ही एरिया को हाइलाइट करती है जैसे पेंटिंग, स्कल्पचर या बुक केस. ये आसपास शैडो बनाती है जिससे कमरे को ड्रामेटिक इफेक्ट मिलता है. सभी प्रकार की वाल लाइट्स इसमें शामिल होती हैं.

कैसी हो कमरों की लाइट

8. -लिविंग रूम

एम्बिएंट लाइट्स के अलावा कमरे के कॉर्नर में एक्सेंट लाइट लगाई जा सकती है जिसे पेंटिंग चेयर या शो पीस पर फोकस किया जा सकता है.

-बैडरूम

नाइट लैम्प पर आमतौर से टास्क लाइटिंग लगाई जाती है यहां पर पूरे रूम में एक छोटी कोप लाइट भी लगाई जा सकती है. ड्रेसिंग टेबल पर टास्क लाइट ही सही रहती है. ड्रेसिंग टेबल पर लाइट्स की भरपूर व्यवस्था करवाएं ताकि आपको मेकअप करने में कोई परेशानी न हो.

-किचन

किचन में सिर के ठीक ऊपर एम्बिएंट, काउंटर स्पेस में लोअर टास्क लाइट और सिंक के ऊपर टास्क लाइट लगाई जा सकती है. आजकल किचन में हैंगिग लाइट्स लगाने का भी चलन जोरों पर है आप अपनी रुचि के अनुसार इसमें वार्म या व्हाइट लाइट का प्रयोग कर सकते हैं.

-बाथरूम

बाथरूम में मिरर के ऊपर टास्क लाइट लगाना तो सही रहता है परन्तु ओवरहेड टास्क लाइट परछाईं क्रिएट करती है इसलिए मिरर के दोनों तरफ लाइट होनी चाहिए. बाथरूम को पूरा रोशन करने के लिए ओवरहेड एम्बिएंट लाइट लगाई जानी ठीक रहती है.

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ध्यान रखने योग्य बातें

-किचन में वार्म लाइट्स के साथ साथ  व्हाइट लाइट को प्राथमिकता दें ताकि भोजन के रंग आपको अच्छी तरह दिख सकें.

-साधारण बल्बों की अपेक्षा एल ई डी बल्ब लगवाना सही रहता है भले ही इनकी कीमत कुछ अधिक होती है परन्तु ये चलती बहुत हैं और इनकी रोशनी आंखों को चुभती भी नहीं है.

-यदि आपका बजट है तो घर के हाल या सीढ़ियों पर शैंडलियर या झूमर अवश्य लगवाएं इससे आपके घर का सौंदर्य दोगुना हो जाएगा.

-आजकल रंग बिरंगी लाइट्स का भी बहुत चलन है आप इनका भी प्रयोग कर सकते हैं परन्तु इनका प्रयोग सीमित मात्रा में करना ही उचित होता है.

-लाइट्स के एक स्विच से सारी लाइट्स अटैच न करवाकर 2 या 3 लाइट्स ही करवाएं ताकि एक स्विच ऑन करने पर सारी ही लाइट्स न जल जाएं.

मनमाफिक मकान मिलना है मुश्किल

आज देशभर में किसी युवा जोड़े के लिए अपनी कमाई से अपना घर खरीदना लगभग असंभव हो गया है. जिनका पैकेज लाखों में है वे भी अपने मातापिता का पैसा जोड़ कर ही कुछ खरीद पाते हैं और जो मिलता है वह जरूरत से कम होता है. न मनमाफिक मकान होता है, न सुविधाएं, न साइज और न पड़ोस. सबको छोटे फ्लैटों या मकानों से काम चलाना पड़ रहा है और युवा जोड़ों को सुबून से 2 पल भी इन में अपने नहीं मिलते.

इसलिए जरूरी है कि पब्लिक प्लेसों को और खूबसूरत और ज्यादा बनाया जाए. इन में जोड़े, विवाहित हो या अविवाहित कम से कम हाथ पकड़ कर बतिया तो सकें. आमतौर पर शहरों के बागबगीचों मैलेकुचैले रहते हैं. बैच नहीं होते. पत्ते बिखरे रहते हैं. नशेड़ी कोनों में जम रहते हैं. बदबू आती है.

दिल्ली के लोधी गार्डन, रोशनारा गार्डन, या मुंबई की मेरिन ड्राइव जैसी जगह कई शहरों में हैं ही नहीं. दिल्ली में भी 2 करोड़ की आबादी के लायक सांस लेने की जगह काफी नहीं है और इसीलिए कुछ महिनों पहले तक इंडिया गेट पर हर इतवार को ऐसा लगता था कोई कुंभ का मेला हो. दिल्ली की घनी बस्तियों से उसे लोग सांस लेने के लिए पूरा इंडिया गेट व राजपथ भर देते थे. मोदी जी ने यह भी बंद कर दिया है. एक तरफ समर स्मारक बना दिया है जहां केवल वे ही किसी स्मारक में आते है. बाकी का सारा खुदा पड़ा है. उस का पुननिर्माण हो रहा है पर न जाने कैसा होगा.

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मुंबई और कई शहरों के मुकाबले के दिल्ली में बागबगीचे ज्यादा हैं पर इन में हिजड़ों और पुलिस वालों का मजमा रहता है. लोगों को खाने की जरूरत तो होती है पर जिस तरह से खोमचे और रेहड़ी वाले अच्छे बने बाग का सत्यानाश करते हैं वह हर घरवाली के लिए आफत है.

एक जमाने में लोग अपना खाना खुद लाते थे पर आज बाहर के खाने की संस्कृति इतनी है कि बच्चे बाहर आते ही खाना मांगते हैं और फिर जो गंद बागों में फैलता है वह इनका पर्पज ही खत्म कर देता है.

युवा जोड़ों को अपनी स्पेस मिले, यह बहुत जरूरी है. बन बैडरूम हाल में 4 जने रहते हो तो सब के साथ पूरा आकाश तो बांटने की इजाजत दो. उस पर यह मंदिर, वह स्मारक, यह मूॢत, वह फ्रूड कोर्ट तो न बनाओ.

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संबंध : भाग 4- भैया-भाभी के लिए क्या रीना की सोच बदल पाई?

‘‘तो इस में घबराने की क्या बात है, मां? भेज दो उस के मायके. बड़े चालाक बनते हैं वे. अपनी बीमार बेटी तुम्हारे मत्थे मढ़ गए.’’

‘‘उन्होंने तो हवाई जहाज की टिकटें भी भेजी हैं पर अंजू खुद नहीं जा रही और सच पूछो तो मेरा भी मोह पड़ गया है उस में, इतनी प्यारी है वह.’’

