Monsoon Special: नाश्ते में बनाएं पनीर चीज कटलेट

आज हम आपको पनीर चीज कटलेट की रेसिपी बता रहे हैं जिसे बनाना भी आसान है और इसमें पौष्टिकता भी भरपूर है तो आइए देखते हैं कि इसे कैसे बनाते हैं.

हमें चाहिए

–  50 ग्राम पनीर

–  4 पीस सैंडविच ब्रैड

–  2 हरीमिर्चें बीच से कटी

–  1/2 प्याज कटा

–  थोड़ा सी धनियापत्ती कटी

–  20 ग्राम चौकोर  टुकड़ों में कटा मोजरेला चीज

–  100 ग्राम ब्रैडक्रंब्स

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–  साल्ट पैपर  सीजनिंग स्वादानुसार.

फिलिंग की विधि

सब से पहले पनीर को छोटे चौकोर टुकड़ों में काटें. फिर इन में हरीमिर्च, साल्ट पैपर सीजनिंग, मोजरेला चीज, प्याज, धनियापत्ती डाल कर पनीर के साथ अच्छी तरह मिक्स करें. फिलिंग तैयार है.

कटलेट की विधि

सब से पहले ब्रैडस्लाइसेज के किनारों को निकाल दें. फिर इन्हें पानी में थोड़ा सा गीला कर के बीच में पनीर की फिलिंग भरें. फिर उसे दोनों हाथों की मदद से बौल के आकार में फोल्ड करते हुए उसे ब्रैडकं्रब्स में लपेटें. सभी स्लाइस के साथ ऐसा करें. अब कड़ाही में औयल को गरम कर के उस में कटलेट बौल्स को क्रिस्पी व सुनहरा होने तक फ्राई करें. तैयार कटलेट्स को कैचअप, मेयोनीज व पुदीना चटनी के साथ गरमगरम सर्व करें.

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‘आपकी नजरों ने समझा’ फेम ऋचा राठौर का बदला लुक, फोटोज वायरल

इन दिनों सोनाली जाफर निर्मित ‘‘स्टार प्लस’’के सीरियल ‘‘आपकी नजरों ने समझा’’में मुख्य भूमिका निभाते हुए शोहरत बटोर रही अदाकारा ऋचा राठौर ने 2015 में रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण के साथ इम्तियाज अली निर्देशित फिल्म‘‘तमाशा’’में अभिनय कर चुकी हैं.

 

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मूलतः शिमला निवासी और इंजीनियरिंग की छात्रा ऋचा राठौर ने कभी नहीं सोचा था कि वह अभिनय करने के लिए एक दिन मुंबई जाएंगी.  लेकिन नियति ने उन्हे अभिनेत्री बना दिया. खुद ऋचा राठौर बताती हैं- “अभिनय का सिलसिला इम्तियाज अली की फिल्म ‘तमाशा’से शुरू हुआ.  मैं अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर रही थी, जब इम्तियाज अली की टीम हमारे कॉलेज में ऑडीशन लेने आयी थी. फिल्म की शूटिंग शिमला में ही हो रही थी. इसलिए हंसी में मैंने भी ऑडीशन दिया और मुझे एक छोटा सा किरदार निभाने का ऑफर मिल गया, जिसे मैंने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया.  मैंने टीम के साथ एक हफ्ते तक शूटिंग की और अपने आसपास जो कुछ हो रहा था,  उससे मैं हैरान थी. तीन दिन के अंदर मुझे अहसास हुआ कि मुझे तो अभिनय को ही कैरियर बनाना है. ’’

 

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वह आगे बताती हैं- ‘‘इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैने नौकरी कर ली. लेकिन अभिनेत्री बनने का ख्याल मेरे दिमाग में कहीं न कहीं था. फिर एक दिन मेरे पास सीरियल‘कुमकुम भाग्य’के लिए ऑडीशन देने के लिए फोन आया. फिर मैं मुंबई आ गयी. मैने कई टीवी सीरियल में कुछ छोटे किरदार निभाए और आखिरकार मुझे ‘आपकी नजरों ने समझा’ में पहली बार मुख्य भूमिका निभाने का मौका मिला. ’’

 

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शिमला से मुंबई आकर खुद को स्थापित करना काफी कठिन रहा. इस पर वह कहती हैं-यूं तो मैं मेट्रो शहरों में रही हूं, लेकिन मुंबई शहर का जीवन बिल्कुल अलग है. शुरूआत में मेरे लिए भी यह आसान नहीं था, लेकिन मैं कामयाब रही. अब मुझे मुंबई की गति में काम करने की आदत हो गयी है. हाल ही में कोरोना महामारी व लॉक डाउन की वजह से मैं अपने घर शिमला में थी, तो वहां लोगों को देखकर मुझे वास्तव में अहसास हुआ कि इस तरह की जगहों पर लोग कितनी धीमी जिंदगी जीते हैं. ‘‘

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ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो हिमाचल जरूर जायें

ट्रैवलिंग और ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए हिमाचल जाना बेहतरीन ऑप्शन साबित हो सकता है. यहां आप अपने पैशन को पूरा कर सकते हैं. बर्फ से ढ़के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ना, वहां से आसपास के नजारों को देखना बहुत ही अच्छा एक्सपीरिएंस होता है. हिमाचल जाकर आप बहुत ही कम समय में बहुत सारी जगहें घूम सकते हैं.

1. पिन पार्वती पास

ऊंचाई- 5319 मीटर

यह एक चैलेजिंग ट्रैक है. इस ट्रैकिंग में ग्रेट हिमालयन नेशनल पार्क के जंगली रास्ते, बिना पुल के नदिओं को पार करना और ग्लेशियर का सामना करना पड़ता है. इस ट्रैकिंग में शामिल जोखिम भी सुकून देने का काम करता है, क्योंकि ट्रैकर को हिमालय के दो पूरी तरह से विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं.

रिओ पुरगयिल पर्वत

ऊंचाई- 6816 मीटर

2. ट्रैकिंग टाइम– 6 दिन

यह पर्वत हिमाचल प्रदेश का सबसे ऊंचा पर्वत है. यह पर्वत हिमाचल प्रदेश और तिब्बत की सीमा पर है, जहां जाने के लिए विदेशी पर्यटकों को इनर लाइन परमिट लेनी पड़ती है. इस ट्रैक की शुरुआत किन्नौर जिले के नाको गांव से होती है. यहां से 5500 मीटर तक लगातार चढ़ाई देखने को मिलती है.

किन्नौर कैलाश पर्वत

ऊंचाई- 6349 मीटर

ट्रैकिंग टाइम– 7 दिन

किन्नौर कैलाश हिमाचल के उत्तर पूर्व हिस्से में पड़ता है. इस पर्वत के लिए सबसे सही ट्रैक शिमला से शुरू होती है, जहां से पर्यटक सांगला जा सकते हैं. सांगला से थांगी जाकर ट्रैकिंग की शुरुआत होती है. कुछ दिनों की ट्रेकिंग के बाद छरंग ला पास (5300 मीटर) तक पहुंचने के बाद गहरी घाटियां देखने को मिलती है.

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3. मनी महेश ट्रैक

ऊंचाई– 4,080 मीटर

ट्रैकिंग टाइम– 5 दिन

मनी महेश लेक को डक लेक के नाम से भी जाना जाता है. जो हिमालय के पिर पंजाल रेंज के पास चंबा जिले में स्थित है. मनी महेश, मानसरोवर लेक के भी काफी पास है इसलिए इसकी अपनी एक धार्मिक मान्यता भी है. इसकी ट्रैकिंग के लिए भानलौर-हड़सर मनी महेश रूट को फॉलो किया जाता है जिसके लिए 13 किमी का रास्ता तय करना होता है. वैसे लाहौल और स्पीती रूट को भी इस ट्रैकिंग के लिए फॉलो किया जा सकता है. कांगड़ा और मंडी से आने वाले लोगों के लिए करवारसी पास और जलसू पास रूट ज्यादा सुविधाजनक है.

