नहीं रहीं बालिका वधू की ‘दादी सा’, एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी का निधन

टीवी इंडस्ट्री में इन दिनों जहां शादियों की खबरों से सोशलमीडिया छाया हुआ है तो वहीं इसी बीच एक बुरी खबर सुनने को मिल रही है. दरअसल, टीवी के पौपुलर सीरियल बालिका वधू की दादीसा यानी एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी का निधन हो गया है, जिसके बाद सीरियल्स के फैंस सदमें में हैं. आइए आपको बताते हैं पूरी खबर…

हार्ट अटैक से हुआ निधन

 

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75 साल की उम्र में एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी का शुक्रवार (16 जुलाई) की सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया है. 2020 में सुरेखा सीकरी को दूसरी बार ब्रेन स्ट्रोक आया था, जिसके बाद उनकी तबीयत खराब चल रही थी. वहीं पिछली बीमारी की बात करें तो 2018 में सुरेखा सीकरी को पैरालाइटिक स्ट्रोक आ चुका है. हालांकि इस दौरान फैंस उनके ठीक होने की दुआ मांगते नजर आए थे.

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सेलेब्स और फैंस ने दी श्रद्धांजलि

तीन बार नेशनल अवॉर्ड जीत चुकीं एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी के निधन से बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री सदमे में हैं. जहां सेलेब्स उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं तो वहीं फैंस उनके निधन से काफी दुखी हैं. दरअसल, फैंस बालिका वधू के दूसरे सीजन में दादीसा यानी एक्ट्रेस सुरेखा को देखना चाहते थे. लेकिन उनके अचानक निधन से फैंस काफी दुखी हैं.

बता दें, एक्ट्रेस सुरेखा सीकरी ने थियेटर, फिल्मों और टीवी में काफी काम कर चुकी थीं, जिसके बाद टीवी शो बालिका वधू से उन्हें घर-घर में पहचान मिली. वहीं आयुष्मान खुराना की फिल्म बधाई हो में भी उनकी काफी तारीफें हुई थीं. वहीं बालिका वधू का दूसरा सीजन भी जल्द टीवी पर दस्तक देने वाला है, जिसके चलते फैंस काफी एक्साइटेड थे.

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कोरोना के मामले और सरकार से उम्मीद

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के हटाए जाने को सरकार का कोविड मैनेजमैंट में गलती मानो जैसा है. जिस तरह से स्वास्थ्य मंत्री अनापशनाप भाषण और क्लेश करते फिरे हैं और वक्त पर नदारद हो गए हो थे उस की असली जिम्मेदारी चाहे प्रधानमंत्री की खुद की हो, स्वास्थ्य मंत्री की भी थी. उन्हें उसी समय मान लेना चाहिए था कि मेरा आयुर्वेद वगैरा का क्लेम गलत है.

हर्षवर्धन एलोपैथिक डाक्टर हुए भी कभी लोगों में भरोसा नहीं दिला पाए कि कोविड की अपादा में सरकार आप के साथ है. जनता को खुद रेमेडेसिविर या डौक्सी की खोज, अस्पताल के आईसीयू बैड़ों, औक्सीजन सिलेंडरों ही नहीं शमशानों तक का इंतजाम नहीं कर पाए.

ट्विटर और सोशल मीडिया जून से ही हर्षवर्धन को हटाने की मांग कर रहा था पर ट्विटर के वीर यह सवाल उठा रहे थे कि एक अधपड़ा दूसरे अधपढ़े को कैसे हटा सकता है.

पहले लौकडाउन के दिनों में बजाए मंत्रालय का कााम देखने के हर्षवर्धन ने खुशीखुशी घर में भिंडी या मटर छीलते हुए फोटो खिचवाए थे. पक्की बात है कि नैशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथौरिटी ने जिस के चैयरमैंन नरेंद्र मोदी हैं, पहले दौर में हर्षवर्धन को इस लायक भी नहीं समझा कि उन के अस्पतालों को बनवाते हुए खड़े हुए दिखाया जाए. ….. के डाक्टर डा. हर्षवर्धन ने नाक भी बंद रखी कान भी और आंख पर तो पक्की भक्ति का चश्मा चढ़ा ही रखा था. देश की स्वास्थ्य व्यवस्था तो पूजापाठ के भरोसे थी कि बच गए तो ठीक वरना शमशान का ही सहारा है.

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बजाएं पूरे देश का ख्याल रखने के हर्षवर्धन की चिंता पार्टी पर थी और वह पिछलों दलों की सरकारों को कोविड पर उपदेश देते रहे. उन्हें मालूम ही नहीं था कि यह बिमारी कितनी भयंकर हो सकती है जबकि अमेरिका और इटली के उदाहरण सामने आ चुके  थे. वहां जिस तरह से अस्पतालों की कमी हुई थी वह मालूम थी पर हर्षवर्धन तो उस टीम के क्वीन थे जो अपने को कोविड विजयी 24 मार्च, 2021 में घोषित कर चुकी थी जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि हम कोविड को 21 दिनों के लौकडाउन और तालीथाली बजा कर, दिया जला कर हरा देंगे.