‘‘तो ठीक है, करती रहो सेवा उस की.’’

और फिर एक बार भी पलट कर उस का हाल नहीं पूछा था मैं ने. वैसे भी इधर व्यवसाय के सिलसिले में अश्विनी काफी परेशान थे. कई जगह माल भेज कर पैसों की वसूली नहीं हो पा रही थी. एक दिन शाम को बहुत झल्लाए थे मेरे ऊपर.

‘‘रीना, क्या तुम्हें नहीं मालूम तुम्हारी भाभी अस्पताल में हैं.’’

‘‘तो इस में नया क्या है?’’

‘‘क्या औपचारिकतावश उन का हाल नहीं पूछना चाहिए तुम्हें? अब वे घर आ गई हैं. चलो, मिल कर आते हैं. बीमार मनुष्य से यदि दो शब्द भी सहानुभूति के बोलो तो दुख बंट जाता है.’’

बेमन से मैं तैयार हो कर चल पड़ी थी. एक पल के लिए उन का पीला चेहरा देख कर तरस भी आया, पर न जाने दूसरे ही पल वह घृणा में क्यों बदल गया था. मैं मां से बतियाती रही. मां लगातार अंजू का ध्यान रख रही थीं और मैं कुढ़ रही थी. वातावरण को सामान्य बनाने के लिए मां बोली थीं, ‘‘रीना, अंजू का गाना सुनोगी?’’

मैं ने बेमन से ‘हां’ कहा. अंजू के प्रति छिपा तिरस्कार मां बखूबी पहचानती थीं. और तभी अंजू का गाना सुना. इतना मीठा स्वर मैं ने पहली बार सुना था. उन्होंने उस के कपड़े बदलवाए. उस की उंगलियां फिर मुड़ गई थीं. वह हमारे जाने से बहुत खुश होती थी. जितना मेरे पास आने का प्रयत्न करती मैं उसे मूक प्रताड़ना देती.

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अचानक अश्विनी अपने व्यवसाय की परेशानियां ले बैठे. अंजू सबकुछ चुपचाप सुनती रही. फिर भैया के साथ मिल कर उस ने बहुत मशविरे दिए. बाबूजी भी हतप्रभ से उस के सुझावों को सुन रहे थे. उस के सुझावों से अश्विनी को वाकई लाभ हुआ था. वह जब भी ठीक होती, भैया के साथ मेरे घर आती. गाड़ी में बैठ कर भैया के साथ कई बार दफ्तर जाती. बाबूजी तो अब वृद्ध हो गए थे. भैया दौरे पर चले जाते. वह फैक्टरी व दफ्तर अच्छी प्रकार संभाल लेती थी. 4 वर्ष के वैवाहिक जीवन में एक बार भी तो पलट कर मायके को न निहारा था उस ने. मेरी बिटिया को भी इतना प्यार करती कि कहना मुश्किल है. बाबूजी भी बेटी से ज्यादा स्नेह देते उसे. पर मैं उस वातावरण में घुटती थी.

बाबूजी तो अपने साथ घुमा भी लाते थे उसे. मां को कई बार हाथों से दवा और जूस पिलाते देखा था मैं ने. पर न जाने क्यों मेरे हृदय की वितृष्णा स्नेह में नहीं बदल पा रही थी. अश्विनी कई बार समझाते, पर मेरा दिल न पसीजता. बारबार अंजू का जिक्र होता और मैं उसे और तिरस्कृत करती. अब तो मैं ने वहां जाना भी छोड़ दिया था.

उड़तीउड़ती खबर सुनी थी कि आज अंजू मां की सेवा कर रही थी. अब उस ने घर भली प्रकार संभाल लिया है. कभी उस की बीमारी की खबर भी सुनती, पर एक कान से सुनती दूसरे कान से निकाल भी देती. एक दिन बाबूजी का फोन आया था. घबराहट से पूछ रहे थे, ‘‘अश्विनी कहां है?’’

‘‘वे तो अभी आए नहीं. क्यों? क्या बात है? क्या आज आप की बहू फिर बीमार हो गई?’’

मेरे स्वर की कड़वाहट छिपी न थी. उन्होंने कोई उत्तर नहीं दिया, फोन का चोगा रख दिया था. तभी अश्विनी का क्रुद्ध स्वर सुनाई पड़ा था, ‘‘हद होती है शुष्क व्यवहार की. एक व्यक्ति जीवनमरण के बीच झूल रहा है और तुम्हारे विचार इतने ओछे हैं कि तुम उन का मुख भी नहीं देखना चाहतीं. मनुष्य को मानवता के प्रति तो प्रतिबद्ध होना ही चाहिए. रीना, कम से कम इंसानियत के नाते ही मां का हाल पूछ लेतीं.’’

‘‘क्या हुआ मां को?’’

‘‘पिछले कई दिन से वे डायलिसिस पर हैं. डाक्टर ने गुरदे का औपरेशन बताया है,’’ वे कपड़े बदल कर कहीं जाने की तैयारी कर रहे थे.

‘‘कहां जा रहे हो?’’

‘‘अस्पताल.’’

‘‘तुम ने मुझे आज तक बताया क्यों नहीं कि मां बीमार हैं?’’

‘‘इसलिए कि तुम्हारे जैसी पाषाण- हृदया नारी कभी पसीज नहीं सकती. जीवनमरण के बीच झूलती तुम्हारी मां को गुरदे की आवश्यकता है? तुम्हारे जैसी मंदबुद्धि स्त्री को इन बातों से क्या सरोकार?’’

मैं भी साथ जाने को तैयार हो गई थी. कितना गिरा हुआ महसूस कर रही थी मैं स्वयं को. यदि मां को कुछ हो गया तो? बूढ़ा जर्जर शरीर एक अनजान की सेवा करता रहा, उसे अपनाता रहा, और मैं? उस की कोखजायी उस की अवहेलना ही तो करती रही. आज अपने शरीर का एक अंग दे कर मां की जान बचा लूं तो धन्य समझूं स्वयं को.

गाड़ी की गति से तेज मेरे विचारों की गति थी.

अस्पताल के बरामदे में भाभी, भैया व बाबूजी बदहवास से खड़े थे. अंजू फूटफूट कर रो रही थी.

‘‘दीदी, मेरा परीक्षण करवाइए. मैं गुरदा दूंगी मां को.’’