4. चन्द्रतल ट्रैक

ऊंचाई– 14,1000 फीट

ट्रैकिंग टाइम– 4 दिन

चंद्रतल यानि चांद पर चलना, और सच में यहां ट्रैकिंग करने पर ऐसा ही अहसास होता है. स्पीती वैली के पास स्थित है. बीन्स के आकार का ये लेक 2.8 किलोमीटर में फैला हुआ है. जिसका पानी क्रिस्टल जैसा क्लियर है और इसे ब्लू रंग के कई शेड्स में भी देखा जा सकता है. लेक के आसपास ट्रैकिंग के दौरान कैंप लगाकर यहां के खूबसूरत नजारों का भी आनंद लिया जा सकता है. ट्रैकिंग के लिए मई से अक्टूबर तक का टाइम बेस्ट होता है. कुंजुम पास और बातल पास रूट को ट्रैकिंग के लिए फॉलो किया जाता है.

5. त्रिउंड ग्लेशियर

ऊंचाई– 2827 मीटर

ट्रैकिंग टाइम– 4 दिन

त्रिउंड, भागसू नाग(बाहर से आने वाले टूरिस्ट की फेवरेट जगह) से महज 9 किमी की दूरी पर है. मैकलोड़गंज से यहां पहुंचने में पूरी 4 घंटे का समय लगता है. यहां ट्रैकिंग करते वक्त धौलाधार रेंज और कांगड़ा घाटी के बहुत सारे खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं. बिना गाइड के भी यहां ट्रैकिंग पॉसिबल है. पहाड़ों पर चलने के दौरान यहां स्नो बर्ड्स और कस्तूरी और काले हिरणों को आसानी से देखा जा सकता है.

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Makeup Tips: ऐसे बढ़ाएं कौस्मैटिक्स की उम्र

माना कि हर मेकअप प्रोडक्ट की अपनी उम्र होती है जैसे मसकारे की 3 महीने, आईलाइनर की 6 महीने, तो फाउंडेशन की साल भर. लेकिन कई बार महंगे से महंगा कौस्मैटिक प्रोडक्ट भी डेट ऐक्सपायर होने से पहले खराब हो जाता है.

इस का सब से बड़ा कारण है कौस्मैटिक्स के रखरखाव और देखभाल की कमी. आप अपने मेकअप प्रोडक्ट्स की उम्र उन की ऐक्सपायर्ड डेट से भी आगे बढ़ा सकती हैं. कैसे, बता रहे हैं मेकअप आर्टिस्ट अजय बिष्ट.

लिपस्टिक

अगर आप चाहती हैं कि आप की लिपस्टिक और लिपस्टिक का शेड दोनों ही हमेशा फ्रैश रहें, तो उसे ड्रैसिंगटेबल की दराज में रखने के बजाय फ्रिज में रखें. गरम जगह या धूप के संपर्क में रखने से लिपस्टिक मैल्ट हो कर खराब हो जाती है. कई बार मौइश्चर उभर आने से भी लिपस्टिक का शेड बदल जाता है.

आईलाइनर

अगर आप चाहती हैं कि आप का आईलाइनर लंबे समय तक चले तो लिक्विड आईलाइनर के बजाय पैंसिल आईलाइनर खरीदें. अगर आप लिक्विड आईलाइनर खरीद रही हैं, तो उसे हवा से बचा कर रखें वरना ड्राई हो सकता है. यदि कभी आईलाइनर सूख जाए तो उसे कुछ सैकंड्स के लिए माइक्रोवेव में रख दें. इस से वह फिर से नौर्मल टैक्स्चर में आ जाएगा.

आईशैडो

आईशैडो को लंबे समय तक सेफ रखना चाहती हैं, तो क्रीमी आईशैडो के बजाय पाउडर बेस्ड आईशैडो खरीदें. वह न तो जल्दी खराब होता है और न ही उस के मैल्ट या ड्राई होने की संभावना रहती है. साफसुथरे और नए ब्रश का इस्तेमाल कर के भी आईशैडो की उम्र को बढ़ा सकती हैं.

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फाउंडेशन

फाउंडेशन की उम्र इस बात पर निर्भर करती है कि वह वाटर बेस्ड है या फिर औयल बेस्ड. चूंकि औयल बेस्ड फाउंडेशन में औयल होता है, इसलिए वह जल्दी खराब नहीं होता, जबकि वाटर बेस्ड फाउंडेशन में पानी की मौजूदगी उस के जल्दी खराब होने का कारण है. वैसे दोनों ही फाउंडेशन को फ्रिज में रख कर जल्दी खराब होने से बचाया जा सकता है.

लिप पैंसिल

लिपलाइनर की उम्र बढ़ाने के लिए उसे शार्पनर से शार्प करने के बाद उस की नोक पर थोड़ी सी वैसलीन या फिर हलका सा औलिव औयल लगा दें. ऐसा करने से इस्तेमाल करते वक्त पैंसिल आसानी से मूव करेगी. इस से न तो आप

को पैंसिल रगड़ने की जरूरत होगी और न ही उसे बारबार शार्प करने की.

नेलपौलिश

नेलपौलिश अप्लाई करते वक्त उस की बोतल को किसी चीज से कवर कर दें वरना हवा के संपर्क में आने से नेलपौलिश अपनी ऐक्सपायरी डेट से पहले खराब हो सकती है. अगर नेलपौलिश सूख जाए तो उस में थोड़ा सा एसीटोन मिला कर उसे अच्छी तरह हिलाएं. इस से वह पहले की तरह नजर आएगी.

मसकारा

बाकी कौस्मैटिक के मुकाबले मसकारे की उम्र बहुत कम होती है. उस की उम्र बढ़ाने के लिए उसे हवा के संपर्क में न आने दें. इस के लिए मसकारे के ब्रश को बारबार बोतल में डालने और निकालने की भूल न करें. मसकारे के जल्दी खराब होने की एक वजह ऐप्लिकेटर भी है. अगर हर बार आप नए ऐप्लिकेटर का इस्तेमाल करती हैं तो उस की उम्र और भी बढ़ाई जा सकती है.

यों बचाएं खराब होने से कौस्मैटिक्स को खराब होने से बचाने के लिए इन बातों का ध्यान रखें.

उंगलियों के इस्तेमाल से बचें

किसी भी कौस्मैटिक का इस्तेमाल करने के लिए उंगलियों का प्रयोग न करें. उंगलियों में एक तरह का औयल होता है, जिस के संपर्क में आने से प्रोडक्ट्स में बैक्टीरिया पनपने लगते हैं, जिस से प्रोडक्ट्स जल्दी खराब हो जाते हैं.

मेकअप प्रोडक्ट्स शेयर न करें

अपने मेकअप प्रोडक्ट्स किसी के साथ शेयर न करें खासकर ऐसे प्रोडक्ट्स जिन का इस्तेमाल

बिना किसी ब्रश, स्पंज के सीधे त्वचा पर किया जाता है.

मेकअप ब्रश को हमेशा क्लीन रखें: मेकअप करने के लिए न सिर्फ क्लीन ब्रश का इस्तेमाल करें, बल्कि ब्रश को हमेशा क्लीन भी रखें. इस के लिए गरम पानी में कुछ देर ब्रश को भिगो कर रखें, और माइल्ड शैंपू से धोएं. फिर कौटन के कपड़े से पोंछ कर इस्तेमाल करें. सप्ताह में 2 बार ब्रश की सफाई जरूरी है.

बारबार डिप करने से बचें

किसी भी लिक्विड मेकअप प्रोडक्ट को जैसे आईलाइनर, आईशैडो, लिपग्लौस, मसकारा, नेलपौलिश को यूज करते वक्त बारबार ऐप्लिकेटर को बोतल में डिप न करें. ऐसा करने से बाहर की हवा बोतल के अंदर जाती है और बोतल बंद करने पर उसी में रह जाती है, जिस से प्रोडक्ट्स खराब हो जाते हैं.

इन बातों के अलावा यह भी ध्यान रखें कि आप के कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स के ढक्कन अच्छी तरह बंद हैं या नहीं. अगर वे खुले हैं, तो हवा अंदर जा सकती है और प्रोडक्ट्स के खराब होने के चांसेज बढ़ जाते हैं.

स्मार्ट आइडियाज

मेकअप प्रोडक्ट्स की उम्र बढ़ाने के कुछ स्मार्ट आइडियाज.

