डायबिटीज के रोगी वैक्सीन लें, पर रहे सतर्क कुछ ऐसे

मुंबई की एक फ़्लैट में रहने वाली 55 वर्षीय मधु टाइप 2 डायबिटीज और ब्लडप्रेशर से पीड़ित है, उन्हें दवा लेनी पड़ती है. इसलिए वह वैक्सीन लेना नहीं चाहती, क्योंकि वह बाहर नहीं निकलती और उनके किसी रिश्तेदार ने वैक्सीन लेने के दो दिन बाद कोविड 19 से पीड़ित हुई और इलाज के दौरान अस्पताल में दम तोड़ दिया. मधु को लगता है कि उनके रिश्तेदार की मत्यु वैक्सीन लगाने से हुई है. इसलिए वह वैक्सीन नहीं लगाएगी , जबकि वैक्सीन से किसी की मौत नहीं हो सकती, क्योंकि ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है और 18 वर्ष से ऊपर सभी वयस्कों के लिए ये वैक्सीन सुरक्षित है.

इस बारें में शांति पवन मल्टीस्पेशलिटी केयर के एम डी डॉ. रितेश कुमार अगरवाला कहते है कि टाइप 1 और टाइप 2  वाले मधुमेह रोगियों के लिए टीका लगवाने के फायदे, टीका न लगवाने से उत्पन्न  रिस्क के मुकाबले कहीं अधिक होते है .मधुमेह रोगियों को कोविड-19 होने से कोविड के अलावा कई अन्य गंभीर बीमारियाँ दिखने लग जाती हैं. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि वैक्सीन की बारी आते ही जल्द से जल्द कोरोना वायरस का टीका लगवाए . असल में कोरोना वायरस का टीका आपको कोरोना वायरस से जुड़ी गंभीर बिमारियों से बचाने में सहायक होती है. कोरोना वायरस के टीके कोविड-19 की संक्रमण से लड़ने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाती है, इसलिए टीका लगवाने के बाद होने वाली समस्या के बारें में न सोचे, क्योंकि जब तक सभी लोग वैक्सीन नहीं लगवाते, कोविड को म्यूटेंट होने से रोकना मुश्किल है, क्योंकि जिन लोगों ने वैक्सीन नहीं लगवाया है, कोविड के वायरस उनके शरीर में प्रवेश कर अपना रूप बदलती है. जबकि वैक्सीन हमेशा वायरस के खिलाफ इम्युनिटी  को बढ़ाने में सक्षम होती है.

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डॉ. रितेश कुमार अगरवाला का आगे कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान डॉक्टरों ने मधुमेह रोगियों को ब्लड शुगर का स्तर बरकरार रखने की सलाह दी थी. ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रण में रखकर मधुमेह रोगी कोरोना वायरस से जुड़ी गंभीर जटिलताओं के पैदा होने की रिस्क कम कर सकते है. डायबिटीज के मरीजों को पता होना चाहिए कि ब्लड शुगर का स्तर ठीक रखने के बावजूद उनके शरीर की इम्युनिटी कमजोर हो सकती है, ऐसे व्यक्ति को संक्रमण से लड़ना बहुत मुश्किल होता है. इसलिए उन्हें अत्यधिक संक्रामक कोरोना वायरस का टीका अवश्य लगवाना चाहिए. डायबिटीज के रोगी को कोरोना वायरस का टीका लगवाने से पहले निम्न बातों का खास ध्यान रखना आवश्यक है,

  • ब्लड शुगर के स्तर पर नजर रखें,
  • अगर आपको कभी किसी टीके से गंभीर एलर्जी हो चुकी है, तो डॉक्टर से सलाह लें,
  • तनाव से बचें,
  • टीका लगवाने की निर्धारित तिथि से पहले रात को गहरी नींद लें,
  • प्रोटीनयुक्त भोजन करें आदि

कोरोना वायरस का टीका लगवाने के बाद भी मधुमेह के रोगी को कुछ बातों का ख्याल रखना जरुरी है,

  • टीका लगवाने के बाद तुरंत होने वाली किसी भी रिएक्शन पर नजर रखें,
  • कैफीनयुक्त पेय लेने से बचें,
  • इंजेक्शन लगने वाली जगह पर आइस पैक या गर्म सेंक न लगायें,
  • टीका लगवाने के तुरंत बाद बहुत अधिक शारीरिक श्रम न करें,
  • कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त खाना न खाएं आदि.

आम तौर पर टीका लगवाने के बाद लोगों को हल्का बुखार होने, दाने निकलने, इंजेक्शन लगने वाली जगह पर दर्द, सिरदर्द और चक्कर आने की शिकायत रहती है. ये लक्षण टीका लगवाने के कुछ दिनों बाद ही गायब हो जाती है, लेकिन किसी कारणवश ये लक्षण दूर नहीं होते है , तो किसी डॉक्टर की सलाह अवश्य लें.

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इन सभी सावधानियों के अलावा मधुमेह रोगियों को ऐसे भोजन लेने चाहिए, जो एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-इनफ्लेमेटरी हों, क्योंकि टीका लगवाने के बाद ऐसे भोजन रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में सहयोग देती है. मछली, अंडा और चिकन जैसे खाद्य पदार्थ एंटी-इनफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होते हैं, जो इंजेक्शन लगने वाली जगह की सूजन घटाते है. टीका लगवाने के बाद फल और सब्जियां खाने से भी इम्युनिटी  बढ़ सकती है.

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घर पर करें ट्राई टेस्टी दही के कबाब

सेहत के लिए दही बहुत फायदेमंद होती है. हम कोशिश करते हैं कि इस मौसम में ठंडी चीजें ही खाएं, लेकिन कभी-कभी जरूरी है कि हम घर पर भी कुछ नयी चीजें ट्राई करें. इसीलिए हम आपको दही को और किस तरह इस्तेमाल कर सकते हैं, इसके बारे में बताएंगे. साथ ही एक नया डिश भी ट्राई करेंगें.