देश में मंत्रियों का महत्व अब कुछ ज्यादा नहीं रह गया है और शायद तभी मनसुख मंडाविया जैसे को स्वास्थ्य मंत्री नियुक्त किया गया है जो 2015 में ट्वीट करते हैं कि एलौपैथी फेल्स आयुर्वेद उत्तर है. सब ने देखा कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान कोई रामदेव सामने नहीं था. कोई होम्योपैथ समाने नहीं था. लोग एलौपैथी में इलाज करने वाले अस्पतालों की ओर भाग रहे थे, ऐलोपैथी दवाएं ढंूढ़ रहे थे.

भारत सरकार का संदेश हर घर को साफ है. सेहत के मामले में हम से ज्यादा उम्मीद न रखना. हम तो ऐसे ही स्वास्थ्य मंत्री रखेंगे. आप की मर्जी है तो अस्पतालों को ढूंढ़ों, नहीं है तो बनवाओं, दवाएं खरीदों, नहीं है तो मर जाओ पर शमशान में अगर जगह न मिले तो हम से न पूछें. हमने स्वास्थ्य मंत्री बदल दिया, काफी है. पिछला कम से कम ईएनटी डाक्टर था, यह तो डाक्टर भी नहीं.

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ब्रांडेड समझकर नकली कपड़े तो नहीं ले आए घर, ऐसे करें पहचान

फैशन के इस बदलते दौर में आज हर कोई ब्रांडेड कपड़े ही खरीदना चाहता है. युवाओं में तो ब्रांडेड कपड़े को खरीदने की होड सी लगी हुई है. आजके युवा अपने कपड़ो और जूतों को लेकर ब्रांड कौन्शियस हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि जिन्हें हम ब्रांडेड समझकर खरीद रहे हैं असल में वह तो उसकी कौपी हैं और कुछ दिनें बाद हमारी समझ में आता है कि हम ब्रांड के नाम पर ठग लिए गए हैं. अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है तो अब परेशान होने की बजाय थोड़ा सतर्क हो जाएं. चलिए तो आज हम आपको कुछ ऐसी टिप्स बताते हैं जिन्हे आप शौपिंग करते वक्त ध्यान में रखकर धोखा खाने की संभावना से बच सकती हैं.

बाजार में ब्रांडेड कपड़ों की तमाम कौपी मौजूद हैं. ऐसे में इन्हें खरीदते वक्त गलती से धोखा खा लेना कोई बड़ी बात नहीं है, लेकिन क्या आपको मालूम है कि ब्रांडेड कपड़ों में कई ऐसी खासियत होती है जिसे हर कोई कौपी नहीं कर सकता. आज हम आपको इन्ही बारीकियों से रूबरू कराएंगे, जिससे आप ब्रांडेड कपड़ों की आसानी से पहचान कर सकते हैं.

आईए जानते हैं ब्रांडेड कपड़ों की पहचान करने के टिप्स

स्टिचिंग

आप स्टिचिंग पर ध्यान देकर ब्रांडेड कपड़ों की पहचान कर सकती हैं. ब्रांडेड कपड़ों की स्टिचिंग सीधी, नीट और एक जैसी होनी चाहिए. स्टिचिंग में इस्तेमाल धागा भी एक जैसे होना चाहिए.

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जिप

ब्रांडेड कपड़ों की जिप बहुत स्मूथ और अच्छी क्वालिटी की होती है. फेक कपड़ों की जिप से पहचान करना बहुत ही आसान है. उसे तेजी से खोले और बंद करें. ऐसा करने से आपको अंदाजा हो जाएगा. एक और बात ध्यान दें, ज्यादातर ब्रांडेड कपड़ों की जिप पर ब्रांड का नाम लिखा होता है.

बटन

आप कपड़े पर लगे बटन को देखें. बटन के निचे दिए पेंच में अगर ब्रांड का नाम लिखा है, मतलब वह नार्मल पेंच नहीं बल्कि औरिजनल है. ब्रांडेड कपड़ों के बटन पर ब्रांड का नाम लिखा होता है वहीं कौपी कपड़ों पर सिंपल बटन होता है. अगली बार शौपिंग करते हुए बटन पर भी गौर करना.

लोगो

कई बार लोगो देखकर ब्रांडेड कपड़ो की पहचान करना थोड़ा मुश्किल होता है, लेकिन आप अपने मोबाइल पर उस ब्रांड का लोगो खोल उसे प्रोडक्ट के लोगो से मिला सकते हैं. लोगो का फौन्ट स्टाइस से पहचान कर सकते हैं.

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टैग्स

आमतौर पर हम ब्रांडेड कपड़ों को खरीदते वक्त उनके टैग्स से उनकी पहचान करते हैं, लेकिन बाजार में मौजूद उनकी कौपी पर भी बिल्कुल वैसे टैग लगाकर कपड़े बेचे जा रहे हैं. अगली बार जब आप बाजार जाएं तो आप टैग देखने की बजाय टैग की पहचान करें. बहुत सारे ब्रांड ऐसे हैं जो कपड़ों की लिनिंग में टैग लगाते हैं जिसकी मदद से उसकी सही पहचान हो सकती है.