स्पंज नहीं ब्रश यूज करें

फाउंडेशन, ब्लशऔन जैसे मेकअप प्रोडक्ट्स लगाने के लिए स्पंज के बजाय ब्रश का इस्तेमाल करें. स्पंज इस्तेमाल करने पर वह मेकअप को सोख लेता है, जिसे यूज नहीं किया जा सकता, जबकि ब्रश बालों से बनाया जाता है, इसलिए वह मेकअप को सोख नहीं पाता, जिस से आप पूरी तरह से प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर पाती हैं.

न्यू कंटेनर का इस्तेमाल करें

कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स की सलामती के लिए न्यू कंटेनर का इस्तेमाल भी कर सकती हैं जैसे लिक्विड फाउंडेशन, आईशैडो, लिपग्लौस, ब्लशऔन जैसे लिक्विड प्रोडक्ट्स के आधे हिस्से को एक अलग कंटेनर में निकाल कर रखें और उसे डेली बेसिस पर यूज करें. इस से औरिजिनल बोतल में रखा मेकअप प्रोडक्ट ज्यों का त्यों फ्रैश रहेगा.

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पाउडर बेस्ड प्रोडक्ट्स को दें प्राथमिकता

अगर आप कोई मेकअप प्रोडक्ट रोजाना यूज नहीं करने वाली हैं, तो वाटर या क्रीमी बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट्स खरीदने के बजाय पाउडर बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट्स खरीदें. वाटर और क्रीमी बेस्ड मेकअप प्रोडक्ट की तुलना में पाउडर बेस्ड प्रोडक्ट लंबे समय तक चलता है, जल्दी खराब नहीं होता.

पैक इस्तेमाल के वक्त ही खोलें

अगर आप किसी खास मौके पर लगाने के लिए लिपस्टिक, आईलाइनर या कोई अन्य मेकअप प्रोडक्ट ऐडवांस में ले रही हैं, तो खरीदने के तुरंत बाद उस की पैक को खोलने के बजाय उसी दिन खोलें, जिस दिन आप उसे इस्तेमाल करने वाली हैं. इस से मेकअप प्रोडक्ट की उम्र बढ़ सकती है.

गरम पानी में भिगो दें

मसकारा, लिपग्लौस, लिक्विड लिपस्टिक, लिक्विड आईलाइनर जैसे मेकअप प्रोडक्ट्स अगर ऐक्सपायरी डेट से पहले सूख जाएं, तो उन के ढक्कन अच्छी तरह से बंद कर के गरम पानी से भरे बाउल में कुछ देर के लिए डाल दें. इस से वे मैल्ट हो कर पहले वाले टैक्स्चर में आ जाएंगे.

कूल और ड्राई जगह रखें

कौस्मैटिक्स और स्किन केयर प्रोडक्ट्स को ठंडी और सूखी जगह पर रखें. सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में न आने दें. सूर्य की किरणों से क्रीमी कौस्मैटिक प्रोडक्ट्स जैसे लिपस्टिक मैल्ट हो सकती है, तो टोनर जैसे प्रोडक्ट्स ड्राई हो सकते हैं.

कब समझें प्रोडक्ट खराब हो गया है

बदबू

अगर मेकअप प्रोडक्ट से बदबू आ रही है, तो इस का मतलब वह खराब हो चुका है.

लुक

अगर कौस्मैटिक का कलर बदला नजर आ रहा है, उस में मौइश्चर आ गया है, वह पैची और ड्राई दिख रहा है, तो उसे तुरंत बदल दें.

टच

अगर मेकअप प्रोडक्ट बहुत ज्यादा चिपचिपा लग रहा है या फिर बहुत ज्यादा सूखा, तो उसे फेंकने में देरी न करें.

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महिलाओं में यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन का बढ़ता जोखिम

यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन या यूटीआई (यह ट्रैक्ट शरीर से मुख्यरूप से किडनी, यूरेटर ब्लैडर और यूरेथरा से मूत्र निकालता है) एक प्रकार का विषाणुजनित संक्रमण है. यह ब्लैडर में होने वाला सब से सामान्य प्रकार का संक्रमण है लेकिन कई बार मरीजों को किडनी में गंभीर प्रकार का संक्रमण भी हो सकता है जिसे पाइलोनफ्रिटिस कहते हैं.

यौनरूप से सक्रिय महिलाओं में यह अधिक होता है क्योंकि यूरेथरा सिर्फ 4 सैंटीमीटर लंबा होता है और जीवाणु के पास ब्लैडर के बाहर से ले कर भीतर तक घूमने के लिए इतनी ही जगह होती है. डायबिटीज होने से मरीजों में यूटीआई होने का खतरा दोगुना तक बढ़ जाता है.

डायबिटीज से बढ़ता है जोखिम

–     डायबिटीज के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है, इसलिए शरीर जीवाणुओं, विषाणुओं और फुंगी से मुकाबला करने में अक्षम हो जाता है. इस वजह से डायबिटीज से पीडि़त मरीजों को अकसर ऐसे जीवाणुओं की वजह से यूटीआई हो जाता है. इस में सामान्य एंटीबायोटिक काम नहीं आते हैं.

–     लंबी अवधि की डायबिटीज ब्लैडर को आपूर्ति करने वाली नसों को प्रभावित कर सकती है जिस की वजह से ब्लैडर की मांसपेशियां कमजोर हो सकती हैं जो यूरिनरी सिस्टम के बीच सिग्नल को प्रभावित कर ब्लैडर को खाली होने से रोक सकती हैं. परिणामस्वरूप, मूत्र पूरी तरह से नहीं निकल पाता है और इस की वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

–     मेटाबोलिक नियंत्रण खराब होने से डायबिटीज से पीडि़त मरीज में किसी प्रकार के संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है.

–     कुछ नई एंटीडायबिटीक दवाओं की वजह से मामूली यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन हो सकता है.

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क्या हैं लक्षण

लोअर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन

–     पेशाब करते हुए दर्द होना.

–     पेशाब में जलन महसूस होना.

–     तत्काल पेशाब करने की जरूरत महसूस होना.

–     असमंजस.

–     क्लाउडी यूरिन.

–     पेशाब में से अजीब सी बदबू आना.

–     पेशाब में खून.

–     पेट के निचले हिस्से में दर्द.

–     पीठ में दर्द.

अपर यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फैक्शन

–     सर्दी के साथ तेज बुखार.

–     उलटी होना.

–     पेट के निचले हिस्से में दर्द.

–     बगल में दर्द.

आमतौर पर इन लक्षणों का मतलब होता है कि संक्रमण किडनी तकपहुंच चुका है. इस गंभीर समस्या से नजात पाने के लिए अस्पताल में भरती होने की जरूरत हो सकती है. तत्काल उपचार से लक्षणों से भी छुटकारा मिल सकता है और संक्रमण के फैलने से भी बचा जा सकता है. कई दुर्लभ मामलों में यूटीआई की वजह से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे किडनी को नुकसान या फिर किडनी फेल होना. यूटीआई का पता लगाने के लिए बैक्टीरिया और पस के लिए एक अत्यंत साधारण मूत्र परीक्षण काफी है. एंटीबायोटिक को ले कर संवेदनशीलता के लिए यूरिन कल्चर, पेट का अल्ट्रासाउंड और गंभीर मामलों में सीटी स्कैन किया जाता है.

उपचार

लोअर यूटीआई, जो जटिल नहीं होता है, का उपचार बाहरी रोगी के तौर पर ओरल एंटीबायोटिक के साथ डाक्टर की उचित देखरेख में किया जा सकता है. कोई भी रेनल या कार्डिएक बीमारी न होने पर विभिन्न प्रकार के ओरल फ्लुइड्स लेने की सलाह दी जा सकती है. उपचार करने वाले डाकटर की अनुमति से दर्द में राहत देने वाली सुरक्षित दवाएं दी जा सकती हैं. दर्दनिवारक दवाओं से आमतौर पर बचना चाहिए क्योंकि इन से किडनी को नुकसान हो सकता है.

जटिल यानी अपर यूटीआई के लिए अस्पताल में भरती होने के साथ लंबे समय तक एंटीबायोटिक लेनी पड़ती है.