दही के कबाब बनाने के लिए हमें चाहिए

1-1/2 कप हंग दही

2 बारीक कटी हरी मिर्च

चुटकी भर काला नमक या सेंधा नमक

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1/2 छोटा चम्मच चाट मसाला पाउडर

स्वाद अनुसार नमक

10 ब्रेड

प्रयोग अनुसार तेल

बनाने का तरीका

-दही के कबाब रेसिपी बनाने के लिए सबसे पहले हम हंग दही बनाएंगे. दही को एक मलमल के कपडे में डाले और 2 घंटे के लिए लटका दे. इससे दही में जितना भी पानी होगा सब चला जायेगा.

-अब इस दही को एक बाउल में डाले और इसमें काला नमक, चाट मसाला पाउडर, नमक, हरी मिर्च डाले और अच्छी तरह से मिला ले.

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-अब ब्रेड को पानी में 2 सेकण्ड्स के लिए रखें और दोनों हाथों के बिच में दबा के पानी निकाल ले. अब एक बड़ा चम्मच दही का मिश्रण ले और ब्रेड के बिच में डाल दें.

-चारों तरफ से मिला लें और अच्छी तरह बंद कर ले. अपने हाथों की मदद से थोड़ा सा बीच में से दबा ले.

-अब एक तवे को मध्यम आंच पर तेल गरम करें. इसमें यह कबाब रखें और दोनों तरफ से सुनहरा भूरा होने तक पका लें. इसी तरह सारे कबाब बना ले. और दही के कबाब रेसिपी को धनिया पुदीना चटनी और मसाला चाय के साथ शाम के स्नैक्स के लिए परोसे.

रिजर्च बैक और सोना

सोना गृहिणियों को सजने के लिए नहीं होता, यह आप के समय काम में आने वाली बचत भी है. इस साल जब सरकार तरहतरह की प्रगति के ढिढ़ोरे पीट रही है और नागरिक संशोधन कानून, तीन तलाक कानून, धारा 370 कानून का हल्ला मचा रही है, देशभर में औरतें अपना सोना गिरवी रख कर पैसा कर्ज पर ले रही हैं. आप ने अंधूरे आंकड़ों के अनुसार बैंकों में ही सोने को रख कर लिए कर्ज में 77′ की वृद्धि हो गई है.

यही नहीं बैंकों के जारी क्रेडिट कार्डों पर उधारी भी 10,000 करोड़ से बढ़ गर्ई है. आज लोगों द्वारा लिया गया कर्ज जिसे बैंकिंग की भाषा में रिटेल कर्ज कहते हैं पिछले साल 10 से ज्यादा प्रतिशब बढ़ गया है. इस के मुकाबले उद्योगों और व्यापारों क कर्ज मुश्किल से 2 प्रतिशत बढ़ा है.

यह असल में टिप औफ आईस वर्ग है. समुद्र के पानी में तैरतीं बर्फ की चट्टानें जितनी बड़ी पानी के बाहर दिखती हैं, उस से कई गुना बड़ी पानी के नीचे होती है और इस बात को टिप औफ आईस वर्ग कहा जाता है और घरेलू या निजी वर्गों के थे आंकड़े कितने पूरे हैं, इस का सिर्फ अंदाजा देते हैं.

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देश की अधिकांश जनता उधार अपने संबंधियों या छोटे महाजनों से लेती है जो बैंकों से कई गुना ज्यादा ब्याज लेते हैं. सोना गिरवी रखा गया है वह वापिस लिया जाएगा इस की संभावना इसी से नहीं है कि मुथुड गोल्ड लोन और मनापुरम फाइनेंस गिरवी रखे गए सोने की निकाली के पूरेपूरे पेज के विज्ञापन अखबारों में छपवाती रहती है.

रिजर्च बैक के एक स्रोत के अनुसार तो लोगों का 600 अरब रुपए का सोना बैंकों के पास है जो जनवरी 2020 में 185 अरब रुपए था. यह देश की प्रगति और विकास की निशानी है कि घरों की औरतों को अपना सोना बेच कर खाना जुटाना पड़ रहा है या इलाज कराना पड़ रहा है और सरकार चारों ओर मंदिर मठ बनवा रही है जो अधिकांश समय बेकार ही पड़े रहते हैं.

सोना शृंगार से ज्यादा जीवन का अंग है और जब यही बिक जाए तो घरों का आत्मविश्वास चकनाचूर हो जाता है. देश नारों से नहीं चलते. औरतों पर अत्याचार तालिबानियों राइफलों से ही नहीं होता है, चूल्हे की गैस महंगी कर के और बेकारी बढ़ा कर भी किया जा सकता है.

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मेरी 66 साल मां को पार्किंसंस बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं, मैं क्या करुं?

सवाल-

मेरी मां 66 साल की घरेलू महिला हैं. उन्हें सिर में कभी कोई चोट नहीं लगी और उन के साथ कभी कोई दुर्घटना भी नहीं हुई. लेकिन कुछ समय से उन्हें पार्किंसंस बीमारी के लक्षण महसूस हो रहे हैं. जैसे चलते समय कंपकंपाहट महसूस होना और लिखने में दिक्कत होना. क्या इस उम्र में बिना किसी शारीरिक चोट के पार्किंसंस बीमारी होना संभव है? क्या हमें न्यूरोलौजिस्ट से परामर्श लेना चाहिए या फिर ये सिर्फ कमजोरी के लक्षण हैं?

जवाब-

पार्किंसंस को बुजुर्गों की बीमारी ही कहा जाता है और यह बीमारी आमतौर पर 60 साल के बाद होती है. आप की मां को लिखने में दिक्कत और चलने में परेशानी हो रही है तो ये लक्षण पार्किंसंस बीमारी की हैं और यह जरूरी नहीं है कि सिर पर चोट लगने या दुर्घटना होने से ही पार्किंसंस बीमारी होने की संभावना रहती है. इसलिए समय रहते आप अपनी मां को न्यूरोलौजिस्ट को दिखाएं.