आप ऊपर दी गई सभी खास जिप्स को ध्यान में रखकर ब्रांडेड कपड़ों के नाम पर ठगने से बच सकती हैं.

Monsoon Special: प्रोटीन से भरपूर सोया चिली

स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है की हम अपने आहार में प्रोटीनयुक्त चीजों को शामिल करें. दाल और सोयाबीन में जितना प्रोटीन पाया जाता है शायद ही किसी और खाद्य पदार्थ में मिले. इसलिए आज हम आपको प्रोटीन युक्त और स्वादिष्ट रेसिपि सोया चिली बनाने की विधि बता रहे हैं. जानें इसे बनाने की विधि.

सामग्री

100 ग्राम सोयाबीन

1 शिमला मिर्च

3 बड़े और मोटे कटे प्याज

1 कटोरी कटी हुई ब्रोकली

एक छोटी कटोरी हरा प्याज

1 बड़ी चम्मच अदरक-लहुसन पेस्ट

1 बड़ा चम्मच मक्के का आटा

1 चम्मच सोया सॉस

1 चम्मच विनेगर

1 चम्मच टमैटो केचप

1 छोटी चम्मच मिर्च पाउडर

1 छोटी चम्मच हल्दी पाउडर

हरी मिर्च

तेल आवश्यकतानुसार

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नमक स्वादानुसार

विधि

सोयाबीन को गर्म रपानी में भिगोकर करीब 1 घटें के लिये रख दें. फिर उस पानी से निकालकर उसका पानी हाथ से पूरी तरह से निचोड़ दें. अब इस सोया की बरी में मक्के का आटा के साथ नमक, मिर्च, हल्दी, अदरक लहुसन की पेस्ट डालकर इसे पानी का साथ मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार कर इसे डिप फ्राई कर लें.

अब एक पैन या कढ़ाही में थोड़ा सा तेल डालकर गर्म करने को रखें. गर्म किये हुये तेल में लहसुन और प्याज डालकर ब्राउन होने तक भूनते रहे. इसके बाद इसमें शिमला मिर्च, ब्रोकली और हरे प्याज डालें. इन सभी सामग्रियों को डालने के बाद इसमें फ्राई किया हुआ सोया डालकर अच्छी तरह से चलाते हुये पूरे मसालों को आपस में मिला दें.

इसके बाद अच्छी तरह मिलाने के बाद इसमें उपर से सोया सॉस, विनेगर, टैमटो केचप, नमक और हरी मिर्च डालकर एक बार फिर पूरी तरह से चलाते हुये पूरे मिश्रण को मिला दें. अब इसके पक जाने के बाद इसे एक प्लेट में निकालकर इसमें धनिये की पत्ती का उपयोग कर अच्छी तरह से सजायें. सोया चिली बन कर तैयार है.

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जब कोई पीठ पीछे बुराई करे

वैसे तो वह हमेशा मेरी सच्ची दोस्त बनती है, लेकिन पीठ पीछे लोगों से मेरी बुराई करती है. समझ नहीं आता उस की बातों पर विश्वास करूं या नहीं. सच बहुत ही अटपटा सा महसूस होता है जब आप किसी दूसरे से अपने बारे में बुराई सुनते हैं और यह बुराई आप के किसी खास दोस्त या सहकर्मी अथवा परिजन ने की हो. मनमस्तिष्क दोनों को ही काफी ठेस पहुंचती है. लेकिन ऐसे में जरूरी है कि आप कुछ बातें ध्यान में रखें ताकि इन सब से निबट सकें:

सच्चाई को जानें:

सब से अहम बात यह है कि सुनीसुनाई बातों पर विश्वास न करें. सब से पहले यह जान लें कि उस बात में कितनी सचाई है. कई बार लोग अफवाह फैला देते हैं या फिर छोटी सी बात का बतंगड़ बना देते हैं. इसलिए जरूरी है कि बातों की सचाई को जाने बिना प्रतिक्रिया व्यक्त न करें, क्योंकि कई बार हमारी छोटी सी गलती हमें अपने नजदीकी लोगों से अलग कर देती है.

धोखे के संकेतों से बचें:

कई बार ऐसा होता है कि हमें कुछ ऐसे संकेत मिलते हैं, जिन से पता चलता है कि सामने वाला हमें धोखा दे रहा है, लेकिन हम उन्हें अनदेखा कर देते हैं. लेकिन जितना अधिक अवसर पीठ पीछे बुराई करने वालों को मिलेगा आप के संबंध में उतनी ही अफवाहें फैलेंगी. इस से आप की छवि और आप के कामकाज पर भी असर पड़ेगा. अत: जरूरी है कि इन संकेतों पर ध्यान दें और इन से निबटें.