मैं ने मन में सोचा, ‘ढोंगी स्त्री, यह मां की जान बचाएगी? वह सुखी संसार इसी के कारण तो नरक बना था.’ डाक्टर से विचारविमर्श करने के बाद मेरा व अंजू का परीक्षण किया गया. हम दोनों ही गुरदा दे सकते थे, पर अंजू जिद पर अड़ी रही. बोली, ‘‘मेरे जीवन का मूल्य ही क्या है? मैं ने इस परिवार को दिया ही क्या है. यदि रीना को कुछ हो गया तो उस की बिटिया को कौन पालेगा?’’ उस के तर्क के सामने हम चुप हो गए थे. भाभी व मां को औपरेशन थिएटर में ले जाया गया था.

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औपरेशन का समय लंबा ही होता जा रहा था. डाक्टर ने बताया कि औपरेशन कामयाब हो गया है पर अंजू खतरे से बाहर नहीं है.

हम सब सन्नाटे में आ गए थे. पहली बार मैं ने भाभी के गुणों को जाना था. किस प्रकार उस ने स्वयं को इस परिवार से बांधा, मैं यह सब अब समझ सकी थी. मेरी आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बह रही थी. आज तक अंजू की मौत मांगने वाली रीना उस की दीर्घायु की कामना कर रही थी. डर सा लग रहा था कहीं उस का यह अंतिम पड़ाव न हो. भाभी के साथ भैया व मांबाबूजी का बंधन अटूट है. मेरा मन उस के प्रति सहानुभूति से भर गया था. तभी डाक्टर ने बताया, ‘‘अब अंजू खतरे से बाहर है.’’

भाग कर उस के बिस्तर तक पहुंच गई थी मैं. उस के माथे पर चुंबनों की बौछार लगा दी थी. सभी विस्फारित नेत्रों से मुझे देख रहे थे. शायद विश्वास नहीं कर पा रहे थे पर मेरी आंखों की कोरों से निकले आंसू भाभी के आंसुओं से मिल कर यह दर्शा रहे थे मानो यथार्थ और प्रकृति का समागम हो. मां का हाथ मेरे सिर पर था इंतजार था कब दोनों स्वास्थ्यलाभ ले कर अपने घर लौटेंगी.

पाखी को सबक सिखाएगा सम्राट तो सई उठाएगी नया कदम

सीरियल गुम है किसी के प्‍यार में की कहानी में जहां सई और विराट के बीच गलतफहमी बढ़ रही है तो वहीं इसका पाखी पूरा फायदा उठाने को तैयार है. हालांकि सम्राट के सामने पाखी का पूरा सच आ चुका है, जिसके चलते वह पूरी कोशिश कर रहा है कि विराट और सई की जिंदगी में वह कोई जहर ना घोल पाए. आइए आपको बताते हैं क्या होगी सीरियल की नई कहानी…

सई और विराट के बीच बढ़ी गलतफहमियां

अब तक आपने देखा कि सई के कारण विराट (Neil Bhatt) का ट्रांसफर रुकने के बाद से दोनों के बीच लड़ाई चल रही है. जहां विराट ने सई से अपने सारे रिश्‍ते खत्‍म कर दिए तो वहीं अब दोनों के बीच तकरार बढ़ने वाली है. हाल ही में जन्माष्टमी के बाद सई घर में होने वाली गृह शांति पूजा में शामिल नहीं होना चाहती है, जिसके चलते वह कॉलेज जाना चाहती है. हालांकि विराट उसे रुकने के लिए कहता है. लेकिन सई जवाब देते हुए कहती है कि जब उनके बीच रिश्ता ही नही तो दोनों इस पूजा में रहकर क्या करेंगे.

 

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सई ने उठाया कदम

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई विराट की बात मानने से इनकार कर देगी, जिसके चलते विराट सई को कमरे में बंद कर देगा. लेकिन सई, विराट के इस कदम से खुश नही होगी. इसी के चलते वह खिड़की से पाइप के जरिए नीचे उतरत हुई नजर आएगी. दूसरी तरफ सम्राट संग खुश होने का नाटक कर रही पाखी पर विराट और सई को शक होने लगेगा. इसी के चलते अपकमिंग एपिसोड में सम्राट भी इस सवाल का सच जानने की कोशिश करेगा और पाखी से पूछेगा कि वह विराट नही है जो उसके बहकावे में आ जाए. इसी के चलते दोनों के बीच बहस होती नजर आएगी.

अनुपमा को पार्टनर बनाएगा अनुज तो वनराज मारेगा ताना, ऐसे फूटेगा अनु का गुस्सा

सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) में आए दिन नए-नए ट्विस्ट आ रहे हैं. जहां अनुज और अनुपमा की बढ़ती दोस्ती वनराज को परेशान कर रही है तो वहीं काव्या भी नई चालें चलने की तैयारी करने में लगी है. इसी बीच सीरियल की कहानी में नया ट्विस्ट आने वाला है.

परितोष को खटकती अनुपमा की दोस्ती

अब तक आपने देखा कि अनुज अनुपमा के घर जाएगा. जहां वह सपना देखेगा कि परितोष, अनुज – अनुपमा की नजदीकियां देख भड़क जाएगा और वह उसे शाह निवास से निकलने के लिए कहेगा, जिसके जवाब में अनुज डील तोड़ने के लिए कहेगा. हालांकि ये केवल उसका एक सपना होगा. वहीं घर जाकर भी अनुज, अनुपमा को याद करेगा और सपना देखेगा कि वह उसके घर पर मौजूद है.

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घर आएगा अनुज

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुज कपाड़िया (Anuj Kapadia) और जीके बापूजी से मिलेंगे और शाह हाउस पहुंचेंगे. जहां पर अनुपमा (Anupama) के साथ अनुज किचन में खड़े होकर जलेबी प्लेट में सजाएगा. इसी बीच जॉगिंग करके काव्या, वनराज (Sudhanshu Pandey), पारितोष और किंजल लौटेंगे. वहीं अनुज और अनुपमा को देख पारितोष वनराज से कहेगा कि उसे अनुज का रोज इस तरह घर पर आना पसंद नहीं है.

वनराज लगाएगा अनुपमा पर इल्जाम

परितोष का अनुज की तरफ बिहेवियर देख वनराज का गुस्सा बढ़ जाएगा और अपकमिंग एपिसोड में वनराज अनुपमा के दामन पर दाग लगाएगा. दरअसल, अनुज (Anuj Kapadia), अनुपमा को बिजनेस डील की डीड देगा और कहेगा कि वह आज से उसकी पार्टनर बनकर काम करेगा. ये सुनकर जहां पूरा परिवार खुश होगा तो वहीं काव्या और वनराज गुस्से में नजर आएंगे. जिसके चलते वनराज, अनुपमा पर भड़क जाएगा और सबके सामने ही अनुपमा से कहेगा कि ये डील इसलिए हुई है क्योंकि अनुपमा, अनुज का क्रश है और बचपन का प्यार भी, जिसे सुनकर अनुपमा अपना आपा खो देगी और वनराज को खूब लताड़ लगाएगी. हालांकि बापूजी अनुपमा का साथ देते नजर आएंगे.