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हमारे मस्तिष्क का अनगिनत तंत्रतंत्रिकाओं का विस्तृत नैटवर्क एक कंप्यूटर के समान है, जो हमें निर्देश देता है कि किस प्रकार विभिन्न संवेदों, जैसे गरम, ठंडा, दबाव, दर्द आदि के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की जाए. इस के साथ ही यह बोनसस्वरूप हमें भावनाओं व विचारों को सोचनेसमझने की शक्ति भी देता है. हम जो चीज खाते हैं, उस का सीधा असर हमारे मस्तिष्क के कार्य पर पड़ता है. यह सिद्ध किया जा चुका है कि सही भोजन खाने से हमारा आई.क्यू. बेहतर होता है, मनोदशा (मूड) अच्छी रहती है, हम भावनात्मक रूप से ज्यादा मजबूत बनते हैं, स्मरणशक्ति तेज होती है व हमारा मस्तिष्क जवान रहता है. यही नहीं, यदि मस्तिष्क को सही पोषक तत्त्व दिए जाएं तो हमारी चिंतन करने की क्षमता बढ़ती है, एकाग्रता बेहतर होती है व हम ज्यादा संतुलित व व्यवस्थित व्यवहार करते हैं.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz   सब्जेक्ट में लिखे…  गृहशोभा-व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

भारत का फ्रांस है पुडुचेरी, विदेश से कम नहीं है यह खूबसूरत जगह

आप कब से विदेश घूमने का प्लान बना रही हैं लेकिन किसी वजह से आपका सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. इसकी सबसे बड़ी वजह पैसे हो सकती हैं. विदेश की ट्रिप के लिए अच्छे-खासे पैसे होने चाहिए. अगर हम आपसे कहें कि आप कम पैसों में ही विदेश घूमने का मजा ले सकती हैं, तो आपको शायद ये बात मजाक लगे, पुडुचेरी एक ऐसी जगह है, जिसे भारत का फ्रांस भी कहा जाता है. सबसे खास बात ये कि आप यहां बिना पासपोर्ट और वीजा के जा सकती हैं.

फ्रांस से जुड़ा है इतिहास, मिलती है खास झलक

इस छोटे से प्रदेश का इतिहास फ्रांस से जुड़ा हुआ है. 1673 ईस्वी में फ्रेंच लोग यहां आए और 1954 में ये भारतीय संघ का हिस्सा बना. इसकी बसावट समुद्र के किनारे होने के कारण भी यहां काफी टूरिस्ट आते हैं. दिल्ली से 2400 किलोमीटर दूर स्थित पुडुचेरी, भारत के खूबसूरत शहरों में से एक है.

टाउन प्लानिंग

पुडुचेरी अपनी बेहतरीन टाउन प्लानिंग के लिए जाना जाता है. फ्रांसिसी लोगों के लिए यहां बनाई गयी टाउनशिप व्हाइट टाउन के नाम से पहचानी जाती है.

महात्मा गांधी बीच

देश के कई महापुरुषों की मूर्तियों को पुडुचेरी के बीच पर लगाया गया है और प्रौमीनाड बीच पर महात्मा गांधी की मूर्ति लगाई गई है, इसलिए इस बीच को महात्मा गांधी बीच भी कहा जाता है.

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फ्रेंच वौर मेमोरियल

प्रौमीनाड बीच पर लगी गांधी जी की मूर्ति के सामने ही फ्रेंच वौर मेमोरियल है जिसे उन फ्रांसिसी सैनिकों की याद में बनाया गया है, जो प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए थे और इसी स्थान पर हर साल 14 जुलाई को फ्रेंच सैनिकों की स्मृति में कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.

मनाकुला विलय कुलौन मंदिर

पुडुचेरी में मौजूद भगवान गणेश का प्राचीन मंदिर 1673 से पहले बना था और इसे मनाकुला विलय कुलौन मंदिर के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में हाथी द्वारा भक्तों को आशीर्वाद दिया जाता है इसलिए इस मंदिर की मान्यता के साथ-साथ सैलानियों का रोमांच भी बढ़ जाता है.

सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च

पुडुचेरी का सेक्रेड हार्ट कैथोलिक चर्च पूरी दुनिया में मशहूर है, जिसका निर्माण 1902 में शुरू हुआ था. इस चर्च में तमिल और अंग्रेजी भाषाओं में प्रार्थना होती है और एक साथ 2000 लोग इसमें प्रार्थना कर सकती हैं.

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कैसे पहुंचे

यहां पहुंचने का सबसे आसान रास्ता तो ट्रेन या हवाई जहाज से चेन्नई पहुंचकर वहां से बस या टैक्सी से पुडुचेरी पहुंचने का है. वैसे ट्रेन से 40 किलोमीटर दूर विल्लुपुरम तक भी आया जा सकता है.

घूमने का बेस्ट टाइम : अक्टूबर से अप्रैल का महीना सबसे उचित है.

कहां ठहरे : आपको 1500 से 5000 में होटल मिल जाएगा. साथ ही आपकी जेब के हिसाब से यहां रिसौर्ट भी हैं.

खास जगह : पैराडाइस बीच, पुडुचेरी म्यूजियम के अलावा यहां पुरानी इमारतें भी देखी जा सकती हैं.

क्या जरूरी है रिश्ते का नाम बदलना

गुरुग्राम की रहने वाली रंजना के बेटे की शादी का अवसर था. विदाई के समय दुलहन की मां अपनी बेटी से गले मिलते हुए बोलीं, ‘‘अब एक मम्मी से नाता तोड़ कर दूसरी मम्मी को अपना बनाने जा रही हो. आज से तुम्हारी मम्मी रंजनाजी हैं. अब इन की बेटी हो तुम.’’

रंजना ने तुरंत उन की बात काटते हुए कहा, ‘‘नहीं, मैं आप से एक मां का अधिकार नहीं छीनना चाहती. मम्मी तो आप ही रहेंगी इस की. मैं अभी तक अपनी बेटी का प्यार तो पा ही रही थी, अब मुझे बहू का प्यार चाहिए. मैं मां के साथसाथ खुद को अब ‘सासूमां’ कहलवाना भी पसंद करूंगी. सासबहू के सुंदर रिश्ते को महसूस करने का समय आया है. मैं भला क्यों वचिंत रहूं इस सुख से?’’