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अच्छे संबंध बनाएं:

ध्यान दें यदि आप के संबंध अच्छे होंगे तो लोग आप के बारे में गलत सोचने में 10 बार सोचेंगे. महत्त्वपूर्ण है कि अपनी छवि को अच्छा बनाए रखने के लिए अपने आसपास के लोगों से व्यवहार में मित्रता और सकारात्मक रुख अपनाएं. सभी को सम्मान दें. यदि आप का व्यवहार रूखा है, तो पक्का है आप बुराई के पात्र बनेंगे ही. अत: जरूरी है कि आप का व्यवहार लोगों के बीच अच्छा हो ताकि उन्हें पीठ पीछे आप की बुराई करने का मौका न मिल सके.

नोट करें:

जब भी आप को लगे कि कोई आप की पीठ पीछे बुराई कर के औरों के बीच आप के लिए अफवाह फैला रहा है, तो आप नोट करें कि कब, कैसे और कहां आप के बारे में गलत अफवाह उस व्यक्ति ने फैलाई. जो भी हुआ उसे लिख डालिए, साथ ही उन कारणों को भी जिन की वजह से आप सोचते हों कि किसी ने आप को जानबूझ कर चोट पहुंचाई है. इस से आप के अनुभवों का विवेचन आसान हो जाता है और आप को पता चल जाता है कि वह घटना मात्र एक गलतफहमी थी अथवा किसी बड़े षड्यंत्र का एक हिस्सा.

इन बातों पर भी दें ध्यान

– जब आप को किसी व्यक्ति विशेष पर शक हो तो आप उस से जुड़े किसी ऐसे व्यक्ति से बात करें, जो उस का मित्र न हो कर केवल उसे जानता हो. उस व्यक्ति को उस के चरित्र के बारे में, उस के कारनामे और व्यवहार के बारे में बताएं.

– आप को लगता है कि बात आप के व्यक्तित्व पर आ रही है, साथ ही बढ़ती भी जा रही है, तो पीठ पीछे बुराई करने वाले से स्वयं मिलें. यदि व्यक्तिगत रूप से बात नहीं कर पा रहे हों तो टैक्स्ट या ई मेल का प्रयोग करें.

– अकसर देखने में आता है कि कुछ ऐसे लोग भी हमारे घर, औफिस और महल्ले में मौजूद होते हैं, जो मानसिक तौर से मनोरोगी तो नहीं होते, लेकिन दूसरे का मजाक या पीठ पीछे बुराई करने में उन्हें बेहद मजा आता है, लेकिन जरूरी है कि आप अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखने के लिए ऐसे लोगों से दूर ही रहें.

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– यदि बात किसी कार्यालय की की जाए तो बहुत से सहकर्मी ऐसे होते हैं, जो दूसरों को आगे न बढ़ने देने के लिए चालाकियां करते हैं. उन्हें नीचा दिखाने के लिए गलत बातों का षड्यंत्र रचते हैं. ऐसे में आप को चाहिए कि बातों को जानने की कोशिश करें, उन का समाधान निकालें.

– उन घटनाओं की व्यक्तिगत रूप से अथवा ई मेल द्वारा चर्चा करें, जिन की वजह से आप परेशान हैं. समस्या को सामने लाएं और देखें कि क्या दूसरे व्यक्ति में उस पर बात करने योग्य परिपक्वता है.

– यदि सामने वाला व्यक्ति अपनी गलती मानने से इनकार कर देता है, तो आप के द्वारा नोट की गई सभी बातों को सभी के सामने रखें, जिन के बीच वह आप की बुराई करता था या अफवाहें फैलाता था.

– कई बार कुछ लोग आप के मित्र या परिजनों के बारे में उलटासीधा बोल कर कि फलां तेरे बारे में ऐसा कहता है, अफवाहें फैलाते हैं. अत: आप विश्वास न करें. क्या पता वह व्यक्ति आप के बीच कड़वाहट लाना चाहता हो. इसीलिए तो कहते हैं कि सुनो सब की करो अपने मन की.

Monsoon Special: इस मौनसून में लें Waterfall का मजा

भारत में  ऐसी बहुत सारे प्लेसेस मौजूद हैं, जिनकी खूबसूरती को देखना अपने आप में एक अनूठा अनुभव होता है. वाटर फॉल्स नेचर के ही एक क्रिएशन हैं जिन्हें देखकर आपको शान्ति और सुकून मिलेगा. अगर आप प्रकृति की गोद से खूबसूरत बहते पानी के धारा को देखना चाहते हैं तो इस मौसम में भारत के इन खूबसूरत वाटर फॉल्स को जरूर देखें. जानिए भारत के कुछ वाटर फॉल्स के बारें में .

1. जोग वाटर फॉल,महाराष्ट्र

जोग वाटर फॉल महाराष्ट्र और कर्नाटक की सीमा पर शरावती नदी पर है. यह चार छोटे-छोटे प्रपातों राजा, राकेट, रोरर और दाम ब्लाचें से मिलकर बना है. इसका जल 250 मीटर की ऊंचाई से गिरकर बड़ा सुंदर दृश्य प्रस्तुत करता है. इसका एक अन्य नाम जेरसप्पा भी है.