पौलीस्टिक ओवरियन सिंड्रोम और डायबिटीज का संबंध

यह ऐसी परिस्थिति है जो बच्चे पैदा करने की उम्र की महिलाओं को बड़े पैमाने पर प्रभावित करती है जहां उन के अंडाशय की सतह पर असामान्य छोटे दर्दरहित सिस्ट होते हैं. इस के अलावा उन में असामान्यरूप से अधिक मात्रा में पुरुष हार्मोन टेस्टोस्टेरौन होते हैं और अन्य हार्मोन का असामान्य अनुपात होता है जिस के परिणामस्वरूप शरीर में इंसुलिन की मात्रा उच्च होने के साथ ही अनियमित मासिकचक्र होता है.

संकेत

–     अनियमित मासिकधर्म.

–     ओलिगोमेनोहोयिया यानी मासिकचक्र के दौरान कम रक्तस्राव.

–     चेहरे, छाती और निपल के पास अधिक बाल.

–     एक्ने.

–     बांझपन.

–     अधिक वजन.

कारक

इंसुलिन प्रतिरोध और वजन बढ़ना पौलीसिस्टिक ओवरियन सिंड्रोम यानी पीसीओएस के 2 प्रमुख कारक हैं. इंसुलिन प्रतिरोध की वजह से शरीर में सामान्य से अधिक इंसुलिन का उत्पादन होता है जिसे हाइपरइंसुलिनेमिया कहते हैं. अधिक मात्रा में इंसुलिन की वजह से अंडाशय में अत्यधिक मात्रा में टेस्टोस्टेरौन होता है जिस की वजह से सामान्य अंडोत्सर्ग पैदा हो सकता है.

अधिक मात्रा में इंसुलिन की वजह से वजन भी बढ़ सकता है जिसे टाइप 2 डायबिटीज और पीसीओएस से जोड़ा जा सकता है. पीसीओएस से पीडि़त महिलाओं में कम उम्र में डायबिटीज होने का जोखिम चारगुना अधिक होता है.

पीसीओएस से पीडि़त कई मरीजों में मेटाबोलिक सिंड्रोम होते हैं जिन में पेट पर मोटापा, बैड कोलैस्ट्रौल सीरम ट्रिगलीसेराइड्स का बढ़ना, गुड कोलैस्ट्रौल का घटना, सीरम हाई डैंसिटी लिपोप्रोटिन और रक्तचाप बढ़ना शामिल हैं.

पीसीओएस से पीडि़त महिलाओं में कोरोनरी आर्टरी कैल्शिफिकेशन और बढ़ा हुआ कैरोटिड इंटिमा की मोटाई देखने को मिलती है.

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बचाव

–     जीवनशैली प्रबंधन, खाने पर ध्यान और व्यायाम करें.

–     वजन कम करें.

–     डाक्टर से सलाह कर इंसुलिन सैंसिटाइजर्स मैडिकेशन मेटफौर्मिन का इस्तेमाल किया जा सकता है.

–     हार्मोनली मैडिकेशन.

जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस

जब गर्भवती मां में गर्भवती होने के दौरान पहली बार ग्लूकोज प्रतिरोध अनियमित पाया जाता है तो उसे जेस्टेशन डायबिटीज कहते हैं. ऐसी महिलाओं में भ्रूण द्वारा अधिक मात्रा में ग्लूकोज लेने के परिणामस्वरूप बड़े आकार के बच्चे को जन्म देने का जोखिम होता है. अधिक ब्लड ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित न करने पर नवजात बच्चे की मौत का खतरा बना रहता है.

जेस्टेशनल डायबिटीजका इलाज

–     औब्सेट्रेटीशियन की सलाह के साथ नियमित व्यायाम करें.

–     न्यूट्रीशनिस्ट के पास जाएं और कम कार्बोहाइड्रेट अनुपात वाला डाइट चार्ट बनवाएं.

–     हर दिन ब्लड ग्लूकोज का स्तर जांचें.

–     नियमितरूप से अपने डायबिटीज डाक्टर और औब्सेट्रेटीशियन से मिलें.

–     जरूरत पड़ने पर आप को इंसुलिन लेने की सलाह दी जा सकती है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान एंटी डायबिटीक दवाएं नहीं ली जा सकती हैं.

डिलीवरी के बाद क्या करें

–     जेस्टेशन डायबिटीज वाली महिलाओं में डायबिटीज होने का जोखिम सामान्य जेस्टेशन वाली महिलाओं के मुकाबले कम रहता है.

–     डिलीवरी के 6-12 हफ्तों बाद पोस्ट पारटम ओरल ग्लूकोज टौलरैंस किया जाना चाहिए और उस के बाद प्रत्येक 3 वर्षों में एक बार.

–     महिला को सख्त जीवनशैली का पालन अवश्य करना चाहिए और अपना वजन कम करने की कोशिश करनी चाहिए व बीएमआई बरकरार रखनी चाहिए.

–     नियमित एरोबिक और मांसपेशियों को मजबूती देने वाले व्यायाम अवश्य करने चाहिए.

–     महिलाओं में धूम्रपान अधिक नुकसान पहुंचा सकता है क्योंकि इस से इंसुलिन का स्तर बढ़ता है जिस से इंसुलिन प्रतिरोध पैदा होता है जिस के परिणामस्वरूप डायबिटीज बढ़ सकती है. या इस से ठीक उलट भी हो सकता है क्योंकि डायबिटीज से पीडि़त मरीज, जो धूम्रपान करता है, की बीमारी ठीक करना बहुत मुश्किल होता है.

–     धूम्रपान करने वाली महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले कार्डियोवैस्क्यूलर जटिलताएं विकसित होने का खतरा अधिक रहता है.

–     धूम्रपान करने वाली महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन का खतरा अधिक रहता है जिस की वजह से समय से रजोनिवृत्ति, हड्डियों में कमजोरी यानी ओस्टियोपोरोसिस जैसी चीजें हो सकती हैं.

–     कुछ अध्ययन बताते हैं कि मासिकचक्र में अनियमितता, ओवरियन सिस्ट इंफर्टिलिटी धूम्रपान से जुड़ी हैं.

–     गर्भावस्था के दौरान धूम्रपान करने वाली महिलाओं में समय से पहले जन्म देने, अस्थानिक गर्भावस्था, मृतबच्चे का जन्म, बच्चे के कम वजन जैसे खतरे होते हैं.

यूटीआई से कैसे बचें

–     सख्त ग्लाइकैमिक नियंत्रण.

–     अगर कोई रेनल या कार्डिएक समस्या न हो तो अधिक मात्रा में तरल लें.

–     अच्छा जेनाइटल हाइजिन बनाए रखें.

–     सैनिटरी नैपकिंस को बारबार बदलें.

–     ब्लैडर को लगातार खाली करती रहें.

–     प्रसूति रोग विशेषज्ञ से चर्चा करने के बाद रजोनिवृत्त हो चुकी महिलाएं एस्ट्रोजेन क्रीम का इस्तेमाल कर सकती हैं.

–     यौनसंबंध बनाने के बाद उचित साफसफाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए.

–     यूटीआई का खतरा पैदा करने वाली एंटीडायबिटीक दवाओं के बारे में डायबिटीक विशेषज्ञ डाक्टर से सलाह लें.

–     लैक्स ब्लैडर का उपचार किया जाना चाहिए.

थायरायड और डायबिटीज

–     थायरायड विकार एक पैथोलौजिकल स्थिति है जो डायबिटीज नियंत्रण को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है और इस में मरीज के परिणामों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की क्षमता होती है.

–     थायरायड बीमारी डायबिटीज के सब से सामान्यरूप में पाई जाती है और यह अधिक उम्र के साथ जुड़ी होती है. खासतौर पर टाइप 2 डायबिटीज और टाइप 1 डायबिटीज में औटोइम्यून बीमारियां जुड़ी होती हैं.

–     थायरायड विकार शरीर के मेटाबोलिक नियंत्रण को प्रभावित करता है और इसलिए ब्लड ग्लूकोज को नियंत्रित करना मुश्किल होता है.

–     थायरायड प्रोफाइल मरीजों को औटोइम्यूनिटी पर संशय होने पर थायरायड औटोएंटीबौडी की भी जांच करानी चाहिए.

–     ब्लड ग्लूकोज प्रबंधन के साथ उचित ढंग से नजर रखने के साथ ही थायरायड का उचित उपचार किया जाना चाहिए.

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जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस की स्थिति में गर्भधारण के दौरान नवजात को जान का खतरा रहता है.