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जनसंख्या विस्फोट से अधिक खतरनाक है क्लाइमेट चेंज, जानें यहां

मुंबई हर मानसून में पानी-पानी हो जाती है और ये धीरे-धीरे हर साल बढती जा रही है, कितना भी कोशिश प्रसाशन कर ले, इसे रोक नहीं पाती. कई लो लाइंग एरिया को ऊपर किया गया, रास्ते और सीवर लाइन बदले गए, लेकिन मानसून में पानी जमा होने को रोक नहीं पाये, जिससे हर साल यहाँ के निवासियों को बाढ़ जैसे हालात का सामना मानसून में करना पड़ता है. असल में इस महानगरका तापमान पिछले एक दशक में काफी बढ़ी है. एक दशक पहले 35 डिग्री सेल्सियस तक,अक्तूबर और नवम्बर में रहने वाला तापमान अब 35 से 40 डिग्री तक होने लगा है. इसकी वजह जंगल काटकर शहरीकरण करना, पर्यावरण पर अधिक दबाव का पड़ना है,जिससे ग्रीन जोन लगातार कम हो रहा है. यहाँ की जनसँख्या भी अधिक है, जिससे गाड़ियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. मुंबई में रहनेवालों के पास भले ही 350 स्कवायर फीट का घर हो, पर गाड़ी वे बड़ी खरीदते है, ऐसे कई विषम परिस्थितियों की वजह से पूरे विश्व में पर्यावरण प्रदूषण बहुतबढ़ चुकी है, जिससे जलवायु में परिवर्तन भी जल्दी दिख रहा है और ये समस्या जनसंख्या विस्फोट से भी अधिक भयावह हो गयी है, लेकिन विश्व इसे अनसुना कर रही है, ऐसे में अगर इसे रोकने की व्यवस्था नही की गई, तो आने वाली कुछ सालों में मुंबई और समुद्र के पास स्थित बड़ी-बड़ी शहरों को डूबने से कोई बचा नहीं सकेगा.

बदल रही है जलवायु

जलवायु परिवर्तन की समस्या से पूरा विश्व गुजर रहा है, जिसमें आर्कटिक में तीसरी बड़ी ग्लेसियर के पिघलने की वजह से इस साल वहां और कनाडा में भयंकर गर्मी पड़ना,जर्मनी में अचानक बाढ़ आना,अमेरिका की जंगलों में बिना मौसम के आग लगना, आदि न जाने कितने ही आपदा इस जलवायु परिवर्तन की वजह से हो रहा है, इसे गिन पाना संभव नहीं. एक नए शोध में यह बात सामने आई है कि आने वाली कुछ सालों में भारतीय मानसून और अधिकतीव्र हो जायेगा, इसकी वजह पिघलती बर्फ और बढ़ते कार्बन डाई आक्साइड है, जिससे समुद्र के निकवर्ती एरिया डूब जाने की आशंका है.

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किया अनदेखा क्लाइमेट चेंज को

इस बारें में एनवायरनमेंटलिस्ट भारती चतुर्वेदी कहती है कि क्लाइमेट चेंज का प्रभाव काफी सालों से दिख रहा था पर अमीर बड़े-बड़े देशों में नहीं दिख रहा था, सिर्फ हमारे देश में दिख रहा था. हमारे देश में इसका प्रभाव बहुत अधिक दिख रहा है, मसलन तापमान का बढ़ना, बारिश कम होना, सूखा पड़ना, भयंकर बाढ़ आना, अकाल पड़ना आदि कई समस्याएं दिखाई पड़ रही है. विश्व इस पर अधिक ध्यान भी नहीं देती थी, न इसे सच मानती थी. अब अमेरिका में हरिकेन तो कनाडा की वेस्ट कोस्ट में भीषण गर्मी होने और ग्रीनलैंड में तीसरी ग्लेसियर के पिघलने के बाद अब वे इस दिशा में सोच रहे है, जबकि क्लाइमेट चेंज पूरे विश्व के लिए बहुत बड़ा खतरा, सेहत और लाइफ के लिए है. जलवायु परिवर्तन से कई जानवर और पक्षी के समूह आज विलुप्त हो चुके है. ये बहुत ही खतरनाक है, इसलिए इसे अब समझना चाहिए.

चल रहा है आरोप-प्रत्यारोप

इसके लिए हर एक देश एक दूसरे पर आरोप लगाती है कि ये किसी देश की वजह से हुआ है, जबकि देखा जाय तो सारे अमीर देशों का अमीर होने में इंडस्ट्रियलाइजेशन और कोलोनियालिज्म खास महत्व रखता है.इंग्लॅण्ड और अमेरिका ने व्यवसाय की वजह से इतने पैसे कमाए और अमीर बने. इसमें बहुत सारे कोयला जलाया, पेट्रोल जलाया, क्योंकि कैलिफोर्निया जैसे शहर में किसी को भी कही जाने में गाडी लेनी पड़ती है, नहीं तोकहीं नहीं जा सकते, जबकि हमारे देश में बस, ट्रेन, मेट्रो को बहुत अच्छी सुविधा है. गाड़ी, कोयले और इंडस्ट्रियलाइजेशन का कल्चर होने की वजह से इनकी खपत बहुत अधिक है,इससे इन देशों ने अपनी इकॉनमी बढाई है. इसी से क्लाइमेट चेंज हुआ है और मेरा मानना है कि अमीर देशों ने गरीब देशों को इसका गिफ्ट दिया है. गरीब देश जिसमें भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, मालद्वीप आदि है, उन्हें भुगतना पड़ रहा है. अम्फान तूफान भी इस दिशा में बहुत भयंकर साइक्लोन था, इससे जो आर्थिक नुकसान हुआ, उसकी भरपाई इन अमीर देशों ने नहीं की. इतना ही नहीं हमारे देश में भी रहने वाले अमीर भी जलवायु परिवर्तन में अपना योगदान देने में पीछे नहीं है. मोटेतौर पर देखने से ये पता चलता है कि अमीरों के दिए गए इस भेंट को पाकर सारे गरीब देश और अधिक गरीब हो रहे है.