प्रश्न है कि आखिर आवश्यकता ही क्यों पड़ती है रिश्तों के नाम बदलने की या किसी अन्य रिश्ते से तुलना करने की? सास शब्द इतना भयंकर सा क्यों हो गया कि बोलते ही मस्तिष्क में ममतामयी स्त्री के स्थान पर एक कू्रर, डांटतीफटकारती अधेड़ महिला की तसवीर उभरने लगती है. बहू शब्द क्यों इतना पराया लगने लगा कि अपनत्व की भावना से सजाने के लिए उस पर बेटी शब्द का आवरण डालना पड़ता है. कारण स्पष्ट है कि कुछ रिश्तों ने अपने नामों के अर्थ ही खो दिए हैं.

अहम और स्वार्थ के दलदल में फंस कर एकदूसरे के प्रति व्यवहार इतना रूखा हो गया है कि रिश्तों का केवल एक पक्ष ही उजागर हो रहा है. उन रिश्तों का सुखद पहलू दर्शाने के लिए किसी अन्य रिश्ते के नाम का सहारा लेना पड़ रहा है. मगर केवल नाम बदल देने से कोई भी रिश्ता उजला नहीं हो सकता. इस के लिए आवश्यक है कि व्यवहार व सोच में बदलाव लाया जाए.

क्यों बदनाम है सासबहू का संबंध

सास और बहू का रिश्ता आपसी अनबन के लिए बदनाम है. इसे सुंदर रूप देने के लिए यह समझना होगा कि इस में अब समय के साथ बदलाव लाया जाए. वर्तमान परिवेश में अधिकतर बहुएं कामकाजी हैं तथा सास भी पहले की तरह घर में बंद रहने वाली नहीं रहीं. अब इस रिश्ते में मांबेटी जैसे स्नेह के अतिरिक्त आपसी सामंजस्य व मित्रता की आवश्यकता महसूस की जाने लगी है. यदि दोनों पक्ष कुछ बातों को ध्यान में रख एकदूसरे से अच्छा व्यवहार करें तो इस रिश्ते का नाम बदलने की आवश्यकता ही नहीं होगी.

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सास शब्द से परहेज क्यों

‘सास’ शब्द सब का चहेता बन जाए और सासबहू का रिश्ता प्रेम की भावना से पगा एक मोहक रिश्ता कहलाए, इस के लिए सास को निम्न बातों पर ध्यान देना चाहिए:

– बहू पर अपना भरपूर स्नेह उड़ेल देने के साथ ही उस में एक मित्र की छवि देखने का प्रयास करना होगा.

– एक स्त्री होने के नाते बहू की भावनाओं को बखूबी समझना होगा.

– दकियानूसी सोच से ऊपर उठ कर व्यर्थ के व्रत और रीतिरिवाजों का बोझ उस पर लादने से बचना होगा.

– वर्तमान में कपड़ों का वर्गीकरण विवाहित अथवा अविवाहित को ले कर नहीं होता. अत: ड्रैस को ले कर उस पर ऐसा कोई नियम लागू करने से बचना होगा.

– घर में रह रही बहू को मशीन न समझ कर संवेदनाओं से परिपूर्ण व्यक्ति समझना होगा.

– यह सच है कि प्रत्येक व्यक्ति के अपने अलगअलग विचार होते हैं. किसी विषय पर मतभेद हों तो सास नाहक ही तंज कसने के स्थान पर प्रेम की भाषा में अपनी बात कह दे तथा बहू के विचार सुन कर समझने का प्रयास करे तो टकराव के लिए कोई स्थान ही नहीं होगी.

– बहू से किसी बात पर भी दुरावछिपाव न करते हुए उसे परिवार का अंग समझ सब कुछ साझा किया जाए.

– बहू के साथ कभीकभी आउटिंग करना रिश्ते में स्नेह बढ़ाने का काम करेगा.

बहू शब्द अप्रिय क्यों

बहू बन जाने पर लड़की की दुनिया बदल जाती है. उसे कर्त्तव्यों की एक लंबी सी लिस्ट थमा दी जाती है. नए वातावरण में स्वयं को स्थापित करने की चुनौती स्वीकार करते हुए उसे रिश्तों में अपनेपन के नए रंग भरने होते हैं. बहू शब्द अप्रिय न रहे, इस के लिए उसे भी कुछ बातें ध्यान में रखनी होंगी:

– मन में ससुराल के प्रति अपनेपन की भावना के साथ प्रवेश करे.

– वहां के माहौल से जल्द ही परिचित होने का प्रयास करे. यदि हर बात में वह ससुराल की तुलना मायके से करेगी तो उस के हाथ निराशा ही लगेगी.

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– आज के समय पढ़ीलिखी लड़कियां परिस्थितियों को समझते हुए अपने जीवन से जुड़े फैसले स्वयं लेना चाहती हैं. एक बहू होने के नाते उन्हें चाहिए कि यदि किसी विषय में निर्णय लेते समय सासबहू की टकराहट हो तो कुछ अपनी मनवा कर कुछ उन की मान कर सामंजस्य बैठाएं.

– वह इस सत्य को न भूले कि उस के पति का परिवार के अन्य व्यक्तियों से भी नाता है और उन के प्रति उत्तरदायित्व भी है. अत: ‘मेरा पति सिर्फ मेरा है’ की सोच त्याग ईर्ष्या से दूर रहना होगा.

– सोशल मीडिया के इस युग में मोबाइल या व्हाट्सऐप के माध्यम से बहू अपने संबंधियों व मित्रों से जुड़ी रहती है. उसे चाहिए कि ससुराल की हर बात सब को न बताए. छोटीमोटी समस्याओं को तूल न देते हुए जल्द ही सुलझाने का प्रयास करे.