-डा. अमृता घोष, डा. अनूप मिश्रा

(फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली)

Romantic Story: कैसे कैसे मुखौटे-भाग 1- क्या दिशा पहचान पाई अंबर का प्यार?

“अरे, अरे! दिला दीजिये न इसे बैलून. बचपन कहां लौटकर आता है?” वह दो-ढाई वर्षीय एक बच्चे को गुब्बारे के लिए मचलते देख उसकी मां से कह रहा था. गोआ के मीरामर बीच पर बैठी दिशा की ओर पीठ थी उस पुरुष की. उसे देख फिर से अम्बर की याद आ गयी दिशा को. वैसे भूली ही कब थी वह उसे ? अम्बर था ही ऐसा कि यादों से निकल ही नहीं पाता था. सबके दिल की बात समझने वाला, छोटी-छोटी बातों में खुशियां ढूंढने वाला, एक ज़िन्दा-दिल इंसान. दिशा सोच में डूबी हुई थी कि वही बच्चा एक हाथ से अपनी मां का हाथ पकड़े और दूसरे हाथ में बड़ा सा गुब्बारा थामे नन्हे कदमों से दूर तक चक्कर लगाकर फिर से आता हुआ दिखाई दिया. उसके पीछे पीछे वही पुरुष था. ‘अरे, यह तो अम्बर ही है!’ दिशा को अपनी आंखों पर विश्वास ही नहीं हुआ.
अम्बर भी आश्चर्य चकित हो कुछ पलों के लिए दिशा को देखता ही रह गया. फिर बच्चे की ओर मुस्कुराकर हाथ हिलाने के बाद दिशा के पास आ उल्लासित स्वर में बोल उठा, “दिशा, तुम, यहां?…..अरे, यूं गुपचुप गुमसुम!”
दिशा भी अम्बर को देख अपनी प्रसन्नता पर काबू नहीं रख सकी, “तुमसे इतने सालों बाद यहां पर ही मिलना तय था शायद…. अम्बर, तुम तो अभी भी वैसे ही लग रहे हो जैसे पांच साल पहले कौलेज में लगते थे.”
“लेकिन तुम्हारा वह चुलबुलापन दूर हो गया तुमसे. पहले वाली दिशा यूं सागर किनारे चुपचाप बैठने वाली थोड़े ही थी.” अम्बर बिना किसी औपचारिकता के मन की बात कह उठा.

“यह बच्चा तुम्हारा है क्या ?” बैलून वाले बच्चे की ओर इशारा करते हुए दिशा ने पूछा.
“हा हा हा, इस बच्चे से तो अभी यहीं मुलाकात हो गयी थी.” अम्बर की हंसी छूट गयी. फिर संभलते हुए बोला, “मैं तो अभी सिंगल हूं. मम्मी-पापा को सौंप दी है जिम्मेदारी. वे जब जिसे चुन लेंगे, मैं उसका हाथ थाम लूंगा.”
“कहां हो आजकल? गोआ में जौब है क्या ?” दिशा अम्बर के विषय में सब कुछ जान लेना चाहती थी.
“अरे नहीं, मैं तो यहां एक वर्कशौप अटैंड करने आया हुआ हूं. मैं अभी भी दिल्ली में ही हूं. जब तुम्हारी बीए हुई थी उसी साल मेरी एमए कम्पलीट हो गयी थी और उसके बाद पीएचडी करने कनाडा की डलहौज़ी यूनिवर्सिटी चला गया था. फिर वापिस दिल्ली आ गया. दो साल से ‘सैंटर फौर अटमोसफ़ियरिक साइन्स’ में असिस्टेंट प्रोफेसर की पोस्ट पर हूं. तुम्हारा ससुराल तो इंदौर में है ना? यहां पतिदेव के साथ घूमने आई हो?”

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“नहीं अम्बर….मैं अब इंदौर में नहीं रहती. तीन सालों से दिल्ली में मम्मी-पापा के साथ रह रही हूं. प्राइवेट बैंक में जौब है. उसी की एक ब्रांच में कुछ प्रौब्लम्स थीं, इसलिए अपनी टीम के साथ आयी हूं यहां. फिर मिलूंगी तो सब बताऊंगी. अभी मुझे गैस्ट हाउस में शाम को चाय के लिए पहुंचना है. सभी कलीग्स वहीं पर होंगे. फिर मिलते हैं.”
दोनों ने एक-दूसरे को अपने मोबाइल नंबर दिए और फ़ोन पर बात करने को कह चल दिए.
गैस्ट हाउस पहुंच दिशा अपने कमरे में जाकर लेट गयी. अचानक तेज़ सिर-दर्द के कारण वह इवनिंग टी में सम्मिलित नहीं हो सकी. एक उदास सी सोच उस पर हावी होने लगी. ज़िंदगी ने कैसे-कैसे रंग दिखाये उसे? कैसा निरर्थक सा था वह एक वर्ष का विवाहित जीवन! विक्रांत का प्यार पाने के लिए क्या-क्या बदलने का प्रयास नहीं किया उसने स्वयं में? लेकिन विक्रांत की चहेती नहीं बन सकी कभी. विक्रांत की पसंद के कपड़े पहनना, उसकी पसंद का खाना कुक से बनवाना और स्वयं भी वही ख़ुशी-ख़ुशी खाना, उसके दोस्तों के आने पर सेवा में कोई कमी न रहने देना. आगे की पढ़ाई और नौकरी का सपना देखना भी छोड़ दिया था उसने. अपनी ओर से जी-जान न्योछावर करने पर भी वह विक्रांत की आंखों की किरकिरी ही बनी रही. इस रिश्ते का अंत तलाक नहीं होता तो क्या होता? दिशा का अपने माता-पिता से बार-बार एक ही सवाल करने को जी चाहता था कि क्या कमी थी अम्बर में? उसकी निम्न जाति खटक रही थी आंखों में तो उच्च जातीय विक्रांत ने कौन सा सुख दे दिया उसे? कितने ख़ुशनुमा थे वे दिन जो अम्बर के साथ बीते थे!

दिशा ने जब बीए में एडमिशन लिया था तो उसके सीनियर अम्बर के चर्चे कौलेज में खूब सुनाई देते थे. वह स्वयं भी उसके आकर्षक, संजीदा व बुद्धिजीवी चरित्र से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकी. पढ़ाई की बात हो या आम जिंदगी की, अम्बर सबकी मदद को तत्पर रहता था. दिशा को बीए के द्वितीय वर्ष में जब इक्नौमिक्स पढ़ते हुए कुछ गणितीय अवधारणायें समझने में मुश्किल हो रही थी तो अम्बर के पास मदद के लिए चली गयी. अम्बर यद्यपि उस समय जियोग्राफी में एमए कर रहा था, लेकिन अपने बीए में पढ़े ज्ञान के आधार पर उसने दिशा को सब समझा दिया. अपनी कठिनाईयों में अम्बर का साथ उसे संबल देने लगा और सूने दिल में अम्बर के नाम की बयार बहने लगी. इन झोंकों का असर अम्बर के ह्रदय-समुद्र पर भी हुआ और प्यार की तरंगे उसके मन में भी हिलोरें लेने लगीं.

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कौलेज में वे लगभग प्रतिदिन मिलते और अपने विचारों का आदान-प्रदान करते. उन दोनों के स्वभाव में अंतर था, शौक भी काफी अलग थे. फिर भी कुछ न कुछ ऐसा अवश्य था जो दोनों को आपस में जोड़े हुए था. शायद अम्बर का मर्यादित रहकर भी स्त्री-मन की समझ रखना, कभी हिम्मत न हारने की सलाह देते रहना और प्रेम की अहमियत समझना दिशा को उससे बांधे जा रहा था. दिशा की नारी-सुलभ मासूमियत अम्बर के मन को गुदगुदा देती थी. वह अम्बर की बातें सुन अपनी कमियों को तरशाने और स्वयं को बदलने के लिए हमेशा तैयार रहती. इतनी निकटता और जुड़ाव के बावज़ूद भी वे एक-दूसरे से अपने मन की बात कहने का साहस नहीं कर पा रहे थे.
दिल की बात अचानक ही दोनों की ज़ुबान पर तब आ गयी, जब कौलेज की ओर से उन्हें एजुकेशनल ट्रिप पर दक्षिण भारत ले जाया गया. उस दिन अपने-अपने अध्ययन क्षेत्रों में घूमने के बाद सभी विषयों के छात्र व अध्यापक शाम के समय कोवलम बीच पर चले गये. वहां जाकर कुछ लड़के-लड़कियां गप-शप में व्यस्त हो गए तो कुछ एक-दूसरे का हाथ थामे पानी में लहरों के आने-जाने का आनंद लेने लगे. दिशा बालू पर बैठ बड़ी तन्मयता से एक घरौंदा बनाने में मग्न थी. दोस्तों से बातें करते हुए अम्बर दूर से उसे देख रहा था. मन दिशा के पास बैठने को बेचैन था. कुछ देर बाद वह चाय बेचने वाले से दो कप चाय लेकर दिशा के पास चला गया.