2. दूधसागर वाटर फॉल, गोवा

गोवा के पास स्थित दूधसागर फॉल एक शानदार परतदार वाटरफॉल है, जो मनडोवी नदी से बनता है. इस फॉल की ऊंचाई 1020 फीट है. ये भारत का सबसे ऊंचा वाटरफॉल है जबकि दुनिया में इसका नाम 227वें स्थान पर आता है. इस वाटरफॉल को ‘सी ऑफ मिल्क’ यानी दूध का समुद्र भी कहा जाता है. यह वाटरफॉल हरे-भरे घने जंगलों से घिरा हुआ है.

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3. चित्रकूट वाटर फॉल, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ में स्थित चित्रकूट वाटरफॉल देश के सबसे बड़े झरनों में से एक है. यह वाटरफॉल छत्तीसगढ़ में जगदलपुर के पास गिरता है. इसे नाइग्रा फॉल्स ऑफ इंडिया भी कहा जाता है. यह खूबसूरत वाटरफॉल 29 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जबकि इसकी चौड़ाई मौसम के अनुरूप बदलती रहती है.

4. वज़हाचल वाटर फॅाल, केरल

केरल के चालकुंडी नदी से निकला वज़हाचल वाटर फॅाल चारों तरफ से घने जंगलों से घिरा है. यह घने जंगल केरल के प्रसिद्ध वर्षा वनों के कारण है. इसमें वनस्पति की 319 प्रजातियों मौजूद हैं. इस नदी में मछली की लगभग 90 प्रजातियां हैं. यह नदी अपनी विविधता के लिए जानी जाती है.

5. तालकोना वाटर फॉल, आंध्र प्रदेश

यह वाटरफॉल आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में श्रीवेंकटेश्वर नेशनल पार्क में स्थित है. यह वाटरफॉल तिरुमाला पर्वत श्रेणियों के शुरुआत में है. इसकी ऊंचाई 270 फीट है. तालकोना का पानी चंदन की लकड़ी और जड़ी-बूटियों से घिरे होने की वजह से चिकित्सा में काम आता है.

6. अब्बे वाटर फॉल, कर्नाटक

अब्बे वाटर फॉल कर्नाटक के कोडगु जिला के मुख्यालय मदिकेरी के निकट स्थित है. यह खूबसूरत जलप्रपात मदिकेरी से लगभग 5 किमी. की दूरी पर है. एक निजी कॉफी बागान के भीतर यह झरना स्थित है. पर्यटक बड़ी संख्या में इस स्थान पर आते हैं. मॉनसून के दिनों में यहां की सुंदरता देखते ही बनती है.

7. केंपटी फॉल, उत्तराखंड

केंपटी भारत के उत्तराखंड में स्थित है. इसकी ऊंचाई 40 फुट है. केंपटी फॉल देहरादून से 20 किमी एवं मसूरी से 15 किमी दूर है.

8. अरूविक्कुजी वाटर फॉल, केरल

अरूविक्कुजी केरल के कोट्टायम नगर से 18 किमी की दूरी पर जलप्रपात स्थित है. कुमारकोम से मात्र 2 किमी. की दूरी पर यह खूबसूरत पिकनिक स्थल है. 100 फीट की ऊंचाई से गिरते इस झरने का संगीत पर्यटकों को बहुत भाता है. पर्यटक यहां रबड़ की वनस्पतियों की छाया का भी आनंद ले सकते हैं.

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9. धुआंधार वाटर फॉल, मध्य प्रदेश

धुआंधार फॉल मध्य प्रदेश के जबलपुर के निकट एक बहुत ही सुंदर फॉल है. भेड़ा घाट में जब नर्मदा नदी की ऊपरी धारा विश्व प्रसिद्ध संगमरमर के पत्थरों पर गिरती है, तो जल की सूक्ष्म बूंदों से एक धुए जैसा झरना बन जाता है, इसी कारण से इसका का नाम धुआंधार फॉल रखा गया है. यह नर्मदा नदी का झरना है, जो जबलपुर से 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

महिलाओं की सेहत के लिए फायदेमंद है अजवाइन की चाय

आपने अब तक कई तरह की चाय कई तरह की चाय और उससे होने वाले फायदे के बारें में सुना होगा, लेकिन क्या आप अजवाइन की चाय और उससे होने वालें फायदों के बारें में जानती हैं. अगर नहीं, तो आज हम आपको एक ऐसी चाय और उसके फायदों के बारे में बताने वाले हैं. थाइम टी यानी कि अजवाइन की चाय. सेहत संबंधी अनेक फायदों से भरपूर अजवाइन की चाय एंटी-औक्सीडेंट्स का बेहतरीन स्रोत होती है. अजवाइन बहुत पुराने समय से हर घर में खाना बनाने के लिए इस्तेमाल होता आया है.

कैसे बनाएं

अजवाइन की चाय बनाने के लिए दो कप पानी लीजिए और उसमें थोड़ा सा अजवाइन डालकर 15 मिनट तक उबालिए. आपको पानी तब तक उबालना है जब तक कि पानी आधा यानी कि एक कप ना बच जाए. फिर इसमें से पानी को छानकर अलग कर लीजिए.