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इन 5 टिप्स को अपनाएं और बढ़ती उम्र को कहें बाय बाय

जब उम्र ढलान पर होती है और सिर में चांदी के बाल अनायास नजर आने लगते हैं तब लगता है वक्त बहुत आगे निकला जा रहा है, सुबह का सूरज ढल रहा है और खिड़की से शाम का ढलता सूरज कहीं दूर क्षितिज में नजर आ रहा है. आप आयु का ढलता पड़ाव महसूस करने लगती हैं. लेकिन परेशान होेने वाली कोई बात नहीं है. जहां यह सच है कि बीता वक्त नहीं लौटता वहां यह भी कहना तर्कसंगत होगा कि जिंदगी के बीते वर्षों को लौटा कर लाया जा सकता है. यदि आप यह दृढ़ निश्चय कर लें कि आप को अपनी बढ़ती आयु को स्वयं पर हावी नहीं होने देना है, बल्कि अपनी आयु से काफी वर्ष कम का लगना है, तो आप की बढ़ती उम्र भी एक बार ठिठक जाएगी. यकीनन आप अपनी बढ़ती उम्र के 6-7 वर्ष कम करने में सफल हो सकती हैं. तो चलिए, हम आप को बताते हैं कैसे?

सब से पहले तो शुरुआत करते हैं चेहरे से. आप के चेहरे में पहले से कुछ अंतर आया है तो आप को घरेलू इलाज के साथसाथ ब्यूटीपार्लर से फेशियल करवाने के बारे में सोच लेना चाहिए. आजकल अमूमन सभी महिलाएं फेशियल, आईब्रोज, ब्लीचिंग आदि करवाती हैं, इन से फर्क भी पड़ता है. यदि आप ये सब नहीं करवाती हैं तो आप को करवाना चाहिए. ब्यूटी ट्रीटमैंट से आप समझ लेंगी कि चेहरे व शरीर का अंतर बहुत ज्यादा हो गया है. चेहरे के कसाव के लिए आप को थर्मोहर्ब फेशियल सूट करेगा. आईब्रोज भी वैसी स्टाइलिश ही बनवाएं, जो आप के चेहरे को सूट करें.

1. घरेलू उपचार

पार्लर जाने का समय न मिल पाता हो तो घर में अंडे के सफेद भाग को अच्छी तरह से बीट कर के चेहरे पर लगाने से त्वचा में कसाव भी आएगा और चेहरा भी चमक उठेगा. पके केले को बीट कर के चेहरे पर कुछ देर लगाने से भी त्वचा में कसाव आ जाता  है. उम्र को ठिठकाना है तो स्वयं को पैंपर तो करना ही होगा. आप के चेहरे पर कमनीयता आए, उस के लिए प्रयास कीजिए. अपने मेकअप को भी थोड़ा बदला हुआ आयाम दीजिए. आंखों के ऊपर हलका सा आईशैडो और आईलाइनर एक यंग लुक देता है. आईशैडो समय व अपनी ड्रैस के हिसाब से तय करें. पलकों पर लगा मस्कारा ड्रीमी लुक देगा. आंखों का मेकअप अपनी आंखों के हिसाब से करें. इस के अलावा हाथों और पैरों पर मैनीक्योर, पैडीक्योर करवाना न भूलें. हाथों पर उभरी नसें, जो बढ़ती आयु की ओर इशारा करती हैं, लगातार मैनीक्योर से दब सी जाती हैं और हाथों को एक यंग लुक मिलता है. अपने नाखूनों को भी आप को फैशन व हाथ की बनावट के हिसाब से रखना चाहिए. यदि नेलपौलिश ज्यादा पसंद न हो तो फ्रैंच मैनीक्योर लगा सकती हैं, इस में नाखूनों को एक विशेष अंदाज में तराशा व फाइल किया जाता है. बड़े नाखून पर सफेद नेल इनैमल व बाकी नाखूनों पर बहुत हलका ट्रांसपेरैंट लाइट पिंक कलर अच्छा रहता है. नेलपौलिश का यह स्टाइल बहुत अच्छा लगता है.

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2. बालों का स्टाइल

बालों का स्टाइल भी आप को एक युवा लुक देगा. चलिए, इस बार अपने बालों को कटा ही डालिए. अपने चेहरे पर सूट करता हुआ स्टाइल करवा लें. कहते हैं न बाल कटाइए, उम्र घटाइए. आप स्वयं अनुभव करेंगी कि आप का लुक युवा हो गया है पर बालों की कटिंग ग्रेसफुल होनी चाहिए. आप को तय करना है कि अपने बालों को वेवी रखें यानी हलके कर्ल वाले या बिलकुल प्लेन. यह आप की सूझबूझ पर निर्भर करेगा. यदि आप बाल नहीं कटवाना चाहती हैं तो विभिन्न प्रकार की पौनीटेल भी बना सकती हैं. हां, जूड़े को फिलहाल बैक सीट ही दे दें, क्योंकि इस से आयु थोड़ी बड़ी ही लगती है. जो भी स्टाइल बनाएं, आत्मविश्वास के साथ बनाएं. इस के अतिरिक्त यह भी ध्यान रखें कि आप को उम्र के अनुसार ड्रैस भी पहननी है. उम्र का एहसास कम करने के लिए कुछ बदली हुई ड्रैसेस पहनी जा सकती हैं. यदि आप केवल साड़ी तक ही सीमित हैं तो क्यों न सलवारसूट और चूड़ीदार पायजामाकुरता पहनें. साड़ी ग्रेसफुल तो होती है पर हम तो यहां आप के गैटअप का बदलाव कर रहे हैं. तो चलिए, अन्य ड्रैसेस की ओर भी रुझान कर लें.

3. गैटअप में बदलाव

कुछ सुप्रसिद्ध फैशन डिजाइनर्स से जब इस बारे में बात की तो उन्होंने समझाया कि कोई भी ड्रैस किसी भी उम्र में पहनी जा सकती है. उन्होेंने इस बात को भी माना कि विभिन्न प्रकार की ड्रैसेस से शर्तिया आयु कम लगती है. हैरानी तो तब हुई जब एक फैशन डिजाइनर, जो उस समय कैपरी और कुरती में थीं, उन्होंने अपनी आयु बताई तो एकबारगी लगा कि दरअसल जो वे हैं, दिख नहीं रहीं. उन का गैटअप, बात करने का आत्मविश्वास उन्हें अपनी आयु से बहुत कम दिखा रहा था. उन की आयु जान कर लगा कि आज हमारा यह प्रण कि आप की आयु कुछ वर्ष कम करें, एकदम सटीक है. आप का तमाम गैटअप आप को कम उम्र का बना ही देगा. आप चाहें और आप का मूड हो तो जींसटौप भी पहन सकती हैं. यह आप के ऊपर निर्भर है, पर जो भी पहनें वह हास्यास्पद न लगे.