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Romantic Story In Hindi: हमकदम- भाग 3- अनन्या की तरक्की पर क्या था पति का साथ

कभीकभी वह खुद को समझाती हुई सोचती कि जिंदगी में कुछ पाने के लिए कुछ खोना भी पड़ता है. इस तरह के सकारात्मक सोच उस के मन में नवीन उत्साह भर जाते. आखिरकार उत्साह की परिणति लगन में और लगन की परिणति कठोर परिश्रम में हो गई. नतीजा सुखदायक रहा. अनन्या ने विश्वविद्यालय में प्रथम श्रेणी में दूसरा स्थान पाया.

चंद्रशेखर ने भी खुश हो कर कहा था, ‘मुझे तुम से यही उम्मीद थी अनु.’

अनन्या ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से ‘नेट’ करने के बाद उस ने हिंदी साहित्य में पीएच.डी. की उपाधि भी हासिल की.

उच्च शिक्षा ने अनन्या की सोच को बहुत बदल डाला. सहीगलत की पहचान उसे होने लगी थी. कभीकभी वह सोचती कि आज उस के पास सबकुछ है. प्यारी सी बिटिया, स्नेही पति, उच्च शिक्षा, आगे की संभावनाएं. क्या यह बिना चंद्रशेखर के सहयोग के संभव था? उस की राह की सारी मुश्किलों को चंद्रशेखर ने अपने मजबूत कंधों पर उठा रखा था. वह जान गई थी कि प्रेम शब्दों का गुलाम नहीं होता. प्रेम तो एक अनुभूति है जिसे महसूस किया जा सकता है.

अनन्या को लेक्चरर पद के लिए इंटरव्यू देने जाना था. वह तैयार हो कर बैठक में आई तो एक सुखद एहसास से भीग उठी, जब उस ने यह देखा कि चंद्रशेखर उस की मार्कशीट और प्रमाणपत्रों को फाइल में सिलसिलेवार लगा रहे थे. उसे देखते ही चंद्रशेखर ने कहा, ‘जल्दी करो, अनु, नहीं तो बस छूट जाएगी.’

असीम स्नेह से पति को निहारती हुई अनन्या ने धीरे से कहा, ‘मुझे आप से कुछ कहना है.’

‘बातें बाद में होंगी, अभी चलो.’.

‘नहीं, आप को आज मेरी बात सुननी ही होगी.’

‘तुम क्या कहोगी, मुझे पता है, वही रटारटाया वाक्य कि आप मुझ से प्यार नहीं करते,’ चंद्रशेखर व्यंग्य से हंस कर बोला तो अनन्या झेंप गई.

‘ठीक है, चलिए,’ उस ने कहा और तेजी से बाहर निकल गई. आज वह अपने पति से कहना चाहती थी कि वह अपने प्रति उन के प्यार को अब महसूस करने लगी है. पर मन की बात मन में ही रह गई.

साक्षात्कार दे कर आई अनन्या को नौकरी पाने का पूरा भरोसा था. पर उस समय वह जैसे आकाश से गिरी जब उस ने चयनित व्याख्याताओं की सूची में अपना नाम नहीं पाया. हृदय इस चोट को सहने के लिए तैयार नहीं था अत: वह फूटफूट कर रोने लगी.

पत्नी को रोता देख कर चंद्रशेखर भी संज्ञाशून्य सा खड़ा रह गया. जानता था, असफलता का आघात मौत के समान कष्ट से कम नहीं होता.

‘देखो, अनु,’ पत्नी को दिलासा देते हुए चंद्रशेखर बोला, ‘यह भ्रष्टाचार का युग है. पैरवी और पैसे के आगे आज के परिवेश में डिगरियों का कोई महत्त्व नहीं रहा. तुम दिल छोटा मत करो. एक न एक दिन तुम्हें सफलता जरूर मिलेगी.’

एक दिन चंद्रशेखर ने अनन्या को समझाते हुए कहा था, ‘शिक्षा का अर्थ केवल धनोपार्जन नहीं है. हमारे समाज में आज भी शिक्षित महिलाओं की कमी है, तुम इस की अपवाद हो, यही कम है क्या?’

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‘आप मुझे गलत समझ रहे हैं. मैं केवल पैसों के लिए व्याख्याता बनने की इच्छुक नहीं थी. अपनी अस्मिता की तलाश…समाज में एक ऊंचा मुकाम पाने की अभिलाषा है मुझे. मैं आम नहीं खास बनना चाहती हूं. अपने वजूद को पूरे समाज की आंखों में पाना चाहती हूं मैं.’

चंद्रशेखर पत्नी की बदलती मनोदशा से अनजान नहीं था. समझता था, अनन्या अवसाद के उन घोर दुखदायी पलों से गुजर रही है जो इनसान को तोड़ कर रख देते हैं.

एक दिन चंद्रशेखर के दोस्त रमेश ने बातों ही बातों में उसे बताया कि 4-5 महीने में ग्राम पंचायत के चुनाव होने वाले हैं और उस की पत्नी निशा जिला परिषद की सदस्यता के लिए चुनाव लड़ने वाली है.

चंद्रशेखर ने कहा, ‘आज के माहौल में तो कदमकदम पर राजनीति के दांवपेच मिलते हैं. कई लोग चुनाव मैदान में उतर जाएंगे. कुछ गुंडे होंगे, कुछ जमेजमाए तथाकथित नेता. ऐसे में एक महिला का मैदान में उतरना क्या उचित है?’

‘ऐसी बात नहीं है. पंचायत चुनाव में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है. अगर सीट महिला के लिए आरक्षित हो तो प्रयास करने में क्या हर्ज है? देखना, कई पढ़ीलिखी महिलाएं इस क्षेत्र में आगे आएंगी,’ रमेश ने समझाते हुए कहा.

चंद्रशेखर के मन में एक विचार कौंधा, अगर अनन्या भी कोशिश करे तो? उस ने इस बारे में पूरी जानकारी हासिल की तो पता चला कि उस के इलाके की जिला परिषद सीट भी महिला आरक्षित है. चंद्रशेखर के मन में एक नई सोच ने अंगड़ाई ले ली थी.

‘मैं चुनाव लडूं? क्या आप नहीं जानते कि आज की राजनीति कितनी दूषित हो गई है?’ अनन्या बोली.

‘इस में हर्ज ही क्या है. वैसे भी अच्छे विचार के लोग यदि राजनीति में आएंगे तो राजनीति दूषित नहीं रहेगी. तुम अपनेआप को चुनाव लड़ने के लिए तैयार कर लो.’

अनन्या के मन में 2-3 दिन तक तर्कवितर्क चलता रहा. आखिरकार उस ने हामी भर दी.

यह बात जब अनन्या के ससुर ने सुनी तो वह बुरी तरह बिगड़ उठे, ‘लगता है दोनों का दिमाग खराब हो गया है. जमींदार खानदान की बहू गांवगांव, घरघर वोट के लिए घूमती फिरे, यह क्या शोभा देता है? पुरखों की इज्जत क्यों मिट्टी में मिलाने पर तुले हो तुम लोग?’

‘ऐसा कुछ नहीं होगा, बाबूजी, इसे एक कोशिश कर लेने दीजिए. जरा यह तो सोचिए कि अगर यह जीत जाती है तो क्या खानदान का नाम रोशन नहीं होगा?’ चंद्रशेखर ने भरपूर आत्मविश्वास के साथ कहा था.

चंद्रशेखर ने निश्चित तिथि के भीतर ही अनन्या का नामांकनपत्र दाखिल कर दिया. फिर शुरू हुई एक नई जंग.