ये हैं अजवाइन की चाय के फायदे

1. महिलाओं के लिए

महिलाओं के लिए अजवाइन की चाय बेहद लाभकारी है. यह पीरियड्स की वजह से होने वाले दर्द में आराम पहुंचाता है और इसी के साथ ही यह गर्भाशय में रक्त प्रवाह को बढ़ाने का काम करता है. इसके अलावा यह वेजिनल यीस्ट इन्फेक्शन के उपचार में भी काम आता है.

2. अस्थमा के लिए

अजवाइन की चाय के धुएं में सांस लेने से ही नाक का रास्ता साफ होता है और शहद की मिठास के साथ अजवाइन की चाय बनाकर गर्मागर्म पीने से अस्थमा अटैक में तुरंत लाभ मिलता है. इसका नियमित सेवन करना रोगी के लिए बेहद ही फायदेमंद साबित हो सकता है.

3. दिल और दिमाग के लिए

अजवाइन की चाय में ओमेगा 3 फैटी एसिड काफी मात्रा में पाया जाता है. यह दिल और दिमाग दोनों के स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद है. यह शरीर में बैड कोलेस्ट्रौल के लेवल को घटाता है और दिमाग में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आपूर्ति करता है. अजवाइन की चाय में दिमाग के ट्यूमर को रोकने की भी क्षमता होती है.

4. वजन कम करने में

अजवाइन की चाय फाइबर का बेहतरीन स्त्रोत मानी जाती है. फाइबर शरीर में फैट की मात्रा को नियंत्रित रखने में मदद करता है. इस वजह से इसके सेवन से वजन नियंत्रण में रहता है.

5. पाचन के लिए

अजवाइन की चाय पाचन तंत्र को दुरुस्त रखने में भी काफी मददगार है. इसमें पाया जाने वाला तेल पाचन प्रणाली को स्वस्थ रखता है. हर सुबह 1 कप अजवाइन की चाय पीना आपके लिए बेहद फायदेमंद है, इसलिए इसे रोजाना अपनी डाइट में शामिल करें.

प्रदेश के निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में

उत्तर प्रदेश के सभी निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के दायरे में माने जाएंगी. अब निजी विद्यालय सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना देने के लिए बाध्य होंगे. राज्य सूचना आयुक्त श्री प्रमोद कुमार तिवारी ने आज श्री संजय शर्मा बनाम ज0सू0अधिकारी/मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन, लखनऊ के विषय में योजित अपील के निस्तारण में यह व्यवस्था दी है. उन्होंने मुख्य सचिव उ0प्र0 शासन को यह संस्तुति की है कि जन सूचनाओं की महत्ता को देखते हुए निजी विद्यालयों प्रबन्धकों को भी जन सूचना अधिकारी घोषित करने की व्यवस्था करें.

उल्लेखनीय है कि अपीलार्थी श्री संजय शर्मा ने ज0सू0अ0/मुख्य सचिव, उ0प्र0 शासन, लखनऊ से लखनऊ के दो प्रतिष्ठित निजी विद्यालयों के विषय में आर0टी0आई0 एक्ट के तहत राज्य सूचना आयोग लखनऊ में द्वितीय अपील योजित की थी. यदि निजी विद्यालयों को विद्यालय की स्थापना हेतु रियायती दरों पर विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि उपलब्ध करायी गयी है तो मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा डी0ए0वी0 कालेज ट्रस्ट एण्ड मैनेजमेंट सोसायटी एवं अन्य बनाम डायरेक्टर ऑफ पब्लिक इंन्सट्रक्शन एवं अदर्स में प्रतिपादित विधि अनुसार ऐसे विद्यालय राज्य द्वारा पर्याप्त रूप से वित्त पोषित समझे जायेंगे. उल्लेखनीय है कि निजी विद्यालय सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत इस आधार पर सूचना नहीं देते थे कि वे राज्य द्वारा वित्त पोषित नहीं है एवं वे अधिनियम की परिधि से बाहर हैं.

आयोग ने इस वाद में यह भी प्रतिपादित किया कि वर्ष 2009 में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम के पारित होने के बाद ऐसे समस्त विद्यालय जो उपरोक्त अधिनियम से आच्छादित है, अधिनियम एवं उ0प्र0 निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार नियमावली-2011 के प्रपत्र-1 एवं 2 में वर्णित कतिपय सूचनाएं जिला शिक्षाधिकारी को सूचनाएं देना अपेक्षित है. ऐसी स्थिति में जिला शिक्षाधिकारी उक्त प्रपत्रों में उल्लिखित सूचनाओं को धारित करते हैं, एवं वे प्रपत्रों में वर्णित समस्त सूचनाओं को आर0टी0आई0 एक्ट की धारा-6(1) के तहत मांगे जाने पर याची को देने के लिए बाध्य है.