4. बौडी मसाज

इस के साथ ही अपने शरीर की मसाज भी करवाती रहें. इस से चुस्तीफुरती बरकरार रहेगी और हलकेफुलके दर्दों से भी नजात मिलेगी. उम्र घटाने की इस शृंखला में आप को अपनेआप को शारीरिक रूप से स्वस्थ भी रखना है. अपने डाक्टर की सलाहानुसार विटामिंस व कैलशियम नियमित लेती रहें, इस से आप को ताकत भी मिलेगी व कैलशियम की कमी भी न रहेगी.

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5. डाक्टरी देखभाल

इस आयु तक पहुंचतेपहुंचते जोड़ों का दर्द भी शुरू हो जाता है तो आप को डाक्टर को दिखाते रहना चाहिए. यदि समस्या है तो दवाएं भी लेनी चाहिए. आंखों की जांच भी बहुत जरूरी होती है. प्रौढावस्था तक आतेआते आंखें कमजोर तो हो ही जाती हैं, कई बार मोतियाबिंद भी हो सकता है. यदि आंखों पर चश्मा लगाना हो तो फ्रेम का चुनाव ऐसा कीजिए जो आप के व्यक्तित्व को और भी उभारे. चाहे तो कांटैक्ट लैंस का प्रयोग भी कर सकती हैं. आजकल कई प्रकार के कास्मैटिक कांटैक्ट लैंस भी उपलब्ध हैं, डाक्टर के परामर्श से इन का प्रयोग आप को आकर्षक बना देगा. अगर चेहरे पर कोई विकार है तो प्लास्टिक सर्जरी का सहारा भी लिया जा सकता है. पर कोशिश यह कीजिए कि मेकअप से ही चेहरे को संवारें. कुछ महिलाएं अपनी त्वचा के कसाव के लिए प्लास्टिक सर्जरी करवा लेती हैं. यह ग्लैमर से जुड़े लोगों के लिए शायद ठीक हो पर आमतौर पर इस की जरूरत नहीं होती. अपने दांतों पर भी गौर फरमाना जरूरी है. उजले दांतों से आप की मुसकराहट और भी अच्छी बन पड़ेगी.

महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक : मुख्यमंत्री

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां लोक भवन में ‘राष्ट्रीय पोषण माह, 2021’ का शुभारम्भ किया.

कार्यक्रम में राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने गोद भराई कार्ड ‘शगुन’ तथा आई0सी0डी0एस0 विभाग के मैस्कॉट ‘आँचल’ का विमोचन किया. राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने 05 गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की तथा 10 बच्चों को उपहार स्वरूप फलों की टोकरी वितरित की.

राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर प्रदेश के 24 जनपदों में लगभग 4,142 लाख रुपये की लागत से नवनिर्मित 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण किया. कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, मुख्य सेविकाओं एवं बाल विकास परियोजना अधिकारियों को प्रशस्ति-पत्र तथा उ0प्र0 लोक सेवा आयोग द्वारा नवचयनित 91 बाल विकास परियोजना अधिकारियों को नियुक्ति-पत्र वितरित किया गया.

राज्यपाल जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश व प्रदेश को सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया गया है. राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण दूर करने सम्बन्धी कार्यक्रमों के परिणामों का अध्ययन कराकर उन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है. कुपोषण से छुटकारा दिलाने में जनसहभागिता की उपयोगी भूमिका है.

मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश को समर्थ और सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित करने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना को साकार करने के लिए महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक है. इसके दृष्टिगत प्रधानमंत्री जी द्वारा वर्ष 2018 से देश में प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया. आज चौथे राष्ट्रीय पोषण माह का शुभारम्भ किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी की मंशा है कि प्रत्येक माता एवं बच्चा स्वस्थ व सुपोषित हो. राष्ट्रीय पोषण माह के प्रभावी ढंग से संचालन तथा समाज के अन्तिम पायदान के व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए कार्यक्रम में जनसहभागिता आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय पोषण अभियान, 2021’ के तहत विभिन्न गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाएगा. पोषण माह के प्रथम सप्ताह में पोषण वाटिका की स्थापना हेतु पौधरोपण अभियान संचालित किया जाएगा. इसके तहत सरकारी स्कूलों, आवासीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पौधरोपण किया जाए. माह के दूसरे सप्ताह में योग एवं आयुष से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान किशोरियों, बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए योग सत्रों का आयोजन किया जाएगा. तृतीय सप्ताह के दौरान पोषण सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री, अनुपूरक पोषाहार वितरण आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे. चौथे सप्ताह के दौरान सैम व मैम बच्चों के चिन्हांकन का कार्य किया जाएगा. सभी से चार सप्ताह के इस विशेष अभियान से जुड़कर इसे सफल बनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ समाज के सशक्तीकरण का महाअभियान है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के सुपोषण के सम्बन्ध में अनेक अभिनव प्रयोग किये हैं, जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं. इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कर्मियों यथा आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, मुख्य सेविकाओं, बाल विकास परियोजना अधिकारियों को आज प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अस्थायी अथवा किराये के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों को अपना भवन उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है. इसके तहत आज 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवनों का लोकार्पण किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के साथ ही प्री-प्राइमरी के रूप में आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही स्कूली शिक्षा का कार्य भी समुचित ढंग से आगे बढ़े. वर्ष 2020 में कोरोना के आगमन से यह प्रयास बाधित हुआ. वर्तमान में राज्य में कोरोना का संक्रमण नियंत्रित स्थिति में है. आज प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 22 मामले प्रकाश में आये हैं. अधिकतर जिलों में कोरोना का संक्रमण समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अब तक कोरोना की 07 करोड़ 39 लाख से अधिक जांच करायी गयी है तथा 08 करोड़ 08 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज दी गयी है. कोरोना की जांच और वैक्सिनेशन दोनों में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. आंगनबाड़ी से सम्बन्धित गतिविधियों को आगे बढ़ाने का यह उपयुक्त समय है.