अनन्या ने आम उम्मीदवारों से अलग हट कर अपना प्रचार अभियान शुरू किया. वह गांव की भोलीभाली अनपढ़ जनता को जिला परिषद और उस से जुड़ी जन कल्याण की तमाम बातों को विस्तार से समझाती थी. धीरेधीरे लोग उस से प्रभावित होने लगे. उन्हें महसूस होने लगा कि जमींदार की बहू में सामंतवादी विचारधारा लेशमात्र भी नहीं है. वह जितने स्नेह से एक उच्च जाति के व्यक्ति से मिलती है उतने ही स्नेह से अनुसूचित जाति और जनजाति के लोगों से भी मिलती है. और उस का व्यवहार भी आम नेताओं जैसा नहीं है.

धीरेधीरे उस की मेहनत रंग लाने लगी. 50 हजार की आबादी वाले पूरे इलाके में अनन्या की चर्चा जोरों पर थी.

मतगणना के दिन ब्लाक कार्यालय के बाहर हजारों की भीड़ जमा थी. आखिरकार 2 हजार वोटों से अनन्या की जीत हुई. उस की जीत ने पूरे समाज को दिखा दिया था कि आज भी जनता ऊंचनीच, जातिपांति, धर्म- समुदाय और अमीरीगरीबी से ऊपर उठ कर योग्य उम्मीदवार का चयन करती है. बड़ी जाति के लोगों की संख्या इलाके में कम होने पर भी हर जाति और धर्म के लोगों से मिले अपार समर्थन ने अनन्या को जीत का सेहरा पहना दिया था.

घर लौट कर अनन्या ने ससुर के चरणस्पर्श किए तो पहली बार उन्होंने कहा, ‘खुश रहो, बहू.’

अनन्या आंतरिक खुशी से अभिभूत हो उठी. उसे लगा, वास्तव में उस की जीत तो इसी पल दर्ज हुई है.

उस ने फिर कभी मुड़ कर पीछे नहीं देखा. हमकदम के रूप में चंद्रशेखर जो हर पल उस के साथ थे. 3 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में भी वह भारी बहुमत से विजयी हुई. उस का रोमरोम पति के सहयोग का आभारी था. अगर वह हर मोड़ पर उस का साथ न देते तो आज भी वह अवसाद के घने अंधेरे में डूबी जिंदगी को एक बोझ की तरह जी रही होती.

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‘‘खट…’’ तभी कमरे का दरवाजा खुला और अनन्या की सोच पर विराम लग गया. चंद्रशेखर ने भीतर आते हुए पूछा, ‘‘तुम अभी तक सोई नहीं?’’

‘‘आप कहां रह गए थे?’’

‘‘कुछ लोग बाहर बैठे थे. उन्हीं से बातें कर रहा था. तुम से मिलना चाहते थे तो मैं ने कह दिया कि मैडम कल मिलेंगी,’’ चंद्रशेखर ने ‘मैडम’ शब्द पर जोर डाल कर हंसते हुए कहा.

भावुक हो कर अनन्या ने पूछा, ‘‘अगर आप का साथ नहीं मिलता तो क्या आज मैं इस मुकाम पर होती? फिर क्यों आप ने सारा श्रेय मेरी लगन और मेहनत को दे दिया?’’

‘‘तो मैं ने गलत क्या कहा? अगर हर इनसान में तुम्हारी तरह सच्ची लगन हो तो रास्ते खुद ही मंजिल बन जाते हैं. हां, एक बात और कि तुम इसे अपना मुकाम मत समझो. तुम्हारी मंजिल अभी दूर है. जिस दिन तुम सांसद बन कर संसद में जाओगी और इस घर के दरवाजे पर एक बड़ी सी नेमप्लेट लगेगी…डा. अनन्या सिंह, सांसद लोकसभा…उस दिन मेरा सपना सार्थक होगा,’’ चंद्रशेखर ने कहा तो अनन्या की आंखें खुशी से छलक पड़ीं.

‘‘हर औरत को आप की तरह प्यार करने वाला पति मिले.’’

‘‘अच्छा, इस का मतलब तो यह हुआ कि तुम अब मुझ पर यह आरोप नहीं लगाओगी कि मैं तुम से प्यार नहीं करता.’’

‘‘नहीं, कभी नहीं,’’ अनन्या पति के कंधे पर सिर टिका कर असीम स्नेह से बोली.

‘‘तो तुम अब यह पूरी तरह मान चुकी हो कि मैं तुम से सच्चा प्यार करता हूं,’’ चंद्रशेखर ने मुसकरा कर कहा तो अनन्या भी हंस कर बोल पड़ी, ‘‘हां, मैं समझ चुकी हूं, प्यार की परिभाषा बहुत गूढ़ है. कई रूप होते हैं प्रेम के,

कई रंग होते हैं प्यार करने वालों के, पर सच्चे प्रेमी तो वही होते हैं जो जीवन साथी की तरक्की के रास्ते में अपने अहं का पत्थर नहीं आने देते, ठीक आप

की तरह.’’

एक स्वर्णिम भोर की प्रतीक्षा में रात ढलने को बेताब थी. कुछ क्षणों में पूर्व दिशा में सूर्य की किरणें अपना प्रकाश फैलाने को उदित हो उठीं.

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जनसंख्या नीति से पूरे होंगे विशिष्ट उद्देश्य

उत्तर प्रदेश में नई जनसंख्या नीति लागू करके नए भविष्य की नींव रखी जा रही है. उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति 2021-30 में खास बातें शामिल की गई है. उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति-2021 स्वैच्छिक और सूचित विकल्प के माध्यमों से और अपनी विकासशील आवश्यकताओं के साथ जनसांख्यिकीय लक्ष्यों को निर्धारित करके जनसंख्या स्थिरीकरण प्राप्त करने के लिए राज्य की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.

यह नीति, बाल-उत्तरजीविता, मातृ-स्वास्थ्य और गर्भनिरोधक के मुद्दों को संबोधित करने के लिए रणनीतियों को प्राथमिकता देने के लिए अगले दशक के लिए एक तन्त्र प्रदान करती है. इस तन्त्र में जागरूकता बढ़ाने और सेवाओं की मांग के साथ-साथ एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली तक लोगों की पहुंच बढ़ाना भी शामिल है.उत्तर-प्रदेश जनसँख्या नीति -2021 का मूल लक्ष्य यही है कि सभी लोगों के लिए जीवन के प्रत्येक चरण में उसकी गुणवत्ता में सुधार करना और साथ ही साथ सतत् विकास के लिए एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को सक्षम करना. उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति-2021 का समग्र लक्ष्य सभी लोगों के जीवन स्तर में सुधार करना, प्रदेश को प्रगति के पथ पर बढ़ाना और इसके सतत् विकास के लिए एक व्यापक और समावेशी दृष्टिकोण को सक्षम करना है.

उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति -2021 प्रदेश की संपूर्ण आबादी के लिए विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और किशोरों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं को बहाल करने, नवीनीकृत करने और विस्तार करने की उत्तर प्रदेश सरकार की प्रतिबद्वता की पुष्टि करती है. इस नीति के माध्यम से वर्ष 2026 तक महिलाओं द्वारा सूचित व स्वनिर्णय के माध्यम से प्रतिस्थापन स्तर (सकल प्रजनन दर -2.1) तथा वर्ष 2030 तक सकल प्रजनन दर 1.9 लाना है.
राज्य में परिवार नियोजन , विशेषकर सुदूरवर्ती व सेवाओं से वंचित समुदाय तक अपूर्ण मांग को कम करने के लिए तथा आधुनिक गर्भनिरोधक प्रचलन दर को बढ़ाने के लिए रणनीतियों को प्राथमिकीकृत किया जाएगा.

प्रदेश की जनसंख्या यथाशीघ्र स्थिर हो सके, इसके लिए दंपत्तियों को प्रोत्साहित एवं निरुत्साहित करने हेतु समुचित कदम उठाये जाएंगे. यह प्रयास भी किया जाएगा कि विभिन्न समुदायों के मध्य जनसंख्या का संतुलन बना रहे. जिन समुदायों, संवर्गो एवं भौगोलिक क्षेत्रों में प्रजनन दर अधिक है उनमें जागरूकता के व्यापक कार्यक्रम चलाए जाएंगे.