नहीं समझते जलवायु प्रभाव के दुष्परिणाम 

असल में ये बताना मुश्किल है कि कितने साल पहले से लोगों ने पर्यावरण पर ध्यान देना छोड़ चुके है, लेकिन कई ऐसे देश यहाँ और बाहर है, जो प्रकृति के साथ रहते है. आदिवासी और हिमालय की पहाड़ियों में रहने वाले गाँवों में रहने वाले लोग, जो वहां प्रकृति के साथ रहते है. उन्हें अपने भरण-पोषण के लिए जरुरत की सारी चीजें जैसे खान-पान, दवाई, आग जलाना आदि सब उन्हें उन जंगलों में मिलती है, इसलिए वे जंगल, नदी, पर्वत को अपना जीवन मान उसकी रखवाली करते है. देखा जाय तो पता चलता है कि विश्व में कुछ लोग ऐसे है, जबकि कुछ को ये तक पता नहीं होता है कि उनकी मोबाइल को बनाने में कितने खानों की खुदाई, पेड़ों की कटाई की जाती है और उससे पर्यावरण का प्रदूषणकितना होता है, क्योंकि इससे उन्हें कुछ लेना देना नहीं होता. इस प्रकार कुछ लोगों ने प्रकृति की संरक्षण को नहीं छोड़ा, जबकि उनकी नई पीढ़ी पर्यावरण पर ध्यान देना छोड़ रही है. दूसरे लोग जो पर्यावरण के बारें में कभी सोचा ही नहीं.

डूबने लगेंगे कई देश

डॉ भारती आगे कहती है कि उत्तरपूर्वी ग्रीनलैंड की हिमखंड जल्दी-जल्दी पिघल रही है. अगर ये ग्लेसियर पूरी तरह पिघल जाती है, तो पूरे फ्लोरिडा में 2 इंच पानी आने का खतरा होता. मेरा इसमें ये कहना है कि अब क्लाइमेट चेंज का प्रभाव धीरे-धीरे नहीं जल्दी-जल्दी हो रहा है. साल 2020 में पूरे विश्व में टिड्डियों का आक्रमण अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, राजस्थान, दिल्ली, कोलकाता आदि कई शहरों में हुई. इसके अलावा जलवायु परिवर्तन की वजह से राजस्थान, पश्चिमी बंगाल उत्तराखंड, महाराष्ट्र आदि कई शहरों में बिजली कड़कने की संख्या और इसकी घनत्व बढ़ रही है, जिससे लोगों की मृत्यु होने का आंकड़ा भी पहले से काफी बढ़ चुका है. ये परिवर्तन अचानक कुछ सालों से हो रही है. हालाँकि ग्रीनलैंड हमसे काफी दूर है, लेकिन बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि जगहों पर बिजली केकड़कने को हल्के में नहीं लेना चाहिए.

जनसंख्या विस्फोट से अधिक खतरनाक, जलवायु परिवर्तन

जलवायु परिवर्तन से जनजीवन पर प्रभाव कितना पड़ेगा? पूछने पर भारती कहती है कि हर देश पर इसका अलग-अलग प्रभाव होगा. मसलन इस साल कनाडा की वेस्ट कोस्ट में 49 डीग्री तापमान हो गयी थी. जबकि दिल्ली में 46 डीग्री तापमान होने पर लोग बीमार पड़ने लगते है, लेकिन इसमें अंतर इतना है कि यहाँ के लोग गर्मी की वजह से मरे है, आग लग गयी और एक शहर पूरा आग से भस्म हो गया, पर वे धीरे-धीरे सामान्य हो गए. इसका अर्थ यह है कि अमीर देशों के पास पैसे है, वे क्षतिग्रस्त लोगों को पैसा मुवावजे के रूप में दे सकते है, फिर से उस जले हुए शहर को बसा सकते है, लेकिन गरीब देश जैसे द्वीपों का समूह, जहाँ काफी लोग निवास करते है. जैसे-जैसे बर्फ पिघलेगा समुद्र का जल स्तर बढेगा और ये द्वीप समूह सागर में डूब जायेंगे, फिर ऐसे लोगों को किसी दूसरे स्थान पर ले जाना पड़ेगा, लेकिन वे जायेंगे कहाँ, फिर से कैसे अपना जीवन शुरू करेंगे? विद्रोह और रोष वहां के लोगों में होगा. उन्हें इस कठिन परिस्थिति में जीवन निर्वाह करना पड़ेगा, ऐसे देश मालद्वीप, श्रीलंका जैसेकई है. वेस्टर्न कंट्रीज में पैसा अधिक होने की वजह से वे फिर से सब पा लेते है और कुछ दिनों में नार्मल जिंदगी बिताना शुरू कर देते है, पर गरीब देशों के लिए संभव नहीं.यहाँ ये भी समझना आवश्यक है कि धनी देशों में भी सबके साथ वर्ताव एक जैसा नहीं होता. ब्लैक लोगों के साथ व्हाइट की तरह अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता. उन्हें हर तरह की सुविधाएं नहीं मिलती, समाज उनके लिए इतना प्रेम नहीं रखती, जितना रखना चाहिए. इसलिए उन्हें बहुत अधिक दुःख पहुँचता है, क्योंकि जब अमेरिका में कुछ साल पहले कैटरीना चक्रवात आया था, तो इन गरीबों के पास  न तो पैसे होते है और न ही इनके लिए पैसे कहीं से आये थे.

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है क्या समाधान

समाधान के बारें में पर्यावरणविद भारती कहती है कि पैरिस अग्रीमेंट एक अच्छी समझौता है, जिसमें विश्व की सभी सरकार की प्रतिनिधियों ने मिलकर जलवायु परिवर्तन पर चर्चा की थी. इसके बाद अब नवम्बर में क्लाइमेट चेंज के बारें में बातचीत होगी और ये निर्णय लिया जाएगा कि इस बिंदु से क्या करना जरुरी होगा, एक तरफ लोग ग्रीन एनवायरनमेंट के साथ या इको-फ्रेंडली के साथ जीना सीखे, लेकिन आबादी यहाँ बहुत अधिक होने की वजह से हम इकोफ्रेंडली तरीके से नहीं जी सकते. इसके लिए देश की जनता को अपनी खपत कम करनी होगी. सोलर पैनल से बिजली मिलने पर भी बिजली की उपयोगिता कम करना पड़ेगा. इसके अलावा खदानों की खुदाई को इको-फ्रेंडली बनाने की जरुरत है, जो मेरे अंदाज से ऐसी खुदाई कभी नहीं हो सकती,  ऐसे में सभी को अपनी जरूरतों को थोडा कम करना है. फॉसिल फ्यूल और कोयले के जलने से कार्बनडाईआक्साइड निकलता है, जो बहुत घातक तरीके से क्लाइमेट चेंज को बढ़ा रहे है. फॉसिल फ्यूल में पेट्रोलियम आता है, इसकी खपत को विकसित और अमीर देशों में कम करने की आवश्यकता है,ताकि इसके कार्बन एमिशन्स को धरती सह सकें. तभी क्लाइमेट इक्विटी हो सकती है और विकासशील देशों को विकसित होने का न्याय मिलेगा और वे आगे बढ़ पायेगे, क्योंकि विकास के लिए थोड़े कोयले और पेट्रोलियम की जरुरत होती है. विकसित देशों का प्रदूषण पोस्ट डेवलपमेंट है, जो वे एंजोयमेंट के लिए करते है,जबकि विकासशील देशों का प्री डेवलपमेंट प्रदूषण है.