मुख्यमंत्री जी ने नवनियुक्त बाल विकास परियोजना अधिकारियों को चयन हेतु बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर अभ्यर्थियों का चयन पूरी निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ मेरिट के आधार पर सम्पन्न कराया गया है. उन्होंने कहा कि नवनियुक्त अधिकारी राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप राष्ट्रीय पोषण माह अभियान से जुड़कर ईमानदारी से कार्य करें. उन्होंने कहा कि बच्चे ईश्वर की कृति हैं. शासन द्वारा इन्हें प्रदान की जा रही स्वास्थ्य एवं पोषण सम्बन्धी सभी सुविधाएं सुलभ होनी चाहिए. यह राष्ट्र की आधारशिला को सुदृढ़ करने की दिशा में किया गया कार्य है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तीकरण हेतु सार्थक प्रयास किये हैं. मिशन शक्ति-3 का संचालन किया जा रहा है. महिला आरक्षियों को बीट की जिम्मेदारी दी गयी है. यह आरक्षी महिलाओं के सम्बन्ध में जागरूकता का प्रसार का कार्य भी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, आशा वर्कर्स तथा एएनएम द्वारा स्क्रीनिंग और मेडिसिन किट वितरण का कार्य किया गया. इससे प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में बड़ी सहायता मिली. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों तथा आशा वर्कर्स के मानदेय की वृद्धि के सम्बन्ध में कार्यवाही संचालित है. इनके बकाया भुगतान के निर्देश भी दिये गये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सितम्बर माह साग-सब्जियों और फलों के पौधरोपण के लिए उचित समय है. इस दौरान बेसिक शिक्षा परिषद तथा माध्यमिक स्कूलों में किचन गार्डेन स्थापित किया जा सकता है. उन्होंने कुपोषित माँ व बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए दूध की उपलब्धता हेतु जिला प्रशासन को जनपद स्तर पर निराश्रित गोवंश में से गाय उपलब्ध कराये जाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश के पालन हेतु प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराये जा रहे हैं.

महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बच्चों से लेकर बुजुर्गाें तक को सशक्त और स्वावलम्बी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं. उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए कुपोषण से मुक्ति जरूरी है. प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पोषण माह अभियान की नींव रखी. मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में इस अभियान का प्रभावी ढंग से संचालन किया जा रहा है.

कार्यक्रम के अन्त में प्रमुख सचिव महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार श्रीमती वी. हेकाली झिमोमी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार श्रीमती सारिका मोहन, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

आगामी अतीत: भाग 1- आशीश को मिली माफी

तू ने अपनी लिस्ट बना ली… किसकिस को कार्ड भेजना है?’’ ज्योत्स्ना ने अपनी बेटी भावना से पूछा.

‘‘जी मम्मी, यह रही मेरी लिस्ट. पर एक कार्ड आप मुझे दे दीजिए, अपने एक खास दोस्त को भेजना है.’’

यह कह कर भावना ने  एक कार्ड लिया, अपना बैग उठाया, अपनी गाड़ी निकाली और अस्पताल की ओर चल दी.

भावना कार चला रही थी. उस की आंखों में अपने पापा का बीमार चेहरा, बढ़ी हुई दाढ़ी, कातर आंखें घूम रही थीं, जो शायद उस से क्षमायाचना कर रही थीं. उस के पापा कुछ समय पहले ही उस अस्पताल में दाखिल हुए थे जहां वह काम कर रही थी. उन्हें पक्षाघात हुआ था. उस के मम्मीपापा जब वह 15 साल की थी, एकदूसरे से अलग हो गए थे.

पापा तो मम्मी से अलग हो गए लेकिन उस का हृदय पापा की याद में तड़पता रहा था.

मम्मी के अथक प्रयास व कड़ी मेहनत ने उस के पैरों तले ठोस जमीन दी. वह डाक्टर बन गई. मम्मी के सामने पापा का नाम लेना भी मुश्किल था और वह इस को गलत भी नहीं समझती थी, आखिर जिस सहचर पर मम्मी को अथाह विश्वास था, जिस की उंगली पकडे़ वह जीवन डगर पर निश्ंिचत हो आगे बढ़ रही थीं, वही एक दिन चुपचाप अपनी उंगली छुड़ा कर चल देगा यह तो वह सोच भी नहीं सकती थीं. जीवनसाथी के धोखे के बाद तो मम्मी की दुनिया में उन की स्कूल की छोटी सी नौकरी और भावना के अलावा किसी के लिए भी जगह नहीं थी.

भावना गाड़ी खड़ी कर अपने केबिन में पहुंची तो बाहर मरीजों की भीड़ लगी हुई थी. उस की सहयोगी डाक्टर केबिन में बैठी हुई थी.

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‘‘हैलो, डा. आर्या, कैसी हैं आप?’’

‘‘फाइन, डाक्टर. आज आप को देर हो गई. मरीजों की भीड़ लगी है.’’

‘‘हां, शादी की तैयारी के चलते आजकल थोड़ी देर हो जाती है.’’

इस के बाद भावना कुछ घंटों के लिए तो अपनेआप को भी भूल गई. 1 बजे  तक मरीज निबटे. उस ने एक कप चाय मंगवाई, धीरेधीरे चाय पीते हुए वह अतीत के दलदल में धंसने लगी.

पापा के यों चले जाने से वह इतनी आहत हुई थी कि उस ने मन ही मन विवाह न करने का फैसला कर लिया था. उस ने सोचा कि वह डाक्टर है और मानव सेवा व मम्मी की देखभाल में अपना जीवन गुजार देगी.

डा. अमन ने कितने ही तरीकों से उस के सामने प्रणय निवेदन किया पर उस ने हर बार ठुकरा दिया. जब मम्मी को पता चला तो उन्होंने उसे विवाह करने के लिए बहुत समझाया पर वह किसी भी तरह से तैयार नहीं हुई. मम्मी के जीवन के भयावह अनुभवों से उस के अंदर वैवाहिक जीवन के प्रति भारी कड़वाहट भर गई थी, जिसे वह किसी तरह भी अपने अंदर से निकाल नहीं पा रही थी. थकहार कर मम्मी भी चुप हो गईं.