Youth को बॉडी बिल्डिंग के बारें में क्या कहना चाहते है फरहान अख्तर, पढ़ें इंटरव्यू

‘कोविड 19 की वजह से समय कुछ ऐसा आया है कि जो कुछ प्लानिंग किसी ने भी भविष्य के लिए आज से डेढ़ साल पहले किया है, वह अब प्लान नहीं रहा, सबकी शिड्यूल और टाइमिंग अलग हो चुकी है. मैं जिस कहानी का निर्देशन करना चाहता हूं या जिस लोकेशन पर उसे करना चाहता हूं, उसे कर पाऊंगा या नहीं, इसकी गारंटी कोई नहीं दे सकता. जब काम करने की क्लियरिटी मिलेगी, तब मैं आगे किसी फिल्म का निर्देशन करूँगा’… ये कहना है अभिनेता फरहान अख्तर का. उनकी फिल्म ‘तूफान’ अमेजन प्राइम विडियो पर रिलीज होने वाली है.

फ़िल्मी परिवार में पैदा होने के बावजूद फरहान अख्तर ने परिवार के किसी का सहारा नहीं लिया और अपने बलबूते पर इंडस्ट्री मेंपहचान बनायी. वे आज एक निर्माता,निर्देशक के अलावा अभिनेता, पटकथा लेखक और सिंगर भी है. इस दौरान फिल्मों की सफलता और असफलता का दौर भीआया, पर उन्होंने इस पर अधिक ध्यान नहीं दिया. उनसे बात हुई पेश है कुछ अंश.

सवाल-ये फिल्म थिएटर में नहीं, ओटीटी पर रिलीज हो रही है, क्या आपको कोई रिग्रेट है?

फिल्म को थिएटर में रिलीज होगी, ऐसा सोचकर बनाई गई थी, लेकिन पिछले डेढ़ सालों में जो हालत कोरोना की वजह से पूरे विश्व में हुई है, ऐसे में मेरी फिल्म अगर ओटीटी पर रिलीज हो रही है, तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझता हूं, क्योंकि इस समय किसी को भी थिएटर में जाना ठीक नहीं और थिएटर खुले भी नहीं है. निर्देशक राकेश ओमप्रकाश  मेहरा ने एक दिन मुझसे कहा था कि पेंडेमिक की वजह से घरों में रहने वाली छोटी स्क्रीन आज बड़ी हो चुकी है. यही एक डिवाइस मनोरंजन का साधन है और इसके द्वारा मेरी फिल्म पूरे विश्व में करोड़ो लोगों को दिखाई जायेगी. 7करोड़ जनसँख्या पूरे विश्व में देख सकते है और यही मेरे लिए सौभाग्य की बात है. मुझे कोई रिग्रेट नहीं है, क्योंकि कोविड की वजह से दुनिया में फिल्मों की मार्केटिंग बहुत बदली है और हमें भी एक कदम आगे बढ़कर इसे अपनाने की जरुरत है.

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सवाल-क्या ओटीटी पर फिल्म रिलीज होने पर बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का प्रेशर कम रहता है?

फिल्म देखने पर सभी फिल्म में परफोर्मेंस की तारीफ करते है. फिर चाहे वह थिएटर हॉल में हो या घर में छोटी स्क्रीन पर, इसलिए मैंने कभी भी किसी फिल्म को लेकर प्रेशर महसूस नहीं किया. यह एक जिम्मेदारी होती है, जिसमें मैं अपने परफोर्मेंस पर अधिक ध्यान देता हूं. अगर दर्शकों को परफोर्मेंस सही दिखा, तो एक अभिनेता के नाते मेरा काम हो गया.

सवाल-आप एक बार फिर से स्पोर्ट्स फिल्म कर रहे है, क्या आपको स्पोर्ट्स फिल्में करना अधिक पसंद है?

मुझे फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ और तूफान’ फिल्म में भी काम करने का मौका मिला. दोनों फिल्मों की कहानियों, परफोर्मेंस और खुद से बहुत कुछ सीखा है.

सवाल-फरहान, आपने इस फिल्म में अपनी बॉडी पर बहुत काम किया है और एक मसल्स वाले बॉक्सर की भूमिका निभाई है, क्या फिल्मों के लिए इस तरह के एक्सपेरिमेंट करना शरीर के लिए सही होता है?

फिल्म में दिखाए बॉडी को देखकर खुद उसे करने की कोशिश कभी न करें. फिटनेस हमेशा सही होता है, लेकिन इस क्षेत्र के किसी एक्सपर्ट के साथ बॉडी बनाने की कोशिश करनी चाहिए. बहुत सारे यूथ फिल्मों को देखकर खुद वैसी बॉडी बना लेने की कोशिश करते है, जो गलत है. बॉडी बिल्डिंग एक विज्ञान है और उसके अनुसार कितना वर्कआउट,कितना सोना, पानी पीना, डाइट, व्यायाम आदि को व्यक्ति की शारीरिक बनावट के आधार पर करना सही होता है. एक्सपर्ट के बताये रास्ते पर चलना जरुरी है. ट्रेनर और न्यूट्रीशियन ही सही तरीका बता सकते है. इस फिल्म में मैंने जो भी किया है, उसमें बॉक्सिंग की टीम, मेरे ट्रेनर समीर जारा, डॉ. आनंद फिजियोथेरेपिस्ट आदि के अनुसार मैंने 8 महीने की ट्रेनिंग शूटिंग से पहले लिया है. हर हफ्ते 6 दिन और 5 घंटा हर दिन सब वे मोनिटर करते थे. मुझे मोटा दिखना है, लेकिन मेरा वजन बढ़ नहीं रहा था. मेरी लाइफ में कभी भी मैं 74 किलो से अधिक वजन का नहीं रहा, लेकिन इस फिल्म में मैं 86 किलो तक का वजन बढाया था. मैं उस समय 3 हज़ार कैलरी से अधिक खा रहा था. मेरा माइंड मेरे इस काम को रिफ्यूज कर रहा था. 78से 79 के बीच सूई अटक गयी. उस समय कड़े कदम उठाने पड़े, वह मेरे लिए बहुत कठिन काम था. ऐसी फिटनेस के लिए एक एक्सपर्ट का साथ होना बहुत जरुरी है.