जनसंख्या नियंत्रण हेतु उठाए जा रहे विभिन्न कदमों तथा अपनाई जा रही विभिन्न रणनीतियों और प्रभावी बनाने के लिए आवश्यकतानुसार इस सम्बन्ध में नया कानून भी बनाने पर विचार किया जा सकता है.
स्कूल में लड़कियों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करने और महिलाओं के लिए व्यवसायिक प्रशिक्षण हेतु विभागों और कार्यक्रमों के बीच सामंजस्य स्थापित किया जायेगा.

नई नीति में सामाजिक कुरीतियों को संबोधित करने पर भी विचार किया गया है. जैसे, महिलाओं के खिलाफ हिंसा, बाल विवाह, लिंग चयन एवं पुत्र प्राप्ति को वरीयता देना आदि शामिल है.
इस नीति में विभिन्न उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सामाजिक एवं व्यावहारिक परिवर्तन की संचार रणनीतियों को विकसित किया जाएगा तथा सामाजिक निर्धारकों को भी सम्मिलित किया जाएगा .उत्तर प्रदेश जनसंख्या नीति -2021 में सभी के लिए स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित करने और उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं, शिशुओं, बीमार नवजात शिशुओं तथा अति कुपोषण के शिकार बच्चों पर विशेष ध्यान रखने के स्पष्ट प्रावधान किये गए. संस्थागत प्रसवों में वृद्धि के दृष्टिगत, प्रसव पश्चात परिवार नियोजन सेवाओं में वृद्धि की जाएगी.

प्रदेश सरकार शिशु और पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु में कमी लाने, अधिक से अधिक नवजात शिशुओं को बचाने और बच्चे को बेहतर स्वास्थ्य सेवायें प्रदान करने पर ध्यान देते हुए बच्चे को बचाने के लिए प्रतिबद्ध है. वर्तमान जनसंख्या नीति में जहाँ जनसंख्या स्थिरीकरण हेतु परिवार नियोजन की बात है, वहीं बाँझपन की चिकित्सा पर भी बल दिया जा रहा है. बाँझपन से प्रभावित दम्पत्तियों को प्रदेश की चिकित्सा इकाईयों पर प्रशिक्षित सेवाप्रदाताओं के माध्यम से परामर्श तथा निःशुल्क उपचार प्रदान किया जाएगा.

प्राथमिक , द्वितीय तथा तृतीय स्तर की चिकित्सा इकाईयो पर बाँझपन के निःशुल्क उपचार एवं सन्दर्भन हेतु रेगुलेटरी तन्त्र एवं प्रोटोकाल स्थापित किये जाएगें.गोद लेने की प्रक्रिया को सरल किया जाएगा, जिससे इच्छुक दम्पत्ति को बच्चों को गोद लेने मंन आसानी महसूस हो सके.

प्रदेश में लगभग 1.5 करोड़ लाख बुजुर्ग हैं , चूंकि राज्य की कुल प्रजनन दर लगातार कम हो रही है, जिससे आबादी में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा. अगले बीस साल में, राज्य की आबादी में धीरे-धीरे बुजुर्गों की आबादी का अनुपात ज्यादा होने का अनुमान है. तेजी से बुजुर्गों की रुग्णता दर और बीमारी बढ़ेगी, जिससे स्वास्थ्य पर बहुत अधिक व्यय होगा. अधिक निर्भरता अनुपात, अपर्याप्त सामाजिक सुरक्षा और एकल परिवार में तेजी से बढ़ोत्तरी से बुजुर्गों की देखभाल की अतिरिक्त चुनौती बढ़ेगी.

प्रदेश के समस्त 75 जनपदों के सामुदायिक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर बुजुर्गों के लिए समर्पित सेवायें, स्कीनिंग डिवाईसेस , उपकरण, प्रशिक्षण, अतिरिक्त मानव संसाधन और प्रचार प्रसार सहित उपलब्ध कराई जायेगी जिला अस्पतालों में 10 बेड वाले समर्पित वार्ड स्थापित किये जायेंगे जिसमें अतिरिक्त मानव संसाधन, उपकरण, उपभोग्य वस्तुएं और दवाईयाँ , प्रशिक्षण और आईईसीहोगी. बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं और सलाह को शामिल करने के लिए ई.संजीवनी जैसे टेली – परामर्श प्लेटफार्मों का विस्तार किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश सरकार ने स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए स्वास्थ्य सम्बन्धी बिन्दुओं को चिन्हित किया है, जैसे आधारभूत संरचना , मानव संसाधन , गुणवत्तापरक देखभाल , सन्दर्भन प्रणाली, आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और क्षमता वृद्धि शामिल है. नीति के माध्यम से प्रदेश में मौजूदा स्वास्थ्य संसाधनों के अधिकतम उपयोग के साथ-साथ आवश्यकतानुसार बढ़े हुए आवंटन और निवेश को भी सम्मिलित किया जाएगा.

राज्य में जनसंख्या और स्वास्थ्य शोध के मापन , सीख और मूल्यांकन के लिए एक विशेष स्वास्थ्य शोध इकाई स्थापित की जाएगी. नीति में मध्यमकालिक एवं दीर्घकालिक लक्ष्य परिभाषित किये गये है, जिनके सतत् अनुश्रवण से जनसंख्या स्थिरीकरण एवं मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में प्रगति , किशोरों की उन्नति, बुजूर्गो की खुशी एवं समावेशी विकास की परिकल्पना की प्राप्ति संभव हो सकेगी.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस नीति में उल्लिखित लक्ष्यों तथा उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए हर सम्भव प्रयास किया जायेगा . नीति की प्रगति को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार विभिन्न विभागों , निर्वाचित प्रतिनिधियों , स्थानीय निकायों, निजी क्षेत्रों और सिविल सोसायटी संगठनों के सामंजस्य से कार्य करेगी. नीति के उददेश्यों की पूर्ति के लिए स्थानीय भागीदारी को बढ़ाना एक आवश्यक कदम होगा.

Anupamaa: काव्या ने किया नंदिनी का बुरा हाल, होने वाली बहू पर ऐसे ढाया जुल्म!

टीवी एक्ट्रेस मदालसा शर्मा (Madalsha Sharma) आए दिन नई-नई वीडियो शेयर कर रही हैं. जहां हाल ही में वह अपने रियल लाइफ हस्बैंड संग रोमांटिक अंदाज में नजर आईं थीं. तो वहीं अब काव्या बनकर वह समर की होने वाली वाइफ नंदिनी को परेशान करती नजर आ रही हैं. अब ये कहानी का अपकमिंग ट्विस्ट है या कोई मजाक जानने के लिए देखें वायरल वीडियो की झलक…

नंदिनी से काम करवाती दिखी काव्या

हाल ही में जहां नंदिनी और समर के रिश्ते के लिए बा की इजाजत मिलने के बाद दोनों की जल्द सगाई होने वाली हैं. वहीं इससे पहले काव्या का नया रुप सामने आया है. दरअसल, मदालसा शर्मा ने एक नया वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह नंदिनी को पोछा लगाना सिखा रही हैं. वहीं फैंस इस वीडियो को देखकर हैरान हो गए हैं.

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वीडियो शेयर कर पूछा सवाल

दरअसल, अनुपमा सीरियल में काव्या, नंदिनी की मौसी हैं और शादी के बाद वह नंदिनी (Angha Bhosale) की सास बन जाएगी. अब शादी के बाद नंदिनी के साथ काव्या कैसा सलूक करेगी ये बात खुद मदालसा शर्मा ने एक वीडियो शेयर करते हुए फैंस से पूछा है. मदालसा शर्मा ने अनुपमा के सेट पर एक मजेदार वीडियो बनाया है, जिसमें वह अनघा भोंसले को पोछा लगाना सिखा रही हैं. वहीं इस वीडियो के कैप्शन में मदालसा शर्मा ने लिखा है कि क्या काव्या नंदिनी के साथ ऐसा बर्ताव करने वाली है?

बता दें, मदालसा शर्मा और अनघा भोसले की बौंडिग काफी अच्छी है. दोनों अनुपमा के सेट पर अक्सर फनी वीडियो फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं. वहीं फैंस को भी काव्या और नंदिनी की कैमेस्ट्री काफी पसंद आती है.

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