लगभग 6 महीने पहले वह अस्पताल का राउंड लगा रही थी कि उसे एक बेड पर जानापहचाना सा चेहरा नजर आया. कृशकाय शरीर, खिचड़ी दाढ़ी…दर्द से कुम्हलाया चेहरा, वह पहचानने की कोशिश करने लगी. दिमाग पर जोर डाला तो याद आया कि यह तो उस के पापा का चेहरा है. क्या वह इस हाल में…यहां हो सकते हैं? उस के दिमाग में जैसे भूचाल सा मच गया.

उस ने नर्स की ओर देख कर पूछा, ‘सिस्टर, इन्हें क्या हुआ है?’

‘डाक्टर…बाईं तरफ लकवा पड़ा है. अब तो कुछ ठीक हो गए हैं.’

‘क्या नाम है इस मरीज का?’ कहते हुए वह खुद सामने लटके चार्ट को देखने लगी.

‘आशीश शर्मा.’

चार्ट पर लिखा यह नाम जहर बुझे तीर की तरह उस के दिल के आरपार हो गया. संज्ञाशून्य सी वह अपने मरीजों को देख कर वापस चली आई थी.

उस का हृदय अपने पापा की ऐसी हालत देख कर करुणा से छटपटा गया था. यद्यपि वह उस के मरीज नहीं थे पर वह उन के केश में दिलचस्पी लेने लगी. वह जब भी डाक्टर से उन के बारे में बात करती तो इस बात का ध्यान रखती कि डाक्टर को यह न लगे कि वह इस मरीज में इतनी रुचि क्यों ले रही हैं. उस ने अपने पापा को भी यह आभास नहीं होने दिया कि वह उन को पहचान गई है.

उस के पापा लगभग डेढ़ महीना अस्पताल  में रहे. कई बार सोचा कि मम्मी को उन के बारे में बताए पर कहने की हिम्मत न जुटा सकी. उस को यह देख कर आश्चर्य होता कि पापा के 1-2 दोस्त ही उन से मिलने आते थे. एक दिन वह अस्पताल पहुंची तो उन का बिस्तर खाली था.

‘यह मरीज कहां गया, सिस्टर…’

‘उन को डिस्चार्ज कर दिया गया, डाक्टर. अब उन का इलाज घर से ही होगा…डाक्टर, आप के नाम मिस्टर आशीश एक पत्र दे गए हैं. क्या वह आप के जानने वाले थे?’

सिस्टर ने डा. भावना को एक पत्र थमा दिया. पत्र पकड़ते ही उस की टांगें थरथरा गईं. अपने को संभाल कर वह अपने केबिन में आ कर कुरसी में धंस गई. कांपते हाथों से उस ने पत्र खोला. लिखा था :

‘प्रिय भावना,

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तुम ने मुझे पहचाना हो या न पहचाना हो पर मैं तो तुम्हें पहले ही दिन पहचान गया था कि तुम मेरी बेटी, भावना हो. तुम्हें अपनी बेटी कहने का हक तो मैं बहुत पीछे छोड़ आया, लेकिन तुम्हारा पिता तो मैं ही हूं और यह मेरे लिए फख्र की बात है. बदनसीब हूं मैं…जो तुम जैसी बेटी को अपना नहीं कह सकता.

जिस के कारण तुम दोनों को छोड़ आया था वह तो मुझे छोड़ कर कभी की चली गई थी. भला अपनों का दिल दुखा कर किसी को सुख मिल सकता है कभी…यह भूल गया था मैं…तुम दोनों को अकेला छोड़ आया था, आज खुद भी अकेलेपन की सजा भुगत रहा हूं.

तुम दोनों मांबेटी का अपराधी हूं मैं…मेरा अपराध क्षमा के योग्य तो नहीं पर हो सके तो मुझे माफ कर देना…’

आगे के शब्द उस की आंसू भरी आंखों में धुंधला गए.

उस ने आंखें बंद कर पीछे सिर टिका दिया. आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे. मम्मी का इतने सालों का अकेलापन, उन की छटपटाहट, अपने युवा हो रहे मन का बिना पापा के अजीब सा अकेलापन, भय सबकुछ मानसपटल पर उभर आया था. जिंदगी के वे सब लम्हे याद आ गए जब पापा की कमी शिद्दत से खली थी. बिना पुरुष के साथ के मम्मी को कई बार कमजोर पड़ते भी देखा था.

पापा के इतने बडे़ अपराध के बाद भी उस का मन उन्हें प्यार करता था लेकिन उन्हें माफ करने या न करने का अधिकार सिर्फ मम्मी को ही था. मम्मी यदि उन्हें माफ कर दें तो उस के लिए उन्हें फिर से अपनाना मुश्किल नहीं था.

पापा के माफीनामे को पढ़ने के बाद विवाह के प्रति जो नफरत की शिला उस के दिल पर पड़ी थी वह धीरेधीरे पिघलने लगी थी. उस ने डा. अमन को अपने आसपास आने की ढील  दे दी और अंत में उन का प्रणय निवेदन उस ने स्वीकार कर लिया था.

मम्मी उस की विवाह की स्वीकृति या खुशी से बौरा सी गईं. मां की बेरौनक जिंदगी में उस की खुशियां व सफलता ही तो रंग भर सकते थे, बाकी था ही क्या… पर पापा के बारे में जान कर उसे मम्मी की जिंदगी फिर भी अच्छी लग रही थी कि उन की जिंदगी में उस से जुड़ी खुशियां तो थीं. पापा की जिंदगी में तो कुछ भी नहीं था सिवा भीषण अकेलापन, अपने परिवार को छोड़ देने का दर्द और साथ में उन की इस बीमारी के, लेकिन  कैसे बताए मम्मी को…वह कई दिन तक इसी कशमकश में रही थी.

मम्मी उत्साहित हो उस की शादी की तैयारियों में लग गई थीं. वह दिनभर अस्पताल से थक कर चूर हो कर घर आती और बेसुध सी बिस्तर पर पड़ जाती. मम्मी की वह जरा भी मदद नहीं कर पा रही थी.

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