इस प्रकार विकसित देशों को फिजूल की शौक को कम करने से ही क्लाइमेट चेंज को रोका जा सकेगा, नहीं तो वो दिनदूर नहीं जब जलवायु परिवर्तन से दुनिया भर की झीलों के ऑक्सीजन लेवल में व्यापक गिरावट का कारण बन जायेगी,जिससे वन्यजीवों का दम घुटने लगेगा और पीने के पानी की आपूर्ति का खतरा पैदा हो जायेगा. महासागर में ऑक्सीजन के गिरते लेवल की पहले ही पहचान हो चुकी है,लेकिन नई रिसर्च के मुताबिक, झीलों में इसकी गिरावट पिछले 40 वर्षों में तीन और नौ गुना के बीच तेजी से बढ़ी है,जो आगे और अधिक बढ़ने की संभावना है.

फैमिली के लिए बनाएं लौकी पुडिंग

अगर आप अपनी फैमिली के लिए हेल्दी टेस्टी डेजर्ट बनाना चाहते हैं तो लौकी पुडिंग आपके लिए बेस्ट औप्शन है. लौकी पुडिंग हेल्दी और टेस्टी डिश है, जिसे बच्चे काफी पसंद करते हैं.

सामग्री

– 1 कप कद्दूकस की लौकी

– 100 ग्राम पनीर छोटे टुकड़ों में कटा

– 1/2 लिटर दूध

– 1/2 कप मिल्क पाउडर

– चीनी स्वादानुसार

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– 2 बड़े चम्मच कटे बादाम सजाने व डालने के लिए

– 1 बड़ा चम्मच पिस्ता कटा – 10-12 धागे केसर के

– 1/4 छोटा चम्मच छोटी इलायची चूर्ण.

विधि

लौकी में 250 एमएल दूध डाल कर गलने तक धीमी आंच पर पकाएं. फिर इस में बचा दूध, पनीर और चीनी डालें. 5 मिनट बाद मिल्क पाउडर डाल दें. गाढ़ा होने तक पकाएं. केसर को 1 चम्मच दूध में घोट कर लौकी वाले मिश्रण में डाल दें. गाढ़ा होने पर आधा मेवा डालें और आधा सजावट के लिए रख लें. जब पुडिंग ठंडी हो जाए तब सर्विंग बाउल में डालें और ऊपर से थोड़ाथोड़ा मेवा बुरक कर सर्व करें.

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Married Life में क्या है बिखराव के संकेत

Married Life में प्रेम की ऊष्मा जब कम होने लगती है तब पतिपत्नी के जीवन में ऐसी छोटीछोटी बातें होने लगती हैं, जो इस बात की ओर संकेत करती हैं कि उन के बीच दूरियां बननी शुरू हो रही हैं. अधिकतर दंपती इन संकेतों पर ध्यान नहीं देते या फिर वे समझ नहीं पाते हैं. समय रहते इन संकेतों पर ध्यान न दिया जाए तो उन के बीच प्यार, अपनापन, समर्पण की भावना कम होती जाती है और फिर एक दिन उन का दांपत्य जीवन टूट जाता है. इन संकेतों के प्रति संवेदनशील रह कर संबंधों के बीच पनप रही खाई को गहरा होने से रोका जा सकता है. बिखराव के ये संकेत दांपत्य जीवन के हर छोटेबड़े पहलू से जुड़े हो सकते हैं.

घर में छाई चुप्पी

प्यार भरे संबोधन के साथ हंसनाबोलना, हंसीखुशी का माहौल पैदा करना, खुशियों का जोश भरना ये सब बातें पतिपत्नी के बीच मधुरता और समीपता लाती हैं. यदि हंसीखुशी के क्षणों में भी पतिपत्नी के बीच खामोशी छा जाए, दोनों के स्वर मद्धम पड़ने लगें तो समझना चाहिए उन के बीच प्यार की ऊष्मा कम हो रही है. उहें आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता है.

छोटीछोटी बातों में मतभेद

हर बात पर पतिपत्नी के विचार एक हों, यह जरूरी नहीं है. दोनों में थोड़ाबहुत वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है. यदि बातबात पर या हर छोटीछोटी बातों पर दोनों में मतभेद हो और यह मतभेद झगड़े में तबदील होने लगे, दोनों एकदूसरे की कमियां निकालने लगें तो समझना चाहिए कि दोनों के बीच खाई गहरी होनी शुरू हो चुकी है. दोनों को संभलने की जरूरत है.

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झूठ बोलने लगें

पतिपत्नी का आपसी प्यार विश्वास की नींव पर टिका होता है. यदि दोनों के बीच झूठ, बेईमानी, छल, कपट का बोलबाला होने लगे तो समझना चाहिए एकदूसरे के प्रति समर्पण की भावना खत्म हो चुकी है. उन की जोड़ी कभी भी टूट सकती है. विवाह को बनाए रखने के लिए दोनों के बीच भरोसा और विश्वास होना जरूरी है.

तूतू, मैंमैं

2 बरतन जहां रहेंगे वहां आवाज तो आएगी ही. इसी तरह दंपती के बीच किसी बात को ले कर थोड़ी बहस होना परेशानी की कोई बात नहीं है. लेकिन बातबात पर झगड़ा होना, छोटीछोटी बात को ले कर दोनों में लंबी बहस होना, गलती होने पर गलती न मानना, दोनों में बराबर तनाव बना रहना दांपत्य जीवन के लिए खतरनाक संकेत है. इस के लिए दोनों को सोचने व समझने की आवश्यकता है.