सवाल-आज के यूथ कई बार जिम के बाद प्रोटीन शेक ले लेते है, क्या इसे लेना सही होता है? आपकी राय क्या है?

प्रोटीन शेक लेना गलत नहीं, इससे मसल्स को ताकत मिलती है और ये जरुरी भी है. अगर आप बहुत अधिक वर्कआउट करते है, तो भोजन के द्वारा उसे पूरा करना संभव नहीं होता, इसलिए प्रोटीन शेक लेना पड़ता है. बॉडी बनाने के लिए कुछ चीजों से हमेशा दूर रहना चाहिए, मसलन स्टेरॉयड लेना, किसी तरह का इंजेक्शन लगाना और गोलियां खा लेना, ये सब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, क्योंकि इसके साइड इफ़ेक्ट बहुत ख़राब होते है. बॉडी बनाने के लिए बॉडी को समय दीजिये, इससे थोड़े दिनों बाद ही आपको इसका रिजल्ट मिल जायेगा.

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सवाल-कोरोना काल और लॉकडाउन में आपका समय कैसे बीता ?

इस समय में कभी अच्छा तो कभी ख़राब रहा, लेकिन मैं अपने परिवार और दोस्तों के साथ कभी-कभी मिला करता था, किताबे पढना, फिल्मों को देखना आदि करने का समय मिला है, लेकिन इस दौरान बहुत सारें ऐसे दृश्य भी देखने को मिले, जिससे मन बहुत दुखी होता था. ऐसे कई लोग थे, जो अपने प्रिय व्यक्ति को अपने आँखों के सामने कोविड की वजह से खो रहे थे और उन्हें अंतिम दर्शन भी नहीं कर पा रहे थे. मैंने इस दौरान सोशल मीडिया के ज़रिये जरुरत मंदों की सेवा की है. पिछले कुछ महीने कुछ भी सही नहीं था.

अनुपमा और बेटी पाखी के रिश्तों में बढ़ी कड़वाहट तो काव्या ने बनाया नया प्लान

टीवी सीरियल ‘अनपुमा’ में फैमिली ड्रामा औडियंस का दिल जीतने में कामयाब हो गया है, जिसके चलते सीरियल की टीआरपी पहले नंबर पर बनी हुई हैं. वहीं मेकर्स अपकमिंग एपिसोड में इस फैमिली ड्रामा को और बढ़ाने वाले हैं. दरअसल, सीरियल में काव्या, पाखी के बाद बा बापूजी को भड़काते हुए नजर आने वाली है. आइए आपको बताते हैं क्या होगा शो में आगे…

पाखी के दिल में काव्या ने भरी कड़वाहट

अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा जैसे ही एकेडमी से घर वापस आएगी तो पाखी को काव्या के साथ डांस करता हुआ देखेगी, जिसे देखकर वह हैरान रह जाएगी. वहीं पाखी, अनुपमा को देखकर गुस्सा करते हुए कहेगी कि अनुपमा के लिए सिर्फ समर और उसकी खुशियां ही मायने रखती हैं, जिसके बाद अनुपमा समझ  जाएगी कि उसकी गैरमौजूदगी में काव्या ने पाखी को भड़काया है.

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वनराज कहेगा ये बात

पाखी का बर्ताव देखर अनुपमा, काव्या को वॉर्निंग देगी कि वो उसके बच्चों से दूर रहे. हालांकि काव्या, अनुपमा को उदास देखकर खुश होगी. वहीं वनराज, काव्या से कहेगी कि पाखी से उसकी नजदीकियां मंजूर हैं. लेकिन अगर काव्या की किसी हरकत से अनुपमा और पाखी के बीच दरार आई तो अच्छा नही होगा. इसी बीच अनुपमा पाखी को मनाने की कोशिश करती नजर आएगी. हालांकि काव्या कहती नजर आएगी कि वह पाखी को अनुपमा से दूर कर देगी.

 

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खबरों की मानें तो पाखी के बाद काव्या बा और बापूजी को भड़काना शुरु करेगी, जिसके चलते वह दोनों अनुपमा के खिलाफ हो जाएंगे. वहीं परिवार को अपने खिलाफ होता देख अनुपमा घर छोड़ने का फैसला भी करती दिख सकती है. हालांकि हर कदम पर अनुपमा काव्या की चालों का जवाब देती नजर आएगी, जिसमें उसका साथ उसके बच्चे देंगे.

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