दोस्त जब कैक्टस लगें

एकदूसरे को दोस्तों को आदर देने से दंपती के बीच आपसी प्यार बढ़ता है. जब एकदूसरे के दोस्त या सगेसंबंधी रास न आएं, दोनों उन के सामने एकदूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करें तो समझें उन के बीच के प्यार का दम घुटने लगा है. उसे बचाने के लिए आपसी समझदारी की आक्सीजन की जरूरत है.

कामयाबी पर जलन

एकदूसरे की कामयाबी दोनों के जीवन में खुशियों की बहार लाती है. यदि एकदूसरे की कामयाबी पर संतोषजनक स्वर न मिलें, मन में ईर्ष्या होने लगे, जलन की बू आने लगे तो समझना चाहिए दोनों के बीच प्यार की गरमाहट खत्म होने लगी है. उन के बीच की दूरियां गहरी होने लगी हैं.

अहं की अट्टालिकाएं ऊंची होने लगें

एकदूसरे के बीच अंह या ईगो आना तलाक का एक बड़ा कारण है. मैं क्यों झुकूं, मैं ही क्यों करूं जैसी बातें रिश्ते में कटुता भरती हैं. यदि दोनों हर बात को जीतहार का मुद्दा बना लें तो समझना चाहिए कि पतिपत्नी के बीच अहं की अट्टालिकाएं ऊंची उठने लगी हैं. उन का प्यार अहं की अट्टालिकाओं के नीचे दब कर छटपटा रहा है. उन्हें जल्द ही संभलने की जरूरत है वरना रिश्ता टूटने में देर नहीं लगेगी. शादी का मतलब एकदूसरे को शेयर करना, एकदूसरे की जिंदगी को शेयर करना, एकदूसरे की चीजें शेयर करना होता है. फिर एकदूसरे की चीजें शेयर करने में नाराजगी क्यों?

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सेक्स हैरेसमेंट

सुखी दांपत्य जीवन के लिए सेक्स सब से खास जरूरत है. एकदूसरे के बीच समर्पित सेक्स प्यार, अपनापन और खुशियों की बहार लाता है. पति द्वारा सेक्स के लिए जबरदस्ती करना, पत्नी की इच्छा के विरुद्ध सेक्स संबंध बनाना या सेक्स प्रताड़ना देना, वहीं पत्नी द्वारा सेक्स के लिए इनकार करना या सेक्स में सहयोग न देना जैसी बातें सेक्स हैरेसमेंट में आती हैं. ऐसी स्थिति में दोनों को जल्दी संभलने की जरूरत है. दोनों तुरंत विवाह सलाहकार से मिलें ताकि जीवन में दोबारा खुशियों की बहार आ सके.         

बिखराव के संकेत

घर में सन्नाटा छाना.

दरवाजों का तेजी से खुलना, बंद होना.

चीजों के उठाने व रखने के अंदाज में बदलाव आना.

छोटीछोटी बातों पर बहस होना.

बातों का जवाब न देना.

चीजों का टूटना या पटकना.

बिना वजह किसी बात पर चिल्ला उठना.

पति का कमरा छोड़ कर भाग जाना.

पत्नी का कमरे में घुस कर दरवाजा बंद कर लेना.

बिस्तर पर मुंह फेर कर सो जाना.

एकदूसरे से झूठ बोलना.

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पतिपत्नी दोनों के लिए सुझाव

गलती हो या न हो, दोनों में से कोई एक समर्पण कर दे.

समर्पण कर देने पर सामने वाला नखरे न दिखा कर पूरा मामला भूल जाए.

पुरानी बातों को भूलना सीखें.

किसी भी बात को लंबा तूल न दें.

जब जिंदगी शेयर कर रहे हैं तब भौतिक चीजें शेयर करने में परेशानी नहीं होनी चाहिए.

एकदूसरे को सुधारने के बजाय जैसा है वैसा ही स्वीकार करें.

अच्छी बातों के लिए एकदूसरे को श्रेय दें.

बिना सोचेसमझे आक्रामक रूप न अपनाएं.

माफी मांगने में शर्म महसूस न करें.

ताली एक हाथ से नहीं, दोनों हाथों से बजती.

सावधान: ज्यादा तनाव लेना सेहत पर पड़ेगा भारी

तनाव हमेशा बुरा नहीं होता. जब तनाव छोटे स्तर पर होता है तो यह दबाव में बेहतर प्रदर्शन करने में आपकी मदद करता है, लेकिन यह काफी ज्यादा हो जाए तो आपकी सेहत के साथ आपका जीवनस्तर भी प्रभावित होता है. ज्यादा तनाव से औफिस या घर जीवन के हर क्षेत्र में आपका काम प्रभावित होगा और इससे आपके संबंध भी प्रभावित होंगे.

बार-बार सिर दर्द, बार-बार गुस्सा होने, ठीक से नींद न आने का संबंध तनाव से हो सकता है. ज्यादा तनाव के चलते व्यक्ति सहन करने की क्षमता खो देता है. इसके चलते उसका कामकाजी प्रदर्शन निचले स्तर पर चला जाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव की लिमिट अलग-अलग व्यक्तियों, परिस्थितियों और व्यक्तिगत क्षमता (मानसिक और शारीरिक) के हिसाब से अलग-अलग होती है. आपका तनाव जब अपनी लिमिट को पार कर जाता है, तो यह आपके रोजमर्रा के काम को प्रभावित करने लगता है.

कैसे पहुंचाता है नुकसान

तनाव आपके सोचने-समझने की प्रक्रिया को प्रभावित करता है. इसके सामान्य लक्षणों में बार-बार सिर दर्द होना, वजन घटना या बढ़ना, ठीक से नींद न आना, खाना-पीना ठीक से न होना, बार-बार बीमार पड़ना, ध्यान केंद्रित न कर पाना, मूड स्विंग होना और हाइपरएक्टिव और ओवरसेंसिटिव होना हैं. कुछ मामलों में तो डिप्रेशन भी हो सकता है. उन्होंने कहा, ‘तनाव अक्सर आत्महत्या के विचारों के साथ आता है, खुद को या उसके परिजन को नुकसान पहुंचाने के विचारों को भी लाता है. इससे कोई व्यक्ति अपना आत्मसम्मान भी खो देता है. इससे बचने के लिए प्रोफेशनल्स की मदद लेनी चाहिए. यदि यह अपनी सीमा रेखा को पार कर जाता है, जिसमें कोई व्यक्ति इसे सहन नहीं कर सकता और दवाइयां काम नहीं करतीं, ऐसे में थेरेपिस्ट से कंसल्ट करना चाहिए.’

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लंबे समय तक तनाव में रहने से इम्‍युनिटी और हार्मोंस पर असर पड़ता है. नतीजतन आपको ज्यादा बेचैनी होती है और आपका ध्यान लगना कम हो जाता है. जब आपको तनाव होता है तब आप दफ्तर में मीटिंग्स, फोन पर बातचीत करने से बचते हैं. कई बार लोग जीवनसाथी से भी बात करने से बचने लगते हैं. उस समय वे खुद को असहाय पाते हैं.’

स्वास्थ्य पर असर

लंबे समय तक तनाव के रहने से दिल और ब्लड वेसल्स से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं. तनाव लंबे समय से परेशान कर रहा हो तो मस्क्युलोस्केलेटल सिस्टम, रेस्पिरेटरी सिस्टम, ओएसोफैगस बाउल मूवमेंट, नर्वस सिस्टम और रिप्राडक्टिव सिस्टम को प्रभावित करता है. इसके ज्यादा समय तक बने रहने से यह आपकी बौडी में स्ट्रेस हार्मोंस को बढ़ा देता है. कौर्टिकोस्टेरायड जैसे स्ट्रेस हार्मोंस ब्रेन के न्यूट्रान्स में केमिकल्स कम कर देते हैं, जिसके चलते याददाश्त कमजोर हो जाती है और आसपास की चीजों में व्यक्ति की दिलचस्पी कम होने लगती है. अगर आप घर या दफ्तर में कुछ खास स्थितियों से बचने की कोशिश कर रहे हों तो आप स्ट्रेस से परेशान हो सकते हैं

तनाव से निपटने का तरीका

– पिछले अनुभवों से मौजूदा कामकाज पर प्रभाव न पड़ने दें.

– असहायता, निराशा, विफलता को भूलकर अपनी ताकत पर फोकस करें.

– नियमित एक्सरसाइज, प्राणायाम और अच्छे खान-पान पर जोर दें.

– अपना बर्ताव बदलें, अवांछित चीजों के लिए ना कहना सीखें.

– कामकाज में प्राथमिकताएं तय कर उन्हें निपटाने का प्रयास करें.

– दोस्तों, परिवार के साथ अपनी बात साझा करें.

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Top 10 Best Family Story in Hindi: टॉप 10 बेस्ट फैमिली कहानियां हिंदी में

Family Story in Hindi: परिवार हमारी लाइफ का सबसे जरुरी हिस्सा है, जो हर सुख-दुख में आपका सपोर्ट सिस्टम बनती है. साथ ही बिना किसी के स्वार्थ के आपका परिवार साथ खड़ा रहता है. इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आये हैं गृहशोभा की 10 Best Family Story in Hindi. रिश्तों से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जो आपके दिल को छू लेगी. इन Family Story से आपको कई तरह की सीख मिलेगी. जो आपके रिश्ते को और भी मजबूत करेगी. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए Grihshobha की Best Family Story in Hindi.

1. थोड़ा दूर थोड़ा पास : शादी के बाद क्या हुआ तन्वी के साथ

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पढ़ीलिखी मौडर्न तन्वी को ब्याह कर विजित उसे अपने घर तो ले आया मगर फिर घर में अजीबोगरीब घटनाएं होने लगीं और फिर एक दिन…

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2. घूंघट में घोटाला: दुल्हन का चेहरा देख रामसागर को क्यों लगा झटका

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रामसागर ने बमुश्किल नजरें उठायीं. लड़की के सिर पर गुलाबी पल्ला था. आधा चेहरा ही रामसागर को नजर आया. चांद सा. बिल्कुल गोरा-गोरा. रामसागर ने धीरे से गर्दन हिला कर अपनी रजामंदी जाहिर कर दी.

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3. बंदिनी: रेखा ने कौनसी कीमत चुकाई थी कीमत

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बंदिनी समान जीवन जीना और फिर मृत्यु को गले लगाना ही रेखा की नियति बन गई थी. पर जिस रिहाई की कीमत रेखा ने चुकाई थी, क्या वह उसे कभी मिल पाई?

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4. लड़की: क्या परिवार की मर्जी ने बर्बाद कर दी बेटी वीणा की जिंदगी

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मां हो कर मैं ने अपने बेटों को लाड़ दिया और बेटी को तिरस्कार. बेटों को स्वच्छंदता दी और बेटी को पाबंदियों का पिंजरा. उस के हर अरमान व फैसलों पर कुठाराघात किया. हमारी परवरिश के चलते ही शायद आज वीणा की जिंदगी इस झंझावत में उलझ गई थी. सारा दोष मेरा ही था.

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5. सिसकता शैशव: मातापिता के झगड़े में पिसा अमान का बचपन

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मासूम सा बचपन, मन में अनगिनत सवाल. सब अनबुझे. अमान का अबोध बचपन मातापिता के झगड़े के बीच में पिस कर रह गया. उस के सिसकने, रोने को कोई भी समझ नहीं पा रहा था .

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6.एक से बढ़कर एक: दामाद सुदेश ने कैसे बदली ससुरजी की सोच

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दकियानूसी खयाल के अपने ससुरजी को जगाने के लिए दामाद सुदेश ने ऐसी कौन सी युक्ति निकाली कि सांप भी मर गया और लाठी भी नहीं टूटी…

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7. शरशय्या: त्याग और धोखे के बीच फंसी एक अनाम रिश्ते की कहानी

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कौन सा था वो अनाम रिश्ता जिसे वो इला से छिपा रहा था ताकि उन का रिश्ता लहूलुहान न हो.

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8.उस रात: कौनसा हादसे के शिकार हुए थे राकेश और सलोनी

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2 महीने बीत जाने के बाद भी जब राकेश व सलोनी का कुछ पता नहीं चला तो सभी ने यह समझ लिया कि वे दोनों किसी दूसरे शहर में जा कर पतिपत्नी की तरह रह रहे होंगे.

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9.अपनी ही दुश्मन: कविता के वैवाहिक जीवन में जल्दबाजी कैसे बनी मुसीबत

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कविता भी एकदम गजब लड़की थी. उसे हर बात की जल्दी रहती थी. बचपन में उसे जितनी जल्दी खेल शुरू करने की रहती थी, उतनी ही जल्दी उस खेल को खत्म कर के दूसरा शुरू करने की रहती थी.

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10. कभी नहीं: क्या गायत्री को समझ आई मां की अहमियत

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किसी तरह भावी सास को विदा तो कर दिया गायत्री ने परंतु मन में भीतर कहीं दूर तक अपराधबोध सालने लगा, कैसी पागल है वह और स्वार्थी भी, जो अपना प्रेमी तलाशती रही उस इंसान में जो अपना विश्वास टूट जाने पर उस के पास आया था.

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